Incest बरसात की रात (completed)

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सुबह रघु की नींद सबसे पहले खुली,,, अंगड़ाई लेता हुआ वह चटाई पर उठ कर बैठ गया,,, खटिया पर सोई हुई अपनी मां की तरफ एक नजर डाला उसके मासूम और खूबसूरत चेहरे को देखकर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, वह अच्छी तरह से जानता था कि शालू घर का बहुत सा काम संभालती लेकिन शादी के बाद अपने घर चली जाने की वजह से उसे लगने लगा था कि, उसे भी अपनी मां का हाथ बढ़ाना चाहिए ताकि घर के सारे काम का पूछो उस पर अकेले ना पड़ जाए,,,,वैसे भी रघु को इस बात का अच्छी तरह से साफ था कि घर में केवल वह और उसकी मां ही है जिससे उसे भी अपनी मां को आराम देना चाहिए,,,अपने मन में सोच रहा था कि घर के काम में हाथ बढ़ाकर अगर वह अपनी मां को खुश रखेगा तो उसकी मां उसे खुश रखेगी,,,,,,, तभी उसे ख्याल आया कि वो खुद अपनी मां को कपड़े पहनाया था,,, उसकी मां खटिया पर एकदम नंगी थी अपनी मां को अपने हाथों से कपड़े पहनाने का अनुभव से पहली बार हो रहा था ना कि उसने अब तक दोषी औरतों का सिर्फ अपने हाथों से कपड़े ही बता रहा था लेकिन पहली बार अपनी मां को कपड़े पहनाते हुए उसे अच्छा लग रहा था उसे वह बात भी याद आ गई जब वह अपनी मां को पेटीकोट पहनाते हुए अपने हाथों से उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी रसभरी गुलाबी बुर पर अपनी नाक रखकर उसकी मादक खुशबू को अपने अंदर लिया था ऊस एहसास को वह कभी भूल नहीं पाएगा,,,,। पल भर में ही उस बात को याद करते ही पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया वैसे भी मर्दों को हमेशा सुबह में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव होता है और बिना कुछ किए ही घंटे खड़ा हो जाता है लेकिन यहां तो उसके पास में खूबसूरती का पूरा खजाना लेटा हुआ था और उस खजाने को लूटने का रघु के पास पूरा मौका था लेकिन वह उस मौके का फायदा उठाना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी अपनी मां के खूबसूरत बदन को याद करके उसके पूरी तरह से खराब हो गया था चटाई पर खड़ा हो गया ना चाहते हुए भी वह पजामे को घुटनों तक लाकर अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया,,,,वह अपनी मां को ऊपर से नीचे तक देखे जा रहा था और जोर-जोर से अपना लंड हीलाए जा रहा था,,,, रघु अजीब सी दुविधा में था एक तो अपनी मां के बेहोशी का फायदा आकर उसे चोद सकता था लेकिन वह इस तरह से अपने आप को और अपनी मां को धोखे में नहीं रखना चाहता था और दूसरी तरफ अपनी मां की खूबसूरत बदन को देख कर उसे रहा भी नहीं जा रहा था जिसकी वजह से वह खटिया पर लेटी हुई अपनी मां की खूबसूरत बदन को देखकर अपना लंड जोर जोर से हिला रहा था,,,,, रघु इस तरह से अपना पानी निकालना नहीं चाहता था इसलिए अपने आप पर काबू करते हुए वह अपने पजामे को ऊपर की तरफ चढ़ा दिया,,,, और बाहर निकल गया बारिश की वजह से सुबह का मौसम बेहद सुहावना लग रहा था वह झाडु उठाकर आंगन में झाड़ू लगाने लगा,,, ऐसा काम हुआ पहले कभी नहीं किया था लेकिन अब उसे लगने लगा था कि इस तरह का काम से करना पड़ेगा अपनी मां के काम में हाथ उसे बताना ही पड़ेगा इसलिए थोड़ी देर में वह सारे आंगन में झाड़ू मार कर सफाई कर दिया,,,,, और जल्दी से चूल्हा जलाकर उस पर चाय पकने के लिए रख दिया हालांकि बिना नहाए वह कभी भी चाय नाश्ता नहीं करता था लेकिन आज ना जाने क्या उसके दिमाग में चल रहा था उसकी मां अभी भी खटिया पर लेटी हुई थी,,,,, रघु नीम के पेड़ से दातुन तोड़कर दांत घिसने लगा था,,,,

दूसरी तरफ लंबे समय तक बेहोशी की चादर ओढ़ी हुई कजरी की आंख जैसे ही खुद ही भाग एकदम से घबराकर खटिए पर बैठ गई,,,,


नहीं-नहीं लाला ऐसा गजब मत करना,,,,,,(डर के मारे उसके मुंह से इस तरह की बात निकल गई वह अपनी चारों तरफ देखने लगी उसे लगने लगा कि यह तो उसका ही घर है वह पूरी तरह से होश में नहीं थी इसलिए बार-बार अपनी आंखों को मल दे रही थी,,,,थोड़ी देर बाद गौर से देखने के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह लाला के घर पर नहीं बल्कि अपने खुद के घर पर मौजूद है वह खटिए को देखने लगी चारों तरफ दीवारों को देखने लगी घर के सामान को देखने लगी,,,उसे यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि जिस तरह के चक्रव्यू में वह फंसी थी वहां से निकल कर वापस लौट कर आना नामुमकिन था,,,,, वह यह सब अभी सोच ही रही थी कि रघु कटोरी में चाय छानकर कमरे में हो क्या और अपनी मां को इस तरह से खटिया पर बैठा हुआ देखकर खुश हो गया,,,,, कजरी को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था अपने बेटे को अपनी आंखों के सामने देख कर वह मन में कुछ तो हो रही थी लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,रघु ही अपनी मां की संख्या को दूर करते हुए और चाय की कटोरी को उसकी तरफ आगे बढ़ाकर बोला,,,,।


इस तरह से हैरान क्यों हो रही हो मां,,,,,यह , अपना ही घर है,,,,, और तुम अपने ही घर में हो,,,,


लललल,,, लेकिन लाला,,,,,(घबराहट भरे स्वर में बोली)


लाला लोड़े लग गए,,,,(अचानक ही उसके मुंह से निकल गया और वो मुस्कुरा दिया लेकिन कजरी पर इसका बिल्कुल भी असर नहीं हुआ वह भी घबराई हुई थी,,,,)

ममममम,,, मैं कुछ समझी नहीं बेटा क्या हुआ था,,,, तुझे दरवाजा तोड़कर अंदर आया तो तेरे कुल्हाड़ी पर खून लगा हुआ था मैं एकदम से घबरा गई और गिर गई बस इतना याद है इसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है,,,, लेकिन तेरे कुल्हाड़ी पर खून कैसा लगा हुआ था,,,,।


वो खून लाला के आदमियों का था,,,,(रघु मुस्कुराता हुआ उस चटाई पर चाय की चुस्की ले कर बैठते हुए बोला,,, कजरी अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही एकदम से घबरा गई,,,)


यह क्या कह रहा है तू बेटा,,,,


वही जो तुम सुन रही हो मां,,,,, क्यों मुझ पर विश्वास नहीं हो रहा है क्या कि मैं अकेले ही उसके तीनों आदमियों को कैसे मार दूंगा,,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर कजरी बोली कुछ नहीं बस ना में सिर हिला दी उसे वाकई में विश्वास नहीं हो रहा था अपनी मां को इस तरह से आश्चर्य होता हुआ देखकर वह बोला,,,)


मा बात समझ लो कि अगर मैं उन तीनों आदमियों के साथ-साथ लाला को ना मारता तो शायद तुम इस समय यहां नहीं होती,,,,,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए रघु बड़े इत्मीनान से बोला,,,, वह अपनी मां की तरफ देख रहा था जो की पूरी तरह से आश्चर्यचकित हुए जा रही थी,,,और, उसे देख कर रघु मन ही मन मुस्कुरा रहा था,,,रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह का उसने कार्य कर दिया है उस पर किसी को भी विश्वास नहीं होगा और यह भी जानता था कि लाला और लाला के साथियों का जो हाल हुआ है और किसने किया है इस बारे में किसी को कानों कान पता तक नहीं चलेगा,,,,)


नहीं रघु नहीं तु किसी का खून नहीं कर सकता,,,,


करना पड़ा मैं जिस तरह के हालात थे उस समय मैं क्या कोई भी होता वही करता जो मैंने किया है अगर मैं ऐसा नहीं करता तो वह लोग मुझे मार देते तुम्हें मार देते,,,(रघु की बात सुनते ही कजरी को लाला की वह बात याद आ गई लाला भी रघु को मारना चाहता था मौत के घाट उतारना चाहता था,,, और लाला कजरी से उसकी इज्जत गिरवी रख कर उसके बेटे रघु की जान बख्श ना चाहता था,,, यह बात मन में आते ही कजरी थोड़ी शांति क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि अगर रघु उन लोगों को नहीं मारता तो बोलोगी से मार देते,,,,)

लेकिन तूने इतना बड़ा कारनामा कर कैसे दिखाया मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा,,,,।


मां जब इंसान पर मुसीबत आती है तो कमजोर से कमजोर इंसान मजबूत बन जाता है और कुछ भी कर सकने के लिए तैयार हो जाता है,,,।,, और मैंने भी वही कियाजब मुझे इस बात का पता चला कि लाला के आदमी तुम्हें घर से उठाकर ले गए हैं मैं एकदम लोकल आ गया मेरे अंदर बदले की भावना भड़कने लगी मैं किसी भी तरह से तुम को बचाना और लाला को मारना चाहता था,,,,


लेकिन तुझे यह बात किसने बताया कि मुझे लाला के आदमी उठाकर ले गए है,,,, कहीं आस पड़ोस वालों को तो खबर नहीं है,,,।

नहीं नहीं रात में तुम्हारे साथ क्या हुआ है यह गांव वालों को भनक तक नहीं है सिर्फ कोमल को मालूम है और कोमल ने ही मुझे बताई थी तब मैं जाकर वहां पर पहुंच पाया था,,


कोमल वही लाला की बहू,,,


हां मां लाला की बहू,,, भला हो उसका जो अपने ससुर की बातों को सुन ली थी और मुझे आकर बता दी,,,, लेकिन मां मैं तुमसे एक बात पूछना चाहता हूं सच सच बताना,,,,(रघु चाय की आखरी चुस्की भरकर कटोरी को नीचे रख दिया)


क्या,,,,?


क्या लाला ने या उसके आदमियों ने,,,,, मेरा मतलब है कि,,,,,(रघु थोड़ा सा घबराते हुए और शरमाते हुए) मैं पूछना चाहता हूं कि,,,,


अरे क्या पूछना चाहता है बोलेगा भी,,,,


यही कि क्या लाला,,, तुम्हारी,,,, चुदाई कर पाया,,,,,,
(अपने बेटे के सवाल पर कचरी उसके चेहरे को बड़े गौर से देखने लगी वह जानती थी कि जिस तरह का माहौल बना हुआ था उससे किसी के भी मन में यही सवाल आना लाजमी है,,,,वह बबली आराम से जवाब देते हुए बोली,,)


नहीं मेरे लाल ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया जैसा मैं पहले थी आज भी वैसे ही हूं एकदम पवित्र,,,,


ओहहहह,,, मां,,,,यह बात सुनकर मैं कितना खुश हूं यह बता नहीं सकता(इतना कहते हुए वह अपनी मां को गले लगा लिया,,,) इसका मतलब है कि मैं समय पर वहां पहुंच गया,,,,,,(वह वापस अपनी मां को अलग करती हुए)
लेकिन मां जब मैं वहां पहुंचा था तब तुम लाला के सामने एकदम नंगी थी बिल्कुल नंगी,,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए नंगी शब्द सुनते ही वो एकदम से शर्मा गई,,,,) मैं तो तुम्हें लाला के सामने इस तरह से नंगी देखकर एकदम से घबरा गया,,,,,


क्यों घबरा गया,,,?


मैं सोचा कि लगता है कि लाला तुम्हारा काम तमाम कर दिया,,,,


काम तमाम कर दिया है मतलब,,,,


अरे मतलब यही कि लाला तुम्हारी चुदाई कर दिया है,,,,(रघु जानबूझकर अपनी मां से खुले शब्दों में बातें कर रहा था वह अपने लिए रास्ता बना रहा था,,,, वह जानता था कि उसकी मां के मन में भी उसको लेकर आकर्षण है क्योंकि अब तक ना जाने वह कितनी बार अपनी मां के सामने शर्मिंदा होने वाली हरकत कर चुका है लेकिन उसकी मां कुछ नहीं बोलती,,, रघु की बात सुनकर रजनी एकदम से शरमा गई और अपनी नजरों को नीचे करते हुए बोली,,)

धत्,,,, कैसी बातें कर रहा हैं तुझे शर्म नहीं आ रही है,,,


अरे कैसी बातें क्या,,,, जिस हाल में मैंने तुम्हें देखा हूं किसी को भी लगेगा कि वह सब कुछ हो गया होगा और वैसे भी लाला तुम्हारी पूजा करने के लिए तो ले नहीं गया था वह तो तुम्हारी चुदाई करने के लिए ही ले गया था,,,,(रघु उसी चटाई पर बैठे-बैठे भी बोला और उसकी इस तरह की अश्लील गंदी बातें,, कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी,,,) इस बात से तुम भी इनकार नहीं कर सकती मां,,,,


तू सच कह रहा है लाला इसी काम के लिए मुझे अपने आदमियों से उठवा कर वहां ले गया था,,,, लेकिन शायद मेरी किस्मत बहुत अच्छी थी जो मुझे तुझ जैसा बेटा मिला है और मैं आज तेरे सामने सही सलामत हुं,,,,,,, लेकिन एक बात मैं भी पूछना चाहती हूं की जब मैं वहां तेरे सामने थी और तेरे सामने बेहोश होकर गिर गई थी तब मेरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था मतलब कि मैं उसे में एकदम नंगी थी और इस समय मैं यहां पर,,,(कजरी अपने कपड़ों की तरफ देखते हुए बोली अपनी मां के कहने का मतलब तो रघु अच्छी तरह से समझ गया था इसलिए मुस्कुराने लगा और कजरी इस तरह की बातें अपने बेटे से करके उत्तेजित हो जा रही थी जिसका असर से अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली करार में महसूस हो रही थी उसमें से मदन रस का रिसाव होना शुरु हो गया था,,,)


मैं अच्छी तरह से जानता हूं मां की तुम क्या कहना चाह रही हो,,, यही ना कि तुम्हारे बदन पर कपड़े कैसे आ गए,,,


हां मैं यही पूछना चाहती हूं,,,


मैं पहनाया हूं अपने हाथों से,,,,


क्या तूने,,,,? मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है लेकिन कहां बनाया था वही लाला के घर पर,,,,


नहीं मैं वहां सूखे कपड़े कहां थे,,,, मैं वहां से तुम्हें यहां तक नंगी ही लेकर आया था और अपनी गोद में उठाकर,,,,


क्या गोद में उठाकर,,,,(इस बात से कजरी एकदम से उत्तेजित हो गई वह अपनी बेटी की ताकत को लेकर बेहद उत्साहित नजर आने लगी और इस बात से और ज्यादा उत्तेजना महसूस करने लगी की उसे एकदम नंगी उसका बेटा अपनी गोद में उठाकर यहां तक लाया,,,)


किसी ने देखा तो नहीं,,,


किसी ने नहीं देखा मां,,,और कोई देख ना ले इसलिए मैं रात को ही वहां से तुम्हें लेकर आ गया बरसात हो रही थी चारों तरफ पानी ही पानी था और यही मौका भी ठीक था वहां से घर तक ले आने के लिए क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि रात को जो कुछ भी हुआ वह किसी को पता चले,,,


तो क्या इस बारे में किसी को भी पता नहीं है,,,


किसी को भी नहीं सिवाय मेरे तुम्हारे और कोमल के,,,,
(कजरी को अपनी बेटे पर गर्व हो रहा था लेकिन इस समय अपने बेटे की बातों को सुनकर उसकी हिम्मत भरी बातों को सुनकर और उसके कारनामों के कारण उसे अपने रघु में बेटा नहीं बल्कि एक मर्दाना ताकत और जोश से भरा हुआ मर्द नजर आ रहा था और यही एक पतली रेखा होती है पारिवारिक रिश्तो में जिस्मानी संबंध की शुरुआत के लिए क्योंकि जब अपने रिश्तेदारों में औरतें आदमी को रिश्तो की जगह और इतिहास पुरुष नजर आने लगे तो किसी भी मर्यादा से बनी हुई दीवार टूटने में समय नहीं लगता और शायद यही हाल कजरी और रघु का भी होने वाला था तभी तो कजरी अब अपने बेटे के प्रति कुछ ज्यादा ही आकर्षित होने लगी थी,,,)


बोलो इतना कुछ हो गया लेकिन किसी को कानों कान खबर तक नहीं है और अच्छा ही हुआ बेटा कि इस बारे में किसी को पता नहीं है वरना मैं बदनाम हो जाती,,,,,, तुझ पर मुझे बहुत नाज है बेटा,,,



नाज कैसा मा यह तो मेरा फर्ज है,,,,,
(इतना सुनकर दोनों एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुराने लगे,,, कजरी हाथ में चाय की कटोरी ली थी जिसे होठों पर लगाकर पीना शुरू कर दी चाय ठंडी हो चुकी थी लेकिन फिर भी वह उसे बड़े प्यार से पीने लगी क्योंकि पहली बार उसके बेटे ने उसके लिए चाय जो बनाई थी,,, चाय की चुस्की लेते हुए कचरी जो कि उसके मन में बहुत देर से चल रहा था वह बोली,,,)

मैं तुझसे एक बात पूछना चाहती हूं जिसका जवाब तु सही सही देना,,,


पूछो क्या पूछना चाहती है,,,,


वैसे तो मुझे तुझसे पूछने में शर्म आ रही है लेकिन फिर भी जिस हालात में तु मुझे वहां से यहां लाया था अब ऐसा लगता है कि शायद हम दोनों के बीच शर्म वाली कोई बात नहीं रह गई है इसलिए मैं तुझसे पूछना चाहती हूं,,,


पूछो ना मा बेझिझक पूछो,,,,
 
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मैं तुझ से कैसे पूछूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,शायद एक मां को एक बेटे से इस तरह की बातें और इस तरह के सवाल पूछने तो नहीं चाहिए लेकिन हम दोनों के बीच के हालात बदल चुके हैं,,,, और जिस तरह का शंका का मेरे मन में पूछ रहा है उस शंके को दूर करना भी जरूरी है,,,।


किस तरह का शंका मां मैं कुछ समझा नहीं,,,,,!(रघु आश्चर्य के साथ बोला)

यही कि मैं आज तक तेरी बाबूजी के सिवा किसी के भी सामने अपने कपड़े नहीं उतारी हुं,,,, कल रात को मैं मजबूर हो गई थी,,,, कुछ अपने हालात पर और कुछ तेरे लिए,,,,


मेरे लिए मैं कुछ समझा नहीं,,,,(रघु एक बार फिर से आश्चर्य के साथ बोला)




लाला मेरी इज्जत लूटना चाहता था और अपने आदमियों से भी लूटवाना चाहता था,, और तुझे जान से मार देना चाहता था लेकिन मैं ऐसा कैसे होने देना चाहती थी मैं उससे हाथ जोड़कर विनती करने लगी और, फिर उसने तेरे जान के बदले में मेरे साथ एक सौदा किया,,,


कैसा सोदा मां,,,,,?


यही कि अगर मैं हमेशा के लिए उसकी हो जाऊं तो वह तेरी जान को बख्श देगा,,,,


फिर तुम क्या की,,,,


मैं मजबूर हो गई मैं भला अपने जीते जी अपने बेटे को मरता हुआ कैसे देख सकती थी इसलिए मुझे उसकी बात माननी पड़ी अपने सीने पर पत्थर रखकर उसके इस पौधे को मंजूर करना पड़ा,,,,


क्या मैं तुम्हें मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं,,,


तुझ पर तो मुझे बहुत भरोसा है लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि तू मेरे भरोसे से कहीं ज्यादा ताकतवर है,,,(अपनी मां की इस बात पर रघु मुस्कुराने लगा,,,) और इसीलिए आज तक मैंने किसी के सामने कपड़े नहीं जा रही थी लेकिन लाला की बात मानते हुए मुझे उसके सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होना पड़ा,,,.(कजरी जानबूझकर अपने बेटे के सामने इन सब बातों की चर्चा कर रही थी और बार-बार अपने नंगे पन का अपनी बातों से बोलकर प्रदर्शन कर रही थी ताकि उसका बेटा उत्तेजित हो सके,,,,इन सब बातों की चर्चा करना जरूरी नहीं था लेकिन फिर भी कजरी इस तरह की बातें कर रही थी क्योंकि वास्तव में रघु पर इसका आंसर होगी रहा था अपनी मां के मुंह से बार-बार अपने लिए नंगी शब्द सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ जा रही थी,,,। अपनी मां की बात सुनकर रघु बोला,,,)


मां तुम्हें जरा सा भी शर्म नहीं आ रहा था लाला के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी होने में,,,


मुझे बहुत शर्म आ रही थी मैं तो भगवान से मना रही थी कि मौत आ जाए लेकिन मैं मजबूर थी सिर्फ तेरे खातिर लाला के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,,,


मां तुम जब लाला के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हुई तो लाला को कैसा लग रहा था,,,।


लाला,,,,,, लाला तो पागल हुआ जा रहा था साथ में उसके तीनों आदमी गंदी नजरों से मुझे देख रहे थे,,,,।


क्या लाला के तीनों आदमी भी वहीं थे,,,,।


हां तो क्या लाला की तीनों आदमी वही थे और मुझे इस तरह से देख रहे थे जैसे मुझे कच्चा खा जाएंगे और हां मुझे लाला के पास सही सलामत पहुंचाना था वरना वह तीनों तो रास्ते में ही मुझे चोदने का मन बना लिए थे,,,,(कजरी चोदने शब्द पर कुछ ज्यादा ही भाव देते हुए बोली जिसका असर रघु पर बहुत ही भारी पड़ रहा था वह अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातों को पहली बार सुन रहा था और अपनी मां के मुंह से इस तरह के गंदे शब्दों को सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर कुछ ज्यादा ही उठने लगी थी,,,)


तुम्हें कैसे मालूम मां,,,,?



क्योंकि वह तीनों रास्ते पर मुझे परेशान करते आए,,, जो मुझे कंधे पर उठाए लिए जा रहा था वह बार-बार मेरी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर दबा दे रहा था बार-बार उस पर चपत लगा रहा था,,,, और तो और वह तीनों इतने ज्यादा गरम हो गए थे कि तीनों आपस में बात करने लगे कि लाला के पास ले जाने से पहले क्यों ना वह तीनों ही उसकी चुदाई कर दें,,,,



फिर क्या हुआ,,,,?



फिर क्या तीनों तैयार भी हो चुके थे,,,,, लेकिन तीनों की बातें सुनकर मैं घबरा गई एक साथ तीन-तीन सोच कर ही मेरा बदन कांपने लगा,,,, और मैं लाला को सब कुछ बता देने के लिए बोली तो मैं तीनों घबरा गए,,,, तब जाकर मुझे लाला के पास सही सलामत पहुंचाएं लेकिन फिर भी वह तीनों को इस बात की तसल्ली थी कि लाला के बाद उन तीनों का भी नंबर लगेगा सच में रखो अगर तू ना होता तो ना जाने क्या हो जाता,,,,।


कुछ नहीं होता मैं हूं ना,,,,



तू है तभी तो मुझे कोई फिक्र नहीं होती और आज सही सलामत घर पर हूं,,,,


लेकिन मां लाला बहुत गंदा है यह बात तो मैं जानता था लेकिन उसकी गंदी नजर तुम पर आकर ठहर जाएगी यह नहीं जानता था,,,,



तुम लोग शायद यह बात नहीं जानते लेकिन लाला की नजर मुझ पर बहुत पहले से ही थी वह बहुत पहले ही मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर चुका था लेकिन मैं उसके आगे झुकी नहीं और शालू की शादी को लेकर वह बदला लेना चाहता था इसलिए तो अपनी मनमानी करने के लिए मुझे उठवा लिया और उसके पास मौका भी था,,,,


लेकिन मां काफी समय से तुम उसके पास थी लेकिन ईतनी देर में वह तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं कर पाया,,,,।


हां जो तू कह रहा है वह बिल्कुल ठीक है लेकिन वह बहुत इत्मीनान से था उसे लग रहा था कि रात भर में उसके पास रहूंगी उसे क्या मालूम था कि तो उसका काल बनकर वहां पहुंच जाएगा इसलिए वह मेरे साथ संबंध नहीं बना पाया,,,,



लेकिन एक बात है ना तुमको नंगी देख कर लाना पागल हो गया होगा इतना तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं,,,,


ऐसा क्यों,,,,? (कजरी अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)


क्योंकि तुम गांव भर में सबसे ज्यादा खूबसूरत हो,,,


चल झूठी तारीफ करने को,,,,


नहीं मां मैं सच कह रहा हूं तुम बहुत खूबसूरत हो तभी तो लाला तुम्हारे पीछे पड़ा हुआ था,,,,,(रघु की बातें कजरी को बहुत अच्छी लग रही थी और वैसे भी कौन सी औरत होगी जो अपनी खूबसूरती की तारीफ नहीं सुनना चाहेगी और वह भी यहां तो अपने ही बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर कजरी मानो हवा में उड़ रही हो,,,)


हां यह तो है पीछे तो वह बहुत समय से पडा हुआ ही था,,,,(कटोरी कौवा खटिया के नीचे रखते हुए बोली)


अच्छा हुआ पहले वह कुछ कर नहीं पाया वरना शायद वह रोज तुम्हारे साथ वही करता,,,,।


हां तु सच कह रहा है,,, लाला बहुत नीच इंसान है,,,,। उसके तीनों आदमी भी मुझे पाने की आस में कमरे के बाहर इंतजार करते हुए बैठे थे लेकिन मुझे अपनी बाहों में भरने से पहले मौत को गले लगा लिए,,,,।


तुम्हें कोई हाथ लगाए और वह जिंदा रह पाए ऐसा कैसे हो सकता है मां,,,,



तू बहुत बहादुर है बेटा,,,,,


अच्छा एक बात बताओ मा पूछना तो नहीं चाहिए लेकिन फिर भी पूछ रहा हूं,,,,


क्या,,,,?


यही कि लाला तुमको जब मांगी देख रहा था तो तुम्हारे कौन से अंग पर उसकी निगाह ठहरी हुई थी,,,,,,,(रघु एकदम संकुचाते हुए बोला,,,)


पागल हो गया है क्या ऐसा कोई पूछता है,,,,

अब इसमें क्या हुआ मां,,,,


अरे मैं तेरी मां हूं और इस तरह का सवाल कोई अपनी मां से पूछता है,,,,



नहीं नहीं कभी नहीं मैं भी नहीं पूछता नहीं इस सवाल के पीछे सबसे बड़ा कारण है तुम्हारी खूबसूरती इसके लिए पूछ रहा हूं,,,,, क्योंकि दुनिया खूबसूरती के पीछे ही भागती है। अगर तुम खूबसूरत ना होती तो यह सब झमेला ही ना होता,,,,।


तो तुझको मेरी खूबसूरती अच्छी नहीं लग रही है यही कहना चाहता है ना तू,,,,



मुझे तो तुम पर नाज है कि तुम इतनी खूबसूरत हो,,,, इसलिए तो यह सवाल पूछ रहा हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारा खूबसूरत बदन का हर एक कोना बेहद खूबसूरत है,,,इसलिए तो पूछ रहा हूं कि लाला की नजर तुम्हारे बदन के कौन से हिस्से पर सबसे ज्यादा घूम रही थी,,,,।
(अपने बेटे के इस तरह के सवाल पर कजरी कुछ देर तक सोचने लगी और फिर बोली)


हमममम,,, इस पर ,,(अपनी आंखों से ही अपनी चुचियों पर इशारा करते हुए.... यह देख कर रघु मुस्कुराने लगा और हंसते हुए बोला,,,)


मैं भी यही सोच ही रहा था,,,,


लेकिन तू ऐसा क्यों सोच रहा था,,,,,,,, और हां मैं तुझसे जो पूछना चाहती थी वह तो मैं भूल ही गई,,,,


क्या पूछना चाहती थी,,,,?



यही कि तू मुझे एकदम नंगी देख चुका है मेरे नंगे बदन को देख चुका है तो जाहिर है कि मेरी हर एक अंग को तु देखा भी होगा,,,(इतना सुनते ही रघु शर्मा कर मुस्कुराने लगा) मुस्कुरा मत मेरे को सब पता है,,, तभी तो तू अंदाजा लगा लिया कि लाला,,,मेरी इसको ही देख रहा होगा,,,( एक बार फिर से आंखों से ही अपनी दोनों चूचियों की तरफ इशारा करते हुए),,,, क्यों सही कह रही हुं ना,,,,



अब मैं क्या कहूं,,,,


वही जो मैं पूछ रही हूं,,,,


अब यह पूछ कर तुम मुझे शर्मिंदा कर रही हो अगर जानना चाहती हो तो मैं बताता हूं मैं तुम्हें वहां से उठाकर अपनी गोद में यहां घर तक लेकर आएगा और अपने हाथों से तूने कपड़े भी पहनाया ,,, तो जाहिर सी बात है कि मैं तुम्हें तुम्हारी नंगे पन को अपनी आंखों से देख भी रहा था लेकिन मेरा इरादा कुछ ऐसा नहीं था लेकिन क्या करता जब आंखों के सामने इतनी खूबसूरत चीज हो तो भला देखे बिना कोई कैसे रह सकता है,,,,।


अच्छा इतनी खूबसूरत,,,(कजरी मुस्कुराते हुए अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)


तो क्या,,,,शायद तुम नहीं जानती मा कि तुम पूरे गांव में पूरे गांव में कया गांव के अगल बगल के जितने भी गांव हैं उन्हें सारी औरतों में सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत तुम्हीं लगती हो,,,,,,क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम सबसे ज्यादा खूबसूरत हो अपना बदन देखकर अपनी खूबसूरती देखकर दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी तुम्हारे बदन में जरा भी ढीलापन नही है,,,(ढीलेपन वाली बात रघु अपनी मां की सूचियों की तरफ देखते हुए बोला था जो कि इस समय ब्लाउज के अंदर कैद थी और अपने बेटे की इस बात को और उसकी आंखों कह इशारे को वाची तरह से समझ गई थी और अपने बेटे की इस बात से वह अंदर ही अंदर शर्मा गई थी और अपने बदन पर गर्व भी करने लगी थी,, अपने बेटे के इस बात पर कजरी कुछ बोली नहीं बस शर्मा गई,,,)

चल छोड़ सब बात को,,,, देखा तो देखा मैं इसके लिए कुछ नहीं कह रही हूं लेकिन क्या तूने छुआ तो नहीं ना,,,


अरे कैसी बात कर रही हो मैं तुम्हें वहां से हाथों को उठाकर लेकर आया हूं और बोल रही हो छुआ कि नहीं,,,,


अरे मेरा मतलब उससे नहीं है,,, मैं यह कह रही हूं कि,,, तो मुझे नंगी देखकर कहीं अपना काबू खो दिया और,,, और उत्तेजित होकर कहीं मेरी ये,,,(आंखों से अपनी चुचियों की तरफ इशारा करते हुए) और मेरी ये,,,(अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर अपनी आंखों का इशारा अपनी दोनों टांगों के बीच करते हुए) छुआ तो नहीं,,,,
(इतना कहते हुए कजरी एकदम से उत्तेजित हो गई थी और यही हाल रघु का भी था चुचियों की तरफ तो ठीक जैसे ही उसकी मां अपनी आंखों का इशारा अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर की तरफ़ की रघु का लंड एकदम से फुंफकारने लगा,,,,, धीरे-धीरे दोनों एकदम खुलते चले जा रहे थे रघु को समझते देर नहीं लगी थी कि उसकी मां चुदवासी हुए जा रही है,,, लाला से तो चुदवाने में एतराज था लेकिन उसका लंड लेने के लिए व्याकुल हुए जा रही है रघु मन ही मन में यही बात सोचने लगा था,,,,,, अपनी मां की यह बात सुनकर वह बोला,,)

केसी बात कर रही हो मां,,,,,, नंगी थी इसलिए नजर तो हटा नहीं सकता था इसलिए तुम्हारा सब कुछ (सूचियों की तरफ से आंखों को नीचे की तरफ दोनों टांगों के बीच लाकर रोकते हुए) देख ही लिया हूं लेकिन छुआ नहीं हु लेकिन हां दुल्हन ब्लाउज पहनाते समयबटन बंद करते वक्त तुम्हारी सूचियों को पकड़कर मुझे अंदर करना पड़ा था बस इतना ही किया था बाकी मैंने तुम्हारी बुर को देखा जरूर लेकिन उसे हाथ नहीं लगाया,,,,(रघु जानबूझकर एकदम खुले शब्दों में और अपनी मां की बुर का जिक्र साफ शब्दों में कर रहा था अपनी बेटे के मुंह से अपनी बुर के बारे में सुनते ही कजरी पेटीकोट के अंदर पानी पानी होने लगीऔर अपनी मां के सामने पुर शब्द का प्रयोग करते हुए रघु की हालत खराब हो रही थी पजामे में उसका लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था,,,,,अपने बेटे की बात सुनकर कचरी एकदम गरम हो गई थी और कर्म आहें भरते हुए एक लंबी सांस खींची और बोली,,,।)


चल अच्छा हुआ तू उसे हाथ नहीं लगाया करना शायद तुझसे अपने आप पर काबू कर पाना मुश्किल हो जाता,,(कजरी एकदम मादक अदा बिखेरते हुए बोली,,,, रघु अपनी मां के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,,,, वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,,)


नहीं,,,, इतना भी कमजोर नहीं हूं कि तुम्हारी बुर को हाथ लगाते ही मैं अपने आप पर काबू ना रख पाऊं,,,,,


तुझे ऐसा लगता है बेटा अच्छे-अच्छे फिसल जाते हैं,,, तभी तो लाला बहककर इतना बड़ा कदम उठा लिया था,,,,,,


लेकिन मैं उनमें से नहीं हूं बहकना होता तो,,,, रात को ही बहक गया होता,,,(इतना कहते हुए रघु अपने पहचाने पर हाथ रखकर अपने खड़े लंड को दुरुस्त करने में लग गया और यह हरकत रघु बार-बार कर रहा था,,, पर अपने बेटे की हरकत देखकर कजरी समझ गई थी कि उसकी बातों से वह उत्तेजित हो जा रहा है और उसका लंड खड़ा हो रहा है भले ही वह लाख ना फिसलने की बात करें लेकिन कजरी अच्छी तरह से जानती थी कि अच्छे-अच्छे ऋषि मुनि विजय औरतों के अंगों को देखकर फिसल जाते हैं तो उसका बेटा क्या चीज है कजरी जानती थी कि उसका बेटा झूठ कह रहा हैलेकिन उसे हैरानी से बात की थी कि उसे संपूर्ण रूप से नंगी अपनी गोद में उठाकर घर तक लाने के बावजूद भी वह बहका कैसे नहीं वह चाहता तो उसके साथ कुछ भी कर सकता था और लाला का नाम दे सकता था,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,)


चल बड़ा आया ऋषि मुनि,,,, देखा तो सही ना,,,,


हां देखा जरूर,,,, पेटिकोट पहनाते समय सच कहूं तो आज मैं पहली बार बुर देखा हूं वरना मुझे तो उसके आकार के बारे में कुछ पता ही नहीं था,,,,,,,
(अपने बेटे की यह बात सुनकर कजरी मन ही मन में बोली चल झूठा पहली बार देख रहा है,,,, और अपनी बहन को चोद रहा था वह किस में डाल रहा था,,,, साला बहन चोद कजरी यह गाली अपने मन में जानबूझकर अपने बेटे को दी थी क्योंकि वह जानती थी कि सालु की चुदाई व करता हैऔर अपनी बहन को चोदने की वजह से ही कजरी अपने मन में उसे बहन चोद की गाली दे रही थी,,,,, कजरी अपने मन में यह भी बोल रही थी कि काश तू मादरचोद बन जाता तो कितना मजा आता,,,)

कैसा लगा तुझे उसका आकार,,,,


बहुत ही खूबसूरत दोनों टांगों के बीच नजर पड़ते ही में एकदम भौचक्का हो गया पता ही नहीं चल रहा था सिर्फ एक पतली दरार नजर आ रही थी,,,, मैं तो बस देखता ही रह गया,,,,


मैं बोली थी ना वह चीज ही ऐसी है कि अच्छे-अच्छे फिसल जाती है तो अगर उसे छू लिया होता तो पागल हो जाता,,,।

नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं,,, है।


ऐसा ही है बेटा,,,


कहो तो अभी छू कर दिखाओ,,,


धत्,,,, कितने हरामि हो गया है तू,,,


तुम खुद कह रही हो तो क्या करूं,,,, वैसे माजितनी भी औरतों को देखा हूं इनमें से सबसे ज्यादा खूबसूरत और कसी हुई चूची तुम्हारी है,,,,
(अपने बेटे की इस बात पर कजरी उसे तिरछी नजरों से देखने लगी) सच कह रहा हूं,,,,


कितनी औरतों की देख चुका है तू,,,,


अरे बिना कपड़ों की नहीं,,,, बस आते जाते उस पर नजर पड़ी ही जाती है,,, अब देखो ना अपनी ललिया चाची की उनकी चुची तुमसे छोटी और कसी हुई नहीं है,,,।


तुझे यह सब कैसे पता चला,,,,


अरे ब्लाउज को देख कर ही पता चल जाता है,,,,
अब देखो ना तुम्हारा ब्लाउज आगे से कितना उठा हुआ होता है और एकदम कड़क लगता है पता चल जाता है कि ब्लाउज के अंदर की चूचियां कितनी जानदार और शानदार है,,,


बाप रे कितना हरामि हो गया है तु एकदम शैतान हो गया है,,,(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी की हालत खराब होती जा रही थी उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी वह अपने आप को एकदम चुदवासई महसूस कर रही थी उसका मन कर रहा था कि रघु के ऊपर अभी चढ़ जाए और उसके लंड को अपनी बुर में डालकर अपनी प्यास बुझा ले,,, लेकिन ऐसे नहीं कजरी भी शायद धीरे धीरे बढना चाहती थी,,,।उसे इतना तो यकीन था कि उसका बेटा है कि उसकी दोनों टांगों के बीच जरूर आएगा क्योंकि जो अपनी बड़ी बहन को चोद सकता है तो मां को चोदने में क्या हर्ज है और वैसे भी जिस तरह की दोनों बातें कर रहे थे उससे यही लग रहा था कि जल्द ही कजरी की बुर नुमा जमीन पर सावन की फुहारे पडने वाली है,,,,,, बाहर चिड़ियों की आवाज सुनाई दे रही थी सुबह हो चुकी थी लोग अपने अपने खेतों की ओर जा रहे थे सुबह-सुबह दोनों मां-बेटे इस तरह की गंदी और कामोत्तेजना से भरपूर बातें करके एकदम से चुदवासे हो चुके थे,,,, रघु का लंड लोहे के रोड की तरह खड़ा हो चुका था,,। वह इसी समय अपनी मां को चोदने की फिराक में था क्योंकि वह पूरी तरह से गर्म हो चुका था और वह जानता था कि उसकी मां भी गरम हो चुकी है अगर वह अपनी मां की चुदाई करेगा तो उसकी मां को बिल्कुल भी ऐतराज नहीं होगा क्योंकि वो खुद यही चाह रही थी वरना इस तरह की बातें कभी नहीं करती और वैसे भी दोनों को खुला मौका जो मिल चुका था क्योंकि इस समय घर पर उन दोनों किसी का तीसरा कोई नहीं था शालू की शादी हो चुकी थी वहां अपने ससुराल जा चुकी थी इसलिए दोनों इत्मीनान थे,,,,,, और माहौल भी उसी तरह का बनता चला जा रहा था रघु बार-बार अपनी मां को दिखाते हुए अपने के जाने के ऊपर से लंड को दबा रहा था और कजरी अपने बेटे की इस हरकत को देखकर पानी-पानी हो जा रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि पजामे में उसके बेटे का लंड खड़ा हो चुका है और उसकी बुर में आने के लिए उतावला हो रहा है,,,, अपने बेटे को कजरी बहकाने के उद्देश्य से बोली,,,।)


सच कहना रघु तू मेरी उसको छूकर बहक नहीं जाएगा,,,


बिल्कुल भी नहीं मुझे अपने आप पर भरोसा है,,,
(कजरी अच्छी तरह से जानती थी कि अगर ऐसा कुछ भी हुआ तो उसका बेटा वही करेगा जो अपनी बड़ी बहन के साथ किया था और इसके लिए कजरी अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी,,,।)


नहीं नहीं तो बिल्कुल भी अपने आप पर काबू नहीं कर पाएगा मैं अच्छी तरह से जानती हूं तु बहक जाएगा,,,,


नहीं बहकुंगा अगर विश्वास नहीं है तो आजमा लो,,,,(रघु की हालत खराब होती जा रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसकी मां बात कर रही थी उसे लगने लगा था की अपनी मां को चोदने का मौका उसे आज मिलने वाला है,,,,साथ ही कजरी की भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी सांसे भारी हो चली थी वाह लड़खड़ाते हुए शब्दों में बोली,,)


तुझे आजमाना ही पड़ेगा मैं भी देखना चाहती हूं कि तुझसे कितना काबू हो सकता है,,,(और इतना कहने के साथ ही कजरी वापस खटिए पर पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़कर अपने पेटिकोट को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को उठाकर अपनी पेटीकोट को उठा नहीं जा रही थी कि तभी अचानक बाहर से आवाज आई,,,,।


अरे सुनती हो कजरी,,,,(कजरी एकदम से चौंक गई और तुरंत अपनी पेटीकोट को सही करके अपने ऊपर चादर डाल दी वह जान गई की ललिया आई है,,,, और ललिया तुरंत कमरे में आते हुए बोली,,,

अरे गजब हो गया कजरी,,,,
(ललिया कुछ देख पाती इससे पहले ही कजरी अपने कपड़ों को दुरुस्त कर चुकी थी और खटिए पर आराम से लेट गई थी)

अरे इतना हांफ क्यों रही है बताएगी भी क्या हुआ,,,? (कजरी को अंदेशा हो चुका था कि रात वाली बात गांव वालों को पता लग गई है उसे डर इस बात का था कि कहीं उसका या उसके बेटे का जिक्र ना आ जाए)

अरे नहर के किनारे लाला और उसके आदमियों की लाश मिली है,,,


अरे क्या कह रही है ललिया,,,,,,


एकदम सच कह रही हूं कजरी सारे गांव वाले उधर ही गए हैं,,,


चाची मुझे तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है यह कैसे हो गया,,,,, तुम भी वही जा रही हो क्या,,,(रघु सब कुछ जान कर भी अंजान बनते हुए बोला)

हा में भी वही जा रही हुं,,,,


रुको मैं भी चलता हूं,,,,,(इतना कहकर वह खड़ा हो गया,,,)

मां हम दोनों वहीं जा रहे हैं,,, तुम घर की थोड़ी सफाई करके वहीं आ जाना,,,,(इतना कहकर रघु ललिया को साथ लेकर घर से बाहर निकल गया और कजरी वही खटिए पर लेटी हुई भगवान से प्रार्थना करने लगी कि उसके परिवार का बिल्कुल भी जिक्र ना हो रात को जो कुछ भी हुआ है उसके बारे में किसी को पता ना चले,,,, और इसके बाद में खटिया पर से खड़ी हुई औरत अपनी साड़ी पहनकर वह भी नहर की तरफ जाने लगी,,,।)
 
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नहर के किनारे हड़कंप मचा हुआ था,,,, लाला और उसके तीनों साथी की लाश कीचड़ में सनी हुई थी,,, गांव वाले यह मंजर देख कर हैरान हो गए थे उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि लाना जैसे शैतान का भी यह हाल हो सकता है,,,, पूरा गांव इकट्ठा हो चुका था रघु भी दूसरों की तरह आश्चर्य जता रहा था,,,, जमीदार की बीवी भी वहां पहुंच चुकी थी और साथ ही अपने ससुर की मौत की खबर सुनते ही कोमल भी वहां पहुंच चुकी थी कोमल अपने ससुर की लाश देख कर हैरान हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रोए यहां से जिंदगी में उसने पहले कभी इस तरह का डरावना दृशय नहीं देखी थी,,,, पास में ही रघु खड़ा था,,, रघु की तरफ देखते ही उसे सारा मामला समझ में आ गया था वह समझ गई थी कि इन चारों की इस तरह की हरकत करने वाला रघु ही है लेकिन उसे भी आश्चर्य था कि रघु जैसा लड़का इतनी हिम्मत कैसे रख सकता है,,,। रघु और कोमल दोनों की नजरें आपस में मिली,,, आंखों ही आंखों में दोनों ने अपने मतलब की बात कर ली,,,, जमीदार की बीवी लाला की हालत देखकर परेशान हो गई थी गांव वालों से पूछने लगी कि यह किसने किया किसकी इतनी हिम्मत हो गई,,,, लाला रिश्ते से उसका समधी जो था,,, आखिरकार किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंच पाना गांव वालों के लिए बड़ा ही मुश्किल काम था,,,,,,,फिर भी इसी नतीजे पर निकलेगी या किसी रंजिश की वजह से किसी ने लाला की यह हालत कर दी,,,, गांव की औरतें लाला की मौत पर खुश नजर आ रही थी क्योंकि वो लोग अच्छी तरह से जानती थी कि लाला अपने आदमियों के सहारे,,, और मेरी मजबूरी का फायदा उठाकर उनके साथ मनमानी करता था,,,, कजरी भी वहां पहुंच चुकी थी अपनी आंखों के सामने अपने बेटे के किए गए कारनामे को देखकर वह मन ही मन अपने बेटे पर फक्र महसूस कर रही थी और इस बात से उसे राहत महसूस हुई थी कि लाल और उसके साथियों की हत्या में उसके बेटे का कहीं भी जिक्र नहीं हो रहा था,,,,, थोड़ी देर बाद भीड छंटने लगी,,,,,,, जैसे-जैसे लाला की मौत की खबर मिलते जा रही थी वैसे वैसे उसके रिश्तेदार इकट्ठा होते जा रहे थे और लाला के साथ साथ उसके 3 साथी के भी रिस्तेदार इकट्ठा हो चुके थे चारों का अग्नि संस्कार किया गया सारी विधि में रघु भी शामिल था और किसी को कानों कान रघु के कारनामे के बारे में भनक तक नहीं लगी,,,,,,

शाम ढलने के बाद सांत्वना देने के लिए रघु कोमल के घर पहुंच गया जहां कुछ देर पहले ही गांव की औरतें कोमल को समझा-बुझाकर वापस अपने घर लौट चुकी थी रघु को देखते ही वह रघु के गले लग कर रोने लगी,,,, उसे चुप कराते हुए रघु बोला,,,।


अपने आप को संभालो कोमल,,,,,,इस तरह से रोती रहोगी तो कैसे चलेगा तुम्हारी भी तबीयत खराब हो जाएगी मैं नहीं चाहता कि तुम्हें किसी भी तरह से तकलीफ पहुंचे तुम रोते हुए मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,,

तो हम क्या करें रघु,,,हमें तो यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि अपने ससुर की मौत पर खुश हो या दुखी,,,,


दुखी होने की जरूरत,,,नहीं है कोमल इस तरह से रो कर जिंदगी गुजारने का कोई मतलब नहीं है और वैसे भी अपने ससुर से छुटकारा पाकर तुम्हें तो राहत की सांस लेनी चाहिए थी क्योंकि वह तुम्हारा ससुर नहीं का हैवान था जो तुम्हारी इच्छा से खेलना चाहता था तुम्हें किसी भी वक्त लूट सकता था,,, और यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो एक तरह से मैंने उसे मार कर तुम्हें छुटकारा दिलाया है एक राक्षस के हाथों से तुम्हें बचाया है,,,


लेकिन हम तो इस समय एकदम अकेले पड़ गए एक तो हमारा पति जोकि ना जाने कहां भटक रहा है,,, और ससुर के मरने की खबर सुनकर हमें तो समझ में नहीं आ रहा है,,, सच कहूं तो रघु हमें तो डर लग रहा है,,,,अपने ससुर की मौत ने एक तरह से मेरा भी हाथ है मुझे डर लगता है कि कहीं वह भूत बनकर,,,,,
(इतना सुनते ही रघु जोर जोर से हंसने लगा,,, और हंसते हुए बोला,,,)

अच्छा तो तुम्हारे डरने की वजह यह है,,,,(इतना कहने के साथ ही रखो अपनी बाहों में से कोमल को अलग करते हुए उसके दोनों कंधों को पकड़कर उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला ,,,,)


अरे पागल भूत और कुछ नहीं होता मैं हूं ना,,,,,,


कब तक रहोगे रघु,,,,


जब तक मेरी धड़कन चलेगी तब तक मैं तुम्हारे साथ रहूंगा,,,,


किस रिश्ते से मेरे साथ रहोगे रघु एक ना एक दिन सारे गांव वालों को पता चल जाएगा उस समय मेरी कितनी बदनामी होगी यह बात का अंदाजा लगाए हो कभी,,,


पति के रिश्ते से,,,,
(रघु के मुंह से इतना सुनते ही कोमल आश्चर्य से रघु की आंखों में देखने लगी क्योंकि वास्तव में उसकी आंखों में ऊसे अपने लिए प्यार नजर आ रहा था,,। कोमल की आंखों में आंसू आ गए,,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें,,,,,, रघु की बातें सुनकर वो पूरी तरह से भावनाओं में बहती चली जा रही थी,,, उसके लिए यह पल बेहद हसीन और अनमोल था क्योंकि इस तरह से उसी से किसी ने भी नहीं कहा था रघु की तरह को पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी किसी छोटी-छोटी मदद वह करता रहता था और उसके प्रति आकर्षण के चलते वह अपना तन उसे सौंप चुकी थी,,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था,,, कोमल विस्की आंखों में डबडबाई आंखों से देख रही थी,,, कोमल की आंखों में कुछ सवाल है जिनका जवाब वक्त के साथ ही मिलने वाला था लेकिन फिर भी अपने मन की बात कोमल के होठों पर आ ही गई,,,)

रघु हमें डर लग रहा है,,,


किस लिए,,,,


यही तो तुम कह रहे हो क्या समाज इस रिश्ते को स्वीकार करेगा मेरा पति जीवित है या मर गया है इस बारे में कोई नहीं जानता अगर जिंदा है फिर भी एक पति के होते हैं दूसरी शादी कैसे कर सकती हो और अगर मर गया है तो क्या यह एक विधवा के लिए मुमकिन होगा एक कुंवारे लड़के से शादी कर सके,,,,


क्यों मुमकिन नहीं है कोमल,,,, वैसे भी जिंदगी अपने हिसाब से जीनी चाहिए यह समाज के रिश्तेदार यह किसी का दुख दूर नहीं कर सकते किसी का दुख बांट नहीं सकते केवल लोग समाज का डर दिखाकर तुम्हारी जिंदगी और नर्क कर देंगे क्या समाज को पता है कि तुम इतनेबड़े घर की बहू होने के बावजूद भी कितनी दुख सह रही हो पति के प्यार से वंचित हो शरीर सुख से वंचित हो और साथ ही अपने ही ससुर की गंदी नजरों से प्रताड़ित हो चुकी हो क्या समाज ही सब जानता है,,,, नहीं जानता ना तो मैं फिर दूसरों के हिसाब से जिंदगी जीने का क्या फायदा और वैसे भी तुम्हारी उम्र,,,, ही कितनी है,,, सच कहूं तो तुम्हें मेरी बीवी होना चाहिए था जो कि मैं ये कमि अब पूरी करना चाहती हूं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं,,,,,,


सच में रघु क्या ऐसा हो सकता है,,,,


बिल्कुल हो सकता है मेरी कोमल,,,,भगवान लगता है हम दोनों को मिलाने के लिए यह सारी लीला रचे हैं,,,,


ओहहहहह,,, रघु,,,,,(इतना कहने के साथ ही कोमल भावनाओं में बहते हुए रघु के गले लग गई और इसी के साथ ही उसकी दोनों उन्नत चुचियां रघु की छाती से जा टकराई जिसके नुकीले एहसास से रघु पूरी तरह से कामविह्वल हो गया और अगले ही पल वह अपने होठों को कोमल के लाल लाल होठों पर रखकर उसका रस चूसना शुरू कर दिया,,,, पर अपने हाथ को उसकी पेट से नीचे की तरफ लाकर उसकी ऊभरी हुई गांड पर रखकर जोर जोर से दबाने लगा,,,, कोमल भी उत्तेजित होने लगी चुदवासी होकर उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,, पजामे में रघु का खड़ा लंड सीधे साड़ी के ऊपर से ही कोमल की बुर के ऊपर दस्तक देने लगा,,,, रघु और कोमल दोनों एकांत पाकर एकदम से चुदवासे हो गए,,,, रघु जोर-जोर से कोमल की गांड को दबाते हुए साड़ी को ऊपर कमर की तरफ उठाने लगा और देखते ही देखते रहो खूब कोमल की साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसकी नंगी चित्र में गांड को अपनी हथेली में लेकर उसकी गर्माहट और नर्माहट दोनों का आनंद लेते हुए जोर जोर से दबाने लगा कोमल भी उसका साथ देते हुए अपने गुलाबी होठों को खोल कर रघु की जीभ को अपने मुंह के अंदर लेकर उसे चाटना शुरू कर दी,,,,,,, दोनों की सांसें तेज चलने लगी रघुउसके लाल-लाल होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ लाकर उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा और देखते ही देखते उसके ब्लाउज के सारे बटन को खोलकर झटके से उसका ब्लाउज एकदम से उसके बदन से अलग कर दिया कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो गई और उसके नंगे पन के एहसास को अपनी छातियों पर महसूस करने के लिए अपने कुर्ते को झट से उतार कर कर अपनी नंगी छाती पर कोमल की नंगी छाती को दबा कर उसकी गरमाहट को महसूस करके उत्तेजित होने लगा,,,,,,।


ओहहहह कोमल,,,, क्या मस्त जवानी है तुम्हारी,,,, कसम से जवानी का गोदाम हो,,,,,(और इतना कहने के साथ ही एक हाथ में उसकी चूची पकड़ कर दूसरी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,)

सससहहहह आहहहहहहह,,,, रघु,,,,,,,(रघु कि ईस तरह की हरकत से कोमल के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,, रघु पूरे जोश से कोमल की कोमल चूची को मुंह में भर कर उसकी गर्माहट उसके मद भरे रस के एहसास में डूबता चला जा रहा था,,, यह पल रघु के लिए बेहद उत्तेजक था,,,, कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव इस समय रघु कर रहा था क्योंकि इस समय का माहौल कुछ और था,,,, अभी-अभी कोमल के ससुर का अंतिम संस्कार हुआ था उसकी चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि उसकी बहू कोमल अपने मन की अपने तन की प्यास को बुझाने में लगी हुई थी जिसका कारण यह भी था कि ससुर की हरकत को देखते हुए वह उससे नफरत करने लगी थी और मन ही मन में उसे ससुर मानने से इंकार करती थी वह बात अच्छी तरह से जानती थी कि ससुर को बाप का दर्जा दिया जाता है लेकिन यहां तो ससुर ही हैवान हो चुका था ऐसे में कोमल के पास कोई विकल्प नहीं बचा रहा था और उसे सांत्वना की जरूरत थी ऐसे शाथी की जरूरत थी,,,जो उसको समझ सके उसे सहारा दे सके उसकी भावनाओं की कद्र कर सके और इस समय उसकी नजर में केवल रघु ही था जो कि इस समय हर एक मोड़ पर उसके साथ खड़ा था,,,, इसलिए तो रघु के सानिध्य को पाकर वह यह भी भूल गई थी कि आज ही उसके ससुर का देहांत हुआ था और वह रघु के द्वारा जारी किए गए काम कीड़ा में तल्लीन हो गई जिस शिद्दत से रघु उसकी दोनों कोमल सूचियों से खेलता हुआ उसे मुंह में बारी-बारी से भरकर पी रहा था उतने ही प्यार से कोमल अपनी चुचियों को रघु के मुंह में डालकर पिला रही थी,,,,
कुछ देर पहले गमगीन बन चुका कमरे का माहौल अब मादकता का रस घोल रहा था रघु धीरे-धीरे कोमल की साड़ी को अपने हाथों से खोल रहा था ,,, रघु कोमल को नंगी करना चाहता था और कोमल रघु के हाथों से नंगी होना चाहती थी,,, शायद ऐसा कभी ना होता अगर कोमल को अपने पति से मर्दाना क्यों से भरा प्यार मिला होता लेकिन पुरुष के मर्दाना प्यार से वंचित रह चुकी थी इसलिए रघु को पाते ही वह सब कुछ भूल चुकी थी कोमल रघु का हौसला बढ़ाने के लिए उसके बालों में अपनी उंगली डालकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और रघु देखते ही देखते अपने हाथों से कमर पर बनी उसकी साड़ी को खोलकर नीचे जमीन पर फेंक दिया था और पल भर में ही उसकी पेटीकोट की डोरी खींच कर उसकी पेटीकोट को उसके कदमों में गिरा दिया था रघु की बाहों में रघु की आंखों के सामने कोमल पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और नंगी होने के बाद कोमल रत्ती का रूप लग रही थी,,,,,,, शाम ढल चुकी थी अंधेरा छाने लगा था,,,, जहां गांव वाले यह बात को सोचकर परेशान और चिंतित थे कि पति और ससुर के बिना कोमल कैसे अपनी जिंदगी बिताएगी,,,, वही दूसरों के सोच के विरुद्ध कोमल अपने प्रेमी की बाहों में नंगी होकर उसे अपने हुस्न का रस पिला रही थी,,,,,

रघु के मुंह में कोमल की चूची थी और रघु का एक हाथ कोमल की दोनों टांगों के बीच उसकी कोमल कस नरम नरम मद भरी बुर के ऊपर गश्त लगा रही थी कोमल की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, वह बार-बार रघु की हरकत से गर्म होकर लंबी लंबी सांसे लेकर छोड़ रही थी और उत्तेजना के आवेश में आकर वह अपना एक हाथ,,,रघु के पजामे में डालकर उसके खड़े टनटनाते हुए लंड को अपनी हथेली में भरकर उसकी गरमाहट को महसूस करते ही पानी पानी हुई जा रही थी,,,, जिसका एहसास रघु को अपनी उंगलियों पर महसूस हो रहा था,,,
अपनी महबूबा को पानी पानी होता देख रघु से रहा नहीं गया और वह,,,, कोमल को अपनी गोद नहीं उठा लिया,,,कोमल पहले तो घबरा गई लेकिन रघु कि ताकत सेपूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी कि निश्चिंत रहो गई रघु उसे अपनी गोद में उठाये हुए ही ऊसके कमरे की तरफ जाने लगा,,,, कोमल के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,,, उसके बदन के हर एक कोने में उसी छलकती जवानी चिकोटी काटने लगी,,,, उसे इस बात का था और ज्यादा गीला कर रहा था कि,,, रघु उसे अपनी गोद मैं उठाकर उसे चोदने के उसके कमरे में ले जा रहा है।,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था कोमल शर्मा रही थी,,,, रघु कोमल को अपनी गोद ने उठाए उसके संपूर्ण वजूद को अपनी आंखों से देख रहा था,,।रघु और कोमल दोनों में किसी भी प्रकार की वार्तालाप हो नहीं रही थी और रघु ना तो कोई बात करना चाहता था वह नहीं चाहता था कि बात करने पर किसी बात से उसे अपने परिवार की या अपने ससुर की याद आ जाए जिससे माहौल खराब हो जाए इसलिए वह चुप रह कर अपना काम धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहा था देखते ही देखते वह कोमल को लेकर उसे कमरे में पहुंच गया और धर्म धर्म करते पर लगभग उसे उछाल कर गिरा दिया जिससे वह नरम नरम गद्दी पर गिरते ही थोड़ा सा उछल गई और रघु अपने लिए जगह बनाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया और अपना मुंह ऊसकी पिघलती हुई बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, कोमल पागल हो गई मदहोश होने लगी,,,, ऐसा लग रहा था कि मानो वह हवा में उड़ रही हो रह रहे कर वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी,,,,,,,,

लोहा गरम हो चुका था हां थोड़ा मारने की डेरी के मौके की नजाकत को समझते हुए रघु अपने बदन पर से पजामे को भी उतार फेंका,,, कोमल के कमरे में कोमल और रघु पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गए,, रघु के खड़े लंड को देखते ही,,, एक बार फिर से कोमल की आंखों में चमक आ गई,,, उसे इस बात का अहसास हुआ कि वास्तव में उस के नसीब में इसी तरह का जवान लंड होना चाहिए था जो कि अपनी इस कमी को वह पूरा कर लेना चाहती थी,,, इसलिए वह खुद ही अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,,,, कोमल की इस खूबसूरत हरकत ने रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर को ज्यादा बढ़ावा दे दिया और वह बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाया और कमर की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल देना एक बार फिर से उसकी कमर ऊपर नीचे होने लगी,,,एक बार फिर से कोमल अपनी पुर के अंदर एक मोटे तगड़े लंड को अंदर बाहर होता हुआ महसूस करने लगी,,,,,,,
यह चुदाई रात भर चलती रहे,,, सुबह बाहर दरवाजे की दस्तक को सुनकर कोमल की नींद खुली तो बिस्तर में वह अपने आप को रघु की बाहों में पाई जो कि वह पूरी तरह से मांगा था और उसका ढीला उसका लंड फिर भी खंड की तरह उसकी गोलाकार गांड से सटा हुआ था और वह खुद एकदम नंगी उसकी बाहों में थी अपनी आंखों को मिलते हुए दरवाजे की दस्तक को सुनकर वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,,, लेकिन बाहर से आ रही पैसे की आवाज के साथ साथ कुछ लोगों की आवाज को सुनकर वह उस आवाज को पहचानने की कोशिश करने की वजह से उस आवाज को पहचानी वह एकदम से चौंक गई दरवाजे पर उसकी मां और बापू जी थे और वह खुद एक अनजान लड़की के साथ अपने कमरे में एकदम नंगी लेटी हुई थी एकदम से घबरा गई और रघु को जगाने लगी,,,,

अरे उठो अभी तक सोए हो जल्दी उठो,,,,

क्या हुआ,,,?(रघु भी एकदम से हडबडाते हुए उठ कर बैठ गया,,,)

अरे बाहर मेरे मां और बाबू जी आए हैं जल्दी यहां से जाओ,,,


लेकिन कैसे जाऊं दरवाजे पर तो तुम्हारे मां और बाबू जी खड़े हैं,,,,

पीछे के रास्ते से चले जाओ,,,(कुछ देर सोचने के बाद वह धीरे से बोली,,,, रघु जल्दी से बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया और अपने कपड़े समेट कर पहनने लगा साथ में कोमल भी अपनी की साड़ी उठाकर पहनने लगी जल्दी से एक बार फिर से उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होठों पर चुंबन करके वहां से चलता बना और वह थोड़ा सा मायूस होकर दरवाजा खोलने लगी दरवाजे पर अपने मां-बाबु जी को देख कर वह फूट-फूट कर रोने लगी,,,


दूसरी तरफ कजरी रात भर रघु के बिना बिस्तर पर तड़पती रही,,,भले ही वह अपने बेटे के साथ चुदाई के सुख को प्राप्त नहीं कर पाई थी लेकिन उसके साथ दो अर्थ वाली गंदी बातें करके मस्त हो जाती थी,,,,थोड़ी ही देर में रघु अपने घर पर पहुंच गया और उसे देखते ही कजरी उस पर नाराज होते हुए बोली,,,।


रात भर कहां रह गया था मुझे कितनी चिंता हो रही थी तुझे मालूम है,,,।


अरे मा इसमें चिंता करने वाली कौन सी बात है दोस्त के घर रुक गया था वह जबरदस्ती घर पर रोक लिया तो क्या करता,,,


तो क्या करता,,,,,, यहां मेरी क्या हालत हो रही थी तुझे इस बात का अंदाजा है,,,,(कजरी मुंह बनाते हुए बोली,,)


जानता हूं मां,,,, तुम परेशान हो रही थी लेकिन क्या करता है मजबूर हो गया था,,,,,,


तेरे बिना आप एक पल भी अच्छा नहीं लगता मुझे छोड़कर मत जाना ,,,(ऐसा कहते हुए वह अपने बेटे को गले लगा ली,,, रघु भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया उसकी बड़ी बड़ी चूची को अपनी छाती पर महसूस करते हुए उसके तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसके पजामे में कैद घोड़ा अपना मुंह ऊठाने लगा,,, जो कि सीधा साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर पर ठोकर मारने लगा कजरी अपने बेटे के घोड़े को अपनी बुर की जमीन पर दौड़ता हुआ महसूस करते हुए एकदम से उत्तेजित हो गई और कसके उसे अपनी बाहों में भर ली अपनी मां की उत्तेजना को महसूस करते ही रघु अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ पर से नीचे लाते हुए उसकी गांड पर रख दिया उसे जोर से दबा दिया,,,,,,, लेकिन यह मतवाला घोड़ा कजरी की बुर पर दूर तक दौड़ कर जाता है इससे पहले ही बाहर से ललिया की आवाज आ गई,,,।

अरे कजरी खेतों पर चलना नहीं है क्या,,,,
(ललिया की आवाज सुनते ही अपने मन में उसे गाली देते हुए बोली आ गई हरामजादी डायन,,, उस दिन भी सारा काम करती थी और आज भी,,,)


हां आई,,,,,,
(रघु भी मन ही मन लगी आपको ढेर सारी गाली दिया कजरी मन मसोस कर चली गई,,,, और थोड़ी देर बाद रघु भी अपनी मां का हाथ बताने के लिए खेतों की तरफ चल दिया,,)
 

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