Incest गांव की कहानी

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सुधियां काकी का दिल जोरों से धड़क रहा था उन्हें इस बात का डर था कि कहीं उसकी बहू ने सब कुछ देख तो नहीं लिया लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था सुधियां काकी की बहू नीलम उसे ढूंढते हुए खेतों के बीच पहुंच तो गई थी लेकिन वह अपनी आंखों से ऐसा कुछ भी नहीं देखी थी जिससे उसके मन में शंका हो,,,,, अपनी बहू नीलम की आवाज सुनते ही सुधियां काकी अपनी साड़ी को तुरंत नीचे गिरा कर खुद भी काम करने लग गई थी और सुरज को भी काम करने के लिए बोल दी थी सुरज भी मौके की नजाकत को समझते हुए तुरंत उसी तरह से काम करने लगा था जैसा कि एक इंसान खेतों में काम करता है हालांकि जिस तरह का दृश्य अपनी आंखों से देखा था उसके चलते उसके लंड की हालत बिल्कुल खराब हो रही थी,,, सुरज को अपने लंड में दर्द महसूस हो रहा था। सुरज अक्सर खेतों में काम करने के लिए जाया करता था लेकिन जिंदगी में पहली बार खेतों में काम करते हुए सुरज ने अपनी आंखों से इतने सुहावने दृश्य को अपनी आंखों से देखा था,,,। सुरज के साथ-साथ सुधियां काकी की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसे अपनी बहू नीलम पर गुस्सा आ रहा था कि ऐन मौके पर वह आ गई वरना आज वह सुरज के साथ अपने मन की कर लेती सुधियां काकी उसी तरह से नीचे झुककर घास उखाडते हुए बोली,,,।

तू क्यों इधर आ गई बहु,,,,?


आपके लिए खाना लेकर आई थी माजी,,,


अरे मैं वापस घर आ कर खा लेती यहां लेकर आने की क्या जरूरत थी,,,


मुझे लगा कि आप नाराज हो कर चली गई हो इसलिए मैं लेकर आ गई,,,


नहीं रे ऐसी कोई बात नहीं है बस थोड़ा सा काम था इसलिए आ गई,,,,( सुधियां काकी उसी तरह से अपना काम करते हुए बोली दूसरी तरफ नीलम भले ही अपने सांसों से बात कर रहे थे लेकिन उसकी नजर सुरज की तरफ थी,,, सुरज का भोलापन उसे एकदम भा गया था,,, एक तरह से वह उसे मन ही मन में पसंद करने लगी थी,,,)


अच्छा छोड़िए माजी यह सब पहले खाना खा लीजिए,,,


नहीं अभी नहीं खाऊंगी तू रख कर जा यहां से खेतों का काम पूरा होते ही मैं खाना खा लूंगी,,,( सुधियां काकी किसी भी तरह से अपनी बहू को यहां से भगाना चाहती थी क्योंकि रंग में भंग वह पहले ही डाल चुकी थी अगर आज का मौका उसके हाथ से निकल गया तो ना जाने कब ऐसा मौका हाथ लगेगा इसलिए वह अपनी बहू को वहां से चले जाने के लिए बोल रही थी ताकि उसके जाते ही वह अपनी रासलीला को एक बार फिर से शुरू कर सकें,,,)


नही माजी पहले आप खाना खा लीजिए तो मैं चली जाती हूं वरना मुझे ऐसा ही लगा कि आप नाराज हैं,,,( नीलम बात तो अपनी सास से कर रही थी लेकिन वह देख सुरज को रही थी क्योंकि उसे इस तरह से देखना भी उसे अच्छा लग रहा था,,)


नहीं नहीं तू जा यहां से,,, धूप तेज होने वाली है और तू घर खुला छोड़ कर आई है,,,,,,, घर इस तरह से छोड़कर नहीं आना चाहिए था जा जल्दी चोरों उचक्कों का भरोसा नहीं होता वह.लोग ऐसे ही मौके की तलाश में लगे रहते हैं,,,,। जा अब यहां रुक मत,,,


ठीक है माजी मैं जा रही हूं लेकिन खाना खा लेना और सुरज तुम भी खाना खा लेना,,,,


ठीक है भाभी मैं भी खा लूंगा,,,,

( सुरज भी काम रोक कर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोला जवाब में वह भी सुरज को देख कर मुस्कुरा दी और वहां से चलती बनी,,, सुधियां काकी वहीं खड़ी होकर उसे जाते हुए देखती रही और जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई तब तक वह उसे ही देखती रही जैसे ही वह आंखों से ओझल हुई तो उसकी जान में जान आई,,,)

बाप रे आज तो बाल बाल बचे अगर उसकी नजर पड़ जाती तो न जाने क्या हो जाता,,,


सही कह रही हो चाची,,,,( सुरज की सुधियां काकी के सुर में सुर मिलाते हुए बोला वैसे रमा के आ जाने से उसे भी अच्छा नहीं लगा था क्योंकि बेहद खूबसूरत नजारा जो उसके सामने चल रहा था वह सुधियां काकी की तरफ देखते हुए बोला)


अब तो ठीक है ना काकी,,,,?


तुझे क्या लगता है ठीक हो गया है अभी भी वैसे ही तकलीफ है मेरी बुर में जलन हो रही है,,, ऐसा लगता है कि जैसे एकदम अंदर घुस गई है और वहां काट रही है,,,,( सुधियां काकी जानबूझकर साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को खुजाते हुए बोली,,, सुधियां काकी की हरकत को देखकर सुरज के पजामे में फिर से हरकत होने लगी,,,,)

तो क्या करोगी काकी मुझे तो नहीं लगता कि मेरी उंगली से काम बन पाएगा,,,


हां तु सच कह रहा है मेरी बुर के अंदर तेरी उंगली छोटी पड़ रही है,,,( सुधियां काकी मादकता भरी गहरी सांस लेते हुए बोली,,, और सुरज सुधियां काकी के मुंह से बार-बार बुर शब्द सुनकर मदहोश हुआ जा रहा था,,, सुरज फिर से सुधियां काकी की बुर में अपनी उंगली पेलना चाहता था क्योंकि उसे ऐसा करने में बहुत मजा आ रहा था,,, लेकिन अपने मन से खुले शब्दों में कहने में उसे शर्म आ रही थी सुधियां काकी की बात सुनकर सुरज बोला,,,)

तो फिर अब क्या करोगी काकी,,,,,( सुरज कुतूहल भरी नजरों से सुधियां काकी की तरफ देखते हूए बोला,,, सुधियां काकी का भी दिल जोरों से धड़क रहा था एक बार फिर से उनके तन बदन में उमंग जागने लगी क्योंकि सुरज के लंड से ना सही उसकी ऊंगली से उसकी बुर पानी पानी हो गई थी,,।)

आहहहहह,,, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करु,,, मेरी बुर में बहुत ज्यादा जलन हो रही है,,,( सुधियां काकी उसी तरह से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से मसलते हुए बोली,,,)

एक काम करो काकी पेशाब कर लो हो सकता है पेशाब की धार के साथ चींटी भी बाहर निकल जाए,,,( सुरज कुछ देर तक सोचते हुए बोला,,,,) सुरज की बात सुनते ही सुधियां काकी का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि जो वह बात कह रहा था उसके बारे में सुधियां काकी भी नहीं सोची थी और ऐसा करने में शायद उसका काम बन सकता था एक अनजान जवान लड़के के सामने पेशाब करने में उसके तन बदन में कैसी हलचल होती है यह भी सुधियां काकी देखना चाहती थी उसे पूरा यकीन था कि उसे पेशाब करता हुआ देख कर सुरज के तन बदन में आग लग जाएगी और वह चुदवासा हो जाएगा,,,)

क्या इससे काम बन जाएगा,,,


क्यों नहीं काकी जरूर बन जाएगा,,,,( पेशाब करने वाली बात कहकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी जिससे एक बार फिर से उसके पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया था और तंबु को देखकर सुधियां काकी की हालत खराब हो रही थी,,, दोनों तो तन बदन में उत्तेजना अपना असर दिखा रहा था सुधियां काकी सुरज की बात सुनकर उत्सुक हो गई थी पेशाब करने के लिए इसलिए वह तुरंत,, खेत के किनारे आगे बढ़ते हुए बोली,,,)


तु कहता है तो यह भी कर के देख लेती हूं,,,( इतना कहते हुए सुधियां काकी खेत के किनारे पहुंच गई और सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा सुधियां काकी सुरज की तरफ देखते हुए धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी सुधियां काकी अपनी चूची के साथ-साथ सुरज को अपनी बुर के दर्शन करवा चुकी थी केवल अपनी नंगी गांड अभी तक पूरी तरह से नंगी नहीं दिखाई थी इसलिए वह इस बार सुरज की तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई थी,,, धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर उठा रही थी सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था और देखते ही देखते सुधियां काकी अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और सुरज की आंखों के सामने सुधियां काकी की बड़ी-बड़ी एकदम गोरी गांड चमक उठी,,,, सुनहरी धूप में सुधियां काकी की गोरी गांड सोने के आभूषण की तरह चमक रही थी जिसे देखकर सुरज का लंड पूरी तरह से अकड़ गया,,,, सुधियां काकी की बड़ी-बड़ी गांड देख कर सुरज की हालत खराब हो गई,,,, सुरज पहली बार किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था हालांकि उसने औरतों की बुर को दो बार देख चुका था लेकिन अभी तक उनकी मदमस्त कर देने वाली गांड के दर्शन नहीं हुए थे और वह भी सुधियां काकी ने अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी गांड के दर्शन करवा दी थी,,,,, पल-पल सुरज की हालत खराब हो रही थी और जिस तरह से सुधियां काकी अपनी पीठ सुरज की तरफ करके अपनी साड़ी कमर तक उठा कर रखे हुए थी,,, उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी बड़ी बड़ी गांड सुरज को साफ दिखाई दे रही होगी और वहां यही देखना चाहती थी कि उसकी नंगी गांड देखकर सुरज के हाव-भाव पर क्या असर होता है,,, अभी देखने के लिए वह अपनी साड़ी कमर तक उठाए हुए पीछे नजर करके सुरज की तरफ देखे तो वह मन ही मन प्रसन्न हो गई,,, पर जानबूझकर अपनी गांड को थोड़ा मटका कर नीचे की तरफ बैठ गई,,, उसे अपनी कामुक हरकतों पर पूरा यकीन था कि सुरज पूरी तरह से उसके वश में होता चला जा रहा है,, देखते ही देखते सुधियां काकी सुरज की आंखों के सामने पेशाब करने के लिए नीचे बैठ गई थी लेकिन उसके मन में कुछ और सुझ रहा था,,,,। वह कुछ देर तक उसी तरह से बैठी रही और पीछे खड़ा सुरज अपनी आंखों के सामने सुधियां काकी को इस तरह से बैठकर पेशाब करते हुए देख रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसके दिल की धड़कन किसी इंजन की तरह चल रही थी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह अपनी आंखों से किसी औरत को पेशाब करते हुए देखने जा रहा था और वह भी बिना किसी दिक्कत के,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता जा रहा था,,, सुधियां काकी की गोरी गोरी गांड उसकी आंखों की चमक बढ़ा रही थी,,,,, तभी सुधियां काकी बोली,,,।


आहहह सुरज मुझसे पेशाब नहीं हो रहा है,,,,


क्यों काकी,,?( ऐसा कहते हुए सुरज उसके करीब पहुंच गया,,,)

पता नहीं क्यों लेकिन मुझसे पेशाब नहीं हो रहा है,,,,

तो क्या होगा काकी,,,,

एक काम कर तू मेरी आंखों के सामने पेशाब कर शायद ऐसा हो सकता है कि तुझे पेशाब करता हुआ देखकर मेरी बुर से भी पेशाब निकलने लगे,,,
( सुधियां काकी की बातें सुनकर सुरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसे समझ नहीं आता क्या करें,,)


क्या ऐसा हो सकता है काकी,,,,

हां बिल्कुल हो सकता है,,, तु जल्दी कर मेरे बुर की जलन बढ़ती जा रही है,,,,
( सुधियां काकी की इस तरह की बातें सुरज के होश उड़ा रहे थे वह सुधियां काकी की बात मानने को तैयार हो गया था और उसके बगल में ही खड़ा होकर अपने पजामे को नीचे करने लगा,,, देखते ही देखते वह अपने पजामे को नीचे करके अपना लंड बाहर निकाल दिया,,,, जिसे देखकर सुधियां काकी की सांस अटक गई सुधियां काकी ने अपनी पूरी जवानी में इस तरह का तगड़ा लंड कभी नहीं देखी थी,,, उत्तेजना के मारे और उत्सुकता के मारे उसकी बुर फूलने पिचकने लगी थी,,, सुधियां काकी से रहा नहीं गया और उसके मुंह से निकल गया,,,)


बाप रे इतना बड़ा लंबा और मोटा इतना तगड़ा तो मैंने आज तक नहीं देखी,,,( सुधियां काकी के मुंह से अपने लंड की तारीफ सुनकर सुरज का सीना गदगद हुआ जा रहा था,,, सुधियां काकी प्यासी आंखों से उसके हथियार को देखे जा रही थी और उससे रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के लंड़ को अपने हाथ में पकड़ ली,,,, एक औरत का हाथ अपने लंड पर महसुस करते ही सुरज और ज्यादा उत्तेजित हो गया,,, सुरज कुछ बोल पाता इससे पहले ही सुधियां काकी बोली,,,)

अब मुत सुरज,,,
( बस इतना सुनना था कि सुरज की पेशाब फूट पड़ी वह जोरों से मुतना शुरू कर दिया,,, और उसे देखकर सुधियां काकी से भी रहा नहीं गया और उसकी बुर से पेशाब की तेज धार फूट पड़ी,,, सुरज की सासे बड़ी गहरी चल रही थी वह अपनी नजरों को सुधियां काकी की दोनों टांगों के बीच डालकर उसे पेशाब करता हुआ देख रहा था,,, यह नजारा सुरज के लिए बेहद अद्भुत और अतुल्य था क्योंकि उसने आज तक इस तरह का नजारा नहीं देखा था इसलिए उसकी उत्तेजना परम शिखर पर थी,,, थोड़ी ही देर में सुरज और सुधियां काकी दोनों ने ही मूत्र विसर्जन का कार्यक्रम समाप्त कर दिया पेशाब करने के तुरंत बाद सुरज बोला,,,)


अब कैसा लग रहा है काकी चींटी निकल गई,,,

( सुरज के मोटे तगड़े लंडको देखकर सुधियां काकी की हालत खराब हो गई थी और वह जल्द से जल्द उसे अपनी बुर में लेकर चुदवाना चाहती थी,,,, इसलिए सीधे-सीधे अपने मतलब पर आते हुए वह बोली,,)


नहीं रे मुझे तो बिल्कुल भी आराम नहीं हुआ,,,( ऐसा कहते हुए वह खड़ी हो गई लेकिन अपनी साड़ी पर कमर तक पकड़कर उठाए हुए थी और सुरज प्यासी नजरों से सुधियां काकी की बुर को देख रहा था,,,) अब एक ही रास्ता रह गया है मुझे इस तकलीफ से निजात दिलाने का ,,,

वह क्या काकी,,,?

इस बार तू अपना मोटा तगड़ा लंड मेरी बुर में डाल,,,( इस बार बेझिझक सुधियां काकी अपने मन की बात सुरज को बोल दी,,, सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें उसी तरह का कोई भी अनुभव नहीं था,, लेकिन जो कुछ भी सुधियां काकी बोल रही थी उसे करने के लिए वह पूरी तरह से तैयार था क्योंकि उसकी बात को ही सुनकर सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,)


लेकिन कैसे काकी मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है,,,

तू चिंता मत कर तुझे कुछ भी ज्यादा करने की जरूरत नहीं है जैसा मैं कहता हूं वैसा करते रहना मुझे अपने आप आराम मिल जाएगा,,,( ऐसा कहने के साथ ही सुधियां काकी अच्छी सी जगह ढूंढने लगी और घास के ढेर पर अच्छी जगह देखकर उसी तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाए हुए उसी पर लेट गई,,, उत्तेजना के मारे सुरज का गला सूख रहा था,,, सुधियां काकी की घास के ढेर पर लेटी हुई थी और अपनी दोनों टांगों को फैला दी थी,,, इस तरह की हरकत करने की वजह से सुधियां काकी के भी तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अपने तन बदन में इस उम्र में भी अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,, सुधियां काकी की नजर सुरज के हथियार पर थी जो की पूरी तरह से टनटनाकर खड़ा था,,,, सुधियां काकी इशारे से सुरज को अपनी दोनों टांगों के बीच बुलाते हुए बोली,,,)

अब जल्दी से आजा मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,
( इतना सुनते ही सुरज तुरंत एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर सुधियां काकी की दोनों टांगों के बीच पहुंच गया और बोला,,,)

अब क्या करूं काकी,,,?


बस अब घुटनों के बल बैठ जा मेरे बिल्कुल करीब आकर,,,
( इतना सुनते ही सुरज अपने घुटनों के बल बैठने को चला तभी उसे सुधियां काकी पजामा उतारने के लिए बोली,, और सुरज भी बिना देर किए हुए अपना पजामा उतार कर कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो गया,,,)

हां अब ठीक है अब घुटनों के बल बैठ जा और जैसा मैं बताती हूं वैसा ही कर,,,
( सुधियां काकी की बात सुनकर सुरज जैसा जैसा वह बता रही थी वैसा ही कर रहा था वह घुटनों के बल बैठ गया था और सुधियां काकी को आगे की तरफ सरक कर अपनी मोटी मोटी जांघो को उसकी जांघों पर चढ़ा दी ऐसा करने से उसकी बुर ओर लंड की दूरी पूरी तरह से खत्म हो गई,,, सुधियां काकी का उत्तेजना के मारे गला सूख रहा था अपना हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे अपनी गुलाबी बुर के छेद पर रख दी और सुरज को धक्का मारने के लिए बोली सुरज की हालत बिल्कुल खराब थी उसके तन बदन में आग लग रही थी पहली बार उसका लंड बुर से स्पर्श हो रहा था,,,। सुरज की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी चुदाई के ज्ञान से वह बिल्कुल अनजान था,,,। लेकिन सुधियां काकी ने उसे बताई थी कि कुछ भी हो उसे अपना पूरा लंड उसकी बुर की गहराई में उतार देना है तभी उसे आराम मिलेगा और देखते ही देखते सुरज पूरी तरह से ही उसकी बुर की गहराई में उतर गया,,,।

आहहहहहह,,( जैसे ही सुरज का पूरा मुसल उसकी गहराई में उतरा सुधियां काकी के मुंह से सिसकारी भरी आवाज निकल गई,,,।)



क्या हुआ काकी,,,,


कुछ नहीं हुआ सुरज बस तू अपना काम कर अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दें और जितना तेज हो सकता है उतनी जोर से अपनी कमर हिला तब जाकर मुझे आराम मिलेगा,,,

( सुरज को सुधियां काकी का आदेश और दिशा निर्देश मिल चुका था इसलिए अब उसे पूछने की जरूरत नहीं थी,,, सुरज उसी तरह से अपनी कमर हिलाते हुए अपने लंड को सुधियां काकी की बुर के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,, सुधियां काकी को उम्र के इस दौर में एक जवान लड़के से चुदवाने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और सुरज की यह पहली चुदाई थी जिसमें उसे बहुत मजा आ रहा था,,, वह बड़े जोर से अपनी कमर हिला रहा था सुधियां काकी सुरज के ताकत को देखकर पूरी तरह से मचल उठी थी उसकी बुर पानी पानी हो रही थी,,। सुरज की कमर किसी इंजन की तरह ऊपर नीचे हो रही थी ,,, फच फच. की आवाज खेतों में गूंज रही थी,,,,

तकरीबन आधे घंटे जैसी घमासान चुदाई के बाद सुरज को अपने अंदर कुछ महसूस होने के लगा वह अपने अंदर की इस कशमकश को समझ पाता इससे पहले ही उसके लंड से पानी का फव्वारा फूट पड़ा,,,, और वह सुधियां काकी के ऊपर ढेर हो गया,,,, लेकिन ढेर होने के पहले वह सुधियां काकी को तीन बार झाड़ चुका था,,,, कुछ देर तक वह उसी के ऊपर पड़ा रहा और जब शांत हुआ तो वह सुधियां काकी के ऊपर से उठने लगा,,,, सुधियां काकी मुस्कुराते हुए बोली,,।

बाप रे गजब की ताकत है तेरे में,,,,



अब कैसा लग रहा है काकी,,,,


अब जाकर राहत महसूस हो रही है अब लगता है कि चींटी निकल गई,,,( ऐसा कहते हुए मुस्कुराने लगी और अपने कपड़ों को दुरुस्त करते हुए बोली,,)

देख इस बारे में किसी को भी कानो कान खबर नहीं होनी चाहिए,,, तुझे मजा आया ना,,,


हां काकी मुझे बहुत मजा आया,,,


अगर आगे भी इसी तरह का मजा लेना है तो किसी को बताना नहीं और सीधे मेरे पास चले आना जब भी मैं बुलाऊं तो चले ही आना तुझे ऐसा ही मजा दुंगी,,,


ठीक है काकी मैं किसी को भी नहीं बताऊंगा,,,


तू बहुत अच्छा लड़का है चल अब चल कर खाना खा लेते हैं,,,
 
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सुरज कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी जिंदगी में इस तरह से बहार आएगी,,, सुधियां काकी इस तरह से तन और मन से आत्मसमर्पण कर देगी इस बारे में उसे कभी अंदाजा नहीं था वह अपने मन में यह सोच रहा था कि उसके दोस्त लोग सही कह रहे थे कि सुधियां काकी उसका लंड लेना चाहती है,,, तभी तो उसे से हंस हंस कर बात करती रहती है और दूसरों को भाव भी नहीं देती थी,,, सुरज बहुत खुश था इतना तो उसे मालूम ही था कि जो कुछ भी वह सुधियां काकी के साथ किया था उसे सरल भाषा में चुदाई कहते हैं जो कि वह बड़े अच्छे से संतुष्टि प्राप्त कर चुका था,,,। तेरी मां चोद दूंगा तेरी बहन चोद दूंगा इन शब्दों को इन भाषाओं को सुरज अपने दोस्तों के मुंह से कई बार सुन चुका था एक दूसरे को गाली देते हुए लेकिन इसके असली मतलब और मकसद को आज जाकर समझ पाया था और उस पल को जिया था जिसके एहसास से वह अभी भी पूरी तरह से गदगद हुए जा रहा था,,,,, सुरज ने कभी अपने इस उम्र में भी औरतों के खूबसूरत अंगों के बारे में कभी कल्पना भी नहीं किया था,,, औरतों का खूबसूरत है उनकी बनावट उनका खूबसूरत बदन उसकी कल्पना से परे था,,,,,

पहली बार उसे औरतों के खूबसूरत हमको की झलक सुधियां काकी के नहाने की वजह से ही प्राप्त हुई थी और दूसरी बात रही सही कसर वह अपनी मौसी की बुर देखकर पूरा कर लिया था लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि बुर के अंदर लंड डालने में ईतना मजा आता है,,,,,, सुरज को अपने आप पर इतना विश्वास बिल्कुल भी नहीं था कि सुधियां काकी के दिए गए कार्य को वह सिद्ध कर पाएगा,,, सुधियां काकी अपनी सारी युक्ति लगा चुकी थी,,, सुरज के साथ संभोग करने के लिए,,,,,,, जो कुछ भी संभव हो पाया था वह सुधियां काकी के निर्देश की वजह से ही संभव हो पाया था वरना सुरज तो इस खेल में खिलाड़ी नहीं बल्कि अनाड़ी था लेकिन अब उसे खिलाड़ी बनाने की पहली सीढ़ी को सुधियां काकी खुद पार करा चुकी थी,,, ऐसा लग रहा था कि मानो सुधियां काकी एक शिक्षिका के रूप में अपने विद्यार्थी सुरज को संभोग का प्रकरण सिखा रही हैं,,, और सुरज धीरे-धीरे उसमे खरा उतरता जा रहा था,,,,,

सुधियां काकी की चुदाई करते समय सुरज का मन बहुत मजा आ रहा है सुधियां काकी की चूचियों को अपने हाथ में पकड़ कर दबाने के लिए लेकिन सुरज को यह बिल्कुल भी नहीं मालूम था कि संभोग करते समय किसी औरत को चोदते समय और ज्यादा मस्ती और सुख प्राप्ति के लिए ऐसा ही किया जाता है लेकिन उसके दिमाग में यह बात संभोग की पराकाष्ठा और उन्मादकता की वजह से उत्पन्न हो रही थी बार-बार उसका मन गुरुत्वाकर्षण बल के चलते सुधियां काकी की बड़ी बड़ी चूचीयो पर खींची चली जा रही थी,,, लेकिन ऐसा करने से वह डर भी रहा था वह केवल सुधियां काकी के दिशा निर्देश अनुसार अपनी कमर को जोर जोर से हिला रहा था लेकिन ऐसा करने में जो सुख उसे प्राप्त हो रहा था ऐसा तो कभी उसने कल्पना भी नहीं किया था,,,
अपने लंड को सुधियां काकी की बुर के अंदर बाहर करते हुए सुरज सुधियां काकी के चेहरे पर बदलते भाव छोटे बड़े अच्छे से देख रहा था,,,और उसके मुख से निकल रही गरमा-गरम से इस कार्य की आवाज को सुनकर भी वह कुछ ज्यादा ही मस्ती में आ जा रहा था,,,,,, खेतों में काम करने के बहाने आकर जो कुछ भी सुरज ने पाया था उससे वह बेहद खुश था,,,। सुरज यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि सुधियां काकी की चुदाई के बारे में अगर उसके दोस्तों को पता चलेगा तो वह जल भूल जाएंगे इसलिए वह मन ही मन में प्रसन्न भी हो रहा था,,,,। सुरज के हाव भाव को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे कि सुधियां काकी के साथ प्रथम संभोग के बाद से ही बड़ा और समझदार होने लगा है,,,,

सुधियां काकी और सुरज दोनों खाना खा रहे थे,,, सुधियां काकी सुरज के साथ चुदवा कर बेहद खुश थी,,,वह बहुत पहले से ही सुरज के साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहती थी लेकिन उसे कभी मौका नहीं मिल रहा था और सुरज की नादानी को देखते हुए अपना कदम आगे बढ़ाने में उसे डर भी लग रहा था लेकिन सब कुछ बड़े आराम से हो चुका था जिसकी उसे तसल्ली थी,,, लेकिन सुधियां काकी सुरज के साथ खुलकर चुदाई का मजा लेना चाहती थी और ऐसा हो नहीं पाया था,,, चींटी काटने वाली युक्ति उसकी कामयाब हो चुकी थी,,,,,, सुरज के साथ उसकी उंगलियों से छेड़खानी में ही उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी लेकिन जिस तरह से उसकी बहू नीलम खेतों पर पहुंच चुकी थी उसे देखते हुए सुधियां काकी के मन में इस बात का डर बैठ गया था कि अगर आगे मौका हाथ से चला जाएगा तो ऐसा मौका न जाने कब मिलेगा ,,,,,, वह पहले से ही पेशाब करते हुए सुरज के मोटे तगड़े लंबे लंड के दर्शन करके पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी सुधियां काकी सुरज की तरह बवाल मचा देने वाला लंड नहीं देखी थी,,,, इसीलिए तो पेशाब करते समय सुरज के लंड के दर्शन करते हुए उसकी बुर पानी फेंक दी थी,,, सुरज के साथ खुलकर मस्ती करना चाहती थी उसके मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना चाहती थी और उसे अपना दूध पिलाना चाहती थी और साथ में अपनी मस्त रसीली बुर के अंदर उसकी जीभ को महसूस करना चाहती थी,,, और हर आसन में संभोग का भरपूर मजा लेना चाहती थी लेकिन शायद इस समय उसके पास समय बिल्कुल भी नहीं था और वहां सुरज के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर की गहराई में महसूस करना चाहती थी और इसी लालच के कुछ और ना करके बस आनंद को लेकर संतुष्ट हो चुकी थी उसका काम बन चुका था वह जानती थी कि एक बार चुदाई कर देने के बाद सुरज का आकर्षण उसकी तरफ और ज्यादा बढ़ जाएगा एक तरह से वह उसका गुलाम बन जाएगा और वह जब चाहे तब सुरज के साथ चुदाई का भरपूर आनंद लूट सकेगी और सुधियां काकी अपनी तरफ से सारी चालें चल चुकी थी और पूरी बाजी सुधियां काकी के हाथ में आ चुकी थी,,,।


देख सुरज जो कुछ भी यहां पर हम दोनों ने किया इस बारे में किसी को भी मत बताना मैं फिर तुझ से कह देती हूं,,,(रोटी के टुकड़े को मुंह में डालते हुए सुधियां काकी बोली)


नहीं नहीं काकी ऐसा कभी नहीं होगा,,,, लेकिन तुम्हें अब तो आराम हो गया ना,,,


अरे आराम कैसे नहीं होगा,,, तेरा इतना लंबा मोटा लंड है और मेरी बुर में जाकर सारी कसर निकाल दिया है,, सारी परेशानियां दूर हो गई है,,,(खाना खाते खाते ही इतना कहने के साथ ही वह एक हाथ से बैठे हुए अपनी साड़ी के ऊपर उठा कर अपने बालों से भरी हुई बुर दिखाते हुए बोली,,)

देख नहीं रहा है तेरा उपचार पाकर कैसा पानी छोड़ रही है,,, लेकिन तू जानता भी है कि जो हम दोनों ने किया है इसे क्या कहते हैं,,,।

(सुधियां काकी के कहने का मतलब पूरा जो अच्छी तरह से जानता था जवान लड़का होने के नाते और आवारा लड़कों के संगत में उसे गाली गलौज करते हुए और अपने दोस्तों की बातों को सुनकर इतना तो मालूम ही था कि एक औरत के साथ एक लड़का जब उसकी बुर में लंड डालता है तो उसे क्या कहते हैं लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए बोला)

नहीं तो,,,, क्या कहते हैं काकी,,,?( सब्जी को रोटी में लगाकर मुंह में डालते हुए बोला)


सच में तु एकदम बुद्धू है,,,, अरे बुद्धू हम दोनों ने जो किया उसे चुदाई कहते हैं,,,,।


वो ,,,,, अब समझा,,,, इसीलिए सब गाली गलौज करते हुए कहते हैं तेरी मां चोद दूंगा तेरी बहन चोद दूंगा,,,,।


हां अब जाकर तू समझा,,,,


लेकिन काकी ऐसा करने में मुझे ना जाने क्यों बहुत मजा आ रहा था बहुत अजीब सा लग रहा था,,,,(सुरज एकदम से अनजान बनते हुए बोला,,हालांकि यह बात सच ही था कि संभोग के सुख के अनुभव सेवा बिल्कुल अज्ञान था,,, और सुरज की यह बात सुनकर सुधियां काकी मुस्कुराते हुए बोली)


अरे ऐसा ही होता है इस खेल में इतना मजा आता है कि पूछो मत तभी तो सब खेलने के लिए बेकरार रहते हैं,,,,, मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तेरे दोस्त लोग भी मेरे बारे में न जाने कैसी कैसी बातें करते रहते हैं,,।


हां काकी तुम सही कह रही हो जब भी तुम मुझसे बातें करती हो ना तो मेरे दोस्त लोग ना जाने क्यों मुझसे जलते रहते हैं,,,


क्या कहते हैं,,, तेरे दोस्त लोग,,,


अरे बहुत कुछ कहते हैं गंदी गंदी बातें करते हैं,,,



अरे बताएगा भी की कैसी कैसी बातें करते हैं,,,,


अरे काकी पूछो मत जब भी तुम मुझसे बातें करती हो तो वह लोग यही कहते हैं कि लगता है काकी को तेरा पसंद आ गया है,,, काकी तेरे से चुदवाना चाहती है,,,
(सुरज की यह बात सुनकर सुधियां काकी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)


सच ही तो कहते हैं तेरे दोस्त मुझे तु शुरु से बहुत अच्छा लगता है और अब तो तु मुझे और ज्यादा अच्छा लगने लगा है,,,


ऐसा क्यों काकी,,,


तेरे लंड की वजह से,,,, हां सुरज मैं सच कह रही हूं तेरे जैसा मोटा तगड़ा लंड शायद गांव में किसी के पास नहीं है,,,तभी तो तू अपने लंड को मेरी बुर में डालकर आज मुझे एकदम मस्त कर दिया,,,,,,
(सुधियां काकी की बात सुनकर सुरज मन ही मन में बहुत खुश हो रहा था क्योंकि सुधियां काकी उसके लंड की बडाई कर रही थी,,,, सुधियां काकी की बात सुनकर सुरज तपाक से बोला,,,)


लेकिन काकी मेरे दोस्त तो मेरा मजाक उड़ाते हैं कि तेरे पास है ही नहीं तभी तो सुधियां काकी के साथ कुछ कर नहीं पाता अगर तेरी जगह हम होते तो कब से सुधियां काकी को मस्त कर देते,,,



तो दिखा देना चाहिए था ना खोल कर एक दिन सबका मुंह बंद हो जाता तेरा लंड देखकर,,,,,,,



जाने दो ना काकी वह लोग अच्छे लोग नहीं है उन लोगों के साथ मुझे बहस में नहीं उतरना है,,,और वैसे भी अगर यह बात मेरे मामा को पता चल गई तो मेरी खैर नहीं,,,,,,

हां सच कह रहा है तू,,, इस बात की किसी को कानों कान खबर नहीं होनी चाहिए अगर ऐसा हुआ तो हम दोनों ऐसे ही मजा करते रहेंगे और पकड़े गए तो सब कुछ खत्म,,,,


तुम चिंता मत करो काकी किसी को कानों कान खबर नहीं होगी,,,,


बहुत अच्छा है तू,,,,(ऐसा कहते हुए सुधियां काकी अपना हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के सर पर हाथ फेरने लगी,,, सुरज के लंड की मोटाई को वह अपने बुर के अंदरूनी हिस्सों पर बड़े अच्छे से उसकी रगड़ को महसूस कर पाई थी ऐसा अनुभव से अपनी जवानी के दिनों में ही प्राप्त हुआ था इस उम्र में किसी लड़के का उसकी बुर की दीवारों को रगड़ देगा इस बात का अंदाजा उसे भी बिल्कुल नहीं था सुधियां काकी अपने मन ही मन में यही सोच रही थी कि सुरज ने अपने लंबे लंड से उसके बुर का भोसड़ा बना दिया था,,,,,, और सुधियां काकी इस बात से भी हैरान थे कि जिंदगी में पहली बार संभोग करते हुए सुरज दूसरों की अपेक्षा जल्दी स्खलित नहीं हुआ था,,, तीन बार उसका पानी निकालने के बाद ही उसके खुद का पानी निकला था,,,, उसके लंड से निकली लावा की पिचकारी उसे अपने बच्चेदानी पर साफ महसूस हुई थी जिसके बदौलत वह तुरंत उसके साथ झड़ गई थी,,।

सुरज और सुधियां काकी खाना खा चुके थे लेकिन एक बार फिर से सुधियां काकी की बुर पानी छोड़ने लगी उसकी बुर में खुजली होना शुरू हो गई वह एक बार फिर से सुरज के लंड को अपनी बुर में लेना चाहती थी,,,, उसे इस बात की आशंका थी कि सुरज दूसरी बार कर पाएगा कि नहीं,,,,,, और सुरज के मन में भी यही चल रहा था कि एक बार फिर से काकी को चोदने को मिल जाता तो बहुत मजा आता क्योंकि एक बार फिर से पजामे में उसके मुसल ने हरकत करना शुरू कर दिया था,,,, लेकिन यह बात सुरज अपने मुंह से नहीं कह सकता था इसलिए खामोश ही रहा लेकिन उसके मन की बात जैसे कमला जान गई हो इस तरह से बैठे बैठे ही,, अपनी साड़ी को ऊपर उठा कर एक बार फिर से सुरज को अपनी बुर का दर्शन करते हुए बोली,,,)


देख सुरज तेरे लंड ने ईसका क्या हाल किया है कैसे पानी छोड़ रही है,,,,
(सुधियां काकी की इस हरकत पर एक बार फिर से सुधियां काकी की बुर के दर्शन करके सुरज पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और उसे प्यासी नजरों से देखते हुए बोला,,,)


हां काकी अब क्या करना है,,,,


करना क्या है एक बार फिर से तेरे को डालना पड़ेगा लेकिन इस बार पीछे से,,,,


पीछे से मैं कुछ समझा नहीं,,,,


ऐसे तो नहीं समझेगा रुक मैं तुझे बताती हूं ,,(इतना कहते हुए सुधियां काकी अपनी जगह से खड़ी हो गई और पास में ही घनी झाड़ियों के पास जाकर खड़ी हो गई सुरज वहीं खड़ा खड़ा सुधियां काकी को देख रहा था सुधियां काकी झाड़ियों के पास खड़ी होकर पीछे नजर घुमाकर सुरज को देखी और मुस्कुराने लगी,,, सुरज की नजर से खूबसूरत गोलाकार बड़ी बड़ी गांड पर ही टिकी हुई थी जिसे देख कर उसके मुंह के साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था,,,, सुधियां काकी सुरज को देखते हुए अपनी सारी को पकड़कर एक बार फिर से ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,, और देखते ही देखते सुरज की आंखों के सामने सुधियां काकी अपनी साड़ी कमर तक उठा दी,,,सुरज सुधियां काकी की भरपूर नंगी गांड को देखकर मचल उठा गांड की दोनों फांके बड़े-बड़े तरबूज की तरह थी जिसे पकड़ कर दबाने की इच्छा सुरज की बहुत कर रही थी,,, सुधियां काकी उसी तरह से ही राज्यों की तरह मुस्कुराकर देखते हुए अपने दोनों हथेली को जोर से अपनी गांड पर मारते हुए बोली,,,।)


बोल सुरज कैसी है मेरी गांड,,,?


बहुत खूबसूरत है काकी,,,,(सुरज प्यासी आंखों से सुधियां काकी की गांड को देखते हुए बोला,,)

कभी किसी औरत की गांड देखा है कि नहीं,,,


नहीं काकी पहली बार देख रहा हूं और वह भी आपकी,,,


तो दूर क्यों खड़ा है पास आना,,,

(सुधियां काकी की बात सुनकर सुरज तुरंत उसके पास पहुंच गया और उसके बेहद करीब खड़ा हो गया सुधियां काकी की बेहद नजदीक जिसे वह प्यासी नजरों से देख रहा था)


पकड़ कर देख कैसा लगता हैं,,,,(काकी अपने अपने मुंह से अपने नितम्बों को पकड़ने का आमंत्रण देते हुए बोली,,, सुरज का मन तो पहले से यही कह रहा था इसलिए हम ना चाहत की बात करते हैं वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिया लेकिन सुधियां काकी की गांड पर पहुंचते-पहुंचते उसके हाथों में कंपन होने लगा लेकिन फिर भी वह सुधियां काकी की गांड पकड़ ही लिया ,,, सुधियां काकी की गांड को पकड़कर उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,, सुधियां काकी ने जिस तरह से अपने हाथों से अपनी गांड पर दो चपत लगाई थी उसी तरह से सुरज भी सुधियां काकी की गांड पर चपत लगा दिया और उसे चपत लगाने में बहुत मजा आया क्योंकि चपत लगते ही सुधियां काकी के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी,,,। सुधियां काकी को भी बहुत मजा आ रहा था लेकिन वह वक्त बर्बाद नहीं करना चाहती थी,,, इसलिए वह मुस्कुराते हुए झुक गई,,, झुकने के बाद अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठाते हुए बोली,,,।


सुरज तुझे मेरी बराबर दिख रही है कि नहीं,,,?
( सुधियां काकी की बातें सुनकर सुरज तुरंत झुक कर सुधियां काकी की गांड के बीचो-बीच देखने लगा उसे सुधियां काकी की बुर बड़े साफ तौर पर नजर आ रही थी,,)

हां काकी एकदम साफ नजर आ रही है,,,



बस सुरज बेटा पीछे से तुझे अपने लंड को उसमें डालना है जैसा आगे से किया था वैसे पीछे से करना है कर तो लेगा ना,,


हां काकी तुम बिल्कुल चिंता मत करो आराम से कर लुंगा,,,,


बस बेटा यही तेरे मुंह से सुनना था अब जल्दी से डाल दे,,,

(इतना सुनने के बाद ही सुरज एक बार फिर से अपना पजामा उतार कर फेंक दिया और सुधियां काकी के पीछे खड़े होकर अपने लंड को सुधियां काकी की गुलाबी बुर पर रखते हुए जोरदार धक्का मारा सुधियां काकी की बुर पहले से गीली हो चुकी थी इसने एक बार फिर से गच के आवाज के साथ सुरज का लंड सुधियां काकी के बुर में प्रवेश कर गया,,, सुधियां काकी के मन में आशंका थी कि सुरज जिस तरह से आगे से कर पाया था क्या पीछे से कर पाएगा पर यही वह देखना चाहती थी क्योंकि सुधियां काकी जानती थी कि उसकी गांड बहुत बड़ी-बड़ी थी ऐसे में पीछे से कर पाना आसान नहीं होता था और इसका उसे खुद का अनुभव था जिन जिन के साथ उसने शारीरिक संबंध बनाई थी वह लोग पीछे से उसे संतुष्ट करने में नाकामयाब हो गए थे,,, लेकिन सुधियां काकी के चेहरे पर चमक पैदा होने लगी क्योंकि देखते ही देखते सुरज अपना पूरा लंड उसकी बुर में पीछे से डाल चुका था और उसकी बड़ी बड़ी गांड पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था एक अच्छी अध्यापिका का यही काम होता है कि वह जो काम भी अपने विद्यार्थी को सिखाए वह बड़े लगन से और अच्छे तरीके से सिखाएं,,, और यह काम सुधियां काकी बखूबी कर दिखाई थी और एक अच्छे विद्यार्थी का भी फर्ज होता है कि अपने अध्यापक के द्वारा सिखाए गए हरपाठ का वह अच्छी तरीके से कंठस्थ कर ले ताकि जरूरत पड़ने पर वह बेझिझक बोल सके या कर सके और वही काम सुरज ने भी किया था बस एक बार ही सुधियां काकी ने उसे बताई थी कि बुर के अंदर लग जाने पर क्या करना हैऔर सुरज वही अच्छे तरीके से कर भी रहा था आगे से भी पीछे से भी देखते ही देखते सुरज के धक्के तीव्र गति से होने लगे सुधियां काकी की आंखों से आंसू टपकने लगे थे क्योंकि सुरज लगातार अपनी कमर हिला रहा था इससे इस उम्र में भी सुधियां काकी को अपनी बुर में दर्द को महसूस हो रहा था लेकिन अद्भुत हो रही थी ऐसा सुख उसने आज तक नहीं भोगी थी,,,खेतों में उसकी गरम सिसकारियां गूंज रही थी लेकिन उसकी सिसकारियां को सुनने वाला कोई नहीं था,,,एक बार फिर सुरज के तन बदन में अद्भुत ऊर्जा के साथ-साथ असीम सुख की अनुभूति होने लगी,,, सुरज सुधियां काकी की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से थामैं अपनी कमर हिला रहा था किसी औरत को चोदने में कितना मजा आता है यह बात सुरज को पहली बार महसूस हो रहा था वरना वह इन सब बातों को बहुत ही खराब मानता था जब कभी भी उसके दोस्त उससे इस तरह की बातें करते थे,,,,लेकिन सुधियां काकी को चोदते हुए वहां अपने मन में यह सोचने लगा कि वह अब तक इस अद्भुत सुख से वंचित कैसे रह गया था,,,,।


और देखते ही देखते घमासान सिकाई करने के बाद एक साथ सुधियां काकी और सुरज अपना लावा फेंकने लगे और संतुष्ट होने के बाद चुपचाप खेतों से वापस घर आ गए,,,,सुरज को अब चुदाई की तलब लग चुकी थी औरतों के प्रति उसका आकर्षण बढ़ने लगा था,,,लेकिन कई दिनों से उसकी मुलाकात सुधियां काकी से नहीं हुई थी,,,, इसलिए उसकी तडप बढ़ती जा रही थी,,, ऐसे ही एक रात को मंजू गहरी नींद में सो रही थी और अचानक उसकी नींद खुल गई लालटेन की रोशनी पूरे कमरे में उजाला दे रहा था बहुत कर पानी पिया और वापस खटिया पर बैठकर सोने ही वाला था कि उसका ध्यान उस दिन की बात पर चला गया जब उसकी नींद ऐसे ही खुली थी और उसकी मौसी कोने में खड़ी होकर न जाने क्या देख रही थी सुरज को कुतूहल हुआ और वह धीरे से खटिया पर से उठ कर खड़ा हो गया एक नजर अपनी मौसी पर डाला तो और करवट लेकर सो रही थी और उसकी मादक गांड उभरी हुई थी जिसे देख कर सुरज का मन मचल उठा लेकिन वहां उसी जगह पर आ गया जहां से उसकी मौसी ना जाने क्या कर रही थी वहां पर पहुंचकर वह उसी जगह पर आग लगा कर इधर-उधर करने लगा उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसकी मौसी कर क्या रही थी लेकिन काफी देर तक मशक्कत करने के बाद उसे समझ में नहीं आया और बता छोड़ कर वापस खटिया पर आने की तैयारी कर रहा था कि तभी उसे हल्की सी रोशनी नजर आने लगी रोशनी का पीछा करते हुए उसे बहुत ही जल्द दीवार में बना हुआ वह छेद नजर आने लगा सुरज बड़े गौर से उस क्षेंद में से अंदर देखने का प्रयास करने लगा तो अगले ही पल अंदर का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,।
 
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रात गहराई हुई थी चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था,,, आज मंजू दिन भर की थकान से थककर खटिया पर पडते ही सो गई थी,,,, लेकिन आज अचानक ही सुरज के लिए खुल गई थी ऐसा उसके साथ पता नहीं था लेकिन आज अचानक ही उसकी आंख खुली थी,,,,
पानी पीने के बाद का कुतूहल बस उसी जगह पर पहुंच गया था जहां पर उसने कुछ दिन पहले मंजू को झांकते हुए देखा था,,,, थोड़ी मशक्कत करने के बाद उसे वह छेद दिख ही गया,,, उसे अंदाजा नहीं था कि उस छोटे से छेद से उसकी मौसी मंजू क्या देख रही थी,,,, लेकिन अपनी नजरों को उस छेद में से आर पार करते हुए उसे जो नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और पल भर में उसकी सांसों की गति तेज हो गई,,,,,,,,
इस तरह से सुरज दीवार के उस छोटे से छेद में से देख रहा था,,,


बगल के कमरे में भी लालटेन जल रही थी जिसकी रोशनी में पूरा कमरा प्रकाशित हो रहा था बगल के कमरे में सब कुछ साफ नजर आ रहा था ,,,सुरज की नजरें साफ देख पा रही थी कि खटिए पर उसके मामा लेटे हुए थे और वह भी बिल्कुल नंगे,,, सुरज की नजर उसके मामा के लंड पर थी,,, जिसे उसके मामा अपने हाथों में लेकर हवा में लहराते हुए हिला रहे थे,,,,,, सुरज को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके मामा क्या कर रहे हैं सुरज की नजरे उसकी मामी को ढूंढ रही थी,,, लेकिन सुरज को अपनी मामी नजर नहीं आ रही थी सुरज हैरान था अपने मामा की हरकत को देखकर लेकिन अपने मन में यह सोच रहा था कि उसकी मामी कहां गई,,, तभी उसे हल्की सी आवाज सुनाई दी,,,।


अरे क्या कर रही हो जल्दी से आओ ना,,,


आ रही हूं आप भी ना बहुत उतावले हो जाते हो,,,
(अपनी मामी की बात सुनते ही सुरज का दिल जोरों से धड़कने लगा,,,, अपने मामा को नंगी हालत में देख कर और अपना लंड हीलीते हुए देखकर और दो दो बार सुधियां काकी के साथ संभोग करने के बाद उसे इतना तो अंदाजा लग गया था कि कमरे के अंदर उसकी मामी और उसके मामा कुछ अद्भुत कार्य करने जा रहे हैं जिसके बारे में सोच कर ही सुरज मदहोश हुआ जा रहा था क्योंकि आज तक उसने अपने मामा को इस हालत में नहीं देखा था,,, लेकिन आज उसके जीवन में कुछ नया और अद्भुत होने जा रहा था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था तभी उसकी मामी दाहिने तरफ से आती हुई दिखाई गई जिसके बदन पर साड़ी नहीं थी और वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी,,,, वैसे तो अक्सर लड़के घर की औरतों को कपड़े बदलते हुए या अर्धनग्न अवस्था में या तो फिर पूरी तरह से नंगी देख ही लेते हैं लेकिन सुरज के साथ अब तक ऐसा नहीं हुआ था सुरज अपनी मामी को मामी के कपड़े में बदलते हुए देखा था ना ही अर्धनग्न अवस्था में और ना ही पूरी तरह से नंगी लेकिन आज उसके जीवन में अद्भुत होने जा रहा था जिसके लिए वह अपनी सांसों को थाम कर उस छोटे से छेद में नजर धशाएं खड़ा था,,,, रूपाली उसी तरह से ब्लाउज और पेटीकोट में ही रविकुमार के पास पहुंच गई और अपने कमर पर हाथ रखते हुए मुस्कुराते हुए बोली,,)


अपना तो खुद नही सोते हैं और ना ही मुझे सोने देते हैं आप जानते हैं दिन भर कितना काम लगा रहता है और आप हैं कि रात को सोने की जगह मेरी नींद हराम करके रखते हैं,,,


अरे मेरी रानी नींद तो मेरी हराम हो जाती है तुम्हारी खूबसूरती देखकर,,,, दो दो बच्चों की मां हो गई हो लेकिन अभी भी पूरी तरह से जवान लगती हो,,,


बाप रे ना जाने कब तुम्हारी प्यास बुझेगी,,,,


यह प्यास कभी नहीं बुझने वाली मेरी रानी,,,,,,(रविकुमार अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,,,सुरज अपने मामा की हरकत और उसकी बातों को सुनकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था उसे थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन ना जाने क्यों इस दृश्य में इस वार्तालाप में एक आकर्षण था जिसके प्रति व खींचता चला जा रहा था अपने मामा को इस हालत में देखना उसके लिए गवारा नहीं था लेकिन वह चाह कर भी अपने आप को नहीं रोक पा रहा था वह साफ तौर पर देख पा रहा था कि उसके मामा खटिया पर निश्चिंत नंगा होकर अपने लंड को हिलाते हुए लेटे हुए थे और उसकी मामी सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट नहीं उसके पास में खड़ी थी उसके लंबे घने बाल उसके नितंबों तक आ रहे थे उसकी बलखाती कमर एक नया ही सुरज के जीवन में प्रकरण की शुरुआत कर रही थी अपनी मामी का मांसल खूबसूरत बदन के प्रति सुरज का आकर्षण बढ़ता जा रहा था हालांकि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था वह अपनी मामी को इस नजरों से कभी नहीं देखा था लेकिन,,, सुधियां काकी की बदौलत उसकी सोच और नजरों में बदलाव आ गया था,,,,,,, सुरज की मामी सुरज के मामा के पास में खड़ी होकर अठखेलियां करते हुए हल्के हल्के अपने बदन को हीला रही थी जिसकी वजह से उसकी चूड़ियों की खनक वातावरण में मादकता फैला रही थी,,,, सुरज की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, सुरज के अंतर्मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी वह जानता था कि अपनी मामी और मामा को इस हालत में देखना अच्छी बात नहीं है और वह वहां से हट जाना चाहता था उस नजारे को देखना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी जवानी के जिस दौर से वह गुजर रहा था उस दौर में सोचने समझने की शक्ति इस शारीरिक आकर्षण के मामले में छीण हो जाती है,,, इसलिए वह सही बुरे का फैसला नहीं कर पा रहा था बस उस नजारे को देखकर जाना था वह देखना चाहता था कि आगे क्या होता है,,,)


अरे खड़ी ही रहोगी या कपड़े उतार कर आओगी,,,।
(अपने मामा की यह बात सुनते ही सुरज के तन बदन में मदहोशी का रस घुलने लगा क्योंकि सीधे-सीधे उसके मामा उसकी मामी को कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कह रहे थे और सुरज आंखें फाड़े उस दृश्य को देख रहा था,,, वह जानता था कि उसके मामा की आज्ञा पाकर उसकी मामी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी और सुरज यही देखना चाहता था कि बिना कपड़ों की उसकी मामी कैसी दिखती है,,,। अपने मामा की बातें सुनकर सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानता था कि अगर उसकी मामी उसके मामा की बात मानेगी तो उसकी मामी उसे बिना कपड़ों के देखने को मिलेगी,,,, यह पल उसके लिए अद्भुत था ,,। उसके बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,,, वह बार-बार खटिया पर सोई हुई अपनी मौसी की तरफ देख ले रहा था,,,,वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि दीवार में बने उस छोटे से छेद से उसे इतना बेहतरीन खूबसूरत मादक दृश्य देखने को मिलेगा,,,, उसकी मामी अभी भी कमर पर हाथ रखे खटिया पर लेटे उसके मामा को देख रही थी और मुस्कुरा रही थी,,, मुस्कुराते हुए सुरज को अपनी मामी बेहद खूबसूरत लग रही थी और उसके मामा हाथ में अपने खड़े लंड को पकड़े हीला रहे थे,,,, बार-बार रूपाली की नजर अपने पति के लंड पर चली जा रही थी जो कि सुरज को साफ तौर पर नजर आ रहा था,,,,,,)

अब मुस्कुराती ही रहोगी कि अपने कपड़े भी उतारोगी,,,,


नहीं आज मैं कपड़े नहीं उतारूंगी,,, आज ऐसे ही कर लो,,,
(अपने मामी के मुंह से ऐसे ही कर लो शब्द सुनकर उसका दिमाग झन्ना गया ऐसे ही कर लो का मतलब वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामी उसे चोदने के लिए बोल रही थी वह अपनी मामी के मुंह से इस तरह की अश्लील शब्दों को कभी सुना नहीं था इसलिए पहली बार इस तरह के शब्दों को सुनकर वह हैरान भी था लेकिन कामुकता के मदहोशी भरे इस पल को जी भी रहा था उसे ना जाने क्यों अपनी मामी के मुंह से इस तरह के गंदे शब्द अच्छे लग रहे थे,,, लेकिन अपनी मामी की बातों को सुनकर वह थोड़ा निराश हुआ क्योंकि उसकी मामी कपड़े उतारने के लिए तैयार नहीं थी और अगर ऐसा होता तो सुरज को अपनी मामी का नंगा बदन देखने को नहीं मिलता और ऐसा वह नहीं चाहता था लेकिन अपने मन में आए इस ख्याल से कि अपनी मामी को नंगी देखें वह इस बात से उत्तेजित भी था और हैरान भी था क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी मामी को नंगी देखने का ख्याल अपने मन में लाएगा लेकिन इस समय हालात बदलते हुए नजर आ रहे थे,,, वह सच में अपनी मामी को न्गनावस्था में देखना चाहता था उसकी खूबसूरती को देखना चाहता था उसके बदन के बनावट को देखना चाहता था,,,,दो बार सुधियां काकी की जमकर चुदाई करने के बाद भी वह सुधियां काकी को संपूर्ण रूप से निर्वस्त्र नहीं देखा था एक औरत नंगी होने के बाद कैसी दिखती है यह उसके कल्पना के परे था लेकिन उनके नंगे कोमल अंगों को देखकरपर इस समय जिस तरह के हालात बन रहे थे उसे देखते हुए सुरज अपने मन में यही चाहता था कि एक औरत के नंगे बदन को अपनी नजरों से देखें जो कि उस समय उसकी आंखों के सामने उसकी मामी थी,,,,,, वह अपने मन में यही सब सोच रहा था कि तभी उसके मामा बोले,,,)



नहीं नहीं ऐसा मत करो मेरी रानी,,, तुम तो अच्छी तरह से जानते हो कि तुम्हें नंगी करके चोदने में जो मजा है वह मुझे सिर्फ साड़ी उठाकर चोदने में नहीं है,,,,,(रविकुमार एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,, और सुरज अपनी मामा की यह बात सुनकर एकदम मस्त हो गया क्योंकि आज तक उसने इतने अश्लील शब्द अपने घर के किसी भी सदस्य के मुंह से सुना नहीं था और आज तो उसके मामा लेकिन खुले शब्दों में उसकी मामी को चोदने के लिए बोल रहे थे,,,सुरज इस बात से और ज्यादा हैरान था कि उसकी मामी को उसके मामा के कहे शब्दों उसकी बातों से कोई आपत्ति नहीं थी वह तो मुस्कुराए जा रही थी,,,,,)


लेकिन आज मेरा मन नहीं है जी,,,,,,,


ऐसे कैसे मन नहीं है मैं जानता हूं तुम्हारा भी मन कर रहा है बुर पानी छोड़ रही है और कह रही हो कि मेरा मन नहीं है,,,

(रविकुमार की बातें सुरज के मन पर अपना कह रहा असर छोड़ रही थी अपनी मामी के बारे में इस तरह की गंदी बातें सुनकर उसे गुस्सा नहीं बल्कि ना जाने क्यों आनंद आ रहा था और वैसे भी उसकी मामी को गंदी बात बोलने वाला कोई दूसरा नहीं उसके ही मामा थे इसलिए उसे कोई आपत्ति नहीं थी इसलिए तो उसे इस तरह की बातें सुनने में मजा आ रहा था,,,सुरज की मदहोशी इस बात से और ज्यादा बढ़ गई थी कि उसके मामा खुला शब्दों में उसकी मामी की बुर के बारे में बात कर रहे थे,,, इसलिए सुरज की सांसे ऊपर नीचे हो रहे थे,,,,)


आपको कैसे मालूम कि मेरी बुर पानी छोड़ रही है,,,(रूपाली भी मुस्कुराते हुए बोली और सुरज अपनी मामी के मुंह से इस तरह गंदी बातें सुनकर पूरी तरह से बावला हो गया था ,, पजामे में उसका लंड अकड़ने लगा,,, क्योंकि उसकी मामी लाज शर्म छोड़कर एकदम खुले शब्दों में अपने अंग का नाम ले रही थी,,,)
सुरज अपनी मामी की मदमस्त चुचियों को देखकर मस्त हुआ जा रहा था


मुझे सब पता है मेरी रानी,,,, कहो तो पेटीकोट उठा कर दिखा दु,,,,,


नहीं नहीं रहने दीजिए वैसे भी उतारना ही पड़ेगा,,,,



यह हुई ना बात मेरी रानी है मुझे पूरा यकीन था कि तुम मेरी बात जरुर मानोगी मुझे निराश नहीं करोगी क्योंकि तुम भी यह बात अच्छी तरह से जानती हो कि नंगी करके चोदने में चुदवाने में जो मजा है वो किसी में नहीं,,,,
(एक एक शब्द सुरज के कानों में मधुर और मादकता भरे रस को बोल रहे थे अपने मामा की बातें सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ा रहे थे और उनकी बातों को सुनकर उसकी मामी मुस्कुरा रही थी जिसका मतलब साफ था कि अब वह उसके मामा की बात मानते हुए अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी इस बात का एहसास सुरज को होते ही वह ना चाहते हुए भी पजामे के ऊपर से अपने लंड को पकड़ लिया,,,,,)

आपकी बात तो माननी ही पड़ेगी,,,,( और इतना कहने के साथ ही खटिया के पास खड़ी होकर रूपाली अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और रविकुमार अपना हाथ आगे बढ़ा कर पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी बीवी रूपाली की गांड को पकड़ने लगा दबोचने लगा,,,,उत्तेजना की दृष्टि से सुरज के लिए यह सब असहनीय होता जा रहा था क्योंकि उसका बदन उत्तेजना की पराकाष्ठा को पार कर जा रहा था,,,, वह दीवार में बने छोटे से छेद के जरिए बगल वाले कमरे की एक नई दुनिया को झांक रहा था जो कि अब तक उसकी आंखों से और उसकी सोच से बिल्कुल अनजान था,,,। सुरज ने कभी भी अपनी मामी के बारे में इस तरह की कल्पना नहीं किया था अपनी मामी के बारे में ही क्यों उसने तो किसी के बारे में भी इस तरह की कल्पना नहीं किया था,,,, वह अब तक अपनी मामी को एक साधे रूप में ही देखता रहा था जो कि उसके लिए एक आदर्श थी आदर्श तो अभी भी थी लेकिन उसका दूसरा पहलू उसे आज नजर आ रहा था,,,,, सुरज साफ तौर पर देख पा रहा था कि उसके मामा उसकी मामी की गांड से पेटिकोट के ऊपर से ही खेल रहे थे,,।
जोकि सुरज को अपने मामा की यह हरकत बेहद मदहोश कर देने वाली लग रही थी,,, सुरज की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी देखते ही देखते रूपाली एक-एक करके अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और बटन के खुलते ही सुरज की आंखों के सामने बेहद खूबसूरत नजारा नजर आने लगा सुरज अपनी मामी की गोल-गोल खरबूजे जैसी चुचियों को देखकर मस्त हो गया,,,, उसने अभी तक किसी औरत की चूचियों को संपूर्ण रुप से नग्न अवस्था में नहीं देखा था आज पहली बार वह अपनी मामी की चूचियों को और वह भी एक दम नंगी देख रहा था,,,। रूपाली अपने ब्लाउज को अपनी बाहों में से निकालते हुए बोली,,,।



अब तो खुश है ना जी,,,,,


अरे मेरी रानी यही अदा तो मुझे मार देती है तुम्हारी चुचियां देखे बिना तू मेरा दिन नहीं गुजरता,,,,(रविकुमार की बात सुनकर रूपाली मंद मंद मुस्कुरा रही थी अपने पति के मुंह से अपनी और अपने बदन की खूबसूरती की प्रशंसा सुनकर रूपाली और ज्यादा प्रसन्न हुए जा रही थी,,,भले ही वह कपड़े उतारने में आनाकानी कर रही थी लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसे भी सारे कपड़े उतारने के बाद ही मजा आता था सुरज के तो दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी कमर से ऊपर उसकी मामी पूरी तरह से नंगी थी उसकी गोल-गोल बड़ी-बड़ी चूचियां दशहरी आम की तरह छातियों पर लहलहा रही थी,,, जिसे देखकर सुरज के मुंह में पानी आ रहा था सुरज ने अब तक किसी और चुचियों को देखा नहीं था इसलिए किसी दूसरी औरतों की चुचियों से उसकी मामी की सूचियों की तुलना करना उसके लिए मुश्किल था लेकिन फिर भी वह इतना तो समझ गया था कि चुचियां कितनी खूबसूरत होती है,,,,सुरज अपने दिल की धड़कन पर काम करने की भरपूर कोशिश कर रहा था लेकिन बगल के कमरे का नजारा इतना गरमा गरम झांकी वहां चाह कर भी अपने आप पर अंकुश नहीं रख पा रहा था,,,, गहरी रात में कमरे के अंदर इस तरह का दृश्य नजर आता है इस बारे में सुरज को मालूम ही नहीं था वह तो बस इतना ही जानता था कि रात को सोया जाता है,,, लेकिन आज अपनी आंखों से दुनिया की ओर रिश्तो के बीच की सच्चाई को देख रहा था और समझ रहा था,,,,,,, सुरज को एक औरत की खूबसूरती की व्याख्या मालूम नहीं थी,,,। लेकिन इतना जरूर समझ रहा था कि उसकी मामी बहुत खूबसूरत है जो कि उसे अपनी आंखों से दिखाई दे रहा था छातियों की शोभा बढ़ा रहे उसकी कर तुमसे जैसी सूचियां और एकदम दशहरी आम की तरह तनी हुई और उस पर किसमिस के दाने की तरह तनी हुई निप्पल को देख कर सुरज के मुंह में पानी आ रहा था,,,, रूपाली एकदम गोरी थी इसलिए इसके गोरे बदन पर उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,,,,, सुरज की हालत तो वैसे ही खराब भी जा रही थी लेकिन उसकी मामी की हरकत को देखकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़कने लगे,,, क्योंकि उसकी मामी अपने दोनों चुचियों को हर बच्चे की तरह नीचे से अपने हथेली में भरकर उसे ऊपर की तरफ उठाते हुए हल्के हल्के दबाने लगी,,, यह देख कर सुरज का मामा बोले,,,,।



यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो रानी,,,, और आओ मेरे पास इतना कहने के साथ ही सुरज के मामा एक हाथ आगे बढ़ाकर उसकी मामी की पेटीकोट की डोरी को खींच लिया और पेटीकोट की डोरी खींचते हैं वह एकदम से ढीली हो गई और तुरंत सुरज के मामा डोरी को अपने हाथों से छोड़ दिया और डोरी के छोड़ते ही पेटीकोट भरभरा कर नीचे उसके कदमों में गिर गई,,,, और अगले ही पल सुरज की आंखों के सामने उसकी मामी एकदम नंगी हो गई ,,, सुरज की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी आंखों के सामने पहली बार उसकी मामी पूरी तरह से नंगी हुई थी जो कि उसके मामा ने अपने हाथों से किया था अपने मामा मामी की कामुक हरकत को वह पहली बार अपनी आंखों से देख रहा था उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,,। वह बार-बार अपनी आंखों को मल कर अपने आप को तसल्ली दी रहना चाहता था कि वह वाकई में अपनी आंखों से देख रहा है या उसका कोई सपना या कल्पना है,,,, लेकिन जो कुछ भी वह अपनी आंखों से देख रहा था वह शत प्रतिशत सत्य था जिसमें चेहरा भी मिलावट नहीं था उसकी आंखों के सामने बगल वाले कमरे में उसके मामा के साथ-साथ उसकी मामी पूरी तरह से नंगी थी,,,,

सुरज अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मामी नंगी होने के बाद और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा उसकी आंखों के सामने खड़ी हो गोरा रंग बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां छातियों की शोभा बढ़ाती हुई,,,, मांसल चिकना पेट उसने कमर की तरफ हल्का सा कटाव जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था केले के तने के समान मोटी मोटी चिकनी जांघें जिस को देखकर ऋषि मुनि का भी तप भंग हो जाए,,,,,,, सुरज का मन अपनी खूबसूरत मामी की खूबसूरत गांड देखने को कर रहा था उसे पूरा विश्वास था कि इतनी खूबसूरत उसकी मामी है उससे भी कई ज्यादा खूबसूरत उसकी गांड होगी,,,, और इसीलिए अपनी मामी की गांड देखने के लिए होना चाह रहा था लेकिन उसकी मामी एक ही तरफ से उसे नजर आ रही थी,,,। इसलिए ना तो उसे उसकी मामी की गांड दिख रही थी ना ही उसकी मामी की बुर देख रही थी जो कि दोनों को देखने की तमन्ना उसके मन में प्रज्वलित हो रही थी,,,,, सुरज का यही सोचना था कि उसके मामा बोले,,,।


अरे मेरी रानी,,, खड़े-खड़े अपनी गांड तो दिखाओ सच कहता हूं तुम्हारी गांड देखकर गांव वालों का लंड खड़ा हो जाता होगा,,,,


धत्,,,, कैसी बातें कर रहे हो जी मैं गांव वालों के लिए थोड़ी हूं तुम्हारे लिए हुं,,,,


वह तो तुम मेरे लिए ही हो लेकिन मैं अपने मन की बात बता रहा था जो कि सच है,,,,


गांव वाले मेरे बारे में क्या सोचते हैं इसका मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता,,,,


इसमें तुम्हारा कसूर नहीं है रानी तुम्हारे बदन की और तेरे बड़ी गांड की बनावट ही कुछ ऐसी है कि ना चाहते हुए भी उस पर नजर चली जाती ही जाती है,,,।
(सुरज अपने मामा के मुंह से अपनी मामी के लिए ऐसी बात सुनकर एकदम दंग हो गया था उसे तुरंत अपने दोस्त से आम की बात याद आने लगी तो उस दिन उसकी मामी और मौसी के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा था तो वह अपने मन में यही सोचने लगा कि क्या वह सच बोल रहा था क्या गांव के लड़के गांव के मर्द उसकी मामी और मौसी को देखकर यही सोचते हैं,,, अपने मामा की इस बात पर सुरज का दिल और ज्यादा धड़कने लगा,,, सुधियां काकी को चोदने के बाद उसे चोदने के अर्थ को अच्छी तरह से समझ गया था इसीलिए वह अपने-अपने सोचने लगा कि गांव के लड़के उसके दोस्त क्या उसकी मामी को चोदने का सपना देखते हैं उसके मामा की मानें तो यह बात सनातन सत्य था अब उसे इस बात का एहसास होने लगा था कि उसकी मौसी और उसकी मामी पर है खूबसूरत औरत है अपनी मामी के बदन की बनावट को देखकर सुरज अब समझने लगा था कि वाकई में उसकी मामी और मौसी को देख कर सबका मन चोदने को करते हो ना इस बात का ख्याल मन नहीं आते ही उसे इस ख्याल से गुस्सा भी आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों ईस बात से उसकी उत्तेजना भी बढ रही थी,,,। सुरज बड़ी शिद्दत से दीवार के उस छोटे से छेद से बगल वाले कमरे में अपने मामा और अपनी मामी की काम लीला को अपनी आंखों से देख रहा था,,,लेकिन बार-बार अपनी मौसी पर भी नजर मार ले रहा था कि कहीं वह जागना जाए लेकिन एक बात उसके जेहन में पूरी तरह से बैठ गई थी कि उस दिन उसकी मौसी उसे झूठ बोली थी कि छिपकली को भगा रही है वह भी इसी छेद से उसकी मामी और उसके मामा की चुदाई देखती है,,,, यह ख्याल मन में आते ही उत्तेजना के मारे सुरज को अपने लंड में दर्द महसूस होने लगा,,,।

अरे दिखाओ भी,,,


क्या करते हो मुन्ना के बाबु दो दो बच्चों के बाप हो गए हैं लेकिन फिर भी ऐसी हरकत करते हो जैसे कि मैं पहली बार तुम्हारी आंखों के सामने आई हूं,,,


सच कह रही हो रूपाली रानी ईतने बरस हो गए लेकिन आज भी ऐसा लग रहा है कि आज हमारी सुहागरात है,,,।
(सुहागरात का जिक्र होते ही रूपाली एकदम से शर्मा गई,,,)

एक बार घूम जाओ मुझे तुम्हारी गांड देखना है,,,,
(सुरज के मामा अपने खडे लंड को हिलाते हुए बोले,,,, सुरज की हालत खराब हो रही थी उसके मामा खुले शब्दों में उसकी मामी को अपनी गांड दिखाने को बोल रहे थे पल भर में ही सुरज का अपनी मामी को देखने का नजरिया बदल गया था,,, अपनी मामी और मामा के मुंह से गंदे गंदे शब्दों को सुनकर और उनकी गंदी हरकतों की बदौलत सुरज के तन बदन में मदहोशी का नशा छाने लगा था इसलिए वह बगल वाले कमरे में खड़ी उसकी मामी को एक औरत के नजरिए से देख रहा था उसके खूबसूरत अंगों को देखकर मस्त हो रहा था,,, सुरज का लंड पजामे के अंदर गदर मचाया हुआ था,,, इस उत्तेजनात्मक स्थिति में सुरज को वह पल याद आ रहा था जब वह अपना मोटा तगड़ा लेने सुधियां काकी की बुर में डालकर अंदर बाहर कर रहा था सुरज के इस बात का एहसास होने लगा कि बदन की गर्मी को शांत करने का यही एक तरीका है और इस समय उसे खुद चोदने का बहुत मन कर रहा था पल भर में उसके मन में यह ख्याल आया कि काश बगल वाले कमरे में उसके मामा की जगह वह होता तो कितना मजा आता,,,, यह ख्याल मन में आते ही सुरज की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच गई लेकिन इतनी गंदे ख्याल की बदौलत उसे अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था लेकिन वह अपने आप पर अंकुश कसने में नाकामयाब साबित हो रहा था क्योंकि इस तरह के गंदे ख्याल के कारण उसके तन बदन में मस्ती की लहर दौड़ रही थी,,,, उसके मामा उसकी मामी को गांड दिखाने के लिए कह रहे थे और उसकी मामी शर्मा रही थी,,,उसके मामा के इस प्रस्ताव पर सुरज खुद सहमत था क्योंकि उसके मामा जितना उत्सुक थे उसकी मामी की गांड देखने के लिए उससे कहीं ज्यादा उत्सुक सुरज था अपनी मामी की गांड के दर्शन करने के लिए,,,,।
 
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सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि कुछ ही देर में उसे उसकी मामी की खूबसूरत गांड के दर्शन जो होने वाले थे,,सुरज अपने अंदर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था इतना ज्यादा उत्तेजना तो उसे सुधियां काकी को चोदते समय भी नहीं महसूस हुआ था जितना कि सिर्फ अपनी मामी को नंगी देखकर वह महसूस कर रहा था,,,,सुरज के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी कमरे के अंदर का दृश्य धीरे-धीरे और ज्यादा गर्म होता जा रहा था जिसकी सुरज को कल्पना भी नहीं थी,,, बार-बार सुरज के मामा सुरज की मामी को अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाने को कहते थे हालांकि वह पूरी तरह से नंगी थी लेकिन उसकी दूसरी तरफ थी जिसे सुरज की मामा देखकर और ज्यादा उत्तेजित होना चाहते थे,,,, सुरज अपने मन में यही सोच रहा था कि उसके मामा और उसकी मामी की चुदाई बरसों से करते आ रहे थे और अनगिनत बार उसकी मामी को अपने हाथों से नंगी करके उसके वजन के हर एक अंग को देख चुके थे लेकिन फिर भी उसकी मदमस्त गांड को देखने के लिए लालायित थे ,,, और उसने तो कभी भी अपनी मामी को ना तो गलत नजरिए से देखा था और ना ही बिना कपड़ों के,,, तो फिर वह क्यों ना ज्यादा उत्सुक हो अपनी मामी को नंगी देखने के लिए और वैसे मौका ए दस्तूर भी यही था क्योंकि उसकी आंखों के सामने बगल वाले कमरे में उसकी मामी बिना कपड़ों के एकदम नंगी खड़ी थी लेकिन नंगी होने के बावजूद भी ना तो सुरज को अपनी मामी की रसीली बुर दिखाई दे रही थी और ना ही उसकी मादकता भरी गांड नजर आ रही थी,,। इसलिए तो उसके मामा से भी ज्यादा उत्सुक वह खुद का अपनी मामी की गांड देखने के लिए,,,।

बेहद अद्भुत और मादकता का रस घोलता हुआ यह नजारा सुरज के बगल वाले कमरे में दृश्य मान हो रहा था जिसकी सुरज ने कभी कल्पना भी नहीं किया था यह तो उसकी मौसी की ही बदौलत था जो उसे ऐसा कामुक और मनोरम दृश्य देखने को मिल रहा था,,,,,, सुरज का मन अभी भी मानने को तैयार नहीं था कि वह अपनी आंखों से ही अपने मामा और अपनी मामी को इस हालत में देख रहा है,,,,कमरे में सुरज की मामी एकदम नंगी खड़ी थी खटिया पर उसके मामा पीठ के बल लेटे हुए थे और अपने खड़े लंड को जोर जोर से हिला रहे थे,,,, और एक हाथ से सुरज की मामी की चिकनी जांघों पर अपना हाथ फेर रहे थे,,, यह देखकर सुरज की भी हालत खराब हो रही थी,,,।


अब दिखा भी तो मेरी जान इतना क्या तड़पाना,,,,


आप भी ना बच्चों की तरह जिद पर बैठ जाते हैं,,,।


बच्चे क्या ईस तरह की जीद करते हैं,,,,,,, गांड़ देखने की,,,(रविकुमार मुस्कुराते हुए बोला)

आप भी ना,,,,


चलो दिखा भी दो,,,,

(रूपाली जानती थी कि उसके पति जिस चीज के लिए जिद करते हैं अपनी जीत पूरी करके ही रहते हैं और वैसे भी अपनी नंगी गांड दिखाने में रूपाली को कोई आपत्ति नहीं थी,,, लेकिन उसे शर्म महसूस हो रही थी,,, फिर भी वह बोली,,,)

चलिए कोई बात नहीं दिखा देती हूं लेकिन ज्यादा परेशान मत करना रात काफी हो गई है मुझे नींद भी आ रही है,,,।


हाय मेरी जान सो जाना लेकिन पहले जी भर कर चुदवा लेना,,,,
(अपनी मामी और मामा की बातें सुनकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़कने लगे थे सुरज को अपनी मामी का इस तरह से मुस्कुराना और एकदम नंगी होकर खड़े रहना बेहद लुभावना लग रहा था पल-पल वह अपनी मामी के प्रति आकर्षित होते चले जा रहा था और रह रह कर उसे अपनी मामी में सिर्फ एक औरत नजर आती थी,,,। जो कि एक औरत के प्रति आकर्षण का ही नतीजा था वरना वह अपनी मामी को आज तक इस नजरिए से कभी नहीं देखा था,,,सुरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि मैं जानता था कि कुछ ही पल में उसकी मामी उसके मामा को अपनी भारी भरकम गोरी गोरी गांड दिखाने वाली है जिसे सुरज ने आज तक नहीं देखा था और ना ही उसके बारे में कभी कल्पना किया था,,, रूपाली जानती थी कि वह बेहद खूबसूरत है इस उमर में भी उसकी जवानी बरकरार थी तभी तो उसका पति उसके ऊपर पूरी तरह से लट्टु था,,,, रूपाली मुस्कुरा रही थी और रविकुमार के मुंह में पानी आ रहा था धीरे-धीरे रूपाली अपने पीठ को अपनी गांड को अपने पति रविकुमार की तरफ करने लगी,,,,,,, वह बड़े मादक तरीके से गोल घूमते हुए अपने पति की तरफ गांड कर रही थी सुरज को मालूम था कि जिस तरह से उसकी मामी गोल घूम कर अपने पति की तरह काम करने जा रहे हैं थोड़ी देर के लिए ही सही उसे अपनी मामी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के दर्शन करने को जरूर मिलेंगे,,,, और जैसे ही सुरज की मामी की गांड सुरज की तरफ हुई सुरज के तो जैसे होश ही उड़ गए,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई लगता था मानो जैसे वक्त रुक गया कुछ सेकंड के लिए सुरज के जीवन की सबसे अद्भुत अतुलनीय पल बन गया बेहद यादगार पल था सुरज के लिए सुरज ने कभी अपनी मामी की गांड के लिए नहीं किया था उसे बिना कपड़ों के देखेगा इस बारे में कभी सोचा भी नहीं था कि जो कुछ भी हो रहा था वह सुरज के जीवन में बदलाव लाने के लिए काफी था,,,,।

सुधियां काकी की बड़ी बड़ी गांड देखने के बाद सुरज को यही लगा था कि औरतों की गांड खूबसूरत होती है लेकिन आज अपनी मामी की मदमस्त कर देने वाली गांड को देखकर सुरज को यह समझ में आ गया था कि उसकी मामी की गांड बेहद खूबसूरत है सुधियां काकी की गांड उसकी मामी की गांड के आगे कुछ भी नहीं थी गांड की दोनों फांकें बड़े-बड़े तरबूज की तरह लग रही थी जिस पर मुंह लगाकर उसके रस को पी जाने का मन सुरज का कर रहा था,,, तरबूज के टुकड़ों की तरह दांत से दबा कर अपनी मामी की भरपूर जवानी के केंद्र बिंदु उसकी बड़ी-बड़ी गांड को काटने का मन कर रहा था,,,। इस मादकता भरे दृश्य को देख पाना सुरज के बस में बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी वह किसी तरह से अपने आप को संभाले हुए उसे दृश्य के हर एक रस के बूंदों को अपनी आंखों से पी रहा था,,,, सुरज की आंखो में खुमारी छाने लगी थी शराब का नशा कैसा होता है उसे बिल्कुल भी नहीं पता था लेकिन अपनी मामी के नंगे बदन को उसकी नंगी गांड को देखकर नशे पन का एहसास उसे जरूर हो रहा था,,,, पजामे में गदर मचा हुआ था वह कैसे अपने आप को संभाले हुए था यह भी अपने आप में काबिले तारीफ था वरना सबसे खूबसूरत औरत को नंगी देख लेने पर अपने आप ही पानी निकल जाता है,,,।

देखते ही देखते रूपाली अपनी गांड को अपनी पति रविकुमार के सामने कर दी,,, और रविकुमार अपनी बीवी की मदमस्त गांड को परोसे हुए स्वादिष्ट व्यंजन की तरह दोनों हाथों से झपट लिया और उसे अपनी तरफ खींच लिया उसकी कमर में हाथ डाले वह रूपाली को अपने ऊपर गिरा लिया और अगले ही पल रूपाली की भारी-भरकम गांड,,,सुरज के मामा के मुंह पर थी एक तरह से रूपाली की गांड के नीचे सुरज के मामा का चेहरा पूरी तरह से ढक गया था की किसीने गांड की चादर ओढ़ा दी गई हो,,,, यह दृश्य देखकर सुरज की हालत एकदम से खराब हो गई सुरज अपने मन में सोचने लगा कि उसके मामा की किस्मत कितनी अच्छी है कि एक खूबसूरत औरत की गांड उसके चेहरे पर है,,,, रूपाली को जब एहसास हुआ कि उसकी भारी-भरकम गांड उसके पति के चेहरे पर है तो वह एकदम से हिचकते हुए बोली,,,,।


हाय दैया यह क्या कर रहे हैं आप उठने दीजिए मुझे,,,,


नहीं मेरी रानी बस ऐसे ही बैठे रहो,,, इसी तरह से तुम्हारी गांड चाटना चाहता हूं तुम्हारी बुर का रस पीना चाहता हूं,,,,
(और रविकुमार का इतना कहना था कि अकेले ही पल रूपाली की आंखें मदहोशी के आलम में मूंदने लगी उसके चेहरे के हाव-भाव बदलने लगे उसके होंठ हल्के से खुले के खुले रह गए,,,, क्योंकि रविकुमार एक साथ अपनी जीभ से उसकी गांड का छेद और उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया था सुरज तो यह देखकर पूरी तरह से पागल हो गया,,,उसके मामा का चेहरा उसकी मामी की गांड के नीचे पूरी तरह से ढका हुआ था इसलिए उसे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन अपने मामा की बात सुनकर उसे इतना तो पता चल गया था कि उसके मामा उसकी मामी की गांड और बुर दोनों अपनी जीभ से चाट रहे हैं,,,, औरत और मर्द के बीच का यह एक और प्रकरण किताबी पन्ने की तरह सुरज की आंखों के सामने खुल रहा था ,,,उसे तो इस क्रिया के बारे में पता ही नहीं था वह तो बस दो बार सुधियां काकी की बुर में लंड डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था उसे और कुछ ज्यादा मालूम नहीं था लेकिन वह अपनी आंखों के सामने अपने मामा और अपने मामी की रंगरेलियां उनके मादकता भरे क्रीडा को देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,।

कुछ देर पहले जो रूपाली अपने पति के चेहरे पर अपनी गांड रखे होने की वजह से शर्मिंदगी महसूस कर रही थी वही रूपाली अब बड़े मजे से धीरे-धीरे अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने पति के चेहरे पर रगड़ रही थी सुरज यह देखकर पूरी तरह से मस्त हो जा रहा था अपनी मामी की कामलीला को देख कर उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखें देख रही थी उसमें सच्चाई ही सच्चाई थी जरा भी झूठा पन दिखावा नहीं था,,,, धीरे-धीरे रूपाली के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूटने लगी थी जो कि सुरज के कानों तक आराम से पहुंच रहे थे सुरज अपनी मामी के बदलते चेहरे के हाव भाव को देखकर इतना तो अंदाजा लगा रहा था कि इस क्रिया को करने में उसकी मामी को बहुत मजा आ रहा है उसके मामा के दोनों हाथ ऊपर की तरफ होकर उसकी मामी की कमर को थामे हुए थे और ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी कमर को जोर से पकड़ कर उसकी कमर को अपने चेहरे पर और जोर से दबा रहे हैं यह आसन और यह क्रिया सुरज के लिए बिल्कुल नया था लेकिन इससे सुरज का जोश भी बढ़ता जा रहा था इस दृश्य के चलते सुरज का हाथ अपने आप ही पजामे के अंदर चला गया और अपने खड़े लंड को पकड़ लिया,,,,,,


दीवार के छोटे से छेद में से सुरज को अद्भुत और मनोरम दृश्य नजर आ रहा था वह बार-बार अपनी मौसी की तरफ देख ले रहा था जो कि बेसुध होकर सोई हुई थी अच्छा हुआ वह सो रही है अगर जाग गई होती तो उसे यह दृश्य देखने का मौका नहीं मिलता अपने मन में सोचते हुए अपनी मामी के खूबसूरत बदन के हर एक अंग को और उसकी हरकत को बारीकी से देख रहा था,,,। उसकी मामी गहरी सांसे दे रही थी और उसकी सांसो की गति के साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां दशहरी आम की तरह झूल रही थी सुरज का मन कर रहा था कि वह भी कमरे में घुस जाए और अपने दोनों हाथों में उसकी मामी की चूची पकड़ कर उसे जी भर कर प्यार करें,,, यह ख्याल मन में आते ही सुरज के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगती थी सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि जब जब अपनी मामी के बारे में गंदे विचार अपने मन में लाता था तब तक उसकी उत्तेजना इतनी ज्यादा क्यों बढ़ जाती थी लेकिन उसे इस ख्याल से आनंद भी आता था,,,,।

आहहहहह,,,,, आहहहहहह,,,,सईईईईईईईई,,,, आहहहहहहह,,, मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है पूरी जीभ अंदर तक डालिए,,,,, हां,,,,,,,ऐसे ही,,,,,ऊफफफ,,,,,ऊमममममम,,,,
(सुरज तो अपने मामी के मुंह से इस तरह की रंगत भरी बातें सुनकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था उसकी मामी की हरकत को देखकर उसकी बातों को सुनकर उसे साथ पता चला था कि उसकी मामी को बहुत मजा आ रहा है क्योंकि वह पूरी जीभ अंदर तक डाल कर चाटने के लिए बोल रही थी,,, इसका मतलब साफ था कि बुर में जीभ डालकर चाटा भी जाता है,,,,वह अपनी मन में इस बात को सोचकर और ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था वह सोचने लगा था कि औरत की बुर में जीभ डालने पर कैसा महसूस होता है सुरज इस अनुभव से अवगत होना चाहता था,,,,वह धड़कते दिल के साथ पजामे में अपना हाथ डाले कमरे के अंदर के दृश्य को देख रहा था कुछ देर तक इसी तरह से चलता रहा,,,, तभी उसकी मामी पीछे की तरफ झुकते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके मामा के लंड को पकड़ ली,,,, यह दृश्य सुरज को साफ नजर आ रहा था,,,,। वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मामी इस तरह से हरकत करेगी वह आप उसके मामा के लंड को पकड़ कर जोर जोर से हिला रही थी,,,, कि तभी सुरज के मामा बोले,,,,।)


आहहहहह मेरी रानी ऐसे नहीं मुंह में लेकर चूसो,,,
(अपने मामा के मुंह से यह बातें सुनते ही सुरज के दिल की धड़कन और ज्यादा बढ़ने लगी उसके मामी और उसके मामा की एक-एक हरकत बारी-बारी से सुरज के तन बदन में आग लगा रही थी एक-एक करके औरत और मर्द के बीच का यह रहस्य खुलता जा रहा था,,,, जिससे सुरज पूरी तरह से आकर्षित हुआ जा रहा था उसके मामा के कहे अनुसार औरत आदमी का लंड चुसती है,,, अपने मन में सोचने लगा कि सुधियां काकी उसे चोदना तो सिखाई लेकिन उसके बारीकियों से उसे परिचित नहीं करवाई,,,,,, उसके मामा की बात सुनते ही उसकी मामी अपनी बड़ी बड़ी गांड को उसके मामा के चेहरे पर रखे हुए ही पीछे की तरफ झुक गई और उसके मामा के लंड को मुंह में डालकर चुसना शुरु कर दी,,,। सुरज के बदन में कंपन होना शुरू हो गया,,, सुरज को अपनी मामी का यह रुप बेहद लुभावना और कामुकता से भरा हुआ लग रहा था,,, जिसके प्रति सुरज आकर्षित होता चला जा रहा था,,,, सुरज की मामी को ज्यादा उत्तेजित हो गई थी वह अपनी गांड को उसके मामा के चेहरे पर जोर जोर से पटक रही थी,,, शायद कामुकता भरे इस पल में मर्द औरत के भारी-भरकम वजन को भी बड़े आसानी से झेल जाता है तभी तो उसके मामा उसकी मामी की पड़ी पड़ी गांड के वार को उसकी पटक पर बड़े आराम से अपने चेहरे पर झेल कर मस्त हुए जा रहे थे,,,।

कुछ देर तक यह दृश्य ऐसे ही चलता रहा,,,, रात और ज्यादा गहरी हो चली थी चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा था केवल रह-रहकर कुत्तों के भोंकने के ही आवाज आ रही थी,,,। ऐसे में सारा गांव नींद की आगोश में सो चुका था लेकिन सुरज के मामा और उसकी मामी की नींद उड़ी हुई थी वह दोनों शारीरिक क्रीड़ा में पूरी तरह से लिखते हो चुके थे इस बात से अनजान की बगल वाले कमरे में से उनका जवान भांजा उनकी काम क्रीड़ा को अपनी आंखों से देख रहा हैं,,,,। पूरी तरह से मस्त होने के बाद रूपाली अपने पति के ऊपर से उठी तो रविकुमार बोला,,,,।


कहां जा रही हो मेरी रानी,,,


कहीं नहीं जा रही हूं मेरे राजा तुम खटिया पर से उठ जाओ तो मैं लेटु,,, तभी ना मुझे चोदोगे,,,,
(सुरज तो अपनी मामी के मुंह से चोदने वाली बात सुनकर एकदम से हैरान और मस्त हुआ जा रहा था वह अपनी मामी को आज तक एक सीधी-सादी और संस्कारों से भरी हुई औरत ही समझता था लेकिन आज उसका एक नया रूप देख रहा था इसलिए वह हैरान था,,,लेकिन इसमें दोष सुरज का बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि सुरज पति और पत्नी के बीच के रिश्ते से पूरी तरह से अनजान था वह यह बात नहीं जानता था कि दिन भर संस्कार से भरी हुई औरत अपने परिवार को संभालने वाली औरत,,,रात में अपने पति के साथ अपने सारे कपड़े उतार कर संस्कार और मर्यादा के दीवारों को गिरा कर,,, अपने पति के साथ चुदाई में मस्त हो जाती है,,,, रूपाली की बातें सुनकर रविकुमार बोला,,,)

नहीं नहीं मेरी रानी आज तुम मेरे ऊपर चढोगी,,,,


यह क्या कह रहे हैं आप सारी कसरत आप मुझसे करवाएंगे,,,,


हां मेरी रानी अब जल्दी से चढ जाओ,,,,,

(अपने मामा की बात सुनकर सुरज हैरान था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था ऊपर चढ़ जाने वाली बात उसे समझ में नहीं आई थी,,,,,लेकिन थोड़ी ही देर बाद सब कुछ साफ हो गया उसे सब कुछ समझ में आ गया कि उसके मामा किस बारे में बात कर रहे थे थोड़ी देर ना नूकुर करने के बाद रूपाली मान गई घुटने के बल होकर अपने पति के इर्द-गिर्द अपनी दोनों घुटनों को रख कर,,,एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने हाथ से अपने पति का लंड पकड़ ले और से धीरे से अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दी ऊपर चढ़ने के मतलब को अब सुरज अच्छी तरह से समझ गया था,,,, देखते ही देखते उसकी मामी अपने पति के मोटे तगड़े लंबे लंड को धीरे-धीरे अपनी बुर की गहराई में उतार ली,,,, सुरज पहली बार अपनी मामी की अच्छे को देख रहा था एकदम खूबसूरत गुलाबी पत्ती से सुशोभित हल्के हल्के रोशनी बाल की गहराई लिए हुए अपनी मामी की बुर को देखकर सुरज पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया,,,, सुरज अपनी मामी की बुर को देखकर अपने मन में यही सोचने लगा कि उसकी मौसी बुर और उसकी मामी की बुर में ज्यादा फर्क नहीं था लेकिन दूर से देखने के बाद भी सुरज इतना तो समझ गया था कि उसकी मौसी की बुर से ज्यादा उसकी मामी की बुर मजा देती है,,,, सुरज धीरे-धीरे अपनी मामी के नंगे बदन के हर एक अंग को देख लिया था,,, और उसे अपनी मामी के बदन के हर एक अंग बेहद खूबसूरत और लुभावना लग रहा था,,,।

सुरज को एकदम साफ नजर आ रहा था उसकी मामी उसके मामा के लंड पर चढ़ी हुई थी और उसके मामा का लंड उसकी मामी की बुर की गहराई के अंदर था रूपाली की सांसे गहरी चल रही थी और वह धीरे-धीरे अपनी गांड को ऊपर नीचे करते हुए उसके मामा के लंड को अंदर बाहर ले रही थी यह आसन यह तरीका देखकर सुरज का मन मचल उठा,,,,बार-बार उसकी नजर अपनी मौसी के ऊपर जा रही थी बगल के कमरे में अपनी मामी की चुदाई देखकर सुरज का मैंने अपनी मौसी पर मचल रहा था क्योंकि वह उसके साथ एक ही खटिया पर सोती थी और उसे इस बात का अहसास होने लगा था कि उसकी मौसी भी इस छेद में से अपनी भैया और भाभी की चुदाई देखकर मस्त होती है,,,इस बात का अंदाजा सुरज लगा चुका था कि उसकी मौसी को भी यह सब अच्छा लगता है वरना वह छोटे से छेद में से बगल वाले कमरे के दृश्य को कभी नहीं देखती,,, अंदर का दृश्य इतना ज्यादा उत्तेजना से भरा हुआ था कि सुरज के मन में आ रहा था कि वह अपने मौसी की चुदाई कर दें क्योंकि चोदना तो उसे आ ही गया था और चुदाई करने से पहले क्या-क्या किया जाता है यह भी वह अपने मामी और मामा से सीख रहा था,,,।


सुरज का पूरा ध्यान उसके मामा और उसकी मामी की बुर पर टिका हुआ था,,,। उसकी आंखों के सामने उसके मामा का लंड उसकी मामी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,। सुरज की हालत खराब हो रही थी वह अपने मन में यही सोच रहा था कि काश वह उसके मामा की जगह होता तो उसकी मामी उसके ऊपर होती और उसका लंड उसकी मामी की बुर में होता,,,तो कितना मजा आता क्योंकि दो बार बार चुदाई के सुख से रूबरू हो चुका था वह जानता था कि चुदाई में बहुत मजा आता है,,,, धीरे-धीरे सुरज की मामी अपनी गांड जोर-जोर से अपने पति के लंड पर पटकने लगी ,,। जिसके साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां भी जोर जोर से उछल रही थी जिसे उसके मामा अपना हाथ आगे बढ़ाकर दोनों हाथों में थाम ले उसे जोर जोर से दबाने लगे अपने मामा को इस तरह से अपनी मामी की चूची को दबा कर के देख कर सुरज को वह दिन याद आ गया जब वहां की सुधियां काकी को चोदते हुए उसकी चूची को अपने हाथ में पकड़ कर दबाने के लिए मचल रहा था लेकिन ऐसा करने की हिम्मत नहीं थी,,, सुरज अपने मन में यही सोच रहा था कि चोदते सभी औरतों की चूची दबाने में ज्यादा मजा आता होगा और यही सोचते हुए अपने पजामे को घुटने तक नीचे गिरा दिया,,, और अपने लंड को जोर से अपनी मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करके हिलाने लगा,,, सुरज को मुठ मारने का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था और ना ही उसने आज तक मारा था लेकिन अपनी मामी की मदमस्त चुदाई देखकर वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और अनजाने में ही वह मुठ मारना शुरू कर दिया,,,।

उसके मामा नीचे से भी अपनी कमर को ऊपर की तरफ दे मार रहे थे शायद उत्तेजना में उसकी चुदाई करते हुए वह अपने आप पर काबू नहीं रख पा रहे थे रूपाली सुरज की मामी पूरी तरह से मस्त होकर जोर-जोर से अपने गांड को रविकुमार के लंड पर पटक रही थी सुरज अपने मामा के लंड को देख कर उसकी तुलना अपने लंड से करने लगा था जो कि हर हाल में उसके मामा के लंड से उत्तम कोटि का था,,, और इसीलिए सुरज इस बात से सहमत हैं कि अगर उसकी मामी की पूरी में उसका लंड जाएगा तो उसकी मामी को उसके मामा की चुदाई से ज्यादा मजा आएगा,,,।

दोनों तरफ का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था रविकुमार और रूपाली एक साथ चरमोत्कर्ष के करीब पहुंच चुके थे और दूसरी तरफ सुरज भी अपने लंड को हिलाते हुए पानी निकालने के करीब था,,, तभी सुरज की मामी के मुंह से तेज सिसकारी फूट पड़ी,,,।

ससहहहह,,आहहहहह,आहहहहहह,, मैं तो गई,,,, मैं तो गई मेरे राजा,,,,,आहहहहहहहह,,,,,


मैं भी गया मेरी रानी,,,,(और इतना कहने के साथ ही दोनों झड़ गए,,, साथ ही सुरज जी अपनी पिचकारी दीवार पर मार दिया,,,,सुरज की सांसे तेज चल रही थी उसका पानी निकल चुका था लेकिन फिर भी वह दीवार के उस छोटे से छेद में से अंदर अपने मामी मामा को देख रहा था जो कि उसकी मामी उसके मामा के ऊपर निढाल होकर गिर गई थी और उसके मामा ,, उसकी मामी को बाहों में लेकर उसकी पीठ सहला रहे थे अब सुरज के लिए वहां खड़े रहना उचित नहीं था,,,आज का यह अनुभव सुरज के जीवन का सबसे बड़ा सड़क साबित होने वाला था वह अपने मामा-मामी की चुदाई को देखकर बहुत कुछ सीख चुका था वह अपने पहचाने को ऊपर करके वापस खटिए पर आ गया उसकी मौसी बेसुध होकर सो रही थी,,, जो खटिया पर पीठ के बल लेटी हुइ थी,,, वह अभी भी अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पाया था,,, पानी निकल जाने की वजह से,,, उसका दिमाग थोड़ा ठंडा महसुस कर रहा थाइसलिए अपनी मौसी के बारे में कुछ सोच पाता इससे पहले ही वह नींद की आगोश में चला गया,,,।
 
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सुरज ने अपनी आंखों से जो कुछ भी देखा था उसका गहरा प्रभाव उसके कोमल मन पर पड़ा था,,,, अब वह अपनी मामी को एक मां की तरह नहीं बल्कि एक औरत की तरह देखने लगा था,,, हर औरत को वह अपने अलग नजरिए से देख रहा था पहले औरतों को वहां इज्जत और सम्मान के नजरिए से देखता था हालांकि सम्मान अभी भी वह करता ही था लेकिन अब देखने का नजरिया उसका बदल गया था किसी भी औरत को देखता था तो पहले उसके मादक अंगो पर उसकी नजर जाती थी,,, उसकी नजर अब औरतों की बड़ी बड़ी चूचियों और उनकी बड़ी बड़ी गांड पर ज्यादा ठहरती थी,,, औरतों के नितंबों और चुचियों में एक अजीब सा आकर्षण उसके मन को प्रफुल्लित करता था,,, इस आकर्षण के वशीभूत होकर सुरज अपने मन में गंदे गंदे विचार को जन्म देता था,,।

जब से वह अपनी आंखों के सामने अपनी मामी को कपड़े उतारकर नंगी होते देखा था और उसे अपने मामा से चुदवाते हुए देखा था,,, तब से वह अपनी मामी की खूबसूरती और उसके मादक बदन के आकर्षण से वशीभूत होकर खुद को अपने मामा की जगह रखकर अपनी मामी से संभोग सुख का आनंद लूटता था,,,,उसे इस तरह की कल्पना में भी अत्यधिक उत्तेजना और संतुष्टि पन का एहसास होता था,,,,, अपनी मामी को वह एक नए रूप में देखा था जोकि सुरज के लिए यह बिल्कुल नया रूप था लेकिन एक औरत के लिए एक पत्नी के लिए और रूपाली के लिए यह सब कुछ एकदम सहज था,,, इसके बारे में सुरज नहीं जानता था उसे तो अपनी मामी का संभोग लिप्त,,, मदहोशी मैं खोई हुई अपनी मामी का रूप ही बार-बार याद आ रहा था,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मामी रात के अंधेरे में इस तरह से खुल कर मजे लेती है,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी मामी की बड़ी-बड़ी चूचियां,,,, मादक सुडौल बदन उसकी उभरी हुई गद्देदार मुलायम भराव दार गांड और उसकी रसीली बुर जिसमे उसके मामा का लंड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था,,,, इस दृश्य को याद करके सुरज हमेशा यही सोचता रहता था कि उसके मामा का लंड उसके लंड से पतला और छोटा है और सुरज अपने और अपने मामा के लंड की तुलनात्मक स्थिति में इसी निष्कर्ष पर निकलता था कि उसके मामा को उसकी मामी की बड़े आराम से अंदर बाहर आ जा रहा था अगर,,,उसके मामा की जगह उसका लंड उसकी मामी की बुर में जाएगा तो इतने आराम से बिल्कुल भी नहीं जा पाएगा क्योंकि सुरज रात को अपने मामा के लंड को देखकर जायजा ले लिया था अच्छी तरह से जानता था कि उसके मामा का लंड उसके लंड से कमजोर है इसलिए वह सुधियां काकी की चुदाई करने के बाद इतना तो समझ ही गया था कि उसका लंड उसकी मामी की बुर में आराम से नहीं जा पाएगा जितने आराम से उसकी मामी उसके मामा के लंड पर कूद कूद कर अंदर बाहर ले रही थी इस तरह से तो बिल्कुल नहीं हो पाएगा,,, इस बारे में सोचते ही सुरज की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच जाती थी,,,।,,क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसे यह सुनहरा मौका मिला अपनी मामी चोदने का तो वह बहुत ही अच्छे से अपनी मामी की चुदाई करेगा और उस चुदाई से उसकी मामी बेहद खुश और प्रसन्न हो जाएगी और संतुष्टि पाकर उसी के साथ ही चुदाई करवाएगी,,,,। यह सब सोचकर सुरज के तन बदन में आग लग जाती थी,,,,,, सुरज के लंड बार-बार अपनी मामी और अपने मामा के बारे में सोच कर उबाल आ जाता था,,,,,
लेकिन कुछ दिनों से जहां चाह कर भी रात को जाग नहीं पाता था,,,।

अब वह घर में किसी भी तरह से कोई भी काम करते हुए सिर्फ अपनी मामी को देखाता रहता था इस बात का आभास उसकी मामी को बिल्कुल भी नहीं था जब कभी भी वह काम करती थी झाडु लगाती थी कपड़े धोती थी,,, सुरज की निगाह उसके गोल मटोल गांड के साथ-साथ उसके ब्लाउज में से झांकते उसके दोनों कबूतरों पर चली जाती थी,,,। ऐसे ही एक दिन सुबह का समय था और रविकुमार दातुन कर रहा था,,, वह आंगन में बैठा हुआ था,,, सुरज भी वहीं पास में बैठ कर दातुन कर रहा था तो रविकुमार उसे बोला,,,।

अरे इतना बड़ा हो गया है ऐसा नहीं कि मेरा हाथ बटाए बस दिन भर इधर-उधर आवारा दोस्तों के साथ घूमता रहता है पढ़ता लिखता तो है नहीं कम से कम काम तो किया कर,,,,(अपने मामा की बातें सुनकर सुरज कुछ बोला नहीं रहा था वह बस दातुन किए जा रहा था,,,,और अपनी मामी के पिछवाड़े को देख रहा था क्योंकि वह झुक कर झाड़ू लगा रही थी,,, सुरज को अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड उसका पिछवाड़ा,,, बेहद खूबसूरत लगने लगा था,,, झाड़ू लगाते समय कि वह कल्पना में अपनी मामी को नंगी होकर झाड़ू लगाते हुए देख रहा था और संपूर्ण रूप से नंगी होकर जावे लगाते समय उसकी मामी उसे बेहद खूबसूरत और कामुक लग रही थी उसकी कल्पना निरंतर बढ़ती जाती थी,,, वह अपने मामा की बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था तो उसके मामा फिर बोले,,,)


अरे तेरा ध्यान किधर है मैं तुमसे कब से बकबक कर रहा हूं और तू है कि सुनी नहीं रहा,,, है,,, (रविकुमार अपने भांजे सुरज का हाथ पकड़कर झकझोरते हुए बोला तो जैसे सुरज को होश आया हो इस तरह से हड़बड़ा कर बोला,,,)

ककककक,,, क्या हुआ मामा ,,,,,


अरे अभी भी नींद में है क्या,,,,


छोड़ो जी आप भी हमेशा उसके पीछे पड़े रहते हैं,,,(रूपाली झाड़ू लगाकर झाड़ू को एक कोने में रखते हुए बोली)

अरे मुन्ना की मां तुम समझती नहीं हो,,,इतना बड़ा हो गया है पढ़ता लिखता तो नहीं कम से कम कामकाज में हाथ बताएगा तो हमारे लिए भी अच्छा रहेगा वरना दिनभर आवारा लड़कों के साथ घूमता फिरता रहता है,,,।


अरे अभी तो उसके खेलने कूदने के दिन है।,,,,


तुम्हारा यही लाड प्यार एक दिन उसे बिगाड़ देगा,,,,(रविकुमार दातुन करके उसे फेंकते हुए बोला,,,)


अरे कुछ नहीं होगा मुझे अपने भांजे पर विश्वास है,,,,


मैं इसीलिए कुछ नहीं कहता,,, चलो अच्छा एक लोटा पानी तो दो मुंह धोना है,,,,



रुकीए में कुंए पर से पानी लेकर आती हूं,,,,(इतना कहकर वह खूंटे पर टांगे हुई मोटी रस्सी को उतार कर अपने हाथों में ले ली और घर से बाहर निकलते हुए सुरज से बोली,,,)


सुरज बेटा जरा बाल्टी लेकर आना तो,,,,
(सुरज की नजर अपनी मामी पर ही थी घर से निकलते समय जिस तरह से उसकी बड़ी बड़ी गांड मटक रही थी उसे देखकर वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था इसलिए अपनी मामी की बात मानते हुए वह तुरंत खडा हो गया,,, और बाल्टी को हाथ में लेकर वह भी अपनी मामी के पीछे पीछे घर से बाहर निकल गया,,,वह अपनी मामी के पीछे पीछे ही चल रहा था जहां से उसकी मामी का भरपूर पिछवाड़ा उसे साफ नजर आ रहा था,,, जिसे देखकर धीरे-धीरे उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया था,,,, जब से वह अपनी मामी की चुदाई अपनी आंखों से देखा था तब से अपनी मामी के बदन के हर एक कौन में उसके हर एक अंग से मादकता छलकते हुए उसे नजर आती थी,,,, आगे आगे चल रही है अपनी मामी को देखकर सुरज का मन करता था कि पीछे से उसे अपनी बाहों में भर ले,,, लेकिन ऐसा करने की उसकी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं थी,,, सुरज अपनी मामी के रूप से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था,,, पीछे से उसकी मामी का बदन बेहद कामुकता भरा लगता था,,, चौडी चिकनी पीठ गोरी गोरी बेहद खूबसूरत लगती थी,,, ब्लाउज की डोरी कस के बानी होने की वजह से उस जगह का भरावदार अंग अद्भुत कटाव लिए हुए नजर आता था,,, चिकनी मांसल कमर उसके बीच में गहरी पतली लकीर बेहद खूबसूरत लगती थी और काले घने रेशमी बाल,,, नितंबों के उभार तक पहुंचती थी,,,,,जिसे देखकर सुरज पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो चुका था,,,

थोड़ी ही देर में गांव के छोर पर बने कुएं पर दोनों पहुंच गए कुए पर कोई भी नहीं था,,,, कुवे पर पहुंचते ही रूपाली कुए की सीढ़ी पर एक पांव रखकर आगे की तरफ थोड़ा सा झुक गई और रस्सी को खोलने लगी,,, इस तरह की स्थिति में उसकी बड़ी-बड़ी गांड और ज्यादा बड़ी नजर आने लगी,, जिसे देखकर सुरज के मुंह में पानी आने लगा,,, रस्सी खोलते हुए रूपाली बोली,,,)


ला सुरज बाल्टी ईधर लाना तो,,,


लो मामी,,,,(इतना कहते हुए सुरज बाल्टी को अपनी मामी के आगे रख दिया और बाल्टी को देखकर रूपाली बोली,,,)

अरे बुद्धू इतनी बड़ी बाल्टी ले आया,,, यह उठेगी कैसे,,,


अरे उठ जाएगी मामी मैं हूं ना,,,


अरे तूने कभी कुएं से पानी निकाला है जो आज निकाल लेगा,,,


अरे मामी तुम डालो तो सही,,,


चल ठीक है देखती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही रूपाली उस बाल्टी में रस्सी बांधकर उसे कुएं के अंदर डालने लगी सुरज भी वहीं खड़ा हो गया,,, देखते-देखते बाल्टी कुएं के पानी की सतह पर पहुंच गई जिसे,,, रूपाली रास्सी को गोल गोल घुमाकर उसे पानी के अंदर डालने की कोशिश कर रही थी ऐसा करने पर उसके ब्लाउज के अंदर उसकी चूचियां आपस में रगड़ खा रही थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे मानो उसके ब्लाउज में कैद दोनों कबूतर आपस में गुटर गु कर रहे हो,,, यह नजारा देखते ही सुरज की सांसे ऊपर नीचे हो गई ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मामी को कुएं में से पानी निकाल कर देख रहा था पहले भी वह बहुत बार कूंए पर इसी तरह के दृश्य को देख चुका था लेकिन आज उसके देखने का नजरिया बदल चुका था,,, अपनी मामी के ब्लाउज में अच्छी तरह से जानता था कि उसके अंदर मादकता भरी चूचियां है,,, जिसे हाथों में लेकर दबाकर मस्त हुआ जाता है जैसा कि उसके मामा कर रहे थे,,, इसलिए सुरज भी अपनी मामी के ब्लाउज में उसके दोनों चुचियों को ढूंढ रहा था बड़ी बड़ी चूची होने की वजह से और थोड़ा सा झुक जाने की वजह से ऐसा लग रहा था कि मानो सुरज की मामी की चूचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आ जाएंगी जैसा कि सुधियां काकी के साथ हुआ था,,,,, लेकिन यहां पर ऐसा हो पाना संभव नहीं था क्योंकि करना चाहती तो जानबूझकर अपनी चुचियों को ब्लाउज से बाहर लाई थी,,,,,। इसलिए उत्तेजना के मारे अपने सूखते हुए गले को थूक से गीला करते हुए सुरज टकटकी लगाए यह नजारे को देख रहा था और रूपाली इस बातों से अनजान कुएं के पानी में बड़ी बाल्टी को डुबोने में लगी हुई थी,,,


दैया रे दैया आज कितनी मेहनत करनी पड़ रही है तेरी वजह से,,, तुझे यही बाल्टी में मिली थी लाने के लिए छोटी बाल्टी नहीं ला सकता था,,,,।( रूपाली कुएं में बाल्टी को गोल-गोल घुमाते हुए बोली,,,।)


अरे मामी ठीक से उसे अंदर की तरफ डालो हो जाएगा,,,,।


अरे हो तो जाएगा लेकिन उठेगा कैसे,,,


मैं हूं ना पहले तुम अकेले उठाती थी आज मैं भी हूं इसलिए हम दोनों इस बड़ी बाल्टी को बाहर निकाल लेंगे,,,,।
(सुरज अपनी मामी की विशाल छातियों को देखते हुए बोला,, सुरज बने बाल्टी की बात कर रहा था लेकिन उसका ध्यान तो अपनी मामी की चूचियों पर था जोकी रस से भरी हुई थी,,, लेकिन रूपाली का ध्यान इस पर बिल्कुल भी नहीं था उत्तेजना के मारे धीरे धीरे सुरज के पजामे में तंबू बन चुका था,,,, सुरज अपने अंदर काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,। )


हां अब ठीक है देख चली गई ना बाल्टी,,,,


भर जाने दो मामी फिर बाहर निकालना,,,(सुरज कुए के अंदर आधी भरी हुई बाल्टी को देखते हुए बोला,,,)


हां ठीक है लेकिन तू पकड़ लेना,,,।


ठीक है तुम भरो तो सही,,,,।

(सुबह का समय था इसलिए कुए पर कोई नहीं था चारों तरफ सुनसान था,,,,, दोपहर को ही को कुए पर ज्यादा भीड़ भाड़ होती है,,,, थोड़ी ही देर में बाल्टी भर गई और रूपाली बोली,,,)

सुरज बाल्टी भर गई अब जल्दी आ,,,

(सुरज अपनी मामी की बात सुनते ही तुरंत उसके बेहद करीब खड़ा हो गया और रस्सी को थाम लिया,,,,)

अब रस्सी को ऊपर की तरफ खींच,,,,(रूपाली रस्सी को ऊपर की तरफ खींचते हुए सुरज से बोली,,,)


ठीक है ,,,(और इतना कहने के साथ ही वह भी अपनी मामी के साथ बाल्टी को ऊपर की तरफ खींचने लगा,,,लेकिन इससे पहले सुरज ने कभी भी कुएं में से बाल्टी को इस तरह से रस्सी के जरिए खींचा नहीं था इसलिए उसे इसका बिल्कुल भी अनुभव नहीं था और बार-बार उसके पैर फिसल रहे थे इसलिए रूपाली उससे बोली,,,)

इधर से नहीं तो मेरे पीछे आ जा और वहां से खींच वरना तेरा पैर फिसल जाएगा,,,।


ठीक है मामी,,,,,,
(इतना कहना कैसा था कि सुरज ने रस्सी छोड़ दिया पर अपनी मामी के पीछे आने लगा अभी तक सुरज को इस बात का आभास नहीं था कि उसकी मामी ने उसे से क्या कह दिया है वह इस बात को बहुत ही सहजता से लिया था लेकिन जैसे ही वह अपनी मामी के पीछे आया तब उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मामी ने जाने अनजाने में उसे एक अद्भुत काम सौंप दिया है अपनी मामी की पिछवाड़े को देखते ही सुरज के लंड में हरकत होना शुरू हो गया वह जानता था कि उसे अपनी मामी के पीछे खड़े होकर रस्सी को खींचना है और ऐसा करने पर उसकी मामी की गांड से उसका आगे वाला भाग एकदम से सट जाएगा जो कि इस समय धीरे धीरे अपनी औकात में आ चुका था,,,। सुरज को इस बात का आभास था कि जिस दिन से उसकी मामी रस्सी खींचने के लिए कह रही है अगर ऐसा करेगा तो उसकी मामी की गांड से उसका लंड पूरी तरह से सट जाएगा,,,, ना जाने क्यों सुरज को इस बात का एहसास होने के बावजूद भी वह अपनी मामी की बात मानने से इनकार नहीं कर रहा था,,,। वह तो उत्सुकता अपनी मामी के बताए काम को करने के लिए,,,।)

अरे क्या कर रहा है जल्दी कर मेरी कमर दुखने लगी है,,,।
(अपनी मामी की बात सुनते ही सुरज अपने मन में बोला कि मामा के लंड पर उठक बैठक करते हुए कमर नहीं दुख रही थी,,, और अब बाल्टी खींचने में कमर दुख रही है,,, सुरज अपने मन में यह सोच कर एक नजर अपनी मामी की भरपूर भरी हुई गांड पर डाला और उसके पीछे खड़ा हो गया,,, सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपनी मामी के पीछे सटकर खडा हो गया लेकिन अभी रूपाली को अपनी गांड पर किसी भी तरह की रगड़ यां चुभन महसूस नहीं हो रही थी,,, इसलिए उसका सारा ध्यान बाल्टी को खींचने में ही था,,,,,,।

अरे जल्दी कर ठीक से पकड़,,, ।
(अपनी मामी की बात सुनते ही सुरज से रहा नहीं गया पजामे मैं उसका मुसल पूरी तरह से तैयार था,,, वह तुरंत और ज्यादा अपनी मामी के पिछवाड़े से सट गया और रस्सी को कस के पकड़ लिया सुरज के तन बदन में पल भर में ही उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसे इस बात का एहसास हो गया था उसका लंड सीधी उसकी मामी की गांड पर स्पर्श हो रहा है,,,, लेकिन बाल्टी खींचने के चक्कर में रूपाली को इस बात का अहसास तक नहीं हुआ,,,। सुरज भी दम लगाकर अपनी मामी की मदद करते हुए रस्सी को ऊपर की तरफ खींचने लगा लेकिन अपने लंड को अपनी मामी की नरम नरम गांड के बीचो-बीच महसूस करके सुरज की हालत खराब होने देगी,,,, सुरज का लंड बची हुई कसर निकालते हुए और ज्यादा कड़क हो गया रस्सी को ठीक से पकड़ने के चक्कर में सुरज जैसे ही थोड़ा सा आगे की तरफ अपना हाथ बढ़ाया,, वैसे ही रूपाली को अपनी गांड के बीचो बीच कुछ धंसता हुआ महसूस हुआ,,,लेकिन अनुभव से भरी हुई रूपाली को समझते देर नहीं लगी कि उसकी गांड के बीचो बीच जो चीज चुभ रही है,, वह और कुछ नहीं उसके भांजे का लंड है,,, इस बात का एहसास होते हैं रूपाली के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसका रोम रोम पुलकित होने लगा,,, उसकी सांस ऊपर नीचे होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, और इस बात से बात पूरी तरह से अचंभित थी कि उसके भांजे का लंड खड़ा क्यों हो गया,,, वह अपने मन में यही सोच लिया लेकिन कि आखिरकार पल भर में उसके भांजे का लंड खड़ा कैसे हो गया,,, क्योंकि उसके नजरिए से उसके सोचने के तरीके से ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था कि जैसे कोई लड़का या मर्द उत्तेजित हो जाए उसका लंड खड़ा हो जाए,,, तभी उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसका भांजा पीछे से उसकी गांड से एकदम चिपका हुआ है,,,और रूपाली को समझते देर नहीं लगी कि इसी वजह से उसका भांजा उत्तेजित हो गया है और उसका लंड खड़ा हो गया है लेकिन वह हैरान इस बात से थी कि वह कोई गैर औरत नहीं थी उसकी मां जैसी थी,,,,, तब कैसे उसका भांजा उत्तेजित हो गया क्यों उसका लंड खड़ा हो गया,,, रस्सी को पकड़े हुए ही रूपाली अपने मन में हजार सवाल बुझ रही थी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,और समझ में आता भी कैसे वह एक मां थी और अपने भांजे को वह एक मां के नजरिए से देख रही थी,,,,,, इसलिए उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका भांजा उसकी वजह से उत्तेजित हो गया है,,,। रूपाली एक सीधी साधी औरत थी संस्कारी पारिवारिक और कभी भी आकर्षण के चाल में नहीं पूछी थी उसे इन सब बातों से कोई लगाव भी नहीं था इसलिए वहां विश्वास नहीं कर पा रही थी कि उसकी वजह से उसका भांजा उत्तेजित हो गया है लेकिन इस बात से इंकार भी नहीं कर पा रही थी कि उसकी गांड से सटने की वजह से उसके भांजे का लंड खड़ा हो गया है,,,,,,।


पल भर में ही रूपाली की सासे ऊपर नीचे होने लगी थी,,, वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करें एक पल के लिए तो उसका मन कह रहा था कि अभी तुरंत सुरज को थप्पड़ मार कर उसे डांट‌ दे,,, लेकिन तभी वह शांत हो गई वह अपने मन में सोचने लगी कि अनजाने में ही उससे यह गलती हुई होगी वरना उसे इन सब के बारे में कहां पता है,,, रूपाली अपने भांजे को भोला ही समझ रही थी वह कहां जानती थी कि उसका भांजा एक उम्र दराज औरत की २ बार चुदाई कर चुका है और रात भर उसकी और उसके पति की गरमा गरम चुदाई देखकर मचल उठा है,,,।


रूपाली अजीब सी कशमकश में थी और सुरज को मजा आ रहा है चोदने से भी ज्यादा सुख उसे अपनी मामी की गांड से लंड को सटाने में आ रहा था,,,। सुरज का लंड मोटा तगड़ा और ताकतवर था इसीलिए तो वह साड़ी सहित सब कुछ भेदता हुआ गांड की दोनों फांकों को फैलाता हुआ अंदर तक घुस गया था,,, इसलिए तो रूपाली भी हैरान थी जिस तरह से वह अपने भांजे के लंड को अपने गांड की दरार के बीचो-बीच महसूस कर रही थी और वहां से केवल दो अंगुल की दूरी पर ही उसकी गुलाबी छेद रह गई थी इस बात का एहसास रूपाली पूरी तरह से हैरान और मस्त हो गई थी,,, वह अंदाजा लगा ली थी की उसके भांजे का लंड कितना मोटा तगड़ा और ताकतवर है,,,। क्योंकि वह जानती थी कि लंड मे चाहे जितना भी दम हो वह इस तरह से साड़ी सहित अंदर तक नहीं घुस सकता,,, अपने भांजे को डांटने का ख्याल वह अपने मन से निकाल चुकी थी क्योंकि अपने मन में यही समझते थे कि यह सब को समझाने नहीं हो रहा है और वह अपने भांजे को अपनी ही नजरों में शर्मिंदा नहीं करना चाहती थी वह बस ऐसा जताना चाहती थी कि उसे कुछ भी पता नहीं है,,, इसलिए वह अपनी उत्तेजना को दबाते हुए बोली,,।


थोड़ा दम लगा बेटा,,,,, (और ऐसा कहते हुए अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन कोई भी नजर नहीं आ रहा था तब जाकर रूपाली को राहत महसूस हुई क्योंकि जिस तरह से उसका भांजा ठीक उसके पीछे खड़ा होकर उसे दबाए हुए था उससे देखने वाले को गलत ही लगता,,,,अपनी मामी की बातें सुनकर सुरज रस्सी को जोर से ऊपर की तरफ खींचते हुए बोला,,,।

ठीक है मामी,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज और जोर लगाने लगा लेकिन जानबूझकर अपनी कमर को आगे की तरफ सरकार दिया और ऐसा करने पर रही सही कसर भी निकल गई क्योंकि अब सुरज के लंड का सुपाड़ा सब कुछ चीरता हुआ ठीक रूपाली की गुलाबी बुर के छेद पर ठोकर मारने लगा,,, अपनी गुलाबी बुर पर अपने भांजे के लंड के ठोकर को महसूस करते ही ना चाहते हुए भी रूपाली एकदम से मचल उठी,,,, उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि उसके भांजे ने इतनी जल्दी सिद्धि प्राप्त कर ली है,,,। उत्तेजना के मारे रूपाली की तो जैसे सांस ही अटक गई,,, और सुरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था इस तरह की छेड़खानी करने में सुरज को चोदने से भी ज्यादा मजा आ रहा था,,,लेकिन उत्तेजना के मारे सुरज का मन अपनी मामी को चोदने को कर रहा था उसका मन कर रहा था कि इसी समय साड़ी कमर तक उठाकर पीछे से अपने लंड को पूरा का पूरा पेल दे,,, लेकिन ऐसा करने में वह असमर्थ था इतनी ज्यादा उसमें हिम्मत नहीं थी,,,। लेकिन वह अपने मन में इस समय यही सोच रहा था कि काश इस समय वह सुधियां काकी के पीछे खड़ा होता तो इतनी हिम्मत करके उसकी चुदाई कर दिया होता,,,,।


रूपाली की उत्तेजना के मारे गला सूख रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने भांजे के लंड को अपनी गांड के पीछे पीछे अपनी बुर पर महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त तो हो ही गई थी लेकिन अजीब से कशमकश में थी आज तक उसके बदन को कोई गैर मर्द स्पर्श तक नहीं कर पाया था और आज उसका खुद का सगा भांजा उसके अंदरूनी भाग तक पहुंच चुका था जाने या अनजाने में अब इसका समझ रूपाली को बिल्कुल भी नहीं हो पा रहा था,,, अजीब से हालात में रूपाली फंसी हुई थी उसे मजा भी आ रहा था गुस्सा भी आ रहा था उत्तेजना भी महसूस हो रही थी और धीरे-धीरे उसे अपने भांजे की हरकत की वजह से अपनी बुर गिली होती हुई महसूस हो रही थी,,,। गीली होती हुई बुर को महसूस करते ही वह शर्म से पानी पानी आने लगी क्योंकि वह अपने ही भांजे के कारण अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,,, आज तक वह इस तरह के हालात से नहीं गुजरी थी,,, वह एक तरह से पीछे से अपने भांजे की बाहों में थी,,, सुरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था चुदाई से भी अधिक उत्तेजना का अनुभव और सुख भोग रहा था वह हल्के हल्के अपनी कमर को आगे पीछे करना चाहता था ताकि ऐसा लगे कि जैसे कि वह अपनी मामी की चुदाई कर रहा है,,, लेकिन ऐसा करने से वह घबरा रहा था उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी हरकत का उसकी मामी को पता ना चल जाए लेकिन वह अपने मन में सोच रहा था की क्या अब तो जो कुछ भी हो रहा है इसकी मामी को पता नहीं चला होगा उसकी मामी को एहसास नहीं हुआ होगा कि उसकी गांड के बीचो बीच क्या चुभ रहा है लेकिन फिर भी इसे आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था,,,,।

रूपाली अपने चारों तरफ देखते हुए धीरे-धीरे रस्सी को ऊपर की तरफ खींचने लगी और साथ ही सुरज भी अपनी मामी का हाथ बंटाने लगा और देखते ही देखते बाल्टी कुएं से बाहर आ गई रूपाली अपनी सांसो को दुरुस्त करते हुए बाल्टी में बंधी रस्सी को खोलने लगी,,, अभी भी उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी सुरज उसके ठीक बगल में खड़ा था,,, रूपाली चोर नजरों से अपने भांजे के पजामे की तरफ देखी तो दंग रह गई,,, पजामे में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था,,,रूपाली अपने भांजे के तंबू को देखकर पूरी तरह से हैरान हो गई थी क्योंकि तंबु की शक्ल कुछ ज्यादा ही उठी हुई थी,,,।अपने मन में सोचने लगी कि उसके भांजे का लंड कितना मोटा तगड़ा और लंबा है कि तंबू इतना भयानक बना हुआ है अगर कपड़ा टांग दो तो कपड़ा टंगा रह जाए,,,। रूपाली की हालत खराब हो रही थी वह अपने भांजे से नजर मिला पाने में असमर्थ साबित हो रही थी उसे शर्म महसूस हो रही थी बाल्टी से रस्सी को खोल कर लूंगा रस्सी को लपेट ली और रस्सी को सुरज को थमाते हुए बाल्टी उठा ली और आगे आगे चलने लगी बाल्टी लेकर चलते हुए रूपाली की गांड को ज्यादा ही मटक रही थी और यह देख कर सुरज के तन बदन में आग लग रही थी कुछ देर पहले जो हरकत उसने किया था और अभी अपनी मामी की उभरी हुई मटकती गांड को देखकर उसका मन कर रहा था कि काश साड़ी उठाकर अपना लंड डाल दिया होता तो अच्छा होता,,,,, रूपाली घर पर पहुंचते ही बाल्टी रखकर अपने काम में लग गई,,,,।
 
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रूपाली का काम में मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था,,, जो कुछ भी हुआ था उसका अंदाजा भी रूपाली को बिल्कुल भी नहीं था अनजाने में ही आज उसने अपने आपको अपने ही भांजे के द्वारा उत्तेजना अवस्था में पाकर शर्म से पानी पानी हो रही थी उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ था वह हकीकत था या एक सपना था,,,। घर का काम करते हुए भी उसके दिल की धड़कन उस पल को याद करके बढ जा रही थी,,,, बाल्टी से रस्सी को खोलते हुए तिरछी नजरों से उसने अपने भांजे के पजामे में बने तंबू को नजर भर कर देख ली थी,,, और उस तंबू को देखकर आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,,उसे अपनी नजरों पर भरोसा नहीं हो रहा था अपने मन में सोच रही थी कि इतना बड़ा कैसे हो सकता है क्योंकि वह आज तक अपने पति के ही लंड से भलीभांति परिचित थी और जिस तरह का तंबू उसने अपने भांजे के पजामे में देखी थी उससे उसे पूरा यकीन था कि,,, उसकी लंबाई एक लंबे खीरे की तरह ही होगा वह अपने मन में यह सब सोचती भी थी लेकिन उस पर यकीन कर पाना उसके लिए मुश्किल हुआ जा रहा था,,,, अनजाने में ही अपने भांजे के लंड की तुलना अपने पति से करने के बाद ही उसके मन में यह ख्याल आया कि जब उसके पति का लंड उसकी बुर में इतना खलबली मचाता है अगर उसके भांजे का लंड उसकी बुर में घुस जाएगा तो क्या हाल करेगा,,,,,,,यह ख्याल उसके मन में अनायास ही आया था लेकिन इस ख्याल के मन में आते हैं उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी मचने लगी उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुदकने लगी,,,,,,,

अपने भांजे के साथ अनायास ही आए संभोग की कल्पना से वह एकदम से शर्मसार हो उठी,,,, उसे अपने इस कल्पना पर शर्मिंदगी का अहसास होने लगा अपनी भांजे के साथ चुदाई करवाने के ख्याल से ही वह अपने हाथ को शर्म के मारे धिक्कारने लगी और जैसे-तैसे वह अपने मन को मना कर अपने काम में लग गई,,,,।


दूसरी तरफ सुरज की हालत एकदम खराब थी,,,, चोरी छिपे अपनी मामी के नंगे बदन और उसकी जबरदस्त चुदाई को देखकर वह अपनी मामी के बारे में गंदी-गंदी कल्पना ही करने लगा था अपनी मामी को वह अपनी मां की नजर से नहीं बल्कि एक औरत की नजर से देखने लगा था उसके अंगों को उसके कोमल बदन को देख कर वह उत्तेजना महसूस करने लगा था,,,अपनी मामी के बदन को स्पर्श करने की इच्छा उसकी तीव्र होने लगी थी लेकिन अनायास ही कुए पर अपनी मामी के पिछवाड़े पर अपने लंड का स्पर्श महसूस करके वह पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया था,,,। अपनी मामी के गोलाकार भारी-भरकम नितंबों का स्पर्श उसे इतना उत्तेजना देगा ईस बारे में उसे एहसास भी नहीं था,,,,, कुएं में से बाल्टी को खींचते समय सुरज पजामे में ही सही अपने लंड को अपनी मामी की गांड के दरार के बीचो बीच डाल दिया था साड़ी के ऊपर से ही सही लेकिन उसे यह पल बेहद आनंददायक प्रतीत हुआ था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसने यह पराक्रम कर दिया है उस समय वह इतना ज्यादा उत्तेजित था कि उसका मन कर रहा था कि अपनी मामी की सारी उठाकर अपने लंड को उसकी बुर में डाल दें जिस तरह से वह सुधियां काकी की बुर में डालकर पहली बार संभोग के प्रकरण की शुरुआत किया था,,,,,,पहली बार उसे कुए से बाल्टी को खींचने में इतना आनंद आया था और यह कार्य वह पहली बार ही कर रहा था लेकिन इस बात क्या उसे डर भी था कि उसकी हरकत कहीं उसकी मामी को पता ना चल गया हो लेकिन अपने मामी क्या सोचेंगे क्योंकि जो कुछ भी हुआ था अनजाने में हुआ था शायद बाल्टी को खींचते समय उसकी मामी ने इस बात पर ध्यान नहीं देते वरना जरूर उसे डांट लगाती,,,,,,

इस बारे में सोच कर सुरज इतना ज्यादा उत्तेजित था कि,,, वह खेत में पहुंचकर पेशाब करने के लिए अपने लंड को बाहर निकाल दिया था उत्तेजना के मारे उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसे जोरों की पेशाब लगी है,,, लेकिन उसे ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, इसलिए वह अपनी मामी के पिछवाड़े को याद करके अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था,,,,पेशाब तो वह नहीं कर रहा था लेकिन अपनी मामी के ख्यालों में खो कर वो अपने लंड को धीरे धीरे से हिलाते हुए जोर-जोर से अपनी मुट्ठी में लेकर हिलाना शुरू कर दिया था अनायास ही मुठ मारना शुरू कर दिया ना और उसके ख्यालों में खुद उसकी मामी थी जिसे वह अपने मामा के साथ नग्न अवस्था में देखकर उसके बारे में गंदे विचारों को जन्म देने लगा था और इस समय भी उसके दिमाग में उसकी मामी के प्रति गंदे विचार ही पैदा हो रहे थे वह अपने लंड को हिलाते हुए,,, कल्पना कर रहा था कि जैसे वह अपनी मामी की साड़ी को अपने हाथों से कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड को दोनों हाथों में भरकर जोर जोर से दबा रहा है इस तरह का ख्याल मन में लाते ही उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी और कल्पना में उसकी हरकतों से उसकी मामी और ज्यादा मदहोश हुए जा रही है,,,,,,वह अपने हाथों से अपनी मामी की गांड को जोर जोर से मसल कर उसे उत्तेजित कर रहा था और कल्पना में उसकी मामी अत्यधिक उत्तेजना वश अपना हाथ पीछे की तरफ लाकर पजामे में से,,, उसके लंड को बाहर निकालकर हीलाना शुरू कर दी और अपनी गांड के बीचो-बीच लगाते हुए अपने भांजे को आज्ञा देते हुए बोली,,,।

डाल दे सुरज अपने लंड को डाल दे अपने लंड को मेरी बुर में और जोर जोर से चोद,,,।
कल्पना में अपनी मामी की मदहोशी और उसकी इस तरह की बातों को सुनकर सुरज पूरी तरह से मंत्रमुग्ध होकर अपनी मामी की जवानी के आकर्षण में पूरी तरह से खो गया और जोर-जोर से मुठ मारना शुरू कर दिया अपनी मामी की आज्ञा पाकर कल्पना में ही वह कल्पनातीत हो कर,,, अपने लंड को अपनी मामी की पनीयाई बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया उसकी आंखें बंद थी उसकी कल्पना बहुत ही जबरजस्ती कल्पना मैं भी उसे हकीकत का परिचय हो रहा था बहुत जोर जोर से अपने लंड को हिलाते हुए आखिरकार,,, पिघल गया उसकी जिंदगी का यह पहला हस्तमैथुन था जिसे वह अनायास ही अनजाने में प्राप्त कर चुका था इस क्रिया को करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव और संतुष्टि प्राप्त हो रही थी लेकिन जब उसे यह एहसास हुआ कि यह तो मात्र उसका ख्याल है तो वह यह सोचने लगा कि,,, जब कल्पना में उसे अपनी मामी के साथ इतना मजा मिला तो वास्तविक संभोग में उसे अपनी मामी के साथ कीतना सुख मिलेगा,,,। इस बारे में सोचते ही उसके होठों पर मुस्कान करने लगी,,,।

दूसरी तरफ नामदेवराय की बहन कजरी पूरी तरह से काम विह्वल थी,,, जब से उसने सुरज के लंड के दर्शन की थी तब से उसकी हालत खराब थीबार-बार उसकी आंखों के सामने सुरज का लंड आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा नजर आता था,,,,,। जब से उसने सुरज के लंड को देखी थी तब से उसे अपनी बुर के अंदर लेने की लालसा बढ़ती जा रही थी,,,,, वो सुरज से मुलाकात करना चाहती थी लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था तभी उसे इस बारे में ख्याल आया कि वह बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देती है जिससे उन लोगों का भला होता है और उसका समय भी व्यतीत हो जाता है,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि क्यों ना सुरज को भी पढ़ाया जाए जिससे उसे भी कुछ सीखने को मिलेगा और इस तरह से वह उसे प्राप्त भी कर लेगी कजरी को अपनी यह युक्ति बेहद कारगर लगने लगी वह जल्द से जल्द गांव में जाकर सुरज से उसके घर आकर पढ़ने के लिए बोलने के लिए व्याकुल हो गई,,,,,,।


वह सुरज के बारे में सोचते हुए अपने भाई नामदेवराय को खाना परोस रही थी नामदेवराय पालथी मारकर बैठा हुआ था जब कजरी खाना परोस दि तो नामदेवराय बोला,,,।


कजरी आज तुमने दूध नहीं दिया,,,


नहीं भैया वो क्या है ना कि बिल्ली ने दूध को जूठा कर दिया था इसलिए आज दूध पीने के लिए नहीं है,,,।


बिना दूध के मेरा काम कैसे चलेगा तुम तो जानती हो खाना खाने के तुरंत बाद मुझे एक गिलास दूध पीने की आदत है,,,।(नामदेवराय अपनी बहन की बड़ी बड़ी छातियों की तरफ देखते हुए बोला कजरी अपने भाई के नजरिए को अच्छी तरह से समझती थी उसके नजरिए को देखकर उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी और वह बोली,,,)


चिंता क्यों करते हो भैया मैं हूं ना आज गाय का दूध नहीं मिला तो क्या हुआ मेरा दूध पी कर काम चला लेना ,,(और इतना कहने के साथ ही कजरी अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी अपनी छोटी बहन की यह अदा देखकर नामदेवराय का लंड तुरंत हरकत में आ गया,,, और वह अपने फटी आंखों से अपनी बहन की मद मस्त जवानी को देखने लगा अगले ही पल कजरी अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपना मदमस्त कर देने वाली पपाया जैसे चुचियों को अपने भाई के आगे परोस दी और नामदेवराय अपनी बहन की चूची को देखकर एक पल भी ठहर नहीं पाया और अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसकी चूची को दशहरी आम की तरफ थाम लिया,,, कजरी उत्तेजना के मारे एकदम गनगना गई,,,
कजरी अपने भाई के कमजोरी को अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि औरत का नंगा बदन उसके भाई की सबसे बड़ी कमजोरी है और इसी कमजोरी के चलते वह अपने भाई के घर में रानी की तरह जिंदगी गुजारतई थी जो चाहती थी वह उसे मिलता था,,,,,, कजरी पहले से ही एक कामुक औरत थी,,,अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चली जाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ दी थी पति के देहांत के बाद उधर शरीर सुख से वंचित हो गई थी इसीलिए अपने भाई के घर आई थी और उसका भाई उसकी कमजोरी का भरपूर फायदा उठाता था,,,
अपनी बहन की बड़ी बड़ी चूची हो कौन जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,।


आज तो मैं भोजन करने से पहले ही दूध पीना चाहता हूं,,,


क्या भैया मैं भागी थोडी जा रही हुं,,,,( कजरी अपनी दोनों चुचियों अपने दोनों हाथों में भरते हुए बोली,,, अपने बड़े भाई को ललचा रही थी यह देखकर नामदेवराय के मुंह में पानी आ रहा था साथ ही धोती में खलबली मचने लगी थी,,,)



तुम भागी नहीं जा रही हो कजरी लेकिन तुम्हारी चूची मेरी भूख को और ज्यादा बढ़ा रही है,,,।(इतना कहने के साथ ही नामदेवराय अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की चूची को दोनों हाथों में थाम लिया कजरी समझ गई थी कि उसके भाई को किसी और चीज़ की भूख लग गई है इसलिए वह अपने भाई को थोड़ा और तड़पाते हुए बोली,,)

छोड़ो ना भैया खाना खाने के बाद ही मिलेगी,,,,(ऐसा कहते हुए कजरी थोड़ा पीछे हो गई,,, नामदेवराय की भूख और तड़प दोनों बढ़ती जा रही थी,,,,,)

नहीं कजरी तुम्हारी चूची देखकर मुझे मेरी भुख बरदाश नहीं हो रही है,,,,,,(और इतना कहते हुए नामदेवराय भोजन की थाली को एक तरफ करके घुटनों के बल चलते हो आगे भरा और अपनी बहन कजरी को बाहों में भर लिया और,, और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमना शुरू कर दिया,,, नामदेवराय ऐसा ही था अपनी बहन की मदमस्त जवानी देख कर वह पूरी तरह से निहाल हो चुका था,,, वह अपनी बहन कजरी को नीचे जमीन पर पीठ के बल लिटा दिया और तुरंत अपने होठों को उसके होठों पर से हटा कर उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर बारी-बारी से मुंह लगाकर पीना शुरू कर दिया,,, नामदेवराय के लिए उसकी बहन कजरी की चूचियां दशहरी आम से कम नहीं थी वह अपनी बहन की चूची को बड़े शिद्दत से पीता था उसे अपनी बहन की चूचियां बेहद आकर्षक लगती थी ऐसा नहीं था कि विधवा होने के बाद ही वह अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाना शुरू कर दिया था उसका उसके बहन के प्रति पहले से ही आकर्षण था और पहले से ही वह अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध बना चुका था लेकिन उसकी जिंदगी में उसकी बहन हमेशा के लिए आ जाएगी इस बारे में उसे बिल्कुल भी एहसास नहीं था,, अगर उसकी बहन ना होती तो वह अपनी जिंदगी अकेले ही गुजार रहा होता,,,,।

आहहह भैया धीरे से दांत क्यों गड़ा रहे हो,,,,आहहहहहह,,,,,,,


क्या करूं रानी मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है,,,

रोज तो मुंह लगाकर पीते हो फिर भी ईसकी प्यास तुम्हें इतनी क्यों है,,,,!


चूची की कदर शायद एक औरत से ज्यादा एक मर्द को होती है तुम नहीं जानती कजरी मर्द की जिंदगी में औरत की चूची कितना मायने रखती है,,,, बड़ी बड़ी चूची को देखते ही आदमी का लंड खराब हो जाता है,,,,,,।


तुम भी ना भैया एकदम शरारती हो गए हो,,,,,,,


तुम चीज ही ऐसी हो कि शरारती बनना पड़ता है,,,।


अब क्या करें भगवान ने मुझे बनाया ही ऐसा है कि तुम मेरी खूबसूरत बदन के दीवाने हो गए हो,,,,
(अपनी बहन की बात सुनते ही नामदेवराय जोर-जोर से उसकी चूची को पीना शुरू कर दिया कजरी को भी बहुत मजा आता था अपने भाई से इस तरह से चूची चुसवाते हुए,,,।


आहहहहह,,,, क्या भैया तुम तो खाना खाते-खाते मेरा दूध पीने लगे,,,, देखना कहीं दरवाजा ना खुला छोड़ दिया हो वरना उस दिन की तरह कोई आ गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे,,,,।


अरे कुछ नहीं होगा मेरी जान आज दरवाजा बंद है,,,,


उस दिन उस रविकुमार ने मुझे पहचाना तो नहीं था ना,,,


नहीं नहीं बिल्कुल नहीं अगर पहचाना होता तो शायद अब तक गांव में खुशर फुसर होना शुरू हो जाता,,,, वह तो अच्छा हुआ कि तुम्हारे लंबे बालों में तुम्हें पहचानने नहीं दिया,,,, वरना सच में अनर्थ हो जाता,,,,।(ऐसा कहते हुए नामदेवराय अपनी बहन की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,,)

क्या भैया पहले खाना तो खा लो,,,,


खाना बाद में खा लूंगा पहले स्वादिष्ट पकवान तो खा लेने दो,,,, भला ईस पकवान के आगे कोई यह भोजन क्यों करें,,,(ऐसा कहते हो मिला ना अपनी बहन की साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठा दिया कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई उसकी गुलाबी बुर को देखकर उसका लंड एकदम ताव में आ गया,,, कजरी को अपने भाई की बातें बड़ी अच्छी लग रही थी,,,,,ऐसा नहीं था कि वह अपने भाई का सिर्फ मन बहलाने के लिए उसका साथ दे रही थी उसकी भाई की हरकत की वजह से उसे भी आनंद आ रहा था,,,, नामदेवराय से रहा नहीं जा रहा था और वह तुरंत अपनी धोती को उतार फेंका वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो गया उसका खडा लंड देखकर कजरी की बुर पानी छोड़ने लगी,,,, लेकिन इस समय अपने भाई के लंड को देखकर कजरी के मन में सुरज के लंड की कल्पना होने लगी अपने मन में सोचने लगी कि काश उसके भाई की जगह वह लड़का होता तो कितना मजा आता ,,,, नामदेवराय आनन-फानन में अपनी बहन की दोनों टांगों को चौड़ी करके अपने लिए जगह बना लिया और कजरी इसी मौके की तलाश में थी उसका भाई उसकी बुर में लंड डालता इससे पहले ही कजरी अपने भाई से बोली,,।


भैया में गांव में जाकर कुछ बच्चों को और पढ़ने के लिए बोलना चाहती हुं,,,,


गांव में लेकिन गांव में क्यों जाओगे किसी से खबर भेजवा देती तो ,,,,


नहीं भैया ऐसे मैं खुद जाकर बच्चों को पढ़ने के लिए बोलूंगी तो वो लोग जरूर आएंगे,,, तुम तो जानते हो मैं स्कूल में शिक्षिका बनना चाहती थी लेकिन मेरी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई और मैं गांव में रह गई इसीलिए मैं चाहती हूं कि यहां रह कर अपने शौक को पूरा कर सकु,,,।
(नामदेवराय यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन बेहद खूबसूरत है और कामुक भी,,, उसे अपनी बहन पर विश्वास नहीं था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी बहन से भी शादी होती तो अपने बड़े भाई के साथ शारीरिक संबंध कभी नहीं बनाती और वहां इसीलिए गांव में नहीं जाने देना चाहता था क्योंकि गांव के आवारा लड़कों के संगत में अगर वह पड़ गई तो नाक कट जाती क्योंकि वह अपनी बहन के चरित्र को अच्छे से जानता था इसलिए गांव में जाने के लिए वह हमेशा मना करता था और उसकी बहन चाहती कि नहीं थी लेकिन सुरज से मिलने उसे पढ़ने के लिए अपने घर बुलाने के लिए उसे गांव में जाना ही था और वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका भाई उसे गांव में जाने के लिए कभी भी इजाजत नहीं देता लेकिन संभोग क्रिया स्त्री और पुरुष के बीच ऐसी क्रिया है कि कुछ भी चाय संभोग के समय पुरुष से मनवा लेती है,,,और इसीलिए कजरी अपने भाई को मनाने के लिए इसी समय का इंतजार कर रही थी कुछ देर सोचने के बाद नामदेवराय बोला,,,)


ठीक है चली जाना लेकिन बार-बार नहीं बस एक ही बार,,,


नहीं भैया बस एक ही बार कुछ बच्चों को पढ़ाने के लिए मनाना है ताकि वह लोग भी पढ़ लिख कर कुछ अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें,,,,।

ठीक है मेरी जान बस अब कुछ मत बोलो,,,,(नामदेवराय को अपनी बहन की चुदाई करने का भुत सवार था और वह एक पल भी बिगाड़ना नहीं चाहता था क्योंकि उसके लंड से उसकी बहन की बुर की दूरी केवल २,४अंगुल ही रह गई थी,,, और उससे यह दूरी बर्दाश्त नहीं हुई थी इसलिए आनन-फानन वह अपनी बहन को गांव मे जाने की इजाजत दे दीया था,,, और अगले ही पल उसका लंड उसकी बहन की बुर की गहराई नापने लगा वह जोर-जोर से अपना कमर हिलाना शुरू कर दिया और कजरी गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकाल कर अपने भाई को और उकसाने लगी,,,,,,, थोड़ी ही देर में नामदेवराय की गर्मी शांत होगी तो वह अपनी बहन के ऊपर से उठ कर हांफते हुए बगल में बैठ गया और कजरी उठ कर बैठ गई और अपने ब्लाउज के बटन बंद करती हुए बोली,,,।


अब तो दूध नहीं चाहिए ना,,,,


अभी के लिए तो हो गया लेकिन रात के भोजन के समय भी दूध चाहिए,,,
(इतना सुनकर कजरी हंसने लगी,,,,,,, कजरी को इस बात की तसल्ली हो गई थी कि वह जल्द ही सुरज से मिलेगी और उसे पढ़ने के लिए मना लेगी और उसके बाद वह अपने मन की कर सकती है,,,,।

रात गहराने लगी थी,,,, मंजू को अपने भैया भाभी की चुदाई का इंतजार था और यही नजारा देखने के लिए सुरज भी तड़प रहा था,,,, दोनों खटिए पर एक साथ लेटे हुए थे,,, अपनी मौसी के बदन का स्पर्श सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर रहा था वह बात तो अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मौसी भी उसके मामा और उसकी मामी की चुदाई देखकर गरम होती है,,,, सुरज इस बात को सोचकर यह अनुमान लगाने लगा कि जिस तरह से अपनी मामी और मामा की चुदाई देखकर उसके मन में यह भावना पैदा होती है कि आज उसके मामा की जगह हुआ होता तो उसकी मामी को चोदने में उसे बहुत मजा आता तो क्या उसकी मौसी भी यही सोचती होगी कि उसकी भाभी की जगह वह होती तो उसके भैया से चुदवाने में बहुत मजा आता,,,,,, इस बात का अनुमान लगाते ही सुरज का लंड खड़ा हो गया,,, वह अपनी मौसी से इस बारे में बात करना चाहता था लेकिन उसे बात करने में डर लग रहा था उसे हराने जा रहा था आखिरकार वह अपनी मौसी से एक बहाने से बोला,,,

मौसी क्या छिपकली उसी क्षेंद में से आती है मुझे छिपकली से बहुत डर लगता है,,,।
(छेद का जिक्र आते ही मंजू थोड़ा घबरा सी गई लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए बोली,,)

हां उसी जगह से आती है लेकिन डरने की जरूरत नहीं है मैं भगा दी हूं,,,।


मैं जाकर देखूं क्या हुआ कहीं उसी छेद में हुई तो,,,


नहीं नहीं देखने की जरूरत नहीं है अभी नहीं है,,,।
(मंजू यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि अगर सुरज उस छेद में देखने की कोशिश करेगा तो बगल वाले कमरे का दृश्य उसे जरूर दिखाई देगा और अगर इसमें कुछ हो रहा होगा उसके भैया और भाभी के बीच तो सुरज देख लेगा और वह समझ जाएगा कि वह क्या देखती है,,,)


देखने तो दो मौसी,,, हुई तो मैं भगा दूंगा,,,


नहीं कोई जरूरत नहीं है तू सो जा,,,,
(मंजू मन ही मन में डर रही थी सुरज की बात सुनकर उसे लगने लगा कि उसका काम बिगड़ रहा है जो नजारे को देखकर वह अपनी गर्मी को शांत करने की थी शायद अब सुरज की वजह से उसे देखने में डर महसूस होने रहा था इसलिए एक बहाने से उसे सोने के लिए बोल कर दूसरी तरफ करवट लेकर सो गई लेकिन दूसरी तरफ करवट लेने के चक्कर में जैसे ही वो घुम कर दुसरी तरफ हुई वैसे ही सुरज उसकी तरफ मुंह करके करवट ले लिया और अपना एक हाथ उसके ऊपर डालकर उसी से जानबूझकर चपकते हुए बोला,,,)


मुझे भी नींद आ रही है मौसी,,,,
(उसके इतना कहते ही मंजू को अपनी गांड पर कड़क चीज धंसती भी महसूस हुई वह पहले भी सुरज के लंड को देख चुकी थी इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी गांड पर क्या चुभ रहा है,,, पल भर में ही उसकी सांसे उपर नीचे हो गई,,,, सुरज को भी इस बात का एहसास था कि उसका लंड उसकी मौसी की गांड पर रगड़ खा रहा है क्योंकि पहले भी बार इस अनुभव से गुजर चुका था और वह भी अपनी मामी के साथ इसलिए उसे मजा आने लगा वह जानबूझकर सोने का नाटक करने लगा,,, मंजू की हालत खराब हो रही थी,,, कुछ कर सकने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी सुरज को ही मजा आ रहा था वहीं से आगे बढ़ना चाहता था आप दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी लेकिन पहल करने से दोनों घबरा रहे थे,,, धीरे धीरे समय व्यतीत होने लगा सुरज रह रह कर अपनी कमर को आगे की तरफ दबा दे रहा था जिससे मंजू को अपनी गांड की गहराई में सुरज का लंड महसूस होने लगा था,,,, उसकी आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन वह जानबूझकर सोने का नाटक कर रही थी कुछ देर तक मंजू के बदन में कोई भी हरकत ना देख कर सुरज को लगने लगा कि वह सो गई है,,,, इसलिए वह अपनी मौसी मंजू के साथ अपनी हरकत को बढ़ाना चाहता था,,,, वह मंजू कि नरम नरम गांड पर अपना हाथ रख कर उसे महसूस करना चाहता था,,,वह ऐसा करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया ही था कि बगल वाले कमरे से गिलास गिरने की आवाज आई और वह रुक गया,,,,, उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी वह समझ गया कि बगल वाले कमरे में फिर से वही खेल शुरू हो गया है,,,,,,और वह फिर से उसी नजारे को देखने के लिए खटिया पर से उठ खड़ा हुआ और धीरे-धीरे अपने कदम उसे दीवार के छेद की तरफ बढ़ाने लगा मंजू जो कि सोई नहीं थी सिर्फ सोने का नाटक कर रही थी वह सुरज की हर एक हरकत को चोरी-छिपे देख रही थी,,,।
 
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सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था एक बार फिर उसे अपनी मामी और अपने मामा की चुदाई जो दीखने वाली थी,,,एक बार फिर से वहां अपने मामा का लंड अपनी मामी की बुर में अंदर बाहर होता हुआ देखने जा रहा था,,, खटिया पर सोते हुए अपनी मौसी की गांड पर हाथ रखने के ख्याल से ही उसका लंड खड़ा हो चुका था,,,, और कमरे के अंदर के दृश्य को देखते ही उसके लंड का कड़क पन एकदम से बढ़ गया,,,,

दूसरी तरफ मंजू की भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि जिस तरह से सुरज उठकर उससे दीवार के छेद के तरफ गया था मंजू को लगने लगा था कि सुरज को हो ना हो शंका जरूर हो चुकी है कि दीवार के छेद का मामला कुछ और ही है,,,, इसलिए वह कुछ बोली नहीं बस आंखों को हल्का सा खोल कर लेटी रही,,,, सुरज अपनी आंखों को दीवार के उस छोटे से छेद में हटाकर दूसरी तरफ के कमरे के दृश्य को देखने की कोशिश करने लगा,,, तो जल्द ही लालटेन की पीली रोशनी में उसे उसकी मामी नजर आई जो कि अभी पूरी तरह से कपड़ों में थी और गिरी हुई गिलास को उठाकर रख रही थी शायद वह पानी पी रही थी,,,,,, अपनी मामी को संपूर्ण वस्त्र में देखकर उसकी आंखें वासना से चमकने लगी उसके मामा उसी तरह से खटिए पर लेटे हुए थे लेकिन उनके बदन पर भी अभी वस्त्र था,,, दोनों को कपड़ों में देखकर सुरज को लगने लगा कि खेल अभी शुरू होने जा रहा है,,, वह टकटकी बांधे नजारे के लुप्त को उठाने लगा थोड़ी ही देर में उसकी मामी उसकी आंखों के सामने अपनी साड़ी उतारने लगी यह देखकर सुरज के लंड में हरकत होना शुरू हो गया वह समझ गया था कि थोड़ी ही देर में उसकी मामी की आंखों के सामने नंगी हो जाएगी,,,,,, पर देखते ही देखते सुरज की मामी अपनी साड़ी उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दी वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में ही खड़ी थी,,,,,,, सुरज को अंदर के कमरे की बात सुनाई नहीं दे रही थी बस उसे दिखाई दे रहा था,,,, क्योंकि वह दो ना बहुत ही फुसफुसाहट भरे स्वर में बात कर रहे थे,,,सुरज अपने मन में सोचने लगा कि काश ऊन दोनों की बात आज भी सुनाई देती तो और मजा आता क्योंकि अपनी मामी और मामा के मुंह से चुदाई जैसे गंदे शब्दों का प्रयोग उनकी बातें सुनकर सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,,,,,,,


दूसरी तरफ मंजू समझ गई थी कि बगल वाले कमरे में क्या हो रहा है वरना सुरज इतनी देर तक वहां खड़ा नहीं रहता और वह यह भी जान गई थी कि उस छोटे से छेद में से उसे सब कुछ नजर आने लगा है,,,, मंजू अपने मन में यही सोच रही थी कि अपने मामी और अपने मामा की चुदाई देखकर उन्हें नंगा देखकर सुरज क्या महसूस करेगा उसे कैसा लगेगा कहीं उसे गुस्सा तो नहीं आएगा और यही देखने के लिए वह बड़े गौर से सुरज की तरफ देखने लगी,,,,
सुरज के मुंह में पानी आ रहा था क्योंकि उसकी नजर इस समय अपनी मामी की चूचियों पर टिकी हुई थी जो की पूरी तरह से ब्लाउज में कैद में होने के बावजूद भी मानो जैसे कि उसके ब्लाउज के अंदर खरबूजे भर दिए गए हो इस तरह से ऊभरी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर ही सुरज समझ गया था कि उसकी मामी की चूची कितनी बड़ी है ऐसा नहीं था कि आज वह देख रहा था पहली बार भी वह अपनी मामी को संपूर्ण रूप से नंगी देख चुका था और अपनी मामी की बड़ी-बड़ी चुचियों को देखकर उसके लंड का तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था इस समय ब्लाउज के अंदर उसकी मामी की चूचियां बेहद आकर्षक लग रही थी ब्लाउज के ऊपर का एक बटन खुला होने की वजह से उसकी गहरी दरार साफ नजर आ रही थी जिसमें सुरज का मन डूब जाने को कह रहा था,,,,,, सुरज को अपनी मामी स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी,,, जो कि किसी भी हाल में कामदेवी नजर आती थी,,,,अपनी मामी के खूबसूरत बदन को देखकर भले ही वह वस्त्र में हो या चाहे वस्त्र विहीन,,,सुरज की आंखों में एक अद्भुत चमक आ जाती थी जो कि इस समय भी उसकी आंखों में बरकरार थी,,,,। सुरज कमरे में बने उस छोटे से छेद के पीछे के रहस्य को अच्छी तरह से समझ गया था और यह भी जान गया था कि इसी क्षेत्र में से उसकी मौसी मंजू भी उसी नजारे को देखकर मस्त हो जाती है जिस नजारे को देखकर वह अपने अंदर उत्तेजना की लहर को ऊमडते हुए महसूस कर रहा था,,,।


खटिया पर नींद का बहाना करके लेटी हुई मंजू सुरज के हर एक हरकत को बड़ी बारीकी से देख रही थी,,,,, हर एक पल मंजू के दिल की धड़कन को बढ़ा रहा था मंजू भी,,,इतना तो समझ ही गई थी कि सुरज समझ ही गया होगा कि उस छोटे से छेद का रहस्य क्या है,,,,,, मंजू जानती थी कि कमरे के अंदर संभोग का प्रसारण शुरू हो गया होगा,,,और यही अहसास उसके तन बदन में उत्तेजना को बढ़ा रहा था और उससे ज्यादा वह अपने बदन में कामुकता का एहसास इस बात से कर रही थी कि उस मादक दृश्य को सुरज खुद अपनी आंखों से देख रहा था,,,, वह देखना चाहती थी कि अपनी मामी को चुदते हुए देखकर वह कैसा महसूस करता है,,,,इसलिए उत्तेजना के मारे अपने सूखे गले को अपने ही थूक से गीला करने की कोशिश करते हुए वह टकटकी लगाए देख रही थी,,,।

सुरज अपने मन में यह सोच रहा था कि जल्द से जल्द उसकी मामी बाकी के बचे अपने कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जाए बहुत दूर से ही सही अपनी मामी को नंगी देखना चाहता था ब्लाउज में कैद उसके दोनों खरबूजे को अपनी आंखों से देखना चाहता था दोनों टांगों के बीच उसकी पतली गुलाबी दरार को देखकर मस्त होना चाहता था,,,, गोल गोल बड़ी बड़ी गांड को देखकर अपने अंदर दहकते शोले को महसूस करना चाहता था,,,। लेकिन उसकी मामी बाकी के बचे कपड़े उतारने का नाम नहीं ले रही थी,, बस अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर अपने शरीर को गोल-गोल तरीके से हिला रही थी जिसे देख कर उसके मामा आहें भर रहे थे,,,,,,सुरज अपने मन में यह सोच कर मस्त हो रहा था कि उसकी मामी को इस हाल में देखकर उसके मामा का लंड खड़ा हो गया होगा क्योंकि दूर से देख कर ही जब उसका लंड पर जाने में बवाल मचा रहा था तो उसके मामा की हालत को वह अच्छी तरह से समझ रहा होगा,,,। अपनी मामी को खुशहाल में खाना देखकर सुरज अपने मन में ही बोल रहा था कि,,,।


उतार जल्दी उतार मुझे सब कुछ देखना है,,,,।

तभी उसके मामा अपनी धोती को उतारने लगे और अगले ही पल वह खटिए पर निर्वस्त्र हो गया,,, सुरज अपने मामा को देखकर अपने मन में फिर से वही सोचने लगा कि उसके मामा की जगह उसका लंड होता तो और मजा आता,,,, उसके मामा अपने लंड को हाथ से पकड़ कर ही लेना शुरू कर दिए थे जिसे देखकर उसकी मामी मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,,। अपनी मामी को मंद मंद मुस्कुराता हुआ देखकर सुरज अपने मन में ही बोलने लगा कि उतारेगी भी या हंसती रहेगी,,।

मंजू खटिया पर लेटी लेटी यही सोच रही थी कि अंदर क्या हो रहा होगा,,,,,, उसकी खुद की हालत खराब थी,,,सुरज रह-रहकर एक नजर अपनी मौसी मंजू पर डाल दे रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं रही है और जब जब वह मंजू की तरफ देखता तब तब मंजू अपनी आंखों को जल्दी से बंद कर लेती,,, उत्तेजना के मारे मंजू और सुरज दोनों का हाल बद्तर हुआ जा रहा था,,,,,

सुरज टकटकी लगाए सब कुछ देख रहा था वह अपने मन में इस बात से पूरी तरह से तसल्ली किए हुए था कि अच्छा है कि उसके मामा यह काम लालटेन के उजाले में करते हैं,,, अगर लालटेन जला रही होती तो उसे कुछ भी देखने का मौका नहीं मिल पाता और अपनी मामी का कामुक रुप,,, उसका खूबसूरत बदन उसके अंगों की परिभाषा को ना हीं देख पाता और ना ही समझ पाता,,,।सुरज को यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि उसकी मामी कपड़े उतार के नंगी होने में इतना नाटक क्यों करती है वह अपने मामा की तड़प को अच्छी तरह से समझ रहा था क्योंकि वह खुद तड़प रहा था उत्सुक था अपनी मामी को नंगी देखने के लिए वह अपने मन में यह सोच रहा था कि अगर वह खुद अपने मामा की जगह मौजूद होता तो वह अपने हाथों से अपनी मामी के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करने में एक पल की भी देरी ना करता,,,,।

यह सुरज के मन की बात थीऔर शायद वह अपनी मामी के साथ मौका मिलने पर ऐसा ही करता है लेकिन वह इस बात से अनजान था कि एक औरत को मर्द को तड़पाने में इसी तरह से मजा आता है और मर्द को तड़पाने का यह सबसे जबरदस्त तरीका भी है,,,, औरत इसी तरह से अपनी जवानी का जलवा दिखा कर मर्द को घुटनों पर ला देती है उन्हें अपना गुलाम बना देते हैं अपनी जवानी का रस मिलाकर जिंदगी भर अपनी मनमानी करती रहती है,,,, रूपाली भी इससे अछूती नहीं थी वह भी अपने पति की भले ही चाहे जितनी भी इज्जत करती थी लेकिन रात को बिस्तर पर वह अपने पति को अपनी जवानी का गुलाम ही बना देती थी,,,,,,

सुरज का दिल जोरो से धड़क रहा था उसे यह नहीं मालूम था कि उसकी तरह कोई ओर लड़का इस तरह से घर के सदस्यों की चुदाई छुप छुप कर देखता है या नहीं लेकिन इस तरह से देखने में अजीब से सुख की अनुभूति होती है जिसे प्राप्त करके सुरज अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था,,,। भले ही यह नैतिक नजरिए से गलत था लेकिन इसमें एक अद्भुत सुख भी था जिससे सुरज वंचित नहीं होना चाहता था,,,। धड़कते दिल के साथ हुआ बगल वाले कमरे के नजारे को देख रहा था कि तभी उसके कानों में उसके मामा के शब्द पडे,,,।


अरे अब कितना तड़पाओगी,,,


रुको जरा मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,


चुदवाने के नाम पर तुम्हें पेशाब जल्दी लग जाती है,,,



अरे ऐसी बात नहीं है,,,(रूपाली मुस्कुराते हुए बोली,,,,सुरज तो अपनी मामी के मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनते ही एकदम से उत्तेजित हो गया उसके लंड कि अकड और ज्यादा बढ़ गई,,,। सांसों की गति तेज होने लगी,,,,पहली बार वह अपनी मामी के मुंह से इस तरह के शब्दों पसंद आया था इतने खुले तरीके से उसने आज तक पेशाब करने वाली बात नहीं बोली थी इसलिए सुरज को अपनी मामी के इस बात में बेहद कामुकता का अनुभव हो रहा था,,,,)


अब थोड़ा रुकीए में जल्दी आती हूं,,,(इतना कहकर रूपाली जाने को हुई ही थी कि रविकुमार पीछे से आवाज लगाते हुए बोला,,,)



अरे बाहर कहां जा रही हो यही कर लो,,,
( अपने मामा की यह बात सुनकर सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,)

अरे पागल हो गए हो गए हो क्या जी यहां नहीं,,,,


अरे तुम भी बेवकूफ हो नाली लगी हुई है ना वहां बैठ कर कर लो बाहर जाने की जरूरत नहीं है,,,(सुरज के मामा उंगली से इशारा करके बोले,,,)

यहां लेकिन यहां मैंने कभी की नहीं हुं।


तो क्या हुआ अब कर लो बाहर जाने की जरूरत नहीं है,,,।
(सुरज की तो सासे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, उसकी मामी पेशाब करने वाली है इस बात से ही उसके तन बदन में आग लगी हुई थी,,,, क्योंकि अब तक वह अपनी मामी को पेशाब करते हुए कभी नहीं देखा था लेकिन ऐसा लग रहा था कि वह आज भी नहीं देख पाएगा क्योंकि उसके मामा उंगली के इशारे से घर के कोने की तरफ करने को बोल रहे थे जहां पर पानी गिराया जाता था बर्तन धोने के काम आता था वहां नाली लगी हुई थी ताकि पानी निकल सके और उसी जगह पर उसकी मामी के साथ करने जा रहे थे जो की नजरों से दूर थी वहां तक नजर नहीं पहुंच पा रही थी उसकी मामी बिना कुछ बोले उस कोने में चली गई और थोड़ी देर में सुरज के कानों में पेशाब करने की मधुर धुन सुनाई देने लगी इतना तो जानता ही था कि पेशाब करने पर इस तरह की आवाज निकलती है हालांकि उसने आज तक,,, घर की औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा था,,, इस बात के एहसास सेवह पूरी तरह से मदहोश हो गया कि उसकी मामी कोने में बैठ कर के पेशाब कर रही है पेशाब करते हुए कैसे नजर आती होगी उसकी गांड कैसी दिखाई देती होगी और उसकी मामी अपनी पेटीकोट को कमर तक कैसे उठाई होगी,,, यह सब ख्याल सुरज के तन बदन में आग लगा रहा था उसके कानों में पढ़ रही परेशान की मधुर धुन बेहद मादक लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके कानों में मध घोल दिया गया गया हो सुरज के चेहरे का अभाव बदल रहा था जो कि मंजू बड़े सांप तौर पर देख पा रही थी सुरज के चेहरे पर बदलते भाव को देखकर,,,मंजू इतना तो समझ गई थी कि कमरे के अंदर का दृश्य बेहद उत्तेजक होता जा रहा है,,,
थोड़ी ही देर में पेशाब करने की आवाज की मधुर धुन बंद हो गई और सुरज समझ गया कि उसकी मामी पेशाब कर चुकी है अपने मामा के नजर और उसके चेहरे के बदलते हावभाव को देखकर राजु भी समझ गया था कि उसके मामा उसकी मामी को पेशाब करते हुए देख कर मस्त हुए जा रहे हैं,,,, थोड़ी ही देर में उसकी मामी फिर से उसी जगह पर पहुंच गई जहां पर खड़ी थी लेकिन खड़ी होकर अपने पेटिकोट की डोरी को बांट रही थी तो पेटीकोट की डोरी को बांधते हुए देखकर सुरज के मामा बोले,,,।


अरे अब ईसे क्यों बांध रही हो इसे तो अब उतारना है,,,।

(उसकी बातें सुनकर रूपाली मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

मैं तो भूल ही गई थी,,,(इतना कहते हुए भी वह पेटीकोट की डोरी को बांध दी और अगले ही पल अपनी उंगलियों को ब्लाउज पर रख दी और ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,सुरज समझ गया कि उसकी मामी पेटीकोट से नहीं ब्लाउज से कपड़े उतारने का शुरुआत करना चाहती है,,, अब सुरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,देखते देखते उसकी आंखों के सामने उसकी मामी अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अगले ही पल ब्लाउज को उतार कर नीचे फेंक दी,,,सुरज को अपनी आंखों के सामने अपना भविष्य नजर आने लगा अपनी मामी की गोल गोल बड़ी-बड़ी तनी हुई चूचियों को देखकर उसके लंड में उबाल आना शुरू हो गया,,,,,,,

रूपाली की चूचियां पहले से ही बेहद आकर्षक थी,, दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूचियां उसी तरह से तनी हुई थी जैसे की जवानी के दिनों में तनी रहती थी,,, दूसरों की तरह उसकी चुचियों में जरा भी लचक नहीं थी यह देखकर सुरज के तन बदन में और आग भड़कने रखती थी,,,, और जैसे ही सुरज की मामी का हाथ पेटीकोट की डोरी पर क्या सुरज के दिल की धड़कन और तेजी से चलने लगी वह समझ गया कि अब अकेले ही पल उसकी मामी नंगी हो जाएगी उससे यह दृश्य यह कामुकता यह मादकता,,, सही नहीं जा रही थी,,, उसकी सांसे बेहद गहरी चल रही थी,,, उसके पेजामे में बवाल मचा हुआ था उसका लंड पजामा फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था,,,
अब तक मंजू उसके चेहरे के बदलते हुए हाव-भाव को देख रही थी,,,उसके लंड की तरफ उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं गया था लेकिन जैसे ही उसकी नजर पजामे पर पड़ी उसके तो होश उड़ गए,,,, पजामे में जबरदस्त तंबू बना हुआ था अब तो मंजू की हालत ज्यादा खराब होने लगी कमरे का दृश्य धीरे-धीरे गरमाता चला जा रहा था,,,,देखते ही देखते सुरज की मामी ने अपनी पेटीकोट भी उतार कर फेंक दी इस समय वह कमरे में पूरी तरह से नंगी हो गई,,,, सुरज की हालत खराब होने लगी और अगले ही पल वह अपना हाथ को अपने पजामे में डाल कर अपने खड़े लंड को पकड़ लिया,,, मंजू यह देखकर एकदम से मचल उठी,,,सुरज की हरकत और उसकी उत्तेजना देखकर मंजू को समझ तो आ ही रहा था कि अंदर के नजारे देखकर उसे गुस्सा नहीं बल्कि मजा आ रहा है और ऐसा ही तो वह मन ही मन चाहती भी थी क्योंकि अगर सुरज को मजा आएगा तो उसका काम आसान हो जाएगा,,,,।



सुरज की मामी कमरे में एकदम नंगी हो गई थी सुरज के मामा की हालत खराब होती जा रही थी,,,,,,सुरज को साफ नजर आ रहा था कि उसके मामा से रहा नहीं जा रहा था एक के लिए पल अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर उसकी मामी की गांड कड़ कर उसे अपनी तरफ से इसलिए बस यह दृश्य सुरज से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह पजामे को घुटने तक सरका कर अपना लंड बाहर निकाल लिया और,,, उसे हाथ में लेकर हीलाना शुरू कर दिया,,,, मंजू यह देखकर दंग रह गई क्योंकि सुरज भूल चुका था कि वह कमरे में है और कमरे में उसकी मौसी मंजू भी सो रही है,,,, मंजू पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और उसे यही मौका सही भी लग रहा था सुरज के लंड को वह पहले भी नजर भर कर देख चुकी थी,,, लेकिन आज का हालात कुछ और था,,,, उससे रहा नहीं गया और वह खटिए पर से उठ खड़ी हुई,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और इस बात से अनजान सुरज कमरे के अंदर अपने मामी बाप की गरमा गरम चुदाई देखने जा रहा था,,,, सुरज को अपनी मामी की गांड बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,।
 
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पल-पल सुरज के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, सुरज कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इस तरह से अपने मामा मामी के संभोग की क्रिया देखने को मिलती रहेगी,,,,। कुछ दिनों में ही सुरज का दिन बदलने लगा था उसके ख्याल बदलने लगे थे औरतों को देखने का नजरिया बदलने लगा था,,, यह सब जवानी के जोश का ही करामत था,,, और तो और सुरज की किस्मत इतनी अच्छी थी कि वह सुधियां काकी के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था,,,,,, इसलिए तो उसे और अच्छे से औरतों के बारे में उनके साथ संबंध के बारे में समझ पडने लगी थी,,,, उसका औरतों के कामुक अंगो के प्रति ज्ञान दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था,,, सुरज छोटे से छेद से एकदम साफ साफ देख पा रहा था कि उसकी मामी पूरी तरह से कमरे में नंगी खड़ी थी और उसकी मामी को एकदम नंगी कर उसके मामा अपने आप पर काबू नहीं कर पाए थे और उत्तेजना वश सुरज की मामी की,, बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिए थे सुरज से यह तेरी से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो पाया था वह अपनी उत्तेजना पर काबू कर सकने में सक्षम नहीं था इसलिए वह अपने पजामे को घुटनों तक खींच कर अपने खड़े लंड को हिलाना शुरू कर दिया था,,, एक तरह से सुरज अपनी मामी के नंगे बदन उसकी खूबसूरती और उन दोनों की संभोगनीयाक्रिया को देखकर हस्तमैथुन कर रहा था एक बार पहले भी वह अपनी मामी के बारे में गंदे खयालो के चलते हस्तमैथुन करके अपने आप को शांत करने की कोशिश कर चुका था अब फिर से वह वही क्रिया कर रहा था वह यह भी भूल गया था कि उसी कमरे में उसकी मौसी मंजू भी सो रही है जो कि वह कभी भी जा सकती है लेकिन इन सब बातों से बिल्कुल अनजान सुरज अपने आप में मस्त हो गया था वह तो अपने आप को कल्पना में बगल वाले कमरे में अपने मामा की जगह महसूस करने लगा था,,,,।



कमरे में मंजू जोकि सुरज को यही लग रहा था कि वह गहरी नींद में सो रही है जबकि वह सो नहीं रही थी वह जाग रही थी,,, अपनी आंखों से सुरज की कामलीला उसके कामांग को देखकर पूरी तरह से मस्त हो रही थी उसी से भी यह बर्दाश्त नहीं हुआ कि सुरज अपने खड़े लंड को हिला रहा है और वह खटिए पर से उठ कर बैठ गई सुरज के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर उसकी बुर ‌ कुलबुलाने लगी थी,,, मंजू की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि सुरज छोटे से छेद से क्या देख रहा है,,, मंजू सुरज की उत्तेजना को देखकर यह सोचने लगी कि काश बगल वाले कमरे का दृश्य अपने कमरे में हकीकत में बदल जाता तो कितना मजा आता है,,,।यही सोचते हुए वह सुरज के पास जाना चाहती थी जो कुछ भी उसके मन में था आज वह अपनी अभिलाषा को अपनी आकांक्षा को पूरी कर लेना चाहती थी क्योंकि जिस तरह का हालात कमरे में बना हुआ था उसे देखकर मंजू समझ गई थी कि आज उसके मन की इच्छा पूरी होने वाली है,,,,। अभी तक वह सुरज से थोड़ा डरती थी कि कहीं वह अपनी मामी को सब कुछ बता ना दें क्योंकि वह जानती थी कि वो थोड़ा नादान है लेकिन आज कमरे के अंदर उसकी हरकत को देखकर वह समझ गए थे कि अब वह नादान बिल्कुल भी नहीं रहा था वह जवान हो गया था मंजू को वह दिन याद आने लगा जब उसके खड़े लंड को देखकर उसे हाथ में लेकर हीलाई थी और उसका मन बहुत कुछ करने को किया था लेकिन सुरज की वजह से ही वह अपने मन को दबा ले गई थी अपनी उत्तेजना को अपने अंदर समा ले गई थी लेकिन आज वह समझ गई थी कि सुरज के साथ अब उसे किसी भी प्रकार का डर नहीं है क्योंकि जो वह चाहती थी वही सुरज भी चाह रहा था अपनी ही मामी मामा की गरमा गरम चुदाई देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था मंजू अपने मन में यही सोच रही थी कि अपनी मामी को नंगी देखकर वह क्या सोच रहा होगा उसकी बड़ी बड़ी गांड देख कर उसकी बड़ी बड़ी चूचियां देख कर उसकी बुर देख कर क्या सोच रहा होगा इतना तो समझ ही गई थी कि इन सब को देख कर उसे भी दूसरे लड़कों की तरह मजा ही आ रहा है तभी तो वह अपना लंड बाहर निकाल कर हीला रहा है वरना ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता,,,, और इसी मौके का फायदा मंजू पूरी तरह से उठाना चाहती थी,,,,,,,।


सुरज की मदहोशी और उसकी मस्ती को देखकर मंजू को यकीन भी नहीं हो रहा था कि यह वही सुरज है जिसे वह नादान समझती थी जो यह समझती थी कि सुरज को इन सब बातों से कोई निशबत नहीं है,,, वह दूसरे लड़कों की तरह बिल्कुल भी नहीं है लेकिन आज अपनी आंखों से देखकर मंजू को यकीन हो गया कि हर लड़के एक ही तरह के होते हैं बस उनकी आंखों के सामने नजारा कुछ इस तरह से होना चाहिए जिस तरह से वह अपनी आंखों से देख रहा था अपनी ही मामी के नंगे बदन को देख कर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, अभी भी सुरज का ध्यान छोटे से छेद से बगल वाले कमरे में ही केंद्रीत था जहां पर उसके मामा उसकी मामी के नंगे बदन से खेल रहे थे उसकी बड़ी बड़ी गांड तो अपनी दोनों हथेली में भर भर कर दे पा रहे थे यह देखकर सुरज की हालत खराब हो रही थी सुधियां काकी के साथ उसने केवल संभोग भर किया था संभोग से जुड़े क्रियाकलापों को वह बिल्कुल भी ना तो किया था और ना ही उसके बारे में कुछ जानता था अपने ही मामा से वह धीरे धीरे सीख रहा था कि एक औरत के जिस्म से कैसे खेला जाता है,,,, अपनी मामी की मदहोशी और अपने मामा की मस्ती को देख कर सुरज समझ गया था कि इन क्रियाकलाप होने आदमी और औरतों में को बेहद आनंद की अनुभूति होती है और वह इस क्रिया से वंचित नहीं होना चाहता था वह,, वह संभोग की हर एक क्रिया से हर एक क्रीडा से अवगत होना चाहता था उसकी मस्ती को अपने अंदर महसूस करना चाहता था इसलिए तो अपने अंदर और ज्यादा उत्तेजना को महसूस कर रहा था,,,,।

सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि इस समय उसने जो सोचा नहीं था वह हो रहा था वह अपनी मामी को बेहद संस्कारी औरत समझता था लेकिन उसका यह भ्रम धीरे-धीरे टूटता चला जा रहा था और जो उसकी आंखों ने इस समय देख रही थी उसी से तो उसका दिमाग एकदम सन्न रह गया था उसके मामा खटिया पर पीठ के बल लेटे हुए थे और उसकी मामी अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बड़ी बड़ी गांड उसके मामा के मुंह पर रख दी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके मामा इसी पर का इंतजार कर रहे थे जैसे ही उसकी बड़ी-बड़ी उसके मामा के चेहरे पर हुई वैसे ही उसकी मामी की बुर में उसके मामा की जीभ ने प्रवेश कर दिया और चाटना शुरू कर दिया,,,इस नजारे को देखकर तो सुरज हक्का-बक्का रह गया उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था उसके मामा उसकी मामी की बुर को चाट रहे थे और वह भी एक दम मजे लेकर,,, सुरज अपनी मामी के चेहरे और उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को देख रहा था जोकि पपाया की तरह तनी हुई थी,,,, अपनी मामी के चेहरे पर बदलते भाव संतुष्टि के भाव और मदहोशी भरी रेखाएं देखकर इतना तो समझ गया था कि इस क्रिया में उसकी मामी को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है,,,,।


चाटो राजा जोर जोर से चाटो,,,आहहहह,,सहहहहंं,,,, आहहहहहहह,,, मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है,,,(ऐसा कहते हुए वह अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल गोल चेहरे पर घुमाने लगी,,,। सुरज तो अपनी मामी और अपने मामा की हरकत को देखकर पूरी तरह से मस्त हो चुका था बड़ी-बड़ी गांड को उसके मामा बड़े आराम से झेल रहे थे यह देख कर सुरज और ज्यादा मदहोश होने लगा था,,,,,,अपनी मामी की हरकत को देखकर सुरज को यही लग रहा था कि अगर उसका बस चलता तो शायद मैं उसके मामा को अपनी बुर की अंदर घुसेड लेती,,,, सुरज इस बात से हैरान था कि दिन में अपनी मामी को देखने पर उसे ऐसा कभी भी नहीं लगा था कि रात के अंधेरे में उसकी मामी इतनी ज्यादा मस्त औरत हो जाती है,,,,अगर यह बात किसी और के मुंह से सुना होता तो शायद सुरज के लिए यकीन कर पाना मुश्किल था लेकिन वह अपनी आंखों से देख रहा था इसलिए इसे झुठलाया भी नहीं जा सकता था,,,, अपनी मामी को इस तरह से अपनी बुर चटाता देखकर सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी और वहां अपनी मुट्ठी को अपने लंड पर और ज्यादा कस्ता चला जा रहा था यह देखकर मंजू को लगने लगा था कि कमरे के अंदर जरूर चुदाई शुरू हो गई है,,,।


मंजू खटिया पर से उठ कर धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी थी सुरज को इस बात का अहसास तक नहीं था,,, वह तो अपनी ही मस्ती में मस्त था,,, मंजू को अपने अरमान पूरे होते नजर आ रहे थे जवानी की दहलीज पर हो कब से कदम रख चुकी थी लेकिन दोनों टांगों के बीच का रास्ता किसी राहगीर ने अभी तक तय नहीं कर पाया था क्योंकि मंजू ने इस रास्ते पर प्रवेश निषेध का शामियाना जो तान दी थी हालांकि अब उसमें प्रवेश करने का रास्ता व खुद बना चुकी थी और उसे उस रास्ते पर प्रवेश करने वाला राहगीर भी मिल चुका था ,,, बगल वाले कमरे का कामोत्तेजक नजारेसे तो मंजू भलीभांति परिचित थे लेकिन कमरे के अंदर के इस नजारे को देखकर उसके होश उड़ गए थे उसकी उत्तेजना सब्र के बंधन में बदला नहीं चाहती थी वह किसी पक्षी की तरह पंख फैलाए आसमान में उड़ना चाहती थी,,, इसलिए तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी क्योंकि उसे अपनी मंजिल सामने नजर आ रही थी,,, मंजू मन में ठान चुकी थी कि आज की रात ही वह अपनी दोनों टांगों के बीच का प्रवेश द्वार खोल देगी ताकि उसमें उसके पहचान राहगीर जाकर अंदर की स्थिति का जायजा ले सकें,,,,


सुरज अपनी मस्ती में पूरी तरह से खोया हुआ था और देखते-देखते धीरे-धीरे मंजू उसके बेहद करीब पहुंच गई उसके ठीक पीछे खड़ी होकर वह धीरे से उसके कान में बोली,,,,।


क्या देख रहा है सुरज,,,,?
(पहले तो सुरज के कानों में जूं तक नहीं रेंगी,,,, मंजू समझ गई कि कमरे के अंदर अपने मामी-मामा की गरमा गरम चुदाई देखकर पूरी तरह से बहक गया है इसलिए अपने होठों पर हल्की मुस्कान लाते हुए फिर से धीरे से बोली,,,)

क्या देख रहा है सुरज,,,?

(जैसे ही उसके कानों में यह शब्द पड़े उसके तो होश ही उड़ गए वह एक झटके से चमकते हुए पीछे की तरफ देखा तो पीछे उसकी मौसी मंजू खडी थी उसकी हालत एकदम से खराब हो गई,,,, काटो तो खून नहीं उसका शरीर पूरा जम गया हालांकि अभी भी धीरे-धीरे उत्तेजना के कारण वह अपने लंड को हिला रहा था यह देख कर मंजू अपने मन में ही बोली कि यही लड़का मुश्किल जवानी की गर्मी को शांत करेगा,,,,,,)



बताना क्या देख रहा है,,,, और यह खडा क्यों है,,,(लंड की तरफ देखते हुए बोली सुरज एकदम से सहम गया गया जब उसकी मौसी उसके खडे लंड की तरफ देखते हुए बोली सुरज को अपनी स्थिति का भान हुआ उसका पजामा घुटनों तक नीचे सरका हुआ था और वह अपने लंड को मुठीया रहा था,,, जैसे ही उसे अपनी स्थिति का भान हुआ अपना हाथ पीछे खींच लिया और इस मौके का फायदा उठाते हुए मंजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके खड़े हैं अपनी मुट्ठी में अपनी नरम नरम हथेली में दबोच ली और बोली,,,)

बाप रे कितना बड़ा और कितना गर्म है,,,,(ऐसा कहते हो वह है सुरज के लंड़ को बिना छोड़े बोली,,,,,,,सुरज तो एकदम मस्त हो गया हालांकि उसे डर भी लग रहा था लेकिन अपनी मौसी की नरम हथेली का स्पर्श अपने लंड पर महसूस करते ही वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,, पल भर में ही सुरज की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी मंजू उस छोटे से छेद की तरफ नजर घुमाते हुए बोली,,)

देखु तो जरा तु अंदर क्या देख रहा है,,,


ककककक,,, कुछ नहीं मौसी,,,,(सुरज घबराते हुए कांपते स्वर में बोला,,,,, लेकिन मंजू ने उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए उस छोटे से छेद में अपनी आंखों को घटा दी क्योंकि वह जानती थी कि अंदर क्या चल रहा होगा,,, और अंतर नजर करते ही उसे अपनी भाभी नजर आई जो कि उसके भैया के चेहरे पर अपनी गांड लग रही थी,,, यह देखते ही वह पूरी तरह से मदहोशी से भर गई,,,। उत्तेजना के मारे वह जोर से सुरज का लंड दबा दी जिससे सुरज की आह निकल गई,,,, और वह मजे लेते हुए बोली,,)

सुरज अंदर का नजारा तो बहुत ही गर्म है,,,,, तेरी मामी अपनी बड़ी-बड़ी गांड तेरे मामा के चेहरे पर रगड रही है और तेरे मामा अपनी जीभ निकालकर तेरी मामी की बुर चाट रहे हैं,,,।

(अपनी मौसी के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर सुरज की तो हालत खराब हो गई उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी वह कुछ कहने के लायक बिल्कुल भी नहीं था)

तो तु यही देख रहा था ना अपने मामी मामा की चुदाई,,, मजा आ रहा है देखने में,,,, सच कहूं तो मुझे भी बहुत मजा आ रहा है तू डर मत मैं तुझसे कुछ नहीं कहूंगी,,,(मंजू और छोटे से छेद में नजरें गड़ाए हुए ही बोली और सुरज की तरफ नहीं देख रही थी खाना कि उसका लंड अभी भी मंजू के हाथ में ही था अपनी मौसी की बात सुनकर सुरज को थोड़ी राहत महसूस होने लगी,,,,,, सुरज समझ गया कि उसकी मौसी उसे कुछ कहेगी नही,,, वह खामोश खड़ा रहा बस अपनी मौसी की प्रतिक्रिया का आनंद लेता रहा,,, मंजू अपने भैया और भाभी की काम क्रीड़ा को देख रही थी मंजू को अपनी भाभी की हरकत बेहद लुभावनी लग रही थी वह भी चाहती थी कि इसी तरह से कोई उसकी भी बुर चाटे,,,,क्योंकि वह खुद महसूस करना चाहती थी कि औरतों को अपनी बुर चटवाने में किस तरह की आनंद की प्राप्ति होती है,,,,,,,।


देख सुरज तेरी मामी कितनी मस्त औरत है,,, कितनी बेशर्म है,,,, कैसे अपनी दोनों टांग खोल कर अपनी बड़ी बड़ी गांड तेरे मामा के मुंह पर रगड रही है,,,, तेरे मामा को तो बहुत मजा आ रहा होगा,,,,। (मंजू यह कहते हुए अपने हाथ में सुरज के लंड को कस के पकड़ कर आगे पीछे हिलाते हुए अपनी आंखों को हटाकर सुरज की आंखों को इस खेत पर लगाते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)


देख सुरज,, कितना मस्त नजारा है,,, देख तू भी देख,,,,,, देखना कैसे तेरी मामी की बुर में तेरे मामा का लंड जाएगा,,,।

(अपनी मौसी की बात सुनकर सुरज फिर से उस नजारे को देखकर उसका लुफ्त उठाने लगा,,,, सुरज अपनी मामी को बड़े गौर से देख रहा था उसकी मामी के चेहरे का भाव पल-पल बदल रहा था,,,। बिखरे हुए बाल से उत्तेजना के मारे माथे से पसीना टपक रहा था आंखें बंद थी लाल लाल होंठ खुले हुए थे और उसके दोनों खरबूजे रबड़ की गेंद की तरह उछल रहे थे,,,,,, टांगों के बीच हल्के हल्के बाल सुरज को साफ़ नजर आ रहे थे उसकी दोनों गुलाबी पत्तियां खुली हुई थी जिसमें उसके मामा की जीभ अंदर बाहर हो रही थी,,, यह नजारा सुरज के लिए असहनीय होता जा रहा था और मंजू अपनी हरकतों से उसके बदले में उत्तेजना की आग को और ज्यादा भड़का रही थी,,, थोड़ी ही देर में उसकी मामी अपनी स्थिति को बदलने लगी शायद अब समय आ गया था लंड को बुर में लेने का,,, वह अपनी स्थिति को बदलती इससे पहले मंजू सुरज को हटाते हुए उस छेद मैं अपनी आंख को गडा दी अंदर चुदाई शुरू होने वाली थी,,, रूपाली कुछ ही पल में खटिए पर पीठ के बल लेट गई और रविकुमार उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया वह अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए आगे बढ़ रहा था और मंजू यही नजारे को सुरज को दिखाना चाहती थी कि कैसे एक औरत की चुदाई की जाती है कैसे उसकी बुर में लंड डाला जाता है मंजू को नहीं लग रहा था कि सुरज इस ज्ञान से अनजान है इसलिए आगे बढ़ने से पहले उसे सिखाना जरूरी है लेकिन वह कहां जानती थी कि सुरज संभोग के प्रकरण की शुरुआत कर चुका है सुधियां काकी की बार २ बार चुदाई कर चुका है और उसे अच्छी तरह से मालूम है कि चोदने के लिए लंड को कहां डाला जाता है,,,,। फिर भी मंजू एक बार फिर से सुरज की आंखों को वापस उस छेद से लगाते हुए बोली,,,।)

देख सुरज अब कैसे तेरा मामा तेरी मामी की बुर में लंड डालेगा ,,,
(अंदर का नजारा तो सुरज को गर्म कर ही रहा था उस पर मंजू की अश्लील बातें आग को और ज्यादा भड़का रही थी,,,सुरज अंदर के नजारे को देखकर और ज्यादा गरम हो रहा था क्योंकि इससे मैं उसके मामा उसकी मामी की बुर में लंड डालने की तैयारी कर चुके थे सुरज की नजरें उसके मामा के लंड पर टिकी हुई थी जो कि उसके हाथ में थी वह अंदर का नजारा देखते हुए ही अपनी मौसी से बोला,,)

मामा से बड़ा तो मेरा है,,,
(सुरज के मुंह से यह बात सुनते ही मंजू की हालत खराब होने लगी क्योंकि उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि सुरज अपने लंड़ की तुलना अपने मामा के लंड से करेगा,,,, लेकिन जो कुछ भी सुरज कह रहा था उसमें सत प्रतिशत सच्चाई थी,,,, मंजू यह बात भली-भांति जानती थी,,, सुरज की बातें सुनकर मंजू बोली,,,)

तुझे कैसे मालूम,,,


सामने दिखाई तो दे रहा है मौसी,,,,


तो क्या तु अपने मामा से भी अच्छा चुदाई कर लेगा,,,।

हां कर लूंगा,,,( अंदर के नजारे को देखकर सुरज एकदम गरम होता हुआ बोला,,,)


अगर तेरी मामी को चोदना हुआ तो,,,
(मंजू के मुंह से यह बात सुनते ही सुरज आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगा लेकिन बोला कुछ नहीं मंजू मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, मंजू यह बात केवल उसकी उत्तेजना को परखने के लिए बोली थी और देखना चाहती थी कि और कितना उत्तेजित है जो कि वह काफी उत्तेजित भी था लेकिन उसकी ही मामी की बात करके मंजू या देखना चाहती थी कि वास्तव में वह अपनी मामी के बारे में क्या सोचता है लेकिन वह अपनी मामी के बारे में सुनकर कुछ बोला नहीं और मंजू यही समझने लगी कि अगर मौका मिले तो वह अपनी मामी की भी चुदाई कर देगा,,,। इस बात से मंजू भी अपने अंदर उत्तेजना का तूफ़ान उठता हुआ महसूस करने लगी उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,, आखिरकार उसका पसंदीदा हथियार जो उसके हाथ में था वह लगातार सुरज के दिल को हिला रहे थे जो कि उसके हथेली में लोहे के रोड की तरह लग रहा था मंजू को भी बहुत मजा आ रहा था सुरज के लंड को हीलाने में,,, सुरज उत्तेजना के मारे अपने सुख के गले को अपने हाथों से खिला करते हुए वापस उस छेद से अंदर की तरफ देखने लगा क्योंकि उसकी मामी की चुदाई होना प्रारंभ हो चुका था उसका मामा जोर जोर से धक्के लगा रहा था उधर के साथ उसकी मामी की खरबूजे जैसी चूचियां उसकी छाती पर लहरा उठती थी,,,,,,, सुरज को बिना हटाए मंजू भी उसी छेद से अंदर की तरफ देखने लगी,,, मंजू और सुरज एक साथ बगल के कमरे में चुदाई के दृश्य को देखकर गरम हो रहे थे,,, सुरज की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि वह एक खूबसूरत लड़की जो कि उसकी मौसी थी उसके साथ चुदाई के दृश्य को देखकर आनंद ले रहा था इस वजह से उसकी उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,,।उत्तेजना के मारे सुरज का हाथ खुद-ब-खुद मंजू के नितंबों पर आ गया उसकी नरम नरम गांड का स्पर्श पाते ही सुरज की हालत खराब हो गई और बाहर उत्तेजना बस अपनी मौसी की गांड को अपनी हथेली में जोर से दबोच लिया सुरज की हरकत को देखकर मंजू एकदम से मदहोश हो गई क्योंकि पहली बार किसी मर्दाना हाथों का स्पर्श वह अपने गांड पर महसूस कर रही थी उसे बहुत ही ज्यादा उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,, सुरज की हरकत की वजह से उसकी भी सांस ऊपर नीचे हो गई थी,,,।

मंजू को यही मौका ठीक लग रहा था आगे बढ़ने के लिए आज वह अपने मन की मुरादे पूरी कर लेना चाहती थी,,, अपनी उफान मारती जवानी को आज वह सुरज के हाथों में सौंप देना चाहती थी मंजू को सुरज के लंड पर पूरा विश्वास था उसकी लंबाई मोटाई को देखकर मंजू को इस बात का अहसास हो गया था कि अगर सुरज का लंड उसकी बुर में एक बार जाएगा तो तहलका मचा कर ही वापस निकलेगा,,,


बगल वाले कमरे में मंजू के भैया भाभी की चुदाई बड़े जोरों से चल रही थी और वही चुदाई के दृश्य को देखकर दोनों गरम हो रहे थे मंजू समझ गई थी कि सुरज भी चुदाई के इस खेल का मजा लेने का इच्छुक है वरना,,, वह इस तरह से अपनी मौसी के साथ अपनी ही मामी और मामा की चुदाई को ना देखता,,,, सुरज अभी भी अपनी मौसी की गांड को जोर जोर से दबा रहा था और मंजू की हालत खराब हो रही थी उसकी सांसे गहरी चलने लगी थी दोनों मजा ले रहे थे मंजू के हाथों में सुरज का लंड था और सुरज की हथेली में मंजू की मदमस्त गांड थी,,,,। सुरज और मंजू एक दूसरे की तरफ आंख में आंख डालकर देखने लगे,,, दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थी,,,, मंजू के गुलाबी गाल शर्म से लाल हो चुके थे और उसके होंठ रस बरसा रहे थे,,,,सुरज का मन अपने होठों को अपनी मौसी के होठों पर रखने का बहुत मन कर रहा था लेकिन उसे ना जाने क्यों डर भी लग रहा था,,,, मंजू इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी,,,,,, इसलिए इस खेल में वह खुद पहल करना चाहती थी,,, इसलिए जो खयाल सुरज के बारे में आ रहा था वह खुद मंजू अपने होठों को आगे रखकर सुरज के होठों पर और चुंबन करने लगी,,,।

अद्भुत अतुल्य,, रस से भरा हुआ यह चुंबन दोनों के तन बदन में आग लगाने के बाद दोनों एक दूसरे में खोने लगे दोनों को और भी प्यासा बना रहा था,,,। सुरज और मंजू दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी सुरज जोर-जोर से दोनों हाथों में भरकर मंजू की गुलाबी गांड को मसल रहा था,,,। मंजू उसे रोक नहीं रही थी वह तो बल्की खुश थी सुरज की हरकत की वजह से,,,, मंजू के अरमान पूरे होते नजर आ रहे थे,,, अपनी भैया भाभी की चुदाई को देखकर रोज तड़पती रहती थी लेकिन आज उसके यह तड़प मिटने वाली थी दोनों एक दूसरे के होठों को चूसते हुए एक दूसरे में खोते चले जा रहे थे,,,।

बगल वाले कमरे में अपने मामी-मामा की चुदाई देखने का अब सुरज के पास समय नहीं था क्योंकि इस कमरे में वह अपनी मौसी के साथ कामलीला रचाने जा रहा था,,, उसकी मौसी कितनी खूबसूरत और जवान है उसे आज पता चल रहा था,,,,, मंजू सुरज को कसके अपनी बाहों में दबोचे हुए थी जिसकी वजह से उसकी दोनों नारंगीया सुरज की छाती पर रगड़ खा रही थी,,,, और अपनी छाती पर चूची का घर्षण महसूस करके सुरज और ज्यादा गरम हो रहा था,,,।
 
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बेहद अद्भुत और अतुल नजारा था जिसके बारे में कभी सुरज ने हीं और ना ही कभी मंजू ने कल्पना की थी,,,,,, माहौल पूरी तरह से गर्मामी चला जा रहा था,,,

गर्मी का महीना चल रहा है लोग अपने अपने घरों में चैन की नींद सो रहे थे,,, लेकिन रविकुमार के घर में उसके परिवार में किसी को भी नींद नहीं आ रही थी एक कमरे में रविकुमार और उसकी बीवी एक दूसरे में समाने में लगे हुए थे उसके बगल वाले कमरे में मौसी और भांजे की काम लीला शुरू हो चुकी थी,,,, सुरज और मंजू के जीवन का यह पहला चुंबन था जिसमें दोनों खोते चले जा रहे थे,,। सुरज तो दो बार सुधियां काकी से चुदाई का सुख प्राप्त कर चुका था,,, सुधियां काकी को चोदने के बावजूद भी सुरज उसके खूबसूरत बदन से खेल नहीं पाया था उसकी चूचियों को दबा नहीं पाया था उसके होठों का रसपान नहीं कर पाया था इसलिए सुरज के लिए जीवन का पहला संभोग भले ही यादगार क्यों ना हो लेकिन अधूरा ही था और दूसरी तरफ मंजू की तड़पती जवानी पहली बार अपनी जवानी की गर्मी शांत करने के राह पर चल पड़ी थी उसके लिए एक मर्द का साथ उसकी गर्मी उसकी भुजाओं उसकी मर्दानगी का एहसास पहली बार था,,, इसलिए तो सुरज की बाहों में वह अपने आप को पिघलता हुआ महसूस कर रही थी जीवन का पहला चुंबन मंजू और सुरज दोने के लिए यादगार बनता चला जा रहा था,,,,

सुरज मंजू दोनों में से किसी को भी चुंबन का अभ्यास बिल्कुल भी नहीं था एक मर्द औरत को किस तरह से चुंबन करता है यह ना तो सुरज को पता था और ना ही मंजू को ही यह बस अपने आप होता चला जा रहा था और देखते ही देखते यह चुंबन एकदम प्रगाढ होता चला जा रहा है अपने मामा मामी की गरमा गरम चुदाई को देखकर सुरज अपने आपको संभाल नहीं पा रहा था,,,,,, मंजू की हथेली में सुरज का लंड और ज्यादा कड़क होता जा रहा था उसके कड़क पन को उसकी गर्मी को अपने हथेली में महसूस करके मंजू अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में से कुछ रिसता हुआ महसूस कर रही थी उसकी बुर गीली हो रही थी,, इस बात का एहसास मंजू को और ज्यादा मदहोश कर रहा था ,,,सुरज भी अपनी मौसी मंजू की गांड को धीरे-धीरे दोनों हाथों से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया उसे अपनी मौसी की गांड दबाने बहुत मजा आ रहा था,,,
बेशक सुधियां काकी की गांड मंजू के गांड से बहुत ज्यादा बड़ी थी लेकिन वह सुधियां काकी की गांड को अपने हाथों से पकड़ कर उसके साथ खेल नहीं पाया था लेकिन वह कभी वह अपनी मौसी की गांड से खेल कर पूरी करना चाहता था भले ही वह सलवार के अंदर थी लेकिन उसका नरम नरम एहसास उसे और ज्यादा दीवाना बना रही थी,,,,,,। सुरज के लिए यह पहला एहसास था जब वहां जवानी के उम्र में किसी जवान लड़की की गांड को अपने दोनों हाथों से थामे हुए था और वह भी अपनी खुद की सगी मौसी की यह एहसास उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,,,,,


दोनों की हालत को देखकर ऐसा लग रहा था कि अब कमरे के छोटे से छेद के जरिए अंदर झांकने का कोई मतलब नहीं रह गया है क्योंकि दोनों अपने आप ही उसी खेल को शुरू कर दिए हैं जो कि बगल वाले कमरे में खेला जा रहा था,,,, मंजू की हालत खराब थी शर्म के मारे उसके गाल गुलाबी होते जा रहे थे उत्तेजना और शर्म दोनों उसकी हालत को पल पल खराब करते चले जा रहे थे,,,,,, जो कार्य सुरज सलवार के ऊपर से कर रहा था मंजू चाहती थी कि सुरज यही कार्य उसके सलवार उतार कर करें,,,, लेकिन सुरज पहल करेगा कि नहीं इस बारे में उसे उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी मंजू सुरज के लंड के कड़क पन की गर्मी में पिघलती चली जा रही थी धीरे-धीरे मदन रस उसकी सलवार को भीगो रहा था,,,,, एक दूसरे के होठों को चूमने और चाटने में अच्छा खासा समय व्यतीत कर चुके थे,,, मंजू आगे बढ़ना चाहती थी,,, इसलिए वह अपने होठों को सुरज के होठों से अलग करते हुए बोली,,,।


सुरज जो खेल तेरी मामी और तेरे मामा खेल रहे हैं क्या तु वही खेल खेलना चाहता है,,,(अपनी उखडती सांसो को दुरुस्त करते हुए मंजू बोली,,,)


लेकिन किसके साथ,,,,(सुरज आश्चर्य से लेकिन जानबूझकर बोला क्योंकि अब उसके मामा-मामी किस तरह का खेल खेल रहे थे उसका जान चुका था और वह खेल का सुधियां काकी के साथ खेल भी चुका था,,, सिर्फ वह अनजान बनते हुए बोला,,,)

अरे बुद्धू मेरे साथ ,,, और किसके साथ,,,,


क्या मैं तुम्हारे साथ खेल सकता हूं,,,,


बिल्कुल खेल सकता है लेकिन इस बारे में किसी को बताना नहीं,,,,



नहीं मौसी किसी को भी नहीं बताऊंगा,,,,,,(सुरज उत्सुकता दिखाते हुए बोला सुरज अनजान नहीं था वह सब कुछ जानता था सिर्फ अनजान बनने का नाटक कर रहा था वह तो खुद ही इस खेल को खेलने के लिए उतावला हुआ जा रहा था उसे मौका मिलता तो वह बगल वाले कमरे में अपने मामा की जगह लेते हुए अपनी मामी की चुदाई कर दिया होता क्योंकि अपनी मामी का गदराया बदन देखकर वह कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव करता था,,,,।)


तो चल अपनी कपड़े उतार कर नंगा हो जाए क्योंकि इस खेल को खेलने के लिए कपड़े उतारना पड़ता है देखा ना तु कैसे तेरे मामा को तेरी मामी कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई थी,,,,,

(सुरज के लिए यह बताने वाली बात नहीं थी वह अच्छी तरह से जानता था इस खेल को खेलने के लिए क्या करना पड़ता है वह मंजू की आज्ञा पाते ही कपड़े उतार कर नंगा हो गया मंजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी सुरज का कसरती बदन देखकर मंजू कीमत मस्त जवानी अंगड़ाई लेना शुरू कर दी थी सुरज के लंड के दर्शन तो वह पहले ही कर चुकी,,, थी,,,। लेकिन उसे संपूर्ण रूप से नंगा देखने का सौभाग्य उसे अब जाकर प्राप्त हुआ था ,,,। चौड़ी छाती गठीला बदन उसपर दोनों टांगों के बीच लटकता हुआ खंजर देखकर मंजू की बुर पानी छोड़ रही थी,,,,,, सुरज का जवान शरीर देखकर मंजू से रहा नहीं गया और वह सुरज की तारीफ करते हुए बोली,,,।)


बाप रे कपड़ा उतारने के बाद तू इतना खूबसूरत लगता है यह तो मुझे आज पता चला,,, सच में तू अब एकदम जवान हो गया है,,,।( मंजू ललचाए आंखों से सुरज को ऊपर से नीचे देख रही थी,,,। सुरज उसी तरह से खड़ा था एकदम नंगा आंखों में थोड़ी बहुत शर्म बाकी थी इसलिए नजरों नीचे किए हुए था लेकिन मन में अरमान मचल रहे थे,,,,, वह अपनी मौसी के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ गया था उसकी मौसी उसके मामी मामा की तरह खेल खेलना चाहती थी जिसका मतलब साफ था कि वह चुदवाना चाहती थी,,,। सुरज इस बात से और ज्यादा उत्साहित था कि वह आज अपनी मौसी को चोदेगा,, वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मौसी की अभी शादी नहीं हुई है इसका मतलब साफ था कि उसके पति से पहले उसकी मौसी की चुदाई वह करेगा इस सुख से वह पूरी तरह से अवगत होना चाहता था,,,,,, इसीलिए तो उत्सुकता के कारण उसका लंड खड़ा था और ज्यादा कड़क और मोटा हो चुका था मंजू की आंखें बार-बार सुरज के खड़े लंड पर पहुंच जाती थी जिसे देखते ही उसके तन बदन में झुर्झुरी सी फेल जाती थी,,,। सुरज का मोटा और लंबा लंड मंजू की दोनों टांगों के बीच हलचल मचा रही थी मंजू का मन सुरज के लंड को देखकर,,, मंजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, वह जल्द से जल्द सुरज के लंड से खेलना चाहती थी उसकी गरमाहट को अपने अंदर महसूस करना चाहती थी,,, वह चाहती तो एक झटके में ही सुरज के लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी प्यास को भुजा सकती थी लेकिन वहां इतनी जल्दबाजी दिखाना नहीं चाहती थी जिस तरह से वह अपने भैया और भाभी की गरमा गरम चुदाई को देखते आ रही थी वह जानती थी कि धीरे-धीरे ही आगे बढ़ने में मजा आता है,,,,, आज की रात मंजू की रात थी उसकी जिंदगी की आज एक नई शुरुआत होने जा रही थी शादी से पहले ही वह आज संभोग सुख का स्वाद चखने जा रही थी जिसमें किसी भी प्रकार की आपत्ती दोनों को नहीं थे दोनों जवान थे दोनों के अपने अरमान थे,,, दोनों में से कोई भी इस पवित्र रिश्ता के बीच के इस गंदे खेल को खेलने से रोक नहीं रहा था मौसी और भांजे के बीच जिस्मानी ताल्लुकात की पहली कड़ी दोनों ने पार कर चुके थे,,,,एक दूसरे के अंगों से खेल कर दोनों ने मन ही मन में आगे बढ़ने की हामी भर दी थी,,,,,,।


सुरज इस समय मंजू की आंखों के सामने एकदम नंगा खड़ा था मंजू सुरज को देख कर उसके बदन की बनावट को देखकर उसके गठीले बदन के साथ-साथ उसके मर्दाना ताकत से भरे अंग को देखकर पूरी तरह से उसकी दीवानी हो गई थी,,,, सुरज कुछ बोल नहीं रहा था लेकिन अपनी मौसी के सामने इस तरह से नंगा होकर खड़े होने में उसे अंदर ही अंदर उत्तेजना के साथ-साथ मदहोशी का एहसास हो रहा था,,, क्योंकि अपनी मौसी की मदमस्त जवानी और उसकी कामुक हरकत की वजह से,,, उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ गया था,,,, वह खुद जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मौसी की बुर में डाल देना चाहता था क्योंकि सुधियां काकी के साथ संभोग के अध्याय से इतना तो वो सीख ही गया था की चुदाई कैसे करते हैं,,,,,,, इसी हालात की वजह से उसका दिल जोरों से धड़क रहा था बगल वाले कमरे में उसकी मामी एकदम खुलकर चुदाई का मजा ले रही थी जिसकी हल्की-हल्की सिसकारी की आवाज सुरज के कानों में पहुंच रही थी और यही आवाज मंजू भी सुन रही थी जिसकी वजह से उसकी भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी मंजू जवानी में कदम रखते ही अपने बदन की गर्मी को शांत करने के लिए तड़प रही थी वह प्यासी थी उसके सामने कुंआ था लेकिन अपनी प्यास बुझाने के लिए कुएं के पास खुद जाना पड़ता है ना कि कुआं पास में आता है इसलिए मंजू बिना अपने कपड़ों को उतारे सुरज की तरफ आगे बढ़ी और सुरज की आंखों में देखते हुए उसके खड़े लंड को पकड़ कर मुस्कुरा दी,,,,मंजू की मुस्कुराहट सुरज के तन बदन पर उत्तेजना की छुरियां चला रहा था सुरज से रहा नहीं जा रहा था उसे लग रहा था कि वह अपने कपड़े उतार कर उसके लंड को अपनी बुर में डलवा लेगी,,,,, लेकिन शायद वह नहीं जानता था कि उसकी मौसी उसके मामा मामी की गरमा गरम चुदाई देखकर उनसे बहुत कुछ सीख गई है,,,। इसलिए वह अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गई सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मौसी क्या करने वाली है लेकिन तभी मंजू अपनी जीभ को हल्के से निकालकर जीभ के पोर सुरज के लंड कै सुपाड़े को स्पर्श करने की कोशिश करने लगी,,,, या आभास होते ही सुरज के दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चलने लगी,,,, मंजू की भी हालत खराब थी वह देखना चाहती थी कि वाकई में मर्द के लंड को मुंह में लेने से उसे चाटने से औरत को कितना मजा आता है,,,उसे इस बात का अहसास अच्छी तरह से था कि उसकी भाभी को यह क्रिया करने में बहुत मजा आता था और उसके भैया को भी,,,


आप दोनों तरफ बराबर की लगी थी मंजू की हरकत से सुरज को इस बात का आभास हो गया था कि उसकी मौसी,,,
उसके लंड के साथ अपने मुंह से कुछ हरकत करने वाली है मंजू कि सासे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी जीभ लपलपा रही थी,,,। मंजू जल्द से जल्द सुरज के लंड को अपनी जीभ से चाटना चाहती थी लेकिन लंड चाटने के एहसास से वह अपने तन बदन में अजीब सी हलचल महसूस कर रही थी,,,, क्योंकि लंड से पेशाब किया जाता है और ऐड को मुंह में लेना कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन फिर भी वह इसके लिए लालायित थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, आखिरकार बदन में कपकपी के एहसास के साथ मंजू अपनी जीभ को सुरज के लंड के सुपाड़े पर स्पर्श करा दी,,,,,,।


सहहहहह आहहहहहहहहह,,,,,एकदम से सुरज के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज निकल गई यह पल उसके लिए बेहद अद्भुत और सुख से भरा हुआ था उसने कभी इस पल की कामना नहीं किया था और अपनी मौसी से तो यह उम्मीद उसे बिल्कुल भी नहीं थी पहली बार उसके लंड पर किसी औरत के जीभ का स्पर्श हो रहा था,,, सुरज अपनी सांसो को लंबी खींचने लगा पहले तो मंजू को यह स्पर्श थोड़ा अजीब लगा लेकिन वह मदहोश हो चुकी थी इसलिए धीरे-धीरे करके वह सुरज के संपूर्ण सुपाड़े पर अपनी जीभ फेरने लगी,,, देखते ही देखते मंजू को मजा आने लगा उसे अपनी हरकत पर खुद ही शर्म तो आ ही रही थी लेकिन एक अद्भुत सुख का अहसास भी हो रहा था,,,, हालांकि वह अभी तक सिर्फ सुपाड़े को ही चाट रही थी उसे पूरी तरह से मुंह में ले रही थी,,,,,


सुरज की हालत बिल्कुल खराब हो चुकी थी वह गहरी गहरी सांसे ले रहा था उसका लंड फूल पिचक रहा था जिस तरह की हरकत से मंजू ने सुरज के तन बदन में आग लगाई थी सुरज पूरी तरह से मदहोश हो चुका था सुरज का मन कर रहा था कि इसे समय उसकी मौसी को पटक कर उसकी चुदाई कर दे लेकिन इस खेल में उसे भी मजा आ रहा था इसलिए वह भी सब्र किए हुए था,,,, मंजू धीरे-धीरे अपनी भाभी से सब कुछ देख देख कर ही सीख चुकी थी वह जानती थी कि लंड को पूरी तरह से मुंह में लिया जाता है इसलिए धीरे-धीरे अपना मन कड़क करके वह सुरज के कड़क लंड को मुंह में लेना शुरू कर दी,,,, लंड का स्वाद मंजू को कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन फिर भी वह धीरे-धीरे करके सुरज के बड़े लंड को अपने मुंह में गले तक ले ली सुरज एकदम से स्तब्ध रह गया,,,, उसे सुधियां काकी याद आने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि सुधियां काकी इतनी परीपकव और उम्र दराज होने के बावजूद भी,,, इस तरह का सुख नहीं दे पाई थी जिस तरह की हरकत मंजू करके दे रही थी,,,, मंजू एकदम जवान थी जवान की अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी और ऐसे में औरत और मर्द के बीच के इस खेल का इतना अनुभव ,,,, सुरज के समझ के बाहर था,,, वह समझ नहीं पा रहा था कि उसकी मौसी यह सब कहां से सीखी,,,,,,,,

देखते ही देखते मंजू अपनी भाभी की नकल करते हुए सुरज के लंड को पूरा गले तक लेकर उसे बाहर निकाल देगी और वापस उसे फिर से अंदर ले जाती थी,,, ऐसा करने से सुरज का लंड पूरी तरह से मंजू के थुक में सन गया,,,, सुरज के ऊपर पूरी तरह से मदहोशी छा चुकी थी,,, वह इसे हल्के अपनी कमर को आगे पीछे करके ही लाना शुरू कर दिया था सुरज की यह हरकत मंजू के तन बदन में भी आग लगा रही थीं,,, एक तरह से सुरज अपने लंड को उसकी बुर में नहीं उसके मुंह में डालकर चुदाई कर रहा था,,। सुरज का हाथ अपने आप मंजू के सर पर पहुंच गया और वह उसके रेशमी बालों में अपनी उंगली घुमाने लगा,,,,।


आहहहहह,,,, मौसी,,,, बहुत मजा आ रहा है मौसी कहां से सीखी तुम यह सब,,,,,


तेरी मामी से ही सीखी हुं,,,(लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल कर बोली और वापस फिर से मुंह में ले ली,,, अपनी मामी का जिक्र इतने गंदे काम में होता देखकर सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई वह अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया,,,,, मदहोशी के आलम में वह मंजू के मुंह को उसकी बुर समझ रहा था,,,,
देखते ही देखते सुरज का लंड पूरी तरह से मंजू के थुक में सन गया जिसकी वजह से उसके मुंह से चप चप की आवाज आना शुरू हो गया,,, मानो उसकी बुर की चुदाई हो रही हो,,,,


लंड को मुंह में लेकर चूसने में कितना मजा आता है मंजू को इस बात का अहसास अब हो रहा था वरना वह छोटे से छेद में से अपनी भाभी को इस तरह की हरकत करती देख कर उसे थोड़ा सा घिन्न महसूस होता था,,,। लेकिन आज हकीकत में खुद भी लंड को मुंह में लेकर की तरह के सुख की अनुभूति व कर रही थी वह उसे बयां नहीं कर सकती थी,,,। कुछ देर तक मंजू इसी तरह से सुरज के लंड को मुंह में लेकर चुसती रही,,,,। और फिर सुरज के लंड को मुंह से बाहर निकालकर वह सुरज की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी,,,, सुरज भी जवाब में अपनी मौसी की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया,,, लेकिन उसका और मन कर रहा था मुंह में लंड देने का लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाया उत्तेजना के मारे उसकी कमर अभी भी आगे पीछे हो रही थी जो कि बार-बार उसका खड़ा लंड लार टपकाता हुआ मंजू के गुलाबी गाल पर स्पर्श कर रहा था,,,, मंजू धीरे से खड़ी हुई उसे महसूस हो रहा था कि उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी है,,वह, गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।


आज देखना इस खेल में हम दोनों को कितना मजा आएगा,,,,(मंजू गहरी सांस लेते हुए बोली,,,, सुरज अपनी मौसी की बातें सुन कर मुस्कुरा रहा था और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर हिलाने लगा था,,,, यह नजारा बेहद अद्भुत था कामुकता से भरा हुआ,,,,,,,)


मौसी मुझे तो तुम नंगा कर दी लेकिन अभी भी तुम कपड़े पहने हुए हो तुम भी अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ,,,,(सुरज अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,, मंजू सुरज की बात और उसकी हरकत को देखकर पूरी तरह से उस पर मोहित हो गई,,,,,,)


अच्छा तो तु मुझे बिना कपड़ों के नंगी देखना चाहता है,,,


तो क्या हुआ मामा और मामी को देखकर तो इतना तो समझ में आता ही है कि इस खेल को खेलने के लिए हम दोनों को कपड़े उतारकर नंगा होना पड़ेगा मैं तो उतार चुका हूं लेकिन तुम अभी भी कपड़े पहनी हो,,,,,


एक ही रात में इस खेल के बारे में बहुत कुछ सीख गया है,,, चिंता मत कर मैं भी कपड़े उतार देती हूं,,,(मंजू मुस्कुराते हुए इतना कहने के साथ नहीं अपनी कमीज को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ सरकाने लगी,,, यह देखकर सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, देखते ही देखते मंजू अपनी कमीज को अपनी छाती तक उठा दी कमीज के अंदर उसने कुछ नहीं पहनी थी उसकी नंगी चूचियां अमरूद की तरह दम कड़क नजर आ रही थी जिसे देखते ही सुरज के मुंह में पानी आ गया,,,, चूची को मुंह में लेकर किया जाता है इस बारे में वह अपने पिताजी से ही सीखा था उसका भी मन कर रहा था कि वह अपनी मौसी को अपनी बाहों में भर कर उसकी चूची को मुंह में लेकर पिए लेकिन अपने आप पर सब्र किए हुए था देखते ही देखते उसकी मौसी ने अपनी कमीज को उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दी कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी अमरुद जैसी चूचियां सुरज को अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी,,,, कमीज को नीचे जमीन पर फेकने के बाद मंजू सुरज की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी वह जानती थी कि सुरज की नजर इस समय उसकी चुचियों पर है इसलिए वह खुद भी अपने दोनों हाथों से अपनी चूची को पकड़कर एक तरह से झकझोरते हुए बोली,,,।)


कैसी लगी मेरी चूचियां,,,,,(मंजू एकदम बेशर्म औरत की तरह बोल दी मंजू ऐसे बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन ना जाने क्यों आज की रात वह पूरी तरह से खुल जाना चाहती थी,,, सुरज की अपनी मौसी के मुंह से चुची शब्द सुनकर उत्तेजना से सिहर उठा था,,,, गहरी सांस लेते हुए बोला,,,)


बहुत खूबसूरत है मौसी मन तो कर रहा है कि इसे हाथों में लेकर जोर जोर से दबाऊ इसे मुंह में लेकर इसके रस को पी जाऊं,,,,।


आहहहहहह,,,सहहहहहहहहह,,,,, तो ले ले अपने हाथों में रोका किसने है,,,,(मंजू भी एकदम मदहोश होते हुए बोली,,,,,आज की रात दोनों के लिए बेहद अद्भुत अतुलनीय और बेहद हसीन थी जिस रात के बारे में उन दोनों ने शायद कल्पना ही की थी उसे हकीकत में जिया नहीं था लेकिन आज उस पल को भरपूर तरीके से मजा लेने का समय आ गया था,,,। सुरज भला इस आमंत्रण को कैसे ठुकरा सकता था,,, वह तो प्यासा था और मंजू मीठे पानी का कुआं थी,,,
मंजू कि दोनों चूचियां पहले से ही तड़प रही थी मर्दाना हाथों में जाने के लिए आज इसका शुभारंभ होने वाला था और वह भी सुरज के हाथों,,, मंजू इस बात से खुश थी कि उसकी जवानी का रस उसकी बड़ी बहन का लड़का ही पीने वाला था जिसमें बदनामी का डर बिल्कुल भी नहीं था,,,,।
 
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लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, कमरे के अंदर सुरज बिना कपड़ों के एकदम नंगा खड़ा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, ठीक उसके सामने जवानी से भरपूर मंजू खड़ी थी कमर के,,, उपर पूरी तरह से नंगी,,, जिसे देख कर ही सुरज के मुंह में पानी आ रहा था,,,,, मंजू को इस हाल में अगर कोई देख ले तो उसका खड़े खड़े पानी निकल जाए,,, मंजू एकदम जवान खूबसूरत गोरे रंग की लड़की थी,,, नाक नैन नक्श सब कुछ बेहद खूबसूरत था,,,
इसलिए तो सुरज को अब समझ में आया कि उसकी मौसी कितनी खूबसूरत हैक्योंकि अभी तक औरतों और लड़कियों को देखने का उसका नजरिया तुम कुल साफ था लेकिन अब उसका नजरिया बदल गया था इसलिए औरतों की खूबसूरती के मायने को वह अच्छी तरह से समझ गया था,,

कमरे के बीचो बीच खटिया के पास खड़ी मंजू अपनी मदमस्त कर देने वाले अमरूदों को दिखाकर सुरज को लुभा रही थी और सुरज अपनी मौसी की रस से भरी चुचियों को देखकर मस्त हुआ जा रहा था उसके मुंह में पानी आ रहा था और लंड था कि उत्तेजना के मारे आहें भरता हुआ मुंह ऊपर की तरफ उठा ले रहा था,,,,,,,,, सुरज का मन आगे बढ़ने को कर रहा था लेकिन ना जाने क्यों उसके मन में थोड़ा डर भी था जो कि सबकुछ साफ हो चुका था दोनों एक दूसरे से प्यार करने के लिए तैयार हो चुके थे काम क्रीड़ा का खेल खेलने के लिए तैयार हो चुके थे फिर भी सुरज की आंखों के सामने उसकी मौसी थी,,, इसलिए उसे थोड़ा बहुत झिझक और डर भी लग रहा था,,, लेकिन किसी भी हाल में बढ़ना तो था ही क्योंकि जवानी का असर ही कुछ ऐसा था,,,।,,,,

अपनी मौसी की जवानी देख कर सुरज का लंड बौखलाया हुआ था मंजिल उसकी आंखों के सामने की और वहां पर पहुंचने के लिए वह मचल रहा था,,,,अपने कदमों को धीरे-धीरे आगे बढ़ाने लगा जैसे जैसे उसके कदम आगे की तरफ बढ़ रहे थे जैसे जैसे मंजू के तन बदन में हलचल सी बढ़ती जा रही थी अब तक उसकी जिंदगी मैं पतझड़ ही चल रहा था,,,। लेकिन अब उसकी जिंदगी में बहार आने वाली थी सावन की फुहार बरसने वाली थी और इस मदहोश कर देने वाले सावन का इंतजार करते हुए खुशी के मारे उसकी बुर की पतली दरार से खुशी के आंसू टपक रहे थे,,, जोकि धीरे-धीरे उसकी सलवार को भिगो रहा था,,,उत्तेजना के मारे मंजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और सांसो की गति के साथ-साथ छातियों की शोभा बढ़ा रहे उसके दोनों अमरुद ऊपर नीचे हो रहे थे,,, जिसे देखकर सुरज के मुंह में पानी आ रहा था सुधियां काकी की दो बार चुदाई करने के बावजूद भी औरतों के अंगों से कैसे खेला जाता है इस बारे में उसे बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था सुधियां काकी ने उसी से चोदने का सिखाई थी बाकी खूबसूरत बदन से प्यार करने का गुण नहीं सिखाई थी जो कि वह छोटे से छेद से अपनी मामा और अपने मामी के काम क्रीड़ा को देखकर धीरे-धीरे सीख चुका था,,,, इसलिए मंजू के करीब पहुंचते ही उसकी मदहोश कर देने वाली आंखों में देखते हुए जैसे आंखों से ही आगे बढ़ने की अनुमति मांग रहा हो,, और मंजू ने भी अपनी नजरों को नीचे झुका कर उसे इशारों ही इशारों में अनुमति दे दी,,,,

इस अनुमति को सहर्ष स्वीकार करते हुए सुरज अपना एक हाथ ऊपर की तरफ उठाकर उसे अपनी मौसी की छातियों पर रख दिया,,,, जैसे ही उसे अपनी हथेली पर अपनी मौसी की नरम नरम चुचियों का एहसास हुआ उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, उसकी सांसे बेकाबू होने लगी और उत्तेजना के मारे वहां अपनी हथेली में अपनी मौसी के अमरुद को पकड़कर दबा दिया,,,, मंजू सुरज की हरकत से पूरी तरह से सिहर उठी और उसके मुंह से हल्की कराहने की आवाज निकल पड़ी,,,।

आहहहहह,,,,,


क्या हुआ मौसी,,,,


ककककक,,, कुछ नहीं,,,,,
(दर्द महसूस करने के बावजूद भी मंजू इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी वह अपने भैया को अपनी भाभी की चूची को जोर जोर से दबाते हुए देखी थी इसलिए वह भी चाहती थी कि सुरज भी उसकी चुचियों को जोर-जोर से दबाएं,,,। सुरज खुद जानता था कि उसे उसकी मौसी की चुचियों के साथ क्या करना है कैसे खेलना है,,,,इसलिए अपनी मौसी के कराने की आवाज सुनने के बावजूद भी वह अपनी हथेली में मंजू की चूचियों को दबाए हुए और जिसे वो धीरे धीरे मसल ना शुरू कर दिया था,,,, देखते ही देखते सुरज के तन बदन में स्तन मर्दन करने की गर्मी छाने लगी आंखों ने खुमारी नजर आने लगी यही हाल मंजू का भी था एक अद्भुत एहसास से वह घीरी जा रही थी,,,, उसे बहुत मजा आ रहा था आनंद के सागर में वो गोते लगा रही थी,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब एक चूची दबाने में इतना मजा आ रहा है अगर वह दोनों चुची दबाएगा तो कितना मजा आएगा,,,, इसलिए वह बिना कुछ बोले अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के हाथ को पकड़ लिया और उसे अपनी दूसरी चूची पर रखकर दबाने का इशारा की बस फिर क्या था सुरज को क्या चाहिए था सुरज जैसे हर जवान लड़कों की ख्वाहिश यही होती है कि उसकी दोनों हाथों में चूचियां हो,,, और यही ख्वाहिश सुरज की पूरी होती नजर आ रही थी,,,।

सुरज मन लगाकर मजे लेते हुए अपनी मौसी की चुचियों को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था मानो कि जैसे उसके हाथों में दशहरी आम आ गया हो,,,, पूरी तरह से मंजू गर्म आ चुकी थी स्तन मर्दन की वजह से उसके मुख से हल्की-हल्की सिसकारी की आवाज निकल रही थी जो कि इस काम क्रीड़ा को और ज्यादा रंगीन बना रही थी,,,
बगल वाले कमरे में अपनी मामी मामा की चुदाई को देख कर जिस तरह की गर्मी सुरज ने अपने अंदर महसूस किया था उससे भी कहीं ज्यादा उत्तेजना भाई समय अपनी मौसी की सूचियों से खेलते हुए महसूस कर रहा था,,,,।

ससहहहह आआआआबहहहहब ,,,,ऊमममममममम सुरजउउउउउउ,,,,,आहहहहहह,,,,,,

(मंजू की मदहोशी सुरज को दीवाना बना रही थी जितना वह सिसकारी देती थी सुरज इतनी जोर जोर से उसकी चूचियों को दबा रहा था थोड़ी ही देर में सुरज उसकी गोली चूचियों को दबा दबा कर लाल टमाटर कर दिया,,,,, शर्म और उत्तेजना की लाली मंजू के गुलाबी गाल को और गहरा कर रही थी,,, सुरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,,,, सुरज अपनी मौसी के चुचियों मुंह में लेकर पीना चाहता था लेकिन इसके लिए भी वह इजाजत का इंतजार कर रहा था,,,, उत्तेजना के मारे मंजू की चुचियों के निप्पल चॉकलेट की तरह कड़क हो गई थी जो सुरज चाहता था वह अपने मन में वही इच्छा रखती थी इसलिए मंजू सुरज को बोली,,,)


सुरज,,,, मुंह में लेकर पी बहुत मजा आएगा,,,,(चूची पिलाने का अनुभव मंजू को बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी उसे इस बात का आभास जरूर था की चूची पिलाने में बहुत मजा आता है,,,,,, सुरज भी इसी पल का इंतजार कर रहा था अपनी मौसी की बात सुनते ही वह दोनों हाथों में मंजू की चूचियों को दबा ही हो गए मंजू आंखों में देखने लगा,,,,और अगले ही पल अपने प्यासे होठों को मंजू की चूची की तरह बढ़ाने लगा मंजू की हालत पल-पल खराब होने लगी क्योंकि अभी तक वह जिस नजारे को देखते आ रही थी,,,,इस नजारे को देखकर एक अद्भुत सुख की कल्पना करती रहती थी उसे आज वह हकीकत में अंजाम देने जा रही थी,,,,देखते ही देखते सुरज अपनी मौसी की चूची के नुकीली भूरे निप्पल को अपने होठों से स्पर्श करके उसे धीरे से अंदर की तरफ कर लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया मानो कि जैसे कोई बच्चा लेमन चूस चूस रहा हो,,, एक अद्भुत एहसास दोनों के तन बदन में अपना असर दिखाने लगा,,,,सुरज एक हाथ से मंजू की चूची को पकड़कर दबा रहा था और दूसरी चूची को मुंह में लेकर पी रहा था मंजू की सांसे ऊपर नीचे होने लगी उत्तेजना के मारे घुटनों में कंपन होने लगा चूची पिलाने में इतना मजा आता है वह कभी सोची नहीं थी वह उत्तेजना के मारे सुरज के सिर को पकड़कर और जोर से अपनी छातियों पर दबाने लगी,,,, और सुरज पागलों की तरह जितना हो सकता था उतना निप्पल सहित अपनी मौसी की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया था अभी तक वह मंजू कि एक ही चूची को मुंह में लेकर पी रहा था इसलिए मंजू सुरज को बालों से पकड़कर,,, उसे अपनी चूची चूची से हटाकर दूसरी चूची पर उसका मुंह रख दी,,, मंजू की हरकत सुरज की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा दी वह और मन लगाकर बारी बारी से मंजू की चुचियों को पीना शुरू कर दिया,,,।

आहहहहह,,,,सहहहहहहहह,,,,ऊमममममममम, सुरज और जोर-जोर से पी बहुत मजा आ रहा है मुझे,,,,आहहहहह,,, तूने तो मुझे मस्त कर दिया,,,।ओहहहहह सुरज बहुत मजा आ रहा है पूरा मुंह में लेकर पी,,,,। आहहहहहहहहहह,,,,ऊईईईईईई,मां,,,,,(उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर उत्तेजना के मारे सुरज ने उसकी निप्पल को दांतों से काट लिया,,, जिससे मंजू एकदम से चौंक उठी थी लेकिन उसे बोली कुछ नहीं उसकी सांसे तेज ना बढ़ती जा रही थी अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर सुरज के लंड को पकड़ लिया और उसे सलवार के ऊपर से अपनी बुर पर रगडना शुरू कर दी,,,,सुरज की उत्तेजना और आनंद दोनों में बढ़ोतरी होती जा रही थी मंजू की हरकत से सुरज का बदन और ज्यादा ज्यादा गर्म आने लगा था मंजू बड़े मजे लेकर सलवार के ऊपर से सुरज के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर पर रगड़ रही थी,,,बुर से झर रहे मदन रस के कारण उसकी सलवार पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और सलवार के गीले पन का एहसास सुरज को अपने लंड पर अच्छी तरह से महसूस हो रहा था,,,, अपनी मौसी की बुर का पानी अपने लंड पर लगने की वजह से सुरज और ज्यादा उत्तेजित होने लगा था और हल्की हल्की कमर आगे पीछे करने लगा था ऐसा लग रहा था कि जैसे मानो सलवार के ऊपर से ही अपनी मौसी को चोद रहा हो,,,,,


मंजू की हालत खराब होती जा रही थी,,,, मंजू की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी,,,,अब अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी उंगली से नहीं बल्कि एक मोटे लंड से शांत होने वाली थी सुरज उसकी चुचियों को पीने में लगा हुआ था और मंजू धीरे-धीरे अपनी सलवार की डोरी खोल रही थी अब वह भी सुरज की तरह पूरी तरह से नंगी हो जाना चाहती थी क्योंकि जिस तरह का खेल दोनों खेल रहे थे उसमें वस्त्र बाधा रूट बनते थे,,,और इस समय मंजू अपने और सुरज के बीच में आने वाली हर बाधा को दूर कर देना चाहती थी,,,,देखते ही देखते मंजू अपनी सलवार की डोरी खोल कर उसे वैसे ही छोड़ दी और उसकी सलवार भरभरा कर नीचे उसके कदमों में जा गिरी,,,, मंजू भी अब सुरज की तरह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,,लेकिन मंजू के संपूर्ण नग्न अवस्था का एहसास सुरज को बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह तो मंजू की चुचियों में मस्त था,,,, लेकिन मंजू सुरज को अपने नंगे पन का एहसास कराना चाहती थी,,, और उसे चूची पीने से रोकना भी नहीं चाहती थी इसलिए वह एक हाथ पकड़ कर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच रख दी,,,,पल भर में ही सुरज का पूरा वजूद कांप उठा उसे अपनी हथेली में भट्टी की तरह गर्मी महसूस होने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी हथेली को तपते हुए तवे पर रख दिया हो,,,,,, पल भर में उसकी सांस अटक गई लेकिन वह अपनी हथेली को उस जगह से हटाया नहीं मंजू ने उसकी हथेली को सीधे अपनी बुर पर रख दि थी,,,,। सुरज तुरंत अपना मुंह उसकी चुची से हटा कर नीचे की तरफ देखा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई सुरज को उसकी मौसी की बुर एकदम साफ नजर आ रही थी हल्के हल्के बालों पर उसका मदन रस लगा हुआ था जो कि मोती के दाने की तरह चमक रही थी,,,, मंजू को यह एहसास कि सुरज उसकी बुर को देख रहा है पूरी तरह से दीवाना बना दिया मंजू कि सासे ऊपर नीचे होने लगी,,,, उस की धड़कन बढ़ने लगी उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा,,,,।

सुरज को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ऐसा नहीं था कि पहली बार अपनी मौसी की बुर को देख रहा था इससे पहले भी वह रात को अनजाने में ही अपनी मौसी की बुर के दर्शन कर चुका था जब वह सलवार उतार कर सोई थी लेकिन उस समय कुछ और बात थी और इस समय हालात को छोड़ दें उस समय वह केवल से देख भर पा रहा था और देखने से ही मजा ले रहा था लेकिन आज का वह अपनी मौसी की बुर को छू सकता है उसकी गरमाहट को महसूस कर सकता है हालांकि अभी भी उसकी हथेली उसकी बुर पर ही थी,,,, और अच्छे से अपनी मौसी की बुर को देखने के लिए सुरज बिना बोले ही अपने घुटनों के बल बैठ गया अब मंजू कि बुर उसकी आंखों के ठीक सामने थी,,, सुरज से अब ठीक से सांस भी लिया नहीं जा रहा था उसकी सांस अटक रही थी,, साथ ही उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता चला जा रहा था जिसे वह अपने थूक से गिला करने की पूरी कोशिश कर रहा था आखिरकार वह कर भी क्या सकता था उसकी जगह कोई और होता तो शायद उसकी भी यही हालत होती मंजू पहली बार किसी मर्द को अपने कपड़े उतार कर अपना जिस्म दिखा रही थी अपनी बुर दीखा रही थी और वह भी अपने ही बड़ी बहन के लड़के को,,,
मंजू सूरज की हालत पर मुस्कुरा रही थी वह जानती थी कि उसकी बुर देखकर सुरज की हालत खराब हो रही है,,,,सुरज की हालत और ज्यादा खराब करने के उद्देश्य से मंजू अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर जोर से रगड़ते हुए अपनी हथेली को ऊपर की तरफ खींच ली,,,, मंजू की हरकत सुरज को पानी पानी कर रही थी ऊतेजना के मारे उसे अपने लंड की नसें फटती हुई महसूस हो रही थी,,,। सुरज से बिल्कुल भी नहीं रहा क्या और इस बार वह अपने मौसी से इजाजत लिए बिना ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उंगली से मंजू की बुर को स्पर्श करने लगा बेहद गर्म उस्मा से भरी हुई हल्के हल्के बालों वाली बुर को स्पर्श करते ही सुरज के तन बदन में आग लग गई,,,, सुरज बड़े गौर से अपनी मौसी की बुर को देख रहा था मंजू को सुरज की हालत पर तरस भी आ रहा था और मजा भी आ रहा था वह ऐसा सोच रही थी कि सुरज जिंदगी में पहली बार बुरके दर्शन कर रहा है इसलिए उसकी हालत खराब हो गई है,,, वह यह नहीं जानती थी कि एक बार पहले भी वहां उसकी बुर के दर्शन कर चुका है,,, और सुधियां काकी की बुर में अपना लंड डालकर तो कर चुदाई भी कर चुका है,,,।

सुरज पूरी तरह से उत्तेजना से ग्रस्त होता जा रहा था पूरा गांव चेन कि नहीं सो रहा था शायद आप उसके मामी मामा भी जुदाई का आनंद लेकर सो चुके थे लेकिन अब मौसी और भांजे के बीच जो काम क्रीड़ा चल रही थी उसके चलते उन दोनों की नींद कोसों दूर थी उन दोनों को नींद नहीं आ रही थी वह दोनों बेचैन हो चुके थे सुरज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और वह धीरे-धीरे अपनी हथेली को अपनी मौसी की बुर पर रखकर मसलना शुरू कर दिया,,, मंजू की बुर पूरी तरह से पानी-पानी हो चुकी थी इसलिए पनियाई बुर पर हथेली रगड़ने से सुरज की हथेली पूरी तरह से गीली हो चुकी थी मंजू को आनंद की अनुभूति हो रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था मदहोशी में उसकी आंखें बंद हो चुकी थी,,,,,, और वह भी अपने आप ही अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए सुरज की हथेली की रगड़ का मजा लूट रही थी,,,।

गर्मी का महीना पहले से ही अपना असर दिखा रहा था उस पर दोनों की जवानी की गर्मी दोनों को पसीने से तरबतर कर दी थी लेकिन फिर भी दोनों को किसी बात की दिक्कत नहीं थी दोनों को मजा ही आ रहा था,,,। मंजू की बुर पानी पानी हो चुकी थी उसे अपनी आनंद की पराकाष्ठा को बढ़ाना था और अपने मन में वह कुछ और कर गुजरने की सोच रही थी जिसकी सुरज को आभास तक नहीं था मंजू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के सर को पकड़ लिया और धीरे-धीरे उसे अपनी दोनों टांगों के बीच खींचने लगी सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मौसी क्या करवाना चाहती है,,,,लेकिन उसे अपनी मौसी की किसी भी हरकत का एतराज भी नहीं था जिस तरह से वह अपनी दोनों टांगों के बीच उसे खींच रही थी वह खींचता चला जा रहा था और देखते ही देखते मंजू ने उसके होठों को ठीक अपनी बुर पर रखकर दबा दी और मदहोशी भरे स्वर में बोली,,,।

अब चाट सुरज ,,,,, जोर-जोर से चाट मेरी बुर में अपनी जीभ डालकर चाट,,,,
(पहले तो सुरज को अपनी मौसी की बात सुनकर कुछ अजीब सा लगा बुर चाटने वाली बात उसे कुछ अच्छी नहीं लगी थी लेकिन वह अपनी मौसी को इनकार नहीं कर सकता था,, इसलिए वह हल्के से अपनी जीभ निकालकर बुर के ऊपरी भाग को चाटना शुरू कर दिया,,,, बुरके मदन रस से पहले से ही मंजू की बुर पूरी तरह से भीगी हुई थी जिसकी वजह से सुरज को अपनी जीभ पर बुर का रस लगते ही उसका स्वाद थोड़ा कसैला लगा,,,, कि धीरे-धीरे उसे यही स्वाद मधुर लगने लगा उसे अच्छा लगने लगा वह मंजू की गुलाबी बुर को ऊपर से नीचे की तरफ पूरी तरह से चाहता था उत्तेजना के मारे मंजू की बुर फुल कर रोटी की तरह हो गई थी,,,, अभी तक सुरज ने अपनी जीभ को मंजू कि बुर के अंदर प्रवेश नहीं कराया था,,,, और मंजू चाहती थी कि सुरज अंदर तक जीभ डा कर चाटे,,, इसलिए वह बोली,,,।


ओहहहह सुरज मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है,,,आहहहहहह तूने तो मुझे मस्त कर दिया रे,,,,आहहहहहहह आहहहहहहह,,, अब अपनी जीभ मेरी बुर के अंदर डालकर चाट बहुत मजा आएगा तेरे मामा भी तेरी मामी के साथ यही करते हैं,,,,

(एक बार फिर से अपनी मौसी की मुंह से अपनी मामी और अपने मामा का जिक्र आते ही वह और ज्यादा उत्तेजित हो गया और अपनी जीभ को उसकी मंजू बुर के छेद में डालकर चाटना शुरू कर दिया,,,, वाकई में सुरज को इस बात का एहसास हो गया कि ऊपर से ज्यादा अंदर मजा आ रहा है और वह पागलों की तरह जीभ से अंदर की मलाई चाटना शुरू कर दिया,,,मंजू एकदम मस्त हो जा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आसमान की सैर कर रही हो हवा में उड़ रही हो उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसे इतना मजा आएगा,,, वह हल्के हल्के अपनी कमर हिलाना शुरू कर दी थी धीरे-धीरे वह सुरज के मुंह को चोद रही थी अपनी बुर से लेकिन इसमें सुरज को बहुत मजा आ रहा था क्योंकि मंजू की बुर पूरी तरह से पानी से तरबतर हो चुकी थी और उसके होठों पर लगकर चप चप की आवाज आ रही थी,,,,कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे दोनों को बेहद आनंद की प्राप्ति भी हो रही थी,,,

आधी रात से ज्यादा समय बीत चुका था लेकिन दोनों की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी दोनों के बीच एक पवित्र रिश्ता था मौसी भांजे का लेकिन शायद ही रिश्ते से पहले दोनों औरत और मर्द थे और जिनके बीच केवल शारीरिक संबंध का रिश्ता ही पनपता है,,,, और वही इस कमरे में भी हो रहा था मौसी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर अपने भांजे का मजा दे रही थी और सुरज भी कम नहीं था वह भी अपनी मौसी की जवानी देख कर उत्तेजित हो चुका था,, उसका लंड टन टनाकर खडा हो गया था,,,, अपनी मौसी को चोदने के लिए समाज के लिए भले ही दोनों के बीच कैसा संबंध पवित्र रिश्ते को तार-तार करता हूं लेकिन उन दोनों के लिए यह आनंद की परम अनुभूति थी जिस के सुख से वह दोनों वंचित नहीं रहना चाहते थे,,,, मंजू दो बार झड़ चुकी थी लेकिन अब वह बिस्तर पर सुरज के लंड से झड़ना चाहती थी इसलिए वह बोली,,,।


बस कर सुरज मेरी बुर तेरा लंड लेने के लिए मचल रहीं है,,, अब चल मेरी चुदाई कर मेरी बुर में अपना लंड डालकर मेरी प्यास बुझा दे,,,,।

(अपनी मौसी के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर सुरज तो एकदम बावला हो गया था उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी वह उसी तरह से घुटने के बल बैठे हुए अपनी मौसी की तरफ देख रहा था उसकी पूरी तरह से नंगी थी उसकी चूचियां एकदम तनी हुई थी,,, सुरज से कुछ बोला नहीं जा रहा था वह भी अपनी मौसी को चोदने के लिए तैयार था उसकी किस्मत पड़ी जोरों पर थी सुधियां काकी के बाद अब उसकी मौसी उसकी खुद की सगी मौसी उसकी मां की छोटी बहन उसका हमबिस्तर होने वाली थी,,, उसके साथ चुदाई का सुख भोगने वाली थी,,,, अपनी मौसी की बात सुनकर सुरज खड़ा हो गया,,, और मंजू सुरज के लंड को पकड़कर बोली,,,।)


देख रहा है जिस तरह से तेरे मामा तेरी मामी की बुर में लंड डालकर तेरी मामी की चुदाई कर रहे थे ठीक उसी तरह से तुझे भी अपना लंड मेरी बुर में डालना है,,,( अपनी उंगली से अपनी बुर की तरफ इशारा करते हुए),,, कर लेगा ना आराम से,,,

(भला सुरज क्या कहता वह तो खुद उतावला था अपने लंड को अपनी मौसी की बुर में डालने के लिए लेकिन जिस तरह से उसकी मौसी खुले शब्दों में सब कुछ बोल रही थी सुरज को कभी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मौसी इतने खुले शब्दों में सब कुछ बोलेगी इसलिए तो उसकी उत्तेजना और बढ़ती जा रहे थे वह कुछ बोल नहीं पाया बस हा में सिला दिया,,,मंजू को ना जाने क्यों सुरज के मोटे तगड़े लंबे लंड पर पूरा विश्वास था कि वह उसकी बुर की प्यास बुझा देगा,,,, सुरज की हामी सुनते ही मंजू घूम गई और खटिया की तरफ जाने लगी पीछे का नजारा देखकर सुरज की उत्तेजना और बढ़ गई गोल गोल मदद की भी गांड को देखकर अपने आप पर काबू कर पाने में पूरी तरह से असमर्थ साबित हो रहा था लेकिन किसी भी प्रकार का उतावलापन वह दिखाना नहीं चाहता था क्योंकि आज की रात उसकी वह जो कहती जैसे कहती थी वैसे ही उसे करना था,,,, क्योंकि सुरज चाहता था कि आज अगर सब कुछ सही हो गया तो आगे भी सही होता रहेगा,,,, मंजू अपनी गोल-गोल गांड को मटकाते हुए खटिया पर बैठ गई और पीठ के बल लेट गई,,,, सुरज उत्तेजित अवस्था में अपने आप ही अपने लंड को अपने हाथ में थाम लिया और आगे बढ़ने लगा मंजू सुरज को अपने करीब आता देख कर अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,,,,, अपनी मौसी की मादक हरकत को देखकर सुरज से रहा नहीं जा रहा था मंजू पूरी तरह से सुरज को अंदर लेने के लिए तैयार थी,,,अपने सुर्ख गले को अपने थूक से गीला करते हुए सुरज की खटिया पर बैठ गया और अपने आप ही अपनी मौसी के दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाने लगा,,,,मंजू सुरज को अपनी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाता देखकर इशारे से अपनी बुर की तरफ उंगली करते हुए बोली,,,।


देख सुरज तुझे अपना लंड ईसी बुर के अंदर डालना है,,,,(मंजू मदहोश स्वर मैं बोली,,,,)

चला तो जाएगा ना मौसी,,,(सुरज नादान बनता हुआ बोला,,)


थोड़ी मुश्किल होगी लेकिन चला जाएगा तेरा बहुत मोटा है,,,(मंजू अपने भैया के लंड की लंबाई और मोटाई से अच्छी तरह से परिचित थी इसलिए वह जानती थी कि सुरज का लंड उसके भैया के लंड से कुछ ज्यादा ही मजबूत है,,,मंजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) थोड़ा सा थुक भी लगा लेना अपने लंड पर भी और मेरी बुर पर भी,,,,


ठीक है मौसी,,,(और इतना कहने के साथ ही वह ढेर सारा थुक अपने लंड के सुपाड़े पर और फिर अपनी मौसी की बुर पर लगा दिया,,,, अब सुरज पूरी तरह से तैयार था अपनी मौसी की बुर में समाने के लिए और मंजू उसे अपने अंदर लेने के लिए मचल रही थी,,,सुरज घुटनों के बल बैठा हुआ था मंजू उससे बोली,,,)


सुरज मुझे थोड़ा खींचकर अपने ऊपर रख ले मेरा मतलब है कि मेरी जा को अपनी जांघों पर रख ले तब आराम से तेरा अंदर जाएगा,,,,,,


ठीक है मौसी,,,(मंजू बातों ही बातों में उसे संभोग के आसन को बता रही थी,,, सुरज ने भी ठीक उसी तरह से किया अपने खड़े लंड के सुपाड़े को जैसे ही अपनी मौसी की गुलाबी बुर पर सटाया,,,,, मंजू वैसे ही एकदम से सिहर उठी क्योंकि उसकी जिंदगी में यह पहला मौका था जब कोई लंड उसकी बुर पर स्पर्श कर रहा था इसलिए वह पूरी तरह से मचल उठी,,,,)

आहहहहह सुरज बस अब उसी छेद में धीरे धीरे डाल,,,
(मंजू एकदम मदहोश स्वर्ग में बोली सुरज को अब आगे क्या करना है पूरा ज्ञान था इसलिए वह,,अपनी मौसी के बुर के गुलाबी छेद पर रखकर हल्कै से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलना शुरू किया,,,,,, मंजू की बुर में चिकनाहट भरपूर थी इसलिए धीरे-धीरे सुरज का लंड मोटा होने के बावजूद भी अंदर की तरफ सरकना शुरु कर दिया,,,। मंजू के लिए पहला अनुभव था जैसे-जैसे सुरज का लंड बुर के अंदर सरक रहा था वैसे वैसे मंजू का गुलाबी चेहरा लाल होता जा रहा था,,,, मंजू कि सांसे से ऊपर नीचे हो रही थी साथ ही उसकी चूचियां अंगड़ाई लेते हुए छातियों पर नृत्य कर रही थी,,,,,।

बेहद अद्भुत रमणीय कामुक नजारा बना हुआ था,,,, कोई सोच भी नहीं सकता था कि मौसी और भांजे के बीच इस तरह का रिश्ता कायम होगा,,,,,सुरज के पसीने छूट रहे थे सुधियां काकी के मुकाबले मंजू की बुर बेहद संकरी थी,,,सुरज पसीने से तरबतर हो चुका था क्योंकि यहां पर उसे ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता पड़ रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि बुर इतनी टाइट भी हो सकती है क्योंकि उसे सुधियां काकी की बुर का अनुभव था,,, मंजू जैसी जवान लड़की का नहीं,,,, लेकिन फिर भी सुरज पूरी तरह से कोशिश करता हूं आगे की तरफ बढ़ रहा था और उसका लंड की बुर के अंदर की अड़चनों को दूर करते हुए धीरे-धीरे अंदर की तरफ घुसता चला जा रहा था,,,,मंजू से रहा नहीं जा रहा था बार-बार वो अपना सर ऊपर की तरफ करके अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच गड़ा दे रही थी वह सुरज के मोटे लंड को देखकर हैरान थी कि किस तरह से उसके छोटे से छेद में इतना मोटा लंड धीरे-धीरे सरकता चला जा रहा है,,,, मंजू की सासे ऊपर नीचे हो रही थी उसे दर्द का अनुभव होने लगा था,,,, लेकिन वह किसी भी तरह अपने दर्द को दबाए हुए थी,,,,देखते ही देखते रह चुका लेना आधे से ज्यादा घुस गया,,, यह मंजू क्यों रोज का अभ्यास का ही नतीजा था कि थोड़ा मुश्किल ही सही लेकिन आराम से सुरज का लंड घुसता चला जा रहा था,,,,क्योंकि रोज-रोज अपने भैया भाभी की चुदाई को देखकर पूरी तरह से गर्म होकरवह अपनी बुर में उंगली डाला करती थी जिससे धीरे-धीरे अंदर की तरफ जगह बनने लगी थी,,,।

मंजू के गुलाबी गालों पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरफ से चल रही थी लालटेन की पीली रोशनी में उत्तेजना के मारे ऐसा लग रहा था कि मंजू का बदन दहक रहा है,,,

दर्द के मारे मंजू की हालत बदतर हुए जा रहे थे क्योंकि उसे अभी आनंद की अनुमति नहीं हुई ,,, मजा तो आ रहा था लेकिन दर्द भी हो रहा था,,,, आगे का रास्ता सुरज को कुछ ज्यादा ही संकरा लग रहा था,,, इसलिए सुरज समझदारी दिखाते हुए हल्कै से थोड़ा सा लंड बाहर की तरफ खींचा,,, और फिर कच कचा कर आगे की तरफ ठेल दईया इस बार रही सही कसर पूरी हो गई,,,। सुरज का लंड मंजू की बुर की गहराई नापने लगा लेकिन मंजू को बेतहाशा दर्द का अनुभव होने लगा वह जोर से चिल्लाना चाहती थी लेकिन वह जानती थी कर जोर से चिल्ला आएगी तो बगल में सो रहे उसके भैया भाभी जान जाएंगे और वह ऐसे नहीं होने देना चाहती थी इसलिए जोर से अपने मुंह को दबा ली थी सुरज को तो कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हुआ लेकिन मंजू को तड़पता हुआ देखकर वहां रुक गया वह उसी तरह से रुका रह गया ना आगे ना पीछे,,, अपनी कमर को स्थिर कर दिया मानो कि जैसे किसी मोटर गाड़ी में ब्रेक लग गई हो,,,,। मंजू की आंखों में आंसू भर आए थे सुरज को लगने लगा कि उसने कुछ गलत कर दिया है इसलिए वह मंजू से बोला,,,।

ककककककक क्या हुआ मौसी रो क्यों रही हो,,,,,, क्या मैंने कुछ गलत कर दिया निकाल लु बाहर,,,,।
(सुरज घबरा गया था लेकिन मंजू अपनी सहेलियों से इतना तो जान ही गई थी कि पहले पहले बहुत दर्द करता है उसके बाद मजा ही मजा आता है इसलिए वह सुरज से निकालने के लिए नहीं पूरी बस थोड़ी देर बाद वह बोली,,)

बस अब चोदना शुरू कर,,,,,

(फिर क्या था सुरज आज्ञा पाते ही,,, अपनी कमर को आगे पीछे हीलाना शुरू कर दीया देखते-देखते मंजू का दर्द मजे में तब्दील होने लगा उसे आनंद आने लगा सुरज अभी हल्के हल्के धक्के लगा रहा था उसका मोटा तगड़ा लंड बुर की गहराई नापते हुए अंदर बाहर हो रहा था दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे क्योंकि दोनों नहीं या मंजिल पाने के लिए काफी मशक्कत उठाई थी,,, ज्यादातर सहन करने को मंजू के हिस्से में आया था लेकिन,,,अद्भुत आनंद की प्राप्ति के लिए थोड़ा दर्द भी सहना पड़ता है इसलिए मंजू का आनंद बढ़ता जा रहा था जैसे-जैसे सुरज का मोटा तगड़ा लंड रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था वैसे वैसे मंजू की बुर उत्तेजना में पानी छोड़ रही थी सुरज मदहोश हुआ जा रहा था सुधियां काकी के बाद उसे सीधे उसकी मौसी की बुर प्राप्त हुई थी जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,,,)

अब कैसा लग रहा है मौसी,,,,,(हल्के हल्के धक्के लगाते हुए सुरज बोला,,,,)


बहुत मजा आ रहा है सुरज बहुत मजा,,,,, तु रुकना नहीं,, आहहहहहह ,,,,, ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं स्वर्ग का सुख भोग रही हूं तेरे लंड से बहुत मजा आ रहा है,,,, चौद सुरज मुझे चोद,,,,आहहहहहहह,,,,

(फिर क्या था अपनी मौसी की आज्ञा पाकर सुरज के धक्के तेज होने लगे सुधियां काकी की दो बार चुदाई करने के बाद सुरज को इतना तो आत्मविश्वास हो ही गया था कि वह किसी भी औरत की चुदाई करके उसे संपूर्ण रूप से संतुष्टि का अहसास करा सकता है और उसे आज भी अपने ऊपर पूरा विश्वास था कि वह अपनी मौसी को पूरी तरह से पानी पानी कर देगा और इसीलिए उसके धक्के तेज होने लगे,, थे,,,,सुधियां काकी की चुदाई करते समय उसका मन बहुत कर रहा था सुधियां काकी की चूची को दोनों हाथ से पकड़ कर दबाने के लिए लेकिन बार ऐसा उस समय नहीं कर पाया था लेकिन आज किसी भी तरह की बंदिश उसे नहीं थी इसलिए वह अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मौसी की दोनों चूची को पकड़ लिया और उसे जोर जोर से दबाते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए चुदाई करना शुरू कर दिया,,,।

इस तरह स्तन मर्दन करने के साथ चुदाई करते हुए सुरज के साथ-साथ मंजू को भी बहुत मजा आ रहा था,,, दोनों अद्भुत सुख की प्राप्ति में रखे हुए थे अब बड़े आराम से सुरज का मोटा तगड़ा लंबा लंड मंजू की छोटे से छेद मे अंदर बाहर हो रहा था बुरा भी बार बार अपने सर उठा कर अपनी दोनों टांगों के बीच में देखकर हैरान हो रही थी कि सुरज का इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी छोटे से बुर के छेद में कहां खो जा रहा है,,,, यह नजारा बेहद अद्भुत कामोत्तेजना से भरा हुआ था,,,, सुरज के धक्के कम नहीं हो रहे थे सुरज मंजू की चूचियों को दबा दबा कर टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,। सुरज थकने का नाम नहीं ले रहा था,,,, और इसी वजह से मंजू भी हैरान था तकरीबन ३० मिनट से ज्यादा समय गुजर चुका था इस दौरान सुरज ने अपने लंड से चुदाई करके उसे २ बार झाड़ चुका था और खुद झड़ने का नाम नहीं ले रहा था,,,,

धीरे-धीरे सुरज संभोग के अध्याय में बहुत कुछ सीखता चला जा रहा था मंजू की चुदाई करते समय जिस चूची को व जोर-जोर से लगा रहा था अब उसी पर झुक कर उसे मुंह में लेकर पी रहा था मंजू की मस्ती बढ़ने लगी थी सुरज की हर एक हरकत अब उसे दीवाना बना रही थी सुरज बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों को चोदते हुए पी रहा था,,,,अब धीरे-धीरे सुरज की की सांसे तेज होने लगी वह समझ गया कि वह चरम सुख के करीब पहुंच रहा है इसलिए वह अपनी रफ्तार बढ़ा दिया,,,,

चप चप चप की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था मंजू को इस बात का डर था कि कहीं यह आवाज बगल वाले कमरे में ना पहुंच जाए क्योंकि इस आवाज से उसके भैया भाभी भली-भांति परिचित थे फिर भी आनंद की कोई सीमा नहीं थी मंजू को इतना मजा आ रहा था कि कभी उसने सपने में भी नहीं सोची थी की चुदाई करवाने में इतना मजा आता है,,,, सुरज के थक्के तेज होते चले जा रहे थे देखते ही देखते दोनों की सांसें तेज चलने लगी दोनों के बदन में अकड़न पड़ने लगी और अगले ही पल तेज धक्के के साथ सुरज के लंड की तीव्र पिचकारी मंजू अपनी बुर के अंदर अपने बच्चे दानी में महसूस करने लगी वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी सुरज की सांसें उखड़ने लगी थी जैसे-जैसे उसके लंड से पिचकारी की बुंद बाहर निकल रही थी वैसे वैसे उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,,।


दोनों अपनी मंजिल को प्राप्त कर चुके थे सुरज मंजू के ऊपर ढेर हो चुका था और मंजू को सुरज पर बहुत प्यार आ रहा था वह उसके मर्दाना ताकत से भलीभांति परिचित हो चुकी थी और पूरी तरह से उसके आगे घुटने टेक चुकी थी वह उसकी पीठ को सहला आते हुए कब दोनों नींद की आगोश में चले गए पता ही नहीं चला जब सुबह नींद खुली तो दोनों हड़बड़ा गएं,,,।
 

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