Incest छोटी कहानियों का संग्रह

किस तरह की स्टोरी आपको ज्यादा पढ़ना अच्छा लगता है ?


  • Total voters
    23
Well-known member
1,713
3,760
143
अगली कहानी लॉकडाउन में दीदी के साथ मस्ती
28167564-indian-girl-on-yellow-background.jpg
 
Well-known member
1,713
3,760
143
लॉकडाउन में दीदी के साथ मस्ती
अपडेट 1

नमस्कार दोस्तो, मैं राज, उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 25 साल है और दीदी की उम्र 27 साल है. दीदी शादीशुदा हैं, उनकी शादी को दो साल हुए हैं. मैं गांव का देसी लड़का हूं, दीदी शहर में रहती हैं.
ये मेरी कजिन सिस्टर है.
उनका घर दिल्ली में बना हुआ है, जहां सिर्फ दीदी और जीजा जी रहते हैं. जनता कर्फ्यू लगने के एक दिन बाद मैं दिल्ली पहुंचा, जीजाजी ने मुझे काम करने के लिए अपने पास बुलाया था.


दीदी मुझे स्टेशन पर लेने आई थीं. मैंने जब उन्हें देखा, तो वो पहले से काफी ज्यादा खूबसूरत हो गई थीं, उनका बदन भर गया था.

ये मार्च की बात है, हम यानि मैं और दीदी मुंबई जाने वाले थे … क्योंकि जीजा जी का ट्रांसफर वहीं हो गया था और वो एक महीने पहले ही मुंबई जा चुके थे.

लॉकडाउन लग जाने से सारी फ्लाइट्स और ट्रेन्स कैंसल हो गई थीं.

अब दीदी रोने लगीं कि हम लोग जीजा के पास नहीं जा पाएंगे. जीजाजी से फोन पर बात हुई, तो उन्होंने समझाया कि केवल 21 दिन की ही तो बात है, जल्दी मत करो, बाद में आ जाना.

फिर उन्होंने मुझसे बात की, तो बोले कि तुम अपनी दीदी का ख्याल रखना.

बहुत दिन बाद मिलने के बाद दीदी और मैं देर रात तक और दिन भर बातें किया करते थे. हम दोनों बहुत ज्यादा घुल-मिल गए थे. सारे दिन भर घर पर ही रहना होता था.

दीदी तरह तरह के पकवान बनाती थीं. मुझे ये सब बड़ा अच्छा लग रहा था.
एक दिन खाना खाते हुए मजाक में मैंने कह दिया कि दीदी इतनी सेवा तो शायद मेरी बीवी भी नहीं करेगी.
मेरी बात पर दीदी हंस पड़ीं और मैं भी.

गांव में मुझे भांग खाने की आदत पड़ गई थी, तो मैं अपने साथ गांव से भरपूर मात्रा में भांग लाया था. इधर मैं रात में अकेले ही छत पर सोता था क्योंकि रात को मैं खाना खाने से पहले भांग खा लेता था … और खाना खाते ही अपना बोरिया बिस्तर लेकर छत पर भाग जाता था. क्योंकि खाना खाने के बाद भांग का नशा काफी चढ़ जाता है.

छत पर जाकर मैं फोन पर अपनी गर्लफ्रेंड से लग जाता था. एक रात अपनी गर्लफ्रेंड से बात करते करते मेरा गला सूखने लगा. पानी भी खत्म हो गया था, तो मैं नीचे चला गया.

नीचे दीदी जीजा जी से फोन पर बात कर रही थीं. अपनी गर्लफ्रेंड से बात करने के कारण मेरा भी लंड तना हुआ था.

मैंने दीदी को आवाज लगा कर कहा- दीदी मुझे पानी चाहिए.
दीदी बोलीं- अन्दर आकर ले लो.
मैंने कहा- अंधेरा पड़ा है, आप लाइट तो जलाओ.

लाइट जलते ही मैंने दीदी को पहली बार नाइटी में देखा. दीदी क्या गजब लग थीं. बिखरे हुए बाल थे और बिना ब्रा के उनके हिलते हुए मम्मे कहर ढा रहे थे.

मेरी नजरों ने सीधे उनकी चूचियों पर ही निशाना साधा. चूंकि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी, तो उनकी चूचियों का उभार काफी बड़ा लग रहा था.

उन्होंने भी मुझ पर नजर मारी, मेरा तना हुआ लंड उनकी आंखों ने भर कर देख लिया. उन्होंने मेरी नशीली आंखें भी देखीं.
मैं उन्हें देख कर पानी लेकर ऊपर चला गया.

मेरी चचेरी दीदी की एक बहुत अच्छी आदत थी कि सुबह के काम निपटा कर नहा धोकर ही बाकी सारे काम शुरू करती थीं.

वो नहा कर पहले ऊपर छत पर आतीं, मुझे जगातीं … और धोये हुए कपड़े सूखने के लिए फैलाकर नीचे जाती थीं.

अब एक बार दीदी ने मेरा खड़ा लंड देख लिया था, तो उन्होंने अगले दिन कई बार मेरे लंड पर नजर मारी. मैंने भी उनकी तनी हुई चूचियों पर अपनी कामुक नजर फेरी.

ये छठे दिन की बात है. दीदी काम करते करते सीधे बोलीं- तुम्हारी गर्लफ्रेंड है ना … तभी रात में बात करने के लिए ऊपर छत पर सोते हो!
मैं मुस्कुरा दिया और नहाने चला गया.

दीदी शाम को भी नहाती थीं और अपने कपड़े ऊपर छत पर डाल देती थीं. घर में लोअर टी-शर्ट पहनती थीं या रात में नाइटी पहनती थीं.

मेरा वही रूटीन था, भांग खाना … फिर खाना और छत पर चले जाना.

उसी दिन रात को मैं छत पर टहल कर अपनी मैडम से बात कर रहा था. हम दोनों फोन सेक्स कर रहे थे. तभी अचानक ध्यान आया कि दीदी की ब्रा का साइज देखा जाए.

मैंने मोबाइल की टॉर्च जलाकर देखा, तो दीदी की ब्रा पर 36 बी लिखा था. फोन पर बात करते करते मैं दीदी की ब्रा से खेल रहा था, कभी उसे चूस रहा था, कभी लंड पर लगा रहा था.

दोस्तो, किसी किसी ब्रा में दोनों कप के बीच में एक छेद सा होता है. दीदी की ब्रा में भी था. मैं उस छेद में अपना लंड फंसा कर मुठ मारने लगा. मैं अपनी गर्लफ्रेंड की सेक्सी बातों में काफी उत्तेजित हो गया और जोश में होश खो बैठा. बस मेरा लंड एकदम से अकड़ा और मैं दीदी की ब्रा में ही वीर्यपात कर बैठा.

बाद में मैंने पीने वाले पानी से ब्रा को धोकर टांग दिया.

जब दीदी मुझे सुबह जगाने और कपड़े लेने आईं, तो उन्होंने देखा कि सब कपड़े सूख गए हैं … पर ब्रा गीली है. उनका माथा ठनक गया. मैं डर रहा था, पर सोचा कि जो होगा देखा जाएगा.

हम दोनों नीचे आ गए. दीदी नहाने घुस गईं, तो मैंने उनके रूम में जाकर देखा. उधर कम से कम 8 ब्रा थीं. सब अलग अलग डिजाइन की थीं. कोई प्रिंटेड, तो कोई ट्रांसपेरेंट.

इतनी मस्त ब्रा देख कर मेरा लंड तन्ना गया. उन ब्रा में से मुझे उनकी जाली वाली ट्रांसपेरेंट ब्रा बड़ी मादक लग रही थी. अब मेरा मन यही कर रहा था कि दीदी को इसी ब्रा में चोदूं.

इस बार लंड 90 डिग्री पर खड़ा था. दीदी ने बाथरूम से बाहर आकर मेरे खड़े लंड को देख लिया. जब वो मेरे पास से गुजरीं तो वे मुस्कुरा दीं. दीदी नहाने के बाद एक मादक खुशबू छोड़ते हुए जा रही थीं.

वो जानबूझ कर मेरे करीब से निकलीं और मेरे खड़े लंड पर अपने कूल्हों का भी स्पर्श देते हुए निकल गईं. दीदी की गांड का टच मुझे बहुत रोमांचित कर गया.

उस दिन मैं समझ गया कि औरत चुदने पर आ जाए … तो वो हर हाल में चुद कर ही रहती है. मर्द तो हाथ से भी काम चला लेता है, मगर औरत को बिना लंड के प्यास नहीं बुझती है.

मैं सोचने लगा कि वैसे भी इस समय जीजा जी दूर थे. दीदी का मन चुदाई करने का करता ही होगा.

उस दिन मैं दिन में दीदी को पीछे से देख रहा था, तो उनके शर्ट में पीछे से ब्रा भी झलक रही थी.

मैं सारे दिन में पागल हो गया था कि इतनी मस्त माल साथ है … और मैं कुछ कर भी नहीं पा रहा हूँ. साला बहन भाई का रिश्ता आड़े आ रहा था.

पर कहते हैं ना, जो आपके नसीब में होता है, वो खुद चलकर पास आ जाता है. वही मेरे साथ भी हुआ.

उस शाम को भी दीदी नहायी और लोवर टी-शर्ट पहन ली. पर अन्दर ब्रा नहीं पहनी.

काम करते वक़्त, आते जाते वक़्त दीदी की चूचियां हिचकोले खा रही थीं. इधर मेरा लंड दीदी और मैं एक दूसरे को भांप भी रहे थे.

खाना खाने के बाद दीदी बोलीं- रुको … आज थोड़ी देर में जाना. आज हम दोनों कोई मूवी देखते हैं.
मैं भांग के नशे में था. मैंने कहा- नहीं … मैं छत पर जा रहा हूं.
फिर दीदी मजाक करते हुए बोलीं- हां हां टाइम हो रहा है … उसका फोन आने वाला होगा.
मैंने हंसते हुए कहा- ऐसा कुछ नहीं है.

काफी ना नुकुर करने के बाद मैंने दीदी से कहा- चलिए, मेरे लिए आप से बढ़कर कोई नहीं … मैं रुक जाता हूं.

उस दिन सैट मैक्स पर 'लकी द रेसर ..' मूवी आ रही थी. तभी मेरी मैडम का फोन आ गया.

मैंने दीदी से कहा- इससे बोल दूं कि मूवी देख रहा हूं.
दीदी ने मुस्कुरा कर हां में सर हिला दिया.

मैंने वहीं दीदी के सामने उससे बात की.

तभी दीदी ने कहा कि लाओ मैं भी उससे बात करती हूं.
मैंने फोन दे दिया.
दीदी ने मेरी गर्लफ्रेंड से थोड़ी देर बात की और बोलीं- चलो, अब फोन रख रही हूं. हम दोनों मूवी देख रहे हैं.

फोन रखते हुए दीदी ने उससे कहा कि मैं तुम्हारा नंबर लेकर तुमसे बाद में बात करूंगी.
फिर मैंने दीदी को उसका नम्बर दे दिया. दीदी ने उसे वॉट्सएप पर मैसेज डाल दिया.

अब हम दोनों एक ही बिस्तर पर बेड पर दीवार का सहारा लेकर अगल बगल में बैठे थे. मुझे भांग का सुरूर भी छा रहा था. मैं पानी भी बहुत पी रहा था.

दीदी ने तब द्विअर्थी भाषा में बात की- बहुत प्यासे लगते हो?
मैंने सुरूर में कहा- क्या करें बिना पानी कोई सहारा ही नहीं है.
दीदी भी समझ गईं कि मुझे भी आग लगी है.

हम दोनों मूवी देखने लगे. दीदी ने मूवी देखते देखते अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया.
मैंने कहा- सर हटाओ न!
वो बोलीं- क्या है … टेक ले लेने दो न!

मैं कुछ नहीं बोला. कुछ देर बाद दीदी मेरे बदन पर काफी झुक गईं. तब मुझे उनकी चूची का थोड़ा सा स्पर्श भी मिला.

उनकी चूचियों का अहसास होते ही मेरे पूरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा लंड किसी मोटे नाग सा फनफना गया.

मैं रात में सिर्फ निक्कर ही पहनता था … निक्कर के अन्दर चड्डी नहीं पहनता था. इससे मेरा लंड अपनी औकात में आते हुए हल्का सा उठने लगा.

तभी सामने टीवी पर एक सीन आया. वो महान कॉमेडियन ब्रह्मानन्द का सीन था. साला बहुत ज्यादा गर्म बातें कर रहा था.

मैं और दीदी दोनों हंसने लगे. हम दोनों का शरीर हिलने लगा. इससे दीदी की एक चूची मेरी कोहनी में हंसते हंसते सट गई. मेरा लंड अपने पूरे आकार में आ गया. पूरा 6 इंच का तन कर अकड़ गया.

दीदी मेरे कंधे पर सिर रखे रखे खड़े लंड को और मूवी दोनों को देख रही थीं. मैं नशे में हंसे जा रहा था. दीदी गर्म हो गई थीं.

तभी जीजा का फोन आ गया. अभी दस बज रहे थे. दीदी फोन उठाने गईं, तो मैंने अपने लंड को संभाला और उठ गया. पर निक्कर में लंड का तम्बू अभी तना हुआ साफ़ दिख रहा था.

मैंने कहा- आप बात करो … मैं सोने जा रहा हूँ.
मैं जाने लगा, तो दीदी बोलीं- पानी तो लेते जाओ प्यासे रहोगे क्या!

जब मैं बॉटल लेने मुड़ा, तो उन्होंने खड़े लंड को देखकर फिर से अपनी आंखें सेंक लीं.

तभी जीजा जी ने दीदी से मुझसे बात करवाने को कहा. मैं फोन लेकर जीजा जी से बात करने लगा. मैं बात करते हुए दीदी को ही देख रहा था. लंड देख कर दीदी गर्म हो गई थीं और इस कारण उनके मम्मों के निप्पल तन गए थे. टी-शर्ट में से ही उनके चूचुकों का आकार दिखने लगा था.

उन्होंने मेरी आंखों में देखा, फिर पता नहीं उनको क्या दिखा. नशा, प्यास, प्यार, या वासना का माहौल बन गया था.

मैंने फोन दीदी को दे दिया- लो जीजा जी से बात कर लो.

मुझे जाते देख कर दीदी ने फोन म्यूट करके बोला- राज, तुम्हारी आंखें बहुत नशीली हैं.

मैं हंसता हुआ छत पर चला गया. उधर जाकर अपनी मैडम को फोन लगाया, तो वो सो चुकी थी.

दीदी की चूचियों का स्पर्श पाकर मैं पागल हुए जा रहा था. मैंने देखा कि शाम वाली दीदी की ब्रा और पैंटी छत पर ही सूख रही थी. मैंने दोनों को उठाया और पैंटी सूंघने लगा. उनकी चुत वाले हिस्से को मैंने सूंघा, तो क्या मस्त खुशबू आ रही थी. उस महक के आगे साला इत्र भी फेल लग रहा था.

मैंने एक हाथ से पैंटी को अपने मुँह में भर लिया और दूसरे हाथ से ब्रा को लंड में लटका कर मुठ मारने लगा. लेकिन आज मुझे उनके कपड़ों में वीर्यपात नहीं करना था, सिर्फ मज़ा लेना था.

कुछ देर बाद मैं लेट गया और ब्रा और पैंटी को अपनी निक्कर में डाल कर दीदी को चोदने का सपना देखने लगा.

मैं दीदी की ब्रा देख ही चुका था, साइज पता ही चल गया था. आज रात उनके कड़क निप्पलों भी देख चुका था. बस अब दीदी को बिना कपड़ों के देखना रह गया था.

तभी अचानक बारिश होने लगी. मैं बोरिया बिस्तर और दीदी के कपड़े समेटकर नीचे भागा.

नीचे आकर मैंने कहा- दीदी दरवाज़ा खोलो.
दीदी ने दरवाज़ा खोला और मेरी तरफ देखा.
तो मैंने बताया कि बारिश हो रही है.

मेरा लंड अभी भी आकार में था. उधर मेरा ध्यान दीदी के ऊपर गया, तो उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं. निप्पलों और खिल कर दिख रहे थे.

मैं समझ गया कि दीदी फोन सेक्स कर रही थीं. मेरा लंड फिर से तन कर तम्बू हो गया.

अब शमा और परवाना दोनों जल रहे थे, बस देखना ये था कि करीब आने पर आग बुझती है या और बढ़ती है.

मैंने कहा- ये लो अपने कपड़े!
दीदी बोलीं- तुम क्यों लाए!
मैंने कहा- आप भी तो मेरे कपड़े लाती हैं, आप तो मेरी इतनी सेवा करती हैं.

दीदी हंस दीं और अपने कमरे में चली गईं. मैं टीवी वाले रूम में सो गया.

अगला दिन इतवार था. दीदी आज अपने बालों में प्याज का रस लगाने वाली थीं.
मैंने कहा- लाओ मैं लगा देता हूँ.

वो मान गईं और फर्श पर ही बैठ गईं. मैं बेड पर बैठ गया. मैं उनके सिर में रस लगाने लगा. उनके बाल उठा कर उनकी सुराहीदार गर्दन को भी देखा. मेरा लंड तना हुआ था तो उनकी गर्दन पर कभी कभी स्पर्श हुआ जा रहा था. वो भी मदहोश हुए जा रही थीं.

बालों में प्याज का रस लगाने के बाद मैंने कहा दीदी- जैसे नाई मसाज करते हैं, वैसे कर दूँ.
दीदी ने हां कह दिया.

मैंने भी सोच लिया कि आज इनको देशी हाथ का कमाल दिखाता हूं. आज इनको छूने का मौका मिला है, तो कोई कसर नहीं छोडूंगा.
 
Well-known member
1,713
3,760
143
लॉकडाउन में दीदी के साथ मस्ती
अपडेट 2

अब तक आपने पढ़ा था कि दीदी और मैं दोनों ही चुदाई की आग में जल रहे थे. बस किसी तरह शुरुआत होने भर की देर थी. मैं उनके बदन की मालिश करने लगा था.

अब आगे :
मैंने पहले उनकी गर्दन और कंधे पर खूब मजबूती से मर्द वाला हाथ लगाया. फिर उनकी पीठ से लेकर कमर तक हाथ चलाया. फिर दोनों हाथों को झटकाया, तो चूचियां डांवाडोल हो गईं.

मैंने कहा- लीजिए हो गया, अब जाइए.

पर खड़ी होती हुई दीदी ने अपनी गांड का स्पर्श मेरे लंड पर दे दिया. मैं समझ गया कि अब बर्फी मिलना पक्का है, बस ये नहीं पता था, कब मिलेगी.

दीदी ने कहा- अपनी दाढ़ी बना लो.
मैंने कहा- मैंने खुद से कभी नहीं बनाई.
उन्होंने कहा- अरे इसमें क्या बात है, लाओ मैं बना देती हूं. जीजाजी का दाढ़ी बनाने का सामान रखा है, मैं उनकी दाढ़ी बनाकर एक्सपर्ट हो गई हूं.

मैं शेव करवाने के लिए रेडी हो गया.

मैं जमीन पर बैठ गया और दीदी पीढ़ा पर बैठ गईं. हमारे घरों में बैठने वाला एक स्टूल नुमा होता है, उसे ही पीढ़ा कहा जाता है.

दीदी के पीढ़ा पर बैठते ही मेरी नजर सीधे उनकी टांगों के बीच में चली गई.

उफ्फ भगवान … दीदी की चूत का आकार साफ साफ दिख रहा था और उनकी चुत गीली भी दिख रही थी.

दाढ़ी बनाते वक़्त टी-शर्ट में उनकी चूचियां हिल रही थीं, जिससे उनके मम्मों के निप्पलों भी एकदम साफ दिख रहे थे.

मैं मस्ती से उनकी चुत और चूचियों का मजा लेने लगा. दीदी के कोमल हाथ मेरे गालों पर फिरते हुए मुझे बड़ा मदहोश कर रहे था.

दाढ़ी बन जाने के बाद दीदी कमरे में झाड़ू लगाने लगीं. मैं बाथरूम में घुस गया. जब मैं नहाकर आया, तो बस टॉवेल में था.

दीदी मेरा नंगा बदन देखने लगीं. मैं ऐसे ही बैठ कर टीवी देखने लगा.

फिर दीदी बाथरूम में घुस गईं और दस मिनट बाद वो नहाकर आ गईं.

आज तो और भी ज्यादा गजब हो गया था. उन्होंने आज साड़ी पहन ली थी. नाभि के नीचे साड़ी देख कर मेरी रही सही कसर पूरी हो गई थी. अब बस कमर और पीठ और पेट देखने की कसर रह गई थी.

इस समय दीदी के बाल गीले थे. सच में दीदी कहर बरपा रही थीं. मैं उन्हें कामुक नजर से देखने लगा.

दीदी मेरी आंखों में झांकते हुए बोलीं- क्या हुआ?
मैंने कहा- आज आपको साड़ी में पहली बार देख रहा हूं … आप अच्छी लग रही हो.

वो मुस्कुरा कर नाश्ता बनाने लगीं.

नाश्ता करते हुए उन्होंने बोला- तुम्हारी मैडम से मैंने सुबह वॉट्सएप पर बात की थी. तुम उसे डांटते क्यों हो और उससे लड़ते भी हो.
मैंने कहा- अरे प्यार में इतना तो चलता है.
दीदी ने हंस कर मुझे एक धौल जमा दी.

फिर दीदी और मैं दीवार का टेक लेकर टीवी देखने लगे. दीदी फिर से अपने माथे को मेरे कंधे पर रखकर टीवी देख रही थीं. मेरी दाईं कोहनी कभी उनकी चूची को छू जाती, तो कभी उनके पेट को. मुझे मज़ा आने लगा था. कभी कभी मैं उनकी नाभि पर भी नजर मार लेता था.

फिर दिन बीता, रात हुई. फिर भांग के बाद खाना हुआ और मैं छत पर चला गया. मैं दीदी की ब्रा और पैंटी लंड पर लगाए अपनी मैडम से सेक्सी बातें कर रहा था. उसी समय ना जाने मैं कब सो गया … कुछ होश ही नहीं रहा.

सुबह दीदी मुझे जगाने आ रही थीं, तो उनकी पायल की आवाज अचानक से आई. उनकी पैंटी और ब्रा मेरे निक्कर में रह गई थी. मैं डर के मेरे सोने का नाटक करने लगा और दीदी मुझे देखकर चली गईं.

उनके जाने के बाद मैंने उठकर ब्रा और पैंटी अलगनी पर टांग दी और नीचे आ गया.

मैंने दीदी को देखा, तो उनके चेहरे पर एक अजब सी खुशी थी. मैं समझ तो गया था कि दीदी को छत पर ब्रा पैंटी नहीं मिली होगी, तो वो समझ गई होंगी.

पर मैंने बनते हुए कहा- आज आप जगाने नहीं आईं?
दीदी बोलीं- हां मैं भी सोती रह गई.

मैं समझ गया कि लोहा गर्म हो चुका है, बस हथौड़ा मारना बाकी है.

दीदी नहाने चली गईं, तो मैंने उनका फोन उठाया. फोन में पासवर्ड नहीं लगा था. वॉट्सएप खोला, तो उसमें मैंने देखा दीदी की मीनाक्षी (मेरी मैडम) से बात हुई थी.

उसमें दीदी ने उससे मेरे बारे में सब कुछ पूछा था. हम दोनों की सेक्स लाइफ को लेकर भी काफी सवाल थे. दीदी ने उससे ये भी पूछा था कि तुम दोनों फोन सेक्स रोज करते हो. तो मीनाक्षी ने जवाब में हां लिखा था.
दीदी ने पूछा- वैसे गांव में कहां करते थे?
मीनाक्षी- इतना वक़्त तो नहीं मिलता था, बस रात में ही हम दोनों खेतों में मिल लेते थे.

दोस्तो, गांव वगैरह का हाल आप लोग जानते ही होंगे. गांव में किसी लड़की से मिलने में बहुत परेशानी होती है. मैंने मीनाक्षी को बहुत चोदा है, अधिकतर खड़े खड़े ही चोदा है. उसे लेटा कर बहुत कम चुदाई हो सकी थी. खेतों में कपड़े ना खराब हो जाएं … क्योंकि खेतों में कोई बिस्तर तो होता नहीं था, मिट्टी लग कर चुगली कर देती थी कि चुदाई हुई है.

फिर दीदी नहाकर बाहर आईं. उन्होंने व्हाइट टी-शर्ट और ब्लू लोवर पहना हुआ था. दाईं तरफ के कंधे पर उनके बाल गीले थे. उससे चूची गीली होने के कारण दिखने लगी थीं. निप्पलों भी कड़क थे.

मैं ये सब देख कर पागल हो रहा था.

मैं उन्हें यूं ही घूरता हुआ नहाने चला गया. मैं बाथरूम में पहले तो मुठ मारने लगा. मुझे मुठ मारने में 15 मिनट लग गए .. फिर नहाना हुआ.

मुझे देर हुई तो दीदी ने आवाज लगा दी- कितनी देर कर रहे हो, नाश्ता बन गया है.

मैं बाहर आ गया. नाश्ता करते हुए दीदी बोलीं- क्या हुआ, दुखी लग रहे हो.
मैंने कहा- ऐसा तो कुछ नहीं है.
दीदी छेड़ते हुए बोलीं- मीनाक्षी की याद आ रही क्या?
मैं हंस पड़ा.

नाश्ता करने के बाद हम दोनों बातें करने लगे.

दीदी बोलीं- गांव में मीनाक्षी से मिलते कैसे थे?
मैं- रात में.

दीदी मेरी तरफ देखने लगी तो मैं बोल पड़ा- सबसे बढ़िया ज़िन्दगी शादीशुदा वालों की होती है, कोई चोरी नहीं.
दीदी- हां ये तो है, तुम भी शादी कर लो.
मैं- पहले पैसे कमा लूं … नहीं तो बीवी आएगी, तो सिर नौंच लेगी.
दीदी- ऐसा कुछ नहीं है, लड़की को प्यार दोगे … तो सब अच्छा होगा.

हम दोनों को समझ नहीं आ रहा था कि पहल कौन करे.

दीदी ने कहा- चलो आज एक गेम खेलते हैं … ट्रुथ एंड डेअर.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने ट्रुथ बोला.

दीदी- मैं तुमको कैसी लगती हूं?
मैंने- बहुत अच्छी, आप ख्याल रखती हैं.

दीदी ने डेअर लिया.

मैं- नाच कर दिखाइए.

दीदी नाचने लगीं, मैं उनकी चूचियां उछलते हुए देखने लगा, मेरा लंड खड़ा हो गया.

अब मेरी बारी थी, मैंने फिर ट्रुथ लिया.

दीदी- तुम रोज रात को मेरी ब्रा पैंटी के साथ क्या करते हो?

मैं हक्का बक्का रह गया, पसीने छूट पड़े. फिर ख्याल आया कि जब उन्होंने इतनी हिम्मत करके पूछ लिया, तो मैं भी हिम्मत करके बता दूं.

मैं एक सांस में बोल पड़ा- आप बहुत सुंदर लगती हैं, वाकई हैं भी. मैं रात में मीनाक्षी से भले बात करता हूं, पर दिल दिमाग पर आप ही छाई रहती हैं. पता नहीं कौन सी डोर है, जो आपकी तरफ खींचती चली आई. मुझे माफ़ कर दीजिए, अब ऐसा नहीं होगा.
दीदी ने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा- मैं तुम्हारी होना चाहती हूं.

इस बात ने सारा माहौल, सारे जज्बात पलट दिए. दोनों को न जाने क्या हुआ. कोई खबर ही नहीं थी. हम दोनों बेबाक हो गए, जज्बात खुल गए.

मैंने भी तुरंत बोल पड़ा- तो ट्रांसपेरेंट वाली ब्रा पहन कर दिखाओ.

वो हंसते हुए बदतमीज कहकर मेरे ऊपर कूद पड़ीं. मैं नीचे हो गया और वो मेरे ऊपर चढ़ गईं. दीदी ने तुरंत ही अपने होंठों की मधुशाला मेरे नशीले होंठों पर रख दी.

चूसना तो छोड़ो दोस्तो, हम दोनों एक दूसरे के लबों को काटने लगे थे. बेड पर पटका-झटकी शुरू हो गई. मेरे हाथ उनकी कमर में, उनके हाथ मेरे बालों में चलने लगे.

फिर मैं उनके ऊपर आ गया. होंठ चूसते चूसते अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचियों को मसलने लगा. बड़ी होने के कारण चूचियां हाथ में नहीं आ रही थीं, पर एकदम तन गई थीं.

टी-शर्ट के ऊपर से ही मैं उनकी एक पूरी चूची को काटने लगा. चूचुकों को दांतों से पकड़ कर खींचने लगा. मैं इस उत्तेजना भरे माहौल में कभी दीदी की गर्दन पर किस करता, तो कभी कंधे पर.

उस वक़्त हम दोनों में क्या केमिस्ट्री चल रही थी … हम दोनों को ही किसी बात का अहसास नहीं था.

मैंने अपना हाथ नीचे करके उनके लोअर को नीचे कर दिया और आंखें बन्द करके उनके होंठों की मधुशाला को पीता रहा.

उन्होंने भी मेरी पीठ से हाथ फेरते हुए मेरा निक्कर नीचे सरका दिया और अपनी टांगें को और चौड़ा लिया.

दीदी मेरा भरपूर साथ दे रही थीं. ना उन्होंने पूरी तरह से, ना मैंने उनके जिस्म का दीदार किया था … बस एक दूसरे में समाने की जल्दी मची थी.

अभी तक उन्होंने मेरा लंड नहीं देखा था, ना ही मैंने उनकी चूत देखी थी. बस सिस्टर Xxx चुदाई का भूत ऐसा सवार था कि कुछ मत पूछिए.

दीदी ने मेरा लंड पकड़ा और चुदाई द्वार पर लगा दिया. मैंने भी जोर लगाया, तो लंड का टोपा अन्दर घुसता चला गया. दीदी की चूत एकदम गीली और गर्म थी.

वो भी एक महीने से नहीं चुदी थीं … इसलिए दीदी की चूत एकदम टाइट थी.

दोनों को मीठा दर्द हुआ और दोनों की आह निकल गई. चुदाई के वक़्त औरत कहती है कि आराम से डालना, दर्द होगा.

पर दीदी बोलीं- दर्द की परवाह मत करना … एक साथ पूरा अन्दर डाल दो.

मैं कुछ नहीं बोला, बस दीदी की चुत में लंड घुसेड़ता चला गया. अब मैं धक्का मारने लगा, तो दीदी ने अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया.

उन्होंने पूरे जोर से मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा पूरा लंड चूत में समाहित हो गया.

अब मैं उनके कंधों को पकड़ कर जोर से धक्का मारने लगा. दीदी बस मेरे होंठ काट रही थीं. हर धक्के के साथ उह उह आह की आवाज कमरे में गूंजने लगी. मैं आंखें बंद करके दीदी की चुत को पेलने में लगा हुआ था.

दस मिनट बाद पच्छ पच्छ दीदी की चुत पानी फेंकने लगी. वो कराहते हुए मीठी आवाज में कहने लगीं- आह … रुको रुको!

मैंने उनकी एक ना सुनी, क्योंकि मैं झड़ने वाला था. मैं और तेज धक्के मारने लगा. दीदी भी नीचे से अपनी कमर हिलाने लगीं. उसी समय मैंने सारा माल दीदी की चूत में छोड़ दिया और हांफता हुआ उनके ऊपर ही लेट गया.

झड़ने के बाद लंड चूत में ही छोटा हो गया.

फिर दीदी का पहला शब्द मुँह से निकला- जंगली कहीं के.
मैं हंस दिया.

बस वो मुझे चूमने लगीं.

उस दस मिनट की चुदाई में मैंने उनको दर्द, नशा, प्यार सब दे दिया था.

दीदी बोलने लगीं- अब उतरो मुझे बाथरूम जाने दो.

जब मैंने चूत से लंड निकाला, तो दोनों की आह निकल गई. सच में क्या मीठा सा दर्द हुआ था.

मैंने बिना कुछ कहे उनकी टी-शर्ट ऊपर कर दी और उनकी चूची का पहली बार दीदार किया. दीदी की चूची की साइज एकदम सुप्रिया कर्णिक जैसी थी. निप्पलों एकदम अंगूर जैसे, दबाने पर क्या मजा आ रहा था. इतनी मस्ती से तो मैंने अपनी मैडम मीनाक्षी को भी नहीं चोदा था.

थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हो गए.
मैंने दीदी से कहा- अब ब्रा पहन कर दिखाओ न!

वो बाथरूम से आने के बाद अपने रूम में गईं. वे मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने साथ अन्दर ले गईं. उन्होंने अपनी अलमारी खोली और ट्रांसपेरेंट ब्रा निकाली, फिर टी-शर्ट.

ब्रा पहन कर दीदी मुझसे बोलीं- हुक लगाओ.

वो आकर मेरी गोद में बैठ गईं.

मैं हुक क्या लगाता, उनके बाल पीठ से आगे करके उनकी चूची दबाते हुए पीठ चूमने लगा.

दीदी बोलीं- जंगली … पहले देख तो लो.

मैंने हुक लगाकर उन्हें अपनी तरफ मोड़ा, तो बाप रे … काली ब्रा में से चूचियां और निप्पल साफ़ झलक रहे थे.

मैं अपना लंड मसलने लगा. दीदी ने कहा- निक्कर उतारो … मैं भी देखूं तुम्हारा कैसा है. अभी तक दर्शन ही नहीं किये और पूजा करवा ली.

मैंने हंसते हुए अपने सब कपड़े उतार दिए.

दीदी लंड देखते ही बोलीं- बड़ा मस्त है.
मैंने कहा- अब आप भी अपनी लोअर उतारिए.

उन्होंने झट से उतार दिया. अब दीदी सिर्फ ब्रा में थीं. पैंटी तो चुदाई के वक्त भी नहीं थी.

मैंने कहा- आइए बैठिए लंड पर.
उन्होंने कहा- नहीं, पहले चाटो.
मैंने कहा- क्या?
दीदी बोलीं- चूत को.

दोस्तो, सच्ची बता रहा हूँ. आज तक मैंने चूत नहीं चाटी थी.

मैंने कहा- नहीं, गंदी है … अभी उसमें लंड गया था. अभी जीभ कैसे लगाऊं!
दीदी बोलीं- उससे क्या … मैं तुमको दिखाती हूं.

उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और घुटने के बल बैठ कर मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.

अचानक अपने आप मेरी आंखें बंद हो गईं और दीदी ने जब मेरे लंड का टोपा पलटकर लंड चूसना शुरू किया. तो मैंने उनको हटाना शुरू कर दिया.

मैं लेट गया था. दीदी लंड चूस रही थीं.
पता नहीं दीदी में क्या क्या जादू था. दीदी मुँह से नहीं, जीभ से लंड चाट रही थीं.

फिर मैंने भी उनकी चुत चाटी. कुछ देर चाटने के बाद मुझे चुत चाटने में मजा आने लगा. मैं पैंटी को मुँह में दबा कर मुठ मारता था, उससे लाख दर्जे सीधे चुत की चुसाई में मजा आ रहा था.

फिर आधे घंटे बाद चुदाई शुरू हो गई. अब दिन रात बहन के जिस्म का मजा मिलने लगा था. उसी रात को मैंने दीदी को भी भांग खिलाई और भांग के नशे में हम दोनों ने चालीस मिनट तक चुदाई का मजा लिया.

इसके बाद हम दोनों ने दो महीने तक चुदाई की. गांव जाने के बाद भी जब वो गांव आती थी मैं उन्हें चोदता था.



समाप्त
 
Well-known member
1,713
3,760
143
बहन को फसाकर चोदा

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सुरेन्द्र है और में 27 साल का हूँ और मेरी शादी हो चुकी है, लेकिन आज में आप सभी को अपनी बहन हरप्रीत के साथ बने मेरे उस सेक्स सम्बंध के बारे में बताऊंगा।

वैसे इस सेक्स सम्बंध को पूरे चार साल हो चुके है और अब मेरी उस बहन की भी शादी हो चुकी है और अब उसकी उमर 25 साल है, लेकिन हमारे इस रिश्ते का अभी तक किसी को भी पता नहीं है। यह बात बस हम दोनों भाई बहन के बीच ही रही, लेकिन आज में उस सच्ची घटना को आप सभी के सामने प्रस्तुत कर रहा हूं। दोस्तों मेरी बहन बचपन से ही बहुत हॉट सेक्सी थी। वो बहुत गोरी और उसके चेहरे की बनावट बहुत अच्छी थी और उसका तब फिगर 34-28-34 था, जो किसी भी लड़के को अपना दीवाना बनाने के लिए एकदम ठीक था। उसको देखकर हर कोई उसको लाइन मारता और उसको अपना बनाना चाहता था और इस वजह से में भी अपनी बहन का बहुत बड़ा दीवाना बन चुका था, में उसको पाने छूने के हर कभी कोई ना कोई नये नये तरीके सोचता था। दोस्तों उस समय मेरे घर पर मेरी मम्मी, पापा और मेरी एक और छोटी बहन जसप्रीत भी रहती थी, जिसकी तब उमर 18 साल थी।

एक दिन मेरे मम्मी पापा को किसी काम की वजह से चार पांच दिन के लिए पंजाब जाना पड़ा और उनके चले जाने के बाद मेरे घर पर मेरी दोनों बहन और में ही था। फिर उनके जाने के बाद मैंने एक जगह बैठकर मन ही मन सोचा कि इससे अच्छा मौका मुझे और नहीं मिल सकता। जब तक मम्मी पापा वापस ना आ जाए में अपना सोचा हुआ काम कैसे भी करके पूरा कर लूँ और इसलिए में पूरा दिन बस यही बात सोचता रहा कि में कैसे अपनी बहन की चुदाई कर सकता हूँ? उसको कैसे में अपने जाल में फंसा सकता हूँ। में उससे इस काम के लिए कैसे बात करूं? तब मेरे मन में ऐसे बहुत सारे सवाल घूम रहे थे। फिर तभी उसी शाम को मेरे दिमाग़ में एक बहुत अच्छा विचार आ गया और मैंने तुरंत अपने लेपटॉप को चालू करके फोटॉशप पर एडेटिंग करके अपनी बहन की एक नंगी सेक्सी फोटो बनाई जो दिखने में बिल्कुल असली फोटो लग रही थी और उसको देखकर मेरा भी मन ललचाने लगा था और फिर मैंने उसको अपनी मैल आई डी पर उस फोटो को सेंड भी कर दिया और साथ में मैंने किसी लड़के की तरफ से अपनी बहन के बारे में उल्टा सीधा कुछ भी लिखकर भेज दिया और रात को जब मेरी दूसरी बहन सो चुकी थी और हरप्रीत घर का सभी काम खत्म करके मेरे रूम में सोने के लिए आ गई।

में उसको देखकर मन ही मन बहुत खुश हुआ, क्योंकि में उसका बहुत देर से इंतजार कर रहा था, क्योंकि में उसको अधूरा छोड़कर बीच में बुलाता तो उसको शायद मेरे ऊपर शक हो जाता। अब वो मुझसे बोली कि भैया मुझे अपनी मैल चेक करनी है मैंने उससे बोला कि हाँ बस एक मिनट में अपनी मैल चेक कर लूँ और मेरा जवाब सुनकर वो मेरे पास में बैठ गयी, तभी उनके सामने मैंने अपना मेल बॉक्स खोल दिया और उसमें से मैंने वो मैल खोली और जैसे ही वो मैल खुली तो हरप्रीत अपनी ऐसी तस्वीर को देखकर एकदम चकित होकर मेरी तरफ देखने लगी। उसको कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ यह सब क्या हो रहा है और उसके माथे पर चिंता के साथ साथ पसीने की बहुत सारी बूंदे साफ साफ नजर आ रही थी। उसके चेहरे का रंग एकदम उड़ चुका था और अब में भी उसकी तरफ देखने लगा। अब मैंने उससे पूछा कि यह सब क्या है तू क्या ऐसे काम भी करती है? वो पूरी तरह से डरी हुई थी और उसकी आँखो से पानी बाहर आ रहा था। वो मुझसे बोली कि भाई नहीं यह में नहीं हूँ। फिर मैंने उससे बोला कि देख तू मुझे सच सच बता दे। में पापा मम्मी को कुछ भी नहीं बताऊंगा और वो रोते रोते बोली कि भाई में सच बोल रही हूँ कि यह फोटो मेरी नहीं है। में एकदम सच कह रही हूँ। फिर मैंने उससे बोला कि देख अब तू मुझसे बिल्कुल सच बोल दे, तो हो सकता है में तेरी कुछ मदद कर दूँ, तब वो कहने लगी कि भाई सच में यह लड़की कोई और है यह मेरा फोटो नहीं है और प्लीज तू इस फोटो के बारे में मम्मी पापा को मत बताना। अब मैंने उससे कहा कि इसका मतलब यह तेरी ही फोटो है और तू मुझसे वो सारी बातें और तेरे गंदे काम छुपा रही है। फिर वो बोली कि नहीं सच में, यह मेरी फोटो नहीं है और तू मेरी बात का यकीन कर भाई। जब मैंने कोई ऐसा काम ही नहीं किया तो में क्यों किसी से छुपाउंगी, मेरा यह काम नहीं है। अब में उससे बोला कि में कैसे तेरी बात पर यकीन करूं? लेकिन वो अब कुछ नहीं बोली और बस लगातार रोती चली गयी। फिर तभी मैंने उससे बोला कि देख हरप्रीत तू अब ज्यादा रो मत और में अभी चेक करके देखता हूँ कि यह तेरी फोटो है या नहीं। अभी सब पता चल जाएगा।

फिर वो मुझसे पूछने लगी कि लेकिन वो कैसे पता चलेगा? अब में उससे बोला कि रुक तू मुझे कुछ देर सोचने दे और वो मुझसे बोली कि हाँ ठीक है कुछ देर बाद में उससे बोला कि मेरे पास इस फोटो के बारे में पता लगाने का एक बहुत अच्छा आइडिया है। अब वो मुझसे बोली कि लेकिन क्या भाई? तो में उससे थोड़ा सा हिचकिचाते हुए बोला कि तुझे मेरे सामने अपने सारे कपड़े उतारने होंगे, वो मेरी बात को सुनकर बड़ी हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी और वो मुझसे बोली कि भाई तू क्या पागल हो गया है और यह बात मुझसे कहने से पहले तू यह तो सोच ले कि तू मुझसे क्या कह रहा है? फिर मैंने उससे कहा कि इसके इलावा हम दोनों के पास और कोई रास्ता भी नहीं है, क्योंकि तू जब मेरे सामने अपने सारे कपड़े उतारेगी तब में तेरे बदन पर यह निशान चेक करूंगा जो इस फोटो वाली लड़की के बदन पर है और बस यही एक तरीका है जिससे तू मुझे विश्वास दिला सकती है कि यह फोटो तेरी नहीं किसी और लड़की की है। अब वो मेरी बात को सुनकर एकदम चुप रही वो कुछ देर तक ना जाने क्या सोचती रही। फिर उसके बाद वो रोने लगी और मैंने उसको चुप करवाया और समझाने लगा। फिर में उससे बोला कि चल अब कपड़े उतार दे। अभी सब पता चल जाएगा और फिर वो मेरे कहने पर खड़ी हुई और उसने धीरे धीरे हिम्मत करके अपना सूट उतार दिया और फिर उसने मेरे सामने अपनी सलवार को भी उतार दिया। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर मैंने देखा कि उसने उस समय अपने कपड़ो के नीचे सफेद कलर की ब्रा और काली कलर की पेंटी पहन रखी थी। दोस्तों में उस दिन पहली बार अपनी बहन को ब्रा पेंटी में देख रहा था। में अपनी चकित आखें फाड़ फाड़कर एक टक नजर से उसको देख रहा था। में बिल्कुल पागल हो चुका था और मुझसे बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं हो रहा था। फिर मैंने हरप्रीत से बोला कि अब तू अपनी इस ब्रा पेंटी को भी उतार दे। उसने शरम से अपना सर नीचे झुका रखा था और फिर धीरे से उसने अपने बाकी के कपड़े भी एक एक करके उतार दिए। जिसकी वजह से अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी और उसके गोरे गोरे बड़े आकार के बूब्स को देखकर मेरा मन उनको पकड़कर मसलने, दबाने का कर रहा था और उसकी साफ चमकीली चूत सच पूछो तो बहुत सेक्सी लग रही थी। मेरा दिल तो किया कि में उसको कसकर अपनी बाहों में भर लूँ, लेकिन मैंने थोड़ा सा और कंट्रोल करना ठीक समझा। अब में उठकर खड़ा हुआ और मैंने कमरे को अंदर से बंद कर दिया। तब हरप्रीत मुझसे पूछने लगी कि भाई तुमने दरवाजा क्यों बंद किया? फिर में उससे बोला कि अगर अंदर जस्सी आ गयी तो लफड़ा हो जाएगा और यह बात घर में सभी को पता चल जाएगा और वो तुझे मेरे साथ इस हालत में देखकर क्या सोचेगी? अब मैंने अपनी बहन को अपने पास बुलाया। वो धीरे धीरे चलकर मेरे पास आ गई और मैंने उसे कंप्यूटर के पास खड़ा किया और में उसके गोरे नंगे गरम बदन से उस नंगे फोटो को मिलाने लगा और फिर मैंने उसके बूब्स पकड़कर चेक किए, लेकिन अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था, इसलिए मैंने तुरंत अपनी बहन के होंठो पर एक किस कर दिया। अब वो मेरे इस काम से डर गई और उसको कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि में उसके साथ यह सब क्या कर रहा हूँ और अब वो मुझसे बोली कि भाई आप मेरे साथ यह सब क्या कर रहे हो? अब में चुप रहा और लगातार किस करने लगा। वो मुझे अब अपने से दूर करने की कोशिश करने लगी और वो मुझसे बोल रही थी कि भैया प्लीज मुझे छोड़ दे में तेरी बहन हूँ और यह सब ठीक नहीं है, लेकिन में उसके गोरे सेक्सी बदन को देखकर पूरा पागल हो चुका था, जिसकी वजह से मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। अब मैंने उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया। वो अब भी रो रही थी और में कभी उसके बूब्स को चूस रहा था और उसकी निप्पल को ज़ोर से मसल रहा था। में उस समय बहुत जोश में था और वो रोकर मुझसे कह रही थी कि प्लीज अब मुझे छोड़ दे आह्ह्हह्ह यह सब गलत काम है उफ्फ्फफ्फ्फ़ आईईईईई मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज इससे मेरी बहुत बदनामी होगी।

फिर मैंने उसको अब अपनी गोद में उठाकर बेड पर लेटा दिया और तुरंत मैंने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए और अब मैंने उसकी गरम चूत में अपनी उंगली को घुसा दिया और वो दर्द से चिल्ला उठी आहह्ह्ह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ प्लीज छोड़ दो मुझे बहुत दर्द हो रहा है में मर जाउंगी ऊईईईइ माँ प्लीज अब बाहर निकालो। फिर मैंने उसकी कोई भी बात को सुने बिना चूत को अपनी ऊँगली से चोदना शुरू कर दिया। में लगातार अपनी ऊँगली को चूत के पूरे अंदर तक ले जाता और उसके बाद में वापस बाहर निकाल देता। मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा आ रहा था और पहले तो वो दर्द से चिल्ला रही थी, लेकिन अब उसको भी थोड़ा थोड़ा मज़ा आने लगा था और अब वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी थी, क्योंकि उसको दर्द कम मज़ा ज्यादा आ रहा था, इसलिए वो भी मेरे साथ साथ मेरी ऊँगली से चूत चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी। अब इसलिए मैंने टाइम और खराब किए बिना उसकी चूत के मुहं पर अपना लंड रख दिया और मैंने एक जोरदार धक्का देकर लंड को गीली चूत की गहराई में डाल दिया फिर उसके बाद में धीरे धीरे अपने लंड को आगे पीछे करके धकेलने लगा और मुझे ऐसा करने में बड़ा मज़ा जोश आ रहा था, लेकिन वो अब बुरी तरह से चीखने चिल्लाने लगी और फिर मैंने तीन चार झटके मारे जिसकी वजह से अब मेरा लंड पूरा का पूरा मेरी बहन की चूत में अंदर तक घुस गया और वो दर्द से चिल्ला रही थी और छटपटा रही थी, क्योंकि अब मेरा पूरा 6 इंच लंबा मोटा लंड मेरी बहन की कुंवारी चूत में उसकी बच्चेदानी को छू रहा था। अब मैंने कुछ देर रुकने के बाद धीरे धीरे झटके मारने शुरू कर दिए और वो भी मेरे साथ साथ इन झटको के पूरे मज़े लेने लगी थी और फिर वो मुझसे कहने लगी कि हाँ भाई और ज़ोर से उफफ्फ्फ्फ़ अपनी बहन को ज़ोर ज़ोर से चोद आईईईई हाँ जाने दे पूरा अंदर तक। में बहुत दिनों से अपनी चूत को शांत करना चाहती थी, वाह भाई तुम्हारे साथ चुदाई का मज़ा आ गया। अब से में तेरी रंडी हूँ, प्लीज मुझे हमेशा ऐसे ही जमकर चोदना और सारे मज़े देना। दोस्तों में उसके मुहं से यह बात सुनकर और भी ज्यादा पागल हो गया, जिसकी वजह से मैंने जोश में आकर अपने धक्कों की स्पीड को ज्यादा तेज़ कर दिया। फिर वो मुझसे बोली कि भाई में कुतिया हूँ और तुम मुझे जमकर चोदो भाई। अब तू भाई की जगह बहनचोद बन गया है उफफ्फ्फ्फ़ हाँ आज तू अपनी बहन की चूत को फाड़ दे, ज़ोर ज़ोर से चोद उईईईईई हाँ पूरा अंदर तक जाने दे आह्ह्हह्ह फाड़ दे आज मेरी चूत को, इसका भोसड़ा बना दे। अब में उसकी बातें सुन सुनकर पूरे जोश में आ गया और मैंने अपने धक्कों को ज्यादा तेज कर दिया। फिर करीब दस मिनट लगातार धक्के देने के बाद मैंने अपने लंड का पूरा अमृत अपनी बहन की चूत में निकाल दिया और में अपनी बहन के ऊपर ही थककर लेट गया। उसके गोरे गोरे बूब्स की निप्पल को अपनी दो उँगलियों के बीच में फंसाकर उनका रस निचोड़ने लगा। फिर में उससे बोला कि वाह मेरी बहन तू सच में बहुत हॉट सेक्सी है और तेरी चूत तो बहुत मजेदार है। मुझे उसको चोदने में बहुत मज़ा आया। तभी वो शरारती हंसी हंसती हुई बोली कि भाई तू भी तो कुछ कम नहीं है और मुझे तेरे साथ चुदाई करने में बड़ा मज़ा आया और उस अहसास को में किसी भी शब्दों में बोलकर नहीं बता सकती कि में अब क्या और कैसा महसूस कर रही हूँ और आज मुझे कितनी ख़ुशी मिली है? आज से तू दिन में मेरा भाई है और रात में सैयां। मुझे तुझसे अपनी चूत को हर दिन चुदाई करवाकर ऐसे ही मज़े करूंगी और तू मुझे हमेशा ऐसे ही पूरे जोश के साथ चोदना। दोस्तों उस दिन उस चुदाई के बाद हम दोनों ने उस रात को भी सेक्स किया और इस बार पहले मैंने उसकी चूत में कुछ देर लंड को डालकर धक्के देने के बाद उनको अपने सामने घोड़ी बनाकर धीरे धीरे अपने लंड को उसकी गांड में पूरा डाल दिया और उसके बाद मैंने उसकी गांड को भी अपने लंड का गुलाम बना दिया। मैंने उसकी बहुत जमकर गांड मारी और उसने हर बार मेरा पूरा पूरा साथ दिया। फिर जब तक हमारे घर वाले वापस नहीं आए हमने ऐसे ही मज़े किए। दोस्तों यह हमारी चुदाई का सिलसिला अभी तक भी जारी है और इस बीच मैंने उसको बहुत बार चोदा, लेकिन हाँ अब वो एक बच्चे की माँ भी है और वो बच्चा भी मेरी चुदाई का फल है, लेकिन सभी लोग यह सोचते है कि वो मेरे जीजा का है और यह बात मुझे मेरी बहन ने खुद बताई। वो शुरू से ही मेरी चुदाई से बहुत खुश थी और उसको मेरे लंड की अब एक आदत सी हो गई थी। हमें जब भी कोई अच्छा मौका मिलता तो हम उसका पूरा पूरा फायदा उठाकर अपने अपने जिस्म की आग को ठंडा करते है ।।
 
Well-known member
1,713
3,760
143
बहन को फसाकर चोदा

मैंने मेरी पिछली स्टोरी मे आपको बताया था कि कैसे मैंने अपनी बहन हरप्रीत को चोदा था? और अब मैं आपको बताऊंगा कि मैंने कैसे अपनी छोटी बहन जसप्रीत को चोदा, जस्सी भी हैप्पी की तरह बहुत सेक्सी है, अभी उसकी उम्र 21 साल है, लेकिन जब मैंने उसे पहली बार चोदा था तो वो 18 साल की थी.


96359689-beautiful-multicultural-young-woman-outdoor-portrait.jpg



उसका साईज 32-26-32 है, गोरा रंग, हाईट 5 फुट 9 इंच, कोई भी उसे एक बार देख ले तो पागल हो जाए. अब हैप्पी को चोदने के बाद मेरा मन था कि मैं जस्सी को भी चोदूं, जब वो घर पर इधर उधर घूमती या काम करती तो उसके आधे नंगे बूब्स और ठुमकती हुई उसकी गांड देखकर तो मैं पागल ही हो जाता था. कभी-कभी तो मेरा मन किया कि मैं हैप्पी को बोलूं कि वो अब जस्सी को भी मेरे लिए तैयार करे, लेकिन फिर मैंने सोचा कि नहीं जस्सी को भी मैं खुद ही तैयार करूँगा.

अब जब भी वो नहाने के लिए जाती तो मेरा मन करता कि मैं उसे नहाते हुए देखूं इसलिए मैंने बाथरूम के दरवाजे मे एक छोटा सा छेद कर दिया. फिर एक दिन जब घर पर कोई नहीं था, तो मैं इंतज़ार कर रहा था कि कब जस्सी नहाने के लिए जाएगी?

फिर 1 बजे के करीब वो नहाने के लिए गयी तो मैं भी उसके पीछे से फटाफट दरवाजे के उस छेद पर अपनी आँखे टिकाकर बैठ गया. फिर पहले मेरी बहन ने अपनी जीन्स उतारी. उसकी गोरी टाँगे बहुत सेक्सी थी और जस्सी ने ब्लेक कलर की पारदर्शी पेंटी पहन रखी थी जिसे उसने अब उतार दिया था. अब वो नीचे से पूरी नंगी थी, उसकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे और उसे देखकर तो जैसे मेरे बदन मे बिजली सी मचल गयी थी. फिर जस्सी ने अपना टॉप उतारा और अब वो सिर्फ एक ब्लेक कलर की पारदर्शी ब्रा मे थी और फिर कुछ देर बाद वो भी नीचे उतर गयी.

अब जस्सी पूरी नंगी थी और मैं बाहर अपना लंड पकड़कर बैठा सब देख रहा था. अब जस्सी के मोटे- मोटे बूब्स देखकर तो मैं पागल ही हो गया था. अब मेरा मन किया कि मैं दरवाजा तोड़कर अंदर चला जाऊं, फिर मैं वहाँ से उठकर अंदर अपने कमरे मे आ गया.

अब जस्सी को नंगा देखने के बाद मैं पागल हो चुका था. फिर कुछ देर सोचने के बाद मैं वापस वहाँ गया और बाथरूम का दरवाजा नॉक किया, तो अंदर से जस्सी बोली कि क्या हुआ भैया? तो मैंने बोला कि साबुन चाहिए. तो वो बोली कि अच्छा 1 मिनट रुको, तो फिर उसने हल्का सा दरवाजा खोला और अपना हाथ बाहर निकालकर साबुन मेरी ओर बढ़ा दिया, लेकिन मुझे साबुन नहीं जस्सी की चूत चाहिए थी तो मैंने दरवाजे को थोड़ा धकेला और दरवाजा पूरा खुल गया और मैं अंदर आ गया.

अब मुझे देखकर जस्सी फटाफट अपने आपको छुपाने लगी और बोली कि भैया ये क्या बत्तमीज़ी है? तू पागल हो गया है. अब उसने अपने एक हाथ से अपने बूब्स और एक हाथ से अपनी चूत छुपा रखी थी, अब वो टावल नहीं ले सकती थी क्योंकि टावल मेरे पास लटका हुआ था.

फिर मैं बोला कि हाँ में पागल हो चुका हूँ, तेरी चूत के लिए पागल हूँ, अब वो पानी मे भीगी हुई ओर भी सेक्सी लग रही थी. अब वो डर गयी और डरी हुई आवाज़ मे बोली कि भैया तू ऐसा नहीं कर सकता, मैं तेरी बहन हूँ, ये हमारे रिश्ते को शोभा नहीं देता, प्लीज भैया तू बाहर चला जा मैं ये बात पापा, मम्मी को नहीं बताउंगी. फिर मैं बोला कि गुड ऐसी बातें पापा, मम्मी को नहीं बतानी चाहिए.

अब वो रोने लगी थी, तो मैं उसके पास गया और बोला कि तू रो मत मैं तेरा भाई हूँ और तू अगर रोएगी तो मैं भी रो दूंगा और इसमें हर्ज ही क्या है? हम क़िसी को थोड़े ना पता चलने देंगे कि हमने ये सब किया है, ये बात हम दोनों के बीच में ही रहेगी. फिर वो रोती-रोती अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गयी और मैंने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और पूरा नंगा होने के बाद मैं भी उसके साथ नीचे बैठ गया और बोला कि देख अब मैं भी नंगा हो गया हूँ.

अब उसने शर्म से अपना सिर नीचे झुका रखा था. फिर मैंने उसका सिर ऊपर उठाया और एक ज़ोर से किस कर दी, तो वो ओर तेज रोने लगी. फिर मैंने उसे फिर से किस किया और तब तक नहीं छोड़ा जब तक वो चुप नहीं हुई. फिर मैंने उसके हाथ उसके बूब्स और चूत से हटाए और उसके बूब्स को मसलने लगा, तो वो जोर-जोर से आहें भरने लगी और बोली कि भैया आराम से करो दर्द हो रहा है. अब जैसे ही उसने ये बोला तो मैं ओर जोर-जोर से शुरू हो गया.

अब मैं उसके बूब्स को चूसने लगा था, अब वो मदहोश सी हो चुकी थी और अब उसे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे वो किसी जन्नत में है. फिर उसके बूब्स चूसने के बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह मे डाल दिया और बोला कि इसे चूस. तो पहले तो उसने मना कर दिया, लेकिन फिर बाद मे वो मान गयी. फिर करीब 10 मिनट तक मैंने अपना लंड उसे चुसवाया और उसके मुँह मे ही अपने लंड का अमृत निकाल दिया और बोला कि इसे पी जा और वो मेरा पूरा अमृत अपने अंदर निगल गयी.

फिर मैंने उससे बोला कि अब तू मेरा लंड चाटकर साफ कर. अब मेरे ये बोलते ही वो एक रांड की तरह मेरे लंड को चूसने लगी. फिर मैंने उससे बोला कि अब मैं तेरी चूत मारूँगा, फिर मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और एक झटका दिया. तो वो दर्द से चिल्ला उठी और बोली कि नहीं भैया प्लीज ये मत करो बहुत दर्द हो रहा है.

मैंने बोला कि अब एक दो शॉट्स की बात है, फिर बाद मे तुझे भी बहुत मज़ा आएगा और ये बोलते हुए मैंने एक झटका और मारा और फिर मैंने अपनी बहन की सील तोड़ दी. अब 3-4 झटकों मे ही मेरा 9 इंच लंबा लंड मेरी बहन की चूत में था, अब वो दर्द से चिल्ला रही थी. फिर मैंने उसकी चुदाई के साथ-साथ उसे किस करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे झटके मारने लगा.

फिर उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया और बोली कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि में कभी अपने भाई के साथ ये सब करुँगी, लेकिन आज जब ये हो गया तो मुझे बहुत शर्म आ रही है. फिर मैंने उसे किस करते हुए बोला कि इसमें कोई हर्ज़ नहीं है, तू ये मत सोच कि मैं तेरा भाई हूँ बस तू ये सोच कि मैं तेरा बॉयफ्रेंड हूँ और बॉयफ्रेंड के साथ ये सब करना चाहिए.

फिर उसने मुझे कसकर गले लगाया और किस करती हुई बोली कि हाँ अब मेरा भाई ही मेरा बॉयफ्रेंड है और फिर हम एक साथ नहाए. फिर बाहर आने के बाद भी हमने 5 बार सेक्स किया, फिर जब रात को मम्मी, पापा और मेरी दूसरी बहन हैप्पी आई, तो हम अपने-अपने रूम में जाकर बैठ गये. अब जब भी मुझे कोई मौका मिलता है तो मैं अपनी दोनों बहनों को चोदता हूँ, लेकिन वो दोनों ही इस रिश्ते को एक दूसरे से छुपाती है.

समाप्त
Note : यहां पोस्ट की गई हर कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए है,कृपया वास्तव जीवन में कहानी में घटित कोई भी चित्र प्रयोग करना घातक हो सकता है और इसका जिम्मेदारी कहानी के लेखक या फिर कहानी प्रस्तुतकर्ता नहीं होंगे,तो कृपया इस सबको अपने निजी जिंदगी के साथ मत जोड़ें और अपने बुद्धि,विवेक के साथ काम लें।

धन्यवाद
 
Well-known member
1,713
3,760
143
अगली कहानी भतीजी और उसके दोस्त की चुदाई

160626759-demonstarting-a-skill-to-emphasize-the-best-of-the-identity.jpg
 
Well-known member
1,713
3,760
143
भतीजी और उसके दोस्त की चुदाई
अपडेट 1

मेरा नाम इमरान है. मैं हापुड़ (यू.पी.) का रहने वाला हूं. मेरी उम्र तीस साल है और मैं शादीशुदा हूं. मेरी लम्बाई 6 फीट है और मेरे लंड का साइज 8 इंच है. मेरी बीवी की उम्र 29 साल है और हम दोनों की एक बेटी भी है जो ** साल की है.

अब मैं आपको अपने परिवार के बाकी सदस्यों के बारे में भी बता देता हूं. मेरे बड़े भाईजान 43 साल के हैं. मेरी भाभीजान की उम्र 40 साल है. उनका एक बेटा और एक बेटी है. बेटा ** साल का है. उनकी बेटी यानि कि मेरी भतीजी रवीना 19 साल की है. वो बहुत ही गोरी और खूबसूरत है.

मेरे भाई ने उसको पढ़ने के लिए अलीगढ़ यूनिवर्सिटी भेजा. वह अभी प्रथम वर्ष में थी और बीएससी की पढ़ाई कर रही थी. उसकी लम्बाई 5.5 फीट है और बूब्स का साइज 30 का है. उसकी गांड बड़ी ही मस्त है और बिल्कुल कसी हुई है.

ये उन दिनों की बात है जब रवीना का नया नया एडमिशन हुआ था कॉलेज में। मेरा भाई बिजनेस करता है इसलिए वो अधिकतर घर से बाहर ही रहता है. रवीना का एडमिशन कराने के बाद वो वह अपने बिजनेस टूर पर चला गया था.

भाभी ने मुझसे कहा कि मैं रवीना को एक रूम दिलवा दूं ताकि उसको वहां रहने में परेशानी न हो. फिर अगले दिन हम रोडवेज बस लेकर अलीगढ़ चले गये रूम देखने के लिए. हमने एक मकान देखा.

उस मकान में मकान मालिक, उसकी पत्नी और उसकी तीन बेटी थी. चूंकि बेटा नहीं था इसलिए मैंने सोचा कि रवीना के लिए ये मकान ही सही रहेगा. रवीना जवान हो रही थी इसलिए उसकी सेफ्टी भी देखनी थी.

हमने उस मकान में नीचे का फ्लैट देखा. उसमें केवल एक ही रूम, एक किचन और एक बाथरूम था. रवीना के लिए यह काफी था. रूम सेट करते करते हमें रात के 8 बज गये.

अंधेरा हो गया और रवीना कहने लगी- चचाजान, आप आज यहीं रुक जाओ. एक दो दिन के बाद चले जाना.
मैंने कहा- क्यूं?
वो बोली- एक तो अब रात बहुत हो गयी है. आप इतनी रात में बेवजह परेशान हो जाओगे. दूसरा मेरे लिये भी आसान हो जायेगा. मेरा पहला ही दिन है यहां और मुझे रात में डर भी लगेगा.
मैं बोला- ठीक है. मैं यहीं रुक जाता हूं.

मैंने घर में फोन करके बोल दिया कि मैं रवीना के साथ ही रुक रहा हूं और एक दो दिन के बाद आऊंगा. फिर हम दोनों थोड़ा आराम करके शॉपिंग के लिए निकल गये. रवीना ने अपने लिये दो पैंटी और दो ब्रा खरीदी. एक टावल लिया और फिर हम वापस रूम पर आ गये.

उसके बाद रवीना ने खाना बनाया और हम खाना खाने के बाद बेड पर लेट गये. रवीना ने नीचे निक्कर और ऊपर टी-शर्ट पहनी हुई थी और मैंने अपना पजामा और बनियान पहना हुआ था.

अब नई जगह होने के कारण हम दोनों का ही मन नहीं लग रहा था.
रात के 10:00 बजे रवीना ने बोला- चचा, कोई अच्छी सी मूवी लगा लो. आज मोबाइल पर ही मूवी देखते हैं.

मैंने कहा- ओके, लगाता हूं.
मैंने एक साऊथ सिनेमा की मूवी लगा ली. मूवी देखते देखते रात के 12:00 बज गए. मूवी खत्म हो गई तो वह दूसरी मूवी लगाने के लिए बोली. मैंने दूसरी हिंदी मूवी लगाई जिसमें सेक्सी सीन आ रहे थे.

मूवी चलते चलते लगभग एक घंटा हो गया.

जब मेरा ध्यान रवीना पर गया तो वो अपनी निक्कर के ऊपर से चूत को दबा रही थी. रूम में ज्यादा रोशनी तो नहीं थी लेकिन मुझे उसके हाथ की हरकत का पता चल रहा था.

मैंने कहा- चादर ओढ़ लेते हैं. ठंड सी हो गयी है.
उसने कहा- ठीक है.
फिर हमने चादर को कमर के बराबर तक अपने ऊपर डाल लिया. कुछ देर के बाद मुझे अहसास हुआ कि रवीना का पैर मेरे पैर के ऊपर है और रवीना एक पैर से मेरे पैर को टटोलने की कोशिश कर रही है.

वो शायद सेक्स सीन देख कर गर्म हो रही थी. अब मेरे मन में भी वासना पैदा हो रही थी. पहले तो मैंने रवीना की ओर सेक्स की नजर से ध्यान नहीं दिया था लेकिन आज उसके साथ अकेले में ऐसे बेड पर लेटे हुए मेरा मन भी डोलने लगा था.

मैंने करवट लेकर एक पैर उसके पैर पर रख दिया. उसने कुछ भी नहीं बोला तो मैंने मोबाइल उसके हाथ में पकड़ा दिया. एक हाथ मैंने उसकी कमर पर रख दिया. उसने फिर भी कुछ नहीं बोला जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई.

फिर मैंने धीरे धीरे उसकी नाभि को सहलाना शुरू कर दिया. फिर मैंने थोड़ा ऊपर हाथ किया तो उसकी शर्ट के अंदर उंगली से सहलाने लगा। मेरे हाथ उसकी चूचियों तक पहुंच चुके थे और मैं जैसे हवस में पागल हुआ जा रहा था.

बहुत देर तक सहलाने के बाद वह भी गर्म होने लगी और मैं भी गर्म होने लगा. अब मैंने धीरे-धीरे उसकी शर्ट के बटनों को बोलना शुरू कर दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाना शुरू कर दिया. वह धीरे-धीरे सिसकारियां भरने लगी.

मैंने हवस में डूबकर उसके बदन को सहलाते हुए कहा- रवीना, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं.
वो बोली- मैं भी आपको बहुत पसंद करती हूं चचाजान!
मैंने कहा- अपनी ब्रा और निक्कर उतार दो अब।

उसने अपनी ब्रा व निक्कर को उतार दिया. मैंने भी अपना पजामा और बनियान उतार दिया. मैं धीरे-धीर उसके बूब्स प्यार से सहलाने लगा और होंठों पर किस करने लगा. रवीना मेरा साथ दे रही थी. उसने एक हाथ मेरी चड्डी में डाल दिया.

जैसे ही उसका हाथ मेरे लंड पर लगा तो मेरे शरीर में तूफान पैदा हो गया. उसका कोमल हाथ मेरे लंड के जरिये मेरे पूरे शरीर में करंट पैदा कर गया. मगर मेरे लंड को छूते ही रवीना जैसे सहम सी गयी.

वो मेरे लन्ड को छूते ही घबरा गई और बोली- चचा! यह इतना बड़ा होता है? इसको मैं कैसे ले पाऊंगी?
मैंने कहा- घबराओ मत मेरी जान … यह बहुत ही प्यारी सी चीज होती है!
ये कहते हुए मैं उसकी चूत को सहलाने लगा और बोला- ये ऐसी चीज है कि बड़े से बड़े हथियार को भी अपने अंदर समा लेती है.

फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत चाटना स्टार्ट कर दिया.
वह सिसकारियां भरने लगी- आह्ह … स्स … आईई … आह्हह … उफ्फ चाचा जी … कोई बचाओ … आह्ह! मैं तो मर ही जाऊंगी आज!
इस तरह से वो बहुत ही गर्म होने लगी.

देखते देखते ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. मैंने उसकी चूत का पानी पी लिया और उसको चाट चाट कर साफ कर दिया. मैंने उसे अपना लन्ड चूसने को बोला तो उसने मना कर दिया लेकिन मेरे ज्यादा कहने पर उसने चूसना शुरू कर दिया.

लंड चुसवाते हुए मैं भी हवा में उड़ने लगा और उसके बालों को पकड़ कर मुंह में लंड घुसाते हुए उसके मुंह को चोदने लगा. मैं अब जैसे बेकाबू हो रहा था.

मैंने कहा- रवीना मेरी जान … अब कुछ काम किया जाए?
वह कुछ नहीं बोली तो मैंने सोचा कि मौका है इमरान, आज चोद ले, फिर पता नहीं चोद पायेगा या नहीं!

इसके बाद मैंने रवीना को नीचे लिटाया और अपने लंड का टोपा उसकी चूत पर रखा लेकिन मेरा लंड धक्का मारते ही बार-बार फिसल रहा था. फिर मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगाया और अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया.

फिर मैंने लंड को थोड़ा सा पुश किया तो मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में घुस ही पाया था कि वह एकदम से ऊपर हो गई और जोर से कराहते हुए बोली- उई अम्मी … आआआ … मर गई … आईईई … उफ्फ … निकालो अंकल.

वो रोने लगी तो मैंने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और सहलाने लगा. थोड़ी देर बाद फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सेट किया और तेज धक्का दिया जिससे मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ते हुए आधा घुसा गया.

इस बार उसकी चूत की सील टूट चुकी थी और वह फूट-फूटकर रोने लगी- उई अम्मी … मार दिया … ऊई ऊई … आईई … ओ गॉड … हेल्प मी।
उसकी चूत से खून बह रहा था. मैं थोड़ी देर उसके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और उसकी चूचियों को सहलाने लगा.

फिर मैंने थोड़ी देर बाद एक और धक्का मारा जिससे मेरा पूरा लंड उसकी बच्चेदानी से जाकर टकरा गया. इस बार वह बेहोश हो गई। मैंने टेबल पर रखा पानी उसके चेहरे पर मारा तो उसे होश आया और तेज दर्द के कारण वह फिर से रोने लगी.

मगर मैं कहां मानने वाला था. मुझे तो कुंवारी लड़की की सील पैक चूत की चुदाई का मौका मिल रहा था. ऐसा मौका भला कोई कैसे छोड़ सकता था. मैं धीरे धीरे उसकी चूत में अपने लंड को आगे पीछे करने लगा. देखते ही देखते थोड़ी देर बाद वह अपने पिछवाड़े को उचकाने लगी।

इस तरह से अब रवीना को भी मेरे लंड से चुदने में मजा आने लगा और उसका दर्द जैसे गायब सा हो गया था. वो मेरे बदन पर हाथ फिराते हुए और मुझे सहलाते हुए मस्ती में चुदने लगी थी.

मैं भी आंखें बंद करके उसके जिस्म पर लिपटा पड़ा था और नीचे ही नीचे उसकी टाइट चूत में लंड को अंदर बाहर करता हुआ चुदाई का असीम आनंद ले रहा था.

दोस्तो, उसकी मैंने लगभग 20 मिनट तक लगातार जमकर चुदाई की जिससे वह पानी छोड़ने लगी और मैं भी चरम सीमा पर पहुंच गया. अब मेरा भी पानी छूटने वाला था.

तो मैंने 5-6 तेज धक्के मारे और मेरा पानी उसकी चूत में ही छूट गया. थोड़ी देर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर लेटे रहे। कुछ देर बाद हम दोनों को नींद आ गई.

रात के करीब 4:00 बजे मेरी आंख खुली तो मैंने देखा बेड पर बहुत सारा खून पड़ा हुआ है. मैंने उसको जगाया और कहा- बाबू, अपनी चूत को साफ कर लो.
उसने बाथरूम में जाकर अपनी चूत की सफाई की और मैंने भी अपने लंड को साफ किया।

मैंने देखा कि चुदने के बाद रवीना से चला नहीं जा रहा था. मैं फिर खुद उठा और उसको बाथरूम से उठा कर लाया और बेड पर लिटा दिया. फिर मैं धीरे धीरे उसके चूचों को सहलाने लगा जिससे वह गर्म होने लगी. मैंने एक हाथ से उसकी गांड को दबाना शुरू कर दिया.

दोस्तो, उसकी गांड का छेद बहुत ही छोटा था. मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाली तो वह चिहुंक गयी.
वो बोली- चाचा जी, आपने मेरी चूत तो फाड़ दी. अब इस पर भी निगाह डाल रहे हो?

फिर मैंने बोला- रवीना बेटी, आज मैं तुझे पूरा जन्नत का मजा दूंगा।
मेरा लंड अब तक पूरे शबाब में आ चुका था और रवीना ने उसको पकड़ लिया था. उसके कोमल हाथ में मेरा गर्म गर्म लंड बहुत ही कड़क हो गया था.

उसकी गर्दन को मैंने नीचे किया और मैंने अपना लंड रवीना के मुंह में डाल दिया. वो मेरा लंड चूसने लगी. देखते ही देखते मेरा जोश सातवें आसमान पर पहुंच गया.

जल्दी से मैंने उसकी गांड पर तेल लगाया और थोड़ा तेल अपने लंड पर लगाया. फिर मैंने उसको घोड़ी बनने को बोला तो वह घोड़ी बन गई. मैंने पीछे से उसकी गांड के छेद पर अपना लंड रखा और एक साथ तेज धक्का मारा.

मेरा लंड उसकी गांड को चीरता हुआ आधा अंदर घुस गया. वह बहुत तेज चिल्लाई- ऊईई मां … मर गई री … मुझे बचा लो … चचा ने मुझे पूरी रांड बना दिया … आह्ह आईई … मेरी गांड फाड़ दी.

रवीना की गांड से खून निकलने लगा. मैंने थोड़ी देर उसकी चूचियों को सहलाया और उसके मुंह पर हाथ लगाकर एक जोरदार झटका मारा. इससे उसकी गांड में मेरा पूरा लंड घुस गया। कसी हुई गांड में घुसने से मेरे लंड में भी दर्द होने लगा.

उसकी गांड का बहुत बुरा हाल हो गया. वह रोये जा रही थी. उसकी आंखों से आंसुओं की धार बह रही थी. मैंने कुछ विराम देकर उसकी गांड को चोदना शुरू किया. पहले पांच मिनट तक वो दर्द से ही चिल्लाती रही. मगर फिर उसको मजा आने लगा.

मेरा साथ देते हुए अब वह भी पीछे की ओर धक्के मारने लगी। काफी उसकी गांड मारने के बाद मेरा पानी उसकी गांड में ही छूट गया।
मैं भी बुरी तरह से थक गया था. रवीना का तो हाल बेहाल था.

अगली सुबह हम दोनों 10 बजे तक नहीं उठे. अगले दिन रवीना पूरे दिन बेड पर ही रही. मैंने ही सारा काम किया. मगर बीच बीच में मैं उसको नंगी करके उसके चूचे पीता रहा और उसकी चूत को चाटता रहा.

इस तरह से मैंने अपनी भतीजी के जवान जिस्म और उसकी टाइट कुंवारी चूत के खूब मजे लिये. पहली रात में हमने चार बार चुदाई की थी। वहां मैं चार दिन और रुका. चारों दिन मैंने उसकी जमकर चुदाई की. पांचवें दिन में अपने घर आ गया।

एक महीने बाद उसका फोन मेरे पास आया और बोली- चचाजान, आप यहां आ जाओ, आपकी मुझे बहुत याद आ रही है. मैं आपको बहुत मिस कर रही हूं.

मैं जान गया कि रवीना की चूत मेरे लंड की प्यासी हो रही है. मैं भी उसकी चूत मारने के लिए हमेशा बेताब रहता था. नई नई टाइट चूत को चोदने का मौका भला कौन छोड़ना चाहेगा.

फिर मैं एक महीने के बाद उसके पास गया। वहां जाकर हमने फिर से सेक्स का पूरा मजा लिया. अब तो रवीना जैसे मेरे लंड की आदी ही हो गयी थी. मुझे भी उसकी चूत मारने में ऐसा मजा आने लगा कि मैं अपनी बीवी की चूत चुदाई को भी भूल गया.
 
Well-known member
1,713
3,760
143
भतीजी और उसके दोस्त की चुदाई
अपडेट 2

जिस मकान में रवीना रह रही थी उस मकान मालिक की तीन लड़कियां भी थीं. उनमें से सबसे बड़ी का नाम था शायना। वह 22 साल की थी और कॉलेज में पढ़ रही थी. मंझली बेटी का नाम था नगमा जो कि 20 साल की थी. वह भी कॉलेज की छात्रा थी.

उन दोनों की सबसे छोटी बहन यानि कि मकान मालिक सबसे छोटी बेटी थी बहार। उसकी उम्र 18 साल थी. वह भी कॉलेज में दाखिला ले चुकी थी. मैं एक बात सोच कर हैरान था कि वो तीनों ही बहनें बला की खूबसूरत थीं.

इसीलिए उनके अब्बू ने मकान में किसी जवान लड़के या गैर शादीशुदा पुरूष को नहीं रखा हुआ था. अपने मकान को वो लोग केवल लड़कियों के लिए किराये पर दिया करते थे.

रवीना के साथ जब मैं पहली बार उसका सामान शिफ्ट करवाने के लिए गया था तो पहली रात को उसने मुझे अपने पास रोक लिया था. मूवी देखते समय सेक्स सीन आने के कारण हम दोनों चाचा-भतीजी गर्म हो गये और मैंने अपनी भतीजी की जमकर चुदाई कर डाली.

उसके बाद रवीना ने एक बार पीछे ही मार्च के महीने में मेरे पास फोन किया. वो कहने लगी- चचाजान, मुझे आपकी बहुत याद आ रही है.
मैं जान गया कि वो फिर से चुदना चाहती है. मैं 10 मार्च को उससे मिलने के लिए निकल गया.

सुबह 10 बजे मैं हापुड़ से निकला था और दोपहर बाद 2-3 बजे के करीब उसके रूम पर पहुंच गया. उस समय वो कॉलेज से वापस आ चुकी थी. जैसा कि मैंने बताया था कि उसके मकान मालिक ऊपर वाले माले पर रहते थे जबकि रवीना ग्राउंड फ्लोर पर थी.

मैंने डोर बेल बजाई तो रवीना बाहर आई. मुझे देखते ही मेरे गले से लिपट गयी. मैंने भी उसको हग किया और उसके मोटे हो चुके चूचे मेरे सीने से सट गये. उसने सूट-सलवार पहना हुआ था और कसी हुई चूचियां मेरी छाती से सटी थीं.

हम अंदर गये और मेरे बैग को कंधे से निकलवाकर एक तरफ रखते हुए वो मेरे सीने से लिपट गयी और मेरी छाती को सूंघती हुई बोली- चचा, आपको पूरे एक महीने बाद मेरी याद आई है. आई लव यू चचाजान!
मैं बोला- हां, मैं भी तुमसे मिलने के लिए बहुत बेताब था मेरी बच्ची। आई लव यू टू!

फिर वो मेरे लिये पानी लेकर आई. मैंने पानी पीकर थोड़ा सा आराम किया. फिर मैं नहा लिया और उसके बाद रवीना भी नहा कर फ्रेश हो गयी. फिर मैं लेट गया.

रवीना कुर्सी पर बैठ कर अपनी किताबें देख रही थी.
मैंने कहा- कुछ देर अभी आराम कर लो रवीना. यहां मेरे पास आ जाओ.
वो मुस्करा कर मेरे पास आ गई और मेरे साथ ही बेड पर आकर लेट गई.

आते ही मैंने उसके सीने पर बांहें फैला दीं और उसके गालों को सहलाने लगा. वो भी मेरी मेरे हाथ को खुद ही पकड़ कर अपने गालों पर प्यार से छुआने लगी.

धीरे धीरे उसके गालों से गर्दन पर होते हुए मेरे हाथ उसकी चूचियों पर पहुंच गये. मैं हल्के-हल्के हाथों से उसकी नर्म-नर्म चूचियों को दबाने लगा. उसकी चुदाई करने के बाद से मैं पहली बार देख रहा था कि उसकी चूचियों का साइज पहले कुछ बढ़ गया था.

अब उसकी वो गोल गोल चूचियां पहले से ज्यादा रसीली हो गयी थीं. फिर मैंने उसका चेहरा अपनी ओर किया और उसके होंठों को चूसने लगा. उसने भी मेरे सिर को अपनी ओर खींचते हुए जोर से मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

हम दोनों एक दूसरे के जिस्मों को सहलाते हुए होंठों का रसपान करते रहे. फिर मैं उठा और उसका सूट उतरवा दिया. उसने नीचे से काली ब्रा पहनी हुई थी जो उसके गोरे जिस्म पर बहुत सेक्सी लग रही थी. उसकी ब्रा के ऊपर से ही मैंने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को जोर से दबा दिया और उसकी जोर से आह्ह … निकल गयी.

मैं जोश में आ गया और मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींच कर उसकी जांघों से सलवार को निकालते हुए बाहर कर दिया. वो नीचे से भी केवल पैंटी में रह गयी. उसकी पैंटी गहरे गुलाबी रंग की थी जिसकी किनारियां जालीदार थीं.

ऐसा लग रहा था जैसे चूत को उसने गुलाब की पत्तियों के नीचे छुपा रखा था. उस पैंटी में उसकी चूत का आकार साफ साफ उभरा हुआ दिख रहा था. मेरा मन कर रहा था कि उसकी चूत को मैं चूस चूस कर खा ही जाऊं.

फिर मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. उसके दोनों कबूतर हवा में आजाद हो गये. मैंने उसकी चूची पर मुंह रख दिया और दूसरी को हाथ में भर लिया. एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरी को हाथ में भींचने लगा.

वो सिसकारते हुए अपने बूब्स को चुसवाने लगी- आह्ह … चचाजान … उफ्फो … ऊईई … आह्ह … अम्म … चाचू … मेरे चूचे … ओह्ह … मजा आ रहा है।
इस तरह से उसके मुंह से निकल रहे वो वासना भरे उत्तेजक शब्द मेरे लंड में जैसे दोगुना जोश पैदा कर रहे थे. मेरे लंड में जबरदस्त तनाव के कारण दर्द होने लगा था.

तभी उसने मेरे पजामे के ऊपर से लंड को पकड़ लिया और जोर से दबा दिया. फिर अगले ही पल उसका हाथ मेरे पजामे के अंदर था और मेरे अंडरवियर के ऊपर से वो लंड को सहला रही थी.

लंड को हाथ में लेकर वो और ज्यादा कामुक हो गयी और उसने मुझे नीचे गिराकर मेरे पजामे को खोल दिया. फिर मेरी टीशर्ट को निकलवाकर मेरी बनियान भी उतरवा दी.

अब उसने मेरे कच्छे के ऊपर से मेरे लंड को प्यार से चूमा और मेरे मुंह से एक मदहोशी भरी आह्ह … निकलकर मेरी आंखें बंद हो गयीं. अब मैंने उसको नीचे पटका और उसकी पैंटी उतार कर उसको पूरी की पूरी नंगी कर दिया.

उसकी चूत पूरी क्लीन शेव थी. ऐसा लग रहा था कि उसने आजकल में ही अपनी चूत के बालों को साफ किया है। मैंने उसकी चूत पर होंठों को रखा और एक प्यार सा चुम्बन उसकी गीली चूत की फांकों पर कर दिया जिससे वो एकदम से सिहर गयी.

भतीजी की चिकनी चूत से बहुत ही मादक खुशबू आ रही थी. मैंने उसकी टांगों को फैलाया और उसकी चूत में जीभ देकर जोर जोर से अंदर तक चाटने लगा. वो सिसकारते हुए बेड की चादर को खींचने लगी.

पता नहीं उसके बदन में क्या आग लगी कि उसने मेरे सिर को अपनी जांघों में दबा लिया और ऊपर से अपने हाथों का पूरा दबाव बनाकर मेरे मुंह को जैसे अपनी चूत में घुसाने को हो गयी. मेरी सांस घुटने लगी. इतनी जोर से दबाया था उसने मुझे.

मैंने सोचा कि ऐसे तो ये पागल हो जायेगी. इसलिये मैंने उसको 69 की पोजीशन में कर लिया. वो मेरे लंड को पूरा मुंह में भर कर चूसने लगी और मैं उसकी चूत को काट काट कर जैसे खाने लगा. पांच मिनट तक एक दूसरे को हम ऐसे ही चूसते-चूसते एक दूसरे के मुंह में झड़ गये.

रवीना ने मेरे लंड के पानी को पूरा पी लिया और मैं उसकी चूत को चाट चाट कर सारा रस पी गया. फिर हम कुछ देर शांत होकर लेट गये. मैं उसकी चूत में उंगली से कुरेदता रहा और वो मेरे सोये पड़े लंड के साथ खेलती रही.

फिर उसने एक बार फिर से मेरे लंड को मुंह में भर लिया और जल्दी ही मेरा लौड़ा फिर से तन गया. मैंने उसकी चूत के नीचे एक तकिया रखा और उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखवा कर लंड को उसकी चूत के मुंह पर लगा दिया.

मैंने धीरे से धक्का दिया और लंड का टोपा सरक कर अंदर चला गया. वो थोड़ी उचक गयी. तभी मैं उसके ऊपर झुक गया और उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को पीने लगा. जैसे ही उसका ध्यान होंठों को चूसने में गया तो मैंने नीचे से ध्क्का मार दिया.

मेरा आधा लंड रवीना की चूत में उतर गया और उसने मेरी पीठ पर नाखूनों से नोंच लिया. उसकी चूत चरमरा गयी थी. मगर गूं … गूं … करते हुए वो दर्द को कुछ हद तक बर्दाश्त कर गयी.

दो मिनट तक आधे लंड को चूत में अंदर बाहर करते हुए मैंने फिर एक आखिरी धक्का पूरे जोर से मारा और पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. उसने मेरे होंठों को बुरी तरह से काट लिया और मुझे पीछे धक्का देने लगी.

मगर मुझ पर अब चुदाई का भूत सवार हो चुका था. मैंने थोड़ा विराम दिया. तब तक वो मेरे नीचे दबी हुई छटपटाती रही. फिर जब वो थोड़ी सहज हुई तो मैंने चूत को चोदना शुरू कर दिया. फिर तो उसे भी मजा आने लगा.

मैं मस्ती में अपनी सेक्सी भतीजी की चूत मारने लगा और मैंने उसको बहुत देर तक चोदा. मेरी ****** उसकी गर्म चूत की चुदाई करके शांत हो गयी और उसकी चूत की भूख भी मिट गयी. फिर हम ऐसे ही नंगे लेटे हुए सो गये और सांय के 6 बजे आंख खुली.

हम उठे और कपड़े पहन लिये. हाथ मुंह धोया था कि मकान मालिक ने रवीना को आवाज लगाई. वो ऊपर गयी तो ऊपर वाले अंकल बोले कि वो लोग 4 दिन के लिए आंटी की रिश्तेदारी में शादी में दिल्ली जा रहे हैं और तब तक रवीना को उनकी तीनों बेटियों के पास ही सोना था.

रवीना ने भी हां कहा और फिर वो नीचे आ गयी. रात को करीब 8 बजे वो लोग अलीगढ़ से दिल्ली के लिए निकल गये. फिर हम पांचों ने साथ में खाना खाया और 10 बजे तक सब लोग सोने की तैयारी करने लगे. हम भी ऊपर वाले फ्लोर पर ही चले गये थे.

उस फ्लोर पर अंकल आंटी का एक कमरा था और उन तीनों बहनों का एक अलग कमरा था. वो दोनों कमरे आपस में काफी दूरी पर थे. बीच में किचन और बाथरूम था.

शायना और बहार अपने रूम में सो गयीं जबकि मैं, रवीना और नगमा एक रूम में थे. हमारे लेटने का क्रम कुछ ऐसा था- सबसे पहले नगमा, फिर बीच में रवीना और सबसे आखिर में मैं लेटा हुआ था. 11 बजे तक नगमा सो गयी और फिर मैंने रवीना की चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया.

वो भी मेरे लंड को लोअर के ऊपर से सहलाने लगी. फिर मैंने एक हाथ रवीना की पैंटी में डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा. उसने भी लोअर में हाथ डाल कर एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और आगे पीछे करने लगी.

रवीना ने मेरे टीशर्ट, लोअर और अंडरवियर को भी उतार दिया. बदले में मैंने उसकी कुर्ती और पजामी को उतार दिया. उसकी ब्रा और पैंटी को भी धीरे से निकाल दिया. पूरे नंगे होकर बिना आवाज किये फिर हम आहिस्ता से एक दूसरे की बांहों में लिपट गये और किस करने लगे.

कुछ देर तक एक दूसरे के होंठों को पीते रहे. फिर 4-5 मिनट 69 में एक दूसरे के लंड-चूत को चूसा और चाटा. फिर मैंने रवीना की चूत में लंड डाल दिया. हम कम से कम आवाज करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन चुदने की मस्ती में रवीना के मुंह से हल्के हल्के ऊऊऊ … उम्म … स्स्सश … ऊऊह … करके कुछ कामुक आवाजें निकल रही थीं.

इधर जब मेरा लंड उसकी चूत में जा रहा था तो मेरी जांघें उसके चूतड़ों से टकराने के कारण पट-पट की आवाज हो रही थी. उत्तेजना भरे माहौल में बगल में सोती हुई एक जवानी लड़की के साथ में दूसरी जवान लड़की की चुदाई करते हुए मुझे बहुत मजा आ रहा था.

पता नहीं कब नगमा की नींद खुल गयी और वो एकदम से उठ कर बैठ गयी. हम दोनों हक्के बक्के रह गये. मेरा लंड रवीना की चूत में था और नगमा हम दोनों को आंखें फाड़ कर हैबहार से देख रही थी.

हम फिर शर्म के मारे उठ गये और चादर से जिस्मों को ढक लिया.
नगमा बोली- अंकल!! रवीना!! ये सब क्या हो रहा है? अंकल आप रवीना के साथ??
मैंने बात को संभालते हुए कहा- बेटा, वो बस ऐसे ही हो गया. गलती हो गयी. तू किसी से इस बात का जिक्र मत करना.

रवीना बोली- यार तू गलत सोच रही है नगमा. अंकल और मैं दोस्त के जैसे हैं.
नगमा- हां, मैं सब जानती हूं तुम दोनों की दोस्ती। कई बार मैंने तुम्हारे रूम से आवाजें सुनी थीं. पहले मुझे शक था लेकिन आज आंखों से देख भी लिया.

फिर रवीना को पता नहीं क्या सूझा. उसने नगमा का हाथ पकड़ लिया और सहलाते हुए बोली- यार, इस उम्र में नहीं करेंगे तो कब करेंगे? तेरा भी तो मन करता होगा किसी ऐसे ही मर्द के साथ मजा लेने के लिए?

नगमा ने कोई जवाब नहीं दिया. तभी रवीना ने उसकी चूचियों को उसकी नाइटी के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया.
नगमा- क्या कर रही है, पागल हो गयी है तू?
रवीना- अरे मजा आयेगा, अंकल के साथ एक बार करके तो देख! अगर मजा न आये तो बेशक अपने अब्बू को बता देना.

इतना बोल कर रवीना नगमा के ऊपर टूट पड़ी और जोर जोर से उसके होंठों को पीने लगी. पहले तो नगमा ने विरोध किया लेकिन तभी रवीना ने उसकी नाइटी के ऊपर से उसकी बुर को मुट्ठी में पकड़ कर भींच दिया और उसकी चूचियों को जोर से दबा दिया.

फिर रवीना ने मेरी ओर आंख मारी और मैंने मोर्चे को संभाल लिया. मैं गया और नगमा की नाइटी को उठा कर उसकी पैंटी तक ऊपर कर दिया. मैंने उसकी पैंटी में हाथ देकर उसकी बुर को सहलाना शुरू कर दिया और तब तक रवीना ने उसकी पूरी नाइटी उतरवा दी.

नगमा की गोरी गोरी चूचियों को देख कर मैं तो पागल हो गया. क्या मस्त माल थी वो दोस्तो। रवीना उसकी चूचियों को पीने लगी और उसको पूरी तरह से गर्म करने लगी. रवीना के होंठ अभी भी नगमा के होंठों पर थे और जैसे ही उसकी बुर को मेरे हाथ के स्पर्श का मजा मिलने लगा तो नगमा का विरोध भी बंद हो गया.

अब वो दोनों मस्ती में एक दूसरे के होंठों को चूसते हुए एक दूसरे की चूचियों को दबाने लगीं और मैं नगमा की बुर की चुसाई करने लगा. अब तीनों एक दूसरे में रम गये थे. कुछ देर के बाद हमने रवीना को नीचे ले लिया.

मैं रवीना की चूत को चाटने लगा और नगमा ने अपनी देसी बुर को रवीना के मुंह पर रख दिया. कुछ देर बुर चाटने के बाद मैंने रवीना की चूत में लंड पेल दिया और उसको चोदने लगा. फिर मेरा पानी रवीना की चूत में निकल गया और नगमा ने अपनी बुर का पानी रवीना के मुंह में छोड़ दिया.

अब दस मिनट के आराम के बाद रवीना फिर से मेरे लंड को चूसने लगी और मैं नगमा के बूब्स को पीने लगा. मेरा 9 इंची लंड फिर से तन गया और अब मैं नगमा की बुर चोदने का मन बना चुका था.

नगमा भी अब पूरी तरह से हमारा साथ दे रही थी. मैंने उसको बेड पर पीठ के बल लिटाया और उसकी बुर में लंड लगा दिया. मैंने एक धक्का मारा और मेरा लंड उसकी बुर की झिल्ली को फाड़ता हुआ आधा उसकी बुर में जा घुसा.

वो जोर से चिल्लाई- आईई … अम्मी … मर गयी … ऊऊह … ईईईस्सस … ऊईई … आईई … अल्लाह … मर गयी। लंड को बाहर निकालो अंकल! नहीं बर्दाश्त हो रहा … उफ्फ … ओफ्फो … नहीं … बाहर निकालो अभी … प्लीज!

मुझे पता था कि अब लंड बाहर निकालने का कोई फायदा नहीं होगा. मैं कुछ देर रुका रहा और रवीना उसकी चूचियों को सहलाती रही. फिर उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैं धीरे धीरे उसको चोदने लगा.

पांच मिनट के अंदर ही वो सहजता से चुदवाने लगी. अब दोनों को ही मजा आने लगा. रवीना ने फिर अपनी चूत को नगमा के मुंह पर रख दिया. अब तीनों मजा लेने लगे. कुछ मिनट तक चोदने के बाद मैं और नगमा एक साथ झड़ गये. फिर कुछ ही देर के बाद रवीना भी नगमा के मुंह में झड़ गयी.

मैंने नगमा की बुर से लंड निकाला और दूसरी ओर घूमा तो देखा कि बहार और शायना दोनों ही गेट पर खड़ीं अपनी अपनी चूतों को सहला रही थीं. उनके चेहरे के भाव देख कर लग रहा था कि दोनों ही चुदने का मन बना चुकी हैं. शायद नगमा की चीखों ने उनको भी गर्म कर दिया था.

उन दोनों को हम तीनों ने अंदर बुला लिया. अब नगमा, बहार और रवीना शायना की बुर चाट रही थीं और शायना मेरा लंड चूस रही थी. फिर बहार ने मेरा लंड चूसा और लगभग 10 मिनट तक चूसने के बाद मेरा लंड फिर से पूरा तन कर खड़ा हो चुका था.

मैंने बहार को बेड पर सीधा लेटाया और उसकी बुर के ऊपर लंड का टोपा रखा और एक जोरदार धक्का मारा. मेरा लंड उसकी बुर को चीरता हुआ 3 इंच घुस गया. बहार जोर से चिल्लाई और उसकी बुर की सील टूट गई.

उसकी बुर बहुत टाइट थी तो मेरा लंड भी दर्द करने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने एक और धक्का मारा और मेरा लंड पूरा बहार की बुर में घुस गया. लंड पूरा घुसते ही बहार बेहोश हो गई. शायना ने उसके मुंह पर पानी मारा तो बहार होश में आई.

बहार की बुर से खून आने लगा था. वो जोर जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी- नहीं … नहीं … मुझे नहीं चुदना … निकालो इसे … याल्ला … मर गयी.

नगमा उसकी चूचियों मसलते हुए बोली- पहले दर्द होगा लेकिन फिर जन्नत का मजा देंगे अंकल. थोड़ा बर्दाश्त कर ले पगली।
फिर बहार की बुर में मैंने धक्के लगाने शुरू किये. कुछ देर में उसे मजा आने लगा और वो मस्ती में आकर चुदने लगी.

बहार नीचे से गांड उठा उठाकर ऊपर नीचे करने लगी. 20 मिनट की चुदाई के बाद वह अकड़ने लगी और झड़ गई. मैंने अपना लंड उसकी बुर से निकाला और शायना को पकड़ा.

शायना बोली- अंकल दर्द होता है. मैं नहीं चुदूंगी.
बहार बोली- दर्द में ही तो मजा है. तू एक बार चुद कर तो देख!
फिर वह मेरे सामने नंगी लेट गई और लेटते ही मैंने उसकी चूत पर अपने लंड का टोपा रखा और एक जोरदार झटका मारा.

मेरा लंड उसकी देसी बुर को फाड़ता हुआ अंदर समा गया. उसकी चूत से खून बहुत कम निकला लेकिन उसकी आंखों से आंसू बहुत निकल रहे थे.
वो जोर जोर से गाली देने लगी- साले कमीने … भोसड़ी वाले … तूने मेरी देसी बुर को फाड़ कर रख दिया. साले कुत्ते … कितनी बेरहमी से चोदता है … आई अम्मी … मर गयी … आह्ह … चोद अब हरामी।

वो गाली देते हुए चुदती रही. काफी देर तक मैंने उसको मजा लेकर चोदा और वो भी खूब मजा लेकर चुदी. मेरा लंड इतनी टाइट चूतों को चोद चोद कर सूज चुका था. मगर मजा भी बहुत आ रहा था.

फिर शायना ऊपर आ गई और मैं नीचे लेट गया. वह मेरे लंड पर बैठी और ऊपर नीचे होने लगी. थोड़ी देर के बाद उसका भी पानी निकल गया और मेरा भी। उस रात हमने कई बार अदल बदल कर चुदाई की. रात भर चुदाई चली.

दोस्तो, मैं वहां 5 दिन रुका. हम लोग दिन में सोते और रात में चुदाई का प्रोग्राम करते. छठवें दिन उनके अम्मी अब्बू आ गये. फिर मैं वहां से निकल आया. इस तरह से मैंने उन तीनों बहनों की चूत की सील भी खोली.

अब जब भी जाता हूं तो अपनी भतीजी समेत तीनों लड़कियों को चोदता हूं. वो तीनों भी एक एक करके किसी न किसी बहाने से रवीना के पास आ जाती हैं और चूत चुदवा कर चली जाती हैं.

समाप्त
 

Top