Incest गांव की कहानी

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धीरे-धीरे सुरज गौरी के प्यार में पागल हो गया था,,, उसे हर जगह सोते जागते उठते बैठते सिर्फ गौरी ही नजर आती थी,,, गौरी से‌ वह सच्चा वाला प्यार करने लगा था,,,,,, उसके साथ किसी भी तरह से बना वक्त बिताना चाहता था लेकिन मौका ही नहीं मिलता था,,, लेकिन रात को अपनी मौसी की रोज चुदाई करता था,,,,और मौसी भी दिन भर की थकान सुरज के मोटे लंड को अपनी बुर में लेकर मिटा देती थी,,,,,,,,,,,
लेकिन मंजू का मन अपने बड़े भैया से भी चुदवाने का करता था क्योंकि उसे भी अपनी बुर में कुछ अलग अलग अनुभव चाहिए था,,,, रोज रोज एक ही लंड बुर में डलवाकर उसे कुछ नयापन महसूस नहीं हो पा रहा था और वैसे भी,,, अपने बड़े भैया के लंड को अपनी बुर में बड़े आराम से ले सकती थी,,,,,,क्योंकि उसके बड़े भैया और मंजू दोनों के बीच में किसी भी प्रकार की चीजें नहीं थी एक बार शारीरिक संबंध बनाने के बाद मंजू अपने बड़े भैया से पूरी तरह से खुल चुकी थी लेकिन बड़ा भाई होने के नाते रविकुमार को अपनी गलती पर पछतावा होता था उसे अपने आप पर बुलाने महसूस होती थी,,,, इसलिए वह अपनी छोटी बहन से कतराता रहता था,,,। लेकिन स्वाद तो मंजू की गुलाबी बुर का उसे भी लग गया था,,,,।


ऐसे ही एक दिन शाम ढल चुकी थी अंधेरा हो चुका था और,,, रूपाली चूल्हे के आगे बैठकर रोटियां सेक रही थी ,,,,,, गर्मी का महीना होने की वजह से रूपाली का तन बदन पसीने से तरबतर हो चुका था पसीने से उसका ब्लाउज पूरी तरह से भीग चुका था,,,,,,,, तभी मंजू अपनी भाभी की मदद करने के लिए उधर आई और बोली,,।


लाओ भाभी गर्मी बहुत है मै रोटियां बेल देती हूं,,,,,,(इतना कहते हुए मंजू वहां बैठने ही वाली थी कि अभी उसकी भाभी बोली,,,)


नहीं नहीं मैं कर लूंगी तू जा कर देख तेरे भैया अभी तक आए कि नहीं,,,, और हां आए हो तो एक बाल्टी पानी लेकर चली जाना बेल को पानी देना है,,,।


ठीक है भाभी,,,,(इतना कहकर वह उठ खड़ी हुई जाने के लिए कि तभी उसकी भाभी फिर बोली)


और हां जाते-जाते,,, सुरज को इधर भेज देना लालटेन जलाने के लिए अंधेरा बहुत है,,,


ठीक है भाभी,,,,,,(और इतना कहकर मंजू घर के बाहर चली गई और बाहर ही उसे सुरज नजर आ गया और वह सुरज से बोली,,,)


जा तुझे भाभी बुला रही है,,,


किस लिए,,,,


आज भाभी का मन तेरा लेने को कर रहा है इसलिए,,,


धत्,,,, कैसी बातें करती हो,,,


अरे तो क्या और कैसी बातें करूं वहां जाएगा तब ना पता चलेगा कि भाभी तुझे किस लिए बुलाई है,,, मैं बुलाती तो तेरा लेने के लिए ही बुलाती,,,।



बुर में ज्यादा खुजली हो रही है क्या मौसी,,,?


सच कहूं तो अब तो सारा दिन खुजली होती रहती है मेरा बस चले तो तेरा लंड अपनी बुर में लेकर पड़ी रहुं,,,,(मंजू अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,,, अपनी मौसी की गरम बातों को सुनकर सुरज के पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया था इसलिए अंधेरे का फायदा उठाते हुए सुरज अपना हाथ आगे बढ़ा कर तुरंत सलवार के ऊपर से अपनी मौसी की बुर पर रखकर उसे दबाते हुए बोला,,,)


रात को मिलना आज सारी खुजली मिटा दूंगा,,,


रोज रात को तो मिलती हूं,,,, फिर भी कसर रह जाती हैं,,,


आज नहीं रह जाएगी,,, आज सारी कसर उतार दूंगा,,,,,


वह तो रात को ही पता चलेगा,,,,,,
(इतना कहकर मंजू आगे बढ़ गई,,, सुरज घर के अंदर चला गया,,, अभी तक उसके भैया नहीं आए थे इसलिए वह वहीं बैठ कर अपने भैया का इंतजार करने लगी और अपने मन में सोचने लगे कि एक बार की चुदाई के बाद उसके भैया उसके ऊपर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है जबकि उसके भैया उसकी भाभी की तो रोज लेते हैं,,,,,,मंजू को इसीलिए समझ में नहीं आ रहा था कि उसमें कौन सी कमी है कि उसके भैया दोबारा उसके बदन को स्पर्श तक नहीं किए,,, वह अपने मन में यही सोच कर वही खड़ी रह गई ,, वह आज अपने भैया से पूछना चाहती थी कि उसमें कौन सी कमी है जो दोबारा उन्होंने उसकी चुदाई नही कीए है ,,जबकि आज उसका मन बहुत कर रहा था अपने भैया से चुदवाने का,,,,,


दूसरी तरफ रसोई घर में पहुंचते ही सुरज अपनी मामी से बोला,,,


क्या हुआ मामी,,,?


अरे कुछ नहीं सुरज लालटेन तो जला दे एकदम अंधेरा छाया हुआ है,,,


ठीक है मामी,,,, दियासलाई कहा है,,?


अरे चुल्हे में से आग लेकर जला दे बेवजह दियासलाई की तिल्ली खराब करेगा,,,,,,,(तवे पर रोटी को पलटते हुए बोली,,,,अपनी मामी के लिए बातें सुनकर सुरज कुछ बोला नहीं और नीचे बैठ कर अपना हाथ आगे बढ़ाया है और चूल्हे में जल रही पतली लकड़ी को निकालने लगा कि तभी उसकी नजर अपनी मामी की भरी हुई छातियों पर पड़ी जिस पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह चमक रही थी,,,,ब्लाउज में से झांकती अपनी मामी की दोनों चुचियों को देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया,,,,,,,यह दूसरी बार था जब रसोईघर में अपनी मामी की छातियों को प्यासी नजरों से घुर रहा था,,,। सुरज पूरी तरह से अपनी मामी की मदमस्त कर देने वाली छातियों के आकर्षण में खो गया,,, उसे इतना भी होश नहीं रहा कि उसे लालटेन जलाना है,,,, गर्मी ज्यादा होने की वजह से रूपाली ने पहले से ही अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल रखी थी जिससे उसके ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर बड़े आराम से अपने पंख फड़फड़ा रहे थे,,,,, सुरज का मन अपनी मामी के दोनों कबूतरों को अपनी हथेली में दबोचने को करने लगा,,,,। पल भर में ही सुरज की हालत खराब होने लगी क्योंकि वह जानता था कि भले ही उसके हाथों में बहुत सारी चुचीयां आ चुकी थी जिसे मुंह में लेकर वह पी भी चुका था लेकिन उसकी मामी की चूचियों की बात ही कुछ और थी जिसे देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुटने लगती थी,,,,,, रोटियां बेलते समय जैसे ही रूपाली की नजर अपने भांजे पर पड़ी तो उसकी नजरों को देखकर वह एकदम से सिहर उठी,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि उसका भांजा उसकी चूचियों को निहार रहा है वो एकदम से दंग रह गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, सीधे सीधे अपने भांजे को बोलने में भी उसे शर्म का आभास हो रहा था इसलिए वह बात को घुमाते हुए बोली,,,।



अरे लालटेन जलाएगा कितना अंधेरा है,,,।

हां,,, हां,,,, जलाता हूं,,,,(अपनी मामी की बात सुनते ही सुरज हडबडाते हुए बोला,,, और तुरंत चूल्हे में से जलती हुई लकड़ी लेकर उसे से लालटेन को जलाने लगा और थोड़ी देर में अंधेरे को चीरता हुआ उजाला पूरे कमरे में फैल गया,,,, सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसे लग रहा था कि जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो,,,, लेकिन फिर भी उसकी मामी उसे कुछ बोल नहीं रही थी इसलिए उसे लगने लगा कि उसकी मामी का ध्यान उसके हरकत पर नहीं गई है,,,, और अपनी गलती को सुधारते हुए वह आंगन में पड़े खटिया पर जाकर लेट गया,,,, लेकिन रूपाली के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से देख रही थी और समझ रही थी कि उसके भांजे का ध्यान उसकी चूचियों पर ही था और इसलिए वह अपने भांजे की इस तरह की हरकत से हैरान थी,,, पहले भी अपने भांजे की इस तरह की हरकत को पकड़ चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भांजा आखिरकार ऐसी हरकत क्यों कर रहा है क्यों उसके बदन को प्यासी नजरों से घूरता रहता है,,,, क्या वह जवान हो गया है,,, अपने इस सवाल का जवाब खुद ही देते हुए अपने मन में बोली,,, हां जवान तो वो हो गया है,,, और जिसका अनुभव हुआ कुवे पर ले भी चुकी थी,,, उसके मोटे तगड़े लंड को अपनी गांड की दरार के बीच बीच महसूस भी कर चुकी थी,,,,,। अपने भांजे की इस तरह की हरकत को याद करके उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी,,,,उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसका भांजा पूरी तरह से जवान हो गया है और दूसरे लड़कों की तरह ही औरतों मैं दिलचस्पी लेने लगा है तभी तो वह अपनी मामी की खूबसूरत बदन को चोरी-छिपे देखते रहता है,,,,।


रूपाली को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने भांजे की इस तरह की हरकत परवाह गुस्सा करें कि उसे समझाएं क्योंकि उसकी हरकत की वजह से उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बदन में अजीब सी हलचल क्यों होने लगती थी अभी रोटी बनाते समय भी इस हरकत के चलते उसे अपनी बुर गीली होती महसूस होने लगी थी,,,, जैसे तैसे करके वहां अपना ध्यान रोटी बनाने में लगाने लगी और दूसरी तरफ बैलों के पेरो में बंधे घुंघरू की आवाज को सुनकर,,, मंजू के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी,,,, वह बड़ी बेसब्री से अपने भैया के पास आने का इंतजार करने लगी,,,पर थोड़ी ही देर में घूम रही आवाज एकदम पास आने लगी और देखते ही देखते रविकुमार अपने बेल गाड़ी को लेकर घर पहुंच गया,,,, उसका भैया अभी बैलगाड़ी से उतरा नहीं था कि तभी मंजू बोली,,,।


क्या भैया आज बड़ी देर लगा दी,,,


हां,,, हां मंजू आज सवारी बहुत अच्छी मिल गई थी दो चार पैसे की ज्यादा आमदनी हो गई है इसलिए तो आज मैं गरमा गरम जलेबी या ले कर आया हूं,,,,



अरे वाहहह जलेबियां मेरा तो सुनकर ही मुंह में पानी आने लगा,,,,
(जलेबी का नाम सुनकर मंजू की हालत को रविकुमार की तरह से समझ रहा था क्योंकि उसे जलेबी बहुत पसंद थी लेकिन जिस अदा से उसने मुंह में पानी आने वाली बात की थी,,,, उसकी बात को सुनकर रविकुमार की धोती में हलचल होने लगी थी,,,)
 
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जलेबी की मिठास रूपाली की बुर में नमकीन रस घोल रही थी,,,घर पर जलेबी आने का मतलब को अच्छी तरह से समझती थी क्योंकि जब से वह शादी करके घर आई थी तब से निरंतर यह चलता ही आ रहा था,,, इसलिए रह रह कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लग रही थी और शर्म से उसके गाल लाल हुए जा रहे थे,,,, आज उसकी जमकर सेवा होने वाली थी,,, मंजू अपनी मंशा को पूरी कर चुकी थी इस तरह से चोरी-छिपे चुदवाने में जो आनंद आता है उसका लुफ्त उठा कर मंजू पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, अपनी रस भरी जवानी पर उसे पूरा विश्वास था क्योंकि वह जानती थी कि अपनी खूबसूरती से वह अपने भैया को अपनी तरफ आकर्षित कर लेगी क्योंकि उसका भाई एक बार संबंध बनाने के बाद उससे कतराने लगा था और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी,,, पहले अपनी बातों से गर्म करने के बाद अपनी कामुक हरकतों से वह अपने बड़े भैया को पूरी तरह से अपनी जवानी के रस में घोलकर उसके साथ दुबारा शारीरिक संबंध बना ही ली और मंजू की कामुक हरकत की वजह से रविकुमार भी,,अपने कदमों पर अपने वचन पर कायम नहीं रह पाया और सब कुछ एक तरफ रख कर वह अपनी बहन की मादक भरी जवानी में खो गया,,, रविकुमार चलेगी इसीलिए ही खरीदा था कि घर पर चलकर अपनी बीवी को जलेबी खिला कर रात भर उसकी जवानी का रस चखेगा लेकिन उससे पहले ही उसकी बहन ने ही उसे अपनी जवानी का रस पिला दी,,, जिससे उसका हौसला और बुलंद हो गया था,,, घर के किसी भी सदस्य को कानों कान इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि घर का जिम्मेदार सदस्य घर के पीछे अपनी बहन की चुदाई कर रहा है,,,,।


खाना खाने के बाद,,, रूपाली और रविकुमार अपने कमरे में चले गए,,,,, मंजू सुरज के आने से पहले भी कमरे में जाकर खटिया पर लेट गई थी वह सुरज से चुदवाना चाहती थी,,, लेकिन सुरज के आने से पहले ही उसकी आंख लग गई और वह सो गई सुरज जब कमरे में प्रवेश किया तो देखा कि उसकी मौसी गहरी नींद में सो रही है,,,, सुरज को इस बात का इत्मीनान था कि वह कभी भी अपनी मौसी की चुदाई करके संतुष्ट हो सकता है इसलिए अपनी मौसी को जगाना हुआ उचित नहीं समझा लेकिन खटिया पर लेटे लेटे उसे नींद नहीं आ रही थी,,, क्या किया जाए उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था रह-रहकर उसे गौरी की याद आ रही थी दिन का समय होता तो वह गौरी से मिलने के लिए उसके घर चला गया होता लेकिन रात का समय था इसलिए जाना उचित नहीं था लेकिन तभी उसे ख्याल आया कि बहुत दिन हो गए हैं बगल वाले कमरे में तांक-झांक कीए क्यों ना आज फिर से वही काम किया जाए जिसे देखकर ही जवानी का मजा लूट रहा है,,, यही सोचकर वह खटिया पर से नीचे उतरा और उसी छोटे से छेद वाली जगह पर पहुंच गया,,,, खाना बनाते समय में अपनी मामी की चुचीयों की घेराइयों को देखकर पहले ही वह उत्तेजित हो चुका था इसलिए इस समय उसके मन में अपनी मामी को नंगी देखने की इच्छा प्रबलीत हो रही थी वह अपनी मामी को एक बार फिर से नंगी देखना चाहता था उसके हर अंग को अपनी आंखों से उसके मदन रस को पीना चाहता था,,,,,, आज भी उसे अपनी मामी नंगी देखने को मिलेगी इसी आज के साथ हुआ छोटे से छेद से अपनी आंख टीका दिया,,, तो सामने ही उसकी मामी नजर आई जो छोटे से कमरे में बनी छोटे से गुसल खाने मैं जहां पर पीने का पानी रखा जाता है और रात के समय उसकी मामी पेशाब करने के लिए उसी का इस्तेमाल करती थी वहीं पर देखा कि उसकी मामी खड़ी थी और मटके में से पानी निकाल कर पी रही थी बगल वाले कमरे में भी लालटेन अपनी पूरी रोशनी बिखेर रहा था जिससे कमरे का हर एक कोना नजर आ रहा था,,,,,,, अपनी मामी को पानी पीता देखकर ना जाने क्यों इतने सही सुरज उत्तेजित होने लगा,,,, सुरज की मामी पानी पीने के बाद ग्लास को वही रख कर रविकुमार की तरफ देखी और मुस्कुराने लगी रविकुमार हमेशा की तरह खटिया पर पीठ के बल लेटा हुआ था लेकिन उसके बदन पर पूरा वस्त्र था उसने अभी अपने कपड़े निकाले नहीं थे,,,,।

अरे वही खड़ी देखती ही रहोगी कि आओगी भी,,,,


अरे आ रही हूं थोड़ा सब्र कीजिए आप तो एकदम उतावले हो जाते हैं,,,।


क्या करूं मेरी जान इसीलिए तो आज जलेबी लेकर आया था कि आज सारी रात तुम्हारी लेकर मस्त हो जाऊंगा,,,


रोका किसने है आप जलेबी लेकर आए थे तभी मैं समझ गई थी और रात भर की तैयारी के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी,,,। तुम्हारा जलेबी लाने के मतलब को मैं अच्छी तरह से जानती हूं,,,(रूपाली वही खड़ी खड़ी मुस्कुराते हुए बोल रही थी सुरज को भी अब जलेबी लाने के पीछे का मकसद पता चलने का वह समझ गया कि उसके मामा घर पर जलेबी लाकर उसकी मामी को जलेबी खिला कर रात भर उसकी चुदाई करते हैं,,। सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर तोड़ने लगी वह अपनी मामी को जल्द से जल्द नंगी देखना चाहता था उसकी चूचियों को खास करके वहां नंगी देखने के लिए मचल रहा था,,, तभी सुरज ने जो देखा उससे उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा,,,, उसकी मामी उसी छोटे से बने खुसर खाने में खड़ी थी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते-देखते सुरज की आंखों के सामने ही उसकी मामी ने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और नीचे बैठकर मुतना शुरू कर दी,,,। सुरज के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी उठने लगी,,, उसके लंड की नसों में उसकी मामी की मदहोशी बहने लगी,,,। सुरज की सांसे पल भर में गहरी चलने लगी सुरज की आंखों के सामने भले ही रूपाली इस बात से अनजान थी कि उसका भांजा उसे चोरी छुपे देखता है वह निश्चिंत होकर मुत रही थी,,,उसकी मुतने की वजह से उसकी बुर की पत्तियों के पीछे से जो मधुर संगीत निकल रही थी वह सुरज के कानों तक पहुंच रही थी जिसे देखकर पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखना था वह पहले भी औरतों को पेशाब करते हुए देखा और उसका सुख प्राप्त कर चुका था लेकिन अपनी मामी को पेशाब करते हुए देखने में जो सुकून मिलता था उससे वह अपने शब्दों में बयां नहीं कर पाता था जिसे देखकर पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगता था उस पल में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था और यही हो भी रहा था उसकी आंखों के सामने उसकी मामी अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए मुत रही थी और जिसे देखकर सुरज के लंड में हरकत होना शुरू हो गया था,,,,,, सुरज इस दृश्य की मादकता को बर्दाश्त कर सकने में असमर्थ था वहीं दूसरी तरफ उसका मामा बड़े आराम से इस दृश्य को देख रहा था और धोती के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,, रविकुमार बड़े आराम से परिदृश्य को देख रहा था क्योंकि वह उस औरत को रोज चोदता था उस पर उसका पूरा हक था जिसे जब चाहे तब उसकी चुदाई कर सकता था और सुरज इस दृश्य को देखकर इसलिए असहज हो रहा था क्योंकि,,, सुरज के लिए उसकी आंखों के सामने बैठकर पेशाब करने वाली औरत पर उसका उस तरह का हक नहीं था कि वहां जब चाहे तब उसे बिस्तर पर ले जाकर उसकी चुदाई कर दे उसके साथ संभोग सुख प्राप्त कर सके इसलिए यह दृश्य सुरज के लिए बेहद कामुकता भरा था,,,।

देखते ही देखते सुरज की मामी उसकी आंखों के सामने मुत कर खडी हो गई,,,लेकिन वह खड़ी होने के बावजूद भी कमर से अपनी साड़ी तो नीचे नहीं गिरा है बल्कि उसी तरह से कमर से अपनी साड़ी को पकड़े हुए ही अपनी नंगी गांड को मटकाते हुए सुरज के मामा के करीब जाकर खड़ी हो गई सुरज एक बार फिर से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था,,, ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मामी को इस रूप में देख रहा हो,, वह पहले भी अपनी मामी को इस रूप में देख चुका था नंगी चुदवाते हुए,,, लेकिन फिर भी यह कसक ऐसी थी कि जब-जब सुरज अपनी मामी को इस रूप में नंगी देखता था तुम से ही लगता था कि वह पहली बार देख रहा है और उसकी उत्तेजना हर बार बढ़ती ही जाती थी,,,,।


सुरज की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह पूरी तरह से चुदवाया हो गया था,,, उसका मन कर रहा था कि नींद में ही सही अपनी मौसी की चुदाई कर दे,,, लेकिन शायद खुद चुदाई करने से ज्यादा सुख उसे अपनी मामी को इस रूप में देखने से प्राप्त हो रहा था इसलिए वह इस लालच में वही रुक आ रहा और अपनी मामी की गंदी हरकत को देखकर मस्त होता रहा उसके मामा खटिया पर लेटे हुए ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी नंगी गांड को सहलाने लगे और बोले,,,,,,

आज तो बहुत मजा आएगा,,,( और इतना कहने के साथ ही वह रूपाली को अपनी तरफ खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया,,, और उसकी नंगी गांड को जोर-जोर से अपनी हथेली में लेकर दबाने लगा,,,। इस तरह का दृश्य हर बार देखने पर सुरज के तन बदन में मदहोशी की ताजगी भर देती थी,,,, रविकुमार पूरा जोर लगा कर अपनी बीवी की गांड अपनी हथेली में दबोच ते हुए दबा रहा था और सुरज की मामी को बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फुट रही थी,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे,,, सुरज के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़क रहे थे,,, वह बार-बार अपनी मौसी मंजू की तरफ देख ले रहा था,,, क्योंकि वह अपने मन में सोच रहा था कि,,, अगर उसकी मौसी की नींद खुल जाए तो वह भी अपनी सारी गर्मी अपनी मौसी की बुर में निकाल दे,,, लेकिन फिर भी जो कुछ भी अपनी आंखों से देख रहा था उसके लिए बहुत था,,, क्योंकि जब भी वह दीवार के छोटे से छेद में से बगल वाले कमरे में जाता था तब तक उसे कुछ सीखने को ही मिलता था एक तरह से बगल वाला कमरा उसके लिए एक पाठशाला हो गई थी जिसमें संभोग का हर एक अध्याय के हर एक पन्ने को वह अपनी आंखों से पढ़ रहा था और उसे कुछ सीख रहा था,,,, उसके मामा और उसकी मामी उसके लिए अध्यापक का काम कर रहे थे,,,,, की मामी की खूबसूरत बदन में कितनी गर्मी है सुरज अपनी आंखों से कई बार देख चुका है लेकिन यह देखने की प्यास थी कि बुझती ही नहीं थी,,,,,,।

रूपाली अपने पति के जांघों पर बैठ गई और अपनी ब्लाउज का बटन खोलने लगी,,,,, सुरज कि सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,अपनी मामी का यह रूप उसे बेहद कामुक लगता था ऐसा लगता था कि जैसे खुद काम देवी उसकी आंखों के सामने बैठी हो,,, चूची के आकार से कम नाप का ब्लाउज होने के नाते रूपाली का ब्लाउज पूरी तरह से कसा हुआ होता था ऐसा लग रहा था कि जैसे दो खरबूजे उसके ब्लाउज में ठुंस ठुंस कर भरे हुए हो,,,ऐसा नहीं था कि रूपाली की चूचियां छोटी थी उसका वास्तविक रूप ही खरबूजे की तरह था जिसे देख कर दुनिया के हर एक मर्द के मुंह में पानी आ जाता था देखते ही देखते सुरज कि मामी ने आपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और ब्लाउज के खुलते ही उसके दोनों खरबूजे उसकी छातियों की शोभा बढ़ाते हुए लटक गए हालांकि उसकी चुचियों में लटकन बिल्कुल भी नहीं था एकदम तनी हुई दुश्मन को आंख दिखाती हुई नजर आ रही थी,,,, रविकुमार अपनी बीवी की चूचियों को जी जान से प्यार करता था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बीवी की चूचियां लाखों में एक थी,,, और अपनी मामी की मदमस्त कर देने वाली चूचियों के आकार और उसके आकर्षण से सुरज भी वाकीफ था क्योंकि उसके जीवन में भी धीरे-धीरे करके बहुत सी औरतें आती जा रही थी लेकिन जो आकर्षण उसे अपनी मामी की चुचियों से प्राप्त हो रहा था एक ऐसा आकर्षण उसे अभी तक किसी भी औरत की चुची में नजर नहीं आया था इसीलिए तो इस समय भी अपनी मामी की चूची को देखकर सुरज के मुंह में पानी आ रहा था,,, सुरज की लालच को और ज्यादा बढ़ाते हुए उसके मामा अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर सुरज की मामी की दोनों चूची को पके हुए पपीते की तरह थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,,, अपने मामा की हरकत को देखकर सुरज के तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,,अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसके मामा की जगह वो होता तो ओर ज्यादा मजा आता,,,,।

लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,सुरज के मामा उसकी मामी की चूचीयो में व्यस्त थे और उसकी मामी अपने ब्लाउज को अपनी बाहों में से निकाल कर अलग कर रही थी,,, देखते ही देखते सुरज की मामी अपने ब्लाउस निकालकर खटिया के नीचे फेंक दी और यही हाल होता है,,, जब कामुकता और उत्तेजना बदन में पूरी तरह से
असर कर जाती है तो यही होता है,,, औरत और मर्द दोनों एक दूसरे में समाने की जल्दबाजी में अपने कपड़े उतार उतार कर फेंकना शुरू कर देते हैं और यही हाल रूपाली का भी था अपना ब्लाउज उतारकर खटिया के नीचे फेंक दी,,,।
स्तन मर्दन का मजा सुरज की माफी पूरे जोश के साथ लेती थी,,, चूची दबाने में जितना मजा मर्दों को आता है उससे कहीं ज्यादा मजा औरतों को आता है,,, इसीलिए तो सुरज की मामी गरमा गरम सिसकारी के साथ चूची दबवाने का आनंद लूट रही थी,,,।

सहहहहह आहहहहहहहहह,,,ऊईईईई, मां,,,,ऊमममममम,,,।

इस तरह की गरमा गरम आवाज को सुनकर सुरज पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,, वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया था,,,। थोड़ी देर बाद रविकुमार अपने ऊपर बैठे अपनी बीवी की साड़ी की गांठ को खोलने लगा और अगले ही पल वह अपनी बीवी की कमर पर से साड़ी को धीरे धीरे उतारना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते रविकुमार रूपाली की साड़ी,, उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया,,,धीरे-धीरे सुरज अपनी मामी को नंगी होता हुआ देख रहा था उसके बदन पर केवल उसका पेटीकोट नहीं किया था जिस की डोरी को पकड़कर उसके मामा खींच दीए थे,,,,, और अपने पति का साथ देते हुए रूपाली उसी अवस्था में खड़ी हो गई,,,,और अपनी कमर से कसी हुई पेटीकोट को ढीली करके उसे यूं ही छोड़ दी सुरज अपनी आंखों से मादकता भरे नजारे को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,, सुरज की मामी खटिया पर एकदम नंगी खड़ी थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका वजन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था,,,,, जिसे देखकर सुरज के मुंह में पानी आ रहा था,,,। सुरज का लंड पूरी तरह से मचल रहा था अपनी मामी की बुर में जाने के लिए,,, लेकिन शायद अभी उसकी किस्मत में यह नहीं लिखा था,,,, केवल देखकर ही वह संतोष प्राप्त कर रहा था,,,,,।


सच कहूं तो रूपाली तुम नंगी होने के बाद स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा की तरह नजर आती हो,,,।


अप्सरा देखे हैं क्या आप,,,?( बारी बारी से एक एक टांग ऊपर करके अपने पेटिकोट को अपनी टांगों में से निकलते हुए बोली,,,)

तुम्हें देख लिया तो स्वर्ग की अप्सरा को भी देख लिया इतना तो मैं जानता हूं कि स्वर्ग की अप्सरा भी तुमसे ज्यादा खूबसूरत नजर नहीं आती होगी,,,।


हटीए,,,, बेवजह बातें बनाते हैं,,,(रूपाली शर्माते हुए बोली,,,)


सच कह रहा हूं मेरी रानी,,,,(नंगी चिकनी मांसल पिंडलियों को सहलाता हुआ रविकुमार बोला,,,,, सुरज की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी मामी खटिया पर खड़ी थी और अपने हाथों से अपनी चुचियों को मसल रही थी,,, शायद यह घर पर जलेबी लाने का असर था जो भी दोनों को पूरी तरह से मदहोश किए जा रहा था,,,,)

अपने कपड़े उतारो कि सिर्फ मेरे ही उतारोगे,,,



अरे मेरी जान चिंता क्यों करती हो बिना कपड़े उतारे मजा लेने वाला नहीं हूं कपड़े उतार कर ही मजा आता है,,,।
(इतना कहने के साथ ही रविकुमार अपनी धोती को खोलने लगा और अगले ही पल धोती को उतार कर नीचे फेंक दिया उत्तेजना के मारे उसका लंड खड़ा था कुछ देर पहले ही वह अपनी बहन की चुदाई कर चुका था,,, लेकिन फिर भी उसका लंड खड़ा था जिसका एक ही कारण था रूपाली,,, रूपाली की खूबसूरत मदहोश कर देने वाली जवानी देखकर मुर्दे में भी जान आ जाए,,, अपने पति के खड़े लंड को देखकर रूपाली मुस्कुराने लगी यह देख कर सुरज को जलन होने लगी क्योंकि वह जानता था कि उसका लंड उसके मामा से कई मायने में जबरदस्त मोटा तगड़ा और लंबा है और उसकी मामी है की ,,, उसके मामा के आधे लंड को देखकर,,, खुश हो रही है सुरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसकी मामी उसके लंड को देख लेगी तो तब तो खुद ही उसके लिए साड़ी उठा देगी,,,, फिर अपने मन में मामी यह सोचने लगा कि अभी तक उसने अपनी मामी को अपने लंड के दर्शन नहीं कराए हैं वरना उसकी मामी ना जाने कब का उसे दे दी होती,,,,। यही सोचता हुआ सुरज अपने लंड को पजामे के ऊपर से जोर जोर से दबा रहा था,,,,,,देखते ही देखते रविकुमार अपना कुर्ता भी उतार दिया और खटिया पर दोनों एकदम नंगे हो गए,,,,।सुरज को लगा कि आप उसका बाप उसकी मामी की चुदाई करना शुरू कर देगा लेकिन ऐसा नहीं था सुरज की मामी खटिया पर बैठ गई और रविकुमार खटिया पर से नीचे उतरा और कोने में रखी सरसों के तेल की कटोरी हाथों में ले लिया,,,, जिसे देखकर सुरज की मामी शर्मने लगी सुरज को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या होने जा रहा है,,,, रविकुमार तेल की कटोरी देकर खटिया के पास आकर खड़ा हो गया,,,, और एक हाथ से अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,,।


उसमें नहीं डालोगे तो क्या मजा नहीं आएगा,,,


मेरी जान कभी कभी तो मौका मिलता है,,, तुम्हारी गांड में डालने का,,,,,


गांड मारने में तुम्हे ईतना मजा आता है,,,


सच कहूं तो बहुत मजा आता है कभी-कभी तुम्हारी दूसरे छेद का भी मजा ले लेना चाहिए,,,।
(सुरज को सारा मामला समझ में आ गया था सुरज तो यह सुनकर पूरी तरह से सन्न रह गया था उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन उसकी आंखें और कान दोनों झूठ नहीं बोल रहे थे अपनी मामी की बात सुनकर और पूरी तरह से उत्तेजना से सिहर उठा था बड़ी सहज होकर उसकी मामी गांड मारने की बात कर रही थी जिस की तैयारी में उसका मामा लगा हुआ था,,,,गांड मारने के बारे में सुरज ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की औरतों की गांड भी मारी जाती है आज वह अपनी आंखों से देख रहा था,,,, संभोग कला का एक बार अपनी आंखों से देख कर सीखने जा रहा था,,,, अपने मन में सोचने लगा कि अच्छा ही हुआ कि आज वह फिर से इस छोटे से छेद में से झांकने का सौभाग्य प्राप्त कर लिया वरना यह अद्भुत नजारा और अकल्पनीय अध्याय सीखने को नहीं मिलता वह देखना चाहता था कि क्रिया कैसे होती है,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह यह देखने के लिए उत्सुक थी कि आगे क्या होता है,,,, हाथ में कटोरी लिए हुए उसके मामा बोले,,,।


मेरी रानी अब पेट के बल लेट जाओ,,, तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड की सेवा करने का समय आ गया है,,,।
(अपने मामा की बातें सुनकर और वह भी अपनी मामी के लिए सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी,,, सुरज टकटकी लगाए सारे दृश्य को अपने दिमाग में कैद किए जा रहा था उसके मामा की बात सुनते ही मुस्कुराते हैं उसकी मामी पेट के बल लेट गई खटिया पर पेट के बल लेटे होने के बावजूद भी उसकी बड़ी-बड़ी गांड बेहद खूबसूरत और उठी हुई लग रही थी,,,, उसके नितंबों का उभार पहाड़ की तरह नजर आ रहा था,,, जिस पर चढ़ने के लिए किस्मत का साथ होना बेहद जरूरी था और इस समय ऐसी किस्मत सिर्फ उसके मामा की थी,,, इस हालत में कोई अगर रूपाली को देख ले तो शायद उसका पानी निकल जाए क्योंकि वह इस समय खटिया पर एकदम नंगी लेटी हुई थी और अभी पेट के बाद उसकी नंगी चिकनी पीठ के साथ-साथ उसके नितंबों का उभार जानलेवा नजर आ रहा था,,। एक नजर अपनी नंगी बीवी के बदन पर डालते हुए बोला,,,।

हाय मेरी जान भगवान ने मेरी किस्मत अपने हाथों से लिखा था जो तुम्हें मेरी किस्मत में लिख दिया था,,,, आज तो जी भर कर तुम्हारी लूंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही रविकुमार खटिया पर बैठ गया और कटोरी मे रखे हुए सरसों के तेल की धार को रूपाली की गांड पर गिराना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में सुरज की मामी की गांड सरसों के तेल में और ज्यादा चमकने लगी सुरज की सांसे उत्तेजना के मारे उखडती चली जा रही थी,,,,,, अपनी गांड पर तेल की धार पड़ने पर रूपाली एकदम मस्त भेजा रही थी उसके चेहरे पर संतुष्टि और उत्तेजना के भाव साहब झलक रहे थे उसे मालूम था कि अब आगे क्या होने वाला है इसलिए मन ही मन अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर रही थी,,,,।

रविकुमार सरसों के तेल की कटोरी को नीचे रखकर अपनी दोनों हथेलियां अपनी बीवी की गांड पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया एक तरह से वह अपनी बीवी की गांड की मालिश कर रहा था,,,, हां जोर जोर से अपनी हथेली में जितना हो सकता था आप अपनी बीवी की गांड को दबोच कर उसकी मालिश कर रहा था,,,, अपनी मामी की गांड की मालिश होता हुआ देखकर सुरज का मन ललचा रहा था,,,,इस तरह का दृश्य देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना का कामज्वर बढ़ता जा रहा था,,,,सुरज के मामा एकदम उत्तेजित होने जा रहे थे वहां रह रह कर जोर से सुरज की मामी की गांड पर चपत लगा देंगे जिससे सुरज की मामी के मुंह से आह निकल जा रही थी और यह आहह की आवाज उत्तेजना पूर्ण थी,,,,सुरज की मामी को भी अपनी गांड पर चपत लगाना बहुत ही अच्छा लग रहा था,,, देखते ही देखते सुरज की मामी की गोरी गोरी गाल टमाटर की तरह लाल हो गई,,,,सुरज को साफ नजर आ रहा था कि जब जब उसके मामा उसकी मामी की गांड पर जोर से चपत लगा दी थी तब तक उसकी नरम नरम बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी की तरह लहरा उठ रही थी जिसे देखकर सुरज का मन कर रहा था कि वह भी अंदर घुस जाए और अपने मामा का साथ दें,,,,, क्योंकि इस तरह का मादकता भरा दृश्य उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,,पजामे के अंदर उसका लंड बगावत पर उतर आया था ऐसा लग रहा था कि जैसे पजामा फाड़कर उसका लंड बाहर आ जाएगा,,,, जिसे बड़ी मुश्किल से अपनी हथेली में पकड़ कर सुरज दबोचे हुए था,,,।

कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,


आहहहहह,,, बहुत सुकून मिल रहा है,,,,रोज इसी तरह से मालिश किया कीजिए दिन भर की थकान दूर हो जाती है,,,,
(अपनी मामी की बात सुनकर सुरज अपने मन में कहने लगा कि उसे भी एक बार यह मौका दे कर देखो दिन-रात मालीस ही करता रहेगा,,,)


मैं तो रोज तुम्हारी मालिश करूं लेकिन क्या रोज गांड मारने दोगी,,,।


ना बाबा बिल्कुल नहीं,,,, इसीलिए तो मैं तुमसे जलेबी नहीं मंगवाती,,,।


हां सच कह रही हो तभी तो मुझे ही खरीद कर लाना पड़ता है,,,।

(अपनी मामी और मामा की बात सुनकर सुरज समझ गया था कि जलेबी उन दोनों के बीच होने वाले इस रिश्ते का इशारा था लेकिन जलेबी घर में आती थी समझ लो की उसकी मामी की गांड चुदने वाली होती थी,,,,,,, रविकुमार पूरा जोर लगा कर सुरज की मामी की गांड की मालिश कर रहा था,,,, और फिर धीरे से खडा हुआ और अपने लंड को हवा में लहराता हुआ अपनी बीवी के सिहरीने आया और बोला,,,)


अब ईसे मुंह में लेकर गिला कर दो ताकि आराम से जा सके,,,,।
(और बिना ना नकुर किए,, रूपाली धीरे से उठी और रविकुमार के लंड को मुंह में लेकर बड़े आराम से चूसना शुरु कर दी क्योंकि शायद वह भी जानती थी कि लंड का गीला होना बेहद जरूरी है,,, थोड़ी देर तक सुरज की मामी अपने पति के लैंड को मुंह में लेकर चुस्ती रही और फिर उसे बाहर निकाल दी,,,उसकी मामी की इस हरकत पर सुरज उत्तेजना के मारे अपनी आंखों को बंद कर ले रहा था और अपने मामा की जगह अपने आपको रखकर कल्पना कर रहा था वह अच्छी तरह से जानता था कि उसके मामा का है बड़े आराम से उसकी मामी के मुंह में चला जा रहा था लेकिन उसका लंबा लंड उसके गले तक उतर जाएगा जिसे आराम से चूस पाना बहुत मुश्किल होता है,,,, लेकिन यह बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस दिन यह मौका मिलेगा उसे बहुत मजा आएगा,,,, अपने पति के लंड को मुंह में से बाहर निकलने के बाद वह बोली,,,।)


देखना आराम से करना और सरसों का तेल थोड़ा छेद पर ज्यादा लगा लेना वरना अंदर जाने में तकलीफ होगी,,,।
( अपनी मामी के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सुरज उत्तेजना से पूरी तरह से गदगद हो गया,,, और उसकी बात सुनकर उसके मामा बोले,,,)


तो फिर कोई चिंता मत करो मेरी रानी तुम्हारी गांड का छेद मेरे लिए अनमोल तोहफा है इसे मैं बिल्कुल भी तकलीफ नहीं पहुंचाऊंगा,,,, बस थोड़ा सा गांड़ ऊपर की तरफ उठा दो तो तुम्हे पेलने में आसानी होगी,,,
(और इतना सुनते ही रूपाली आज्ञाकारी बीवी की तरह अपनी भारी-भरकम गोल गोल गांड को ऊपर की तरफ हवा में उठा दी मानो की दुश्मन को दागने के लिए कोई तोप निशाना लगा रहा हो,,,, यह नजारा देखकर सुरज तो चारों खाने चित हो गया क्योंकि गांड उपर की तरफ उठाने पर सुरज को उसकी मामी की बड़ी बड़ी गांड एकदम सामने नजर आने लगी उसका गुलाबी छेद उसके भूरे रंग का छेद सब कुछ लालटेन की रोशनी में नजर आने लगा था,,, जिसे देखकर सुरज के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,,,अब आगे क्या होने वाला है इसके बारे में सोच कर सुरज के बदन में उत्तेजना के मारे कंपन होना शुरू हो गया था,,, जवानी से भरा हुआ उसका लंड अंगड़ाई ले रहा था,,, सुरज के मामा से एक बार फिर से नीचे रखी सरसों के तेल की कटोरी उठा लिए,,, और एक हाथ से रूपाली की कमर पर दबाव देते हुए उसे अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठाने का इशारा किया सुरज की मामी अपने पति के इसे सारे को समझ गई और अपनी भारी-भरकम गोलाकार गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा

दी,,,, अब सुरज को उसकी मामी की गांड का छेद इधर साफ नजर आ रहा था,,,, जिस पर उसके मामा कटोरी से तेल की धार गिरा रहे थे,,, और गांड के छेद पर सरसों के तेल की धार गिरने पर सुरज की मामी कसमसा रही थी,,, यह सब देख कर सुरज इतना तो समझ गया था कि यह पहली बार का नहीं था उसकी मामी बहुत बार गांड मरवा चुकी थी अपनी मामी की इस हरकत पर और पूरी तरह से,,, समझ गया था कि उसके मामा के साथ-साथ उसकी मामी भी इस मामले में बेहद शौकीन किस्म की औरत है भले ही दिन भर कितनी भी संस्कारी बनकर रहती हैं लेकिन रात को उसके अंदर की असली औरत जाग जाती है,,, और उसकी यही आदत सुरज के लिए उसकी दोनों टांगों के बीच का फासला तय करेगी ऐसा उसे पूरा विश्वास हो गया था,,,,,।

थोड़ी ही देर में उसकी मामी की गांड का छेद पूरी तरह से सरसों के तेल से लबालब चिकना हो गया जिसे उसके मामा उसे अपनी हाथों से मसलकर और ज्यादा फैला रहे थे और थोड़ा सा सरसों का तेल अपने लंड पर भी लगा कर उसकी धार को और तेज कर रहे थे,,,,।


अब तैयार हो जाओ मेरी जान तुम्हें चांद पर ले जाने का समय आ गया है,,,,।
(अपने मामा के मुंह से इतना सुनते ही सुरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, क्योंकि अब वह नजर आने वाला है जिसका उसे बेसब्री से इंतजार था,,,, देखते ही देखते उसके मामा उसकी मामी की गांड के पीछे आ जाए सुरज की मामी का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानती थी कि शुरू शुरू में थोड़ा दर्द होता है लेकिन उसके बाद मजा भी बहुत आता है और इसी दर्द के लिए अपने आपको तैयार कर रही थी,,,, सुरज के मामा अपने लंड का सुपाड़ा सुरज की मामी की गांड के भूरे रंग के छेद पर लगा दिए जो कि पहले से ही पूरी तरह से गिला हो चुका था और तेल की वजह से लसलसा हो गया था,,,,, रविकुमार‌ने थोड़ा सा अपनी कमर को धक्का लगाया,,, और गीलापन पाकर रविकुमार के लंड कैसे पड़ा धीरे से सुरज की मामी की गांड के छेद में सरक गया,,, और हल्की सी कराहने की आवाज सुरज की मामी के मुंह से निकल गई,,, सुरज समझ गया कि उसके मामा का लंड उसकी मामी की गांड में प्रवेश कर गया है,,,, और देखते ही देखते रविकुमार अपना पूरा लंड धीरे-धीरे करके सुरज की मामी की गांड में डाल दिया और उसकी बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर,,, अपनी कमर को आगे पीछे करके सुरज की मामी की गांड मारना शुरू कर दिया,,,, सुरज ने चुदाई के बहुत सारे दिन से देखे थे लेकिन गांड मारने वाला तेरे से पहली बार देख रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मामी गांड मरवा रही है,,,,सोचने में ही यह बेहद अद्भुत और उत्तेजना पन लगता है लेकिन सुरज तो अपनी आंखों से देख रहा था बड़े आराम से उसके मामा का भी उसकी मामी की गांड के छोटे से छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,, देखते ही देखते पूरे कमरे में सिसकारी की आवाज गूंजने लगी इस इस कार्य की आवाज सुनकर सुरज से रहा नहीं जा रहा था और वह पजामे को नीचे करके अपनी लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,,, अंदर का दृश्य और भी ज्यादा गर्माहट पकड़ रहा था,,,क्योंकि सुरज के मामा सुरज की मामी की गांड पर जोरदार चपत लगाते हुए उसकी गांड मार रहे थे,,, हर धक्के के साथ सुरज की मामी की बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी कि तरह लहरा जा रही थी,,, यह दृश्य बेहद अद्भुत था,,। सुरज की मामी का गदराया बदन इस अवस्था में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था खटिया से चरर चररर की आवाज आ रही थी,,, जो कि दोनों की कामलीला का जीता जागता सबूत था,,,, सुरज के मामा जी बड़े आराम से सुरज की मामी की गांड मार रहे थे,,,दोनों को बहुत मजा आ रहा था सुरज को भी लगने लगा था कि शायद गांड मारने में बहुत मजा आता है इसलिए वह भी इस अनुभव से गुजारना चाहता था,,,, ऐसे में उसका जुगाड़ केवल उसकी मौसी ही थी जिस पर वह किसी भी प्रकार से मनमानी कर सकता था,,,, वैसे तो उसकी यादी में सुधियां काकी और उसकी बहू के साथ साथ नामदेवराय की बहन कजरी भी थी,,,दोनों नामदेवरत की बहन कजरी और सुधियां काकी अनुभव से भरी हुई थी लेकिन कभी भी उन दोनों ने गांड मारने वाली बात नहीं की थी इसलिए सुरज को कुछ समझ में नहीं आ रहा था इस बारे में वह केवल अपनी मौसी से ही बात कर सकता था और ऐसा करने के लिए वह मन में ठान लिया था,,,,


बगल वाले कमरे में उसके मामा के धक्के तेज हुए जा रहे थे हर धक्के के साथ उसकी मामी आगे की तरफ लहरा उठ रही थी जिसे उसके मामा ने कमर से कसके थाम रखा था इसलिए संभले हुए थी,,, देखते ही देखते सुरज के मामा की कमर बड़ी तेजी से हीलने लगी,,, और कुछ ही दिनों में वह अपना पूरा गर्म लावा उसकी मामी की गांड में गिरा दिया,,,, और उसकी पीठ पर लेट गया,,,, इस गरमा-गरम दृश्य का साक्षी केवल सुरज ही था जो अपनी मामी और मामा की गरमा गरम चुदाई के साथ आज गांड मारने वाला भी दृश्य देख लिया था,,,,,,,

बगल वाले कमरे की गरमा गरम द्शय को देखकर,, सुरज का हाथ भी बड़ी तेजी से चल रहा था थोड़ी देर बाद उसका भी पानी,, निकल गया,,,,,, अब आगे उसे कुछ भी देखने की जरूरत नहीं थी,,।
 
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पंछियों की मधुर आवाज के साथ सुरज की नींद खुली तो,, देखा कि मंजू अकेली गहरी नींद में सो रही थी उसकी खूबसूरत चेहरे को सुरज देखता ही रह गया,,, और मन ही मन अपनी मौसी को धन्यवाद देने लगा क्योंकि भले ही शुरुआत सुधियां काकी से हुई हो लेकिन सबसे ज्यादा तन का सुख उसकी मौसी ही उसे प्रदान कर रही थी,,, कुछ देर तक सुरज एक टक अपनी मौसी की खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया सोते समय वहां और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी उसकी बालों की लटे उसके गालों पर लोट रही थी,,,,,,सुरज अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसकी रेशमी बाल की लटो को अपनी ऊंगलियों से सहारा देकर उसके कान के पीछे ले गया,,, तो मंजू की आंख खुल गई,,,,,, तो वह अंगड़ाई लेते हुए बोली,,,।


बाप रे सुबह हो गई क्या,,,?


हां सुबह तो हो गई है लेकिन अभी उतनी सुबह नहीं हुई है कि तुम घर के बाहर जाकर काम कर सको,,,,


हममममम,,,,(फिर से अंगड़ाई लेते हुए उठ कर बैठ गई) बाप रे रात को तो एकदम से गहरी नींद में सो गई,,।


वही तो मैं देख रहा हूं कि रात को तुमने मुझे दी नहीं,,, जलेबी खा कर ऐसी सोई की सोती ही रह गई,,,।


हां तू सच कह रहा है मीठा खाने के बाद नींद भी बहुत गहरी आती है,,,,(मंजू पहले से ही अपने बड़े भैया से चुदवा कर थक चुकी थी इसलिए खटिया पर लेटते ही सो गई थी,,, अब वह सुरज से तो सच्चाई बता नहीं सकती थी इसलिए बहाना बताने लगी लेकिन सुरज बोला,,,)


अच्छा हुआ मौसी कि तुम कल जल्दी सो गई,,,


क्यों अच्छा हुआ,,, तु कमजोर पड़ने लगा है क्या,,?

नहीं हुआ ऐसी बात नहीं है घर में जलेबी आने के मतलब को तुम समझती हो,,,


इसमें क्या हुआ जब भैया खुश होते हैं अच्छी आमदनी होती है तो जलेबी लेकर आते हैं,,,।


नहीं मौसी पहले मैं भी यही समझता था लेकिन ऐसा नहीं है घर में जलेबी आने का मतलब कुछ और ही है,,,।


मैं तेरी बात कुछ समझ नहीं रही हूं,,,


अरे घर में जलेबी तभी आती है जब मामी और मामा
का कुछ और ही कार्यक्रम होता है घर में जलेबी आना मामी के लिए इशारा होता है,,,।


कैसा इशारा पहेलियां मत बुझाओ मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,



तुम्हें पता है मौसी मामा घर में जलेबी तभी लाते हैं,,, जब वह मामी की गांड मारने वाले होते हैं,,,,



तू क्या बोल रहा है तुझे कुछ समझ में आ रहा है,,,(मंजू आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)


हां मैं सब कुछ समझ गया हूं तभी तो तुम्हें बता रहा हूं,,,,वो क्या है कि कल रात तुम जल्दी सो गए वैसे तो कल रात तुम्हारी जुदाई का पूरा बंदोबस्त कर के रखा था लेकिन मेरे आने से पहले ही तुम सो गई थी इसलिए मैं तुम्हें जगाना ठीक नहीं समझा,,,मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं सोचा कि चलो आज बगल वाले कमरे में झांक कर ही देखते हैं,,, और मौसी मेरी तो किस्मत तेज थी तभी तो मैं मामी मामा की सारी बातों को सुना और मामा को मामी की गांड मारते हुए देखा,,,,।


हाय दैया क्या तू सच कह रहा,,, है,,,


हां मौसी सर की कसम मैं एकदम सच कह रहा हूं जो कुछ भी मैंने देखा वही तुम्हें बता रहा हूं,,,।


बाप रे बाप मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि भैया भाभी की गांड भी मारते होंगे,,,,।



क्या भाभी उस काम के लिए मान गई,,,

मान गई,,,,अरे मौसी यह पहली बार का थोड़ी था उन दोनों के बीच निरंतर समय-समय पर यह कार्यक्रम चलता रहता है यह सब मैं अपने कानों से सुना था मुझे तो अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन,,, मेरे जो कुछ भी देखा एक दम सच था,,,।


लेकिन सुरज गांड के छोटे से छेद में इतना मोटा लंड घुसा कैसे,,,,,,( हैरानी के भाव मंजू अपने चेहरे पर लाते हुए बोली,,)


अरे बड़े आराम से चला गया,,, मामा ढेर सारा सरसों का तेल मामी की गांड पर लगाकर उनके छोटे से छेद पर ढेर सारा तेल जो पढ़कर और खुद अपने लंड पर लगाकर एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड मामी की गांड में डाल दिए,,,,


तब तो तेरी मामी चिल्ला रही होगी,,,


बिल्कुल भी नहीं मामी तो गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकाल रही थी जैसा कि तुम अपनी बुर में लेने पर निकालती हो,,,, सच पूछो तो उन दोनों को बहुत मजा आ रहा था मैं तो सब अपनी आंखों से देखा था इसलिए बता रहा हूं पहले तो मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन अपनी आंखों से देख कर मुझे पक्का यकीन हो गया कि गांड मारने में और मरवाने में बहुत मजा आता है,,,,

(सुरज की बातों को सुनकर मंजू कुछ देर तक सोच में पड़ गई उसे इस तरह से विचार मगन होता देखकर सुरज अपने लिए रास्ता साफ करते हुए बोला)


मैं तो कहता हूं मौसी मामी मामा की तरह हम दोनों की इस कार्यक्रम का मजा लूट लेते हैं हम भी तो देखें इसमें कितना मजा आता है,,,,,।


नहीं नहीं मुझे तो डर लगता है,,,


मामी को डर नहीं लगता और तुम्हें डर लगता है कुछ नहीं होगा मैं तो अपनी आंखों से देखा हूं बड़े आराम से मामी मामा के लंड़ कों की गांड के छेद में ले ली थी,,,।

भैया का तेरे से छोटा ही है समझा और तेरा मोटा तगड़ा है,,, मेरे छोटे से छेद में जाएगा कैसे,,!(मंजू आश्चर्य था हालांकि सुरज की बातों को सुनकर उसका भी मन मचलने लगा था,,,, लेकिन मन में डर भी था और सुरज की औरत की गांड मारने के सुख को भोगने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका था,,, इसलिए वो किसी भी तरह से अपनी मौसी को मनाना चाहता था,,,)


बड़े आराम से चला जाएगा वह सरसों के तेल की चिकनाहट पाकर तुम्हारी गांड के छेद में मेरा लंड बड़े आराम से चला जाएगा और फिर उसके बाद देखना इतना मजा आएगा कि तुम रोज गांड उठाकर मुझे दोगी,,,।


हाय सुरज तेरी बातें सुनकर तो मेरी बुर पसीना छोड़ रही है,,,

तो क्यों ना हो जाए मौसी अभी उजाला ठीक से हुआ नहीं और अभी एक मामी और मामा भी सो रहे हैं,,,,।


ठीक है लेकिन जल्दी करना,,,(और इतना कहने के साथ ही मंजू खुद अपनी सलवार की डोरी खुलने लगी अपने सलवार की डोरी खोल कर अपनी सलवार उतार कर नीचे फेंक दी और कमर के नीचे एकदम से नंगी हो गई रात को जो नजारा सुरज ने देखा था उसे हर एक पल को याद करके सुरज पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था इसलिए बिना देरी किए,,,, सुरज अपनी मौसी की दोनों टांगों को फैला कर उसके बीच आ गया और,, अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को अपनी मौसी की गुलाबी बुर पर रखकर हल्का सा धक्का मारा और पूरा लंड एक ही बार में गुलाबी के बुर में समा गया,,,, रात की मदहोशी का पूरा नशा उतारते हुए सुरज बिना रुके बड़े रफ्तार के साथ अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और अपनी मौसी की चुदाई करना शुरू कर दिया गांड मारने वाली बात पर उसकी मौसी भी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी इसलिए तुरंत सुरज को अपनी बाहों में कस कर उसके हर एक धक्के का आनंद लूटने लगी,,,,
आहहह आहहहह आहहहह की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा और थोड़ी ही देर बाद उत्तेजना के चरम सुख पर पहुंचते हुए दोनों झड़ गए,,,,। दोनों एक दूसरे को बाहों में लेकर हांफ रहे थे कि तभी बगल वाले कमरे का लकड़े का दरवाजा आवाज करता हुआ खुला तो मंजू हड़बड़ाहट भरे स्वर में बोली,,,।

बाप रे भाभी उठ गई है,,,, मुझे भी अब जाना चाहिए,,,।
(और इतना कहने के साथ ही मंजू खटिया पर से नीचे उठेगी और नीचे गिरी अपने सलवार को उठाकर अपनी लंबी लंबी टांगों में डालकर उसे पहनने लगी और अगले ही पल बाकी कमरे से बाहर निकल गई और तुरंत झाड़ू लेकर सफाई करना शुरू कर दी तब तक सुरज अंदर ही लेटा रह गया और गांड मारने के कार्यक्रम के बारे में सोचने लगा,,,, वह भी अच्छी तरह से जानता था कि मंजू की गांड का छेद छोटा था इसलिए उसे बड़े आराम से काम लेना था ताकि सब कुछ कुशल मंगल तरीके से हो जाए,,,, और थोड़ी देर बाद वह भी कमरे से बाहर आ गया,,,,,,
सुबह का नाश्ता पानी करके,,, रविकुमार भी बेल गाड़ी लेकर रेलवे स्टेशन की तरफ निकल पड़ा आज उसे ब्याज की रकम देनी भी जाना था इसलिए वह जल्दी निकला था ताकि कुछ आमदनी ज्यादा हो जाए,,,,।

सूरज सर पर चढ़ आया था गर्मी का समय होने की वजह से,,, सुरज इस समय नदी में नहाने के लिए गया था और वह अपने सारे कपड़े उतार कर नदी में कूद गया था क्योंकि इस समय नदी के आसपास कोई भी नहीं था और ना ही कोई होता था क्योंकि गर्मी कुछ ज्यादा ही पड़ती थी लेकिन सुरज को दिनभर गांव में इधर उधर घूमने में ही मजा आता था इसलिए मैं इस समय नदी में नहा रहा था कि तभी सुधियां काकी की बहू हाथ में मटका लिए नदी पर पानी भरने के लिए आ गई,,,।


सुधियां काकी की बहू नीलम को देखते हैं सुरज के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,,, सुधियां काकी की बहू नीलम एकदम करीब आ गई थी और सुरज को नहाता हुआ देखकर वह भी खुश हो गई थी,,, मटके में नदी का पानी भरते हुए बोली,,,।


इतनी दोपहर में नदी में क्या कर रहा है,,,


नहा रहा हूं नीलम भाभी,,,,


इतने से में कोई नहाता है,,,


मेरा तो यही समय है नदी पर आकर नहाने का क्योंकि ईस समय यहां कोई नहीं होता,,, लेकिन तुम इतनी दोपहर में यहां क्या कर रही हो नल से पानी भर ली होती,,,


मुझे ठंडा पानी चाहिए था इसलिए यहां आ गई,,,


किनारे पर ठंडा पानी थोड़ी मिलता है किनारे पर तो गरम पानी ही मिलेगा और वह भी गंदा ,,,ठंडा पानी का मजा लेना है तो बीच में आकर पानी भरना होगा,,,


नहीं मैं बीच में नहीं आ सकती,,,


अरे आ जाओ नीलम भाभी नहा भी लोगी पूरा बदन ठंडा हो जाएगा और पानी भी भर लोगी,,,


नहीं नहीं मैं नदी में नहीं आऊंगी तू ही बीच में से भर कर ले आ,,,


जैसी तुम्हारी मर्जी भाभी,,,, लेकिन मैं किनारे नहीं आऊंगा मटके को पानी में रखकर आगे की तरफ भेजो,,,


क्यों बाहर नहीं आएगा,,,

मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा होकर नदी में उतरा हूं,,,।
(सुरज की यह बात सुनकर नीलम के चेहरे पर शर्म की लालीमा छाने लगी,,, सुरज नदी में पूरी तरह से नंगा है यह जानकर सुधियां काकी की बहू नीलम की दोनों टांगों के बीच सुरसुरी सी दौड़ गई,,,, सुरज की बात सुनकर वह मुस्कुराते हुए बोली,,)

नंगा होने में तुझे बहुत मजा आता है ना,,,


मजा तो आता है नीलम भाभी लेकिन नंगी करने में और ज्यादा मजा आता है,,,।
(सुरज के कहने के मतलब को वह अच्छी तरह से समझ गई थी इसलिए वह शरमा गई,,, और शरमाते हुए बोली)


किसको नंगी किया है,,,


तुमको भाभी,,, तुमको नंगी करने में जितना मजा आया था मैं बता नहीं सकता,,, जैसे भी तुम बहुत खूबसूरत हो नीलम भाभी एकदम गोरी चिट्टी गोल गोल चूचियां बड़ी बड़ी गांड देख कर ही लंड खड़ा हो जाता है,,,(सुरज एकदम खुले शब्दों में बोल रहा था क्योंकि वह एक बार उसकी चुदाई कर चुका था इसलिए दोनों के बीच किसी भी प्रकार की शर्म आया नहीं थी और सुरज की यह बातें सुधियां काकी की बहू नीलम को उत्तेजित कर रही थी वह बार-बार अपने चारों तरफ देख ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन इतनी दुपहरी में वहां कोई आने वाला नहीं था,,,,)


चल अच्छा यह सब बातें मत कर मुझे प्यास लगी है जल्दी से मटका भर दे,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुधियां काकी की बहू नीलम नीचे बैठकर मटके को पानी में रखकर उसे धीरे-धीरे पानी को हाथ से हिलाते हुए मटके को आगे बढ़ाने लगी और देखते ही देखते उसका मटका सुरज के हाथों में चला गया और सुरज मटके को हाथ में लेकर थोड़ा और बीचों-बीच जाकर पानी भरने लगा जहां का पानी वास्तव में बेहद ठंडा था कुछ देर तक वह बीच में नहाता रहा और मटके को लेकर बाहर आने लगा उसके मन में बहुत सारी बातें चल रही थी वह नदी के सुनसान पन का फायदा उठा लेना चाहता था,,,वैसे भी सुधियां काकी की बहू नीलम को देखते ही नदी में होने के बावजूद भी उसका लंड पूरी तरह से खाना हो चुका था और वह जानता था कि एक बार अगर नीलम भाभी ने फिर से उसके लंड को देख ली तो फिर से चुदवा लेगी और वैसे भी वह प्यासी थी,,, इसलिए सुरज मटके को बाहर लाते चले अपने मन में तय कर लिया था कि वह पूरी तरह से नदी से बाहर आ जाएगा और वह भी एकदम नंगा,,,।

दूसरी तरफ सुधियां काकी की बहू नीलम का भी दिल जोरों से धड़क रहा था वह सुरज को पूरी तरह से नंगा देखना चाहती थी और वह भी इस तरह से खुले में लेकिन यह बात बहुत से कहने में शर्म महसूस कर रही थी,,, वह बार-बार अपने चारों तरफ देख ले रही थी जहां की पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था,,,और वैसे भी जिस जगह पर मैं खड़ी थी वह जगह झाड़ियों से गिरी हुई थी इसलिए दूर से भी वहां पर किसी की नजर पहुंच नहीं सकती थी,,, धीरे धीरे सुरज मटका लेकर बाहर आने लगा और किनारे पर आते ही वह एकदम से खड़ा हो गया और जैसे ही वह खड़ा हुआ सुधियां काकी की बहू नीलम की नजर उसकी दोनों टांगों के बीच खड़े लंड पर पड़ी तो वहां दांतो तले उंगली दबा ली उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में था जिसे देखते ही नीलम कि बुर में चीटियां रेंगने लगी,,,, उसके मुंह से अचानक ही निकल गया,,,।


बाप रे इतना मोटा और लंबा,,,


क्या नीलम भाभी तुम तो ऐसा कह रही हो जैसे पहली बार देख रही हो जबकि इसे अपनी बुर में ले भी चुकी हो फिर भी,,,।


( ईतने खुले शब्दों में सुरज के मुंह से बोल शब्द सुनकर नीलम शर्म से पानी पानी हो गई उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वह एक बार फिर से सुरज के लंड को अपनी पूरी लेना चाहती थी वह प्यासी नजरों से उसकी दोनों टांगों के बीच ही देख रही थी,,उसकी हालत को देखकर सुरज समझ गया था कि उसे क्या चाहिए इसीलिए वह मटके को नीचे रख कर अपने चारों तरफ नजर घुमाया व जानता था कि समय यहां कोई नहीं आता है फिर भी एहतियात के तौर पर वह कोई गलती नहीं करना चाहता था,,,और तुरंत आगे बढ़ा सुधियां काकी की बहु नीलम तो कुछ समझ पाती इससे पहले ही उसे अपनी गोद में उठा लिया,,, और एकदम झाड़ियां के बीच लेकर आ गया,,,सुरज जिस तरह से बड़े आराम से से गोद में उठाकर यहां तक लाया था उसकी ताकत को देखकर सुधियां काकी की बहू नीलम एकदम कायल हो गई उसकी ताकत पर वह पूरी तरह से न्योछावर हो गई,,, सुरज ने दमखम था इस बात का सबूत और पहले ही देख चुकी थी,,,,।

अपनी गोद से उतारने के बाद,,, सुरज उसकी साड़ी उतारने लगा तो वह उसे रोकते हुए बोली,,,।


नहीं नहीं यहां पर साड़ी मत उतार ऐसे ही कर ले कोई आ गया तो गजब हो जाएगा,,,(हालांकि सुधियां काकी की बहू नीलम का भी मन यहीं कर रहा था कि सुरज उसके सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करके चोदे लेकिन फिर भी उसके मन में डर था कि कहीं कोई आ जाएगा तो गजब हो जाएगा सुरज अपना पूरा मन बना लिया था कि वह सुधियां काकी की बहू नीलम के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करके चोदेगा इसलिए वह बोला,,,)

तुम बिल्कुल की फिक्र मत करो नीलम भाभी यहां कोई नहीं आने वाला है क्योंकि मैं यहां रोज आता हूं और मेरे सिवा यहां पर केवल परिंदे ही रहते हैं और कोई नहीं रहता इसलिए निश्चिंत रहो,,,(और इतना कहने के साथ ही वह सुधियां काकी की बहू नीलम के बदन पर से सारे कपड़े उतारने लगा उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा और देखते ही देखते हैं उसके पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,,,, और उसे अपनी बाहों में लेकर उसके पूरे बदन पर चुंबन की बौछार कर दिया,,, खुले में खूबसूरत औरत के नाम से खेलने का पहला अवसर था इसलिए ज्यादा उत्तेजित था वह तुरंत नीचे बैठकर सुधियां काकी की बहू नीलम की एक टांग उठा कर उसे अपने कंधे पर रख दिया और उसकी गुलाबी बुर पर अपने प्यासे होंठ को रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,,,, सुधियां काकी की बहु नीलम एकदम से मदहोश हो गई,,,वो कभी सपने में नहीं सोचा थी कि इस तरह से गांव में खुले में वह इस तरह का आनंद लूटेगी जिसके लिए वह पूरी तरह से तैयार नहीं थी,,,,इसके लिए उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी सुरज की हरकत की वजह से उसकी आंखें एकदम से बंद हो गई और वहां अपने दोनों हाथों को सुरज के सिर पर रख कर और जोर से अपनी बुर पर दबाने लगी,,,।

ओहहहह,,,, सुरज,,,,आहहहहहहहहह,,,,(उसके मुख से मादक सिसकारियां फूटने लगी जिसको वहां सुनने वाला सुरज के सिवा कोई नहीं था सुरज की उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी सुरज पागलों की तरह जितना हो सकता था अपनी जीभ को उसकी बुर में डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,, सुधियां काकी की बहू नीलम पानी पानी हुए जा रही थी,,,, उसकी गर्म सिसकारियों की आवाज सुनकर सुरज समझ गया कि अब वह लंड लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है इसलिए अपने होठों को उसकी गर्म बुर से हटाकर खड़ा हुआ और उसके कंधों पर जोर देते हुए उसे नीचे की तरफ बैठने का इशारा किया,,,, और देखते ही देखते सुधियां काकी की बहू नीलम एकदम नंगी अपने घुटनों के बल बैठ गई और सुरज के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,यह जगह पूरी तरह से सुनसान थी चारों तरफ इस समय कोई भी नजर नहीं आ रहा था झाड़ियों के बीच होने की वजह से दोनों पूरी तरह से निश्चिंत थे दोनों की उत्तेजना निरंतर बढ़ती जा रही थी सुरज अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था ऐसा लग रहा था कि जैसे वहां सुधियां काकी की बहू नीलम के मुंह को ही चोद डालेगा,,,,। लेकिन कुछ देर तक इस तरह से मजा लेने के बाद सुरज पेट के बल नीचे उसकी साड़ी बिछा कर लेट गया,,, सुरज सुधियां काकी की बहू नीलम तो उसके लंड पर बैठने के लिए बोला तो वह समझ गई कि उसे क्या करना है वह सुरज के कमर के इर्द गिर्द अपने घुटनों को रखकर अपनी गोल-गोल गांड उसके लंड पर रखने लगी और पीछे से उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपने गुलाबी छेद पर लगाने लगी,,,और धीरे-धीरे अपने भारी-भरकम गांड का बजन उसके लंड पर बढ़ाने लगी,,,
और देखते ही देखते सुरज मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी बुर की गहराई में छुपा ली,,,,,,, और फिर अपनी गांड को सुरज के लंड पर पटकना शुरू कर दी,,,,सुरज की अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियों को थामकर उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,।

अद्भुत सुख की अनुभूति दोनों को हो रही थी इस तरह से खुले में चुदाई का मजा ही कुछ और होता है यह एहसास दोनों को पहली बार हो रहा था चारों तरफ पंछियों की आवाज आ रही थी मंद मंद शीतल हवा दे रहे थे और ऐसे में दोनों अपने अंदर की गर्मी को मिटाने की पूरी कोशिश कर रहे थे सुधियां काकी की बहू नीलम पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी बहुत जोर जोर से अपनी कहां को सुरज के लंड पर पटक रही थी मानो की जैसे हथोड़ा चला रही हो,,,,।

सुधियां काकी की बहू की कामुक हरकत की वजह से सुरज का भी आनंद बढ़ता जा रहा था पचच पचच की आवाज बड़े जोरों से आ रही थी,,,, जो कि पूरे वातावरण में गूंज रही थी कुछ देर तक सुधियां काकी की बहू नीलम इसी तरह से मेहनत करती रही लेकिन उसे आराम देते हुए सुरज तुरंत उसकी कमर में अपना हाथ डाला और अपने लंड को उसकी बुर में से निकाले बिना ही पलटी मार दिया अब सुरज ऊपर था और सुधियां काकी की बहू नीलम नीचे अब सुरज अपना पूरा जोर दिखाने वाला था और उसके कंधे को पकड़कर जोर जोर से धक्का लगाना शुरू कर दिया वह इतनी जोर से कमर हिला रहा था कि मानव जैसे कोई मशीन चल रही है सुधियां काकी की बहू नीलम भी हैरान थी,,,, सुरज की ताकत को देखकर उसके लंड की ताकत से वह पानी पानी हुई जा रही थी,,,सुरज इतने जोरो से धक्के लगा रहा था कि उसका पूरा बदन हवा में लहरा रहा था जिसकी वजह से वह कुछ बोलना भी चाह रही थी तो ऐसा लग रहा था कि हकला के बोल रही हो,,, सुधियां काकी की बहु को बहुत मजा आ रहा था सुरज का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से उसकी गुलाबी छेद में अंदर बाहर हो रहा था जिसे देखने के लिए नीलम भाभी ने अपनी नजरों को उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच स्थिर कर दी थी और बड़े हैरानी से इतने मोटे तगड़े लंड को अपनी गुलाबी बुर के छोटे से छेद में अंदर बाहर होता देख रही थी,,,।

सुरज पूरी मस्ती के साथ उसके दोनों दशहरी आम को पकड़कर जोर-जोर से दबाता हुआ धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,,हर धक्के पर हमला काकी की बहू नीलम के मुंह से आह निकल जा रही थी,,, ऐसा अद्भुत संभोग सुख उसने पहले कभी नहीं प्राप्त की थी,,, सुरज सुधियां काकी की बहू की खूबसूरत गोरे बदन के साथ पूरी मस्ती का लुफ्त उठा रहा था कभी चूचियों को पकड़ से तो कभी कंधों को तो कभी उसकी चिकनी कमर को जोर से हथेली में दबाकर धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,,।


सुरज थकने का नाम नहीं ले रहा था,,लेकिन इस दौरान वह सुधियां काकी की बहू नीलम की चुदाई करते हुए उसका दो बार पानी निकाल चुका था और धीरे-धीरे सुधियां काकी की बहू नीलम तीसरे चरण सुख की तरफ आगे बढ़ रही थी और यही हाल सुरज का भी था उसका भी पानी निकलने वाला था इसलिए वह नीचे झुककर अपने दोनों हाथ को सुधियां काकी की बहू एम नीलम के पेट के नीचे रखकर उसे कसके अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते वहां सुधियां काकी की बहू की बुर में झड़ना शुरू हो गया,,,,।

वासना का तूफान थम चुका था कुछ देर तक सुरज उसे अपनी बांहों में लिए हुए उसके ऊपर ही लेटा रहा,,,सुधियां काकी की बहु नीलम भी उसका हौसला बनाते हुए उसकी पीठ को सहला रही थी क्योंकि संभोग का असली सुख उसे सुरज से ही प्राप्त हो रहा था,,,,सुधियां काकी बहु नीलम तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह से खुले में गांव के नदी पर उसे एक जवान लड़का चोदेगा और ना ही सुरज ने इस तरह की कल्पना किया था कि नदी पर उसे खूबसूरत औरत की चुदाई करने का सुख प्राप्त होगा,,, खड़ी दोपहरी में यहां आना उसका सफल हो चुका था,,, कुछ देर बाद वह सुधियां काकी की बहू नीलम के बदन पर से ऊपर उठा और जान बुझ कर,, सुधियां काकी की बहू नीलम का ब्लाउज उठाकर उस पर अपने लंड पर लगा पानी पोछने लगा तो यह देख कर नीलम बोली,,,।


हाय भैया यह क्या कर रहा है गंदा लगा दिया,,,


मेरे प्यार की निशानी है नीलम भाभी,,,(और इतना कहने के साथ ही मुस्कुराते हुए ब्लाउज को सुधियां काकी की बहू नीलम के चेहरे के ऊपर फेंक दिया और लंड का गीलापन ब्लाउज पर लगे होने की वजह से उसे अपने गाल पर लंड का पानी लगता हुआ महसूस हुआ तो वह मुंह बनाने लगी,,, लेकिन यह देखकर सुरज मुस्कुराने लगा,,,, सुधियां काकी की बहू नीलम भी कुछ नहीं बोली और अपने कपड़े पहन कर झाड़ियों से बाहर आ गई,,,,, सुरज उसी तरह से बिना शर्माए नंगा ही बाहर आ गया मटके का पानी उठाकर सुधियां काकी की बहु नीलम बोली ,,,।

अबतो यह फिर से गर्म हो गया है,,, जा फिर से भरकर लेकर आ,,,


जो आज्ञा भाभी जी,,,( और इतना कहने के साथ ही फिर से सुरज मटका लेकर नदी के बीचो-बीच चला गया और फिर से ठंडा पानी लेकर बाहर आ गया लेकिन इस समय पर वह पूरी तरह से नंगा था तो उसके खड़े लंड तरफ देख कर मुस्कुराते हुए सुधियां काकी की बहु नीलम बोली,,,)


कुछ पहन लिया कर ऐसे ही लंड दिखाते हुए नंगा मत घुमा कर,,,।


क्यों नीलम भाभी,,,?


क्योंकि तेरा इतना मोटा और लंबा है कि तेरी मामी की नजर पड़ गई तो तेरी मामी भी तुझ से चुदवाए बिना नहीं रह पाएगी,,,,(और इतना क्या करवा मुस्कुराते हुए कमर पर मटका रख कर चलती बनी सुरज से तब तक देखता रहा जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गई इसके बाद वह अपने कपड़े पहन कर गांव की तरफ चल दिया,,,।)
 
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जाते जाते सुधियां काकी की बहू नीलम ने जो बात कह दी थी उस बात को सुनकर सुरज विचार में पड़ गया था क्योंकि जो कुछ भी वह कह कर गई थी उसमे उसे सच्चाई नजर आ रही थी,,, क्योंकि इतना तो वह समझ ही गया था कि उसके पास मर्दाना ताकत सबसे ज्यादा थी तभी तो औरते पहली बार में ही उसके बस में हो जाती थी,,,,इसलिए सुरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर किसी भी तरह से वह अपना मोटा कला लंड अपनी मामी को दिखा दे तो शायद उसके लिए बात बन सकती है क्योंकि अब तक यहां छोटे से छेद में से अपनी मामी की चुदाई और उसकी प्यास को देखता रहा था रात को वह हर तरीके से चुदाई का मजा लूटती थी,,, सुरज ने एक भी दिन अपनी मामी को चुदाई के मामले में अलसाते हुए नहीं देखा,,, हर रात वह नए जोश के साथ चुदाई का सुख भोग रही थी इसलिए सुरज को अपना काम बनता हुआ नजर आ रहा था क्योंकि हर हाल में उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड उसके मामा से बेहद तगड़ा था,,,, और अब तक की जितनी भी औरतों के साथ उसने चुदाई किया था वह सभी औरतें उसकी दीवानी हो चुकी थी इसलिए उसे पक्का यकीन था कि अगर जिस दिन उसकी मामी उसकी लंड के दर्शन करने की तो वास्तव में वह भी उन्हीं औरतों की तरह उसके मर्दाना ताकत की दीवानी हो जाएगी यही सोचकर सुरज उत्तेजना से गदगद हो गया था,,,,।

अपनी मामी और मामा के गांड मराई के कार्यक्रम को देखकर वह आज की रात अपनी मौसी की गांड मारना चाहता था जिसके लिए अपने मौसी को मना भी दिया था और उसे रात होने का इंतजार था,,,, मंजू भी एक नए अनुभव के लिए उत्सुक थी लेकिन वह एक बार पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी कि वास्तव में यह काम करने में मजा आता है या दर्द होता है इसलिए वह अपनी शादी शुदा सहेलियों के पास दोपहर में उनसे बात करने के लिए निकल गई,,,,,,,वैसे तो उसे अपनी सहेलियों से मिलने का बिल्कुल भी मन नहीं करता था क्योंकि सभी सहेलियां उसकी हम उम्र थी लेकिन सब की शादी हो चुकी थी और सब लोग एक एक दो दो बच्चों की मां भी बन चुकी थी लेकिन अभी तक मंजू को हल्दी तक नहीं लगी थी इसलिए मंजू को अपनी सहेलियों को देखकर थोड़ा दुख होता था लेकिन आज बात कुछ और थी आज वह उनका अनुभव जानना चाहती थी,,, इसलिए अपनी सबसे अच्छी सहेली मीना के घर पहुंच गई क्योंकि कुछ दिनों पहले ही वह अपने ससुराल से वापस लौटी थी,,,।

मीना अरे ओ मीना घर पर है कि नहीं,,,(दरवाजे पर दस्तक देते हुए मंजू बोली,,,,मीना घर के आंगन में ही बैठी हुई थी मंजू की आवाज को पहचानती थी इसलिए झट से खटिया पर से उठ कर तुरंत दरवाजा खोलने चली गई और दरवाजा खोलते ही मंजू को द्वार पर देख कर मुस्कुराते हुए बोली)


अरे मंजू तू आज बड़े दिनों बाद तुझे मेरी याद आई है,,,


चल रहने दे तुझे भी मेरी याद कहां आती है पहले तो रोज मेरे घर पर मुझसे मिलने आया करती थी लेकिन जब से शादी हुई है तब से तो आती ही नहीं,, है,,।


अच्छा बाबा मुझे माफ कर दे लेकिन अंदर तो आ की दरवाजे पर खड़ी खड़ी ही बात करती रहेगी,,,

(मीना और मंजू दोनों अंदर आ गए और मीना ने दरवाजा बंद कर दि,,, अंदर आते ही इधर उधर देखते हुए,,, मंजू बोली,,)

घर पर कोई नहीं है क्या चाची कहां गई,,,


सब खेत पर गए हैं,, मां ने छोटी और मुन्नी दोनों को भी खेत पर ले गई है,,,


छोटी और मुन्नी,,,(मंजू आश्चर्य से बोली)


अरे मेरी लड़कियां,,,,


बाप रे 2 साल में दो बच्चे हर साल एक बच्चा,,, तू तो कमाल कर रही है,,,


क्या कमाल कर रही है मंजू,,,, वह तो एकदम प्यासे रहते हैं जब देखो तब चढ जाते हैं,,,,,, अब रोज-रोज थोड़ी ना मन करता है लेकिन वह मानते कहां है,,,


अरे बुद्धू मजा तो रोज मिल रहा है ना,,,, रोज तेरी चुदाई हो रही है और तुझे क्या चाहिए,,,


तू ही चुदवा ले,,,,इस बार ऐसा करती हूं कि मेरी जगह तुझे ही भेज देती हो तब तुझे पता चलेगा कि चुदाने में मजा आता है या सजा,,,, अरे तीन-चार दिन में कभी-कभी हो तो मजा भी बहुत आता है लेकिन रोज-रोज सर दर्द बन जाता है,,,।


तो क्या जीजा तेरी रोज लेते हैं,,,।

रोज,,, अरे बुद्धू दिन भर लगे रहते हैं काम ना काज बस एक ही काम है साड़ी उठाकर चढ जाओ,,,,।
(मंजू को उसकी बातों से ऐसा ही लग रहा था कि शायद उसे अब इस काम में मजा नहीं आ रहा है या तो फिर वह बातें बना रही है इसलिए मंजू बोली,,,)


मुझे तो लगा था कि तुझे बहुत मजा आ रहा होगा वैसे भी तो तुझे इस काम में बहुत मजा आता था गांव के कई लड़के तेरे पीछे पड़े थे और वह,,,पड़ोस वाली गांव का लड़का उसका तो नाम भी नहीं मालूम है पता है ना रोज रात को तेरे से मिलने आता था,,, और सिर्फ बातें करने का वादा नहीं था मुझे पूरा यकीन है कि तेरी रोज लेने आता था तेरे मां तुम दोनों को पकड़ लिए थे तभी तो तेरी जल्दी शादी हुई,,,।

(मंजू की बातों को सुनकर मीना के चेहरे पर मुस्कान आ गई,,, क्योंकि मीना और मंजू दोनों एकदम पक्की सहेलियां थी दोनों को एक दूसरे की बातों का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगता था,,, इसलिए शादीशुदा होने के बावजूद भी मंजू की बातों का उसे बिल्कुल भी बुरा नहीं लग रहा था बल्कि उसके होठों पर मुस्कान आ जा रही थी क्योंकि जो कुछ भी मंजू कह रही थी उसमें सच्चाई थी ,,रोज रात को पड़ोस के गांव वाला लड़का उसे सिर्फ बातचीत करना नहीं आता था पर कि रोज उसकी लेने भी आता था,,,)


हां कह तो तु सच ही रही है,,, वह लड़का रोज रात को मेरी लेने के लिए याद आता तो सच कहूं तो उस समय चोरी-छिपे मजा भी बहुत आता था वह रोज आता था रोज लेता था लेकिन कभी भी मुझे ऐसा नहीं लगा कि उस काम में मुझे मजा नहीं आ रहा है लेकिन शादी के बाद तो उनका रोज का हो गया और उनके रोज में तो मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा है,,,।


तो बुला लेना उसी को,,, आ जाएगा,,,,

सोच तो रही हूं लेकिन इस बार तेरे लिए बुला लु,,, तू अभी बिल्कुल कुंवारी है,,, मुझे पूरा यकीन होगा कि तेरी तो अभी सील भी नहीं टूटी होगी,,,।

धत कैसी बातें करती है,,,,।


तु सच में मंजू सबसे अलग है,,, इतनी खूबसूरत जवान होने के बावजूद भी कभी भी किसी लड़के को अपने पास भटकने भी नहीं दी और अभी तक शादी भी नहीं की है क्या तेरा मन नहीं करता,,,,,,


सच कहूं तो मीना इस बारे में मैं कभी सोचती भी नहीं हूं दिन भर काम काज में लगी रहती हूं और सबसे ज्यादा ख्याल मुझे अपनी भैया की इज्जत का होता है मैं उनकी इज्जत पर दाग नहीं लगने देना चाहती,,,, समय आएगा तो शादी हो जाएगी और फिर जो तू कह रही है वह काम भी तो होना ही है,,,,।
(मीना के सामने मंजू सती सावित्री बनी हुई थी क्योंकि यह बात पूरा गांव जानता था कि मंजू जैसी सीधी-साधी लड़की गांव में दूसरी कोई नहीं की लेकिन गांव वाले यह नहीं जानते थे कि मंजू सिर्फ बाहर वालों के लिए सीधी साधी थी हमें तो वह पूरी तरह से एक रंडी थी जो अपने ही भतीजे के साथ रोज रंगरेलियां मनाती थी और अपने बड़े भाई का भी बिस्तर गर्म करने लगी थी,,,,)

चल कोई बात नहीं अगर मेरे से किसी भी प्रकार की मदद की जरूरत हो तो बेझिझक कहना तेरी सील तुडवाने में मैं तेरी पूरी मदद करूंगी,,,।


तू कैसे मदद करेगी,,,


अरे बुद्धू गांव में आशिकों की कमी है क्या वहीं पड़ोस के गांव वाले लड़के को बुला लूंगी नहीं तो तेरे जीजा जी ने ना किसी बहाने से उनको ही बुला लूंगी और फिर तू भी मजे ले लेना,,,।


ना बाबा ना यह सब तुझको ही मुबारक हो,,,,
(इतना कहकर दोनों हंसने लगे और मीना कमरे में चली गई,,, और थोड़ी ही देर बाद लौटी तो उसके हाथ में कटोरी थी जिसमें मीठा गुड़ रखा हुआ था और गिलास पानी था,,, और मीना मंजू को थमाते हुए बोली,,,)

ले गुड़ खाकर पानी पी ले,,,


तेरे ससुराल का है क्या,,,(गुड़ का टुकड़ा उठाते हुए बोली)


हारे ससुराल का ही है तेरे जीजा जी अपने हाथों से पैर कर बनाए हैं,,,,


तभी बहुत मीठा है,,,।

(कुछ देर तक दोनों में इसी तरह से बातचीत चलती रही मंजू अपने मन की बात मीना से पूछना चाहती थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे पूछे इसलिए एक युक्ति उसके मन में आई वह जानबूझकर हंसने लगी,,, उसे हंसती हुई देखकर मीना बोली,,,)


बेवजह हंस क्यों रही है,,,


कुछ नहीं कुछ याद आ गया,,,


अरे क्या याद आ गया मुझे बताएगी भी,,,


अरे क्या बताऊं मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि आजकल के बच्चे कितने हरामि हो गए हैं,,,


क्यों क्या हुआ,,,?


बताऊंगी तो तू भी हंस पड़ेगी,,,


अरे वाह ऐसी कैसी बात है जिसे सुनते ही में हंस पडुंगी तब तो तु मुझे बता,,,।(मीना उत्सुकता दिखाते हुए बोली,,)


अरे यार ऐसा कुछ भी नहीं परसों में अपने खेतों में से वापस लौट रही थी तो कुछ बच्चे झगड़ा कर रहे थे और ऐसी ऐसी गाली दे रहे थे कि मैं तो सुनकर ही एकदम दंग रह गई कि ईतने छोटे छोटे बच्चे ऐसी गाली कैसे देते हैं और मुझे उनकी गाली कुछ अजीब भी लगी,,,


अजीब क्यों लगी,,?


अरे यार एक लड़का बोल रहा था कि तेरी मां की गांड मार लूंगा,,,,(इतना कहते ही मंजू हंसने लगी और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) बुर चोदने वाली बात तक तो ठीक थी गांड मारने वाली बात मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही है,,,।

(मंजू की बात सुनकर मीना हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,)


अरे बुद्धू तो सच में एकदम पागल है तुझे इन सब चीजों के बारे में कुछ भी नहीं पता,,,


क्या मतलब,,,?


अरे मेरा मतलब है कि वह लड़का जो गाली दे रहा था ठीक ही दे रहा था,,,


मैं तेरा मतलब नहीं समझी,,,,


मेरा मतलब है कि औरतों की गांड भी मारी जाती है,,,


क्या,,,?(मंजू एकदम से चौंक ने का नाटक करते हुए बोली)


हां मैं सच कह रही हूं जिस तरह से औरतों की बुर में लंड डाला जाता है वैसे ही औरतों की गांड में भी डाला जाता है,,,(मीना एकदम खुले शब्दों में बोल रही थी)

बाप रे मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है,,,


मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन शादी के बाद कुछ दिन तक तो मेरे पति ने मुझे खूब चोदा,,,, उसके बाद गांड में लंड डालने लगे,,,।


और तू डलवा ली,,,


नहीं पहले तो मुझे बहुत डर लग रहा था,,,, लेकिन जब भी वह मेरी गांड के छेद को छुते थे तो बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी,,,,,, लेकिन मैं उन्हें गांड में डालने नहीं देती थी वह मेरी रोज मिन्नतें करते थे मुझे मनाते थे समोसा चाट सब कुछ खिलाते थे एक बार मैं उन पर तरस खाकर उन्हें गांड में डालने की इजाजत दे दी और यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी,,, पहले तो घुस नहीं रहा था जैसे तैसे घुसा तो मै सच बताऊं दिन में तारे नजर आने लगे ३ दिन तक मैं ठीक से चल नहीं पाई,,,, मुझसे तो यह काम बिल्कुल भी नहीं हुआ और ना कभी होने दूंगी,,,


क्या बहुत दर्द होता है,,,


हां यार दूसरी औरतों का तो पता नहीं मुझे तो बहुत दर्द हुआ था मेरे पति कहते रहते थे कि,,, तुझे ही नखरा आता है,,, बाकी औरतें तो खुशी खुशी गांड मरवाती है,,,


मैंने भी कह दि जाकर उन्हीं औरतों की गांड मारो,,, मैं तो गांड को हाथ भी नहीं लगाने दुंगी,,,,। जब तेरी शादी होगी ना तब तुझे पता चल जाएगा,,,।


ना बाबा ना तु‌जब बता रही है तब मुझे इतना डर लग रहा है,,,, मेरा तो सोचकर ही पसीना छूट रहा है,,,,।


तू है ही ऐसी दूसरी लड़कियों का तो इस तरह की बातें सुनकर पानी छुट जाता है और तेरा पसीना छूट रहा है,,, तू तो मुझे लगता है कि अपने पति से ठीक से चुदवा भी नहीं पाएगी,,,, तुझे कुछ आता ही नहीं है,,,।


चल जाने दे जैसी भी हूं ठीक हूं,,,


हाय मेरी मंजू रानी जैसा तू कह रही है ना पति के आगे एक नहीं चलने वाली,,, वह तो दिन रात ,, तेरी बुर और गांड दोनों में अपना लंड डालेगा,,,, देखना मेरी मंजू रानी गांड बचाकर कहीं जीजा जी फाड़ ना दे,,,।

ना बाबा ना मैं तो हाथ भी नहीं लगाने दूंगी,,,,।(मीना शादी के बाद की बात कर रही थी लेकिन मंजू को तो आज रात की चिंता थी क्योंकि आज रात को उसका भतीजा उसकी गांड मारने के चक्कर में था,,,यही सोचकर वह घबरा रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके भतीजे का लंड कुछ ज्यादा लंबा और मोटा है,,, इसलिए सोच कर ही मंजू सिहर उठी थी,,,। मंजू को इस तरह से सोच में डूबी हुई देखकर मीना बोली,,,)


क्या सोचने लगी,,,, कही तेरा भी तो गांड मरवाने का इरादा तो नहीं है,,,,(मीना अपनी आंखों को नचाते हुए बोली,,,)

धत्,,,, तू भी ना ,,जब तू तो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी गांड मरवाने में डर रही है तब तो अभी तो मेरा उद्घाटन भी नहीं हुआ है,,,,।
(इतना कहते ही दोनों जोर-जोर से हंसने लगे,,,मंजू को इस दौरान बड़ी जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह मीना से बोली,,,)


यार मीना मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,


अरे तो इसमें क्या हुआ,,, यहीं बैठ कर कर ले,,(घर में ही कौन है ना बने छोटे से गुसल खाने की तरफ इशारा करते हुए वह बोली,,)

यहीं पर,,,(मंजू आश्चर्य जताते हुए बोली)


अरे तो क्या हम लोग भी तो यही करते हैं अब बाहर कौन जाए सिर्फ मुतने के लिए,,,, जा जा कर कर ले,,,।


ठीक है,,,(इतना कहने के साथ ही मंजू खटिया पर से उठ कर खड़ी हो गई और कोने की तरफ जाने लगी,,, मीना वही खटिया पर बैठी रह गई और मंजू को देखने लगी मंजू की बुर मीना के सामने पेशाब करने में कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि दोनों पक्की सहेलियां थी और शादी के पहले भी दोनों उसी तरह से पूरे गांव में घूमा करती थी खेतों में नदी नहर सब जगह पर और साथ में ही शौच क्रिया और पेशाब भी किया करती थी,,,, इसलिए मंजू को बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हुई,,,,देखते ही देखते मंजू कोने में पहुंच गई और अपनी सरकार की डोरी खोलने लगी खटिया पर बैठी हुई मीना बड़े गौर से मंजू को देख रही थी मंजू की खूबसूरती के तरफ मीना पहले से ही आकर्षित थी एक औरत होने के नाते उसे एक औरत की खूबसूरती से जलन भी होती थी जो कि औपचारिक थी लेकिन मंजू की खूबसूरती देखकर ना जाने कि उसके मुंह में पानी आ जाता था,,,,,।

मंजू अपने सलवार की डोरी खोल कर सलवार को नीचे की तरफ सरकाने लगी और जैसे-जैसे मंजू अपने सलवार को नीचे की तरफ ले जा रही थी वैसे वैसे मीना की आंखों की चमक बढती जा रही थी और देखते ही देखते मंजू अपनी सलवार को घुटनों तक नीचे खींच दी मंजू मंजू मंजू गोल-गोल गांड एकदम नंगी नजर आने लगी,,, मंजू की गोल गोल गांड देखकर,,, मीना के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी हालांकि यह औपचारिक था की एक औरत की खूबसूरत बदन को देख कर एक औरत के बदन में हलचल होना ठीक नहीं था और ऐसा होता भी नहीं था लेकिन मीना अपनी ही सहेली की गोरी गोरी गांड देखकर मस्त हुए जा रही थी,,,, मीना की आंखों के सामने ही सहज रूप से मंजू मुतने के लिए बैठ गई और अगले ही फल उसकी मंजू बुर के गुलाबी छेद में से मधुर आवाज आने लगी जो कि मीना के कानों

में पहुंचते ही मीना एकदम से मस्त हो गई,,,,।

खटिया पर बैठे बैठे हैं बिना अपनी आंखों के सामने अपनी सहेली को पेशाब करते हुए देख रही थी उसकी गोरी गोरी गांड उसके होश उड़ा रही थी उसे रहा नहीं जाए और वह खटिया पर से उठ कर धीरे-धीरे ठीक मंजू के पीछे पहुंच गई और उसकी तरह ही बिना अपनी सलवार खोलें बगल में बैठ गई और अपने हाथ को आगे बढ़ा कर मंजू की गोरी गोरी गांड को सहलाने लगी,,,, अपनी गांड पर हथेली का स्पर्श पडते ही मंजू एकदम से चौक गई,,, उसे लगा कि किसी और का हाथ है कितनी जब देखी की मीना उसके पास में बैठ कर उसकी गांड को सहला रही है तो वह मुस्कुरा दी,,,, मंजू कुछ बोल पाती इससे पहले ही मीना बोली,,,।

ओहहहह मंजू तो बहुत खूबसूरत है तेरी गांड देखकर मुझसे रहा नहीं गया,,,,(एक औरत एक औरत की तारीफ कम ही करती है और इसीलिए मीना के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर मंजू को अच्छा लगने लगा ना जाने क्यों मीना के द्वारा उसकी गांड सहलाना,,, मंजू को अच्छा भी लग रहा था और उसे उत्तेजित भी कर रहा था,,,,और मीना अपनी हरकत को आगे बढ़ाते हुए अपनी हथेली को उसकी गांड की दोनों फांकों के बीच में से नीचे की तरफ नहीं गई हो अपनी बीच वाली उंगली पर सीधे उसकी गुलाबी छेद पर रख कर अंदर की तरफ दबा दी जिससे उसकी पेशाब एकदम से रुक गई,,,,।

आहहहह मीना क्या कर रही है,,,,।


कुछ नहीं मंजू बस मजा ले रही हुं,,(इतना मादक स्वर में कहने के साथ ही मीना अपनी बीच वाली उंगली को सीधे उसकी गुलाबी छेद के अंदर सरका दी और धीरे से उत्तेजित स्वर में बोली,,,)

मुत मंजू,,, रुक क्यों गई,,,,(अपनी नशीली आंखों को नचाते हुए मीना बोली,,,, और ना जाने कैसी कशिश थी और ना जाने कैसी कशिश थी मीना की आंखों में उसकी बातों में की मंजू उसके प्रति एकदम आकर्षित हो गई उसकी बात को मानते हुए फिर से पेशाब करना शुरू कर दी लेकिन इस बार ना जाने क्यों उसे बहुत मजा आ रहा था मीना की एक उंगली मंजू की गुलाबी बुर में घुसी हुई थी वह भी मुतने के अंदाज में उसके बगल में बैठी हुई थी,,,, मंजू को बड़े नजदीक से पेशाब करते हुए देखकर मीना के तन बदन में उत्तेजना की लार दौड़ने लगी वह अपनी नजरों को मंजू की दोनों टांगों के बीच स्थिर कर दी थी और उसकी मंजू छेद में से नमकीन पानी की धार को निकलते हुए देखकर गनगना रही थी और धीरे-धीरे अपनी उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर कर रही थी,,, पल भर में ही मीना की कामुक हरकत की वजह से मंजू की सांसे भारी हो चली,,, खुद मंजू की आंखों में भी खुमारी का नशा छाने लगा,,, वह मदहोश होने लगी,,।
 
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मंजू अपनी सबसे अच्छी सहेली मीना की हरकत की वजह से पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मीना इस तरह की हरकत करेगी लेकिन उसकी यह हरकत उसके तन बदन में आग लगा रही थी पहली बार किसी औरत ने उसके बदन को इस तरह से स्पर्श की थी इसलिए यह एहसास कुछ अजीब,,, था,,, और मंजू इस अजीब और अद्भुत अहसास में पूरी तरह से खोती चली जा रही थी,,,, एक औरत औरतों के प्रति इस तरह से आकर्षित होगी इसका मंजू को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था,,,,।

मंजू अपनी मस्ती में घर के कोने में बैठ कर पेशाब कर रही थी उसे क्या मालूम था कि उसकी सहेली उसे प्यासी नजरों से देख रही होगी,,,,, मीना मंजू की गोरी गोरी गांड से पूरी तरह से आकर्षित हो गई थी उसे इस तरह से पेशाब करता हुआ देख कर वह अपना आपा खो बैठी थी उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,,,, अपनी भावनाओं पर बिल्कुल भी काबू न कर सकने के कारण मीना अपनी जगह से उठकर ठीक मंजू के बगल में आकर बैठ गई थी और उसकी गोरी गोरी गांड को सहलाते हुए अपनी हरकत को और ज्यादा बढ़ाते हुए अपनी बीच वाली उंगली को मंजू की गुलाबी छेद में डालकर अंदर बाहर करना शुरू कर दी थी,,,। यह ना जाने कैसी कशिश और खुमारी थी कि मंजू मीना को बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी या यूं कह लो कि घर में ही मीना ने उस पर पूरी तरह से काबू पा ली थी,,,, मंजू के लिए भी यह पहला अनुभव था जब कोई औरत पेशाब करते हुए उसकी बुर में उंगली डालकर अंदर बाहर कर रही हूं इससे मंजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई थी और उसके पेशाब की धार बड़ी तेजी से बाहर निकल रही थी जिसे देखकर मीना के मुंह में पानी आ रहा था,,,,,,मीना से रहा नहीं जा रहा था और बाहर अपनी उंगली को मंजूकी बुर में अंदर-बाहर करते हुए बोली,,,।


ओहहहह मंजू क्या मुतती है रे तु,,, एकदम मस्त कर दे रही है,,,,


बड़े जोरों की लगी हुई थी,,,।

सहहहहह मंजू तुझे मूतता हुआ अगर कोई मर्द देख ले तो सच में तेरी बुर में लंड डाले बिना नहीं रह पाएगा,,,,,।


धत्,,,, यह कैसी बातें कर रही है,,,


मैं सच कह रही हूं मेरी रानी,,,, तेरी बुर बहुत खूबसूरत है अनछुई,,, सहहहहहहहरह,,,,आहहहहहहहहह,,,(मीना की आंखों में खुमारी छाने लगी थी,,, पल भर में ही उसे मंजू की मदमस्त जवानी की मदहोशी का नशा छाने लगा,,,, वह बड़ी तेजी से मंजू की बुर में उंगली को अंदर बाहर कर रही थी मंजू उसे रोक सकने में अब बिल्कुल भी असमर्थ साबित हो रही थी क्योंकि उसे मजा आने लगा था एक औरत के हाथों से उसे पहली बार इस तरह का सुख प्राप्त हो रहा था,,,,।

मीना मंजू के चेहरे के बदलते भाव को बड़े गौर से पढ़ रही थी,,,, मंजू का सुर्ख लाल चेहरा साफ बयां कर रहा था कि मीना की हरकत का उस पर बेहद उन मादक असर पड़ रहा है,,, उसे मजा आ रहा है,,, मंजू की बुर से काम रस का बहाव होना शुरू हो गया था,,,, धीरे धीरे मंजू की बुर के छेद से निकल रही नमकीन पानी की धारा कम पड़ने लगी और देखते ही देखते वह बूंदों में बदल गई,,, मंजू पेशाब कर चुकी थी लेकिन उसका उठने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था,,,, वह उसी तरह से बैठी रह गई थी और इसी बात का मंजू गौर भी कर रही थी मीना की हरकतें उसे अत्यधिक उत्तेजित कर रही थी,,,,।


बहुत संकरी है तेरी बुर मंजू,,,,



क्यों खुश हो जाएगा वह तो सबके पास होती है,,,।

सहहहहह होती तो है मेरी रानी लेकिन तेरी जैसी नहीं होती ना देख कितनी मक्खन जैसी चिकनी है तेरी हल्के हल्के बाल से सुशोभित और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही है और सबसे बड़ी बात यह है कि अभी तक तेरी बुर में लंड नहीं गया है एकदम कुवारी है,,,,,,। और मर्दों को कुंवारी बुर ही सब से ज्यादा पसंद आती है जिसमें एक भी लंड गया ना हो,,,।


क्या तू सच कह रही है मीना,,,!(आंखों को बंद किए हुए मस्ती भरे स्वर में बोली)


एकदम सही कह रही हो मेरी मंजूरानी,,,,।


लेकिन शादी के पहले तो तू तो कई बार लंड ले चुकी थी तेरे पति ने कुछ कहा नहीं,,,।


सहहहहह ,,,,आहहहहहह मंजू,,,(बुर में उंगली डालते हुए) मुझे मालूम था कि मेरी बुर तेरी जैसी संकरी नहीं है,,,और मुझे यह भी पता था कि अगर मेरा पति अनुभव वाला होगा तो उसे पहली रात में ही सब पता चल जाएगा इसलिए मैं भी एक तरकीब की थी जिसकी बदौलत मेरे पति को आज तक शक ही नहीं हुआ,,,,।
(इतना सुनते ही मंजू की उत्सुकता उसके तरकीब के बारे में जानने की और ज्यादा बढ़ गई क्योंकि उसकी तरकीब उसे भी काम आ सकती थी क्योंकि वह तो घर में ही दो दो मर्द का आनंद ले रही थी एक तो सबसे ज्यादा मोटा तगड़ा और लंबा था जिसके कारण उसकी बुर की गोलाई कुछ हद तक फैल गई थी अगर मीना उसे सही हिदायत दे देगी तो उसका भी काम बन जाएगा वरना शादी के बाद उसका भी भांडा फूट जाने का डर बना रहेगा इसलिए वह उत्सुकता दिखाते हुए बोली)



ऐसी क्या तरकीब लगाई की जीजा जी को शक नहीं हुआ,,,

बहुत मस्त करके फिर मंजू तू अगर शादी से पहले चुदवाती रहती तो तेरे भी वह तरकीब बहुत काम आती ,,,,


फिर भी बताना पता तो चले,,,,(पेशाब कर लेने के बावजूद भी मंजू उसी तरह से बैठी रह गई थी यह मीना की कामुक हरकतों का ही नतीजा था जोकि मंजू उठ नहीं रही थी,,,,)


अरे सुहागरात की जैसे ही तेरे जैसा मतलब मेरे पति अपना लंड डालने की कोशिश करने लगे वैसे ही मै जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दी,,,।

ऐसा क्यों,,?


अरे मतलब क्यों नहीं पता चले कि मुझे दर्द हो रहा है,,,,


इसके बाद क्या हुआ,,,,?(मीना की बातों में मंजूnअपनी उत्सुकता दिखा रही थी और मंजू कि बुर में मीना अपनी उंगली को अंदर बाहर करके उसकी उत्तेजना और मजा दोनों को बढ़ा रही थी,,,,)

मैं इतनी जोर से चिल्लाना शुरू की थी कि उन्होंने जोर से मेरा मुंह दबा दिया और पता है तुझे वह क्या बोले,,,,।


चिंता मत करो मेरी रानी शुरू शुरू में थोड़ा दर्द होता है उसके बाद बहुत मजा आएगा बस थोड़ा सा संभाल लो,,,।
(इतना कहकर मीना हंसने लगी और उसकी बात सुनकर मंजू भी हंसने लगी क्योंकि वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि उसका पति बेवकूफ बन रहा था आगे की बात जाने के लिए मंजू बोली)


इसके बाद,,,,


इसके बाद में थोड़ा संभल गई और दर्द का बहाना करती रही उन्हें रह-रहकर रोक देती थी,,,,, और रुक जाते थे उन्हें लगता था कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,, जैसे ही उनका पूरा अंदर गया मैं धीरे-धीरे दर्द को भूलने का नाटक करते हुए मस्ती भरी आवाज निकालने लगी,,, और फिर मेरे दामन में लगा दाग भी भूल गया मेरे पति को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ सुबह जल्दी उठकर मैं जानबूझकर अपने बिस्तर को धो डाले ताकि सबको यही लगेगी बिस्तर पर खून का धब्बा लगा हुआ होगा,,,


बाप रे तू तो कितनी चालाक है,,,,(मंजू आश्चर्य जताते हुए गोरी जो कुछ भी मीना ने उसे बताई थी वह उसकी जिंदगी में भी आगे चलकर काम आने वाला था इसलिए उसे इस बात की खुशी थी कि वह भी मीना की तरह बहाना करके अपने पति को बिल्कुल भी शक नहीं होने देगी,,,,।धीरे-धीरे मंजू की सांसो की गति तेज होने लगी क्योंकि दोनों टांगों के बीच मीना की हरकत बढ़ने लगी थी,,,।)

सहहहहह आहहहहहह,,,, मंजू तेरी जैसी गुलाबी और खूबसूरत बुर अगर मेरी होती तो मैं तक ना जाने कितने मर्दों को अपना गुलाम बना कर रखती,,,।


धत्,,, मेरे पास भी तो वैसे ही है जैसी तेरे पास है,,, मेरे में नया क्या है,,,,।


अरे पागल हीरे की परख केवल जोहरी ही जान पाता है और तेरी दोनों टांगों के बीच एक बेशकीमती हीरा है,,, जिसकी चमक और दाम सिर्फ मैं ही बता सकती हुं,,,(मीना उत्तेजित होते हुए अपनी हथेली में मुट्ठी बनाकर मंजू की छोटी सी बुर को दबोच ली,,, जिससे मंजू के मुंह से आह निकल गई,,,,।

आहहह,,, क्या कर रही है,,,।


तेरी बुर से प्यार कर रही हु,,, कसम से मेरा मन तो कर रहा है कि तेरी बुर को जीभ से चाट लु,,,(मीना एकदम से मदहोश स्वर में बोली,,, उसकी यह बात सुनकर मंजू पूरी तरह से मदहोशी से भर गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि एक औरत एक औरत की बुर चाटने की बात कर रही थी,,, इस अनुभव को लेने के लिए मंजू का भी मन मचल उठा अब तक उसकी बुर पर उसके बड़े भैया और उसके भतीजे का ही होठ लगा था जिसका का भरपूर आनंद लुटी थी,, लेकिन अब वहां एक औरत के होठों को अपनी बुर का चुंबन देना चाहती थी और उसके एहसास में पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी,,,, वह देखना चाहती थी कि जब एक औरत की जीभ औरत की बुर पर लगता है तो औरत को कैसा एहसास होता है,,,, वह अगले पल के लिए बेहद उत्सुक थी लेकिन अपने मुंह से बोलने में उसे शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि मीना के सामने वह एक सीधी-सादी लड़की थी जिसने अभी तक अपने बदन पर किसी भी मर्द का हाथ रखने ही नहीं दी थी,,, और अगर ऐसे में वह खुद आगे चलकर उसे अपनी बुर चाटने का न्योता देती है तो मीना के मन में शंका जाग सकती है इसलिए वह ऐसी कोई भी हरकत नहीं करना चाहती थी कि मीना को किसी भी प्रकार का शक हो,,,, इसलिए वह बोली,,,)

धत्,,,, कैसी बातें करती है तू,,,, सुनकर ही कितना गंदा लगता है,,,,


अरे बुद्धू शुरू शुरू में ऐसा ही लगता है कि यह बहुत गंदा काम है लेकिन एक बार बुर में जीभ घुस गई ना तब तू ही मेरा मुंह पकड़ कर और सटा देगी,,, लेना चाहती है अनुभव,,,, धीरे-धीरे तुझे भी सीखना चाहिए मजा लेना चाहिए वरना जिंदगी में क्या है,,,,(मीना मंजू की बुर को अपनी हथेली से सहलाते हुए उसे मना रही थी,,, और मंजू भी मचल रही थी इस नए अनुभव के लिए,,,,,, मीना तड़प रही थी मंजू कि बुर उनको चाटने के लिए,,, मंजू कुछ बोल नहीं रही थी वह उसी तरह से गांड खोल कर बैठी हुई थी ,,, जैसा की पेशाब करने के लिए बैठी थी,,,मीना भी उसका साथ देते उसके बगल में बैठी थी लेकिन पेशाब नहीं कर रही थी,,,, वह पूरे कपड़ों में थी और मंजू अपनी सलवार खोल कर बैठी थी,,।उसकी नंगी गांड की तरफ आकर्षित होते

हुए मीना उसकी नंगी गांड और उसकी बुर से खेल रही थी,,,मीना को किसी भी प्रकार का साथ ना हो जाए इसलिए अपने शब्दों को संभाल कर बोलते हुए बोली,,,)


मीना रहने दे तेरी हरकत से मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,


मैं जानती हूं मेरी जान तुझे मजा आ रहा है इससे भी ज्यादा मजा आएगा बस मुझे अपनी मनमानी करने दे तो खुश हो जाएगी,,,,।


धत मुझे शर्म आती है,,,,।


अरे इसमें कैसी शर्म,,,,।


नहीं रहने दे,,, मुझे शर्म आ रही है मुझे सलवार पहनने दे,,,।(और इतना कहने के साथ ही वो एक बहाने से खड़ी हो गई,,, वह जानबूझकर खड़ी हुई थी क्योंकि वह जानती थी कि मीना उसकी बुर चाट ना चाहती है और बिना खड़े हुए मिला उसकी बुर चाट नहीं पाएगी जिसके लिए वह खुद उत्सुक थी,,,और दिखावे के लिए वह सलवार को ऊपर की तरफ उठाने लगी तो मीना तुरंत उसे रोक दी,,,,,, और सलवार को और नीचे की तरफ सरका दी,,, उसकी हरकत को देखकर दिखावे का गुस्सा करते हुए मंजू बोली,,,।


यह क्या है मीना,,,, यह ठीक नहीं है कोई देख लेगा तो क्या होगा,,,


तू बिल्कुल भी चिंता मत कर मंजू कोई नहीं देखने वाला दरवाजा बंद है और हम दोनों के सिवा यहां कोई नहीं है मैं तुझे ऐसा सुख दूंगी कि तू एकदम मस्त हो जाएगी और अपनी जवानी का सही उपयोग करने लगेगी,,,,(पर इतना कहते हुए मीना मंजू की चिकनी जांघों को पकड़कर अपने प्यासे होठों को उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार की तरफ बढ़ाने लगी उसकी नजरें ऊपर थी मंजू भी उसे ही देख रही थी दोनों कि मुझे आपस में टकरा रही थी जिससे मंजू को शर्म महसूस हो रही थी लेकिन अपनी नजरों को हटा नहीं रही थी,,,, जब मीना के प्यासे होठ मंजू की तपती हुई बुर के बेहद करीब आ गई तो मीना उसकी आंखों में देखते हुए बोली,,,)


देखना बहुत मजा आएगा मंजू,,,,(और इतना कहने के साथ ही मीना अपने प्यासी होठों को मंजू की बुर पर रख दी,,,, मंजू के लिए यह पहला अवसर था जब हुआ किसी औरत के होठों को अपनी बुर के ऊपर महसूस कर रही थी लेकिन मीना के लिए यह अनुभव कुछ ज्यादा ही था वह अपने ससुराल में,,, इस तरह के संबंध के बारे में सीखी थी और जानी थी क्योंकि उसके साथ उसकी ननद यह सब करती थी और उसी के वजह से उसके तन बदन में औरतों के लिए प्यास बढ़ने लगी थी मंजू की नंगी गांड को देखकर उसकी है प्यास एकदम से बढ़ गई थी और नतिजन इस समय उसके होंठ मंजू की बुर के ऊपर थी और अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी गुलाबी छेद में डालकर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दी थी उत्तेजना के मारे मंजू की बुर से काम रस बहना शुरू हो गया था जिसका स्वाद मीना ले रही थी,,,,।

मंजू ने अपनी भैया और अपने भतीजे से से अपनी बुर खूब चटवाई थी,,,, औरत की जीभ का मजा लेते हुए मंजू के मुंह से सिसकारी की आवाज निकलने लगी जोकि मीना के लिए उत्तेजना बढ़ा देने वाला था क्योंकि इससे साफ जाहिर हो रहा था कि उसकी हरकत की वजह से मंजू को मजा आ रहा है और मंजू पहले से ही बुर चटवाने का अनुभव ले चुकी थी इसलिए तुरंत अपने दोनों हाथों को मीना के सर पर रख कर अपनी कमर को गोल गोल हीलाने लगी,,,जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी हरकत अनुभव वाली है तो वहां तुरंत अपने हरकत को अपने बातों से संभालते हुए बोली,,,।


ओहहहह मीना मुझे क्या हो रहा है,,,आहहहहह,,,मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा मेरे तन बदन में कुछ हो रहा है,,,।
(मंजू की बातों को सुनकर मीना अंदर ही अंदर खुश होने लगी वह बुर चाटने में व्यस्त थी लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी क्योंकि वह इस एहसास को अच्छी तरह से जानती थी वह समझ गई थी कि मंजू को बहुत मजा आ रहा है,,,। घर के कोने में शादीशुदा मीना और कुंवारी मंजू कामसूत्र के नए अध्याय की शुरुआत कर रहे थे,,, मंजू घर की कच्ची दीवार से सटकर खड़ी थी और उसकी चिकनी जांग को दोनों हाथों से थामे हुए मीना घुटनों के बल बैठकर उसकी बुर चाट रही थी बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ यह नजारा था,,,। कुछ देर तक मीना इसी तरह से मंजू की बुर को चाटती रही लेकिन वह उसे खटिया पर ले जाना चाहती थी,,, इसलिए उसकी बुर से अपने होठों को हटा कर खड़ी हो गई और उसका हाथ पकड़ कर उसे खटिया तक ले जाए और उसे खटिया पर पीठ के बल लेटा दि,,,,मंजू कुछ भी नहीं बोल रही थी बस उसके आदेश का पालन करते हुए जैसा वह कर रहे थे उसी तरह से व्यवस्थित आसन में आजा रही थी,,,,। मीना को उसकी आधी उतरी हुई सलवार को उसकी टांगों से बाहर खींच कर निकाल दी,,, और उसकी कुर्ती को उतारने लगी तो खुद मंजू उसकी सहायता करते हुए अपनी कुर्ती को भी उतार फेंकी इस समय मंजू पूरी तरह से नंगी थी और मीना अपने संपूर्ण वस्त्र में थी,,, लेकिन मैंने बात अच्छी तरह से जानती थी कि किस खेल को वो खेलने जा रही है उस खेल में वस्त्र बाधा रोग बन जाते हैं इसलिए वह भी,,, मंजू की आंखों के सामने ही बेशर्मी की खातिर अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम से नंगी हो गई,,,,। मीना का रंग दबा हुआ था

लेकिन उसके बदन का उभार विवाहित होने के नाते बहुत ही खूबसूरत सांचे में ढल गया था,,,।

मीना को नंगी देखकर मंजू मुस्कुरा रही थी और मीना बिना देर किए तुरंत खटिया पर चढ गई और उसकी दोनों टांगों को फैला कर फिर से उसकी बुर पर अपने होठों को रख कर चाटना शुरू कर दी अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ लाकर उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दी,,,,अब औरत वाली इस खेल में मंजू को बहुत मजा आ रहा था वह कभी सोचे नहीं थे कि औरत से भी उसे इतना सुख प्राप्त हो सकता है मीना पागलों की तरह उसके काम रस को जीभ से चाट रही थी,,,। और मंजू उत्तेजना के मारे खटिया पर कसमसा रही थी कुंवारी बुर चाटने के अनुभव को लेना चाहती थी,,, लेकिन मंजू मीना से यह बात कहने में शर्मा रही थी,,, लेकीन मीना ससुराल में जाकर अपनी ननद से सब कुछ सीख चुकी थी इससे ससुराल का अनुभव होगा मंजू के साथ बांट रही थी,,,,।

वह तुरंत अपने आसन को बदलते हुए,,, अपनी गांड से मंजू के मुंह पर रख दी और झुक कर उसकी दोनों टांगों के बीच अपना मुंह डाल दी,,,, मंजू समझ गई थी कि मीना क्या करवाना चाहती है इसलिए अपनी उत्सुकता को पूरी करते हुए मंजू अपनी जीभ बाहर निकाल कर,,,, मीना की बुर को चाटना शुरू कर दी,,, मीना के काम रस का स्वाद अपनी जीभ पर महसूस करते ही मंजू को बात का एहसास हुआ कि औरत की बुर से निकलने वाला काम रस कितना कसैला और नमकीन होता है फिर भी मर्द बड़े चाव से काम रस के गले के नीचे उतार लेते हैं,,,,।

मंजू भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी मीना की बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में भरकर वह उसकी बुर को चाट रही थी और मीना अपनी जीभ से मंजू की बुर को कुरेद रही थी,,,दोनों को एक दूसरे के अंगों से खेलने में बहुत मजा आ रहा था,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी दोनों अपने अपने ढंग से एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे,,,, मीना मंजू की मस्ती को और ज्यादा बढ़ाते हुए,,, अपनी एक उंगली का मंजू की बुर में डालने लगी वैसे तो मीना अगर अपनी तीनों उंगली उसकी बुर में डाल देती तो भी उसे फर्क नहीं पड़ता क्योंकि अपने भतीजे के मोटे और लंबे लंड को वह रोज अपनी बुर के अंदर लेती थी लेकिन कहीं अपनी चोरी पकड़ी ना जाए मीना को किसी भी प्रकार का शक ना हो जाए इसलिए वह दर्द का बहाना करते हुए उसका हाथ पकड़कर उसे रोकने की कोशिश करने लगी,,, तो मीना उसे समझाते हुए बोली,,,।


कुछ नहीं होगा मेरी जान बहुत मजा आएगा धीरे धीरे तेरी बुर में लंड के लिए जगह बनाने दे वरना एक ही झटके में घुसेगा तब तू सह नहीं पाएगी,,,,।
(मंजू अच्छी तरह से जानती थी कि मीना की उंगली से उसे कुछ भी फर्क पड़ने वाला नहीं है इसलिए थोड़ी बहुत नानकुर करके उसे उसकी मनमानी करने दी,,,, धीरे-धीरे मीना अपनी एक उंगली को मंजू की बुर में डालना शुरू कर दी,,,, मंजू दर्द से कराहने का बस नाटक करती रही,,, और साथ में मीना की बुर को चाटने का मजा भी ले रही थी,,।।

धीरे-धीरे दोनो की हरकत बढ़ती जा रही थी मंजू समझ गई थी कि मीना को अब बिल्कुल भी शक होने वाला नहीं है इसलिए इस मौके का मंजू पूरी तरह से फायदा उठाना चाहती थी इसलिए जोर-जोर से ए मीना की गांड पर चपत लगाते हैं उसकी बुर को चाट रही थी और खुद भी अपनी उंगली को मीना कि बुर के अंदर बाहर करना शुरू कर दी थी,,,, दोनों एक एक बार एक दूसरे की हरकत से झड़ चुके थे,,,।


मीना अपने आसन के बदलते हुए खुद मंजू की दोनों टांगों के बीच आ गई और उसके ऊपर झुक कर उसकी दोनो चुचियों को दोनों हाथों से पकड़कर बारी-बारी से मुंह में लेकर पीना शुरु कर दी,,,, मंजू की उत्तेजना बढ़ने लगी,,,, एक औरत के साथ इस तरह के संबंध में मंजू को भी मजा आ रहा था,,,, मंजू के मुंह से गर्म सिसकारी फूट रही थी,,,। मीना अपनी हरकत को बढ़ाते हुए अपनी बुर को उसके ऊपर लेट कर हल्के हल्के मंजू की बुर पर रगड रही थी,,,मंजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी की बुर से बुर का घर्षण बेहद उन्माद पैदा कर रहा था,,, उत्तेजना के मारे धीरे धीरे मंजू भी अपनी कमर को ऊपर की तरफ फेंक दे रही थी,,, देखते ही देखते मीना अपनी बुर को जोर-जोर से मंजू की बुर पर रगड़ना शुरू कर दी,,,बुर से बुर रगड़ने की वजह से दोनों के बदन में अद्भुत गर्मी का संचार हो रहा था दोनों की जवानी पीघल कर बुर के रास्ते से बह रही थी,,,,देखते ही देखते दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में कस के झड़ने लगी,,,,।

कुछ देर तक दोनों इसी तरह से खटिया पर एकदम नंगी होकर एक दूसरे की बाहों में लेटी रह गई,,,। मंजू को आज एक नया अनुभव प्राप्त हुआ था,,, मीना और मंजू के कहने पर खटिया पर से नीचे उतर कर खड़ी हो गई और अपने अपने कपड़े पहनने लगी,,, मंजू जानबूझकर मीना के सामने शर्माने का नाटक कर रही थी,,, और मैंने उसे छेडते हुए बोली,,,।

हाय मेरी मंजू रानी मजा आया ना,,, अब ना मत कहना क्योंकि तेरी बुर से भी काम रस फूट पड़ा था यह तभी होता है जब मजा आता है समझी,,,,(इतना कहकर मीना मुस्कुराने लगी और मंजू भी मुस्कुराते हुए घर से बाहर निकल गई,,,।)
 
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मंजू मीना के घर से एक अद्भुत अनुभव लेकर लौट रही थी वो कभी सोची नहीं थी कि औरतों के बीच में भी इस तरह के शारीरिक संबंध स्थापित होते हैं जिनमें औरतों को भी बेहद आनंद की अनुभूति होती है,,,, मंजू को भी बहुत मजा आया था वरना वह उन्मादीत होकर झडती नहीं,,,,,, मंजू अब तक अपने घर में दोनों मर्दों को अपनी बुर काम रस पिलाती आ रही थी उसका स्वाद कैसा होता है इस बारे में उसे बिल्कुल भी अनुभव नहीं था लेकिन आज मीना की बुर पर अपना होठ रखकर उसे इस बात का एहसास हुआ कि औरत की बुर का स्वाद कसैला और नमकीन होता है जिसे जीभ से चाट कर दुनिया का हर एक मर्द और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाता है,,, उसी तरह का उत्तेजना मंजू को भी अपने तन बदन में महसूस हुआ था,,, मीना ने जो कुछ भी मंजू के साथ की थी उससे मंजू को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी,,,। और उससे जादू सीखने को मिला था कि शादी वाले दिन सुहागरात को अपने पति के साथ कैसा बर्ताव करना है,,,, ताकि उस पर कोई उंगली ना उठा सके,,,, । मंजू बहुत खुश थी एक तो एक नए अनुभव से और इस बात से कि मीना को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ था कि वह बहुत बार चुदवा चुकी है,,,।


सुरज को रात का बड़ी बेसब्री से इंतजार था क्योंकि आज वह मौसी की गांड मारना चाहता था और इस नए अनुभव से अवगत होना चाहता था लेकिन मीना ने जो गांड मराई का अनुभव बतानी थी उससे मंजू डर गई थीऔर इसीलिए ही सुरज के लाख मनाने पर भी मंजू बिल्कुल भी नहीं मानी थी और केवल अपनी दोनों टांग फैला कर अपनी बुर उसे सौंप दी थी,,, सुरज भी अपना मन मार कर अपना पूरा ध्यान अपनी मौसी की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पर केंद्रित कर दिया जिस पर उसका पूरा हक था,,,,,,,,,,।

शाम को बेल गाड़ी लेकर लौटते समय,,, रविकुमार बैलगाड़ी को नामदेवराय की हवेली की तरफ मोड़ दिया था क्योंकि उसे ब्याज के पैसे देने थे और २ दिन वह लेट हो चुका था,,,, बैलगाड़ी को हवेली के सामने खड़ा करके रविकुमार जल्दी-जल्दी हवेली में प्रवेश करने के हेतु,,,, दरवाजे पर खड़ा होकर दस्तक देने की जगह बोला,,,।


मालिक,,,, मालिक,,,,, घर पर हो,,,,

(नामदेवराय उसी समय बैठा बैठा हुक्का गुड़गुड़ा रहा था,,,,, रविकुमार की आवाज को अच्छी तरह से पहचानता था इसलिए वहां वहीं बैठे हुए ही बोला,,,)

आजा रविकुमार,,,,
(इतना सुनते ही रविकुमार हाथ जोड़े हुए ही हवेली में प्रवेश किया सामने ही नामदेवराय बैठा हुआ था उसे देखकर नमस्कार करते हुए बोला,,,)


नमस्कार मालिक,,,,।


आओ रविकुमार,,, आने में २ दिन देर क्यों कर दिया,,,।


ओ ,,, क्या है ना मालिक सवारी मिलना मुश्किल हो गई थी इसलिए देरी हो गई आइंदा से ऐसी गलती नहीं होगी,,,।


कोई बात नहीं आइंदा से इस तरह की गलती में बर्दाश्त भी नहीं करूंगा,,,, लाओ ब्याज के पैसे दो,,,,
(नामदेवराय की बात सुनते ही रविकुमार तुरंत अपनी धोती में बांधे हुए पैसे निकालकर नामदेवराय को थमाते हुए बोला,,,)


लीजिए मालिक,,,
(ब्याज के पैसे नामदेवराय के हाथ में थमाते हुए,,, रविकुमार चक्र पर इधर उधर देख रहा था उसकी नजरें उस औरत को ढूंढ रही थी जो उस दिन नामदेवराय के नीचे थी,,,,,,, उस दिन नामदेवराय जिसकी चुदाई कर रहा था उस औरत का रहस्य अभी भी रविकुमार के मन में बना हुआ था रविकुमार समझ नहीं पा रहा था कि नामदेवराय से चुदवाने वाली वह औरत थी कौन,,,,, क्योंकि रविकुमार ने जिस तरह का उसका खूबसूरत मक्खन जैसा गोरा बदन देखा था उससे साफ पता चल रहा था कि वह औरत ऊंचे खानदान की थी गांव में क्योंकि इतनी खूबसूरत औरत दूसरी कोई नहीं थी जिसका बदन मक्खन जैसा एकदम चिकना और गोरा था,,,,इतना तो रविकुमार समझ गया था कि वह औरत कोई ऊंचे खानदान की ही थी गांव की नहीं थी लेकिन कौन थी इस बारे में उसे बिल्कुल भी पता नहीं चल रहा था इसीलिए वह ,,,हवेली में आते ही अपनी नजरों को दौड़ाना शुरू कर दिया था इस उम्मीद से कि वह औरत उसे फिर नजर आ जाए,,,, और उसे इस बात का भी पता चला था कि नामदेवराय के घर में उसकी छोटी बहन रहती है जो कि विधवा है,,,, इसीलिए रविकुमार के मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी पहले तो उसे इस तरह के रिश्ते पर शंका नहीं होती थी लेकिन जब से वह खुद अपनी ही बहन से शारीरिक संबंध बनाया था तब से उसे लगने लगा था कि कहीं नामदेवराय का संबंध उसकी बहन से तो नहीं है,,,। और वह अपने मन में यही सोचने लगा था कि क्या उसकी तरह और भी भाई है जो अपनी बहन के साथ चुदाई का सुख भोगते हैं,,,,। अपने मन में यह भी सोचता था कि उसकी बात गलत भी हो सकती है,,, उसकी तरह कोई दूसरा भाई नहीं होगा जो अपनी ही बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाया हो,,,लेकिन वह अपने मन में ही सोचता था कि कहां से उसका सोचना सही हो जाता तो शायद उसके मन की ग्लानी थोड़ी कम हो जाती,,,।नामदेवराय उसके हाथ से पैसे लेकर गिन रहा था और उसे भी बड़े गौर से देख रहा था वह पूरी हवेली में इधर उधर नजर घुमाकर देख रहा था,,उसे इस तरह से इधर-उधर देखता हूं आप आकर नामदेवराय भी समझ गया था कि वह क्या देखने की कोशिश कर रहा है इसलिए उसे जोर से

डांटते हुए बोला,,,)


रविकुमार ध्यान किधर है तेरा,,,,


कककक,,, कुछ नहीं मालिक,,,, मालकिन नही नजर आ रही थी इसलिए,,,,।


तुझे इससे क्या,,,? ज्यादा बनने की कोशिश मत कर समझा,,, और कभी हवेली में आया कर तो अपनी नजरों को झुका कर रखा कर वरना तुझे पता है कि मैं क्या कर सकता हूं,,,, तेरा हुक्का पानी बंद हो जाएगा समझा,,,,


मममम,मालिक वो तो मैं,,,,


बस कर ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं है और निकल जा हवेली से,,,,,।

जी मालिक,,,( और इतना कहते हुए रविकुमार हाथ जोड़कर मन मारकर हवेली से बाहर निकल गया नामदेवराय के साथ वह जबान नहीं बनाना चाहता था क्योंकि मुसीबत में डाला ही काम आता था और उसे अभी अपनी बहन मंजू का विवाह करना था जिसमें पैसे की जरूरत को सिर्फ नामदेवराय ही पूरी कर सकता था इसलिए वह कुछ बोला नहीं,,,, लेकिन अपने मन में नामदेवराय को ढेर सारी गालियां देते हुए वह हवेली से बाहर आ गया और अपनी बैलगाड़ी को लेकर अपने घर की तरफ चल दिया,,,, रविकुमार के हवेली से बाहर जाते ही नामदेवराय की बहन कजरी हाथ में दूध का गिलास लिए हुए नामदेवराय के पास आई और बोली,,,)


कौन था भैया जो ज्यादा सवाल जवाब कर रहा था,,,।

वही बैलगाड़ी वाला रविकुमार,,, इसकी हरकत को मैं अच्छी तरह से जानता हूं उस दिन जब यह ब्याज के पैसे देने के लिए आया था तो मुझे तुम्हारी चुदाई करते हुए देख लिया था वह तो अच्छा था कि तुम्हारे घर में बाल से तुम्हारा चेहरा ढक गया था वरना गजब हो जाता और इसीलिए अब सुबह हवेली में ताक झांक करता रहता है की हवेली में वह औरत है कौन,,,,।
(अपने बड़े भाई की बात सुनकर कजरी सकते में आ गई,,,वह भी उस दिन वाली घटना को अच्छी तरह से जानती थी जब उसे अपने भाई का लंड लेते तो बहुत मजा आ रहा था उसी समय रविकुमार भी वहीं आ टपका था लेकिन उस समय उसके घने बाल से उसका चेहरा पूरी तरह से ढका हुआ था और उसके बदन पर कपड़े के नाम पर एक रिसा तक नहीं था वह पूरी तरह से नंगी थी और उसका भाई भी पूरी तरह से नंगा था उसके भाई का लंड उसकी बुर में पूरी तरह से समाया हुआ था,,, वह क्षण चरम सुख के बेहद करीब था इसलिए उसका बड़ा भाई अपने लंड को अपनी बहन की बुर में से निकालना मुनासिब नहीं समझा था इसलिए रविकुमार की मौजूदगी में ही वह तब तक उसकी बुर में अपना लंड पेलता रही जब तक कि उसका पानी ना निकल गया,,, कजरी भी इस बात से खुशी की रविकुमार उसके चेहरे को देख नहीं पाया था उसे पहचान नहीं पाया था दोनों भाई बहन के रिश्ते को समझ नहीं पाया था उसे ऐसा ही लग रहा था कि जिस औरत के उसका भाई चोद रहा है वह कोई और है उसके घर की कोई सदस्य नहीं,,,, अपने बड़े भाई की बातें सुनकर कजरी बोली,,)


अच्छा हुआ भैया कि तुमने उसे डांट कर भगा दिया वरना वह इस तरह की हरकत दोबारा भी करता और कहीं हम दोनों पकड़े जाते हैं तो गांव में कहीं भी मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाते,,,।


तुम ठीक कह रही हो कजरी इसीलिए तो मैं उसे मुंह नहीं लगाता,,,,।


लीजिए भैया दुध,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी दूध का गिलास अपने भाई की तरफ आगे बढ़ाई और एक हाथ से अपने साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दी,,,, वह पूरी तरह से अपने बड़े भाई को खुश रखने की कोशिश करती थी भले ही बाहर वह सुरज के जवान लंड से पूरी तरह से संतुष्ट हो जाती थी लेकिन अपने भाई को भी वह संतुष्ट करती थी क्योंकि यही तो उसका हथियार था अपने भाई को पूरी तरह से काबू में रखने का साड़ी का पल्लू नीचे गिरते ही नामदेवराय की आंखों में चमक आ गई क्योंकि साड़ी के नीचे कजरी ब्लाउज नहीं पहनी थी वह दूध लाने से पहले ही अपना ब्लाउज निकाल दी थी क्योंकि वह जानती थी तो उसके भैया की आदत यही थी कि वह गिलास के दूध से पहले उसका दूध पीना पसंद करते थे,,,,,,,)


हाय कजरी तुम तो मेरी भूख और ज्यादा बढ़ा दी हो,,,, पहले मैं तुम्हारा दूध पीऊंगा फिर ग्लास का,,,


जानती हूं भैया तभी तो यहां आने से पहले अपना ब्लाउज उतार कर फेंक दी थी लेकिन तुम्हारी आवाज सुनकर में दरवाजे के पीछे रुक गई थी,,,, और तुम्हारे साथ दूसरे आदमी को देखकर मैं तुम्हारे सामने नहीं आई,,,।


अच्छा हुआ तुम इस हाल में उसके सामने नहीं आ गई वरना जो कुछ भी हो अपने मन में सोच रहा है शायद उसे पूरी तरह से अपनी बात पर अपनी शंका पर यकीन हो जाता,,,,।


इसीलिए तो मे रुक गई थी भैया और उसके जाने का इंतजार कर रही थी,,,,।


हाय मेरी बहन बहुत समझदार हो गई है,,,,(इतना कहने के साथ ही नामदेवराय अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियों को थामने को हुआ कि कजरी थोड़ा पीछे हट गई और दरवाजे की तरफ देखते हुए बोली,,,)

आहंं,आहंं,,,, थोड़ा तो सब्र करो भैया दरवाजा तो बंद करने दो अगर कोई नौकर आ गया तब क्या करोगे,,,।


हां तुम सच कह रही हो कजरी जाकर दरवाजा बंद कर दो,,,।

(अपने भैया की बात सुनते ही कजरी उसी हाल में पल्लू को नीचे गिरा कर दरवाजे की तरफ आकर बनाने लगी उसकी मटकती हुई गोल-गोल बड़ी बड़ी गांड देखकर नामदेवराय से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था उसके बदले में उत्तेजना बढ़ती जा रही थी कजरी के साड़ी का पल्लू,,, नीचे जमीन पर लहराते हुए जा रहा था जिसे संभालने की दरकार कजरी बिल्कुल भी नहीं कर रही थी वहां और भी ज्यादा अपने बड़े भाई को उत्तेजित करने के उद्देश्य से अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही मटका कर आगे बढ़ रही थी,,, और अगले ही पल में दरवाजा बंद करके नामदेवराय की तरफ आगे बढ़ने लगी तो उसकी मदमस्त छातियों की शोभा बढ़ाती है उसकी दोनों पपैया जैसे चुचियों को देखकर नामदेवराय के मुंह में पानी आ गया,,,,,, उससे इंतजार करना मुश्किल हो जाएगा रहा था वह तुरंत अपने जगह से उठ कर खड़ा हो गया और कजरी उसके पास पहुंचती इससे पहले ही वह अपनी बहन के पास पहुंच गया और उसे अपनी बाहों में भर कर सीधा उसके चुची को अपने मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,

जब से सुरज के साथ कजरी शारीरिक संबंध स्थापित की थी तब से उसे अपने भाई के साथ बिल्कुल भी मजा नहीं आता था बस अपने भाई को नाराज नहीं करना चाहती थी उसे हर हाल में खुश रखना चाहती थी इसीलिए उसके साथ वह सब कुछ करती थी जो एक औरत एक मर्द के साथ उसे खुश करने के लिए करती थी,,,,,।


आहहहह भैया ,,,,, क्या कर रहे हैं मैं भागी थोड़ी जा रही हूं आराम से,,,आहहहहह,
(लेकिन कजरी की बातों का उस पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था वह अपनी मनमानी कर रहा था तभी दाईं चूची को तो कभी बाई चूची को मुंह में भरकर पी रहा था और साथ ही साथ नीचे की तरफ लाकर कजरी की साड़ी की गिठान को खोल रहा था,,,,और कुछ ही देर में मैं अपनी बहन को पूरी तरह से नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया कमरे में ले जाने के बजाय वही पर घोड़ी बनाकर पीछे से कजरी की चुदाई करना शुरू कर दिया जैसा कि उस दिन रविकुमार ने अपनी आंखों से देखा था रविकुमार को इस आसन में अपनी बहन की चुदाई करना बहुत अच्छा लगता था,,,,। और थोड़ी ही देर में रविकुमार कजरी पर ढेर हो गया,,,,और कजरी अपने मन में ही सोचने लगी कि यही फर्क है सुरज और उसके बड़े भाई में सुरज उसके साथ पूरी तरह से मस्ती करते हुए उसे पूरी तरह से उत्तेजित करने के बाद ही उसकी बुर में लंड डालता था और उसका भाई बस अपनी प्यास बुझाने के खातिर बिना सोचे समझे उसकी बुर में लंड डालकर झड़ जाता था,,,, लेकिन फिर भी कजरी खुश थी क्योंकि अधिकतर हवेली पर उसका ही राज चलता था जिसका कारण था वह अपना जिस्म अपने भाई को सौंप देती थी,,,।


दूसरी तरफ सुरज के मन में गौरी के लिए प्रेम का अंकुर पूछ रहा था दिन रात वहां केवल गौरी के बारे में ही सोचता रहता था भले ही वह अपनी प्यास गांव की औरतें और अपनी मौसी को चोद कर मिटाता था,,,, लेकिन गौरी के लिए उसके मन में सच्चा प्यार था उसकी आंखों में उसके दिल में गौरी पूरी तरह से बस गई थी उसकी बस एक झलक पाने के लिए वह घंटों गांव के चक्कर लगाया करता था ज्यादातर उसके घर के इर्द-गिर्द लेकिन गौरी उसे नजर नहीं आती थी,,,,।

गौरी से मिलने का उसके पास सिर्फ एक ही बहाना होता था शुभम जिसे वह पढ़ने के बहाने उसके घर पर बुलाया नहीं जाया करता था और इसी बहाने उसे गौरी के दर्शन करने को मिल जाते थे,,,, शुभम से उसकी बिल्कुल भी नहीं बनती थी लेकिन गौरी के कारण वह बार-बार शुभम के घर आए दिन पहुंच ही जाता था लेकिन फिर भी बड़ी मुश्किल से उसे झुमरी के दीदार होते थे,,,।

ऐसे ही १ दिन दोपहर का समय था और वह गौरी को फिर से देखने के लिए शुभम के घर पहुंच गया उसे बुलाने के लिए,,,,वह शुभम के घर पर दरवाजे पर खड़ा था वह दरवाजे पर दस्तक देने के लिए जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया तो दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया और वह चोर कदमों से घर के अंदर प्रवेश कर गया उसे ऐसा लग रहा था कि आज भी उसी गौरी के नंगे बदन का दर्शन करने को मिल जाता तो वह बहुत खुशनसीब होता इसी उम्मीद से वह धीरे धीरे चोर बदमाश उसके घर के अंदर आगे बढ़ता जा रहा था,,,,और देखते ही देखते हो कहां उसी जगह पर पहुंच गया जहां पर उस दिन पहुंचा था और जहां से वह गौरी के नंगे बदन का दीदार करके पूरी तरह से मस्त हो गया था,,,।
सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह चोर की तरह शुभम के घर में प्रवेश किया था अगर ऐसे में उसकी मां उसे देख लेती तो क्या समझती इसीलिए वह बड़ी संभाल कर आगे बढ़ते हुए उसी जगह पर पहुंच गया था वह जैसे ही उस जगह पर पहुंचकर सामने की तरफ नजर दौड़ाया तो सामने का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,। जो कुछ भी वह देख रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे कुछ ऐसा देखने को मिलेगा,,,।
 
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शुभम के घर के अंदर का नजारा बेहद ही कामुकता से भरा हुआ था यहां आने से पहले सुरज ने ऐसा कुछ भी सोचा नहीं था कि उसे इस तरह का नजारा देखने को मिल जाएगा पर तो इसी उम्मीद में था कि उस दिन की तरह आज भी उसे गौरी के नंगे बदन का दर्शन करने को मिल जाए तो वह धन्य हो जाए लेकिन यहां तो कुछ और ही चल रहा था,,,।
सुरज का दिल बड़े जोरो से धड़कने लगा था,,, सुरज की उम्मीद से दुगुना था,,,,।



सुरज के पैर दरवाजे पर ही ठिठक गए थे आगे बढ़ने की इतनी हिम्मत नहीं थी ना ही आवाज देने की क्योंकि इस समय का नजारा बेहद गरमा गरम था वह अपने आप को दीवार की ओट में छिपा कर चोरी छिपे उस नजारे को देखने लगा,,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,, आखिरकार जो दृश्य उसने देखा था उसकी उसने कल्पना भी नहीं किया था,,,,,



दोपहर का समय होने की वजह से दिन के उजाले में सुरज को सब कुछ साफ नजर आ रहा था घर के अंदर सबसे पीछे गुसलखाना बना हुआ था और वह भी खुला हुआ था बस चारों तरफ से कच्ची मिट्टी की दीवार बनाकर घेरा हुआ था,,,,,,, उस दिन तो सुरज को जो गौरी एकदम नंगी नहाते हुए नजर आई थी उसे देखकर सुरज उस दिन से गौरी का दीवाना हो गया था और आए दिन उसे से मुलाकात होने लगी थी और इसी चक्कर में आज भी वह शुभम के घर आया था लेकिन,,, इस बार का नजारा कुछ और ज्यादा गरमा गरम था,,,, क्योंकि इस बार सुरज की आंखों के सामने गौरी नहीं बल्कि शुभम की मां थी,,,, जो कि पूरी तरह से नंगी थी बस केवल उसके बदन पर पेटीकोट ही था और वह भी कमर तक उठा हुआ था और वह दीवार के सहारे झुकी हुई थी,,,, उसका बदन पानी से भीगा हुआ था,,,,,, जिसका मतलब साफ था कि वह नहा ही रही थी,,, और नहाते नहाते हैं काम क्रीड़ा शुरू कर दी थी लेकिन जो उसकी चुदाई कर रहा था उसे देखकर सुरज के होश उड़ गए थे सुरज क्या उसकी जगह कोई भी होता तो शायद उसके होश उड़ जाते हैं क्योंकि नजारा ही कुछ ऐसा था,,,,।
शुभम की मां दीवार के सहारे झुकी हुई थी उसकी पेटीकोट कमर तक चढ़ी हुई थी उसकी बड़ी-बड़ी को एकदम साफ नजर आ रही थी और पीछे से उसकी बुर में लंड डालने वाला कोई दूसरा नहीं बल्कि उसका खुद का जवान बेटा शुभम था,,,,, इस नजारे को देखते ही सुरज पल भर में उत्तेजना ग्रस्त हो गया,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था ,, की एक बेटा अपनी मां को चोदेगा,,,इसलिए कुछ देर तक तो सुरज को अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हुआ कि वह जो कुछ भी देख रहा है वह सही है लेकिन,,,,यह कोई सपना नहीं था हकीकत था जो कुछ भी उसकी आंखें देख रही थी वह सब कुछ सच था उसमें रत्ती भर भी झूठ नहीं था,,,, इसलिए तो सुरज और ज्यादा आश्चर्यचकित हो गया था अगर सुरज की जगह कोई और मर्द होता तो उसे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं होता की शुभम की मां किसी गैर मर्द से चुदवा रही है या उसकी मां की जगह शुभम किसी और औरत को चोद रहा है,,,, इस तरह के नजारे को देखकर सुरज को बिल्कुल भी आश्चर्य और दुविधा नहीं होती,,,, ।
लेकिन उसकी आंखों के सामने एक मा और एक बेटा थे,,, जिनके बीच बेहद ही पवित्र रिश्ता था,,, और उस पवित्र रिश्ते को एक मां और बेटा दोनों मिलकर कलंकित कर रहे थे,,,,।

अपनी आंखों के सामने एक पवित्र रिश्ता तार तार हो रहा था लेकिन फिर भी सुरज कुछ बोल नहीं पा रहा था क्योंकि उसे ना जाने क्यों अच्छा लगने लगा था,,,, और वह इस नजारे का पूरा फायदा उठाना चाहता था,,, सुरज दीवार की ओट में खड़ा होकर इस गर्मा गर्म नजारे को देख रहा था,,। शुभम की कमर बड़ी तेजी से चल रही थी और शुभम की मां बड़े मस्ती के साथ अपने ही बेटे से चुदवा रही थी,,,,, एक पल को तो सुरज को लगा कि वह आगे काम क्रीड़ा में जुड़ जाए,,, क्योंकि शुभम की मां बदन से बेहद गठीली थी रंग थोड़ा दबा हुआ था लेकिन फिर भी मर्दों को आकर्षित करने लायक सब कुछ था,,, अपने बेटे के ही साथ संभोग सुख प्राप्त करने का कारण सुरज अच्छी तरह से समझ रहा था धीरे-धीरे औरत के अंदर की प्यास को सुरज समझने लगा था,,, शुभम के पिताजी नहीं थे बरसों पहले उनका देहांत हो चुका था और इसीलिए बरसों से वह अपने बदन की भूख को दबा नहीं सकती थी किसी ने किसी के साथ तो उसे अपने शरीर की भूख मिटानी थी और ऐसे में घर में ही जवान लड़के के साथ वह चुदवा रही थी,,। भले ही उसका सगा बेटा क्यों ना हो,,,।

शुभम की मां की गरम सिसकारी सुरज को साफ सुनाई दे रही थी,,,।

सहहह आहहहहह आहहहहह,,, बेटा और जोर से धक्का लगा जोर जोर से चोद मुझे,,,आहहहहहहह,,,,आहहहहहह


लगा तो रहा हूं मा,,,,,(जोर-जोर से कमर हिलाता हुआ) तुम्हारी गांड बहुत बड़ी-बड़ी है,,,,,


तो क्या हुआ अंदर तक डालना,,,,,आहहहहहह,,,, थोड़ा और बड़ा होता तो और मजा आता तब आराम से चला जाता,,,,

छोटा भी तो नहीं है ना,,,, डाल तो रहा हु,,,,,,
(सुरज को दोनों मां-बेटे की बातें साफ सुनाई दे रही थी शुभम की मां की बात सुनकर सुरज के इस बात का अहसास हो गया था कि शुभम की मां को ज्यादा मजा नहीं आ रहा है और ज्यादा मजा लेने की इच्छुक थी,,,, वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर शुभम की जगह वो होता तो उसकी मां को पूरी तरह से संतुष्ट कर देता,,,, अब उसे लगने लगा था कि उसका काम हो जाएगा,,,, शुभम इसी समय दोनों के बीच आकर खड़ा हो सकता था लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहता था वह दोनों को किसी भी तरह से परेशान नहीं करना चाहता था लेकिन इतना तो बता कर लिया था कि वह भी गौरी की मां की चुदाई करके रहेगा क्योंकि उसकी बड़ी-बड़ी गांड देख कर एक बार उसकी लेने के लिए उसका मन मचल गया था,,,।

दोनों मां बेटे की चुदाई देख कर सुरज का लंड पजामे में खड़ा होने लगा था,,, और सुरज पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबा रहा था,,,, सुरज अपने मन में सोचने लगा कि शुभम तो छुपा रुस्तम निकला,,, शुभम की बातें सुनकर सुरज इतना तो जानता था कि हम हरामि लड़का है लेकिन यह नहीं जानता था कि वह किसी औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाता होगा लेकिन वह तो अपनी ही मां की चुदाई कर रहा है,,,, शुभम की कमर अभी भी लगातार आगे पीछे हो रही थी लेकिन जिस तरह से शुभम अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल रहा था कुछ और अंदर तो घुसने के लिए कोशिश कर रहा था उसे देखकर सुरज समझ गया था कि पीछे से वह अपनी मां की बराबर ले नहीं पा रहा है,,, और उसकी मां को कुछ ज्यादा चाहिए था जो कि अभी अभी उसकी बातों से ही उसे पता चला था,,,, लेकिन शुभम अभी भी टिका हुआ था यही काबिले तारीफ थी,,,।

सहहह आहहहहह,,, बेटा मेरी चूचियां दबा जोर जोर से दबा,,,,(शुभम की मां झुके हुए ही अपने बेटे को दिशानिर्देश बताते हुए बोली क्योंकि चुदवाते समय चुची मसलवाने में उसे और ज्यादा मजा आता था,,, अपनी मां की बात सुनते ही शुभम अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की चूची पकड़ लिया और जोर जोर से दबाते हुए धक्के लगाने लगा,,,, सुरज शुभम की मां के बारे में पूरी तरह से अनुमान लगा लिया था कि शुभम की मां शौकीन किस्म की औरत थी और अपने बेटे से बहुत बुरी तरह से संतुष्ट नहीं हो पा रही थी,,,, यह सब कुछ ऐसा था जैसे डूबते को तिनके का सहारा इसी से वह काम चला रही थी,,, सुरज समझ गया था कि अब उसका काम बन जाएगा,,,,)

मां तुम्हारी चुचीया कितनी बड़ी बड़ी है एकदम पपैया की तरह,,,,


फिर भी तो तू इनसे खेलता नहीं है उसे मैंने लेकर मन भर कर पीता नहीं, है,,,।


क्या करूं मा,,,, तुम्हारी बुर देखते ही मुझे डालने का मन करने लगता है और सब कुछ भूल जाता हूं,,,,


तु सच में बुद्धु है,,,औरतों के बदन से खेलना तुझे बिल्कुल भी नहीं आता भले ही इतने दिनों से तू मेरी चुदाई कर रहा है लेकिन औरत को संतुष्ट करने का गुण तुझ में बिल्कुल भी नहीं है तू तो बस डाला और निकाला बस हो गया,,,।


ओहहहह मां,,,इस खेल में से ज्यादा और क्या करना ही पड़ता है बस यही तो करना पड़ता है डालना और निकालना,,,,


चल तू जल्दी जल्दी कर वरना गौरी आ जाएगी,,,,,,


गौरी इतनी जल्दी आने वाली नहीं है मांं एक बहाने से उसे सब्जियां तोड़ने के लिए खेतों में भेजा हूं,,,,


फिर भी तू जल्दी कर मुझे नहाना है,,,,।

(शुभम की मां की बातें सुनकर सुरज पूरी तरह से समझ गया था कि उसकी मां बेहद प्यासी है और शुभम को इस खेल में ज्यादा कुछ आता नहीं है इसलिए उसका रास्ता आसान हो जाएगा,,,,,,, शुभम की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह अपने चरम सुख के बेहद करीब था,,,अभी तक दोनों मां-बेटे को इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था कि दरवाजे पर सुरज खड़ा है कोई उन दोनों की चुदाई देख रहा है,,,। वह दोनों अपनी काम क्रीड़ा में पूरी तरह से मस्त हो गए थे,,,, शुभम का पानी निकलने वाला था इसलिए वह जल्दबाजी दिखाना चाहता था और पीछे से नहीं बल्कि आगे से अपनी मां की लेना चाहता था,, और इसीलिए अपना अपने मां की बुर में से अपना लंड बाहर निकाल लिया और अपनी मां को खड़ी करके उसकी एक टांग को दीवार के सहारे टीका दिया उसकी मां की पीठ सुरज की आंखों के सामने थी और शुभम ठीक आगे से अपनी मां को अपनी बाहों में लेते हुए अपनी मां की दोनों टांगों के बीच देखते हुए अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसकी बुर के मुहाने पर रख रहा था,,, और जैसे ही वह अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की बुर के मुहाने पर रख कर,, गचगचा कर धक्का लगा कर उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया वैसे ही उसकी नजर दरवाजे पर खड़े सुरज पर पड़े तो उसके होश उड़ गए,,। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें दोनों की नजरें आपस में टकराई,,, सुरज उन दोनों के इस खेल में खलल नहीं पहुंचाना चाहता था इसलिए अपने होठों पर उंगली रख कर उसे शांत रहने का इशारा किया,,,,और फिर अपने हाथ के अंगूठे और उंगली से घोल बनाकर अपने दूसरे हाथ की उंगली को उस गोल में डालकर ,,, उसे चुदाई जारी रखने के लिए इशारा किया और शुभम को बाहर मिलने का भी इशारा करके वहां से चला गया अब वहां ज्यादा रुकने का कोई मतलब नहीं था बस मैं यही चाहता था कि दोनों में से एक की नजर उसके ऊपर पड़ जाए तब उसका काम बन जाए,,,, उसका काम बन चुका था वह जा चुका था लेकिन शुभम की हालत खराब हो चुकी थी डर और उत्तेजना दोनों का मिला जुला असर उसके चेहरे पर नजर आ रहा था जिसका प्रभाव सीधे ही उसके लंड पर पड़ रहा था और वह दोबारा धक्का लगा था इससे पहले ही उसका पानी निकल गया,,, उसकी मां जो कि थोड़ा बहुत आश बांध कर रखी थी कि आगे से उसका बेटा अच्छे तरीके से उसकी चुदाई करेगा लेकिन उस पर भी पानी फिर चुका था,,,,,।

धत्,,,,, अधूरा छोड़ दिया,,,, अब जा यहां से मुझे नहाने दे,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने बेटे से अलग हुई और हेडपंप चलाने लगी शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, उसे इस बात का डर था कि कहीं जो कुछ भी सुरज ने देखा है वह सब कुछ किसी को बताना था अगर ऐसा हुआ तो गजब हो जाएगा इसीलिए शुभम अपने मन में यही सोच रहा था कि सुरज से मिलना बहुत जरूरी है,,,।)
 
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सुरज का मन खुशी से फूला नहीं समा रहा था,,, वह आज बहुत खुश था,,उसकी आंखों ने जो देखा था उसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,अपनी मंजिल तक पहुंचने का और वहां तक पहुंचाने के लिए उसे जादुई चिराग मिल गया था,,, शुभम को अपनी मां की चुदाई करता हुआ देखकर सुरज के हाथ बहुत सी खुशियां लग गई थी ऐसा लग रहा है कि जैसे वह शुभम के घर आकर एक तीर से बहुत सारे शिकार कर दिया है,,,, अब गौरी तक पहुंचने का रास्ता भी पूरी तरह से साफ हो चुका था अगर गौरी के साथ उसका भाई उसे पकड़ भी ले तो वह उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा और तो और अब उसे शुभम की मां की बुर भी हासिल हो जाएगी वह उसे चोद सकता है,,,, और उसे रोकने वाला कोई नहीं होगा,,,, शुभम पूरी तरह से उसकी मुट्ठी में आ गया था,,,, शुभम की मां की बड़ी-बड़ी गांड के बारे में सोच कर और उत्तेजित हुआ जा रहा था और उसके लिए यह है और भी ज्यादा रुचि कर हो गया था कि उसकी मां को लंबा लंड चाहिए था जो कि जमकर उसकी चुदाई कर सके उसे पूरी तरह से तृप्त कर सके और ऐसा कर सकने का साहस शुभम में बिल्कुल भी नहीं था,,, भले ही वह रोजाना उसकी चुदाई करता हो लेकिन वह उसे पूरी तरह से तृप्त नहीं कर पाता था,,, यह बात उसे शुभम की मां के मुंह से ही सुनने को मिली थी,,, शुभम की मां को चोदने के लिए वहां पूरी तरह से बेकरार हुआ जा रहा थालेकिन इस बात से वह पूरी तरह से निश्चिंत हो चुका था कि वह अब शुभम की मां की दोनों टांगों के बीच कभी भी पहुंच सकता है,,,,और उसे अपने मोटे तगड़े लंबे लंड से तृप्त करने के लिए पूरी तरह से उत्साहित था,,,,।

यह बात तो वह अच्छी तरह से समझ गया था कि वह कभी भी शुभम की मां की दोनों टांगों के बीच पहुंच सकता था लेकिन उसके लिए भी उसे अभी समीकरण तैयार करना था,,,,,,, इसीलिए तो वह शुभम को इशारा करके अपनी चुदाई जारी रखने के लिए बोल कर और मिलने के लिए इशारा करके वहां से चलता बना था क्योंकि उसका काम तो हो गया था,,,,,,


एक तरफ जहां सुरज पूरी तरह से उत्साहित और प्रसन्न नजर आ रहा था वहीं दूसरी तरफ शुभम के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी,,,, शुभम की नजर जैसे ही सुरज पर पड़ी थी वैसे ही घबराहट में उसके लंड से पिचकारी छूट गई थी और वह अपनी मां की प्यास बुझाने में नाकामयाब रहा था,,, वह कुछ देर तक अपने कमरे में बैठकर सोचने लगा कि अब क्या होगा कहीं सुरज पूरे गांव वालों को बता दिया तो,,,, बदनामी हो जाएगी और वह किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगा उसके पूरे परिवार का उठना बैठना गांव में इधर उधर आना जाना सब दुश्वार हो जाएगा लोग गलत नजरों से उसके परिवार को देखेंगे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसका दिमाग घूम रहा था,,,, वह अपने मन में सोच रहा था कि सुरज को कैसे समझाया जाए,,,,,,,, इसी उधेड़बुन में उसे नींद आ गई,,,, दूसरी तरफ सुरज ने शुभम के मुंह से यह सुन लिया था कि उसने गौरी को खेतों में सब्जी तोड़ने के लिए भेज दिया है और सुरज तो मिलने ही गौरी के लिए उसके घर पर आया था लेकिन गौरी के दर्शन कर उसे नहीं हुए लेकिन गौरी के चक्कर में उसने बहुत कुछ देख लिया था,,,,।वह गौरी से मिलने के लिए पूरी तरह से लालायित था और गौरी से मिलने की सोच कर वह खेतों की तरफ निकल गया,,,।

सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह अपने सपनों की राजकुमारी से मिलने जा रहा था मन ही मन वह गौरी से बेहद प्यार करने लगा था,,, यह सच्चा प्यार ही था क्योंकि अभी तक सुरज ने जितनी भी औरतों या लड़कियों से मिला था उन्हें देखा था उन्हें देखते हैं सबसे पहले उसके दिमाग में उसे चोदने का ही ख्याल आता था उनके नंगे बदन को देखने की चाहत जाती थी लेकिन गौरी के पक्ष में ऐसा कुछ भी नहीं था हालांकि वह गौरी को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख चुका था लेकिन फिर भी वह उसके बारे में चोदने का ख्याल अभी तक अपने मन में नहीं लाया था बस उसकी झलक भर देखने की ख्वाहिश उसके मन में जाती थी और उसे नजर भर कर देख लेने के बाद वह एकदम खुश हो जाता था,,,, इसलिए कि वह गौरी से प्यार करने लग गया था,,, और उससे मिलने के लिए वह जल्दी-जल्दी अपने कदम आगे बढ़ा रहा था,,,, वह खेत पर पहुंचता उससे पहले ही गौरी उसे आती हुई नजर आई उसके हाथ में सब्जी की टोकरी थी जिसे वह अपनी कमर से टीकाकर लेकर चल रही थी,,,, उसकी मतवाली चाल बेहद कामुकता भरी थी,,,, खेतों में से आते हुए गौरी की नजर भी सुरज पर पड़ गई थी वह मन ही मन प्रसन्न होने लगी थी,,, सुरज खुशी से फूला नहीं समा रहा था,,,, सुरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी,,, जब जब वह चुनरी के करीब जाना था तब तब उसके दिल की धड़कन आपे से बाहर हो जाती थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी,,,,,,

देखते देखते दोनों एकदम करीब आ गए,,,, गौरी के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए सुरज बोला,,,

अरे गौरी तुम,,, इतनी दोपहर में खेत में से चली आ रही हो,,, इतनी धूप में बाहर मत निकला करो,,,


क्यों ना निकला करु,,, मुझे किसी की डर थोड़ी पड़ी है,,,।


अरे तुम समझी नहीं मैं डरने के लिए थोड़ी कह रहा हूं तो भला किससे धरोगी मैं तो यह कह रहा हूं कि धूप में निकलोगी तो तुम्हारा गोरा रंग फीका पड़ने लगेगा,,,,,
(सुरज की बातें सुनकर गौरी मन ही मन मुस्कुराने लगी लेकिन अपनी खुशी वह अपने होठों पर जाहिर होने देना नहीं चाहती थी इसलिए सहज होते हुए बोली)


काम के लिए तो निकलना ही पड़ता है अब शाम के लिए सब्जियां तोड़नी थी इसलिए मुझे खेतों में आना पड़ा,,,।


हां वह तो है,,,,(इतना कहकर सुरज खामोश हो गया क्या कहना है उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था तो गौरी ही बोली,,,)

ऐसे खड़े रह कर बात मत करो कोई काम वाला देखेगा तो क्या समझेगा,,,(इतना कहकर वो आगे आगे चलने लगी और सुरज पीछे-पीछे पीछे चलने की वजह से सुरज को उसके खूबसूरत बदन का पिछवाड़ा बहुत अच्छी तरह से नजार आ रहा था,,,,,, गौरी के कमर के नीचे का उभार बेहद कामुक और जानलेवा था,,, जिसे देखकर सुरज उसके पीछे लट्टु हो गया था,,।लेकिन उसके मन में गौरी को लेकर किसी भी प्रकार का गलत विचार नहीं था बस हुआ उसकी खूबसूरती से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था उसे सच्चे मन से प्यार करने लगा था,,,,लेकिन फिर भी उसके खूबसूरत बदन को तांक झांक करने का एक भी मौका वह गंवाना नहीं चाहता था,,, इसलिए तो चुनरी के पीछे पीछे चलते हुए भी उसकी नजर उसके कमर के नीचे के गोलाकार उभार पर केंद्रित हो चुका था जिसे देखते हुए वह आगे बढ़ रहा था,,,, लेकिन देखा जाए फिर भी भले ही बात जो मेरी से सच्चे मन से प्यार करने लगा था लेकिन उसकी मंजिल तो वही थी जिसे वह प्यासी नजरों से देख रहा था,,,, असली प्यार दोनों टांगों के बीच के मंजिल तक पहुंच जाने को ही कहा जाता है,,,, जिसे प्राप्त करने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है,,,, व्याकुल और प्यासा रहता है,,,,

गौरी आगे-आगे चल रही थी और सुरज पीछे-पीछे गौरी को सुरज का इस तरह से इसके पीछे पीछे चलना बहुत अच्छा लग रहा था ऊंची नीची पगडंडियों पर पैर रखने की वजह से उसकी कमर कुछ ज्यादा बल खा जा रही थी और कभी-कभी तो उसके नितंबों का उभार कुछ ज्यादा ही उभर जाता था,,,, बातों के दौर पर फिर से शुरू करते हुए गौरी बोली,,,।


मुझे तो बाहर निकलने से मना कर रहा है लेकिन तू भी तो इतनी दुपहरी में यहां-वहां घूम रहा है तुझे यहां कौन सा काम पड़ गया जो खेतों पर चला आया,,,।

तुमसे मिलने,,,(एकाएक सुरज के मुंह से निकल गया तो वह खुद ही अपने शब्दों को संभालते हुए बोला) मेरा मतलब है कि मुझे भी खेतों में काम था लेकिन तुम मिल गई तो तुमसे बात करने लगा,,,,


तो जा खेतों पर काम करके आ मेरे पीछे पीछे क्यों आ रहा है,,,।


अब मन नहीं है,,, कल आकर काम कर लूंगा,,,, लाओ अगर तुम्हें सब्जी वजन लग रही है तो मुझे दे दो,,,


नहीं नहीं कोई दो चार कीलो थोड़ी ना है जो मुझे वजन लगेगा,,,,,,, कोई दिक्कत नहीं है,,,,(ऐसा कहते हुए गौरी आगे चली जा रही थी लेकिन उसकी चाल में बदलाव आ गया था वह कुछ ज्यादा ही अपनी गांड मटका कर चल रही थी,,,हालांकि उसके मन में गंदे विचार बिल्कुल भी नहीं थे लेकिन सुरज उसे नहाते हुए देख चुका था उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से नाप तोल चुका था,,,सुरज पहले से ही उसे पसंद था इसलिए वह सुरज को पूरी तरह से अपना दीवाना बना लेना चाहती थी,,,, और वो जानती थी कि मर्दों को अपने वश में कैसे किया जाता है,,, अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से वह चल रही है निश्चित तौर पर सुरज की नजर उसकी गांड पर ही टिकी हुई होगी,,, इसलिए अपनी तसल्ली के लिए वह चलते समय पीछे की तरह नजर घुमा दी और सुरज को वास्तव में अपनी गोल-गोल गांड की तरफ देखता हुआ आकर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी और उसी तरह से चलने लगी,,,,,,,


गौरी से बात करना सुरज को बहुत अच्छा लगता था लेकिन क्या बात करना है इस बारे में उसे खुद समझ में नहीं आता था एक खूबसूरत जवान लड़की को अपने करीब पाकर वह पूरी तरह से मचल उठता था उसे समझ में नहीं आता कि क्या करना है,,, इसका एक ही कारण था कि वह गौरी से सच्चे दिल से प्यार करता था उसे मानता था अगर वह गौरी को देखकर अपने मन में गंदे विचार लाता तो शायद अब तक वह गौरी की चुदाई भी कर दिया होता,,, लेकिन मामला इधर प्यार का था,,, इसीलिए गौरी से बात करने में उसे हिचक महसूस हो रही थी,,,,। ऐसा नहीं था कि यह प्यार केवल सुरज की तरफ से ही था गौरी भी मन ही मन सुरज को बहुत ज्यादा चाहने लगी थी और उसके मन में भी सुरज को लेकर कोई गंदे विचार नहीं थे दोनों का प्यार सच्चा था सुरज को अपने पीछे पीछे आता देखकर उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, खास करके उसकी निगाहों को अपनी गांड पर टिकी हुई देखकर तो उसके तन बदन में हलचल सी मच रही थी,,,,,,,

जिस रास्ते से दोनों गुजर रहे थे चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए थे,,, जो कि ऊपर जाकर आपस में मिल जाते थे जिसकी वजह से यह सड़क और भी ज्यादा खूबसूरत लगती थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, वैसे भी दोपहर का समय था इसलिए सब लोग अपने घरों में आराम कर रहे थे,,,। दोनों एक दूसरे की दीवानगी मैं चले जा रहे थे अभी गौरी और सुरज इसी उधेड़बुन में थे कि क्या बात करें,,, कि तभी सुरज को गौरी की दर्द भरी आहहह सुनाई दी,,,,।

आहहहहहह,,,,(दर्द भरी आवाज गौरी के मुंह से निकलते ही उसका दाया पैर खुद पर खुद ऊपर की तरफ फट गया और अपनी नजर को पीछे की तरफ करके देखने लगी क्योंकि उसके पैर के अंगूठे में कांटा चुभ गया था,,,, गौरी का दर्द सुरज से देखा नहीं क्या और वह तुरंत आगे बढ़कर अपने घुटनों के बल बैठ गया और गौरी के पेर को थाम लिया,,,,,)

आहहहह सुरज कांटा चुभ गया है मुझे बहुत दर्द कर रहा है,,,


तुम चिंता मत करो गौरी में अभी निकाल देता हूं,,,


आराम से निकालना बहुत बड़ा कांटा है,,,


देख कर चलना चाहिए था ना,,,,,


अरे अब चलते समय इतना ध्यान थोड़ी ना रहता है,,,।


रुको अभी निकाल देता हूं,,,,।(इतना कहने के साथ सुरज अपने दोनों हाथों में उसके पैर को पकड़ कर उसके पैर के अंगूठे में से कांटे को खींचने की तैयारी में था,,,, और दर्द के मारे और एक टांग पर खड़ी होने की वजह से गौरी इधर-उधर लड़खड़ा रही थी,,,,सुरज अपने मन में यही सोच रहा था कि गौरी उसके कंधे का सहारा लेकर खड़ी हो जाए लेकिन उसे बोल नहीं पा रहा था लेकिन तभी गौरी अपने आप को संभालने के लिए सुरज के कंधे पर अपनी हथेली रखकर खड़ी हो गई,,,, गौरी की हरकत सुरज के तन बदन में खुशी की लहर पैदा कर दी ,,,, वह एकदम से खुश हो गया,,,, सिर्फ अपने कंधे पर है तेरी रखने की वजह से उसे लग रहा था कि वह पूरी दुनिया को पा लिया है,,,, सुरज के कंधे का सहारा लेना गौरी को भी बहुत अच्छा लग रहा था,,,, सुरज अपने हाथ में बड़े हल्के से पैर के अंगूठे में चूहे कांटे को पकड़ लिया था और गौरी से बोला,,,)


संभालना मैं कांटा निकालने जा रहा हूं,,,,


संभाल कर सुरज बहुत दुखेगा,,,


अरे कुछ नहीं होगा मैं हूं ना,,,,(इतना कहते हुए गौरी को बातों में उलझाए हुए ही वह जोर से कांटे को बाहर की तरफ खींच लिया,,, और कांटा झटके के साथ बाहर निकल गया लेकिन कांटे के निकलते ही अंगूठे में से खून निकलने लगा,,,,गौरी को भी साफ नजर आ रहा था कि उसके अंगूठे में से खून निकल रहा है लेकिन वह कुछ समझ पाती कुछ कह पाती इससे पहले ही,,, सुरज ने तुरंत उसके अंगूठे को अपने होठों पर रखकर दबा दिया,,,, गौरी के तन बदन में अजीब सी लरर उत्पन्न होने लगी और यही हाल सुरज का भी था,,,, सुरज गौरी की खूबसूरत पैर के अंगूठे को अपने होठों से लगाया हुआ था उसका खून बंद करने के लिए,,,।

सुरज को गौरी देखती ही रह गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सुरज उसके पैरों को अपने होठों से लगाया हुआ है,,,,,,।
गौरी के मन में प्यार का झरना फूटने लगा सुरज की हरकत की वजह से ही सुरज के लिए उसके दिल में और ज्यादा प्यार उमर ने लगा था कुछ देर तक सुरज उसी तरह से गौरी के अंगूठे को अपने होठों से लगाया रह गया,,,, जब से इस बात का एहसास हुआ कि खुन पूरी तरह से बंद हो गया है तो वह उसके पैर को पकड़े हुए नीचे जमीन पर रख दिया और बोला,,,।


अब बिल्कुल ठीक हो गया है अब तुम्हें दर्द नहीं करेगा,,,,।

(गौरी से तो कुछ बोला नहीं जा रहा था वह शर्मा रही थी,, उसके होठों पर मुस्कान थी और वह बिना कुछ बोले जल्दी-जल्दी जाने लगी,,, हालांकि कांटा चुगने की वजह से वह दाएं पैर को संभाल कर रख रही थी,,, सुरज गौरी के मन में क्या चल रहा था अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह कुछ दुर तक खामोश ही चलता रहा अब ज्यादा दुर तक उसका पीछा करना ठीक नहीं था इसलिए वहीं खड़ा होकर वह बोला,,,)

शुभम को आम वाले बगीचे में भेज देना मैं इंतजार करूंगा,,,,
(इतना सुनकर गौरी चलते हुए पीछे की तरफ नजर घुमा कर एक बार सुरज की तरफ देखी लेकिन बोली कुछ नहीं लेकिन उससे नजर मिलते भी वह मुस्कुरा दी और फिर से जल्दी जल्दी जाने लगी सुरज वहीं खड़ा तब तक जो मेरी को देखता रहा जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई,,,


शाम हो रही थी पर वह आम के खेत पर पहुंच गया था उसे शुभम का इंतजार था घर पर पहुंचने के बाद गौरी शुभम को बोली थी कि रास्ते में सुरज मिला था और उसे आम के बगीचे के मिलने के लिए बुलाया है,,,,गौरी को तो इस बात का आभास तक नहीं था कि रात में उसके भाई को किस लिए बुलाया है लेकिन शुभम अच्छी तरह से जानता था कि सारा मामला क्या है सुरज से नजर मिलाने में उसे डर लग रहा था उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी उसके सामने जाने के लिए किन जाना भी जरूरी था ,,,सुरज को इस बात के लिए समझाना भी जरूरी था कि जो कुछ भी उसने देखा है उसके बारे में वह किसी से कुछ भी ना कहे,,, और सुरज यह बात भी

जानता था कि इस राज को राज रखने के एवज में शुभम जरूर कुछ मोलतोल करेगा,,,, और उसके मन में इस बात को लेकर शंका भी थी कि सुरज उससे क्या बात करने वाला है और यही वह नहीं चाहता था लेकिन फिर भी बेमन से शुभम के पास सुरज जहां बुलाया था वहां जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था,,,, इसलिए वह भी आम के बगीचे की तरफ निकल गया,,,,
 
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सुरज बड़ी बेसब्री से आम के बगीचे में शुभम का इंतजार कर रहा था,,,,सुरज के बाद अच्छी तरह से जानता था कि शुभम आप उसे से आंख मिलाकर बात करने लायक बिल्कुल भी नहीं बचा था,,, वह पूरी तरह से सुरज की मुट्ठी में आ गया था,,, आम के पेड़ के नीचे बैठा बैठा सुरज मां और बेटे के बीच हुए सारे संबंध के बारे में सोच रहा था,,,, अपने मन में अपने आप से ही बातें कर रहा था कि शुभम भला अपनी ही मां को क्यों चोदने का क्या शुभम को उसकी मां अच्छी लगती थी,,,, अपने सवाल का जवाब अपने आप से ही देते हुए सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,, शुभम की मां ज्यादा खूबसूरत भले ही ना हो लेकिन,,एक मर्द को अपनी तरफ आकर्षित कर सके ऐसी बनावट उसके बदन की बराबर है बड़ी बड़ी गांड बड़ी-बड़ी चूचियां चलती है तो उसकी मटकती गांड देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए,,,,,,, वह तो खुद अपनी आंखों से उसे चुदवाते हुए देखा था उसकी बड़ी बड़ी गांड की तरफ वो खुद आकर्षित हुआ जा रहा था,,,। सुरज अपने आप से ही बोला,,, जरूर शुभम अपनी मां को एकदम नंगी देख लिया होगा और अपनी मां को नंगी देखने के बाद उससे रहा नहीं जा रहा होगा,,,, और दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया,,,

सुरज आम के पेड़ के नीचे बैठा बैठा शुभम और उसकी मां के बारे में बहुत कुछ सोच रहा था कि दोनों के बीच किस तरह से शारीरिक संबंध स्थापित हुआ होगा लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था कि क्या अपनी ही मां को चोदना ठीक है यह हो कैसे जाता है,,,, अपने ही सवालों का जवाब ढूंढने में सुरज पूरी तरह से व्यस्त था सुरज खुद अपनी मामी की तरफ आकर्षित हो चुका था उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां को देखकर उसकी लार टपकने लगती थी,,, अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड देखकर उसके पजामे मैं हलचल होने लगती थी,,,, यह सब सोचने के बाद सुरज अपने मन को तसल्ली देते हुए अपने आप से ही बोला,,,।


शुभम की किस्मत बहुत अच्छी है जो अपनी मां की चुदाई करता रहता है उसकी मां भी उसे बड़े प्यार से चोदने देती है,, कमी बस यही है कि वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता ,,,,उसकी मां को संपूर्ण रुप से संतुष्टि नहीं मिलती जिस तरह की वह हकदार थी,,,शुभम को अपनी मां की चुदाई करता हुआ वह देख चुका था इसलिए अपने मन में सोचने लगा कि घरेलू रिश्ते में चुदाई कोई बड़ी बात नहीं है और ना ही गंदी बस दो जिस्मो का मिलन है,,,, वैसे भी वह अपनी मौसी की चुदाई रोज कर ही रहा था जिसमें उसकी मौसी की पूरी तरह से रजामंदी थी,,,, घर में भी अगर बुर का जुगाड़ हो जाए तो बाहर जाने की जरूरत ही नहीं है शुभम भी नहीं कर रहा था,,,, जो कि दोनों की जरूरत थी शुभम की भी और उसकी बातें थी क्योंकि उसकी मां बरसों से अकेले ही थी पति के देहांत के बाद शरीर सुख उसे मिटा नहीं था शायद यही कारण था कि वह अपने बेटे की तरफ आकर्षित हो गई और उसके साथ चुदाई करवा कर अपनी प्यास बुझाने लगी और यही जरूरत शुभम की भी थी,,, शुभम जवान लड़का था उसके बदन में जवानी का जोश भरा हुआ था खास करके औरतों के लिए,,, और वैसे भी शुभम जिस उम्र के दौर में था और शुभम की मां जिस उम्र के इस दौर में गुजर रही थी ऐसे में दोनों का पैर फिसल ना लाजमी था और एक बार फिर फिसलने के बाद दोनों साथ अपने आप को संभाल नहीं पाए होंगे रोज एक दूसरे से अपनी प्यास मिटाते आ रहे होंगे,,,,।

शुभम की वर्तमान स्थिति को देखकर सुरज को अपनी स्थिति दयनीय नजर आ रही थी,,,, वैसे तो सुरज शुभम से हर मामले में एक कदम आगे ही था लेकिन इस मामले में अपने आप पिछड़ा हुआ महसूस कर रहा था,,,, शुभम की मां उसे चोदने देती थी,,,, यही सुरज के लिए अपनी किस्मत को कोसने का कारण मिल गया था,,,, भले ही गांव की औरतें उसके सामने अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी बुर परोस देती है लेकिन उसे जब भी अपनी मामी का ख्याल आता था तब तक उसे सब कुछ फीका सा नजर आता था उसे वह पर अभी भी याद है जब वह कुए पर से पानी निकाल रहा था और रस्सी को खींचने के लिए ठीक अपनी मामी के पीछे खड़ा था जिसकी वजह से पजामे में खड़ा लंड साड़ी के ऊपर से ही उसकी मामी की गुलाबी बुर पर ठोकर मार रही थी,,, उस पल सुरज अपने आप को दुनिया का सबसे किस्मत वाला इंसान समझ रहा था,,,। लेकिन इस समय सबसे किस्मत वाला इंसान था तो शुभम और उसी का इंतजार करते हुए सुरज के दिमाग में ढेर सारी बातें चल रही थी,,,,।

इतना तो तय था कि शुभम की मां की चुदाई करने का मन सुरज ने बना लिया था अभी भी उसे शुभम की मां की बड़ी-बड़ी गांड हीलती हुई नजर आ रही थी शुभम का अपनी ही मां की बुर में लंड घुसा कर अपन‌ी कमर हीलाना याद आ रहा था और वह उस पल को याद करके पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,,,, शुभम पूरी तरह से उसकी मुट्ठी में आ गया था एक तरह से अब वह उसकी कठपुतली बनने जा रहा था,,,,,, शुभम को अपनी मां की चुदाई करते हुए पकड़ लेना एक तरह से सुरज के लिए ही अच्छा हो गया था क्योंकि,,,,,

एक शुभम ही था जो उसके रास्ते का पत्थर बन कर उसका रास्ता रोकता था अब उसका रास्ता भी एकदम साफ हो गया था,,,,, सुरज बड़ी बेसब्री से शुभम का इंतजार कर रहा था और शुभम की मां के बारे में सोच कर उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ गया था,,,,

एक तरफ जहां सुरज बहुत खुश था वहीं दूसरी तरफ शुभम के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थी उसके दिल की धड़कन आम के बगीचे की तरफ कदम बढ़ाते हुए ओर तेजी से धड़क रही थी,,,अपने मन में यही सोच रहा था कि वह पहुंचने पर सुरज उसके साथ कैसी प्रतिक्रिया करेगा उसे क्या बोलेगा क्या कहेगा अपना मुंह बंद करने के एवज में उससे क्या मांगेगा जहां तक मुंह बंद करने के एवज में कुछ मांगने का सवाल था तो शुभम को पहले से ही यह अनुमान हो रहा था कि अपना मुंह बंद करने के एवज में जरूर वह उसकी मां की चुदाई करना चाहेगा,,,, और अगर ऐसा हुआ तो वह क्या कहेगा कैसे कहेगा,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,,,यही सोच रहा था कि उसके लिए कितनी शर्म की बात होगी कि वह खुद बोलेगा कि वह उसकी मां को चोद सकता है,,, इसमें उसकी बिल्कुल भी नाराजगी नहीं है बल्कि उसकी पूरी तरह से सहमति है,,,, यह ख्याल मन में आते ही वह शर्म से पानी पानी हुआ जा रहा था,,, उसे अपने ऊपर ही गुस्सा आ रहा था कि वह दरवाजा बंद क्यों नहीं किया,,, अगर दरवाजा बंद रहता तो शायद आज यह नोबत नहीं आती,,,,,,, जहां एक तरफ वह इस बात से शर्म का अनुभव कर रहा था कि सुरज उसकी मां की चुदाई करेगा तभी अपना मुंह बंद रखेगा और दूसरी तरफ वह इस बारे में कल्पना भी करने लगा था कि जब सुरज का लंड उसकी मां की बुर में जाएगा तो उसकी मां को कैसा लगेगा क्योंकि शुभम यह बात अच्छी तरह से जानता था कि सुरज के लंड के आगे उसका लंड आधा ही है और वैसे भी उसकी मां को थोड़ा लंबा और मोटा,,,लंड चाहिए था जिससे वह पूरी तरह से संतुष्ट हो सके और जैसा उसकी मां को चाहिए था ,,, उससे भी बेहतर सुरज के पास था,,,,शुभम अपने मन में सोचने लगा कि इतना तो तय है कि अगर सुरज का लंड उसकी मां की बुर में गया तो उसकी मां पूरी तरह से सुरज की दीवानी हो जाएगी तब उसका क्या होगा,,,, यही सब सोचकर शुभम एकदम से हैरान हुआ जा रहा था और आखिर वह कर भी क्या सकता था जिस तरह के हालात पैदा हुए थे उस तरह के हालात से वह भाग भी नहीं सकता था यार सुरज को इंकार भी नहीं कर सकता था वह पूरी तरह से सुरज के जाल में फंसता चला जा रहा था,,,,लेकिन एक बात से मैं और ज्यादा परेशान था कि अगर मुंह बंद रखने के एवज में अगर वह उसकी मां की चुदाई करना ना चाहे तो और वह जो कुछ भी देखा है वह सारी बातों को गांव में बता दे तो तब क्या होगा,,,, यह सोचकर ही उसके पसीने छूट रहे थे किसी और औरत या लड़की के साथ उसके शारीरिक संबंध होता तो शायद वह इतना परेशान नहीं होता लेकिन यहां तो खुद अपनी मां के साथ चुदाई करते हुए सुरज ने उसे पकड़ा था,,,, इस बात को लेकर उसकी परेशानी और बढ़ती जा रही थी,,,।

यही सब सोचता हुआ वह आम के बगीचे पर पहुंच ही मेरा जहां पर एक बड़े से पेड़ के नीचे सुरज आराम से बैठकर उसकी तरफ ही देख रहा था और मुस्कुरा रहा था उसकी मुस्कुराहट में बहुत सारे राज छिपे हुए थे जो कि उससे बात करने पर ही पता चलने वाला था,,,,।
 

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