गांव में ऐसा शायद पहली बार हो रहा था कि, एक लड़का खुद अपनी शादी की बात करने अपने ससुराल गया था,,,, जबकि ऐसा बिल्कुल भी होता नहीं था गांव में बड़े बुजुर्ग मां-बाप अपने लड़के लड़की का रिश्ता तय करते थे अपने हिसाब से,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता था कि जवान लड़का अपना रिश्ता लेकर अपने ससुराल जाए और लड़की का हाथ मांगे,,,, लेकिन सूरज के मामले में कुछ और था,,, वह अपने घर पर किसी को भी नहीं बताया था कि वह गांव की लड़की झुमरी से बेहद प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है उसे पूरा विश्वास था कि उसकी बात गौरी की मां जरूर मान जाएगी क्योंकि उससे शारीरिक रिश्ता जो था और वह गौरी की मां की कमजोरी को अच्छी तरह से जानता था गौरी की मां की कमजोरी थी उसका मोटा तगड़ा लंड,,, जिसके बलबूते वह अपने मन की बात गौरी की मां से मंगवाना चाहता था और उसने वैसा ही किया गौरी की मां सूरजके मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में देने के लिए तड़प रही थी और सूरजउसे तड़पा रहा था वैसे तो वह चाहे जिस हाल में उससे झुमरी का हाथ मांगता हुआ देने को तैयार हो जाती लेकिन सूरजयह देखना चाहता था कि उसके बगैर गौरी की मां कैसे तड़पती है इसीलिए तो वहां गौरी की मां की बुर में लंड डालने से पहले अपने मन की बात उससे मनवा लिया था और उसका दामाद बनने के बाद फायदा भी गिनवा दिया था कि उसकी लड़की के साथ शादी करने के बाद भी वह पूरी तरह से उसे खुश करता रहेगा और इसी लालच से गौरी की मां तैयार भी हो गई थी और वैसे भी सूरजगांव में धीरे-धीरे पूरी तरह से वर्चस्व कारी इंसान बनता जा रहा था लाला का एकदम खास होता जा रहा था आमदनी भी अच्छी होती जा रही थी इसलिए ऐसा कौन होगा जो ऐसे लड़के से अपनी लड़की का विवाह नहीं करना चाहेगा इसीलिए तो झुमरी की मा भी मान गई थी,,,
गौरी की मां अब एक तरह से सूरजकी सास बन चुकी थी लेकिन फिर भी अपने ही दामाद से चुदवा रही थी,,, उसके मोटे तगड़े लंबे दमदार लंड की रगड़ को वह अपनी बुर में अच्छी तरह से महसूस कर रही थी,,,,,,,,
सूरजने अपनी ही शादी की बात करके अपने जीवन में पहला सबसे बड़ा काम कर चुका था वैसे तो उसने इस उमर में ना जाने कैसे कैसे अद्भुत कार्य कर चुके थे लेकिन यह कार्य उसके लिए बेहद संतोष कारी था क्योंकि यह कार्य करके वह खूबसूरत लड़की के साथ अपना जीवन गुजारना चाहता था अपने माता-पिता को तो वह कभी भी इस विवाह के लिए मना सकता था क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि उसके माता-पिता इस रिश्ते के लिए कभी भी इनकार नहीं करेंगे आखिरकार वह परिवार का कमाऊ पूत जो बन चुका था,,,,,,
ऐसे ही एक दिन खेतों में पानी देना था रूपाली परेशान थी क्योंकि अकेले यह काम उससे होने वाला नहीं था,,,, लेकिन सूरज का कहीं अता पता नहीं था,,, उसे वाकई में सूरजके मदद की जरूरत है खेत पर चलने के लिए इस समय परिवार का कोई भी सदस्य नहीं था वैसे तो मंजू घर पर ही थी लेकिन घर में काम बहुत था इसलिए वह मंजू को घर का काम करने के लिए कही थी और जाते-जाते हिदायत दी थी कि सूरजजैसे ही आया उसे खेत पर भेज देना इस बात पर उसकी ननद चुटकी लेते हुए बोली थी,,,
क्यों भाभी बुर में खुजली हो रही है क्या,,,?
धत्,, भोसड़ा चोदी,, तुझे हमेशा यही सुझता रहता है क्या,,,
नहीं ऐसा तो नहीं है लेकिन जिस तरह से तुम सूरजको खेत पर भेजने की बात कर रही हो मुझे तो ऐसी लग रहा है कि जैसे तुम्हें आज कुछ ज्यादा ही खुजली मची हुई है,,,
अरे मेरी पुर में नहीं तेरी बुर में आग लगी हुई है अगर ऐसा है तो सूरजघर पर आए ना तो पहले उसके सामने दोनों टांगे खोल देना और जब शांत हो जाना तब खेत पर भेज देना,,,
अच्छा मुझे शांत करने के बाद ताकि वह तुम्हें शांत कर सके,,,
हाय दैया यह कब सुधरेगी,,,, दीन रात इसकी बुर में आग लगी रहती है आने दे तेरे भैया को तेरी शादी की बात करती हु ताकि दिन-रात अपनी बुर में लेकर पड़ी रहना अपने आदमी का,,,,
ना मेरी प्यारी भाभी ऐसा बिल्कुल भी मत करना आदमी कैसा भी मिल जाए लेकिन उसका लंड सूरज की तरह बिल्कुल भी नहीं होगा इतना लंबा और मोटा तगड़ा लंड है सूरजका की कसम से मैं तो सोच कर ही मायूस हो जाती हूं की शादी के बाद मेरा क्या होगा सूरजके बिना तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा,,,
तू एक काम कर सूरज से ही शादी कर ले फिर दिन रात उससे चुदवाते रहना,,,,
सच कह रही हो भाभी अगर समाज का डरना रहता तो मैं सूरज से ही शादी कर लेते अगर मुझे मौका मिले सूरज को लेकर कहीं और चले जाने को तो मैं चली जाऊं जहां हम दोनों को कोई ना पहचानता हो जानता हो ताकि हम दोनों पति पत्नी बन कर रह सके और जिंदगी का मजा लूट सके,,,
हाय दैया कितनी हारामी है रे तू चुदवाने के लिए अपने ही भतीजे से शादी करना चाहती है,,,,,
तू क्या हुआ भाभी जिंदगी का असली सुख तो चुदाई में ही है बाकी सब बेकार है अगर यह सुख ना मिले तो फिर जिंदगी किस काम की,,,
तेरे से तो बात करना ही बेकार है जैसा कहीं हूं वैसा ही करना सूरजको जल्दी खेत पर भेज देना खेतों में पानी देना है वरना फसल नष्ट हो जाएगी,,,
ठीक है भाभी,,,(मंजू हंसते हुए बोली,,,, और रूपाली खेत के लिए चली गई,,,, मंजू घर में बर्तन मांजने लगी,,, और बर्तन साफ करते हुए वह अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर सच में उसकी शादी ऐसे आदमी से हो गई जिसका लंड सूरजकी तरह नहीं हुआ तो उसका क्या होगा सूरज के लंड को अपनी बुर मे लीए तो अब उसको मजा ही नहीं आता,,,, यह सोचकर वह अपने मन में ही बोली मैं तो शादी ही नहीं करूंगी ताकि सूरजसे मजा ले सकूं,,,, वह बर्तन मांज कर उठी ही थी कि सूरजआ गया,,,, और आते ही हाथ मुंह धोने लगा और बोला,,,)
मौसी जल्दी से खाना निकालो मुझे बड़े जोरों की भूख लगी है,,,(यह सुनकर मंजू बोली)
तेरी भूख तो रोटी खाने से पूछे जाएगी लेकिन मेरी भूख का क्या मुझे तो तेरे लंड की भूख है जब तक तू इसे मेरी बुर में डालकर जो देगा नहीं तब तक मैं भूख से तड़पती रहूंगी,,,
हाय मेरी रानी मौसी तू तो एकदम छिनार हो गई है तेरी बातें सुनकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,(पजामा के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए)
तो देर किस बात की है मेरे राजा,,(इतना कहने के साथ ही उत्तेजित अवस्था में मंजू अपने सलवार की डोरी खोलने ही वाली थी कि उसे रोकते हुए सूरजबोला,,)
थोड़ा रुको मेरी रानी खाना तो खा लेने दो उसके बाद तुम्हारी जमकर चुदाई करूंगा,,,,
(इतना सुनकर मंजू खुश हो गई और वह सूरजके लिए खाना परोसने लगी वह भी खाना नहीं खाई थी इसलिए वह भी अपने लिए थाली परोस ने लगी और थोड़ी ही देर में दोनों खाना खाने लगे लेकिन खाना खाते-खाते सूरजबोला,,,)
क्या हुआ आज कैसा खाना बनाई हो दाल में तो नमक ही कम लग रहा है,,,
हाय राजा दाल का नमक तो तू चख रहा है लेकिन मेरी जवानी का नमक भी चख ले,,,
हाय मेरी रानी सच में अगर दाल में तेरी जवानी का नमक घुल जाए तो दाल और भी ज्यादा स्वादिष्ट हो जाएगी,,,,
रुक तुझे नमक कम है ना अभी तुझे नमक देती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही मंजू अपनी जगह पर खड़ी हो गई अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी और अगले ही पल वाली सलवार की डोरी खोलकर सलवार को अपने कदमों में गिरा दी और अपनी मंजू बुर को सूरजके सामने परोस ते हुए बोली,,,)
मेरे राजा नमक लेने तेरी दाल में नमक कम है ना रोटी में डूबा डूबा कर खा ले,,,,
(अपनी मौसी के इस रंडी पन पर सूरज पूरी तरह से उत्तेजित हो गया वह जानता था कि उसे क्या करना है वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मौसीकौन से नंबर की बात कर रही है इसलिए वह अपने खाते में से रोटी लेकर उसे तोड़कर उस रोटी के टुकड़े को सीधा अपनी मौसीकी बुर से लगा दिया जिसमें से उसका काम रस टपक रहा था और काम रस की वजह से उसकी पूरी बुर भीगी हुई थी और उसी रस में सूरजपूरी तरह से अपनी रोटी के टुकड़े को डुबोकर उसे वापस दाल में डालकर खाने लगा,,,, यह देखकर मंजू एकदम से उत्तेजित हो गई और वह अपने हाथों से अपने कुर्ते के ऊपर से अपनी चूची को जोर जोर से दबाना शुरू कर दी यह देखकर सूरजके तन बदन में भी आग लग गई और वह रोटी के टुकड़े को बार-बार तोड़कर उसकी बुर्के काम रस से लगा था और फिर दाल में डालकर उसे खाता इस तरह से हुआ है मंजू की बुर में अपनी रोटी को डुबोकर खा रहा था जिससे उसका स्वाद एकदम बढ जा रहा था,,,,)
वह मौसी कमाल का स्वाद है तुम्हारी बुर दाल तो एकदम स्वादिष्ट हो रही है तुम्हारी बुर नमक दाल में गिरते ही दाल और भी ज्यादा लजीज हो गई है अब तो मैं ऐसा ही करूंगा तुम्हारी बुर में रोटी डूबा डूबा कर खाऊंगा,,,,
ओहहहह सूरज मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मेरी बुर में आग लगी हुई है तो जल्दी से इसमे अपना लंड डाल दे,,,,
(मंजू एकदम तड़प रही थी मचल रही थी सूरजके लंड को अपनी बुर में लेने के लिए अपनी मौसीकी तरफ को अच्छी तरह से समझ रहा था वाकई में उसे लंड की बहुत जरूरत थी सूरजतब तक अपनी मौसीकी बुर में डूबा डूबा कर खाते हुए अपनी रोटी को खत्म कर चुका था और जब उसने देखा कि उसकी मौसीकी बुर से काम रस पानी की बूंद की तरह टपक रहा है तो वह खाली ऊपर की तरफ उठाया और अपनी मौसीकी दोनों टांगों के बीच रख दिया ताकि बुर से गिरने वाला काम रस उसके दाल में गिर कर उसे और स्वादिष्ट कर दे और जब 10 12 बूंद टपक कर थाली में गिरा तो सूरज बिना देर किए उसे मुंह से लगाकर पी गया,,,,, और जैसे ही थाली की दाल खत्म हुई थाली को एक तरफ रख कर सूरज अपना दोनों हाथ अपनी मौसी की गोल-गोल गांड पर रखकर उसे जोर से दवाई और उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसकी बुर पर अपना मुंह रख दिया जैसे ही सूरजके होंठ मंजू की बुर पर स्पर्श हुआ मंजू पूरी तरह से तड़प उठी और तुरंत अपना हाथ उसके सर पर रख कर उसके बाल को कसके अपनी मुट्ठी में भींच ली सूरजजितना हो सकता था उतनी अपनी जीभ को अपनी मौसीकी बुर में डालकर उसे चाट रहा था थोड़ी ही देर में सूरजअपनी मौसी को चोदने के लिए तैयार हो चुका था और उसी अवस्था में ही वह खड़ा हुआ और अपने पहचाने को घुटने तक सरका कर अपनी मौसीकी एक टांग को अपनी कमर पर लपेट लिया और उसके मंजू क्षेंद में अपना लंड डाल दिया,,, मोटा तगड़ा गरमा गरम लंड बुर में जाते ही गुलाब एकदम से तड़प उठी और कसकर सूरजको पकड़ ले सूरजमौका देखकर उसकी दूसरी टांग भी ऊपर उठाकर अपनी कमर से लपेट लिया और उसे गोद में उठा लिया सूरजका मोटा और लंबा लंड मंजू की बुर में घुसा हुआ था और वह उसे गोद में उठाए हुए हैं उसकी गांड को पकड़कर ऊपर नीचे करके उसे चोदना शुरू कर दिया मंजू पूरी तरह से मस्त हो गई थी वह सूरजकी ताकत को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए उसे गिरने का बिल्कुल भी डर नहीं था कि कि वह चाहती थी कि सूरजउसे गिरने नहीं देगा,,, सूरजसे गोद में उठाए हुए हैं आगे बढ़ा और दीवार से सटा दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया मंजू पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी घर में कोई भी नहीं था इसलिए बस जोर-जोर से सिसकारी ले रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,, वह अपनी भाभी की कही बात को सच कर रही थी वह सूरज के सामने अपनी दोनों टांगें खोल चुकी थी,,,,,,,
थोड़ी देर में सब कुछ शांत हो गया सूरज अपने पजामे को कमर तक उठाकर उसे बांध लिया,,, और जैसे एकाएक मंजू को कुछ याद आया हो इस तरह से वह बोली,,,,।
अरे मैं एक बात तो भूल ही गई,,,
क्या,,,?
भाभी तुझे खेत पर बुलाई थी खेत में पानी देना है,,,,,, देखना खेत की जगह अपनी बुर में पानी ना डलवा ले,,,,
(अपनी मौसी की बात सुनकर सूरज मुस्कुराने लगा और मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया,,,, और थोड़ी ही देर में वहां खेत पर पहुंच गया जहां पर उसकी मामी खेत में सूखी हुई लकड़ियों का गट्टा बनाकर अपने कंधे पर उठाकर एक तरफ रख रही थी इस तरह से बहुत अपने कंधे पर उठाकर ले जाने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही उभरी हुई नजर आ रही थी जिस पर नजर पड़ते ही सूरजके लंड में सनसनाहट होने लगी,,,, और वह अपनी मामी के पास गया और बोला,,,)
वाह तुम्हारी गांड तो कितनी बड़ी बड़ी लग रही है,,,,
(सूरज पीछे से जाकर बोला था इसलिए रूपाली को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसका भांजा खेत पर आ चुका है इसलिए वह एकदम से चौक गई और उसकी कंधे पर बोझा उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया और वह पीछे की तरफ देखी तो पीछे सूरज खड़ा था और वह गहरी सांस लेते हुए अपनी कमर पर हाथ रख कर बोली,,,)
तू अभी आया है जब पूरा काम होने को आया है तब तू इधर आ रहा है,,,,(अपनी कमर पर दोनों हाथ रख कर गहरी सांस लेते हुए रूपाली गुस्से में बोल रही थी और ऐसा करने पर उसका रूप सौंदर्य और भी ज्यादा निखर गया था उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,, और गर्मी का महीना होने की वजह से वह पसीने से तरबतर हो चुकी थी और पसीने की बूंदे उसकी गोरी गोरी चूचियों पर फिसल कर उसकी चूचियों के बीच की गहराई में डूब रही थी यह देखकर सूरज से रहा नहीं गया और बोला,,,)
वाह बनाने वाले ने भी क्या खूब चीज बनाया है मैंने आज तक इतनी खूबसूरत औरत नहीं देखा देखो तुम्हारी चूचियां कितनी चमक रही है धूप में और पसीने की बूंदे उसमें से फिसलती हुई किसी तुम्हारी चूची की गहराई में घाटी में गिर रही है,,,,,(यह सुनते ही रूपाली की नजराना ऐसी है अपनी छातियों पर गई और वह वाकई में पसीने को अपनी सूची की गहराई में जाता हुआ देखकर मुस्कुराने लगी और बोली,,,)
तू बहुत शैतान है तुझे जरा भी पता है कि मैं अकेले काम कर रही हूं और वह भी कड़ी धूप में,,,
क्या करूं मामी मैं जैसे घर पहुंचा मौसी ने जैसे ही मुझे बताई और मैं तुरंत यहां दौड़ता हुआ चला आया,,,, अब बोलो मुझे क्या करना है,,,,,
करना क्या है सब कुछ तो मैं कर चुकी हूं बस अब मशीन चालू करके पानी खेतों में देना है,,,, जो कि आप सिर्फ मशीन चालू करने का ही काम रह गया है खेत में पानी तो अपने आप ही चला जाएगा,,,,
तो रुको मैं मशीन चालू कर देता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही दोनों नीम के पेड़ के नीचे आ गए उसके घनी छांव में हवा लगने से रूपाली को थोड़ी राहत हो रही थी और वह अपने साड़ी के पल्लू से अपने माथे का पसीना पोंछतए हुए बोली,,,) अब जाकर थोड़ी राहत महसूस हो रही है वरना गर्मी से तो मेरी हालत ही खराब हो गई थी,,,,
थोड़ी देर यहीं बैठो सही हो जाएगा,,,,
(इतना कहने के साथ ही सूरज उसी पेड़ के नीचे बने छोटे से झुग्गी के अंदर गया और मशीन चालू करने लगा थोड़ी ही देर में मशीन चालू हो गई और उसमें से पानी निकलने लगा जो कि एक पाइप से निकलकर पहले टंकी में जाता था और फिर टंकी से होते हुए मिट्टी के नाली में से होकर खेतों में जा रहा था,,,,,,, सूरजभी बाहर आ गया और खटिया गिरा दिया जिस पर रूपालीबैठ गई और वह भी बैठ गया,,,,,, कुछ देर तक दोनों इधर-उधर की बातें करते रहे और रूपालीउठकर झुग्गी के पीछे की तरफ जाने लगी तो सूरजबोला,,,,।
कहां जा रही हो,,,
अभी आई,,,,
मुतने जा रही हो क्या,,,,
अरे बोली ना अभी आई,,,,,
(सूरज मुस्कुराता हुआ वहीं बैठा रह गया जब थोड़ा देर हो गया तो सूरज झुग्गी की तरफ जहां से ट्यूबवेल में से पानी गिर रहा था वहां देखा तो उसकी नजर नंगी चिकनी टांग पर पड़ी जो की टंकी के अंदर आधी डूबी हुई थी और बाकी टंकी के बाहर थी कितना देखकर सूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा और वह तुरंत अपनी जगह से उठ कर ट्यूबेल की तरफ गया तो वहां का नजारा देखकर एकदम दंग रह गया उसके तन बदन में मदहोशी का नशा छाने लगा और उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,,)
गौरी की मां अब एक तरह से सूरजकी सास बन चुकी थी लेकिन फिर भी अपने ही दामाद से चुदवा रही थी,,, उसके मोटे तगड़े लंबे दमदार लंड की रगड़ को वह अपनी बुर में अच्छी तरह से महसूस कर रही थी,,,,,,,,
सूरजने अपनी ही शादी की बात करके अपने जीवन में पहला सबसे बड़ा काम कर चुका था वैसे तो उसने इस उमर में ना जाने कैसे कैसे अद्भुत कार्य कर चुके थे लेकिन यह कार्य उसके लिए बेहद संतोष कारी था क्योंकि यह कार्य करके वह खूबसूरत लड़की के साथ अपना जीवन गुजारना चाहता था अपने माता-पिता को तो वह कभी भी इस विवाह के लिए मना सकता था क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि उसके माता-पिता इस रिश्ते के लिए कभी भी इनकार नहीं करेंगे आखिरकार वह परिवार का कमाऊ पूत जो बन चुका था,,,,,,
ऐसे ही एक दिन खेतों में पानी देना था रूपाली परेशान थी क्योंकि अकेले यह काम उससे होने वाला नहीं था,,,, लेकिन सूरज का कहीं अता पता नहीं था,,, उसे वाकई में सूरजके मदद की जरूरत है खेत पर चलने के लिए इस समय परिवार का कोई भी सदस्य नहीं था वैसे तो मंजू घर पर ही थी लेकिन घर में काम बहुत था इसलिए वह मंजू को घर का काम करने के लिए कही थी और जाते-जाते हिदायत दी थी कि सूरजजैसे ही आया उसे खेत पर भेज देना इस बात पर उसकी ननद चुटकी लेते हुए बोली थी,,,
क्यों भाभी बुर में खुजली हो रही है क्या,,,?
धत्,, भोसड़ा चोदी,, तुझे हमेशा यही सुझता रहता है क्या,,,
नहीं ऐसा तो नहीं है लेकिन जिस तरह से तुम सूरजको खेत पर भेजने की बात कर रही हो मुझे तो ऐसी लग रहा है कि जैसे तुम्हें आज कुछ ज्यादा ही खुजली मची हुई है,,,
अरे मेरी पुर में नहीं तेरी बुर में आग लगी हुई है अगर ऐसा है तो सूरजघर पर आए ना तो पहले उसके सामने दोनों टांगे खोल देना और जब शांत हो जाना तब खेत पर भेज देना,,,
अच्छा मुझे शांत करने के बाद ताकि वह तुम्हें शांत कर सके,,,
हाय दैया यह कब सुधरेगी,,,, दीन रात इसकी बुर में आग लगी रहती है आने दे तेरे भैया को तेरी शादी की बात करती हु ताकि दिन-रात अपनी बुर में लेकर पड़ी रहना अपने आदमी का,,,,
ना मेरी प्यारी भाभी ऐसा बिल्कुल भी मत करना आदमी कैसा भी मिल जाए लेकिन उसका लंड सूरज की तरह बिल्कुल भी नहीं होगा इतना लंबा और मोटा तगड़ा लंड है सूरजका की कसम से मैं तो सोच कर ही मायूस हो जाती हूं की शादी के बाद मेरा क्या होगा सूरजके बिना तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा,,,
तू एक काम कर सूरज से ही शादी कर ले फिर दिन रात उससे चुदवाते रहना,,,,
सच कह रही हो भाभी अगर समाज का डरना रहता तो मैं सूरज से ही शादी कर लेते अगर मुझे मौका मिले सूरज को लेकर कहीं और चले जाने को तो मैं चली जाऊं जहां हम दोनों को कोई ना पहचानता हो जानता हो ताकि हम दोनों पति पत्नी बन कर रह सके और जिंदगी का मजा लूट सके,,,
हाय दैया कितनी हारामी है रे तू चुदवाने के लिए अपने ही भतीजे से शादी करना चाहती है,,,,,
तू क्या हुआ भाभी जिंदगी का असली सुख तो चुदाई में ही है बाकी सब बेकार है अगर यह सुख ना मिले तो फिर जिंदगी किस काम की,,,
तेरे से तो बात करना ही बेकार है जैसा कहीं हूं वैसा ही करना सूरजको जल्दी खेत पर भेज देना खेतों में पानी देना है वरना फसल नष्ट हो जाएगी,,,
ठीक है भाभी,,,(मंजू हंसते हुए बोली,,,, और रूपाली खेत के लिए चली गई,,,, मंजू घर में बर्तन मांजने लगी,,, और बर्तन साफ करते हुए वह अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर सच में उसकी शादी ऐसे आदमी से हो गई जिसका लंड सूरजकी तरह नहीं हुआ तो उसका क्या होगा सूरज के लंड को अपनी बुर मे लीए तो अब उसको मजा ही नहीं आता,,,, यह सोचकर वह अपने मन में ही बोली मैं तो शादी ही नहीं करूंगी ताकि सूरजसे मजा ले सकूं,,,, वह बर्तन मांज कर उठी ही थी कि सूरजआ गया,,,, और आते ही हाथ मुंह धोने लगा और बोला,,,)
मौसी जल्दी से खाना निकालो मुझे बड़े जोरों की भूख लगी है,,,(यह सुनकर मंजू बोली)
तेरी भूख तो रोटी खाने से पूछे जाएगी लेकिन मेरी भूख का क्या मुझे तो तेरे लंड की भूख है जब तक तू इसे मेरी बुर में डालकर जो देगा नहीं तब तक मैं भूख से तड़पती रहूंगी,,,
हाय मेरी रानी मौसी तू तो एकदम छिनार हो गई है तेरी बातें सुनकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,(पजामा के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए)
तो देर किस बात की है मेरे राजा,,(इतना कहने के साथ ही उत्तेजित अवस्था में मंजू अपने सलवार की डोरी खोलने ही वाली थी कि उसे रोकते हुए सूरजबोला,,)
थोड़ा रुको मेरी रानी खाना तो खा लेने दो उसके बाद तुम्हारी जमकर चुदाई करूंगा,,,,
(इतना सुनकर मंजू खुश हो गई और वह सूरजके लिए खाना परोसने लगी वह भी खाना नहीं खाई थी इसलिए वह भी अपने लिए थाली परोस ने लगी और थोड़ी ही देर में दोनों खाना खाने लगे लेकिन खाना खाते-खाते सूरजबोला,,,)
क्या हुआ आज कैसा खाना बनाई हो दाल में तो नमक ही कम लग रहा है,,,
हाय राजा दाल का नमक तो तू चख रहा है लेकिन मेरी जवानी का नमक भी चख ले,,,
हाय मेरी रानी सच में अगर दाल में तेरी जवानी का नमक घुल जाए तो दाल और भी ज्यादा स्वादिष्ट हो जाएगी,,,,
रुक तुझे नमक कम है ना अभी तुझे नमक देती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही मंजू अपनी जगह पर खड़ी हो गई अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी और अगले ही पल वाली सलवार की डोरी खोलकर सलवार को अपने कदमों में गिरा दी और अपनी मंजू बुर को सूरजके सामने परोस ते हुए बोली,,,)
मेरे राजा नमक लेने तेरी दाल में नमक कम है ना रोटी में डूबा डूबा कर खा ले,,,,
(अपनी मौसी के इस रंडी पन पर सूरज पूरी तरह से उत्तेजित हो गया वह जानता था कि उसे क्या करना है वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मौसीकौन से नंबर की बात कर रही है इसलिए वह अपने खाते में से रोटी लेकर उसे तोड़कर उस रोटी के टुकड़े को सीधा अपनी मौसीकी बुर से लगा दिया जिसमें से उसका काम रस टपक रहा था और काम रस की वजह से उसकी पूरी बुर भीगी हुई थी और उसी रस में सूरजपूरी तरह से अपनी रोटी के टुकड़े को डुबोकर उसे वापस दाल में डालकर खाने लगा,,,, यह देखकर मंजू एकदम से उत्तेजित हो गई और वह अपने हाथों से अपने कुर्ते के ऊपर से अपनी चूची को जोर जोर से दबाना शुरू कर दी यह देखकर सूरजके तन बदन में भी आग लग गई और वह रोटी के टुकड़े को बार-बार तोड़कर उसकी बुर्के काम रस से लगा था और फिर दाल में डालकर उसे खाता इस तरह से हुआ है मंजू की बुर में अपनी रोटी को डुबोकर खा रहा था जिससे उसका स्वाद एकदम बढ जा रहा था,,,,)
वह मौसी कमाल का स्वाद है तुम्हारी बुर दाल तो एकदम स्वादिष्ट हो रही है तुम्हारी बुर नमक दाल में गिरते ही दाल और भी ज्यादा लजीज हो गई है अब तो मैं ऐसा ही करूंगा तुम्हारी बुर में रोटी डूबा डूबा कर खाऊंगा,,,,
ओहहहह सूरज मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मेरी बुर में आग लगी हुई है तो जल्दी से इसमे अपना लंड डाल दे,,,,
(मंजू एकदम तड़प रही थी मचल रही थी सूरजके लंड को अपनी बुर में लेने के लिए अपनी मौसीकी तरफ को अच्छी तरह से समझ रहा था वाकई में उसे लंड की बहुत जरूरत थी सूरजतब तक अपनी मौसीकी बुर में डूबा डूबा कर खाते हुए अपनी रोटी को खत्म कर चुका था और जब उसने देखा कि उसकी मौसीकी बुर से काम रस पानी की बूंद की तरह टपक रहा है तो वह खाली ऊपर की तरफ उठाया और अपनी मौसीकी दोनों टांगों के बीच रख दिया ताकि बुर से गिरने वाला काम रस उसके दाल में गिर कर उसे और स्वादिष्ट कर दे और जब 10 12 बूंद टपक कर थाली में गिरा तो सूरज बिना देर किए उसे मुंह से लगाकर पी गया,,,,, और जैसे ही थाली की दाल खत्म हुई थाली को एक तरफ रख कर सूरज अपना दोनों हाथ अपनी मौसी की गोल-गोल गांड पर रखकर उसे जोर से दवाई और उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसकी बुर पर अपना मुंह रख दिया जैसे ही सूरजके होंठ मंजू की बुर पर स्पर्श हुआ मंजू पूरी तरह से तड़प उठी और तुरंत अपना हाथ उसके सर पर रख कर उसके बाल को कसके अपनी मुट्ठी में भींच ली सूरजजितना हो सकता था उतनी अपनी जीभ को अपनी मौसीकी बुर में डालकर उसे चाट रहा था थोड़ी ही देर में सूरजअपनी मौसी को चोदने के लिए तैयार हो चुका था और उसी अवस्था में ही वह खड़ा हुआ और अपने पहचाने को घुटने तक सरका कर अपनी मौसीकी एक टांग को अपनी कमर पर लपेट लिया और उसके मंजू क्षेंद में अपना लंड डाल दिया,,, मोटा तगड़ा गरमा गरम लंड बुर में जाते ही गुलाब एकदम से तड़प उठी और कसकर सूरजको पकड़ ले सूरजमौका देखकर उसकी दूसरी टांग भी ऊपर उठाकर अपनी कमर से लपेट लिया और उसे गोद में उठा लिया सूरजका मोटा और लंबा लंड मंजू की बुर में घुसा हुआ था और वह उसे गोद में उठाए हुए हैं उसकी गांड को पकड़कर ऊपर नीचे करके उसे चोदना शुरू कर दिया मंजू पूरी तरह से मस्त हो गई थी वह सूरजकी ताकत को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए उसे गिरने का बिल्कुल भी डर नहीं था कि कि वह चाहती थी कि सूरजउसे गिरने नहीं देगा,,, सूरजसे गोद में उठाए हुए हैं आगे बढ़ा और दीवार से सटा दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया मंजू पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी घर में कोई भी नहीं था इसलिए बस जोर-जोर से सिसकारी ले रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,, वह अपनी भाभी की कही बात को सच कर रही थी वह सूरज के सामने अपनी दोनों टांगें खोल चुकी थी,,,,,,,
थोड़ी देर में सब कुछ शांत हो गया सूरज अपने पजामे को कमर तक उठाकर उसे बांध लिया,,, और जैसे एकाएक मंजू को कुछ याद आया हो इस तरह से वह बोली,,,,।
अरे मैं एक बात तो भूल ही गई,,,
क्या,,,?
भाभी तुझे खेत पर बुलाई थी खेत में पानी देना है,,,,,, देखना खेत की जगह अपनी बुर में पानी ना डलवा ले,,,,
(अपनी मौसी की बात सुनकर सूरज मुस्कुराने लगा और मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया,,,, और थोड़ी ही देर में वहां खेत पर पहुंच गया जहां पर उसकी मामी खेत में सूखी हुई लकड़ियों का गट्टा बनाकर अपने कंधे पर उठाकर एक तरफ रख रही थी इस तरह से बहुत अपने कंधे पर उठाकर ले जाने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही उभरी हुई नजर आ रही थी जिस पर नजर पड़ते ही सूरजके लंड में सनसनाहट होने लगी,,,, और वह अपनी मामी के पास गया और बोला,,,)
वाह तुम्हारी गांड तो कितनी बड़ी बड़ी लग रही है,,,,
(सूरज पीछे से जाकर बोला था इसलिए रूपाली को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसका भांजा खेत पर आ चुका है इसलिए वह एकदम से चौक गई और उसकी कंधे पर बोझा उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया और वह पीछे की तरफ देखी तो पीछे सूरज खड़ा था और वह गहरी सांस लेते हुए अपनी कमर पर हाथ रख कर बोली,,,)
तू अभी आया है जब पूरा काम होने को आया है तब तू इधर आ रहा है,,,,(अपनी कमर पर दोनों हाथ रख कर गहरी सांस लेते हुए रूपाली गुस्से में बोल रही थी और ऐसा करने पर उसका रूप सौंदर्य और भी ज्यादा निखर गया था उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,, और गर्मी का महीना होने की वजह से वह पसीने से तरबतर हो चुकी थी और पसीने की बूंदे उसकी गोरी गोरी चूचियों पर फिसल कर उसकी चूचियों के बीच की गहराई में डूब रही थी यह देखकर सूरज से रहा नहीं गया और बोला,,,)
वाह बनाने वाले ने भी क्या खूब चीज बनाया है मैंने आज तक इतनी खूबसूरत औरत नहीं देखा देखो तुम्हारी चूचियां कितनी चमक रही है धूप में और पसीने की बूंदे उसमें से फिसलती हुई किसी तुम्हारी चूची की गहराई में घाटी में गिर रही है,,,,,(यह सुनते ही रूपाली की नजराना ऐसी है अपनी छातियों पर गई और वह वाकई में पसीने को अपनी सूची की गहराई में जाता हुआ देखकर मुस्कुराने लगी और बोली,,,)
तू बहुत शैतान है तुझे जरा भी पता है कि मैं अकेले काम कर रही हूं और वह भी कड़ी धूप में,,,
क्या करूं मामी मैं जैसे घर पहुंचा मौसी ने जैसे ही मुझे बताई और मैं तुरंत यहां दौड़ता हुआ चला आया,,,, अब बोलो मुझे क्या करना है,,,,,
करना क्या है सब कुछ तो मैं कर चुकी हूं बस अब मशीन चालू करके पानी खेतों में देना है,,,, जो कि आप सिर्फ मशीन चालू करने का ही काम रह गया है खेत में पानी तो अपने आप ही चला जाएगा,,,,
तो रुको मैं मशीन चालू कर देता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही दोनों नीम के पेड़ के नीचे आ गए उसके घनी छांव में हवा लगने से रूपाली को थोड़ी राहत हो रही थी और वह अपने साड़ी के पल्लू से अपने माथे का पसीना पोंछतए हुए बोली,,,) अब जाकर थोड़ी राहत महसूस हो रही है वरना गर्मी से तो मेरी हालत ही खराब हो गई थी,,,,
थोड़ी देर यहीं बैठो सही हो जाएगा,,,,
(इतना कहने के साथ ही सूरज उसी पेड़ के नीचे बने छोटे से झुग्गी के अंदर गया और मशीन चालू करने लगा थोड़ी ही देर में मशीन चालू हो गई और उसमें से पानी निकलने लगा जो कि एक पाइप से निकलकर पहले टंकी में जाता था और फिर टंकी से होते हुए मिट्टी के नाली में से होकर खेतों में जा रहा था,,,,,,, सूरजभी बाहर आ गया और खटिया गिरा दिया जिस पर रूपालीबैठ गई और वह भी बैठ गया,,,,,, कुछ देर तक दोनों इधर-उधर की बातें करते रहे और रूपालीउठकर झुग्गी के पीछे की तरफ जाने लगी तो सूरजबोला,,,,।
कहां जा रही हो,,,
अभी आई,,,,
मुतने जा रही हो क्या,,,,
अरे बोली ना अभी आई,,,,,
(सूरज मुस्कुराता हुआ वहीं बैठा रह गया जब थोड़ा देर हो गया तो सूरज झुग्गी की तरफ जहां से ट्यूबवेल में से पानी गिर रहा था वहां देखा तो उसकी नजर नंगी चिकनी टांग पर पड़ी जो की टंकी के अंदर आधी डूबी हुई थी और बाकी टंकी के बाहर थी कितना देखकर सूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा और वह तुरंत अपनी जगह से उठ कर ट्यूबेल की तरफ गया तो वहां का नजारा देखकर एकदम दंग रह गया उसके तन बदन में मदहोशी का नशा छाने लगा और उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,,)