Adultery Interesting and humorous thoughts

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पुरुष भी अपनी पत्नी को उतना ही सम्मान देता है जितना उसकी पत्नी उसे देती है …जैसे की सुबह स्त्री अपने पति के पैर छुती है , वैसे ही पुरुष भी रात्रि में उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखता है !!
 
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पुरुष भी अपनी पत्नी को उतना ही सम्मान देता है जितना उसकी पत्नी उसे देती है …जैसे की सुबह स्त्री अपने पति के पैर छुती है , वैसे ही पुरुष भी रात्रि में उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखता है !!
Sab auraten kaha per chhutti hain pati ke.
Even then I agree with you to some extent.
Well started dear Simmi, congrats 🎉🎉🎉 for starting an interesting thread.

200-13
 
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Meri ek fast friend hai poetess Arushi Dayal ,unki kuch lines me apni taraf se tumhare thread ko gift karti hun dear friend Simmi & congrats for starting 🆕 thread sis🎉🌹 ❣️

हवाएँ हो गई है सर्द
धूप मे कुछ पल बिता लें
कहें कुछ अपने मन की
रिश्तो पर जमी बर्फ पिघला ले
अवसाद भरे जीवन की दौड़धूप मे
थक से गये है कुछ देर सुस्ता ले
बातो के तिल का ताड़ नही
तिल मे थोड़ा गुड़ मिला ले
व्यवहार की चादर मे
अहम की सीलन है
इन्हे ज़रा धूप लगा ले
हवाएँ हो गई है सर्द..
धूप मे कुछ पल बिता लें
 
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घोड़ी और लड़की तब तक बेचैन रहती है जब तक कोई उन पर चढ़कर सही से घुड़सवारी ना कर ले !!
और घोड़ी जिस समय अपनी रफ्तार पकड़ती है तब घुड़सवार भी हिम्मत हार जाता है !!
 
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Meri ek fast friend hai poetess Arushi Dayal ,unki kuch lines me apni taraf se tumhare thread ko gift karti hun dear friend Simmi & congrats for starting 🆕 thread sis🎉🌹 ❣️

हवाएँ हो गई है सर्द
धूप मे कुछ पल बिता लें
कहें कुछ अपने मन की
रिश्तो पर जमी बर्फ पिघला ले
अवसाद भरे जीवन की दौड़धूप मे
थक से गये है कुछ देर सुस्ता ले
बातो के तिल का ताड़ नही
तिल मे थोड़ा गुड़ मिला ले
व्यवहार की चादर मे
अहम की सीलन है
इन्हे ज़रा धूप लगा ले
हवाएँ हो गई है सर्द..
धूप मे कुछ पल बिता लें
👏👏bahut umda 👏👏
 
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राहों में यूँ ही चलते चलते
एक दिन तुम मिले थे यहीं

मैं आज भी तुम्हारी तलाश में
भटक रही हूँ वहीं

सोचती हूँ कहीं
वो मेरा ख़्वाब तो नहीं था
ख़ैर…अगर था भी
तो बताओ..
मेरी हथेलियों पर तुम्हारी ख़ुश्बू
अब तलक क्यूँ है पड़ी
 
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राहों में यूँ ही चलते चलते
एक दिन तुम मिले थे यहीं

मैं आज भी तुम्हारी तलाश में
भटक रही हूँ वहीं

सोचती हूँ कहीं
वो मेरा ख़्वाब तो नहीं था
ख़ैर…अगर था भी
तो बताओ..
मेरी हथेलियों पर तुम्हारी ख़ुश्बू
अब तलक क्यूँ है पड़ी
Very well said dear Simran 👌👌👌
 

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