एक अधूरी प्यास

Expert Member
8,730
3,536
143
2v6q72.jpg[IMG]
 
Expert Member
8,730
3,536
143


वह क्लास में बैठे-बैठे यही सोच रही थी कि घर पर पहुंचेगी तो इस बारे में वह शुभम से वह पूरी बात करेगी और उसे विश्वास मे लेगी।

निर्मला ने तय कर लिया था कि रात में वह शुभम से बात करेगी इसलिए यही सोचकर वहां घर पहुंचते ही जल्दी-जल्दी घर का सारा काम काज कर के और शुभम के साथ मिलकर खाना खाकर सारे काम निपटा दी।

वह खाना खाते समय ही शुभम से बात करना चाहती थी लेकिन शर्म के मारे एक शब्द भी नहीं बोल पाई। उससे बोला भी नहीं जा रहा था और बात करना भी बेहद जरूरी था। ऐसी इंतजार और इंतजार की कशमकश में दिन गुजरने वाला था शुभम अपने कमरे में आराम कर रहा था और नीचे निर्मला अपने बेटे से बात करने के लिए बेचैन हुए जा रही थी।


वो मन में सोचने लगी कि अगर ऐसे ही वहां अभी भी शर्म करती रहीे तो यूं ही रह जाएगी और कहीं इस नए रिश्ते के बारे में शुभम नादानी में किसी से कुछ कह दिया तो खामखां बदनामी हो जाएगी। इसलिए मन में ठान ली कि आज वह शुभम से बात करके ही रहेगी इसलिए वह सोचेगी शुभम के कमरे में जाकर बात करना ही उचित रहेगा,, बात करने के उद्देश्य से वह शुभम के कमरे की तरफ जाने लगी।


निर्मला के मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी अपने बेटे से बात करने के बारे में सोच कर ही वह बहुत ज्यादा उत्सुक भी थी अपने बेटे से बात करके अपने नए रिश्ते के बारे में सारी रुकावटें और धारणाओं को साफ कर लेना चाहती थी। उसकी इच्छा यही थी कि अपने बेटे के साथ खुलकर आनंद लें और वह भी उसके साथ खुले तौर पर जैसे एक मर्द अपनी प्रेमिका से बर्ताव करते हैं उसी तरह से वह भी बर्ताव करें।

इन्हीं सब के बारे में बात करने के लिए अपने बेटे के कमरे की तरफ जाने लगी। निर्मला के मन में वासना का जो बीज अंकुरीत हो रहा था उस पौधे पर अपने बेटे के हांथों से पानी डालने जा रही थी। निर्मला के मन में इस बात को लेकर बहुत दुविधा थे कि वह अपने बेटे से इस बारे में बात की शुरुआत केसे करेगी। यही सब सोचते हुए निर्मला अपने बेटे के कमरे तक पहुंच गई।


मन में बड़ी हलचल सी मच रही थी क्या कहे क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था दरवाजा बंद था उसे यह नहीं पता था कि अंदर शुभम सो रहा है या जाग रहा है लेकिन फिर भी मन की दुविधा को अपने अंदर उमड़ रही भावनाओं को पंख देने के लिए वह दरवाजे पर दस्तक दी।
 
Expert Member
8,730
3,536
143

दरवाजे पर खट खट की आवाज से ही शुभम अपने बिस्तर पर से नीचे खड़ा हो गया, वह इतना तो समझ गया था कि दरवाजे पर उसकी माँ खड़ी है क्योंकि घर में उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं था लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था की आखिर उसकी मां क्यों आई है लेकिन तभी उसकी आंखों में चमक आ गई इस बात को लेकर कि शायद उसकी मां का फिर से मूड बन गया है। वह तुरंत बिस्तर पर से नीचे उतर गया। निर्मला दूसरी बार दरवाजे पर दस्तक देती इससे पहले ही वह दरवाजा खोलते हुए बोला।


क्या बात है मम्मी आप यहां


क्यों आ नहीं सकती क्या?


नहीं मेरे कहने का यह मतलब नहीं था आप इतने टाइम पर आराम करती हैं इसलिए


हां मुझे तुझसे कुछ जरूरी काम था ( निर्मला की यह बात सुनते ही शुभम का दिल जोरो से उछलने लगा उसे लगने लगा कि उसकी मां फिर से उसके साथ चुदवाना चाहती है। इसलिए जानबूझकर बनते हुए वह बोला


क्या काम था मम्मी,


अरे सब कुछ यही खड़े-खड़े पूछता रहेगा या मुझे अंदर भी आने देगा,,,


हां हां मम्मी अंदर आइए ना (इतना कहते हुए वह थोड़ा सा बगल में हो गया और निर्मला कमरे के अंदर प्रदेश कि कमरे में निर्मला के प्रवेश करते ही मारे खुशी के शुभम ने दरवाजा बंद कर दिया। उसे लगने लगा कि अब फिर से मम्मी की खूबसूरत रसीली बुर में लंड डालने को मिलेगा।

निर्मला भी बड़ी मस्ती के साथ अपनी साड़ी के आंचल को हवा में लहराते हुए बिस्तर पर अपनी मद मस्त गांड का सारा वजन रख कर आराम से बैठ गई और शुभम से बोली


आज तू भी इधर मेरे बगल में बैठ( शुभम को तो बस सुनने भर की देरी थी वह तुरंत जाकर अपनी मां की बगल में बैठ गया और बोला


क्या बात है मम्मी आप क्या बात करना चाहती हो,,,,,

अपने बेटे की इस सवाल पर निर्मला हिचकिचा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था की बात की शुरुआत कैसे करें इसलिए शर्मा कर इधर उधर नजरें घुमा ले रही थी इसलिए यह देखकर शुभम दुबारा अपनी मां से बोला


क्या हुआ मम्मी आप क्या बात करना चाहती हैं मुझे बताओ तो,,,,,


बेटा,,,, मैं हम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उस बारे में बात करना चाहती हुं।


कैसी बात मम्मी,,,,,


देख आज तुझे मै अपनी जिंदगी की पूरी सच्चाई बताती हूं

शुभम अपनी मां की तरफ ध्यान से देख रहा था वह तो अपनी मां की खूबसूरती में खोया हुआ था उसका गोऱा रंग ट्यूबलाइट के उजाले में और भी ज्यादा चमक रहा था। वह बार बार पंखे की हवा में लहरा रही अपनी बालों की लटों को बार-बार अपनी उंगलियों से गोरे गाल पर से हटा दे रहीे थी। जिससे निर्मला की यह अदा शुभम के बदन में हलचल मचा दे रही थी।


बेटा तू मुझे देखकर यही समझता होगा कि मैं बहुत खुश हूं मेरी जिंदगी बड़े अच्छे से गुजर रही है और तेरे पापा मुझे बेहद प्यार करते हैं। ( शुभम अपनी मां की तरफ बड़े ध्यान से देख रहा था और उसकी बातों को सुन रहा था।) मेरे मुस्कुराते हंसते चेहरे के पीछे कितना दर्द कितना दूख छुपा हुआ है आज मैं तुझे सब बताऊंगी।


मम्मी तुम्हारी बात का कोई मतलब नहीं समझ पा रहा हूं आप कहना क्या चाहतीे हैं।( शुभम अपनी मां को बड़े ही आश्चर्य के साथ बोला वाकई में उसे अपनी मम्मी की बात समझ में नहीं आ रही थी कि आखिर वह कहना क्या चाह रही थी।)


बेटा पहले तो मैं तुझे साफ साफ शब्दों में बता देना चाहती हुं कि तेरे पापा मुझसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करते।

अपनी मां की यह बात सुनते ही शुभम एकदम आश्चर्यचकित हो गया उसे अपनी मां के कहे गए शब्दों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था।


हां बेटा यह बिल्कुल सच है शुरु शुरु में शादी के बाद तो 3 साल तक उन्होंने मुझसे बेहद प्यार किया लेकिन तेरे जन्म के बाद जैसे वह मुझ से दूरी रखने लगे। और यह सिलसिला आज तक जारी है।


मम्मी मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि ऐसा आपके साथ हुआ है और हो रहा है क्योंकि आप को देख कर आप के चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर कभी भी ऐसा नहीं लगता कि आप इतना ज्यादा दुखी है।


क्या करूं बेटा झूठी मुस्कान पर दुनिया के सामने अपना दुख छुपा ले जाती हुं लेकिन अब तू बड़ा हो गया है इसलिए तुझे मैं यह सब बता रही हूं। तेरे साथ जो मुझे इस तरह के संबंध की शुरूआत करनी पड़ी इसके पीछे भी यही कारण है।

शुभम को अपनी मम्मी की यह बात समझ में नहीं आई वह जानना चाहता था कि उसके साथ इस तरह के संबंध बने हैं उसके पीछे इन हालातो को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इसलिए वह अपनी मां से बोला


मम्मी मैं कुछ समझा नहीं,,,,,


अब तुझे कैसे समझाऊं मुझे समझ में खुद नहीं आ रहा है कि यह बात मैं तुझसे बोलु या ना बोलु। ( निर्मला इधर उधर देखते हुए बोली।)


मम्मी आप अब सब बता ही रही हो तो यह भी बता दो


तुझे जरूर बताऊंगी लेकिन तू मेरे बारे में कुछ गलत मत समझना तेरी मम्मी अभी भी पहले की ही तरह है बस थोड़ा सा प्यार पाना चाहती है। तेरे जन्म के बाद तेरे पापा मुझ से शारीरिक संबंध ना के बराबर रखने लगे,,, शारीरिक संबंध मतलब तेरे पापा मुझे चोदना ही बंद कर दिए ( चोदना शब्द सुनते ही शुभम के कान के साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा हो गया और यह शब्द बोलते हुए और वह भी अपने बेटे के सामने निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,, शुभम आश्चर्य के साथ बोला।)


मम्मी यह कैसे शब्दों का प्रयोग आप कर रही है।?


क्या करूं बेटा अब यह तुझसे ना कहूं तो किससे कहूं,, मैं अब जानती हूं कि तू बड़ा हो गया है समझदार हो गया है इसलिए तू मेरी इन बातों को जरूर समझेगा,,, तू शायद नहीं जानता की औरतों की भी बहुत इच्छा होती है।

शुभम अपनी मां के कहने का मतलब अच्छी तरह से जानता था फिर भी अनजान बनता हुआ बोला।


कैसी इच्छा मम्मी?


चुदने की ओर किसकी,,,,,,

फिर थोड़ा रुककर बोली मैं कितना तड़प रही हूं इसका एहसास शायद किसी को नहीं होगा एक औरत अपने पति से क्या चाहती है प्यार प्यार और बस प्यार,,,, लेकिन तेरे पापा ने तो मुझसे जैसे मुंह मोड़ लिया हो। मैं रात भर बिस्तर पर करवट बदलती रहती हूं मैं कितने बदनसीब हूं कि तेरे पापा के करीब होने के बावजूद भी मुझे कोई सुख नहीं है। तेरे पापा कभी कबार जब उनका मूड करता है तो मेरे साथ बिना बताए बिना प्यार किए ही चोदने लगते हैं।

शुभम अपनी मां के बगल में बिल्कुल सट कर बैठा हुआ था अपनी मां की बातें सुनकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी जोंकि उसके लंड पर साफ असर कर रही थी। वह कभी सपने में भी सोच नहीं सकता था कि उसकी मां उससे इस तरह की बातें करेगी, चोदने चुदने जेसी अश्लील शब्दों का प्रयोग वह बिल्कुल सहज भाव से कर रही थी। शुभम को अब इतना तो समझ में आ रहा था कि उसकी मां उसके सामने पूरी तरह से खुल चुकी है तो उसे इस तरह से दबे दबे रहने से कोई फायदा नहीं था इसलिए वह भी अपनी मां के सामने खुलते हुए बड़ी हिम्मत जुटाकर बोला


मुझे तो मम्मी बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है आप इतनी खूबसूरत है तुम्हारा बदन इतना खूबसूरत है जब दूसरों का मन हो जाता है तो आप तो पूरी तरह से पापा की हो और वह जब चाहे तब आप को चोद सकते हैं तो वह ऐसा क्यों कर रहे हैं।


यही तो मुझे नहीं पता चल रहा है आज कितने बरस बीत गए लेकिन तेरे पापा मुझे ढंग से प्यार नहीं कर सके और यही कारण है कि मेरा झुकाव तेरी तरफ बढ़ने लगा,,,,


मेरी तरफ,,,, मेरी तरफ क्यों मम्मी,,,,,


बेटा इतने से तू समझ तो गया होगा कि मैं कितने वर्षों से प्यासी हूं और वह भी तेरे पापा से चुदने के लिए लेकिन तेरे पापा मेरी प्यास कभी भी बुझाने की जरूरत नहीं समझे। मै दीन रात चुदाई के सपने देखा करती थी।

( शुभम अपनी मां की बातों को सुनकर एकदम चुदवासा हो गया था। पजामे में उसका लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था। जिसे वह बार बार हाथ लगाकर एडजस्ट करने की कोशिश कर रहा था और निर्मला की निगाह में उसकी यह हरकत साफ आ रही थी।)


मैं बरसों से अपनी प्यास को अपने अंदर दबा कर रखी हूं लेकिन मेरी प्यास उस समय एकदम भड़क गई जब मैं तुझे पहली बार तेरे कमरे में बिल्कुल नंगा खड़ा देखी थी,,, ( अपनी मां की आवाज सुनकर शुभम एकदम से चौक उठा और बोला


बिल्कुल नंगा,,,, मुझे और मेरे कमरे में,,,,, कब मम्मी,,,,?

शुभम आश्चर्य के साथ बोला उसकी यह बात सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी उसे पता था कि इस रिश्ते को हमेशा कायम रखना है तो दोनों के बीच की दीवार मजबूत होनी चाहिए इसलिए उन दोनों के बीच की सारी ग़लतफ़हमियां की दीवारों को गिराना बहुत जरूरी था इसलिए मुस्कुराते हुए निर्मला बोली
 
Expert Member
8,730
3,536
143

शुभम आश्चर्य के साथ बोला उसकी यह बात सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी उसे पता था कि इस रिश्ते को हमेशा कायम रखना है तो दोनों के बीच की दीवार मजबूत होनी चाहिए इसलिए उन दोनों के बीच की सारी ग़लतफ़हमियां की दीवारों को गिराना बहुत जरूरी था इसलिए मुस्कुराते हुए निर्मला बोली

शुभम जब मैं तुझे पहली बार उस अवस्था में देखी थी तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यह मेरा ही बेटा है शाम को किचन में मदद कराने के लिए मुझे तेरी जरूरत थी। किचन में मदद कराने के उद्देश्य से मैं तेरे कमरे की तरफ गई कमरे का दरवाजा तो बंद था लेकिन खिड़की हल्की सी खुली हुई थी जिसमे मेरी नज़र पड़ते ही मैं वह देखी जिस पर मुझे कभी विश्वास ही नहीं हो रहा था।


ऐसा क्या देख ली मम्मी,,,,,


अरे बताती हूं थोड़ा सब्र तो कर ले भागी नहीं जा रही,,,
( इतना कहने के साथ ही वह थोड़ा आगे की तरफ झुकी जिसकी वजह से उसके कंधे पर से साड़ी का पल्लु नीचे गिर गया या यू कह लो कि उसने जानबूझकर साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दी जिसकी वजह से ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर फड़फड़ाने लगे,,,,
ezgif-4-5ab40b318c.gif


बड़ी बड़ी खूबसूरत चूचियां ब्लाउज के बटनों पर अपना सारा वजन डाल चुकी थी,, जिससे बटन टूटने की पूरी की पूरी सक्यता नजर आ. रही थी। चूचियां ऐसी लग रही थी कि मानो पेड़ पर कटहल लटक रहे हो,

शुभम की नजर जैसे ही अपनी मां के ब्लाउज के अंदर झांक रही चुचीयो पर पड़ी उसके मुंह में तो पानी आ गया। वह प्यासी अपनी मां की चुचियों को ही देखे जा रहा था जो कि निर्मला को भी साफ दिखाई दे रहा था और वह अपने बेटे को इस तरह से प्यासी नजरों से अपनी तरफ देखता हुआ पाकर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी।

वह जानबूझकर साड़ी के पल्लू को ठीक करने की जरुरत नहीं समझी और इसी तरह से अपनी चूचियों का प्रदर्शन अपने बेटे के सामने करती रही। और अपने होठों पर कामुक मुस्कान लाते हुए बोली


तेरे बदन पर मात्र अंडरवीयर ही था जोकि आगे से एकदम तंबू बना हुआ था जिसे साफ साफ पता चल रहा था कि तेरा लंड पूरी तरह से खड़ा है।
( लंड शब्द सुनते ही शुभम के बदन में हलचल सी मच गई और साथ ही निर्मला की बुर में भी पानी का आवागमन शुरू हो गया। शुभम तो बड़े ध्यान से अपनी मां की चुचियों को देखते हुए उसकी बातों को सुन रहा था


मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था बेटा कि तेरा तंबू इतना भयानक भी हो सकता है तू ना जाने कसरत कर रहा था कि क्या कर रहा था यह तो मुझे समझ में नहीं आ रहा था।


क्यों मम्मी,,,?


अरे क्योंकि तेरी हालत कुछ अजीब सी थी तेरा पूरा बदन पसीने से लथपथ था तु बार बार अपने अंडरवियर में बने उस तंबु को ही देखे जा रहा था। मैं तो तेरे तंबु को देख कर ही अंदाजा लगा लेी कि तेरा लंड कितना बड़ा होगा।

( शुभम को अपनी मां की बातें बेहद मस्ती भरी लग रही थी और उसे याद आ गया कि वह किस दिन की बात कर रही थी,,, वह अपने दोस्तों की बातें सुनकर इस तरह से उत्तेजित हो चुका था क्योंकि वह लोग इसकी मां के बारे में गंदी बातें कर रहे थे यह उसी दिन की बात थी जिस बारे में निर्मला बता रही थी।)


मेरा अंदाजा सही बिल्कुल सही निकला जब तू अपने तंबू को ठीक तरह से देखने के लिए अपने अंडर वियर की नीचे की तरफ सरका कर देखा तो मेरी नजर तेरे लंबे मोटे ताजे और तगडे लंड पर पड़ गई,, सच बताऊं तो शुभम मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि इतना लंबा मोटा तेरा लंड है मैं तो देख कर एकदम चौक सी गई, शायद तुझे भी बड़ा अजीब सा लगा था और तू जल्दी से अपने अंडर वियर को ऊपर चढ़ा लिया। सच यह नजारा 4:से 5 सेकंड का ही था लेकिन इतने भरसे ही मेरा मन एकदम से बदल गया मेरे बदन में पूरी तरह से हलचल होने लगी बार बार मेरी आंखो के सामने तेरा लंबा लंड नजर आने लगा और तेरे लंड के बारे में सोचते ही मेरी बुर हमेशा पानी पानी हो जाती थी।


बुर,,,,( अपनी मां के मुंह से यह शब्द सुनते ही शुभम के मुंह से भी यह सब्द अचानक ही निकल पड़ा। )


हां मेरी बुर,,,,,,, जिस मे तू अपना लंड डालकर मुझे चोद रहा था। उसे बुर कहते हैं मम्म ( ऊंगली से शुभम अपनी मां की जांघों के बीच इशारा करते हुए बोला,,, शुभम का इशारा पाते ही उसकी नजर खुद ब खुद अपनी बुर के ऊपर चली गई जो कि वह साड़ी के ऊपर से ही नजर घुमा दी थी और मुस्कुराने लगी। )

हां बेटा इसे ही बुर कहते हैं जिसमें तू अपने लंड को तीन बार डाल कर चोद चुका है और मेरी प्यास को भी बुझाने में मेरी मदद किया है। और मैं यही कहना चाहती हूं कि तू आगे भी मेरी इसी तरह से प्यास बुझाता रहे,,,,, सच बोल बेटा मेरी प्यास हमेशा इसी तरह से बुझाता रहेगा ना,,,,( इतना कहते हुए मां अपने बेटे का हाथ पकड़कर अपने हाथ में रख ली,,,)

बोल बेटा बोल तू मेरे साथ सब कुछ वैसा ही करेगा ना जो एक मर्द अपनी औरत के साथ करता है,,

( शुभम को तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मम्मी के सवाल का क्या जवाब दें उसके हांथो में तो ऊसकी मम्मी खुद ही अपने बदन की पूरी विरासत थमा रही थी उसके जिस्म की पूरी सियासत शुभम को अपने हाथों से ही सोंप रही थी,,,,

भला एक जवान हो रहे लड़के के लिए इस तरह का एक मदमस्त और जवान औरत के आमंत्रण से भला इंकार कैसे हो सकता था। शुभम तो खुद अपनी मां के प्रति पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था वह खुद अपनी मां को दिन रात चोदना चाहता था। ईसलिएे इंकार करने जैसा कुछ भी नहीं था वह झट से अपनी मां की ऊंगलियों को अपनी हथेली में कस कर दबाता हुआ बोला,,,,।


हां मम्मी मैं जरूर करूंगा तुम्हें अब किसी बात की फिक्र नहीं रहेगी,,,,,

( अपने बेटे की यह बात सुनकर वह पूरी तरह से प्रसन्न हो गई और खुश होते हुए बोली।)


मुझे तुझसे ऐसी ही उम्मीद थी बेटा तू ही मेरा सहारा बनेगा तेरे पापा ने मुझे जो खुशियां ना दे पाए वह तु मुझे देगा और सच कहूं तो कार के अंदर तूफानी बारिश में तेरे मोटे लंबे लंड से चुदने के बाद मैं तो तेरी दीवानी हो गई हूं,,, तुने जो इस तरह से चोद कर मेरा पानी निकाला है मुझे यकीन नहीं हो पा रहा है ऐसा सुख मैंने आज तक कभी भी नहीं भोग पाई,,,, तेरे पापा से भी मुझे इस तरह का सुख कभी भी नहीं मिला क्योंकि तेरे पापा का लंड तेरे से आधा भी नहीं होगा,,,,

(अपनी मां के मुंह से अपनी तारीफ और अपनी मर्दाना ताकत की तारीफ को सुनकर वो खुश होने लगा,,,)

और एक बात और बेटा तू कभी भी किसी को भी इस रिश्ते के बारे में कुछ भी नहीं कहेगा,,,, मुझसे वादा कर मेरी कसम खा ( इतना कहने के साथ ही वह अपने बेटे के हाथ को अपने सिर पर रख कर उसे कसम खिलाने लगी)


मम्मी ने क्या तुम्हें पागल लगता हूं कि जो इन सब बातों को किसी और से कहूंगा मैं कभी भी उसका ज़िक्र तक नहीं करूंगा लेकिन अगर पापा को पता चल गया तो,,,,


नहीं पता चलेगा उस मूए को कभी भी नहीं पता चलेगा,,,,,


इतना कहते हुए निर्मला शुभम के एकदम करीब आ गई थी। उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी शुभम का भी यही हाल था अपनी मां के बदन से सटकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी खास करके उसका लंड जोकि पजामे में पूरी तरह से टन टनाकर खड़ा हो चुका था,,,

hands-pants.gif


उसकी हालत खराब हो रही थी जिसे वह बार बार अपना हाथ लगाकर एडजस्ट कर रहा था लेकिन निर्मला से देखा नहीं गया और उसने तुरंत उसके पजामे के ऊपर से ही लंड पकड़ ली,,,
LPic62c5ae6e9698e1466138733.gif



जैसे ही निर्मला ने अपने बेटे के लंड को बचाने के ऊपर से पकड़ी वैसे ही शुभम के बदन में एक करंट सा दौड़ गया,,, उत्तेजना के मारे दोनों का गला सूखने लगा निर्मला की बुर से तो मलाई टपक रही थी, वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी।

अपनी जवान बेटे को इतने करीब पाकर उससे रहा नहीं गया और वह झट से अपने गुलाबी होठों को उसके हाेठ पर रखकर चूसने लगी,,,,
ezgif-4-647234dfe4.gif


शुभम जी कहां पीछे हटने वाला था वह तुरंत अपनी मां की चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा बिस्तर उन दोनों के घमासान युध्ध के लिए पूरी तरह से तैयार था।
16679838.gif



शुभम ने तुरंत अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोल डाला,,,, निर्मला जैसे पहले से ही तैयारी कर के आई हो इस तरह से उसने आज ब्रा ही नहीं पहनी थी। इसलिए ब्लाउज के बटन खुलते ही उसके दोनों खरबूजे हवा में उड़ने लगे,,,,
Firm-Drop-1230091.gif



निर्मला पूरी तरह से वासना में वशीभूत होकर अपने बेटे के लंड को पजामे के ऊपर से ही दबाए जा रहेी थी। वह अपने बेटे के होठो को चूमते हुए उसे बिस्तर पर लिटाने लगी,,,
ezgif-3-ccd01d4163.gif



दोनों एक बार संभोग सुख प्राप्त करने के लिए अपने आपको तैयार कर चुके थे निर्मला का ब्लाउज खुल चुका था और शुभम अपने पजामे को नीचे की तरफ सरका रहा था।

निर्मला एक बार फिर से अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेना चाहती थी,,,, इसलिए तो दोनों एक दूसरे के कपड़ों को जल्द से जल्द बदन पर से उतार फैंकना चाहते थे।

शुभम अपनी मां के गुलाबी होठों से अपने होंठ को हटाकर अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचियों को पीने ही जा रहा था कि तभी दरवाजे की घंटी बजने लगी।

दरवाजे पर बज रही घंटी की परवाह किए बिना ही शुभम अपना मुंह अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची ऊपर रखकर उसे जोर-जोर से पीने लगा।
hot-nipples-sucking-gif-images-4.gif


निर्मला भी एकदम कामोत्तेजित हो चुकी थी वह अपने बेटे को अपनी बाहों में कस कर दबोचते हुए अपने सीने में समा लेने के लिए पूरी कोशिश कर रही थी।

शुभम की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी उसका लंड तन कर एकदम खड़ा हो चुका था जोकि ईस समय निर्मला अपनी हथेली में दबोच कर उसे जोर जोर से मुठिया रही थी।
21698334.gif



दोनों उत्तेजना में सरोबोर हो चुके थे रह-रहकर दरवाजे पर घंटी बज रही थी लेकिन दोनों एक दूसरे में खोने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुके थे। निर्मला अपनी हथेली में अपने बेटे के लंड की गर्मी को महसूस करके पूरी तरह से गीली हुए जा रही थी दरवाजे पर बज रही घंटी की परवाह किए बिना ही वह अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी।

उसे लगने लगा था कि शायद अशोक वापस घर पर आ चुका है लेकिन इस समय निर्मला के साथ साथ शुभम के सर पर भी वासना का चुदास पन पूरी तरह से छा चुका था। शुभम तो अपनी मां की चुचियों पर ही जैसे टूट पड़ा हो बार-बार कभी दांई चूची को मुंह मे भर कर चुसता तो कभी बांई.
hot-nipples-sucking-gif-images-8.gif



दोनों में से निकल रहे रस को वह गटक जा रहा था,,,,, वह रह रह कर अपनी मां की निप्पल को दांतो से काट भी ले रहा था जिससे निर्मला की सिसकारी निकल जा रही थी और उसे मजा भी बहुत आ रहा था। उसकी गरम सिसकारी पूरे कमरे में गूंज रही थी।


सससससहहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,, बेटा बस ऐसे ही चूस मेरी चूची को,,,,, बहुत मजा आ रहा है इस तरह से तो कभी तेरे बाप ने भी मेरी चूचियों के साथ मस्ती नहीं किया,,,, उसकी सारी कसर तू पूरी कर दे और जोर जोर से दबा दबा कर पी सारा रस निचोड़ डाल,,,,, आाााहहहहहह,,,, बेटा,,,,


शुभम तो अपनी मां की सिसकारी और उसकी बातें सुनकर एकदम से उत्तेजना से भर गया और जोर-जोर से अपनी मां की चुचियों को दबा दबा कर वह पीना शुरु कर दिया। लेकिन उसे दरवाजे पर पहुंच रही घंटी की आवाज सुनकर डर लगने लगा,, था कि उसके पापा को कहीं पता न चल जाए,,,,, इसलिए वह अपनी मां की चूची पर से अपना मुंह उठाकर उससे बोला,,,


मम्मी लगता है पापा घर आ गए हैं,,,, अगर ऊन्हे पता चल गया तो,,,,


तू चिंता मत कर उन्हें कुछ भी पता नहीं चलेगा बस तू लगे रे,,,,,

( इतना कहने के साथ ही वह अपने बेटे को बाहों में भर कर अपने ऊपर चढ़ा ली और झट से अपनी टांगो को फैला दी पेंटी को तो वह पहले से ही निकाल चुकी थी इसलिए ज्यादा देर ना लगाते हुए अपने बेटे के खड़े लंड के सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर के छेद पर रख दी,,, ओर बोली
3893174601b32840a991.gif


बस बेटा अपने पास समय बहुत कम है तु जल्दी से अपने खड़े लंड को मेरी बुर के अंदर उतार कर जोर जोर से चोद,,,,

शुभम के लिए तो अपनी मां का यह इशारा ही काफी था उसे काफी तसल्ली मिली थी जब सब कुछ संभाल लेने की बात कही थी इसलिए उसे किसी बात की चिंता फिक्र नहीं थी वह तो अपनी मां की इजाजत पाते ही,,,

अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाने लगा जैसे जैसे अपनी कमर को आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे उसके लंड का मोटा सुपाड़ा निर्मला की पनियाई बुर के अंदर सरकता जा रहा था,,,,
penis-entering-vagina-gif-4.gif


जैसे-जैसे निर्मला अपनी बुर के अंदर अपने बेटे के लंड के मोटे सुपाड़े को महसूस करती जा रही थी वैसे वैसे उसकी उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंचती जा रही थी उसका गला उत्तेजना के मारे सूखने लगा था।

आज चौथी बार वह अपनी बुर में किसी मर्द के लंड का एहसास कर रही थी जो कि अब तक अपने पति अशोक के पतले लंड से चुदकर वह संतुष्ट नहीं हो पाई थी। निर्मला तो इतने से ही पूरे पसीने से तरबतर हो चुकी थी।

शुभम जैसे अपनी मां पर टूट ही पड़ा था वह बार-बार अपनी मां के दोनों खरबूजे को दबाता हुआ उसे मुंह में भरकर टुकड़ों में काट रहा था जिससे निर्मला को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी जब जब शुभम अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची पर दांत गड़ाकर उसे हल्के से काटता तब तब निर्मला के मुंह से गर्म सिसकारी के साथ साथ ऊई मां जैसे गर्म कर देने वाले शब्द निकल जा रहे थे। माहौल पूरी तरह से करवा चुका हूं शुभम का लंड उसकी मां की बुर की गहराई नापने का था वह धड़ाधड़ अंदर बाहर करते हुए अपनी कमर हिला रहा था।
Up-Close-Flowery-Pussy-Penetration-With-Huge-Boner7.gif


दरवाजे पर बार-बार बेल बज रही थी जिसकी फिक्र आप दोनों को बिल्कुल नहीं थी क्योंकि दोनों एक अजीब सी दुनिया में विचरण कर रहे थे। जहां पर विचरण करने का आनंद बड़ा ही अद्भुत और उन्मादक होता है।

हर धक्के के साथ निर्मला सातवें आसमान पर पहुंच जा रही थी जिस तरह का जबरदस्त प्रहार शुभम कर रहा था इस तरह के प्रहार के लिए वह एकदम तरस रही थी।
madison-ivy-gif-compilation.gif


अशोक ने ऐसे घमासान कर रहे जबरदस्त धक़्कों के साथ निर्मला की कभी भी चुदाई नहीं किया था। निर्मला हैरान थी अपने बेटे की ताकत को देखकर पूरा पलंग चरमरा रहा था।
porn-gif-via-xthecollectorsx-001.gif


चर्र्र चर्र्र,,,,,, कई आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था।शुभम का लंड पिस्टन की तरह निर्मला की बुर के अंदर बाहर हो रहा था। दोनो की सांसे बड़ी तेज चल रही थी,,,,


निर्मला से तो उसकी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी वह बड़ी तेजी से और गहरी गहरी सांसे ले रही थी जिस वजह से शुभम का मुंह उसकी दोनों गदराई नरम नरम चुचियों के बीच ढक जा रही थी। जिससे शुभम को भी बहुत मजा आ रहा था।


ओहहहहह,,,,,, शुभम बस ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगा चोद मुझे,,,,,,,ओहहहह शुभम क्या मस्त चोदता है रे तू, मुझे तो यकीन नहीं आ रहा है कि तू मेरा बेटा है बस ऐसे ही धक्के लगा जोर जोर से धक्के लगा,,,ऊम्ममममममम,,,,, ओहह,,,,
kagney-linn-karter-005.gif


निर्मला पूरी तरह से पागल हो चुकी थी चुदाई का ऐसा अद्भुत एहसास उसने कभी भी महसूस नहीं की थी। बेल की घंटी के साथ साथ,,,, उसकी आवाज की लय के साथ शुभम की कमर भी हील रही थी। अपनी मां को इस तरह से मदमस्त होकर चुदवाते हुए देखकर शुभम एक दम मस्त हो गया और वह और भी तेज तेज धक्के लगाने लगा।
ezgif-4-2b737e5d6d.gif



मदमस्त हो चुकी निर्मला ने अपने बेटे से चुदते हुए इस समय कुछ ऐसी हरकत कर दी की इस हरकत पर खुद निर्मला भी पूरी तरह से चौंक गई,,,,, ऐसी हरकत उसने आज तक अपने पति से चुदते हुए भी नहीं की थी,,,, आज वह अपने बेटे के जबरदस्त धक्कों का जवाब देते हुए नीचे से अपनी मदमस्त गदराई हुई गांड को ऊपर की तरफ उठा कर खुद धक्के लगाने लगी।


दोनों किसी से कम नहीं थे दोनों पलंग पर एक दूसरे को पछाड़ देना चाहते थे इस समय शुभम का कमरा कमरा ना हो कर दो कुश्ती बाजो का अखाड़ा हो चुका था दोनों किसी से कम नहीं थे,,,,

एक खेली खाई मदमस्त परिपक्व गजराज हुई जवानी की मालकिन थी तो दूसरी तरफ नए-नए उन्मादों से भरा हुआ जवान लट्ठ,,,, जिसने जवानी का जोश कूट कूट कर भरा हुआ था और वह अपना जोश अपनी मां को पूरी तरह से दिखा रहा था। निर्मला की बड़ी बड़ी भारी भरकम गांड जब ऊपर की तरफ ऊछलती थी तो वह नजारा देख कर किसी की भी सांस अटक जाए,,,,

उन्मादक और अति उत्तेजक नजारा बड़ी किस्मत वालों को देखने और महसूस करने को मिलता है। इस समय वह किस्मत वाला दूसरा कोई नहीं खुद निर्मला का बेटा शुभम था। जो अपनी जवानी के रस से अपनी मां की बुर को भर देना चाहता था।


थोड़ी ही देर में दोनों की सांसे तीव्र गति से चलने लगी दोनों ऐसे लग रहे थे जैसे किसी मैराथन दौड़ की प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हो और एक दूसरे को पछाड़ देने की होड़ में लगे हुए हो,,,, थोड़ी ही देर में तेज झटकों के साथ ही शुभम का बदन अकड़ने लगा साथ ही निर्मला का बदन भी अकड़ना शुरू हो गया,,,, और अगले धक्के के साथ ही शुभम भलभलाकर अपना गरम लावा अपनी मां की बुर में. छोड़ने लगा साथ ही निर्मला भी अपना मदन रस बहाने लगी,,,


दोनों एक दूसरे की बाहों में तेज-तेज हांफने लगे,,, थोड़ी देर बाद जब मुझे होश आया तो दरवाजे पर बज रही घंटी का ख्याल हुआ जल्दी-जल्दी दोनों बिस्तर पर से उठ कर अपने कपड़ों को ठीक कर दिए।

शुभम को डर लग रहा था वह सोच रहा था कि दरवाजे पर उसके पापा होंगे इसलिए घबरा रहा था लेकिन निर्मला ने सारा बहाना तैयार कर ली थी,,, उसे मालूम था कि क्या कहना है। दोनों जल्दी जल्दी एक कमरे से बाहर आकर सीढ़ियों से नीचे उतरने लगे लेकिन बेल बजने की आवाज़ अब नहीं आ रही थी,,,,, अब तो निर्मला जी घबराने लगे तो समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या होगा अगर अशोक होगा तो आज बहुत बिगड़ेगा

यही सोचकर उस ने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने देख लिए एक वृद्ध औरत बैठी हुई थी जोकी दूसरी तरफ दीवार को देख रही थी।
 
Expert Member
8,730
3,536
143

निर्मला को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह औरत कौन है वह और नजदीक जाने लगी तो निर्मला के पैरों की चहल कदमी को भांपकर,,, जैसे ही वह औरत निर्मला की तरफ नजर घुमाई उसे देखते ही निर्मला के चेहरे पर मुस्कान फैल गई ओर वह चंहकते हुए बोली

मम्मी आप,,,,,,


हां रे,,,, मैं,,,,, कब से दरवाजे पर घंटी बजा रही हूं लेकिन तू है कि जैसे घोड़े बेच कर सो रही है,,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह धीरे-धीरे उठने की कोशिश करके अपना हाथ निर्मला की तरफ बढ़ा दी ताकि वह सहारा देकर उठा सके,,,,, और निर्मला अभी तुरंत अपनी मां का हाथ पकड़कर उसे सहारा देते हुए उठा दी,,,,,)


मुझे माफ करना मम्मी को क्या है कि मेरे सर में थोड़ा दर्द था इसलिए आंख लग गई तो पता ही नहीं चला,,,,,, ( निर्मला बहाना बनाते हुए अपनी मां से बोली,,,,)


चल कोई बात नहीं अच्छा यह तो बता कि मेरा नन्हा मुन्ना शुभम कहां है,,,,,,


अरे मम्मी अब वह नन्ना मुन्ना नहीं रह गया है अब तो पूरा जवान लड़का हो गया है अभी बुलातेी हूं।


शुभम को शुभम जरा देख तो कौन आया है,,,,,


( शुभम वही घर के अंदर छुप कर बातें सुन रहा था और उन बातों को सुनकर उसे इतना तो पता चल गया था कि उसकी नानी घर पर आई है,,, वह जल्दी जल्दी घर के बाहर दरवाजे पर आया और खुश होते हुए अपने संस्कारी होने का प्रमाण पत्र देते हुए अपनी नानी के चरण स्पर्श कर लिया।


शुभम जैसे ही अपनी नानी के चरण स्पर्श किया वैसे ही उसकी नानी अपने नाती के अच्छे और संस्कारी व्यवहार को देखकर एकदम से गदगद हो गई और झट से उसे उठाकर अपने गले लगा ली,,,,

जीते रहो बेटा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी वरना आजकल के छोकरे तो अपने बड़ों से ठीक से बात तक नहीं करते,,,,,( इतना कहते हुए वह अपने चश्मे को ठीक से व्यवस्थित करते हुए शुभम की तरफ ऊपर से नीचे देखकर बोली,,,)

सच में निर्मला शुभम को एकदम जवान हो गया है अब यह बिल्कुल भी बच्चा नहीं रहा,,,,,, और हां मैं इतनी देर से घंटी बजा रही थी तो तू क्या कर रहा था तुझे तो आकर झट़ से दरवाजा खोलना था,,,,।

( अपनी नानी के इस सवाल का वह जवाब नहीं दे पा रहा था वह अपनी मां की तरफ देखने लगा तो निर्मला ही बात को संभालते हुए बोली।)


अरे मम्मी इसके फाइनल एग्जाम आने वाले हैं ना तो उसी से विषय में तैयारी कर रहा था इसलिए उसे पता नहीं चला,,,,


निर्मला बात को संभालते हुए बहाना बना दी थी जिस पर उसकी मम्मी को विश्वास भी हो गया था,,,, अब वह अपनी मां से सच्चाई तो बता नहीं सकती थी कि उनका नाती उनकी बेटी को जमकर चोद रहा था और उनकी बेटी को चुदवाने में इतना मजा आ रहा था कि वह जान बूझकर दरवाजा नहीं खोली


चल अच्छा ठीक है,,,, मेरा बैग घर मे ले आ,,,

( शुभम की नानी आगे-आगे जाने लगी और निर्मला ने बेटे की तरफ विजयी मुस्कान बिखेरते हुए कमरे में जाने लगी,,, पीछे पीछे शुभम भी अपनी मां की गदराई गांड को मटकते हुए देखकर जाने लगा जिसको कुछ देर पहले ही जमकर रौंद रहा था।


घर में आते ही निर्मला की मम्मी कुर्सी पर बैठ कर पंखे की ठंडी हवा खाने लगी तब जाकर उन्हें थोड़ा सुकून मिला,,, बातचीत का दौर शुरु हो चुका था निर्मला अपनी मम्मी से हंस-हंसकर बातें कर रही थी शुभम भी अपनी नानी को पाकर खुश था क्योंकि जब भी वह आती थी तो कुछ ना कुछ उसके लिए जरूर लाती थी। वैसे भी शुभम की नानी आज काफी महीनों बाद घर आई थी इसलिए तीनों कुछ ज्यादा ही प्रसन्न नजर आ रहे थे,,,,,, बातों ही बातों में पता चला कि शुभम की नानी आंख का इलाज करने आई हुई है।

दरवाजे पर लगातार बज रही घंटी की आवाज को नजरअंदाज करते हुए कुछ देर पहले निर्मला अपने बेटे से चुदाई का अद्भुत आनंद लेते हुए सब कुछ भूल चुकी थी और दरवाजा खोलने की अफरा तफरी में अपनी मां को घर आया देखकर वह इस बात को बिल्कुल भी भूल चुकी थी कि,,,, शुभम उसके साथ पूरी तरह से खुल चुका था क्योंकि वह शुभम से सारी बातें करके उसे समझा ली थी और अब तो उसके लिए सारे रास्ते खुल चुके थे।

वह शुभम के साथ अब घर में चाहे जब किसी भी समय अशोक की गैरहाजिरी में चुदाई का सुख ले सकती थी और उसे इस बात की खुशी भी थी लेकिन जल्द ही उसका यह नशा काफूर हो गया क्योंकि उसकी मम्मी उसके घर पर आंखों का इलाज कराने आई थी जिसमें दस पंद्रह दिन लग सकते थे और इसीलिए जल्दी उसका प्रसन्नता से भरा हुआ चेहरा उदास हो गया।

इस बात को शायद शुभम भी अच्छी तरह से समझ गया था कि उसकी आजादी पर कुछ दिन के लिए विराम लग चुका था इसलिए वह भी अपनी नानी के आने से अब खुश नजर नहीं आ रहा था। दोनों एक दूसरे की तरफ देखकर आंखों ही आंखों में अपनी उदास पन का इजहार कर दिए अब शुभम और निर्मला के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था आज पहली बार निर्मला को अपनी मां का इस तरह से घर पर आना बहुत ही बुरा लग रहा था। दोनों की आजादी छीन चुकी थी दोनों को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे कुछ देर पहले उनके बदन में पर लग गए होैं और अभी उड़ने का मजा लिया भी नहीं था कि उनके पर को किसी ने जबरदस्ती नोच लिया हो,, शुभम की नानी हंस हंस कर बोले जा रही थी लेकिन अब उनकी बातों को दोनों के कान सुनने से इंकार कर रहे थे। तभी इस बात का एहसास दिलाते हुए शुभम की नानी बोली।


क्या बात है तुम दोनों मेरी बात का कोई जवाब नहीं दे रहे हो और ना ही खुश नजर आ रहे हो कहीं ऐसा तो नहीं तुम लोगों को मेरा आना अच्छा नहीं लगा।


अरे नहीं नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैं आपको बता ही ना कि मेरे सर में थोड़ा सा दर्द है इसलिए और वैसे भी शुभम भी काफी परेशान है एग्जाम को लेकर के,,,, वैसे मम्मी घर पर सब कुछ ठीक है ना पापा कहते हैं भाभी कैसी हैं भैया और बच्चे


अरे सब मजे में हैं वह लोग तो तुम लोगों के आने का इंतजार करते रहते हैं लेकिन तुम लोगों को इस शहरी जीवन से जरा भी फुर्सत मिले तब ना गांव का रुख करो


नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है दरअसल उन्हें बिजनेस से और शुभम की पढ़ाई की वजह से बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था लेकिन इस बार गर्मियों की छुट्टी में हम लोग जरुर आएंगे गांव घूमने

निर्मला का मन बिल्कुल उदास हो चुका था वह अपनी मां के सवालों का बिल्कुल भी जवाब देना नहीं चाहती थी लेकिन वह नहीं चाहती थी कि उसकी मां को जरा भी इस बात का एहसास हो कि उनके आने पर वह बिल्कुल भी खुश नहीं है। बेमन से वह अपनी मां के साथ बैठकर कुछ देर तक बातें करती रही,,,, तब वह अपनी मम्मी से बोली,,,,,,


मम्मी आप बाथरूम में जाकर थोड़ा सा फ्रेश हो जाओ मैं आपके लिए खाना लगा देती हूं उसके बाद खाना खाकर आप आराम कर लो



ठीक है बेटी,,,, वैसे भी मैं काफी थक गई हूं लेकिन तू मेरा बिस्तर अपने कमरे में लगाना क्योंकि मुझे चश्मा लगाने के बावजूद भी ठीक है फिर दिखाई नहीं देता है इसलिए मुझे तेरी जरूरत पड़ेगी और तू सुभम मुझे जरा बाथरुम तक ले चल

( इतना कहते हुए वह कुर्सी पर से उठने लगी और शुभम भी उनका हाथ पकड़ कर बाथरूम की तरफ ले जाने लगा निर्मला वही कुर्सी पर बैठे-बैठे मन में बुदबुदाने लगी क्योंकि आप कमरा भी हाथ से जा चुका था। अपनी मां की आदत को अच्छी तरह से जानती थी उसकी मां को जब भी वह पास में होती थी तो उसके पास ही सोने की आदत थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाई,,,, बस पैर पटक कर रह गई,,,,, नहा धोकर फ्रेश होने के बाद निर्मला की मम्मी खाना खा कर सो गई भाई तो बड़े आराम से चैन की नींद सो रही थी लेकिन निर्मला की नींद तो हराम हो चुकी थी।
 
Expert Member
8,730
3,536
143

निर्मला के साथ साथ शुभम भी उदास बैठा था। दोनों कमरे के बाहर बैठे हुए थे और कमरे में निर्मला की मां आराम से सो रही थी आज निर्मला को पहली बार उसकी खुद की मां मुसीबत लग रही थी क्योंकि दोनों के मजे में भंग पड़ गया था और यह सब निर्मला की मां की वजह से हुआ था। सोफे पर बैठा हुआ था निर्मला उसके करीब जाकर बैठ गई और उसे दिलासा देते हुए बोली।


मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि मम्मी इस तरह से आ जाएगी हम दोनों के बीच अच्छा तालमेल बैठ रहा था तभी यह मम्मी का आना मुझे अच्छा नहीं लगा


मम्मी मुझे भी आज पहली बार नानी का घर आना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है पता नहीं क्यों मन बेचैन सा हो रहा है।

( शुभम उदास मन से बोला और निर्मला अपने बेटे की यह बात सुनकर मन ही मन इस बात से प्रसन्न होने लगी थी उसका बेटा उसका दीवाना हो चुका था इसलिए इस तरह की बातें कर रहा है अपने बेटे के सर पर हाथ रखते हुए निर्मला बोली।)


कोई बात नहीं बेटा,,, मैं जल्दी से जल्दी मम्मी को किसी आंख के अच्छे डॉक्टर को दिखाकर उनका इलाज कराकर इधर से रवाना कर दूंगी उसके बाद हम दोनों के लिए सब कुछ साफ हो जाएगा
( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली अपनी मां की यह बात सुनकर शुभम को थोड़ी बहुत राहत हुई।)


सच मम्मी,,,, क्या फिर से हम दोनों ( शुभम इतना कहकर खामोश हो गया इससे आगे वह कुछ बोल नहीं पाया लेकिन निर्मला अपने बेटे की यह बात का मतलब अच्छी तरह से समझ गई थी इसलिए मुस्कुराते हुए अपने बेटे से बोली)


क्या फिर से हम दोनों,,,, आं,,,, बोल क्या बोलना चाह रहा है


( निर्मला चेहरे पर प्रसन्नता के भाव लिए अपने बेटे से आगे की बात पूछने लगी लेकिन शुभम शर्मा रहा था और शरमाते हुए बोला।)


कुछ नहीं मम्मी मैं तो यूं ही पूछ रहा था


यूं ही नहीं तो जरूर कुछ कहना चाहता है लेकिन कह नहीं पा रहा है । बता और मुझसे शर्माने की कोई जरूरत नहीं है,,,, देख अब तो हम दोनों के बीच वह शब्द ही हो गया जो एक पति पत्नी और प्रेमी प्रेमिका के बीच होता है एक मर्द और औरत के बीच जो जिस्मानी संबंध होते हैं वह संबंध हम दोनों के बीच हो गया है इसलिए शर्माने की जरुरत नहीं है।


( निर्मला अपनी मीठी बात से शुभम को समझाने की कोशिश करने लगी लेकिन शुभम की शर्म अभी भी दूर नहीं हो पा रही थी यह बात अलग है कि बिस्तर पर नंगे होने के बाद वह सब कुछ भूल जाता था लेकिन बिस्तर से उतरते ही फिर से शर्म का लिबास तन पर ओढ़ लेता था। इसलिए फिर से शर्माते हुए बोला


सच में मम्मी नहीं कुछ और नहीं कहना चाहता था


नहीं तू बिल्कुल झूठ बोल रहा है।( निर्मला अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा इस तरह से बताने वाला नहीं है उसके लिए उसे अपना जलवा दिखाना होगा इसलिए उसने अपने कंधे से साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दी जिससे एक बार फिर से उस की जवानी की दुकान का शटर खुल चुका था।

शुभम की नजर जैसे ही अपनी मां के बड़े-बड़े खरबुजो पर गई वैसे ही तुरंत सुभम की जवानी चिकोटी काटने लगी।ब्लाउज मे कैद अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देख कर उसका लंड हीचकोले खाने लगा,,, निर्मला अपने बेटे की हालत को देखकर जान गई कि उसकी चूचियों का जादू उसके ऊपर चलने लगा है इसलिए फिर से बोली)


बोलना शुभम तू क्या कह रहा था,,,,


मम्मी मै यहीं कह रहा था कि क्या हम फिर से वही कर पाएंगे ( अपनी मां की चुचियों की तरफ मंत्रमुग्ध से देखते हुए)


क्या वही कर पाएंगे थोड़ा खुल कर बोलना शर्मा क्यों रहा है (इतना कहते हुए निर्मला अपनी दोनों हथेलियों को अपनी चूची पर रखकर हल्के से दबाने लगी,, यह देख कर पजामे के अंदर शुभम का लंड गदर मचाने लगा। और वह बोला।)


मम्मी वही जो अभी तक करते आ रहे हैं


निर्मला अपने बेटे के मुंह से गंदी बातें सुनना चाहती थी जो कि सभी लड़के आपस में किया करते थे लेकिन शर्म के मारे वह अभी भी अपने मुंह से गंदे शब्द नहीं निकाल पा रहा था। इसलिए वह थोड़ा झुंझला रही थी और फिर से बोली


क्या यार शुभम तू अभी भी इतना शर्मा रहा है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि बिस्तर में जो अपना दमखम दिखाता है वह तू ही है,,,, अच्छा एक बात बता तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं ना,,,,, तो एक काम कर मैं तुझे कैसी लगती हूं ( अपने चेहरे पर हल्के से ऊंगलिया फेरते हुए) अब तो बोल मैं तुझे कैसी लगती हूं


तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो ( शुभम फिर से शर्माते हुए बोला लेकिन शुभम की यह बात सुनकर निर्मला खुश हो गई)


अच्छा यह बता सोच अगर मैं तेरी मम्मी ना होती और तेरे पड़ोस में रहती तो क्या तू आते जाते मुझे देखता

( अपनी मां की यह बात सुनकर बस थोड़ा सा सोचने लगा अब से सोचता होगा देखकर निर्मला बोली


देख तू ज्यादा सोच मत तो कुछ पल के लिए एकदम से भूल जा कि मैं तेरी मम्मी हूं तू मेरा बेटा,,, बस इतना ख्याल रखती तू एक जवान लड़का है और मैं एक औरत हूं और लड़के खूबसूरत औरत को किस नजर से देखते हैं तुझे यही बताना है। अब बता क्या तू मुझे आते जाते घूरता रहता

( शुभम को आज उसकी मां का अंदाज कुछ ज्यादा ही बोल्ड लग रहा था लेकिन शुभम को अपनी मां के इस अंदाज से बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था जिसकी वजह से उसका लंड पजामें मैं खड़ा हो गया था। वह समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से खुल चुकी है और मजा लेने के लिए खुलना भी है बेहद जरूरी है। इसलिए वह बोला।)


हां मम्मी में जरूर तुम्हें आते जाते देखता रहता


हां यह हुई ना कोई बात इस तरह से जवाब दिया कर तो हम दोनों को भी मजा आएगा। अच्छा यह बता क्या देखता क्या तू मेरे चूचिया देखता( दोनों हथेलियों को चूचियों पर रखकर घुमाते हुए) या मेरी मस्त गांड देखता,,,, या फिर मेरी गोरी गोरी कमर को देखता


मम्मी मैं तुम्हारे पूरे बदन को देखता, तुम्हारी मदहोश कर देने वाली चु्चियां मटकती हुई गांड,,, गोरी गोरी चिकनी कमर सब कुछ तो है देखने लायक


वाहहह,,, बेटा यह हुई ना कोई बात ऐसी जवाब दिया कर


अच्छा हम अब अपनी बात पर आते हैं


मम्मी कहीं नानी जग ना जाए


अरे इतनी जल्दी नहीं चलेंगी इतनी दूर की यात्रा करके आ रही है थक गई होंगी अभी तो चैन की नींद सोएंगी,,, हां लेकिन हम दोनों का जीना हराम कर दि हैं। इतना अच्छा मौका मिला था सब हाथ से जाता रहा,,,, अच्छा तू मुझसे पूछ रहा था ना कि अब कब कर पाएंगे तो जरा खुल कर बोल


अरे मम्मी तुम तो एक ही बात पर अटकी हुई हो जानती तो हो तुम कि मैं क्या बोलना चाहता हूं।


हां तो यही बात अपने मुंह से बोल दे


अब मै तुम्हे कब चोद पाऊंगा ( शुभम नजरे नीचे झुका कर बोला,,,, ऊसकी यह बात सुनते ही निर्मला खुश हो गई और झट से उसे अपने सीने से लगा ली,,,, सीने से लगाते हुए बोली


यह हुई ना कोई बात,,,, अब तु पूरा मर्द बन चुका है।

( निर्मला और जोर से अपने सीने से लगा ली शुभम की तो हालत खराब होने लगी अपनी मा की नरम नरम चूची पर अपना चेहरा स्पर्श होते ही उसका लंड पूरी ताकत के साथ खड़ा हो गया।शुभम को बहोत अच्छा लग रहा था। शुभम उत्तेजना बस अपनी मां की चुचियों को पकड़ने ही जा रहा था कि तभी निर्मला उत्साहित होकर उसे अपने बदन से दूर करते हुए और उसके चेहरे को अपनी हथेलियों में भरकर उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोली,,,


शुभम,,,, शुभम तू नहीं जानता कि मैं कितनी खुश हूं,,,,, आई लव यू शुभम,,,, आई लव यू,,,,
( शुभम तो आश्चर्य से अपनी मां को देखता ही रह गया तो समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां ऐसा क्यों कह रही है।)

मैं जानती हूं शुभम कि तू क्या सोच रहा है लेकिन तू शायद मैं नहीं जानता कि मैंने अब तक की जिंदगी किस तरह से दुखो में गुजारी है। तेरे पापा से तो मुझे अब कोई भी उम्मीद नहीं है एक तरह से उन्होंने मेरी जिंदगी को मेरी जवानी को बर्बाद कर दिया है जिस प्यार के लिए मैं तड़पती रही सिसकती रही इस चाहत के लिए मैं इतनी बरसों से तेरे पापा का इंतजार करती रही उनके मुंह से चंद लफ़्ज़ सुनने को तरसती रही,,,,,, लेकिन यह तड़प यह सिसक,,,, तेरे पापा के कानों तक और ना ही उनके दिल तक सुनाई दी। तुझे देखती हूं तो मेरी सारी उम्मीदें मेरे सारे सपने फिर से मुझे नई जिंदगी देने के लिए बाहें फैलाए नजर आती है,,,,, शुभम कुछ दिनों में मैं तेरे बारे में इतना सोचने लगी हूं कि ऐसा लग रहा है कि मुझे तुझसे प्यार हो गया है तेरे में मुझे एक प्रेमी नजर आता है मैं तुझे अपना प्रेमी बनाना चाहती हूं,,,,,,
( निर्मला इतना कहते-कहते बेहद गंभीर मुद्रा में नजर आने लगी शुभम तो अभी भी आश्चर्य में था।)

शुभम मैं तुझे अपना बेटा नहीं बल्कि तुझे अपना प्रेमी अपना सब कुछ बनाना चाहती हूं तेरे लिए मैं अपने दिल के सारे दरवाजे खोल चुकीे हूं। तू मेरे साथ कभी भी कुछ भी कर सकता है मेरे दिल के साथ साथ मेरे बिस्तर पर भी तेरा ही हक है।

शुभम की दोनों हथेलियों को अपनी हथेली में भरते हुए मैं पूरी तरह से तेरी हो चुकी हूं मैं तेरी प्रेमिका बनने के लिए तैयार हूं। क्या तुम मुझे अपनी प्रेमिका बनाएगा क्या तुम मेरा प्रेमी बनेगा शुभम मेरी उम्मीद को ठुकरा मत देना मैं नहीं चाहती कि हम कि हम दोनों का यह नया रिश्ता वासना की बुनियाद पर टिका हो। मैं चाहती हूं कि अपना नया रिश्ता दिल से जुड़ा हो ना कि सिर्फ बिस्तर से,,,,, बोल शुभम तू खामोश क्यों है। क्या तुम मुझे प्यार नहीं करता,,,,

( शुभम तो अपनी मां की बात सुनकर आश्चर्य से आंखें फाडे़ देखे जा रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी मां यह सब बातें क्यों कर रही है, अपनी मां के ईस तरह से दबाव देते हुए पूछे जाने पर उसके मुंह से मम्मी निकल गया।)


मम्मी


बेटा यह सब तू भूल जा कि मैं तेरी मम्मी हूं तु मेरा बेटा है यह तो हम दोनों दुनिया के लिए,,,, बस अब यह ध्यान रख मैं तेरी प्रेमिका हूं और तु मेरा प्रेमी,,,,, बोल शुभम क्या चाहता हे,,, क्या तु मुझे बस चोदने के लिए ही रिश्ता रखना चाहता है या मुझे प्यार भी करता है बोलना मुझे बनाएगा अपनी प्रेमिका


शुभम धीरे धीरे अपनी मां की बातों को समझ रहा था वह जानता था कि उसके पापा उसकी मां को प्यार नहीं दे पाते और वह प्यार के लिए तरस रही है और जिस तरह से उसकी मां नजदीक आते हुए उसका हाथ पकड़े हुए थी। शुभम की उत्तेजना बढ़ती जा रही है उससे रहा नहीं जा रहा था,,,, वैसे भी तो दिल से जुड़ा रिश्ता और वह भी औरत और मर्द का आखिरकार बिस्तर पर ही जाकर सिमट जाता है

इसलिए शुभम को ऐसे रिश्ते से कोई भी एतराज नहीं था और वैसे भी कौन नहीं चाहता कि निर्मला जैसी गर्लफ्रेंड हो भले ही वह एक औरत ही क्यों ना हो लेकिन निर्मला एक ऐसी औरत थी जोकी खूबसूरती और सेक्सी तुमने किसी भी अल्हड़ मस्त जवानी से भरपूर लड़कियों को भी पछाड़ दे इसलिए शुभम को भी कोई ऐतराज नहीं था,, वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उत्तेजना उसके सर पर सवार हो चुकी थी एक बेहद खूबसूरत मदमस्त जवानी से भरपूर औरत को अपनी इतनी नजदीक पाकर वह एकदम से जोश में आ गया और अपना हाथ खड़ा कर वजह से अपनी मां के चेहरे को अपनी हथेलियों में भर कर बोला


आई लव यू,,,,,, आई लव यू निर्मला,,,,, आई लव यू मैं तुम्हें अपनी प्रेमिका बनाने के लिए तैयार है और आज से तुम मेरी प्रेमिका

( और इतना कहने के साथ ही अपने होठ को अपनी मां के गुलाबी होठों से सटा दिया और पागलों की तरह अपनी मां के होंठ को चूसना शुरू कर दिया कुछ ही देर में निर्मला भी उसका साथ देते हुए पागलों की तरह उसे अपनी बाहों में भरकर जीभ से जीभ चाटने लगी

दोनो को बेहद मजा आ रहा था उनके प्यार की शुरुआत का यह पहला चुंबन था जिसका दोनों बड़े आनंदित होकर के आनंद ले रहे थे। शुभम तो पहले से ही उत्तेजित अवस्था में था और अपनी मां के होटो को चुमता हुआ पागल होने लगा। उससे रहा नहीं गया तो वह धीरे धीरे अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगा निर्मला भी मदहोश होने लगी थी लेकिन दोनों आगे बढ़ने के बारे में सोचते कि तभी कमरे से निर्मला की मां की आवाज आई


अरे बेटी सुन तो कहां गई,,,,

 

Top