Incest गांव की कहानी

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एक खटिया पर अनिल नशे में धुत होकर सोया हुआ था दूसरी खटिया पर सुरज सोने की तैयारी मैं था,,हालांकि उसकी आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी और दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर अनिल की बीवी संगीता बेठी हुई थी उसके भी आंखों में नींद नहीं थी जिसका कारण था चोरों का डर और सुरज का बमपिलाट लंड जिस का दर्शन वह अभी अभी कुछ देर पहले ही बाहर करके आई थी जब सुरज उसकी आंखों के सामने जानबूझकर हाथ से हीलाते हुए मुत रहा था,,,,,,, अनिल की बीवी संगीता चटाई पर बैठे-बैठे सुरज के लंड के बारे में सोच रही थी भले ही वह एकदम भोली थी ,,, लेकिन मर्दों के लंड के बारे में सोचते ही उसके तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगती थी हालांकि अभी तक वह किसी मर्दाना ताकत के बारे में लंड से वाकिफ ओर मुखातिब नहीं हुई थी,,, उसकी बुर में जाता भी था कि उसके पति का पतला और कमजोर लंड जो कि उसको पूरी तरह से अनुभव नहीं करा पाता था,,,,इसीलिए तो सुरज के लंड को देखकर उसकी हालत खराब होने लगी थी वह सोच में पड़ गई थी कितना मोटा और लंबा लंड बुर में जाता कैसे हैं,,, सुरज अनिल की बीवी संगीता को इस तरह से विचार मग्न देख कर बोला,,,।

क्या हुआ संगीता मामी नींद नहीं आ रही है क्या,,,?


हां बबुआ नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही है,,,


चोरों का डर लग रहा है क्या,,,?

हां,,,,?

अरे यहां चोर आने वाले नहीं हैं तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,,,


और आ गए तो तब क्या करोगे,,,


मेरी ताकत पर भरोसा नहीं है संगीता मामी,,, दो तीन से तो मैं ऐसे ही निपट लूंगा,,,, अच्छा एक बात बताओ रुपया पैसा ज्यादा रखी हो क्या,,,

नहीं तो,,,


फिर तो गहने खूब होंगे,,,


अरे नहीं बबुआ ऐसा कुछ भी नहीं है,,,


फिर काहे को डरती हो संगीता मामी,,,, जब लुट कर ले जाने जैसा कुछ भी नहीं है,,,, हां,,,,,, लेकिन रुपया पैसा गहना से भी ज्यादा बेशकीमती चीज है तुम्हारे पास उसे जरूर लूट कर ले जाएंगे,,,,


क्या,,,? नहीं नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है मेरे पास,,,


अरे संगीता मामी तुम नहीं जानती कि तुम्हारे पास कितना पैसे कीमती खजाना है दुनिया की दौलत भी लुटा दो तो शायद उसे खरीद नहीं पाओगे,,,।


बबुआ तुम पहेली मत बुझाओ,,,मुझे तो बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है कि तुम क्या कह रहे हो,,,, मेरे पास और वह भी बेशकीमती खजाना हो ही नहीं सकता,,, शादी जब हुई थी हमारी तब पिताजी के घर से सिर्फ यह कान की झुमकी मेरे पास उसके बाद ना तो वहां से कुछ मिला और ना ही यहां से,,,,
(सुरज उसके भोलेपन की बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था,,,)

और अगर मैं दिखा दूं तो कि तुम्हारे पास बेशकीमती खजाना है तब बोलो क्या दोगी,,,,,


तो ,, क्या,,,,,मतलब ,,,की ,,,तुम्हें उस खजाने में से थोड़ा सा हिस्सा दे दूंगी और क्या,,,,(अनिल की बीवी संगीता को ऐसा ही था कि उसके पास खजाना जब है ही नहीं तो वह हिस्सा क्या देगी उसे ऐसा ही लग रहा था कि सुरज सिर्फ ऐसे ही बातें बना रहा है,,,,,, और सुरज उसकी बात को सुनकर मन बना दो मुस्कुराने लगा ,,, वह ऐसे नाजुक मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझता था,,, और ऐसे ही मौके पर पुरी तरह से झपटता भी था,, और इसीलिए वह अनिल की बीवी संगीता से बोला,,,)
तब इधर आओ खटिया पर बैठो तब मैं तुम्हें बताता हूं,,,।
(इतना सुनते ही अनिल की बीवी संगीता उठी और खटिया पर बड़ी गांड रखकर बैठ गई लेकिन अभी भी उसके दोनों पैर खटिया के नीचे थे इसलिए सुरज बोला)

अरे ठीक से बैठ जाओ संगीता मामी पांव ऊपर करके तुम्हें इत्मीनान से दिखाता हूं कि तुम्हारे पास बेशकीमती खजाना क्या है और कहां पर है,,,,,(इस बार सुरज की बात सुनकर वो थोड़ा सा सिहर उठी,, उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, फिर भी उसकी बात मानते हो कि अनिल की बीवी संगीता अपने पैर खटिया पर रखकर बैठ गई वह सुरज से एकदम सट कर बैठी थी,,,, सुरज के तन बदन में भी उन्माद की लहर उठ रही थी,,,, अनिल की बीवी संगीता उसी तरह से भोलेपन से बोली,,,)

अब दिखाओ बबुआ,,,,, खजाना,,,,।

(उसकी उत्सुकता देखकर सुरज की उत्तेजना बढ़ने लगी कभी-कभी उसकी बातें सुनकर उसे उसका भोलापन लगता था तो कभी-कभी सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि वह वाकई में भोली है या भोली होने का नाटक कर रही है,,, जो भी हो मजा तो सुरज को दोनों तरफ से था,,,,,।
अनिल के बीवी की हालत बहुत ज्यादा खराब होती जा रही है इसके तन बदन उतेजना की लहर उठ रही थी बदन में शोले भड़क रहे थे सुरज की हरकत को वह कुछ-कुछ वह समझ रही थी,, सुरज के कहने का मतलब को थोड़ा-थोड़ा उसे समझ में आ रहा था लेकिन वह पूरा नतीजा देखना चाहती थी,, और सुरज था कि आज उसे तारों की सैर कराना चाहता था,,,, सुरज अनिल की बीवी संगीता से एकदम से सट गया था अनिल की बीवी के बदन की गर्मी से उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और एकदम से चुदवासा भी,,,, उत्तेजना का असर अनिल के बीवी की आवाज पर भी हो रहा था उसके स्वर भारी होते जा रहे थे,,, ऐसे ही वह गहरे स्वर में बोली,,,।


दिखाओ कहां है बेशकीमती खजाना,,,,।


उतावली मत करो संगीता मामी एकदम इत्मीनान से दिखाऊंगा कि तुम्हारे पास कौन सी जगह पर बेशकीमती खजाना है,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज अपने हाथ को उसके पैरों की उंगलियों पर रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगा,,,, धीरे-धीरे मदहोशी का असर अनिल की बीवी संगीता पर हो रहा था,,,
और सुरज पूरी तरह से अपनी हरकत पर उतर आया था धीरे-धीरे वह अपनी हथेलियों कोपेड़ के ऊपर की तरफ नहीं जा रहा था जिससे उसकी साड़ी भी धीरे-धीरे उठती चली जा रही थी,,,, अनिल की बीवी संगीता को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन सुरज की हरकत से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, सुरज अपनी हरकत को जारी रखते हुए अपनी बातों से उसका मन भी हहला रहा था और उसे उलझा भी रहा था,,,)

संगीता मामी तुम नहीं जानती कि तुम क्या चीज हो पूरे गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा,,,
ऊफफफ,,, तुम्हारे बदन की खुशबू,,,,ऊममममम,,(औरतों को अपनी जाल में फांसने का उन्हें पूरी तरह से अपने विश्वास में लेने का हुनर सुरज अच्छी तरह से सीख गया था और इस समय अनिल की बीवी संगीता के साथ भी हो रहा था अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह गदगद हुए जा रही थी लेकिन साथ ही उसकी हरकत से वह पूरी तरह से मस्त भी हो रही थी,,, उसे अपनी बुर से काम रस बहता हुआ महसूस होने लगा था,,,,धीरे-धीरे अनिल की बीवी संगीता मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी और मदहोश होते हुए सुरज की हरकत को महसूस करते हुए बोली,,,)

सहहहहह ,,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,


कुछ नहीं संगीता मामी सिर्फ तुम्हें एहसास दिला रहा हूं कि तुम क्या चीज हो तुम्हारे पास ऐसा कौन सा बेशकीमती खजाना है जिसे देख कर दुनिया पागल हो जाती है,,,,, बस तुम इसी तरह से मेरा साथ देती रहो,,, दोगी ना संगीता मामी मेरा साथ,,,(अपनी हथेली को उसकी साडी को पर उठाते हुए उसके घुटनों पर रखते हुए सुरज बोला,,, मदहोशी और उत्तेजना के आलम में वह पूरी तरह से सुरज की गिरफ्त में आ चुकी थी,,, अंदर से वह भी एक प्यासी औरत थी जिसकी प्यास सुरज ने अपनी हरकत से भड़का दिया था,,, धीरे-धीरे अनिल की बीवी संगीता सुरज के आगे लाचार होती जा रही थी इसलिए उसकी बात माननी किसी और के पास दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए वह बोली,,,)

दुंगी,,,,(खुमारी में अपनी आंखों को बंद किए हुए वह बोली,,)

ओहहहह ,,,, संगीता मामी,,,, तुम बहुत अच्छी हो,,,(इतना कहते हुए ही सुरज ज्यादा कस के बुर के बेहद करीब ही अनिल की बीवी संगीता की चांघ को अपनी हथेली में दबोच लिया जिससे,, अनिल की बीवी संगीता के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी,,,, उसकी गरम-गरम सिसकारी की आवाज सुनकर सुरज एकदम से मस्त होता हुआ बोला,,)


क्या हुआ संगीता मामी इस तरह से क्यों आवाज निकाल रही हो,,,,(सुरज की बात सुनकर बड़े होने से अपनी आंखों को खोलते हुए अनिल की बीवी संगीता सुरज की आंखों में देखते हुए बोली,,,)

मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,,

मैं जानता हूं संगीता मामी तुम्हें क्या हो रहा है,,,,

क्या हो रहा है बबुआ,,,,?(उत्तेजना से सिहरते हुए अनिल की बीवी संगीता बोली,,)

तुम्हें बहुत मजा आ रहा है संगीता मामी,,,,,,
(अनिल की बीवी संगीता को इस बात का अहसास था कि उसे बहुत मजा आ रहा है सुरज की हर हरकत पर उसके तन बदन में आग लग रही है मीठा मीठा दर्द भी हो रहा है,,, लेकिन फिर भी वह बोली)

मुझे नहीं मालूम बबुआ,,,, लेकिन तुम अभी तक वह खजाना नहीं दिखाएं,,,,


अभी दिखाता हूं संगीता मामी मेरी पकड़ से ज्यादा दूर नहीं है,,,।
(इस बात को सुनते ही अनिल की बीवी संगीता उत्तेजना से सिहर उठी क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि सुरज किस बारे में बात कर रहा है,,,, वह अभी यही सोच ही रही थी कि सुरज अपनी हथेली को पूरी तरह से उसकी बुर पर रखकर अपनी हथेली में दबोच लिया जैसे कि सच में मैं कोई खजाने को मुट्ठी भर भर कर लूट रहा हो,,,, जैसे ही सुरज ने उसकी बुर को अपनी हथेली में कस के दबोचा,,, वैसे ही तुरंत अनिल की बीवी संगीता के मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज एकदम मादक स्वर में फूट पड़ी,,,।)


सससहहहह आहहहहहहहहह,,,,बबुआआआआ,,,,आहहहहहह,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,


यही तो खजाना है संगीता मामी जिसे दुनिया लूटना चाहती है चोर लूटना चाहते हैं तुम्हारे घर आकर तुम्हारा रुपया पैसा गहना नहीं लूटेंगे बल्कि तुम्हारी दोनों टांग के बीच में छुपी हुई इस खजाने को लूट कर जाएंगे,,,


ओहहहह बबुआ,,,,आहहहहहहह,,,, इस खजाने की बात कर रहे हो मै तो कुछ और ही समझी थी,,,,

संगीता मामी तुम्हारे इस खजाने को देखने के बाद कोई भी मर्द दुनिया का और खजाना देखने और पाने की इच्छा बिल्कुल भी नहीं करेगा,,,,

तुम्हारी बातें मुझे समझ में नहीं आती बबुआ,,,,(अनिल की बीवी संगीता मस्ती से अपनी आंखों को खोलते हुए सुरज की आंखों में देखते हुए बोली,,,, सुरज की भी नजरे उसकी नजरों से टकराई और सुरज सिरहाने गया और सुरज अपने होठों को अनिल की बीवी संगीता के तपते हुए होंठ पर रख दिया और उसे चूसना शुरू कर दिया,,,अनिल की बीवी संगीता को इस तरह के चुंबन का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था इसलिए वह पल भर में ही सुरज की हरकत से पूरी तरह से कामाग्नि में जलने लगी,,, उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी उसकी बुर से काम रस की धारा फूट पड़ी जो कि सुरज की हथेलियों को पूरी तरह से अपने काम रस में भिगो दे रही थी,,,, सुरज उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को जोर-जोर से उसकी बुर पर रगडना शुरू कर दिया,,, चुंबन का आनंद और साथ ही बुर पर हथेली का घर्षण अनिल की बीवी संगीता से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह कसमसा रही थी उसके कसमस आने की वजह से खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी जो कि यह आवाज वातावरण में और ज्यादा मादकता फैला रही थी,,,, सुरज अनिल की बीवी संगीता के होठों का रसपान करते हुए उसकी बुर से लगातार खेल रहा था,,,,।

काम ज्वाला अनिल की बीवी संगीता के भी तन में भड़क चुकी थी,,, सुरज के तो भाग्य खुल गए थे ,, एक ओर बुर को हस्तगत कर लिया था उस पर विजय प्राप्त कर लिया था बस विजय पताका लहराना बाकी था,,,अनिल की बीवी संगीता पहली बार इस तरह की उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और पहली बार किसी गैर मर्द के हाथों को अपने बदन पर महसूस कर रही थी क्योंकि उसके संपूर्ण बदन पर कब्जा जमाया हुआ था,,,।

अब कैसा लग रहा है संगीता मामी,,,


मत पूछो बबुआ ना जाने कैसी कैसी चीटियां पूरे बदन को काट रही है,,,

ये चीटियां नहीं है संगीता मामी,,, तुम्हें तुम्हारी गदराई जवानी चिकोटी काट रही है,,,,


बस करो बबुआ पास में ही लेटे हैं अगर वह जाग गए तो गजब हो जाएगा,,,।


कुछ गजब नहीं होगा संगीता मामी,,,(उसके यह कहने का मतलब को अच्छी तरह से सुरज समझ गया था सुरज जान गया था कि उसका भी चुदवाने का मन है,,, बस अपने पति से थोड़ा डर रही है इसलिए उसके डर को दूर करने के लिए सुरज बोला,,,)

तुम्हें तो पता ही होगा ना संगीता मामी कि नशे में धुत होने के बाद इनकी नींद कब खुलती है,,,,


अपने आप नहीं खुलती,,, सुबह जगाना पड़ता है तब जाकर उठते हैं,,,(अनिल की बीवी संगीता का भी पूरी तरह से मन बन चुका था चुदवाने का इसलिए सुरज से सही-सही बता दी थी वरना आनाकानी करती डरती और ऐसा करने से उसे रोकती लेकिन वह भी मजबूर थी अपने बदन के जरूरत के आगे,,, क्योंकि वह संभोग में संतुष्टि के एहसास के लिए तड़प रही थी उसे पूरी तरह से मजा नहीं आ रहा था बस अपनी जिंदगी को चाहिए जा रही थी अभी अभी तो उस पर पूरी तरह से जवानी चली थी और ऐसे में मरियल सा पति उसकी आग बुझाने में सक्षम नहीं था,,, इसलिए बांका जवान मर्द पाकर उसके जवानी की गर्मी उबाल मार रही थी,,, अपनी जवानी को वह बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी,,, इसलिए सुरज के साथ आज की रात में पूरी तरह से जी लेना चाहती थी,,,, सुरज की उसकी बात सुनकर एकदम से खुश हो गया और बोला,,,)

बस फिर क्या चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,, मेरी रानी,,,,आज की रात देखना मैं तुम्हारी बेशकीमती खजाने का कितना सही उपयोग करता हूं तब तुम्हें इस बात का एहसास होगा कि वाकई में तुम्हारे पास कितना बेशकीमती खजाना पड़ा है जिसके बारे में तुम्हें और तुम्हारे पति को अहसास तक नहीं है,,,,


वैसे हमारा नाम संगीता है बबुआ,,,,


ओहहहह संगीता मामी तुमने तो मुझे खुश कर दिया अपना नाम बता कर जैसा नाम है वैसे ही तुम लगती हो बस थोड़ा सा नसीब गड़बड़ा गया जो इधर आ गई,,,


सच कह रहे हो बबुआ हमारा भी ऐसी शादी करने का कोई इरादा नहीं था लेकिन मां-बाप ने जहां बांध दिया तो आ गई,,,


अब तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो रानी,,, तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए तुम्हारा सुरज आ गया है,,, वैसे सच कहूं तो जैसे तुम्हारा नाम संगीता है मेरा नाम भी सुरज ही है,,,(सुरज जानबूझकर अपना नाम बता रहा था ताकि सुर और संगीत का मिलाप हो सके इसलिए सुरज का नाम सुनते ही वह एकदम से खुश होते हुए बोली,,)

ओहहहह क्या सच में तुम्हारा नाम सुरज है,,,।


हां मेरी रानी मेरा नाम सुरज ही है,,,(सुरज जोर-जोर से उसकी बुर मसलते हुए बोला,,,)

ओहहहह सुरज,,, बचपन से ही में गई सपना देखा करती थी कि मेरे होने वाले पति का नाम राजा महाराजाओ जैसा होगा या लेकिन ऐसा नहीं हो पाया,,,


दुखी मत हो संगीता बदन की प्यास बुझाने वाला भी पति से कम नहीं होता आज की रात तुम मुझे अपना पति समझो और मैं तुम्हें अपनी पत्नी,,,,
(सुरज की बात सुनते ही वह एकदम से शर्मा गई,,, और उसे शर्माता हुआ देखकर सुरज बोला,,)

शर्माते हुए तुम सच में राजकुमारी लगती हो,,,,मुझे तो तुम पर तरस आता है कितनी खूबसूरत राजकुमारी की तरह होने के बावजूद भी तुमने इतने सामान्य से दिखने वाले इंसान से कैसे विवाह कर लिया,,,


तकदीर का लेखा है बबुआ,,,


सूरज मेरी संगीता,,,


हां हा सुरज,,,(वह हंसते हुए बोली तो सुरज उसकी बुर पर हथेली को रगडते हुए बोला,,,)

तुम्हारी बुर पानी बहुत छोड़ रही है संगीता क्या इस तरह से पहले भी पानी छोड़ती थी,,,।

नहीं मेरे सुरज तुम्हारा हाथ लगने के बाद ही इतना पानी छोड़ रही है,,,।

हाए मेरी जान अब तो आज यह सुरज तुम्हारी बुर का गुलाम बन जाएगा,,,, रुको ऐसे नहीं,,,,,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज अनिल की बीवी संगीता की साड़ी को उतारने लगा अनिल की बीवी संगीता भी साड़ी उतरवाने के लिए आतुर हुए जा रही थी,,। लेकिन बीच-बीच में शंका जताते हुए बोल रही थी कि अगर यह जाग गए तो,,, और सुरज कुछ भी ना होने का आश्वासन देकर धीरे-धीरे करके उसकी साड़ी उतार फेंका और उसकी ब्लाउज का बटन खोलने लगा क्योंकि ब्लाउज में से ही उसकी चूचियां कयामत ढा रही थी बड़े-बड़े चुचियों की मालकिन जो थी,,,देखते ही देखते सुरज उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसके बदन से उसके बदन से अलग कर दिया उसकी नंगी चूचियों को देखकर सुरज के मुंह में पानी आ रहा था क्योंकि वह एकदम दशहरी आम की तरह नजर आ रही थी और उसके पति को देखकर उसके नशे की आदत होती है कि कल रात में समझ गया था कि यह दबा दबा कर बड़ी नहीं होंगे बल्कि कुदरती रूप से ही इसी आकार की है,,,और इस बात से सुरज एकदम से खुश हो गया उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर दबाते हुए बोला,,,)


औहहहह मेरी संगीता तुम्हारी चूचियां कितनी बड़ी बड़ी है,, लगता है तुम्हारे पति सारा कसर तुम्हारी चुचियों पर ही उतारते हैं,,,

धत्,,, वह तो इसकी जरा भी खबर नहीं लेते मेरे ब्लाउज को उतारते तक नहीं है,,,


तो मेरी जान इतनी बड़ी बड़ी कैसे हो गई,,,

शुरू से ऐसे ही,,,है,,,।


आहहहह तब तो बहुत मजा आएगा तुम्हारे मायके में तो लड़के तुम्हारी चूचियां देखकर ही पानी फेंक देते होंगे,,।

धत् कैसी बातें करते हो,,, मै किसी भी लड़के को अपने करीब नहीं आने दि‌ हुं,,,



(सुरज को उसकी बातों में सच्चाई नजर आती थी वह दोनों हाथों से उसके पपैया को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर पी रहा था यह अनिल की बीवी संगीता के लिए पहला मौका था जब कोई मर्द उसकी चूचियों से खेल रहा था इसलिए उसे बहुत ही मजा आ रहा था,, बल्कि उसे तो इस बात का अहसास तक नहीं था की चुचियों को दबाने में पीने में औरतों को मजा आता है और वही मजा सुरज आज उसे प्रदान कर रहा था आज उसे स्त्री होने का गौरव प्राप्त करा रहा था,,,, देखते ही देखते सुरज उसकी चूचियों को दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,, सुरज बड़ी शिद्दत से अनिल की बीवी संगीता की चूचियों से खेल रहा था और उसे इसमें बहुत मजा आ रहा था और मुंह में लेकर जब जब पीता था तब तक उसकी कड़क किशमिश को दांतों तले दबा दे रहा था जिससे उसकी आ निकल जाती थी देखते ही देखते हो पूरी तरह से मस्त हो गई और इसके बाद उसकी चुचियों का स्तनपान करते हुए सुरज एक आंख से उसके पेटीकोट का नाड़ा खोने लगा और अगले ही पल उसके पेटीकोट की डोरी को अपने हाथों से खींचकर उसके पेटीकोट को एकदम सा ढीला कर दिया,,,,।

अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी वह कसमसा रही थी गरमा गरम सिसकारी ले रही थी उसका सिसकना कसमसाना देखकर सुरज समझ गया था कि आप उसकी बुर में लंबा मोटा लंड डालने की आवश्यकता पड़ गई है लेकिन इतनी सी भी सुरज कहां मानने वाला था,,, उसे खटिया पर पीठ के बल लेटा दिया ,,खटिया पर लेटने के बाद अपनी तसल्ली के लिए अनिल की बीवी संगीता बगल में ही खटिया पर नशे की हालत में सो रहे हैं अपने पति की तरफ देखिए उसी तरह से धुत होकर सो रहा था,,, अनिल की बीवी संगीता ना तो कभी कल्पना की थी और ना ही कभी सपने में भी ऐसा सोचती थी कि अपने ही पति के बगल में वह लेट कर किसी गैर जवान लड़के से अपने जवानी की गर्मी को शांत कराएगी,,, सुरज उसे पीठ के बल लेटा कर उसकी पेटीकोट को ऊपरी छोर से पकड़कर उसको नीचे की तरफ खींचते हुए बोला,,।

अब तुम पूरी तरह से नंगी होने जा रही हो मेरी संगीता रानी,,,।

जैसी तुम्हारी इच्छा हो वैसा ही करो मेरे सुरज राजा,,,।
(अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से लाइन पर आ चुकी थी जिसका फायदा सुरज पूरी तरह से उठा रहा था,,, और मुस्कुराते हुए इसके पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचते हुए वह बोला,,,,,,)



मैं भी देखना चाहता हूं कि नंगी होने के बाद तुम कितनी और ज्यादा खूबसूरत लगती हो,,(पर ऐसा कहते हुए पेटीकोट को खींचकर निकालने लगा तो उसकी गोल-गोल ‌गांड के नीचे पेटीकोट दबने की वजह से नीचे की तरफ नहीं सरक रही थी,,, तो सुरज की मदद करते हुए अनिल की बीवी संगीता अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा दे ताकि उसकी पेटीकोट निकल जाए और ऐसा ही हुआ,,,,

जैसे ही अनिल की बीवी संगीता ने अपनी गांड को हवा में उठाई गई सही सुरज उसकी पेटीकोट को नीचे की तरफ खींच लिया और उसके पेटीकोट को उसके बदन से उतारकर खटिया के नीचे फेंक दिया खटिया पर अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी,,, सुरज तो लालटेन की पीली रोशनी में अनिल की बीवी संगीता के नंगे बदन को देखता ही रह गया नंगी होने के बाद वह एकदम क़यामत लग रही थी सुरज तो एकदम से उसका दीवाना हो गया और उसकी नंगी चिकनी जांघों पर अपनी दोनों हथेलियां रखते हुए बोला,,,)


बाप रे तुम तो स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही हो तुम सच में बहुत खूबसूरत हो ,,,(अनिल की बीवी संगीता सुरज की बातें सुनकर शरमा गई और शर्मा कर दूसरी तरफ नजर फेर ली और सुरज अनिल की बीवी संगीता के नंगे बदन पर पूरी तरह से कब्जा जमाने के लिए उसकी दोनों टांगों को धीरे धीरे खोलने लगा और अगले ही पल उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया,,,,अनिल की बीवी संगीता को यही लग रहा था कि अब सुरज अपने लंड को उसकी बुर में डाल कर उसकी चुदाई करेगा,,, क्योंकि शराबी पति पाकर संभोग के नियम को वह कहां जान पाई थी उसे क्या मालूम था कि संभोग के प्रकरण से कौन कौन सी क्रिया जुड़ी होती है लेकिन आज उसकी सारी जरूरतों को उसकी सारी कमियों को सुरज पूरी तरह से दूर करने के लिए उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया था और देखते ही देखते अपने होठों को उसकी बुर पर रखकर उस पर चुंबनों की बौछार कर दिया,,,अनिल की बीवी संगीता ईसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए एकाएक सुरज की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से सिहर उठी उसके बदन में कंपन होने लगा,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है लेकिन जब तक वह समझ पाती उससे पहले सुरज पूरी तरह से उसे अपनी गिरफ्त में ले चुका था उसकी नाजुक सी छोटी सी बुर पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया था,,, और अगले ही पल वह गर्म सिसकारी के साथ सुरज की हड़ताल का स्वागत करने लगी और वह भी अपनी कमर ऊपर की तरफ उठा उठा कर,,, सुरज उसकी पतली कमर को दोनों हाथों से थाम कर उसकी रसीली बुर पर अपने होठों को रख कर अपनी जीभ को अंदर तक डालकर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दिया,,,,और अनिल की बीवी संगीता गरमा गरम सिसकारी लेते हुए कसमसाने लगी,,,।

सहहहहह आहहहह आहहहहहह मेरे सुरज जी क्या कर रहे हो,,,आहहहहह बहुत मजा आ रहा है मेरे सुरज,,,, आज तक मेरे पति ने इस तरह से कभी मुझे प्यार नहीं किया,,,,आहहहहह मैं तो आज धन्य हुई जा रही हूं,,,,ओहहहहहहह,,,,।

(उसकी गरमा गरम सिसकारी उसकी मद भरी बातों को सुनकर सुरज का जोश बढ़ने लगा और वह जोर-जोर से उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया यहां तक की,,, अनिल की बीवी संगीता को वह अपनी जीभ से एक बार झाड़ भी दिया,,,,


औहहहह ,, मेरे सुरज,,,आहहहहहह मुझसे रहा नहीं जा रहा है कुछ करो मेरे सुरज,,,आहहहहहहह,,,,,


उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर सुरज समझ गया था कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो गया है अब हथोड़ा मारने की जरूरत है इसलिए वह तुरंत उठा और अपने कपड़े को उतारने लगा और देखते ही देखते खटिया पर बैठे-बैठे ही अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया अनिल की बीवी संगीता की नजर उस पर पड़ी तो वह पूरी तरह से सिहर उठी,,,उसे अपने अंदर लेने के लिए उत्सुकता भी थी तो एक तरफ उसे डर भी लग रहा था की ईतना मोटा उसकी बुर में जाएगा कैसे,,,, सुरज अपने लंड को हाथ में लेकर उसे हीलाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए बोला,,,।


अब देखना मेरी जान तुम्हें कैसे तारों की सैर कराता हुं,,,


घुस पाएगा,,,(अनिल की बीवी संगीता शंका जताते हुए बोली,,)


पूरा का पूरा घुस जाएगा मेरी संगीता देखना कितने आराम से ले लेती हो,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज ढेर सारा थूक मुंह में लेकर उसकी बुर पर गिराने लगायह देखकर अनिल की बीवी संगीता की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और अगले ही पल सुरज मोर्चा संभालते हुए अपने लंड की तोप को उसकी गरमा गरम दीवार से बनी किले पर उसे पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में लेने के लिए टीका दिया,,, जैसे ही अनिल की बीवी संगीता सुरज के मोटे तगड़े लंड के मोटे सुपाडे को उसकी गरम बुर‌ के गुलाबी छेद पर महसूस होते ही ऐसे ही उसका पूरा बदन एकदम से कसमसा गई,,, सुरज पूरी तरह से उसके ऊपर छाने के लिए तैयार हो चुका था चांदनी रात थी और ऊपर से लालटेन की रोशनी में सब कुछ नजर आ रहा था बगल में ही उसका पति लेटा हुआ था उसकी बिल्कुल भी चिंता ना करते हुए सुरज अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,अनिल की बीवी संगीता के मन में आशंका थी इसलिए अपनी नजरों को ठीक अपनी दोनों टांगों के बीच टीकाए हुए थी,,,,।

सुरज धीरे-धीरे अपने सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के छेद में डालना शुरू कर दिया,,, उसकी बुर पहले से ही पनीयाई हुई थी और ऊपर से सुरज ने ढेर सारा थूक उस पर चुपड़ दीया था,,, इसलिए सुरज को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी और धीरे-धीरे उसका मोटा लंड बुर के अंदर सरकना शुरू कर दिया,,,लेकिन अभी तक अपने पति का पतला और हमारी ओर से अपनी बुर में लेती आ रही थी,,,,

इसलिए अनिल की बीवी संगीता को थोड़ा बहुत दर्द का अहसास हो रहा था,,,, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था,,,,

दर्द और मस्ती का मिलाजुला मिश्रण अनिल की बीवी संगीता के चेहरे पर देखने को मिल रहा था,,उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला था और वह अभी भी अपनी दोनों टांगों के बीच देख रही थी उसके गुलाबी छेद में सुरज का पूरा लंड घुस गया था अनिल की बीवी संगीता को बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कितना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी बुर की गहराई में कहीं खो गया था,,,, सुरज अनिल की बीवी संगीता की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था वह पूरी तरह से तेजी था और अपने हथौड़े को गरम हो चुके लोहे पर पटकने के लिए तैयार था और धीरे-धीरे वह अपनी कमर को आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया जैसे-जैसे सुरज का मोटा तगड़ा लंबा लंड बुर की अंदर की दीवारों को रगडते हुए अंदर बाहर हो रही थी उसी से अनिल की बीवी संगीता के बुर से पानी निकल रहा था,,, उसे मजा आ रहा था,,,सुरज कुछ ही देर में अपनी रफ्तार पकड़ लिया था और अनिल की बीवी संगीता को हुमच हुमच कर चोद रहा था,,,।


अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाती हुई नजर आ रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी इस तरह का सुख उसने कभी प्राप्त नहीं की थी अपने आप से ही मन में बोली,,, बाप रे क्या इस तरह से भी चुदाई होती है,,, लेकिन औरत और मर्द के बीच में इस तरह के संबंध के बारे में जहां तक वह सोच सकती थी वहां से आगे सुरज उसे एक नई दुनिया में लेकर जा रहा था,,,।

बड़े आराम से लेकिन रगड़ कर सुरज का लंड अनिल की बीवी संगीता की बुर में अंदर बाहर हो रहा था एक अद्भुत सुख की परिभाषा से आज सुरज उसे अवगत करा रहा था,,, बुर पुरी तरह से पनियाई हुई थी इसलिए किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आ रही थी,,, सुरज हर धक्के के साथ अनिल की बीवी संगीता की आहहह निकाल दे रहा था वह इतनी जोर जोर से धक्के मार रहा था कि ऐसा लग रहा था कि वह अपने लंड के साथ-साथ अपने अस्तित्व को भी उसकी बुर की गहराई में घुसेड देगा,,, खटीया से चरर चरर की आवाज आ रही थी साथ ही पूरे वातावरण में अनिल की बीवी संगीता की गरमा गरम सिसकारियां गुंज रही थी बगल में ही उसका पति लेटा हुआ था लेकिन उसे होश कहां था अगर होश में होता तो शायद आज उसकी बीवी सुरज से ना चुद रही होती,,,।
सुरज को अनिल की बीवी संगीता की चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसकी बुर एकदम संकरी थी इसलिए उसमे लंड डालने मे सुरज को अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,
देखते ही देखते अनिल की बीवी संगीता की सांसे और तेज चलने लगी सुरज समझ गया कि वह चरम सुख के बेहद करीब है और वह उसे अपनी बाहों में कस लिया और अपनी कमर को जोर-जोर से कराना शुरू कर दिया क्योंकि वह भी बेहद करीब था झढ़ने में,,, और देखते ही देखते १५ २० धक्कों में दोनों का गर्म लावा फूट पड़ा,,, अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से तृप्त हो गई सुरज के लंड से निकला गर्म लावा का फव्वारा इतना तेज था कि अनिल की बीवी संगीता को अपनी बच्चेदानी पर उसकी पिचकारी महसूस हो रही थी जिससे वह पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी इस तरह का एहसास उसके पति ने कभी नहीं कराया,,,।


दूसरी तरफ हो रविकुमार अपनी बीवी के गहरी नींद में सो जाने के बाद अपने कमरे से निकलकर दरवाजे पर बाहर से सिटकनी लगा दिया था और अपनी छोटी बहन के कमरे में घुस गया था जहां पर मंजू उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी और रविकुमार आज की रात इत्मीनान से अपनी बहन की चुदाई करना चाहता था इसलिए धीरे धीरे एक एक करके उसके बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया था,,।
Sirra
 
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आखिरकार सुरज अनिल की खूबसूरत बीवी को अपने काबू में कर लिया था उसकी उफान मारती जवानी का अंकुश उसके हाथों में आ चुका था,,,, जिस पर वह अच्छी तरह से काबू पा चुका था,,, औरत को संतुष्ट करने की ताकत और आत्मविश्वास ही दोनों सुरज के पास था जिसके चलते हैं वहां गांव की बहुत सी औरतों पर अपनी मर्दानगी का जादू चला चुका था,,, उसमें अब अनिल की बीवी संगीता भी शामिल हो चुकी थी जिसने आज तक संभोग कि संतुष्टि और तृप्ति का अहसास बिल्कुल भी नहीं कर पाई थी जिसे एहसास सुरज ने अपनी मर्दानगी बड़े लंड से उसकी चुदाई करके महसूस करा दिया था,,,,,,,,


एक तरह से रविकुमार अपने भांजे को अनिल को उसके घर छोड़ने का काम सौंप कर सुरज के लिए एक सुनहरा मौका दे दिया था अनिल की बीवी संगीता को चोदने का जिसमें वह खरा उतर गया था और दूसरी तरफ उसे भी मौका मिल गया था अपनी छोटी बहन के साथ मस्ती करने का और इसीलिए वह अपनी बीवी को पूरी तरह से संतुष्ट कर के उसे गहरी नींद में सुला कर खुद कमरे से बाहर आ गया था और अपनी छोटी बहन के कमरे में प्रवेश कर गया था जहां पर मंजू खुद उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी,,, बहुत दिनों बाद दोनों का मिलन हुआ था इसलिए मौका मिलते ही रविकुमार अपनी बहन के बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे तुरंत नंगी कर दिया और वह खुद भी नंगा हो गया,,,।


अपनी बहन के साथ दोबारा शारीरिक संबंध ना बनाने की कसम रविकुमार ने खाया था एक बार पवित्र रिश्ते को दाग दाग करके उस पर दोबारा हाथ ना लगाने का वचन अपने आप को ही दिया था लेकिन अपनी बहन की कमसिन जवानी और उसकी कामुक हरकतें घर के पीछे ही उसका हौसला पस्त कर चुकी थी और वह घर के पीछे ही अपनी बहन की चुदाई करके पूरी तरह से संतुष्ट हो चुका था जब एक बार यह सिलसिला शुरू हो गया तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था जिसके चलते आज वह घर पर ही अपने कमरे के बगल वाले कमरे में अपनी बहन के कमरे में अपनी बहन के साथ मस्ती करने के इरादे से उतर चुका था जिसमें उसकी बहन भी उसका पूरी तरह से साथ दे रही थी,,,। खटिया पर मंजू और रविकुमार दोनों नग्न अवस्था में एक-दूसरे को बाहों में लेकर चुंबनों की बौछार कर रहे थे,,, रविकुमार अपनी बहन की दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर उसे जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,।


मंजू तेरी जवानी देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है तुझे चोदने का मन करता है,,,


क्यों भैया तुमने तो अपने आप से वचन लिया था ना कि दोबारा ऐसा नहीं होगा,,,


अरे भाड़ में जाए ऐसी कसम और वचन जब आंखों के सामने इतनी खूबसूरत जवानी से भरपूर लड़की खुद चुदवाने के लिए तैयार हो तो कोई पागल ही होगा जो अपने वचन के चलते ऐसी खूबसूरत नारी को नहीं भोगेगा ,,,,(रविकुमार अपनी बहन की दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबाते हुए बोला)

मेरी जवानी तुम्हें इतनी अच्छी लगती है भैया,,,

हारे सच में तू बहुत खूबसूरत है तेरे बदन की बनावट मेरे मुंह में पानी ला देती है,,,, तेरी चूची देख कर ऐसा लगता है कि जैसे बगीचे में दशहरी आम के पेड़ पर रस से भरे हुए दशहरी आम लटक रहे हो,,,।



अभी इतने भी बड़े नहीं हैं भैया की लटक रहे हो,,,,(मुंह बनाते हुए मंजू बोली क्योंकि चूची के लटकने वाली बात उसे अच्छी नहीं लगी थी,,)

अरे मैं जानता हूं मेरी जान,,, तुम्हारी चूचियां बड़ी बड़ी नहीं है लेकिन जरूरी नहीं कि बड़ी-बड़ी चूचियां ही लटकती हो,,, तुम्हारी चूचियां रस से भरी हुई है जिसमें अभी अभी उभार आना शुरू हुआ है ऐसे चुचियों को दबाने में कितना मजा आता है यह तुम नहीं जानती,,,।

ऊमममम,,, तभी १० १५ दिन निकल जाते हैं दबाते नहीं हो,,,


क्या करूं मंजू डर भी तो लगता है सब की नजर से बचना भी तो है अगर तेरी भाभी को पता चल गया तो गजब हो जाएगा,,,,।


हां यह तो तुम ठीक ही कह रहे हो भैया,,, लेकिन अगर भाभी जाग गई तो,,,

वह सुबह से पहले जागने वाली नहीं है,,,


ऐसा क्यों,,,,(स्तन मर्दन का आनंद लेते हुए वह बोली)


क्योंकि अभी अभी तेरी भाभी की जमकर चुदाई करके आया हूं और उसकी आदत है जब एक बार उसे जमकर चोद दो तब सुबह से पहले उसकी नींद नहीं खुलती बहुत गहरी नींद में सोती है,,,,


हां यह तो है तुम्हें खुश करने के लिए मेहनत भी तो बहुत करती होगी भाभी,,,(मंजू मुस्कुराते हुए बोली)


हां हंस ले तुझे भी मुझे खुश करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी आज की रात तुझे सोने नहीं दूंगा,,,,


मैं तो तैयार हूं देखना कहीं तुम थक कर सो मत जाना,,,


तू चिंता मत कर मंजू जब तक तेरी बुर का भोसड़ा नहीं बना दूंगा तब तक मुझे नींद नहीं आने वाली,,,


नहीं नहीं भैया ऐसा बिल्कुल भी मत करना अगर बुर का बोसड़ा बन गया तो सुहागरात को अपने पति को क्या मुंह दिखाऊंगी,,, वह तो समझ जाएगा कि किसी और का लेती थी ना जाने कितनों का लेती थी,,, तब तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी भैया,,,


अरे बोल देना मेरी जान कि अपने बड़े भैया का लेती थी,,, क्या करूं जवानी की आग बर्दाश्त नहीं होती थी,,,,


ऊममममम,,, तुम बहुत हरामी,, हो,,,(अपने भैया के सीने पर प्यार से मुक्का मारते हुए बोली,,,,रविकुमार मंजू दोनों खटिया पर पूरी तरह से नग्न अवस्था में थे,, लालटेन की पीली रोशनी में मंजू का नंगा बदन और भी ज्यादा खूबसूरत और चमक रहा था,,, जिसे देखकर रविकुमार गदगद हुए जा रहा था रविकुमार भले ही रोज अपनी बीवी की चुदाई करता था,,, रोज रात को उसे भी चोदने के लिए और चाहिए रहती थी लेकिन वह भी अपनी बीवी की याद तक उसने भी किसी गैर औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात नहीं बना पाया था उसके लिए यह पहला मौका था जब अपनी छोटी बहन के साथ ही वह जिस्मानी ताल्लुकात बनाकर अपनी प्यास को बुझा रहा था,, इसलिए दूसरी औरत के साथ उसे चुदाई करने में बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था भले ही वह उसकी छोटी बहन की क्यों ना थी लेकिन थी तो वह एक औरत ही जो खुद प्यास थी,,,,

रविकुमार अपनी बहन की दोनों चुचियों को बारी बारी से मुंह में लेकर पी रहा था,,, रविकुमार का लंड सुरज के मुकाबले कम ही ताकतवर था,,, लेकिन अनुभव से भरा हुआ था एकदम मजा हुआ,,,, इसलिए अपने भतीजे के मोटे लंड के साथ साथ मंजू अपने भाई के अनुभव से भरे लंड का मज़ा बड़ी मस्ती के साथ लेती थी,,,जितना भी अनुभव रविकुमार को अपनी बीवी के साथ मिला था वह सारा अनुभव हुआ अपनी बहन के साथ खटिया पर लगा दे रहा था इसीलिए तो मंजू को भी बहुत मजा आ रहा था,,,,,, मंजू को इस तरह से अपने बड़े भैया को अपना दूध पिलाने में बहुत मजा आता था,,,एक चूची को मुंह में लेकर पीता था तो दूसरी चूची को उसी समय जोर जोर से दबाता था जिससे मंजू का आनंद दोगुना हो जाता था ,,, कभी-कभी उत्तेजित अवस्था में मंजू खुद अपनी चूची को हाथ में पकड़ कर अपने बड़े भाई के मुंह में छूट देती थी तभी दाईं चूची तो कभी बांई चुची ,,, रविकुमार अपनी बहन की इस हरकत से पूरी तरह से मस्त हो जाता था,,,,अपनी बहन के साथ रविकुमार को ज्यादा मजा आता था जिसका एक कारण था कि भले ही मत हो खुल कर उसके साथ चुदाई का मजा लेती थी लेकिन हरकतें मंजू कि उससे एक कदम बढ़कर थी,,,, और उसकी यही अदा की तारीफ करते हुए रविकुमार बोला,,,।


हाय मेरी जान मंजू,,, सच में जिस से भी तेरी शादी होगी वहां दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान होगा क्योंकि तू खटिया पर मस्त कर देती है तेरी हरकतें एक दम जानलेवा है,,,, मुझे तो लगता है कि जब तेरी सुहागरात होगी ना तेरी हरकत की वजह से ही तेरी आदमी का पानी निकल जाएगा,,,।


ना भैया ऐसा मत कहो अगर ऐसा हो जाएगा तब तो मै प्यासी रह जाऊंगी,,,,।


तू चिंता मत कर मैं हूं ना मेरे पास चली आना,,,।


ओहहहह भैया तुम कितनी अच्छी हो लेकिन तब की तब देखेंगे अभी मेरी प्यास बुझाओ,,,(और इतना कहने के साथ ही मंजू अपनी चूची को अपने हाथ से पकड़ कर अपने भैया के खाली मुंह में डाल दी और उसका भाई मजे ले ले कर पीना शुरु कर दिया रविकुमार भी पूरी तरह से नंगा था उसका लंड टनटनाकर खड़ा था मंजू सराहनीय और वह अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने भाई के लंड को पकड़ ली उसकी गर्माहट पाते ही उसकी बुर से काम रस की बूंद टपकने लगी,,,उत्तेजना के मारे मंजू अपने भाई के लंड को कस के अपनी मुट्ठी में दबोच ली,,,यही फर्क था रविकुमार के लंड में और सुरज के लंड में,,,, रविकुमार का लंड बड़े आराम से मंजू के हथेली में आ जाता था लेकिन सुरज का लंड उसकी हथेली में समाता नहीं था उसे थामने के लिए दूसरा हाथ लगाना ही पड़ता था,,,, लेकिन फिर भी मंजू को मजा आ रहा था,,,,,,, कुछ देर तक मंजू अपने भाई के लंड से खेलती रही लेकिन उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था आज वह इस खेल का कमान अपने हाथों में ले लेना चाहती थी,,,,।

इसलिए थोड़ी देर बाद वह है घुटनों के बल खटिया पर बैठ गई,,, और अपने भाई को ललचाते हुए अपनी हथेली को पहले अपने बुर पर लगाकर जीभ से उंगलियों को चाटी और फिर हथेली को अपनी दोनों टांगों के बीच में लाकर अपनी बुर पर रखकर उसे उपर से ही मसलना शुरू कर दी यह देखकर रविकुमार की हिम्मत जवाब देने लगी,,,उसकी आंखों में वासना का बवंडर उठ रहा था अपनी बहन की हरकत उसे पूरी तरह से मदहोश कर देने वाली लग रही थी,,, रविकुमार को मंजू इस समय काम देवी से कम नहीं लग रही थी उसकी हर हरकत बदन में उत्तेजना की लहर को बढ़ावा दे रही थी,,,अपनी बहन की कामुक हरकत को देखकर रविकुमार को समझ पाता या कुछ कर पाता इससे पहले ही मंजू अपना बाया हाथ अपने भाई के सर पर रख कर उसके बालों को मुट्ठी में भींचते हुए टांगों के करीब लाने लगी दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी बड़ा ही मादक और मदहोशी से भरा हुआ नजारा था लालटेन की पीली रोशनी में यह नजारा और भी ज्यादा कामोत्तेजक जब लग रहा था,,,, अपनी बहन की हरकत का इरादा रविकुमार को समझ में आ गया था और वह खुद अपनी जीभ लप लपाते हुए अपनी बहन की बुर पर अपने होठों पर रख दिया और उसके काम रस से डूबी हुई बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,।


सहहहहहह ,,,,,,अआहह,,,,,,,(मदहोशी में मंजू के मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी और उसकी आंखें बंद होने लगी,,,, मंजू पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसके भाई काम उसके दोनों टांगों के बीच था और मंजू मादक तरीके से अपनी कमर को होले होले आगे पीछे करते हुए अपने भाई के होठों को अपनी बुर पर रगड़ रही थी,,, और रविकुमार अपनी जीभ को बाहर निकाल कर जितना हो सकता था अपनी बहन की बुर में डालकर उसकी मलाई को चाटने की कोशिश कर रहा था,,,,।


सहहहहहह आहहहहहहह ,,,,ऊमममममम ,,,,,आहहहरहहहह ,,,, पूरी जीभ डालकर भैया,,,,,,,सहहहहह आहहहहहह,,,,,

रविकुमार भी अपनी छोटी बहन की आज्ञा का पालन करते हुए उसकी जरूरत के मुताबिक अपनी जीभ को हरकत में लाते हुए उसे और मस्त करने लगा रविकुमार दोनों हाथों को पीछे कर अपनी बहन की गोरी गोरी गांड की फांकों को दबोचे हुए बुर चटाई का मजा ले रहा था,,, मंजू पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,,, वह अभी भी अपने भाई के सर को दोनों हाथों से पकड़े हुए ज्यादा से ज्यादा कसकर अपनी बुर पर दबाए हुए थी,,,, और सिसकारी का मजा ले रही थी अपनी बहन की सिसकारी की आवाज सुनकर रविकुमार और ज्यादा आनंदित हो रहा था वह और मस्ती के साथ अपनी बहन की बुर को चाट रहा था,,,।


मंजू आज पूरी तरह से मस्ती के इरादे से अपने भाई पर अपना पूरा कब्जा जमाए हुए थी कुछ देर तक अपने भाई को अपनी बुर चटवाने के बाद वह अपने भाई को उसके कंधे को पकड़कर खटिया पर पीठ के बल लेट आने लगी,,,,मंजू आज किसी भी तरह से अपने भाई को अपने ऊपर हावी होने देना नहीं चाहती थी आज वह अपने भाई के साथ अपने मन की करना चाहती थी देखते-देखते रविकुमार पीठ के बल खटिया पर बैठ गया मंजू मुस्कुराते हुए एक नजर अपने भाई के लंड पर डाली जो की पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था,, अपने भाई के लंड को देखकर उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,, और वह देखते ही देखते अपनी गोल-गोल गांड को अपने भाई के कंधे के इर्द-गिर्द अपने घुटनों को टीका कर अपनी गांड का वजन अपने भाई के चेहरे पर रखने लगी पर खुद उसके ऊपर टांगों की तरफ झुकते हुए उसके लंड के बेहद करीब अपने होठों को लाकर उसके लंड को थाम ली,,,दोनों को एक साथ मजे लेने के लिए कामसूत्र के आसन के मुताबिक यहां आसन बेहद आरामदायक और मदहोशी से भरा हुआ था क्योंकि इस आशा में में रविकुमार और मंजू दोनों एक साथ एक दूसरे की उत्तेजित अंगों का आनंद ले सकते थे और यह बात रविकुमार भी समझ गया था इसलिए खुद ही अपने हाथों से अपनी बहन की गांड को पकड़ कर अपनी जीभ को उसकी बुर लगाकर चाटना शुरू कर दिया,,, और मंजू आंखों में खुमारी लिए अपनी बहन के लंड को पकड़ कर उसके सुपाडे को अपने होठों से लगाकर अपनी प्यासी जीभ को बाहर निकाल कर उसके लंड के आलूबुखारे जैसे सुपाड़े को चाटना शुरू कर दी,,,,,, रविकुमार अपनी बहन की हरकत से पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,,वह अपने मन में सोचने लगा कि उसकी बहन कितना मजा देती है एकदम रंडी की तरह,,,, इतना मजा तो उसकी बीवी मधु भी नहीं देती थी,,, बस हर तरीके से उसका साथ दे दी थी लेकिन इस तरह की हरकत नहीं करती थी,,,।

दोनों भाई बहन पूरी दुनिया को भुल कर एक दूसरे के नाजुक अंगों का मजा ले रहे थे,,,मंजू मस्ती में धीरे-धीरे अपनी कमर को भी हिला रही थी मानो कि जैसे अपने भाई के मुंह को चोद रही हो,,और इसी तरह से एक बार रविकुमार की जीत उसकी गांड के भूरे रंग के छेद पर स्पर्श हो गई इतने में तो मंजू के तन बदन में आग लग गई,,,उसे इस बात का अहसास हो गया था कि उसके भाई की जीभ उसकी गांड के छेद पर स्पर्श हो गई है और यही मंजू के लिए मानो मदहोशी भर देने वाला पल था,,,अपनी ऐसी तैसी ना तो वह बिल्कुल भी अपने अंकुश में नहीं रख पाई और उसकी बुर से काम रस झड़ने लगा,,,, जिसे उसका भाई अपनी जीभ लगाकर अमृत की बूंद की तरह लपालप चाट रहा था,,,। मंजू की गरम सिसकारी की आवाज थोड़ी तेज हो गई थी लेकिन इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं थी,,, यह बात हरी अच्छी तरह से जानता था कि कि उसकी बीवी चुदवाने के बाद बेसुध होकर सो जाती थी,,,।

मंजू उस क्षण को एक बार फिर से अपने अंदर महसूस करना चाहती थी एक बार फिर से अपने भाई की जीभ को अपनी गांड के छेद पर लहराता हुआ महसूस करना चाहती थी,,,इसलिए अपनी कमर को आगे पीछे करके वह अपने भाई के होठों पर अपनी गांड का छेद रखना चाहती थी जिसमें उसे जल्द ही कामयाबी मिल गई और जैसे उसकी गांड का छेद उसके भाई के होठों पर आया वह अपनी कमर को नीचे की तरफ दबा दी,,, जोकि रविकुमार के लिए इशारा था कि अब वह उसकी गांड के छेद को जीभ से चाटे,,, और शायद रविकुमार इस बात को समझ भी गया थाऔर अपनी बहन का इरादा जानकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया और इसीलिए अपने हाथ को ऊपर की तरफ लाकर मंजू की कमर में अपने दोनों हाथ को डालकर उसे अपनी तरफ दबाने लगा और अपनी जीभ से उसकी गांड के छोटे से छेद को चाटना शुरू कर दिया जिसमें से मादकता की खुशबू उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,,।


रविकुमार को भी अपनी बहन की गांड चाटने में मजा आ रहा था मंजू पूरी तरह से मस्त होकर अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दी थी और अपनी बहन के लंड को पूरा गले तक उतार कर मजा ले रही थी रविकुमार भी कुछ कम नहीं था वह भी नीचे से अपनी कमर को ऊपर की तरफ फेंक दे रहा था जिससे उसका लंड मंजू के गले तक चला जा रहा था दोनों को बहुत मजा आ रहा था,,,,। रविकुमार अपनी उत्तेजना को काबू में नहीं कर पा रहा था और वहां अपनी उत्तेजना का कसर अपनी बहन की गांड पर उतारते हैं दोनों हाथों से रह-रहकर उसकी गांड पर जोर जोर से चपत लगा दे रहा था जिससे मंजू को चपत की वजह से थोड़ा दर्द तो हो रहा था लेकिन यह दर्द मीठा मीठा था जिसमें आनंद बहुत ज्यादा मिल रहा था,,,, अपनी बहन की गांड पर चपत लगाते हुए वह बोला,,,।

क्यों मेरी जान गांड चटवाने में मजा आ रहा है ना,,,

बहुत मजा आ रहा है भैया,,,,आहहहहह ,,,,

जब तुझे चटवाने में मजा आ रहा है तब मरवाने में कितना मजा आएगा,,,

मरवाने में मैं कुछ समझी नहीं,,,(मंजू सबको समझ रही थी लेकिन जानबूझकर अनजान बनने का नाटक करते हुए वह भी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसके भैया को यह बात भी मालूम हो कि गांड मरवाने कि उसकी भी इच्छा है,,,जबकि शुरू से ही आज उसके मन में यही इच्छा प्रबल हुए जा रही थी कि वह भी अपने भाई से गांड मरवाएगी क्योंकि जब से सुरज ने उसे बताया था कि उसकी मामी उसके मामाजी से गांड मरवाती है और उसे अपनी आंखों से देखा है और गांड मरवाने उसकी मामी को बहुत मजा आ रहा था यह सुनकर उसके भी मन में इच्छा हो रही थी कि वह भी गांड मरवाए और सुरज इसके लिए तैयार भी था,,,लेकिन अपनी सहेली की बातों को सुनकर उसका हौसला पस्त होता नजर आ रहा था और वह अपने भतीजे को इनकार कर चुकी थी लेकिन उसके मन में गांड मरवाने वाली इच्छा हुई थी जो कि वह अपने भाई से मरवाना चाहती थी क्योंकि सुरज के कहे अनुसार उसका भाई उसकी भाभी की गांड मारता है और उसे इसका पूरा अनुभव था और तो और सुरज का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था जिसे मंजू अच्छी तरह से जानती थी कि अपनी गांड के छेद में लेने में दिक्कत हो जाएगी और उसके भाई का लंड सुरज के मुकाबले ज्यादा लंबा और मोटा नहीं था जो कि अनुभव होने के कारण वह अपने लंड को आराम से उसकी गांड में उतार सकता था और एक बार जब वह अपने भाई से गांड मरवा लेती तो अपने भतीजे की ईच्छा पुरी करने में उसे कोई दिक्कत नहीं होती,,,,,,, इसलिए वह अपने भाई से गांड मरवाने की इच्छा रखती थी लेकिन जान बूझकर अपने भाई की बात ना समझने का बहाना कर रही थी ,,अपनी छोटी बहन मंजू की बात सुनकर रविकुमार बोला,,,।)



अरे मेरी छम्मक छल्लो इतना भी नहीं जानती,,, मरवाने का मतलब है कि तुम्हारी गांड में लंड डालना,,,अगर मैं तुम्हारी गांड में अपना लंड डालूंगा तो इसे कहते हैं गांड मरवाना,,,


बाप रे क्या ऐसा भी होता है,,,,(लंड को हाथ से पकड़ कर हिलाते हुए बोली)


तो क्या मेरी जान,,,, बहुत मजा आता है,,,(गांड को दोनों हाथों से पकड़े हुए वह बोला,,,)

क्या भाभी की भी तुम गांड मारते हो,,,


तो क्या पूछ मत मंजू कितना मजा आता है,,,,


बाप रे इस बारे में तो मैं कभी सोची ही नहीं थी,,,, लेकिन क्या इसमें तुम्हारा यह,,(लंड पर प्यार से थप्पड़ मारते हुए) चला जाएगा,,,!


बड़े आराम से जाएगा मेरी जान,,,, तुम्हारी भाभी तो पूरा का पूरा अंदर ले लेती है तभी उसे मजा आता है,,,


दैया रे तुम्हारी बातें सुनकर तो मुझे कुछ-कुछ हो रहा है,,,,।


बहुत मजा आएगा बस एक बार हां कर दो फिर इसके बाद देखना,,,,(धीरे से मंजू की गांड के छेद को गीला करके उसमें अपनी उंगली को धीरे से डालते हुए) तुम खुद मेरे लंड पर अपनी गांड रखकर बैठ जाओगी,,,,


दुखेगा तो,,,(मंजू चिंता व्यक्त करते हुए बोली हालांकि उसका मन अब पूरी तरह से तैयार हो चुका था अपने भाई के लंड को अपनी गांड में लेने के लिए)

अरे बिल्कुल भी नहीं दुखेगा ,मै इतने आराम से डालूंगा कि तुम्हें मजा के अलावा और कुछ नहीं सुझेगा,,,,,,,

ओहहहह ,,,, भैया मैं अपने आप को तुम्हारे हवाले करती हूं अब तुम कोई सब कुछ करना है अगर जरा भी दर्द होगा तो मैं करने नहीं दूंगी,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो रानी,,, एकदम आराम से तुम्हारी गांड मारूंगा,,,(इतना कहने के साथ ही रविकुमार उत्तेजित अवस्था में एक बार फिर से उसकी गांड के छेद पर जीभ रखकर चाटना शुरू कर दिया और साथ ही अपनी एक ऊंगली उसकी गांड के छेद में अंदर-बाहर करने लगा जिस का आनंद मंजू बड़े अच्छे से दे रही थी वह कसमसा रही थी गांड में उंगली जाने की वजह से,, अपने मन में सोचने लगी कि जब उंगली से इतना आनंद मिल रहा है तो,,, लंड जाएगा तो कितना मजा आएगा,,,,ऊहहहहहह,,,, रविकुमार बहुत खुश हो गया था आज जिंदगी में दूसरी औरत की गांड जो मिल रही थी मारने को और वह भी खुद की बहन की,, रविकुमार को इस बात की खुशी और ज्यादा थे कि वहां अपनी छोटी बहन को गांड मरवाने के लिए राजी कर लिया था जबकि हकीकत यह था कि मंजू खुद अपने भाई से राज़ी होना चाहती थी बस अपने मुंह से कह नहीं पा रही थी,,, गांड मरवाने वाली जिक्र छेड़ने में उसे डर लग रहा था इसलिए जानबूझकर अपने भाई को अपनी गांड चटवा कर,,, गांड मारने की विषय को अपने भाई के सामने प्रस्तुत की थी और उसकी यह नहीं थी काम भी कर गई थी,,,जितना उत्सव खा लिया था अपनी बहन की गांड मारने के लिए उतनी ज्यादा उतावली खुद मंजू थी अपने भाई के लंड को अपनी गांड में लेने के लिए,,,,,,।

थोड़ी ही देर में खटिया पर मंजू पीठ के बल लेट चुकी थी,,, और रविकुमार अपनी बहन की गांड के नीचे दो तकिया रख दिया था ताकि उसकी गांड ऊपर की तरफ हो जाए और उसकी गांड का छेद आराम से उसे नजर आ जाए,,,,लेकिन शायद यह आसन रविकुमार को खुद पसंद नहीं आया क्योंकि यह तो मंजू की शुरुआत थी अगर पहले से ही मंजू गांड मरवाती आ रही होती तो शायद इस आसन में बड़े आराम से उसकी गांड में चला जाता लेकिन यह मंजू के लिए पहली बार था इसलिए रविकुमार पूरी सावधानी रख रहा था क्योंकि वह जानता था कर एक बार दर्द करने लगेगा तो फिर उसकी बहन उसे गांड मारने नहीं देगी,,, इसलिए तो मंजू को घोड़ी बन जाने के लिए बोला लेकिन इस बार रविकुमार खटिया के नीचे खड़ा हो गया और मंजू अपनी गांड तो उठाकर खटिया के पाटी की तरफ चलाते हुए एक दम आरामदायक आसन में आ गई जहां से रविकुमार को अपनी बहन की गांड का छोटा सा छेद बड़े आराम से नजर आ रहा था लेकिन रविकुमार यह बात अच्छी तरह से जानता था कि पहली बार में ही उसका लंड उसकी बहन की गांड में आराम से प्रवेश नहीं कर पाएगा इसके लिए उसे सरसों के तेल की जरूरत पड़ेगी,,,,।

रविकुमार पूरी तैयारी कर चुका था मंजू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, तभी रविकुमार बोला,,,।


मंजू सरसों का तेल मिलेगा क्या,,,,?(अपने लंड को पकड़कर खिलाते हुए बोला)


हां हां उस कोने में रखा हुआ है,,,( उंगली के इशारे से कोने में दिखाते हुए बोली,,,मंजू समझ गई थी कि उसका भाई उसकी गांड में तेल लगाकर उसकी गांड मारेगा,,, और रविकुमार तुरंत कोने है मे से सरसो के तेल की कटोरी ले आया,,, और कटोरी में से ही सरसों की धार को अपनी बहन की गांड के छोटे से छेद पर गिराने लगा और हथेली से उसे अच्छी तरह से चुपडने लगा,,,, पर थोड़ा सा सरसों का तेल अपने लंड पर लगा लिया जिससे लंड की ताकत और ज्यादा बढ़ गई,,,, मंजू नजर को पीछे घुमा कर अपने भाई की हरकत को ही देख रही थी क्योंकि किसी भी वक्त उसका भाई उसकी गांड में लंड डाल सकता था,,,, और रविकुमार पूरी तैयारी के साथ पहले अपनी उंगली को अपनी बहन की गांड में डाल कर उसे गोल-गोल घुमाते हुए अपने लिए रास्ता बनाने लगा,,,, और जब उसे पूरी तरह से तो सकती हो कि ना तो वह अपने लंड कैसे पानी को सरसों के तेल में डुबोकर अपनी बहन की गांड के छोटे से छेद पर रख दिया और उसे अंदर की तरफ ढकेलने लगा,, धीरे-धीरे थोड़ा सा सुपाड़ा अंदर की तरफ प्रवेश करने के लिए उतावला हुआ तो मंजू को दर्द महसूस होने लगा और वहां बिना कुछ बोले अपने हाथ को पीछे की तरफ लाकर अपनी गांड पर हथेली रखकर दबाने लगी,,,, रविकुमार जानता था कि थोड़ा बहुत दर्द होगा इसलिए फिर से कोशिश करते हुए लंड को फिर से गांड के छेद के अंदर सरकाने लगा,,,, इस बार सरसों के तेल की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा अंदर की तरफ सरकने लगा और मंजू का दर्द बढ़ने लगा,,,,।


आहहहहह,,,,


बस बस रानी हो गया बस एक बार अंदर खुल जाए उसके बाद मजा ही मजा है,,,


दर्द कर रहा है,,,


लेकिन दर्द के आगे ही मजा ही मजा है,,,,बस थोड़ा सा और,,,( और इतना कहने के साथ ही अपनी बहन को बातों में उलझाए हुए,, रविकुमार इस बार थोड़ा जोर से अपनी कमर को आगे की तरफ धकेला और उसकी मेहनत रंग लाई सरसों के तेल की चिकनाहट पाकर रविकुमार का लंड का सुपाड़ा,, विजयी मुस्कान बिखरते हुए अंदर की तरफ सरक गया,,, गांड के छोटे से छेद के अंदर का अंधेरा लंड के सुपाड़े को बेहद लुभावना लग रहा था,,, इसलिए मारे खुशी के वह कुछ ज्यादा ही फुल गया था,,, लेकिन जैसे ही लंड का सुपाड़ा छेद के अंदर प्रवेश किया वैसे ही मंजू दर्द से बिलबिला उठी,,,,।

हाय ,, दैया मर गई रे,,,ऊफफफ बहुत दर्द कर रहा है भैया निकालो बाहर,,,,,आहहहहह,,,,


कुछ नहीं मंजू तुम शांत हो जाओ थोड़ी देर में सब सही हो जाएगा,,,,

मुझे नहीं लगता सही हो पाएगा निकाल लो जल्दी से,,,
(मंजू को दर्द हो रहा था इस बात का अंदाजा रविकुमार को अच्छी तरह से था लेकिन मैं जानता था कि अगर एक बार वह लंड को बाहर निकाल दिया तो फिर उसकी बहन दोबारा डालने नहीं देगी इसलिए वह अपनी बहन को अपनी बातों से और अपनी हरकत से उलझाना चाहता था इसलिए अपना दोनों हाथों की किस्त अपनाकर अपनी बहन की चूची को पकड़ लिया और उसे हल्के हल्के सहलाना शुरु कर दिया,,,।

अभी देखना कितना मजा आएगा बस एक दम शांत हो जाओ बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा,,,।
(थोड़ी ही देर में रविकुमार की मेहनत रंग लाने लगी मंजू की रंगत फिर से वापस आने लगी उसे अपनी गांड के छेद में लंड का सुपारा आनंददायक लगने लगा उसका दर्द कम हुआ तो रविकुमार चूची को दबाते हुए हल्के हल्के अपनी कमर को अंदर-बाहर करने लगा,,, ज्यादा कमर को हीलाता नहीं था बस मंजू की तसल्ली के लिए हमेशा कर रहा था लेकिन ऐसा करने से उसे भी थोड़ी जगह मिल रही थी,,, लंड का सुपाड़ा धीरे धीरे अंदर की तरफ सरक रहा है,,, जब रविकुमार ने देखा कि मंजू को दर्द नहीं हो रहा हैतब फिर से हल्के से कमर को आगे की तरफ धक्का मारा और फिर से सरसों के तेल ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया,,, लंड फिर से अंदर की तरफ सरकने लगा,,,,।
लेकिन रविकुमार को काफी मेहनत करनी पड़ रही थी क्योंकि यह पहली बार था और वह पसीने से तरबतर हो चुका था और यही हाल मंजू का भी था मजा तो आ रहा था लेकिन दर्द का एहसास नहीं उसे भी मजबूर कर दिया था वह भी पसीने से तरबतर हो चुकी थी दोनों के नंगे बदन पर पसीने की बूंदें उपस गई थी,,,।

देखते ही देखते रविकुमार अपने अनुभव का कमाल दिखाते हुए अपने लंड को पूरा का पूरा अपनी बहन की गांड के अंदर डाल दिया,,, और बोला,,,


देख मंजू कैसे तेरी गांड के अंदर मेरा पूरा का पूरा लंड घुस गया है,,,,,,
(अपने भाई की बात सुनकर आश्चर्य से मंजू पीछे की तरफ नजर करके देखने लगी लेकिन,, अपनी ही गांड के पीछे का दृश्य उसे कहां नजर आने वाला था,,, लेकिन महसूस जरूर हो रहा था कि उसकी गांड में कुछ लंबा सा चीज घुसा हुआ है,,,, बस फिर क्या था ,,, रविकुमार और मंजू दोनों की नजरें आपस में टकराई,,,,, दोनों के चेहरे पर विजई मुस्कान तैरने लगी और फिर रविकुमार अपनी बहन की मांसल गांड को अपने दोनों हाथों से थामकर अपनी कमर को आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया,, रविकुमार का लंड अब धीरे-धीरे आराम से उसकी गांड के छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,, मंजू को भी बहुत मजा आ रहा था,,,।


धीरे धीरे रविकुमार रफ्तार पकड़ने लगा,,,मंजू को आज भी तो सुख की प्राप्ति हो रही थी वह कभी सपने में भी नहीं सोचती भी गांड मरवाने में भी कितना मजा आता है,,, लेकिन इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि लंड को अंदर जाने में कितनी मशक्कत करनी पड़ी थी लेकिन फिर भी सब कुछ अच्छे तरीके से हो गया था इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी,,, अपनी कमर को रफ्तार में हिलाते हुए रविकुमार बोला,,,


अब कैसा लग रहा है मेरी छम्मक छल्लो,,,


आहहहह बहुत मजा आ रहा है भैया मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस खेल में इतना मजा आता होगा,,,,,


मैं बोला था ना बहुत मजा आएगा,,,,,,, सच कहूं तो मंजू मुझे,,, तुम्हारी भाभी की गांड से ज्यादा मजा,, मुझे तुम्हारी गांड से आ रहा है,,,।

तो और जोर जोर से मारो भैया,,, गांड मारो मेरी,,,आहहहह,आहहहहहह बहुत मजा आ रहा है,,,।


रूपाली को इस बात की भनक तक नहीं थी कि उसके ठीक बगल वाले कमरे में उसकी ननद अपने ही भाई से चुदाई का अद्भुत खेल खेल रही है,,,, रविकुमार पूरी तरह से मस्ती में आकर अपनी बहन की गांड मार रहा था,,,, और देखते ही देखते दोनों चरमसुख के करीब पहुंचने लगी,,, और फिर दोनों का लावा एक साथ फूट पड़ा,,, रविकुमार अपनी बहन की नंगी पीठ पर लेट गया,,,।
 
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दूसरी तरफ सुरज के चेहरे पर अद्भुत विजई मुस्कान थी और अनिल की बीवी संगीता के चेहरे पर संतुष्टि भरा एहसास दोनों पूरी तरह से तृप्त हो चुके थे,,, सुरज उसके ऊपर ही पसर गया था,,, दोनों संतुष्टि का अहसास करते हुए गहरी गहरी सांसे ले रहे थे,,,, सुरज की संभोग गाथा में आज एक और पराक्रम जुड़ गया था,,, किसी गैर मर्द के साथ अनिल की बीवी संगीता का यह पहला संभव था तभी तो उसे इस बात का अहसास हुआ कि असली चुदाई किसे कहते हैं अब तक उसका पति सिर्फ उसके साथ खेल खेलता आ रहा था,,,,,, मोटे तगड़े लंबे लंड से चुदाई किस प्रकार से तृप्ति का एहसास दिलाती है यह अब उसे भली-भांति एहसास होने लगा था,,, बुर की अंदरूनी दीवारो की रगड़ एक मोटे तगड़े लंड की वजह से किस कदर अद्भुत होती है इस एहसास को भी वह पहली बार महसूस की थी,,,, तभी तो वह एकदम पानी पानी हो गई थी,,,,,

सुरज उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर सर रखकर गहरी सांसे ले रहा था और अनिल की बीवी संगीता भी गहरी गहरी सांस ले रही थी जिसकी वजह से उसकी छातियों का उठना बैठना लगातार जारी था और यह एहसास सुरज को और ज्यादा गदगद किए जा रहा था,,,,,,,, कुछ देर बाद एकदम शांति सी छा गई चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था केवल उन दोनों की गहरी गहरी सांसो की ही ध्वनि सुनाई दे रही थी,,,, सुरज का लंड अनिल की बीवी संगीता की बुर से बाहर निकल चुका था लेकिन उसके ऊपर लेटने की वजह से उसका मोटा तगड़ा लंड हल्के से ढीलेपन के साथ उसकी दोनों जांघों के बीच आराम कर रहा था,,,,,, सुरज बहुत खुश था,, क्योंकि अनिल की खूबसूरत बीवी जो उसे चोदने को मिल गई थी,,, वह उसपर लेटे हुए ही बोला,,,,।

आंखे खोलो संगीता,,,,(इतना कहने के साथ ही वह हल्के से उसके रसीले होठों का चुंबन ले लिया,,,, और वह एकदम से सिहर उठी,,,,वह अभी भी गहरी गहरी सांसे ले रही थी और सांसो की लय के साथ उसकी उठती बैठती गोल गोल चूचियां सुरज के सीने पर अपनी गोलाईयों का एहसास करा रही थी,,,) इतना क्यों शर्माना संगीता मामी,,, अब तो शर्म का पर्दा पूरी तरह से हट गया है तुम नंगी हो मैं नंगा हूं और अभी अभी तुम्हारी बुर में अपना लंड डालकर तुम्हारी चुदाई दीया हुं,,,,फिर अब क्यों शर्मा रही हो,,,, मेरी संगीता रानी,,,(सुरज जानबूझकर अनिल की बीवी संगीता से इस तरह की गंदी बातें कर रहा था,,,,,वह नहीं चाहता था कि पहली चुदाई में ही वह थक कर सो जाए बड़ी मुश्किल से आज की रात मौका मिला था,,,, इस मौके को ईस चांदनी रात को सुरज ऐसे ही जाया नहीं होने देना चाहता था,,, इस रात को और ज्यादा रंगीन बनाना चाहता था इसलिए वह गंदी गंदी बातें कर रहा था,,, और उसकी इस तरह की बातों को सुनकर अनिल की बीवी संगीता मचल रही थी,,,,, सुरज की गरम बातें उसे और ज्यादा गर्म कर रही थी हालांकि अभी अभी उसकी जवानी की गर्मी सुरज ने शांत किया था,,, लेकिन इस तरह की बातों को सुनकर उसके तन बदन में एक बार फिर से हलचल सी होने लगी,,,,


अब क्यों शर्मा रही हो संगीता मामी,,,


शरंम तो आएगी ही ना बबुआ,,,,


नहीं आना तो नहीं चाहिए,,, क्योंकि अभी अभी बेशर्म बनकर तो चुदवाई हो,,,,
(सुरज की यह बात सुनकर अनिल की बीवी संगीता शर्म से पानी पानी होने लगी क्योंकि सुरज की बात एक दम सही थी,, वह वास्तव में बेशर्म बनकर एक अनजान जवान लड़के के साथ संभोग का सुख प्राप्त की थी,,, वासना की आग में वह पूरी तरह से झुलस रही थी जिसके कारण उसकी आंखों पर मदहोशी की पट्टी चढ गई थी,,, जिससे उसे यह‌ भी भान नहीं रहा की ,, बगल में ही उसका पति लेटा हुआ है भले ही नशे की हालत में बेसुध था लेकिन उसके करीब तो था लेकिन फिर भी बदन की आग को शांत करने के लिए अनिल की बीवी संगीता ने अपनी पति के मौजूदगी का भी लिहाज नहीं की और एक अनजान जवान लड़के के साथ हमबिस्तर होते हैं उसके साथ संभोग सुख की आनंद की प्राप्ति कर ली लेकिन इस बात से वह अच्छी तरह से वाकिफ की थी उसका यह कदम उसे स्त्री सुख से भलीभांति वाकिफ भी कराया वरना उसके पति के साथ तो उसे स्त्री सुख की संतुष्टि क्या है इस बात का बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था मर्द की मर्दानगी क्या होती है इस बारे में वह समझ ही नहीं पाई थी सुरज से मिलने के बाद उसे वास्तविक स्त्री सुख और संतुष्टि का अहसास हुआ,,,, जिसके बारे में सोच करो वहां अपने द्वारा उठाए गए इस कदम का पूरी तरह से समर्थन भी कर रही थी,,,।

अनिल की बीवी संगीता को सुरज अपनी बातों से बहला रहा था बीच-बीच में उसके लाल-लाल होठों का चुंबन भी कर रहा था,,, और साथ ही कभी-कभी अपनी हथेलियों में उसकी चूची को लेकर दबा भी दे रहा था,,, जिससे अनिल की बीवी संगीता को एक बार फिर से आनंद की अनुभूति होने लगी थी अभी अभी वह अपनी गर्मी अपनी बुर की संकरी दीवारों से बाहर निकाली थी और एक बार फिर से उसमे उबाल आना शुरू हो गया था,,,,, सुरज यह चाहता था कि उसे नींद ना आए वह उसे जगाना चाहता था क्योंकि वह जानता था अगर एक बार की चुदाई के बाद उसे नींद आ गई तो फिर चुदाई में मजा नहीं आएगा,,, इसलिए वह बार-बार उसकी चूची को जोर जोर से दबा दे रहा था,,,,

ताकि वह सो नहीं जाए,,, सुरज की अवधारणा बिल्कुल ही गलत थी जवानी के सुख को पहली बार में बोल रही थी ऐसे में नींद तो दूर की बात है झपकि भी नहीं आ सकती थी,,, वह तो सुरज की हरकतों का मजा ले रही थी,,,।

क्यों संगीता मामी मजा आया ना,,,

(अनिल की बीवी संगीता बोली कुछ नहीं बस हां में सिर हिला दी उसके चेहरे पर शर्म की लाली साफ नजर आ रही थी,,,सुरज को उसका जवाब मिल गया था लेकिन वह उसके मुंह से सुनना चाहता था इसलिए फिर से बोला)


ऐसे नहीं संगीता मामी बोल कर बताओ,,ना,,, मजा आया कि नहीं,,,,


बहुत मजा आया,,,(शर्म के मारे अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली,,)

अनिल मामाजी से मेरा लंड ज्यादा मोटा और लंबा था ना,,,।

हां,,,(वह शरमाते हुए बोली,,वह अच्छी तरह से जानती थी कि झूठ बोलने में कोई मजा नहीं है क्योंकि उसके पति की हालत को देखकर कोई भी समझ सकता था कि उसके अंदर कितनी मर्दानगी भरी हुई है,,, और सुरज लगातार उसके बदन से फिर से खेलना शुरू कर दिया था,उसकी गोल गोल चुचियों को दबाते हुए सुरज फिर से उत्तेजित हो रहा था और साथ ही अनिल की बीवी संगीता को भी गर्म कर रहा था,,, और इसी तरह से गंदी बातों को जारी रखते हुए बोला)


संगीता मामी तुम्हारी बुर में तो महसूस हो रहा था ना,, मेरा लंड जब अंदर रगड़ रगड़ कर जा रहा था,,,।
(सुरज के इस सवाल पर वह एकदम से सिहर उठी थी,,, क्योंकि उसे वहां पर याद आ गया था जब सुरज अपने मोटे लंड को उसकी बुर की अंदरूनी दीवारों में रगड़ रगड़ कर उसे पेल रहा था,,,,,,अनिल की बीवी संगीता के चेहरे पर सुरज की गरम गरम बातें और उसकी हरकत ने एक बार फिर से असर दिखाना शुरू कर दिया था उसके चेहरे की लालीमा बता रही थी कि फिर से वह तैयार हो रही थी,,,,,, लेकिन आप सुरज के वजन से वह कसमसा रही थी और उसे एक बार फिर से जोरो की पेशाब लगी हुई थी,,,यह शायद संभोग की अद्भुत तृप्ति का एहसास की वजह से ही था कि उसे इतनी जल्दी फिर से पेशाब लग गई थी,,,, वह सुरज के सवाल का जवाब दिए बिना हीं बोली,,,,,,)

चल अब हट जा बबुआ उठने दे मुझे,,,,( वह उठने की कोशिश करते हुए बोली,,,)

नहीं संगीता मामी,,, अभी तो खेल शुरू हुआ है सारी रात तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूं,,, क्योंकि तुम्हारी बुर बहुत कसी हुई है,,,,
(सुरज की बातों को सुनकर अनिल की बीवी संगीता को मजा आ रहा था लेकिन फिर भी वह सुरज को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करती हुई बोली,,,)

चल हट जा बबुआ,,,, अब कसी हुई नहीं है,,, तेरे नाप की हो गई है,,,


हाय मेरी रानी यह क्या बोल दि,, तुमने,,अब, तो दुबारा डालने का मन कर रहा है,,,,।
(सुरज की बातों को सुनकर अनिल की बीवी संगीता हैरान थी,,, क्योंकि वह उसे फिर से चोदने की बात कर रहा था और जहां तक उसका ख्याल था कि उसका पति एक बार थोड़ी ही देर में झड़ भी जाता था और गहरी नींद में सो भी जाता था,,, उसके साथ आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि दोबारा उसके पति ने उसके चुदाई किया हो और दोबारा वह कभी अपने पति के लंड को खड़ा होते नहीं देखी थी,,,,, इसलिए वह आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)

फिर से,,,!


तो क्या मेरी रानी एक बार में तुमसे मेरा मन भरने वाला थोड़ी है,,, तुम चीज ही कुछ ऐसी हो,,,
(सुरज की बातों को सुनकर अनिल की बीवी संगीता की सांसे गहरी चलने लगी थी फिर भी वह अपने आप को संभाल कर बोली)

उठने दे बबुआ मुझे,,,,


नहीं उठने दूंगा,,, तुम मुझे सारी रात दोगी कि नहीं,,,

अरे बबुआ यह कैसी बातें कर रहा है,,,, तुझे नींद नहीं आ रही है क्या,,,?


क्या संगीता मामी जब खटिया पर इतनी खूबसूरत औरत नंगी लेटी हो तो वह बेवकूफ‌ ही होगा जिसे नींद आएगी,,,।


लेकिन यह तो तुरंत सो जाते हैं,,,


तभी तो संगीता मामी तुम्हारा यह हाल है कि तुम्हारी बुर अभी भी कसी हुई है जो कि अच्छी बात तो है ही लेकिन तुम्हें कभी मर्दानगी का अहसास तक नहीं हुआ चुदाई क्या होती है यह बात तुम जान नहीं पाई,,, क्योंकि अनिल मामाजी तुम्हारे लायक है ही नहीं तुम्हारे शरीर देखी हो तुम्हारा खूबसूरत बदन ऐसा लगता है कि जैसे कामदेव के लिए बनाई गई हो और चाचा मुझे नहीं लगता कि तुम्हारी चुदाई जी भर कर कर पाते होंगे दो-तीन धक्के में तो उनका निकल जाता होगा,,,, क्यों संगीता मामी सच कह रहा हूं ना,,,
(सुरज की बातों में सच्चाई थी और अनिल की बीवी संगीता के पास छुपाने लायक कुछ भी नहीं था इसलिए वह सुरज की बात पर सहमति दर्शाते हुए बोली,,,)

हां जैसा तुम कह रहे हो वैसा ही होता है,,,


तब तो संगीता मामी आज तो तुम तो मस्त हो गई होगी,,,,।

(अनिल की बीवी संगीता को हां कहने में शर्म आ रही थी इसलिए मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दी,,,, उसकी हामी सुनते ही सुरज एक बार फिर से उसके होठों का चुंबन करने लगा उसका लंड फिर से अपनी औकात में आ चुका था जो कि ठीक उसकी दोनों जांघों के बीच ठोकर मार रहा था और अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से मस्त होकर उस ठोकर को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी लेकिन इस समय उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए थोड़ा जोर लगाकर सुरज को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली,,,)

बबुआ तुम्हें मैं कब से कह रही हूं कि मेरे ऊपर से हट जाओ मुझे पेशाब करने जाना है,,,


क्या संगीता मामी अभी अभी तो करके आई हो कितना मुतोगी,,,

(अनिल की बीवी संगीता को खटिया पर से उठ कर नीचे पैर रखकर खटिया से खड़े होते देख रहा था)


अरे अब जोरों की लगी है तो क्या करें,,,(नीचे गिरी साड़ी को उठाते हुए बोली)

चलो कोई बात नहीं लेकिन करोगी कहां,,,?(उसकी तनी हुई चूचियों की तरफ ललचाई नजरों से देखते हुए बोला,,,)


बाहर और कहां तुझे भी साथ में चलना होगा,, क्योंकि मुझे बाहर डर लगता है,,,(इतना कहने के साथ ही वह केवल साडी को कमर से बांघते लगी ,, यह देखकर तुरंत खटिया पर से उठ कर खड़ा हो गया और सुरज के हाथ से साड़ी लेकर उसे जमीन पर नीचे फेंकते हुए बोला,,)

मैं तुम्हारे साथ बाहर चलने के लिए तैयार हूं लेकिन तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी होकर वहां चलना होगा,,,।

धत्,,,,,,यह क्या कह रहे हो,,बबुआ,,,, यह मुझसे नहीं होगा,,,,(वह उसी तरह से नग्न अवस्था में खडे हुए ही बोली,,,,, सुरज उसके नंगे बदन को ही देख रहा था जो कि लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था,,, सुरज भी पूरी तरह से नंगा था,,, उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा हो चुका था जिस पर अनिल की बीवी संगीता की नजर चली जा रही थी,,और वह उसके खड़े लंड को देख कर मस्त हुए जा रही थी,,, सुरज ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया और उसे पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए बोला,,,)

होगा मेरी संगीता तुमसे ही होगा,,,,(इतना कहने के साथ ही वह उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया और साथ ही अपने खड़े लंड को उसकी नरम नरम गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया,,,, अनिल की बीवी संगीता दोनों तरफ से पीसी जा रही थी ऊपर से भी सुरज उसकी चुचियों से खेलता हुआ उसे मस्त कर रहा था और नीचे से अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ कर उसे फिर से मदहोशी के सागर में लिए जा रहा था,,,, लंड की रगड और स्तन मर्दन की मस्ती पाकर अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से गर्मा गई और अपनी आंखों को बंद करते हुए मदहोशी भरे स्वर में बोली ,,,)

ससहहहह ,,,, बबुआ यह क्या कर रहे हो मुझसे नहीं हो पाएगा,,,


हो जाएगा संगीता मामी,,,(दोनों चुचियों को जोर-जोर से मसलते हुए अपने होठों को उसकी गर्दन पर रख कर चूमते हुए उसकी गर्मी को ज्यादा बढ़ाते हुए,,) यह काम सिर्फ तुम ही कर सकती हो सोचो कितना मजा आएगा तुम नंगी होकर घर से बाहर निकलेगी और वह भी एकदम रात में आधी रात में,,उफफफ,,, खुले में नंगी चलने का मजा ही कुछ और होता है,,,।
(सुरज की हरकतों से अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से गर्म हो रही थी उसका भी मन नंगी होकर घूमने को कर रहा था,,, और वह सुरज की बात मान गई और बोली,,,)


ठीक है बबुआ लेकिन कोई आ गया तो,,,, (उसके मुंह से यह सुनते ही सुरज खुश हो गया क्योंकि उसकी बात को सुनकर सुरज समझ गया था कि यह उसकी बात मान गई है इसलिए उसे तसल्ली दिलाते हुए बोला,,)

कोई नहीं आएगा संगीता मामी मुझ पर भरोसा रखो इतनी रात को यहां कौन आने वाला है,,,, बस अब चलो,,,,
(इतना कहने के साथ ही सुरज उसे चलने के लिए बोल कर पीछे से उसकी कमर पकड़ कर उसे आगे की तरफ प्यार से धकेलते हुए उसे दरवाजे के पास ले जाने लगा,,, अब अनिल की बीवी संगीता के तन बदन में भी उन्माद चढने लगा था,,, इस समय वह अपने घर के आंगन में पूरी तरह से नंगी थी और सुरज भी पूरी तरह से नंगा था,, आंगन में ही अनिल नशे की हालत में गहरी नींद में सो रहा था,,,, अनिल की बीवी संगीता आगे-आगे चल रही थी,,, और सुरज तुरंत लालटेन को अपने हाथ में ले लिया था ताकि सब कुछ साफ नजर आए,,, एक अजीब सी कसमसाहहट अनिल की बीवी संगीता के तन बदन को अपनी आगोश में लिए हुए थी,,,, यह उसका पहला अनुभव था जो बिना कपड़ों के घर से बाहर निकल रही थी और वह भी आधी रात में,,, उसके दिल की धड़कन तबले की थाप की तरह बज रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई उसे देख ना ले,,,, वासना और मदहोशी में चोर का डर उसके दिमाग से निकल चुका था सुरज के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में लेने के बाद उसके अंदर एक अजीब सी मस्ती छाने लगी थी ,,, सुरज का संग पाते ही उसका भोलापन धीरे-धीरे दूर होने लगा था उसे भी अब एक मर्द के साथ मजे करने में दिलचस्पी आने लगी थी तभी तो वहां सुरज की बात मानते हुए बिना कपड़ों के ही घर से बाहर निकल रही थी,,,। दरवाजे की कुंडी को खोल कर अनिल की बीवी संगीता ने दरवाजे को हल्के हाथों से पकड़ कर अंदर की तरफ खींची दरवाजा खुल गया बाहर पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था,,, समय चक्र को अंधेरा अपनी आगोश में लिए हुए बैठा था और अनिल की खूबसूरत नव युवा बीवी,,, बाहर चारों तरफ देखकर अपने एक कदम को दहलीज पर रख दी थी और ऐसा करने से उसकी गोल गोल गांड का घेराव अद्भुत आकर्षण के लिए हुए बाहर की तरफ उभर आया था जिसे लालटेन के पीली रोशनी में देखकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना का प्रसार बड़ी तेजी से होने लगा और उसकी मादक जवानी को देखकर सुरज का लंड सलामी देते हुए ऊपर नीचे होने लगा,,,,,


एक बार उसको भोग लेने के बाद भी उसके अंगों के मरोड़ को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,,,मन तो उसका कर रहा था कि घर की दहलीज पर ही उसकी कमर थाम कर पीछे से अपने लंड को उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दे,,,, लेकिन आज उसका मन उसको पूरी तरह से नंगी होकर घर के बाहर बैठकर पेशाब करते हुए देखने के लिए में चल रहा था इसलिए वह अपने आप को संभाल ले गया,,,,

अनिल की बीवी संगीता अभी भी दहलीज पर पैर रखकर चारों तरफ बड़ी तसल्ली के साथ देख रही थी तो खुद ही सुरज पीछे से बोला,,,।

चलो संगीता मामी इतनी रात को कोई नहीं आएगा,,,,।
(और सुरज की बात सुनते ही अनिल की बीवी संगीता घर से बाहर निकल गई,,, कदम को होले होले जमीन पर रखते हुए उसके नितंबों पर जो थिरकन हो रही थी उसे देखकर सुरज के सब्र का बांध टूटता जा रहा था,,,, लेकिन बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किए हुए था देखते ही देखते अनिल की बीवी संगीता घर के बाहर घने पेड़ के नीचे झाडीयों के पास पहुंच गई,,,चांदनी रात होने के बावजूद भी घने पेड़ के छांव में चांदनी की रोशनी नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था लेकिन सुरज के हाथ में लालटेन होने की वजह से सुरज को सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था और यही उसकी खुशनसीबी भी थी,,,
अनिल की बीवी संगीता के बदन की भाषा को देखकर सुरज समझ गया था कि वह मुतने वाली है,,, इसलिेए सुरज पीछे से बोला,,,।

बैठ जाओ संगीता मामी कोई दिक्कत नहीं है,,,,।

(वासना और मदहोशी क्या हाल है संगीता को सुरज के मुंह से निकले हुए हर एक शब्द नशीले लग रहे थे जो कि उसके दिलो दिमाग को , अपने काबू में किए हुए थे,,,अनिल की बीवी संगीता को पेशाब की तीव्रता बड़ी तेजी से महसूस हो रही थी इसलिए वह तुरंत नीचे बैठ गई और अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार को बाहर मारने लगी,,, एक बार सुरज के लंड को अपनी बुर में ले लेने के बाद अनिल की बीवी संगीता के मनसे धीरे-धीरे शर्म दूर होने लगी थी वह जानती थी कि पीछे खड़ा सुरज उसके नंगे बदन को देख रहा होगा उसकी गांड को देख रहा होगा लेकिन अब उसके में कोई भी चेक नहीं थी इस बात को लेकर अब वह तो खुद चाहती थी कि सुरज प्यासी नजरों से उसके बदन के हर कोने को देखें,,,,।

रात के सन्नाटे में अनिल की बीवी संगीता की बुर के गुलाबी छेद से निकल रहे पेशाब की धार की आवाज वातावरण के सन्नाटे में पूरी तरह से खुल जा रही थी और एक मादक वातावरण का एहसास करा रही थी जिसमें सुरज पूरी तरह से डूबता चला जा रहा था,,,, सुरज से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह लालटेन को पेड़ की एक छोटी सी टहनी में टांग दिया और मोटे डंडे को कोई पेड़ के सहारे खड़ा करके ठीक अनिल की बीवी संगीता के पीछे बैठ गया,,,, और एकदम से सट गया ऐसा करने से संगीता के बदन में हलचल सी मच गई,,, वह एकदम से सिहर उठी उत्तेजना के मारे उसका रोम-रोम खिल उठा,,,,सुरज अपनी हरकत को अंजाम देते हुए अपने हाथ को नीचे की तरफ ला कर अपने लंड को पकड़ कर उसकी गोल गोल गांड के आगे उसकी बुर की तरफ कर दिया सुरज का लंड को ज्यादा बढ़ा थे इसलिए बड़े आराम से उसके गुलाबी बुर के छेद तक पहुंच गया था जिसमें से अभी भी पेशाब की धार बाहर निकल रही थी,,,।
सुरज की गर्म सांसे अनिल की बीवी संगीता के गर्दन को मदहोशी और उन्माद प्रदान कर रही थी जिसे अनिल की बीवी संगीता के तन बदन में आग लगी जा रही थी एक बार फिर से उसका मन चुदवाने को कर रहा था,,,,।

सुरज अपने लंड की लंबाई का पूरा रगड़ते हुए अपने लंड को उसकी जड़ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाने लगा जिससे उसके लंड का आलू बुखारा जैसा सुपाड़ा उसकी बुर पर लगने लगा और साथ ही उसके बुर से निकले अमृत के धार में लंड का सुपाड़ा भीगने लगा ,,, एक असीम सुख दोनों को मिलने लगा अनिल की बीवी संगीता कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि एक अनजान लड़के के साथ हुआ इस कदर मस्ती का लुफ्त उठाएगी,,, जवानी का मजा तो उसे सुरज के साथ ही आ रहा था सुरज उत्तेजना में अपने लंड को जोर-जोर से उसके गुलाबी छेद पर मरने लगा था जिससे संगीता के तन बदन में आग लग रही थी और वह लगातार मुते जा रही थी,,, सुरज के लंड का सुपाड़ा पूरी तरह से उसके पेशाब में भीग गया था,,, और यह अनुभव सुरज को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,,,, अपने लंड को उसकी बुर पर मारते हुए सुरज बोला,,,।

अब कैसा लग रहा है मेरी संगीता मामी,,,।

सहहहहहह ,,, बबुआ अब कुछ मत मुझे तो ना जाने क्या हो रहा है ऐसा सुख मैंने कभी नहीं पाई हूं,,,सहहहहह,,आहहहहह,,,


मैं जानता था मेरी रानी तुम्हें संपूर्ण सुख सिर्फ मैं ही दे सकता हूं,,,,,, (ऐसा कहते हुए सुरज अपने लंड के सुपाड़े को उसके गुलाबी छेद पर रगड़ने लगा जिससे संगीता के तन बदन में मस्ती की लहर उठने लगी उसका मन सुरज का लंड अपनी बुर में लेने के लिए तडपने लगा,,, वह कसमसा रही थी हल्के हल्के ऊपर नीचे हो रही थी उसकी कसमाहट देखकर सुरज समझ गया कि वह पूरी तरह से तैयार हो चुकी है एक बार फिर से उसके लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,,

और सुरज उसे थोड़ा और ज्यादा तडपाने के उद्देश्य से,,, वह भी मुतना शुरू कर दिया लेकिन अपने पेशाब की धार को उसके गुलाबी छेद पर मार रहा था,,, और जैसे ही उसके पेशाब की धार उसको अपनी बुर के गुलाबी छेद पर महसूस हुई वह एकदम से मचल उठी,,।


सहहहहहह ,,, आहहहहहहह,,,,बबुआआआआ,,,,,ऊहहहहह,,,,,


क्या हुआ संगीता मामी,,,,


यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,,(मदहोशी भरे स्वर में बोली)

तुम्हारी बुर को और ज्यादा रसीला बना रहा हूं,,,,।


सहहहह आहहहहहहहहह,, मेरा अंग अंग टूट रहा है,,,,


मैं इलाज जानता हूं,,,, मेरी संगीता मामी,,,,


तो करो ना बबुआ तड़पा क्यों रहे हो,,,,।

ओहहहह मेरी संगीता मामी मैं अभी तुम्हारी तडप को दूर कर देता हूं,,,(इतना कहते हुए सुरज पेशाब करने के तुरंत बाद अपने लंड के सुपाड़े को बैठे-बैठे ही उसकी बुर के छेद पर रख कर उसे अंदर डालने की कोशिश करने लगा,,,,लेकिन इस तरह से आराम से जा नहीं रहा था लेकिन फिर भी सुरज कोशिश में लगा हुआ था और अनिल की बीवी संगीता थी कि तड़प रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था इसलिए वह खुद ही थोड़ा सा अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी अभी भी वह बैठी हुई मुद्रा में ही थी बस ५ अंगुल ही गांड को उसने ऊपर उठाई थी ताकि वह सुरज के लंड को अपनी बुर में आराम से ले सके,,, और उसकी यह सहकार की भावना रंग लाने लगी सुरज का लंड एक बार फिर से गुलाबी बुर के छेद में था,,,, और सुरज अनिल की बीवी संगीता की कमर को थाम लिया,,,,।
यह आसन सुरज के लिए बिल्कुल ही नया था,,,एक नया अनुभव के साथ वह अनिल की बीवी संगीता की चुदाई करने जा रहा था,,, जिसमें अनिल की बीवी संगीता की पूर्ण रूप से सहमती थी,,,,

देखते ही देखते सुरज का पूरा का पूरा लंड अनिल की बीवी संगीता की बुर में समा गया,,,, अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से हैरान हो गई थी इस तरह से भी चुदाई की जाती है उसे आज पता चल रहा था,,,, सुरज नीचे से धक्के लगाने लगा अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया बैठे बैठे ही अपनी कमर को हिलाने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,,,इस अवस्था में बड़े आराम से सुरज अनिल की बीवी संगीता की चुदाई कर रहा था,,,।

अजीब सा माहौल बना हुआ था बेहद अद्भुत मादकता से भरा हुआ,,, चांदनी रात में भी पेड़ के नीचे घनी झाड़ियों के बीच लालटेन की पीली रोशनी में,,,, शीतल हवा के झोंकों का आनंद लेते हुए सुरज अनिल की बीवी संगीता की चुदाई कर रहा था और अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,, वह अभी भी अपनी गांड को हवा में लटकाए हुए चुदवा रही थी,,,। सुरज कभी उसकी कमर को तो कभी उसकी गोल-गोल कांड को जैसे उसे सुविधाजनक लग रहा था जैसे सुरज अनिल की बीवी संगीता की चुदाई कर रहा था लेकिन मोटा लंबा लंड बड़े आराम से उसकी गुलाबी बुर के छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,,


अब तो डर लग नहीं रहा है ना संगीता मामी,,,।


सहहहह नही बबुआ तुम्हारे होते हुए मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा है,,,,


कितना मजा आ रहा है ना खुले में चुदवाने में,,,,


बहुत मजा आ रहा है बबुआ मुझे तो पहले डर लग रहा था लेकिन अब मुझे इतना मजा आ रहा है कि पूछो मत,,,,।

मेरा साथ दोगी तो इसी तरह से मजा पाओगी,,,


तो आ जाया कर बबुआ उनको छोड़ने के बहाने,,,,


ओहहहह मेरी संगीता मामी तू कितनी अच्छी हो,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अनिल की बीवी संगीता को लिटाए हुए उसकी कमर को थाम कर उसे ऊपर नीचे करने लगा भोली भाली अनिल की बीवी संगीता सुरज के संगत में उसके इशारे को समझ गई थी और वह खुद ही अपने गांड को पर नीचे करके सुरज के लंड को अपने बुर के अंदर बाहर लेने लगी थी,,,, थोड़ी देर बाद जब इसी तरह से अपनी गांड उठाए हुए अनिल की बीवी संगीता को दर्द करने लगा तो वह बोली,,,।


ओहहहह बबुआ,,,, गांड उठाए उठाए दर्द करने लगा,,,


कोई बात नहीं संगीता मामी,,,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज अपने लंड को अनिल की बीवी संगीता की बुर में डाले हुए ही,,, उठने लगा,,, और उसे भी उठाने लगा दोनों खड़े हो गए थे लेकिन अभी भी सुरज का लंड उसकी बुर के अंदर था,,, सुरज अनिल की बीवी संगीता की कमर पकड़े हुए ही उसे जाकर पेड़ की डाली पकड़ने के लिए बोला और उसकी कमर को अपने से एकदम सटाए रखा क्योंकि यह आसन एकदम सटीक था उसकी जबरदस्ती चुदाई करने के लिए,,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा थाअगर दो कोई खड़ा होता तो उसे भी है नजारा देखने को मिल जाता लेकिन सुरज जानता था कि आधी रात के बाद गांव से बाहर कोई बिना काम के निकलता नहीं,, है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत था,,,,,,।


अब देखना मेरी जान कितना मजा आता है,,,, (और इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,उसका मोटा तगड़ा लंड चपचप की आवाज करते हुए बुर में अंदर बाहर होने लगा,,,अनिल की बीवी संगीता मदहोश होने जा रही थी क्योंकि इस तरह के आसन से सुरज का लंड बड़े आराम से उसके बच्चेदानी तक पहुंच रहा था और उस पर ठोकर मार रहा था जब जब उसके दर्द की ठोकर से अपने बच्चेदानी का महसूस होती है पूरी तरह से सिहर जाती और उत्तेजना के मारे अपनी गांड को आगे की तरफ सिकोड ले रही ही थीऔर सुरज उसकी कमर को कस के काम कर उसे अपनी तरफ खींच ले रहा था यह खींचातानी तब तक चलती रही जब तक सुरज उसे झाड़ने के बाद खुद नहीं झड़ गया,,,, दोनों झड़ चुके थे सुरज अपने लंड की पिचकारी उसकी बुर के अंदर उसके बच्चेदानी पर मारा था और अनिल की बीवी संगीता को यह साफ महसूस हो रहा था इसलिए वह पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,,।

थोड़ी ही देर में अपना पूरा गर्म लावा उसकी बुर में छोड़ देने के बाद सुरज अपने लंड को उसके गुलाबी छेद से बाहर निकाला जो कि अभी भी पूरी तरह से खड़ा था,,, अनिल की बीवी संगीता भी गहरी गहरी सांस लेते हुए आहिस्ता आहिस्ता खड़ी हुई और एक नजर अपनी दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार पर डाली तो शर्म से पानी पानी होने लगी,,,, यह देखकर सुरज उससे बोला,,,।


अब कैसा लग रहा है संगीता मामी,,,

(अनिल की बीवी संगीता एक कदम चलते हुए बोली)

दैयारे तूने कैसा हालत कर दिया है ठीक से चला भी नहीं जा रहा है,,,


कोई बात नहीं संगीता मामी मैं तुम्हें अपनी गोद में उठा कर ले जाऊंगा,,,।

उठा लोगे मुझे,,,

हां क्यों नहीं एकदम आराम से,,,

अरे रहने दो बबुआ कमर की नस खिंचा गई तो हमें ही दोष देते रहोगे,,,,

अरे कुछ नहीं संगीता मामी मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है बड़े आराम से तुम्हें उठा दूंगा तुम्हें एक कदम भी चलने की जरूरत नहीं है,,,,।

(सुरज की बातों को सुनकर अनिल की बीवी संगीता को मजा आ रहा था और वह भी अंदर से यही चाह रही थी कि सुरज से अपनी गोद में उठाकर अंदर तक ले जाए और इसी बहाने वह उसकी बाहों की भी ताकत को देख लेना चाहती थी अब तक तो अंदरूनी ताकत से वह पूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी,,,, वह अभी बोल ही रही थी कि सुरज आगे बढ़ा और एक झटके से उसे अपनी गोद में उठा लिया वह इतनी आराम से और इतनी जल्दबाजी में उठाया था कि इस बात का आभास अनिल की बीवी संगीता को बिल्कुल भी नहीं हुआ और एकदम से वह चौक गई,,

अरे अरे संभाल कर संभाल कर बबुआ,,,,,


कोई बात नहीं मेरी जान तुम तो मुझे एकदम रुई जैसी हल्की लग रही हो,,,


क्या हम एकदम रुई की तरह है बिल्कुल भी वजन हमारा नहीं है,,,,


होगा दूसरों के लिए लेकिन मेरे लिए तो तुम एकदम गुलाब का फूल हो,,(सुरज कि इस तरह के चिकनी चुपड़ी बातें सुनकर अनिल की बीवी संगीता शर्मा गई,,,, और सुरज मुस्कुराते हुए,,, उसे गोद में उठाए हुए थोड़ा सा नीचे झुका और लालटेन को अपने हाथ में ले लिया और एक हाथ में डंडे को ले लिया लेकिन फिर भी वह बड़े आराम से अनिल की बीवी संगीता को उठाए हुए था,,, अनिल की बीवी संगीता का खूबसूरत बदन एकदम नरम नरम मखमल की तरह था,,, जिसे अपनी गोद में उठाए हुए सुरज के तन बदन में हलचल सी मच रही थी,,, चुदाई करने के बाद थोड़ा सा ढीला होकर सुरज का लंड अनिल की बीवी संगीता की बुर में से बाहर निकला था लेकिन उसे गोद में उठाते ही एक बार फिर से उसके लंड में जाना गई थी और फिर से एकदम कड़क हो गया था जो कि अनिल की बीवी संगीता को उसकी कमर पर रगडता हुआ महसूस हो रहा था,,,लंड की रगड़ अपनी कमर और पीठ पर महसूस करते हैं अनिल की बीवी संगीता के तन बदन में उत्साह फैलने लगा,,,, और वह बोली,,,।

बबुआ तुम्हारा तो अभी भी खडा है,,,।

तो क्या संगीता मामी रात भर अगर तुम्हें पेलु फिर भी यह ढीला नहीं होगा,,, और अनिल मामा का,,,


उनका तो तुरंत ढीला हो जाता है,,,


तभी तो मेरी जान इतनी खूबसूरत होने के बावजूद भी चुदाई का मजा नहीं ले पाई थी,,,


तुम सच कह रहे हो बबुआ,,,,।
(अनिल की बीवी संगीत हैरान थी सुरज की ताकत को देखकर वह बड़े आराम से उसे गोद में उठाए चल रहा था और अभी भी उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,,,,,जबकि उसके पति का लंड तो थोड़ी ही देर में टांय टायं फिश हो जाता था,,, देखते ही देखते सुरज घर में प्रवेश किया और उसे खटिया पर पीठ के बल लिटा दीया,,,,,, अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी पहली बार उसे चुदाई का असली सुख प्राप्त हो रहा था,,,,
इसलिए उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही थी कि पास में ही खटिया पर उसका पति नशे की हालत में बेहोश पड़ा था और उसके नशे में होने का पूरा फायदा उठाते हुए वह एक अनजान जवान लड़के से संभोग का चरम सुख प्राप्त कर रही थी,,,,,, सुरज भी खटिया पर बैठ गया,,,और अनिल की बीवी संगीता पीठ के बल लेटे हुए थी,,, सुरज चुटकी लेने के उद्देश्य से पास में ही सोए अनिल को बोला,,,।


अरे मामा कैसे नशे की हालत में रहोगे तो कोई घर का खजाना लूट जाएगा,,, जैसे मैं लूट रहा हूं,,,।
( उसकी बातों को सुनकर उसकी बीवी के चेहरे पर मुस्कान तेरी लगी,,,, अगर और कोई समय होता है तो शायद वह सुरज की आवाज सुनकर उसके पति के उठने का डर होता है लेकिन वह जानती थी कि सुबह से पहले बिना उसके जगाए,, वह उठने वाला नहीं था इसलिए वह अपने पति की तरफ से पूरी तरह से निश्चिंत थी,,,, दोनों के बीच इसी तरह से वार्तालाप शुरू हो गई,,,, सुबह के ४:०० बजने में तकरीबन १ घंटा रहेगा तब सुरज फिर से अनिल की बीवी संगीता के साथ चुदाई का मजा लूटना चाहता था हालांकि उसे भी नींद नहीं आ रही थी वह भी सुरज से बात कर रही थी और एक बार फिर से सुरज का लंड लेने के लिए तड़प रही थी सुरज उसकी मांसल जांघों को धीरे धीरे सहला रहा था,,,,,, और उसकी बुर की दरार पर अपनी उंगली को फिराते हुए बोला,,,।)


क्यों संगीता मामी एक बार और हो जाए,,,, सुबह होने वाली जाते जाते एक बार और दे दो तो मजा आ जाए,,,,।


बाप रे तुम्हारा मन अभी भरा नहीं,,,


क्या करूं मेरी जान तुम चीज ही हो ऐसी की,,,, एक रात में पूरी तरह से मन भरने वाला नहीं है,,,,


तब मैं क्या करूं बोलो,,,,(अनिल की बीवी संगीता की यह बात उसकी सहमति दर्शा रही थी क्योंकि वह भी फिर से चुदवाना चाहती थी,,,,)

तुम्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है संगीता मामी,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज एक बार फिर से अनिल की बीवी संगीता पर एक नया आसन आजमाते हुए उसके कंधों के इर्द-गिर्द अपना घुटना रखकर उसकी दोनों टांगों के बीच झुकने लगा,,,और अगले ही पल में उसकी बुर पर अपने होंठ रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, सुरज का लंड बार-बार कभी उसके गालों पर तो कभी उसके होठों पर रगड़ खा जा रहा था,,,सुरज चाहता था कि उसका लंड अनिल की बीवी संगीता अपने मुंह में लेकर जी भर कर चूसे और वो जानता था कि यह जब संगीता मामी करेगी तब पूरी तरह से मस्तीया जाएगी तभी वह ऐसा करेगी इसलिए सुरज भी उसे मस्ती के सागर में उतारने की पूरी कोशिश कर रहा था उसकी बुर को लपालप चाट रहा था जिससे अनिल की बीवी संगीता के सब्र का बांध टूटता जा रहा था बार-बार अपने होठों पर लंड के गरम सुपाड़े का स्पर्श महसूस करके वह पूरी तरह से पानी-पानी हुए जा रही थी,,, आखिरकार अनिल की बीवी संगीता को तड़पाने की सुरज की हिम्मत रंग लाई और का अपनी जीभ को बाहर निकाल कर उसके लंड के सुपाड़े को चाटने लगी,,, सुरज मन ही मन खुश हो रहा था और अगले ही पल अपने हाथ में लेकर बड़ी मस्ती के साथ सुरज के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दीया अनिल की बीवी संगीता की तरफ से हिसाब बराबर कर देने वाली हरकत है जिस तरह की हरकत सुरज उसकी बुर के साथ कर रहा था वही हरकत अनिल की बीवी संगीता उसके लंड के साथ कर रही थी दोनों पूरी तरह से मस्त हुए जा रहे थे,,, सुरज उत्तेजित अवस्था में अपने दोनों हाथ से उसकी गांड पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठाकर उसकी बुर को चाट रहा था तभी उसकी नजर उसके भूरे रंग के छेद पर गई और वह उसे चेहरे पर अपनी उंगली का पोर रखकर हल्के हल्के सहलाने लगा,,, सुरज की यह हरकत अनिल की बीवी संगीता के तन बदन में आग लगा रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था और वह कसमसा रही थी,,,,,,।

सुरज अपनी हरकत को बढ़ा रहा था अपने मन में सोच रहा था कि बिना आज गांड मारने का उद्घाटन अनिल की बीवी संगीता के साथ ही किया जाए इसलिए वह अपनी उंगली को छोटे से छेद में डालने की कोशिश करने लगा जो की बुर के काम रस से पूरी तरह से गिली चुकी थी,,,,, लेकिन गांड का छेद इतना छोटा था कि उसकी बीच वाली उंगली भी अंदर की तरफ बराबर नहीं जा रही थी और वह जबरदस्ती डालने की कोशिश करता तो अनिल की बीवी संगीता दर्द से कराहने लगती,,, एकाएक सुरज अपनी आखिरी उंगली उसकी गांड के छेद में डाल दिया तो दर्द के मारे अनिल की बीवी संगीता बिलबिला उठी और दर्द से कराहते हुए बोली,,,।)


यह क्या कर रहे हो बबुआ निकालो जल्दी से मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,

रुको ना संगीता मामी बहुत मजा आ रहा है,,,


अरे तुम्हे मजा आ रहा है ना लेकिन मुझे नहीं आ रहा है मुझे तो दर्द हो रहा है,, जल्दी निकालो,,,,(वह पीछे की तरफ अपना हाथ ना कर सुरज के हाथ को पकड़ने की कोशिश करने लगी और सुरज भी समझ गया था कि छोटे से छेद में उसका मोटा लंड जाने वाला नहीं है अगर वह मनमानी करेगा तो एक खूबसूरत जुगाड़ उसके हाथों से ज्यादा रहेगा इसलिए वह मनमानी करने के फिराक में बिल्कुल भी नहीं था और अपनी उंगली को बाहर निकाल लिया,,, और वापस अपना सारा ध्यान अनिल की बीवी संगीता की गुलाबी छेद पर केंद्रित कर दिया,,, एक बार फिर से अनिल की बीवी संगीता जवानी की मस्ती में हिलोरे मारने लगी,, थोड़ी ही देर में हथोड़ा पूरी तरह से गर्म हो चुका था और उन दोनों का तीसरी पारी शुरू होने वाली थी,,,,।

बस डाल दो मेरे सुरज राजा अपना लंड मेरी बुर में,,,।
(इसी के साथ अनिल की बीवी संगीता का शर्म और लिहाज दोनों करने लगी,,, सुरज समझ गया था कि लोहा गर्म हो चुका है और उस पर हथौड़ी का वार करना उचित है इसलिए तुरंत सुरज उसके ऊपर से उठ कर उसकी दोनों टांगों के बीच में का बना दिया और अगले ही पल उसका मोटा तगड़ा लंड एक बार फिर से अनिल की बीवी संगीता की बुर की गहराई नापने लगा,,, दो बार चढ़ने के बाद सुरज अच्छी तरह से जानता था कि इस बार उसका पानी जल्दी निकलने वाला नहीं है इसलिए वह,,, पहले धक्के के साथ ही अपनी रफ्तार को तेज कर दिया था,,,हर धक्के के साथ अनिल की बीवी संगीता स्वर्ग का आनंद लूट रही हो इस तरह का अनुभव कर रही थी,,, यह चुदाई सुरज के मुताबिक बहुत लंबी चली और चार बजने के १०-१५ मिनट पहले ही वह अनिल की बीवी संगीता को झाड़ने के बाद खुद भी झड़ गया,,,, और उसके ऊपर लेट कर हांफने लगा,,,।

सुरज ने अनिल की बीवी संगीता के साथ अद्भुत संभोग कलाकृति का नमूना पेश किया था जिसमें वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी और ऐसी खुशी ऐसा सुकून से पहले कभी नहीं मिला था इसलिए भाव विभोर होकर वह सुरज को अपने गले से लगा ली थी,,,,।

थोड़ी देर बाद सुरज उठा और अपने कपड़े पहनने लगा अभी भी अंधेरा था लेकिन सुबह होने वाली थी,,, आज की रात उसकी जिंदगी की यादगार रात बन गई थी अनजाने में ही अनिल की बीवी संगीता जो उसी रात गुजारने के लिए मिल गई थी,,,, अनिल की बीवी संगीता भी खटिया पर से उठी और अपने कपड़े जो कि बिखरे पड़े थे उसे उठाकर पहनने लगी,,,, जाते-जाते सुरज उसे अपनी बाहों में भर कर उसका लाल-लाल होठों का चुंबन लेते गया,,,अनिल की बीवी संगीता उसे दरवाजे तक छोड़ने आई और जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गया तब तक वह दरवाजे पर खड़ी रही,,,।

दूसरी तरफ रविकुमार भी अपनी बहन मंजू की रात भर चुदाई करके तृप्त हो चुका था और बड़े सवेरे ही अपने कमरे में से निकल कर वापस बगल वाले कमरे में अपनी बीवी के पास जाकर सो गया था ताकि उसे बिल्कुल भी शक ना हो,,,,, रविकुमार का अपने भांजे को भी बैलगाड़ी चलाना सिखा ना सफल हो गया था और यह बात सुरज पर भी जनता था क्योंकि अगर वह बैल गाड़ी चलाना ना सिकता तो उसे उसके मामाजी अनिल को घर छोड़ने के लिए नहीं बोलते और उसे अनिल की खूबसूरत बीवी चोदने को ना मिलती और अगर सुरज बेल चलाना नासिका होता तो आज रविकुमार को भी है सुनहरा मौका नहीं मिलता रात भर मंजू की चुदाई करने का,,,।
 
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दोनों मामा भांजे ने अलग-अलग जगह पर अपने संभोग की अद्भुत कार्य शैली का नजारा पेश किया था रविकुमार ने अपनी छोटी बहन के साथ अद्भुत चुदाई का खेल खेला था,,, आज पहली बार मंजू अपने भाई से गांड मराई का अद्भुत सुख प्राप्त की थी,,, और अपने भतीजे सूरज के लिए एक और काम लीला का द्वार खोल दी थी,,, दूसरी तरफ सूरज अनिल की बीवी संगीता के साथ बहुत ही मदहोशी भरा गरमा गरम समय गुजारा था,,,,

एक नई और खूबसूरत है बुर की चुदाई करके सूरज बहुत खुश नजर आ रहा था उसे अपने मामाजी के निर्णय पर गर्व हो रहा था कि जो उन्होंने उसे अनिल को उसके घर सही सलामत पहुंचाने का जिम्मा दे दिया था,,,और अनिल के घर पर पहुंचकर उसके सर पर एक नई जिम्मेदारी आ गई थी जिसे वह खुशी-खुशी स्वीकार कर चुका था,,,,,,,


मंजू अपने दूसरे छेद में अपने भाई के लंड को लेकर पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, हालांकि वह पहली बार अपने भतीजे के लंड की अपनी गांड के छेद में प्रवेश कराना चाहती थी लेकिन अपनी सहेली की बात सुनकर वह घबरा गई थी क्योंकि उसके भतीजे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था,,, जिसे वह अपने सहेली के बताए अनुसार आराम से अपनी गांड के छेद में लेकर गांड नहीं मरा सकती थी,,, लेकिन उसका बड़ा भाई रविकुमार इस काम में पूरी कहां से माहीर था क्योंकि वह सूरज के मुंह से सुन चुकी थी कि उसका बड़ा भाई उसकी भाभी की गांड मारता है इसलिए वह अपने इस छोटे से छेद को एक होनहार और अनुभव से भरे हुए इंसान के हाथों में देकर अपना उतार करा देना चाहती थी इसीलिए वह अपने छोटे से छेद पर पहला अधिकार अपने बड़े भाई रविकुमार को प्रदान की थी जिसका वह सही इस्तेमाल करते हुए जिंदगी में पहली बार मंजू की गांड मारकर उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति कराया था,,,जिसे मंजू थोड़ी बहुत दिक्कत के साथ अंदर तक ले ली थी और उसके बाद तो आनंद के सागर में गोते लगाने लगी थी अब उसका आत्मविश्वास बढ़ चुका था कि अब वह बड़े आराम से अपने भतीजे के मोटे लंबे लंड को अपनी गांड के छेद में लेकर उससे गांड मराई का अद्भुत सुख प्राप्त करेगी,,,,,,,।


धीरे-धीरे दिन गुजर रहा था,,, शुभम अपनी मां की बेवफाई से हताश और निराश हो चुका था क्योंकि उसे अपने आप पर अपनी मां पर पूरा भरोसा था कि वह अपनी इज्जत किसी दूसरे के हांथो लूटने नहीं देगीऔर इसका वह सीना ठोक कर दावा करता था कि उसकी मां किसी और लड़के से नहीं चुदवाएगी,,, लेकिन उसके इस दावे की हवा सूरज निकाल चुका था अपनी अद्भुत और जालसाजी बातों में शुभमकी मां को फंसा कर,,,और अपने मोटे तगड़े मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के दर्शन करा कर,,,, इतना तो शुभम अच्छी तरह से जानता था कि सूरज का लंड अद्भुत ताकत के साथ साथ अद्भुत लंबाई लिए हुए भी है अगर किसी लड़की या औरत ने खुली आंखों से उसके लंड के दर्शन कर लिए तब उसे अपनी बुर में लिए बिना नहीं मानेगी,,, और उसका यह ख्याल अपनी मां के प्रति भी था लेकिन अपनी मां की हरकत और उसकी जरूरत को देखते हुए शुभम के अरमान चकनाचूर हो चुके थे,,,,वह कुछ भी देख सकता था लेकिन अपने ही आंखों के सामने अपनी मां को किसी और लड़के से बल्कि अपने ही दोस्त के साथ चुदवाते हुए नहीं देख सकता था,,,,लेकिन वक्त और हालात ने उसके हाथ बांध रखे थे वरना वह कभी भी अपनी आंखों के सामने सूरज को अपनी मां चोदने नहीं देता लेकिन सूरज ने उन दोनों को अपनी आंखों से चुदाई का अद्भुत खेल खेलता हुआ देख लिया था और उसी की दुहाई देकर वह उसकी मां के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था,,,,,,, शुभम इस वाकए से अपनी ही नजरों में गिर चुका था,,, सूरज से नजर मिलाने की हिम्मत उसकी नहीं होती थी इसलिए वह जा सूरज होता था वहां नहीं जाता था,,, यहां तक कि अब कजरी से पढ़ने के लिए भी नहीं जाता था,,,,, सूरज भी हैरान था कि शुभम से बहुत दिन हो गए मुलाकात नहीं हुई क्योंकि सूरज उसे उसकी मां के साथ बिताए हुए पल के बारे में एक एक शब्द उसे बताना चाहता था ,,, और उसे अपनी ही नजरों में गिर आना चाहता था क्योंकि इससे पहले वाह सूरज के साथ बहुत बदतमीजी कर चुका था,,, उसके परिवार के बारे में


बहुत गंदी गंदी बातें करके उसे चिड़ाता था लेकिन अब हालात बदल चुके थे वक्त की कमान अब उसके हाथों में आ चुकी थी किसी भी सूरत में वह शुभम को अपने ऊपर हावी होने देना नहीं चाहता था,,,,,,,, सूरज का भी मन गांड मारने के लिए तरस रहा था और वह जानता था कि कोई उम्रदराज औरत ही उसे उसकी गांड का वह बेशकीमती छेद देगी जिससे वह तृप्त हो जाएगा,,,,।

ऐसे ही एक दिन उसकी मुलाकात शुभम से हो गई वह खेतों से सुखी काकड़िया बटोर कर अपने सर पर रख कर घर की तरफ जा रहा था तो रास्ते में ही शुभम उसके पीछे लगभग दौड़ता हुआ आया और उसे रोकता हुआ बोला,,,,,,।

अरे अरे शुभम रुक तो सही कहां चला जा रहा है,,,,,(ठीक उसके आगे आकर खड़ा होता हुआ सूरज बोला)


घर जा रहा हूं और कहां जाऊंगा,,,,(मुंह बनाते हुए शुभम बोला)


अरे मेरे दोस्त चले जाना लेकिन उस दिन के बाद तो तु दिखाई ही नहीं दिया,,, मुझे लगा कि कहीं अपने मामा मामी के वहां तो नहीं चला गया,,,,


क्यों मैं क्यों जाऊंगा,,,?


अरे मुझे लगा कि अपनी आंखों के सामने अपनी मां को चुदवाते हुए देखकर तुझसे सहन नहीं हुआ और तु मुझसे नजर तक नहीं मिला सकने की स्थिति में अपने मामा मामी के घर चला गया होगा,,,,,,
(सूरज की बातें सुनकर शुभम को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह उसका कुछ कर नहीं पाता इतना व जानता था इसलिए सब कुछ शांत होकर सुनता रहा और सूरज की बात सुनकर बोला,,,)



सूरज तो अच्छी तरह से जानता है कि तो मेरी मजबूरी का फायदा उठा रहा है वरना मैं तेरा मुंह तोड़ दिया होता,,,


अरे यार यह तो वक्त वक्त की बात है पहले तो मुझे बहुत कुछ कहा करता था और मैं सुना करता था लेकिन आज वक्त बदल गया है मैं तुझे कुछ भी कह सकता हूं लेकिन तू सुनने के सिवा और कुछ नहीं कर सकता,,,।


चल रहने दे मुझे जाने दे देर हो रही है,,,,


अरे यार कहां देर हो रही है अभी तो बहुत समय है चल थोड़ी देर बात करते हैं तेरा भी फायदा हो जाएगा,,,


देख मुझे तुझसे किसी भी विषय पर बात नहीं करना है मुझे जाने दे,,,,


अरे यार तुम तो नाराज होता है देखा नहीं उस दिन तेरी मां मंगलदेवी भी कितनी नाराज थी लेकिन कैसे मेरा लंड देखकर एकदम शांत हो गई,,,,,(सूरज की आवाज सुनकर शुभम को अपनी मां पर गुस्सा आने लगा,,,और सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच कहूं तो तेरी मां मंगलदेवी को चोदने के लिए मेरे जैसा लंड चाहिए था,,,, देखा नहीं कितनी मस्ती के साथ तेरी मां मंगलदेवी मेरे लंड को अपनी बुर में ले रही थी,,,,।

(इस तरह की गंदी बातें सूरज के मुंह से सुनकर शुभम तिल मिला जा रहा था,,,गांव में उससे इस था कि बात करने वाला आज तक कोई पैदा नहीं हुआ था लेकिन सूरज के मामले में बात बिगड़ गई थी इसलिए शुभम सिर्फ सुन रहा था और अपनी मां पर गुस्सा भी कर रहा था कि कैसे लंड देखकर उसकी मां फिसल गई,,,,)

देख सुरज मुझे कुछ नहीं सुनना है मुझे जाने दे,,,,।


ऐसे नहीं जाने दूंगा पहले उस दिन की कहानी तो सुन ले,,,


सुनने के लिए कुछ नहीं बचा है सूरज जो कुछ भी हो रहा था मैं अपनी आंखों से देखा था,,,,


देखा था तब तो तुझे भी मजा आ रहा होगा ना देखा नहीं कैसे तेरी मां मंगलदेवी घुटनों के बल बैठकर मेरे मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी,,, सच में तेरी मां मंगलदेवी को बहुत मजा आ रहा था मुझे तेरी मां मंगलदेवी के चेहरे को देखकर अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि वह कितना खुश थी,,, और मुझे लगता नहीं है कि आज तक तेरी मां मंगलदेवी ने तेरे लंड को मुंह में लेकर इस तरह से चूसी होगी,,,, क्यों सही कह रहा हूं ना,,,,।


क्यों तेरे लंड में कुछ ज्यादा ही दम है जो ईस तरह की बातें कर रहा है,,,,


देखकर तो यही लगता है अगर तेरे लंड मैं ज्यादा जान होता तो उस दिन तेरी मां मंगलदेवी मुझसे चुदवाती नहीं,,,,,,,


बस कर सूरज उस दिन की बातें दौहरा कर मुझे जलील मत कर,,,,।


अरे यार तो क्या हो गया इसमें जलील होने वाली बात कौन सी है यह राज तो हम दोनों के बीच है और राज ही रहेगा तु इत्मीनान रख,,,, हम दोनों के बीच जो भी सोता हुआ था उस बारे में किसी को कानों कान तक खबर नहीं पड़ेगी यहां तक कि तेरी मां मंगलदेवी को भी इस बारे में भनक तक नहीं लगेगी कि मैं जो कुछ भी तेरी मां मंगलदेवी के साथ किया उसके बारे में कुछ पता था और तू अपनी आंखों से चोरी चुके सब कुछ देख रहा था,,,,,,,


अच्छा एक बात बता तू यह सब बातें मुझसे बोल कर जताना क्या चाहता है,,,,तूने जो शर्त रखा था वह शर्त पूरी हो गई है ,,,,तू मेरी मां को चोदना चाहता था और उसे चोद भी दिया अब हम दोनों का रास्ता अलग है,,,,,,, अब ना मैं तेरे रास्ते आऊंगा और ना तू मेरे रास्ते,,,।



ऐसा कैसे हो सकता है मेरे दोस्त अब तो मुझे तेरी मां मंगलदेवी की बुर का स्वाद मुंह लग गया है,,, सच कहूं तो मेरे दोस्त तेरी मां मंगलदेवी की बुर बहुत रसीली है,,, अब तो मेरा दिल आ गया है तेरी मां मंगलदेवी की बुर पर बिना तेरी मां मंगलदेवी की बुर चोदे मुझे चैन नहीं आएगा,,,,।



नहीं,,,, अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता,,,,(शुभम गुस्से में बोला)


क्यों नहीं हो सकता एक बार हो गया है तो बार-बार होगा अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं सबको बता दूंगा कि तू अपनी मां को चोदता है,,,


सूरज,,,,(गुस्से में) तू जो कह रहा है बिल्कुल गलत है दोनों के बीच इस बात को लेकर समाधान हुआ था तू अपनी मनमानी कर चुका है अब ऐसा नहीं कर सकता,,,,


हां बात तो सही है हम दोनों के बीच समाधान हुआ था लेकिन तब मैं नहीं जानता था कि तेरी मां मंगलदेवी इतनी मस्त है,,, मुझे लगा था एक बार डाल कर निकाल लूंगा बस हो गया लेकिन अब तो मेरा मन नहीं मानता दिन रात मेरी आंखों के सामने तेरी मां मंगलदेवी का नंगा बदन नाचता रहता है तेरी मां मंगलदेवी की बड़ी-बड़ी चूचियां,,, बड़ी-बड़ी गांड,,, और बेहद हसीन बुर आज की ऐसा लगता है कि तेरी मां मंगलदेवी एकदम नौजवान औरत हो इस कदर उसने अपनी बुर की देखभाल करके रखी है,,,,।
(सूरज की बातें सुनकर शुभम को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों सूरज की बातों में उसे अपनी मां की खूबसूरती का वर्णन के साथ-साथ तारीफ भी नजर आ रही थी और यह एहसास शुभमके तन बदन में भी अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था लेकिन फिर भी वह नहीं चाहता था कि जो कुछ भी पहली बार हुआ वही दोबारा हो इसलिए वो सूरज को समझाने की पूरी कोशिश कर रहा था हालांकि वह इस बात से अनजान बिल्कुल भी नहीं था कि सूरज जब चाहे तब इसकी मां की चुदाई कर सकता है क्योंकि अब वह गले की हड्डी जो बन चुका था,,,)


सूरज मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं,,,, आप आइंदा मेरी मां के बारे में इस तरह की बातें मत करना और ना ही दोबारा उसके साथ कुछ करने की कोशिश करना इसी में हम दोनों की भलाई है,,,।


इसमें भलाई नहीं है मेरे भाई बनाई तो हम दोनों की इसमें है कि हम दोनों समझदारी से आगे बढ़े देख मैं तेरी मां मंगलदेवी का दीवाना हो गया हूं और तेरी मां मंगलदेवी भी जहां तक मेरे लंड की दीवानी हो चुकी है और ना देखा नहीं कैसे जोर-जोर से मेरे लंड पर कूद रही थी,,,अगर उसे जरा भी अहसास होता जरा भी शर्म होती तो क्या हुआ एक अनजान लड़के और वो भी अपने ही बेटे के दोस्त के साथ इस तरह से रंगरेलियां मनाती,,, नहीं ना,,, तेरी मां मंगलदेवी को भी मजा आ रहा है मुझे भी मजा आ रहा है और तू भी मजा ले,,,,।


सूरज तू चुप हो जा मुझसे इस तरह की बातें बर्दाश्त नहीं हो रही है,,,


अच्छा अब बर्दाश्त नहीं हो रही है लेकिन उस दिन जो कुछ भी तो अपनी आंखों से देख रहा था वह सब बर्दाश्त हो रहा था अगर बर्दाश्त नहीं होता तो वही बीच में तो कूद पड़ता है और मुझे रोक लेता लेकिन ऐसा तूने भी नहीं किया क्योंकि तुझे भी देखना था कि तेरी मां मंगलदेवी क्या करवाती है,,, और तुझे भी अच्छा लग रहा था अपनी आंखों से यह देखना कि तेरी मां मंगलदेवी तेरे ही दोस्त के साथ कैसे चुदाई का मजा लूटती है,,,,।
कसम से शुभम तेरी मां मंगलदेवी की बुर में लगाया गया मेरा हर एक धक्का मुझे स्वर्ग का सुख दे रहा था इतना मजा तो एक जवान लड़की को चोदने में नहीं आता जितना मजा तेरी मां मंगलदेवी को चोदने में आ रहा था,,,, तेरी मां मंगलदेवी इस उम्र में भी बहुत खूबसूरत है और जवानी तो उसमें कूट-कूट कर भरी हुई है,,,, कसम से तेरी मां मंगलदेवी को चोदने में बहुत मजा आता है और तभी तो तू बाहर मुंह मारने की जगह अपनी मां की दो टांगों के बीच अपना मुंह छुपा कर बैठा है तुझे भी बहुत मजा आता है ना,,,।
(सूरज जानबूझ कर उसे इस तरह की बातें करके उसे उकसा रहा था वह अपनी पिछले दिनों का बदला लेना चाहता था,,, और उसे शुभम से इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था,,,और वहां यह बात अच्छी तरह से जानता था कि वह कुछ भी बोले शुभम उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि शुभम पूरी तरह से उसकी गिरफ्त में आ चुका था,,,)


देख रहा हूं मुझे तेरी अब कोई भी बात नहीं सुनना मैं जा रहा हूं मुझे बहुत देर हो रही है इतना कहने के साथ ही वह चलने लगा तो फिर से उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए सुरज बोला,,,,,,।


सुन तो सही बस मैं तुझसे यह बात कहना चाहता हूं कि कभी अपनी मां की गांड मारा है,,,,।
(इतना सुनते ही शुभम एकदम से सन्न रह गया वह कभी इस बारे में सोचा भी नहीं था इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाया तो सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

सोच कह रहा है बताना कभी तो तेरा ही मन डोला होगा अपनी मां की गुलाबी छेद के साथ-साथ उसका छोटा सा छेद देखकर उस में डालने का मन तो किया होगा,,,।
(अपनी मां की गांड के छोटे से छेद के बारे में सूरज के मुंह से सुन कर शुभम का दिमाग काम करना बंद कर दिया वो एकदम से विचार मगन हो गया था,,,, और कुछ देर तक सोचने के बाद वह लगभग हक लाते हुए बोला,,,)

न,,,,,नहीं,,,,, मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा,,,


अरे कभी तो सोचा होगा,,,


नहीं नहीं कभी नहीं सोचा,,,।


अरे मेरे दोस्त तू अपनी मां को उसके सारे कपड़े उतार कर अपने हाथों से ही नंगी करता था ना,,,,

हां,,,,, लेकिन कभी-कभी इसकी जरूरत नहीं पड़ती थी,,,, बस साड़ी उठाकर,,,,(सूरज की चिकनी चुपड़ी बातों में शुभम भी आ चुका था इसलिए वह उसकी बातों का जवाब देने लगा था अपनी मां की गांड की छोटे से छेद के बारे में सोचकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी)


अरे वह तो मैं जानता हूं लेकिन नंगी करने के बाद तु उसकी बुर तो चाटता होगा ना,,,,।


नहीं मैंने कभी ऐसा नहीं किया,,,।

पागल,,,(गुस्से में शुभम की तरफ देखते हुए) तब तूने क्या किया अरे पागल औरत की बुर नहीं चाटा तो क्या चाटा,,, तभी तो मैं सोचूं तेरी मां मंगलदेवी की बुर पर अपने होठ रखते ही कैसे तेरी मां मंगलदेवी तीलमीला गई थी,,, एकदम मस्त हो गई थी एकदम पागल हो गई थी असली सुख तो तू अपनी मां को देता ही नहीं था,,,,,(शायद इस बात का एहसास शुभम को भी हो रहा था क्योंकि उसने भी अपनी आंखों से देखा था जैसे ही सूरज ने अपने होठों को उसकी मां की बुर पर रखा था वैसे ही उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो गई थी) और तभी मेरे भाई मेरी नजर तेरी मां मंगलदेवी की गांड के छोटे से छत पर गई थी और उस पर नजर पड़ते ही मेरी तो हालत खराब हो गई थी,,,, मैं तो तभी तेरी मां मंगलदेवी की गांड मार लेना चाहता था लेकिन मुझे इस बात का डर था कि कहीं तेरी मां मंगलदेवी इंकार कर दी तू और अगर तू पहले अपनी मां की गांड मारा होगा तो जरूर तेरी मां मंगलदेवी मुझे भी मारने देगी,,, क्या तूने अपनी मां की गांड मारा है,,,।

(सूरज की बातें सुनकर शुभम तो एकदम स्तब्ध रह गया था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने की उत्तेजना की खुमारी उसके तन बदन को अपनी आगोश में ले रही थी जिसका असर उसके पजामे में हो रहा था उसमें तंबू सा बन गया था जो कि सूरज की नजरों से बच नहीं सका था सूरज को उसकी हालत देखकर मजा आने लगा था और उसे अपना काम बनता भी नजर आ रहा था,,, शुभम कुछ बोल नहीं पाया बस ना मे सिर हिला दिया,,,)

बस इसी बात का तो मुझे डर था अगर तू पहले अपनी मां की गांड मारा होता तो आराम से तेरी मां मंगलदेवी मेरा लंड अपनी गांड में ले लेती,,,लेकिन तू तो जानता ही है मेरा लंड कितना मोटा है और तेरी मां मंगलदेवी की गांड का छेद बहुत छोटा है,,,।

तो,,,,(शुभम आश्चर्य से अपनी आंखें फाड़े बोला)


तो क्या,,,, तेरी मां मंगलदेवी की गांड मारने में मजा तो बहुत आएगा लेकिन उसे तैयार करना पड़ेगा अगर तू हां कह दे तो,,, अगर ना कहेगा तो भी मैं,,,तेरी मां मंगलदेवी की बार जरूर गांड मारूंगा क्योंकि मेरा दिल तेरी मां मंगलदेवी की गांड पर आ गया है मैं तो यह सोच रहा था कि अगर मैं तेरी मां मंगलदेवी की गांड मारो तो तुझे भी यह सुख दु तुझे भी मजा आएगा,,,, और तुझसे तो तेरी मां मंगलदेवी गांड मरवाने से रहीं,,,, क्योंकि तूने तो अब तक अपनी मां के साथ असली चुदाई का खेल खेला ही नहीं है बस अपनी प्यास बुझा जाए अपनी मां के बारे में जरा भी ध्यान नहीं दिया अगर तू मेरा साथ दे तो हम दोनों को यह सुख प्राप्त हो सकता है,,,,।


(सूरज की बातें सुनकर शुभम सोच में पड़ गया था अब तक वह सूरज पर गुस्सा करता था लेकिन गांड मारने वाली बात से उसके तन बदन में भी आग लगने लगी थी वह भी उस सुख को पाने के लिए उत्सुक हो गया था,,,,और सूरज को इस बात का अंदाजा लग गया था कि शुभम उसकी बातों में पूरी तरह से आ चुका है,,, इसलिए सूरज अपना आखिरी दांव आजमाता हुआ बोला,,,)

देख इंकार मत करना मैं जानता हूं कि तेरा भी मन अपनी मां की गांड मारने को कर रहा है तभी तो तेरा लंड खड़ा हो गया है,,,(सूरज की बात सुनते ही शुभम की नजर अपने पजामे पर गई तो वह शर्मा गया,,,,और सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) देख इसमें कोई हर्ज नहीं है पूरे गांव में सिर्फ मैं ही जानता हूं कि तू अपनी मां की चुदाई करता है और यह बता तू ही जानता है कि मैं भी तेरी मां मंगलदेवी को चोद चुका हूं इसलिए हम दोनों के बीच किसी भी प्रकार का राज नहीं है अगर तू साथ दे तो हम दोनों मिलकर तेरी मां मंगलदेवी की गांड मार सकते हैं और एक अद्भुत सुख को प्राप्त कर सकते हैं और तेरी मां मंगलदेवी को भी मस्त कर सकते हैं इस बारे में गांव मे किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी,,, क्या बोलता है,,,,।

(सूरज की बातें सुनकर शुभमकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह उत्तेजित वादा रहा था इस ख्याल को अंजाम तक पहुंचता हुआ देखकर वह मन ही मन ना जाने कैसे-कैसे कल्पना करने लगा था,,,, और उत्तेजना के मारे कांपते स्वर में बोला,,,)

पर होगा कैसे,,,,?


बस मेरे दोस्त मैं यही सुनना चाहता था तू सब कुछ मुझ पर छोड़ दे मैं सब कुछ इंतजाम कर दूंगा और तेरी मां मंगलदेवी को इस बारे में पता भी नहीं चलेगा कि हम दोनों पहले से ही इस बारे में बात कर चुके हैं,,,,।

(शुभम मुस्कुराया और अपने घर की तरफ चल दिया,,, क्या देखकर सूरज भी खुश हो गया क्योंकि उसका काम बन चुका था,,,, बस अपनी युक्ति को अंजाम तक ले जाना था,,,)
 
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सुरज ने अपने मन की बात शुभम के कानों और दिलों दिमाग में भर दिया था,,,,, शुभम जो अभी तक सुरज ने जो उसके साथ किया था उसकी मां के साथ जिस तरह से उसकी आंखों के सामने शारीरिक संबंध बनाया था उसे लेकर उससे नाराज था,,, शुभम कभी नहीं चाह रहा था कि कोई और उसकी मां की चुदाई करें खास करके उसके उम्र के दोस्त लोग लेकिन उसके सोच के मुताबिक सब कुछ उल्टा सा हो गया था अगर उसकी थोड़ी सी लापरवाही ना हुई होती तो सुरज इस कदर उसके सर पर चढ़कर बोलना रहा होता उस दिन के लिए तो शुभम खुद अपने आप को ही कोश रहा थां,, की कास उसने दरवाजा बंद कर दिया होता तो यह सब नहीं होता,,, और उसकी मां का नया रूप देखने को नहीं मिलता जो कि उस दिन उसकी सोच के विपरीत ही उसकी मां सुरज के लंड को देखकर पूरी तरह से ललायित हो गई थी उसे अपनी बुर में लेने के लिए,,,, जहां तक शुभम का मानना था सुरज कि इसमें कोई गलती नहीं थी अगर सुरज की जगह कोई और लड़का होता तो वह भी शुभम से‌ वही चाहता जो सुरज ने चाहा था,,, और मजबूरी में शुभम उसे इंकार भी नहीं कर सकता था,,,, लेकिन उसे अपनी मां से शिकायत थी,,, कि वह कैसे एक जवान लड़की की मर्दाना ताकत पर पिघल गई अपने संस्कारों को अपनी मर्यादा को ताक पर रखकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हो गई क्योंकि शुभम को अपनी मां पर विश्वास था की वह चाहे भले ही सुरज की बात मान गया है लेकिन उसकी मां सुरज के अधीन होने वाली नहीं है और यही शुभम की सबसे बड़ी भूल थी हालांकि सुरज के लंड को वह पहले भी देख चुका था इसलिए उसे थोड़ा बहुत शक तो होता था कि,,, अगर उसकी मां ने उसके दोस्त सुरज के लंड की झलक ले ली तब उसे अपनी बुर में लेने से अपने आप को नहीं रोक पाएंगी,,,, और जिस बात का डर था वही हुआ भी,,,,,।

तभी से शुभम सुरज से नजर मिलाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था और ना ही उससे बात करने की उसकी कोई इच्छा रह गई थी,,, सुरज को देखता था तो उसे गुस्सा आता था,,,, लेकिन कर कुछ नहीं सकता था,,,,। लेकिन आज सुरज की बातें सुनकर उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी थी जिस बारे में सुरज उसे बता रहा था उस बारे में कभी उसने सोचा भी नहीं था,,,, शुभम दो-तीन साल से अपनी मां की चुदाई करता रहा था लेकिन जिस तरह से उसने कहा कि आज तक उसने अपनी मां की गांड के छोटे से छेद को नजर भर कर देखा नहीं है इस बात में सच्चाई थी,,,, वह अपनी मां की गांड के छोटे से छेद के बारे में कभी कल्पना भी नहीं किया था लेकिन सुरज की बातों ने उसे इस नए अनुभव के बारे में आनंद लेने के व्याकुल बना दिया था,,,, सुरज का परामर्श उसे अच्छा लग रहा था,,,,,,, पहले तो शुभम को इस बात पर विश्वास ही नहीं हुआ कि औरत की गांड भी मारी जाती है और इसमें अद्भुत सुख की प्राप्ति भी होती है,,,, सुरज उसकी मां की गांड मारना चाहता है इस बात को सुनकर पहले तो उसे बहुत गुस्सा आया लेकिन उसकी बातों से शुभम को लगने लगा कि जो कुछ भी सुरज कह रहा है इसमें अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी बहुत मजा आएगा और,,, उसे भी उसकी मां की गांड मारने को मिलेगी इस बात से वह मन ही मन सुरज की बात से सहमत हो गया,,,,।

शुभम अपने मन में यही सोच रहा था कि सुरज अब जब चाहे तब उसकी मां की चुदाई कर सकता है उसकी गांड मार सकता है क्योंकि वह सुरज से चुदवाती समय अपनी मां के चेहरे के हावभाव को अच्छी तरह से भांप लिया था,,, सुरज का मोटा तगड़ा लंड जब जब उसकी मां की बुर की गहराई नाप रहा था तब तब उसके चेहरे पर असीम संतुष्टि का अहसास नजर आता था और इस बात में कोई शक नहीं था कि सुरज से चुदवाने के लिए वह तड़प रही होगी,,,, और ऐसे में सुरज के जरिए वह खुद उसकी मां की गांड मार सकता हैं इस बात की खुशी उसके चेहरे पर भी साफ झलक रही थी,,, बस मौके और जगह की तलाश थी,,,,,, और जिस कार्य को करने के बारे में सुरज और शुभम सोच रहे थे उसमें अच्छा खासा समय की जरूरत है और ऐसे में घर में गौरी की मौजूदगी मैं होना शक्य बिल्कुल भी नहीं था,,,,, और इसीलिए शुभम परेशान भी था,,,,,,,।

दूसरी तरफ रात को मंजू अपनी गुलाबी छेद के साथ-साथ अपने भूरे रंग के छेद को भी अपने भतीजे सुरज को साथ देना चाहती थी लेकिन अपने मुंह से कहने में उसे शर्म और लज्जा का एहसास हो रहा था ऐसा नहीं था कि गांड मरवाने की बात कहने में उसे शर्म आ रही हो जो लड़की अपने भतीजे से और अपने बड़े भाई से चुदाई का खुल्लम खुल्ला खेल खेल रही हो ऐसी लड़की की आंखों में शर्म और हया कहां होती है लेकिन गांड मारने वाली बात पर उसे अपने भतीजे सुरज से कहने में शर्म किस बात से आ रही थी कि वह पहले अपने भतीजे को अपनी गांड मारने से इनकार कर चुकी थी क्योंकि वह अपने भतीजे के लंड की ताकत को अच्छी तरह से जानती थी,,,, और इसीलिए वह अपनी गांड के छोटे से छेद को व अनुभव से भरे हुए हाथों में देना चाहती थी और अपने बड़े भाई को अपना सर्वस्व नितंब निछावर करते हुए अपने भाई से गांड मरा का सुख प्राप्त कर चुकी थी बस इसीलिए अब वह अपने भतीजे को सौंपना चाहती थी लेकिन पहले इनकार कर चुकी थी और अभी देने में शर्म महसूस हो रही थी कि वह क्या कह कर अपने भतीजे को अपनी गांड मारने देगी,,,यही सोचकर वहां अपने भतीजे अपने मन की इच्छा को बता नहीं पा रही थी और रात भर सिर्फ अपनी बुर की सेवा करवा रही थी,,,,,।

दूसरी तरफ शुभम अपनी मां की गांड मारने के ख्याल से पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और अपनी बहन से नजरें बचाकर अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दिया था लेकिन उसे इस बात का अहसास हो रहा था कि उसके लंड से उसकी मां को मजा नहीं आ रहा था क्योंकि पहले जब भी वह धक्का मारता था उसकी मां के मुंह से आहह ऊहह की आवाज निकल जाती थी लेकिन आज ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,,, वह मन ही मन अपनी मां को गाली देते हुए उसके चुदाई कर रहा था,,,,,, अपने मन में ही कह रहा था कि साली को सुरज का लंड पसंद आ गया है अब सुरज से चुदवाना चाहती है,,,, उसका मन तो कर रहा था कि सब कुछ बोल दे कि वह सुरज के साथ चुदवाई है लेकिन ऐसा कहने से शायद उसकी गांड मारने वाली इच्छा धरी की धरी रह जाती और वह यह किसी भी सूरत में जताना नहीं चाहता था कि सुरज और उसके पीछे जो कुछ भी हुआ है उस बारे में उसे सब कुछ पता है आखिरकार गलती भी तो उसी की ही थी,,, इसलिए जैसा भी चल रहा था वह चलने दे रहा था,,,, अपनी मां की चुदाई करने के बाद जब अपने कपड़े पहन रहा था और उसकी मां अपनी साली को अपनी कमर से लपेट रही थी तो अपनी साड़ी को अपनी कमर से लपेटते हुए बोली,,,,।

शुभम मैं तुझे एक बात बताना तो भूल ही गई,,,

क्या,,,?

वो अपने चौधरी साहब है ना उनके घर विवाह का कार्यक्रम है उनके घर दो दिन के लिए जाना है,,, मैं चाहती थी कि तू और गौरी चले जाते तो अच्छा था,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही शुभम का दिमाग घूमने लगा २ दिन के लिए मतलब किसी भी तरह से अगर दो तीन के लिए गौरी घर से बाहर चली जाए तो उसके पास मौका ही मौका होगा इसलिए अपना शैतानी दिमाग दौड़ाते हुए शुभम अपनी मां से बोला,,,)


क्या मां मैं जाकर वहां क्या करूंगा और अगर मैं भी चला गया तो यहां गाय बकरियां कौन देखेगा २ दिन में तो परेशान हो जाओगी और तुम अकेले क्या क्या देखोगी,,,,,


बात तो तू ठीक ही कह रहा है,,,,( साड़ी को अच्छे से अपनी कमर से लपेटते हुए,,) लेकिन क्या गौरी अकेले जाने के लिए मानेगी,,,,


अरे क्यों नहीं मानेगी मां,,, शादी ब्याह में तो उसे भी अच्छा लगता है खाना-पीना नाचना गाना,,,, जरूर मान जाएगी,, वैसे जा कौन कौन रहा है,,,?

अरे गांव की बहुत सी औरतें और लड़कियां जा रही है,,,


फिर क्या है मां,,,, गांव की औरतें रहेंगी तो गौरी को भी अच्छा लगेगा,,,,,


चल ठीक है मैं उससे बात करती हूं,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर शुभम मन ही मन बहुत खुश हो रहा था अपने मन में सोच रहा था कि जैसा कुछ भी वह सोच रहा है अगर ऐसा हो गया तो सोने पर सुहागा हो जाएगा तो दिन के लिए उसकी बहन घर पर नहीं होगी और इन २ दिनों में वह अपनी मां की जमकर चुदाई करेगा और सुरज के साथ मिलकर उसकी गांड भी मारेगा,,,,,, उसकी मां के साथ एक शाथ दो जवान लड़के यह सोचकर ही शुभम के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,, अपनी मां की चुदाई कर लेने के बावजूद भी उसका लंड फिर से खड़ा होने लगा था,,,, दूसरी तरफ खाना खाते समय शुभम की मां मंगलदेवी गौरी को शादी में भेजने के लिए मना ली और वह तैयार भी हो गई,,,, क्योंकि शादी ब्याह उसे भी अच्छा लगता था,,, और ऊपर से बड़े घर की शादी थी तो खाना पीना मौज मस्ती भरपूर होने वाला था,,,,,,,,

रूपाली को भी उसी ब्याह के लिए नेवता मिला था इसलिए उसे भी चले जाना था वह जानती थी कि शादी ब्याह में कहीं आना जाना होता है तो उसे ही जाना पड़ता है इसलिए वह मंजू से वहां जाने के बारे में जिक्र भी नहीं की थी लेकिन उसे बताएं जरूर थी कि वह शादी में २ दिन के लिए जा रही है,,, और यह रात को ही तय हो गया था कि बेल गाड़ी लेकर सुरज उसकी मामी को वहां छोड़ने के लिए जाएगा,,,, और इस बात ‌ रविकुमार बहुत खुश था क्योंकि उसकी बीवी और उसका भांजा दोनों घर से बाहर जब तो होंगे तब तक वह अपनी छोटी बहन के साथ भरपूर मजा लूट सकता था,,,,,,

दूसरे दिन गांव की औरतों के साथ गौरी ब्याह में जाने के लिए निकल गई,,, दूसरी तरफ गाय भैंस बकरी यों को चारा पानी देते देते काफी समय हो गया था और वैसे भी रूपाली को बेल गाड़ी से जाना था इसलिए किसी बात की चिंता नहीं थी,,,,,,, नहा धोकर तैयार होकर खाना खाने के बाद सुरज बैलगाड़ी लिए तैयार था और रूपाली बैलगाड़ी पर बैठते हुए मंजू को हिदायत देते हुए बोल रही थी,,,।


घर की देखभाल अच्छे से करना और समय-समय पर जानवरों को चारा पानी देते रहना वरना चिल्लाते रह जाएंगे,,,,

तो बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं घर की अच्छे से ख्याल रखूंगी बस तुम वहां पर अपना ख्याल रखना,,,,(मंजू अपनी रूपाली भाभी को समझाते हुए बोली,,,, दूसरी तरफ रविकुमार बहुत खुश नजर आ रहा था वह जल्द से जल्द इस अकेलेपन का शुभ अवसर का पूरी तरह से लाभ उठाना चाहता था,,,, सुरज बैलगाड़ी को हांक कर ले कर जाने लगा,,, और जैसे ही बैलगाड़ी आंखों से ओझल हुई रविकुमार तुरंत अपनी छोटी बहन को मंजू को सब की नजर बचकर अपनी गोद में उठा लिया और तुरंत उसे अपने कमरे में लेकर आ कर खटिया पर पटक दिया,,,,।


अरे भैया थोड़ा शांति तो रखो में भागी नहीं जा रही हूं,,,


अरे मैं जानता हूं मेरी मंजू तु कहीं भागे नहीं जा रही है लेकिन बड़े दिनों बाद ऐसा मौका हाथ लगा है भला इस मौके को मैं कैसे हाथ से जाने दु,,,(ऐसा कहते हुए रविकुमार अपना कुर्ता उतारने लगा और देखते-देखते मंजू की आंखों के सामने एकदम नंगा हो गया उत्तेजना के मारे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था जिसे देखकर मंजू का गुलाबी मन मचल उठा और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने भैया के लंड को पकड़ कर उसे अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,,,।

और दूसरी तरफ इसी तरह के मौके की तलाश में शुभम भी था गांव की औरतों के साथ गौरी के जाते ही शुभम घर का किवाड़ बंद करके अपनी मां को कमरे के अंदर वाले भाग में ले गए और वहां तुरंत अपनी मां के सारे कपड़े उतार कर खुद भी नंगा हो गया,,,, आज वह अपनी मां की गांड के छोटे से छेद को जी भर कर देखना चाहता था जैसा कि सुरज ने बताया था और इसीलिए शुभम अपनी मां को नीचे जमीन पर पीठ के बल लेटा कर उसकी दोनों टांगों को ऊपर की तरफ उठा लिया और उसके बुर के नीचे वाले छोटे से छेद को नजर भर कर देखने लगा,,,शुभम के लिए यह पहला मौका था जब वह नजर भर कर अपनी मां की गांड के छेद को देख रहा था और सच पूछो तो उसे आज बेहद उतेजना का अनुभव हो रहा था,,,। वह उस छोटे से छेद को देखकर पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रहा था वह जानबूझकर अपनी मां की गांड के छेद को छेड़ नहीं रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि इन २ दिनों में वह सुरज को जरूर लेकर आएगा और सुरज के साथ मिलकर वह अपनी मां की गांड मारेगा अगर अभी वह अपनी मां की गांड को छेड़ दिया तो बाद में कहीं उसकी मां को शक ना हो जाए की यह दोनों मिलें हुए हैं,,, गौरी के अनुपस्थिति में शुभम की मां मंगलदेवी के बदन में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव होने लगा और बाद तुरंत शुभम को अपनी दोनों टांगों के बीच ले ली,,, और उसके लंड का अपनी गुलाबी छेद में लेकर चुदाई का अद्भुत सुख प्राप्त करने लगी जो कि अब सुरज के बगैर अधूरा सा लग रहा था,,,,।


एक तरफ रविकुमार और मंजू आपस में लगे हुए थे और दूसरी तरफ शुभम अपनी मां की चुदाई कर रहा था और सुरज जिंदगी में पहली बार अपनी मामी को बैलगाड़ी पर बैठा कर दूसरे गांव ब्याह में ले जा रहा था बैलगाड़ी में पीछे अपनी मामी के भांजे होने का एहसास उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को भड़का रहा था क्योंकि शादी में जाने के लिए उसकी मामी तैयार हुई थी वह तैयार होने के बाद स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी,,,,,,,बेल गाड़ी चलाते समय उसके दिमाग में बहुत सी बातें आ रही थी वह औरत और मर्द के मामले में शुभम को कुछ ज्यादा खुश नसीब समझ रहा था जो कि जब चाहे तब अपनी मां की चुदाई कर सकता था,,,,, वह भी शुभम की तरह बनना चाहता था ताकि उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत चोदने को मिल सके,,,,लेकिन कैसे यही उसे समझ में नहीं आ रहा था दो तीन बार तो वह अपना पैंतरा आजमा चुका था जिसका एहसास उसकी मामी को भी हुआ था लेकिन बात कुछ आगे नहीं बढ़ पाई थी,,,,अपने भांजे के साथ पहली बार बैलगाड़ी में जा रही रूपाली बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि वह देख रही थी कि उसका भांजा बैलगाड़ी बड़े अच्छे से चला रहा था,,,, और इसीलिए वह बोली,,,।


चला तो लेता है ना ठीक से,,,


अरे मामी तुम चिंता मत करो,,,, बहुत अच्छे से चला लेता हूं,,, बोलो तो दौड़ा कर दिखाऊं,,,


नहीं नहीं दौडाना नहीं है आराम से चला,,,।
(बैलगाड़ी ऊंची नीची पगडंडी कच्चे रास्ते से चली जा रही थी चारों तरफ हरे हरे खेत लहलहा रहे थे,,,अपने भांजे के साथ इस तरह से रास्ते में एकांत पाकर रूपाली के तन बदन में अजीब सी उलझन हो रही थी ना जाने क्यों रूपाली को वह सब वाक्ये याद आने लगे जोकी पूरी तरह से उत्तेजनात्मक थे पहली बार जब वह कुएं पर अपने भांजे को साथ लेकर पानी भरने के लिए गई थी और जिस तरह से उसकी मदद करते हुए सुरज ने ठीक उसके पीछे खड़ा होकर तुम्हें की रस्सी को खींच रहा था ऐसे में उसकी कांड से उसके भांजे का लंड पूरी तरह से रगड़ खा रहा था,,, उसका बार-बार उसकी चुचियों को घुरना,,, और तो और जानवरों का वापस झोपड़ी में करते समय जिस तरह का हादसा पेश आया था उसे याद करके तो उसकी गुलाबी बुर से काम रस टपकने लगा था,,, गाय को काबू में करने के लिए पीछे से अपनी मामी का साथ देते हुए जिस तरह से सुरज ने अपनी मामी को अपनी बाहों में जकड़ कर अपनी मामी की गोल-गोल नितंबों पर अपनी कमर आगे पीछे करते हुए हीलाया था उस पल को याद करके रूपाली की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और रस्सी के टूट जाने की वजह से दोनों वहीं गिर गए थे सुरज नीचे था और रूपाली उसके ऊपर थी और रूपाली की साड़ी पूरी की पूरी कमर के ऊपर तक चली गई थी कमर के नीचे को पूरी तरह से नंगी हो गई थी और उसकी नंगे पन के एहसास को उसका भांजा सुरज अपने हाथों से महसूस करने के लिए जिस तरह से जानबूझकर उसकी बुर पर अपनी हथेली रखकर जोर से रगड़ा था वह पल अभी भी रूपाली को अच्छी तरह से ज्यादा था और उस पल को याद करके वह पानी पानी हो जाती थी और इस समय भी उसका यही हाल था,,,, रूपाली को अपने भांजे को गुस्सा भी आता था लेकिन आज इस तरह से राह में एकांत पाकर अपने भांजे के साथ बैलगाड़ी में जाते हुए सुरज की वही सारी हरकतें उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,,सुरज अपनी मामी की तारीफ करना चाहता था उसकी खूबसूरती की लेकिन से समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे करें,,,,,,,, फिर उसे आम के बारे में सोचने लगा कि कैसे सामने अपनी मामी की जरूरतों का ख्याल रखते हुए मान मर्यादा रिश्तेदारी को एक तरफ रख कर अपनी मामी की इच्छाओं को पूरी किया और उसकी मामी भी अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए मामी भांजे के बीच के रिश्ते को अपनी जिंदगी का मजा लूटने लगी,,,, सुरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर वह खुद इस तरह का प्रयास करें तो शायद उसके भी हाथों में हलवा लग सकता है,,,, क्योंकि औरतों की जरूरत को अच्छी तरह से समझ गया था अगर औरत की कोई जरूरत ना होती तो गांव की इतनी सारी औरतें अभी तक उसके नीचे ना आ गई होती,,,,,, जिन जिन औरतों की उसने चुदाई किया था सबकी अपनी अपनी जरूरत थी तो यही सोच करो अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मामी की भी कोई जरूरत होगी क्योंकि वह अपने मामाजी के लंड क्यों अच्छी तरह से देख लिया था जो कि उसके लंड से ज्यादा ही था और इसलिए सुरज अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी मामी उसके मोटे तगड़े लंबे लंड का दीदार कर लेगी तो जरूर वह भी उसके नीचे आ जाएगी जैसा कि शुभम की मां मंगलदेवी आ गई थी जो कि शुभम को अपनी मां पर पूरा विश्वास था कि वह किसी गैर मर्द से शारीरिक संबंध नहीं बनाएगी लेकिन सुरज को अपने मर्दाना ताकत पर पूरा विश्वास था और यही विश्वास उसे शुभम की मां मंगलदेवी की दोनों टांगों के बीच ले गया,, जिसे खुद शुभम की मां मंगलदेवी नतमस्तक होकर स्वीकार की और उसके मर्दाना ताकत की पूरी तरह से गुलाम हो गई वह अपने मन में यह सोचने लगा कि ऐसा कुछ अगर उसकी मामी के साथ किया जाए तो उसकी मामी भी शुभम की मां मंगलदेवी की तरह राजी हो जाएगी,,, लेकिन कैसे कैसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस बेल के पैरों में और पहिए में बंधे घुंघरू की आवाज से ही पूरा वातावरण शोर मय हुआ जा रहा था,,, बात की शुरुआत सुरज को ही करना था यह बात सुरज अच्छी तरह से जानता था इसलिए एक बहाने से अपनी मामी की तारीफ करते हुए बात की शुरुआत करते हुए सुरज बोला,,,।


आज तो तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो मामी,,
(अपने भांजे के मुंह से यह बात सुनते ही रूपाली का दिल गदगद हो गया,,, वह प्रसन्न हो गई,,, और अपने चेहरे पर प्रसन्नता के भाव लाते हुए बोली,,,)

क्यों तुझे ऐसा क्यों लग रहा है,,,,?


अरे आज नई नई साड़ी पहनी हो,,,


अच्छा तो तुझे इसलिए खूबसूरत लग रही हूं कि आज नई साड़ी पहनी हुं,,, और दीन तो एसी नहीं लगती थी ना,,,


नहीं नहीं मा ऐसी बात नहीं है,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,, मुझे तो बहुत अच्छी लगती हो,,,,।

(सुरज की यह बात सुनते ही रूपाली को अपनी दोनों टांगों के बीच सीहरनसी दौड़ती हुई महसूस होने लगी,,, रूपाली यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका भांजा पूरी तरह से जवान हो गया है,,,)
 
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सुरज एक बहाने से अपनी मामी की खूबसूरती की तारीफ कर रहा था क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि औरतों को सबसे अच्छी अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना लगता है,,,और यह सच भी था कि उसकी मामी बेहद खूबसूरत थी,,, तभी तो सुरज खुद अपनी मामी की खूबसूरती का दीवाना हो गया था,,,,पहली बार वह बेल गाड़ी में बैठाकर अपनी मामी को किसी दूसरे गांव छोड़ने जा रहा था ब्याह में रास्ते भर का सफर उसके पास था,,, ऐसे सफर के दौरान वह अपनी मामी के मन में क्या है यह जानना चाहता था,,,,,, बात करने का कोई दूसरा उद्देश्य नहीं था तो सुरज अपने मतलब की बात कर रहा था,,,, अपने भांजे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर रूपाली अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी लेकिन अपने भांजे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना उसके तन बदन में अजीब सी हलचल भी पैदा कर रही थी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच सिहरन सी पैदा होती हुई महसूस हो रही थी,,,,,,,,।


सुरज लगता है कि तू अब जवान हो गया है तेरी शादी करना पड़ेगा,,,


वो क्यों मामी,,,,?


अरे देख रही तू अब औरतों की तारीफ करने लगा है तुझे औरतों की खूबसूरती में दिलचस्पी आने लगी है समझने लगा है,,,


नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है मामी अगर हम अच्छे खूबसूरत फूल को देखते हैं तो उन्हें अच्छा कहते हैं उन्हें तोड़ लेते हैं अपने साथ रखते हैं वैसे भी खूबसूरती छुपाए नहीं छुपती और तुम खूबसूरत हो इसलिए कह रहा हूं,,, नहीं खूबसूरत होती तो नहीं कहता,,,,


इसका मतलब है कि तारीफ करने के लिए खूबसूरत होना जरूरी है,,,


अरे मामी तुम तो बात का बतंगड़ बना रही हूं अच्छा हुआ कि तुम खूबसूरत हो वरना तुम्हें यही लगता है कि मैं बेकार में तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं,,,,


नहीं नहीं यह बात तो मैं भी जानती हूं कि मैं खूबसूरत हूं लेकिन सच कहूं तो तूने जिस तरह से अपने मुंह से बोल दिया ना उस तरह से आज तक किसी ने नहीं बोला,,,,
(अपनी मामी की बात सुनकर सुरज के तन बदन में गुदगुदी हो रही थी क्योंकि अपनी मामी की बात सुनकर उसे लगने लगा था कि उसकी मामी उसके बातो के जाल में धीरे-धीरे फस रही है,,, अपनी मामी की बात सुनकर राजा बोला,,,)


अरे किसी ने नहीं तो मामाजी ने तो कहा ही होगा,,, आखिर उनका आप पर पूरा हक है,,, और मैं यह भी जानता हूं कि मामाजी आप को बहुत मानते हैं बहुत प्यार करते हैं,,,(यह कहते हुए सुरज की आंखों के सामने दीवार के छोटे से छेद से देखा गया हर एक दृश्य पल भर में नजर आने लगा कि कैसे उसके मामाजी अपने हाथों से उसकी मामी की साड़ी उतारकर से नंगी करने के बाद जबरदस्त घमासान चुदाई करते थे और उसकी मामी भी चुदाई का पूरा मजा लेती थी,,,)



तुझे कैसे पता कि तेरे मामाजी मुझे बहुत मानते हैं मुझे बहुत प्यार करते हैं,,,,,,
(अपनी मामी की बातें सुनकर एक पल के लिए सुरज के मन में आया कि अपनी मामी से खुल कर बोल दे कि उसने तुम दोनों की जबरदस्त घमासान चुदाई अपनी आंखों से देखा है कैसे तुम दोनों एक दूसरे के बदन से आनंद लेते हो लेकिन ऐसा कैसे करें कि हिम्मत उसमें थी नहीं इसलिए वह बात को घुमाते हुए बोला,,,)


अरे मामी कैसी बात है तुम दोनों में कभी झगड़ा नहीं हुआ किसी बात को लेकर तकरार नहीं हुआ मामा जी आपकी बात जल्दी मान लेते हैं और आप की मामाजी की बात मान लेती हो यही देख कर समझ में तो आता ही है कि तुम दोनों के बीच कितना प्यार है और दूसरों को देखो,,, मेरा एक दोस्त है गांव में रोज उसके घर झगड़ा होता रहता है रोज उसके पिताजी उसकी मां को पीटते हैं और कभी-कभी तो उसकी मां भी हाथ उठा देती हैं,,,,,(यह सुरज के मन की बनी बनाई बात थी ऐसा कुछ भी नहीं था बस वह अपनी मामी का मन बहलाना चाहता था उन्हें जताना चाहता था कि वाकई में उन दोनों के बीच बहुत प्यार है जो की सच्चाई भी थी)


तो तुझे तेरे दोस्त के परिवार अच्छे लगते हैं या तुझे खुद का परिवार अच्छा लगता है,,,


बेशक मामी हमारा परिवार बहुत अच्छा है कितनी शांति है घर में किसी बात का झगड़ा मार नहीं है,,,,,,(सुरज बैलगाड़ी को हांकते हुए बोल रहा था रूपाली पहली बार अपने भांजे से इस तरह की इतनी सारी बातें कर रही थी वरना दोनों कभी साथ में बैठते ही नहीं थे,,,, रूपाली को अपने भांजे से इस तरह की बातें करने में अच्छा लग रहा था,,,,,, मंजिल से बेहतर सफर का मजा मिल रहा था रूपाली के मन में हो रहा था कि काश यह सफर कभी खत्म ना हो,,,मैं तो यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका भांजा पूरी तरह से जवान हो चुका है,,, उसकी उफान मारती जवानी का उदाहरण वह अच्छी तरह से देख चुकी थी और एक जवान लड़के के साथ सफर तय करने में उसे बेहद अच्छा लग रहा था,,,, चारों तरफ पेड़ पौधे हरियाली ही हरियाली बीच से गुजरता हुआ कच्चा रास्ता और उस पर बैलगाड़ी के गुजरने से घुंघरू की आवाज वातावरण को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रही थी,,,, आज रूपाली थोड़ा अच्छी तरीके से सजी-धजी थी और बैलगाड़ी में इस तरह से पीछे बैठने पर उसे अपने आप को एक दुल्हन के रूप में देख रही थी क्योंकि वर्षो पहले जब वह विवाह करके आई थी तो इसी तरह से बैलगाड़ी में आई थी,,,,, घूंघट में पूरा मुखड़ा छुपा हुआ था बाराती पीछे चल रहे थे और उसका पति रविकुमार आगे आगे चल रहा था,,, सब लोग बेहद खुश थे,,,,आज बरसों बाद ना जाने क्यों रूपाली को अपना विवाह वाला समय याद आ रहा था वह बहुत खुश नजर आ रही थी बरसों बाद उसे एक बार फिर से दुल्हन होने का एहसास हो रहा था,,, बेल गाड़ी वाला जवान लड़का उसे अपना भांजा नहीं कोई अनजान गाड़ी वाहन लग रहा था और यह एहसास उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था,,,, अपने मन में आए इस खयाल को अपने भांजे से बताते हुए बोली,,,)


तुझे पता है सुरज आज मुझे कैसा लग रहा है,,,


कैसा लग रहा,, मामी,,?

बरसों पहले मैं इसी तरह से दुल्हन बनकर बेल गाड़ी में बैठकर गांव में आई थी,,, उस दिन तो हमें बहुत सही देखी थी लेकिन आज मैं उतना सजी-धजी नहीं हूं लेकिन फिर भी मुझे अच्छी तरह से याद है है कि उस दिन भी मैं बहुत खूबसूरत लग रही थी,,,,।
(रूपाली किसी ख्यालों में खोए हुए अपने मन की बात बता रही थी और सुरज अपनी मामी की बात सुनकर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था क्योंकि धीरे-धीरे इसी तरह से उसकी मामी खुलना शुरू हो गई थी,,, अपनी मामी की बात सुनकर सुरज बीच में बोला,,,)

सच में मां,,, तब तो मामाजी तुम्हें देखते रह गए होंगे,,,


हां तो सच कह रहा है तेरे मामाजी ने मेरा चेहरा तो नहीं देखे थे लेकिन मेरा रूप रंग कद काठी देखकर बहुत खुश हो रहे थे रास्ते भर बराती लोग तेरे मामाजी को छेड़ते हुए जा रहे थे,,,,


क्या सच में मामी क्या कह रहे थे सब लोग,,,,?


तेरे मामाजी के दोस्त लोग कह रहे थे,,,, रविकुमार तू तो बड़ा भाग्यवान है रे आसमान से परी लेकर आया है,,,, अब तो तुझे लालटेन की जरूरत बिल्कुल भी नहीं पड़ेगी,,,


वह क्यों मामी,,,,?

क्योंकि मैं बहुत गोरी थी ना इसके लिए वह लोग कहते थे कि अंधेरे में भी बैठा दोगे तो कमरे में उजाला ही उजाला हो जाएगा,,,,


सच में हम लोग कितने खुश किस्मत हैं कि हमें तुम मिली हो मामाजी तो और भी ज्यादा खुश किस्मत हैं कि उन्हें इतना अच्छा जीवन साथी जो मिला है,,,,।

(अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली बहुत खुश हो रही थी आज बरसों बाद वह अपने मन की बात अपने जवान भांजे से कर रही थी इस तरह की बातें उसने आज तक किसी से नहीं कही थी लेकिन आज नहीं जाने क्यों वह अपने मन में दबी बातों को अपने भांजे से बता रही थी,,,,, और सुरज मन ही मन खुश हो रहा था,,, क्योंकि आज उसकी मामी ने अपने दिल के तार छोड़ दिए थे जिससे मधुर संगीत निकल रही थी और सुरज इसी का फायदा उठाना चाहता था वह अपनी मामी के मन की बात को जानना चाहता था,,,,)

अच्छा मैं एक बात बताओ पता नहीं मुझे पूछना चाहिए कि नहीं पूछना चाहिए लेकिन जब बाद में निकल ही गई है तो मैं सोचता हूं कि तुमसे पूछ ही लुं,,,


कौन सी बात,,,?


पहले बोलो गुस्सा तो नहीं करोगी ना,,,


अरे नहीं करूंगी बता तो सही,,,(रूपाली के भी मन में अजीब सी हलचल हो रही थी कि उसका भांजा ऐसा कौन सी बात पूछने वाला है जिसके लिए उसे इजाजत लेनी पड़ रही है और उसे इस बात का डर भी है कि बात गलत लग गई तो डांट पड़ेगी)


तुम्हें मेरी कसम है मैं अगर बात गलत लगे तो कुछ बोलना नहीं लेकिन मुझे डांटना नहीं क्योंकि तुम नाराज हो जाती हो तो मुझे अच्छा नहीं लगता,,,


ठीक है बाबा नहीं डांटुगी,,,


अच्छा मैं शादी से पहले तो मामाजी ने तुम्हें नहीं देखा था नहीं तुम्हारा चेहरा देखा था,,,


हां शादी से पहले ना तो मैं उन्हें देखी थी और ना ही तेरे मामाजी ने मुझे,,,


फिर पहली बार मामाजी ने तुमको कब और कहां देखा,,, !(सुरज के इस सवाल में पूरी तरह से चना की भरी हुई थी पहले कि वह अपनी बात की माफी अपनी मामी से मान चुका था वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर अपनी मामी से यह सवाल पूछा था वह देखना चाहता था कि उसकी मामी भी सवाल का जवाब देती है या नहीं और इस सवाल को सुनकर उसकी मामी भी थोड़ा सा शर्मा गई थी क्योंकि उसे लगने लगा था कि उसका भांजा किस बारे में बात कर रहा है फिर भी रूपाली जानबूझकर बात को घुमाते हुए बोली)


जिस दिन मैं शादी करके घर पर आई उसी दिन तेरे मामाजी ने मुझे देखा,,,,,,


फिर भी मामी कैसे देखा मामाजी ने मतलब सबके सामने या अकेले में या अकेले कमरे में,,,,


अरे बता तो रही हूं की शादी करके आई थी उसी दिन,,,


मैं मैं फिर भी ठीक से समझ नहीं पा रहा हूं,,, मामाजी ने रात को तुम्हें देखा होगा क्या कहते हैं उस रात को,,, अरे मेरे दोस्त लोग बताते हैं,,,, अभी अभी मेरे दिमाग में था लेकिन,,,,(सुरज जानबूझ कर बेल गाड़ी चलाते समय इस बात का जिक्र कर रहा था और उस रात का नाम भूल गया था जो शादी की पहली रात होती है जो कि वह बुरा नहीं था बस भूलने का नाटक कर रहा था वह अपनी मामी के मुंह से सुनना चाहता था,,,) अरे मां क्या कहते हैं उस रात को जब दूल्हा दुल्हन की पहली रात होती है,,,

(अपने भांजे की यह बात सुनकर रूपाली के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी क्योंकि रूपाली समझ गई थी कि उसका भांजा सुहागरात की बात कर रहा है और अपनी मामी से ही कर रहा है यह थोड़ा अजीब जरूर था लेकिन ना जाने क्यों मत हो को उसकी यह बात बेहद उत्तेजनात्मक तरीके से अच्छी भी लग रही थी,,,,मैं तो अपने भांजे के सवाल का जवाब नहीं देना चाहती लेकिन फिर भी ना जाने क्यों उसके होठों पर अचानक ही वह शब्द आ ही गए,,,)

ससस,, सुहागरात,,,,

हां,,,,, सुहागरात मैं तो भूल ही गया था मेरा दोस्त बता रहा था किसी दिन दूल्हा दुल्हन एक दूसरे को अच्छी तरह से देखते हैं,,,, तो क्या मामी मामाजी इसी रात को आपको अच्छी तरह से देखे थे,,,,।
(अब अपने भांजे का इस सवाल का जवाब बहुत ही सीधे उसे तो समझ में नहीं आ रहा था उसे अपने भांजे पर थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसके सवाल पर ना जाने क्यों वह उत्साहित भी नजर आ रही थी शायद यह एक जवान लड़के के साथ एकांत पाने का नतीजा था कि रूपाली ना चाहते हुए भी अपने भांजे के सवाल का जवाब देते हुए बोली,,,)


हां,,,,दूल्हा दुल्हन की पहली रात को ही सुहागरात कहते हैं और इसी दिन तेरे मामाजी ने मुझे ठीक तरह से देखे थे,,,,।
(यह कहते हुए रूपाली को अपनी पुर से काम रस रिसता हुआ महसूस हो रहा था और यही हाल सुरज का भी था पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,,, उसे अच्छा लग रहा था कि उसकी मामी उसके सवाल का जवाब दे रही है,,,अभी का सवाल समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे पूछे लेकिन वह पूछे बिना रह भी नहीं पा रहा था वह अपनी मामी से खुले शब्दों में पूछना चाहता था इसलिए उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सवाल पूछे या ना पूछे उसकी मामी क्या सोचेगी क्या कहेगी कहीं गुस्सा हो गई तो,,, लेकिन फिर भी वह अब तो कर दो के मन में क्या चल रहा है इस बारे में अंदाजा लगा लेता था कई औरतों का संगत पाकर इस कला में सुरज पूरी तरह से निपुण हो चुका और इसीलिए ही वह तपाक से बोला,,)

तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर,,,,
(सुरज एकदम मदहोशी भरे स्वर में भोला रूपाली अपने भांजे का यह सवाल सुनकर एकदम सनन रह गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भांजा इस तरह के खुले शब्दों में क्यों बोल रहा है उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी अब उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका भांजा उसे इस तरह से खुले शब्दों में पूछ लिया था कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा तो सुरज समझ गया की बात थोड़ी गंभीर है इसलिए खुद ही बात को संभालते हुए बोला,,,) मुझे ज्यादा तो नहीं मालूम है ना लेकिन मेरा दोस्त बता रहा था कि उसके पिताजी ने सुहागरात वाली रात को उसकी मां के सारे कपड़े उतार कर अच्छी तरह से देखे थे कभी खुश हुए थे वरना उसका दोस्त बता रहा था कि अगर उसकी मां से अच्छी नहीं लगती तो वह उसे उसके घर छोड़ देते ,,,,
मैं इसीलिए पूछ रहा था ना कि मामाजी ने भी तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर दो मैं अच्छी तरह से देखने के बाद ही घर में रखे थे,,,,
(रूपाली को समझ में नहीं आ रहा थाकि उसका भांजा क्या सब जानबूझकर बोल रहा है या बालिस मन की वजह से ऐसा कह रहा है,,,, लेकिन इतना तो वह जानती थी कि उसका भांजा अब नादान बिल्कुल भी नहीं है लेकिन जिस तरह से उसने पूरी बात की गंभीरता को संभाल ले गया था उसे देखते हुए रूपाली की थोड़ी झिझक खत्म हो गई थी इसलिए अपने भांजे के सवाल का जवाब देते क्या बोली,,,)


हां सारे कपड़े उतार कर लेकिन इसलिए नहीं कि अच्छी लगेगी तभी व रखेंगे वरना मुझे मेरे घर छोड़ देंगे या तो एक रीति रिवाज होती है इसलिए वह सुहागवाली रात को मेरे सारे कपड़े उतार दिए थे,,,,(रूपाली सारी बात बोल गई थी लेकिन कैसे बोल रही थी या खुद उसे पता नहीं चल रहा था बैलगाड़ी अपने लय में आगे बढ़ रही थी नदी नाले ऊंची नीची सड़कों से गुजरते हुए बैलगाड़ी आधे रास्ते पर पहुंच चुकी थी लेकिन इस सफर का मजा अवर्णनीय था शायद यह सफर रूपाली को भी बहुत अच्छा लग रहा था रास्ता कब गुजर जा रहा था उन दोनों को इस बारे में पता तक नहीं चल रहा था अपनी मामी का जवाब सुनकर सुरज का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था वह अपने मन में कल्पना कर रहा था कि पहली रात को उसके कपड़ों को कैसे उसके मामाजी अपने हाथों से उतार कर उसकी मामी को नंगी किए होंगे उसके हर एक अंग को अपनी आंखों से देख कर कर उसे छूकर उसे चूम कर उस मस्ती को अपने अंदर उतारे होंगे,,,अपनी मामी का जवाब देने के बाद कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा केवल बैल और बैल गाड़ी के पहिए में बने घुंघरू की आवाज ही शोर मचा रही थी,,, अपनी मामी की बातें सुनकर जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए सुरज बोला,,,)

बाप रे मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है की तुम्हें बिना कपड़ों में देखने के बाद कोई इंसान होश में कैसे रह सकता है मैं तो होता तो शायद मेरी जान निकल जाती,,,
(इस बात पर रूपाली की हंसी छूट गई वह बोली)

ऐसा क्यों बोल रहा है,,,

क्यों ना बोलूं मामी तुम बहुत खूबसूरत हो जैसा कि मामाजी के दोस्तों ने बोला कि आसमान से परी लेकर आया है तो सोचो उस समय तुम कितनी खूबसूरत होगी इस समय भी तो भी तुम बहुत खूबसूरत हो वह समय की बात कर रहा हूं सोचो एक इंसान जब अपने हाथों से तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर तुम्हें पूरी तरह से नंगी देखेगा तो तुम्हें नंगी देखने के बाद मुझे नहीं लगता कि वह अपने होश में होगा वह तो बेहोश हो जाएगा मदहोश हो जाएगा बिना पिए ही ४ बोतलों का नशा उसके तन बदन में छा जाएगा,,,,,
(सुरज एक झटके में अपने मन की बात बोल गया था और यह बात सुनकर रूपाली के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी क्योंकि उसका भांजा उसकी खूबसूरती नंगी जवानी की एक तरह से तारीफ ही कर रहा था कि उसे नंगी देखने के बाद भला कैसे कोई इंसान होश में रह सकता है,,, अपने भांजे की बातें सुनकर रूपाली को अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल सी महसूस होने लगी थी,,,, रूपाली का मन बहकने लगा था,,,, रूपाली को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वह पूरी तरह से खामोश हो गई थी,,,, सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)

चुप क्यों हो गई मामी मैं झूठ थोड़ी कह रहा हूं जब अपनी आंखों के सामने छोड़ के प्यार करो या फिर आप अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर खड़ी हो जाएगी तो बना इंसान कैसे उसके सामने टिक पाएगा वह तो वहीं ढेर हो जाएगा,,, मामाजी हो गए थे क्या मामी,,, तुम्हें नंगी देखने के बाद उनका क्या हाल हुआ था,,,,!(सुरज बहुत चालाक हो गया था वह एक बहाने से अपनी मामी के मन की सारी बात को जान लेना चाहता था और उसके सवाल-जवाब को देखकर अंदाजा लगा रहा था कि उसकी मामी के मन में क्या चल रहा है और किस तरह से वह आगे बढ़ेगा,,, सच यही था कि रूपाली अपने भांजे की चिकनी चुपड़ी बातों में आ चुकी थी वह अपने भांजे की बातों को सुनकर मस्त हुए जा रही थी उसकी बातों को सुनकर उसे भी अच्छा लग रहा था,,, अपने भांजे के सवाल का जवाब हुआ मुस्कुराते हुए देते हुए बोली)


धत् तू कैसी बातें कर रहा है,,, मैं स्वर्ग से उतरी अप्सरा थोड़ी ना हूं कि तेरे मामाजी वहीं ढेर हो जाएंगे,,,


नहीं मां मुझे तो विश्वास नहीं होता मैंने आज तक पूरे गांव में जहां भी घूम आओ तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा और ऐसी खूबसूरत औरत अपने सारे कपड़े उतार कर अगर नंगी होकर खड़ी हो जाए तो देखने वाले की हालत खराब हो जाएगी वह तो वहीं गिर ही जाएगा,,,,।
(अपने भांजे की बातों को सुनकर रूपाली मन ही मन खुश हो रही थी और हैरान भी हो रही थी कि उसका भांजा बड़े आराम से उसके सामने ही नंगी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा है,,, और वह भी बिना शर्माए,,,एक तरफ जहां वह अपने भांजे की बातों को सुनकर हैरान थी वहीं उसकी बातों से उत्तेजित भी हो रही थी,,,,,,, रूपाली के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुट रही थी अपने भांजे के मुंह से खुद ही बातें और अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर उससे रहा नहीं जा रहा था,,, पर वह अनजाने में ही अपने मुंह से उन शब्दों को बाहर निकाल दी जिसके बारे में सुनने के लिए सुरज तड़प रहा था,,,)

अगर तु मुझे बिना कपड़ों के देख ले तो,,,
(बस यही तो सुरज सुनना चाहता था वह एकदम से मदहोश हो गया अपनी मामी के मुंह से यह शब्द सुनकर लेकिन अपने आप को बिना असहज किए ही वह सहज होता हुआ बोला,,)


बाप रे अगर सच पूछो तो मैं तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी देख लूं तो शायद मेरा तो दिल की धड़कन ही बंद हो जाए मेरी तो सांसे ऊपर नीचे हो जाए,,,,,, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है की उस समय मेरा क्या होगा जब मैं तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी देखूंगा,,,,।
(इतना कहकर वह बैलगाड़ी को आवाज लगाते हुए हांकते हुए बोला,,,) आहहह आहहहह,,, उधर नही ,,,,उधर नहीं,,, सीधे-सीधे,,,,,
(सुरज जानबूझकर इस बात को ज्यादा जोर तो नहीं देना चाहता था क्योंकि वह अपनी मामी के सामने एकदम सहज बने रहना चाहता था वह बिल्कुल भी अपनी मामी को जताना नहीं चाहता था कि उसके मन में किसी भी प्रकार की गंदगी है,,,, और अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली मन ही मन प्रसन्न होने लगी उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी उसे इस बात की खुशी थी कि उसकी जवानी अभी पूरी तरह से काबिले तारीफ है जो एक जवान लड़के को मदहोश करने के लिए सक्षम है,,,, सुरज जानबूझकर कुछ बोल नहीं रहा था,,,, वह अपनी बातों की दिशा को बदलते हुए बोला,,)


बस अब थोड़ी दूर ही रह गया है ना मामी,,,, चलो अच्छा हुआ कि समय पर पहुंच जाएंगे क्योंकि मुझे शाम को लौटना भी है घर पर कोई नहीं है,,,,।
(सुरज ने अपना काम बाण अपनी मामी पर चला चुका था,,, उसकी मामी सुरज की बातों में पूरी तरह से सम्मोहित हो चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें बुर पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी केवल इस तरह की बातें करके आज तक उसकी बुर ने इतना पानी नहीं छोड़ी थी,,, सांसो की गति भारी हो चली थी उसे जोरों की पेशाब लगने का आभास हो रहा था लेकिन अपने भांजे से कैसे कहे उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, तभी उसे दूर उचाई पर एक कुआं नजर आया और वह तुरंत सुरज से बोली,,)


सुरज उस कुएं के पास रोकना मुझे जोरो की पेशश,,,, प्यास लगी है,,,,।
(सुरज समझ गया कि उसकी मामी क्या कहना चाहती जो कि उसके मुंह से निकलते निकलते रह गया था,,,)

ठीक है मुझे भी प्यास लगी है,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही सुरज ठीक उस कुएं के सामने बैलगाड़ी को खड़ा कर दिया कुंवा थोड़ी ऊंचाई पर था,,, बैलगाड़ी से तुरंत उतर कर सुरज बेल गाड़ी के पीछे की तरफ के और अपनी मामी को उतरने में मदद करने लगा उसकी मामी उतरते समय उसका हाथ पकड़ कर नीचे उतरने लगी और उतरते समय थोड़ा सा झुकने की वजह से सुरज को ब्लाउज में से जाती है उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियों की झलक मिल गई जिसे देख कर उसके मुंह में पानी आ गया,,,, और सुरज की यह चोर नजरें रूपाली से छिपी नहीं रह सके रूपाली को इस बात का आभास हो गया था कि उसका भांजा उसकी झलक देख कर मस्त हो गया है और यह एहसास बदल के तन बदन में भी अजीब सी हलचल पैदा कर गया था,,,, सुरज अपनी मामी को सहारा देकर अपनी गाड़ी से नीचे उतारा,,, कच्ची सड़क से तकरीबन ३ फीट की ऊंचाई पर बना हुआ था और यह कुआं आने जाने वाले राहगीर के लिए ही बनाया गया था ताकि लोग सफर की प्यास कुए के शीतल जल को पीकर बुझा सके,,,,,, रूपाली को प्यास तो लगी थी लेकिन उससे ज्यादा जोरों की पेशाब लगी हुई थी रास्ते भर में अपने भांजे से ऊतेजनात्मक बातें करके वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, उससे पेशाब की तीव्रता बर्दाश्त नहीं हुई तो वह अपने भांजे से पहले ही जल्दी-जल्दी चलते हुए कुएं के पास पहुंच गई और अच्छी सी जगह ढूंढने लगी कुएं के पास ही एक बड़ा सा पत्थर था रूपाली ठीक उस पत्थर के पीछे जाकर अपनी साड़ी कमर तक उठा कर पेशाब करने लगी,,,,,सुरज को इस बात का आभास तक नहीं था कि उसकी मामी कुएं के पास पत्थर के पीछे बैठकर पेशाब कर रही है वह तो सोच रहा था कि उसको जोरों की प्यास लगी है इसलिए जल्दी से कुएं के पास चली गई और वह भी मदद करने के लिए उसके पीछे चल दिया लेकिन तुम्हें के पास कोई नहीं था तो वह,,, अनायास इधर उधर झांकते हुए ठीक पत्थर के पास पहुंच गया और रूपाली पेशाब करने में व्यस्त थी,,,, और सुरज उसे ढूंढता हुआ ठीक पत्थर के पास पहुंचकर जैसे ही आवाज लगाया,,,।


मामी कहां गई,,,,,(इतने में उसे पत्थर के पीछे बैठकर पेशाब करती हुई उसकी मामी नजर आ गई उसकी गोरी गोरी मदमस्त कर देने वाली गांड सुरज की आंखों के सामने थी और गुलाबी छेद में से पेशाब की मधुर ध्वनि सुनाई दे रही थी,,,, यह पल भर के लिए ही था लेकिन इतने में ही सुरज ने अपनी मामी की मदमस्त गांड के दर्शन कर लिया था और वह भी उसे पेशाब करते हुए देख रहा था जैसे ही रूपाली के कानों में सुरज की आवाज गई वह तुरंत उसे रोकते हुए बोली)

अरे इधर नहीं इधर नहीं आ,,,,।
(लेकिन तब तक देर हो चुकी थी सुरज ने वह सब कुछ देख लिया था जो उसे नहीं देखना चाहिए था,,, रूपाली ने भी पीछे नजर करके सुरज को रोकने की कोशिश करते हुए उसकी आंखों को उसकी नजरों की सीधान को देख ली थी जो कि उसकी गांड की तरफ ही था पल भर में ही रूपाली एकदम से सिहर उठी,,,, सुरज तुरंत दो कदम पीछे हट गया था लेकिन इस नजारे को देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो गया था,,,, वह कुएं के पास खड़ा होकर बाल्टी को ढूंढ कर उसमें पास में पड़ी रस्सी बांधने लगा तब तक रूपाली पेशाब करके वापस उनके पास आ चुकी थी वह इतना तो जान चुकी थी कि उसका भांजा अपनी खुली आंखों से उसकी नंगी गांड को देख लिया था उसे पेशाब करते हुए देख लिया था यह एहसास ही रूपाली के तन बदन में आग लगा रहा था,,,, बाल्टी को रस्सी में बांधता हुआ देख कर रूपाली बोली,)


तू रहने दे सुरज में पानी निकाल लूंगी तूने कभी कुवे से पानी निकाला नहीं है,,,


अरे रहने दो ना मामी मैं तुम्हारी मदद कर देता हूं,,


तू रहने दे मदद करने को याद है एक दिन तो इसी तरह से मेरी मदद कर रहा था,,,,तो ,,,,(इतना कहकर रूपाली एकदम से खामोश हो गई उसके कहने का मतलब को सुरज अच्छी तरह से समझ गया था लेकिन फिर भी जानने के उद्देश्य से वह बोला,,)


तो क्या हुआ मामी आज भी मदद करने दो ना वैसे भी बाल्टी आज कुछ ज्यादा भारी है उसे से बड़ी है,,,,,,


नहीं नहीं तू रहने दे ,,(और इतना कहने के साथ ही,,,, रूपाली बाल्टी को कुएं में नीचे गिरा दी,,,और उसमें पानी भरने के लिए उसे गोल गोल कमाने लगे ऐसा करने पर रूपाली पूरी तरह से झुकी हुई थी,,, और झुकने की वजह से उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर बाहर निकली हुई थी सुरज का मन तो कर रहा था कि पीछे से दबोच ले लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी,,,कुछ पल पहले ही वह अपनी मामी की नंगी गांड को देख चुका था साड़ी में और साड़ी के बगैर उसकी मामी की दोनों तरह से ही बेहद खूबसूरत और आकर्षित लगती थी,,,,,,उसकी मामी कुएं से पानी निकालने की कोशिश कर रही थी और सुरज चारों तरफ का नजारा देख रहा था चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस पंछियों की आवाज भी सुनाई दे रही थी,,, सूर‌ज सर पर चढ़ आया था,,,, सुरज अपने मामाजी को मन ही मन धन्यवाद दे रहा था कि अच्छा हुआ उन्होंने उसे बेल गाड़ी चलाना सिखा दिया वरना इतना खूबसूरत सफर का मजा हुआ कभी नहीं ले पाता,,,,,।


क्या हुआ मामी आऊं क्या,,,,(अपनी मामी को नीचे झुके हुए कुवे से पानी की बाल्टी को भरते हुए देखकर सुरज बोला,,)

नहीं नहीं मैं कर लूंगी,,,,(सुरज की तरफ देखे बिना ही रूपाली बोली हालांकि वह अपने मन में यही चाहती थी कि उसकी मदद करने के लिए उस दिन की तरह ही उसका भांजा आज भी उसके पीछे खड़ा होकर कुवे में से बाल्टी को खींचे तो बहुत मजा आ जाए क्योंकि ना जाने क्यों रूपाली का मन अपने भांजे की मर्दाना ताकत की चुभन को अपनी गांड पर महसूस करने के लिए कर रहा था,,,,, सुरज वहीं खड़ा रहा लेकिन तभी देखा कि कुएं में से बाल्टी को खींचते समय उसकी मामी का पैर तकमगा रहा था तो वह तुरंत अपनी मामी के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसी तरह से रस्सी को पकड़कर खींचने लगा जैसा कि उस दिन अपनी मामी की मदद कर रहा था,,,,अपनी मामी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड और बाकी पूरी तरह से नंगी देखने के बाद उसका लंड पहले से ही उफान मार रहा था और इस तरह से उसके पीछे खड़े हो जाने पर तो ऐसा लग रहा था कि पैजामा फाड़ कर बाहर ही आ जाएगा,,,,सुरज अपनी मामी की मदद करने के लिए अपनी मामी के पीछे खड़ा होकर रस्सी को खींचने लगा था उसकी मामी भी रस्सी खींच रही थी,,,,कुछ देर पहले ही उसके भांजे ने उसे पेशाब करते हुए देखा था इस बात का एहसास उसे उत्तेजित कर रहा था रूपाली की बुर से मदन रस का बहाव बड़ी जोर से हो रहा था,,,, तभी बाल्टी को खींचते समय वही एहसास फिर से रूपाली को महसूस होने लगा जैसा कि वह पहली बार महसूस की थी सुरज का लंड पर जाने में होने के बावजूद भी पूरी तरह से उभार लिए हुए था जो कि ठीक उसकी मामी की गांड के बीचो-बीच धंस रहा था,,, रूपाली की तो हालत खराब होने लगी इसीलिए वह अपने भांजे को मना कर रही थी लेकिन उसी से अकेले बाल्टी खींची भी नहीं जा रही थी और वह खुद चाहती थी कि उसका भांजा उसकी मदद करें,,,,।

रूपाली की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, इस हरियाली से भरे स्थान पर रूपाली की जवानी जोर मार रही थी और वह भी अपने भांजे के लिए,,,धीरे-धीरे सुरज बाल्टी को ऊपर की तरफ खींचने लगा लेकिन साथ ही जानबूझकर अपने लंड का दबाव अपनी मामी की गांड पर बराबर बनाए हुए था उसकी मामी भी उसकी हरकत का पूरा मजा ले रही थी,,,तो अभी जान पूछ कर ना जाने किस एहसास से अपनी गांड को पीछे की तरफ दे मार रही थी,,,, कभी-कभी सुरज जल्दबाजी दिखाते हुए पूरा जोर लगा कर बाल्टी कोऊपर की तरफ खींचता तो अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का दे देता ऐसा करने से उसे अपनी मामी को चोदने का एहसास हो रहा था और उसके हर एक धक्के पर रूपाली पूरी तरह से पानी-पानी हो जा रही थी,,,बाल्टी जब तक कुएं से बाहर आती तब तक सुरज ने अपनी हरकत की वजह से अपने लंड की रगड़ को अपनी मामी की गांड पर महसूस करवा करवा कर उसका पानी निकाल दिया था रूपाली झड़ चुकी थी,,,,,,एहसास रूपाली के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था कि उसका भांजा बिना उसकी चुदाई कीए ही उसका पानी निकाल दिया था,,,, बाल्टी कुए से बाहर आ चुकी थी और रूपाली अपने चेहरे पर आई शर्म की लालिमा को अपने भांजे से छुपाते हुए अपने हाथ में पानी लेकर अपने चेहरे पर मारकर अपने चेहरे को धोने की कोशिश करने लगी,,,,सुरज को इस बात का आभास तक नहीं था कि सुरज ने अपनी हरकत की वजह से अपनी मामी का पानी निकाल दिया है,,, अपने चेहरे को धोते समय रूपाली चोर नजरों से अपने भांजे के पजामे की तरफ देखी तो दंग रह गई,,, उसके पहचाने में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था और पल भर में ही रूपाली अपने भांजे के तंबू की शक्ल को उसके नंगे लंड की कल्पना में तब्दील करने लगी तो वहां उसकी मोटाई और लंबाई से हैरान रह गई हालांकि अब तक वह अपने भांजे के लंड को नग्न अवस्था में नहीं देखी थी लेकिन फिर भी जो नजारा हुआ देख रही थी उससे उसे अच्छी तरह से आभास हो रहा था कि उसके भांजे के पजामे में मर्दाना ताकत से भरा हुआ है एक लंबा तगड़ा लंड है जो कि किसी की भी बुर में जाकर उसका पानी निकाल सकता है,,,,,।

दोनों पानी पीकर तृप्त हो चुके थे,,,, सुरज वापस बेल गाड़ी चलाने लगा और अपनी मंजिल की तरफ जाने लगा थोड़ी ही देर में हवेली आ चुकी थी वह अपनी मामी को बेल गाड़ी से उतारकर,,,वापस घर की तरफ आ गया उसका मन तो आज घर पर लौटने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था क्योंकि वह सोच रहा था कि शादी में रुक जाए और यहीं पर किसी भी तरह का जुगाड़ करके अपनी मामी की चुदाई कर दे क्योंकि ऐसा लग रहा था कि उसकी मामी उसकी बातों में पूरी तरह से आ चुकी थी,,, लेकिन उसका घर पहुंचना भी जरूरी था,,, इसलिए वापस घर पर आ गया,,,।
 
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सुरज अपनी मामी को चौधरी के घर विवाह में छोड़ कर आया था लेकिन जाते-जाते अपनी मामी के अंतर्मन में एक तूफ़ान सा छोड़ गया था,,,,, घर से चौधरी के हवेली तक पहुंचने के सफर में जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव रूपाली ने अपने तन बदन में महसूस की थी उस तरह की उत्तेजना वह शायद ही कभी अनुभव की हो,,, रूपाली अपने भांजे की हरकत की वजह से पूरी तरह से हैरान थी वह अपनी हरकत से ही उसका पानी निकाल दिया था यह बात हैरान कर देने वाली थी,,,, सफर के दौरान रूपाली को बहुत मजा आया था अपने भांजे के साथ थोड़ी बहुत अश्लील बातें करने में,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी बेटे से इस तरह की बातें करेगी और उसका भांजा भी उससे खुलकर बातें करेगा,,,,,, रूपाली की आंखों के सामने बार-बार वही दृश्य नजर आ जा रहा था जब वहपेशाब करने के लिए कुएं के पास बड़े पत्थर के पीछे जाकर अपनी साड़ी कमर तक उठाकर मूत रही थी और उसका भांजा सुरज उसे ढूंढता हुआ अनजाने में ही वहां तक आ पहुंचा था उसे रोकते रोकते उसने शायद उसका सब कुछ देख लिया था,,, क्योंकि इस बात का एहसास रूपाली को खुद हो गया था अपने भांजे की नजरों को देखकर क्योंकि उसकी नजरें उसके पिछवाड़े पर ही टिकी हुई थी,,,, वह पल रूपाली के लिए बेहद शर्मसार कर देने वाला था क्योंकि सुरज अपनी मामी को पेशाब करते हुए देख रहा है उसकी नंगी गांड को देख रहा था लेकिन शर्मसार कर देने वाले पल में भी ना जाने क्यों रूपाली के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी और शायद इसीलिए कि उसका भांजा उसे पेशाब करते हुए देख रहा था उसकी नंगी गांड के दर्शन कर रहा था,,,, यही वह पल था जब रूपाली पानी पानी हुई जा रही थी,,,,,, और उसके बाद एक बार फिर से कुएं में से पानी निकालते समय सुरज वही हरकत को दौहराया जो पहली बार उसने हरकत किया था,,कुएं में से पानी की बाल्टी को खींचते समय जानबूझकर सुरज अपने लंड का दबावअपनी मां की गांड पर दे रहा था जिसे रूपाली महसूस भी कर रही थी और आनन-फानन में अपनी कमर को झटके भी दे रहा था मानो कि जैसे वह उसकी पिटाई कर रहा हो यही सब रूपाली से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसका पानी निकल गया,,,, कुछ भी हो वह पल रूपाली के लिए भी बेहद अद्भुत और उत्तेजनात्मक था,,,,,, इसीलिए तो चौधरी की हवेली पर पहुंचने के बावजूद भी वह अपने भांजे को तब तक देखती रही जब तक कि वह उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गया,,,, सुरज का भी मन अपनी मामी को छोड़कर जाने को नहीं कर रहा था क्योंकि रास्ते पर जिस तरह की बातें हुई थी उसे देखते हुए सुरज को लगने लगा था कि उसकी मंजिल अब दूर नहीं है अगर वह शादी में रुक जाता तो जरूर किसी न किसी जुगाड़ से अपनी मामी की चुदाई कर देता और इस बात से रूपाली को भी ऐतराज नहीं होता क्योंकि उसका भी मन कहीं ना कहीं अपने भांजे पर आकर्षित होने लगा था,,,,।

दूसरी तरफ अपनी बीवी और अपने भांजे की गैर हाजरी में,,, रविकुमार अपनी छोटी बहन मंजू की जमकर चुदाई कर रहा था,,, घर में कोई नहीं था इसलिए घर का मुख्य द्वार बंद करके रविकुमार अपने सारे कपड़े उतार कर और मंजू को भी नंगी करके सुरज के पहुंचने तक ना जाने कितनी बार उस की चुदाई कर चुका था,,,मंजू पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी लेकिन रविकुमार की जबरदस्त चुदाई के कारण वह थक भी गई थी,,,।आज रविकुमार को अपनी बहन की जवानी का रस पीने का भरपूर मौका मिला था जिसे वह अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था और इसी मौके का फायदा मंजू भी उठा रही थी वह अपने भाई को अपनी गांड उठा उठा कर दे रही,,, थी,,,,,।

दूसरी तरफ शुभम सुरज के घर के चक्कर लगा रहा था लेकिन मुख्य द्वार बंद होने की वजह से वह बार-बार वापस लौट जा रहा था वह सुरज को यह बताना चाहता था कि उसके घर में २ दिन के लिए कोई नहीं है सिर्फ वह है और उसकी मां है और यही सही मौका है सुरज को अपनी मन की मुराद पूरी करने की लेकिन सुरज से उसकी मुलाकात ही नहीं हो रही थी वह काफी परेशान नजर आ रहा था उसे इस बात का डर था कि कहीं चौधरी की हवेली पर सुरज भी तो ब्याह में शामिल होने नहीं चला गया अगर ऐसा हो गया तो ऐसा मौका हाथ से जाता रहेगा इसलिए वह परेशान नजर आ रहा था,,,,।

शाम ढलते ढलते सुरज घर पर पहुंच गया कब तक मंजू घर का काम करने में लग गई थी और रविकुमार घर से बाहर चला गया था ऐसे मौके पर सुरज घर पर पहुंचा था कि सुरज को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि उसकी गैरमौजूदगी में उसकी पीठ पीछे उसके मामाजी और उसकी मौसी चुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे,,,, बैलगाड़ी को खड़ी करके बैलों को पीछे चौकड़ी में ले जाकर बांधने के बाद जैसे ही सुरज घर में प्रवेश किया तो सामने ही मंजू झाड़ू लगाते हुए दिखाई थी उसकी गोल-गोल गांड देखकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी एक तो वैसे ही सफर के दौरान वह अपनी मामी की वजह से पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था इसलिए वह अपने बदन की गर्मी अपनी मौसी की चुदाई करके उतार लेना चाहता था इसलिए पीछे से जाकर अपनी मौसी को पकड़ लिया,,,, लेकिन दिनभर की चुदाई की

थकान से थक कर चूर हो चुकी मंजू बोली,,,।

बाप रे आते ही शुरू हो गया आज कुछ होने वाला नहीं है मेरे बदन में दर्द है,,,, आज रहने दे,,,


कैसी बातें कर रही हो मौसी,, एक तो तुमसे मिलने के लिए मैं जल्दी-जल्दी मामी को हवेली छोड़कर इधर आया हूं और आते ही तुम्हारी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया और तुम हो कि मेरे लंड पर पानी डाल रही हो,,,,


अरे सुरज समझने की कोशिश कर रूपाली भाभी घर पर नहीं थी तो दिन भर घर की सफाई करने में थक गई हूं,,,।

नहीं नहीं मैं कुछ नहीं जानता एक बार तो लेने दो,,,, फिर आज नहीं लूंगा बस,,,,


तू बिल्कुल भी मानने वाला नहीं है,,,,


तुम्हारी जैसी मौसी हो तो भला भतीजा कहां मानने वाला होगा,,,,


तू एकदम शैतान हो गया है ,,,चल अच्छा जा दरवाजा बंद कर दिया लेकिन मैं सारे कपड़े नहीं करूंगी बस सलवार नीचे करके खड़ी हो जाती हूं पीछे से कर ले,,,


चलेगा मौसी कोई बात नहीं मुझे तो तुम्हारे सिर्फ गुलाबी छेद से काम है,,,,,, बस उतना ही खोल दो मेरे लिए बहुत है,,,।
(इतना कहने के साथ ही सुरज तुरंत जाकर मुख्य द्वार को बंद कर दिया और वापस आने के साथ ही अपने पजामे को घुटनों से नीचे खींच दिया,,, उत्तेजना के मारे उसका लंड पहले से ही खड़ा था,,, जब तक वापस आता तब तक मंजू अपनी सलवार की डोरी खोल कर अपने सलवार को नीचे घुटनों तक लाकर दीवार पकड़कर झुक कर खड़ी हो गई थी,,,, आज दिन भर उसके बड़े भाई ने उसके ऊपर हर एक आसन आजमा कर उसकी टीका ही किया था इसलिए उसके बदन में दर्द महसूस हो रहा था वह तो सुरज की जीत के आगे वह हार गई वरना आज सुरज को करने नहीं देती,,,।

अपनी मामी की मदमस्त जवानी की गर्मी से छाई उत्तेजना को वह अपनी मौसी की गुलाबी छेद पर उतार रहा था,,, अपने लंड पर थूक लगाकर एक झटके में ही अपने लंड को अपनी मौसी की बुर में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया,,,, दिन भर अपने भाई के लंड को अपनी बुर में लिए रहने के कारण उससे बड़ा लंड अपनी बुर में जाते ही उसे थोड़ा दर्द महसूस होने लगा लेकिन फिर भी दर्द के बावजूद भी उसका भतीजा उसे आनंद दे रहा था अपनी मौसी की गांड पकड़कर सुरज ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था और जल्द ही अपना पानी निकाल कर शांत हो गया,,,,,,।

मंजू खाना बनाने में लगी हुई थी अंधेरा हो चुका था सुरज गांव में इधर-उधर घूम रहा था तभी शुभम की नजर भी सुरज पर पड़ी तो वह जल्दी जल्दी उसके पास आया और बोला,,,।


कहां चला गया था तू दिन भर मैं तुझे ‌ढुंढ रहा था,,,


क्यों मुझसे ऐसा कौन सा काम पड़ गया कि तू मुझे दिनभर ढूंढ रहा था कहीं मेरी बात तुझे पसंद तो नहीं आ गई तेरी मां की गांड मारने वाली,,,।

सुरज,,,,(चारों तरफ नजर दौड़ा कर तसल्ली कर लेने के बाद,,) बात वही है,,, इधर आ मैं तुझे बताता हूं,,,,
(इतना कहकर शुभम उसे थोड़ी दूर लेकर आ और उसे सब कुछ बताने लगा कि २ दिन के लिए गौरी चौधरी की हवेली पर शादी में गई है,,, और उन दोनों के पास २ दिन का भरपूर मौका है अपनी मुराद पूरी करने का,,,शुभम की यह बात सुनते ही सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वह एकदम खुश हो गया,,, और शुभम से बोला,,,)


वाह मेरे दोस्त तूने तो यह खबर सुना कर मेरा मन खुशियों से भर दिया तू नहीं जानता कि मैं कितना तड़प रहा हूं तेरी मां की गांड मारने के लिए,,,,लेकिन तू अगर बताया होता कि चौधरी के घर गौरी को जाना है तो मैं अपनी बैलगाड़ी पर बैठा कर ले गया था क्योंकि मैं भी वहीं जाकर आ रहा हूं अपनी मामी को वहीं छोड़ कर आया हूं,,,


चल जो हुआ सो हुआ अब आगे का सोच मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे करना है,,,(शुभम परेशान होता हुआ बोला)


तो बिल्कुल भी चिंता मत करो शुभम मैं सब कुछ संभाल लूंगा बस तू मेरा साथ देखना आज की रात हम दोनों मिलकर तेरी मां की कैसे गांड मारते हैं,,, बहुत मजा आएगा,,,,।
(शुभम की तो हालत सुरज की बातें सुनकर ही खराब होती जा रही थी उसका लंड खड़ा होने लगा था अपनी मां की गांड मारने की बात सुनकर ,,,, सुरज आगे की योजना शुभम को सुनाता हुआ बोला)


देख कैसे क्या करना है मैं सब जानता हूं,,,

क्या मुझे मां गांड मारने देगी,,,

अरे पागल उछल उछल कर देगी बस जैसा मैं कहूं वैसा ही करना,,,


देख सुरज सब कुछ तेरे हाथ में है तेरे कहने पर ही मैं यह सब करने को तैयार हो गया हूं लेकिन एक बात याद रखना कि यह बात सिर्फ हम दोनों में रहना चाहिए गांव में अगर किसी को भी पता चला तो याद रखना उस दिन अनर्थ हो जाएगा,,,,(शुभम सुरज को धमकी भरे स्वर में बोला उसका इस तरह से बर्ताव करना चाहिए था क्योंकि वह सुरज के कहने पर ही एक बार फिर से अपनी मां को सुरज के हाथों में सौंपने के लिए तैयार हो गया था और इस राज को राज ही रखने में दोनों की भलाई थी इस बात को भी शुभम अच्छी तरह से जानता था,,,)

तू बिल्कुल भी चिंता मत कर से हम अगर मुझे बताना होता तो अलग गांव में हल्ला हो गया होता कि मैंने तेरी मां की चुदाई किया हूं और तू खुद अपनी मां को चोदता है,,,


धीरे बोल,,,यार,,,(सुरज की बात सुनते ही शुभम तुरंत उसे चुप कराते हुए बोला)


लेकिन सुरज तू तो अकेलेपन का फायदा उठाकर अपनी मनमानी कर लेना और मेरी मां तुझ से करवाने के लिए मान भी जाएगी लेकिन मेरा क्या होगा मुझे कैसे तू इस खेल में शामिल करेगा,,,,।

अरे सब कुछ हो जाएगा,,, देख में आज तेरे वहां ही खाना खाऊंगा और खाना खाने के बाद थोड़ी देर के लिए तेरे घर से चला जाऊंगा और एकाद घंटे बाद फिर घर वापस आऊंगा,,, जोकि तेरी मां से सब कुछ बातें हो चुकी होगी और जब १ घंटे बाद में तेरे घर वापस आऊंगा तो तू अपनी मां के साथ बिल्कुल भी मत रहना और इसके बाद मैं तेरी मां की चुदाई करना शुरू कर दूंगा दरवाजा की कड़ी मैं खुली छोड़ दूंगा और तू अंदर आकर सब कुछ अपनी आंखों से देख लेना,,,,


फिर क्या होगा,,,?


अरे फिर क्या,,, तेरी मां मुझसे चुदवाते हुए तुझे देख लेगी और तू अपनी मां को तेरी मां तो यही समझती है ना कि मैं तेरी मां को चोदता हूं तो तू नहीं जानता इसलिए तेरे सामने एकदम डर जाएगी,,,, तू जानबूझकर अपनी मां पर गुस्सा करना,,,, और मैं किसी भी तरह से तुझ से बात करने की कोशिश करूंगा कि तू अपनी मां को चोद ले,,, और इसमें तेरी मां को बिल्कुल भी एतराज नहीं होगा क्योंकि वह नहीं जानती है कि मैं तुम दोनों के बारे में सब कुछ जानता हूं तेरी मां के पहले से ही तेरे से चुदवाती है इसलिए एक बार फिर से मेरी आंखों के सामने चुदवाने मैं उसे किसी भी प्रकार का हर्ज नहीं होगा,,,, और ऐसे हम तीनों मिलकर रात रंगीन करेंगे,,,,।


यार तेरी सोच तो एकदम बेहतरीन है लेकिन तेरी युक्ति काम तो करेगी ना,,,!(शुभम शंका जताते हुए बोला)


एकदम काम करेगी तेरी मां को चोद कर मैं समझ गया हूं कि तेरी मां के बदन में बहुत आग है और वह अपने बदन की आग बुझाने के लिए कुछ भी कर सकती है,,,, लेकिन तेरी मा ईस समय है कहां,,?


अपने नदी के किनारे खुले मैदान में वही सोच करने गई है तु अभी जाकर उससे बात करनी तो थोड़ी चिंता कम हो जाए,,,,,,

वाह वहां तो और मजा आ जाएगा,,,,चल देखना चाहता है कि मैं तेरी मां को कैसे मनाता हूं,,,, तू ही उस दिन बहुत बोल रहा था ना कि तेरी मां मानने वाली नहीं है,,, और कैसे मेरा लंड देखकर पागल हो गई,,,

जाने दे यार सब औरत एक जैसी होती है,,,


लेकिन चल तो सही मुझे देख कर तेरी मां कैसे खुश हो जाती है यह भी तू अपनी आंखों से देख ले,,,,


नहीं नहीं जाने दे तू ही जा,,,,


अरे चलना यार पेड़ के पीछे छुप कर देखते रहना,,,,,,, इसी बहाने सौच भी कर लेना,,,,(ऐसा कहते हुए सुरज जबरदस्ती उसका हाथ पकड़ कर ले जाने लगा वैसे तो शुभम का भी मन था तूने आंखों से सब कुछ देखने का वह देखना चाहता था कि रात में उसकी मां को कैसे बनाता है और उसकी मां कैसे तैयार हो जाती है लेकिन शर्म बस वह जाना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी अपनी मां का एक नया रूप देखने के लिए वह लालायित था,,, इसलिए वह भी सुरज के साथ चल दिया,,,,।

थोड़ी देर में ही वह दोनों,,, नदी के किनारे वाले खुले मैदान में पहुंच गए,,, जहां छोटी-छोटी झाड़ियां उगी हुई थी और झाड़ियों के पीछे छुप कर गांव की औरतें शौच करती थी,,, लेकिन इस समय यहां कोई नजर नहीं आ रहा था सुरज गौर से हम दोनों बड़े ध्यान से पूरे मैदान में देख रहे थे लेकिन वहां शुभम की मां मंगलदेवी तो क्या कोई दूसरी औरत भी नजर नहीं आ रही थी,,,,।

क्या यार शुभम तू तो कह रहा था कि तेरी मां यही होगी यहां तो कोई नजर नहीं आ रहा है,,,


अरे यार यहीं के लिए तो निकली थी,,,(दोनों जहां खड़े थे वहां बड़े-बड़े पेड़ थे वह पेड़ के नीचे खड़े थे चारों तरफ धूप अंधेरा था,,,, दोनों धीरे-धीरे बातें कर रहे थे ताकि किसी और को सुनाई ना दे तभी सुरज के कानों में पायल की छन छन और चूड़ियों की छन छन की आवाज सुनाई थी तो सुरज ने शुभम को शांत कराता हुआ उस दिशा की तरफ निर्देश करके आगे बढ़ने लगा साथ में शुभम भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,,, तकरीबन ३ से ४ मीटर की दूरी तय करने के बाद वह लोग थोड़ा सा खुले मैदान की तरफ पहुंचे तो सामने का नजारा देखकर सुरज के साथ-साथ शुभम भी एकदम मस्त हो गया क्योंकि छोटी सी झाड़ियों के पीछे शुभम की मां मंगलदेवी साड़ी को कमर तक उठाकर नीचे बैठकर सोच कर रही थी,,,,अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी गांड देखकर शुभम का लंड खड़ा होने लगा,,,, सुरज से शांत रहने का इशारा किया और उसे वही खडे रहने का इशारा करके सुरज चोर क़दमों के आगे बढ़ने लगा,,,।

ये नजारा अपनी आंखों से देखा ना शुभम से लिए बह रही हो रहा था क्योंकि उसकी मां सोच कर रही थी और ऐसे में उसका दोस्त उसकी मां के करीब जा रहा था और वह भी उसकी आंखों के सामने कोई और पल होता तो शायद सुरज की हड्डीपसली एक कर देता लेकिन इस खेल में धीरे-धीरे शुभम को खुद को मजा आने लगा था इसलिए वह आनंद लेता हुआ उस दृश्य को देख रहा था,,,,यह शुभम की जिंदगी में पहला मौका था जब वह अपनी मां को इस तरह से खुले में सोच करते हुए बेहद करीब से देख रहा था,,,, अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर शुभम की हालत खराब होने लगी,,,, यह दृश्य बेहद मादकता से भरा हुआ था क्योंकि जिस नजारे को वह देख रहा था वही नजारा उसका दोस्त सुरज की देख रहा था और सुरज तो उसकी मां की तरफ आगे बढ़ रहा था और वह खुद वहीं रुका रह गया था वह देखना चाहता था कि उसका दोस्त सुरज उसकी मां को कैसे मनाता है,,,,, यह देखना एक बेटे के लिए बेहद अजीब था क्योंकि शुभम को अपनी मां पर पूरा विश्वास था लेकिन उसकी मां उसकी इच्छा हो उसकी सोच के विपरीत ही कामवासना के अधीन होकर उसके दोस्त के साथ शारीरिक संबंध बना दी थी और इस समय भी वही होने वाला था इस समय सुरज शुभम की मां मंगलदेवी को रात के लिए मनाने वाला था और कैसे मनाना था यही देखना था,,,,।

शुभम झाड़ियों के पीछे दुबक कर बैठा हुआ था ताकि उस पर किसी की नजर ना पड़े और सुरज धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था शुभम की मां मंगलदेवी इस बात से बिल्कुल अनजान थी कि उसके पीछे उसका बेटा और सुरज दोनों उसे ही देख रहे हैं,,,, यह जगह काफी सुनसान थी क्योंकि यह नदी का किनारा था यहां पर बहुत कम लोग सोच करने आया करते थे और जो भी आते थे वह जल्द ही आकर चले भी जाते थे,,, इसीलिए इस समय शुभम की मां मंगलदेवी के सिवा यहां पर और कोई नहीं था,,, सुरज उत्तेजित हुआ जा रहा था कि किसकी आंखों के सामने उसकी सबसे बड़ी कमजोरी एक औरत की गांड ज्योति बड़ी-बड़ी जवानी से भरी हुई जिसकी जवानी को वह खुद लुट चुका था,,,।

शुभम की मां मंगलदेवी शौच करने में पूरी तरह से मशगूल हो गई थी यहां तक कि उसके पीछे की आहट भी उसे सुनाई नहीं दे रही थी,,, इसी का फायदा उठाते हुए सुरज ठीक शुभम की मां मंगलदेवी के पीछे जाकर बैठ गया और वह भी खुद अपना पायजामा घुटनों तक खींच कर शौच करने की मुद्रा में बैठ गया,,,,और तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर शुभम की मां मंगलदेवी की गांड पर एक चपत लगाते हुए बोला,,,,।


क्या मामी अकेले-अकेले यहां आती हो मुझे भी बुला लिया करो,,,।
(गांड पर एकदम से चपत लगने से शुभम की मां मंगलदेवी चौक गई,,,और तुरंत पीछे की तरफ देखने लगी,, पीछे सुरज को बैठा देखकर उसके जान में जान आई,,,,)

हाय दैया तु तो मुझे डरा ही दिया ,,, तू जहां क्या कर रहा है कोई देख लेगा तो,,,(शुभम की मां मंगलदेवी अपने चारों तरफ नजर घुमाते हुए बोली,,,)

अरे यहां कोई नहीं है सिर्फ मैं हूं और तुम हो तुम्हें ढूंढता ढूंढता मै यहां तक आ गया,,,,(सुरज ठीक उसके बगल में बैठ कर उसकी बड़ी बड़ी गांड पर हाथ फिराता हुआ बोला,,,यह देखकर शुभम की हालत खराब हो रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी आसानी से उसकी मां अपनी गांड पर उसका हाथ रखने दे रही है,,,, लेकिन फिर अपने मन में शुभम सोचने लगा कि जो औरत चुदवा सकती है तो अपनी गांड पर हाथ रखवाले में कौन सी हर्ज होगी,,,, शुभम की मां मंगलदेवी लगातार चारों तरफ नजर घुमाकर देख रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है क्योंकि जिंदगी में पहली बार सोच करते समय कोई जवान लड़का उसके बगल में बैठ कर उसकी गांड को सहला रहा था,,, एक जवान लड़के की हरकत को देखकर शुभम की मां मंगलदेवी अंदर ही अंदर गनगाना जा रही थी उसे बहुत अच्छा लग रहा था,,,, कुछ देर शांत रहने के बाद वह सुरज की बात पर गौर करते हुए बोली,,)

तु क्यों मुझे ढूंढ रहा है,,,? (कोई देखना चाहे तो भी ना देख पाए इसलिए थोड़ा सा बैठे-बैठे ही झाड़ियों में दुबकते हुए बोली,,)


आज मेरा बहुत मन हो गया था,,,।
(सुरज की बातें सुनकर शुभम की मां मंगलदेवी की बुर भी फुदकने लगी,, क्योंकि उस दिन की चुदाई उसे अभी तक याद थी,,, सुरज के कहने का मतलब को शुभम की मां अच्छी तरह समझ रही थी फिर भी अनजान बनते हुए बोली,,)


मन हो गया था,,, मैं कुछ समझी नहीं,,,,
(थोड़ी ही दूर पर झाड़ियों के पीछे बैठा हुआ शुभम अपनी मां की बात सुनकर अपने मन में ही बोला साली नाटक करती है समझती सब कुछ है,,,)


तुम्हें चोदने का मन हो गया था मामी,,, तुम्हारी बुर की बहुत याद आ रही थी,,,(सुरज उसी तरह से उसकी गांड को सहलाता हुआ बोला,,, और बार-बार पीछे शुभम की तरफ देख ले रहा था वह एक तरह से अपनी हरकत से शुभम को चलाना चाहता था और ऐसा हो भी रहा था सुरज की हरकत से शुभम को दुख भी हो रहा था लेकिन ना जाने क्यों अपनी आंखों के सामने अपनी मां का यह रूप देख कर उसे आनंद भी आ रहा था,,,।)

धत्,,, कैसी बातें करता है रे तु,,,, मैं ऐसी वैसी औरत थोड़ी हूं वह तो उस दिन ना जाने क्यों बहक गई थी,,,
(अपनी मां की बात सुनकर शुभम अपने मन में बोला साली मोटा तगड़ा लंड देखकर बुर में खुजली होने लगी,,,)


तो मैं भी कौन सा ऐसा वैसा लड़का हूं,,, वह तो तुम्हारी जवानी देखकर मेरी हालत खराब हो जाती है इसलिए तुम्हें ढूंढता हुआ यहां आ गया हूं,,,(इतना कहते हुए धीरे-धीरे सुरज अपनी हथेली को शुभम की मां मंगलदेवी की बुर के बेहद करीब लाकर उसके छेद पर रख कर अपनी उंगली से कुरेद ने लगा सुरज की हरकत शुभम की मां मंगलदेवी के साथ-साथ शुभम के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ाने लगा,,, शुभम की मां मंगलदेवी सुरज के हाथ को बिल्कुल भी हटा नहीं रही थी उसे भी बहुत मजा आ रहा था,,,,)

तो जिस तरह से आया है उसी तरह से चला जा तेरा कुछ होने वाला नहीं है मेरे बेटे को पता चल गया तो अनर्थ हो जाएगा,,,(अपनी मां की बात सुनकर शुभम को ऐसा लग रहा था कि शायद जो कुछ भी हुआ बहकावे में हो गया आज उसकी मां कुछ करने नहीं देगी लेकिन यह सब सुनकर भी शुभम को अजीब लग रहा था क्योंकि अगर जो कुछ भी हुआ था बहकावे में हुआ था तो अभी क्यों सुरज के हाथ को अपनी गांड पर रखने दे रही है,,, शुभम को अपनी मां का चरित्र समझ में नहीं आ रहा था,,,)

अरे कुछ नहीं होगा कुछ भी पता चलने वाला नहीं है,,,,अगर शुभम ने कुछ देख भी लिया तो वह भी तुम्हारी जवानी देखकर पिघल जाएगा और वह भी तुम्हें चोदने को तैयार हो जाएगा,,,।(सुरज चालाकी दिखाते हुए अपनी उंगली को बैठे-बैठे ही शुभम की मां मंगलदेवी की बुर में डालकर घुमाने लगा और सुरज की यह हरकत से शुभम की मा पिघलने लगी,,,)


अरे सुरज कैसी बातें करता है तू वह मेरा बेटा है भला एक बेटा अपनी मां को कैसे चोद सकता है,,,,,


अरे मामी तुम नहीं जानती आजकल तो बेटे की अपनी मां की चुदाई कर रहे हैं ,, और अपने बेटे से चुदवाया औरत भी खुश हो रही है,,,।(शुभम की मां मंगलदेवी के लिए यह बात कोई नई नहीं थी वह तो खुद अपने बेटे से चुदवाती थी इसलिए सुरज की बात एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दी,,, लेकिन उसकी हरकत का मजा ले रही थी,,, सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाने से पहले शुभम की मां मंगलदेवी का हाथ पकड़कर बैठे हुए ही अपने लंड पर दिया जो की पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था,,, पीछे खड़ा शुभम सुरज की हरकत को देख रहा था और यह भी साफ तौर पर देखा कि जैसे ही उसकी मां के हाथ में सुरज का मोटा तगड़ा लंड आया उसकी मां से रहा नहीं गया और वह उत्तेजना में उसे अपनी हथेली में दबोच ली,,,, शुभम की मां मंगलदेवी इतनी जोर से सुरज के लंड को अपनी हथेली में दबाई की सुरज के मुंह से हल्की सिसकारी की आवाज निकल गई,,,, शुभम की मां मंगलदेवी का जोश देखकर सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) क्यों मंगल मामी एक बार फिर से हो जाए मेरा लंड पूरी तरह से तैयार है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,,।
(सुरज की गंदी गंदी बातें और उसका मोटा तगड़ा लंड शुभम की मां मंगलदेवी की हालत को खराब कर रहा था खुले मैदान में सुरज उसके तन बदन में चुदासपन भर दिया था,,,, शुभम की मां मंगलदेवी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें सुरज पूरी तरह से उसके ऊपर हावी होता चला जा रहा था अपनी उंगली को लगातार उसकी बुर से अंदर बाहर करके उसे मस्त कर रहा था और दूसरी तरफ उसकी हथेली को अपने लंड पर रख उसे और ज्यादा गर्म कर दिया था,,, कुछ देर तक खामोशी छाई रही शुभम के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी वह देखना चाहता था कि उसकी मां क्या निर्णय लेती है,,,, खामोशी को तोड़ता हुआ सुरज ही फिर से बोला,,)

क्या कहती हो मंगल मामी दोगी,,,


यहां,,,, कोई देख लिया तो,,,,।
(शुभम की मां मंगलदेवी का इतना कहना था कि शुभम का दिल टूट गया उसे अपनी मां की मस्ती देखने मैं मजा तो आ रहा था,,,और वह सुरज की हरकत का मजा भी ले रहा था लेकिन उसके दिल के कोने में कहीं ना कहीं इतना विश्वास था कि उसकी मां उसे इंकार कर देगी लेकिन अपनी आंखों से वह अपनी मां की मदमस्त जवानी को सुरज की मर्दानगी के आगे घुटने देखता हुआ देख रहा था कुछ कर सकने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं था पेड़ के पीछे झाड़ियों में दुबक कर अपनी मां की कामलीला को अपनी आंखों से देख रहा था,,,, कोई देख लीया तो,,,शुभम की मां मंगलदेवी का इतना कहना उसकी तरफ से यही उसकी मां स्वीकृति भी थी जिसको सुरज अच्छी तरह से समझता था इसलिए वह शुभम की मां मंगलदेवी को समझाते हुए बोला,,,।)



कोई नहीं देखेगा,,,, देख नहीं रही हो चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ है,,,, कोई देखना चाहेगा तो भी नहीं देख पाएगा और वैसे भी मैं तुम्हें खड़ी करके तुम्हारी चुदाई नहीं करूंगा पर जिस तरह से तुम बैठी हो आगे झुक जाओ मैं पीछे से तुम्हारी ले लूंगा,,,


ऐसे आराम से कर लेगा ना,,,,


हां मंगल मामी तुम चिंता मत करो बड़े आराम से तुम्हारी लूंगा,,,


बड़े आराम से नहीं उस दिन की तरह एकदम जमकर,,,,

ओहहहह मेरी मंगल मामी कसम से तुम्हारी यही अदा तो मुझे पागल कर देती है,,,,।
(सुरज की बात सुनकर शुभम की मां मंगलदेवी मुस्कुराने लगी और जिस तरह से बैठी थी उसी तरह से आगे की तरफ झुक गई और घोड़ी बन गई,,,शुभम तो अपनी मां की हरकत देखकर शर्म से पानी पानी हुआ जा रहा था उसे अपनी मां से यह उम्मीद नहीं थी लेकिन फिर भी ना जाने क्यों उसे यह सब देखना अच्छा लग रहा था,,,, उसका लंड भी अपनी मां की हरकत देख कर खड़ा हो गया था जिसे वह अपने हाथ में पकड़ कर हिला रहा था,,, शुभम की मां मंगलदेवी खुले मैदान में झाड़ियों के पीछे झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को सुरज के आगे परोस दी थी और सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)

बस मंगल मामी थोड़ा सा गांड और ऊपर उठाओ,,,
(शुभम तो सुरज के मुंह से यह सब सुनकर एकदम उत्तेजना से सरोबोर हुआ जा रहा था २ साल से अपनी मां की चुदाई करता रहा था लेकिन इस तरह से वह अपनी मां से बात नहीं किया था जिस तरह से सुरज एकदम खुलकर उसकी मां से बातें कर रहा था और उसकी मां की उसके बात में उसका साथ दे रही थी,,, सुरज की बात मानते हुए शुभम कि मा अपनी गांड को और थोड़ा ऊपर उठा दी,,,, सुरज उत्तेजित हो गया था एक उम्र दराज औरत को अपनी बात मानता हुआ देखकर वह पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने को तैयार हो गया था और तुरंत अपने लिए शुभम की मां मंगलदेवी की गांड के पीछे जगह बनाते हुए अपने लंड को पकड़ कर उसकी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,, बुर पहले से ही पनीयाई हुई थी इसलिए पहले धक्के नहीं सुरज का आधा लंड शुभम की मां मंगलदेवी की बुर में चला गया,,, आधा लंड बुर में घुसते ही शुभम की मां मंगलदेवी एकदम से मचल उठी,,, उसके मुंह से आह निकल गई लेकिन उसकी आहा शुभम और सुरज के सिवा और कोई सुनने वाला कोई नहीं था और से हम अपनी मां के मुंह से आह की आवाज सुनकर एकदम मस्त हो गया,,, सुरज शुभम की मां मंगलदेवी की गांड पकड़कर आधा बचा अपना लंड भी दूसरे धक्के में पूरा का पूरा घुसा दिया,,,,

आहहहहहह,,,, आराम से कर,,,,

आराम से कहां मजा आता है मंगल मामी,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया शुभम अपनी आंखों से सब कुछ साफ-साफ देख रहा था नदी के किनारे वाले मैदान में सुरज उसकी मां की चुदाई करना था जोकि शुभम के सोचने के बिल्कुल विपरीत था शुभम कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मां इस तरह से रंडी पन दिखाएगी ,,,, लेकिन ना जाने क्यों शुभम को अपनी मां की चुदाई देखने में मजा भी आ रहा था,,, सुरज से चुदवाते समय वह पूरी तरह से उत्साह में आ गई थी,,, उसका उत्साह देखने लायक था सुरज का साथ देते हुए वह बार-बार अपनी बड़ी-बड़ी ‌गांड को पीछे की तरफ दे मार रही थी,,,, सुरज की बड़ी मस्ती के साथ शुभम की मां मंगलदेवी की चुदाई कर रहा था,,, दोनों पूरी तरह से मस्त हो चुके थे सुरज शुभम की मां मंगलदेवी की कमर थामे अपनी कमर हिला रहा था और शुभम की मां से बोला,,,)


मंगल मामी मैंने सुना है कि आज गौरी घर पर नहीं है २ दिनों के लिए बाहर गई है,,,।

हां,,,रे तूने ठीक ही सुना है,,,,।

ओहहहह मेरी प्यारी मंगल मामी तब तो हम दोनों के पास २ दिन का समय है कहो तो आज की रात तुम्हारे घर रुक कर रात भर तुम्हारी सेवा करु,,,।
(सुरज की बात सुनते ही शुभम की मां मंगलदेवी मस्ती के साथ चुदवाते हुए थोड़ा शांत हो गए वह सोचने लगी और बोली)

नहीं नहीं गौरी घर पर नहीं है लेकिन शुभम तो है,,, उसे पता चल गया तो,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर शुभम समझ गया कि उसकी मां का भी मन है कि रात भर सुरज उस की चुदाई करें)

अरे कुछ पता नहीं चलेगा मंगल मामी तो बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,,


लेकिन तू घर पर क्या बोल कर आएगा,,,, मेरा बेटा अगर पूछ लिया तो,,,(शुभम की मां मंगलदेवी अपनी कमर को पीछे की तरफ ठेलते हुए बोली,,,)


अरे मंगल मामी तुम्हें चोदने के लिए तो मैं कोई भी बहाना बना सकता हूं,,, मैं कह दूंगा कि आज मेरे दोस्त के घर मेरा दावत है आज रात में वहीं रुकूंगा,,,।


हां यह ठीक है,,,लेकिन यह तो तू अपने घर पर बोलेगा मेरे घर पर क्या बोलेगा अगर शुभम पूछ लिया कि तू रात को घर पर क्या कर रहा है तब,,,,


ओहह मंगल मामी उसका भी बंदोबस्त मेरे पास है,,,, वैसे भी मामी तुम ज्यादा सोच विचार मत करो मैं शुभम के सो जाने के बाद ही तुम्हारे घर पर आऊंगा और रात भर तुम्हारी बुर की ऐसा सेवा करूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,।

ओहहहह सुरज तू तो मुझे पागल कर देगा,,,


तू भी मेरी रानी किसी से कम नहीं है,,, तेरी बड़ी बड़ी,,(गांड पर जोर से चपत लगाते हुए) गांड देखकर मेरी हालत खराब हो जाती है तभी तो मैं पागल बनकर तेरे पीछे-पीछे यहां तक आ गया मेरी जान,,,,।
(सुरज की यह गिरी हुई भाषा शुभम को बहुत बुरी लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे सुरज उसकी मां को नहीं बल्कि किसी रंडी को बोल रहा हो,,,लेकीन चुदवाते समय शुभम की मां मंगलदेवी को सुरज की यह बातें बड़ी अच्छी लग रही थी,,। वह बड़े मजे लेकर सुरज की बातों का आनंद उठाते हुए चुदवा रही थी,,,। थोड़ी देर में दोनों का पानी एक साथ निकल गया,,,

शुभम की मां मंगलदेवी अपने कपड़ों को व्यवस्थित करके रात को मिलने का वादा लेकर वहां से मुस्कुराते हुए चली गई शुभम अपनी आंखों से सब कुछ देख रहा था,,, एक तरह से उसकी मां शुभम से बेवफाई कर रही थी,,, शुभम एक तरफ अपनी मां की बेवफाई से खुश भी नहीं था और दूसरी तरफ उसका आनंद भी ले रहा था,,,, शुभम की मां मंगलदेवी के चले जाने के बाद सुरज भी अपना पैजामा बांधकर शुभम को बाहर निकलने के लिए बोला और शुभम झाड़ियों से बाहर आ गया शुभम के कंधे पर हाथ रखकर सुरज उसे अपने साथ ले जाता हुआ बोला,,,।)

देखा मेरे दोस्त तेरी मां को कैसे मना लिया,,, अब देखना हम दोनों रात को मिलकर कितनी मस्ती करते हैं,,,।
 
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सुरज ने शुभम की मां मंगलदेवी को नदी के खुले मैदान में अद्भुत सुख का अहसास कराया था,,,जोकि शुभम अपनी आंखों से सब कुछ देख रहा था,,, लेकिन कुछ भी बोल दे सकने की स्थिति में ना होने की वजह से वहां सिर्फ देखकर ही आनंद ले रहा था एक तरह से वह सुरज से सीख भी रहा था कि किसी औरत को संतुष्ट किया जाता है,,,, शुभम अपनी मां की तरफ से बेहद हैरान था कि कहीं भी मौका देखते ही उसकी मराजो का साथ देने लग रही थी,,,,,, सुरज इतना बड़ा हरामि लड़का होगा इस बारे में शुभम जो कि उसका दोस्त था उसे भी यकीन नहीं हो रहा था कि वह औरतों को कितनी जल्दी अपने बस में कर लेता है,,,उसके एक बार कहने से कैसे उसकी मां घुटनों के बल बैठकर अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में उठा दी,,,,शुभम अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां सुरज से पूरी तरह से संतुष्ट हो जा रही है तभी तो वह जैसा कह रहा है वैसा वह करने को तैयार हो जा रही थी,,,,,, शुभम को अपनी मां की इस बात से और ज्यादा हैरानी हो रही थी कि वह रात को भी सुरज से चुदवाने के लिए तैयार हो गई थी और वह भी उसके सो जाने के बाद,,,, शुभम अपने मन में यही सोच रहा था कि औरत जात का बिल्कुल भी भरोसा नहीं है किसी से कुछ और तो किसी और से कुछ और,,,,,।

सुरज शुभम के कंधे पर हाथ रखकर गांव की तरफ चला जा रहा था और उससे बता रहा था कि,,,


देखा कैसे तेरी मां को मना लिया,,,अरे मैं जानता हूं तेरी मां मेरे लंड की दीवानी हो गई,, है,,,, तभी तो देखा नहीं कैसे यहां पर चुदवाने के लिए तैयार हो गई,,,,
( सुरज की बात सुनकर शुभम कुछ भी बोल नहीं रहा था उसे गुस्सा तो आ रहा था लेकिन कर भी क्या सकता था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि वह सारा कसर अपनी मां की गांड मारकर निकालेगा,,,, इसीलिए खामोश था,,,, सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) तू देखना आज तु कैसे खुश हो जाता है तेरी मां हम दोनों को अपनी गांड देगी,,, मजा आ जाएगा तेरी मां की गांड मारने में,,,,,
(सुरज की बातों को सुनकर शुभम को गुस्सा बहुत आ रहा था क्योंकि कोई उसकी मां के बारे में इस तरह की बातें करें उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन एक गलती के कारण उसे सब कुछ बर्दाश्त करना पड़ रहा था और इस समय भी वह बर्दाश्त ही कर रहा था वरना वह सुरज को वहीं ढेर कर देता लेकिन गांड मारने की लालच उसके मन में भी आ चुकी थी,,,, बातें करते हुए दोनों गांव में पहुंच गए थे,,, सुरज उससे बोल कर चला गया कि थोड़ी देर में वह तेरे घर पर आएगा खाना खाने,,, इतना कह कर सुरज अपने घर चला गया,,, शुभम अपने घर पर पहुंच गया और हाथ मुंह धो कर सुरज का एक बहाने से इंतजार करने लगा,,,, वह अपनी मां की तरफ ध्यान दे रहा था वह उसकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए था,,, वह देखना चाहता था कि उसकी मां किस तरह से सुरज का इंतजार कर रही है,,,,समय हो जाने के बावजूद भी आज शुभम की मां खाना परोस नहीं रही थी वह सुरज का इंतजार कर रही थी जो कि शुभम की मां मंगलदेवी से वादा किया था कि वह आएगा बार-बार वहां घर के बाहर की तरफ देख ले रही थी कि कहीं सुरज बातों ने किया और यह सब देखकर शुभम अंदर ही अंदर जल भुन जा रहा था,,, शुभम अपनी आंखों से अपनी मां का रंडी पन देख रहा था,,,, उसे रहा नहीं किया तो वह अपनी मां से बोला,,,।

मां जल्दी से खाना परोसो मुझे भूख लगी है,,,

देती हू शुभम थोड़ा रुक तो सही,,,


अरे अब किसका इंतजार करना है गौरी तो घर पर है नहीं सिर्फ हम दोनों हैं फिर खाना क्यों नहीं परोस रही हो,,,,,,,


अच्छा रुक मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है मैं पेशाब करके आती हूं तब खाना परोसती हूं,,,(इतना कहकर शुभम की मां मंगलदेवी अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और घर के पीछे की तरफ जाने लगी अपनी मां को पेशाब करने जाता हुआ देखकर शुभम अपने मन में ही बोला साली छिनार कैसे सुरज का लंड लेने के लिए तड़प रही है,,, इस तरह से तो इसने मेरा इंतजार नहीं की,,,, लेकिन शुभम कुछ कर सकने की स्थिति में नहीं था वह भी सुरज का ही इंतजार कर रहा था,,,,,,,,, थोड़ी देर में शुभम की मां मंगलदेवी पेशाब करके वापस रसोई घर में आ चुकी थी और अपने मन में यह सोच कर कि शायद रात में नहीं आएगा वह दो थाली निकालकर खाना परोसने लगी कि तभी उसे सुरज की आवाज सुनाई दी उसके चेहरे पर सुरज की आवाज सुनते ही मुस्कान तैरने लगी,,, वह खुश हो गई और यह बदलाव शुभम अपनी आंखों से देख रहा था और मन ही मन अपनी मां को गाली भी दे रहा था,,,,,, सुरज को मालूम था कि उसे क्या करना है इसलिए शुभम के पास आते ही बोला,,,।


क्या दोस्त अकेले-अकेले खाना खा रहा है,,,, मंगल मामी मुझे नहीं खिलाओगी क्या,,,?(शुभम की मां मंगलदेवी की तरफ मुस्कुराकर देखते हुए सुरज बोला,,,,)


अरे यार खा ले तेरे खाने से कम नहीं पड़ जाएगा,,,

हां हां बेटा जैसे शुभम मेरा बेटा है वैसे तू भी तो मेरा बेटा ही है,,,, तू भी खा लेगा तो मुझे बहुत खुशी मिलेगी,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर शुभम अपने मन में बोला साली बेटा बेटा बोलकर उसका लंड पूरा बुर में ले लेती है,,,,,,,, शुभम सुरज की योजना को अच्छी तरह से जानता था और शुभम की मा भी सुरज की योजना से अच्छी तरह से वाकिफ थी,,,, सुरज भी साथ में खाने बैठ गया था,,, शुभम की मां मंगलदेवी अंदर ही अंदर कसमसा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि थोड़ी देर बाद शुभम के सो जाने के बाद सुरज आएगा और रात भर उस की चुदाई करेगा,,, इस बात से ही शुभम की मां मंगलदेवीbकी बुर गीली हुई जा रही थी,,, सुरज अपने घर पर यह कह कर आया था कि आज वह अपने दोस्त के घर खाना खाएगा और वही रात को रुक भी जाएगा,,, और सुरज की आवाज सुनते ही रविकुमार की धोती में तंबू बन गया था,,, उसकी तो रात रंगीन होने वाली थी और वह भी सुरज के जाने का इंतजार कर रहा था सुरज के जाते ही वह और मंजू दोनों कमरे में बंद हो गए और एक एक करके सारे कपड़े उतार कर दोनो नंगे हो गए,,,,,,,।


थोड़ी देर में तीनों ने खाना खा लिया था और सुरज वहां से कुछ देर के लिए निकल गया था बर्तन को साफ करके झाड़ू पोछा मारकर शुभम की मां मंगलदेवी शुभम का विस्तार आंगन में लगाने लगी,,, रोज वह कमरे में भी सोचा था इसलिए सब कुछ जानते हुए भी शुभम अपनी मां से बोला,,,।


तुम बिस्तर यहां क्यों लगा रही हो मां,,,,


अरे आज देख नही रहा है कितनी गर्मी है,,, कमरे में तो बिल्कुल भी हवा नहीं चल रही है यहां आंगन में अच्छी हवा चल रही है यहां भी अच्छी आएगी,,,।
(अपनी मां की बातें सुनकर उसकी चालाकी को देखकर शुभम अपने मन में ही बोला साली छिनार चुदवाने के लिए कैसे-कैसे चालबाजी कर रही हैं जैसे कि मैं कुछ जानता ही नहीं हूं फिर भी शुभम अपनी मां की बात को मानता हुआ बोला,,,)

हां तुम ठीक कह रही हो यहां हवा भी अच्छी चल रही है ऐसा क्यों नहीं करती कि तुम भी यही सो जाओ,,,,


नहीं नहीं मैं अंदर सो जाऊंगी तू आराम से यहां सो,,,,(शुभम की मां मंगलदेवी आज अंदर कमरे में ही सोना चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि सुरज शुभम के सो जाने के बाद उसके पास आएगा और रात में उसकी जुदाई करेगा और उसे सुरज का ही इंतजार था इसलिए एक बहाना करके वहां से उठने को हुई थी कि शुभम अपनी मां की चालबाजी और उसकी उत्सुकता उसके दोस्त से चुदवाने के लिए देखकर,,, शुभम से रहा नहीं गया और वह उत्तेजित अवस्था में अपनी मां का हाथ पकड़ कर उसे अपने ऊपर खटिया पर खींच लिया,,,,


अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,,(शुभम की मां मंगलदेवी अपने आप को संभालते हुए बोली तो शुभम खुद उसे अपनी बांहों में भरते हुए बोला)

ऐसा मौका फिर कहां मिलने वाला है जल्दी घर पर नहीं है और तुम हो कि मेरा बिस्तर अलग लगा रही हो अब हम दोनों ही साथ में सोते हैं लेकिन इससे पहले मेरा लंड अपनी बुर में ले लो,,,,।


धत्त पागल आज मेरा मन बिल्कुल भी नहीं है,,,, मेरा बदन दर्द कर रहा है आज मुझे नहीं करवाना मुझे जाने दे,,,(ऐसा कहते हैं मैं शुभम की मां दरवाजे पर देख रही थी जो कि दरवाजा अभी भी बंद था उसे इस बात का डर था कि कहीं सुरज ना आ धमके और उसे इस हालत में ना देख ले,,,, क्योंकि शुभम की बात इस बात से बिल्कुल अनजान थे कि सुरज को इस बात का पता चल गया है कि दोनों मां-बेटे के बीच में शारीरिक संबंध हैं दोनों बाप बेटे आपस में चुदाई का सुख भोगते हैं,,,, इसलिए वह अपने बेटे के पास से चली जाना चाहती थी लेकिन शुभम तो सब कुछ जानता था वह जानता था कि उन दोनों की चुदाई सुरज अपनी आंखों से देख चुका है इसलिए अगर अभी भी वहां उसे अपनी मां को चोदते हुए देख लेगा तो भी कोई हर्ज नहीं है,,,, इसलिए शुभम फिर से उसे अपनी बाहों में कसते हुए बोला,,,)


ओहहहह मां कहां जा रही हो मेरा लंड खड़ा करके अब तो यह तुम्हारी बुर में गए बिना शांत होने वाला नहीं है,,,(इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी मां को अपने ऊपर ले कर उसकी साड़ी का कमर की तरफ उठाने लगा,,, शुभम की मां मंगलदेवी अपने बेटे की बाहों में छटपटा रही थी वजह से से जल्द उसकी बाहों से आजाद होना चाहती थी ताकि सुरज अपनी आंखों से यह सब कुछ देख ना ले लेकिन शुभम की मां मंगलदेवी को इस बात का एहसास हो गया था कि बिना चोदे उसका बेटा उसे छोड़ने वाला नहीं है,,, इसलिए वहां तुरंत अपने बेटे का साथ देने लगी ताकि वह जल्द से जल्द अपने बेटे को झाड़ सकें और फिर अपने कमरे में जाकर सुरज का इंतजार कर सके,,,,।)


चल कोई बात नहीं कर ले अपनी मनमानी,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर शुभम अपने मन में बोला साली मुझे बोलती है कर ले अपनी मनमानी और खुद अपनी बुर अपने यार के लिए संभाल कर रखी है,,,, इस समय शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, ज्यादा कुछ उसे करना नहीं था वह पहले से ही अपनी मां की साड़ी को कमर तक उतार चुका था और उसकी मां उसकी जांघों पर अपनी बड़ी बड़ी गांड रख कर बैठी हुई थी,,,, शुभम जल्दी से अपने पजामे को नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाला और उसे अपनी मां की बुर पर रगड़ने लगा शुभम की मां को मालूम था कि उसे क्या करना है और तुरंत अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जा कर के अपने बेटे से लंड को पकड़ लिया और उसे अपनी गुलाबी छेद में पूरा का पूरा भर ली और धीरे-धीरे उठक बैठक करने लगी,,,, मजा तो शुभम की मां को भी आ रहा था वह जल्द से जल्द अपने बेटे का पानी निकाल देना चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि एक बार घर जाने के बाद उसे गहरी नींद आ जाएगी,,, इसीलिए वह जल्दी जल्दी अपनी भारी-भरकम गांड को अपने बेटे के लंड पर पटकने लगी,,,, और देखते ही देखते उसका बेटा जोर जोर से हांफने लगा,,, दोनों का एक साथ पानी निकल गया कुछ देर तक शुभम की मां मंगलदेवी अपने बेटे के लंड पर ही बेठी रह गई,,,। थोड़ी देर में लंड अपने आप सिकुड़ कर उसकी बुर से बाहर निकल गया,,,, शुभम जानबूझकर सोने का नाटक करने लगा,, वह देखना चाहता था कि अब उसकी मां क्या करती है,,,,।

थोड़ी देर बाद उसकी मां खटिया पर से उठी और शुभम की तरफ देखकर पूरी तरह से तसल्ली करने लगी थी वह सो चुका है या नहीं और शुभम गहरी नींद में होने का नाटक करने लगा यह देखकर शुभम की मां मंगलदेवी के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे वह तुरंत दरवाजे पर गई और दरवाजा खोल कर बाहर की तरफ देख रही शुभम हल्की सी खुली आंखों से सब कुछ देख रहा था वह देख रहा था कि कैसे उसकी मां रंडी की तरह हरकत कर रही है,,,, शुभम साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी मां दरवाजे पर खड़े होकर बाहर चारों तरफ नजर घुमाकर देख रही थी और क्या देख रही थी शुभम को इस बात का आभास अच्छी तरह से था वह सुरज को ढूंढ रही थी,,, थोड़ी ही देर में सुरज से नजर आ गया और वहां का ईसारा करके उसे बुलाने लगी,,,, थोड़ी देर में सुरज घर में प्रवेश किया तो शुभम की मां दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दी दोनों की मुस्कुराहट भरी बातें शुभम के कानों में अच्छी तरह से सुनाई दे रही थी,,, सुरज कह रहा था कि शुभम सो गया कि जाग रहा है,,,।

सो गया है,,,,


कहीं जाग गया तो,,,(सुरज शंका जताते हुए बोला)

वह अब सुबह से पहले नहीं उठने वाला,,,, इसलिए चिंता की बात नहीं है,,,,(शुभम अपनी मां की बात सुनकर हैरान था और वह भी इसलिए कि वह कैसे उतावली हुई जा रही थी सुरज के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,,,,, शुभम की मां मंगलदेवी की बात सुनकर जाती है क्यों खुश हो गया जो कि उसको मालूम था शुभम सोया नहीं है बल्कि जाग रहा है,, फिर भी जानबूझकर खुश होने का नाटक कर रहा था और वह एकदम से शुभम की मां मंगलदेवी की तरफ बढ़ा और उसे तुरंत अपनी गोद में उठाता हुआ बोला,,,,)

हाय मेरी रानी,,,, बहुत अच्छी हो तुम जो कि मेरे लिए अपने बेटे को सुला दी,,,, चलो अब अंदर चलते हैं जवानी का मजा लूटते हैं,,,,।
(सुरज के द्वारा इस तरह से एकाएक गोद में उठा लेने की वजह से शुभम की मां मंगलदेवी एकदम से घबरा गई थी और घबराते हुए बोली,,)

अरे अरे यहां क्या कर रहा है छोड़ मुझे गिर जाऊंगी,,,

अरे ऐसे कैसे गिरोगी मेरी रानी,,, मैं तुम्हें गिरने थोड़ी ना दूंगा,,,।
(यह सब बातें सुनकर शुभम अपनी आंखों को हल्कै से खोलकर देखा तो हैरान रह गया सुरज उसकी मां को अपनी गोद में बड़े आराम से उठाए हुए था,,, और गोद में उठा रहे होने की वजह से उसकी पूरी साड़ी कमर तक आ गई थी और नीचे से उसकी बड़ी बड़ी गांड एकदम साफ नजर आ रही थी,,,, शुभम पूरी तरह से हैरान हो चुका था सुरज की ताकत को देखकर उसके मर्दाना जो उसको देखकर क्योंकि आज तक शुभम ने कभी भी अपनी मां को इस तरह से गोद में नहीं उठाया था लेकिन सुरज बड़े आराम से उसकी मां को गोद में उठाकर गोल गोल घूम रहा था,,,, तभी उसकी मां बोली,,,)

अरे क्या कर रहा है उतार मुझे कहीं शुभम जाग गया तो अनर्थ हो जाएगा,,,,


अरे मेरी रानी,,, तुम चिंता मत करो तुम्हें मैं कमरे में ले चलता हूं वहीं पर मजा लूटेंगे,,,,,(पर इतना कहने के साथ ही बड़े आराम से सुरज शुभम की मां मंगलदेवी को अपनी गोद में उठाए हुए उसके कमरे की तरफ ले जाने लगा शुभम या देखकर पूरी तरह से हैरान था उसे बड़ा अजीब लग रहा था,,,,शुभम अच्छी तरह से जानता था कि सुरज उसकी मां को कमरे में उसे चोदने के लिए नहीं जा रहा है लेकिन यह जानते हुए भी एक बेटे के लिए बड़ा अजीब सा पल हो जाता है जब से इस बात का एहसास रहता है कि कोई उसकी मां को कमरे में उसे चोदने के लिए ले जा रहा है,,, शुभम की मां मंगलदेवी भी हैरान थी सुरज की भुजाओं के बल को देखकर वह बड़े आराम से उसे गोद में लिए हुए उसे अंदर कमरे तक लेकर आया था उम्रदराज होने के नाते सुरज उसके बेटे की उम्र का था और इसीलिए वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,,,, सुरज गांड मारने की खुशी की वजह से और ज्यादा जोश में आ गया था वह अंदर कमरे में पहुंचते ही शुभम की मां मंगलदेवी को खटिया पर पटक दिया और अपने कपड़े उतारने लगा पजामा मे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,जिसे शुभम की मां मंगलदेवी अपनी आंखों से देख रही थी लालटेन

अंदर कमरे में भी जल रही थी इसलिए सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, सुरज अपने पजामे को उतारते हुए बोला,,,।)


आज देखना मंगल मामी मैं तुम्हारी बुर की कितनी सेवा करता हूं आज तुम एकदम मस्त हो जाओगी और आज की रात जिंदगी भर याद रखोगी,,,(ऐसा कहते हुए सुरज अपना पजामा उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया ,,, अब वहां शुभम की मां मंगलदेवी की आंखों के सामने पूरी तरह से नंगा खड़ा था गठीला बदन का मालिक होने के नाते उसके भुजाओं में बेशुमार बल था जिसका वह प्रदर्शन भी कर चुका था,,,, चौड़ी छाती देखकर शुभम की मां मंगलदेवी के तन बदन में आग लगने लगी,,, उसकी नजर सुरज के टनटनाए लंड पर थी,,, जिसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,,, सुरज अपने लंड को पकड़ कर ले जाता शुभम की मां मंगलदेवी के करीब पहुंचा और एक हाथ उसके सर पर रख कर उसे अपने लंड की तरफ खींचने लगा,,,ऐसा लग रहा था कि जैसे शुभम की मां मंगलदेवी सुरज के इशारे को अच्छी तरह से समझ रही थी वह भी अपने प्यासे होठों को सुरज के लंड के करीब लाने लगी और जल्द ही दहकते लंड के सुपाड़े का और प्यासे होठों का मिलन हो गया,,, सुरज अपने लंड को शुभम की मां मंगलदेवी के होठों पर रगड़ने लगा शुभम की मां मंगलदेवी मस्त हो जा रही थी वह बार-बार अपने होठों को खोल दे रही थी ताकि सुरज के लंड को अपने मुंह में लेकर चूस सके लेकिन सुरज था कि उसे और तड़पा रहा था,,,, लेकिन जल्द ही सुरज ने शुभम की मां मंगलदेवी की तड़प को दूर करते हुए अपने लंड को उसके गुलाबी होठों के बीच प्रवेश करा दिया,,,, और जैसे किसी बच्चे को भूख मिटाने के लिए चुची मिल जाए उसी तरह से शुभम की मां मंगलदेवी ने भी गप्प से उसे मुंह में लेकर चुसना शुरू कर दी,,,।

बाहर खटिया पर लेटा शुभम उसकी आंखों में तो नहीं वैसे भी नहीं थी लेकिन अब तो उसकी उत्सुकता और ज्यादा बढ़ गई थी क्योंकि उसकी मां और उसका दोस्त सुरज दोनों अंदर कमरे में अकेले थे पता नहीं सुरज क्या कर रहा होगा उसकी मां क्या करवा रही होगी इस बारे में सोच सोच कर शुभम परेशान हुआ जा रहा था,,,, वह जल्द से जल्द अंदर कमरे में हूं दोनों के सामने पहुंचाना चाहता था ताकि उस खेल में वह भी प्रवेश ले सके,,,, लेकिन इतनी जल्दी नहीं पहचानता था कि जिस खेल को खेलना है उसमें जल्द बाजी का बिल्कुल भी काम नहीं था,,, वह खेल एकदम धैर्य के साथ खेलना जरूरी था,,,,,,, शुभम का मन तो नहीं मान रहा था वह जल्द से जल्द अंदर वाले कमरे में पहुंचाना चाहता था लेकिन वह अपने आप को बनाकर वहीं रुका रह गया वह कुछ देर और इंतजार करना चाहता मैं कहां के माहौल पूरी तरह से गर्म हो जाए वैसे तो वह चित्र से जानता था कि जैसे ही उसकी मां कपड़े उतार कर नंगी हो जाती है तो माहौल ,तुरंत गर्म हो जाता है,,, शुभम का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही उसका दोस्त उसकी मां को गोद में उठाकर अंदर वाले कमरे में ले गया था,,,।

अंदर पूरी तरह से मस्ती छाई हुई थी लालटेन की रोशनी में सुरज अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और शुभम की मां मंगलदेवी के मुंह में अपना लंड डालकर उसे चुसा रहा था जिसे शुभम की मां मंगलदेवी बड़े चाव से मुंह में लेकर चूस रही थी,,, सुरज का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा था जिसकी वजह से शुभम की मां मंगलदेवी को अपना मुंह पूरा का पूरा खोलकर उसे चुसना पड रहा था,,, शुभम की मां मंगलदेवी ईस समय अपने पूरे वस्त्रों में थी,,, सुरज ने या उसने खुद ने अभी तक अपने कपड़ों को नहीं उतारी थी और सुरज था कि उसके सामने पूरी तरह से नंगा खड़ा था और उसका लंड उसके मुंह में था जिसे वह बड़ी दिलचस्पी लेते हुए चूस रही थी,,,।

शुभम की मां मंगलदेवी का बड़ा ही रंडीपन वाला बर्ताव नजर आ रहा था,,, क्योंकि वह पानी से अपने बेटे को जल्दी से सुला दी थी और उसके सोने के बाद सुरज को अपने कमरे में ले कर चली गई थी जहां पर दोनों,,, चुदाई का नंगा खेल खेल रहे थे,,,बाहर खटिया पर सोने का नाटक करके लेटा हुआ शुभम इतना तो अच्छी तरह से जानता था कि अंदर कमरे में क्या हो रहा है लेकिन कैसे हो रहा है उसे नहीं मालूम था वह थोड़ा देर और वही इंतजार करना चाहता था,,, क्योंकि वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसे तब अंदर वाले कमरे में पहुंचना चाहिए जब सुरज का लंड उसकी मां की बुर में घुसा हुआ हो ताकि वह अपनी मां को रंगे हाथ पकड़ कर आज की रात रंगीन कर दे,,,,।

ओहहहह मंगल मामी तुम कितना मस्त चुस्ती है मुझे तो एकदम मदहोश कर दे रही हो,,,(सुरज शुभम की मां मंगलदेवी के सर पर हाथ रख कर अपनी कमर को हल्के हल्के आगे पीछे करके हिलाते हुए बोला,,,, मुंह में लंड ठुंसा होने की वजह से हुआ कुछ बोल नहीं पा रही थी बस,,गुंंऊऊऊऊऊ,,गुंऊऊऊऊऊ करके जवाब दे रही थी सुरज अपनी उत्तेजना को और बढ़ाने के लिए अपने दोनों हाथों को नीचे ले जाकर ब्लाउज के ऊपर से शुभम की मां मंगलदेवी की दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा,,,।)

वाह मंगल मामी तुम्हारी चूचियां एकदम पपैया की तरह हो गई है दबाने में बहुत मजा आता है,,सहहहहह आहहहहहहह,,,।
(शुभम कि मैं कुछ बोल नहीं रही थी वह सुरज के मुसल में पूरी तरह से जुटी हुई थी,,, और अपने स्तन मर्दन का आनंद ले रही थी,,,। बड़ा ही कामुक नजारा बना हुआ था,,, सुरज तो शुभम की मां मंगलदेवी के लाल-लाल होठों के बीच अपना लंड डालकर उसके होठों को ही उसकी बुर समझकर अंदर धक्के लगा रहा था,,,,,सुरज शुभम की मां मंगलदेवी को पसीना से पूरी तरह से मदहोश कर देना चाहता था इसलिए उसकी हरकत लगातार बढ़ती जा रही थी वह शुभम की मां मंगलदेवी की चूचियों को दबाता हुआ धीरे-धीरे उसकी ब्लाउज का बटन खोलने लगा था और देखते ही देखते वह ब्लाउज को उसके बदन से अलग कर दिया,,,,शुभम की मां मंगलदेवी की नंगी चूचियों को अपने हाथ में लेने में उसे कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था उम्रदराज होने के बावजूद भी चुचीयों में बस थोड़ा सा लटकन आ गया था बाकी तो पूरी की पूरी तैयारी आम की तरह दिखाई देती थी,,,,।

शुभम की मां मंगलदेवी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी वह जोर-जोर से सुरज के लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी यह देखकर सुरज समझ गया था कि हथोड़ा मारने का समय आ गया है,,,, वह तुरंत शुभम की मां मंगलदेवी के मुंह में से अपने लंड को बाहर खींच लिया,,,, लंड पूरी तरह से उसके थूक और लार से सना हुआ था,,,, मुंह से लंड बाहर निकल जाने की वजह से ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पसंदीदा चीज उसके मुंह से बाहर निकाल ली गई हो और उसका मुंह खुला का खुला रह गया था इसलिए सुरज तुरंत शुभम की मां मंगलदेवी के चेहरे को अपने हाथों में लेकर,,, उसके होठों पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन करने लगा सुरज की यह हरकत शुभम की मां मंगलदेवी के लिए अत्यधिक उत्तेजना प्रदान करने वाली थी वह कभी सोची नहीं थी कि एक जवान लड़का उसके होंठों को इस तरह से चुमेगा,,,,।

लालटेन की पीली रोशनी मे माहौल पूरी तरह से गर्मा चुका था,,,, शुभम की मां मंगलदेवी से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह उतावली हुए जा रही थी सुरज के लंड़ कों के लिए बुर में लेने के लिए इसलिए वह खुद खटिया पर से खड़ी होकर बाकी अपने सारे कपड़े उतारने लगी और देखते ही देखते सुरज की आंखों के सामने वह पूरी तरह से नंगी हो गई अंदर वाले कमरे में सुरज और शुभम की मां मंगलदेवी नग्न अवस्था में खड़े थे सुरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ कर छत की ओर मुंह उठाए खड़ा था और शुभम की चुदवासी हुए जा रही थी,,,वह अपनी बुर को अपनी हथेली से मसलते हुए सुरज से बोली,,,।


ओहहहह मेरे राजा इतनातड़पा क्यों रहा है डाल दे जल्दी से अपना लंड मेरी बुर में और चोद मुझे,,,,।

(तब तक शुभम खटिया से उठकर अंदर वाले कमरे की दीवार की ओर तक पहुंच चुका था और उसके कानों में उसकी मां की बात सुनाई पड़ चुकी थी अपनी मां की यह बात सुनकर शुभम थोड़ा सा अपने मन में गुस्सा करते हुए अपने मन में ही बोला,,, सारी छिनार रंडी कैसे अपनी बुर में लंड डालने के लिए बोल रही है और आज तक कभी भी अपने मुंह से मुझे नहीं बोली,,, साली रंडी भोसड़ा चोदी,,,, शुभम अपने मन में ही अपनी मां को गंदी-गंदी गालियां दिया जा रहा था,,,अभी तक उसने कमरे के अंदर के नजारे को अपनी आंखों से देखा नहीं था बस दीवाल की ओट में आकर खड़ा हो गया था,,, अपनी मां की बातों को सुनकर इतना तो उसे एहसास हो गया था कि अंदर का नजारा गरमा गरम हो गया होगा इसीलिए वह दीवार की ओट में खड़ा होकर धीरे धीरे कमरे के अंदर के नजारे को देखने की कोशिश करने लगा तो जल्द ही उसे लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आने लगा अंदर कमरे में उसकी मां एकदम नंगी खड़ी थी और अपनी बुर को अपने ही हाथ से मसल रही थी अपनी मां का यह रूप देख कर शुभम को जहां गुस्सा आ रहा था वही एक तरफ उसे अपनी मां का यह रूप बेहद उत्तेजनात्मक भी लग रहा था,,,वही ठीक उसके सामने सुरज खड़ा था एकदम नंगा और अपने लंड को हाथ में लेकर उसे ऊपर नीचे करके हिला रहा था यह देखकर शुभम के तन बदन में आग लगी क्योंकि सुरज थोड़ी ही देर में उसकी मां की चुदाई करने वाला था,,,, शुभम की मां मंगलदेवी की बातें और उसकी हरकत को देखकर सुरज बोला,,,)

चिंता मत कर मेरी रानी आज तेरी बुर का भोसड़ा बना दूंगा तेरी ऐसी चुदाई करूंगा कि तू जिंदगी भर याद रखेगी,,,,


जिंदगी भर याद रखने के लिए तो तुझे आज की रात बुलाई हूं,,,, मेरे राजा,,,,।

(मेरे राजा कहते हुए शुभम को उसकी मां रंडी से बिल्कुल भी कम नहीं लग रही थी,,,, देखते ही देखते शुभम का भी लंड खड़ा हो गया,,,,)
तब देर किस बात की है मेरी जान,,, मेरा लंड और तेरी बुर दोनों तैयार है,,,, चल लेट जा खटीया पर,,,,।

(और इतना सुनते ही शुभम की मां मंगलदेवी तुरंत खटिया पर जाकर पीठ के बल लेट गई और खुद ही अपनी दोनों टांगों को फैला कर दोनों हाथों से अपनी बुर मसलने लगी,,,, यह देखकर सुरज के साथ साथ शुभम के भी पसीने छूटने लगे,,,, अपनी मां की हरकत देखकर शुभम से बर्दाश्त नहीं हो रहा था उसका मन कर रहा था कि राखी से पहले वह खुद अपनी मां की चुदाई कर दे,,,, लेकिन ऐसा अभी करना ठीक नहीं था इसलिए वह वही खड़ा रहा और सुरज की तरफ देखने लगा जो कि सुरज पूरी तरह से तैयार था उसकी मां की चुदाई करने के लिए वह अपने हाथ में लंड पकड़े हुए ही उसे हिलाते हुए शुभम की मां मंगलदेवी की तरफ बढ़ने लगा जैसे जैसे बस शुभम की मां मंगलदेवी की तरफ बढ़ रहा था वैसे वैसे शुभम की मां मंगलदेवी के चेहरे की रंगत बढ़ती जा रही थी,,,, देखते ही देखते सुरज खटिया पर घुटनों के बल चल गया और शुभम की मां मंगलदेवी की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाने लगा,,,, बिना देर किए सुरज अपने लंड को शुभम की मां मंगलदेवी की बुर पर रखकर जोर से धक्का दे दिया और लंड फचच करके अंदर घुस गया,,,, एक हल्की सी आहह सुनाई दी उसके बाद सुरज की कमर किसी मशीन की तरह चलने लगी शुभम के मां के मुंह से सिसकारी की आवाज निकलना शुरू हो गई थी पहले ही धक्के के साथ सुरज ने शुभम की मां मंगलदेवी पर अपनी पकड़ बना लिया था,,,, शुभम की मां मंगलदेवी पूरी तरह से सुरज के आगोश में आ चुकी थी,,,,दीवार की ओट में खड़ा शुभम अपनी मां को चुदते हुए देख रहा था,,, शुभम की मां मंगलदेवी की मोटी मोटी जांगे और सुरज की मोटी मांसल जांघें एक दूसरे की जांघों पर थाप पर थीप दे रही थी,,, शुभम सुरज के गठीले बदन को देखकर अपनी मां की हालत के बारे में समझने लगा अच्छी तरह से समझ गया था कि और तो कभी हट्टा कट्टा मर्दाना ताकत से भरा हुआ मर्द ही भाता है,,,।


सहहहह ओहहहह,,,,,ऊममममम ओ मेरे राजा कितना मजा आ रहा है तेरा लंड मेरे बच्चेदानी तक जा रहा है और जोर जोर से धक्के लगा,,,,।
(इतना सुनकर सुरज और ज्यादा जोश में आ गया और थोड़ी ही देर में फच फच की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा ,,, शुभम अपनी मां की बातें और उसकी बुर में से आ रही फच फच की आवाज सुनकर पूरी तरह से मदहोश हो गया और यही ठीक समय भी था उन दोनों के सामने आने का,,,,,,, वह दोनों पूरी तरह से चुदाई में तल्लीन हो चुके थे सुरज धड़ाधड़ अपनी कमर हिला रहा था,,, खटिया के चर्मराने की आवाज आ रही थी और ऐसे में ही शुभम ठीक हूं दोनों के पीछे जाकर खड़ा हो गया और जोर से बोला,,,।)


यह सब क्या हो रहा है,,,,,।
(शुभम की मां मंगलदेवी शुभम की आवाज सुनते ही एकदम से सन्न रह गई उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी लेकिन बुर के अंदर जो आनंद का रस घुलता जा रहा था उस आनंद को अपने अंदर उतारने से रोक नहीं पा रही थी,,, और सुरज शुभम की बात सुने बिना ही अपनी कमर हिलाए जा रहा था,,, शुभम की मां मंगलदेवी की बाहे सुरज की बाहों में कसी हुई थी,,, शुभम के बोलने के बावजूद भी सुरज की कमर की रफ्तार बढ़ती जा रही थी और शुभम की मां मंगलदेवी के मुंह से गर्म संस्कार की आवाज लगातार निकली जा रही थी तो एक बार फिर से शुभम जोर से चिल्लाया,,,)

हरामजादे तू यहां क्या कर रहा है,,,,,।
(सुरज शुभम की बात सुनने के बावजूद भी अपने आप को रोक सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह झड़ने वाला था इसलिए लगातार अपनी कमर को हिलाए जा रहा था और कुछ ही देखो मैं उसका पानी निकल गया और वह गहरी सिसकारी की आवाज लेते हुए बोला)

सहहहह आहहहहहहहहह,,,,,।

कुत्ते हरामजादे भोसड़ी के यहां क्या कर रहा है तो वह भी मेरे मां के साथ,,,, और तू (अपनी मां की तरफ देखते हुए) हरामजादी मुझे इसलिए जल्दी से सो जाने के लिए बोल रही थी ना ताकि इसे बुलाकर चुदाई का मजा लूट सके,,, तू इतनी गिरी हुई हो गई है मुझे तो विश्वास नहीं आता,,,,.

(अब सुरज का इस नाटक में उतरना बेहद जरूरी था इसलिए वह अपने लंड को शुभम की मां मंगलदेवी की बुर से बाहर खींचते हुए बोला,,,)


यार शुभम समझने की कोशिश कर,,,(इतना कहते हुए बा खटिया पर से उठ कर खड़ा हो गया और शुभम की मां मंगलदेवी की पेटीकोट को अपने लंड पर रखकर उसे ढकने की कोशिश करने लगा,,,)

मैं क्या समझने की कोशिश करो साले दोस्त होकर दोस्त की पीठ पर छुरा भोकता है,,,

अरे यार मैंने कौन सा तुझे धोखा दे दिया,,,, मैं तो रात को खाना खाने के बाद चला गया था और फिर वापस आया था यहीं पर सोने के लिए लेकिन,,, तेरी मां को देखकर ना जाने क्या हो गया मुझे,,,,


साले हरामजादे,,,,

(दूसरी तरफ शुभम की मा रोए जा रही थीउसे इस बात की फिक्र थी कि उसका बेटा उसे उसके दोस्त से चुदवाते हुए देख लिया था इस बात की चिंता उसे बिल्कुल भी नहीं थी कि वह चुदवा रही थी क्योंकि वह तो खुद अपने ही बेटे से चुदवाती थी,,,, लेकिन उसने अपने बेटे से यह वादा की थी कि वह किसी के मर्द से कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बनाएगी,,, और वह अपना वादा तोड़ चुकी थी,,,,शुभम की मां मंगलदेवी को रोता हुआ देखकर

सुरज शुभम को समझाने के लिए उसका हाथ पकड़कर बाहर ले कर गया,,,,, शुभम की मां मंगलदेवी बेबस होकर वहीं खटिया पर बैठ कर रो रही थी,,,)
 
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शुभम की मां मंगलदेवी को रोता छोड़ कर सुरज शुभम को लेकर कमरे से बाहर निकल गया उसे समझाने के लिए,,, शुभम की मां मंगलदेवी अपनी हालत पर रोती रही,,, उसे इस बात का डर था कि शुभम ने उसे अपने ही दोस्त के साथ रंगे हाथ पकड़ लिया था वह अपने मन में क्या सोच रहा होगा इस बारे में सोचकर वह दुखी हो रही थी और रो रही थी,,,,यह बात शुभम की मां मंगलदेवी की अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसकी चुदाई करता है और वह नहीं चाहता कि कोई और उसकी मां को चोदे,,, लेकिन आज शुभम की माने शुभम की सोच और उसके विश्वास को अपने हाथों से तोड़ चुकी थी इसलिए वह कुछ ज्यादा ही दुखी थी,,,।

सुरज तो शुभम को कमरे से बाहर समझाने के लिए लेकर गया था लेकिन समझाने लायक कुछ भी नहीं था वह दोनों पहले से ही आपस में बात कर चुके थे सब कुछ सोची समझी साजिश का ही नतीजा था,,,, थोड़ी ही देर में वह दोनों वापस उस कमरे में आ गए जहां पर शुभम की मां मंगलदेवी अपने नंगे बदन को चादर से ढकने की कोशिश कर रही थी,,,, शुभम की मां मंगलदेवी अभी भी रोए जा रही थी तो सुरज उसे चुप कराते हुए बोला,,,,।

चुप हो जाओ मंगल मामी चिंता करने की कोई भी बात नहीं है मैंने शुभम को मना लिया हूं,,,,
(सुरज की यह बात सुनते ही शुभम की मां मंगलदेवी आश्चर्य से सुरज की तरफ देखने लगी,,,, और फिर रोने लगी उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि सुरज ने शुभम को कैसे मना लिया है और क्या करने के लिए मना लिया है,,,, एक बार फिर से शुभम की मां मंगलदेवी को चुप कराते हुए सुरज बोला,,)



मंगल मामी अब रोने से कोई फायदा नहीं है जो होना था वह हो गया लेकिन यह तो देखो कि हम दोनों को इस हालत में देखकर शुभम को अब कोई भी ऐतराज नहीं है,,,

(सुरज की बात सुनकर एक बार फिर से आश्चर्य से वह सुरज की तरफ तो कभी शुभम की तरफ देखने लगी,,, उसे इस तरह से देखता हुआ देखकर सुरज बोला)


हां मंगल मामी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,, मैं शुभम को सब को समझा दिया हूं,,,,एक औरत वर्षों तक मर्द के बगैर नहीं रह सकती उसे कभी ना कभी मर्द की जरूरत पड़ती ही है,,और आपकी स्थिति कैसी है मैं इस बारे में शुभम से अच्छी तरह से बात कर चुका हूं शुभम को अब तुमसे कोई भी गिला शिकवा नहीं है,,,,।
(शुभम की मां मंगलदेवी शुभम की तरफ देख रही थी उसकी आंखों में जरा भी क्रोध नजर नहीं आ रहा था शुभम की मां मंगलदेवी को अजीब लग रहा था कि आखिर एक गैर मर्द के साथ और वह भी अपने ही दोस्त के साथ उसे आपत्तिजनक स्थिति में देखने के बावजूद भी शुभम मान कैसे गया जबकि वह शुभम के गुस्से से अच्छी तरह वाकिफ यह शुभम की मां मंगलदेवी को बड़ा अजीब लग रहा था,,,,,,,, शुभम की मां मंगलदेवी अपने नंगे बदन को चादर से ढकने की कोशिश कर रही थी और इस समय सुरज अपने बदन पर एक छोटा सा तो लिया लपेट लिया था लेकिन उसके लंड की अकड़ अभी भी बरकरार थी जबकि वह शुभम की उपस्थिति में ही लगातार धक्के मारता हुआ अपना पानी निकाल चुका था और शुभम की मां मंगलदेवी को भी झाड़ चुका था,,,, शुभम की तरफ देखकर शुभम की मां मंगलदेवी रोते हुए बोली,,,)


मुझे माफ कर दे बेटा मैं बहक गई थी,,,,(शुभम की मां मंगलदेवी को इस तरह से बोलता हुआ देख कर शुभम कुछ बोलता उससे पहले ही सुरज बोला)

यह सब करने की जरूरत है तुम्हें बिल्कुल भी नहीं है मंगल मामी शुभम को तुम से कोई भी प्रकार की शिकायत नहीं है,,,, क्योंकि इस खेल में वह भी शामिल होना चाहता है,,,,।
(सुरज की आवाज सुनते ही शुभम की मा मंगलदेवी एकदम से सन्न रह गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सुरज यह क्या बोल रहा है वह आश्चर्य से सुरज की तरफ तो कभी शुभम की तरफ देख रही थी,,,, सुरज ही उसकी मुश्किल को दूर करता हुआ बोला,,,)

मंगल मामी जो कुछ भी हुआ इसमें आपकी गलती बिल्कुल भी नहीं है इस बात को शुभम भी मानता है जिस तरह से आपकी भी खुशी जरूरत है उसी तरह से शुभम की भी कुछ जरूरते है,,,,, मुझे तुम्हारी चुदाई करता हुआ देखकर इसे गुस्सा तो आया लेकिन जवान लड़का होने की वजह से इसका मन भी तुम्हें चोदने को कर रहा है,,,।
(शुभम की मां मंगलदेवी सुरज की बातें सुनकर अंदर ही अंदर खुश होने लगी क्योंकि बात दूसरी और चली जा रही थी वैसे भी शुभम तो उसी रोज चोदता था इसलिए शुभम से चुदवाने में उसे किसी भी प्रकार से नहीं लेकिन फिर भी वह सुरज की नजर में उसकी मां थी इसलिए इतनी जल्दी कैसे मान जाती इसलिए एतराज जताते हुए बोली,,,)


सुरज यह तू क्या कह रहा है पहले ही वहां मुझे आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया है लेकिन फिर भी वह मेरा बेटा है और नहीं उसकी मां हु भला एक बेटा अपनी मां के साथ ऐसा कैसे कर सकता है,,,, और तू कैसे सोच लिया कि मैं उसे ऐसा करने दूंगी,,,।
(शुभम की मां नहीं जानते थे कि सुरज उन दोनों के बारे में सब कुछ जानता है तभी तो वह बड़े आराम से उसकी दोनों टांगों के बीच पहुंच चुका था वरना उसे चोदने के बारे में कभी सोचा ही नहीं था फिर भी सुरज एक बात बताना गवारा नहीं समझता था कि वह अपनी आंखों से उन दोनों मां-बेटे की चुदाई देख चुका है वह जितना हो सकता था उस राज को राज ही रखना चाहता था

क्योंकि उसका काम तो वैसे भी बन ही जाता था,,,,)

मंगल मामी,,,, मैं जानता हूं कि एक मां के लिए यह पल बड़ा कठिन होता है जब उसका बेटा खुद उसे चोदना चाहता हूं लेकिन यह भी तो सोचो एक औरत की तरह जिस तरह से तुम मुझे अपनी बुर दे रही हो अपनी प्यास बुझाने के लिए मेरी प्यास बुझाने के लिए उसी तरह से तुम्हारा बेटा भी तुम्हें उसका भी मन कर रहा है कि वह भी तुम्हें चोदे आखिरकार मंगल मामी वह भी तो मेरा हम उम्र है,,,, जरा सोचो वह अपनी आंखों से अपनी मां को किसी गैर लड़के से चुदता हुआ देखेगा तो अपने मन में यही सोचेंगे ना कि उसकी मां अपनी जवानी की प्यास किसी के लड़के से बुझा रही है अगर उसकी प्यास वह खुद बुझाए तो इसमें हर्ज क्या है,,,!

तेरी बातें सुनने में अच्छी लगती है लेकिन सुरज यह भी नहीं बोलना चाहिए कि मैं उसकी मां हूं ना एक माह होने के नाते में अपने बेटे के लिए अपनी दोनों टांग कैसे खोल दु कुछ लाज शर्म मर्यादा है कि नहीं,,,


बात तुम्हारी बिल्कुल सही है मामी,,,लेकिन इस चारदीवारी के भीतर क्या हो रहा है इस बारे में किसी को कानों कान तक खबर नहीं पड़ेगी और मेरा विश्वास करना यह काज मेरे सीने में दफन रहेगा लेकिन अगर आज तुम अपने बेटे को नहीं करने दोगी तो शायद हो सकता है वह कल गुस्से में आकर पूरे गांव में यह बात बता दे तो सोचो क्या होगा बदनामी हो जाएगी,,,, मेरा क्या है मैं तो लड़का हूं लेकिन तुम तो एक औरत हो और इस उमर में एक जवान लड़के के साथ अपने घर बुलाकर चुदाई करवाओ गी और यह बात गांव में पता चल गई तो गजब हो जाएगा,,,,।

सुरज की बात सुनकर कमरे में पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था शुभम की मां मंगलदेवी को अपने बेटे के साथ चुदवाने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नजर नहीं आ रही थी और किसी भी प्रकार के एतराज भी नहीं था लेकिन एक गैर लड़के के सामने अपने ही बेटे के साथ चुद वाना मतलब गांव में बदनामी होने का डर था लेकिन वह यह बात नहीं जानती थी कि सुरज को सब कुछ पता है यह सब उसके बेटे और सुरज की मिलीभगत है,,,, ,,,लालटेन की पीली रोशनी में सबके चेहरे साफ नजर आ रहे थे पूरा गांव सो रहा था लेकिन गांव के इस घर में मां बेटे के साथ सुरज मिलकर जवानी का मजा लूटने की तैयारी में लगे हुए थे बस शुभम की मां मंगलदेवी को समझाना भर था वैसे तो वह समझ गई थी,,, बस गैर लड़की के सामने उसे शर्म आ रही थी समाज का डर भी लग रहा था वैसे तो उसके मन में भी एक साथ दो दो जवान लड़के से अपनी जवानी लूटवाने का मजा वह भी लेना चाहती थी,,,,,,,बस थोड़ा घबरा रही थी उसकी घबराहट को कुछ उसका बेटा दूर करते हुए बीच में बोला,,,


मा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करोमैं जो ख़ुशी अपनी आंखों से देखा हूं यह किसी को नहीं बताऊंगा बस बातें मैं सुरज ने जो कहा वह मान लो,,,


इसका मतलब हे कि तू एक बेटा होने के बावजूद भी मुझे चोदना चाहता है अपनी मां को चोदना चाहता है,,,(शुभम की मां मंगलदेवी जान बुझकर गुस्सा दिखाते हुए बोली और अपनी मां की बात सुनकर शुभम जवाब देते हुए बोला)


तो क्या करूं मैं भी तो जवान हूं मेरा भी तो लंड खड़ा होता है,,, तुम गांव के दुसरे लड़कों से चुदवाती फिरोगी तो क्या मैं अपनी आंख बंद करके बैठा रहूंगा मेरी मर्दानगी मुझे धिक्कार है कि नहीं कि घर में जवान लड़का होने के बावजूद भी उसकी मां गांव के दूसरे लड़कों से अपनी प्यास बुझाती है,,,, आज सुरज को तुम्हारी चुदाई करता हुआ देखकर मेरा भी मन करने लगा है,,,,,,


शुभम यह तू क्या कह रहा हैतो अच्छी तरह से जानता है अगर आज मर्यादा और संस्कारों की दीवार गिर गई तो कभी यह दीवार खड़ी होने वाली नहीं है हम दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता पूरी तरह से खत्म हो जाएगा और एक औरत और मर्द का रिश्ता रह जाएगा,,,और अगर इस बारे में गांव में किसी को भनक भी लग गई तो हम दोनों का जीना दुश्वार हो जाएगा,,,।


कुछ भी नहीं होगा मंगल मामी चार दिवारी में खेले जाने वाला या खेल सिर्फ हम तीनों के बीच रहेगा,,,(इतना कहते हुए शुभम की मां मंगलदेवी की तरफ आगे बढ़ा और उसकी तरफ आगे बढ़ते हुए अपनी कमर पर बसा हुआ तो दिया भी एक झटके से खोलकर उसे नीचे जमीन पर फेंक दिया और वह पूरी तरह से नंगा हो गया उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था एक बार झड़ जाने के बावजूद भी उसकी अकड़ बरकरार थी,,,,अपने लंड को हिलाते हुए सुरज शुभम की मां मंगलदेवी के बेहद करीब पहुंच गया और उसके चेहरे को अपने दोनों हथेली में लेते हुए उसकी आंखों में देखते हुए बोला,,,)

अब ज्यादा सोच विचार मत करो मंगल मामी बस इस पल का मजा लो,,(और इतना कहने के साथ ही अपने होठों को शुभम की मां के होठों पर रखकर चूमना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से चादर को हटाकर एक बार फिर से उसे नंगी कर दिया,,,, उसकी नंगी चूची को एक हाथ से पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया और इशारे से ही शुभम को भी इस खेल में शामिल होने के लिए बोला हम तो पागल हुआ जा रहा था इस खेल में शामिल होने के लिए वह तुरंत अपनी मां की करीब आया और दूसरी चूची को अपने मुंह में लेकर पीना शुरु कर दिया,,,, शुभम की मां मंगलदेवी एक साथ ही तो तो जवान लड़कों के हाथों की गर्मी को अपने बदन पर महसूस करके पूरी तरह से मस्त होने लगी,,, उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज छूटने लगी,,,, शुभम अपनी मां की चूची को पीने में मस्त था तो सुरज उसके होठों को चूसता हुआ एक हाथ से उसकी चूची को दबा रहा था,,,,,,,,,
शुभम की मां मंगलदेवी के पास सेवा समर्पण के और कोई रास्ता नहीं था,,, पल भर में शुभम की मां मंगलदेवी के मुंह से गर्म सिसकार की आवाज फुटने लगी,,, सुरज और शुभम दोनों उसके नंगे बदन से खेल रहे थे,,, सुरज होंठों का चुंबन कुछ अलग और मदहोशी भरे अंदाज में लेता जिसकी खुद शुभम की मां मंगलदेवी कायल हो चुकी थी,,, शुभम की मां मंगलदेवी को सुरज का इस तरह से चुंबन करना बेहद आनंददायक लगता था,,, शुभम की मां मंगलदेवी अपने मन में यही सोच रही थी कि शुभम की उम्र का होने के बावजूद भी सुरज औरत को खुश करने के मामले में शुभम से कई कदम आगे है,,, एक तरह से वह पूरी तरह से अनुभव से भरा हुआ है उसे इस बात का ज्ञान है कि एक औरत को कैसे खुश किया जाता है,,,,,।

शुभम पूरी तरह से मदहोश हो रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने दोस्त के साथ मिलकर अपनी मां के नंगे बदन से खेलेगा,,, इस बारे में उसका सोचना भी उसे गवारा नहीं था लेकिन आज वक्त और हालात दोनों बदल चुके थे कि वह अपने दोस्त के साथ ही अपनी मां के नंगे बदन से आनंद ले रहा था अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचियों को दबा दबा कर अपने मुंह में लेकर पी रहा था,,, जिससे उसकी मां को भी बहुत मजा आ रहा था दूसरी चूची की सेवा की जिम्मेदारी सुरज अपने हाथों में ले लिया था साथ ही उसके होठों के रस को अपने होठों से लगाकर पी रहा था,,,,, गरम सिसकारी के साथ शुभम की मां मंगलदेवी पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी उसे भी खेलने के लिए खिलौना चाहिए था इसलिए अपने दोनों हाथों को सुरज के और शुभम के लंड के ऊपर रखकर उसे टटोलने की कोशिश करने लगी सुरज तो पूरी तरह से नंगा था इसलिए उसके हाथ में सुरज का मोटा तगड़ा लंड आ गया और वह उसे पकड़कर हिलाना शुरू कर दी,,, लेकिन शुभम अभी भी पूरी तरह से अपने कपड़ों में था इसलिए अपनी मां का हाथ अपने पजामे के ऊपर आते ही वह तुरंत अपने कपड़े उतारने लगा और अगले ही पल वह एकदम नंगा होकर खुद अपनी मां का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया जो कि वह भी धीरे-धीरे खड़ा हो चुका था एक साथ दो दो लंड को अपने हाथ में पकड़ कर शुभम की मां मंगलदेवी पूरी तरह से अपनी गदराई जवानी का आनंद लूट रही थी,,,,।

शुभम की मां मंगलदेवी कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वहां इस उम्र में एक साथ दो दो जवान लड़कों से मजा लेगी,,,, और वह अपने ही बेटे के साथ उसके दोस्त जो रिश्ते में उसका भांजा लगता था उसके के साथ मिलकर,,,, शुभम की मां मंगलदेवी के दोनों हाथों में जवानी से जिसे वह अपनी बुर में पहले भी ले चुकी थी लेकिन जो मजा उसे सुरज के लंड से आता था वह आप अपने बेटे के लंड से नहीं आता था लेकिन से नहीं आता था लेकिन अपने तन बदन में उत्तेजना का एहसास लिए हुए वह दोनों लंड से बराबर खेल रही थी,,,,,, सुरज शुभम की मां मंगलदेवी के होठों का रस पीने के बाद उसकी चुचियों पर ज्यादा ध्यान देते हुए उसकी गर्दन को चूम रहा था,,,,, उसके कान में धीरे धीरे गर्म आहें भरते हुए बोला,,,।

कैसा लग रहा है मंगल मामी एक साथ दो दो जवान लंड से खेलने में,,,,,


सहहहह आहहहहहहहहह,,, बहुत अच्छा लग रहा है रे मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मुझे इस तरह की भी रात बितानी पड़ेगी,,,,,(शुभम की मां मंगलदेवी एकदम मस्त होते हुए बोली अपनी मां की बात सुनकर शुभम जोर जोर से अपनी मां की चूची दबाते हुए से मुंह में लेकर पीने लगा उसका जोश बढ़ता जा रहा था और साथ ही यही जोश और उत्साह शुभम की मां मंगलदेवी के हाथों में भी नजर आ रहा था वह अपने बेटे के लंड को और जोर से दबाना शुरू कर दी थी साथ ही सुरज के भी,,,, सुरज अपने मन की मनसा को बताते हुए बोला,,,)


देखना चाहती आज हम दोनों मिलकर तुम एकदम मस्त कर देंगे आज की रात तुम जिंदगी भर याद रखोगी आज देखना हम दोनों मिलकर तुम्हारी दोनों छेद की सेवा करेंगे,,,।
(दोनों छेद के बारे में सुनकर शुभम की मां मंगलदेवी थोड़ा आश्चर्य चकित हो गई उसे समझ में नहीं आया कि सुरज क्या कह रहा है,,,,लेकिन फिर भी वह उसकी बातों का आनंद लेते हुए गर्म सिसकारी लेने लगी क्योंकि सुरज अपनी हथेली के कसाव को उसके खरबूजे पर बढ़ाना शुरू कर दिया था,,,,,, सुरज शुभम की तरफ देख रहा था वह बड़ी मस्ती के साथ अपनी मां की चूची पी रहा था,,,, उसे देखकर सुरज बोला,,,)


और मेरे दोस्त शुभम कैसा लग रहा है अपनी मां की चूची पीते हुए,,,,।

(सुरज का सवाल सुनकर शुभम बोला कुछ नहीं बस अपनी नजर उठाकर सुरज की तरफ देखा और वापस अपनी मां की चूची को गहरी सांस लेते हुए पीने लगा,,, कमरे में वासना का नंगा नाच चल रहा था,,, एक मां अपने बेटे के साथ और भांजे के साथ मिलकर अपनी जवानी का रस दोनों को पिला रही थी अपनी वासना की आग में अपनी बुर की प्यास बुझाने के चक्कर में वह यह भी भूल गई कि अगर इस बारे में किसी को पता चल गया तो गांव में उसकी थु थु हो जाएगी,,, लेकिन जो भी हो इस समय शुभम की मां मंगलदेवी को इन सब बातों की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी वह तो मस्त होकर अपनी जवानी का मजा लूट रही थी और वह भी अपने बेटे और भांजे के साथ मिलकर और सही मायने में उसे स्वर्ग की अनुभूति हो रही थी इतना मजा उसे कभी नहीं आ रहा था एक साथ दो दो जवान लड़के अपने हाथ का करतब उसके नंगे बदन पर दिखा रहे थे और वह खुद उन दोनों के लंड को पकड़ कर जोर जोर से हिला रही थी जिंदगी में पहली बार शुभम की मां मंगलदेवी के हाथों में एक साथ दो-दो जवान लंड थे,,,,,,।


सुरज आनंद की पराकाष्ठा को और ज्यादा बढ़ाना चाहता था,,, वह क्या बात बेहद करीब आया और अपने लंड को शुभम की मां मंगलदेवी के हाथों से छुड़ाकर उसकी पूरी जवाबदारी अपने हाथों में लेकर उसे हिलाता हुआ शुभम की मां मंगलदेवी के गाल पर लंड से वार करने लगा,,,, मोटा तगड़ा लंबा लंड शुभम की मां मंगलदेवी के भरे हुए गाल पर पडते ही उस‌पर से पट‌पट की आवाज आने लगी जो कि मजा को और ज्यादा बढ़ा रहा था सुरज पूरी तरह से मस्ती में आ गया था वह अपने लंड को बार-बार उसके गोरे गोरे गाल पर पटक रहा था और शुभम की मा पूरी तरह से मचल जा रही थी उसे अपनी मुंह में लेने के लिए यह देख कर शुभम की भी हालत खराब होने लगी औरतों से खेलने के हर एक नए ढंग को सुरज अच्छी तरह से जानता था यह देखकर शुभम भी उससे कुछ सीखना चाहता था इसलिए वह भी अपनी मां के हाथों से अपने लंड को छुड़ा दिया और अपने लंड को अपनी मां की चूची पर पटकने लगा,,,, दोनों तरफ से शुभम की मां मंगलदेवी दोनों जवान लड़को के लंड का वार अपने बदन पर महसूस कर रही थी और हर एक बार पर उसकी आह निकल जा रही थी,,,,।

सुरज तू भी अपनी मां के मुंह में देना जैसे मैं डाल रहा हूं,,,,


मा,,मेरा,,,लेगी,,,,,! (शुभम जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए बोला क्योंकि वह अपनी मां को यही जताना चाहता था कि सुरज को उन दोनों के बारे में कुछ भी पता नहीं है इसलिए शुभम की बात सुनकर सुरज बोला)


अरे क्यों नहीं लेगी मेरी जान,,,, तेरी मां को लंड बहुत पसंद है भले ही क्यों ना वह उसके बेटे का हीं हो,,, चल अब मैं निकालता हूं और तू डाल,,,,(इतना कहकर सुरज शुभम की मां मंगलदेवी के मुंह में से अपने मोटे तगड़े लंड को बाहर खींच लिया और शुभम तुरंत खड़ा हुआ और एक टांग खटिया पर रख कर,,,अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां के चेहरे की तरफ बड़ा नहीं लगा तो सुरज खुद अपने हाथ को शुभम की मां मंगलदेवी के सर पर रख कर उसे उसके बेटे के लंड की तरफ दबाव देने लगा शुभम की मां मंगलदेवी जानबूझकर सुरज के सामने हिचकीचाने का नाटक कर रही थी,,,, इसलिए सुरज बोला,,,।)



शरमाओ मत मेरी रानी,,,,, आज की रात तुम्हारी बुर में हम दोनों का ही लंड जाने वाला है,,, बुर में ही क्यों,, आज तो हम तुम्हारी गांड भी मारेंगे,,,।
(गांड मारने वाली बात पर शुभम की मां मंगलदेवी थोड़ा सा झेंप गई,,, उसे लगा कि वह ऐसे ही बोल रहा है,,,, और इतना कहते हुए सुरज शुभम की मां मंगलदेवी के सर पर थोड़ा सा और ज्यादा दबाव देते हुए ठीक उसे उसके बेटे के लंड के सामने कर दिया और बस फिर क्या था शुभम पूरी तरह से जोश में आ गया था वह खुद ही अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां के होठों पर रगड़ने लगा,,,, शुभम की मां मंगलदेवी की हालत खराब हुई जा रही थी भले ही वह पिछले २ सालों से अपने बेटे से चुदाई का सुख भोग रही थी लेकिन किसी गैर जवान लड़के के सामने अपने बेटे के साथ इस तरह की हरकत करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी लेकिन इस शर्म का अपना ही अलग मजा थी,,,,, एक तरफ जहां अपने बेटे के साथ इस तरह की हरकत करने में वह शर्म से पानी-पानी हुई जा रही थी वहीं दूसरी तरफ उसे स्वर्ग की आनंद की अनुभूति हो रही थी इतना मजा उसे कभी नहीं आया था इसलिए वह अपने होठों को खोलकर अपने बेटे के लंड को अपने मुंह के अंदर प्रवेश करने की इजाजत दे दी,,,और अगले ही पल शुभम भी जल्दबाजी दिखाता हुआ अपना पूरा का पूरा लंड अपनी मां के मुंह में ठूंस दिया,,,, यह देखकर सुरज बोला,,,।


वाह अब आया ना मजा ऐसा नजारा मैंने आज तक कभी नहीं देखा था कि एक बेटा अपनी मां के मुंह में लंड पेल रहा हो,,,, बहुत किस्मत वाले हो शुभम जो तुम्हें इतनी अच्छी मां मिली है जो तुम्हारा इतना ख्याल रखती है,,,,, आज से मैं यह जिम्मेदारी तुम्हें देता हूं जब मैं तुम्हारी मां की चुदाई ना करता हूं तो तुम खुद अपनी मां को चोद कर उसकी प्यास बुझाना,,,,।

(सुरज की बातें बेहद अश्लील थी लेकिन इस समय जिस तरह का माहौल था ऐसे में दोनों मां-बेटे को सुरज की गंदी गंदी बातें बहुत ही रोचक और उत्तेजनात्मक लग रही थी दोनों को मजा आ रहा,,, था,,, सुरज दोनों के बेहद करीब जाकर शुभम के लंड को उसकी मां के मुंह में अंदर-बाहर होते हुए देखकर बोला,,,।)


देख शुभम कितने मजे लेकर तेरी मां तेरे लंड को अपने मुंह में ले रही है,,,,आहहहह इसी तरह से तो मजा आता है इस खेल में,,,आहहहह,,,, और ज्यादा कमर हिला,,,आहहहह ,,, बहुत अच्छे,,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज भी अपने खड़े लंड को हाथ में लेकर उसके होठों के करीब ले गया तो उसकी मां खुद ही अपने बेटे का लंड को बाहर निकालकर सुरज के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी,,,, शुभम की मां मंगलदेवी की हरकत को देखकर सुरज मुस्कुराता हुआ शुभम से बोला,,,)

देख मेरे दोस्त तेरी मां एकदम रंडी की तरह हम दोनों को मजा दे‌ रही है,,,,आहहहह कसम से बहुत मजा आ रहा है तेरी मां इस उम्र में भी इतनी जबरदस्त है कि जवान लड़की को भी पानी भरने पर मजबूर कर दे,,,, आहहहह मेरी जान,,,(दोनों हाथ को शुभम की मां मंगलदेवी के सर पर रखते हुए) कसम से तुझे चोदने में इतना मजा आता है कि किसी लड़की को चोदने में इतना मजा नहीं आता,,, इस उम्र में भी तेरी बुर कसी हुई है,,,,आहहहहहह,,,,आहहहहहहह,(सुरज शुभम की मौजूदगी में उसकी मां से गंदी गंदी बातें बोल रहा था और अपनी कमर को आगे पीछे हिलाता हुआ शुभम की मां मंगलदेवी के मुंह को ही चोद रहा था शुभम हैरान था कि सीधा-साधा सुरज इतनी गंदी गंदी बातें कैसे कर लेता है और यह गंदी बातें शुभम की मां मंगलदेवी को बहुत अच्छी लग रही थी वह पूरी तरह से जोश में आ गई थी और जल्दी जल्दी अपना मुंह हिला रही थी,,,,, सुरज शुभम की मस्ती को बढ़ाना चाहता था इसलिए सुरज शुभम की मां मंगलदेवी के मुंह में लंड दिए हुए ही उसके ठीक सामने आकर खड़ा हो गया और उसके कंधे को पकड़कर उसे खटिया पर पीठ के बल लेटाने लगा,,,लेकिन वह अपने लंड को उसके मुंह में से निकाला बिल्कुल भी नहीं था देखते ही देखते शुभम की मां मंगलदेवी के मुंह में लंड दिए हुए ही वह उसे खटिया पर पीठ के बल लिटा दिया,,, और वह भी अपने घुटनों को उसके अगल-बगल रखकर खटिया के पाटी पकड़कर उसके ऊपर झुक गया और अपनी कमर को खिलाता हुआ मानो उसके मुंह को चोदना शुरू कर दिया शुभम सुरज की यह आसन को देखकर पूरी तरह से हैरान था और इस बात की हैरानी शुभम की मां मंगलदेवी को भी थी,,,,,

सुरज अपनी कमर हिलाता हुआ शुभम की मां मंगलदेवी से बोला,,,


हाय मेरी रानी अपनी टांगे खोल मेरी जान,,,, दिखा अपनी बुर अपने बेटे को ठीक से देख लेने दे अपने बेटे को,,,,आहहहह बहुत मजा आ रहा है जान,,,ऊहहहहहह,,, ऐसा मजा मुझे कभी नहीं मिला,,,, (ऐसा कहते हो पीछे नजर घुमा कर देखने लगा कि उसकी बात मान कर उसकी मां ने अपनी दोनों टांगों को खुली है या नहीं क्योंकि ठीक उसके पीछे शुभम खड़ा था जो कि अपने लंड को पकड़ कर खिला रहा था,,,, शुभम की मां मंगलदेवी सुरज की हरकत से पूरी तरह से मस्त हो कर गप गप उसके लंड को अपने मुंह में ले रही थी,,,,शुभम की मां मंगलदेवी शायद सुरज की बातों पर ध्यान नहीं दी थी या तो शर्म के मारे अपनी दोनों टांगों को खोली नहीं थी लेकिन सुरज अपने मन में सोचने लगा कि शुभम से किस बात का शर्म,,, इसलिए सुरज फिर से अपनी कमर हिलाता हुआ बोला,,,)



क्यों मेरी रानी अपनी टांगे खोलो ना अपने बेटे को भी तो देखने दो अपनी बुर को उसी में तो उसे लंड़ डालना है,,,,।
(सुरज की गंदी बातें शुभम की मां मंगलदेवी के साथ-साथ शुभम को भी बेहद रोचक लग रही थी उसकी बातों को सुनकर उन दोनों का जोश बढ़ जा रहा था शुभम एकदम खुले शब्दों में शुभम की मां मंगलदेवी से बातें कर रहा था मानो कि जैसे वह उसकी बीवी या प्रेमिका हो,,,और यह बात शुभम के लिए अजीब होने के बावजूद भी बहुत ही मादकता परी लग रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी मां का किसी गैर मर्द के साथ चक्कर चल रहा है,,,,सुरज की बातों को सुनकर शुभम की मां मंगलदेवी अपनी मोटी मोटी टांगों को खोलते हुए अपनी बुर के दर्शन अपने बेटे को कराने लगी और यह उसके लिए कोई नई बात नहीं थी लेकिन वह यह जताना चाहती थी कि यह सब शुभम के साथ पहली बार हो रहा है,,,, शुभम की मां मंगलदेवी की दोनों टांगों को खुली हुई देखकर सुरज उसी तरह से अपनी कमर हिलाता हुआ बोला,,,)

हाय मेरी रानी ये हुई ना बात,,,, देख ले शुभम अपनी मां की बुर को ध्यान से देख ले कीसी जवान लड़की से कम नहीं है,,, देखना जब तू अपनी मां की बुर में अपना लंड डालने का तो स्वर्ग का मजा मिलेगा तुझे इतना मजा आएगा कि पूछ मत,,,,
(सुरज की गंदी गंदी बातें माहौल को और ज्यादा गर्म कर दे रहे थे शुभम वैसे तो कई बार अपनी मां को नंगी देख चुका था और उसकी चुदाई तो वह करता ही आ रहा था लेकिन सुरज के सामने और उसकी बातों को सुनकर उसे सब कुछ नया नया सा लग रहा था इसलिए आज उसे अपनी मां की बुर देखने में बेहद आनंद आ रहा था,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे आज मैं पहली बार अपनी

मां की बुर देख रहा हो,,,, अपनी मां की दोनों खुली टांगों को देखकर और उसके बीच की पतली दरार को देखकर जिसमें से काम रस बह रहा था शुभम से रहा नहीं जा रहा था सुरज अपनी हरकत को अंजाम देते हुए पीछे नजर करके शुभम के चेहरे के हाव-भाव को पढ़कर किसी निष्कर्ष पर निकलता हुआ बोला,,,।


बस दोस्त देख क्या रहा है तेरी मां की बुर तेरा इंतजार कर रही है दोनों टांगों के बीच आजा और अपनी जीभ लगा लगाकर चाट अपनी मां की बुर को देख कितना मजा आता है तुझे भी और तेरी मां को भी,,,,।
(सुरज की बातों को सुनकर शुभम के तन बदन में जोश बढ़ रहा था और उसकी बातों को सुनकर शुभम की मां मंगलदेवी के तन बदन में कसमसाहट बढ़ रही थी,,,, उससे अब खुद नहीं रहा जा रहा था वह कभी दया पर उठाकर पटकती तो कभी दाया पैर उसके तन बदन में उत्तेजना पूरी तरह से अपना असर दिखा रही थी,,,, शुभम से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह अपनी आंखों से देख रहा था कि उसका दोस्त अपने लंड को उसकी मां के मुंह में अंदर बाहर कर रहा है तो वह क्यों खड़ा होकर यह सब देखें इसलिए वह तुरंत खटिया पर चढ़ गया और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया,,,आज का दिन यहां पर उसके लिए बेहद उत्तेजना से भरा हुआ था उसे सब कुछ पहली बार सा लग रहा था वह अपनी मां की मोटी मोटी जांघों पर अपनी हथेली रखकर उसे हल्के हल्के सहलाते हुए दबाने लगा,,,वह उत्तेजित हो रहा था और देखते ही देखते हो अपनी मां की दोनों टांगों के बीच पूरी तरह से जगह बना लिया और अपने चेहरे को उसकी पतली दरार के करीब ले जाने लगा,,, कुछ देर पहले ही उसकी आंखों के सामने ही उसकी मां सुरज के लंड को अपनी बुर में लेकर झड़ गई थी और सुरज भी अपना पूरा माल उसमें गिरा दिया था जो कि उसकी बुर के पतली दरार से बह रहा था,,, लेकिन इस समय उसमें से वासना की मादकता भरी खुशबू आ रही थी जोकि शुभम को अपनी वशीभूत कर रही थी इसलिए उसे इस हालत में भी अपनी मां की बुर चाटना आनंद आया कि लगने वाला था इसलिए वह अपने होठों को अपनी मां की बुर पर रखा चाटना शुरू कर दिया,,,,।



अद्भुत अविस्मरणीय एहसास से शुभम की मां मंगलदेवी पूरी तरह से गदगद हुए जा रहे थे २ जवान लड़के दोनों तरफ से उसकी जवानी का मजा लूट रहे थे,,, सुरज लगातार अपनी कमर को हिलाया जा रहा था और शुभम की मां मंगलदेवी उसकी मस्ती को और ज्यादा बढ़ाते हुए अपने होंठों का छल्ला बनाकर सुरज के मोटे तगड़े लंड को एक बुर की भांति अपने मुंह में अंदर बाहर ले रही थी,,,, सुरज शुभम की तरफ देखते हुए बोला,,,।


वाह शुभम यह हुई ना बात देख कितना मजा आ रहा है ना अपनी मां की बुर चाटने में,,, बस ऐसे ही पुरी जीभ अंदर डालकर चाट,,, तेरी मां को ऐसे ही मजा आता है मैं तो पूरी जीभ अंदर डाल कर चाटता हूं तेरी मां की बुर की मलाई भी बहुत स्वादिष्ट है,,, चाट पुरी जीभ डालकर चाट,,,,
(सुरज अपनी बातों से शुभम का हौसला बढ़ा रहा था एक तरह से शुभम के सामने उसकी मां की बारे में गंदी गंदी बातें करने मैं सुरज को बहुत मजा आ रहा था,,,,,,)

गजब का कामुकता भरा दृश्य कमरे के अंदर नजर आ रहा था ,, आधी रात से ज्यादा का समय हो गया था पूरा गांव चैन की नींद सो रहा था लेकिन गांव के इस घर में ना तो शुभम की मां मंगलदेवी की आंखों में नहीं था और ना ही सुरज और शुभम के,,,, तीनों जवानी का मजा लूट रहे थे लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था तीनों के बदन पर कपड़ों का रेशा तक नहीं था तीनों मादरजात नंगे थे,,,कुछ देर तक शुभम अपनी मां की बुर चाटता रहा लेकिन अब उससे अपनी मां की जवानी सहन नहीं हो रही थी,,,,, शुभम के बर्दाश्त के बाहर था वह जल्द से जल्द अपनी मां की बुर में लंड डालकर चोदना चाहता था अपनी मां की गांड मारने की लालच उसके मन में भी थे लेकिन इस समय उसकी जवानी की गर्मी बाहर आने के लिए उबाल मार रहे थे इसलिए वह तुरंत अपनी मां की दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और अपनी मां की मोटी जांघो को पकड़कर अपनी तरफ थोड़ा सा खींचा यह देखकर सुरज शुभम की तरफ देखते हूए बोला,,,।)

अरे अरे इतनी जल्दी इतनी जल्दबाजी मत दिखाया करो अपनी मां के बारे में सोच उसकी जवानी उफान मार रही है ऐसे में कम से कम एक घंटा तो उसकी चुदाई करना पड़ता है तब जाकर उसे शांति मिलती है और तू अगर इतनी जल्दी बाजी दिखाएगा तो तेरी मां को संतुष्टि कैसे मिलेगी,,,,(सुरज जानबूझकर जल्दबाजी दिखाने वाली बात बोल रहा था वही तरह से शुभम की मां की आगे जताना चाहता था कि औरतों को खुश करने के मामले में इतनी जल्दी बाजी कभी नहीं दिखाना चाहिए जैसा कि वह धैर्य रखकर औरत को संतुष्ट करता था लेकिन सुरज की बात सुनने के बावजूद भी शुभम से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह तुरंत अपने खड़ी नंगे को अपनी मां की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया था उसे इस बात का भी अहसास नहीं था कि उसकी मां को मजा आ रहा है या नहीं बस धक्के लगाना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में अपना पानी निकाल कर उस पर हांफने लगा

दूसरी तरफ सुरज अभी भी बरकरार था अभी भी मैदान में जमा हुआ था उसकी कमर लगातार आगे पीछे हो रही थी लेकिन अभी तक वह पानी नहीं निकाला था,,,,
अपने बेटे की हरकत पर शुभम की मां मंगलदेवी को गुस्सा आ रहा था कि वह ठीक से उसे चोद भी नहीं पाया और पानी निकाल दिया इससे उसकी प्यास और बढ़ गई थी उसकी आखिरी उम्मीद सुरज ही था,,,, शुभम पानी निकालने के बाद एक तरफ हो गया अभी भी सुरज अपनी कमर हिला रहा था यह देखकर अपनी जागी हुई प्यास को बुझाने के लिए शुभम की मां मंगलदेवी अपनी हथेली को अपनी बुर पर रख कर रगडते हुए और सुरज को अपना लंड उसके मुंह में से निकाल लेने का इशारा करते हुए बोली,,,,,, तब तक सुरज भी अपने लंड को उसके मुंह में से बाहर खींच लिया था,,,)




ओहहहह सुरज मुंह को ही चोदता रहेगा या बुर पर भी ध्यान देगा,,,।
(शुभम की मां मंगलदेवी की बात सुनकर सुरज समझ गया कि उसकी बुर में आग लगी हुई है जिसे बुझाना बहुत जरूरी है,,,,,)

चिंता मत करो रानी जब तक मैं हूं तब तक तुम्हें तड़पने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है इतना कहने के साथ ही सुरज तुरंत पीछे की तरफ घुटनों के बल आया और देखते ही देखते शुभम की मां मंगलदेवी की दोनों टांगों के बीच जगह बना लिया और अपने लंड को हाथ में लेकर उसकी बुक पर पटकते हुए शुभम से बोला,,,)


देख शुभम मैं कैसे तेरी मां की चुदाई करता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही उसकी गीली बुर में लंड के सुपाडे को डालना शुरू कर दिया पास में ही खड़ा शुभम अपनी आंखों से अपने दोस्त के लंड को अपनी मां की बुर में जाता हुआ देख रहा था,,, शुभम अच्छी तरह से जानता था कि सुरज का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा है इसलिए अपनी मां के चेहरे की तरफ देख रहा था कि सुरज के लंड को लेने में उसे तकलीफ होती है या नहीं लेकिन वास्तव में मोटे तगड़े लंड अपनी बुर में लेने से जिस तरह की तकलीफ होनी चाहिए थी वही तकलीफ शुभम को अपनी मां के चेहरे पर साफ नजर आ रहा था उसकी आंखें बंद थी चेहरे का हाव भाव बदल रहा था उसके चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा था कि सुरज के लंड को लेने में उसकी मां को अभी भी दर्द महसूस हो रहा था देखते ही देखते सुरज अपना करतब दिखाते हुए अपने पूरे समूचे लंड को उसकी बुर की गहराई में उतार दिया,,, और खुश होता हुआ और आपकी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया,,,,और शुभम की तरफ देखते हुए अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया है शुभम हैरान था कितने मोटे तगड़े लंबे लंड को उसकी मा आराम से अपनी बुर की गहराई में ले चुकी थी,,,, शुभम वहीं खड़ा खड़ा अपने दोस्त के लंड को अपनी मां की बुर के अंदर बाहर होता हुआ देख रहा था,,,,।

देखते ही देखते सुरज की कमर रफ्तार पकड़ने लगी खटिया चरमराने लगी और हर धक्के के साथ शुभम की मां मंगलदेवी की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छातियों पर लोट जा रही थी,,,जिसे देखकर खुद शुभम की हालत खराब हो रही थी और अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की चूची को दबाना शुरू कर दिया था सुरज की जबरदस्त चुदाई को देखकर अपनी मां की मस्ती को शुभम और ज्यादा बढ़ा रहा था,,,,। थोड़ी सी देर में कमरे में शुभम की मां मंगलदेवी की गरम सिसकारियां गुंजने लगी,,, तकरीबन ४० मिनट की घमासान चुदाई के बाद सुरज का पानी निकल गया इतनी देर तक चुदाई देखकर शुभम खुद हैरान था,,,,अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसे इतना मौका मिले तो उसे तो बहुत मजा आ जाए लेकिन उसका तो बहुत जल्दी निकल जाता है,,।

सुरज शुभम की मां मंगलदेवी की छातियों पर पसर कर लंबी लंबी सांसे ले रहा था और शुभम की मां मंगलदेवी पूरी तरह से संतुष्ट होकर उसकी नंगी पीठ पर हाथ रखकर उसे सहलाते हुए एक तरह से उसे शाबाशी दे रही थी क्योंकि अगर वह उसके बेटे के भरोसे रहती तो उसका बेटा तो उसे बीच मझधार में ही छोड़कर खुद कीनारे लग गया था वह तो भला हो सुरज का की जिसके पतवार को थामे वह धीरे-धीरे किनारे पर पहुंच चुकी थी,,,, कुछ देर तक ज्यों का त्यों बना रहा,,,,शुभम की मां मंगलदेवी को बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी आखिरकार दो दो बार चुदाई का सुख जो भोग चुकी थी,,,, सुरज को अपने ऊपर से हटाते हुए वह बोली,,,।


हट सुरज मुझे जाने दे जोरों की पेशाब लगी है,,,,।
(शुभम हैरान था इस बात से कि उसकी मां सुरज के सामने भी एकदम खुलकर बातें करने लगी थी फिर अपने मन में सोचा कि जो औरत किसी के लिए अपनी टांगे खोल दे तो जुबान का क्या मोल,,,, सुरज शुभम की मां मंगलदेवी के ऊपर से हट चुका था और शुभम की मां मंगलदेवी खटिया पर से उठ कर एक चादर को अपने बदन पर लपेट रही थी तो खुद शुभम अपनी मां के बदन पर से चादर को हटाते हुए बोला)

अब इसका क्या काम,,,,
(शुभम की हरकत को देखकर सुरज खुश होता हुआ बोला)

यह हुई ना बात अब और ज्यादा मजा आएगा,,,, चलो मुझे भी पेशाब लगी है हम तीनों मिलकर पेशाब करते हैं,,, यह सुनकर शरमाते हुए शुभम की मां मंगलदेवी बोली,,)

धत् तीनो नही,,,, मुझे शर्म आती है,,,

वाह रे मेरी लाजवंती,,, टांगे खोल खोल कर मेरा और अपने बेटे का लंड अपनी बुर में ले ली और अब मुतने में शर्म आती है,,,(खटिया पर से खड़ा होकर नंगी खाटू शुभम की मां मंगलदेवी की गांड पर चपत लगाते हुए बोला) चल मेरी जान आज यह भी मजा ले लेते हैं,,,,(अपनी गांड पर अपने बेटे की आंखों के सामने सुरज की चपत पडते ही वह शरमा गई,,,सुरज की हरकत को देखकर शुभम अपने मन में सोचने लगा कि साले की हरकत इस तरह की है तो औरतें तो इससे खुश रहने वाली हैं वाह क्या करता था अपनी मां के साथ बस डाला कमर हिलाया और निकालकर फिर सो गया इससे ज्यादा कभी कुछ किया नहीं था इसीलिए तो उसकी मां को सुरज की जरूरत पड़ने लगी और सुरज भी अपनी हरकत से उसकी मां को पूरी तरह से खुश कर दे रहा था यह सब शुभम देखकर धीरे-धीरे सीख भी रहा था,,, ताकि भविष्य में वह खुद अपनी मां को पूरी तरह से खुश रख सके,,,,,, सुरज के कहने पर शुभम की मां मंगलदेवी तैयार हो चुकी थी,,, एक साथ मुतने के लिए,,, और तीनों को घर में ही सबसे अंतिम छोर पर जाना था जहां पर हैंडपंप लगा हुआ था वहीं पर नहाना धोना होता था और वहीं पर पहली बार ही सुरज गौरी को नहाता आता हुआ देखा था और दूसरी बार गौरी की मां के साथ उसी जगह पर संबंध बनाया था इसलिए यह जगह सुरज के लिए बेहद खास थी,,, घर के अंतिम छोर पर अंधेरा था यह बात सुरज अच्छी तरह से जानता था इसलिए चलते समय कमरे में से लालटेन को ले लिया था ताकि लालटेन के उजाले में सब कुछ साफ नजर आए,,, आगे-आगे शुभम की मां मंगलदेवी चल रही थी उसकी बड़ी-बड़ी मटकती हुई गांड को लालटेन की रोशनी में देखकर सुरज के साथ-साथ उसका बेटा भी खुश हो रहा था और उत्तेजित भी,,,,,,, औरत के हर एक हरकत में उत्तेजना महसूस होती है यह बात धीरे-धीरे शुभम को पता चल रही थी और वह भी सुरज के साथ रहने पर क्योंकि इस तरह की उत्तेजना पर अपनी बातों से सुरज भी ध्यान देता था,,,,।

हाय शुभम तेरी मां की गांड देख चलते समय कितनी हीलती हैकसम से सच कह रहा हूं गांव में जब तेरी मां चलती होगी ना तो तेरी मां की गांड देखकर ना जाने कितने लोग पानी फेंक देते होंगे,,,, सच कहूं तो गांव के बूढ़े जवान सभी तेरी मां को चोदने का सपना देखते होंगे ऐसी कसी हुई गांड शायद ही गांव में किसी की होगी,,,, तो कुछ बोलता क्यों नहीं बस खामोश होकर मजा ले रहा है कुछ बोलेगा तभी तो मजा आएगा तुझे भी और तेरी मां को भी,,, क्या तुझे अच्छा नहीं लग रहा है तेरी मां की बड़ी-बड़ी गांड ‌हीलते हुए देखना,,,।


हां हां बहुत अच्छा लग रहा है,,,,(सुरज की बात सुनकर शुभम हड़बड़ाते हुए बोला,,, शुभम और सुरज की बातें सुनकर आगे-आगे चल रही शुभम की मां मंगलदेवी मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि दो-दो जवान लड़के इस उम्र में भी उसकी गांड की तारीफ कर रहे थे उसकी कसी हुई गांड में अभी भी पूरी तरह से आकर्षण कायम था,,,इसलिए शुभम की मां मंगलदेवी कुछ ज्यादा ही इतरा कर चलने लगी थी जिससे उसकी गांड का उभार कुछ ज्यादा ही बाहर को निकल कर सामने आ रहा था जिसे देख देख कर शुभम और सुरज दोनों की हालत खराब हो रही थी सुरज तो, चलते समय बार-बार उसकी गांड पर चपत भी लगा दे रहा था जिससे चाटट की आवाज वातावरण में कुछ नहीं लगती थी और चपत पड़ने के साथ ही शुभम की मां मंगलदेवीके मुंह से आह निकल जाती थी,,, देखते ही देखते तीनों घर के अंतिम छोर पर पहुंच चुके थे और वही पास में सुरज लालटेन को रख दिया,,, तीनों नंगे खड़े थे लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,।
 
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साथ में पेशाब करने के लिए सुरज ने शुभम की मां मंगलदेवी को मना लिया था एक नई अनुभव के लिए तीनों घर के अंतिम छोर पर पहुंच चुके थे जहां पर छोटा सा स्नानागार बना हुआ था वही हेडपंप भी लगा हुआ था अंधेरे में सब कुछ साफ है जरा है इसलिए सुरज अपने साथ लालटेन लेकर चल दिया था और घर के अंतिम छोर पर पहुंचकर एक अच्छी जगह पर लालटेन रख दिया था जहां पर उसका उजाला चारों तरफ खेल सके और उस लालटेन की पीली रोशनी में सुरज को सब कुछ नजर आ सके और ऐसा हो भी रहा था लालटेन की पीली रोशनी में तीनों एकदम नंगे खड़े थे,,,, शुभम की मां मंगलदेवी की नंगी जवानी का रस उसके बेटे के साथ-साथ सुरज अपनी आंखों से पी रहा था,,,, शुभम की आंखों के सामने सुरज लगातार रह रह कर शुभम की मां मंगलदेवी की बड़ी बड़ी गांड पर जोर से चपत लगा दे रहा था ऐसा करने से सुरज को तो मजा आ ही रहा था लेकिन हल्के दर्द के साथ शुभम की मां मंगलदेवी के तन बदन में मदहोशी बढ़ जा रही थी,,,,। शुभम की मां मंगलदेवी की नंगी गांड पर अपनी हथेली फैरते हुए सुरज बोला,,,।


अब सोच क्या रही हो मेरी रानी बैठ जाओ और मुतना शुरू करो,,,,मैं आज अपनी आंखों से तुम्हें पेशाब करते हुए देखना चाहता हूं तुम्हारी बुर से निकली सिटी को अपने कानों से सुनना चाहता हूं,,,,।
(सुरज की बातें सुनकर शुभम को बहुत ज्यादा आनंद आ रहा था,, और कोई वक्त होता तो शायद वह सुरज का मुंह तोड़ देता लेकिन इस समय वासना की खुमारी उसकी आंखों के अंदर अपना असर दिखा रही थी उसकी आंखों में ४ बोतलों का नशा छाने लगा था जो कि उसकी मां की जवानी का ही था,,, सुरज की ऐसी अश्लील बातें शुभम के कानों में मिश्री घोल रही थी और वह भी अपनी मां के लिए इतनी गंदी गंदी बात सुनकर शुभम का लंड खड़ा होने लगा था वहीं दूसरी तरफ अपने बेटे की मौजूदगी है अपने बेटे के दोस्त के मुंह से अपने लिए इतनी गंदी गंदी बात सुनकर शुभम की मां मंगलदेवी को थोड़ा अजीब तो लग रहा था लेकिन आनंद की ऐसी पराकाष्ठा को उसने कभी महसूस नहीं की थी,,, मर्दों की गंदी जुबान में भी औरतों के लिए मदहोशी भरा शुभ होता है आज यह पहली बार शुभम की मां मंगलदेवी को एहसास हो रहा था और यही फर्क वह अपनी बेटे में कर रही थी कि उसका बेटा उसे २ साल से चोदता रहा था मां बेटे के बीच का रिश्ता पूरी तरह से टूट चुका था मर्यादा की दीवार गिर चुकी थी लेकिन फिर भी एक जवान लड़का होने के बावजूद भी शुभम ने इस तरह की अश्लील बातें उससे कभी नहीं की थी,,, जबकि शुभम की मां मंगलदेवी इस तरह की बातों से और ज्यादा उत्तेजित होती थी जो कि उसके बेटे का दोस्त सुरज उसका भांजा एकदम खुलकर उससे बातें कर रहा था इसलिए तो वह शर्म से पानी पानी होने के बावजूद भी अंदर ही अंदर बेहद प्रसन्न नजर आ रही थी और सुरज की बात मानते हुए अपने बेटे और अपने भांजे की आंखों के सामने ही एक कदम आगे जाकर वहां बैठ गई थी ताकि उन दोनों को उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी के साथ-साथ उसकी बड़ी बड़ी गांड का नजारा एकदम साफ नजर आए,,,,।


बड़ी बड़ी गांड लेकर बैठने के साथ ही शुभम की मां मंगलदेवी अपने दोनों हाथ एली को पीछे की तरफ लाकर अपनी गांड की दोनों फांकों पर रखकर मुतना शुरू कर दी,,, पल भर में ही बुर से निकल रही सीटी की आवाज,,, सुरज के साथ-साथ शुभम के कानों में मिश्री होने लगी सुरज तो एक दम मस्त हो गया वह अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए शुभम की मां मंगलदेवी की गांड की तरफ देखते हुए शुभम से बोला,,,।

अरे यार से आप सच में तेरी मां एकदम क़यामत है इस उम्र में भी तेरी मां में जवानी कूट-कूट कर भरी हुई है जिसका रस पीने में मुझे तो बहुत मजा आ रहा है,,,, तुझे भी आ रहा होगा इतना तो मैं जानता ही हूं अभी तो अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड देख कर देख तेरा कैसे खड़ा होने लगा है,,,(सुरज की बात से शुभम पूरी तरह से सहमत था अपनी मां को पेशाब करता हुआ देखा कर एक बार झड़ने के बावजूद भी उसका लंड तुरंत खड़ा हो गया था जबकि ऐसा उसके साथ होता नहीं था,,,, सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)कसम से शुभम पहली बार में किसी औरत को पेशाब करते हुए देख रहा हूं और पेशाब करती हुई औरत इतनी खूबसूरत लगती है मैंने कभी सोचा भी नहीं था,,,और तो तेरी मां बिना कपड़ों के एकदम नंगी बैठी है सोच मेरे दिल पर क्या गुजर रही होगी मेरा लंड तो ऐसा लग रहा है फट जाएगा,,,(सुरज की गंदी गंदी बातें शुभम की मां मंगलदेवी के तन बदन में आग लगा रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी वह बेशर्मी की हद को धीरे धीरे पार कर रही थी,,,,आज उसे दो दो जवान लड़कों के सामने नंगी होकर पेशाब करने में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और उसे अच्छा भी लग रहा था,,, इसलिए सुरज की बात सुनकर वह बोली,,,)

तुम दोनों देख क्या रहे हो आ जाओ मेरे साथ साथ पेशाब करो,,,, तू भी आजा बेटा,,, अपनी मां के साथ मुतने का सुख भोग,,,(शुभम की तरफ देखकर वह बोली शुभम अपनी मां की इस तरह की बातें सुनकर पूरी तरह से मस्त हो गया और अपनी मां की बात मानते हुए थे उसके बगल में आकर खड़ा हो गया वह हम उतने ही वाला था कि उसकी मां उसके लंड को पकड़ कर बोली,,,)

ऐसे नहीं बेटा तू भी बैठ जा मेरी तरह,,,,,,, तूने भी कभी इस तरह से औरतों की तरह बैठकर पेशाब नहीं किया होगा,,, इसलिए तू भी इस नए अनुभव का मजा ले,,,,(अपनी मां के इस तरह की खुली बातें सुनकर शुभम से रहा नहीं जा रहा भी अपनी मां के बगल में बैठ गया,,, अपनी मां को रोज-रोज चोदने के बावजूद भी शुभम इतना खुला नहीं था जितना कि आज खुलता चला जा रहा था यह सब सुरज की मेहरबानी थी सुरज ने जिंदगी का असली सुख का रास्ता उसके लिए बताया था,,,, शुभम अपनी मां के बगल में बैठ गया था मुतना शुरू कर दिया था इस तरह से वह पहली बार मुत रहा था इसलिए उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,,, शुभम की मां मंगलदेवी सुरज की तरफ देखकर,,,

तू क्या खड़े-खड़े हिला रहा है तू भी आजा,,, ,,,


आता हूं मेरी रानी पीछे से तेरी गांड देखने में बहुत मजा आता है,,,,,,
(सुरज की यही बातें शुभम की मां मंगलदेवी को बहुत अच्छी लगती थी वह ऐसे जताता था जैसे कि वह उसके बेटे के उम्र का ना होकर उसका प्रेमी या पति हो,,,, इतना कहकर सुरज शुभम की मां मंगलदेवी के बगल में नहीं बल्कि ठीक उसके पीछे बैठ गया,,, और अपने लंबे लंड को उसकी गांड के पीछे से नीचे की तरफ डालकर ठीक उसकी बुर के सामने कर दिया और मुतना शुरू कर दिया,,,,,)

आहहहहहह,,,,, मेरी जान कितना सुकून मिल रहा है मैं बता नहीं सकता,,,आहहहहह,,, तेरी बुर के नीचे से धार मारने में बहुत मजा आता है,,,,(शुभम की मां मंगलदेवी एकदम मस्त हुए जा रही थी उसके बेटे की आंखों के सामने ही सुरज उसके ठीक पीछे बैठकर उसकी गांड से एकदम सटकर अपने लंड को नीचे की तरफ से आगे की तरफ लाकर पेशाब कर रहा था और साथ में शुभम की मां मंगलदेवी भी मुत रही थी,,,, शुभम की तो सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, शुभम कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई लड़का एक औरत के साथ इतनी बेशर्मी से पैसा आता होगा लेकिन इस बेशर्मी में मजा बहुत था और वह भी दोनों को और उसे खुद को,,,, सुरज पीछे बैठकर शुभम की मां मंगलदेवी की गर्दन पर होठ रखकर चूमते हुए,,,, अपने लंड को पकड़ कर उसकी बुर पर मारने लगा जिससे शुभम की मां मंगलदेवी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ रहे थे वह उत्तेजना के मारे अपनी आंखों को बंद कर ले रही थी अभी भी उसके हाथ में उसके बेटे का लंड था जिसमें से पेशाब की धार निकल रही थी पहली बार वह अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसे पेशाब करा रही थी,,, और शुभम आगे के तरीके जो पीकर अपनी नजरों को अपनी मां की दोनों टांगों के बीच टीकाया हुआ था क्योंकि सुरज अपने लंड की करामात उसकी मां की बुर पर दिखा रहा था,,,, शुभम लालटेन की रोशनी में साफ तौर पर देख पा रहा था कि,,उसकी मां की बुर से पेशाब की धार निकल रही थी और सुरज अपने लंड को पेशाब करते हुए हैं उसकी मां की पेशाब की धार में अपने लंड के सुपाड़े को भिगो रहा था यह अनुभव बेहद रोमांच पैदा कर देने वाला था,,शुभम इस बारे में कभी कल्पना भी नहीं किया था और सुरज उसकी कल्पना के परे एकदम अद्भुत नजारे को उसकी आंखों के सामने पेश कर रहा था,,, शुभम की सास ऊपर नीचे हो रही थी और सुरज अपने लंड की सुपारी को उसकी मां की बुर में निकल रही पेशाब की धार के बावजूद भी उसकी बुर में डालने का प्रयास कर रहा था और शुभम के आश्चर्य के साथ ही सुरज का लंड बड़े आराम से बैठे बैठे ही उसकी मां की बुर में पूरा सुपाड़ा घुस जा रहा था,,,,।


आहहहहह कितना आनंददायक है,,,,।

सहहहह बेटा यह क्या कर रहा है,,,

मत पूछो मंगल मामी बहुत मजा आ रहा है बस तुम मुतती रहो,,,आहहहहहह,,,,(सुरज पूरी तरह से आनंद के सागर में गोते लगा रहा था उसकी आंखें बंद हो रही थी शुभम से देखा नहीं जा रहा था अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की बुर को सहला रहा था जिसमें से अभी पेशाब की धार निकल रही थी और अभी भी उसकी मां के हाथ में शुभम का लंड था जिसे वह जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दी थी,,,,


अद्भुत नजारा शुभम के घर में पेश हो रहा था उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था कि वह कभी अपने दोस्त को उसके साथ मिलकर अपनी मां की चुदाई करेगा और इस अद्भुत खेल को पूरी तरह से खेल कर मजा लेगा,,,,लालटेन की पीली रोशनी को सबको साफ नजर आ रहा था पूरा गांव चैन की नींद सो रहा था और इन तीनों के आंखों में नींद दूर दूर तक कहीं दिखाई नहीं दे रही थी,,, और जब एक जवानी से भरी औरत एकदम नंगी हो और तू जवान लड़की हो तो भला ऐसे में नींद किसको आएगी और जिस को नींद आ जाए तो समझ लो वहां मर्द नहीं है,,,,।

पेशाब का कार्यक्रम समाप्त हो चुका था सुरज का तो मन कर रहा था बैठे-बैठे ही सुरज की मां की गांड मार ले,,,लेकिन अभी इस खेल को और ज्यादा रोमांचक करना था इसलिए तीनों अपनी-अपनी जगह से खड़े हो गए,,, सुरज चाहता था कि उसकी मां अपनी बुर को पानी से एकदम साफ कर ले इसलिए हेडपंप चलाने लगा और शुभम की मां मंगलदेवी से बोला,,,।

मंगल मामी पानी से अपनी बुर धो लो,,, अभी और मजा लेना है,,,।
(और शुभम की मां मंगलदेवी सुरज की बात मानते हुए हेडपंप में से निकल रहे पानी को अपने दोनों हथेली में लेकर अपनी बुर पर मारने लगी और उसे रगड़ रगड़ कर साफ़ करने लगी,,,थोड़ी देर बाद तीनों फिर से उसी कमरे में थे जिस कमरे में अभी-अभी चुदाई का खेल खेल कर गए थे,,,, शुभम की मां मंगलदेवी खटिया पर पीठ के बल नंगी लेटी हुई थी और उसके दोनों पैरों के बीच सुरज अपने लिए जगह बना रहा था,,, और शुभम अपनी मां के सिरहाने बैठकर दोनों हाथों से उसकी गोल गोल चूचियों को दबा रहा था,,,, सुरज के साथ साथ शुभम को भी इंतजार था अपनी मां की गांड मारने का एक अद्भुत सुख के नशे में उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी,,,,और उत्तेजना के मारे अपनी मां की चूचियों को वह जोर जोर से दबा रहा था सुरज शुभम की मां मंगलदेवी की गांड को थोड़ा रुक पर करने के लिए उसके नीचे दो तकिया लगा दिया था और उसकी गांड को पर हवा में तोप की तरह तैनात कर दिया था,,,सुरज शुभम की मां मंगलदेवी की दोनों जहां को अपनी हथेली में लेकर कस के दबा कर भी उसे थोड़ा सा फैलाते हुए बोला,,,।

सहहहह आहहह आहहहहह,,,, क्या मस्त बुर है मंगल मामी,,,, मन करता है खा जाऊं,,,,,।

तो खा जाना रे रोका किसने है,,,,, तुम दोनों के लिए तो है मेरी बुर,,,,।
(शुभम अपनी मां की बात सुनकर हैरान भी था और उसे मज़ा भी आ रहा था क्योंकि इस तरह की से उसने कभी भी उससे बात नहीं की थी शायद गलती उसी की ही थी कि उसने भी सुरज की तरह कभी अपनी मां से इस तरह की बातें नहीं किया था,,,)

पूरा का पूरा खा जाऊंगा मेरी जान,,,,(सुरज शुभम की मां मंगलदेवी की बुर पर अपनी हथेली लहराते हुए उसकी गांड के छोटे से छेद को देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत नजर आ रही थी इस समय उसकी उत्तेजना का केंद्र बिंदु से शुभम की मां मंगलदेवी की गांड का छोटा सा छेद था जिस पर आज फतेह पाना था इसलिए वह अपने बीच वाली उंगली को उस छोटे से अच्छे को कुरेदते हुए बोला,,,।

वह मंगल मामी तुम्हारी बुर के साथ-साथ तुम्हारी गांड का छेद कितना खूबसूरत लग रहा है,,,, कसम से ऐसा छेद किसी का नहीं होगा एकदम छल्ला की तरह नजर आ रहा है,,,।
(अपनी गांड के छोटे से छेद पर सुरज की उंगली का स्पर्श महसूस करते ही वह कसमसाने लगी थी शायद गांड के छेद पर उंगली का स्पर्श उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करा रहा था,,,, इसलिए वह मचलते हुए बोली,,)

आहहहह क्या कर रहा है गुदगुदी हो रही है,,,


मजा भी बहुत आएगा मंगल मामी आज तो मेरा मन तुम्हारे ईसी छेद से खेलने को कर रहा है,,,
(शुभम की मां मंगलदेवी इतनी भी नादान नहीं थी कि सुरज के कहने का मतलब को ना समझती हो वह सुरज के इरादे को भांप गई थी और पल भर में ही उसकी आंखों के सामने सुरज का मोटा लंड और उसकी गांड का छोटा सा छेद नजर आने लगा जिसके अंदर लंड का प्रवेश बेहद कष्टदायक नजर आ रहा था इसलिए वह तुरंत बोली)

नहीं नहीं उसको कुछ मत करना,, मैं आज तक उस में नहीं ली हूं,,,, (अपनी मां की बात सुनकर शुभम निराश होने लगा उसे लगने लगा कि अगर उसकी मां गांड का छेद नहीं देगी तो उसका मजा अधूरा रह जाएगा,,,,लेकिन उसको सुरज पर भरोसा था वह जानता था कि सुरज कोई ना कोई रास्ता जरूर निकाल लेगा इसलिए वहां सिर्फ देखता रहा और अपनी मां की चूची को दबाता रहा,,,,)

क्या मेरी जान घबरीती हो,,, दो-दो बच्चे छोटे से छेद से बाहर निकाल ली हो और आज गांड के छेद में डलवाने में डर रही हो,,, कसम से मंगल मामी बहुत मजा आएगा,,,


नहीं नहीं सुरज ऐसा मत कर,,,,।
(शुभम की मां मंगलदेवी की बात का जवाब दिए बिना ही वह धीरे-धीरे अपनी बीच वाली उंगली को गांड के छोटे से छेद में प्रवेश कराने लगा जो कि बड़ी मुश्किल से थोड़ा बहुत खिसक रहा था क्योंकि वह जगह सूखी थी अगर गीलापन होता तो शायद उसकी बीच वाली उंगली बड़े आराम से घुस जाती इसलिए वह ज्यादा मशक्कत नहीं किया क्योंकि अगर जबरदस्ती करेगा तो मंगल मामी को दर्द होगा और वह ऐसा कर रहे नहीं देगी इसलिए वह बहुत सोच समझ कर आगे बढ़ना चाहता था इसलिए अपने दिमाग को ठंडा करके वह बिना कुछ बोले शुभम की मां मंगलदेवी की आंखों को थोड़ा सा और फैला देंगे तो केवल बैठ गया और अपने होठों को पहले तो उसकी बुर के गुलाबी छेद पर रख कर चाटने लगा ताकि शुभम की मां मंगलदेवी के मन में जो कुछ भी चल रहा हो कुछ पल के लिए दूर हो जाए और ऐसा ही हुआ पल भर में ही शुभम की मां मंगलदेवी के तन बदन में मस्ती की लहर उठने लगी सुरज अपनी जीभ का कमाल उसके गुलाबी पत्तियों पर दिखा रहा था,,, शुभम की मां उत्तेजित हुए जा रही थी और कसमसाते हुए अपनी कमर को दाएं बाएं हिला रही थी,,, सुरज का लक्ष्य ईस समय शुभम की मां की बुर का नहीं बल्कि उसकी गांड का छोटा सा छेद था वह धीरे-धीरे एक नई उपलब्धि हासिल करना चाहता था,,, इसलिए शुभम की मां मंगलदेवी की बुर को चाटते हुए एक हाथ की उंगली से उसकी गांड के छेद को भी सहला रहा था और उसकी यह हरकत शुभम की मां मंगलदेवी के तन बदन में आग लगा रही थी,,,,।

दूसरी तरफ अपनी आंखों के सामने ही अपने दोस्त को अपनी मां की बुर चाटता हुआ देखकर शुभम का लंड खड़ा होने लगा और वो अपनी मां की चूचियों को दबाता हुआ एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां के हाथ में थमा दिया,,, और उसकी मां अपने बेटे के लंड से खेलने लगी,,,,,धीरे-धीरे सुरज अपनी हरकत को अंजाम देने के लिए मंजिल की तरफ बढ़ने लगा और अपनी जीभ को नीचे की तरफ लाने लगा और अगले ही पल अपनी जीभ को शुभम की मां मंगलदेवी की गांड के छेद पर रख दिया,,,, और सुरज की हरकत शुभम की मां मंगलदेवी के तन बदन में आग लगा रहे थे उससे सुरज की हरकत बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुई और वह उत्तेजना के मारे अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा दी,,,,आहहहहहहह सुरज,,,,,, एकाएक शुभम की मां मंगलदेवी के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुटने लगी,,, वह कभी सोची नहीं थी कि कोई उसकी गांड के छेद को भी चाटेगा लेकिन शायद सुरज उसकी जिंदगी में उसे अद्भुत सुख देने के लिए आया था इसीलिए तो जो कुछ भी वह नहीं सोची थी सुरज उसे अपनी हरकतों से पूरा कर रहा था और उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति भी करा रहा था,,,, बुर चटवाने से ज्यादा मजा शुभम की मां मंगलदेवी को अपनी गांड का छेद चटवाने में आ रहा था,,,,,,।

सुरज पूरी तरह से अपना पूरा ध्यान शुभम की मां मंगलदेवी की गांड के छेद पर केंद्रित कर चुका था वह लगातार,,, अपनी जीभ से उस छोटे से छेद को कुरेद रहा था और उसकी हरकत की वजह से से आपकी मां के तन बदन में उत्तेजना की औलाद उठा रही थी कि पूछो मत वह बार-बार अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी वह काफी उत्तेजित हो चुकी थी,,, यहां तक कि वह अपने बेटे के खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर खुद अपने मुंह में डालकर चूसना शुरू कर दी थी शुभम तो अपनी मां की हरकत से पूरी तरह से हैरान हो चुका था,,,क्योंकि उसकी मां आगे से चलकर कभी भी उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसी नहीं थी,,, लेकिन आज तो कमाल हो गया था और इसका सारा श्रेय सुरज को जा रहा था,,, शुभम अपने मन में सोचने लगा कि सुरज वास्तव में औरत को खुश करने में पूरी तरह से जादूगर है उसका जादू और तो कर बहुत जल्दी चल जाता है तभी तो उसकी मां ना चाहते हुए भी अपनी गांड का छेद कैसे चटवा रही है,,,।

शुभम की मां मंगलदेवी इस बात से हैरान थी कि इतने गंदे जगह को कोई अपने मुंह से अपनी जीभ से कैसे चाटेगा लेकिन सुरज में शुभम की मां मंगलदेवी की सोच की पूरी तरह से धारणा को बदल कर रख दिया था,,,, उस छोटे से छेद को चाटने में सुरज अपनी संपूर्ण शक्ति को लगा दे रहा था पूरी तरह से मस्त हुए जा रहा था वह कभी सोचा नहीं था कि उम्रदराज औरत की गांड चाटने में इतना मजा आएगा,,,, शुभम की मां मंगलदेवी की कसमसाहट उसके तन बदन में उठ रही उत्तेजना की लहर को पहचान कर सुरज उसका पूरा फायदा उठाना चाहता था इसलिए अपनी बीच वाली उंगली को थोड़ा सा थूक लगाकर उसकी गांड के छोटे से छेद में डालना शुरू कर दिया,,,, चाटने की वजह से और थुक की वजह से गांड के छेद में चिकनाहट आ गई थी और उस चिकनाहट को पाकर सुरज के ऊपरी धीरे-धीरे गांड के छेद में प्रवेश कर रही थी,,,,,, शुभम की मां मंगलदेवी की कसमसाहट और छटपटाहट दोनों बढ़ रही थी,,, कभी सोची नहीं थी कि कोई उसकी गांड में इस तरह से उंगली डालेगा और वह भी उसके बेटे की उम्र का लड़का और वह भी उसके ही बेटे की आंखों के सामने,,, उत्तेजना का प्रचंड अनुभव कर रही है शुभम की मां मंगलदेवी अपने बेटे के लंड को पूरा गले तक लेकर चूस रही थी उससे उत्तेजना संभाले नहीं संभल रही थी वह पूरी तरह से बेकाबू होते जा रहे थे देखते ही देखते सुरज मौके का फायदा उठाते हुए अपनी बीच वाली उंगली को पूरा का पूरा शुभम की मां मंगलदेवी की गांड के छोटे से छेद में डाल दिया था और उसे अंदर बाहर कर कर अपने लिए जगह बना रहा था वह अच्छी तरह से जानता था कि शुभम की मां मंगलदेवी की गांड का छेद उतना विकसित नहीं है जितना कि उसके लंड का सुपाड़ा लेकिन यह बात अच्छी तरह से जानता था की लंड गांड के छेद की चिकनाहट पाकर बहुत ही जल्दी उसमें प्रवेश कर जाएगा और एक बार प्रवेश कर गया तो फिर मजा ही मजा है इसलिए वह पूरा जोर लगा रहा था शुभम की मां मंगलदेवी को गांड मरवाने के लिए,,, शुभम की मां मंगलदेवी की अब जाकर उत्सुक हुए जा रही थी कि सुरज उसकी गांड कैसे मारेगा,,,,,,।

सुरज अपने बीच वाली उंगली को शुभम की मां की गांड के छोटे से छेद में अंदर बाहर करते हुए शुभम से बोला,,,


देख रहा है शुभम तेरी मां की गांड का छेद कितना खूबसूरत है मेरी उंगली बड़े आराम से अंदर बाहर हो रही है अब देखना मेरा लंड कितने आराम से तेरी मां मंगल मामी ले लेती है,,,,।

मां की गांड में तेरा चला जाएगा,,!(शुभम आश्चर्य जताते के सुरज से बोला क्योंकि होली अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की गांड का छेद छोटा सा है और सुरज का लंड काफी मोटा है,,,)


तू चिंता मत कर मेरे दोस्त देखना तेरी मां कैसे उछल उछल कर गांड मरवाती है,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी उंगली को उसकी गांड के छेद के अंदर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया,,,। यह एहसास शुभम की मां मंगलदेवी के लिए बिल्कुल अनोखा और नया था उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा जब वह दो दो जवान लड़कों से इस तरह का खेल खेलेगी,,,, सुरज की बात सुनकर शुभम बोला,,)

तू एक बार कोशिश कर अगर सफल हो जाएगा तो मैं भी गांड मारूंगा,,,,।

(शुभम की इस तरह की बात सुनकर शुभम की मां मंगलदेवी उसकी तरफ देखने लगी हालांकि अभी भी उसके मुंह में उसके बेटे का लंड था जो कि शुभम धीरे-धीरे अपनी कमर आगे पीछे करके हिला रहा था,,,, सुरज शुभम की मां मंगलदेवी की गांड के छेध में उंगली डालकर उसे हिलाते हुए बोला,,,)

क्यों मेरी जान मजा आ रहा है ना उंगली कर रहा हूं तो,,,


सहहहहहह ,,, हाय दैया मजा तो बहुत आ रहा है लेकिन अपना लंड मत डालना तेरा बहुत मोटा है,,,


तो क्या सबसे पहले शुभम को डालने दो शुभम से गांड मरवाना चाहती हो,,,,

नहीं नहीं,,, शुभम से नहीं वह तो अभी नादान है,,, तू ही शुरुआत कर,,,,,,,(ना चाहते हुए भी शुभम की मां मंगलदेवी के मुंह से हामी निकल गई ,,क्योंकि भले ही वह गांड मरवाने से डर रही थी लेकिन वह भी पूरी तरह से उत्सुक हो गई थी गांड में लंड का अनुभव करने के लिए और वह शुरुआत सुरज के अनुभव से ही करवाना चाहती थी क्योंकि शुभम पर अब उसे पूरा भरोसा नहीं था वहां अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसकी गांड के छेद का उद्घाटन सुरज ही अच्छी तरह से कर सकता है क्योंकि उसकी हरकत देखते हुए शुभम की मां मंगलदेवी समझ गई थी कि वह पूरी तरह से अनुभव से भरा हुआ है लेकिन गांड मारने का अनुभव सुरज के पास भी नहीं था लेकिन ताकत पूरा था,,,,लेकिन शुभम अपनी मां की बात सुनकर मन ही मन बहुत गुस्सा हो रहा था क्योंकि वह उसे नादान कह रही थी जबकि २ साल से खुद अपनी प्यार उसी से बुझवाती आ रही थी,,,, लेकिन शुभम कर भी क्या सकता था उसे मजा भी तो बहुत आ रहा था और सुरज के बाद गांड का छेद उसे ही मिलने वाला था,,,इस बात की खुशी के आगे उसकी मां की बात हुआ भूल गया और सारा ध्यान उसकी चूची पर केंद्रित करके धीरे-धीरे उसे दबाना शुरू कर दिया हालांकि शुभम की मां मंगलदेवी ने अपने मुंह में से शुभम के लंड को बाहर निकाल दी थी,,, सुरज इस बात से खुश था कि चलो उसकी मां तैयार तो हो गई गांड मरवाने के लिए लेकिन उसे अपनी हरकत पर पूरी तरह से भरोसा था कि वह शुभम की मां मंगलदेवी को गांड मरवाने के लिए मनाने का और आखिरकार उसकी मां मान ही गई,,,,,, इसलिए सुरज खुश होता हुआ बोला,,,)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मंगल मामी तुम्हारी खूबसूरत गांड का छोटा सा छेद मेरी जिम्मेदारी पर है तुम्हें इतना मजा दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,,(सुरज उसी तरह से लगातार अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए बोला वह अच्छे से जानता था कि आगे का रास्ता बेहद कठिन है धीरे-धीरे बहुत संभाल कर चलना है उसका एक भी गलत कदम सारे किए कराए पर पानी फेर सकता था इसलिए सुरज शुभम से बोला) शुभम जाकर कटोरी में थोड़ा सरसों का तेल लेकर आ,,,, मेरी रानी की गांड में थोड़ा सा सरसों का तेल जाएगा तो मजा दोगुना हो जाएगा,,,,

(शुभम तुरंत कमरे से बाहर गया और थोड़ी ही देर में सरसों के तेल को कटोरी में लेकर आ गया,,,, और सुरज को थमाने लगा सुरज तुरंत कटोरी को लेकर बोला,,,)

अब आएगा असली मजा देखना कैसे सटासट मेरा लंड तुम्हारी गांड में जाता है,,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज कटोरी को खटिया के पाटी पर रखकर शुभम की मां मंगलदेवी को पलटने के लिए बोल दिया शुभम की मां मंगलदेवी की तरह से जानती थी कि किस आसन में उसे आना है,,, वह जानती थी की गांड मरवाने के लिए उसे घोड़ी बनना पड़ेगा अपनी बेटी के सामने अब उसे बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं हो रही थी अब वह पूरी तरह से खुल चुकी थी वह तुरंत आसन बदलते हुए घोड़ी बन गई और अपनी बड़ी बड़ी गांड को ऊपर की तरह हवा में लहराने लगी जिसे सुरज अपने दोनों हाथों में थाम कर उत्तेजना के चलते उसकी गांड पर चुंबन करने लगा,,,, और सरसों के तेल की कटोरी को लेकर उसकी धार को गांड के छेद पर अच्छी तरह से गिराने लगा,,,शुभम की मां मंगलदेवी के बदन में तेल की धार गांड के छेद पर गिरने से कसमसाहट बढ़ रही थी,,,,और थोड़ा सा तेल बचा तो उसे अपने खड़े लंड पर लगाने लगा जिससे लंड की ताकत और ज्यादा बढ़ने लगी,,,,।

थोड़ी ही देर में सुरज तैयार था मंगलदेवी की गांड मारने के लिए और गांड मराई का पहला अनुभव प्राप्त करने के लिए,,, जिसे उसकी मौसी मंजू नहीं डर के मारे इंकार कर दी थी और अनिल की बीवी का छेद कुछ ज्यादा ही छोटा होने की वजह से सुरज खुद आगे नहीं बढ़ पाया था,,, लेकिन आज से आपकी मामी के साथ मौका और दोस्त और दोनों था शुभम की मां भी तैयार उसका बेटा शुभम भी तैयार था और सुरज तो पहले से ही तैयार था इस नए अनुभव को लेने के लिए,,,,,,

गौरी की गैर हाजिरी में एक मां अपने बेटे के साथ मिलकर बेटे के दोस्त अपने भांजे सुरज को घर में बुलाकर चुदाई और गांड मराई का सुख भोग रही थी,,,, सुरज पूरी तरह से तैयार था सुरज का लंड पूरी तरह से लोहे के रोड की तरह तन कर खड़ा हो गया था उसमें जरा भी लचक नहीं थी आसमान की तरह तना हुआ खड़ा था,,,,शुभम की मां मंगलदेवी की गुफा में घुसकर प्रहार करने के लिए वह उतावला हुआ जा रहा था,,, शुभम की मां मंगलदेवी की गांड भी लपलपा रही थी,,,सुरज के लंड को अपने अंदर लेने के लिए लेकिन उसके अंदर डाल भी था उसे इस बात का डर था कि इतना मोटा लंड उसकी गांड के छेद में घुस पाएगा कि नहीं लेकिन सुरज के अनुभव पर उसे पूरा विश्वास था,,,, सुरज अपने लंड को हिलाता हुआ घुटनों के बल बैठ कर ठीक शुभम की मां मंगलदेवी की गांड के पीछे पहुंच गया,,,,,,

शुभम के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही है उसकी आंखों के सामने उसका दोस्त उसकी मां की गांड मारने जा रहा था जो कि उसकी मां के लिए भी यह पहला अनुभव था,, शुभम भी पहली बार देखना चाहता था कि औरत की गांड कैसे मारी जाती है क्योंकि इसका अनुभव वह खुद लेना चाहता था सुरज अपने लंड की सुपाड़े को सुरज की मां की गांड के छोटे से छेद पर रख कर देखने लगा कि घुस पाएगा कि नहीं,,, अगर वैसे डाला जाता तो शायद नहीं घुस पाता लेकिन सरसों के तेल की चिकनाहट पर उसे पूरा भरोसा था और अपने लंड की ताकत पर उसे गर्व भी था आज उसके लंड की परीक्षा थी उसके मर्दाना ताकत से भरे अंग की परीक्षा थी वह देखना चाहता था कि आज वह सफल होता है या असफल,,,एक औरत को संतुष्ट करने में वो पीछे हटना नहीं जाता था वह घुटने टेकना नहीं चाहता था कि शुभम की मां पूरी तरह से उम्रदराज औरत थी उसमे सारा अनुभव भरा हुआ था लेकिन सुरज जवान था मर्दाना ताकत से भरा हुआ अपने इस अनुभव से वह पूरी तरह से शुभम की मां मंगलदेवी को संतुष्ट कर के उसे गदगद कर देना चाहता था इसलिए वह अपने लंड के सुपाड़े को उसके छोटे से छेद पर रख कर देखने लगा,,, गांड के छेद के मुकाबले लंड का सुपाड़ा काफी मोटा था लेकिन फिर भी वह हिम्मत नहीं आ रहा और हाथ में अपने लंड को पकड़ कर उसके सुपाड़े को गांड के छेद में डालने की कोशिश करने लगा,,,।


धीरे धीरे तेल की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा सरकने लगा,,, लेकिन आगे नहीं बढ़ पा रहा था धड़कते दिल के साथ शुभम की मां मंगलदेवी पीछे नजर घुमाकर सुरज की हरकत को गौर से देख रही थी और इंतजार कर रही थी कि कब उसका लंड उसकी गांड के छेद में घुस जाए,,, यही इंतजार शुभम को भी था वह अपने लंड को हिलाते हुए बड़े गौर से सुरज की हरकत को देख रहा था सुरज बिल्कुल भी जताना नहीं चाहता था कि उस से नहीं हो पा रहा है वह कोशिश करने में बंद था इसलिए एक बार फिर से सरसों के तेल में शुभम की मां मंगलदेवी की गांड को पूरी तरह से डुबो दिया और ढेर सारा थूक उस पर उस छोटे से छेद पर गिरा दिया,,,, और उस पर लंड का सुपाड़ा रख कर धीरे धीरे ताकत लगाकर अंदर की तरफ डालने लगा जैसे जैसे वह ताकत लगा रहा था मुझसे वैसे शुभम की मां मंगलदेवी अपने दांतो को दबा दे रही थी,,,।

सुरज की मेहनत और उसका विश्वास रंग लाने लगा तेल और थुक दोनों की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा छोटे से छेद के अंदर सरकने लगा,,,, भले ही गांड का छेद छोटा था लेकिन उत्तेजना के मारे और सुरज की मेहनत के आगे जैसे-जैसे लंड का सुपाड़ा अंदर की तरफ बढ़ रहा था वैसे वैसे वह छोटा सा छेद अपना आकार बदल रहा था,,,, देखते ही देखते सुरज ने अपने सुपाड़े को आधा गांड के छेद में डाल दिया था,,,, अपने दांतो को जोर से दबाते हुए शुभम की मां मंगलदेवी अपने दर्द को दबाए हुए थी उसे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन इस नहीं अनुभव के आगे वह अपने दर्द को भूल जाना चाहती थी,,,,, सुरज एक हाथ से अपने लंड को पकड़े हुए था और दूसरे हाथ से शुभम की मां मंगलदेवी की गांड को दबोचे हुए था,,,, पल भर में ही सुरज पसीने से तरबतर हो गया लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल पा रही थी,,,, आधा सुपाड़ा गांड के छेद में घुसा हुआ था सुरज एक बार फिर से ढेर सारा थूक मुंह से उसके छोटे से छेद पर गिराने लगा और उंगली से उसे चारों तरफ लगाने लगा इस बार उसे लगने लगा कि उसका सुपाड़ा प्रवेश कर जाएगा क्योंकि काफी चिकनाहट पाने लगा था और इस बार सुरज कुछ ज्यादा ही जोर लगाया और लंड का सुपाड़ा सारी अड़चनों को दूर करता हुआ गांड के उस बेशकीमती छल्ले के अंदर प्रवेश कर गया,,, लेकिन जैसे ही प्रवेश किया वैसे ही शुभम की मां मंगलदेवी से बर्दाश्त नहीं हुआ और वहा

दर्द से कराहने लगी,,,।


हाय दैया मर गई रे,,,, हरामजादे क्या डाल दिया अंदर निकाल जल्दी मुझे बहुत दर्द कर रहा है,,, निकाल मुझे गांड नहीं मरवाना,,मै पहले ही तुझे बोली थी कि बहुत दर्द करेगा,,, बाप रे मर गई रे,,, बुर ही ठीक थी गांड नहीं,,, हम निकाल हरामजादे मैं तुझे गांड नहीं मारने दूंगी,,,।

(अपनी मां की बात सुनते ही शुभम के तो पसीने छूटने लगे उसे लगने लगा कि अगर सुरज उसकी मां की गांड मार पाया तो उसे तो यह सुख मिलेगा ही नहीं,,,, वाह सुरज कि‌ तरफ आश्चर्य से देखने का का सुरज उसे दिलासा देते हुए बोला,,,)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मंगल मामी शुरू शुरू में ऐसा ही दर्द होता है लेकिन थोड़ी ही देर में सब कुछ शांत हो जाएगा एकदम शांत तुम चिल्लाओ मत,,, चिल्लाओगी तो और दर्द करेगा,,,(सुरज शुभम की मां मंगलदेवी की गांड को अपनी हथेली से सहलाते हुए बोलावह शुभम की मां मंगलदेवी का ध्यान दर्द से हटाना चाहता था इसलिए शुभम की तरफ दोनों हाथों को इशारा करके चूची दबाने का इशारा करके उसे आगे की तरफ जाने के लिए बोला और से हम तुरंत अपनी मां के आगे पहुंच गया और धीरे-धीरे उसकी चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया,,, हालांकि से आपकी मां को दर्द बहुत हो रहा था इसलिए वह अभी भी दर्द से कराह रही थी लेकिन सुरज की सूझबूझ से धीरे-धीरे मामला शांत पर है मेरा शुभम अपनी मां की चूची बराबर दबा रहा था और रह रहे कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चुंबन कर दे रहा था यह शुभम के लिए बिल्कुल अनोखा सुख था वह आज तक अपनी मां के होठों को चुंबन नहीं किया था लेकिन सुरज को देखकर उसकी भी हिम्मत बढ़ने लगी थी और उसे अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था शुभम की मां मंगलदेवी भी अपने बेटे के होंठों को अपने होठों पर पाते ही अपने होठों को खोल दी और उसके होंठों को अपने मुंह में लेकर सुरज की तरह उसका रसपान करने लगी,,,, पल भर में ही सुमन और सुरज की हरकत से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर फिर से उठने लगी दर्द धीरे-धीरे कम होने लगा सुरज इसी पल का इंतजार कर रहा था वह देखा कि शुभम उसकी मां चूबन में पूरी तरह से मस्त हो चुकी है तो सुरज जितना घुसा था उतना ही धीरे-धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,,, थोड़ी देर में शुभम की मां मंगलदेवी को मजा आने लगा उसके मुंह से दर्द की आवाज बिल्कुल भी नहीं आ रही थी और सुरज की हिम्मत बढ़ने लगी वह थोड़ा थोड़ा अपने लंड को अंदर की तरफ डालने लगा,,,गांड मारने का उसका पहला अनुभव था उसे अपने लंड की ताकत पर पूरा भरोसा था इसीलिए वह इतनी देर टिका रह गया वरना गांड के छेद की शख्ती पाकर किसी का भी लंड होता वह पानी छोड़ देता,,,,।


शुभम एकदम मस्त होकर अपनी मां के होठों का रस पी रहा था और उसकी मां भी उसका साथ दे रही थी यह देखकर सुरज धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था और देखते ही देखते वह अपना आधा लंड शुभम की मां मंगलदेवी की गांड में डाल चुका था,,,,अब शुभम को बहुत मजा आ रहा था वाकई में गांड मारने में जो आनंद मिलता है उसका अनुभव लेकर सुरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,,,,,, माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था सुरज शुभम की मां मंगलदेवी की गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी कमर हीला रहा था खटिया चररमरर कर रही थी,,,,शुभम की मां मंगलदेवी को पता ही नहीं चला कि कब सुरज का मोटा तगड़ा लंड आधा उसकी गांड के छेद में घुस चुका है,,,, सुरज फिर से ढेर सारा थूक उसकी गांड के छेद पर गिरा दिया,, एक बार फिर चिकनाहट पाकर सुरज के धक्के के साथ धीरे-धीरे बाकी का बचा लंड भी गांड के छेद में घुसने लगा,,,,, अब सुरज पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उससे यह उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी वह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया लेकिन अभी भी उसका एक भी एक तिहाई लंड बचा हुआ था,,,इसलिए इस बार वहां शुभम की मां मंगलदेवी की कमर को कस के पकड़ कर जोरदार धक्का मारा और एक साथ उसका पूरा का पूरा लंड उसकी गांड के छेद में खो गया,,, लेकिन सुरज की हरकत की वजह से उसका यह जबरदस्त धक्का शुभम की मां मंगलदेवी सहन नहीं कर पाई और वह दर्द से बिलबिला उठी,,,,और एक बार फिर से सुरज को गाली देने लगी,,, मंगल मामी की सुरज को अब बिल्कुल भी परवाह नहीं थी वह जबरदस्ती शुभम की मां मंगलदेवी की कमर को थामे उसकी गांड मारना शुरू कर दिया था ,शुभम या देखकर हैरान था कि सुरज का लंड पूरा का पूरा उसकी मां की गांड के छेद में घुस चुका था अगर पहले वह शुरुआत करता तो शायद उसका पानी निकल गया होता,,, शुभम एकदम से खुश हो गया और अपनी मां की चूची को दबाते हुए बोला,,,।


बाप रे बाप मां देख रही हो सुरज ने अपना पूरा लंड तुम्हारी गांड में डाल दिया है,,, मुझे तो लग रहा था घुसेगा ही नहीं,,, (शुभम की मां मंगलदेवी को अब थोड़ा दर्द हो रहा था और शुभम की बात सुनते ही वह पीछे की तरफ नजर घुमाकर देखने लगी हालांकि वह अपनी गांड में घुसा लंड को तो नहीं देख पा रही थी लेकिन इतना तो जरूर वह देख रही थी कि सुरज अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया था उसे अपनी गांड के छेद में कुछ मोटा तगड़ा गरम-गरम महसूस हो रहा था,,, लेकिन मजा भी बहुत दे रहा था,,,,

अद्भुत खेल की शुरुआत हो चुकी थी शुभम से रहा नहीं गया रो रहा अपनी मां के ठीक आगे आकर अपनी खड़े लंड को उसके मुंह में दे दिया और उसकी मां भी खुशी-खुशी अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,, शुभम की मां मंगलदेवी एक साथ दो दो जवान लड़कों का मजा ले रही थी एक उसके मुंह में दे रहा था तो एक उसकी गांड में,,,,शुभम की मां मंगलदेवी सुरज से गांड मरवाते हुए या सोचने लगी कि वाकई में गांड मरवाने में बहुत मजा आता है,, अगर सुरज ना होता तो शायद इस जन्म में वह गांड मरवाने से वंचित रह जाती,,,,


अब बोल हरामजादी साली कुत्तिया कैसा लग रहा है,,,

(शुभम तो सुरज के मुंह से अपनी मां के लिए सर की गाली सुनकर हैरान हो गया लेकिन उसकी मां को बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ा बल्कि उसकी उत्तेजना और बढ़ने लगी वह भी जवाब देते हुए बोली)


मामी चोद रंडी की औलाद बहुत मजा आ रहा है जोर जोर से मार,,,


मैं बोला था ना भोसड़ा चोदी इतना मजा दूंगा कि तू एक दम मस्त हो जाएगी,,,,(सुरज गाली भी दिया जा रहा था और साथ में उसकी गांड पर जोर जोर चपात भी लगा रहा था,,, शुभम भी काफी उत्तेजित हो गया था इसलिए सुरज के मुंह से अपनी मां के लिए गंदी गंदी गाली उसे भी अच्छी लग रही थी लेकिन वह इस तरह से कभी भी गाली देते हुए अपनी मां की चुदाई नहीं किया थालेकिन सुरज की वजह से वह जान गया था की चुदाई करते समय गाली देने में बहुत मजा आता है औरतों को भी मजा आता है,,,, तकरीबन ३५ मिनट तक जबरदस्त गांड मारने के बाद उसका पानी गांड में निकल गया,,,, शुभम की मां मंगलदेवी एक दम मस्त हो गई थी और जोर-जोर से हांफ रही थी,,,, वासना का तूफान कुछ देर के लिए फिर से शांत हो गया था,,,, सुरज थका तो नहीं था लेकिन थोड़ा सुस्त हो गया था इसलिए वह उसकी गांड मारने के बाद खटिया पर आकर बैठ गया था,,,,,, शुभम की मां मंगलदेवी पेट के बल खटिया पर लेट गई थी,,,,,,वह काफी थक चुकी थी लेकिन वो जानती थी कि उसका बेटा भी उसकी गांड मारना चाहता है इसलिए वह जाग रही थी,,,।


देखी मंगल मामी कितना मजा आया मैं कहता था ना बहुत मजा आएगा,,,


हां रे मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह का भी खेल होता है,,, नहीं तो एक ही खेल जानती थी बुर में डालो और निकालो बस तूने तो आज एक नया सुख दिया है,,,,।


जरा अपने बेटे की तरफ भी ध्यान दो देखो कैसे अपना पकड़ कर हिला रहा है वह भी तुम्हारी गांड मारना चाहता है,,,,(शुभम की तरफ देखते हुए सुरज बोला तो शुभम की मां मंगलदेवी भी शुभम की तरफ देखने लगी शुभम खड़े खड़े अपने लंड को पकड़कर चला रहा था और अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देखकर ललचा रहा था,,,,, शुभम की तरफ देखते हुए उसकी मां बोली,,)



तो मैंने कब इनकार की हुं जो तेरा है वह मेरे बेटे का भी तो है,,,,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर शुभम खुश हो गया लेकिन सुरज के मन में कुछ और चल रहा था वह खटिया पर से उठा और बोला,,,,)

रुको मेरे दिमाग में कुछ और आया है बहुत मजा आएगा हम तीनों को पहले लो‌ मेरा लंड मुंह में लेकर एक बार फिर से खड़ा कर दो,,,,(इतना कहकर वह शुभम की मां मंगलदेवी के ठीक सामने आ गया शुभम की मां मंगलदेवी को मालूम था कि उसे क्या करना है और उसे सुरज पर पूरा विश्वास था कि आगे भी बहुत मजा आएगा इसलिए वह सुरज का लंड पकड़कर चूसने ली और चूसना शुरु कर दी थोड़ी ही देर में सुरज का लंड पहले की तरह एकदम टनटना कर खड़ा हो गया,,, सुरज तुरंत शुभम की मां मंगलदेवी को खटिया पर से उठा कर,,, नीचे जमीन पर चटाई बिछा दिया क्योंकि वह जानता था खटिया पर आप ज्यादा वजन ठीक नहीं है क्योंकि खटिया टूट सकती थी वह पीठ के बल लेट गया और शुभम की मां मंगलदेवी को अपने ऊपर लेटने के लिए बोला और घोड़ी बन जाने के लिए बोला,,, शुभम की मां मंगलदेवी जैसे ही सुरज के ऊपर चढ़े सुरज तुरंत उसे अपनी बाहों में लेकर उसकी टांगों को थोड़ा सा और फैला दिया था कि उसकी गुलाबी बुर उसके लंड के एकदम संपर्क में आ गई,,, और धीरे-धीरे करके सुरज अपने लंड को पूरा का पूरा शुभम की बमां मंगलदेवी की बुर में डाल दिया और दोनों हाथों से इसकी बड़ी बड़ी गांड पकड़कर थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा दिया और शुभम से बोला,,,।

शुभम तुझे तेरी मां की गांड का छेद दिख रहा है ना,,,


हां एकदम साफ दिख रहा है,,,


बस अब तू थूक लगाकर डालना शुरू कर दें,,,
(सुरज की बात सुनकर शुभम और शुभम की मां मंगलदेवी दोनों आश्चर्यचकित हो गए एक साथ दोनों छेद में,,, इसलिए शुभम की मां मंगलदेवी आश्चर्य जताते हुए बोली,,)

हाय दैया एक साथ दोनों छेद में,,,


हां मंगल मामी बहुत मजा आएगा बस तुम देखती जाओ,,,।

(फिर क्या था तीनों पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे शुभम पहली बार गांड मारने जा रहा था इसलिए कुछ ज्यादा ही उतावला हो रहा था वह जल्दी से ढेर सारा थूक अपनी मां की गांड के छेद पर और अपने लंड पर लगाकर गांड में डालना शुरू कर दिया,,बुर में तो पहले से ही सुरज का लंड घुसा हुआ था एक बार मोटा तगड़ा लंड गांड के छेद में कुछ जाने की वजह से गांड में अच्छा-खासा जगह बन गया था,, जिसमें शुभम को अपना लंड डालने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हो रही थी,,,देखते ही देखते शुभम अपना पूरा लंड अपनी मां की गांड में डाल दिया और अपनी कमर के आगे पीछे करना शुरू कर दिया अब एक साथ शुभम की मां मंगलदेवी दो दो लंड का मजा ले रहे थे वह कभी सपने में भी नहीं सोचे थे कि एक साथ उसके दोनों छेद में लंड होगा,,,वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुकी थी उसकी गर्म सिसकारी पूरे कमरे में गुंजने लगी थी,,, सुरज धीरे से अपनी कमर को छाल रहा था और शुभम पीछे से अपनी मां की गांड मारता हुआ अपनी कमर आगे पीछे कर रहा था,,,।

अद्भुत काम क्रीड़ा का नजारा देखने को मिला था तीनों पूरी तरह से अपनी मस्ती में चूर हो गए थे शुभम की मां मंगलदेवी के बदन मे एक बार फिर से जवानी हिलोरे मार रही थी,,, सुरज अपने मोटे तगड़े लंड से,,,शुभम की मां मंगलदेवी की बुर चोद रहा था और शुभम अपनी मां की गांड मार रहा था,,, वह पूरी तरह से मस्ती में चूर हो चुका था गांड मारने का अनुभव उसका भी बहुत अच्छा हो रहा था वो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां की गांड मार पाएगा बल्कि वह इस बारे में कभी सोचा भी नहीं था लेकिन सुरज की वजह से उसे अद्भुत अनुभव के साथ अद्भुत संतुष्टि का अहसास हो रहा था,,,,।

देखते ही देखते तीनों एक साथ झड़ गए और कुछ देर तक शुभम की मां मंगलदेवी सुरज की बाहों में ऊपर ही लेती रह गई और शुभम अपनी मां की गांड पर सर रखकर जोर-जोर से सांसे लेने लगा,,,, तीनों थक कर चूर हो चुके थे,,,, शुभम की मां मंगलदेवी उसी तरह से दोनों के बीच में सो गए और एक तरफ शुभम और एक तरफ सुरज सोने लगे सुरज तो सोते समय भी शुभम की मां मंगलदेवी को अपनी बाहों में लेकर सो रहा था उसकी गांड अभी भी उसके लंड से सटी हुई थी,,,, तीनों गहरी नींद में सो चुके थे सबसे पहले सुबह सुरज की नींद खुली सुरज उसी तरह से शुभम की मां मंगलदेवी को अपनी बाहों में लिया सो रहा था उसकी बड़ी बड़ी गांड उसके लंड से सटी हुई थी जो कि उत्तेजना के मारे सुरज का लंड खड़ा हो चुका था और उसकी गांड के दरार में फंसा हुआ था,,, फिर क्या था सुरज कि मैं अभी भी गहरी नींद में सो रही थी और वह उसके नींद में होने के बावजूद भी अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी बुर में डालकर उसे धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया बड़े आराम से मानो कि वह भी गहरी नींद में सो रहा हो,,,, एक बार फिर से गहरी नींद में ही शुभम की मां मंगलदेवीकी चुदाई करने के बाद वह पानी निकालकर पीठ के बल गहरी गहरी सांसे लेने लगा और जब बाहर उजाला होने लगा तो वह दोनों को उठाया,,,, वह दोनों भी आलस मरोड़ते हुए उठ कर बैठ गए,,,।

अब मैं चलता हूं मंगल मामी,,, आज रात को फिर आऊंगा क्योंकि गौरी तू कल आएगी ना और आज की रात हम दोनों के पास है इसका फायदा हम तीनों मिलकर उठाएंगे,,, और इतना कहने के साथ ही सुरज अपने कपड़े पहन कर घर से निकल गया,,,।
 

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