छिनाल बहुरिया-20
मै हाये बाबुजी देखे ना मेरी ये अभी कितनी छोटी है आपके बेटो ने अभी ढंग से चोदो भी नही है और यह 10 इंची नाग लार टपका रहा है,
ससुर सच कहती है तु बहु कल से इसे धोती की गांठ मे बाँध कर रखूंगा
मै हाये बाबूजी इस बेचारे को यह सजा ना दे, इसका काम ही है बुर को देखकर खड़ा होना और उन्हे फाड़ना, यह आज कल मेरी बुर गांड को भी फाडेगा तो है ही बस इससे इतनी विनती है रहम करके फाडे हलके हलके
ससुर मेरी बुर को जीभ से चाटते हुये बोले
हाय बहुरिया तु कितनी अच्छी है रे, सच तु इससे अपनी बुर चुदवायेगी
उनका काला नाग झटके मारते हुये फुंकार रहा था मैंने उसे कस के दबोचते हुये
हाये बाबुजी यह हरामी बिना चोदे मानेगा
ससुर बहु जब तेरी जैसी मस्त छिनाल बहु हो तो मरा लंड भी चोदने वो बेताब हो जाये फिर यह बेचारा कैसे मानेगा
मै हाये बाबुजी तो बेचारी चुत क्या कर सकती है उसे तो टाँग खोलना ही पडेगा, देखे ना मूतने के लिए भी आपके आगे टांगे खोले खड़ी है बहु तो चुदुगी नही तो कहाँ जाऊंगी, इस चुत की नियति है इस गधे लंड से फटना, मगर पहले मुता तो ढेला इंतजार कर रहा होगा
तभी ससुर ने सामने आंगन मे पड़ी लकड़ी की कुर्सी चारपाई से सटा दी और मुझे दोनो पैर रख बैठने को कहा जैसे पेशाब कर रही हूँ जैसे ही मै कुर्सी पर बैठी मेरी बुर चारपाई पर बैठ ससुर के ठीक सामने थी उन्होने अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया मै सिहर गई वो मेरी गांड के छेद से चाटने हुये बुर की दरारो से होते हुये क्लिट तक पहुंच रहे थे इससे मेरा तन बदन सितार की भाँति बज उठा
मै हाये दईया हाये सी हाये बाबुजी क्या कर रहे है मै मूतने वाली सी हाये मूत निकलने वाला है बाबुजी
ससुर तुने ही कहा था मूता दो तो मूता रहा हूँ तुझे बहु, इसी बहाने तैरा सुनेहेला शरबत भी पी लूँगा बहुत प्यास लग रही है पिला दे बहु अपनी चुत का शरबत अपने ससुर को
मै तो बाबुजी पी लो निकलने वाला है
तभी ससुर जी ने मेरी गांड मे अपनी बीच वाली उंगली एक झटके मे उतार दी
मै तेजी से चिहुँकी वा दर्द से बिलबिला उठी और चुत से पेशाब की धार एक सीटी मारती हुये बहार निकल आई
ससुर तुंरत अपना मुंह बुर मे सटाते हुये मूत पीने लगा और उसकी उंगली मेरी गांड के अंदर बाहर होने लगी
तभी एक गाना गुनगुना उठी
ससुर बड़ा हरामी, रात दिन सताये
गांड तो मारे ही मारे, मूत भी गटकाये
ससुर बड़ा हरामी, रात दिन सताये
बहु की गांड देख, हरामी का लंड टनटनाये