सुधियां काकी का दिल जोरों से धड़क रहा था उन्हें इस बात का डर था कि कहीं उसकी बहू ने सब कुछ देख तो नहीं लिया लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था सुधियां काकी की बहू नीलम उसे ढूंढते हुए खेतों के बीच पहुंच तो गई थी लेकिन वह अपनी आंखों से ऐसा कुछ भी नहीं देखी थी जिससे उसके मन में शंका हो,,,,, अपनी बहू नीलम की आवाज सुनते ही सुधियां काकी अपनी साड़ी को तुरंत नीचे गिरा कर खुद भी काम करने लग गई थी और सुरज को भी काम करने के लिए बोल दी थी सुरज भी मौके की नजाकत को समझते हुए तुरंत उसी तरह से काम करने लगा था जैसा कि एक इंसान खेतों में काम करता है हालांकि जिस तरह का दृश्य अपनी आंखों से देखा था उसके चलते उसके लंड की हालत बिल्कुल खराब हो रही थी,,, सुरज को अपने लंड में दर्द महसूस हो रहा था। सुरज अक्सर खेतों में काम करने के लिए जाया करता था लेकिन जिंदगी में पहली बार खेतों में काम करते हुए सुरज ने अपनी आंखों से इतने सुहावने दृश्य को अपनी आंखों से देखा था,,,। सुरज के साथ-साथ सुधियां काकी की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसे अपनी बहू नीलम पर गुस्सा आ रहा था कि ऐन मौके पर वह आ गई वरना आज वह सुरज के साथ अपने मन की कर लेती सुधियां काकी उसी तरह से नीचे झुककर घास उखाडते हुए बोली,,,।
तू क्यों इधर आ गई बहु,,,,?
आपके लिए खाना लेकर आई थी माजी,,,
अरे मैं वापस घर आ कर खा लेती यहां लेकर आने की क्या जरूरत थी,,,
मुझे लगा कि आप नाराज हो कर चली गई हो इसलिए मैं लेकर आ गई,,,
नहीं रे ऐसी कोई बात नहीं है बस थोड़ा सा काम था इसलिए आ गई,,,,( सुधियां काकी उसी तरह से अपना काम करते हुए बोली दूसरी तरफ नीलम भले ही अपने सांसों से बात कर रहे थे लेकिन उसकी नजर सुरज की तरफ थी,,, सुरज का भोलापन उसे एकदम भा गया था,,, एक तरह से वह उसे मन ही मन में पसंद करने लगी थी,,,)
अच्छा छोड़िए माजी यह सब पहले खाना खा लीजिए,,,
नहीं अभी नहीं खाऊंगी तू रख कर जा यहां से खेतों का काम पूरा होते ही मैं खाना खा लूंगी,,,( सुधियां काकी किसी भी तरह से अपनी बहू को यहां से भगाना चाहती थी क्योंकि रंग में भंग वह पहले ही डाल चुकी थी अगर आज का मौका उसके हाथ से निकल गया तो ना जाने कब ऐसा मौका हाथ लगेगा इसलिए वह अपनी बहू को वहां से चले जाने के लिए बोल रही थी ताकि उसके जाते ही वह अपनी रासलीला को एक बार फिर से शुरू कर सकें,,,)
नही माजी पहले आप खाना खा लीजिए तो मैं चली जाती हूं वरना मुझे ऐसा ही लगा कि आप नाराज हैं,,,( नीलम बात तो अपनी सास से कर रही थी लेकिन वह देख सुरज को रही थी क्योंकि उसे इस तरह से देखना भी उसे अच्छा लग रहा था,,)
नहीं नहीं तू जा यहां से,,, धूप तेज होने वाली है और तू घर खुला छोड़ कर आई है,,,,,,, घर इस तरह से छोड़कर नहीं आना चाहिए था जा जल्दी चोरों उचक्कों का भरोसा नहीं होता वह.लोग ऐसे ही मौके की तलाश में लगे रहते हैं,,,,। जा अब यहां रुक मत,,,
ठीक है माजी मैं जा रही हूं लेकिन खाना खा लेना और सुरज तुम भी खाना खा लेना,,,,
ठीक है भाभी मैं भी खा लूंगा,,,,
( सुरज भी काम रोक कर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोला जवाब में वह भी सुरज को देख कर मुस्कुरा दी और वहां से चलती बनी,,, सुधियां काकी वहीं खड़ी होकर उसे जाते हुए देखती रही और जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई तब तक वह उसे ही देखती रही जैसे ही वह आंखों से ओझल हुई तो उसकी जान में जान आई,,,)
बाप रे आज तो बाल बाल बचे अगर उसकी नजर पड़ जाती तो न जाने क्या हो जाता,,,
सही कह रही हो चाची,,,,( सुरज की सुधियां काकी के सुर में सुर मिलाते हुए बोला वैसे रमा के आ जाने से उसे भी अच्छा नहीं लगा था क्योंकि बेहद खूबसूरत नजारा जो उसके सामने चल रहा था वह सुधियां काकी की तरफ देखते हुए बोला)
अब तो ठीक है ना काकी,,,,?
तुझे क्या लगता है ठीक हो गया है अभी भी वैसे ही तकलीफ है मेरी बुर में जलन हो रही है,,, ऐसा लगता है कि जैसे एकदम अंदर घुस गई है और वहां काट रही है,,,,( सुधियां काकी जानबूझकर साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को खुजाते हुए बोली,,, सुधियां काकी की हरकत को देखकर सुरज के पजामे में फिर से हरकत होने लगी,,,,)
तो क्या करोगी काकी मुझे तो नहीं लगता कि मेरी उंगली से काम बन पाएगा,,,
हां तु सच कह रहा है मेरी बुर के अंदर तेरी उंगली छोटी पड़ रही है,,,( सुधियां काकी मादकता भरी गहरी सांस लेते हुए बोली,,, और सुरज सुधियां काकी के मुंह से बार-बार बुर शब्द सुनकर मदहोश हुआ जा रहा था,,, सुरज फिर से सुधियां काकी की बुर में अपनी उंगली पेलना चाहता था क्योंकि उसे ऐसा करने में बहुत मजा आ रहा था,,, लेकिन अपने मन से खुले शब्दों में कहने में उसे शर्म आ रही थी सुधियां काकी की बात सुनकर सुरज बोला,,,)
तो फिर अब क्या करोगी काकी,,,,,( सुरज कुतूहल भरी नजरों से सुधियां काकी की तरफ देखते हूए बोला,,, सुधियां काकी का भी दिल जोरों से धड़क रहा था एक बार फिर से उनके तन बदन में उमंग जागने लगी क्योंकि सुरज के लंड से ना सही उसकी ऊंगली से उसकी बुर पानी पानी हो गई थी,,।)
आहहहहह,,, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करु,,, मेरी बुर में बहुत ज्यादा जलन हो रही है,,,( सुधियां काकी उसी तरह से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से मसलते हुए बोली,,,)
एक काम करो काकी पेशाब कर लो हो सकता है पेशाब की धार के साथ चींटी भी बाहर निकल जाए,,,( सुरज कुछ देर तक सोचते हुए बोला,,,,) सुरज की बात सुनते ही सुधियां काकी का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि जो वह बात कह रहा था उसके बारे में सुधियां काकी भी नहीं सोची थी और ऐसा करने में शायद उसका काम बन सकता था एक अनजान जवान लड़के के सामने पेशाब करने में उसके तन बदन में कैसी हलचल होती है यह भी सुधियां काकी देखना चाहती थी उसे पूरा यकीन था कि उसे पेशाब करता हुआ देख कर सुरज के तन बदन में आग लग जाएगी और वह चुदवासा हो जाएगा,,,)
क्या इससे काम बन जाएगा,,,
क्यों नहीं काकी जरूर बन जाएगा,,,,( पेशाब करने वाली बात कहकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी जिससे एक बार फिर से उसके पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया था और तंबु को देखकर सुधियां काकी की हालत खराब हो रही थी,,, दोनों तो तन बदन में उत्तेजना अपना असर दिखा रहा था सुधियां काकी सुरज की बात सुनकर उत्सुक हो गई थी पेशाब करने के लिए इसलिए वह तुरंत,, खेत के किनारे आगे बढ़ते हुए बोली,,,)
तु कहता है तो यह भी कर के देख लेती हूं,,,( इतना कहते हुए सुधियां काकी खेत के किनारे पहुंच गई और सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा सुधियां काकी सुरज की तरफ देखते हुए धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी सुधियां काकी अपनी चूची के साथ-साथ सुरज को अपनी बुर के दर्शन करवा चुकी थी केवल अपनी नंगी गांड अभी तक पूरी तरह से नंगी नहीं दिखाई थी इसलिए वह इस बार सुरज की तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई थी,,, धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर उठा रही थी सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था और देखते ही देखते सुधियां काकी अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और सुरज की आंखों के सामने सुधियां काकी की बड़ी-बड़ी एकदम गोरी गांड चमक उठी,,,, सुनहरी धूप में सुधियां काकी की गोरी गांड सोने के आभूषण की तरह चमक रही थी जिसे देखकर सुरज का लंड पूरी तरह से अकड़ गया,,,, सुधियां काकी की बड़ी-बड़ी गांड देख कर सुरज की हालत खराब हो गई,,,, सुरज पहली बार किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था हालांकि उसने औरतों की बुर को दो बार देख चुका था लेकिन अभी तक उनकी मदमस्त कर देने वाली गांड के दर्शन नहीं हुए थे और वह भी सुधियां काकी ने अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी गांड के दर्शन करवा दी थी,,,,, पल-पल सुरज की हालत खराब हो रही थी और जिस तरह से सुधियां काकी अपनी पीठ सुरज की तरफ करके अपनी साड़ी कमर तक उठा कर रखे हुए थी,,, उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी बड़ी बड़ी गांड सुरज को साफ दिखाई दे रही होगी और वहां यही देखना चाहती थी कि उसकी नंगी गांड देखकर सुरज के हाव-भाव पर क्या असर होता है,,, अभी देखने के लिए वह अपनी साड़ी कमर तक उठाए हुए पीछे नजर करके सुरज की तरफ देखे तो वह मन ही मन प्रसन्न हो गई,,, पर जानबूझकर अपनी गांड को थोड़ा मटका कर नीचे की तरफ बैठ गई,,, उसे अपनी कामुक हरकतों पर पूरा यकीन था कि सुरज पूरी तरह से उसके वश में होता चला जा रहा है,, देखते ही देखते सुधियां काकी सुरज की आंखों के सामने पेशाब करने के लिए नीचे बैठ गई थी लेकिन उसके मन में कुछ और सुझ रहा था,,,,। वह कुछ देर तक उसी तरह से बैठी रही और पीछे खड़ा सुरज अपनी आंखों के सामने सुधियां काकी को इस तरह से बैठकर पेशाब करते हुए देख रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसके दिल की धड़कन किसी इंजन की तरह चल रही थी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह अपनी आंखों से किसी औरत को पेशाब करते हुए देखने जा रहा था और वह भी बिना किसी दिक्कत के,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता जा रहा था,,, सुधियां काकी की गोरी गोरी गांड उसकी आंखों की चमक बढ़ा रही थी,,,,, तभी सुधियां काकी बोली,,,।
आहहह सुरज मुझसे पेशाब नहीं हो रहा है,,,,
क्यों काकी,,?( ऐसा कहते हुए सुरज उसके करीब पहुंच गया,,,)
पता नहीं क्यों लेकिन मुझसे पेशाब नहीं हो रहा है,,,,
तो क्या होगा काकी,,,,
एक काम कर तू मेरी आंखों के सामने पेशाब कर शायद ऐसा हो सकता है कि तुझे पेशाब करता हुआ देखकर मेरी बुर से भी पेशाब निकलने लगे,,,
( सुधियां काकी की बातें सुनकर सुरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसे समझ नहीं आता क्या करें,,)
क्या ऐसा हो सकता है काकी,,,,
हां बिल्कुल हो सकता है,,, तु जल्दी कर मेरे बुर की जलन बढ़ती जा रही है,,,,
( सुधियां काकी की इस तरह की बातें सुरज के होश उड़ा रहे थे वह सुधियां काकी की बात मानने को तैयार हो गया था और उसके बगल में ही खड़ा होकर अपने पजामे को नीचे करने लगा,,, देखते ही देखते वह अपने पजामे को नीचे करके अपना लंड बाहर निकाल दिया,,,, जिसे देखकर सुधियां काकी की सांस अटक गई सुधियां काकी ने अपनी पूरी जवानी में इस तरह का तगड़ा लंड कभी नहीं देखी थी,,, उत्तेजना के मारे और उत्सुकता के मारे उसकी बुर फूलने पिचकने लगी थी,,, सुधियां काकी से रहा नहीं गया और उसके मुंह से निकल गया,,,)
बाप रे इतना बड़ा लंबा और मोटा इतना तगड़ा तो मैंने आज तक नहीं देखी,,,( सुधियां काकी के मुंह से अपने लंड की तारीफ सुनकर सुरज का सीना गदगद हुआ जा रहा था,,, सुधियां काकी प्यासी आंखों से उसके हथियार को देखे जा रही थी और उससे रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के लंड़ को अपने हाथ में पकड़ ली,,,, एक औरत का हाथ अपने लंड पर महसुस करते ही सुरज और ज्यादा उत्तेजित हो गया,,, सुरज कुछ बोल पाता इससे पहले ही सुधियां काकी बोली,,,)
अब मुत सुरज,,,
( बस इतना सुनना था कि सुरज की पेशाब फूट पड़ी वह जोरों से मुतना शुरू कर दिया,,, और उसे देखकर सुधियां काकी से भी रहा नहीं गया और उसकी बुर से पेशाब की तेज धार फूट पड़ी,,, सुरज की सासे बड़ी गहरी चल रही थी वह अपनी नजरों को सुधियां काकी की दोनों टांगों के बीच डालकर उसे पेशाब करता हुआ देख रहा था,,, यह नजारा सुरज के लिए बेहद अद्भुत और अतुल्य था क्योंकि उसने आज तक इस तरह का नजारा नहीं देखा था इसलिए उसकी उत्तेजना परम शिखर पर थी,,, थोड़ी ही देर में सुरज और सुधियां काकी दोनों ने ही मूत्र विसर्जन का कार्यक्रम समाप्त कर दिया पेशाब करने के तुरंत बाद सुरज बोला,,,)
अब कैसा लग रहा है काकी चींटी निकल गई,,,
( सुरज के मोटे तगड़े लंडको देखकर सुधियां काकी की हालत खराब हो गई थी और वह जल्द से जल्द उसे अपनी बुर में लेकर चुदवाना चाहती थी,,,, इसलिए सीधे-सीधे अपने मतलब पर आते हुए वह बोली,,)
नहीं रे मुझे तो बिल्कुल भी आराम नहीं हुआ,,,( ऐसा कहते हुए वह खड़ी हो गई लेकिन अपनी साड़ी पर कमर तक पकड़कर उठाए हुए थी और सुरज प्यासी नजरों से सुधियां काकी की बुर को देख रहा था,,,) अब एक ही रास्ता रह गया है मुझे इस तकलीफ से निजात दिलाने का ,,,
वह क्या काकी,,,?
इस बार तू अपना मोटा तगड़ा लंड मेरी बुर में डाल,,,( इस बार बेझिझक सुधियां काकी अपने मन की बात सुरज को बोल दी,,, सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें उसी तरह का कोई भी अनुभव नहीं था,, लेकिन जो कुछ भी सुधियां काकी बोल रही थी उसे करने के लिए वह पूरी तरह से तैयार था क्योंकि उसकी बात को ही सुनकर सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,)
लेकिन कैसे काकी मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है,,,
तू चिंता मत कर तुझे कुछ भी ज्यादा करने की जरूरत नहीं है जैसा मैं कहता हूं वैसा करते रहना मुझे अपने आप आराम मिल जाएगा,,,( ऐसा कहने के साथ ही सुधियां काकी अच्छी सी जगह ढूंढने लगी और घास के ढेर पर अच्छी जगह देखकर उसी तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाए हुए उसी पर लेट गई,,, उत्तेजना के मारे सुरज का गला सूख रहा था,,, सुधियां काकी की घास के ढेर पर लेटी हुई थी और अपनी दोनों टांगों को फैला दी थी,,, इस तरह की हरकत करने की वजह से सुधियां काकी के भी तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अपने तन बदन में इस उम्र में भी अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,, सुधियां काकी की नजर सुरज के हथियार पर थी जो की पूरी तरह से टनटनाकर खड़ा था,,,, सुधियां काकी इशारे से सुरज को अपनी दोनों टांगों के बीच बुलाते हुए बोली,,,)
अब जल्दी से आजा मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,
( इतना सुनते ही सुरज तुरंत एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर सुधियां काकी की दोनों टांगों के बीच पहुंच गया और बोला,,,)
अब क्या करूं काकी,,,?
बस अब घुटनों के बल बैठ जा मेरे बिल्कुल करीब आकर,,,
( इतना सुनते ही सुरज अपने घुटनों के बल बैठने को चला तभी उसे सुधियां काकी पजामा उतारने के लिए बोली,, और सुरज भी बिना देर किए हुए अपना पजामा उतार कर कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो गया,,,)
हां अब ठीक है अब घुटनों के बल बैठ जा और जैसा मैं बताती हूं वैसा ही कर,,,
( सुधियां काकी की बात सुनकर सुरज जैसा जैसा वह बता रही थी वैसा ही कर रहा था वह घुटनों के बल बैठ गया था और सुधियां काकी को आगे की तरफ सरक कर अपनी मोटी मोटी जांघो को उसकी जांघों पर चढ़ा दी ऐसा करने से उसकी बुर ओर लंड की दूरी पूरी तरह से खत्म हो गई,,, सुधियां काकी का उत्तेजना के मारे गला सूख रहा था अपना हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे अपनी गुलाबी बुर के छेद पर रख दी और सुरज को धक्का मारने के लिए बोली सुरज की हालत बिल्कुल खराब थी उसके तन बदन में आग लग रही थी पहली बार उसका लंड बुर से स्पर्श हो रहा था,,,। सुरज की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी चुदाई के ज्ञान से वह बिल्कुल अनजान था,,,। लेकिन सुधियां काकी ने उसे बताई थी कि कुछ भी हो उसे अपना पूरा लंड उसकी बुर की गहराई में उतार देना है तभी उसे आराम मिलेगा और देखते ही देखते सुरज पूरी तरह से ही उसकी बुर की गहराई में उतर गया,,,।
आहहहहहह,,( जैसे ही सुरज का पूरा मुसल उसकी गहराई में उतरा सुधियां काकी के मुंह से सिसकारी भरी आवाज निकल गई,,,।)
क्या हुआ काकी,,,,
कुछ नहीं हुआ सुरज बस तू अपना काम कर अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दें और जितना तेज हो सकता है उतनी जोर से अपनी कमर हिला तब जाकर मुझे आराम मिलेगा,,,
( सुरज को सुधियां काकी का आदेश और दिशा निर्देश मिल चुका था इसलिए अब उसे पूछने की जरूरत नहीं थी,,, सुरज उसी तरह से अपनी कमर हिलाते हुए अपने लंड को सुधियां काकी की बुर के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,, सुधियां काकी को उम्र के इस दौर में एक जवान लड़के से चुदवाने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और सुरज की यह पहली चुदाई थी जिसमें उसे बहुत मजा आ रहा था,,, वह बड़े जोर से अपनी कमर हिला रहा था सुधियां काकी सुरज के ताकत को देखकर पूरी तरह से मचल उठी थी उसकी बुर पानी पानी हो रही थी,,। सुरज की कमर किसी इंजन की तरह ऊपर नीचे हो रही थी ,,, फच फच. की आवाज खेतों में गूंज रही थी,,,,
तकरीबन आधे घंटे जैसी घमासान चुदाई के बाद सुरज को अपने अंदर कुछ महसूस होने के लगा वह अपने अंदर की इस कशमकश को समझ पाता इससे पहले ही उसके लंड से पानी का फव्वारा फूट पड़ा,,,, और वह सुधियां काकी के ऊपर ढेर हो गया,,,, लेकिन ढेर होने के पहले वह सुधियां काकी को तीन बार झाड़ चुका था,,,, कुछ देर तक वह उसी के ऊपर पड़ा रहा और जब शांत हुआ तो वह सुधियां काकी के ऊपर से उठने लगा,,,, सुधियां काकी मुस्कुराते हुए बोली,,।
बाप रे गजब की ताकत है तेरे में,,,,
अब कैसा लग रहा है काकी,,,,
अब जाकर राहत महसूस हो रही है अब लगता है कि चींटी निकल गई,,,( ऐसा कहते हुए मुस्कुराने लगी और अपने कपड़ों को दुरुस्त करते हुए बोली,,)
देख इस बारे में किसी को भी कानो कान खबर नहीं होनी चाहिए,,, तुझे मजा आया ना,,,
हां काकी मुझे बहुत मजा आया,,,
अगर आगे भी इसी तरह का मजा लेना है तो किसी को बताना नहीं और सीधे मेरे पास चले आना जब भी मैं बुलाऊं तो चले ही आना तुझे ऐसा ही मजा दुंगी,,,
ठीक है काकी मैं किसी को भी नहीं बताऊंगा,,,
तू बहुत अच्छा लड़का है चल अब चल कर खाना खा लेते हैं,,,
तू क्यों इधर आ गई बहु,,,,?
आपके लिए खाना लेकर आई थी माजी,,,
अरे मैं वापस घर आ कर खा लेती यहां लेकर आने की क्या जरूरत थी,,,
मुझे लगा कि आप नाराज हो कर चली गई हो इसलिए मैं लेकर आ गई,,,
नहीं रे ऐसी कोई बात नहीं है बस थोड़ा सा काम था इसलिए आ गई,,,,( सुधियां काकी उसी तरह से अपना काम करते हुए बोली दूसरी तरफ नीलम भले ही अपने सांसों से बात कर रहे थे लेकिन उसकी नजर सुरज की तरफ थी,,, सुरज का भोलापन उसे एकदम भा गया था,,, एक तरह से वह उसे मन ही मन में पसंद करने लगी थी,,,)
अच्छा छोड़िए माजी यह सब पहले खाना खा लीजिए,,,
नहीं अभी नहीं खाऊंगी तू रख कर जा यहां से खेतों का काम पूरा होते ही मैं खाना खा लूंगी,,,( सुधियां काकी किसी भी तरह से अपनी बहू को यहां से भगाना चाहती थी क्योंकि रंग में भंग वह पहले ही डाल चुकी थी अगर आज का मौका उसके हाथ से निकल गया तो ना जाने कब ऐसा मौका हाथ लगेगा इसलिए वह अपनी बहू को वहां से चले जाने के लिए बोल रही थी ताकि उसके जाते ही वह अपनी रासलीला को एक बार फिर से शुरू कर सकें,,,)
नही माजी पहले आप खाना खा लीजिए तो मैं चली जाती हूं वरना मुझे ऐसा ही लगा कि आप नाराज हैं,,,( नीलम बात तो अपनी सास से कर रही थी लेकिन वह देख सुरज को रही थी क्योंकि उसे इस तरह से देखना भी उसे अच्छा लग रहा था,,)
नहीं नहीं तू जा यहां से,,, धूप तेज होने वाली है और तू घर खुला छोड़ कर आई है,,,,,,, घर इस तरह से छोड़कर नहीं आना चाहिए था जा जल्दी चोरों उचक्कों का भरोसा नहीं होता वह.लोग ऐसे ही मौके की तलाश में लगे रहते हैं,,,,। जा अब यहां रुक मत,,,
ठीक है माजी मैं जा रही हूं लेकिन खाना खा लेना और सुरज तुम भी खाना खा लेना,,,,
ठीक है भाभी मैं भी खा लूंगा,,,,
( सुरज भी काम रोक कर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोला जवाब में वह भी सुरज को देख कर मुस्कुरा दी और वहां से चलती बनी,,, सुधियां काकी वहीं खड़ी होकर उसे जाते हुए देखती रही और जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई तब तक वह उसे ही देखती रही जैसे ही वह आंखों से ओझल हुई तो उसकी जान में जान आई,,,)
बाप रे आज तो बाल बाल बचे अगर उसकी नजर पड़ जाती तो न जाने क्या हो जाता,,,
सही कह रही हो चाची,,,,( सुरज की सुधियां काकी के सुर में सुर मिलाते हुए बोला वैसे रमा के आ जाने से उसे भी अच्छा नहीं लगा था क्योंकि बेहद खूबसूरत नजारा जो उसके सामने चल रहा था वह सुधियां काकी की तरफ देखते हुए बोला)
अब तो ठीक है ना काकी,,,,?
तुझे क्या लगता है ठीक हो गया है अभी भी वैसे ही तकलीफ है मेरी बुर में जलन हो रही है,,, ऐसा लगता है कि जैसे एकदम अंदर घुस गई है और वहां काट रही है,,,,( सुधियां काकी जानबूझकर साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को खुजाते हुए बोली,,, सुधियां काकी की हरकत को देखकर सुरज के पजामे में फिर से हरकत होने लगी,,,,)
तो क्या करोगी काकी मुझे तो नहीं लगता कि मेरी उंगली से काम बन पाएगा,,,
हां तु सच कह रहा है मेरी बुर के अंदर तेरी उंगली छोटी पड़ रही है,,,( सुधियां काकी मादकता भरी गहरी सांस लेते हुए बोली,,, और सुरज सुधियां काकी के मुंह से बार-बार बुर शब्द सुनकर मदहोश हुआ जा रहा था,,, सुरज फिर से सुधियां काकी की बुर में अपनी उंगली पेलना चाहता था क्योंकि उसे ऐसा करने में बहुत मजा आ रहा था,,, लेकिन अपने मन से खुले शब्दों में कहने में उसे शर्म आ रही थी सुधियां काकी की बात सुनकर सुरज बोला,,,)
तो फिर अब क्या करोगी काकी,,,,,( सुरज कुतूहल भरी नजरों से सुधियां काकी की तरफ देखते हूए बोला,,, सुधियां काकी का भी दिल जोरों से धड़क रहा था एक बार फिर से उनके तन बदन में उमंग जागने लगी क्योंकि सुरज के लंड से ना सही उसकी ऊंगली से उसकी बुर पानी पानी हो गई थी,,।)
आहहहहह,,, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करु,,, मेरी बुर में बहुत ज्यादा जलन हो रही है,,,( सुधियां काकी उसी तरह से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से मसलते हुए बोली,,,)
एक काम करो काकी पेशाब कर लो हो सकता है पेशाब की धार के साथ चींटी भी बाहर निकल जाए,,,( सुरज कुछ देर तक सोचते हुए बोला,,,,) सुरज की बात सुनते ही सुधियां काकी का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि जो वह बात कह रहा था उसके बारे में सुधियां काकी भी नहीं सोची थी और ऐसा करने में शायद उसका काम बन सकता था एक अनजान जवान लड़के के सामने पेशाब करने में उसके तन बदन में कैसी हलचल होती है यह भी सुधियां काकी देखना चाहती थी उसे पूरा यकीन था कि उसे पेशाब करता हुआ देख कर सुरज के तन बदन में आग लग जाएगी और वह चुदवासा हो जाएगा,,,)
क्या इससे काम बन जाएगा,,,
क्यों नहीं काकी जरूर बन जाएगा,,,,( पेशाब करने वाली बात कहकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी जिससे एक बार फिर से उसके पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया था और तंबु को देखकर सुधियां काकी की हालत खराब हो रही थी,,, दोनों तो तन बदन में उत्तेजना अपना असर दिखा रहा था सुधियां काकी सुरज की बात सुनकर उत्सुक हो गई थी पेशाब करने के लिए इसलिए वह तुरंत,, खेत के किनारे आगे बढ़ते हुए बोली,,,)
तु कहता है तो यह भी कर के देख लेती हूं,,,( इतना कहते हुए सुधियां काकी खेत के किनारे पहुंच गई और सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा सुधियां काकी सुरज की तरफ देखते हुए धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी सुधियां काकी अपनी चूची के साथ-साथ सुरज को अपनी बुर के दर्शन करवा चुकी थी केवल अपनी नंगी गांड अभी तक पूरी तरह से नंगी नहीं दिखाई थी इसलिए वह इस बार सुरज की तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई थी,,, धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर उठा रही थी सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था और देखते ही देखते सुधियां काकी अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और सुरज की आंखों के सामने सुधियां काकी की बड़ी-बड़ी एकदम गोरी गांड चमक उठी,,,, सुनहरी धूप में सुधियां काकी की गोरी गांड सोने के आभूषण की तरह चमक रही थी जिसे देखकर सुरज का लंड पूरी तरह से अकड़ गया,,,, सुधियां काकी की बड़ी-बड़ी गांड देख कर सुरज की हालत खराब हो गई,,,, सुरज पहली बार किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था हालांकि उसने औरतों की बुर को दो बार देख चुका था लेकिन अभी तक उनकी मदमस्त कर देने वाली गांड के दर्शन नहीं हुए थे और वह भी सुधियां काकी ने अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी गांड के दर्शन करवा दी थी,,,,, पल-पल सुरज की हालत खराब हो रही थी और जिस तरह से सुधियां काकी अपनी पीठ सुरज की तरफ करके अपनी साड़ी कमर तक उठा कर रखे हुए थी,,, उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी बड़ी बड़ी गांड सुरज को साफ दिखाई दे रही होगी और वहां यही देखना चाहती थी कि उसकी नंगी गांड देखकर सुरज के हाव-भाव पर क्या असर होता है,,, अभी देखने के लिए वह अपनी साड़ी कमर तक उठाए हुए पीछे नजर करके सुरज की तरफ देखे तो वह मन ही मन प्रसन्न हो गई,,, पर जानबूझकर अपनी गांड को थोड़ा मटका कर नीचे की तरफ बैठ गई,,, उसे अपनी कामुक हरकतों पर पूरा यकीन था कि सुरज पूरी तरह से उसके वश में होता चला जा रहा है,, देखते ही देखते सुधियां काकी सुरज की आंखों के सामने पेशाब करने के लिए नीचे बैठ गई थी लेकिन उसके मन में कुछ और सुझ रहा था,,,,। वह कुछ देर तक उसी तरह से बैठी रही और पीछे खड़ा सुरज अपनी आंखों के सामने सुधियां काकी को इस तरह से बैठकर पेशाब करते हुए देख रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसके दिल की धड़कन किसी इंजन की तरह चल रही थी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह अपनी आंखों से किसी औरत को पेशाब करते हुए देखने जा रहा था और वह भी बिना किसी दिक्कत के,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता जा रहा था,,, सुधियां काकी की गोरी गोरी गांड उसकी आंखों की चमक बढ़ा रही थी,,,,, तभी सुधियां काकी बोली,,,।
आहहह सुरज मुझसे पेशाब नहीं हो रहा है,,,,
क्यों काकी,,?( ऐसा कहते हुए सुरज उसके करीब पहुंच गया,,,)
पता नहीं क्यों लेकिन मुझसे पेशाब नहीं हो रहा है,,,,
तो क्या होगा काकी,,,,
एक काम कर तू मेरी आंखों के सामने पेशाब कर शायद ऐसा हो सकता है कि तुझे पेशाब करता हुआ देखकर मेरी बुर से भी पेशाब निकलने लगे,,,
( सुधियां काकी की बातें सुनकर सुरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसे समझ नहीं आता क्या करें,,)
क्या ऐसा हो सकता है काकी,,,,
हां बिल्कुल हो सकता है,,, तु जल्दी कर मेरे बुर की जलन बढ़ती जा रही है,,,,
( सुधियां काकी की इस तरह की बातें सुरज के होश उड़ा रहे थे वह सुधियां काकी की बात मानने को तैयार हो गया था और उसके बगल में ही खड़ा होकर अपने पजामे को नीचे करने लगा,,, देखते ही देखते वह अपने पजामे को नीचे करके अपना लंड बाहर निकाल दिया,,,, जिसे देखकर सुधियां काकी की सांस अटक गई सुधियां काकी ने अपनी पूरी जवानी में इस तरह का तगड़ा लंड कभी नहीं देखी थी,,, उत्तेजना के मारे और उत्सुकता के मारे उसकी बुर फूलने पिचकने लगी थी,,, सुधियां काकी से रहा नहीं गया और उसके मुंह से निकल गया,,,)
बाप रे इतना बड़ा लंबा और मोटा इतना तगड़ा तो मैंने आज तक नहीं देखी,,,( सुधियां काकी के मुंह से अपने लंड की तारीफ सुनकर सुरज का सीना गदगद हुआ जा रहा था,,, सुधियां काकी प्यासी आंखों से उसके हथियार को देखे जा रही थी और उससे रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के लंड़ को अपने हाथ में पकड़ ली,,,, एक औरत का हाथ अपने लंड पर महसुस करते ही सुरज और ज्यादा उत्तेजित हो गया,,, सुरज कुछ बोल पाता इससे पहले ही सुधियां काकी बोली,,,)
अब मुत सुरज,,,
( बस इतना सुनना था कि सुरज की पेशाब फूट पड़ी वह जोरों से मुतना शुरू कर दिया,,, और उसे देखकर सुधियां काकी से भी रहा नहीं गया और उसकी बुर से पेशाब की तेज धार फूट पड़ी,,, सुरज की सासे बड़ी गहरी चल रही थी वह अपनी नजरों को सुधियां काकी की दोनों टांगों के बीच डालकर उसे पेशाब करता हुआ देख रहा था,,, यह नजारा सुरज के लिए बेहद अद्भुत और अतुल्य था क्योंकि उसने आज तक इस तरह का नजारा नहीं देखा था इसलिए उसकी उत्तेजना परम शिखर पर थी,,, थोड़ी ही देर में सुरज और सुधियां काकी दोनों ने ही मूत्र विसर्जन का कार्यक्रम समाप्त कर दिया पेशाब करने के तुरंत बाद सुरज बोला,,,)
अब कैसा लग रहा है काकी चींटी निकल गई,,,
( सुरज के मोटे तगड़े लंडको देखकर सुधियां काकी की हालत खराब हो गई थी और वह जल्द से जल्द उसे अपनी बुर में लेकर चुदवाना चाहती थी,,,, इसलिए सीधे-सीधे अपने मतलब पर आते हुए वह बोली,,)
नहीं रे मुझे तो बिल्कुल भी आराम नहीं हुआ,,,( ऐसा कहते हुए वह खड़ी हो गई लेकिन अपनी साड़ी पर कमर तक पकड़कर उठाए हुए थी और सुरज प्यासी नजरों से सुधियां काकी की बुर को देख रहा था,,,) अब एक ही रास्ता रह गया है मुझे इस तकलीफ से निजात दिलाने का ,,,
वह क्या काकी,,,?
इस बार तू अपना मोटा तगड़ा लंड मेरी बुर में डाल,,,( इस बार बेझिझक सुधियां काकी अपने मन की बात सुरज को बोल दी,,, सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें उसी तरह का कोई भी अनुभव नहीं था,, लेकिन जो कुछ भी सुधियां काकी बोल रही थी उसे करने के लिए वह पूरी तरह से तैयार था क्योंकि उसकी बात को ही सुनकर सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,)
लेकिन कैसे काकी मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है,,,
तू चिंता मत कर तुझे कुछ भी ज्यादा करने की जरूरत नहीं है जैसा मैं कहता हूं वैसा करते रहना मुझे अपने आप आराम मिल जाएगा,,,( ऐसा कहने के साथ ही सुधियां काकी अच्छी सी जगह ढूंढने लगी और घास के ढेर पर अच्छी जगह देखकर उसी तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाए हुए उसी पर लेट गई,,, उत्तेजना के मारे सुरज का गला सूख रहा था,,, सुधियां काकी की घास के ढेर पर लेटी हुई थी और अपनी दोनों टांगों को फैला दी थी,,, इस तरह की हरकत करने की वजह से सुधियां काकी के भी तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अपने तन बदन में इस उम्र में भी अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,, सुधियां काकी की नजर सुरज के हथियार पर थी जो की पूरी तरह से टनटनाकर खड़ा था,,,, सुधियां काकी इशारे से सुरज को अपनी दोनों टांगों के बीच बुलाते हुए बोली,,,)
अब जल्दी से आजा मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,
( इतना सुनते ही सुरज तुरंत एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर सुधियां काकी की दोनों टांगों के बीच पहुंच गया और बोला,,,)
अब क्या करूं काकी,,,?
बस अब घुटनों के बल बैठ जा मेरे बिल्कुल करीब आकर,,,
( इतना सुनते ही सुरज अपने घुटनों के बल बैठने को चला तभी उसे सुधियां काकी पजामा उतारने के लिए बोली,, और सुरज भी बिना देर किए हुए अपना पजामा उतार कर कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो गया,,,)
हां अब ठीक है अब घुटनों के बल बैठ जा और जैसा मैं बताती हूं वैसा ही कर,,,
( सुधियां काकी की बात सुनकर सुरज जैसा जैसा वह बता रही थी वैसा ही कर रहा था वह घुटनों के बल बैठ गया था और सुधियां काकी को आगे की तरफ सरक कर अपनी मोटी मोटी जांघो को उसकी जांघों पर चढ़ा दी ऐसा करने से उसकी बुर ओर लंड की दूरी पूरी तरह से खत्म हो गई,,, सुधियां काकी का उत्तेजना के मारे गला सूख रहा था अपना हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे अपनी गुलाबी बुर के छेद पर रख दी और सुरज को धक्का मारने के लिए बोली सुरज की हालत बिल्कुल खराब थी उसके तन बदन में आग लग रही थी पहली बार उसका लंड बुर से स्पर्श हो रहा था,,,। सुरज की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी चुदाई के ज्ञान से वह बिल्कुल अनजान था,,,। लेकिन सुधियां काकी ने उसे बताई थी कि कुछ भी हो उसे अपना पूरा लंड उसकी बुर की गहराई में उतार देना है तभी उसे आराम मिलेगा और देखते ही देखते सुरज पूरी तरह से ही उसकी बुर की गहराई में उतर गया,,,।
आहहहहहह,,( जैसे ही सुरज का पूरा मुसल उसकी गहराई में उतरा सुधियां काकी के मुंह से सिसकारी भरी आवाज निकल गई,,,।)
क्या हुआ काकी,,,,
कुछ नहीं हुआ सुरज बस तू अपना काम कर अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दें और जितना तेज हो सकता है उतनी जोर से अपनी कमर हिला तब जाकर मुझे आराम मिलेगा,,,
( सुरज को सुधियां काकी का आदेश और दिशा निर्देश मिल चुका था इसलिए अब उसे पूछने की जरूरत नहीं थी,,, सुरज उसी तरह से अपनी कमर हिलाते हुए अपने लंड को सुधियां काकी की बुर के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,, सुधियां काकी को उम्र के इस दौर में एक जवान लड़के से चुदवाने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और सुरज की यह पहली चुदाई थी जिसमें उसे बहुत मजा आ रहा था,,, वह बड़े जोर से अपनी कमर हिला रहा था सुधियां काकी सुरज के ताकत को देखकर पूरी तरह से मचल उठी थी उसकी बुर पानी पानी हो रही थी,,। सुरज की कमर किसी इंजन की तरह ऊपर नीचे हो रही थी ,,, फच फच. की आवाज खेतों में गूंज रही थी,,,,
तकरीबन आधे घंटे जैसी घमासान चुदाई के बाद सुरज को अपने अंदर कुछ महसूस होने के लगा वह अपने अंदर की इस कशमकश को समझ पाता इससे पहले ही उसके लंड से पानी का फव्वारा फूट पड़ा,,,, और वह सुधियां काकी के ऊपर ढेर हो गया,,,, लेकिन ढेर होने के पहले वह सुधियां काकी को तीन बार झाड़ चुका था,,,, कुछ देर तक वह उसी के ऊपर पड़ा रहा और जब शांत हुआ तो वह सुधियां काकी के ऊपर से उठने लगा,,,, सुधियां काकी मुस्कुराते हुए बोली,,।
बाप रे गजब की ताकत है तेरे में,,,,
अब कैसा लग रहा है काकी,,,,
अब जाकर राहत महसूस हो रही है अब लगता है कि चींटी निकल गई,,,( ऐसा कहते हुए मुस्कुराने लगी और अपने कपड़ों को दुरुस्त करते हुए बोली,,)
देख इस बारे में किसी को भी कानो कान खबर नहीं होनी चाहिए,,, तुझे मजा आया ना,,,
हां काकी मुझे बहुत मजा आया,,,
अगर आगे भी इसी तरह का मजा लेना है तो किसी को बताना नहीं और सीधे मेरे पास चले आना जब भी मैं बुलाऊं तो चले ही आना तुझे ऐसा ही मजा दुंगी,,,
ठीक है काकी मैं किसी को भी नहीं बताऊंगा,,,
तू बहुत अच्छा लड़का है चल अब चल कर खाना खा लेते हैं,,,