Update 16
कार ड्राईवर हमारे घर के सामने कार लगा चूका था जैसे ही दीदी बाहर निकल कर आई तो ड्राईवर ने तुरन्त ही आगे का डोर खोल कर दीदी को आगे बैठने का इशारा किया
ये देख कर मेरे ससुर जी ने कहा कि कविता बेटी रोशन को आगे बैठने दो , उसे आराम रहेगा हमलोग पीछे की सीट पर बैठ जाते हैं
दीदी- ठीक है, अंकल
मैं- दीदी, अगर आप बैठना चाहती है तो कोई बात नहीं
दीदी- नहीं नहीं , कोई बात नहीं तुम ही बैठो आगे
ये सुन कर ड्राईवर ने बुरा सा मुंह बनाया, और ससुर जी के चेहरे पर एक कुटील मुस्कान थी
ड्राईवर चुपचाप अपने सीट पर बैठ गया तभी दीदी ने जाकर ड्राईवर को डिक्की खोलने के लिए बोली और जैसे ही झुकी ड्राईवर को दीदी की मस्त clavaege के दर्शन हो गए
ड्राइवर- ठीक है मैडम
दीदी ने अपना बैग डिक्की में रखा और ससुर जी के साथ पीछे की सीट पर बैठ गई फिर गाड़ी चल पड़ी
बीस मिनट के अन्दर हमलोग शहर से बाहर निकल चूके तो ड्राईवर ने भी अपनी चाल तेज कर दी
कार के ड्राईवर ने बैक mirror को ऐसा सेट किया था की बैक सीट का पूरा नजारा नजर आ रहा था
जब तक गाड़ी City में चल रही थी तो ससुर जी एक दम शान्त हो कर थे
शहर से दूर निकल कर जब कार हाईवे मे आ गई तब ससुर जी ने अपनी हरकत शुरू की जो मिरर में साफ दिखाई दे रहा था
पहले तो कविता दीदी और ससुर जी दूर दूर बैठे हुए थे
फिर ससुर जी ने बात करते करते धीरे धीरे दीदी के बहुत करीब आ गए और सट कर बैठ गया
मेरी और ड्राईवर की नज़रे बार बार मिरर पर जा कर अटक जा रही थी
ससुर जी ने अपनी एक बाह को फैला कर सीट के पीछे ले लिया ताकि मेरी जवान दीदी के गोरे गोरे बदन पर स्पर्श कर सके
पहले तो उन्होंने सीट पर हाथ रखा था फिर धीरे से दीदी की sleevless कंधों पर रख दिया
इस पर दीदी कोई ध्यान नहीं दिया
अब बात करते हुए ससुर जी ने हौले से दीदी के एक चूची को साड़ी के उपर से ही सहलाना शुरू किया
पर जैसे ही उसने कविता दीदी के उन्नत उरोजों पर हांथ रखा दी सकपका गई और ससुर जी की ओर अपना चेहरा घुमाया
वो तो पहले से ही दीदी को ताड़े जा रहा था तो दोनों होंठ आपस में मिल गए
ससुर जी ने भी दीदी के रसीले होंठों को चूम लिया
दीदी ने अपना चेहरा हटाया और धीरे से बोली
दीदी (फुसफुसा कर)- अंकल जी ये क्या कर रहे हो....
ससुर जी- (धीरे से) कुछ नहीं.....
दीदी- अपना हांथ हटाइए
ससुर- क्यों,
ससुर जी ने दीदी की चूची पर अपने हाथों का दबाव बनाया और दबाने लगे
दीदी- अंकल प्लीज, आप दूर बैठे
दीदी कसमसा रही थी
ससुर जी ने दीदी का आंचल सरका कर दीदी की गोद में गिरा दिया था
फिर ससुर के दूसरे हांथ ने कविता दीदी की चिकनी पेट और नाभि पर रेंगने शुरू किया
दी की आवाज भारी होती हुई बोली
दीदी- प्लीज मत करिए ना ऐसा, रोशन और ड्राईवर देख रहा होगा
ससुर- वो तो सामने देख रहे हैं
दोनो बहुत ही धीरे धीरे से बोल रहे थे
पर हमें ससुर की हरकत साफ दिखाई दे रही थी
कैसे वो दीदी के बदन से छेड़छाड़ कर रहे थे
फिर ससुर ने दीदी के ब्लाउज के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगे तो दीदी ने ससुर जी के हाथों को पकड़ कर हटा दिया और जरा खिसक कर बैठ गई
मेरे ससुर जी की कोशिश नाकाम हो गई
अब बैक मिरर में केवल ससुर जी ही दिख रहे थे क्योंकि दीदी सरक कर बैठ गई थी
गाड़ी चलती रही हमे करीब एक घंटे हो चूके थे
मै - पापा जी और कितना टाइम लगेगा, हमें पुहंचने में
ससुर जी - अभी, तो आधा सफर तय किया है और शायद डेढ़ घंटा लगेगा
मै - कहीं चाय पी लेते तो अच्छा था
ससुर - ठीक है
ड्राईवर - सर, आगे एक अच्छा सा ढाबा है
मै - ठीक है वहीं रोक दो
फिर हमलोग आधे घंटे बाद ढाबे पर आ गए
इस बीच ससुर ने कोई हरकत नहीं की
हमलोग ने चाय और नाश्ता का ऑर्डर दे दिया
कविता दीदी को जोर की पेशाब लगी थी
तो उसमें मेरे कान में कहा कि , क्या यहां वॉशरूम है
मैंने उसे कहा पता नहीं दी , पूछता हूं वेटर से
वेटर से पूछने पर कहा कि नहीं है , ढाबे के पीछे कर सकते हैं
मैंने दीदी से धीरे से कहा की ढाबे के पीछे जा कर कर लीजिए यहां वॉशरूम नहीं है
दी को बर्दाश
नहीं हो रहा था तो वो उठ कर जाने लगी
तो मेरे ससुर ने टोका
ससुर जी - कहा चल दी, कविता बेटी
दीदी - आती हूं, हांथ धो कर बोल कर बात टाल दी
पर मुझे आश्चर्य हुआ जब ड्राईवर भी वहा से खिसक गया उसको sayad मालूम था की दीदी पेशाब करने जा रही है
थोड़ी देर में दीदी वापस लौट आई फिर दूसरी तरफ से ड्राईवर भी
मुझे लगने लगा साले ने मेरी बहन को पेशाब करते हुए बहन की गांड़ और चूत जरूर देखी होगी
फिर वहां से चाय पी कर हम लोग निकल गए
रास्ते में कुछ देर तक तो सब शांत थे फिर ससुर ने दीदी की जांघों पर हांथ रखा और उसकी साड़ी को ऊपर उठाने लगा , पर दीदी ने उसकी हाथों को झटक दिया
बार बार वो कोशिश करने लगे थे पर हर बार नाकामयाब हो रहे थे मै और ड्राईवर देख कर मजे ले रहे थे
कई कोशिश के बाद वो दीदी की साड़ी और पेटीकोट को घुटनों से ऊपर उठकर दिया और मेरी दीदी के पेंटी को भी साईड में किया जिससे दीदी की झांटों वाली बुर मस्त आइने में नजर आ रही थी
कविता दीदी ने अपनी झांटे साफ़ नहीं की थी पर गोरी गोरी गुदाज मखमली जांघों के बीच हलके काले झुरमुटो का नाजुक प्रदेश ऐसा लग रहा था जैसे होंठ आपस में बिल्कुल चिपके हुए हैं
क्या कमाल की बुर , एकदम टाइट और कुंवारी लड़कियों की चूत सी दिख रही है कोई बूढ़ा आदमी भी ठुकाई के लिए झट से अपना लन्ड निकाल ले
ड्राईवर के मुंह से लार टपक रहा था
पर फिर हमलोग जल्द ही वैध जी के घर पूहंच गए
To be continued