Incest गन्ने की मिठास (Complete)

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गतान्क से आगे......................


राज- क्या कह रहे हो हरिया, रामू अपनी मा को भी चोद्ता है,

हरिया- अरे साहेब उसकी मा है ही इतना मस्त माल कि अगर उसकी मा के जैसी गदराई जवान घोड़ी आपकी खुद की मम्मी भी होती तो आप अपनी मम्मी को पूरी नंगी करके खूब कस-कस कर चोद्ते, हरिया की बात सुन कर मेरे ख्यालो मे मेरी मम्मी रति मुझे पूरी नंगी नज़र आने लगी और मेरा लंड पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया,

राज- क्या बहुत मस्त नज़र आती है रामू की मा

हरिया- अरे साहेब मैं तो उसकी मा की मोटी गंद देख कर मस्त हो जाता हू सच साहेब मैं जब भी अपनी बीबी को चोद्ता हू मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं सुधिया को ही चोद रहा हू,

राज- मतलब तुम रामू की मा को चोदना चाहते हो

हरिया- चाहता तो हू साहेब पर रामू ने कभी मेरे दिल के हालत को समझा ही नही

राज- अगर मैं तुम्हारा काम करवा दू तो मुझे क्या मिलेगा

हरिया- साहेब जी सुधिया जैसी रंडी को चोदने के लिए हम कुच्छ भी कर सकते है आप चाहो तो हमारी औरत रुक्मणी को चोद लो या फिर आप चाहो तो मेरी बेटी चंदा को चोद लो, चंदा तो रमिया से भी छ्होटी है खूब मस्त मज़ा देगी आपको,

राज- ठीक है हरिया यह बात हम दोनो के बीच ही रहनी चाहिए अब मेरी बात ध्यान से सुनो और फिर मैने हरिया को कुच्छ समझाया इतने मे सामने से रामू आता हुआ नज़र आया

रामू के आने के बाद हमने चिलम खींची और फिर हरिया वहाँ से चला गया और मैं और रामू मस्ती मे आकर बाते करने लगे,

राज- रामू यह बताओ तुमने कभी अपने घर के अलावा भी किसी को चोदा है,

रामू- चोदा तो है बाबूजी लेकिन कुछ दिनो से हमारी एक इच्छा बड़ी प्रबल हो रही है कि हम हरिया काका की जोरू और बेटी चंदा को एक साथ खूब हुमच-हुमच कर चोदे लेकिन हम जानते है यह इच्छा पूरी होने वाली नही है भला दोनो मा बेटियाँ एक साथ हमसे अपनी चूत कैसे मरवाएगी,

राज- मुस्कुराते हुए अरे दोस्त यह तो संभव सी बात है तुम इसे असंभव क्यो मान रहे हो,

रामू- कैसे संभव होगी बाबू जी

राज- अगर मैं तुम्हारी मदद करू तो मुझे क्या मिलेगा

रामू- साहेब अगर दोनो मा बेटी को एक साथ हमसे चुदवा दो तो कसम से आप जो कहोगे हम वो करेगे, आप जिसको कहोगे हम उसे आपसे चुदवा सकते है, चाहो तो हमारी बहन रमिया को ही ठोंक लो बहुत मस्त चुदवाती है आप मस्त हो जाओगे,

राज- तो ठीक है बात पक्की

रामू- मेरा मूह देखता हुआ क्या बात पक्की साहेब बताओ तो कैसे चुदवा दोगे जबकि तुमने तो कभी हरिया की बीबी और बेटी को देखा ही नही और बात पक्की, क्या साहेब आप भी लगता है आपको चिलम का नशा हो गया है,

राज- अरे नही रामू, तुम्हे यकीन नही है तो ठीक है हम दोनो मिलकर रमिया को इसी खेत मे चोदेगे लेकिन तुम्हारी ख्वाइश पूरी होने के बाद, अब तो ठीक है

रामू- लेकिन साहेब कब

राज- कल

रामू- वो कैसे

राज- तो मेरी बात ध्यान से सुनो और फिर मैने रामू को सारी बाते समझा दी और वह मेरी और मुस्कुराकर देखते हुए साहेब आप तो बहुत दिमाग़ वाले लगते है, क्या प्लान बनाया है किसी को कानो कान खबर भी नही होगी और काम भी हो जाएगा, लेकिन हरिया काका का क्या करना है

राज- तुम हरिया काका से इस बारे मे कोई बात नही करोगे,

मैने वहाँ बैठे-बैठे ही हरिया और रामू का सारा मामला समझ लिया था और एक बेहतरीन प्लॅनिंग का प्लॉट मेरे दिमाग़ मे आउटलाइन बनचुका था मुझे बस उसमे रंगो के कॉंबिनेशन के बारे मे ही सोचना था की कौन से हिस्से मे कौन सा रंग डालु,
शाम को 5 बजे ही मैं शहर की ओर चल दिया और अपने एक दोस्त राजन जो कि नाटक मंडली मे काम करता था के पास गया,

राजन- अरे राज आज इधर का रास्ता कैसे भूल गया, सब खेरियत तो है

राज- यार राजन मुझे एक दो दिन के लिए तेरे कुच्छ नाटक वाली ड्रेस और दाढ़ी मुच्छे चाहिए

राजन- क्या भाई तुम्हे इन सब की क्या ज़रूरत पड़ गई कही कुच्छ जालसाजी करने का इरादा तो नही है,

राज- अरे नही यार बस थोड़ा फन और मस्ती के लिए मुझे एक दो दिन के लिए ज़रूरत थी

राजन- अच्छा बोल क्या-क्या दू

राज- आबे जो-जो पहन कर तू साधु बाबओ की आक्टिंग करता है बस वही कपड़े दे दे

राजन ने मुझे कपड़े दिए और मैं उन्हे लेकर सीधे घर आ गया रात को मैने सब समान एक बॅग मे रख कर सुबह 10 बजे रामू के खेत मे पहुच गया वहाँ जाकर मैने अपना बॅग खोला और रामू की झोपड़ी मे अपना समान रख कर मैने रामू से कहा मैं हरिया के पास जा रहा हू और वहाँ से हरिया के घर जाउन्गा और तुम्हारा काम जमा देता हू, तुम यही खेत मे रहना मोका मिलने पर हरिया खुद तुम्हे अपने घर भेजेगा और तुम सबसे बचते हुए सीधे हरिया के घर आ जाना लेकिन ध्यान रहे साथ मे चंदा को लेकर भी आना और रमिया को भी, ताकि तुम अपना काम जब तक करोगे तब तक मैं रमिया को चोद लूँगा,

रामू- मुस्कुराते हुए क्या बात है साहेब सचमुच आप इस मेकप मे पहचान मे नही आ रहे है,

राज- पर एक बात और मैं तुमसे कहना भूल गया मैं दिखावे के लिए हरिया के साथ गाँव मे जाउन्गा और तुम्हारे घर होते हुए हरिया के यहाँ जाउन्गा ताकि बाद मे जब तुम्हारी मा को पता चलेगा कि गाँव मे बाबा आया था तो सवाल खड़े हो सकते है इसलिए यह सभी को पता होना चाहिए कि कोई पहुचा हुआ साधु यहाँ आया है,

रामू मेरी बात सुन कर वाह साहब क्या पलनिंग की है आपने अब आप आराम से हरिया काका के पास जाओ मैं यही इंतजार करता हू उसके बाद मे वहाँ से हरिया के खेत की ओर चल दिया,

मुझे भी थोड़ी घबराहट हो रही थी लेकिन हरिया और रामू मेरे राजदार थे इसलिए पॉल खुलने का भी मुझे कोई खास डर नही था, तभी मैं हरिया के सामने गया और एक कड़क आवाज़ मे बोला, अलख निरंजन

मेरी आवाज़ सुनते ही हरिया ने पलट कर देखा और एक दम से झुक कर मेरी ओर हाथ जोड़ लिए और कहने लगा

हरिया- अरे महराज आप कौन है और कहाँ से आपका पधरणा हुआ है,

राज- बच्चा हम बहुत दूर से आए है और प्यासे है और अपनी प्यास बुझाना चाहते है क्या तुम इस बाबा की प्यास बुझाने मे मदद करोगे,

हरिया- हाथ जोड़ कर क्यो नही महराज आप इस खटिया पर विराजिए मैं अभी जल का बंदोबस्त करता हू और हरिया जैसे ही पिछे जाने को मुड़ा मैने कहा बच्चा ज़रा चिलम का बंदोबस्त भी कर लेना,

मेरे मूह से यह बात सुनते ही हरिया का माथा ठनका और उसे एक दम से होश आया और वह मुझे बड़े ध्यान से घूर कर देखता हुआ ज़ोर से चिल्लाकर हस्ता हुआ

हरिया- अरे मेरे मालिक गई भैंस पानी मे मा कसम साहेब हम तो अभी तक यही समझ रहे थे कि सचमुच कोई सन्यासी हमारी कुटिया मे भिक्षा माँगने आया है पर मान गये साहेब आपको आपने तो हमे ही चूतिया बना दिया दूसरे लोग क्या खाक पहचानेंगे आपको वा साहेब बैठिए हम अभी चिलम बनाते है और फिर हरिया ने मुझे मस्त चिलम बना कर पिलाई और मैं मस्ती मे मस्त हो गया,

तभी झोपड़ी के अंदर से चंदा निकल कर बाहर आ गई और मैं हरिया की 16 साल की चिकनी लोंड़िया को देख कर एक दम से मस्त हो गया उसके बदन को देख कर लग रहा था जैसे हरिया उसे रोज चोद्ता हो,

दोपहर के 12 बजने को आ चुके थे और मैने हरिया को कहा हरिया अब हमे यहा से सीधे रामू के घर चलना है और फिर मैं हरिया के साथ रामू के घर पहुच गया दोपहर का वक़्त था गाँव के लोग आधे से ज़्यादा खेतो मे होते थे और बचे-कुचे तालाबो और यहाँ वहाँ काम पर लगे होते थे इसलिए गाँव भी सुनसान पड़ा हुआ था, रामू के घर के सामने पहुचने के बाद मैने हरिया से कहा

राज- हरिया तुम अब 10-15 मिनिट बाद मेरा उस सामने वाले पेड़ के नीचे इंतजार करना मैं तब तक रामू की मा से मिलकर आता हू, तुम अगर साथ रहोगे तो उसे शक भी हो सकता है, हरिया मेरी बात सुनते ही मुझे बता गया कि वह 10 मिनिट के लिए इधर उधर घूम कर आता है और फिर वह वहाँ से चला गया,
मैं रामू के दरवाजे के पास खड़ा हो गया और ज़ोर से चिल्लाया - अलख निरंजन, अलख निरंजन

तभी एक दम से दरवाजा खुला और सामने रामू की मा मुझे देखते ही हाथ जोड़ कर कहने लगी प्रणाम महराज वह शायद अंदर कपड़े धो रही थी उसके गोरे-गोरे भरे हुए गाल मोटे-मोटे दूध लाल कलर के ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आ रहे थे दो बटन खुले होने से उसके गोरे-गोरे मोटे दूध पूरी तरह छल्के जा रहे थे बलौज के नीचे ब्रा का तो कोई नाम ही नही था

और फिर उसका गुदाज मखमली पेट और गहरी नाभि देख कर सचमुच उसकी मोटी गंद और उसकी मोटी-मोटी गदराई जाँघो का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता था मेरा तो उसे देखते ही लंड खड़ा हो गया, बहुत मस्त माल था लेकिन ना जाने क्यो मेरी मस्तानी मम्मी रति के आगे थोड़ी फीकी थी फिर भी अभी मैने उसे पूरी नंगी देखा कहा था खेर नंगी तो मैने कभी अपनी मम्मी को भी नही देखा था लेकिन फिगुर और उसके कटाव की बात करे तो मेरी मा रति का कोई तोड़ नही था खेर,

सुधिया- बाबा आप कौन है और कहाँ से पधारे है

राज- बेटी हम अपना परिचय नही बल्कि लोगो के दुखो के निवारण का उपाय बताते है, पर शायद घर की चौखट मे खड़े रख कर तुम हमारा अपमान करना चाहती हो,

सुधिया- माफ़ करो बाबा जी और भीतर पधारने का कष्ट करे, और फिर सुधिया ने मुझे एक आसन बैठने के लिए दे दिया, और मैं उस पर बैठ गया,

राज- सुधिया बेटी ला ज़रा जल ग्रहण करवा दे

सुधिया मेरे मूह की ओर चकित होकर देखते हुए, बाबा आप मेरा नाम कैसे जानते है

राज- बेटी हम तो आंतेरयामी है और हम तेरे गाँव के पास से गुजर रहे थे तभी हमे कोई काली छाया तेरे घर के उपर मंडराती नज़र आ गई इसलिए हम यहाँ चले आए तेरे घर पर संकट के बदल मंडरा रहे है बेटी,

सुधिया एक दम से घबरा कर मेरे पेरो को पकड़ कर बैठ गई और कहने लगी बाबा हम तो रोज पूजा पाठ करते है हमारे घर मे संकट कैसे आ सकता है,

राज- बेटी तेरे कुल तीन बच्चे है ना और तुझे मालिक ने एक ही बेटा दिया है बस उसी बेटे पर संकट आ सकता है और तुझे बहुत कष्ट देकर जाएगा,

सुधिया- बाबा दया करो कोई उपाय तो होगा इस संकट को टालने के लिए आप तो आंतेरयामी है आप तो सब जानते है,

राज- हाँ उपाय है बेटी तभी तो मैं तेरे पास आया हू पर उपाय ज़रा कठिन है शायद तू ना कर पाए

सुधिया- मैं हर उपाय करने को तैयार हू बाबा आप बताइए तो सही

राज- ठीक है तो ध्यान से सुन कल सुबह 5 बजे प्रातः उठ कर तुझे अपने गाँव के किसी भी तालाब या नदी पर जाकर पूरी नंगी होकर स्नान करना होगा उसके बाद वहाँ से 21 कदम नंगी चल कर जाना होगा 21 कदम चलने के बाद तुझे जो सबसे पहला आदमी अपने हाथ मे जल लेकर जाता हुआ नज़र आएगा तुझे उसी आदमी के साथ संभोग करना होगा,

क्रमशः........
 
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सुधिया- यह आप क्या कह रहे है बाबा यह मैं कैसे कर सकती हू

राज- सोच लो बेटी इसके अलावा कोई उपाय नही है और यह संकट भी इसलिए तुझ पर आया है क्यो कि तूने अपने बेटे के साथ अपनी काम वासना पूरी की है और फिर मैं ज़ोर से चिल्लाया, बता कि है कि नही अपने बेटे के साथ अपनी वासना की तृप्ति,

सुधिया सीधे मेरे पेरो मे गिर गई और रोने लगी,

सुधिया- बाबा मुझे माफ़ कर दीजिए मुझसे ग़लती हो गई

राज- नही बेटी तुझे पछटाने की ज़रूरत नही है बस मैने जो उपाय बताया है वह कर लेना तेरा बेटा लंबी उम्र प्राप्त कर लेगा,

सुधिया- पर बाबा अगर मुझे सुबह वहाँ कोई नही मिला तो

राज- रामू की मा के सवाल ने वाकई मेरी गंद फाड़ दी मैं सोचने लगा क्या जवाब दू फिर मैने उससे कहा यह तुमने बड़ा ही बुद्धिमानी का सवाल किया है जाओ हमारे लिए जल लेकर आओ हम अभी ध्यान लगा कर कुछ सोचते है और जैसे ही सुधिया उठ कर जाने लगी उसकी घाघरे मे मटकते गुदाज चूतादो की हर्कतो ने मेरे लोदे को तान कर रख दिया,

मैने मन मे सोचा इसकी गुदाज मोटी गंद मारने मे तो मज़ा आ जाएगा बस फिर जैसे ही सुधिया पानी लेकर लोटी मैने जल लेकर उसे वही अपने सामने बैठने को कहा जब वह बैठ गई तो उसके मोटे-मोटे दूध पूरी तरह मुझे नज़र आने लगे मेरा तो दिल उसके मोटे-मोटे दूध को देख कर मस्त हो गया मैने उसके उपर जल च्चिड़क कर अपनी आँखे बंद कर ली और अपने होंठो से बुदबुदाने लगा उसके बाद कुछ देर मे मैने अपनी आँखे खोली और कहा

राज- बेटी सच बताओ तुमने कई बार अपने बेटे से संभोग किया है ना

सुधिया- मेरी बात सुन कर थोड़ा शर्मा गई और हाँ मे अपनी गर्दन हिला दी

राज- बेटी कल तुम्हे एक साथ दो आदमियो के साथ संभोग करना होगा

सुधिया- आश्चर्या से मेरे मूह की ओर देखने लगी

मैं उसके अंदर के हालत समझ गया और मैने कहा क्या तुमने कभी एक साथ दो लोगो के साथ संभोग नही किया है ना

सुधिया- शायद मेरी बातो से गरम हो रही थी और अपने गले का थूक गटकते हुए कहने लगी नही बाबा जी मैने दो लोगो के साथ कभी नही किया,

राज- बेटी कल तुझे जो भी पहला आदमी जल लेकर आता हुआ नज़र आए उससे तुझे संभोग करना है जब वह तुझे नंगी देख कर तुझे अपनी बाँहो मे भर ले तब तू थोड़ा ना नुकुर करके उससे संभोग करेगी जब वह तुझे भोग रहा होगा तब तुझे इधर उधर ध्यान रख कर देखना होगा और जब तुझे कोई दूसरा आदमी नज़र आने तक पहले वाले आदमी को भेज कर उस दूसरे वाले आदमी को भी अपने पास बुलवाना होगा और फिर उस आदमी से भी तुझे संभोग करना होगा

लेकिन ध्यान रहे दोनो आदमी एक साथ तेरे दोनो अंगो मे अपना लिंग प्रवेश कराएगे तभी तू दोष मुक्त होगी, और यह भी ध्यान रखना दूसरे आदमी के हाथ मे भी जल का लोटा होना चाहिए,
सुधिया- मेरी बातो बड़े ध्यान से सुन रही थी फिर मैने उसके गोरे गालो पर हाथ फेरते हुए कहा जा बेटी मेरा आशीर्वाद तेरे साथ है अब मुझे इजाज़त दे मेरा काम पूरा हुआ अब अपने घर को बचाने की जवाबदारी तेरी है उसके बाद सुधिया ने मेरे पेर च्छुए और मैं उसके घर से बाहर आ गया,

जब मैं बाहर आया तो आसपास देखने के बाद मैं उस ओर चल दिया जहाँ हरिया से मिलना था उसके बाद हरिया मुझे साथ लेकर अपने घर की ओर चल पड़ा,

हरिया- उत्सुकतावश मुझसे पुच्छने लगा क्या हुआ बाबूजी बात बन गई क्या

राज- पहले मुझे एक मस्त चिलम बना कर पिलाओ फिर मैं बताता हू क्या हुआ उसके बाद मैं और हरिया पेड़ की छाया मे बैठ गये और हम दोनो दम मारने लगे,

हरिया- अब बताओ भी बाबू जी क्या बात हुई सुधिया भाभी से

राज- मुस्कुराते हुए तुम्हारा काम हो गया है हरिया लेकिन मुझे भी तुम्हारे साथ सुधिया को चोदना होगा,

हरिया- लेकिन वह कैसे

राज- फिर मैने हरिया को सारी बात बता दी और उसे समझा दिया कि सुबह 5 बजे हम दोनो को पास वाले तालाब पर चलना होगा,

हरिया मेरी बात सुन कर खुशी से पागल हो गया और बोला बाबू जी आज से आप हमारे गुरु हुए जो आप कहेगे हम मानेगे,

राज- अरे हमे गुरु ना बनाओ और अब हमे अपने घर ले चलो और ज़रा अपनी बीबी के हाथ की चाइ ही पिलवा दो

हरिया- क्यो नही बाबू जी आपने तो हमे धन्य कर दिया बस एक बार हम सुधिया भौजी को चोद ले फिर देखना जब मन होगा उसकी मोटी गंद मार लिया करेगे,

हम दोनो बाते करते हुए हरिया के घर पहुच गये, रुक्मणी ने दरवाजा खोला और हरिया ने घर मे घुसते हुए मुझसे कहा आओ बाबू जी

उसने मुझसे अपनी बीबी के सामने बाबूजी कहा तो मैने हरिया को घूर कर देखा तो कहने लगा मेरा मतलब है बाबा जी आइए अंदर बैठिए

हरिया- अरे सुनती हो जाओ बाबा जी के लिए पानी की व्यवस्था करो तुम नही जानती यह बहुत पहुचे हुए महात्मा है,

मैने हरिया को इशारे से बुलाया और उससे कहा

राज - हरिया तुम अब यहाँ से सीधे खेतो मे चले जाओ और वहाँ जाकर रामू रमिया और चंदा तीनो को यहाँ भेज दो और अपनी पत्नी को समझा दो कि आज तुम खेतो मे ही सो जाओगे,

हरिया- लेकिन रामू को यहाँ क्यो बुला रहे हो

राज- अरे तुम समझ नही रहे हो मैने तुम्हारा काम तो कर दिया अब मैं भी तो थोड़ा रमिया के साथ मस्ती मार लू, मैं किसी भी तरह रामू और तुम्हारी बीबी और चंदा को बातो मे लगा कर अंदर ले जाकर रमिया को चोद लूँगा और उसके बाद शाम को रामू उसे लेकर अपने घर चला जाएगा और मैं तुम्हारे घर पर रात गुज़ार लूँगा,

हरिया- लेकिन बाबूजी मेरा मतलब है बाबाजी मैं खेतो मे रात भर तो बोर हो जाउन्गा कोई और आइडिया बताओ ना जिससे मैं भी रात को मस्त रहू और आप भी मज़ा ले लो, मैं कुछ सोचते हुए अच्छा एक काम करो रात को खाने के समय तुम घर आ जाना और फिर चंदा को लेकर खेतो मे चले जाना इस तरह तुम रात भर चंदा को चोदना और फिर सुबह-सुबह तो तुम्हे सुधिया चोदने को मिल ही जाएगी,
हरिया- यह बात एक दम फिट है बाबू जी मैं जाता हू और फिर हरिया ने रुक्मणी को समझा दिया की बाबाजी बहुत पहुचे हुए है इनका शाम तक ख्याल रखना मैं खाने पर आउन्गा और रात को बाबा जी के लिए बढ़िया सा खाना तैयार कर लेना, हरिया के जाने के बाद रुक्मणी मेरे लिए पानी लेकर आई तब मैने उसके बदन पर नज़र डाली, रुक्मणी भी भरे बदन की औरत थी और उसकी भी गंद और चुचिया खूब बड़ी नज़र आ रही थी हालाकी रामू की मा से वह कम उमर की लग रही थी और पहनावा भी उसका साडी और ब्लौज था कुल मिला कर मस्त चोदने लायक माल था,

राज- रुक्मणी बेटी तुम्हारे जल मे मिठास है लेकिन तुम्हारे मन मे एक बहुत ही बड़ा भंवर है जिसमे कई बाते समाई हुई है और तुम्हारा मन बहुत चंचल है, तुम्हारी बड़ी कोशिशो से तुम्हारी बड़ी बेटी का घर वापस बस सका है लेकिन एक चीज़ है जो तुम्हारे घर मे परेशानी बन कर कष्ट देने वाली है

रुक्मणी - वह क्या बाबा जी

राज- तुम ने पराए मर्दो के साथ संभोग किया है इसलिए तुम्हारी बड़ी बेटी के जीवन मे समस्या आई लेकिन अब तुम लगातार पराए मर्द से संभोग करती रहती हो जिसके चलते तुम्हारी बेटी चंदा पर भी संकट आने की संभावना बढ़ गई है,

मेरी बाते सुन कर रुक्मणी के माथे पर पसीना आ गया और वह अपनी नज़रे नीचे करके मेरे सामने बैठ गई और कहने लगी नही -नही बाबा जी मैने कभी किसी के साथ ऐसा कुछ नही किया है

राज- चिल्लाते हुए, चुप रहो लड़की वरना अभी श्राप दे दूँगा, मेरे सामने झूठ कतई नही टिक सकता, अगर तुमने तुरंत सच स्वीकार नही किया तो हम रुष्ठ हो जाएगे और यदि हम नाराज़ हुए तो तुम जानती हो क्या हो सकता है,

रुक्मणी- मेरे पेरो को पकड़ कर, मुझे माफ़ कर दो बाबा जी मैने आपसे झूठ कहा आप बिल्कुल सच कह रहे है मैने यह अपराध किया है, मुझे माफ़ कर दीजिए,

राज- बेटी माफी नही इस समश्या का निवारण लेकर हम तेरे दर पे आए है लेकिन उसके लिए तुझे हमारे बताए अनुसार कर्म करना पड़ेगा तभी तेरी बेटी दोष मुक्त हो पाएगी,

रुक्मणी- मैं सब कुछ करने को तैयार हू बाबा जी आप बताइए मुझे क्या करना होगा

राज- बेटी अभी तुझे अपनी बेटी चंदा को लेकर उसी पुरुष के साथ बैठना होगा लेकिन ध्यान रहे तुम तीनो पूरी तरह नंगे होने चाहिए और फिर वही आदमी जिसके साथ तुम संभोग करती हो उसके साथ मिलकर अपनी बेटी चंदा को उत्तेजित करना होगा और फिर अपने हाथो से उस पराए मर्द के लिंग को अपनी बेटी के अंदर प्रवेश करवाना होगा, और फिर तुम तीनो को सामूहिक संभोग करना होगा,

रुक्मणी- लेकिन बाबा यह कैसे होगा आप जिस मर्द की बात कर रहे है वह तो कही दूर खेतो मे काम कर रहा होगा और मेरी बेटी चंदा भी यहाँ नही है, फिर आप कह रहे हो कि यह सब अभी करना होगा,

राज- बेटी हम हवा मे बाते नही करते है हम अभी अपने मन्त्र की शक्ति से उन दोनो आत्माओ को यहाँ जल्दी ही बुला लेते है और फिर मैं ऐसे ही उसे दिखाने के लिए मन्त्र पढ़ने लगा और करीब 10 मिनिट के बाद रामू रमिया और चंदा एक दम से घर के अंदर घुस आए जिन्हे देखते ही रुक्मणी की आँखे फटी की फटी ही रह गई,

रामू ने मुझे देखते ही मुस्कुरकर प्रणाम किया और मैने उसे आशीर्वाद दिया,

राज- क्यो रुक्मणी बेटी अब तो समझ गई होगी तुम कि बाबा क्यो पधारे है तुम्हारे यहाँ और तुम्हारे घर पर दोष है कि नही

रुक्मणी- मेरे पेरो मे गिर कर आप धन्य है बाबा जी वाकई आप बहुत पहुचे हुए महात्मा है,

रामू मुस्कुरकर मेरी ओर देखने लगा और मैने प्यार से मेरे पेरो मे झुकी हुई रुक्मणी की ब्लौज मे से झँकती नंगी पीठ को सहलाते हुए कहा बेटी आज हम तेरे सारे कष्ट दूर कर देंगे और मेरी आक्टिंग देख कर रामू मुस्कुराकर मुझे सलाम करने लगा,
राज- अब जाओ रुक्मणी और भीतर के कमरे मे अपनी बेटी चंदा को ले जाओ और जैसी क्रिया मैने बताई है उसकी तैयारी करो हम इस बालक को शुद्ध करके अंदर भेजते है, रुक्मणी के अंदर जाते ही रामू ने रमिया को कहा तू जाकर वहाँ बैठ मैं बाबा जी से तेरे बारे मे भी कुछ पुच्छ लू कही तुझे कोई समस्या तो नही है,

रामू की बात सुन कर रमिया मुस्कुराते हुए सामने जाकर बैठ गई, मैने जब रमिया को देखा तो मुझे लोंड़िया बड़ी चुदासी नज़र आ रही थी,

रामू- हाँ बाबूजी अब बोलिए क्या करना है

राज- रामू तेरा काम हो गया है तू जाकर दोनो मा बेटी को तबीयत से सारी दोपहर चोदना और थोड़ा रमिया को समझा देना कि बाबा जी जैसा कहे वैसे ही करना, शाम को 6 बजे तक जितना चाहे चोद लेना पर ध्यान रहे शुरुआत चंदा को चोदने से करना और दोनो मिलकर पहले चंदा को खूब चूसना चाटना ताकि रुक्मणी को कोई असर ना हो, और रुक्मणी से यह ना कहना कि तुझे हरिया ने यहाँ भेजा है,

रामू- मैं सब समझ गया साहेब जी लेकिन हरिया काका अब इधर आएगा तो नही

राज- नही वह रात से पहले नही आएगा तू आराम से मस्ती मार अब सुन रुक्मणी को मेरे पास भेज और तू जाकर कमरे मे ज़मीन पर चोदने के लिए बढ़िया सा बिस्तेर लगा दे,

रामू अंदर जाकर रुक्मणी को मेरे पास भेजता है

रुक्मणी- हाथ जोड़ कर जी बाबा जी आपने बुलाया

राज- देखो बेटी यह सब के पहले तुम सभी को शुद्ध होना पड़ेगा और रामू तुम सभी को जल से शुद्ध करके मेरे पास बारी-बारी से भेजेगा और फिर मैं जल के बाद तेल से तुम सभी के बदन को पवित्र करूँगा लेकिन पहले तुम और चंदा दोनो मिल कर रमिया को पूरी नंगी करके उसे पानी से अच्छी तरह से नहला कर पूरी नंगी ही मेरे पास भेज दो, तब रुक्मणी रमिया को लेकर सामने आँगन मे जहाँ रुक्मणी और चंदा रोज खुल्ले मे बैठ कर नहाती थी वहाँ बैठा कर रमिया का घाघरा और चोली उतार कर अलग कर देती है मैं रमिया को नंगी देखते ही उत्तेजित हो गया और उसकी कमसिन उठी हुई जवानी और मोटे-मोटे ठोस दूध को देख कर मेरे मूह मे पानी आ गया,

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रुक्मणी रमिया की मोटी-मोटी जाँघो और चूत पर अच्छे से साबुन लगा कर उसे नहला रही थी और चंदा रमिया के मोटे-मोटे दूध को अपने नाज़ुक हाथो से सहला रही थी, रमिया वही बैठी हुई मेरी ओर देख रही थी और मैं अपनी धोती मे खड़े लंड को सहला रहा था,

तभी सामने से रामू आ जाता है और वह आँगन की ओर देखने लगता है और मुस्कुराता हुआ मेरे करीब आकर कहता है बाबू जी आपको तो मज़ा आ जाएगा रमिया के दूध खूब कसे हुए है और उसकी चूत जब आप चतोगे तो आपको मस्त कर देगी खूब अपनी जंघे फैला-फैला कर चुदवाती है वह,

राज- रामू अब तुम जाकर चंदा को पूरी नंगी करके रुक्मणी के साथ उसे भी खूब रगड़-रगड़ कर नहला दो और रमिया को मेरे पास भेज दो

रामू जल्दी से आँगन मे गया और उसने रुक्मणी से कहा अब चंदा को भी नंगी करके नहलाना है और साथ मे तुम भी पूरी नंगी हो जाओ और रमिया तू जा बाबा जी तुझे बुला रहे है और जो पुच्छे उन्हे सब सही -सही बताना और जैसा कहे वैसा करना नही तो बहुत समस्या आ जाएगी समझी

रमिया- आप चिंता ना करो भैया मैं समझ गई और फिर रमिया मेरी ओर नंगी ही चल कर आने लगी मैने पहली बार इतने करीब से किसी लोंड़िया को पूरी नंगी देखा था मेरा लंड बुरी तरह फंफना रहा था, रमिया जैसे ही मेरे पास आकर खड़ी हुई, मैने उससे कहा बेटी जाकर कटोरी मे तेल लेकर आओ और फिर रमिया तेल लाने के लिए जैसे ही पलटी उसकी गुदाज मोटी गंद देख कर मुझे मज़ा आ गया बहुत ही गोरी और उठी हुई गंद थी उसकी,

उधर रामू ने रुक्मणी की साडी उतार दी और फिर ब्लौज और पेटिकोट भी उतार दिया और रुक्मणी पूरी नंगी हो गई, रुक्मणी ने चंदा को भी पूरा नंगा कर दिया, चंदा थोड़ी रमिया से छ्होटी थी लेकिन उसके मोटे-मोटे दूध रमिया के बराबर ही नज़र आ रहे थे और उसकी गंद भी रमिया की गंद के बराबर नज़र आ रही थी लगता था जैसे हरिया ने खूब अपनी बेटी के बोबे मसले होंगे और खूब उसकी गुदाज गंद को दबोचा होगा तभी तो दोनो लोंदियों के बदन की चर्बी अब बढ़ती हुई नज़र आ रही थी,

उधर रुक्मणी जब नंगी हुई तो मुझे फिर से मेरी मम्मी रति की याद आ गई रुक्मणी की गंद का फैलाव देख कर मैं कल्पना करने लगा कि मेरी मम्मी रति की गंद तो रुक्मणी की गंद से भी ज़्यादा चौड़ी नज़र आती है जब मम्मी नंगी होती होगी तो उसकी भारी गंद कितनी खूबसूरत लगती होगी, जहाँ मैने अपनी मम्मी के नंगे बदन के बारे मे सोचा मेरा लंड झटके देने लगा, रुक्मणी का गुदाज उभरा हुआ पेट और गहरी नाभि मुझे बार-बार मम्मी की याद दिला रही थी,

और मैं मन ही मन मे सोच रहा था कि कैसे भी करके मम्मी और संगीता को पूरी नंगी ज़रूर देखूँगा,

तभी रमिया मेरे पास तेल की कटोरी ले कर आ गई और मैने उससे कहा अब तुम मेरी तरफ पीठ करके बैठ जाओ और मैं तुम्हे तेल से पवित्र करता हू और फिर क्या था

रमिया मेरे सामने पीठ करके बैठ गई और मैने कटोरी से तेल लेकर जब अपना हाथ आगे ले जाकर रमिया के मोटे-मोटे दूध को अपने हाथो मे भर कर दबोचा तो मेरी हालत खराब हो गई उसके दूध खूब कठोर थे और मैं सोचने लगा जब रमिया के दूध जो कपड़े के उपर से छ्होटे दिखते है इतने गुदाज और कठोर है तो मेरी बहन संगीता के मोटे-मोटे बोबे तो उसके कपड़े के उपर से भी कितने मोटे-मोटे नज़र आते है जब संगीता के मोटे-मोटे दूध मैं अपने हाथो मे भर कर मसलूंगा तब कितना मज़ा आएगा,

उधर रामू बड़े प्यार से एक हाथ से चंदा के बोबे पर साबुन लगा रहा था और दूसरे हाथ से रुक्मणी की मोटी गंद के नीचे हाथ लेजाकार उसकी गंद और चूत मे साबुन लगा रहा था और खूब मसल रहा था, दोनो रंडिया भी मस्ती मे नज़र आ रही थी और रुक्मणी भी चंदा के एक बोबे को मसल कर दबा रही थी और चंदा अपनी मा की चूत मे साबुन लगा रही थी तीनो एक दूसरे के सामने मूतने वाले अंदाज मे नंगे बैठे थे रामू का लोडा ही बस धोती मे क़ैद था ,

कुछ देर बाद जब रामू उन दोनो रंडियो को नहला चुका तब उसने वही से मेरी ओर देखा तब मैने उसे तेल की कटोरी ले जाने को कहा और रामू से कह दिया कि तुम वही सामने दोनो के बदन पर खूब अच्छे से तेल लगाओ लेकिन ध्यान रहे शरीर का कोई भी हिस्सा बचना नही चाहिए,

रामू ने दोनो के पिछे जाकर पहले उनकी पीठ पर तेल डाल कर मसलना शुरू कर दिया और मैं सामने का मस्त नज़ारा देखता हुआ रमिया के मोटे-मोटे बोबे खूब कस-कस कर मसल रहा था,

रमिया- आह सी सी

राज- क्या हुआ बेटी क्या दर्द हो रहा है

रमिया- आह नही बाबा जी बहुत अच्छा लग रहा है,

राज- तुम्हारा भाई रामू इन्हे दिन भर खेतो मे खूब दबाता है ना

रमिया- हाँ बाबा जी भैया मुझे खेतो मे पूरी नंगी करके ही रखते है और दिन भर मुझे चोद्ते है,
राज- तुम्हारा भाई रात को तुम्हारी मम्मी को भी चोद्ता है ना

मेरी बात सुन कर रमिया ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चिकनी चूत पर रख दिया और मैने उसकी मस्त भोसड़ी को अपने हाथो मे भर कर दबोच लिया,

रमिया- हाँ बाबा जी भैया सोचते है मैं सो जाती हू और मा भी मुझे एक दो बार हिला कर देख लेती है लेकिन जब मैं नही उठती हू तब भैया उठ कर मम्मी का घाघरा और चोली उतार कर उन्हे पूरी नंगी कर देते है,

राज- फिर क्या करता है तुम्हारा भाई तुम्हारी मम्मी के साथ,

रमिया- बाबा जी रामू भैया फिर मम्मी को नंगी करके उन्हे झुका देते है और उनकी गंद के पीछे जाकर अपनी जीभ निकाल कर मम्मी की गंद और चूत के छेद को कम से कम आधे घंटे तक चूस्ते और चाटते है

राज- तुमने देखी है अपनी मम्मी की चूत और गंद, कैसी लगती है सुधिया की चूत और गंद

रमिया- अरे बाबा जी आप तो मेरी मा का नाम भी जानते हो, बाबा जी मेरी मा की चूत मेरी चूत से बहुत बड़ी है और उसकी चूत का छेद भी बहुत बड़ा है और गंद तो बहुत ही मोटी है रुक्मणी चाची से डबल है मेरी मा की गंद,

सामने रामू बड़े ही जोश मे दोनो मा बेटियो के पूरे बदन मे तेल लगा चुका था और दोनो रंडियो का बदन पूरी तरह तेल मे चमकाने लगा था आज तो मेरा दिन बहुत अच्छा था तीन-तीन रंडिया एक साथ नंगी देखने को मिल रही थी, मैं बिल्कुल जल्दी नही करना चाहता था और रुक्मणी को तो मैं अपने प्लॅनिंग के हिसाब से आज पूरी रात नंगी करके चोदना चाहता था,

मैने रमिया की चूत मे एक उंगली पूरी डाल कर उसके तेल मे भीगे मोटे अमरूदो को कस कर दबाते हुए कहा बेटी तुम दिखने मे तो बहुत शांत लगती हो लेकिन तुमसे बात करने पर लग रहा है जैसे तुम बहुत चंचल और नटखट हो, क्या तुमने रामू के अलावा भी किसी से अपनी चूत मरवाई है.

रमिया- नही बाबा जी हमे तो रामू भैया से चुदना ही अच्छा लगता है पर जब रामू भैया अपने मोटे लंड से मा के चूतादो को खूब नंगी करके थोन्क्ते है तब मुझे उनकी ठुकाई की ठप-ठप की आवाज़ से बहुत मज़ा आता है ऐसा लगता है कि रामू भैया मम्मी की मोटी गंद मे खूब ज़ोर-ज़ोर से अपने लंड को मारे,

आप नही जानते बाबा जी कभी-कभी तो मा नंगी खड़ी होकर रामू भैया के मूह मे मूतने लगती है और रामू भैया मा की पूरी चूत को अपने मूह मे भर कर उनका मूत चाटने लगते है तब मा खड़ी-खड़ी ऐसे अपनी चूत रामू भैया के मूह पर मारती है कि उसकी गंद को मटकती देख कर मेरा भी पानी निकल आता है,

रमिया की बात सुन कर मेरा लोडा एक दम से मेरी धोती से बाहर झाँकने लगता है और मैं अपने लंड के टोपे को सहलाते हुए रमिया को उठा कर अपनी ओर घुमा लेता हू और उसके नंगे बदन को खूब कस कर अपने सीने से दबा लेता हू, रमिया अपनी जंघे चौड़ी करके किसी बंदरिया की तरह मेरी छाती से चिपक जाती है,

जब रामू ने मेरी ओर देखा तो मैने उसे इशारे से दोनो को आराम से कमरे मे लाकर चोदने को कहा तब रामू ने दोनो रंडियो को कमरे मे चलने को कहा दोनो मा बेटी पूरी नंगी जब मेरे सामने से गुज़री तो उनका तेल से लथपथ बदन देख कर मेरा पानी छूटते-छूटते रह गया,

रामू और रुक्मणी ने चंदा को लेटा दिया और रामू ने अपना लंड निकाल कर चंदा के मूह मे दे दिया और चंदा उसे बड़े प्यार से चाटने लगी इधर रुक्मणी ने चंदा की जाँघो को खूब फैला दिया और उसकी चूत को चूसने लगी, अंदर का दरवाजा खुला था जहाँ से सीधे रमिया और मुझे अंदर का सारा नज़ारा दिखाई दे रहा था, मैने धीरे से रमिया से कहा बेटी तुम भी लंड चूसना चाहती हो ना

रमिया- हाँ बाबा जी

राज- ठीक है तो आज हम तुम्हे अपना लंड चूसाएगे बोलो चुसोगी

मेरा इतना कहना था कि रमिया ने मेरा लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया और जैसे ही मेरे खड़े मोटे लंड को देखा तो उसकी आँखे खुली की खुली रह गई,

राज- क्या देख रही हो बेटी

रमिया- बाबा जी आपका लंड तो बहुत बड़ा और मोटा है आपका लंड तो भैया से भी दोगुना नज़र आ रहा है

राज- बेटी तुम्हारे जैसी जवान लोंदियो को ऐसे ही मोटे लंड से ज़्यादा मज़ा आता है, क्या तुम नही चाहती कि तुम्हारी गंद और चूत का छेद तुम्हारी मा सुधिया जैसा हो जाए,

मेरा इतना कहना था कि रमिया ने मेरे लंड के टोपे को अपनी जीभ निकाल कर चाटना शुरू कर दिया और मैं झुक कर उसके मोटे-मोटे बोबे को खूब कस कस कर मसल्ने लगा,

रमिया को अपना लंड चूसा-चूसा कर रामू ने एक दम उसे एक्सपर्ट बना दिया था और वह बड़े ही मस्त तरीके से मेरा लंड चूस रही थी, उधर रामू एक हाथ से चंदा के बोबे मसल रहा था और दूसरे हाथ से रुक्मणी चाची की मस्त चिकनी चूत को बड़े प्यार से सहला रहा था, रुक्मणी भी पूरी मस्ती मे चंदा की रसीली चूत चाट रही थी, चंदा रामू के लंड को अपने हाथो मे भर-भर कर दबोच रही थी,

रुक्मणी- रामू चंदा की चूत का छेद कितना बड़ा लग रहा है जैसे यह रोज चुदवाती हो

रामू- अरे नही चाची आज कल की लोंदियो की चूत का गुलाबी छेद जल्दी ही उनकी उमर के साथ बढ़ने लगता है रमिया की चूत का छेद तो चंदा की चूत से भी बड़ा नज़र आता है लगभग तुम्हारी चूत के जैसा दिखने लगा है,

रुक्मणी- मुस्कुराते हुए और अपनी मा सुधिया के भोस्डे के बारे मे क्या ख्याल है तेरा,

रामू- चाची की चूत मे उंगली पेल कर उसे चूमता हुआ हे चाची क्यो मा की मस्तानी छूट की याद दिलाती हो चलो मेरा मोटा लंड एक बार तुम चूस कर अपनी बेटी की गुलाबी चूत मे लगाओ और तुम चंदा के मूह के पास आकर बैठ जाओ और अपनी जंघे फैला लो ताकि मैं तुम्हारी बेटी को चोद्ते हुए उसकी मा की रसीली फूली हुई बुर को चूस सकु और फिर रामू ने अपने लंड को रुक्मणी के मूह मे दे दिया और रुक्मणी ने उसे अच्छे से चूसना शुरू कर दिया

रमिया लगातार मेरे लंड को खूब दबोचे जा रही थी और मैने अपने दोनो हाथो से उसके मोटे-मोटे दूध दबा-दबा कर लाल कर दिए थे उसका गुलाबी निप्पल बहुत कड़ा हो गया था और उसे मैं अपने होंठो से खूब दबा-दबा कर चूस रहा था, फिर मैने रमिया की दोनो जाँघो को खूब फैला दिया और सच आज पहली बार किसी जवान लोंड़िया की चिकनी चूत देख रहा था मैने उसकी चूत की फांको को फैला कर उसके गुलाबी रस से भीगे छेद को चाटने लगा और रमिया ओह बाबा जी सी आह बहुत अच्छा लग रहा है और चतो आह आह करने लगी,

उधर रुक्मणी ने रामू के लंड को पूरा गीला कर दिया और फिर उसे अपनी बेटी चंदा की मस्तानी चूत से लगा कर रामू की ओर इशारा किया और रामू ने सटाक से एक करारा धक्का चंदा की चूत मे मार दिया और चंदा आसानी से रामू के लंड को पूरा अंदर उतार गई और रामू उसकी चूत मे चढ़-चढ़ कर उसे चोदने लगा चंदा सिसकिया लेती हुई अपनी मा के बोबे से खेलने लगी और रामू चंदा के उपर लेट गया और अपने मूह को रुक्मणी चाची की चूत से सटा कर उसकी बुर चाटते हुए चंदा को खूब कस कस कर ठोकने लगा,

मुझे रमिया की चूत का रस पागल किए जा रहा था मैं जितनी बार रमिया की चूत का रस चूस्ता उसकी चूत और भी रस छ्चोड़ने लगती, रमिया मेरे सर को अपनी चूत मे दबाती हुई कह रही थी, ओह बाबा जी आप तो रामू भैया से भी अच्छा चूस्ते हो, ओह बाबा जी खा जाओ मेरी चूत को फाड़ दो बाबा जी आह आह सी ओह मा मर गई

क्रमशः........
 
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रामू रुक्मणी की चूत को खूब फैला कर चाट रहा था और इसकी वजह से उसके लंड मे बहुत तनाव आ रहा था और वह चंदा को खूब रगड़-रगड़ कर चोद रहा था, चंदा ठुकवाने मे एक्सपर्ट थी इसलिए अब वह अपनी गंद उछाल-उछाल कर रामू के लंड पर बहुत तेज़ी से मार रही थी और रामू भी उसके जोरदार धक्को का जवाब खूब हुमच-हुमच कर दे रहा था, तभी रामू ने अपना लंड बाहर निकाल कर खुद नीचे लेट गया और चंदा को अपने लंड पर बैठा लिया और फिर रुक्मणी चाची को अपनी चूत अपने मूह पर रख कर बैठने को कहा रुक्मणी ने अपनी दोनो जाँघो को रामू के आजू बाजू करके उसके मूह पर अपनी चूत खोल कर बैठ गई,

अब चंदा रामू के लंड पर तबीयत से कूदने लगी और इधर रुक्मणी अपनी फूली चूत को रामू को चूसाने लगी, दोनो मा बेटियाँ घोड़ी की तरह मस्ता रही थी और अपनी-अपनी चूत से रामू को रगड़ रही थी पूरे कमरे मे उन रंडियो की चूत की मादक गंध फैल गई थी,

मैं रमिया की गुलाबी चूत को बड़े प्यार से अपने होंठो मे दबा कर खिचता और उसके दाने को चूस्ते हुए सोच रहा था कि जब रमिया की चूत इतनी खूबसूरत है जब कि वह गाँव की लोंड़िया है तो फिर मेरी खुद की बहन संगीता तो रमिया से काफ़ी बड़ी हो गई है और उसका बदन भी खूब भरा हुआ है तो फिर उसकी चूत कितनी मस्त होगी और फिर मेरी मम्मी रति की चूत कितनी बड़ी और फूली होगी पता नही मम्मी और संगीता अपनी चूत के बाल साफ करती होगी या नही, वैसे मम्मी मेकप तो बहुत करती है और अपने होंठो पर लिपस्टिक लगाना कभी नही भूलती है ज़रूर मम्मी का मन भी खूब चुदवाने का होता होगा,

उधर चंदा ओह रामू भैया बड़ा मस्त लंड है तुम्हारा और रामू के लंड पर कूदते हुए रामू के मूह के उपर अपनी चूत फैलाए बैठी अपनी मम्मी की पीठ से चिपक जाती है और उसका पानी छूट जाता है तभी रामू चाची की चूत के खड़े दाने को खूब कस कर पकड़ लेता है और उसका भी पानी चंदा की चूत मे छूट जाता है

रुक्मणी आह आह करती हुई अपनी चूत को लगातार रगड़ रही थी और चंदा हाफते हुए एक और लुढ़क जाती है तभी रुक्मणी रामू के लंड के उपर से उठ कर उल्टी होकर घूम कर रामू के मूह पर अपनी गंद झुका कर लगा देती है और रामू का रस से भीगा लंड अपने मूह मे भर कर उसे चूसने लगती है, रामू का लंड जैसे ही चाची के मूह मे जाता है रामू चाची की गंद और चूत के छेद को खूब फैला कर चूसने और चाटने लगता है,

रमिया से अब रहा नही जा रहा था और वह बार-बार अपनी चूत उठा कर मेरे मूह पर मार रही थी कभी-कभी तो वह पूरी ताक़त से अपनी चूत मेरे मूह पर रगड़ने लग जाती थी मैने देर करना ठीक नही समझा और रमिया को खड़ी करके उसे आँगन की तरफ ले गया, मैं आज रमिया की चूत मे अपना मोटा लंड इतना ज़ोर से पेलना चाहता था कि रमिया भी हमेशा मेरे मोटे तगड़े लंड को याद करे,

मैने रमिया को घोड़ी बना कर झुका दिया और उसकी गंद को खूब अच्छे से उपर की ओर उभार दिया फिर मैने अपने मोटे लंड पर तेल लगा कर उसे खूब चिकना कर दिया और पिछे से रमिया की चूत मे अपना लंड लगा कर उसकी मोटी-मोटी गंद को खूब कस कर दबोच लिया और ऐसा जोरदार धक्का उसकी चूत मे मारा कि रमिया ज़ोर से चिल्ला उठी,

ओह बाबा जी मर गई रे आ उसके चेहरे पर दर्द उभर आया और उसकी आवाज़ सुन कर सभी का ध्यान इस ओर हो गया हालाकी रामू अब चाची के उपर चढ़ कर चोद रहा था लेकिन चंदा वह आवाज़ सुन कर उठ कर बाहर आकर हमे देखने लगी चंदा ने जैसे ही देखा कि मेरा आधे से ज़्यादा लंड रमिया की चूत मे फसा है मैने चंदा को देखते हुए दूसरा जोरदार धक्का रमिया की चूत मे ऐसा मारा कि मेरा पूरा लंड रमिया की चूत को खोलता हुआ जड़ तक समा कर उसकी मस्तानी बुर मे फिट हो गया और रमिया आह सी सी ओह बाबा जी बहुत बड़ा है आपका मैं मर जाउन्गि आह आह ओह.

मैं अब रमिया की चूत को धीरे-धीरे चोदते हुए उसकी मोटी गंद को फैला-फैला कर सहला रहा था तभी चंदा जो बड़े गौर से मेरे मोटे तगड़े लंड को रमिया की लाल नज़र आ रही चूत मे आते जाते देख रही थी, कहने लगी बाबा जी हमे भी रमिया दीदी की तरह ऐसे ही ज़ोर से चोदेगे क्या,
मैने रमिया की चूत ठोकते हुए कहा क्यो तुम्हे रामू से मज़ा नही आया क्या

चंदा- बाबा जी आया तो है पर जितना तेज आप चोद्ते है उतना तेज तो मेरे बापू भी नही चोद्ते है और ना रामू भैया, देखो ना आपके इतना तेज चोदने से रमिया दीदी को कितना अच्छा लग रहा है,

रमिया- आह सी सी बाबा जी चंदा ठीक कह रही है आह सी ऐसे ही ज़ोर से ठोकिए आप बहुत मस्त चुदाई करते है

मैने रमिया की बात सुन कर उसकी चूत को खूब कस-कस कर ठोकने लगा और रमिया खूब सीसीयाने लगी

ओह बाबाजी बहुत मोटा और डंडे जैसा तना हुआ है आपका लंड, सच बाबा जी आपका लोडा तो मेरी मा सुधिया के भोस्डे के लायक है और मारिए आज फाड़ दीजिए मेरी चूत,

रमिया की बुर बिल्कुल रसीली हो गई थी और जहाँ मैने एक करारा धक्का उसकी चूत की जड़ मे मारा रमिया एक दम से मुझसे कस कर चिपक गई और उसकी चूत मेरे लंड को दबोचे हुए पानी छ्चोड़ने लगी, मैं अभी झाड़ नही पाया था और रमिया सुस्त पड़ गई तभी चंदा ने मेरे लंड को रमिया की चूत से बाहर खींच कर अपने मूह मे भर कर चूसने लगी,

चंदा-बाबा जी आपका तो मेरे बापू से भी ज़्यादा मोटा और तगड़ा है इसे पिछे से मेरी चूत मे डाल कर खूब कस-कस कर चोद दीजिए और फिर चंदा अपनी मोटी गंद उठा कर किसी कुतिया की तरह झुक कर अपनी गंद हिलाने लगी उसका गुलाबी भोसड़ा देख कर मैने उसकी चूत मे अपना लंड लगा कर अच्छे से रगड़ने लगा और फिर उसकी चूत मे लंड लगा कर एक तगड़ा धक्का मार दिया और मेरा लंड कच्छ से चंदा की चूत को फाड़ता हुआ आधे से ज़्यादा अंदर उतर गया और चंदा ने अपनी मोटी गंद और उपर उठा कर उल्टा मेरे लंड पर धकेलते हुए ओह बाबा जी बहुत मस्त लंड है आपका चोदो बाबा जी खूब कस कर चोदो,

मैं चंदा की चूत ठोकते हुए सोचने लगा जब यह ज़रा सी लोंड़िया इतने मस्त तरीके से अपनी चूत मे मेरा तगड़ा लंड लेकर मरवा रही है तो मेरी बहन संगीता कितने प्यार से अपने भैया का लंड लेगी, मैं सोच रहा था कि मेरा लंड वाकई बहुत मोटा और लंबा है,

उधर रामू चाची की मोटी गंद के नीचे हाथ डाल कर उसे उपर उठाए हुए उसकी चूत मे सतसट लंड पेल रहा था और रुक्मणी अपनी मोटी जाँघो को रामू की कमर मे लपेटे खूब मस्त तरीके से चुद रही थी उपर से रामू धक्का मारता तब रुक्मणी नीचे से अपनी गंद उठा कर रामू के लंड पर अपनी चूत का धक्का मार देती,

मैने चंदा को लगभग गोद मे उठा कर अपने लंड पर बैठा लिया चंदा मेरे सीने से चिपकी हुई थी और मैं उसकी चूत चोद रहा था तभी चंदा मेरे उपर चढ़ि-चढ़ि ही मूतने लगी और उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया मेरा पानी फिर भी नही निकला तब चंदा नीचे उतर आई और फिर रमिया और चंदा दोनो मेरे लंड को पागलो की तरह चूमने और चाटने लगी दोनो मेरे लंड को एक दूसरे के मूह से छुड़ा कर चूसने की कोशिश कर रही थी दोनो की रसीली जीभ से मेरे लंड मे खूब मस्ती आने लगी और फिर मैने एक दम से पानी छ्चोड़ना शुरू किया तो दोनो मेरे वीर्य को चूस-चूस कर चाटने लगी और मेरे लंड को पूरा चाट-चाट कर साफ कर दिया,

उधर रामू भी चाची की चूत मे पानी छ्चोड़ चुका था और चाची के नंगे बदन पर लेटा हुआ साँसे ले रहा था, कुच्छ देर बाद रामू अपनी धोती पहन कर बाहर आ गया और फिर चाची और चंदा और रमिया ने भी अपने -अपने कपड़े पहन लिए, शाम के 4 बज चुके थे और चाची ने हमारे लिए नीबू का शरबत बनाया और शरबत पीने के बाद रामू और रमिया मुझसे विदा लेकर अपने घर की ओर चल दिए,

शाम को करीब 6 बजे हरिया वापस आ गया और फिर घर के आँगन मे खाट डाल कर मुझे बैठने को कहा और फिर हरिया अपनी चिलम बनाने लगा,
हरिया- बाबू जी आज तो आपने जब से हमे कहा है कि कल तुम्हे सुधिया चोदने को मिल जाएगी तब से क्या बताए बहुत लंड खड़ा हो रहा है, सच बाबू जी बड़ा ही मस्त माल है, काश रामू की जगह मैं सुधिया का बेटा होता तो दिन रात उसे नंगी ही अपने साथ रखता,

राज- हरिया एक बात तो है जिन औरतो की जंघे खूब मोटी होती है पेट खूब उभरा हुआ रहता है और गंद काफ़ी फैली और मोटी होती है वह औरते चोदने मे बड़ा मज़ा देती है,

हरिया- बाबू जी जब आप अपने से बड़ी उमर की औरत को चोदोगे तब और भी मज़ा आएगा, आज बाबूजी हम आपके लिए मस्त चिलम बना रहे है खूब मस्त नशा देती है,

हरिया के साथ मैने उसकी चिलम का कश इसलिए ले लिया कि आज हरिया की चिलम पीकर उसी की बीबी को चोदने का मोका मिल रहा था और रुक्मणी का बदन भी काफ़ी भरा हुआ था और गोरी भी बहुत थी मेरा लंड उसकी मोटी गंद देख कर खड़ा हो चुका था, हम लोगो ने चिलम ख़तम की अब कुच्छ अंधेरा होने चला था और हरिया ने रुक्मणी को बुलाया और कहा कि बाबा जी का पूरा ख्याल रखना और उनके लिए बढ़िया खाने की व्यवस्था करना मैं चंदा को लेकर आज खेतो मे ही सोउँगा,

उसके बाद हरिया चंदा के साथ खेतो की ओर चल देता है और मैं नशे मे मस्त होकर घर के काम मे लगी रुक्मणी को देख कर अपना लंड मसल रहा था, मुझे रुक्मणी चाल चलन से बहुत ही चालू और बिंदास नज़र आ रही थी जबकि मैं जब सुधिया से मिला था तो वह काफ़ी शर्मा रही थी,

रुक्मणी ने जब अपना काम समाप्त कर लिया तब वह मेरे पेरो के पास ज़मीन पर हाथ जोड़ कर बैठ गई और कहने लगी बाबा जी आप कहे तो आपके लिए खाना निकालु

राज- बेटी हम भोजन 10 बजे के बाद ही करेगे

रुक्मणी- बाबा जी अब हमारे घर मे सुख शांति रहेगी ना

राज- मैने रुक्मणी के गोरे-गोरे भरे हुए गालो को सहलाते हुए कहा बेटी तू चिंता मत कर चल अब घर के अंदर चल और मैं तुझे सभी विधि बता देता हू फिर उस हिसाब से तुझे पवित्र करके तेरी सभी समस्याओ से निजात दिलाता हू,

रुक्मणी अंदर आ गई और मैं भी अंदर आ गया रुक्मणी ने दरवाजा लगा लिया और मुझे बैठने को कहा और फिर मेरे सामने खड़ी होकर कहने लगी हाँ बाबा जी अब बताइए क्या करना है मुझे,

राज- बेटी सबसे पहले तुम्हे पूरी नंगी होकर स्नान करना होगा लेकिन ध्यान रहे स्नान करने के बाद बदन पोच्छना नही सीधे नंगी ही मेरे सामने आना होगा फिर मैं तुम्हारे बदन को अपने शुद्ध वस्त्रा से पोंच्छूंगा, रुक्मणी का चेहरा मेरी बाते सुन कर लाल हो चुका था और वह एक टक मुझे गौर से देखने लगी,
राज- क्या हुआ बेटी कुछ दिक्कत है क्या

रुक्मणी नही बाबा जी मैं अभी स्नान करके आती हू और फिर रुक्मणी आँगन मे मेरे सामने अपनी साडी उतारने लगी और फिर वह पेटिकोट और ब्लौज मे आ गई उसकी उठी हुई गंद और गोरा-गोरा मसल पेट देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और रुक्मणी बड़े मस्त तरीके से अपने ब्लौज के बटन खोल कर उतारने लगी, रुक्मणी ने जैसे ही ब्लौज खोला उसके मोटे-मोटे दूध खुल कर बाहर आ गये फिर रुक्मणी ने अपने पेटिकोट का नाडा खोल कर जैसे ही पेटिकोट को छ्चोड़ा रुक्मणी पूरी नंगी मेरे सामने झुक कर अपने नंगे बदन पर पानी डाल कर नहाने लगी मैं तो उस भरे बदन की गोरी जवान औरत का नंगा रूप इतने करीब से देख कर पागल हो गया, मेरा लंड इतना ज़ोर से खड़ा था कि लग रहा था कि लंड की नशे फट जाएगी,

नहाने के बाद रुक्मणी पूरी नंगी खड़ी मेरी ओर देखने लगी जैसे पुच्छ रही हो कि अब क्या करना है मैने उसे इशारे से मेरे पास बुलाया और कहा कि देखो रुक्मणी अब मैं तुम्हारे पूरे बदन पर तेल लगा कर तुम्हे पवित्र करूँगा, क्या तुम इसके लिए तैयार हो

रुक्मणी- जी बाबा जी

राज - ठीक है एक आसान लो और उस पर बैठ जाओ और फिर रुक्मणी एक आसान ले कर अपनी दोनो मोटी जंघे फैला कर बैठ गई, रुक्मणी के चेहरे को देख कर लग रहा था कि वह खूब अंदर ही अंदर मस्ती से भर चुकी है,

मैने जब उसकी दोनो जाँघो पर तेल लगा कर उसकी मोटी मोटी जाँघो को मसलना शुरू किया तो रुक्मणी के मूह से सिसकी निकल गई,

राज- क्या हुआ रुक्मणी तुम आँखे बंद करके क्यो बैठी हो

रुक्मणी- बाबा जी आपके सहलाने से मुझे बहुत अच्छा लग रहा है

राज- बेटी हम तो तुम्हे अपनी बेटी समझ कर तुम्हे पवित्र कर रहे है, और फिर मैने खूब सारा तेल रुक्मणी के दोनो मोटे मोटे दूध पर डाल कर उसके दूध को खूब कस कस कर दबोचते हुए सहलाने लगा,

रुक्मणी- आह बाबा जी इस तरह तो कोई बेटा अपनी मा को भी पवित्र करेगा तो उसकी मा गरम हो जाएगी,

मैं रुक्मणी के दूध पेट और मोटी जाँघो पर तेल लगाने के बाद जैसे ही रुक्मणी की और देखा रुक्मणी ने मेरी ओर मुस्कुरा कर देखते हुए अपनी मोटी जाँघो को पूरी तरह खोल दिया और मैं रुक्मणी की पाव रोटी की तरह फुल्ली हुई चिकनी गुदाज चूत देख कर मस्त हो गया,

रुक्मणी- मुस्कुराते हुए क्या देख रहे है बाबा जी लगाइए ना तेल, मैने रुक्मणी की बात सुन कर जल्दी से उसकी फूली चूत को अपने हाथो से भर कर दबोच लिया,

रुकमनि- आह बाबा जी यह क्या कर रहे है आप तो मेरी चूत मे तेल लगाने के बजाय उसे दबोच दबोच कर मसल रहे है,

राज- बेटी तुम्हारी चूत को अंदर तक तेल लगा कर पवित्र करना होगा क्यो कि तुमने पराए मर्दो का लंड इसमे डलवा-डलवा कर इसे अशुद्ध कर दिया है तुम अपनी पीठ मेरे सीने से लगा कर अपनी जाँघो को थोड़ा फैला कर बैठ जाओ ता कि मैं तुम्हारे सीने पर और पीठ पर भी तेल लगा दू,

क्रमशः........
 
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रुक्मणी मेरी बात सुन कर घूम कर मेरे सीने से बिल्कुल अपनी पीठ सटा कर बैठ गई उसकी मोटी गंद से मेरा लंड भिड़ गया और मैने उसके आगे हाथ ले जाकर उसके दूध को खूब कस-कस कर दबाना शुरू कर दिया,

राज- रुक्मणी

रुक्मणी- आह जी बाबा जी

राज- तुमने लगता है पराए मर्दो से अपने बदन को खूब दब्वाया है

रुक्मणी- क्या करू बाबा जी इसमे मेरी ग़लती नही है मेरा आदमी हरिया बहुत चुड़क्कड़ है जिसके भी औरत को उसका मन चोदने का होता है वह मुझे आगे करके उसे चोद लेता है,

राज- मतलब बेटी

रुक्मणी- अपनी जाँघो को फैला कर मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी चूत मे रख लेती है और कहती है बाबा जी ज़रा यहाँ तेल लगाओ फिर मैं आपको मेरी बात का मतलब बताती हू

मैने रुक्मणी की चूत की फांको को दोनो हाथो से अच्छे से फैला लिया और उसकी चूत को खूब सहलाने लगा,

रुक्मणी- बाबा जी एक बार मेरा बड़ा भाई अपनी बीबी के साथ हमारे यहाँ आया, उसकी बीबी बहुत मस्त माल थी कोई भी मर्द उसकी मोटी गंद और दूध देख ले तो उसका लंड खड़ा हो जाए, हरिया की तो लार टपकने लगी थी हरिया मुझसे कहने लगा एक बार तेरी भाभी की दिलवा दे बहुत मस्त माल है,

मैने कहा मैं कैसे दिलवा दू तब हरिया मुझसे कहने लगा अपने भैया का लंड अपनी चूत मे लेगी बड़ा मोटा लंड है उसका मेरे लंड से डबल है तुझे रात भर नंगी करके चोदेगा सच तू मस्त हो जाएगी,

हरिया बहुत चालाक है वह औरत की कमज़ोरी जानता था इसलिए ऐसी बाते वह मेरी चूत का दाना सहलाते हुए कह रहा था, मैने कहा मैं नही जानती जो तुम्हारा मन कहे वह करो,

राज- फिर क्या हुआ बेटी

रुक्मणी- फिर क्या था बाबा जी हरिया ने मेरे भैया को बाहर खाट पर बैठा कर चिलम पिलाना शुरू कर दिया, मैं और मेरी भाभी वही घर के अंदर थी मेरा दिल किया कि जाकर सुनू तो सही दोनो क्या बात कर रहे है और फिर मैं चुपके से भाभी से काम का बहाना करके दीवार के पिछे छुप कर उनकी बाते सुनने लगी,

हरिया ने भैया को चिलम पिला कर नशे मे धुत्त कर दिया था,

भैया- और बताओ जमाई बाबू कैसा चल रहा है सब,

हरिया- अरे क्या बताऊ साले साहब जब से शादी हुई है तुम्हारी बहन बहुत परेशान करती है, सच साले साहेब बहुत चुदासी है तुम्हारी बहन खूब मोटा लंड चाहिए उसे अपनी चूत मे, उसकी गंद देखी है कैसे चुदवा चुदवा के मोटी हो गई है,

भैया- अरे वह तो हर औरत चुदवाती है पर इसमे नया क्या है,

हरिया- अरे तुम नही जानते उसे रोज लंड चाहिए और कभी कभी तो चुदते समय तुम्हारे लंड की बाते करने लगती है,

भैया- क्या कहती है मेरे बारे मे

हरिया- कहती है भैया का लंड बहुत मोटा है एक बार तुम्हे उसने मुतते हुए देखा था तब से तुम्हारे लंड को लेने के लिए बहुत तड़पति है, हरिया की बाते सुन कर भैया का लंड खड़ा हो गया था और वह मसल्ने लगे थे,

हरिया- मुस्कुराते हुए क्या हुआ अपनी बहन को चोदने का मन कर रहा है ना

भैया- अब तुम ऐसी बाते करोगे तो लंड तो खड़ा होगा ना

हरिया- आज चोदोगे अपनी बहन को

भैया- पर रुक्मणी क्या मान जाएगी

हरिया- पहले कहो तो चोदोगे क्या

भैया- हाँ चोदने का मन तो बहुत हो रहा है, भैया की बात सुन कर मेरी चूत से पानी आ गया तभी हरिया ने मुझे आवाज़ दी और मैं एक दम से संभाल कर उसके पास पहुच गई,

हरिया ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद मे बैठा लिया और मेरे मोटे-मोटे दूध मेरे भैया के सामने मसल्ने लगा,

रुक्मणी- अरे छ्चोड़ो यह क्या कर रहे हो भैया बैठे है तुम्हे शरम नही आती

हरिया- अरे मेरी रानी तेरा भैया भी तो तेरे मोटे-मोटे दूध मसलना चाहता है आ अच्छे से खाट पर चढ़ कर बैठ जा, फिर हरिया ने मुझे खाट पर बैठा कर मेरी साडी उपर कर दी और भैया को जैसे ही मेरी मोटी जंघे नज़र आई उनसे नही रहा गया और उन्होने भी मेरी जाँघो को अपने हाथो मे भर कर दबोच लिया, भाभी तो पहले से ही चुड़क्कड़ थी उसने भैया के कहने पर हरिया से अपनी चूत मरवाई और भैया ने उस रात मुझे पूरी नंगी करके खूब कस कस कर चोदा,

रुक्मणी की बाते सुन कर मेरा लंड उसकी गंद से सटने लगा और अचानक रुक्मणी ने अपना हाथ पिछे लाकर मेरे लोहे जैसे तने लंड को अपने हाथो मे भर कर दबोच लिया,
रुक्मणी- वाह बाबा जी कितना मस्त हथियार छुपा रखा है आपने अब मुझसे नही रहा जाता बाबा जी जबसे मैने आपका मोटा लंड रमिया की चूत मे आते हुए देखा था तब से आपसे चुदने के लिए मरी जा रही हू,

राज- बेटी अब सिर्फ़ तुम्हारी मोटी गंद मे तेल लगाना बाकी बचा है,

रुक्मणी- बाबा जी पहले मेरी चूत को खूब अच्छे से ठोंक दो फिर तो सारी रात पड़ी है आराम से मेरी गंद मे तेल लगा कर रात भर मेरी गंद मारना,

राज- अच्छा बेटी अब तुम पीठ के बल लेट जाओ और फिर रुक्मणी जब पीठ के बल लेट गई तब उसने अपनी जाँघो को उपर उठा कर मोड़ लिया और उसकी रसीली चूत मेरे सामने आ गई मैने अपनी जीभ से रुक्मणी की गुलाबी फूली हुई चूत को चाटना शुरू कर दिया और रुक्मणी तड़पने लगी,

रुक्मणी- ओह बाबा जी खूब चुसू खूब चतो मेरी चूत को आह आह ओह बाबा जी आपका लंड बड़ा मस्त है आज मेरी चूत फाड़ देना बाबा जी,

मैने रुक्मणी की चूत के छेद से बहते रस को चूस चूस कर चाटना शुरू कर दिया और एक हाथ मे तेल लेकर उसकी गंद मे तेल लगाने लगा, पहले एक उंगली से उसकी गंद सहलाने लगा फिर दो उंगलिया उसकी मोटी गंद मे डाल कर जब उसकी चूत मैने तबीयत से चूसना शुरू किया तो रुक्मणी पागलो की तरह बड़बड़ाने लगी

मैने देखा रुक्मणी अब पानी-पानी हो चुकी थी बस फिर मैने अपने मोटे लंड को रुक्मणी की चूत से लगा कर कस कर एक धक्का मारा और रुक्मणी ओह बाबा जी करके ऐथ गई तभी मैने उसकी गुदाज जाँघो को पकड़ कर एक और धक्का मार दिया और मेरा लंड जड़ तक रुक्मणी की चूत मे घुस गया, मैं रुक्मणी की चूत को खूब कस-कस कर चोदने लगा और रुक्मणी अपनी गंद उठा उठा कर कहने लगी ओह बाबा जी खूब चोदो कस कस कर चोदो आह आह बहुत मज़ा आ रहा है,

कितना अच्छा चोद्ते हो आप आपका लंड जो औरत एक बार ले लेगी वह मस्त हो जाएगी आपका लंड तो बड़ी बड़ी घोड़ियो के लायक है बाबा जी और मारिए खूब कस कर मारिए फाड़ दो आह आह सी सी ,

मैं पूरी ताक़त से रुक्मणी को चोद रहा था और वह सीसीया रही थी मैं रुक्मणी के उपर लंड फसाए लेट गया और उसके मोटे-मोटे दूध को खूब दबा दबा कर पीने लगा और रुक्मणी अपनी चूत को खूब ज़ोर से मेरे लंड से दबाने लगी, मैं पूरी ताक़त से खूब कस कस कर उसे चोद रहा था और तभी उसकी चूत ने ढेर सारा पानी छ्चोड़ दिया और रुक्मणी मेरे बदन से कस कर चिपक गई,

कुच्छ देर हम दोनो साँसे लेते रहे उसके बाद रुक्मणी मेरी तरफ पीठ कर के लेट गई और मैं उसके पीछे से उसकी मोटी मुलायम गंद के छेद को तेल भर-भर कर चिकना बनाने लगा,

रुक्मणी- बाबा जी बहुत मोटा लंड है आपका मेरी गांड़ तो फाड़ कर रख देगा,

राज- बेटी ऐसे मोटे लंड से ही गांड़ मरवाने मे ज़्यादा मज़ा आता है,

रुक्मणी- बाबा जी मुझे आपका लंड चूसना है

राज- चूसो ना बेटी तुम मेरा लंड जितना चाहे चूस लो फिर मैं आज तुम्हारी मोटी गंद की सारी खुजली दूर कर देता हू, उसके बाद रुक्मणी मेरे लंड को खूब दबोच दबोच कर चूसने लगी और मैं उसकी गुदा मे दो उंगलिया डाल-डाल कर उसे मुलायम करने लगा,

रुक्मणी की गांड़ को मैने सहला सहला कर खूब मुलायम बना दिया और फिर मैने अपने मोटे लंड को धीरे से रुक्मणी की गांड़ से सताया तो रुक्मणी ने अपनी गांड़ मेरी ओर उठा कर अपने हाथो से अपनी गंद को खूब फैला कर मुझे अपनी गांड़ का छेद दिखाते हुए, लो बाबा जी अब पेलो अपना मूसल मेरी गांड़ मे, मैने अपने लंड का धक्का धीरे से रुक्मणी की कमर पकड़ कर उसकी गांड़ मे मार दिया और रुक्मणी ओह बाबा जी करके सीसीया पड़ी मेरे लंड का टोपा उसकी गुदा मे धस चुका था और मैं रुक्मणी के बोबे मसल्ते हुए दूसरे हाथ से उसकी कमर और मोटी गांड़ सहला रहा था,
जब रुक्मणी कुच्छ नॉर्मल हुई तब मैने अपने लंड को उसकी गांड़ मे थोड़ा ज़ोर से दबा दिया और मेरा आधे से ज़्यादा लंड उसकी गुदा मे फस गया,

ओह बाबा जी मर गई, आ मेरी गांड़ फटी जा रही है बाबा जी कितना मोटा लंड है आपका, आप तो किसी भी औरत की गांड़ फाड़ सकते हो आह आह. मैं धीरे-धीरे लंड को आगे पिछे करने लगा और रुक्मणी सीसियाते हुए पड़ी रही मैने जब देखा कि अब मेरा लंड उसकी गांड़ मे धीरे धीरे अंदर बाहर हो रहा है तभी मैने रुक्मणी की गांड़ को दबोचते हुए एक कस के धक्का मार दिया और मेरा पूरा लंड उसकी गुदा मे समा गया और रुक्मणी ओह बाबा जी मर गई कह कर खूब सीसीयाने लगी,

मैं रुक्मणी की पीठ सहला सहला कर उसकी गांड़ को खूब गहराई तक चोदने लगा और रुक्मणी सी सी आह आह ओह मा ओह बाबा जी और मारो आह अच्छा लग रहा है बहुत मज़ा आ रहा है करने लगी,

मैं अब ताबड़तोड़ धक्के रुक्मणी की चूत मे मारने लगा उसकी मोटी जंघे जब मेरी जाँघो से टकराती तो ठप ठप की आवाज़ गूंजने लगती, रुक्मणी की गुदा को मैने चोद-चोद कर लाल कर दिया था जब रुक्मणी गंद मरवा-मरवा कर मस्त हो गई तब मैने उसकी गुदा मे अपना वीर्य निकाल दिया,

जैसे ही मैने वीर्य निकाला रुक्मणी ने मेरे लंड को अपनी गांड़ से निकाल कर अपने मूह मे डाल कर चूसना शुरू कर दिया और मेरा सारा पानी चाट चाट कर साफ कर दिया,

रुक्मणी लेट कर मेरे लंड से खेल रही थी और मैं उसके उठे हुए पेट और मोटे-मोटे दूध को सहला रहा था, उस रात मैने रुक्मणी की एक बार और चूत मारी और फिर एक बार उसकी गुदाज गंद को भी तबीयत से चोदा, उसके बाद मैं सुबह सुधिया को कैसे चोदना है उसके बारे मे सोचता हुआ सो गया,

सुबह 4 बजे ही सुधिया की याद मे मेरी नींद खुल गई और मैं चुपके से उठ कर तालाब की ओर चल दिया, मैं

मन मे सोच रहा था कि क्यो ना पहले मैं ही सुधिया की चूत मार लू उसके बाद हरिया का नंबर. लगाऊ, मैने अपने

प्लान को थोड़ा चेंज करना ही ठीक समझा और एक पेड़ के नीचे आसान जमा कर बैठ गया,

लगभग आधा घंटा

इंतजार करने के बाद मुझे कोई औरत आती हुई नज़र आई मैं उसके गुदाज शरीर और मटकती चाल को देख कर समझ

गया कि रामू की मा ही चली आ रही है, सुधिया को भी कुच्छ दूर से ही मैं नज़र आने लगा और मैने अपनी

आँखे बंद कर ली,

सुधिया ने जब करीब आकर मुझे देखा तो मेरे पेरो को च्छू कर

सुधिया- परनाम बाबा जी, आप यहाँ सुबह सुबह ?

मैने अपनी आँखे खोली और सुधिया की ओर देखा, उसने लाल कलर का ब्लौज और एक घाघरा पहना हुआ था और

उसके सीने पर कोई चुनरी नही थी, उसके मोटे मोटे दूध उसके ब्लौज मे कैसे समाते होंगे मैं यह सोच रहा

था और जब मैने सुधिया का उठा हुआ गुदाज पेट और गहरी नाभि पर नज़र डाली तो कसम से मेरा लंड तुरंत

खड़ा हो गया,

राज- बेटी सुधिया हम तो रात भर इसी पेड़ के नीचे तपस्या कर रहे है, और वह भी सिर्फ़ तेरी वजह से, क्यो कि

शायद उपरवाला भी तुझ पर मेहरबान है और उसने मुझे तेरे पास भेज दिया ताकि मैं तेरे उपर आने वाले

संकट को दूर कर सकु,

क्रमशः........
 
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सुधिया- पर बाबा जी आपने तो मुझसे कहा था कि मैं जब तालाब मे स्नान करके बाहर आउन्गि और जो भी पहला

पुरुष नज़र आएगा उसके साथ मुझे, बस इतना कह कर सुधिया ने अपनी नज़रे नीचे कर ली,

राज- बेटी हम जानते है लेकिन तुम नही जानती कि हम अंतर्यामी है और हमने अपनी शक्ति से यह भी देख लिया है

कि तुमने गन्ने के खेत मे अपने बेटे के साथ च्छूप कर किसी और पुरुष का लिंग देखा था और अपने बेटे से उसी

गन्ने के खेत मे संभोग किया था,

सच मानो तो उस समय सुधिया की शकल देखने लायक थी वह घोर आश्चर्या के साथ मेरी ओर देख रही थी और

मैं बहुत संभाल कर अपने चेहरे के भाव (एक्सप्रेशन) को च्छुपाने की कोशिश कर रहा था,

राज- बोल बेटी हम ठीक कह रहे है या नही,

सुधिया- अचानक मेरे पेरो मे गिर कर बाबा जी मुझे माफ़ कर दीजिए मुझसे ग़लती हुई है,

राज- नही बेटी इसमे पछताने की ज़रूरत नही है, मन के साधे सब साधे वाली बात है तुम भी एक इंसान हो और

ग़लती इंसान करता ही रहता है नही तो वह परमात्मा नही हो जाता, खेर कोई बात नही तेरे सभी दुखो का निवारण

करने के लिए ही तो मैं इसी गाँव मे रुक गया, लेकिन याद रहे अब जैसा मैं कहूँगा वैसा करना होगा और यह बात

किसी को भी पता नही होना चाहिए, यहाँ तक कि तू अपने बेटे रामू से भी यह ना कहना कि कोई बाबा जी तुझे मिले

थे,

सुधिया- मेरी ओर हाथ जोड़ कर नही बाबा जी मैं किसी से नही कहूँगी और जैसा आप कहेगे वैसा ही करूँगी,

राज- ठीक है तो सुन अब तुझे इस तालाब मे पूरी नंगी होकर नहाना होगा और फिर तुझे नंगी ही चल कर उसी स्थान

पर जाना होगा जहाँ तूने अपने बेटे के साथ मिल कर किसी और का लिंग देखा था, और हाँ चलते समय पीछे मूड

कर कतई नही देखना,

क्यो कि तेरे पीछे हम आएँगे और अब तुझे घबराने की ज़रूरत नही है तुझे किसी अन्य

पुरुष से संभोग करवाने की बजाय पहले मुझे तेरे पूरे जिस्म को अच्छे से पवित्र करना होगा,

राज- बोल अब तू तैयार है,

सुधिया- अपना सर नीचे झुकाए हुए, लेकिन बाबाजी आप कल दो आदमी से मुझे चुदवाने, मेरा मतलब है

मुझसे संभोग करेगे ऐसा कह रहे थे,

राज- बेटी तू चिंता मत कर मुझे सब से ज़्यादा तेरी इज़्ज़त की फिकर है इसलिए पहले वाले पुरुष के रूप मे मैं तुझे

पवित्र करूँगा और दूसरे पुरुष के लिए मैं अपनी शक्ति से उसे तेरे करीब बुला लूँगा और वह आदमी ऐसा होगा जो

तेरे साथ संभोग भी करेगा और तेरी बदनामी भी नही करेगा,

सुधिया- हाथ जोड़ते हुए, बाबा जी आप का यह एहसान मैं कभी नही भूलूंगी, आप बिल्कुल सही कह रहे है किसी

अंजान से संभोग करने पर वह मुझे बदनाम भी कर सकता है, पर बाबा जी आप किसी अपनी शक्ति से मेरे पास

बुलाएगे,

राज- बेटी अभी उसकी तस्वीर मेरे मन मे हल्की है जब तू मेरे द्वारा पवित्र हो जाएगी तब ही उसका चेहरा साफ

नज़र आएगा और वह बहुत भरोसे का आदमी होगा, तुझे मैं कोई समस्या नही आने दूँगा, तो बेटी अब दिन

निकलने से पहले ही तुझे यह सब करना है, चल अब सबसे पहले तू अपने कपड़े उतार कर तालाब मे डुबकी मार कर

आजा,

सुधिया मेरी बात सुन कर खड़ी हो गई और तालाब की ओर जाने लगी तभी मैने कहा बेटी तुझे कपड़े यही मेरे

सामने ही उतारने होंगे और फिर अपने कपड़े उतार कर मुझे देना होंगे ताकि मैं उनको भी पवित्र कर दू,

सुधिया मेरी बात सुन कर इधर उधर देखने लगी और उसका चेहरा पूरी तरह लाल हो रहा था, उसने अपने लरजते

हाथो से अपने ब्लौज के उपर का बटन खोलना शुरू कर दिया और बीच बीच मे अपनी नज़रे मेरी ओर मार कर

मुझे देखने लगती, मैं अपने मोटे लोदे को धोती मे दबाए सुधिया की गुदाज जवानी को अपनी आँखो से पी रहा
था,

सुधिया ने धीरे- धीरे अपने ब्लाउज के बटन पूरे खोल दिए और जैसे ही उसने ब्लाउज उतारा उसके मोटे-मोटे

बड़े-बड़े पपितो के साइज़ के दूध देख कर मेरा लंड पूरी तरह तन गया,

मैने सुधिया की आँखो मे देखा तो वह पूरी नशीली लग रही थी, तभी सुधिया ने अपना मूह दूसरी ओर घुमा

कर अपने घाघरे का नाडा खोलने लगी,

राज- नही बेटी हमारे सम्मुख ही तुम्हे सारे वस्त्र उतारने होंगे नही तो हमारी सारी क्रिया बेकार हो जाएगी,

सुधिया माफ़ करना बाबा जी कहते हुए वापस घूम गई और घाघरे का नाडा खोलने लगी,

राज- बेटी हमारे सामने शरमाने का ख्याल भी दिल मे मत लाना क्यो कि तुम नही जानती हमने तुम्हारे जैसी कितनी

ही औरतो को हज़ारो बार नंगी देखा है और कई औरतो को हमने अपने लिंग के प्रसाद से मा बना कर उनको संतान

सुख दिया है, सुधिया मेरी बात सुनते हुए एक दम से अपने घाघरे को छ्चोड़ देती है और उसका फ्रंट व्यू देख

कर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई, माइंडब्लोयिंग आज जिंदगी मे पहली बार मैं इतने हेवी पर्सनॅलिटी वाले माल को

देख रहा था इसके पहले मैने कभी ऐसी गुदाज भरे बदन की औरत को पूरी नंगी नही देखा था,

सुधिया की चूत बिल्कुल साफ थी उस पर बाल का नामोनिशान नही था लगता था जैसे कल ही अपनी चूत साफ की हो, उसकी

चूत किसी डबल रोटी की तरह फुल्ली हुई थी और बीच मे एक लंबा चीरा लगा हुआ था उसकी मोटी मोटी केले के तने

जैसी गोरी चिकनी जाँघो ने मुझे मस्त कर दिया था उसके मोटे-मोटे बोबे उसके शरीर के हिसाब से ही थे और पूरी

बॉडी ऐसी लग रही थी कि अगर कोई भी लंडा उस समय सुधिया से केवल नग्न होकर चिपक जाए तो उसका पानी निकल

पड़ेगा,

सुधिया के पूरे नंगे बदन का मैने बड़े आराम से अवलोकन किया और जैसे ही मेरी नज़र सुधिया से

मिली उसने अपनी नज़रे थोड़ी झुका ली लेकिन उसके चेहरे पर एक दबी हुई स्माइल मैने नोट की, उसने दुबारा मेरी ओर

देखा, शायद वह मेरे इशारे का इंतजार कर रही थी,

राज- बेटी अपने यह वस्त्र मुझे दे दो और तुम जाकर पानी मे डुबकी लगा कर आओ और जल्दी से उसी जगह चलो जहा

तुमने और रामू ने संभोग किया था, मेरी बात सुन कर सुधिया ने झुक कर अपने चोली और घाघरा उठा कर

मुझे दे दिया और फिर जब सुधिया अपने नंगे मोटे मोटे चूतादो को मतकाते हुए जाने लगी तो सच मे मेरा

तो दिल उसकी गुदाज मोटी गंद देख कर बैठा जा रहा था मेरा लोडा इतना टाइट हो गया कि दिल कर रहा था कि अभी रामू की मा की गंद मे अपना लंड डाल कर उसे चोद दू,

हल्का-हल्का उजाला होने लगा था और सुधिया नंगी डुबकी मार कर बाहर आने लगी उस घोड़ी के भारी भरकम जिस्म

को पानी मे पूरी तरह भीगा हुआ देख कर मैं उठ कर खड़ा हो गया और अपने लोदे को मसल्ते हुए सुधिया के

पास जाकर

राज- बेटी अब तुम आगे आगे चलो और मैं तुम्हारे पिछे चलता हू पर अब पिछे मूड कर तब तक नही देखना

जब तक कि मैं ना कहु, सुधिया मेरी बात सुन कर अपने गन्नो के खेत की ओर अपने भारी भरकम चूतादो को

मतकाते हुए चलने लगी और मैं उसकी गुदाज मोटी गंद को देखते हुए उसके पिछे चलने लगा, मैने अपना

लंड बाहर निकल लिया और उसकी मोटी गंद की थिरकन को घूरते हुए अपने लंड को मसल्ते हुए उसके पिछे चलने

लगा,

उजाला कुच्छ ज़्यादा होने लगा तब मैने सुधिया से कहा बेटी थोड़ा तेज तेज अपने कदम बढ़ा नही तो कोई भी

हमे देख लेगा, हमे उजाला होने के पहले ही वहाँ पहुचना है, मेरी बात सुन कर सुधिया पूरी नंगी किसी घोड़ी

की तरह अपनी गंद उठा-उठा कर चलने लगी और मैं उसके भरे हुए मोटे चूतादो को देख कर अपना लंड

सहलाते हुए उसके पिछे चलने लगा, सुधिया बहुत जोश मे चल रही थी और उसकी मोटी गंद कभी नीचे कभी

उपर होती हुई बहुत ही मस्त नज़र आ रही थी ऐसा लग रहा था उसकी गंद देख कर जैसे उसकी मोटी गंद बार बार

खुल कर मेरे लंड को घुसने का इशारा कर रही हो, थोड़ी ही देर मे रामू का गन्नो का खेत नज़र आने लगा और फिर सुधिया सीधे गन्नो के बीच से होती हुई वही पहुच गई जहाँ बैठ कर उसने हरिया और चंदा की चुदाई देखी थी,
मैने जब हरिया की खटिया को देखा तो उस पर चंदा अकेली सो रही थी मैं समझ गया कि हरिया किसी और रास्ते

से तालाब की ओर सुधिया को चोदने के चक्कर मे गया होगा, सुधिया सर झुकाए खड़ी थी और मैं उसके बिल्कुल

करीब पहुच कर

राज- बेटी अब तुम अपने इन उतरे हुए कपड़ो को यहा बिच्छा कर बैठ जाओ और अपनी आँखे बंद कर लो मैं अब

तुम्हारे बदन को जल लगा लगा कर पवित्र करूँगा, ध्यान रहे जब मैं तुम्हारे बदन को हाथ लगा लगा कर जल

से रागडूंगा तब तुम उत्तेजित भी हो सकती हो लेकिन तुम्हे अपनी आँखे बंद रखना होगा और अपने हाथो को अपनी

जाँघो पर रख कर मुट्ठी बाँधे रखना होगा, चाहे कितनी भी उत्तेजना लगे अपने हाथो से अपने अंगो को

च्छुना नही है, फिर मैने उसे उसके कपड़े दिए और सुधिया ने उसे बिच्छा कर उस पर बैठ गई और अपनी आँखे

बंद कर ली,

राज- बेटी क्या तुम तैयार हो

सुधिया- जी बाबा जी

राज- ठीक है अब मैं क्रिया शुरू करता हू और फिर मैने अपने लोटे से पानी लेकर सबसे पहले सुधिया के हाथो

मैं पानी लगाना शुरू किया और उसके हाथो को जब मैं उसकी गोरी बाँहो तक सहलाने लगा तो मेरा लंड कड़क

होने लगा, सुधिया गहरी साँसे लेटी हुई आँखे बंद करके बैठी थी,

राज - बेटी अपनी दोनो टाँगो को खोल कर फैला कर बैठो ताकि मैं तुम्हारे बदन के हर हिस्से को पवित्र कर सकु

मेरा इतना कहना था कि सुधिया ने अपनी मोटी मोटी टाँगो को खोल दिया और खूब फैला कर बैठ गई, सुधिया का

गुदाज फूला हुआ भोसड़ा भी पूरा खुल कर मेरे सामने आ गया और मैं उसकी फूली चूत देख कर मस्त हो गया,

उसकी चूत अंदर से पूरी लाल नज़र आ रही थी और उसकी बुर से पानी बाहर आ रहा था, मैं समझ गया रंडी अब पूरी

चुदासी हो रही है,

अब मैने अपने हाथ मे पानी लेकर सुधिया की एक टांग को हाथो मे पकड़ कर उसकी गोरी पिंडलियो को सहलाते

हुए जब उसकी मोटी मोटी गोरी जाँघो को अपने हाथो मे भर कर दबोचा तो मज़ा आ गया, इतनी गुदाज और मोटी

जंघे तो रुक्मणी की भी नही थी सच सुधिया रुक्मणी से कई गुना ज़्यादा मस्त माल थी जिसे चोदने मे वाकई

मज़ा आ जाता होगा, मैं उसकी मोटी जाँघो को खूब कस कस कर मसल रहा था और अपने हाथो को सुधिया की

जाँघो की जड़ो तक लेजाकार सहला रहा था, जी तो ऐसी कर रहा था कि उसकी फूली हुई चूत मे अपना हाथ मार दू लेकिन

मैं उसे पूरी तरह चुदासी बनाना चाहता था, बस इसी लिए उसकी गुदाज मोटी जाँघो को महसूस करता हुआ दबोच

रहा था,

कुच्छ देर तक सुधिया की मोटी मखमली जाँघो की मसाज करने के बाद मैने थोड़ा सा जल अपने हाथो मे लिया

और एक दम से सुधिया की खुली हुई फुल्ली चूत मे मार दिया, अपनी चूत पर पानी के च्चीटे महसूस करते ही सुधिया

के मूह से एक कराह निकल गई,

राज- क्या हुआ बेटी क्या तुझे उत्तेजना महसूस हो रही है, सुधिया अपने सूखे गले से थूक गटकते हुए अपनी जीभ

अपने होंठो पर फेर कर बोली नही बाबा जी मैं ठीक हू, मैने अपनी हथेली मे और जल लेकर फिर से उसकी चूत

मे ज़ोर से पानी का छिंता मारा और सुधिया के मूह से सीईइ की आवाज़ फिर से निकल गई, सुधिया का चेहरा पूरी तरह

कम वासना मे लाल हो चुका था मैं उकड़ू उसके सामने बैठा था और वह अपनी मोटी जाँघो को पूरी तरह मोड़ कर

फैलाए हुए अपने दोनो हाथो को पिछे टीका कर बैठी थी, मेरे पानी मारने से सुधिया ने धीरे से अपनी मोटी

गंद को थोडा आगे सरका कर अपनी फूली हुई चूत को और उपर उठा दिया था, मेरा लंड मेरी धोती से बाहर निकल

कर पूरी तरह तना हुआ था,

फिर मैने एक दम से सुधिया की फूली हुई चूत के उपर अपना हाथ रख कर अपनी उंगली से उसकी चूत की फांको के

बीच की दरार को सहलाते हुए पुछा

राज- क्यो बेटी क्या तुम्हे उत्तेजना हो रही है,

सुधिया- सीयी आ, नही बाबा जी मुझे उत्तेजना नही हो रही है, आप आराम से करते रहिए,

मैने सुधिया की बात सुन कर उसकी चूत को खूब कस कर दबोच लिया और सुधिया के मूह से आ सीयी ओह जैसे शब्द

निकलने लगे, मैने सुधिया के मोटे दूध को अपने हाथो मे पानी लेकर सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसकी

चूत के दाने को रगड़ते हुए फिर से पुंच्छा

राज- बेटी अब कैसा लग रहा है,

सुधिया- आ सीईइ ओह बाबा जी बहुत अच्छा लग रहा है,

राज- बेटी क्या तुमने रामू से अपनी चूत यही मरवाई थी ना,

क्रमशः........
 
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सुधिया- हाँ बाबा जी मैं यही चुदी थी अपने बेटे से,

मैं सुधिया की चूत और बोबे एक साथ खूब दबोच दबोच कर सहलाते हुए अब बिल्कुल गंदी ज़ुबान मे बाते करने

लगा था और सुधिया अपनी आँखे बंद किए हुए मुझसे अपनी चूत और बोबे दब्वा रही थी और बिना किसी झिझक

के मेरे सभी सवालो का बिल्कुल सही जवाब दे रही थी, आज मैं उसके जीवन के किसी भी रहस्य को जान सकता था,

राज- मैने सुधिया के मोटे मोटे बोबो को कस कर दबाते हुए उसकी चूत की फांको को खुरेदते हुए पुछा, बेटी

तुम्हे यह सब अच्छा तो लग रहा है ना,

सुधिया- सीईईईईईईईईईई ओह, हाँ बाबा जी बहुत अच्छा लग रहा है, आपके हाथो मे जादू है ऐसा मज़ा पहले कभी

नही मिला आ आ सीईईईईईईईई ओह बाबा जी ऐसे ही मेरी चूत को सहलाते रहिए आह आह सीईईईईईई ओह बाबाजी,

सुधिया पूरी तरह मस्ताने लगी थी और खूब ज़ोर ज़ोर से बिना किसी डर के सीसीयाने लगी थी, मैं भी पूरी मस्ती के

साथ उसके मोटे मोटे बोबे खूब दबोच दबोच कर मसल रहा था और उसकी फूली चूत की गहराई मे अपनी उंगलिया

चला रहा था,

राज- बेटी एक बात बताओ, उस दिन तुमने यहाँ से किसी दूसरे मर्द का लंड भी देखा था ना,

सुधिया- हाँ बाबा जी

राज- तो उसका लंड तुम्हे ज़्यादा मोटा लगा या अपने बेटे रामू का,

सुधिया- बाबा जी लंड तो दोनो के तगड़े थे लेकिन हरिया के लंड का सूपड़ा बहुत फूला हुआ था, जब उसका लंड

उसकी बेटी चंदा की चूत मे घुसता तो उसकी चूत पूरे सुपाडे के आकार मे फैल जाती और एक बड़ा सा छल्ला बन

जाता था,

राज- तो बेटी क्या तुम्हे उस आदमी का लंड लेने की इच्छा होने लगी थी,

सुधिया- सीईईईईईईईईई आह, हाँ बाबाजी मन तो कर रहा था कि जाकर उसके मोटे लंड से अपनी चूत मरवा लू लेकिन मेरे

पास मेरा बेटा रामू खुद बैठ कर मेरी चूत सहला रहा था और मैं उसके मोटे लंड को खूब कस कर दबोच

रही थी,

राज- बेटी एक बात बताओ, क्या तुम्हारा मन उन दोनो के लंड से भी मोटे और लंबे लंड से चुदने का मन करता है

सुधिया- आह हाँ बाबा जी मेरा मन खूब मोटे मोटे लंड से चुदने का करता है,

राज- बेटी क्या तुमने कभी उस आदमी और अपने बेटे के लंड से भी ज़्यादा मोटा लंड देखा है,

सुधिया- बहुत पहले कभी देखा था बाबाजी लेकिन अब तो शकल भी याद नही कि मोटे मोटे लंड कैसे होते है,

राज- अच्छा बेटी अब तुम्हारे बदन के पिछे के हिस्से मे जल लगा कर उसे शुद्ध करना है इसलिए तुम यहाँ

पीठ के बल लेट जाओ, सुधिया ने मेरी बात सुनते ही कहा बाबाजी क्या मैं आँखे खोल लू, तब मैने कहा बस बेटी

तुम्हारे पिछे के हिस्से मे जल लगा दू उसके बाद तुम आँखे खोल सकती हो, सुधिया मेरी बात सुन कर पेट के बल

अपने घाघरे को बिच्छा कर लेट गई,
मैने जैसे ही सुधिया की गुदाज गंद को देखा मैं तो पागल हो गया आज पहली बार इतना भारी माल मेरे सामने

पूरा नंगा लेटा हुआ था, मैने जल लेकर सुधिया की पीठ पर च्चिड़क कर हाथ फेरना शुरू कर दिया और सुधिया

अपने दोनो हाथो को अपने दूध से सताए चुपचाप लेटी हुई थी, फिर मैने थोड़ा जल लेकर सुधिया की मोटी

जाँघो और पेरो तक हाथ फेरते हुए लगाना शुरू कर दिया, उसके बाद मैने थोड़ा पानी लेकर सीधे सुधिया की

गंद के छेद मे टपकाना शुरू कर दिया और सुधिया ने तुरंत अपनी जाँघो को थोड़ा अलग कर लिया, अब मुझे

सुधिया की चूत की खुली हुई फांके भी नज़र आने लगी थी, मैने फिर से थोडा पानी लिया और इस बार उसकी चूत की

फांको के उपर डालने लगा और सुधिया का नंगा बदन तड़पने लगा,

राज- बेटी क्या उत्तेजना लग रही है,

सुधिया- बाबा जी जब आप हाथ से जल रगड़ते हो तब थोड़ी उत्तेजना लगती है,

राज- बेटी अब तुम्हे जैसे ही उत्तेजना हो तुम मर्द के उस अंग का नाम लेना जो तुम्हारे यहाँ घुसता है बस इतना कह

कर मैने सुधिया की मोटी गुदा को अपने हाथो मे भर कर सहलाना शुरू कर दिया और सुधिया एक बार फिर ज़ोर से

सीसीयाने लगी,

राज- बेटी उत्तेजना हुई ना

सुधिया- सीईईईईई आअहह बाबाजी बहुत उत्तेजना हो रही है खूब चुदवाने का मन कर रहा है, अया आह

राज- तो बेटी तुम क्या सोच रही हो,

सुधिया- सीईईईईईई आहह बाबाजी मैं बहुत उत्तेजित हो गई हू और खूब मोटे लंड से चुदवाने के लिए तड़प

रही हू,

राज- मैं उसकी मोटी गंद और चूत को खूब मसल्ते हुए, बेटी तेरी गंद और चूत वाकई बहुत सुंदर है तुझे

देख कर किसी का भी मन तुझे चोदने का होने लगे, लगता है तेरा बेटा तुझे बहुत समय से चोद रहा है,

सुधिया- आह सीयी बाबा जी आप नही जानते कि चुदने मे कितना मज़ा आता है आप तो बाबाजी ठहरे आप को क्या पता

चुदाई मे कितना मज़ा है,

राज- बेटी अब तुम उठ कर फिर से उसी पोज़िशन मे बैठ जाओ,

सुधिया उठ कर फिर से मेरे सामने उसी तरह टाँगे फैला कर बैठ गई और मैने उसकी चूत मे पूरे लोटे का

पानी डाल कर उसे अच्छी तरह धोना शुरू कर दिया और सुधिया ओह बाबा जी आह अहः सीईस सी बहुत मज़ा आ रहा

है, कितना ठंडा पानी है आपका,

राज- बेटी तुम चाहो तो मैं तुम्हे अपनी शक्ति से लंड का भी एहसास करा सकता हू, बोलो क्या तुम लंड के एहसास को

अपने मन मे महसूस करना चाहोगी और मैने सुधिया की चूत मे एक साथ तीन उंगलिया डाल कर उसकी गुदा को

अपने अंगूठे से रगड़ने लगा,

सुधिया-आह आह सिई सीई हाँ बाबा जी मैं लंड को महसूस करने के लिए तड़प रही हू,

मैने सुधिया का हाथ पकड़ कर अपने तने हुए लोदे पर रख दिया और उसकी मुट्ठी अपने हाथो से दबा कर

बंद कर दी, सुधिया ने तुरंत मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे एक बार पूरी तरह अपने हाथो मे भर कर

दबोचा और एक दम से अपनी आँखे खोल कर मेरे लंड को देखने लगी,

सुधिया की आँखे फटी की फटी रह गई मेरा लंड पूरी तरह तना हुआ था और रामू और हरिया के लंड के मुक़ाबले

बहुत विकराल नज़र आ रहा था,

सुधिया- आश्चर्या से मेरे लंड को देखती हुई, बाबा जी आपका लंड तो बहुत मोटा है,

राज- बेटी यह बाबाजी का लंड है इसलिए इतना मोटा और तगड़ा है, लेकिन बेटी तुम्हारी चूत भी तो कितनी बड़ी और फूली

हुई है, मेरी बात सुन कर सुधिया हल्के से मुस्कुरा कर फिर से मेरे लंड को देखने लगी,

राज- बेटी हमने अभी अपनी क्रिया पूरी नही की और तुमने आँखे खोल दी,

सुधिया- मुस्कुराते हुए, बाबाजी इतना बड़ा मूसल जिसके हाथ मे जाएगा उसकी आँखे तो वैसे ही डर के मारे फट

जाएगी,
राज- बेटी हम जानते है तुम्हारा मन हमारे लंड को अपने हाथो मे लेकर सहलाने का कर रहा है, हम जब तक

तुम्हे अच्छे से पवित्र करते है तुम हमारे लंड को सहला सकती हो और अपनी आँखे भी खुली रख सकती हो,

फिर मैने सुधिया की चूत को अपने हाथो मे भर लिया और सुधिया का हाथ अपने लंड पर रख लिया, सुधिया ने

मेरे मोटे लंड को अपने हाथो मे भर कर दबाते हुए अपनी आँखे बंद कर ली और मेरे लंड की पूरी मोटाई

को अच्छे से महसूस करने लगी, मैने जैसी ही सुधिया की चूत मे उंगली डाल कर आगे पिछे करना शुरू किया

सुधिया भी मेरे मोटे लंड को हिलाने लगी, सुधिया की चूत बहुत पानी छ्चोड़ रही थी और मैं उसकी चूत खूब कस

कस कर रगड़ रहा था, अब काफ़ी उजाला हो चुका था और चंदा जो कि कुच्छ दूरी पर हमे नज़र आ रही थी उठ

कर बैठ जाती है और फिर इधर उधर देख कर वह खड़ी होती है और अपनी स्कर्ट उठा कर वही ज़मीन पर मूतने

लगती है, मैने सुधिया की ओर इशारा करते हुए कहा,

राज- बेटी वह बालिका कौन है जो पेशाब कर रही है,

सुधिया- सीसियते हुए बाबा जी वह हरिया की बेटी चंदा है हरिया हमारा पड़ोसी है और रिश्ते मे मेरा देवेर

लगता है,

राज- तुमने और रामू ने मिल कर इन्ही बाप बेटी की चुदाई देखी थी ना,

सुधिया- हाँ बाबाजी उस दिन हरिया इसी चंदा को चोद रहा था,

राज- पर बेटी यह तो बहुत छ्होटी है

सुधिया- मेरे लंड को जोश से मसल्ते हुए, अरे बाबाजी काहे की छ्होटी खूब अपनी गंद उठा उठा कर अपने बाप का

लंड लेती है, बड़ी चुदासी है रंडी, तभी मैने सुधिया की गुदा मे एक उंगली डाल कर हल्के से दबाया तो मेरी

पूरी उंगली सुधिया की मुलायम गंद मे घुस गई और सुधिया ने मेरे लंड को खूब कस कर दबोचते हुए कहा

ओह बाबा जी कितना मस्त लंड है आपका अब मुझसे नही रहा जाता है, अब मुझे चोद दीजिए बाबाजी,

राज- मुस्कुराते हुए बेटी क्या तुम हमारे लंड से चुदना चाहती हो,

सुधिया- सीईईईई आह आह हाँ बाबाजी मैं आपके इस मूसल को पूरा अपनी चूत मे घुसाना चाहती हू,

राज- मैने अपनी धोती मे च्छूपे बड़े बड़े अंडकोष निकाल कर जब सुधिया को दिखाते हुए कहा बेटी क्या तुम्हे

मेरा लंड बहुत पसंद आया है,

सुधिया- एक दम से मेरे अंडकोषो को दबोच कर मेरे लंड को मसल्ते हुए कहती है हाँ बाबाजी आपका मोटा

लंड और यह बड़े बड़े गोटे बहुत ही मस्त है, बाबा जी कोई आ जाए इससे पहले मुझे खूब कस कस कर चोद

दीजिए,

राज- बेटी ठीक है तुम कहती हो तो मैं तुम्हे आज अपने मोटे लंड से चोदुन्गा, तुम आराम से किसी घोड़ी की तरह

अपने भारी चूतादो को उपर उठा कर झुक जाओ, मेरी बात सुनते ही सुधिया ने सबसे पहले मेरे मोटे लंड को झुक

कर अपने मूह मे भर कर चूस लिया और फिर तुरंत घोड़ी बन कर अपने भारी चूतादो को उपर तक उठा कर अपनी

चूत को खूब फैला कर मुझे दिखाती हुई कहने लगी बाबा जी अब डाल भी दीजिए आपके मूसल को देख कर अब

मुझसे रहा नही जा रहा है,

मैने अपने लंड को सुधिया की चूत की फांको से भिड़ा कर उपर से नीचे तक उसकी चूत और गंद मे रगड़ा और फिर

जब मैने अपने हाथो से सुधिया की मोटी गंद की दरार और फूली हुई चूत की फांको को फैला कर देखा तो

मुझसे रहा नही गया और मैने झुक कर सुधिया की गंद की दरार से लेकर चूत के फूले हुए भाग तक खूब

ज़ोर से चूसना और चाटना शुरू कर दिया,

सुधिया- ओह बाबाजी आह सीई आह आह सीईईईईईईईईईई ओह बाबा जी बहुत अच्छा लग रहा है आप तो बहुत मस्त चाटते हो

खूब चूसो बाबाजी खूब कस कर चोदो बाबाजी, मैं सुधिया की चूत और गंद को खूब दबा दबा कर चाट और चूस

रहा था, और सुधिया अपनी मोटी गंद कभी इधर कभी उधर मटका रही थी, मैने अपनी जीभ सुधिया की गंद

के छेद मे पेलना शुरू कर दिया और सुधिया खूब सीसियाते हुए अपनी गंद हिलाने लगी,

मुझे भी लगा कि अब

इसकी चूत मे लंड पेल देना चाहिए और मैने अपने लंड का सूपड़ा सुधिया की चूत से लगाया और एक करारा

धक्का मार कर अपना पूरा लंड उसकी चूत मे जड़ तक फसा दिया और सुधिया,

सुधिया- ओह बाबाजी कहते हुए अपनी गंद को अड्जस्ट करते हुए कहने लगी बाबाजी सचमुच खूब मस्त लंड है

आपका, जिस औरत की चूत मे घुसेगा उसे मस्त कर देगा, सुधिया की बात सुन कर मेरे मन मे एक दम से ख्याल

आया कि संगीता और अपनी मम्मी रति को जब मैं पूरी नंगी करके चोदुन्गा तब क्या उन्हे भी मेरा लंड मस्त कर

देगा,

राज- अब मैं सुधिया की मोटी गंद को सहलाते हुए उसकी चूत मे धीरे लेकिन खूब गहराई तक धक्के मारता हुआ

उससे पुछ्ने लगा, बेटी क्या मेरा लंड देख कर कोई भी औरत मेरे लंड को लेने के लिए तड़पने लगेगी,

सुधिया- हाँ बाबाजी आपका लोडा तो इतना मस्त है कि जिस औरत को अपना लोडा दिखा दोगे वह आपके लोड से चुदने के

लिए आपके पीछे पिछे घूमने लगेगी,

राज- बेटी तुम्हे मेरे लंड की मार अच्छी लग रही है ना

सुधिया- हाँ बाबाजी बस ऐसे ही मुझे आराम आराम से ठोकते रहिए, आपका लंड मेरी चूत मे बहुत मस्त फस फस

कर जा रहा है मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है,

राज- अच्छा बेटी यह बताओ अगर किसी औरत को चोदने का मन करे और वह औरत रिस्ते मे लगे तब उस औरत को

कैसे चोदने के लिए फसाया जाता है,

क्रमशः........
 
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गतान्क से आगे......................


सुधिया- बाबाजी हर औरत को चूत मरवाने की इच्छा होती है, पर जब औरत को बातो बातो मे कही उसकी मोटी

गंद को सहला दो कही उसके दूध पर हाथ मार दो कभी उसका चिकना पेट सहला दो, कभी अगर उसे चूमने का

मोका मिले तो अपनी जीभ निकाल कर उसे चाटने लगो और जब भी मोका मिले औरत को अपने मोटे लोदे के दर्शन

ज़रूर कर्वाओ, तब बाबाजी कैसी भी औरत हो उसकी चूत से पानी आना ज़रूर शुरू हो जाएगा, एक बार औरत आपके मोटे

लंड से चुदने के बारे मे अगर सोच लेती है तो फिर उसे भी बार बार आपके मोटे लंड को अपनी फूली चूत मे

भरने की इच्छा होने लगती है,

राज- मैने सुधिया की बात सुन कर उसकी चूत मे अपने लंड के धक्के थोड़े तेज़ी से मारना शुरू कर दिया और फिर

मैने उससे पुछा, क्या रामू से चुदने से पहले कभी तुमने उसके लंड को देखा था,

सुधिया- हाँ बाबाजी मैं तो उसके लंड को कई बार देख चुकी थी और कई बार मेरा मन उसके लंड को सहलाने और

चूसने का भी होने लगा था, आप नही जानते बाबाजी हम औरतो को ऐसे मोटे लंड से अपनी चूत कुटवाने मे कितना

मज़ा आता है,

सुधिया बहुत चुदासी लगने लगी थी और अपनी गंद उठा उठा कर मेरे लंड पर खूब झटके मार रही थी मैं

उसकी नंगी गंद को दबोच दबोच कर खूब उसे कस कस कर चोद रहा था, उसकी चूत से फॅक फॅक की आवाज़ आ

रही थी और मेरा लंड उसकी चिकनाई मे फिसल फिसल जा रहा था, कुच्छ देर बाद मैने सुधिया को सीधा होकर लेटा

दिया और जब मैने उसकी फूली चूत मे लंड डाल कर उसके नंगे बदन पर लेट कर उसके गुदाज मोटे दूध को

मसल्ते हुए उसे चोदना शुरू किया तो सुधिया ने अपनी जाँघो को मोड़ कर मुझे जाकड़ लिया और मेरे मूह को

चूमने की कोशिश करने लगी मैं अपना मूह उससे बचाते हुए उसकी बुर मे खूब कस कस कर धक्के मारने

लगा,

मुझे डर था कभी चिपकाने के चक्कर मे मेरी दाढ़ी मुछ ना निकल जाए इसलिए मैं अपना मूह उसके

चेहरे से दूर ही रख कर उसे चोद रहा था,

मेरी रफ़्तार बहुत तेज हो चुकी थी और ऐसा लग रहा था की सुधिया भी चरम पर पहुचने वाली है वह खूब

सीसियते हुए मुझसे चोदने के लिए कह रही थी,

सुधिया- आह आह सीयी सीईईई ओह बाबाजी चोदिये खूब चोदिये फाड़ दीजिए मेरी चूत आह आह आह

मैं ताबड़तोड़ उसकी बुर मे अपने लंड के धक्के दे रहा था, और तभी मैने दो तीन खूब गहरे धक्के उसकी

चूत मे मार दिए और सुधिया की चूत और मेरे लंड से पानी की फुहार छूट पड़ी और दोनो एक दम से कस कर

चिपकते हुए अपने लंड और चूत को एक दूसरे की ओर खूब दबा दबा कर रगड़ने लगे,

सच सुधिया की चूत

चोदने मे मुझे सबसे ज़्यादा मज़ा आया था, आज मैने उसके भारी बदन को यह सोच सोच कर खूब दबोचा

और मसाला था कि मेरी मम्मी रति भी जब पूरी नंगी होकर मेरे सामने आएगी तो ऐसी ही भारी भरकम जवानी

होगी उसकी,
सुधिया- नंगी पड़ी पड़ी हाफ़ रही थी और मैने अपने लंड को धोती मे वापस डाल लिया था, कुच्छ देर बाद सुधिया

को होश आया और वह भी एक दम से उठ कर बैठ गई, सुधिया मुझसे नज़र नही मिला रही थी और मैं उसकी ओर ही

देख रहा था,

राज- मैने सुधिया के गालो को सहलाते हुए कहा, क्या हुआ बेटी थक गई क्या,

सुधिया- मुस्कुराते हुए, नही बाबाजी मैं ठीक हू,

राज- बेटी तुम्हारा बेटा रामू यहा खेतो मे कब तक आता है,

सुधिया- बाबाजी वह तो अभी बहुत देर से आएगा,

सुधिया की बातो मे और भी चुदवाने की झलक नज़र आ रही थी, मैने उससे कहा बेटी क्या तुम्हे मेरे साथ

संभोग करने मे बहुत मज़ा आया है

सुधिया- मुस्कुराकर अपनी नज़रे नीचे कर लेती है

राज- मैने सुधिया की मोटी जाँघो को सहलाते हुए पूच्छा, बोलो बेटी अब तुम हमसे ना शरमाओ, और हमे

बताओ

सुधिया- हाँ बाबाजी आपका लंड बहुत मोटा है मुझे बहुत मज़ा आया

राज- बेटी अब तुम कहो तो हम उस दूसरे आदमी को अपनी शक्ति से यहाँ बुला लेते है और फिर तुम्हे उससे और मुझसे

एक साथ चुदना होगा, क्या तुम इसके लिए तैयार हो,

सुधिया- शरमाते हुए मुस्कुरकर मुझे देखती है और कहती है, बाबाजी आप जैसा कहेगे अब मैं वैसा ही

करूँगी,

राज- ठीक है बेटी अब तुम अपनी आँखे बंद कर लो और फिर से उसी तरह बैठ जाओ, हम अभी अपनी शक्ति से उस आदमी

को यहाँ बुला लेते है जो तुम्हारा यह राज गुप्त रखेगा, फिर मैने कुच्छ देर अपनी आँखे बंद करके ध्यान

लगाया और फिर अपनी आँखे खोल कर सुधिया की ओर देखा जो कि आँखे बंद किए हुए बैठी थी,

राज- बेटी हमने अपनी शक्ति से यह मालूम कर लिया है कि वह आदमी भी तुम्हे काफ़ी दिनो से चोदना चाहता है

मेरी बात सुन कर सुधिया ने तुरंत आँखे खोली और कहने लगी कौन है बाबाजी वह

राज- बेटी वह कोई और नही बल्कि तुम्हारा देवेर हरिया है,

सुधिया- अपनी आँखे फाडे मुझे देखती हुई, क्या हरिया मुझे चोदना चाहता है,

राज- हाँ बेटी हमने अपनी शक्ति से सब देख लिया है और हरिया ही एक ऐसा आदमी है जो इस पूरे गाँव मे सबसे

ज़्यादा तुम्हे चोदने के लिए तड़प्ता है, अब बताओ बेटी क्या तुम हरिया से अपनी चूत मर्वओगि,

सुधिया- लेकिन बाबाजी यह कैसे होगा कही उसने किसी को कह दिया तो और फिर उसके सामने मुझे शरम भी आएगी,

राज- नही बेटी मैं देख रहा हू वह तुम्हे बहुत चाहता है और वह तुम्हारे बारे मे कभी किसी को नही कहेगा

और रही बात शर्म की तो तुम अपनी आँखे बंद कर लो मैं उसे बस कुच्छ ही समय मे पूरा नंगा तुम्हारे सामने

खड़ा कर दूँगा, बोलो अब तैयार हो ना,

सुधिया- अपने सूखे होंठ गीला करती हुई, ठीक है बाबाजी जैसी आपकी आग्या,

सुधिया फिर से आँखे बंद करके बैठ जाती है और मैं उसका मस्त भोसड़ा देखते हुए हरिया को खड़ा होकर

इधर उधर देखने लगता हू, जब मुझे हरिया नज़र नही आता है तब मैं सुधिया को यह कह कर खेत से बाहर

आ जाता हू कि मैं अभी इस लोटे मे जल लेकर आता हू, सुधिया कहती है बाबाजी हमारी झोपड़ी के पास के पाइप से पानी

भर लीजिएगा,

मैं जब वहाँ से बाहर आकर इधर उधर देखता हू तब मुझे दूर से हरिया आता हुआ नज़र आता है और मेरी जान

मे जान आती है, हरिया का मूह देखने लायक था और वह निराश लग रहा था,
राज- अरे हरिया कहाँ घूम रहे हो,

हरिया- अरे क्या बताए बाबाजी हम तालाब पर गये थे लेकिन वहाँ सुधिया भाभी का तो कोई पता ही नही है

राज- हरिया- माफ़ करना हमने सोचा तालाब का स्थान ठीक नही रहेगा इसलिए थोड़ा प्लान चेंज करके हम सुधिया

को तुमसे चुदवाने के लिए यही ले आए है, तुम अपनी बेटी चंदा को किसी काम मे लगा कर चुपचाप रामू के

गन्नो के खेत के बीचो बीच आ जाओ मैं वही तुम्हारा इंतजार कर रहा हू,

मेरे इतना कहते ही हरिया के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई और उसने जेब से चिलम निकाल कर कहा बाबूजी

पहले थोड़ा सा इसका मज़ा ले ले तब उस घोड़ी को चोदने मे ज़्यादा मज़ा आएगा, मुझे भी लगा की हरिया की चिलम

पी कर नशा तो मस्त आता है,

इस बार मेरा मूड सुधिया की गुदाज मोटी गंद मारने का था इसलिए मैने भी हरिया

से कहा ठीक है जल्दी से बना लो सुधिया मेरी राह देख रही होगी उसे मैं गन्नो के बीच नंगी ही बैठा कर आया

हू, हरिया कहने लगा, मान गये बाबू जी आपको, एक बार हम सुधिया की चूत मार ले फिर देखना बाबूजी आप हमसे

जो कहोगे हम करेगे आख़िर आपका इतना बड़ा एहसान जो हम पर रहेगा,

हम दोनो ने बाते करते हुए चिलम पी और पीकर एक दम मस्त हो गये,

हरिया- अपनी लाल आँखो से मेरी ओर देख कर, सच बाबूजी इसको पीते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है आप चलिए

मैं दो मिनिट मे आ गया,

मैं वापस वही पहुच गया और सुधिया के सामने बैठ गया जो आँखे बंद किए बैठी थी,

राज- बेटी अब तैयार हो जाओ मैं हरिया को अपनी शक्ति से यहाँ बुला रहा हू,तुम बस आराम से लेट जाओ और अपनी

जाँघो को खूब अच्छे से फैला लो, और फिर जब सुधिया ने अपनी चूत को उठा कर फैला लिया तो मैने उसके मस्त

उठे हुए भोस्डे मे हाथ मारते हुए कहा बेटी आज तुम्हे अपने इन दोनो छेदो मे लंड लेना है, क्या तुम

तैयार हो,

सुधिया- हाँ बाबाजी मैं पूरी तरह तैयार हू, सुधिया की बुर मेरी बातो से फिर से पिघलने लगी थी तभी धीरे से

हरिया मेरे पास आ जाता है और जब वह सुधिया को पूरी नंगी अपनी मस्त चूत फैलाए लेटा हुआ देखता है तो

उसके होश उड़ जाते है, उसकी नशीली लाल आँखो मे एक चमक सी आ जाती है, वह मेरी ओर मुस्कुराकर देखता है

और फिर अपने खड़े लंड को धोती के उपर से मसलता हुआ मुझसे इशारे से पुछ्ता है कि अब मैं क्या करू,

मैने हरिया को पूरा नंगा होने का इशारा किया और हरिया ने तुरंत अपनी धोती हटा कर अपने मोटे लंड को

बाहर निकाल लिया, अब मैने हरिया को सुधिया की फूली हुई चूत को चाटने का इशारा किया और हरिया ने अपने

काँपते हाथो से जब सुधिया की मोटी गुदाज जाँघो को मसला तो वह खुशी के मारे मुझे देखते हुए झुक कर

सुधिया की बुर को पागलो की तरह फैला कर चूसना शुरू कर देता है,

सुधिया- आह बाबाजी बहुत अच्छा चाटते है आप, पर अभी तक हरिया क्यो नही आया,

राज- बेटी तुम अपना मूह खोलो हम तुम्हे मस्त मीठा गन्ना चूसाने वाले है मेरा इतना कहना था कि सुधिया

ने अपनी आँखे खोल कर अपना सर उठा कर नीचे देखा तो उसकी साँसे थम गई हरिया उसकी बुर को खूब फैला

फैला कर चाट रहा था, मैने सुधिया को इशारे से चुप रहने को कहा और अपने लंड को निकाल कर सुधिया के

मूह के पास उकड़ू बैठ गया और सुधिया मेरे लोदे को अपना मूह खोल कर पीने लगी,

हरिया सुधिया की चूत को पूरी खोल कर उसका रस चूस रहा था और उसकी चूत के दाने को अपने होंठो से दबा

दबा कर कभी खिचता और कभी उसे चूसने लगता, हरिया जितनी ज़ोर से सुधिया की चूत चाटता और चूस्ता था

सुधिया भी जोश मे आकर मेरे लंड को उतनी ही तेज़ी से दबा दबा कर चूसने लगती थी वह मेरे सूपदे को खूब

चूस चूस कर लाल कर चुकी थी और मैं उसके पास बैठा उसके मोटे मोटे दूध खूब दबोच कर मसल रहा था,

कुच्छ देर बाद मैने हरिया को कहा बेटा तुम अब सीधे खड़े हो जाओ और सुधिया बेटी तुम खड़ी होकर हरिया के

लंड को चूसो,

सुधिया ने शरमाते हुए हरिया की ओर देखा जिसकी नज़र सुधिया की मस्त फूली हुई चूत पर ही टिकी थी,

राज- बेटा हरिया सुधिया तुमसे शर्मा रही है ज़रा तुम खुद अपनी सुधिया भाभी को उठा कर अपने सीने से लगा

लो वह बहुत तड़प रही है तुम्हारे नंगे बदन से चिपकने के लिए,

हरिया- बाबाजी हम तो आपके भक्त है आप जो कहोगे करेगे और वैसी भी हम तो अपनी सुधिया भाभी को पूरी

नंगी करके कब से चोदने के लिए तड़प रहे है और फिर हरिया ने सुधिया को खड़ी करके उसे अपने सीने से

चिपका लिया और मैने मोका देखते ही सुधिया की मोटी गंद से अपने लंड को सटा कर उसके पिछे से चिपकते

हुए कहा

राज- सुधिया बेटी

सुधिया- जी बाबा जी

राज- बेटी अब क्या तुम दो मर्दो से एक साथ चुदने के लिए तैयार हो, और फिर मैने अपने हाथो से सुधिया की

गुदा को फैला कर उसकी गुदा को सहलाना शुरू कर दिया, उधर हरिया सुधिया के बोबे मसलता हुआ उसके होंठो

को चूसने की कोशिश करने लगा,

राज- बेटी अब तुम्हे अच्छा लग रहा है कि नही

सुधिया- आह बाबा जी बहुत अच्छा लग रहा है

हरिया- भौजी तुम्हारी चूत भी बहुत मस्त है, कितना मस्त बदन है तुम्हारा पूरी नंगी करके चिपकाने मे

मज़ा आ जाता है,

राज- हरिया अब तुम लेट जाओ और सुधिया को अपने लंड पर बैठा लो, मेरी बात सुनते ही हरिया लेट गया और सुधिया

उसके लंड पर बैठ गई और उसके मूह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गई, हरिया का लंड सुधिया की चिकनी चूत मे

पूरा घुस चुका था, हरिया ने नीचे से धक्के मारते हुए सुधिया को थोड़ा आगे झुका कर उसके मोटे मोटे

पपितो को खूब कस कस कर मसलना शुरू कर दिया,

मैं सुधिया की मोटी गंद के पास आकर बैठ गया और उसकी मस्त गुदाज मखमली गंद को अपने हाथो से दबाते

हुए उसकी भूरे रंग की बड़ी सी गुदा को सहलाने लगा, सुधिया ने हरिया के लंड पर कूदते हुए मेरे लंड को कस

कर अपने हाथो मे दबोच कर मसलना शुरू कर दिया,

क्रमशः........
 
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मैने अपनी उंगली पर थूक लगा कर सुधिया की गंद मे दबा दी और मेरी उंगली सुधिया की मुलायम कसी हुई गंद

मे समा गई, मैं सुधिया की गुदा मे उंगली अंदर बाहर करने लगा और सुधिया आह आह करती हुई सीसीयाने लगी,

सुधिया की चूत को हरिया बराबर नीचे से चोदे जा रहा था और उसके मोटे मोटे दूध को खूब चूसे जा रहा

था,

मैं लगातार सुधिया की गुदाज मोटी गंद को दबाते हुए उसकी गुदा मे उंगली डाल रहा था, जब मैने देखा कि

अब सुधिया खूब कूदने लगी है और खूब सीसियाते हुए हरिया को ज़ोर ज़ोर से चोदने को कहने लगी है तब मैने

अपने मोटे लंड पर खूब सारा थूक लगा कर उसे सुधिया की गुदाज गंद मे लगा कर एक कस कर धक्का उसकी गुदा

मे मार दिया और मेरे लंड का मोटा सूपड़ा सुधिया की गुदा खोल कर उसमे फिट बैठ गया,

सुधिया- ओह बाबाजी मार डाला रे आह सीईइ सीईईईईईईईईई आह ओह

हरिया- उसके मोटे मोटे दूध दबाते हुए, क्या हुआ भौजी बाबाजी ने तुम्हारी गंद मे लंड फसा दिया क्या,

सुधिया- हाँ रे हरिया बाबाजी का बहुत मोटा है पूरी गंद फाडे डाल रहा है,

हरिया- तो क्या हुआ भौजी तुम्हारी गंद है भी तो कस कर मोटे लंड से चोदने लायक, मैं तो कब से तुम्हारी इस

मोटी गंद को खूब कस कस कर चोदना चाहता हू,

सुधिया- आह आ हरामी मैं तो पहले से जानती थी जब तू मुझे जाते हुए मेरे चूतादो को खूब घूरा करता था

हरिया- बाबाजी कैसी है हमारी रामू की मा की मोटी गंद

राज- मैने हरिया की बात सुनी और एक दूसरा धक्का कचकचा कर सुधिया की मोटी गंद मे मार दिया और फिर क्या

था मैं तो समझो मस्त हो गया मेरा पूरा लंड सुधिया की गंद ऐसे जकड़े हुए थी जैसे निचोड़ के रख देगी

सुधिया- आआआआआआ ओह बाबाजी मैं मर जाउन्गि बाबाजी निकाल लो बहुत मोटा लंड है तुम्हारा,

सुधिया की बात सुन कर हरिया समझ गया कि मैने उसकी गंद मे लंड फसा दिया है और हरिया उस घोड़ी को अपने

लंड पर बैठाए उसके दूध के निप्पल को चूस्ता हुआ दबाने लगा, इधर मैं रुका नही और धीरे धीरे अपने लंड

को थोडा बाहर लाता और फिर गच्छ से सुधिया की गुदा मे घुसा देता,

सुधिया कुच्छ ऊह आह सीई ओह बाबाजी आह आह सीयी की आवाज़ निकल रही थी, तभी मैने थोड़ा लंड बाहर खींचा और

कस कर सुधिया की गंद मे मार दिया और सुधिया सीधे हरिया के सीने पर अपनी मोटी मोटी चूचियाँ रख कर

लुढ़क गई, हरिया ने सुधिया की पीठ के आसपास अपने हाथ लेजकर उस गुदाज औरत को अपनी छाती से खूब कस के

जाकड़ लिया और अपनी कमर उठा उठा कर सुधिया की चूत मे लंड पेलने लगा,

अब मुझे ज़्यादा मज़ा आ रहा था, मैं उकड़ू बैठा सुधिया की गंद चोद रहा था और वह रंडी हरिया के उपर

लेटी हुई अपनी चूत और गंद हम दोनो से मरवा रही थी, उसकी सिसकारियो से ऐसा लग रहा था कि उसे बहुत मज़ा आ

रहा है,

तभी मैं भी सुधिया की मोटी गंद मे लंड फसाए उसके उपर लेट गया और उसकी चिकनी पीठ से चिपक

कर खूब गहराई तक सुधिया की गंद मे अपने लंड की घुसाने लगा,

मैं उपर से सुधिया की गंद मे खूब तबीयत से लंड पेल रहा था, मेरे पूरे बदन का वजन सुधिया के जिस्म

पर था और नीचे से हरिया अपनी पूरी ताक़त से सुधिया की चूत मे लंड पेल रहा था, हरिया और मैं दोनो पूरी

ताक़त से नीचे से और उपर से सुधिया की गंद और छूट को उसके नंगे बदन को खूब दबा दबा कर ठोक रहे

थे और सुधिया, ओह ओह आ आ सीईसीई स स आ आ हरिया दूध दबा ना, आ आ ओह बाबा जी बहुत मज़ा आ रहा

है और ठोकिए बाबाजी और चोदिये पूरी गंद फाड़ दीजिए मेरी,

सुधिया की बाते मेरा और हरिया का जोश और बढ़ा रही थी और हम दोनो उपर से और नीचे से उसकी गंद और चूत

को खूब ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे,
हरिया जहाँ उसकी चूत मे लंड को दबाने की कोशिश कर रहा था वही मैं पूरी

आज़ादी के साथ सुधिया की गंद चोद रहा था, अब मेरा लंड बड़ी आसानी से सुधिया की गंद मे जा रहा था और

उसकी चूत खूब पानी छ्चोड़ रही थी, हरिया ने सुधिया के होंठो को चूसना शुरू कर दिया तब सुधिया थोड़ा

उपर अपने सीने को उठाने लगी तभी मैने उसके दूध को नीचे हाथ लेजाकार पकड़ लिया और कस कस कर तीन चार

धक्के सुधिया की गंद मे मार दिए और सुधिया धदाम से हरिया की छाती से चिपक गई और हरिया ने नीचे

से कस कस कर तीन चार धक्के मारे और उसको खूब कस कर दबोचते हुए मुझसे कहने लगा

हरिया- बाबाजी लगता है भौजी मूतने वाली है,

राज- हरिया अपनी भौजी से पुंछ लो अगर मूतने वाली हो तो हम तीनो एक साथ मुतेन्गे और आज तुम्हारी भौजी की

गंद और चूत को अपने रस से भर देंगे,

हरिया- सुधिया के मूह को उठा कर चूमते हुए, बोलो भौजी तुम मूतने वाली हो ना

सुधिया- सीयी आहह आहह हाँ रे हाँ रे हरिया खूब चोद मैं अब मूतने वाली हू जल्दी चोद कमिने नही तो तेरे मूह

मे मूत दूँगी,

हरिया- मूत दे ना भौजी मैं तो कब से तेरी चूत से मूत पीने को तरस रहा हू, एक बार मैने तुझे छुप कर

मुतते हुए देखा था बस तब से तेरी मोटी धार का मैं दीवाना हो गया हू,

राज- हरिया अब एक साथ मैं और तुम सुधिया बेटी की चूत और गंद को चोद्ते हुए अपना पानी निकालेंगे और फिर

मैने उसकी गंद मे सतसट धक्के मारना शुरू कर दिया और नीचे से हरिया खूब खचा खच लंड पेलने

लगा और सुधिया अपनी जाँघो को और भी खोल कर बुरी तरह गंद हिलाने लगी वह कभी अपनी गंद उपर मारने की

कोशिश करती और कभी नीचे मारने की कोशिश करती, फिर सुधिया के मूह से एक गहरी कराह निकल गई और वह बुरी

तरह हरिया से चिपक गई, मैने भी सुधिया को पूरी तरह जाकड़ लिया और उसकी गंद मे अपने लंड को खूब

गहराई तक ठोक कर अपने पानी को छ्चोड़ना शुरू कर दिया, उधर हरिया ने भी सुधिया की चूत मे अपने लंड को

खूब अंदर तक पेल कर अपना पानी निकाल दिया और फिर मैं और हरिया सुधिया को उपर और नीचे से नंगी अपने

बीच मे दबाए हाफ्ते हुए पड़े रहे,

कुच्छ देर बाद मैं उठा और जब मैने सुधिया के भारी चूतादो को देखा तो वह पूरे लाल हो चुके थे,

मेरे उठने के बाद भी सुधिया हरिया के उपर पड़ी हाफ़ती रही, फिर मैने जल्दी से अपनी धोती पहनी और फिर सुधिया

भी उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी, हरिया ने अपनी धोती पहन कर कहा बाबाजी हम चंदा के पास जा रहे है

आप हमे भी आशीर्वाद देते हुए जाना,

हरिया वहाँ से उठ कर चला जाता है और फिर मैं सुधिया को हाथ पकड़ कर उठा लेता हू और

राज- बेटी तुम ठीक तो हो ना

सुधिया- मुस्कुराते हुए अपनी नज़रे झुका कर, हाँ बाबाजी

राज- बेटी हमने अपना वादा पूरा कर दिया अब हमे भी यहा से प्रस्थान करना होगा क्यो कि हम सिर्फ़ तुम्हारी

खातिर रुके थे अब हमे किसी और का भला करने के लिए जाना होगा,

सुधिया- बाबाजी फिर कब पधारेंगे आप

राज- बेटी हमने तेरे सुख के लिए ही हरिया के दिमाग़ को घुमा कर तेरा दीवाना बना दिया है, अब रामू के अलावा

जब भी तेरा दिल करे तू हरिया से अपनी इच्छा पूरी करवा लेना और शरमाना मत, तू शरमाती बहुत है,

सुधिया- बाबाजी मुझे तो आपकी याद हमेशा आएगी, अब आप कब आओगे

राज- बेटी तू फिकर मत कर हम तो इतनी शक्ति लेकर घूमते है कि कभी भी किसी भी रूप मे आकर हम तुझे अपने

मोटे लंड से भरपूर आनंद पहुचाएगे, अभी तू हमे जानती नही है, तू कहे तो हम किसी जवान लोंडे के रूप

मे आकर भी तुझे चोद सकते है,
सुधिया- क्या आप सच कह रहे है बाबा जी

राज- तूने देखा ना हमने अपनी शक्ति से हरिया को यहा बुलाया और उसके दिमाग़ को कैसे घुमा दिया है कि उसने

एक बार भी तुझसे कोई सवाल किया या और किसी को बताने के बारे मे सोचा है,

सुधिया- आप सच कहते है बाबाजी नही तो हरिया जैसा कमीना मुझे नंगी देख कर ना जाने क्या क्या कहता आज

आपने मुझे धन्य कर दिया बाबाजी और फिर सुधिया मेरे पेरो मे गिर गई,

मैने उसकी गोरी बाँहो को पकड़ कर उसे उठाया और उसके भरे हुए गालो को सहलाते हुए कहा बेटी अब तुम यहाँ

से जाओ हम भी यहाँ से अब निकलते है,

सुधिया- बाबाजी जब भी आप आओ मेरे घर ज़रूर आना,

सुधिया की चुदाई तो बड़े मस्त तरीके से हमने की लेकिन वह अब भी यही समझ रही थी कि मैं बहुत पहुचा

हुआ आदमी हू और वह मुझसे बहुत प्रभावित थी, उसके जाने के बाद मैं हरिया के पास पहुचा जहाँ मुझे

हरिया ने पानी पिलाया उसके बाद मैने हरिया के साथ एक चिलम और लगाई,

हरिया- वाह बाबू जी मान गये आपको, लेकिन अभी भी हमारा मन सुधिया को और चोदने का कर रहा है बाबूजी

राज- हरिया - हमने उसके सर पर ऐसा हाथ फेरा है कि अब जब भी तुम्हे मोका मिले तुम सुधिया को चोद लेना

वह खुद तुमसे आगे रह कर चुदवायेगि,

हरिया- सच बाबूजी, यह आपने हम पर बड़ा उपकर किया है, अब देखना बाबूजी मैं कैसे दिन रात सुधिया को

खेतो मे नंगी करके चोद्ता हू,

राज- लेकिन रामू का क्या करोगे,

हरिया- कुच्छ नही बाबूजी रामू को चंदा के साथ अपने घर भेज दिया करूँगा वह भी चंदा और रुक्मणी के

साथ मस्ती मार लेगा आख़िर मेरा परिवार का खून ही तो है,

राज- मुस्कुराते हुए वाकई हरिया भाई तुम बहुत बदमाश आदमी हो

हरिया- हस्ते हुए लेकिन बाबूजी आपसे ज़रा सा कम,

मैने हरिया की बात सुन कर उसकी पीठ ठोकते हुए कहा ठीक है हरिया अब मैं ज़रा अपनी साइट पर जा रहा हू और

शाम को घर निकलूंगा, वहाँ मम्मी और संगीता परेशान होगी,

हरिया- बाबूजी काम के चक्कर मे इधर आना मत भूलिएगा और कैसा भी काम हो बस एक बार कहिएगा हरिया

आपके लिए जान भी लगा देगा,

राज- अरे हरिया तुमने इतना कह दिया यही बहुत है, फिर भी कभी ज़रूरत पड़ी तो तुमसे ही कहूँगा, अच्छा अब

मैं चलता हू और फिर मैं तालाब के पास आ गया, मजदूर आ चुके थे और मैने उन्हे काम पर लगा दिया,

दोपहर को जैसे तैसे समय गुजरा और शाम के 4 बजते ही मैं घर की ओर भाग गया,

जब मैं घर पहुचा और मैने दरवाजा अंदर ढकाया तो वह खुल गया और मैं सीधे अंदर चला गया, मैं

वैसे तो जाते ही संगीता को आवाज़ देने लगता था लेकिन आज मैं चुपचाप जब अंदर पहुचा तो मुझे हॉल मे कोई

नही दिखा और जब मैं मम्मी के रूम की ओर बढ़ा और मैने जैसे ही मम्मी के रूम के पर्दे को थोड़ा सा

हटा कर अंदर देखा तो........

अंदर मम्मी मिरर के सामने केवल एक पिंक कलर की ब्रा और पॅंटी पहने अपने गुदाज चिकने बदन को देख रही

थी,

मैं तो मम्मी को ब्रा पॅंटी मे देख कर एक दम से पागल हो गया, मेरा लंड पूरी तरह तन कर खड़ा हो

गया और मेरी मम्मी अपने सुडोल भारी भरकम चूतादो को कभी इधर कभी उधर करके मटका रही थी,

सुधिया को नंगी देख कर मुझे भारी भरकम शरीर वाली औरते अच्छी लगने लगी थी लेकिन मम्मी का शरीर तो

सुधिया से भी जबरदस्त था, मम्मी की मोटी-मोटी गोरी जाँघो ने मुझे पागल कर दिया उनका उठा हुआ पेट और

मोटे-मोटे दूध बहुत सुडोल और गोरे लग रहे थे, कुच्छ देर तक अपने जिस्म को शीशे मे निहारने के बाद

मम्मी ने पास मे पड़े पेटिकोट को उठा कर पहन लिया और फिर ब्लौज और उसके बाद अपनी साडी लपेटने लगी तभी

मैने आवाज़ लगा दी,

राज- मम्मी क्या कर रही हो

रति- अरे राज आ गया तू, क्या बेटा बिना बताए गोल हो जाता है हम मा बेटी को कितनी फिकर हो रही थी,

मैं मम्मी के पीछे से उन्हे अपनी बाँहो मे भर कर उनके गालो को चूमते हुए सॉरी कहने लगा,

मम्मी ने

अपनी साडी बाँधते हुए मेरे गालो को जब चूमा तो उसके रसीले होंठो और उसके बदन से उठने वाली मादक

गंध ने मेरे लंड को पूरी तरह कड़ा कर दिया था, मुझे बार बार मम्मी केवल पॅंटी मे अपनी मोटी गंद

मतकते हुए नज़र आ रही थी, दिल तो ऐसा कर रहा था कि मम्मी की फूली हुई चूत को पॅंटी के उपर से पकड़ कर

मसल दू लेकिन मैं कंट्रोल किए हुए मम्मी से पुच्छने लगा, मम्मी संगीता कहाँ है,

रति- बेटे वह अपनी सहेली के यहाँ गई है तू हाथ मूह धो ले मैं चाइ बना कर लाती हू, मैने मम्मी को गौर से

देखा,

बड़ा मस्त माल लग रही थी, उसके भरे हुए मदमस्त जिस्म के आयेज सुधिया की गदराई जवानी भी फैल थी

और सबसे ज़्यादा जानलेवा तो मम्मी के मोटे मोटे चूतड़ थे जिन्हे अभी भी वह इधर उधर घूमते हुए मटका

कर चल रही थी,

क्रमशः........
 
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गतान्क से आगे......................


मम्मी को जब मैने पॅंटी मे देखा तो मैं उसके चूतादो को देख कर मस्त हो गया उसके गोल

मटोल चूतादो मे गजब का माँस भरा हुआ था साली के मस्त चूतादो को दबोचने मे मज़ा आ जाता होगा,

मैने लूँगी पहन ली लेकिन मेरा लंड पूरी लूँगी को उपर तक टाने हुए था, मैं सोफे पर बैठा हुआ था और वहाँ

से तिर्छि नज़र से किचन की ओर देख रहा था जहाँ पर मम्मी खड़ी चाइ बना रही थी,

मैने देखा मम्मी

बीच बीच मे अपनी चूत को साडी के उपर से कभी दबाती और कभी खुजलाने लगती थी, ऐसा एक बार नही कई बार

वह कर रही थी और जब वह अपनी चूत को खुजलाने लगती तब मैं उसके चेहरे के भाव देख कर पागल होने लगता

था,

मम्मी अपनी चूत को खुजलाते हुए ऐसा मस्ती भरा चेहरा बना लेती कि मेरा दिल करता कि अभी जाकर अपनी

मम्मी रति के रसीले होंठो को खूब कस कर चूस लू, तभी मम्मी एक दम से किचन से मेरे पास आई और अपना

मूह थोड़ा खोले हुए कहने लगी राज ज़रा मेरे मूह मे देख मेरी जीभ पर बाल लगा हुआ है क्या और मम्मी

जैसे ही मेरे सामने झुकी उसके मोटे मोटे खूब कसे हुए दूध मेरी आँखो के सामने झूलने लगे,

मैरा लंड

पूरी तरह लूँगी मे तन कर एक बड़ा सा तंबू बनाए हुए था, मम्मी ने अपने खूबसूरत चेहरे को मेरे

सामने झुका कर अपनी जीभ जब बाहर निकाल कर दिखाई तो मैं मस्त हो गया, अपनी मम्मी की रसीली गुलाबी जीभ

देख कर मेरा दिल करने लगा कि अभी उसकी जीभ को अपने मूह मे भर कर चूस लू,

मैने मम्मी के गुलाबी गालो को छु कर उसके होंठो पर उंगलिया फेरते हुए उसकी जीभ मे लगे बाल को धीरे

से पकड़ कर निकाल दिया, बाल निकालने के बाद मम्मी मेरी ओर देख कर मुस्कुराते हुए अंदर चली गई जब वह

जाने लगी तो फिर से मेरी नज़र मम्मी की मोटी लचकति गंद पर चली गई और मैं अपने लंड को लूँगी के उपर से

सहलाते हुए मम्मी की उफान लेती जवानी को देख रहा था,

मेरा लंड आज बहुत मस्त खड़ा हुआ था और मैं सोच

रहा था कि मेरी खुद की मम्मी इतनी सेक्सी और मस्तानी है और मेरी नज़र कभी उस पर पड़ी क्यो नही, अब मैं

मम्मी का नंगा पेट जो उसकी साडी से काफ़ी बाहर था और उसकी गुदाज गहरी नाभि साफ नज़र आ रही थी को देख कर

मस्त हो रहा था,

तभी अचानक बाहर का दरवाजा खुला और संगीता अंदर आ गई और मुझे देखते ही दौड़ कर मेरे पास आकर

मेरी जाँघो पर अपने हाथ को रख कर कहने लगी क्या भैया कहाँ गायब हो गये थे,

आपके बिना तो अच्छा ही

नही लग रहा था, मैने संगीता को उपर से नीचे तक देखा तो मेरा लंड और झटके मारने लगा, संगीता ने रेड

कलर की चुस्त टीशर्ट पहनी हुई थी और उसके अंदर ब्रा नही थी उसके मोटे मोटे पके हुए ठोस आम साफ नज़र आ

रहे थे और उन्हे देख कर किसी का भी मन उसके रसीले आमो को खूब दबा दबा कर चूसने का करने लगे,

नीचे संगीता ने एक स्कर्ट जो कि ब्लॅक कलर का था पहन रखा था जो कि उसके घुटनो तक आता था, मैने अपने

हाथ को संगीता की पीठ पर फेरते हुए उसे सहलाते हुए कहा, मेरी गुड़िया रानी को लगता है अपने भैया की

बहुत याद आती है,

तभी मम्मी उधर से आ गई और मम्मी ने जो कहा उसको सुन कर किसी भी भाई का लंड अपनी बहन के लिए खड़ा

हो जाए,

रति- राज क्यो नही याद करेगी संगीता तुझे, आख़िर तेरी एक ही तो बहन है, उसे खूब लड़ प्यार से रखा कर और

उसे खूब प्यार किया कर, मम्मी की बात सुन कर मेरा लंड झटके लेने लगा और मैने संगीता की कमर मे हाथ

डाल कर उसे खींच कर अपनी गोद मे चढ़ा लिया और उसके मोटे मोटे दूध को अपने दोनो हाथो को आगे लेजाकार

अपने हाथो की गिरफ़्त मे लेकर संगीता के गालो को चूमते हुए मम्मी के सामने ही मैं कहने लगा
राज- मम्मी जहाँ मेरी ड्यूटी है वहाँ खूब मोटे मोटे गन्ने के खेत है,

रति- बेटे किसी दिन अच्छे मोटे मोटे गन्ने ले कर आ जा हम दोनो मा बेटियाँ यही बैठ कर चूस लेगी

राज- नही मम्मी ऐसे मज़ा नही आता है जब ताजे ताजे गन्ने वही तोड़ तोड़ कर चूसो तब ज़्यादा मज़ा आता है,

संगीता तू कहे तो कल तुझे गाँव घुमा देता हू

रति- पर बेटा वहाँ तू काम करेगा कि संगीता को लिए लिए फ़िरेगा

राज- नही मम्मी गाँव वाले मेरी खूब इज़्ज़त करते है और वहाँ तो गाँव के खेतो मे खूब मज़ा आता है देखना

संगीता एक बार वह गई तो बार बार जाने को कहेगी,

संगीता- खुशी से उछलते हुए प्लीस भैया मुझे ले चलो ना मैने कभी भी गन्ने के खेत भी नही देखे

है,

प्लीज़ मम्मी भैया से कहो ना कल मुझे भी घुमा लाए,

रति- ठीक है राज कल संगीता को चुस्वा देना गन्ने मैं फिर कभी चलूंगी,

राज- ठीक है मम्मी और फिर मम्मी वहाँ से चली जाती है और संगीता मेरी गोद मे

बैठी रहती है मैने देखा

कि अब संगीता जानबूझ कर मेरे लंड पर इधर उधर मचल रही थी,

संगीता- भैया क्या खूब मीठे मीठे गन्ने है वहाँ,

राज- मैने धीरे से संगीता के गुदाज पेट और उसकी कमर को सहलाते हुए कहा, हाँ मेरी रानी बहना एक बार तू

चुसेगी ना तो बार बार मुझसे कहेगी कि भैया एक बार मुझे और चूसा दो

संगीता- फिर तो भैया मैं खूब चुसुन्गि,

राज- लेकिन मेरा मन गन्ने चूसने का नही करता है

संगीता- मेरी ओर देख कर पुच्छने लगी, तो फिर भैया आपका क्या चूसने का मन करता है

राज- मैने संगीता के मोटे-मोटे दूध को देखते हुए कहा मेरी बहना मेरा मन तो मोटे-मोटे आम को

चूसने का करता है, मेरी नज़रो को संगीता समझ गई और अपनी नज़रे नीचे झुका कर इधर उधर देखने लगी

मैने धीरे से संगीता के दोनो मोटे मोटे दूध को उसकी टीशर्ट के उपर से हल्के से पकड़ लिए तो संगीता की

साँसे तेज चलने लगी, वह मेरी गोद से उठने की कोशिश करने लगी उसका चेहरा पूरी तरह तमतमाया हुआ था और

उसके रसीले होंठ कांप रहे थे,

मैं चाह रहा था कि संगीता के दूध को खूब कस कर मसल दू लेकिन हिम्मत इसके आगे हो नही रही थी,

राज- मैने धीरे से संगीता के कानो मे कहा, संगीता अपने भैया की गोद मे . बहुत अच्छा लगता है ना

संगीता अपना सर झुकाए बैठी थी और मेरी बात सुन कर मेरे लंड के उपर से उठने लगी, मैने उसका हाथ पकड़

लिया तब उसने पलट कर मुझे अपनी कातिल निगाहो से देखा और मेरी और मुस्कुरा कर कहने लगी भैया मैं अभी

आती हू,

मैने उसे प्यार से देखते हुए छ्चोड़ दिया और वह अपने रूम मे चली गई, मैं . बैठे अपने लंड को सहला

रहा था और मुझे ना जाने क्यो ऐसा लग रहा था जैसे संगीता मुझसे जल्दी ही अपनी चूत मरवा लेगी, उसके हाव

भाव और उसका बार बार मेरे पास आना, यह सब देख कर मुझे लग रहा था कि संगीता जितनी नज़र आ रही है उतनी

है नही,

मेरे ख्याल मे वह मेरा लंड अपनी चूत मे लेने के लिए मचल रही थी, उपर से मम्मी भी किचन

मे कई बार अपनी चूत खूब सहलाते और खुजलाते हुए ऐसी लग रही थी जैसे खूब चुदासी हो और खूब तगड़ा लंड

अपनी चूत मे लेना चाहती हो,

कुच्छ देर बाद मैं अपने रूम मे आ गया और सोचने लगा चलो थोड़ी देर आराम

करते है,

शाम को 6 बजे मैं घूमने निकल गया और फिर अगले दिन वापस साइट पर पहुच गया, आज पानी जैसा थोड़ा

मौसम हो रहा था और बड़ी मस्त ठंडी हवाए चल रही थी, मैने सोचा चलो थोड़ी देर हरिया के पास टाइम

पास किया जाए और मैं उसके खेतो की ओर चल दिया जब मैं गन्नो के पिछे पहुचा तब मुझे किसी के बात करने

की आवाज़ आने लगी मैने गन्नो के पिछे से छुप कर देखा तो सामने हरिया खड़ा अपनी धोती मे से अपने

मोटे लंड को बाहर निकाले हुए सामने खड़ी सुधिया से बाते कर रहा था,

हरिया- देख भौजी कैसा डंडे की तरह तेरी मस्तानी चूत मे घुसने के लिए मरा जा रहा है,

सुधिया- बेशरम कही के अपनी भाभी को अपना मूसल दिखा रहा है चल जा यहाँ से और मुझे काम करने दे

आज वैसे भी सारा दिन मुझे अकेले ही काम करना है वहाँ रामू अलग बीमार पड़ गया है,

हरिया- भौजी मैं तेरा सारा काम कर दूँगा बस एक बार मुझे अपनी रसीली चूत चटा दे,

सुधिया- का चेहरा एक दम लाल हो रहा था और वह अपने घाघरे को समेट कर चारा काटने मे लग गई, हरिया

अपना लंड खोले उसके सामने बैठा हुआ था और उसके घाघरे मे से उसकी चूत को देखने की नाकाम कोशिश कर

रहा था,

क्रमशः........
 

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