Update 31
रात के लगभग 1 बजे थे घना ठंड था जिससे हड्डियां भी कांप रही थी ,मेरे हाथो में बस एक टार्च था जिसे भी मैं जला नही रहा था,रम के चार पैक ने मुझमें थोड़ी गर्मी का संचार तो किया था लेकिन फिर भी हाथ पैर कांप ही रहे थे,मैंने अपनी बाइक उस गोदाम से थोड़ी ही दूर में खड़ा किया हुआ था ,मोबाइल साइलेंट में था , और अंधेरे में आंखों को अरजेस्ट करने की कोशिस करते हुए मैं दीवाल की मदद से कोई ऐसी जगह तलाश रहा था जिससे मैं उस गोदाम के अंदर जा सकू ,लगभग 10 एकड़ के फैलाव में फैले हुए उस विशाल खुले हुए गोदाम में 500 से ज्यादा अलग अलग किस्म की गाड़िया बिकने आयी हुई थी ,उठा डंप की गई थी ,मैं बेहद ही सावधानी के साथ दीवार फांद गया और अभी तक मैंने टार्च का उपयोग नही किया था ,मैं सारा गोदाम ही सुनसान था,गेट पर बने हुए एक छोटे से मकान में एक गार्ड सो रहा था ,वही बाकी के कर्मचारी भी बड़े बड़े रजाई ओढे घोड़े बेच कर सो रहे थे ,मेरे लिए वँहा स्वत्रन्त्र होकर घूमना आसान हो गया था ,लेकिन फिर भी मैं कोई रिस्क नही लेना चाह रहा था लेकिन फिर एक जगह जाकर मैं ठिठक गया,दो गार्ड पूरी मुस्तैदी से तैनात दिखाई दिए ये गोदाम के सबसे पीछे का हिस्सा था ,थोड़ी आग जला रखी थी जिससे उन्हें गर्मी मिलती रहे वही ओल्डमोंक की एक खाली बोतल से भी समझ आ रहा था की ये नशे में तो है लेकिन फिर भी पूरी तरह से सतर्क है …
ये ही इतना समझने को काफी था की जिस माल की तलाश में मैं यंहा पहुचा हु वो यंही रखा गया था…
मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई,जब मैंने पास ही खड़ी एक बड़ी सी गाड़ी को देखा ,लगभग 30 चक्कों की गाड़ी थी जिसमे महंगी कारो को ले जाया जाता है ,उसका यंहा होने का एक ही मतलब था की माल की डिलवरी यंही से होगी या इसी से होगी ,मैंने एक ट्रेकिंग डिवाइस निकाल कर उस ट्रक में ऐसे लगा दिया की किसी को दिखाई ना दे …
मैं जिस तरह से आया था चुप चाप उसी तरह से वापस भी चला गया,ये सब करने में मुझे मुश्किल से आधे घण्टे ही लगे थे …
1:30 हो चुका था..मैंने मोना को काल किया ..
“हल्लो कहा हो अभी ..”
उसकी सांसे थोड़ी तेज थी …
“मैं अभी ..आप कहा हो “
“मैं घर आने को अभी निकल रहा हु ,आधा घंटा लगेगा ..”
“ओह ..”उधर से आवाज बिल्कुल शांत सी आने लगी
“तुम कहा हो ..”
“मैं थोड़ी देर में आ जाऊंगी थोड़ा लेट हो गई आज ..”
“अब्दुल के साथ हो ..”मैंने तुरंत ही पूछ लिया
“हा ..मैं भी यंहा से निकल रही हु ..”
उसने के सपाट जवाब दिया और फोन रख दिया,मेरे होठो की मुस्कान और भी गाढ़ी हो चुकी थी …
मैं तुरंत ही अपनी गाड़ी को बिना स्टार्ट किये ही ढुलाते हुए उस गोदाम के गेट के पास लाया,
करीब 15 मिनट हुए थे की गेट खुला ,मैंने भी अपना हेलमेट पहन लिया था ,मेरी निगाह लगातार उस गेट पर ही थी ,एक महंगी गाड़ी वँहा से निकली जो की अब्दुल की गाड़ी थी ,मैं साफ देख सकता था की पीछे औरत बैठी थी और ड्राइवर गाड़ी चला रहा था …
उस औरत को मैं पहचान सकता था ,पहचानता भी कैसे नही वो मेरी जान जो थी ,वही लंबे बाल जो अभी बिखरे हुए थे वो उसे सम्हाल रही थी ,मैं उस गाड़ी के पीछे हो गया लेकिन दूरी बनाये रखी,जबतक की गाड़ी भीड़ भाड़ वाले रोड में नही आ गई …
वो गाड़ी तेजी से चल रही थी जैसे उसे कही एक निश्चित समय में पहुचनी हो …
मोना अपने बालो को संवार थी ,वही वो अपने पर्स से दर्पण निकाल कर अपने होठो के साथ कुछ कर रही थी ,चलती हुई गाड़ी में वो अपना हुलिया ठीक कर रही थी जिसका मतलब साफ था की उसका हुलिया किसी ने पहले बिगड़ा था…
वो गाड़ी मेरे बंगले के पास आकर रुकी और मोना उतर कर गेट के पास रुकी अंदर देखा,मेरी गाड़ी नही होने के कारण शायद उसे थोड़ी शांति मिली हो ,मैं दूर ही खड़ा सब देख रहा था की वो अदंर चली गई ,थोड़ी देर बाद मैं भी घर पहुचा गया…
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं अंदर गया तो मोना दर्पण के सामने खड़ी हुई थी,उसने अभी भी वो कपड़े पहने हुए थे,मैंने उसे पीछे से जाकर जकड़ लिया …
“कहा थी ..??”
“बताई ना अब्दुल के साथ ..”
“कहा..”
“उसके फॉर्महाउस में ..”
मेरा माथा ठनका …
“ओह तो क्या हुआ तुम्हारे बीच “
उसने मुझे अपने से दूर किया और मेरे चहरे को देखने लगी
“अपने कहा था की आप कुछ नही पूछोगे…”उसकी मुस्कान बेहद ही कातिलाना थी
“अरे लेकिन इतना तो हक बनता है पति हु तुम्हारा ..”
वो खिलखिलाई
“अब नही बनता जो जानना है खुद ही पता कर लो ...हमारे करार के अनुसार मैं आपको कुछ भी बताने के लिए बाध्य नही हु और किसी के भी साथ कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हु ..”
मैं उसे आंखे फाड़े देख रहा था वो हंसती हुई जाने लगी मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने से सटा लिया ..
“बहुत कानूनी बात कर रही है..”
उसके दिल की धड़कन तेज थी वही मेरा दिल भी तेजी से धड़क रहा था ,वो थोड़ी घबराई जरूर लेकिन फिर मुस्कुराने लगी ..
“मेरे पति ही कानून की भाषा समझते है तो मैं क्या करू ,अपने साफ साफ कहा था ,अब मुकरने से कोई फायदा नही है या ये कह दो की मत कर ,नही करूंगी ,लेकिन कुछ पूछना नही जो बताने के लायक होगा मैं बता दूंगी लेकिन जब मेरी मर्जी हो तो ..आजादी दिए हो तो पूरा दो वरना मत ही दो ..”
उसके हर शब्द मेरे दिल में तीर के जैसे लग रहे थे,मुझे लगा की मुझसे कोई गलती हो गई लेकिन अगले ही पल मेरे जेहन में कई दृश्य एक साथ घूम गए मेरी पकड़ मोना के ऊपर ढीली पड़ गई मैं माथा पकड़ कर बिस्तर में बैठ गया…
“क्या हुआ मैंने तो पहले ही कहा था की आपसे ये सब सहन नही होगा लेकिन आप तो अपनी पतिव्रता पत्नी को दूसरे के बांहो में भेजने के लिए आतुर थे...लेकिन आपसे एक वादा है जब रुकने को कहोगे तब ही रुक जाऊंगी कही आपकी ये फेंटेसी हमे महंगी ना पड़ जाए ..”
मैं माथा पकड़ कर तो बैठा था लेकिन मेरे होठो में एक तेड़ी मुस्कान आ गई जिसे मैंने मोना से छिपाया और थोड़ा सम्हालते हुए कहा ..
“जब तक सह पाऊंगा तब तक तुम्हे नही रोकूंगा मैं भी देखना चाहता हु की आखिर मैं किस हद तक जा सकता हु ...और तुम किस हद तक..”
वो मुस्कुराई
“मेरी फिक्र मत करो मैं किसी भी हद तक जा सकती हु,मेरे लिए कोई भी हद नही है बस आप अपनी सोचो ऐसे भी आपको कैसे पता चलेगा की मैं किस हद तक गई हु …”
वो बेहद ही कातिलाना मुस्कान से मुस्कुरा रही थी ,वो मुझे जलाने में कोई कसर नही छोड़ती थी ..
मैंने उसके हाथ को पकड़ कर उसे अपने बिस्तर में खिंच लिया ,वो अब मेरे ऊपर लेटी हुई थी,उसके मुह से थोड़ी शराब की बदबू आ रही थी जो उसके खुद के परफ्यूम में कही घुल जा रही थी ,साड़ी का पल्लू नीचे हो गया था उसके वक्ष उसके गोल्डन कलर के ब्लाउज से बाहर झांक रहे थे और मेरे सीने में जा धंसे ...उसके बाल मेरे चहरे से टकरा रहे थे जिसे उसने बाजू किया उसका चहरा अब मेरे चहरे के ऊपर था ..
वो अब भी उसी मुस्कान के साथ थी उसने अपनी कमर को मेरे कमर पर हल्के से चलाया …
“आप नही सुधरोगे,दिल की धड़कने तो बढ़ी हुई है लेकिन लंड बिल्कुल तना हुआ है ..”वो खिलखिलाई} ..
“शायद यही सोच रहे होंगे की अब्दुल ने मेरे साथ क्या किया होगा,ऐसे भी जब आपका फोन आया था तो मेरी सांसे तेज थी ,टूट सोचो वो उस संयम मेरे साथ क्या कर रहा था …?”
मैंने उसे जोरो से जकड़ कर उसे अपने नीचे ले आया ,उसके गोरे उरोजों को देखकर मेरा लिंग और भी तन गया वो जीन्स में मुझे दर्द दे रहा था …
मैंने अपने जीन्स को निकाल फेका मेरे अंडरवियर में मेरा मूसल मोना के जांघो के बीच रगड़ खा रहा था ,वो भी हल्की सिसकारी ले रही थी …
मैं उसके होठो में अपने होठो को घुसा दिया ,वो जैसे तड़फने लगी ..
“क्या किया अब्दुल ने तेरे साथ ..”
वो मुस्कुराई ..
“खुद पता कर लो ..”
वो खिलखिलाई
“साली पूरी रंडी बनती जा रही है ..”
“यही तो चाहते थे ना की आपकी बीवी दुसरो के लिए रंडी बन जाए ..”उसका स्वर ऐसा था जैसे वो बेहद ही उत्तेजित हो ..
मैंने उसे कोई जवाब नही दिया बस उसके साड़ी को खोलने लगा ,उसकी कमर में मुझे एक खरोच के निशान दिखे मेरी नजर वहां अटक गई थी ..
“क्या देख रहे हो ये मेरे प्रेमी ने मुझे दिया है ,साला कितने जोरो से पकड़ता है ..”
मैं और भी मचल गया और बुरी तरह से उत्तेजित होकर उसके ऊपर टूट पड़ा,उसके होठो में एक विजयी मुस्कान आ गई थी जो मुझसे नही छुप पाई थी ,मैं भी जानता था की उसकी मुस्कान कितनी सार्थक थी असल में उसका पलड़ा मुझसे हमेशा से ही भारी रहा था ,और आज उसे अपने असली जीत का अहसास हो रहा होगा...और मैं उसे यही अहसास दिलाना चाहता था ..
मैं और भी जोरो से उसके ऊपर टूटा,दोनो ही नंगे होकर सेक्स के खेल में जुट गए थे..
“आह आह मेरी जान अब्दुल जोर से करो ना ..”
मैं किसी पिस्टल की तरह उसे पेल रहा था ..
“मादरचोद रंडी ये ले ..”मैं और भी जोरो से उसे पेलने लगा उसके होठो की मुस्कान और भी बढ़ गई ..
“आह रोहित मेरी जान ..आह राज ..शर्मा जी ….”
वो मुझे उत्तेजित करने के लिए अपने हर आशिक का नाम ले रही थी …
“सभी तुझे मिल कर चोडेंगे साली रंडी ..”मैं जोरो से पेल रहा था ..
“हा सभी एक साथ एक साथ ..आह मेरी जान आह चोदो ना इंस्पेक्टर साहब ...विक्रांत ..”
मैं चौका और उसे देखने लगा ...वो रंडिपन की हद सी मुस्कुराई ..
“ये नया आशिक है मेरा आप अपना काम चालू रखो ना “
उसकी वो मुस्कान मुझे जलाने के हद से ज्यादा ही थी मैंने जोरो से उसके गाल पर थप्पड़ मारा लेकिन वो फि भी मुस्कुरा रही थी ..
“अब अपनी रंडी बीवी का रंडिपन देखो मेरी जान ..”
उसने हंसते हुए कहा और खिलखिलाने लगी,मैं उसके गालो को जोरो से दबा दिया और जोरो से उसे पेलने लगा,,,
वो भी मस्त थी और मैं भी जलन की हद में अपना गुस्सा निकाल रहा था लेकिन मोना को इसमें बेहद ही मजा आ रहा था,मैं उसके ऊपर पूरी तरह से छा गया था ऐसा सेक्स हमने अपने पूरे जीवन में कभी नही क्या था शायद यही वो मजा था जिसके कारण लोग जलना भी पसंद कर लेते है ...मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दिया और अपना लावा पूरा उसके अंदर उड़ेल दिया….
सांसे जब थोड़ी सामान्य हुई हमारे होठ मिल गए ….
रात के लगभग 1 बजे थे घना ठंड था जिससे हड्डियां भी कांप रही थी ,मेरे हाथो में बस एक टार्च था जिसे भी मैं जला नही रहा था,रम के चार पैक ने मुझमें थोड़ी गर्मी का संचार तो किया था लेकिन फिर भी हाथ पैर कांप ही रहे थे,मैंने अपनी बाइक उस गोदाम से थोड़ी ही दूर में खड़ा किया हुआ था ,मोबाइल साइलेंट में था , और अंधेरे में आंखों को अरजेस्ट करने की कोशिस करते हुए मैं दीवाल की मदद से कोई ऐसी जगह तलाश रहा था जिससे मैं उस गोदाम के अंदर जा सकू ,लगभग 10 एकड़ के फैलाव में फैले हुए उस विशाल खुले हुए गोदाम में 500 से ज्यादा अलग अलग किस्म की गाड़िया बिकने आयी हुई थी ,उठा डंप की गई थी ,मैं बेहद ही सावधानी के साथ दीवार फांद गया और अभी तक मैंने टार्च का उपयोग नही किया था ,मैं सारा गोदाम ही सुनसान था,गेट पर बने हुए एक छोटे से मकान में एक गार्ड सो रहा था ,वही बाकी के कर्मचारी भी बड़े बड़े रजाई ओढे घोड़े बेच कर सो रहे थे ,मेरे लिए वँहा स्वत्रन्त्र होकर घूमना आसान हो गया था ,लेकिन फिर भी मैं कोई रिस्क नही लेना चाह रहा था लेकिन फिर एक जगह जाकर मैं ठिठक गया,दो गार्ड पूरी मुस्तैदी से तैनात दिखाई दिए ये गोदाम के सबसे पीछे का हिस्सा था ,थोड़ी आग जला रखी थी जिससे उन्हें गर्मी मिलती रहे वही ओल्डमोंक की एक खाली बोतल से भी समझ आ रहा था की ये नशे में तो है लेकिन फिर भी पूरी तरह से सतर्क है …
ये ही इतना समझने को काफी था की जिस माल की तलाश में मैं यंहा पहुचा हु वो यंही रखा गया था…
मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई,जब मैंने पास ही खड़ी एक बड़ी सी गाड़ी को देखा ,लगभग 30 चक्कों की गाड़ी थी जिसमे महंगी कारो को ले जाया जाता है ,उसका यंहा होने का एक ही मतलब था की माल की डिलवरी यंही से होगी या इसी से होगी ,मैंने एक ट्रेकिंग डिवाइस निकाल कर उस ट्रक में ऐसे लगा दिया की किसी को दिखाई ना दे …
मैं जिस तरह से आया था चुप चाप उसी तरह से वापस भी चला गया,ये सब करने में मुझे मुश्किल से आधे घण्टे ही लगे थे …
1:30 हो चुका था..मैंने मोना को काल किया ..
“हल्लो कहा हो अभी ..”
उसकी सांसे थोड़ी तेज थी …
“मैं अभी ..आप कहा हो “
“मैं घर आने को अभी निकल रहा हु ,आधा घंटा लगेगा ..”
“ओह ..”उधर से आवाज बिल्कुल शांत सी आने लगी
“तुम कहा हो ..”
“मैं थोड़ी देर में आ जाऊंगी थोड़ा लेट हो गई आज ..”
“अब्दुल के साथ हो ..”मैंने तुरंत ही पूछ लिया
“हा ..मैं भी यंहा से निकल रही हु ..”
उसने के सपाट जवाब दिया और फोन रख दिया,मेरे होठो की मुस्कान और भी गाढ़ी हो चुकी थी …
मैं तुरंत ही अपनी गाड़ी को बिना स्टार्ट किये ही ढुलाते हुए उस गोदाम के गेट के पास लाया,
करीब 15 मिनट हुए थे की गेट खुला ,मैंने भी अपना हेलमेट पहन लिया था ,मेरी निगाह लगातार उस गेट पर ही थी ,एक महंगी गाड़ी वँहा से निकली जो की अब्दुल की गाड़ी थी ,मैं साफ देख सकता था की पीछे औरत बैठी थी और ड्राइवर गाड़ी चला रहा था …
उस औरत को मैं पहचान सकता था ,पहचानता भी कैसे नही वो मेरी जान जो थी ,वही लंबे बाल जो अभी बिखरे हुए थे वो उसे सम्हाल रही थी ,मैं उस गाड़ी के पीछे हो गया लेकिन दूरी बनाये रखी,जबतक की गाड़ी भीड़ भाड़ वाले रोड में नही आ गई …
वो गाड़ी तेजी से चल रही थी जैसे उसे कही एक निश्चित समय में पहुचनी हो …
मोना अपने बालो को संवार थी ,वही वो अपने पर्स से दर्पण निकाल कर अपने होठो के साथ कुछ कर रही थी ,चलती हुई गाड़ी में वो अपना हुलिया ठीक कर रही थी जिसका मतलब साफ था की उसका हुलिया किसी ने पहले बिगड़ा था…
वो गाड़ी मेरे बंगले के पास आकर रुकी और मोना उतर कर गेट के पास रुकी अंदर देखा,मेरी गाड़ी नही होने के कारण शायद उसे थोड़ी शांति मिली हो ,मैं दूर ही खड़ा सब देख रहा था की वो अदंर चली गई ,थोड़ी देर बाद मैं भी घर पहुचा गया…
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मैं अंदर गया तो मोना दर्पण के सामने खड़ी हुई थी,उसने अभी भी वो कपड़े पहने हुए थे,मैंने उसे पीछे से जाकर जकड़ लिया …
“कहा थी ..??”
“बताई ना अब्दुल के साथ ..”
“कहा..”
“उसके फॉर्महाउस में ..”
मेरा माथा ठनका …
“ओह तो क्या हुआ तुम्हारे बीच “
उसने मुझे अपने से दूर किया और मेरे चहरे को देखने लगी
“अपने कहा था की आप कुछ नही पूछोगे…”उसकी मुस्कान बेहद ही कातिलाना थी
“अरे लेकिन इतना तो हक बनता है पति हु तुम्हारा ..”
वो खिलखिलाई
“अब नही बनता जो जानना है खुद ही पता कर लो ...हमारे करार के अनुसार मैं आपको कुछ भी बताने के लिए बाध्य नही हु और किसी के भी साथ कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हु ..”
मैं उसे आंखे फाड़े देख रहा था वो हंसती हुई जाने लगी मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने से सटा लिया ..
“बहुत कानूनी बात कर रही है..”
उसके दिल की धड़कन तेज थी वही मेरा दिल भी तेजी से धड़क रहा था ,वो थोड़ी घबराई जरूर लेकिन फिर मुस्कुराने लगी ..
“मेरे पति ही कानून की भाषा समझते है तो मैं क्या करू ,अपने साफ साफ कहा था ,अब मुकरने से कोई फायदा नही है या ये कह दो की मत कर ,नही करूंगी ,लेकिन कुछ पूछना नही जो बताने के लायक होगा मैं बता दूंगी लेकिन जब मेरी मर्जी हो तो ..आजादी दिए हो तो पूरा दो वरना मत ही दो ..”
उसके हर शब्द मेरे दिल में तीर के जैसे लग रहे थे,मुझे लगा की मुझसे कोई गलती हो गई लेकिन अगले ही पल मेरे जेहन में कई दृश्य एक साथ घूम गए मेरी पकड़ मोना के ऊपर ढीली पड़ गई मैं माथा पकड़ कर बिस्तर में बैठ गया…
“क्या हुआ मैंने तो पहले ही कहा था की आपसे ये सब सहन नही होगा लेकिन आप तो अपनी पतिव्रता पत्नी को दूसरे के बांहो में भेजने के लिए आतुर थे...लेकिन आपसे एक वादा है जब रुकने को कहोगे तब ही रुक जाऊंगी कही आपकी ये फेंटेसी हमे महंगी ना पड़ जाए ..”
मैं माथा पकड़ कर तो बैठा था लेकिन मेरे होठो में एक तेड़ी मुस्कान आ गई जिसे मैंने मोना से छिपाया और थोड़ा सम्हालते हुए कहा ..
“जब तक सह पाऊंगा तब तक तुम्हे नही रोकूंगा मैं भी देखना चाहता हु की आखिर मैं किस हद तक जा सकता हु ...और तुम किस हद तक..”
वो मुस्कुराई
“मेरी फिक्र मत करो मैं किसी भी हद तक जा सकती हु,मेरे लिए कोई भी हद नही है बस आप अपनी सोचो ऐसे भी आपको कैसे पता चलेगा की मैं किस हद तक गई हु …”
वो बेहद ही कातिलाना मुस्कान से मुस्कुरा रही थी ,वो मुझे जलाने में कोई कसर नही छोड़ती थी ..
मैंने उसके हाथ को पकड़ कर उसे अपने बिस्तर में खिंच लिया ,वो अब मेरे ऊपर लेटी हुई थी,उसके मुह से थोड़ी शराब की बदबू आ रही थी जो उसके खुद के परफ्यूम में कही घुल जा रही थी ,साड़ी का पल्लू नीचे हो गया था उसके वक्ष उसके गोल्डन कलर के ब्लाउज से बाहर झांक रहे थे और मेरे सीने में जा धंसे ...उसके बाल मेरे चहरे से टकरा रहे थे जिसे उसने बाजू किया उसका चहरा अब मेरे चहरे के ऊपर था ..
वो अब भी उसी मुस्कान के साथ थी उसने अपनी कमर को मेरे कमर पर हल्के से चलाया …
“आप नही सुधरोगे,दिल की धड़कने तो बढ़ी हुई है लेकिन लंड बिल्कुल तना हुआ है ..”वो खिलखिलाई} ..
“शायद यही सोच रहे होंगे की अब्दुल ने मेरे साथ क्या किया होगा,ऐसे भी जब आपका फोन आया था तो मेरी सांसे तेज थी ,टूट सोचो वो उस संयम मेरे साथ क्या कर रहा था …?”
मैंने उसे जोरो से जकड़ कर उसे अपने नीचे ले आया ,उसके गोरे उरोजों को देखकर मेरा लिंग और भी तन गया वो जीन्स में मुझे दर्द दे रहा था …
मैंने अपने जीन्स को निकाल फेका मेरे अंडरवियर में मेरा मूसल मोना के जांघो के बीच रगड़ खा रहा था ,वो भी हल्की सिसकारी ले रही थी …
मैं उसके होठो में अपने होठो को घुसा दिया ,वो जैसे तड़फने लगी ..
“क्या किया अब्दुल ने तेरे साथ ..”
वो मुस्कुराई ..
“खुद पता कर लो ..”
वो खिलखिलाई
“साली पूरी रंडी बनती जा रही है ..”
“यही तो चाहते थे ना की आपकी बीवी दुसरो के लिए रंडी बन जाए ..”उसका स्वर ऐसा था जैसे वो बेहद ही उत्तेजित हो ..
मैंने उसे कोई जवाब नही दिया बस उसके साड़ी को खोलने लगा ,उसकी कमर में मुझे एक खरोच के निशान दिखे मेरी नजर वहां अटक गई थी ..
“क्या देख रहे हो ये मेरे प्रेमी ने मुझे दिया है ,साला कितने जोरो से पकड़ता है ..”
मैं और भी मचल गया और बुरी तरह से उत्तेजित होकर उसके ऊपर टूट पड़ा,उसके होठो में एक विजयी मुस्कान आ गई थी जो मुझसे नही छुप पाई थी ,मैं भी जानता था की उसकी मुस्कान कितनी सार्थक थी असल में उसका पलड़ा मुझसे हमेशा से ही भारी रहा था ,और आज उसे अपने असली जीत का अहसास हो रहा होगा...और मैं उसे यही अहसास दिलाना चाहता था ..
मैं और भी जोरो से उसके ऊपर टूटा,दोनो ही नंगे होकर सेक्स के खेल में जुट गए थे..
“आह आह मेरी जान अब्दुल जोर से करो ना ..”
मैं किसी पिस्टल की तरह उसे पेल रहा था ..
“मादरचोद रंडी ये ले ..”मैं और भी जोरो से उसे पेलने लगा उसके होठो की मुस्कान और भी बढ़ गई ..
“आह रोहित मेरी जान ..आह राज ..शर्मा जी ….”
वो मुझे उत्तेजित करने के लिए अपने हर आशिक का नाम ले रही थी …
“सभी तुझे मिल कर चोडेंगे साली रंडी ..”मैं जोरो से पेल रहा था ..
“हा सभी एक साथ एक साथ ..आह मेरी जान आह चोदो ना इंस्पेक्टर साहब ...विक्रांत ..”
मैं चौका और उसे देखने लगा ...वो रंडिपन की हद सी मुस्कुराई ..
“ये नया आशिक है मेरा आप अपना काम चालू रखो ना “
उसकी वो मुस्कान मुझे जलाने के हद से ज्यादा ही थी मैंने जोरो से उसके गाल पर थप्पड़ मारा लेकिन वो फि भी मुस्कुरा रही थी ..
“अब अपनी रंडी बीवी का रंडिपन देखो मेरी जान ..”
उसने हंसते हुए कहा और खिलखिलाने लगी,मैं उसके गालो को जोरो से दबा दिया और जोरो से उसे पेलने लगा,,,
वो भी मस्त थी और मैं भी जलन की हद में अपना गुस्सा निकाल रहा था लेकिन मोना को इसमें बेहद ही मजा आ रहा था,मैं उसके ऊपर पूरी तरह से छा गया था ऐसा सेक्स हमने अपने पूरे जीवन में कभी नही क्या था शायद यही वो मजा था जिसके कारण लोग जलना भी पसंद कर लेते है ...मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दिया और अपना लावा पूरा उसके अंदर उड़ेल दिया….
सांसे जब थोड़ी सामान्य हुई हमारे होठ मिल गए ….