अगले दिन मैं सूर्या के घर पहुँचा तो सोनिया सूर्या को कहीं चलने को बोल रही थी।
मैं अन्दर आया।
मैं- कहाँ जाने की बात हो रही है?
सूर्या- अच्छा हुआ भाई तू आ गया।
मैं- क्यों क्या हुआ..?
सूर्या- दीदी को आज कुछ काम है मार्केट मे कुछ खरीदना भी है.. तू ले कर चला जा ना.. मुझे अभी कुछ काम है..
मैं- ओके चला जाता हूँ
सूर्या- दीदी तुम सुशान्त के साथ चली जाओ ना.. मुझे कुछ काम है..
सोनिया- सुशान्त को अगर कोई प्राब्लम नहीं है.. तो मैं जा सकती हूँ।
मैं- मुझे भला क्या प्राब्लम होगी.. आप जाओ.. रेडी हो कर आ जाओ जल्दी।
वो रेडी होने अपने कमरे में चली गई सूर्या मेरे कान में सट कर बोला।
सूर्या- ले जा बेटा.. दिन भर साथ घुमा.. अगर आज मौका खोया तो रोते रहना अपना पकड़ कर..
मैं- नहीं खोऊँगा. तू टेन्शन मत ले..
सूर्या- ओके.. बेस्ट ऑफ लक..
सोनिया तब तक रेडी हो कर आ गई थी उसने एक सफ़ेद रंग का टॉप और ब्लू डेनिम पहनी थी.. इस ड्रेस में वो एकदम आइटम लग रही थी।
सोनिया- चलें?
मैं- हाँ ज़रूर..
हम लोग बाहर आ गए.. मेरी बाइक की सीट पीछे से उठी हुई थी.. जिसमें एक आदमी के बैठने के बाद दूसरा जो भी बैठेगा.. वो पहले के ऊपर भार देकर ही बैठेगा.. आप समझ ही गए होंगे कि मैं कहना क्या चाह रहा हूँ।
जब वो मुझसे सट कर बैठी… तो मैं अपनी फीलिंग नहीं बता सकता.. कि कितना अच्छा लग रहा था। उसकी दोनों चूचियों को मैं महसूस कर रहा था और बीच-बीच में ब्रेक मार-मार कर उसके आमों के दबने का मजा ले रहा था।
लेकिन वो भी कुछ बोल नहीं रही थी। मैं समझ गया कि वो भी मज़े ले रही है। जब उसका कुछ काम था.. जो कि नहीं हुआ.. शायद उसे कोई फॉर्म भरना था जो वो नहीं भर पाई।
मैं- क्या हुआ?
सोनिया- नहीं भर पा रहा है।
मैं- कोई बात नहीं.. मैं भर दूँगा रात में दिन में सरवर बिज़ी रहता है.. रात को भरने से हो जाएगा।
सोनिया- ओके.. भर देना ना.. प्लीज़..
मैं- ओके और कुछ काम है या.. घर चलें..
सोनिया- हाँ यार थोड़ी शॉपिंग करनी है.. चलोगे..?
मैं- चलो..
मैं अन्दर आया।
मैं- कहाँ जाने की बात हो रही है?
सूर्या- अच्छा हुआ भाई तू आ गया।
मैं- क्यों क्या हुआ..?
सूर्या- दीदी को आज कुछ काम है मार्केट मे कुछ खरीदना भी है.. तू ले कर चला जा ना.. मुझे अभी कुछ काम है..
मैं- ओके चला जाता हूँ
सूर्या- दीदी तुम सुशान्त के साथ चली जाओ ना.. मुझे कुछ काम है..
सोनिया- सुशान्त को अगर कोई प्राब्लम नहीं है.. तो मैं जा सकती हूँ।
मैं- मुझे भला क्या प्राब्लम होगी.. आप जाओ.. रेडी हो कर आ जाओ जल्दी।
वो रेडी होने अपने कमरे में चली गई सूर्या मेरे कान में सट कर बोला।
सूर्या- ले जा बेटा.. दिन भर साथ घुमा.. अगर आज मौका खोया तो रोते रहना अपना पकड़ कर..
मैं- नहीं खोऊँगा. तू टेन्शन मत ले..
सूर्या- ओके.. बेस्ट ऑफ लक..
सोनिया तब तक रेडी हो कर आ गई थी उसने एक सफ़ेद रंग का टॉप और ब्लू डेनिम पहनी थी.. इस ड्रेस में वो एकदम आइटम लग रही थी।
सोनिया- चलें?
मैं- हाँ ज़रूर..
हम लोग बाहर आ गए.. मेरी बाइक की सीट पीछे से उठी हुई थी.. जिसमें एक आदमी के बैठने के बाद दूसरा जो भी बैठेगा.. वो पहले के ऊपर भार देकर ही बैठेगा.. आप समझ ही गए होंगे कि मैं कहना क्या चाह रहा हूँ।
जब वो मुझसे सट कर बैठी… तो मैं अपनी फीलिंग नहीं बता सकता.. कि कितना अच्छा लग रहा था। उसकी दोनों चूचियों को मैं महसूस कर रहा था और बीच-बीच में ब्रेक मार-मार कर उसके आमों के दबने का मजा ले रहा था।
लेकिन वो भी कुछ बोल नहीं रही थी। मैं समझ गया कि वो भी मज़े ले रही है। जब उसका कुछ काम था.. जो कि नहीं हुआ.. शायद उसे कोई फॉर्म भरना था जो वो नहीं भर पाई।
मैं- क्या हुआ?
सोनिया- नहीं भर पा रहा है।
मैं- कोई बात नहीं.. मैं भर दूँगा रात में दिन में सरवर बिज़ी रहता है.. रात को भरने से हो जाएगा।
सोनिया- ओके.. भर देना ना.. प्लीज़..
मैं- ओके और कुछ काम है या.. घर चलें..
सोनिया- हाँ यार थोड़ी शॉपिंग करनी है.. चलोगे..?
मैं- चलो..