Incest जालिम बेटे ने की घर की सभी औरतो कि चुदाई

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Update 2

सोनू अपने हाथो से उसके गांड को मसलते हुए-- हाय ये बड़ी अम्मा तेरी मोटी गांड देखकर शरम भुल गया, देख ना कैसे मेरा लंड फड़फड़ा रहा है, तेरी बुर के लिये,

सुनहरी-- आह बेटा, ऐसा मत कर सब निचे बैठे है,
सोनू-- अपनी साड़ी उठा के झुक जा ना बड़ी अम्मा जल्दी से चोद लू तुझे,
सुनहरी-- नही तू बेरहम है, तू मेरी चोद चोद के हालत खराब कर देगा, उस तीन रात को जब तू मेरी चुचींया बेरहमी से मसल रहा था, तभी मै जान गयी थी की तू रहम करने वालो में से नही है,

सोनू-- नही बड़ी अम्मा, आराम आराम से चोदूगा तूझे,

तभी निचे आवाज आती है, दिदी अरे ओ दीदी कहा हो तुम,
सुनहरी अपने आप को सोनू से छुड़ाती हुइ और हंसते हुए निचे भाग जाती है,

सोनू मन में- भाग साली कीतना भागेगी एक दीन तो तेरी बुर मैं ऐसे फाड़ुगां की तुझे पता चलेगा,

और फीर सोनू भी छत से नीचे आ जाता है,


बेचन अपनी औरत झुमरी के पास बैठा था,

बेचन-- कुछ आराम है, झुमरी
झुमरी-- हां डाक्टर साहीबा ने जब से दवा दीया है, आराम है,

बेचन--चल ठीक है कल अस्पताल चल कर एक बार डाक्टर साहिबा को दीखा देंगें॥

तभी बेचन की बेटी सीमा वहा आ जाती है,
(सीमा को बचपन से पोलीयो हुआ था, उसके सारे अग तो कमाल के थे, उसकी बड़ी बड़ी गोरी चुचीया, बड़ी और चौड़ी गांड, बस खाली उसके पैरों का विकास नही हुआ)

सीमा--बापू अब अम्मा की तबीयत कैसी है, वो निचे ज़मीन पर बैठे बैठे चल रही थी, और अपने बापू के करीब आ गयी,

बेचन-- अब थोड़ा ठीक है, कल एक बार अस्पताल मे दिखाने ले कर जाना है,

सीमा-- अच्छा बापू,

बेचन-- ये लो फीर से बारीश होने लगी,
सीमा-- हा बापू दो तीन दीन से तो मौसम ही खराब हो गया है,

अंधेरा होने लगा था, और ठंडी अपनी औकात पर थी, बेचन घर के ओसार में अपने औरत के पास बैठा था, और उसकी बेटी सीमा नीचे जमीन पर बैठी थी,

बेचन 40 साल का आदमी पिछले कुछ दीनो से उसकी औरत झुमरी की तबियत खराब होने के वजह से उसे चोद नही पा रहा था, उसका लंड भी सो चुका था,
तभी उसकी नज़र सीमा की बड़ी बड़ी चुचीयों पर पड़ी जो उसके कमीज मे कसी हुइ थी,

तभी बेचन की मां वहां आ जाती है,
सुखीया(बेचन की मां-- अरे बेचन झुमरी को उठा खाना बना ली हैं मैने चलो सब लोग खा लो,

बेचन- ठीक है मां, और वो झुमरी को उठाता है,
झूमरी उठ कर बैठ जाती है, सुखीया उसे खाना दे देती है,

सुखीया-- सीपा तू जमीन पर ही खायेगी क्या, बेचन बेटा इसे उठा कर खाट पर बिठा जरा,

बेचन जैसे ही सीमा को गोद में उठाता है, वैसे ही बीजली चली जाती है,
सुखीया-- हे भगवान ये बिजली भी रोज यही समय पर जाती है, रुक मैं लालटेन लेके आती हू,

बेचन सीमा को अपनी बाहों मे उठाये वैसे ही खड़ा था, सीमा की बड़ी बड़ी चुचीयां बेचन के सीने पर दबी थी, जिससे बेचन का सोया हुआ लंड खड़ा होने लगता है,

सीमा बेचन के कान में-- बापू मुझे कब तक गोद में लीये रहोगे, निचे उतारो ना।

बेचन उसे गोद में लिये खाट पर बैठ जाता है, और उसके कान में कहता है,

बेचन-- बीटीया मैं तुझे जिदंगी भर गोद में लिये रहना चाहता हूं॥

सीमा बेचन के कान में-- तो लीये रहो ना बापू मना कीसने कीया है,

इतना सुनते ही बेचन का लंड फड़फड़ा कर खड़ा हो जाता है,

वो खाट पर बैठे अपना मुह सीमा के मुह में सटा देता है, उसे ताज्जुब होने लगता है, की सीमा खुद उसके मुह को जोर जोर से अपने मुह में भर कर चुसने लगती है,

तभी सुखीया लालटेन लेकर आ जाती है, बेचन और सीमा दोनो एक दुसरे में खोये हुए थे, उन दोनो को इतना भी नही पता की सुखीया आ चुकी है,

सुखीया जोर से-- बेचन,
बेचन हकपकाया और सीमा को अपने बगल खाट में बिठा कर उठ जाता है,

अच्छा हुआ झुमरी वापस से रज़ाइ ओढ़ कर लेट गयी थी, और वो ये सब नही देखी,

बेचन अपना सर झुकाये, वही खड़ा रहता है,



बेचन अपना सर झुकाये, वही खड़ा रहता है,
सुखीया-- अब खड़ा ही रहेगा या झुमरी को उठायेगा, और वो बेचन और सीमा को गुस्से से देखने लगती है,

बेचन झुमरी को उठाता है, और फीर सब लोग खाना खाते है....और फीर बिस्तर पर चले जाते है॥



आधी रात को सोनू की निंद खुलती है, तो पाता है की कोइ औरत उसके उपर लेटी उसके कान में सोनू उठ बेटा धिरे धिरे बोल रही थी,

सोनू-- तू आ गयी बड़ी अम्मा,
सुनहरी-- हां आ गयी,

सोनू सुनहरी की गांड पर जोर का थप्पड़ जड़ देता है,

सुनहरी-- आह बेरहम धिरे, नही तो फिर कोई आ जायेगा,

सोनू-- साली, मादरचोद पहले ये बता की तु छत पर से भागी क्यू थी,
सुनहरी सोनू के गाल पर चुमते हुए-- अरे मेरे राजा , तभी सब घर पर थे,

सोनू सुनहरी के बालो को कसकर खीचता हुआ, एक जोर का थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देता है,

सुनहरी-- आह, बेटा
सोनू-- कुतीया बोल अब कभी भागेगी,
सुनहरी-- नही बेटा, मेरे बाल आह, दर्द हो रहा है,

सोनू-- सुन कुतीया, कल दोपहर को सोहन के घर आ जाना वही चोदूगां तुझे,

सुनहरी-- मुझे अभी तेरा लंड चाहीये, बहुत दिन से लंड नही गया है मेरी बुर मे,

सोनू-- तू यहां मेरा लंड नही ले पायेगी, कुतीया जैसी चिल्लायेगी तो सब उठ जायेगें,

सुनहरी-- मुझे कुछ नही पता मुझे अभी तेरा लंड चाहीये,
सोनू- साली तूझे लंड चाहीए , चल नंगी हो जा फीर

सुनहरी झट से अपने साड़ी खोल देती है, और नंगी हो जाती है,
सोनू भी अपनी लूगीं उतार कर नगां हो जाता है,

सोनू सुनहरी को खाट पर लिटा देता है, और उसके दोनो टांगे चौड़ी कर हवा में उठा देता है, रात के अंधेरे में कुछ दिख नही रहा था,

सुनहरी -- फाड़ दे बेटा अपनी बड़ी अम्मा की बुर,
सोनू उसकी टांगे उपर की तरह मोड़ता अपना लंड सुनहरी के बुर पर टीकाता है, और सुनहरी को मजबुती से पकड़ अपना मुह उसके मुह मे जकड़ कर जोर का धक्का मारता है,

सुनहरी को बुर खुलती जाती है, वो छटपटा भी रही थी लेकीन सोनू उसे मजबुती से पकड़े धक्के पर धक्का लगा रहा था, सुनहरी के नाक और मुह से जोर जोर से गूं गु गु की आवाज आ रही थी,

सोनू उसे जोर जोर से रात के अंधेरे मे चोद रहा था, और सुनहरी अपनी टागें उठाये सोनू का मोटा लंड झेल रही थी,
पुरे कमरे में खाट की आवाज़ और सुनहरी के पैरों के पायल की आवाजे आ रही थी,

सोनू अपना लंड पेले जा रहा था, तभी सुनहरी की बुर उसके लंड को जकड़ने लगी शायद सुनहरी झड़ रही थी, लेकीन सोनू उसे चोदता गया,

करीब 10 मिनट और चोदता रहा सुनहरी की बुर सोनू के लंड को दो बार और जकड़ी फीर अंत मे सोनू अपना लंड पुरा निकाल सुनहरी के बुर मे जोर का धक्का लगाते अपना पुरा गाढ़ा पानी उसके बुर में भरने लगता है,

अपना पुरा पानी नीकालने के बाद सोनू उसके उपर ही गीर जाता है,

सुनहरी-- आह मां, सोनू बेटा मेरी बुर तुने फाड़ डाली रे, कीतना बड़ा और मोटा है, ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक नही आया था,

सोनू-- साली तेरी बुर भी तो कसी कसी थी,
सुनहरी-- आह बेटा, तेरी मा की बुर मुझसे भी कसी है,
सोनू-- चुप कर रंडी, वो मेरी मां है,

सुनहरी-- अरे बेरहम, ऐसे चोदेगा तो सारी औरते तेरी रंडी ही बनेगी,

सोनू-- चल जा अब कल आ जाना सोहन के घर पर,
सुनहरी-- सोनू के गाल पर चुमती है, और कपड़े पहन अपने कमरे में चली जाती है....॥


सुबह सुनहरी आंख खुली वो जैसे ही खाट पर से उठ रही थी, उसके बुर में उसे दर्द महसूस हुआ, वो उठकर मुतने के लीये आगंन की ओर जाने लगी,
वो भचक भचक कर चल रही थी, तभी आगन मे झाड़ू लगाती सुनीता की नज़र सुनहरी पर पड़ी,

सुनीता--क्यां हुआ दीदी , ऐसे क्यू चल रही हो?
सुनहरी को कुछ समझ में नही आ रहा था की, क्या बहाना मारे

सुनहरी-- पता नही क्यूं, एड़ीयो में दर्द सी उठ रही है,
सुनीता-- लगता है, मोच आ गयी है,
सुनहरी-- हां मुझे भी यही लग रहा है, और कहकर अपनी साड़ी उठाकर आग्न के नरदे के पास बैठ मुतने लगती है,


सोनू की निदं तब खुलती है, जब उसे कस्तुरी जगाने जाती है, सोनू उठकर बाहर आता है, और हाथ मुह धो के वही बाहर बैठ जाता है,
सुबह के 10 बज गये थे, लेकीन अभी तक ओस की चादर ओढ़े दीन नही निकला था, गलन इतनी ज्यादा थी की, सोनू को घर के अंदर वापस आना पड़ा।

सोनू जैसे ही ओसार में आता है, घर की चारो औरतें आग के पास बैठी हाथ सेंक रही थी,

सोनू भी एक कम्बल ओढ़ कर खाट पर बैठ जाता है, सुनहरी की नज़र जैसे ही सोनू से टकराती है, वो शर्मा जाती है,


तभी बाहर बादल गरजने लगता है,
कस्तुरी-- ये लो दीदी, कुछ देर में फीर से बारीश चालू हो जायेगी,

सोनू मन में-- अरे यार सोनू, तुझे यहां तो कुछ मिलने वाला नही है, पुरे दीन ये लोग साथ में ही बैठी रहेगी, एक तो मौसम भी खराब है, तो ये लोग घर से बाहर भी नही निकलेगीं,

मुझे अभी सोहन के घर निकलना होगा, फीर पुरे दीन उसकी गांड मारने का मजा लूगां,

यही सोचते सोचते वो खाट पर से उठा, और पैर मे चप्पल डालता हुआ बाहर निकल जाता है,...

रास्ते में चलते चलते अचानक से बारीश होने लगती है, वो भागकर जल्दी से सोहन के घर मे घुस जाता है,

सोहन घर पर लेटा हुआ था, उसने जैसे ही सोनू को देखा उसकी आखो में चमक आ गयी,

सोहन-- क्या बात है, आज मेरे राजा को मेरे घर की याद कैसे आ गयी,

सोनू-- सोनी मेरी जान तेरे घर की नही, तेरी गांड की याद आ गयी,

सोहन-- हाय रे, परसो रात भर मेरी गांड मार कर मन नही भरा,

सोनू-- तेरी गांड से मन नही भरेगा रे, साले और खाट पर लेट जाता है,

सोहन-- अपने कपड़े उतार कर नंगा हो जाता है, और सोनू का पैटं निचे खीसका देता है,

अब सोहन जैसे ही, सोनू की चड्ढ़ी खीसकाता है, उसका मोटा लंड फनफनाने लगता है,

सोनू का लंड सोहन चुसने लगता है, तभी अचानक से घर का दरवाजा खुलता है, सामने मालती अपने हाथो में कपड़े लिये खड़ी थी, वो पूरी भीग गयी थी, मालती को देख दोनो के रंग उड़ जाते है,

मालती--हाय राम ये क्या कर रहे हो आप लोग,
सोहन उठ कर दरवाजा बंद कर देता है,

सोहन--देख म...मालती, तू कीसी को कुछ बताना मत,
मालती-- अरे सोहन भाइ, सोनू तो अभी बच्चा है, कम से कम आप तो समझते थे,

सोहन-- मालती देख, मै मर्द नही हू, बल्की एक हिंजड़ा हू,
मालती अपनी नज़र निचे सोहन के लंड पर गड़ाती है. तो हैरान हो जाती है,

मालती-- थोड़ा हसते हुए, हा रे तु तो सच में,
सोहन--तो तू ही बता, सब मजे करते है, थोड़ा सा मैने कर लीया तो क्या गलत कीया,

मालती-- अच्छा ठीक है, मैं कीसी को नही बताउगीं, और सोनू के लंड की तरफ देखने लगती है,

मालती-- अरे सोनू अब अपना वो तोपेगा भी,
सोनू-- मालती काकी एक बार कर लू, फिर तोपूगा॥

मालती-- हे भगवान तू कीतना बिगड़ गया चल तेरी मां को बताती हू,

सोनू--ठीक है काकी , बता देना पहले दरवाजा तो बंद कर दे,

मालती-- मुझे जाने दे, फीर जो करना है वो करना,

सोनू--तो फीर जा ना काकी,
मालती-- देख नही रहा बारीश हो रही है,

सोनू-- तो ठीक है तू बारिश रुकने का इतजांर कर, तब तक मै, इसे लेता हु।

मालती-- कीतना कमीना है,

सोनू-- चल आ जा साले, और चुस इसे।

सोहन फट से खाट पर चढ़ जाता है, और सोनू के लंड को अपने मुह में डालकर चुसने लगता है,

मालती चुपके चुपके उन दोनो को देख रही थी, मालती की आंखे तब फटती है जब सोनू का सोया लंड अपने आकार में आता है,

मालती मन मे-- हे भगवान, इसका लंड है या घोड़े का,

सोनू को पता था की मालती ये सब बगल नजरो से देख रही है,

सोनू-- चुस साले, मादरचोद, हा ऐसे ही चुस मजा आ रहा है, भोसड़ी के,

सोहन और जोर से लंड चुसने लगता है,

अब मालती की भी हालत खराब होने लगी थी, मालती की बुर भी फड़फड़ाने लगी थी,

सोनू-- चल भोसड़ी, गांड खोल और झुक जा,
सोहन ने खाट पकड़ कर अपनी गाडं पीछे की तरफ उठा दीया,
सोनू सोहन के पिछे आता है, और उसके गांड पर जोर का थप्पड़ मारता है,


सोनू-- मालती काकी देख मैं इसकी गांड कैसे मारता हू,
मालती-- मुझे नही देखना, तू ही कर ऐसे गंदे काम,
सोनू-- अच्छा थोड़ा अपने मुह में ले के गीला कर दे इसे, नही तो इसे बहुत तकलीफ होगी,

मालती-- मै भल क्यूं मुह में लेने लगी,
सोनू-- सोनी मेरी जान, तू कुछ बोलेगा या, डालू तेरे गांड मे,

सोहन-- मालती गीला कर दे, नही तो बड़ी बे रहमी से गांड मारेगा ये,

मालती-- मैं नही लूगीं इसका मोटा मुसल,

सोहन--मालती मेरे खातीर एक बार डाल ले ना मुह में,

मालती-- नही मैं नही लूगीं,

सोनू सोहन के गांड पर एक थप्पड़ लगाता हुआ अपना लंड उसके गांड के सुराख पर रख देता है, और उसकी कमर पकड़े जोर का धक्का मारता है, और पुरा लंड सरसराता घुस जाता है,

सोहन चिल्लाते हुए खाट पर गिर जाता है, लेकीन सोनू उसके उपर चढ़ जातअ है, और जोर जोर से उसकी गांड मारने लगता है,


सोहन इतना जोर जोर चिल्ला रहा था, की मालती की हालत खराब होने लगी, उसका दिल की एक बार ये चुदाइ देखने का,

उसने पिछे मुड़ कर देखा तो उसकी आंखे फटी रह गयी, सोनू का लबां और मोटा लंड सटासट उसके गांड मे घुस रहा था, और सोहन की गांड चोड़ी हो गयी थी,

सोहन की गांड का होल इतना बड़ा हो गया था की मालती वही देख कर उसका बुर पानी छोड़ने लगी, और इधर सोनू ने भी अपना पानी उसके गांड मे छोड़ दीया,
पुरा पानी छोड़ने के बाद वो सोहन के गांड पर एक थप्पड़ मारता है, और बोला चल सोनी रानी मैं जाता हू, बाद मे फीर आ
उगा, और तेरी गांड और बुरी तरह फाड़ुगां,

सोहन अभी भी रो रहा था,
सोनू-- चलो काकी चलते है,

मालती-- हा च...चल,


रास्ते में मालती के दिमाग मे वही दृशय आ रहा था, कैसे सोनू का लंड उसके गाड को बुरी तरह फाड़ रहा था,

सोनू-- क्या हुआ काकी कुछ सोच रही हो,
मालती-- न...नही बेटा,
सोनू-- कैसी लगी मेरी गांड मराई,

मालती--धत बेशरम मुझसे क्या पुछता है,
सोनू-- कसम से काकी , साले की गांड बहुत कसी थी,

मालती-- इसीलीये इतनी बुरी तरह कर रहा था,
सोनू-- मैं तो ऐसे ही करता हू काकी, कभी तू भी करवा ले मुझसे एक बार,

मालती-- नही रे बाबा मुझे मरना थोड़ी है, तेरे मुसल से॥

सोनू-- कसम से काकी तेरी गांड और बड़ी अम्मा की गांड क्या मजा आयेगा,

मालती-- अपनी बड़ी मां की भी गांड देखता है तू, शरम नही आती,

सोनू-- अगर शरम करता तो कल रात को उसको कैसे चोदता,

मालती-- हाय राम तुने अपनी बड़ी मां को भी,

सोनू-- हा, काकी अब बस तुझे चोदने का मन हो रहा है,

मालती-- मुझे नही चुदाना है, (हालाकी मालती की बुर तो कब से तैयार थी सोनू के लंड के लीये लेकीन मालती इतनी जल्दी नही देना चाहती थी)

सोनू-- सोच ले काकी, अगर मेरा मन हट गया तो तुझे देखुगां तक नही,

मालती-- मत देख मेरा क्या?

सोनू--ठीक है, तो तू ऐसे ही मस्त रह मै चला अब नही आंउगां तेरी गलीयो में, और सोनू चला जाता है॥

मालती हसते हुए-- बदमाश कही कां, और वो भी अपने रास्ते चल देती है,


सोनू अपने घर की तरफ चला आता है, तभी गांव के पुलीया पर एक 19 साल की लड़की खड़ी अपनी दोनो बाहे फैलाये आख बंद कर सांस ले रही थी,

सोनू इतनी खुबसुरत लड़की आज तक कभी नही देखी थी, देवा वही खड़े उसे एकटक देखता रहता है,

तभी उस लड़की की नज़र सोनू पर पड़ती है,

तभी उस लड़की की नज़र सोनू पर पड़ती है,

लड़की--हैलो, कौन हो तुम ? और मुझे ऐसे क्यूं घुर रहे हो?

सोनू-- मैडम जी पहली बात तो मैं आपको घुर नही देख रहा था, क्यूकीं आपसे खुबसुरत लड़की मैने आज तक देखी नही, और दुसरी बात ये की मैं कौन हू तो मै तो इसी गांव का रहने वाला हू, आप नयी नयी दीख रही है इस गांव में,

लड़की-- तुमसे मतलब, तुम अपना काम करो, मैं कौन हू ये तुम्हे जानने की जरुरत नही है,

सोनू-- अच्छा ठीक है, मैडम जब आपका दील करे तब बता देना,
लड़की-- अच्छा सुनो यहां अस्पताल कहां है,
सोनू-- बस मैडम जी थोड़ा सा आगे है,
लड़की-- अच्छा ठीक है, और वो अपनी स्कुटी चालू करती है, और चल देती है॥

सोनू-- हे भगवान इतनी खुबसुरत लड़की, हमारे गांव मे जरुर ये डाक्टर की लड़की होगी, कसम से क्या बला की खुबसुरत है,
और यही सोचते सोचते वो घर की तरफ चल देता है,


पारुल अस्पताल में अपने चेयर पर बैठी थी, सामने बेचन और झुमरी बैठे थे,

तभी आवाज आती है, हाय मॉम,
पारुल अपनी नजर उठा कर देखती है, सामने उसे एक लड़की दिखती है,

पारुल-- हाय बेटा,

पारुल-- बेचन जी ये मेरी बेटी वैभवी है,
बेचन-- नमस्ते बिटीया,
वैभवी-- नमस्ते अंकल,

बेचन-- डाक्टर साहिबा, बिटीया पढ़ाइ करती है,
पारुल-- जी बेचन जी, मुबंइ में ही पढ़ती है, कालेज की छुट्टी है, तो घुमने आइ है,

बेचन-- जी अच्छा, बिटीया गांव में थोड़ा सभंल कर रहना यहा के लड़के थोड़े हरामी है,

वैभवी-- अरे क्या बच कर रहु काका, एक सरफीरा मिला भी था रास्ते में घुर घुर कर देख रहा था,

बेचन- बिटीया मुझे बताना, मैं उसकी खबर लूगां

वैभवी-- ठीक है काका, अगर अब दीखा तो आपको जरुर बताउगीं

बेचन-- अच्छा डाक्टर साहीबा हम चलते है,
पारुल-- ठीक है, बेचन जी,

और फीर बेचन और झुमरी चले जाते है.....

पारुल-- अरे बेटा, कौन था वो लड़का जो तुझे घुर घुर कर देख रहा था॥
वैभवी-- अरे मां मुझे कैसे पता होगा की वो कौन था, मैं यहा सालो से थोड़ी रह रही हूं॥

पारुल-- कुछ बोला तो नही, तुझे
वैभवी (पागल कर देने वाली अदाओ से)-- तारी...फ़ कर रहा था आपकी बेटी की, बोल रहा था इतनी खुबसुरत लड़की आज तक नही देखी मैने,

पारुल-- आह बेटा तेरी ये अदाये थोड़ा कम कर , कही दो चार लड़के मर ना जाये,

वैभवी-- वैसे आप भी कुछ कम नही है, मॉम

पारुल शर्मा जाती है....और वैभवी हसने लगती है.,

॥सोनू जैस ही घर पहुंचता है, घर में उसे सब बैठे हुए मीलते है, और राजू भी आ गया था।
सुनीता-- कहां था तू? सुबह से नीकला था, और अभी आ रहा है, (सुनीता थोड़े गुस्से में)

सोनू अपनी मां को गुस्सा हुता देख उसकी फट जाती है,

सोनू थोड़ा डरते हुए-- वो...वो मां मैं थोड़ा सोहन काका के यहां गया था..।

सुनीता-- चल ठीक है, ज्यादा इधर उधर मत घुमा कर,। "खाना खा ले और कब से भैंस चिल्ला रही हैं लगता है, गरम हो गयी है, तू खाना खाने के बाद भैंस को भानू काका के घर ले के जा। और सुनीता बोलते हुए कस्तुरी को आवाज़ लगाती है, की खाना ले के आ जाये,

+सोनू को अपनी मां का गुस्सा शांत होते देख उसके जी में जी आता है।

"तब तक कस्तुरी खाना ले के आ जाती है, और सोनू को देती है,

सोनू (खाना खाते हुए)-- मां इतनी ठंडी में भैस कैसे गरम हो गयी? लगता है उसे ठंढी लग गयी है। और उसे बुखार हो गया है, तो डाक्टर को बुला लाता हूं, भैंस को भानू काका के यंहा क्यूं ले के जाना?

'ये सुनकर पास में खड़ी कस्तुरी, अनिता और सुनीता तीनो हंसने लगती है।

तभी राजू-- अरे भइया, भैंस 'गरम' हो गयी मतलब उसे भानू काका के साँड के पास ले जाना है,

इतना सुनना था की सुनीता कस्तुरी और अनिता अपस में एक दुसरे को देखते शरमा जाती है।

सुनीता-- देख राजू बेटा कीतना सयाना हो गया, और तू रह गया बुद्धु का बुद्धु। खेत में काम कर कर के तू बैल बुद्धी बन गया है, कुछ सीख राजू से।

सोनू कुछ नही बोलता और खाना खाने के बाद भैंस को खुटे में से खोल चल देता है....

कस्तुरी-- अरे वाह मेरा राजू बेटा तो कीतना समझदार हो गया हैं 'क्यू दीदी?
सुनीता-- हां अरे राजू बेटा थोड़ा अपने भइया को भी कुछ सीखा दीया कर।

राजू शरमा जाता है और घर से बाहर नीकल जाता है,

कस्तूरी--ये सब तुम्हारी गलती है, दीदी।
सुनीता--मेरी क्या गलती है,

कस्तुरी-- सोनू बेटा 19 साल का हो गया लेकीन अभी है अनाड़ी का अनाड़ी,
सुनीता-- अरे एक बार उसकी शादी हो जायेगी तो सब सीख जायेगा, तू भी बेमतलब का परेशान हो रही है,

कस्तुरी-- अरे दीदी अपने राजू की उमर देखो, कीतना कुछ सीख गया, है। और सच कहु तो अपने सोनू के उमर के लड़के तो लड़कीयो की छेंद खोलने लगते है,

सुनीता-- बस कर, तू भी कीतनी बेशरम है।

कस्तुरी (धिरे से)-- अरे दिदी सच कह रही हू, मुझे तो लगता हैं अपना राजू भी छेंद का मजा ले चुका है।

ये सुनते ही सुनीता का गला सुखने लगता है...

सुनीता-- क...क्या बोल रही है?
कस्तुरी-- अरे हा दिदी, मुझे लगता है, राजू का चक्कर उसकी मामी कुमकुम से चल रहा है,

सुनीता (आश्चर्य से)-- क्या बोल रही है तू,?

कस्तुरी-- सच में दीदी, वो जब पिछले महीने आयी थी तो सोनू उसके पास ही सोता था, "एक रात मेरी निदं खुली तो मुझे उसकी आवाज सुनाइ दी।

सुनीता और अनिता की आखें फटी की फटी रह गयी॥

सुनीता-- क....कैसी आवाज़?

कस्तुरी-- "उस रात मुझे पेशाब लगी तो मैं उठ कर आंगन में जा रही थी, तभी मुझे कुमकुम के खाट पर से उसकी आवाज़ें सुनाइ दी, वो बोल रही थी, आह राजू मेरी बुर गीली हो गयी रे , अब डाल भी दे,

सुनीता और अनिता दोनो आश्चर्य से कस्तुरी की बात को सुने जा रही थी!

सुनीता-- हाय राम, तो तूने बड़ी दीदी को नही बताया क्या?

कस्तुरी-- सुबह होते ही बताया दीदी, लेकीन बड़ी दीदी बोली अब जवान हो रहा है, अब नही करेगा तो कब करेगा, "और वैसे भी ये सब चिजे पहले से पता होनी चाहिए नही तो शादी के बाद औरत को क्या खाक खुश कर पायेगा। फीर वही औरते बाहर ताका झाकी करने लगते है,

मैने कहां अरे दिदी शादी के बाद तो वो अपने औरत के साथ जब चाहे तब कर सकता है, भला औरत बाहर क्यू ताका झाकी करेगी,

सुनीता-- फीर.....,

कस्तुरी-- फीर क्यां दिदी बोली अरे शादी होगी कही 22 और 23 साल बाद तो जो लड़का इतने उमर में कुछ नही कीया, 23 साल के बाद वो अपनी औरत से सीखता ही रहेगा और उसकी औरत का कोइ और घुंघुरु बजा कर चला जायेगा,

कस्तुरी-- वैसे बात सही बोली, जिस लड़के को 22 साल तक कुछ पता ही ना हो वो कीतना शरमीला होगा, और औरते तो मर्द ढुढतीं है, शरमाने वाला नही।

सुनीता-- ह...हां बात तो ठीक कहा तूने,
कस्तुरी-- फीर सोनू की शादी कब करोगी दीदी, और हंसने लगती है॥

सुनीता(मुहं बनाये)-- मेरे बेटे का मज़ाक उड़ा रही है॥
कस्तुरी-- नही दिदी मैं तो ये सोच कर डर रही हू, की अपना सोनू तो इकदम अनाड़ी हैं, कोई और उसकी औरत का घुंघुरु ना,

सुनीता(बात काटती हुइ)-- चुप कर तू॥

तभी फातीमा आ जाती है( फ़ातीमा सुनीता की अच्छी सहेली है, दोनो में बहुत जमती है, पुये गांव मे सीर्फ 5 ,6 घर ही मुस्लिम था, फ़ातिमा 42 सार की खुबसुरत औरत थी, मुस्लिम होने की वजह से गोरा रंग लाज़मी था, लेकीन उसका बदन तो एकदम मस्त कर देने वाला था, बड़ी बड़ी गोल और बेहद कसी चुचीयां, गोल गोल मोटी गांड बिल्कुल सुनीता की तरह,)

पुरे गांव के जवान मर्दो की नज़र इन दो औरतो पर हमेशा रहती, सुनीता तो अपने पती के अलावा कभी कीसी के साथ सोचती भी नही, और अब जब उसका मरद इस दुनियां में नही है। तो उसकी चुदाइ की इच्छा ही जैसे खत्म हो गयी है।

फ़ातिमा का पता नही, लेकीन अगर सुनीता की सहेली थी तो जाहीर सी बात है की वो भी अच्छी औरत होगी,


फातीमा -- अरे क्या बाते हो रही है, *देवरानी और जेठानी में॥

सुनीता-- अरे आ फातीमां बैठ॥

फातीमा बैठ जाती है, तभी कस्तुरी-- कुछ नही दिदी बर सोनू को मर्द बनाने की बाते हो रही थी,

सुनीता-- चुप कर तू।

फातीमा-- मैं समझी नही॥

कस्तुरी-- ऐसे ही सोनू भी नही समझता!

फातीमा-- मतलब?

कस्तुरी-- अच्छा दिदी, अगर ये मौसम में भैंस चिल्लाये तो क्या मतलब है?

फातीमा- मतलब यही की वो गरम है, और उसे "सांड" की जरुरत है।

कस्तुरी-- हां दिदी लेकीन इनके बेटे का ख्याल कुछ अलक है।

सुनीता(कस्तुरी को घुरते)- तू चुप बैठेगी?

फातीमा-- अरे तू बता कस्तूरी, कैसा ख्याल अलग है?

कस्तुरी-- इनके बेटे का ख्याल है की, भैसं भला इतनी ठंडी में गरम कैसे होगइ, जरुर उसे बुखार हुआ है, भैस को सांड की नही डाक्टर कइ जरुरत है।

ये सुनकर फातीमा और कस्तुरी, अनिता हंसने लगते है। सुनीता मुह बना कर बैठी रहती है।

फातिमा-- कैसा अनाड़ी बेटा जना है, सुनीता ॥ इस उमर के लड़के खुद सांड की तरह अपनी भैंस ढुढतें है। और एक तेरा बेटा है...

कस्तुरी-- सब इनकी ही गलती है,
सुनीता(गुस्से में)-- मेरी क्या गलती है?

कस्तुरी-- जब देखो बेचारा खेत पर फीर खेत से घर, अरे अगर बाहर घुमता टहलता दो चार दोस्त मिलते तो सीखता नही था क्या?
लेकीन तुम्हारे डर की वजह से बेचार कभी बाहर नही जाता।

फातीमां -- अरे कोइ नही मैं सीखा दुंगी उसको थोड़ा बहुत, तू बस आज रात उसे मेरे घर भेज देना।

सुनीता-- सच में फाती मां,
फातीमा- अरे हा रे, नही तो तेरा बेटा अनाड़ी ही रह जायेगा,॥

सुनीता-- उसे बर उपर उपर ही सीखा देना, ज्यादा कुछ करने की जरुरत नही है,

फातीमा-- तू चिंता मत कर मुझे पता है, क्या करना है। चल अच्छा तो मैं चलती हूं॥ और जैसे ही जाने के लिये उठी तभी सोनू भैंस लेकर आ जाता है।

सोनू भैंस को खुटे से बांधता है, और अंदर आ जाता है,

फातीमा-- अरे सोनू बेटा तेरी भैंस भचक भचक कर क्यू चल रही है,

सोनू-- पता नही काकी, जब ले जा रहा था तो बहुत भाग रही थी, लेकीन जब से भानू काका का सांड इस पर चढ़ा तब से ये ऐसी चल रही है।

ये सुनकर सब हंसने लगते है...

फातीमा-- ऐसा ही होता है, बेटा जब सांड चढ़ता है तो चाल बदल ही जाती है...और हंसते हुए चली जाती है।

सोनू-- मां मै खेत जा रहा हूं।
सुनीता-- अरे आज मत जा, और वैसे भी शाम हो गयी है।

सोनू-- ठीक है मां॥

सुनीता-- बेटा तू मुझसे नाराज है ना।

सोनू-- नही तो मां क्यू?
सुनीता-- जो मैं तुझे हमेशा डाटती रहती हू।

सोनू-- नही मां ऐसी कोइ बात नही है।

सुनीता-- अच्छा आज तू फातीमा के यंहा रात रुक जाना।

सोनू-- क्यूं मां?
सुनीता-- अरे नही बस उसका मरद शहर गया है काम से कल आयेगा तो इसलीये॥

सोनू-- ठीक है मां॥

सोनू-- बड़ी अम्मा नही दिखाइ दे रही है।

सुनीता-- वो मायके गयी है, 10 दीन बाद आयेगीं ॥ उनकी मां की तबीयत खराब है।

सोनू-- (मन में) अरे यार एक ही तो बुर थी वो भी चली गयी, अब क्या करु...?


रात को खाना खाने के बाद सोनू फातीमा के घर की तरफ़ नीकल देता है.....।

कस्तुरी-- चलो ना दीदी थोड़ा आपके अनाड़ी बेटे का अनाड़ी पन देखते है।

सुनीता-- अरे शरम कर, तू अपने बेटे जैसे सोनू को वो सब करते देखेगी, तूझे शरम नही आती।

कस्तुरी-- अरे दिदी सिर्फ देखने को कह रही हो...करने को नही। आप रहने दो चल अनिता हम चलते है। और जैसे ही जाने को हुइ

सुनीता-- अच्छा रुक मैं भी चलती हूं॥

सोनू फातीमा के घर पहुचं गया ।

फातीमा-- आ गया बेटा॥ आ बैठ

सोनू खाट पर बैठ जाता है, और फातीमा कमरे में से निकल कर बाहर का दरवाजा बंद करने के लीये गयी ,
वो जैसे ही दरवाजा बंद करने को हुइ उसके सामने सुनीता और कस्तुरी, अनिता खड़ी दीखी।

फातीमा-- अरे तुम लोग।

कस्तुरी-- हा दीदी हम ये देखने आये थे की, कही आप हमारे बेटे सोनू को सीखाने के चक्कर मे, कुछ और ना कर दे।

फातीमा (हंसते हुए)- चलो आ जाओ अंदर

वो लोग अंदर आ जाते है,

फातीमा-- तुम लोग वो कमरे मे जाओ।

कस्तुरी-- अरे दिदी उस कमरे में से कुछ दिखेगा भी या नही,

फातीमा-- अरे सब दिखेगा। अब जाओ।

कस्तुरी-- ओ हो बड़ी उतावली हो रही हो दिदी,

सुनीता-- अब चल,
॥ और फीर वो तीनो दुसरे कमरे चली जाती है।

फातीमां कमरें में जाती है , तो देखती है सोनू खाट पर लेटा हुआ था।

फातीमा-- नीदं आ रही है क्यां सोनू बेटा?
सोनू-- नही काकी, बस ऐसे ही लेटा था।
फातीमां एक लाल कलर की सलवार कमीज पहने हुइ थी। उसके सलवार में उसकी गांड काफी कसी हुइ थी, सोनू की नजर जैसे ही उसकी बड़ी बड़ी और कसी हुइ गांड पर पड़ती है। उसका लंड सलामी देने लगता है।

तभी फातीमा सोनू के बगल में बैठ जाती है, और अपना दुपट्टा हटा कर खाट पर रख देती है।

सोनू के सामने उसकी बड़ी बड़ी गोल चुचींया जो की कमीज में से आजाद होने को चाहती थी देख कर सोनू मस्त हो जाता है।

सोनू की नज़र अभी भी उसकी चुचींयो को ही घुर रही थी।

फातीमां-- क्या देख रहा है सोनू बेटा।
सोनू (भोलू बनते हुए)-- ये आपकी कीतनी बड़ी बड़ी है।

फातीमा-- क्या बड़ी बड़ी है? बेटा
सोनू फातीमां के चुचीयों की तरफ इशारा करते हुए।

फातीमा-- अच्छा मेरी इसकी बात कर रहा है। क्यूं तुझे अच्छी नही लगी?

सोनू-- अच्छी है काकी।

फातीमा-- जब तेरी शादी होगी ना तो तेरी औरत की भी ऐसी ही होगी।

सोनू-- काकी लोग शादी करते है। तो बच्चा पैदा हो जाता है वो कैसे?

फातीमा को पता था की ये अनाड़ी है। और वैसे भी यही सब सीखाने तो सुनीता ने इसे भेजा है॥

फातीमा-- अरे सोनू बेटा सीर्फ शादी करने से बच्चे पैदा नही होते। बल्की कुछ और करना होता है।

सोनू(मन में)-- काकी आज तो तू गयी।

सोनू-- और क्या करना होता है?

फातीमा-- तुझे पता है आज जब तेरी भैंस गरम थी, तब तू उसे भानू के सांड के पास ले गया था।

सोनू-- हां काकी, पता है।

फातीमा-- तो सांड ने क्या कीया?

सोनू-- वो अपना बड़ा सा पता नही क्या नीकाला और भैसं के पीछे डाल कर धक्का मारने लगा।

फातीमा-- हां बेटा, वैसे ही जम मर्द औरत के अंदर डालकर धक्का मारता है। तब वो गर्भवती होती है।

लेकीन उससे पहले औरत को भी गरम करना पड़ता है।

सोनू--काकी ये औरत गरम कैसे होती है,

अंदर कमये में से नजारा देख रही सुनीता , कस्तुरी और अनिता।

कस्तुरी- अब बताओ फातीमा दीदी औरत गरम कैसे होती है।

फातीमा-- बेटा, तूझे कैसे समझाउ मैं की औरत को कैसे गरम करते है।

सोनू-- काकी तू बता मैं समझ जाउगां॥

फातीमा अपने मन में सोचती है की सोनू तो अभी नादान है। तो वैसे भी इसको सीखाना पड़ेगा ही॥

फातीमा-- बेटा औरत को गरम करने के लीये औरत के बदन के साथ खेलना पड़ता है।

सोनू-- काकी मैं समझ नही रहा हू?
फातीमा-- अरे सोनू बेटा, औरत के जीस्म के साथ खेलना मतलब, उसकी चुम्मीया लेना। और अपनी चुचीयों की तरफ इशार करते हुए, उसका ये दबाना ये सब करने से औरत गरम होती है।

सोनू(अपना पासा फेंकते हुए)- क्या काकी तुम झूठ बोल रही है।

फातीमा-- अरे नही बेटा सच कह रही हूं॥

सोनू-- तो मैं एक बार तूझे गरम करना चाहता हू। फीर पता चलेगा काकी तू झूठ बोल रही है या सच।

ये सुनकर फातीमा असमंजस में पड़ जाती है, की ये सोनू ने क्या कह दीया ॥ भला मैं इसके साथ कैसे?

अंदर कमरे में सुनीता के साथ साथ कस्तुरी और अनीता का भी रंग उड़ चुका था।
Ye sonu to numbar ek harami nikla pata sab hai phir eda bankar peda khana chahta hai
 
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Update 3


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सोनू-- क्या हुआ काकी लगता है तू सच में झूठ बोल रही थी।

फातीमा(हकलाते हुए)-- न...नही बेटा ॥ अच्छा ठीक है तू कर ले लेकीन कीसी को भी बताना मत।

सोनू-- ठीक है काकी, नही बताउगां॥

॥ अंदर कमरे में खीड़की के पास खड़ी सुनीता बोली नही कस्तुरी ये गलत है। मुझे इसे रोकना पड़ेगा, और जैसे ही वो जाने को होती है, कस्तुरी उसका हाथ पकड़ लेती है।

कस्तुरी-- रहने दो दीदी, सोनू सीखने आया था। अब कर के सीखेगा,

सुनीता-- लेकीन!

कस्तुरी-- लेकीन वेकीन कुछ नही। आप ही चाहती थी ना की कम से कम उसे ये सब पता हो। तो आप क्यूं खेल बीगाड़ रही हो,
अब आप खड़ी रहो और अपने अनाड़ी बेटे को देखो कैसे खेलता है।

सुनीता-- अनाड़ी मत बोल मेरे बेटे को।
कस्तुरी-- अनाड़ी को अनाड़ी नही तो क्या बोलू। दुसरा कोइ होता तो अब तक फातीमा के उपर चढ़ चुका होता। और वैसे भी ये खेल के बाद पता चल ही जायेगा की सोनू बेटा अनाड़ी है या खीलाड़ी॥

सुनीता कुछ नही बोलती और चुप चाप खड़ी रहती थी क्यूकीं कहीं ना कहीं उसके बेटे की हरकते एक अनाड़ी के जैसे ही थी। वो इसी लीये कमरे मे जा रही थी ताकी वो इस खेल को रोक सके नही तो कल को यही औरतें ताना मारेगीं की तेरे बेटे को कुछ नही आता।

अंदर कमरे में खाट पर फातीमा लेटी हुइ थी।

फातीमा-- देख क्या रहा है बेटा चढ़ जा मेरे उपर।
सोनू फातीमा के उपर लेट जाता है, जैसे ही सोनू फातीमा के उपर चढ़ता है, दोनो के तन बदन में सीहरन होने लगती है।

फातीमा की तो आंखे बंद हो जाती है...लेकीन जब काफी समय से सोनू के तरफ से कोइ प्रतीक्रीया नही होती तो वो अपनी आंखे खोलती है।

फातीमा-- अब चढ़ा ही रहेगा या कुछ करेगा भी।

सोनू-- सोच रहा हूं कि कहा से शुरु करुं।

फातीमा-- या अल्लाह! इस लड़के को क्या बताउं मैं॥ बेटा तेरा जहा से मन करे वहा से शुरु कर।

सोनू की हालत तो फातीमा की चुचीयां देख कर ही खराब हो चुकी थी लेकीन वो ये अनाड़ी वाला खेल थोड़ा और देर तक खेलना चाहता था।

सोनू अपना हाथ धिरे से फातीमा की चुचीयों पर रख हल्के हल्के दबाने लगता है।

फातीमा-- आह...बेटा थोड़ा जोर से दबा...आह,
सोनू-- काकी तूझे दर्द होगा।

ये सुनकर कस्तुरी और अनीता हसं पड़ती है। सुनीता को थोड़ा भी अच्छा नही लग रहा था उसके बेटे के उपर हसंना।

फातीमा-- बेटा मर्द औरत के दर्द की परवाह नही करते, क्यूकीं औरत को दर्द में भी मजा है।

सोनू थोड़ा और तेज तेज दबाने लगता।

फातीमा-- हां....बेटा....ऐसे ही आह...दबा ,
सोनू-- काकी तेरी चुचीयां तो बड़ी बड़ी है।

फातीमा-- आह...बेटा तू..उझे...मेरी चुचीयां अच्छी....आह नही लगी क्या?
सोनू-- अच्छी है काकी। अपना ये कपड़े उतारो ना।

फातीमा-- आह बेटा तू ...उही उतार दे ना।

सोनू फातीमा का कमीज निकाल देता है, फातीमा की बड़ी बड़ी गोरी चुचीयां उसकी ब्रा मे से नीकलने को हो रही थी।

ये देख सोनू बेसब्र हो जाता है, और ब्रा के उपर से ही दबाने लगता है।

फातीमा-- आ....ह सोनू मेरी चुचीयां....ह दबाने में मजा आ रहा है तूझे।

सोनू-- हा काकी, लेकीन मुझे वो छेंद देखना है। जीसमे डालते है।

फातीमा-- आह बेटा मेरे नीचे ही है, देख ले मेरी सलवार उतार के।

सोनू के हाथ की उंगलीयो को ज्यादा देर नही लगी उसके सलवार के नाड़े को खोलने में॥

॥ अब फातीमा एक लाल कलर की चडढी में थी, फातीमा खाट पर नंगी लेटी बहुत गजब ढा रही थी। सोनू का लंड ना चाहते हुए भी पैटं मे खड़ा होने लगता है। लेकीन पैटं मे ज्यादा जगह ना होने के वजह से उसे लंड मे दर्द महसुस होने लगता है।

सोनू ने फातीमा की चडढी भी उतार दी जीससे उसकी गोरी और फुली बुर दीख जाती है।

फातीमा-- क्यूं बेटा दीखा छेदं॥
सोनू उसके बुर की फ़ाके खोलते हुए- हां काकी अब दीखा

फातीमा और अंदर से नजारा देखने वालो की हंसी नीकल पड़ती है।

फातीमा-- तूने मेरा तो देख लीया तेरा कब दिखायेगा?

फातीमा के मुह से ये शब्द सुनकर सुनीता की धड़कन तेज हो जाती है, क्यूकी एक मां के लीये कुछ अलग ही अहेसास होता है, अपने बेटे का लंड देखना।
॥ शायद इसका एक वजह ये भी हो सकता है की समाज इसकी इजाजत नही देता। और एक मां के मन में इस प्रकार का खयाल जो ना के बराबर है।


सोनू-- काकी मै तो दीखा दूगां लेकीन कुछ और तो बता की, और क्या क्या करते है औरत के साथ।

फातीमा-- बस बेटा इतना ही करते है। और अंत मे ये छेंद मे डालकर धक्के लगा लगा कर खेल को खत्म करते है।

सोनू-- हसंते हुए) - बहुत खुब काकी , तूने तो मुझे बहुत कुछ सीखा दीया। "चल अप थोड़ा बहुत मैं भी तुझे कुछ सीखा देता हूं।

फातीमा (हसंते हुए)- अले ले, अब मेरा अनाड़ी बेटा मुझे सीखायेगा।

सोनू (मन मे)- चल बेटा अब बहुत हो गया अनाड़ी पन, अब जरा कमीनापन दीखा, यही सोचते सोचते उसने अपना पैंट उतार फेकां॥

सोनू अपनी चडढी जैसे ही नीकालता है, फातीमा की आंखे फटी रह जाती है, और उधर कस्तुरी, अनीता और सुनीता का भी यही हाल था।

सुनीता मन में)-- हाय रे दइया, ये इसका लंड है की घोड़े का। लेकीन फीर, ये मै क्या सोच रही हू, और मुझे पसीना क्यू आ रहा है।

फातिमा-- हाय रब्बा, ये...ये तेरा तो बहुत बड़ा है।
सोनू-- क्यूं सच में बड़ा है।
फातीमा-- हां बेटा। कसम से मैने अपनी जींदगी में ऐसा लंड कभी नही देखा।

सोनू-- तो अब देख ले।
फातीमा-- हट जा बेशरम, मुझे शरम आ रही है।

सोनू-- शरम आ रही है सा....ली।
फातीमा-- सोनू अपनी काकी से ऐसे बात करते है?

सोनू--तो कैसे बात करते है, मादरचोद। अनाड़ी समझी थी मुझे कुतीया। चल मुह में ले और चुस इसे ,

अंदर खड़ी सुनीता, कस्तुरी और अनिता की आंखे फटी की फटी रह जाती है।

फातीमा-- छी भला इसे कोइ मुह में लेता है क्या?
सोनू झटके में फातीमा का बाल खीचकर उसे खाट पर से नीचे अपने घुटने के नीचे बीठा देता है।
फातीमा जोर से चील्लाती है-- आ....आ.. न...नही सोनू दर्द हो रहा है। छोड़ मेरा बाल......।

सोनू-- मुह खोल साली और चुस इसे।

फातीमा मरती क्या ना करती अपना मुह खोल कर सोनू का लंड मुह में लेने लगती है।

सोनू-- ले साली जल्दी।

फातीमा(रोते हुए)-- हां तो मैं क्या करु, इतना मोटा है जा ही नही रहा है।

सोनू-- कुतीया के जैसा मुह खोल, फीर जायेगा।

सुनीता सोनू का ये रुप देख कर दंग रह जाती है, वो सोचने लग जाती है...

फातीमा सोनू का लंड मुह में भर लेती है, और चुसने लगती है।

सोनू-- आह साली, ऐसे ही चुस आह तेरा मुह कीतन गरम है।

अंदर से देख रही कस्तुरी और अनीता का हाथ भी अब उनकी बुर पर था। सुनीता का भी मन मचलने लगा था।

सोनू के घुटने के निचे बैठी फातीमा कुतीया की तरह मुह खोले उसका लंड चुस रही थी।

ये देख कस्तुरी-- हाय दीदी क्या कुतीया की तरह अपना घोड़े जैसा लंड चुसा रहा है। काश मैं फातीमा की जगह होती।

कमरे में अंधेरा होने की वजह से वो लोग एक दुसरे को देख नही पा रहे थे। कस्तुरी अपनी एक उगंलीया बुर में डाल चुकी थी।

सोनू -- थोड़ा और अंदर डाल मुह मेआह ।
फातीमा अपना मुह और अंदर लेती है। और आगे पिछे करने लगती है।

कुछ देर ऐसे ही चुसने के बाद सोनू अपना लंड निकाल लेता है। और फातीमा को खाट पर लीटा देता है।

सोनू उसकी एक चुची को अपने हाथ से जोर जोर मसलने लगता है।

फातीमा-- आ...............आ...........सोनू धिरे......दर्द हो रहा है।
सोनू-- चुप साली कुतीया इतनी बड़ी बड़ी चुचीयां ली है। इसको तो मैं ऐसे ही मसलूगां॥

फातीमा-- आह........बे रहम तूझे तो मै...कल देख लूगीं तेरी मां से बता दूगीं॥

सोनू अपना मुह उसकी चुचीयों में लगा कर जोर जोर से चुसने लगता है।

अब फातीमा को भी मजा आने लगता है।

फातीमा-- आह , बेरहम ऐसे ही चुस नीचोड़ ले अपनी काकी की चुचींया आह बेटा इतना मजा मुझे कभी न...हइ........इ..........जोर से चील्लाती है।

सोनू ने उसका निप्पल दात में लेकर काट जो लीया था। फातीमा के कटे निप्पल से खुन नीकल जाता है।

सोनू-- चल मेरी रांड कुतीया बन जा। तेरा बुर फाड़ता हू।

फातीमा अपनी गांड खीड़की की तरफ कीये कुतीया बन जाती है।

फातीमा-- बेटा आराम से डालना, तेरा बहुत बड़ा है।

सोनू उसके गांड पर जोर का थप्पड़ मारता है। और उसकी बुर पर अपना लंड टीकाये जोर के धक्के के साथ अपना लंड जड़ तक घुसा देता है।

फातीमा-- आ............मां..........मर गयी.........नीकाल इ.......से........मुझे नही लेनां......मेरी......बुर।

सुनीता , कस्तुरी और अनीता की नजर सीधा फातीमा के बुर पर पड़ती है। सोनू का लंड उसके बुर को फैला चुका था, और उसके बुर से होते हुए सोनू के लंड से उसका खुन टपक रहा था।

सुनीता के मुह से आवाज ही नीकल रही थी, वो बस आखे फाड़े वो नजारा देख रही थी।

और इधर फातीमा का बुरा हाल हो गया था, पुरे कमरे में उसकी चिखे गुंज रही थी, और सोनू बेरहमी से उसे चोदे जा रहा था।

फातीमा-- हाय रे...........सुनी.......ता मुझे......बचा.......अपने आह बे.........रहम बेटे से......मेरी बुर फाड़ दे........गा।

कस्तुरी-- आह फातीमा फाड़ेगा नही फाड़ दी मेरे सोनू ने।

सोनू-- छटपटा मत मादरचोद कुतीया बनी रही।
फातीमा अपनी गांड उठाये सोनू के लंड से जोर जोर से चुद रही थी, उसे बहुत दर्द हो रहा था, और वो बस चील्लाये जा रही थी,

आखीर वो समय आया जब दर्द का मजंर थमा और फातीमा की पुरी खुल चुकी बुर सोनू के लंड को पच्च पच्च की आवाजो के साथ अपने बुर में ले रही थी।

अब फातीमा की आवाजे सीसकीयो में बदल चुकी थी। उसकी सीसकीया ये बंया कर रहीं थी की अब उसे मजा आ रहा है।

फातीमा-- आह सोनू...मजा आ रहा है...अपनी फातीमा काकी को आ....ह बेरहमी से क्यूं चोदा रे...

सोनू-- चुप कर साली और मेरा लंड ले।

फातीमा-- आह....सोनू तेरा ये लंड आह मुझे ब....हुत मजा दे रहा है। चोद आह बेटा, आज से मै तेरी रखैल हू, बे....रहम और फातीमा झड़ने लगती है,

सोनू भी झड़ने वाला था वो भी फातीमा की गांड पर जोर का थप्पड़ मारता है, और खाट पर चढ़ फातीमा की कमर पकड़ हवा मे उठा कर एक जोर जोर से पेलने लगता है।

फातीमा दर्द से तीलमीला जाती है, अपना हाथ खाट पर टीकाये अपनी बुर का दर्द बरदाशत नही कर पा रही थी, और वो इधर उधर छटपटाने लगती है, लेकीन सोनू उसकी कमर पकड़े हवा में उढाये बस चोदे जा रहा था।

सोनू-- आह ले साली कुतीया, मेरा पानी अपने बुर में और एक जोर का धक्का मार अपना लंड सीधा उसके बुर की गहराइ में उतार देता है।

फातीमा दर्द के मारे अपना मुह कीसी कुतीया की तरह खोल जोर से चील्लाती है, और सोनू के लंड का पानी अपने बच्चेदानी के मुह पर गिरता साफ महसुस कर रही थी।

सोनू अपना पुरा पानी छोड़ उसके गांड पर जोर का थप्पड़ मारा-- आह साली मजा आ गया तेरा बुर चोद कर, और खाट पर लेट जाता है।

फातीमा वैसे ही पड़ी दर्द से अब भी रो रही थी, और सोनू लेटे लेटे वैस ही निंद मे चला जाता है।

ये चुदाइ का मजंर देख कस्तुरी और अनीता के बुर ने बहुत ज्यादा पानी छोड़ा।

सुनीता-- बेरहम कीसी कुतीया की तरह चोद चोद कर फातीमा की हालत क्या कर दी है।

कस्तूरी-- हा दीदी फातीमा की बुर तो देखो कैसे चौड़ी हो कर दी है, तेरे बेरहम बेटे के लंड ने, और खुद आराम से सो रहा है।

सुनीता चल अब चलते है,
कस्तुरी-- थोड़ा फातीमा से मील कर चलते है।

सुनीता-- नही, उसकी जीस तरह से चुदाइ हुई है, वो रात भर रोयेगी...।

अनीता-- बेचारी...दीदी अनाड़ी समझ अपनी बुर फड़वा ली,

और तीनो हंसते हुए घर से बाहर नीकल अपने घर की तरफ चल देती है,

फातीमा रोते रोते आधी रात बित गयी, फीर वो रोते रोते सोनू के सीने पर अपना सर रखी लेट जाती है, और उसे बांहो मे भर कुछ समय बाद वो भी निंद की आगोश में चली जाती है.......।

सुबह सोनू की निंद तब खुलती है जब उसे कोइ जगाता है,

सोनू की आंख खुली तो पाया उसके सामने उसकी मां ,कस्तुरी और अनिता खड़ी थी, उसके बगल में फातीमा काकी भी नही थी।

सुनीता-- सोता ही रहेगा, की घर भी चलेगा।

सोनू की हालत खराब हो जाती है, क्यूकीं वो पुरी तरह नंगा था।

और ये बात सब को पता था,
॥ तभी फातीमा वहां हाथ में चाय लिये आती है, वो बहुत मुश्कील से चल पा रही थी।

कस्तुरी-- अरे काकी तुम भचक भचक कर क्यूं चल रही हो, और मुस्कूरा देती है।

फातीमा-- मुझसे क्या पुछ रही है, तेरे भतीजे से पुछ उसने ही ये हालत की है।

सोनू का सुनते ही गांड फट जाती है..

सुनीता-- क्यूं बेटा क्या कीया तूने फातीमा के साथ?

सोनू को कुछ समझ नही आ रहा था की क्या बोले तभी

फातीमा-- अरे सोनू ने कल मुझे धक्का गलती से धक्का मारा और मै निजे उस लकड़ी पर गीर गयी तो थोड़ा चोट आ गयी।

ये सुनकर सोनू के जान में जान आता है,

सुनीता-- चल बेटा अब घर जा, और जरा देख कर धक्का मारा कर लगने पर दर्द होता है, और हल्का सा मुस्कुराते हुए दुसरे कमरे में सब चली जाती है।

सोनू भी फटाफट अपने कपड़े पहन बाहर निकलता है। और घर की ओर चल देता है।


दुसरे कमरे मे बैठी कस्तुरी जोर जोर से हसंने लगती है।

सुनीता-- क्यूं हसं रही है?

कस्तुरी-- अरे कल रात फातीमा दिदी की ऐसी हालत थी, उसी पर। कैसे कुतीया की तरह चिल्ला रही थी।

फातीमा-- हस ले, अगर तू उसके निचे होती और जब अपना मुसल लंड तेरी बुर में डालकर चोदता तब समझ में आता।

कस्तुरी-- अरे सोनू के निचे आने के लीये तो मैं हर दर्द सह लूगीं दिदी।

सुनीता-- चुप कर तुम लोग मेरे बेटे की जान लोगे क्या?

फातीमा-- अरे सुनीता जान तो तेरा बेरहम बेटा निकाल देता है, ऐसे चोदता है की, बुर के साथ साथ पुरा बदन कांप उठता है।

सुनीता-- मेरे बेटे ने तेरी ऐसी हालत कर दी है, फीर भी तू उसका बखान कर रही है।

फातीमा-- तू भी एक औरत है, और एक औरत से बेहतर कोई नही समझ पाता की असली मर्द ऐसा ही होता है।

सुनीता शरमा जाती है, -- तूने तो कल मेरे बेटे को थका दीया।

फातीमा-- ओ हो, और जो तेरा बेटा मुझे कुतीया बना कर गंदी गंदी गालीया दे रहा था। और मेरी बुर का बैडं बजा रहा था उसका कुछ नही।

सुनीता-- तू भी तो उसको भड़का रही थी, की आज से मैं तेरी रखैल हूं फलाना ढेकाना।

फातीमा(शरमाते हुए)-- हा तो मैं हू उसकी रखैल।

कस्तुरी-- तेरा तो हो गया दीदी, हम लोग का नसीब ही खराब है।

फातीमा-- अरे मेरी मान तो सोनू को पटा ले, और जिंदगी भर मजे लुटना।

अनिता-- अरे दिदी हम उनकी चाचींया है, और भला?

फातीमा-- अरे तुम्हारे हिंदुओ में एक कहावत है।

कस्तुरी-- कैसी कहावत?

फातीमा-- बता जरा सुनीता।
"सुनीता शरमा जाती है,

कस्तुरी अब शरमाना बंद करो और बताओ दिदी।

सुनीता-- अरे वो..कहावत है.....(वो पुत ही क्या जो 'चोदे' ना चाची की 'चुत')

कस्तुरी-- आय हाय दिदी दील खुश कर दीया, अब तो मै सोनू को अपना बना कर ही रहुगीं॥

सुनीता-- शरम कर वो तेरे बेटा है।
कस्तुरी-- बेटा वो तुम्हारा है, मेरा तो भतीजा है।

फातीमा-- वैसे मां बेटे के लिये भी कोइ कहावत है क्या?

सुनीता-- चुप कर छिनाल, और सब हसंने लगते है॥



बारीश के हल्की हल्की फव्वारे गीर रही थी, और बेचन अपने खाट पर लेटा था। और उसके आंखो में उसकी बेटी की बड़ी बड़ी चुचीयों का तस्वीर सामने आ जाता.....।

"बेचन खाट पर लेटा यही सच रहा था की. सीमा की चुचींया कीतनी मस्त है। अगर उस रात अम्मा नही आयी हैती तो उसकी चुचीयां तो मैं मसल चुका होता,

दीन के 12 बजे थे, और बेचन झुमरी के बगल वाली खाट पर लेटा था। तभी उसकी मां सुगना आ जाती है।

सुगना-- बेटा, ये गेहूं की बोरी जरा छत पर पहुचां दे।

बेचन खाट पर से उठ जाता है, और गेंहू की बोरीया लेके छत पर जाने लगता है। उसके पीछे पीछे सुगना भी छत पर आ जाती है।

बेचन गेहुं की बोरीया रखते हुए)-- अम्मा सीमा कहा रह गयी?

सुगना(गुस्से में)- क्यूं क्या काम था तुझे उससे?

बेचन-- कुछ काम नही था अम्मा, मैं तो बस ऐसे ही!

सुगना-- अरे थोड़ी तो शरम कर, तूझे अपनी बेटी की शादी करने के वजाय तू खुद उसके साथ....छी।

बाचन-- कलती हो गयी अम्मा, वो उस रात सीमा को खाट पर बीठाने के चक्कर में उसे गोद में उठाया तो मैं थोड़ा बहक गया।

सुगना-- अच्छा , अच्छा ठीक है। आगे से कुछ ऐसा वैसा मत करना॥

बेचन-- मेरी प्यारी अम्मा, ठीक है। नही करुगां,

सुगना-- अच्छा जरा ये गेंहू की बोरी खोल और गेंहू पानी की बाल्टी में भीगो।

बेचन फटाफट गेंहू की बोरी खोल गेहूं को पानी के बाल्टी में डाल देता है।
की बाल्टी में डाल देता है।

सुगना गेंहू को हाथ डाल कर साफ करने लगती है, बेचन वही एक तरफ बैठ जाता है,

सुगना-- क्यूं करता है रे तू ऐसा? घर तेरी औरत है फीर भी तू अपनी बेटी पर।

बेचन-- अरे अम्मा हो गयी गलती, आगे से नही होगी।

सुगना-- चल ठीक है, तू जा झुमरी के पास बैठ उसे पानी वानी की जरुरत पड़ी तो।

बेचन- ठीक है अम्मा, और उठकर नीचे चला आता है।

बेचन जैसे ही निचे आता है, उसे उसकी बेटी सीमा नजर आती है। जो झुमरी के खाट के पास बैठी थी और उसके साथ उसकी सहेली रीता थी।

बेचन- अरे रीता बिटीया तुम?
रीता-- हां काका वो सीमा को छोड़ने आयी थी। (रीता एक 23 साल की भरे बदन वाली लड़की थी, थोड़ी सावलीं मगर बदन में कसावट कमाल की थी। उसकी चुचीयां सीमा से थोड़ी बड़ी थी, लेकीन गांड के मामले में सीमा का कोइ जवाब नही था)

रीता-- अच्छा सीमा मैं चलती हूं॥
सीमा-- ठीक है रीता।
रीता के जाते ही, बेचन सीमा के खाट की तरफ बढ़ा तभी बाहर से आवाज आती है....बेचन वो बेचन घर पर है क्या?

बेचन आवाज सुनते ही बाहर आ जाता है, बाहर उसका बड़ा भाइ शेसन खड़ा था।

बेचन-- क्या हुआ भैय्या?
शेसन-- मेरा खेत का पानी हो गया है, जा जाके तू लगा ले पानी॥

बेचन-- ठीक है, और कहते हुए खेत की तरफ निकल देता है।

सोनू खेत के झोपड़े में बैढा था, और उसे भुख भी लग रही थी रोज की तरह उसकी मां खाना लेकर आ जाती है।

सोनू-- बहुत सही टाइम पर आयी है, मा चल खोल जल्दी और दे मुझे।

ये सुनकर सुनीता हकपका जाती है।

सुनीता-- क....क्या खोलू। और क्या दू?
सोनू-- अरे खाना दे मां, मुझे भुख लगी है।

सुनीता ठंडी सास भरते हुए मन में-- हे भगवान इस लड़के ने तो मुझे डरा ही दीया, मुझे लगा ये कुछ और ही मांग रहा है, और फीर सुनीता के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान ठहर जाती है।

सुनीता खाने की थाली सोनू के तरफ बढ़ा देती है।और वही सोनू के बगल में बैठ जाती है।

सोनू खाना खाने लगता है।

सुनीता-- सोच रही हूं अब तेरी शादी करा दू।
सोनू-- क्यूं मां इतनी जल्दी क्या है?
सुनीता-- अरे घर में बहु होगी तो तेरे लीये खाना बनायेगी, तेरी सेवा करेगी।

सोनू-- मां मै बुडढा नही हुआ हूं जो मेरी सेवा करेगी, और रही बात खाना की तो उसके लीये तू है ना।

सुनीता-- हां अब तू मुझे ही परेशान कर, उतनी दुर से तुझे खाना लाने में मेरा पांव दुखने लगता है।

सोनू-- अब तू मत लाया कर मां , मै खुद ही आ जाया करुगां॥ और वैसे भी अब तेरी उमर हो चली है, तू आराम कीया कर।

सुनीता-- क्यूं रे मैं तूझे बुडढी दीखती हूं?
सोनू-- नही, मां मेरे कहने का मतलब ये नही था।

सुनीता का चेहरा उतर गया था जो सोनू साफ साफ देख सकता था।

सुनीता-- सही है तेरे कहने का मतलब एक बुडढी को बुडढी नही तो और क्या बोलेगा?


सोनू इतना तो जानता था की, उसकी मा बहुत खुबसुरत है। वो तो बस उसके मुह से 'पांव दुखने की बात' पर नीकल गया की तेरी उमर हो चुकी है।

सोनू -- वैसे मेरी बुडढी मां कयामत लगती है।

सुनीता ये सुनकर शरमा जाती है, और बोली।

सुनीता-- बाते बनाने में आगे है, तू वैसे बहुत भोला बनता है। अपनी मां को कयामत बोलता है. शरम नही आती तूझे जरा सा भी।

सोनू-- अपनी मां से कैसी शरम, जो बात है तुझमे वो बात बोल दी मैने।

सुनीता-- मैं तुझे कहां से कयामत लगती हू भला।

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सोनू-- बताऊं,
सुनीता-- बता जरा।

सोनू-- तू सुन पायेगी क्या मां॥

सुनीता(शरमाते हुए)-- नही रहने दे बेशरम।

सोनू-- जब तू शरमाती है, तो आधा से ज्यादा कत्ल तो ऐसे ही हो जाता है। अगर तू मेरी मां नही होती तो।

सुनीता-- मां नही होती तो क्या?
सोनू-- फीर तो मेरे मजे थे।

सुनीता ये सुन कर बुरी तरह शरमा जाती है, और सोनू के गाल पर थपकी लगाती हुए.....बेशरम.......मैं तेरी मां हू।

सोनू-- वही तो रोना है।
सुनीता-- अच्छा मतलब मैं तेरी मां हू तो तुझे अच्छा नही लगता।

सोनू-- अरे नही मां तू मेरी मां है, ये मेरा सौभाग्य है, और वैसे भी दुनीया में खुबसुरत औरतो की कमी थोड़ी है, जो मैं अपनी मां पर ही बुरी नज़र डालूगां॥

सुनीता ये सुनकर उसे साफ हो गया था की उसके बेटे की नज़र में मै सीर्फ उसकी मां हू और कुछ नही, लेकीन उसे एक बात अंदर ही अंदर खाये जा रही थी जो सोनू ने बोला ' की दुनीया में औरतो की कमी थोड़ी है, जो वो अपने मां पर ही'

पता नही क्यूं आज सुनीता को उन सारी औरतो से नफरत सी हो रही थी।

सोनू खाना खा चूका था। और हाथ मुह धो के वापस आ कर खाट पर बैठ गया।

सुनीता-- उस दीन भोला बनने की नाटक क्यूं कर रहा था?

सोनू--कीस दीन मां?
सुनीता-- जीस दीन भैंस ले के जाने का था, पता तेरे उपर सब हसं रहे थे की तू अनाड़ी है।

सोनू-- लगता है मेरी प्यारी मां को रास नही आया की कोइ मुझे अनाड़ी बोले।

सुनीता-- हा तो...दुनीया की कोइ मां नही सह सकती की कोइ भी उसके बेटे को अनाड़ी बोले।

सोनू-- वैसे कौन बोल रहा था अनाड़ी?
सुनीता-- तेरी चाचीयां और फातीमा।

सोनू-- और तू?
सुनीता-- हां तो तेरी हरकते वैसी ही थी, तो मुझे भी वैसा ही लगा।

सोनू-- तू बोले अनाड़ी मुझे कोइ फर्क नही मां॥
सुनीता-- क्यूं मेरे बोलने पर फर्क क्यूं नही होता तूझे?

सोनू-- क्यूकीं मैं तुझे साबीत नही कर सकता ना मां॥


सुनीता ये बात समझ गयी की सोनू क्या बोलना चाहता है, वो बुरी तरह शरमा गयी, सोनू की बाते उसके रोम रोम में हलचल मचा देता।

सुनीता-- और बाकी लोगो को कैसे साबीत करेगा।
सोनू-- फातीमा काकी को साबीत कर दीया है, अब जा कर पुछ लेना की मैं अनाड़ी हू यां खीलाड़ी।

सोनू को ये नही पता की वो जो बोल रहा है, वो सुनीता ने पुरा खेल देखा था। फीर भी सुनीता बोली।

सुनीता-- ऐसा क्या कीया तूने फातीमा के साथ।

सोनू-- काकी तेरी सहेली है, तू खुद पुछ लेना।

सुनीता-- अच्छा बाबा पुछ लूगीं , अब तू आराम कर मैं चलती हू ॥ रात को तेरा पसदींदा आलू का पराठा बना कर रखुगीं॥

सोनू-- ठीक है मेरी प्यारी मां और अनायास ही उसके होठ सुनीता के गाल को चुम लेते है, सुनीता के बदन में सीरहन सी उठ जाती है,

सुनीता-- बदमाश. और उठ कर थाली लेकर जैसे ही कुछ दुर जाती है, सोनू उसे आवाज देता है॥

सोनू -- मां,
सुनीता(पीछे घुमते हुए)-- हां क्या हुआ?

सोनू-- कुछ नही, बस आज बहुत अच्छा लगा , तुने पहली बार मेरे साथ इतना प्यार से बात की। ऐसे ही कभी कभी करते रहना।

सुनीता ये सुनकर उसकी आंख भर आती है, और वो झट से सोनू के पास आकर उसे सीने से लगा लेती है।

सुनीता-- मुझे माफ कर दे बेटा, आज के बाद मैं तुझे कभी नही डाटुगीं॥

सोनू-- सोनू, अलग होते हुए- ऐसा मत करना मां॥ मुझे कभी कभी डाटते रहना।

सुनीता-- क्यूं?
सोनू-- नही तो मुझे तुझसे प्यार हो जायेगा, मां बेटे वाला नही।
सुनीता-- तो कैसा प्यार?

सोनू-- जैसा तू पापा से करती थी। वो वाला,

सुनीता-- धत बेशरम और वहा से शरमाते हुए भाग जाती है...।


"घर में मालती खाट पर लेटी, साड़ी के उपर से ही अपनी बुर रगड़ रही थी।और उसके ज़हन में सिर्फ सोनू का वो घोड़े जैसा लंड नज़र आ रहा था।

मालीती(मन में ही)-- अरे कीतना बड़ा था सोनू का लंड , मैने तो आज तक इतना मोटा लंड देखा ही नही था। कैसे सोहन की गांड फाड़ रहा था...बेरहम
यही सोचते सोचते उसको मस्ती चढ़ जाती है....तभी अँदर कोइ आ जाता है। जीसे देख मालती चौंक जाती है, और अपने बुर पर से हाथ हटा खाट पर से खड़ी हो जाती है।

मालती-- कल्लू ब.....बेटा तू!

कल्लू-- हां मां तू बाहर कपड़े डाल कर भूल जाती है, क्या ? बाहर बारीश होने जैसा मौसम बन रहा है, जो भी कपड़े सुखे थे सब फीर से गीले हो जाते।

मालती-- अरे हा बेटा ध्यान ही नही रहा। अच्छा हुआ तू लाया, अब चल मैं खाना लाती हूं तू खा ले।

और फीर मालती रसोइ घर में जाने लगती है, तभी उसके दीमाग में पता नही कहा से सोनू की कही हुइ बात याद आती है, की उसने तो अपनी बड़ी मा को भी चोद दीया है,
Nice update
 
😈😈😈ENDLESS 😈😈😈
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Update 4
मालती खाना ले कर आती है, और खाट पर बैठे अपने बेटे को देकर वही जमीन पर बैठ जाती है।

मालती(मन में)-- अगर उसकी बड़ी मां अपने बेटे से चुदवा सकती है, तो क्या मैं अपने बेटे के साथ.....नही...नही ये गलत है।
तभी उसकी नज़र कल्लू पर पड़ती है,

कल्लू आराम से खाना खा रहा था,
ना चाहते हुए भी मालती कल्लू को निहारे जा रही थी,

मालती(मन में)-- मेरा बेटा, सोनू के जैसा थोड़ी है, जो अपनी मां पर ही बुरी नज़र डालेगा। लेकीन मैं ही पागल हूं जो अपने ही बेटे के बारे में गदां सोच रही हू, लेकीन क्या करु जब से लंड देखी हू तब से मेरी बुर फड़पड़ा रही है। क्या करू? बाहर चुदवाउगीं तो बदनामी होगी,लेकीन लंड तो चाहीए ही। मेरे लिये अच्छा होगा की अपने बेटे के नीचे ही पड़ी रहु जिंदगी भर....लेकीन इसे पटाउ कैसे ? अगर ये बुरा मान गया तो....अब जो होगा देखा जायेगा?

मालती-- बेटा पानी बरसने लगा, तूने सारे कपड़े तो नीकाले थे ना?
कल्लू-- हां मां॥
मालती-- मैं फीर भी देख कर आती हूं कही कोइ छुट तो नही गया और कहते हुए बाहर चली जाती है,

जब वो जा रही थी तो कल्लू कनखी से उसकी बड़ी बड़ी गांड देख रहा था, मालती दरवाजे के पास पहुच कर छट से पिछे मुड़ जाती है, और कल्लू को देखती है, जो उसकी मटकती गांड की तरफ देख रहा था।

कल्लू हड़बड़ा कर अपनी नज़र दुसरी तरफ कर लेता है, लेकीन तब तक मालती समझ चुकी थी की ये मेरी गांड ही देख रहा था। मालती थोड़ा सा मुस्कुराइ और बाहर आ गयी।

कल्लू(मन में)-- हे भगवान कही मां ने देख तो नही लीया की मैं उसकी...नही नही देखी होती तो अब तक मेरी पीटाइ हो जाती, लेकीन क्या गांड है साली की, 1 साल से देखते आ रहा हू चुप चुप के लेकीन कुछ कर नही पा रहा हूं....

तभी वहां मालती आ जाती है, वो इकदम पानी में भीगी थी, ये देख कल्लू चिल्लाया!

कल्लू-- मां तू पागल हो कयी है, क्या ठंढी के मौसम में क्यूं भीग रही है? ठंढ लग जायेगी तो।

मालती(ठंढी से कापते हुए)-- बेटा वो मै....आ....छी (छिंकते हुए)
कल्लू-- देखा सर्दी लग गयी ना, चल अब जल्दी कपड़े बदल ले।

मालती वही खड़ी खड़ी अपनी साड़ी खोल देती है, भीगा हुआ ब्लाउज जो मालती की बड़ी बड़ी चुचीयों को एक अच्छा सा शेप दे रहा था, और उसका पेटीकोट पूरा उसके गांड से चिपका उसकी खुबसुरती को बढ़ा रहा था। और कल्लू के सोये हुए लंड की लम्बाइ भी।

कल्लू तो बस मुहं खोले अपनी मां की गदराइ हुइ जवानी देख रहा था।

मालती-- अप खड़े खड़े देखता ही रहेगा या मेरी साड़ी भी लायेगा अंदर से। मुछे ठंढ लग रही है...आ...छी:॥

कल्लू-- हां.... लाता हू।
और अंदर से जाकर साड़ी और पेटी कोट लेकर आता हैं॥

मालती-- अरे बेटा तूने मेरी अंगीया(ब्रा) और चड्ढ़ी नही लाई(कहकर हल्का सा मुस्कुरा देती है)

कल्लू तो ये सुनकर ही पागल हो जाता है, वो झट से अंदर जाता है और उसकी एक काले कलर की ब्रा लेता है, और फीर उसकी चडढी लेकर जैसे ही आता है, उसके दिमाग मे खुरापात है, उसने चडढी के सामने एक बडा सा होल कर दिया और फीर जल्दी से लाकर अपनी मां को दे दीया।

मालती-- अब मुझे ही देखता रहेगा या, मुह पिछे घुमायेगा। मुझे कपड़े बदलने है,

कल्लू अपना मुह पिछे घुमा लेता है, मालती अपना कपड़ा बदलने लगती है। लेकीन जब वो चड्ढी पनहने लगती है, तो उसे चड्ढी में बड़ा सा होल दीखा ये देख कर मालती मुस्कुराते हुए मन में-- वाह बेटा, मुझे लगा आग सीर्फ मेरे बुर में ही लगी है। लेकीन मुझे क्या पता था की तेरा भी लंड सुलग रहा है...और सोचते सोचते चड्ढी पहन लेती है,

मालती-- मैने कपड़े पहन लीये है, अब तू मुह घुमा सकता है।

कल्लू पलट जाता है, और खाट पर बैठ जाता है।

कल्लू-- मां खाना क्या बनायेगी आज?
मालती कल्लू के बगल में बैठती हुई-- जो मेरा बेटा बोले, वही बनाउगीं॥

कल्लू-- मां तू बता ना तूझे क्या पंसद है।

मालती-- मुझे जो पंसद है तू खीला पायेगा?

कल्लू-- अरे मां तू बोल तो सही।
मालती-- मुझे तो बैंगन पंसद है।

कल्लू इतना भी ना समझ नही था, वो समझ कया था की उसकी मां ने उसे उसकी गांड देखते हुए देख लीया था। और फीर होल वाली चड्ढी भी पहन ली और कुछ बोली नही, और अब इसे बैंगन खाना है।

कल्लू-- मां तूझे बैंगन कब से पंसद आने लगा?
मालती-- बेटा जब से सुनीता के घर में देखा तब से।

कल्लू हड़बड़ाया और सोचने लगा की इसने सुनीता काकी के घर में....कही सोनू ने तो नही दिखाया इसे( ये सोचकर ही उसकी गांड जलने लगती है)
क्यूकीं सोनू और उसकी बनती नही थी।

कल्लू-- मतलब तू मेरे दुश्मन के घर बैंगन देख कर आयी है, तो वही क्यूं नही खा ली?

मालती ये जानती थी की इसका सोनू से नही बनता,
मालती-- अरे तू नाराज़ क्यूं हो रहा है मेरे लाल, मैं बैंगन कहीं भी देखु लेकीन खाउगीं तो सिर्फ अपने घर की।

ये सुन कल्लू खुश हो जाता है॥

कल्लू-- मां मुझे भी तुझे अपना बैंगन खीलाने में बहुत मजा आयेगा।
मालती (शरमाते हुए)-- मुझे भी मजा आयेगा बेटा।

कल्लू -- मां तूझे ठंढ लग रही होगी मैं रज़ाइ ला देता हू फिर तू ओढ़ कर बैठ।
मालती-- ठीक है बेटा।

कल्लू अंदर से एक रज़ाइ ला कर दे देता है, मालती वो रज़ाइ ओढ़ कर बैठ जाती है।
मालती-- तूझे ठंढ़ी नही लग रही है क्या?
कल्लू-- लग तो रही है,

मालती-- अभी शाम होने में समय है। आजा तू भी रज़ाइ में थोड़ी तेर सो लेते है, तू भी तो कपड़े धो कर थक गया होगा?

कल्लू समझ जाता है की मां को बैंगन खिलाने का इससे अच्छा मौका नही मिलेगा, वो अपनी मां के साथ रज़ाई में घुस जाता है.....

कल्लू रज़ाई में अपनी मां के साथ लेटा था, उसका शरीर इकदम गरम हो गया था।
उधर मालती अपने बेटे की तरफ से कोइ प्रतीक्रीया चाहती थी, तभी उसे अपनी कमर पर कल्लू का हाथ महसुस हुआ,

मालती सीहर गयी, और अपनी आंखे बंद कर ली।

कल्लू ने उसकी कमर को थोड़ा अपने हाथ से मसला॥

मालती-- आ....ह बेटा क्या कर रहा है?
कल्लू-- कुछ तो नही मां॥
मालती-- मेरी कमर क्यूं दबा रहा है?
कल्लू-- वो तूझे ठंढी लगी है ना इसलीये। मैं दबाउं मां॥

मालती-- दबा लेकीन गलत जगह क्यूं दबा रहा है?
कल्लू-- फीर कहां दबाउं मां?
मालती कल्लू की तरफ अपना मुह करती हुइ बोली।

मालती-- चड्ढी में छेंद करना जानता हैं, और कहा दबाना है वो नही जानता तू।

कल्लू सुन कर थोड़ा मुस्कुरा देता है।

मालती-- हसं क्यू रहा हैं?
कल्लू-- हसं इसलीये रहा हू , की तूने फीर भी चड्ढी पहन ली।
मालती-- बेशरम....इक तो अपनी मां के चड्ढी में छेंद करता है और उपर से हस रहा है। बोल क्यूं छेद की थी तूने?

कल्लू(मालती के कान में)-- ताकी तेरा छेंद देख सकू।
तभी बाहर से आवाज आती है.....मालती अरी वो मालती।

दोनो आवाज सुनते ही घबरा कर अलग हो जाते है, मालती घर के बाहर नीकली तो उसे गांव की 3, 4 औरते दीखी,

मालती-- क्यां हुआ? रमा।
रमा-- अरे वो अपने सरपंच है ना, वो चल बसे।
मालती-- क्या? कैसे -
रमा-- पता नही सब वही गये है, हम भी जा रहे है, चल तू भी॥

मालती भी उन लोग के साथ चल देती है, और इधर कल्लू भी अपना सायकील उठा कर चल देता है।


सरपंच के घर पर भीड़ लगी हुई थी, पुरा गावं के लोग भी इकट्ठा हुए थे। रोने बीलखने की आवाजें गुंज रही थी।

सोनू भी वही था, वो अपने बड़े पापा के पास खड़ा था।
रजींदर-- अरे सुना रात को सोये तो सुबह उठे ही नही।

तभी वहा कार आकर रुकती है। उसमे से डाक्टर पारुल अपनी बेटी वैभवी के साथ उतरती है।

रजिंदर-- अरे सोनू जा कुर्सी ले के आ जल्दी।
सोनू सरपंच के घर में कुर्सी लाने चला जाता है, और दो कुर्सी ले के आता है। एक कुर्सी पारुल को देता है, और दुसरा कुर्सी वैभवी के तरफ बढ़ा देता है।

वैभवी-- कैसे हुआ ये?
सोनू-- पता नही सब तो यही कह रहे है की , रात को सोये तो सुबह उठे ही नही।

वैभवी-- लेकीन मुझे तो कुछ और ही लग रहा है।
सोनू-- क्या लग रहा है?
वैभवी-- उसे तुमसे क्या वो मां डाक्टर है बता देगी। और वैसे भी मैं तुमसे बात क्यू कर रही हूं॥

सोनू (धिरे से)-- शायद प्यार हो गया हो मुझसे।
वैभवी-- प्यार और तुमसे....हं..कभी थोपड़ा देखा है आइने में। तुमने ही कहा था ना मैं बहुत खुबसुरत हूं॥

सोनू-- आप तो परी लगती है।
वैभवी-- तो परी के साथ , इसान का मेल नही होता।
सोनू-- हाय यही अदा तो अपकी मुझे पागल कर देती है।
वैभवी-- इडीयट् । बात करने की तमीज़ नही है क्या तुम्हे?

सोनू-- आप सीखा दो ना।
वैभवी कुछ बोलती इससे पहले ही उसके बड़े पापा बोले-

रजिंदर-- उधर क्या कर रहा है, चल जा ट्रेक्टर ले के आ मट्टी(लाश) लेके चलने का वक्त हो गया है,

सोनू वहा से जाकर ट्रेक्टर ले के आता है, और सब मट्टी के साथ गंगा कीनारे चल देते है।

शाम को सब घर वापस आ जाते है, सोनू थोड़ी देर सरपंच के घर पर बैठता है और फीर सीधा घर पर आ जाता है।
शाम के करीब 7 बज गये थे, और अंधेरा हो चुका था। घर में सुनीता के साथ साथ कस्तुरी और अनिता भी बैठे थे।

कस्तुरी-- अरे सोनू बेटा बाहर ही रह।
सोनू बाहर ही रुक जाता है,
सोनू-- क्यू चाची क्या हुआ?
कस्तुरी-- अरे मट्टी से आ रहा है, पैर धो ले और कपड़े बाहर उतार कर आ।

सोनू पैर धोता है, और फटाफट कपड़े बदल कर अंदर आ जाता है।

कस्तुरी-- आज तेरे मन का पराठा बनायी हूं॥
सोनू -- नही चाची, आज सब गांव में भुखे रहेगें, एक मट्टी उठी है, ॥

कस्तुरी-- हां बेटा वो तो है,
सोनू बैठा यही सोच रहा था की, अब तो फातीमा काकी के घर जा नही सकता, और एक मादरचोद बड़ी अम्मा थी तो अपनी मां चुदाने गयी है अपनी मायके, अब लंड को बुर मीले तो मीले कहा। सोचते सोचते उसकी नज़र कस्तुरी पर पड़ी, जो की वो सोनू को ही देख रही थी,

कस्तुरी-- क्या हुआ बेटा कुछ चाहिए क्या?
सोनू(मन में)-- हा साली तेरी बुर देगी मुझे?
सोनू-- नही कुछ नही चाहिए।

कस्तुरी(सोनू की तरफ देखते हुए)-- मुझे लगा कुछ चाहिए, और अपनी चुचीया हल्की सी दबा देती है। और सोनू को देख कर मुस्कुरा देती है।

उसकी ये हरकत सोनू के सीवा कोई और नही देख पाता। सोनू देखते ही समझ जाता है की ये साली की भी बुर गरम है।

सोनू भी बीना डर के सबसे नज़रे चुराये कस्तुरी को आंख मार देता है।कस्तुरी ये देख कर शरमा जाती है।

सोनू उसके साथ ऐसे ही बैठे 2 घंटे तक हरकते करता रहा।

सोनू-- मां मै उपर छत पर सोने जा रहा हूं॥
सुनीता-- क्यूं बेटा उपर छत पर क्यूं सोने जा रहा है।
सोनू-- आज से मैं वही सोउगां मां॥

सुनीता-- ठीक है, बेटा।

और सोनू उठ कर जाते जाते कस्तुरी को इशारा कर देता है। कस्तुरी भी हां में सर हीला कर शरमा जाती है।

करीब आधे घंटे और बैठने के बाद सब लोग सोने चले जाते है।
कस्तुरी अन्नया के साथ लेटी थी और वो अनन्या के सो जाने का इंतजार कर रही थी।

करीब 2 घंटा हो गया लेकीन अनन्या और उसके बगल .के खाट पर लेटी कस्तुरी की बेटी आरती दोनो बाते ही कर रही थी।

कस्तुरी-- तुम लोग सोवोगे नही क्या?
आरती-- नही मां आज पता नही क्यूं निदं नही आ रही है।

कस्तुरी-- हां तुझे निंद कैसे आयेगी , तेरी मां की बुर जो चुदने वाली है।

कस्तुरी-- तो तुम लोग चिल्लाओ ,मुझे तो निंद आ रही है। मै जा रही हूं छत पर सोने। और वैसे भी छत पर सोनू सो ही रहा है।

अनन्या-- हां जा तू चाची, हमें पता नही कब निदं आयेगी?

छत पर सोनू बल्ब की रौशनी में अपने खाट पर लेटा था।
और इधर जैसे जैसे कस्तुरी सिढ़िया चढ़ रही थी, वैसे वैसे उसकी सांसे बढ़ रही थी,
कस्तुरी छत पर आकर पहले सिढ़ियो का दरवाजा बंद करती है। और सोनू के कमरे में अंदर आती है।

सोनू-- क्या बात है बहुत जल्दी आ गयी।
कस्तुरी (अंदर से कड़ी लगाते हुए)- हां तो क्या करु? वो अनन्या और आरती सोने का नाम ही नही ले रही थी। लेकीन तू मुझे यहां क्यूं बुलाया है॥


सोनू-- तूझे चोदने!
कस्तुरी-- धत बेशरम, भला कोइ अपनी चाची के साथ ऐसा कोई करता हैं क्या?

सोनू-- साली तेरी जैसी उठी उठी गांड और भरी भरी चुचीया जीसकी चाची के पास होगी। वो चुतीया ही होगा जो नही चोदेगा?

कस्तुरी शरमा जाती है-- सोनू ऐसे बात मत कर, मुझे शरम आ रही है।
सोनू-- शरमायेगी तो चुदवायेगी कैसे?
कस्तुरी-- मुझे नही चुदवाना।
सोनू-- चल साड़ी उतार ॥ आज पुरी रात है तुझे चोद चोद कर अपनी रंडी बनाउगां॥

कस्तुरी-- नही ना सोनू ऐसा नही करते।
सोनू-- नखरे मत कर मादरचोद। चल साड़ी उतार जल्दी,

कस्तुरी भी नही चाहती थी की उसके बदन पर एक भी कपड़ा रहे। उसने अपनी साड़ी के साथ साथ पुरा कपड़ा निकाल कर नंगी हो गयी।

कस्तुरी-- कैसा लगा तेरी चाची का जीस्म।
सोनू-- साली तू तो रंडी है। इकदम अपतक शरम आ रही थी।
कस्तुरी-- हां मैं तेरी रंडी हू सीर्फ तेरी। और खाट पर आकर बैठ जाती है। चोद चोद कर अपनी रखैल बना ले सोनू, और जैसे रज़ाइ हटाती है। सोनू का लंबा मोटा लंड तन कर खड़ा था।

कस्तुरी-- हाय रे...ये तेरा लंड है या...घोड़े का।
सोनू-- अपनी बुर में लेगी तो बताना , की कैसा है मेरा लंड। चल अब चुस इसे मुंह में लेके।

कस्तुरी सोनू का लंड अपने हाथ में लेती है।
कस्तुरी-- अरे ये तेरा लंड तो मेरी मुट्ठी में भी नही आ रहा है। पता नही ये मेरी बुर का क्या हाल करेगा।

सोनू-- साली अब मुह में डालेगी....आह हां मेरी रंडी ऐसे ही चुस।
कस्तुरी अपना मुहं खोले सोनू का लंड अपने हलक तक उतार लेती, वो सच में बहुत बड़ी चुदक्कड़ थी, खासते हुए भी वो सोनू का लंड अपने गले में उतार लेती॥

कस्तुरी-- आह ऐसा लंड मैने अपनी जिंदगी में पहली बार देखा है।

सोनू-- अह , साली मुझे भी पहली बार तेरी जैसी रंडी मिली है, आह जो कमाल चुसती है।

कस्तुरी(सांस लेते हुए)-- तेरी कुतीया हूं ना तो चुसुगीं ही। कैसा चुस रही है तेरी रंडी चाची।

सोनू-- बोल मत आह मादरचोद , क्या चुसती है। अपनी बेटी से कब चुसवायेगी।

कस्तुरी-- पहले उसकी मां को तो चोद ले।

सोनु-- उसकी मां तो चोदुंगा ही।
कस्तुरी--- कसम.सेे।ये। तेरा। लंड देख कर तो कोइ भी औरत तेरे सामने कुतीया बन जाायेगी....।

सोनू ने उसे खाट पर लिटा दीया... और उसके.उपर चढ़ गया, उसकी.चुुुचीयों कोअपने द़ातो में दबा कर उपर की तरफ खीचने.लगा......।

कस्तुरी----- आ..........आ.......ह, न....ही सो......नू , दर...द कर ...रहा हैईईईई........इआ,
कस्तुरी दर्द से तीलमीला गई..उसे फातीमा की चुदााई देखने के बाद ये तो पताा चल गया थाकी सोनू बेरहम है, लेकीन इतंनाय नहीी जानती.थी।

सोनू का.तो काम ही था बेरहमी से चोदना......,

कस्तुरी---- आह..बेरहम तेरा ये लंड देख कर तो कोई भी औरत....आह पागल हो जायेगी लेेकीन तेरा दिया हुआ. दर्द सब औरतें नही सह पायेगी रे.......आ....मां ...मेरी... चु....चीयांं.।

सोनू ने आखीर उसकी नीप्पल से.खुन का कतरा नीकाल ही.दिया...।

कस्तुरी---- .हाय रे द इया, जब तक तुझे खुन नही दीखता तब तक तूझे चैन नही मीलता ना.बेरहम........।

सोनू अपनी बेेेर..हमी पर उतर आया था.... कस्तुरी की एक चुचीं की बैंड बजाने के बाद अब.उसकी दुसरी चुचीं की तरफ रूख मोड़ा...

कस्तरी--- हे। भगवान, इतना जोर से मत दबा रे बेेरहम......आह,
सनूू---- आहसम से रानी.... तेरी चुचीयां तो बवाल हैं।

कस्तुरी-----.....आह....इसी लिए त इतनी जोर जोर से दबाा रहा है ना.भले मेरी हालत खकुछ भी हो...।

सोनू----- तू सली मजे ले रही है....मुझे सब ........पता है ।
कस्तूरी----हां मुझे सब पता है। तुम भी तो मज़े लेते हो।

सोनू--- चल अब ज़रा कुतीया तो बन ।
कस्तूरी फटाक से कुतीया बन जती है, सोनू कस्तूरी की मोटी और बडी गांड देखकर पागल हो जता है, वो उस पर जोर से थप्पड़ लगता है.....

कस्तूरी--- आह .....मा आराम से........
सोनू--- चुप साली एक तो इतनी बडी बडी गांड ले के मेरे लंड मे आग लगाती है और कहती है आराम से .....आज तो तेरी गांड का वो हाल करूंगा की तू जीन्दगी भर अपनी गांड में मेरा लंड लिये घूमेगी ।

कस्तूरी ---- आह मेरे राजा यही तो मै चाहती हू.......की तू अपना मुसल लंड से मेरि बुर और गांड चौड़ी कर दे.....आ........आ....न......ही......निका........ल.....सोनू।

अब तक सोनू का लंड कस्तूरी के गांड का सुराख बडा करता अंदर जड़ तक पहुंच गया था.....और कस्तूरी इधर उधर छटपटा रही थी लेकिन सोनू उसके कमर को पकड़ बेरहमी से उसकी गांड के छोटे से सुराख में अपना मोटा लंड पेले जा रहा था.....अचानक कस्तुरी उसके चंगुल से छूटती है और रोते रोते भाग कर खाट के बगल एक कोने में अपना गांड पकड़ी बैैैठ जती.......है।
कस्तूरी जोर जोर से रो रही थी।

सोनू अपना मोटा लंड लिये वैसे ही खाट पर था ..... कस्तूरी रोते रोते सोनू के लंड को देख रही थी जिस पर खून लगा हुआ और निचे रज़ाई पर टपक रहा था .......

सोनू---- चल मेरी कुतीया जल्दी आ ....देख मेरा लंड कैसा फुफफुफकार रहा है......।

कस्तूरी (रोते हुए)---- नही नही ...... मेरी गांड फट गायी है .....मैं अब नही ले सकती .......तू बेरहम है .....तूझे सिर्फ अपनी मज़े की पड़ी रहती है.....बकी औरतें मरे या जिये उससे तूझे कोई मतलब नही......।

सोनू---- अच्छा चल आजा आराम से करूँगा ।
कस्तुरी---- नही मुझें पता है तू फाड़ डालेगा.....
सोनू---- अरे मेरी जान फाड़ तो दिया ही है .... अब कितना फडुगा......।
कस्तुरी----- सच में ना धीरे धीरे करोगे ......।
सोनू--- हा सच में चल अब आ जा......।

कस्तुरी के आंख के आंसू बयाँ कर रहे थे की उसको कितना दर्द हो रहा था ......वो डर भी रही थी की सोनू4उसका क्या हाल करेगा ......यही सोचते सोचते ......वो खाट पर अपनी मोटी गांड सोनू की तरफ कर कुतीया बन जती है........।

सोनू इस बार कस्तूरी की कमर मजबूती से पकड अपना लंड बेरहमी से फिर से कस्तूरी के गांड में घुसा देता है .....।

कस्तूरी(चिल्लाते हुए) .....ही........आ.aaaaaaaaaa........आ...मां ....छोड़ .......दे........सोनू ।


सोनू---- चिल्ला साली कितना चिल्लाएगी .....बहुत भगती है ना .....ले अब मेरा लंड ......अपनी गांड मे.....कसम से तेरी गांड तो .....आह बहुत टाइट है।

कस्तूरी को तो जैसे होश ही नही था .....उसकी गांड में सोनू का लंड गदर मचा5रहा था ......और कस्तूरी का चिल्ला चिल्ला कर गला सुख गया था ......वो अब और दर्द बर्दाश्त नही कर सकती थी ......उसकी आंखे बंद होने चली थी ......लेकिन तभी सोनू अपना लंड उसकी गांड से निकाल उसकी बुर पर रख जोर का धक्का देता है।.......

कस्तूरी ........-- आ aaaaaaaa.........आह ...नही ......बेर.....हम ......छोड़ ...आ.....दे।

एक और दर्दनाक चीख कमरे में गूंजती है.......।

सोनू----- साली कितने दिन से नही ....आह......चुदी है .....तेरा तो बुर भी कमाल का है......।

कस्तुरी----- सोनू .........बे......टा रहम ....आह .....मां ......क्या ......करू ......बहुत दर्द......।

सोनू तो अपनी मस्ती में मस्त उसकी बुर का भी भोस्डा बना दिया था .......।

लगातर धक्को ने अब कस्तुरी के बुर को अन्दर तक खोल दिया था ......और सोनू का लंड आराम से ले रही थी .....उसका दर्द अब कही ना कही सिस्करियो में बदल रही थी। उसकी बुर भी पनियो से भर गइ थी ....और सोनू अपना पुरा कमर उठा उठा कर उसे चोद रहा था .......फच्च फच्च की आवाज़ पुरे कमरे में गंज रही थी ......।

कस्तूरी------ आह .....बेरहम .....बहुत दर्द ....दिया tune...अब मज़ा आ रहा .....है.......eeeeeeeeeeeee......न.ही.......आ.... आ.....वहां नही......मेरी .....गां.....................ड ।

सोनू ने फीर से अपना लंड उसकी बुर से निकाल उसकी गांड में पेल दिया था .........जँहा एक तरफ अब कस्तूरी को मज़ा आने लगा था ......लेकीन सोनू बेरहम शायद अभी कस्तुरी को और रुलना चहता था .......aअपना लंड कस्तूरी की गांड में डालकर जोर जोर से धक्का मार रहा था .........।

कस्तूरी(रोते हुए)------- आ........ह...ह......मार .....डाल ....हरामी ....आ .......शायद तभी.....आह....तूझे चैन मिले .....आ .....भगवान।

शायद कस्तूरी भी सोनू से हार मान गयी थी........।

सोनू----- उसका बॉल खीचते हुए----- कैसा लग रहा है.....जान।
कस्तूरी----- आ.......aआ........मै ....मर ....जाऊंगी .......सोनू .....निकाल ....ले मेरी गांड से.....।

सोनू---- पहले बोल कभी उछल कर भागेगी?
कस्तूरी-- कभी नही ......
सोनू ने अपना लंड उसके बुर में वापस डाल कर दानदन कस्तूरी को चोदने लगा......।

कस्तूरी------आ .......मर.....गायी.....रे हर बार इसका ....आ...ह.....लंड मेरी हालत खराब कर देता है.......आ ह.....मजा आ रहा है ..... sonu.....कितना अन्दर डालेगा .....।

सोनू--- तूझे कितना अन्दर चाहिये .....मधर्चोद ......फट ......एक थप्पड़ गांड पर जड़ देता है ।

कस्तुरी--- आह.....तू बहुत ....आह ....अंदर डाल चुका है .... sonu.....बहुत मज़ा आ रहा है ......।

सोनू----- अब मजा आ रहा है रंडी ......साली .....तभी तो चिल्ला रही थी।

कस्तुरी-----आह ..... so...
.......nuuuuuu........मै गायी .....जोर जोर से चोद फाड़ दे ......आपनी चाची की बुर ......आह मुझे4पता है .......आइ .........की तू ही औरतों की बुर फाड़ सकता है।

इतना सुनना था की सोनू उसका बाल खींच और उसके गांड पर थप्पड़ की बरसात करते पूरी जोर से चोदने लगता है.......।

कस्तुरि ---- आ ........beta........मै गयी ........ aur......कस्तुरी खाट पर मुह के बल गीर अपना पानी छोड़ने लगती है ...... और उधर सोनू भी उसके गांड पर चढ़ 4,5धक्के जोर का लगता है .....और अपना पुरा पानी उसकी बुर मे भरने लगता है.....।

कस्तुरी------आह ...सोनू कर दे अपनी चाची को गभिन ...... बना ले मुझे अपनी बच्चे की माँ ।

सोनू अपने लंड का पानी उसकी बुर की गलियो मे छोड़ खाट पर लेट4जाता है ।


कस्तुरी उसके सिने पर सर रख देती है.......।
कस्तुरी----आज तुने तो मेरी हालत खराब कर दी।
सोनू--- साली .........जोर जोर से चिल्ला कर मज़े ले रही थी तू ।
कस्तुरी----- सच में सोनू ये तेरा लंड अगर दर्द देता है तो पुरा अध्मरा कर देता है .....और मज़ा देता है तो स्वर्ग की सैर करा देता है.....।

सोनू----अच्छा ठीक है......गला सुख रहा है .....थोडा पानी पिला।
कस्तुरी----- ठीक है मेरे राजा लाती हू.......।
और कस्तुरी पानी ला कर सोनू को देती है......सोनू पानी पिता है और कस्तुरी को बांहों में भर कर धीरे धीरे नींद की आगोश में चला जाता है........।

सुबह सुबह सीढ़ियो के दरवाजे की खटखटहत की आवाज़ से कस्तुरी की नींद खुलती है ...... उसके कानो में सुनीता की आवाज़ आती है।

वो जैसे ही खाट पर से उठती है उसके बदन में दर्द महसूस होता है ......... aur..... उसे ऐसा लग रहा थाा जैसे उसके बुर और गांड को किसी ने चाकू से ......चीर दिया हो । ऐसा...दर्द हो रहाा था उसे ।

कस्तुरी----- आह दईया, इस मुए ने तो मेरी हालत खराब कर दी है ....मुझसे तो चला भी नही जा रहा है।

वो लडखडते लडखडते सीढियों तककी पहुँची और दरवाज़ा खोलती .....।

सुनीता---- कब से चिल्ला रही हूँ सुनाई नही देता तुझे ।
कस्तुरी----- मै तो रात भर चिल्ला रही थी तुमने सुना क्या दीदी ।
सुनीता-----क... क्या मतलब है तेरा

कस्तुरी----- वही जो तुम सोच रही हो दीदी।
सुनीता---- हे भगवान , तू भी ना ..... तुम सब औरतें मील कर4मेरे बेटे को बिगाड़ रही हो।

कस्तुरी ------ बड़ा मज़ा देता है दीदी तेरा बेटा .....हाँ बेरहम है ....एक बार जान आफत में डाल देता है ......लेकीन उसके बाद ......आ........ह दीदी क्या बताऊ .......।

सुनीता(थोड़ा मुस्कुरा कर)----- अच्छा ठीक है अब चल घर का काम करना है ।

कस्तुरी----- नही दीदी मुझसे नही होगा । बहुत दर्द कर रहा है।
सुनीता---- क्या दर्द कर रहा है?
कस्तुरी----- अपने बेटे से पुछ लेना।

सुनीता---- चुप छिनाल ।
और फीर दोनो हंसने लगती है.......।

सुनीता कस्तुरी को सहारा दे कर निचे ले आती है।

सुनीता------ ऐसा क्या कर दिया सोनू ने की तू, फतिमा से भी ज्यादा तेरी हालत खराब हो गायी।

कस्तुरी------ जिसकी दोनो सुराख सोनू के लंड से खुले .....उसकी तो यही हालत होगी ना।

सुनीता ये सुन कर अंदर तक हील जाती है........ और कस्तुरी को पास के खाट पर बिठा कर झाडू मारने लगती है..........।


करीब 9 बजे सोनू उठता है.......और छत से नीचे आता है.......उसकी मा सुनीता कस्तुरी के बगल में बैठी थी।

कस्तुरी तो सोनू को देख शर्मा जाती है .....और सोनू थोड़ा मुस्कुरा देता है......।

सुनीता------ क्या हुआ बेटा सुबह सुबह हंस रहा है...... koi अच्छा सपना देखा क्या?

सोनू----- न....नही मां बस ऐसे ही।
सुनीता----- तू थोडा आराम किया कर । इतनी मेहनत ठीक नही है ।
सोनू----- अरे मां तेरे अपने घर वालो के लिये ही तो मेहनत करता हू......खेत मे।

सुनीता----- खेत की बात नही कर रही हू......अच्छा छोड़ तू , जाकर नहा ले।

सोनू नहाने के लिये हैण्ड पम्प पर चल देता है............

पारुल---- बेटा वैभवी कहा है तू?
अन्दर से वैभवी आवाज लगाती है बस आइ मां एक सैकेण्ड ........ रुको ना।


पारुल वैभवी के कमरे में जाती है ........
पारुल----- क्या बात है आज मेरी बेटी तो बहुत खुबसूरत लग रही है..... कही जा रही है क्या मेरी बेटी?

वैभवी------ अरे हाँ मां पास के स्कूल में ऐड्स के बारे में something कुछ जागरुक अभियान है, तो सोचा मै भी हिस्सा ले लूँ । सुबह सुबह आंगनवाड़ी की मुखिया रजनी आइ थी, तो उन्होने ही बुलाया है।

पारुल---- ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा । ठीक है मै हॉस्पिटल निकल रही हू.....मुझे देर होगी ।

वैभवी----- ठीक है मां bye.....tack care।
और फीर पारुल चली जाती है।


गांव के स्कूल में आज ज्यादा तर गांव के लोग आये थे....... वही पर सरपंच का बेटा विशाल भी था .......वैभवी अपने स्कूटी से स्कूल पहुंचती है........विशाल की नजर जैसे ही वैभवी पर पड़ता है । वो उसकी खूब्सुरती में खो जाता है.......।

वैभवी----- हाथ जोड़कर, नमस्ते रजनी जी।
रजनी---- नमस्ते बेटी..... aao....।

वैभवी अन्दर आती है।
रजनी---- वैभवी बेटी ये हमारे सरपंच के बेटे.....विशाल है। तुमने तो सुना ही होगा की कैसे सरपंच जी की.....

vaibhavi----- जी रजनी जी।

विशाल वैभवी की तरफ हाथ बढता है.......और वैैैैभावी भी विशाल से जैसे ही ....... हाथ मिलाती ....... सोनू भी वाही पहुंच जाता है।

सोनू को वैभवी से विशाल का हाथ मिलना अच्छा नही लगा। वैभवी की नजर भी सोनू पर पड़ती है ।

वैभवी के साथ कुर्सी पर बगल में विशाल बैठा था । और विशाल वैभवी से बातें कर रहा था .......और वैभवी भी विशाल से हंस हंस कर बात कर रही थी ।

सोनू वही खडा ये सब देख जला जा रहा था .......आज पहेली बार उसे ऐसा अहसास हो रहा था जैसे कोई उससे दूर जा रहा हो......।

सोनू (सोचते हुए)----- सोनू कही तुझे वैभवी से प्यार तो नही हो गया...... जो तू इतना जला जा रहा है उसको किसी और के साथ बात करते देख........नही नही वो तो मुझें पसंद ही नही करती । हमेशा मुझे एक आवारा लड़का समझती है....... उधर देख कैसे विशाल से हस कर बात कर रही है ......और मेरे साथ । छोड़ उसका चक्कर सोनू.......।

स्कूल का प्रोग्राम खत्म होने पर.......विशाल वैभवी5को उसके5स्कूटी तक छोडने आता है......।

ये देख सोनू वहा से कटने ही वाला था की वैभवी ने उसे आवाज दिया.....।

वैभवी------- हेल्लो...... वो हीरो।

सोनू सुनकर वैभवी के पास आता है।

वैभवी----- अरे विशाल तुम्हारे गांव के लड़को में जरा भी तमीज नही है की बात कैसे करते है।
विशाल---- तुम्हारे के साथ किसी ने बद्त्मीजी की क्या?
वैभवी---- हा। ये जो लड़का है, इसको बात करने की जरा सी भी तमीज नही है।

विशाल---- क्या रे सोनू तुने इनके साथ बद्त्मीजी की। चल माफी मांग।
सोनू---- देखो अगर मैने आपसे अगर कुछ भी बद्त्मीजी की हो तो माफ़ कर दिजीये....... ।

वैभवी----- ठीक है ......माफ़ किया। आगे से ऐसा वैसा कुछ मत करना ।

विशाल---- अरे वैभवी...... इसमे इसकी कोई गलती नही है......तुम हो ही इतनी खूब्सुरत की किसी का भी जुबाँ फिसल जए।

वैभवी----- विशाल तुम भी ना।

विशाल----- ok I am sorry.....if you mind then.
वैभवी----- no..... it's ok.

विशाल----- अब तू खड़ा क्यूँ है जा ......।
सोनू एक नज़र वैभवी की तरफ देखाता है...... शायद उसके......आंख की पलकें भीग गायी थी.......और फिर वहा से पैैैदल ही चल देता ........।

सोनू कुछ ही दूर पहुंचा होगा की वैभवी की स्कूटी उसके सामने आ कर रुकी......सोनू खड़ा हो जाता है।

वैभवी------ क्यूँ हीरो...... पूरी हीरो गिरी निकल गायी......।
सोनू चुप चाप खड़ा रहता है ...... ।

वैभवी------ अरे कुछ बोलोगे भी।
सोनू---- क.....क्या बोलू मैडम, मै ठहरा अनपढ़...... कुछ इधर उधर निकल गया तो मै फिर से बद्त्मीज की गिनती में शामिल हो जाऊंगा।

वैभवी---- अरे तुमने कोई बद्त्मीजी नही की है.....वो तो तुम मुझे परेशान करते थे तो सोचा मै भी परेशान कर लू।

सोनू----- परेशान कर लेती....लेकीन आप ने तो मेरा और सोनू कुछ नही बोल पाता बस उसकी ...... ankle bheeg jati hai. जो वैभवी साफ साफ देख सकती थी।



वैभवी----- म......मुझे पता है.....की मुझे ऐसा नही करना चाहिये था......I'm so sorry उसके लिये।

सोनू---- कोई बात नही मैडम ....... आज के बाद अपको या मुझे sorry कहने की जरूरत ही नही पड़ेगी ।

वैभवी---- वो कैसे?
सोनू---- क्युकि आज के बाद मै आपको परेशानं ही नही करूंग......इतना कह सोनू वहा से निकल देता है.......और वैभवी खड़ी सोनू को देखते रहती है...............

वैभवी सोनू को जाते हुए देखते रहती हैं।

आज सोनू को पात नहीं क्यों बहुत तकलीफ हो रहीं थीं। वो अपने घर पहंचकर सीधा अपने छत पर चला जाता है।
घर में सूुनीता के साथ कस्तुरी और आरती बैठी सोनू को जाते देख कर सुनीता बोले।



सुुुनीता -- अरे सोनू बेटा कहां जा रहा है। थोड़ी देर बैठ हमारे साथ भी।
सोनू-- नहीं मां मेेरा सर दुुख रहा हैं , मैं ऊपर छत पर सोने जा रहा हूँ ।

सुनीता -- अरे बेटा आ मै तेरा सर दबा देती हूँ ......।
सोनू--- नही मा रहने दे।
इतना कह सोनू छत पर चला जता है............

कस्तूरी---- दीदी मैं देखती हूँ ........।

और कस्तुरी भी छत की तरफ चल देती है..........।
 
😈😈😈ENDLESS 😈😈😈
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Update 5


सोनू छत पर खाट पर लेट वैभवी की कही हुइ बाते सोच ही रहा था की तभी कस्तुरी वहा आ जती है.......।
कस्तुरी खाट पर बैठते हुए सोनू के गाल को चूम लेती है ........।


सोनू----- चाची तुम जाओ यहा से........मेरा मुड़ खराब है।
कस्तुरी---- तो मै ठीक कर देती हूँ तेरा मुड़ ।
सोनू----- चाची तू जा अभी नही......मुझे अकेला रहने दे कुछ समय ।

कस्तुरी---- क्या हुआ कुछ बतायेगा भी?
सोनू---- चाची......मै तेरे हाथ जोड़ता हूं .....अभी जा तू।
कस्तुरी वहां से निचे चली आती है...............।


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बचन खेत में से सीधा घर आता है.......... जहा सीमा अपने माँ के खाट के बगल वाली खाट पर लेटी थी।
सीमा जैसे ही अपने बापू को देखती है उठ कर खाट पर बैठ जाती है........।

बचन---- सीमा बिटिया माँ नही दीख रही है?
सीमा---- बापू दादी....... शीला काकी के घर गई है.......।

बेचन----- अपने लंड को धोती के उपर से सहलाते हुए बोला की तू नही गई ........।

सीमा ये नजारा देख शर्मा जाती है..........।
बेचन को इतना इशारा काफी था........... झुमरी तो मस्त रजाई ओढ़ कर सो रही थी उसे इतना भी नही पता था की उसकी बेटी और उसका मरद दोनो क्या गुल खिला रहे है..........।

बेचन धीरे से सीमा के नजदीक जा कर उसे अपने गोद में उठा लेता है......।
सीमा (धीरे से)----- बापू ये क्या कर रहे हो?
बेचन (सीमा के कान में)----- चल उपर छत पे बताता हू........।

और सीमा को अपनी गोद में लिये छत पर आ जाता है। छत के घर के अंदर बने कमरे में बेचन सीमा को खाट पर लिटा देता है......... ।



सीमा की सांसे बहुत तेज चल रही थी उसकी दोनो छतिया उपर निचे हो रही थी....... जिसे देख बेचन खुद को रोक नही पाता और सीमा के उपर लेट उसकी एक चुची अपने हाथ में ले कर जोर से मसल देता है.......।

सीमा----- आह .....बापू क्या करते हो, मुझे शरम आती है।
बेचन----- बेटी तू अपने बापू को गलत मत समझ.......लेकीन अगर तुझे पसंद नही तो रहने देता हू.........।

सीमा अपने बापू को दोनो हाथो से पकड़ लेती है..........।

सीमा----- बापू .......आप ना बड़े वो हो.......
बेचन सीमा की चुची को फीर से दबाकर----- क्या हूं बिटिया मै ।

सीमा---- आह .....बापू तू पहले आग लगाता है और फीर कहेता है की रहने दे अगर तूझे ठीक नही लगता तो........।

बेचन का लंड तो अंदर धोती में मस्त हो गया था ............।

बेचन----- बिटिया तेरी आग तो मै ऐसा ठंढा करूंगा की तू अपने बापू को भूल नही पायेगी ।

सीमा----- तो जल्दी कर ना बापू नही तो वो कमीनी दादी आ जायेगी ।

ये सुनते ही बेचन ने अपने कपड़े उतार फेंके उसका 6 इन्च का लंड तंतना कर खड़ा था ......जीसे देख सीमा पागल हो जाती है ......उसने पहेली बार लंड देखा था और वो भी अपने बापू का ।

सीमा---- हाय रे बापू ....... ये कितना बड़ा है।
बेचन सीमा के करीब अपना लंड ले कर जाता है.............।

बेचन------ जरा हाथ में ले कर देख तो सही मेरी लंगडी घोडी ।

सीमा बेचन का लंड हाथ में जैसे ही पकड़ती है उसका शरीर पुरा अंदर तक कांप जाता है ।

बेचन---- अब इसे हिला थोड़ा बेटी ।
सीमा बेचन के लंड को हिलाने लगती है ....... बेचन इतने जोश में था की उसने सीमा को नंगी कर दिया ।


सीमा के बड़े बड़े खर्बुजे जैसे चुचीया और उसकी मोटी गोरी गांड उसे पागल कर दीया ।


बेचन ने सीमा की चुचियो पर धावा बोल उसे आराम आराम से चूसने और दबाने लगता है ........... तभी एक अवाज उनके सारे जोश को ठंढा कर देती है......।


बेचन बेटा ........कहा है तू?

बेचन ने सीमा की चुचियो पर धावा बोल उसे आराम आराम से चूसने और दबाने लगता है ........... तभी एक अवाज उनके सारे जोश को ठंढा कर देती है......।


बेचन बेटा ........कहा है तू?

सीमा----- आ गई हरामजादि ,
बेचन और सीमा फटाफट अपने कपड़े पहनते है ........और बेचन छत से नीचे आ जाता है........।
सीमा भी बैठ कर घिसक घिसक कर सीढियों से आंगन में आ जाती है।

बेचन---- क्या हुआ अम्मा ।


सुगना --- अरे शीला को बिछुुुआ डंंक मार दीया है................।

बेचन---- ठीक है मै जाता हू झाड़ दूंगा ..........उसका लंड धोती में टेंट बनाये हुए था जीसे उसकी अम्मा ने देख लिया था ।

सुगना समझ गई की ये जरुर कुछ सीमा के साथ गड़बड़ कर रहा था । लेकीन तब तक बेचन जा चुका था ।




वैभवी अपने घर में बैठी आज यही सोच रही थी की मुझे ऐसा नही करना चाहिये था ........बेचारा सोनू क्या सोचता होगा मेरे बारे मे।

तभी उसकी माँ पारुल आ जाती है ......... ।

पारुल---- अरे मेरी प्यारी बेटी कीस खयाल मे डूबी है।
वैभवी ने पारुल को वो सारी बात बता दिया.............।

पारुल----- तुम्हे ऐसा नही करना चाहिये था बेटा । अब कभी मिलेगी तो सॉरी जरुर बोल देना ।

वैभवी---- अरे माँ मैने sorry बोला उसको, लेकीन वो फीर भी मुझसे नाराज है । बोलता है आज के बाद कभी बात नही करूंगा ........तो मत करे मुझें कौन सा फर्क गिरता है।

पारुल ( उसके करीब आते हुए)---- अगर फर्क नही गिरता ना तो मेरी बेटी अकेले में बैठ उसके बारे में सोचती नही ।

वैभवी----- अरे माँ मै तो ......वो इसलिये सोच रही थी की मैने गलती की है ।

पारुल----- ok बाबा चल अब शांत हो जा ।

वैभवी----- माँ .......मै सोच रही थी की एक बार जा कर फीर से sorry बोल दूँ ।

पारुल---- ये तो और अच्छी बात है।

वैभवी ठीक है मा तो मै जाती हूँ ..........
parul---- अरे रूक बाद मे चली जाना ।


वैभवी---- मै जा रही हू माँ .........और पारुल से कार की चाभी ले कर गाव की तरफ चल देती है ।
वैभवी जल्द ही गाँव के रास्ते अपनी कार चलते हुए एक दुकान पर रोकती है ......।

वैभवी----- काका ये सोनू का घर कहा पडेगा?
बस बेटी वो सफेद मकान उसी का है.......।

वैभवी--- thanks......काका ।

वैभवी की कार सोनू के घर के सामने रुकती है जिसे देख सुनीता कस्तुरी और अनीता खड़ी हो जाती है।

वैभवी घर में आते ही ..................

वैभवी------ नमस्ते aunty......।
सुनीता----- नमस्ते ।

वैभवी----- सोनू है घर में, मेरा नाम वैभवी है और मै आपके गाँव के डॉक्टर पारुल की बेटी हूँ ।

सुनीता----- अरे तुम पारुल जी की बेटी हो ....... बैठो ना बेटी खड़ी क्यूँ हो।

वैभवी खाट पर बैठ जाती है..........।
सुनीता----- कस्तूरी तू सोनू को बुला जरा ।

अनन्या पानी ले के आती है...... और वैभवी को देती है ।
वैभवी पानी का गिलास ले कर पानी पीती है ।


सुनीता----- और बताओ बेटी कैसे आना हुआ ।
वैभवी----- अरे आंटी वो मुझे ना थोड़ा पहाड़ी घुमना था ......और मैं यहा किसी को जानती नही सिर्फ सोनू को छोड़ कर तो सोचा वही मुझे घुमा देगा ।


सुनीता---- हा बेटी जरूर ।

तभी सोनू आ जाता है...... वो वैभवी को देख कर खुश हो जाता है लेकीन वो अपनी खुशी जाहिर नही करता ।


सोनू----- आप यहाँ हमारे घर पर ।
वैभवी---- क्यूँ मै नही आ सकती क्या aunty..... ?

सुनीता--- अरे कभी भी बेटी । सोनू बेटा इनको पहाड़ी घुमना है जा जरा घुमा दे .......।

सोनू----- ठीक है माँ ।
और फिर सोनू वैभवी के साथ घर से निकल देता है।

वैभवी की कार एक सुनसान जगह जो गांव के पहाड़ी के तरफ़ था वहां रुकती है ।


दोनो कार से नीचे उतरते है और वही एक पुल पर बैठ जाते है।

वैभवी--- सोनू मैने आज जो कीया उसके लिए I am really sorry.....

सोनू---- अरे मैडम आप भी क्या ये बात दील पर ले कर बैठ गई ।
वैभवी--- वो क्या है ना सोनू मुझें थोड़ा भी अच्छा नही लगता जब कोई अन्दर से दुखी होता है।

सोनू---- अच्छा ठीक है, वैसे एक बात कहूँ ।
वैभवी--- हा कहो ।
सोनू--- आज आप बहुत खूब्सुरत लग रही हू।

वैभवी---- सोनू ........ तुम फीर शुरु हो गये.....और थोड़ा मुस्कुरा देती है।

सोनू--- पता नही क्यूँ आप को देखता हूँ तो।

वैभवी---- देखते हो तो क्या?

सोनू---- सब कुछ भूल जाता हू......। कुछ समझ नही आता मन करता है की बस आपके साथ पुरी जिन्दगी गुजार दूं ।

वैभवी----पुरी जिन्दगी गुज़रना साथ में बहुत मुश्क़िल है सोनू । मैं तुमसे एक बात बताना चाहती हू।

सोनू--- हां बोलिए।
वैभवी--- मैं मुंबई में जीस कॉलेज में पढ़ती हूं । उसी कॉलेज में एक लड़का पढ़ता है। तो.......मैं और वो एक दुसरे से प्यार करते है.....। मुझें पता हैं की तुम मुझें चाहते हो .......लेकिन।

सोनू---- लेकीन आप किसी और की हो....... कोई बात नही मैं तो बस ऐसे ही.....जो मन में आता है बोल देता हू। और वैसे भी आप5भी डॉक्टर वो भी डॉक्टर दोनो की जोड़ी भी अच्छी है ।
मेरे साथ भला क्या जोड़ी बनेगी आप की.......।

वैभवी----- सोनू ........लेकीन हम दोस्त हमेशा रहेंगे ।

सोनू---- वो क्या है ना मैडम ...... अगर आप के साथ5ज्यादा वक़्त बिताउंगा तो बहुत गजब वाला प्यार हो जायेगा । तो हमारा दूर रहेना ही ठीक होगा ।

वैभवी कुछ बोल नही पाती ........कुछ देर दोनो शांत रहते है फीर सोनू बोला ।

सोनू-- अन्धेरा होने वाला है ......हमे अब घर चलना चाहिये।
सोनू का दील अन्दर ही अन्दर रह रह कर रो रहा था ।

वैभवी सोनू को घर छोड़ती है और फीर अपने घर चली जाती है ।


सोनू घर में बैठा अकेला वैभवी के बारे में सोच सोच कर रो रहा था ......

सोनू(मन मे)---- अरे यार कहा से मुझें प्यार व्यार हो गया ......आज के बाद कभी किसी से प्यार ही नही करूंगा ......... ।


कल्लू अरे वो कल्लू किधर है तू ..................

कल्लू--- हां मां क्या हुआ कल्लू अन्दर से आवाज़ लगाता है?

मालती कल्लू के कमरे में आती है .............

मालती----- तूने आज फीर से मेरी चाद्ढी में छेद कीया, तुझे4शर्म नही आती.......।

कल्लू--- मां वो मै ........ वो।

मालती----- कल्लू के करीब आती है--- क्या वो मै वो लगा रखा है ।
कल्लू---- मां तू ना चड्ढी मत पहना कर ।
मालती---- वो हो ......तो क्या नंगी घुमू तेरे सामने ।

कल्लू--- घूम ना मां ......कसम से कितनी मस्त लगेगी तू नंगी ।

मालती--- बेशर्म ......अपनी मा को नंगा करके तुझे शर्म नही आयेगी?

कल्लू--- नही मा ......एक बार हो जा ना नंगी ।
मालती---- तू बहुत बदमाश हो गया है ........ तुझे शर्म नही आती लेकीन मुझें तो आती है।
भला मै तेरे सामने नंगी कैसे ................

कल्लू मालती की सारी का पल्लू पकड़ कर खीचने लगता है....... और फिर मालती के बदन पर लिपटी हुई सारी धीरे धीरे खुलने लगती है ।

मालती----- बेटा ये क्या कर रहा है तू ......ये गलत है मै तेरी मां हू।
हालाकि मालती भी यही चाहती थी ........लेकीन4उसे थोड़ी शर्म भी आ रही थी की जब वो एक दम से नंगी हो जायेगी तो उसका बेटा क्या क्या करेगा उसके साथ ..........................।


.नही बेटा ये गलत है....देख मैं तेरी मां हू।
और मां के साथ ऐसा नही करते बेटा ।

कल्लू अब तक मालती की साडी उसके बदन से अलग कर चुका था ।
मालती अब सिर्फ पेटीकोट और ब्लाऊज़ में खड़ी थी ...... ।

कल्लू--- मां पिछले 1 साल से तेरा गदराया बदन देख देख कर मूठ मार रहा हू.....लेकीन तुझे तो अपने बेटे की कुछ पड़ी ही नही है।

मालती---- मैं समझ रही हूं बेटा, की अब तू जवान हो गया हैं, लेकीन ये सब मां के साथ नही करते बेटा ।

कल्लू मालती के करीब आ कर मालती की कमर में हाथ डालकर जोर से उसे अपनी तरफ़ खींच लेता है।

मालती-- आह ......तू नही मानेगा ना।
कल्लू-- मैं तो मनता हूं, लेकीन ये नही मनता ना मां, क्या करू?

मालती--- कौन नही मनता?

कल्लू मालती का हाथ पकड़ कर अपने टाइट हो गये लंड पर उसका हाथ रख देती है.....।

मालती(चौकते हुए)---- हाय ......राम ये तो एक दम कड़क हो गया हैं ।
कल्लू---- हां ना मां .......यहीं तो बात है।

मालती -- ठीक हैं मै इसे शांत कर देती हूं, लेकीन तू मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा नही करेगा ।

कल्लू--- कैसे शांत करेगी मां तू इसे
मालती--- जो तू अपने हाथो से करता है ......वो मैं कर दूंगी ।

कल्लू---- मां ........मजा नही आयेगा।
मालती---- ओ ....हो, तो मेरा बेटा पुरा मज़ा चहता है।

कल्लू अपनी मां की एक चुची को अपने हथेली में भर लेता हैं और वैसे ही रुक जाता हैं ।

मालती---- ये क्या हैं? तूने मेरी चुची क्यूँ पकड़ रखी हैं ।
कल्लू---- इतनी मस्त चुचियो को भला मसले कौन रह सकता हैं .....मां और फीर कल्लू मालती की चुचियो को जोर जोर से दबाने लगता है ।


मालती---- आह ......नही बेटा ....धीरे....आह धीरे कर...दर्द हो रहा हैं ।
मालती खड़ी खड़ी कल्लू के बाहों में अपनी चुचियो को अपने ही बेटे से मसलवा कर मस्त होती जा रही थी ....।

मालती कल्लू के बाहों में कभी ईधर छटपटाती तो कभी उधर .।

कल्लू--- मां कसम तेरी चुचियो को देख कर मन कर रहा है की खा जाऊँ ।

मालती---- आह ......इतनी जोर जोर से दबा रहा है ......इ, अभी खाने का मन कर रहा हैं ।

कल्लू--- मां जरा अपनी चुचिया तो दिखा ।
मालती (मन में)--- अरे ये चुतिया कैसा मर्द हैं हर चीज पुछ पुछ कर करेगा तो क्या चोदेगा मुझें ।

मालती---- नही बेटा, मुझें शर्म आती हैं । तू खुद देख ले ना ।
कल्लू इतना सुनते ही उसके ब्लऊज को भी निकाल फेंकता है .....।
मालती की दोनो चुचिया सोनू के सामने एकदम से उंची उठी सलामी दे रही थी ।


कल्लू से रहा नही जा रहा था ......वो खड़े खड़े ही मालती की चुचियो को मुह में भर कर चूसने लगता हैं ......।

मालती---- हाय रे .......बेटा, बचपन में ऐसे क्यूँ नही चुसता था ।
कल्लू--- बचपन में मेरा खड़ा नही होता था ना मां ।

और फीर दोनो हंसने लगते हैं ........करीब 5 मिनट तक कल्लू ने मालती की चुचियो को चुस चुस कर उसकी चुचियो को फूला देता है ।

मालती--- अरे जालिम देख तूने क्या कीया ......मेरी चुचियो को और बड़ा कर दीया ।
कल्लू----- तेरी चुचिया है ही जबरदस्त ।

कल्लू अपना पैंट उतार कर नंगा हो जाता है ......उसका खड़ा हुआ लंड देख कर मालती सोचने लगती है ......वाह बेटा तेरा लंड सोनू के जितना भले ही बड़ा क्यूँ ना हो लेकीन है दमदार की औरतो की बुर की धज्जियां उड़ा दे ।

मालती---- इतना ......बड़ा कैसे हो गया रे बेटा ।
कल्लू---- तेरा ही दूध पी पी के हुआ है मां ।
मालती--- धत बदमाश, चल अच्छा खाट पर लेट जा मैं इसे शांत कर देती हूं ।

कल्लू खाट पर लेट जाता है ........उसका लंड भी 7.5 इंच का खड़ा सलामी दे रहा था ।

मालती कल्लू के लंड को हाथ में लिए उपर नीचे करने लगती है ।
कल्लू--- आह मां .....कसम से अपनी मां के हाथो लंड हिलवाने का मज़ा ही कुछ और है.....।

मालती---- चुप बदमाश .........एक तो मुझे शर्म आ रही है ....और उपर से तू इतनी गंदी गंदी बाते कर रहा है ।
कल्लू--- अरे मां, मै तूझे बता नही सकता कितना मज़ा आ रहा है ।

मालती---- अच्छा एक बात पूछू बेटा?
कल्लू--- ऐसे ही हिलाती रह फ़िर पूंछ जो पूंछना है।

मालती---- तू और सोनू तो इतने चट्टे-बट्टे थे की एक दुसरे के बिना दीन नही गुजरता था फीर दोनो में दुश्मनी कैसे हो गायी ।

कल्लू--- तू जानना ही चाहती है तो बताता हूं .......। वो अपने सरपंच की बेटी है ना ।
मालती--- कौन किरन ।

कल्लू--- हां किरन । उसके पीछे मैं लगा था ......और बाद में जब मुझें पता चला की सोनू भी पीछे लगा है तो मेरा मुड़ खराब हो गया । मैं सीधा सोनू के पास गया और पुछा की तू उसके पीछे क्यूँ लगा हैं । जबकी मैं उससे प्यार करता हूं ।

मालती---- तो फीर सोनू ने क्या कहा?
कल्लू---- वो बोलने लगा की मुझे पता ही नही था की तु किरन को पसंद करता हैं नही तो तू तो मेरा यार है तेरे लिए तो ऐसी हज़ारो लडकीया कुरबान ।
लेकीन मेरा मुड़ खराब था तो मैने उस दीन से उस से बात ही करना छोड़ दीया ।


मालती---- तू भी ना एकदम पागल है, भला ऐसी छोटी बात पर कोई बचपन की दोस्ती तोड़ता है क्या ।

कल्लू--- सही कहा मां, मन तो मेरा भी नही लगता बिना अपने यार के ।
मालती -- तो फीर जा कर बात क्यूँ नही करता ।
कल्लू--- नही मा हिम्मत नही होती ।

मालती--- देख दोस्ती तूने तोडी थी, तो बनाना भी तुझे ही पड़ेगा ।
कल्लू---- ठीक हैं मेरी प्यारी माँ ।

मालती---- वैसे तुम दोनो हो बड़े बदमाश......।
।कल्लू---- वो कैसे मां

मालती---- एक यहा अपनी मां के साथ बदमाशी कर रहा है और दूसरा ........।

कल्लू---- दूसरा कहा कर रहा हैं ।

मालती--- छोड़ जाने दे ।
कल्लू --- मां बता ना मुझे जानना है .....।

मालती---- दूसरा सोहन की गांड मार मार कर चौड़ी कर रहा है और क्या ।

कल्लू-- क्या ...............? तूने देखा
मालती---- हां गलती से । जब वो सोहन की बजा रहा था तो मै कपडे ले कर घर आ रही थी अचानक से बारिश होने लगा तो मै सोहन के घर में घुस गई तो वहा देखा तो सोहन की गांड में सोनू का लंड घुसा था .....और वो किसी गधे की तरह चिल्ला रहा था ।


कल्लू---- अरे मां ......मेरे यार का लंड है ही शानदार किसी का भी जान आफत में डाल दे ।

मालती---- सच में कितना बड़ा हैं ......उसका ।
कल्लू--- वो मां ......मेरा भी कुछ कम नही हैं ......।

मालती ये सुन कर हंसने लगती है .......... ।

मालती---- अरे हां .......मेरे बेटे का भी किसी किसी औरत की जान आफत में डाल सकता हैं ।

कल्लू-- हा लेकीन जब एक बार मेरे यार का लंड घुस जाये तो उस बुर में ये लंड सिर्फ आने जाने लायक हो जायेगा ।

ये सुन मालती हंसने लगती है .........और बोली अरे तेरा निकल क्यूं नही रहा हैं ।

कल्लू--- उसे तेरी रसदार बुर चाहिये मां फीर निकलेगा मां ।
मालती--- चुप बदमाश ।

कल्लू--- चल कुतीया बन ना मां तूझे चोदने का बड़ा मन कर रहा है ।
मालती---- नही मुझे नही चुदाना ।

कल्लू-- इतना तो हो गया मां अब मेरा लंड लेने में क्या तकलीफ हैं ।

मालती---- तकलीफ है बेटा अगर कोई जान लेगा तो क्या सोचेगा?
कल्लू - यही सोचेगा की एक बेटा अपनी माँ से कितना प्यार करता है ।

मालती--- हा बेटा इतना प्यार की अपनी मां को चोद डाला ।
कल्लू ने अपनी मां को खींच कर अपने उपर लिटा लिया और उसके गर्म मुह में अपना मुह डाल कर उसके होटो को चूसने लगा ........।

मालती भी कल्लू की बाहों में पड़ी उसका साथ देने लगी.......।
कल्लू मालती के होठो को चुसते चुसते अपना एक हाथ नीचे ले जा कर उसका पेटी कोट उपर तक चढा दीया और मालती के गांड को अपनी हथेलियो मे कस मसलने लगता है ।

मालती को और मस्ती छाने लगती है ......उसने कल्लू के होठो से अपना होठ अलग कर ।

मालती---- ये क्या कर रहा है ....?
कल्लू--- तेरी गांड मसल रहा हूं ।
मालती--- तो सिर्फ मसलेगा ही या कुछ करेगा भी ।

कल्लू ---- सच मां ।
मालती हां में सर हिला देती है .........।
कल्लू खाट पर से उठ सीधा मालती को घोड़ी बना देता है ।

कल्लू जीस गांड को 1 साल से देख देख कर4मूठ मार रहा था ......आज वही गांड उसके सामने थी । और उसे जैसे ये कह रही हो आजा घुस जा मेरी गांड में ।

कल्लू अपनी मां की गांड को चूमने चाटने लगता है ...... जिससे मालती का बदन पुरा का पुरा गरम हो जाता है ।

मालती----- आह .......बेटा कर ले आज जो करना है अपनी मां के साथ ......आह तुझे मेरी गांड बहुत पसंद है ना ....आज से ये तेरी ही है बेटा ।

कल्लू अपनी मा की बुर में एक उंगली डाल देता है ......जिससे मालती की मस्ती और बढ़ जाती है ।
कल्लू अपनी मां की बुर में घपा घप उंगली पेले जा रहा था .......।

मालती----- आह बेटा, बहुत मज़ा आ रहा है .....तेरी उंगलिया इतनी कमाल कर रही है तो तेरा लंड कितना कमाल करेगा ....हाय रे दईया ।

कल्लू---- मेरा लंड लेने के लिए अभी तक नाटक कर रही थी साली तू,
मालती---- अब डाल भी दे मेरा ....... aaaaaaaah.....प्यारा बेटा । uuuuuuiiii.......मां अब सहा नही जाता ।

कल्लू---- एक थप्पड़ मालती के गांड पर जड़ देता है---- कमाल की बुर है तेरी मां । चल अब तैयार हो जा अपने बेटे का लंड लेने के लिए ।



मालती---- आह .......मां, अब बस डाल कर फाड़ दे अपनी मां की बुर बेटा । बहुत तडपया हैं ना इस बुर ने तुझे आज ले ले बदला ...आ ..aaaaaaaaaa...aaaaa....aaa....फ़ाड ..........दी ..........या रे ।

अब तक कल्लू ने अपनी मा की बुर मे अपना लंड आखरी छोर तक पेल दीया था .......मालती की चिल्लहट इस बात का सबूत था की उसकी बहुत दिनो से अनछुदी बुर आज अपने बुर के आखरी छोर तक अपने बेटे का लंड लिए दर्द से चीख रही थी ।

कल्लू अपनी मस्ती में खोया अपना लंड खपा खप पेले जा रहा था ,
करीब 5 मिनट मालती को चोदने के बाद ।

कल्लू--- मां मेरा गिरने वाला है .......।
मालती---- आह ........नही बेटा aaaaaaaaa.... मज़ा आ रहा है । इतना जल्दी मत गिरा .......आह...मु झे......अधूरा मत छोड़ बेटा .....मैं तेरे पैर .......पड़ती हूं । बस थोड़ी देर और ।

कल्लू----- म....मैं .......गया मां ................और फीर कल्लू अपनी मां को अधूरा छोड़ अपना पुरा पानी मालती के बुर में छोड़ने लगता है ।

कल्लू अपनी मां के उपर ही गीर जाता है ........।

कल्लू----- मां माफ़ कर दे, वो थोड़ा अपनी मां को चोदने के जोश में जल्दी झड़ गया ।

मालती---- कोई बात नही बेटा ......पहली बार होता हैं । लेकीन कसम से बता रही हूं इतना मज़ा आ रहा था और तू जो बीच में ही हार मान गया .....दुसरी औरत होती तो तुझे कब का लात मार कर चली गई होती ।

कल्लू--- आगे से तेरा ध्यान रखुगा मां ।
मालती--- आगे से नही बेटा, अभी फीर से तैयार हो जा और मुझे संतुष्ट कर।

और फीर मालती कल्लू का लंड मुह में ले कर चूसने लगती है .....बहुत जल्द ही कल्लू का लंड एकबार फीर से खड़ा हो जाता है .....।

मालती खाट पर लेट कर अपनी टाँगे हवा में फैला कर अपने हाथो से पकड़ लेती है ...... .।


मालती---- चल बेटा आजा, और अगर इस बार बीच में झरा तू । तो कभी ये बुर नही मिलेगी तुझे ।

कल्लू को अब डर सताने लगा था की कही मै जल्दी ना झर जाऊँ।
कल्लू अपना बड़ा लंड मालती के बुर पर रख गुस्से में इतनी जोर का धक्का मरता हैं की ......मालती का मुह खुला का खुला रह जाता हैं ....वो चिल्लाने लगती है ।

कल्लू--- चुप साली, लंड लेने का बहुत शौक है ना तुझे ले फिर, और फीर एक जोर दार धक्का जड़ देता है ।

कुछ समय तक मालती दर्द से जूझने के बाद मस्ती की गहराइयों में पहुंच जाती हैं ।

मालती अब अपनी गांड उठा उठा कर मजे ले रही थी ।
मालती ----- आ.............ह, बेटा झड़ना मत। बहुत मज़ा आ रहा है.....चोद मुझे अगर ......आह तूने मेरा ......आह पानी निकाल दीया तो .....उईईईई...मां । तेरी रखैल बन कर आह रहूंगी।

ये सुनते ही कल्लू के अन्दर जोश के गुब्बारे फटने लगते हैं ।
वो मालती को किसी रंडी की तरह जोर जोर से चोदने लगता है .....।

कल्लू----- ले साली, मदर्चोद तू मेरी रखैल नही .....रंड़ी बनकर रहेगी । बोल मैं तेरी रंड़ी हूं ।

मालती अपने बुर में इतनी जोर जोर से लग रहे धक्के की वजह से उसका पानी निकलने के कगार पर आ जाता है .....उसे वो मज़ा मील रहा था जिसे वो पहले अपने मरद से भी नही पाई थी ।


मालती----- हा आआआआ......मै .....teri रंडी हू......चोद, साले मैं गई ...... आह ......निक्लालाआआआआ.......mera panini.....।
और फीर मालती की बुर कल्लू के बुर को जाकाड़ने लगती है......aurमालती कल्लू से एकदम से चिपक जाती हैं और अपना पानी छोड़ने लगती है.......।

कल्लू भी 2, 4 धक्के जम कर लगाता है और पानी पुरा मालती के बुर में भरने लगता हैं ।


तहवस का तुफान शांत हो गया था मां बेटा दोनो मदर्जात नंगे एक दुसरे से चिपक अपनी-अपनी सांसे काबू में कर रहे थे ।

कल्लू अपना मुह उठा कर मालती की तरफ़ देखता हैं .....।
मालती भी उसे बड़े प्यार से देख उसका बाल सहलाने लगती हैं ....और कल्लू के होठो को चूम लेती हैं ।

कल्लू---- मां तूने क्या कहा था?
मालती (कल्लू का बाल सहलाते हुए)----- मैने क्या कहा था?

कल्लू---- यही की अगर मै तेरा पानी निकाल दीया तो तू मेरी रंड़ी ।

मालती--- हाय रे दईया ........मतलब तू अपनी मां को अब रंडी बनाकर रखेगा ।

कल्लू (अपनी मां के होठो को चूम्ते हुए)---- नही मा अपनी पत्नी बनाकर ।

ये सुन मालती शर्मा जाती है और शर्माते हुए बोली----- तो बना तो लिया तूने मुझे अपनी पत्नी ।

कल्लू मालती को बड़े प्यार से चूमने चाटने लगता है........।

मालती---- वैसे तेरा दोस्त, मुझें चोदने के फिराक़ में हैं । तो सोच रही थी एक बार उसके साथ भी सो के देख लूँ ( मालती मज़ाक करते हुए)

कल्लू--- नही नही ..... अगर एक बार सोनू ने चोदा तो, तू तो मुझे भूल ही जायेगी । ऐसा मत करना पगली नही तो मै तो जीते जीते मर जाऊंगा ।

ये सुन मालती कल्लू के मुह पर हाथ रख देती है .......।

मालती---- दुबारा मरने वर्ने की बात मत करना, मरे तेरे दुश्मन । क्या चुदाइ तुझसे बढ़ कर है.....मेरे लिए तो तू ही सब कुछ है .... मेरा बेटा ., मेरा पति .....सब कुछ। और वैसे भी मेरा बेटा, अपनी मां की बुरी तरह से बजा लेता है ।

कल्लू ने मालती की आंखो में देखा जो अब तक भीग चुकी थी ...... usne मालती की पलको को चूम लिया ।

और फीर दोनो के होठ एक हो जाते है .................... ।

अनन्या सुनहरी की बड़ी बेटी घर के आंगन में बने मुसल खाने में नहा रही थी .......तभी वहा कस्तूरी आ जाती हैं ।

कस्तूरी---- अरे अनन्या कितना देर से नहा रही है, थोड़ा जल्दी नहा मुझे भी नहाना हैं ।

अनन्या--- बस हो गया चाची नहा चुकी हूं ।
कस्तूरी की नजर अनन्या के बढ़े हुए चुचियो पर पड़ती हैं ।

 
😈😈😈ENDLESS 😈😈😈
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Update 5


सोनू छत पर खाट पर लेट वैभवी की कही हुइ बाते सोच ही रहा था की तभी कस्तुरी वहा आ जती है.......।
कस्तुरी खाट पर बैठते हुए सोनू के गाल को चूम लेती है ........।


सोनू----- चाची तुम जाओ यहा से........मेरा मुड़ खराब है।
कस्तुरी---- तो मै ठीक कर देती हूँ तेरा मुड़ ।
सोनू----- चाची तू जा अभी नही......मुझे अकेला रहने दे कुछ समय ।

कस्तुरी---- क्या हुआ कुछ बतायेगा भी?
सोनू---- चाची......मै तेरे हाथ जोड़ता हूं .....अभी जा तू।
कस्तुरी वहां से निचे चली आती है...............।


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बचन खेत में से सीधा घर आता है.......... जहा सीमा अपने माँ के खाट के बगल वाली खाट पर लेटी थी।
सीमा जैसे ही अपने बापू को देखती है उठ कर खाट पर बैठ जाती है........।

बचन---- सीमा बिटिया माँ नही दीख रही है?
सीमा---- बापू दादी....... शीला काकी के घर गई है.......।

बेचन----- अपने लंड को धोती के उपर से सहलाते हुए बोला की तू नही गई ........।

सीमा ये नजारा देख शर्मा जाती है..........।
बेचन को इतना इशारा काफी था........... झुमरी तो मस्त रजाई ओढ़ कर सो रही थी उसे इतना भी नही पता था की उसकी बेटी और उसका मरद दोनो क्या गुल खिला रहे है..........।

बेचन धीरे से सीमा के नजदीक जा कर उसे अपने गोद में उठा लेता है......।
सीमा (धीरे से)----- बापू ये क्या कर रहे हो?
बेचन (सीमा के कान में)----- चल उपर छत पे बताता हू........।

और सीमा को अपनी गोद में लिये छत पर आ जाता है। छत के घर के अंदर बने कमरे में बेचन सीमा को खाट पर लिटा देता है......... ।



सीमा की सांसे बहुत तेज चल रही थी उसकी दोनो छतिया उपर निचे हो रही थी....... जिसे देख बेचन खुद को रोक नही पाता और सीमा के उपर लेट उसकी एक चुची अपने हाथ में ले कर जोर से मसल देता है.......।

सीमा----- आह .....बापू क्या करते हो, मुझे शरम आती है।
बेचन----- बेटी तू अपने बापू को गलत मत समझ.......लेकीन अगर तुझे पसंद नही तो रहने देता हू.........।

सीमा अपने बापू को दोनो हाथो से पकड़ लेती है..........।

सीमा----- बापू .......आप ना बड़े वो हो.......
बेचन सीमा की चुची को फीर से दबाकर----- क्या हूं बिटिया मै ।

सीमा---- आह .....बापू तू पहले आग लगाता है और फीर कहेता है की रहने दे अगर तूझे ठीक नही लगता तो........।

बेचन का लंड तो अंदर धोती में मस्त हो गया था ............।

बेचन----- बिटिया तेरी आग तो मै ऐसा ठंढा करूंगा की तू अपने बापू को भूल नही पायेगी ।

सीमा----- तो जल्दी कर ना बापू नही तो वो कमीनी दादी आ जायेगी ।

ये सुनते ही बेचन ने अपने कपड़े उतार फेंके उसका 6 इन्च का लंड तंतना कर खड़ा था ......जीसे देख सीमा पागल हो जाती है ......उसने पहेली बार लंड देखा था और वो भी अपने बापू का ।

सीमा---- हाय रे बापू ....... ये कितना बड़ा है।
बेचन सीमा के करीब अपना लंड ले कर जाता है.............।

बेचन------ जरा हाथ में ले कर देख तो सही मेरी लंगडी घोडी ।

सीमा बेचन का लंड हाथ में जैसे ही पकड़ती है उसका शरीर पुरा अंदर तक कांप जाता है ।

बेचन---- अब इसे हिला थोड़ा बेटी ।
सीमा बेचन के लंड को हिलाने लगती है ....... बेचन इतने जोश में था की उसने सीमा को नंगी कर दिया ।


सीमा के बड़े बड़े खर्बुजे जैसे चुचीया और उसकी मोटी गोरी गांड उसे पागल कर दीया ।


बेचन ने सीमा की चुचियो पर धावा बोल उसे आराम आराम से चूसने और दबाने लगता है ........... तभी एक अवाज उनके सारे जोश को ठंढा कर देती है......।


बेचन बेटा ........कहा है तू?

बेचन ने सीमा की चुचियो पर धावा बोल उसे आराम आराम से चूसने और दबाने लगता है ........... तभी एक अवाज उनके सारे जोश को ठंढा कर देती है......।


बेचन बेटा ........कहा है तू?

सीमा----- आ गई हरामजादि ,
बेचन और सीमा फटाफट अपने कपड़े पहनते है ........और बेचन छत से नीचे आ जाता है........।
सीमा भी बैठ कर घिसक घिसक कर सीढियों से आंगन में आ जाती है।

बेचन---- क्या हुआ अम्मा ।


सुगना --- अरे शीला को बिछुुुआ डंंक मार दीया है................।

बेचन---- ठीक है मै जाता हू झाड़ दूंगा ..........उसका लंड धोती में टेंट बनाये हुए था जीसे उसकी अम्मा ने देख लिया था ।

सुगना समझ गई की ये जरुर कुछ सीमा के साथ गड़बड़ कर रहा था । लेकीन तब तक बेचन जा चुका था ।




वैभवी अपने घर में बैठी आज यही सोच रही थी की मुझे ऐसा नही करना चाहिये था ........बेचारा सोनू क्या सोचता होगा मेरे बारे मे।

तभी उसकी माँ पारुल आ जाती है ......... ।

पारुल---- अरे मेरी प्यारी बेटी कीस खयाल मे डूबी है।
वैभवी ने पारुल को वो सारी बात बता दिया.............।

पारुल----- तुम्हे ऐसा नही करना चाहिये था बेटा । अब कभी मिलेगी तो सॉरी जरुर बोल देना ।

वैभवी---- अरे माँ मैने sorry बोला उसको, लेकीन वो फीर भी मुझसे नाराज है । बोलता है आज के बाद कभी बात नही करूंगा ........तो मत करे मुझें कौन सा फर्क गिरता है।

पारुल ( उसके करीब आते हुए)---- अगर फर्क नही गिरता ना तो मेरी बेटी अकेले में बैठ उसके बारे में सोचती नही ।

वैभवी----- अरे माँ मै तो ......वो इसलिये सोच रही थी की मैने गलती की है ।

पारुल----- ok बाबा चल अब शांत हो जा ।

वैभवी----- माँ .......मै सोच रही थी की एक बार जा कर फीर से sorry बोल दूँ ।

पारुल---- ये तो और अच्छी बात है।

वैभवी ठीक है मा तो मै जाती हूँ ..........
parul---- अरे रूक बाद मे चली जाना ।


वैभवी---- मै जा रही हू माँ .........और पारुल से कार की चाभी ले कर गाव की तरफ चल देती है ।
वैभवी जल्द ही गाँव के रास्ते अपनी कार चलते हुए एक दुकान पर रोकती है ......।

वैभवी----- काका ये सोनू का घर कहा पडेगा?
बस बेटी वो सफेद मकान उसी का है.......।

वैभवी--- thanks......काका ।

वैभवी की कार सोनू के घर के सामने रुकती है जिसे देख सुनीता कस्तुरी और अनीता खड़ी हो जाती है।

वैभवी घर में आते ही ..................

वैभवी------ नमस्ते aunty......।
सुनीता----- नमस्ते ।

वैभवी----- सोनू है घर में, मेरा नाम वैभवी है और मै आपके गाँव के डॉक्टर पारुल की बेटी हूँ ।

सुनीता----- अरे तुम पारुल जी की बेटी हो ....... बैठो ना बेटी खड़ी क्यूँ हो।

वैभवी खाट पर बैठ जाती है..........।
सुनीता----- कस्तूरी तू सोनू को बुला जरा ।

अनन्या पानी ले के आती है...... और वैभवी को देती है ।
वैभवी पानी का गिलास ले कर पानी पीती है ।


सुनीता----- और बताओ बेटी कैसे आना हुआ ।
वैभवी----- अरे आंटी वो मुझे ना थोड़ा पहाड़ी घुमना था ......और मैं यहा किसी को जानती नही सिर्फ सोनू को छोड़ कर तो सोचा वही मुझे घुमा देगा ।


सुनीता---- हा बेटी जरूर ।

तभी सोनू आ जाता है...... वो वैभवी को देख कर खुश हो जाता है लेकीन वो अपनी खुशी जाहिर नही करता ।


सोनू----- आप यहाँ हमारे घर पर ।
वैभवी---- क्यूँ मै नही आ सकती क्या aunty..... ?

सुनीता--- अरे कभी भी बेटी । सोनू बेटा इनको पहाड़ी घुमना है जा जरा घुमा दे .......।

सोनू----- ठीक है माँ ।
और फिर सोनू वैभवी के साथ घर से निकल देता है।

वैभवी की कार एक सुनसान जगह जो गांव के पहाड़ी के तरफ़ था वहां रुकती है ।


दोनो कार से नीचे उतरते है और वही एक पुल पर बैठ जाते है।

वैभवी--- सोनू मैने आज जो कीया उसके लिए I am really sorry.....

सोनू---- अरे मैडम आप भी क्या ये बात दील पर ले कर बैठ गई ।
वैभवी--- वो क्या है ना सोनू मुझें थोड़ा भी अच्छा नही लगता जब कोई अन्दर से दुखी होता है।

सोनू---- अच्छा ठीक है, वैसे एक बात कहूँ ।
वैभवी--- हा कहो ।
सोनू--- आज आप बहुत खूब्सुरत लग रही हू।

वैभवी---- सोनू ........ तुम फीर शुरु हो गये.....और थोड़ा मुस्कुरा देती है।

सोनू--- पता नही क्यूँ आप को देखता हूँ तो।

वैभवी---- देखते हो तो क्या?

सोनू---- सब कुछ भूल जाता हू......। कुछ समझ नही आता मन करता है की बस आपके साथ पुरी जिन्दगी गुजार दूं ।

वैभवी----पुरी जिन्दगी गुज़रना साथ में बहुत मुश्क़िल है सोनू । मैं तुमसे एक बात बताना चाहती हू।

सोनू--- हां बोलिए।
वैभवी--- मैं मुंबई में जीस कॉलेज में पढ़ती हूं । उसी कॉलेज में एक लड़का पढ़ता है। तो.......मैं और वो एक दुसरे से प्यार करते है.....। मुझें पता हैं की तुम मुझें चाहते हो .......लेकिन।

सोनू---- लेकीन आप किसी और की हो....... कोई बात नही मैं तो बस ऐसे ही.....जो मन में आता है बोल देता हू। और वैसे भी आप5भी डॉक्टर वो भी डॉक्टर दोनो की जोड़ी भी अच्छी है ।
मेरे साथ भला क्या जोड़ी बनेगी आप की.......।

वैभवी----- सोनू ........लेकीन हम दोस्त हमेशा रहेंगे ।

सोनू---- वो क्या है ना मैडम ...... अगर आप के साथ5ज्यादा वक़्त बिताउंगा तो बहुत गजब वाला प्यार हो जायेगा । तो हमारा दूर रहेना ही ठीक होगा ।

वैभवी कुछ बोल नही पाती ........कुछ देर दोनो शांत रहते है फीर सोनू बोला ।

सोनू-- अन्धेरा होने वाला है ......हमे अब घर चलना चाहिये।
सोनू का दील अन्दर ही अन्दर रह रह कर रो रहा था ।

वैभवी सोनू को घर छोड़ती है और फीर अपने घर चली जाती है ।


सोनू घर में बैठा अकेला वैभवी के बारे में सोच सोच कर रो रहा था ......

सोनू(मन मे)---- अरे यार कहा से मुझें प्यार व्यार हो गया ......आज के बाद कभी किसी से प्यार ही नही करूंगा ......... ।


कल्लू अरे वो कल्लू किधर है तू ..................

कल्लू--- हां मां क्या हुआ कल्लू अन्दर से आवाज़ लगाता है?

मालती कल्लू के कमरे में आती है .............

मालती----- तूने आज फीर से मेरी चाद्ढी में छेद कीया, तुझे4शर्म नही आती.......।

कल्लू--- मां वो मै ........ वो।

मालती----- कल्लू के करीब आती है--- क्या वो मै वो लगा रखा है ।
कल्लू---- मां तू ना चड्ढी मत पहना कर ।
मालती---- वो हो ......तो क्या नंगी घुमू तेरे सामने ।

कल्लू--- घूम ना मां ......कसम से कितनी मस्त लगेगी तू नंगी ।

मालती--- बेशर्म ......अपनी मा को नंगा करके तुझे शर्म नही आयेगी?

कल्लू--- नही मा ......एक बार हो जा ना नंगी ।
मालती---- तू बहुत बदमाश हो गया है ........ तुझे शर्म नही आती लेकीन मुझें तो आती है।
भला मै तेरे सामने नंगी कैसे ................

कल्लू मालती की सारी का पल्लू पकड़ कर खीचने लगता है....... और फिर मालती के बदन पर लिपटी हुई सारी धीरे धीरे खुलने लगती है ।

मालती----- बेटा ये क्या कर रहा है तू ......ये गलत है मै तेरी मां हू।
हालाकि मालती भी यही चाहती थी ........लेकीन4उसे थोड़ी शर्म भी आ रही थी की जब वो एक दम से नंगी हो जायेगी तो उसका बेटा क्या क्या करेगा उसके साथ ..........................।


.नही बेटा ये गलत है....देख मैं तेरी मां हू।
और मां के साथ ऐसा नही करते बेटा ।

कल्लू अब तक मालती की साडी उसके बदन से अलग कर चुका था ।
मालती अब सिर्फ पेटीकोट और ब्लाऊज़ में खड़ी थी ...... ।

कल्लू--- मां पिछले 1 साल से तेरा गदराया बदन देख देख कर मूठ मार रहा हू.....लेकीन तुझे तो अपने बेटे की कुछ पड़ी ही नही है।

मालती---- मैं समझ रही हूं बेटा, की अब तू जवान हो गया हैं, लेकीन ये सब मां के साथ नही करते बेटा ।

कल्लू मालती के करीब आ कर मालती की कमर में हाथ डालकर जोर से उसे अपनी तरफ़ खींच लेता है।

मालती-- आह ......तू नही मानेगा ना।
कल्लू-- मैं तो मनता हूं, लेकीन ये नही मनता ना मां, क्या करू?

मालती--- कौन नही मनता?

कल्लू मालती का हाथ पकड़ कर अपने टाइट हो गये लंड पर उसका हाथ रख देती है.....।

मालती(चौकते हुए)---- हाय ......राम ये तो एक दम कड़क हो गया हैं ।
कल्लू---- हां ना मां .......यहीं तो बात है।

मालती -- ठीक हैं मै इसे शांत कर देती हूं, लेकीन तू मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा नही करेगा ।

कल्लू--- कैसे शांत करेगी मां तू इसे
मालती--- जो तू अपने हाथो से करता है ......वो मैं कर दूंगी ।

कल्लू---- मां ........मजा नही आयेगा।
मालती---- ओ ....हो, तो मेरा बेटा पुरा मज़ा चहता है।

कल्लू अपनी मां की एक चुची को अपने हथेली में भर लेता हैं और वैसे ही रुक जाता हैं ।

मालती---- ये क्या हैं? तूने मेरी चुची क्यूँ पकड़ रखी हैं ।
कल्लू---- इतनी मस्त चुचियो को भला मसले कौन रह सकता हैं .....मां और फीर कल्लू मालती की चुचियो को जोर जोर से दबाने लगता है ।


मालती---- आह ......नही बेटा ....धीरे....आह धीरे कर...दर्द हो रहा हैं ।
मालती खड़ी खड़ी कल्लू के बाहों में अपनी चुचियो को अपने ही बेटे से मसलवा कर मस्त होती जा रही थी ....।

मालती कल्लू के बाहों में कभी ईधर छटपटाती तो कभी उधर .।

कल्लू--- मां कसम तेरी चुचियो को देख कर मन कर रहा है की खा जाऊँ ।

मालती---- आह ......इतनी जोर जोर से दबा रहा है ......इ, अभी खाने का मन कर रहा हैं ।

कल्लू--- मां जरा अपनी चुचिया तो दिखा ।
मालती (मन में)--- अरे ये चुतिया कैसा मर्द हैं हर चीज पुछ पुछ कर करेगा तो क्या चोदेगा मुझें ।

मालती---- नही बेटा, मुझें शर्म आती हैं । तू खुद देख ले ना ।
कल्लू इतना सुनते ही उसके ब्लऊज को भी निकाल फेंकता है .....।
मालती की दोनो चुचिया सोनू के सामने एकदम से उंची उठी सलामी दे रही थी ।


कल्लू से रहा नही जा रहा था ......वो खड़े खड़े ही मालती की चुचियो को मुह में भर कर चूसने लगता हैं ......।

मालती---- हाय रे .......बेटा, बचपन में ऐसे क्यूँ नही चुसता था ।
कल्लू--- बचपन में मेरा खड़ा नही होता था ना मां ।

और फीर दोनो हंसने लगते हैं ........करीब 5 मिनट तक कल्लू ने मालती की चुचियो को चुस चुस कर उसकी चुचियो को फूला देता है ।

मालती--- अरे जालिम देख तूने क्या कीया ......मेरी चुचियो को और बड़ा कर दीया ।
कल्लू----- तेरी चुचिया है ही जबरदस्त ।

कल्लू अपना पैंट उतार कर नंगा हो जाता है ......उसका खड़ा हुआ लंड देख कर मालती सोचने लगती है ......वाह बेटा तेरा लंड सोनू के जितना भले ही बड़ा क्यूँ ना हो लेकीन है दमदार की औरतो की बुर की धज्जियां उड़ा दे ।

मालती---- इतना ......बड़ा कैसे हो गया रे बेटा ।
कल्लू---- तेरा ही दूध पी पी के हुआ है मां ।
मालती--- धत बदमाश, चल अच्छा खाट पर लेट जा मैं इसे शांत कर देती हूं ।

कल्लू खाट पर लेट जाता है ........उसका लंड भी 7.5 इंच का खड़ा सलामी दे रहा था ।

मालती कल्लू के लंड को हाथ में लिए उपर नीचे करने लगती है ।
कल्लू--- आह मां .....कसम से अपनी मां के हाथो लंड हिलवाने का मज़ा ही कुछ और है.....।

मालती---- चुप बदमाश .........एक तो मुझे शर्म आ रही है ....और उपर से तू इतनी गंदी गंदी बाते कर रहा है ।
कल्लू--- अरे मां, मै तूझे बता नही सकता कितना मज़ा आ रहा है ।

मालती---- अच्छा एक बात पूछू बेटा?
कल्लू--- ऐसे ही हिलाती रह फ़िर पूंछ जो पूंछना है।

मालती---- तू और सोनू तो इतने चट्टे-बट्टे थे की एक दुसरे के बिना दीन नही गुजरता था फीर दोनो में दुश्मनी कैसे हो गायी ।

कल्लू--- तू जानना ही चाहती है तो बताता हूं .......। वो अपने सरपंच की बेटी है ना ।
मालती--- कौन किरन ।

कल्लू--- हां किरन । उसके पीछे मैं लगा था ......और बाद में जब मुझें पता चला की सोनू भी पीछे लगा है तो मेरा मुड़ खराब हो गया । मैं सीधा सोनू के पास गया और पुछा की तू उसके पीछे क्यूँ लगा हैं । जबकी मैं उससे प्यार करता हूं ।

मालती---- तो फीर सोनू ने क्या कहा?
कल्लू---- वो बोलने लगा की मुझे पता ही नही था की तु किरन को पसंद करता हैं नही तो तू तो मेरा यार है तेरे लिए तो ऐसी हज़ारो लडकीया कुरबान ।
लेकीन मेरा मुड़ खराब था तो मैने उस दीन से उस से बात ही करना छोड़ दीया ।


मालती---- तू भी ना एकदम पागल है, भला ऐसी छोटी बात पर कोई बचपन की दोस्ती तोड़ता है क्या ।

कल्लू--- सही कहा मां, मन तो मेरा भी नही लगता बिना अपने यार के ।
मालती -- तो फीर जा कर बात क्यूँ नही करता ।
कल्लू--- नही मा हिम्मत नही होती ।

मालती--- देख दोस्ती तूने तोडी थी, तो बनाना भी तुझे ही पड़ेगा ।
कल्लू---- ठीक हैं मेरी प्यारी माँ ।

मालती---- वैसे तुम दोनो हो बड़े बदमाश......।
।कल्लू---- वो कैसे मां

मालती---- एक यहा अपनी मां के साथ बदमाशी कर रहा है और दूसरा ........।

कल्लू---- दूसरा कहा कर रहा हैं ।

मालती--- छोड़ जाने दे ।
कल्लू --- मां बता ना मुझे जानना है .....।

मालती---- दूसरा सोहन की गांड मार मार कर चौड़ी कर रहा है और क्या ।

कल्लू-- क्या ...............? तूने देखा
मालती---- हां गलती से । जब वो सोहन की बजा रहा था तो मै कपडे ले कर घर आ रही थी अचानक से बारिश होने लगा तो मै सोहन के घर में घुस गई तो वहा देखा तो सोहन की गांड में सोनू का लंड घुसा था .....और वो किसी गधे की तरह चिल्ला रहा था ।


कल्लू---- अरे मां ......मेरे यार का लंड है ही शानदार किसी का भी जान आफत में डाल दे ।

मालती---- सच में कितना बड़ा हैं ......उसका ।
कल्लू--- वो मां ......मेरा भी कुछ कम नही हैं ......।

मालती ये सुन कर हंसने लगती है .......... ।

मालती---- अरे हां .......मेरे बेटे का भी किसी किसी औरत की जान आफत में डाल सकता हैं ।

कल्लू-- हा लेकीन जब एक बार मेरे यार का लंड घुस जाये तो उस बुर में ये लंड सिर्फ आने जाने लायक हो जायेगा ।

ये सुन मालती हंसने लगती है .........और बोली अरे तेरा निकल क्यूं नही रहा हैं ।

कल्लू--- उसे तेरी रसदार बुर चाहिये मां फीर निकलेगा मां ।
मालती--- चुप बदमाश ।

कल्लू--- चल कुतीया बन ना मां तूझे चोदने का बड़ा मन कर रहा है ।
मालती---- नही मुझे नही चुदाना ।

कल्लू-- इतना तो हो गया मां अब मेरा लंड लेने में क्या तकलीफ हैं ।

मालती---- तकलीफ है बेटा अगर कोई जान लेगा तो क्या सोचेगा?
कल्लू - यही सोचेगा की एक बेटा अपनी माँ से कितना प्यार करता है ।

मालती--- हा बेटा इतना प्यार की अपनी मां को चोद डाला ।
कल्लू ने अपनी मां को खींच कर अपने उपर लिटा लिया और उसके गर्म मुह में अपना मुह डाल कर उसके होटो को चूसने लगा ........।

मालती भी कल्लू की बाहों में पड़ी उसका साथ देने लगी.......।
कल्लू मालती के होठो को चुसते चुसते अपना एक हाथ नीचे ले जा कर उसका पेटी कोट उपर तक चढा दीया और मालती के गांड को अपनी हथेलियो मे कस मसलने लगता है ।

मालती को और मस्ती छाने लगती है ......उसने कल्लू के होठो से अपना होठ अलग कर ।

मालती---- ये क्या कर रहा है ....?
कल्लू--- तेरी गांड मसल रहा हूं ।
मालती--- तो सिर्फ मसलेगा ही या कुछ करेगा भी ।

कल्लू ---- सच मां ।
मालती हां में सर हिला देती है .........।
कल्लू खाट पर से उठ सीधा मालती को घोड़ी बना देता है ।

कल्लू जीस गांड को 1 साल से देख देख कर4मूठ मार रहा था ......आज वही गांड उसके सामने थी । और उसे जैसे ये कह रही हो आजा घुस जा मेरी गांड में ।

कल्लू अपनी मां की गांड को चूमने चाटने लगता है ...... जिससे मालती का बदन पुरा का पुरा गरम हो जाता है ।

मालती----- आह .......बेटा कर ले आज जो करना है अपनी मां के साथ ......आह तुझे मेरी गांड बहुत पसंद है ना ....आज से ये तेरी ही है बेटा ।

कल्लू अपनी मा की बुर में एक उंगली डाल देता है ......जिससे मालती की मस्ती और बढ़ जाती है ।
कल्लू अपनी मां की बुर में घपा घप उंगली पेले जा रहा था .......।

मालती----- आह बेटा, बहुत मज़ा आ रहा है .....तेरी उंगलिया इतनी कमाल कर रही है तो तेरा लंड कितना कमाल करेगा ....हाय रे दईया ।

कल्लू---- मेरा लंड लेने के लिए अभी तक नाटक कर रही थी साली तू,
मालती---- अब डाल भी दे मेरा ....... aaaaaaaah.....प्यारा बेटा । uuuuuuiiii.......मां अब सहा नही जाता ।

कल्लू---- एक थप्पड़ मालती के गांड पर जड़ देता है---- कमाल की बुर है तेरी मां । चल अब तैयार हो जा अपने बेटे का लंड लेने के लिए ।



मालती---- आह .......मां, अब बस डाल कर फाड़ दे अपनी मां की बुर बेटा । बहुत तडपया हैं ना इस बुर ने तुझे आज ले ले बदला ...आ ..aaaaaaaaaa...aaaaa....aaa....फ़ाड ..........दी ..........या रे ।

अब तक कल्लू ने अपनी मा की बुर मे अपना लंड आखरी छोर तक पेल दीया था .......मालती की चिल्लहट इस बात का सबूत था की उसकी बहुत दिनो से अनछुदी बुर आज अपने बुर के आखरी छोर तक अपने बेटे का लंड लिए दर्द से चीख रही थी ।

कल्लू अपनी मस्ती में खोया अपना लंड खपा खप पेले जा रहा था ,
करीब 5 मिनट मालती को चोदने के बाद ।

कल्लू--- मां मेरा गिरने वाला है .......।
मालती---- आह ........नही बेटा aaaaaaaaa.... मज़ा आ रहा है । इतना जल्दी मत गिरा .......आह...मु झे......अधूरा मत छोड़ बेटा .....मैं तेरे पैर .......पड़ती हूं । बस थोड़ी देर और ।

कल्लू----- म....मैं .......गया मां ................और फीर कल्लू अपनी मां को अधूरा छोड़ अपना पुरा पानी मालती के बुर में छोड़ने लगता है ।

कल्लू अपनी मां के उपर ही गीर जाता है ........।

कल्लू----- मां माफ़ कर दे, वो थोड़ा अपनी मां को चोदने के जोश में जल्दी झड़ गया ।

मालती---- कोई बात नही बेटा ......पहली बार होता हैं । लेकीन कसम से बता रही हूं इतना मज़ा आ रहा था और तू जो बीच में ही हार मान गया .....दुसरी औरत होती तो तुझे कब का लात मार कर चली गई होती ।

कल्लू--- आगे से तेरा ध्यान रखुगा मां ।
मालती--- आगे से नही बेटा, अभी फीर से तैयार हो जा और मुझे संतुष्ट कर।

और फीर मालती कल्लू का लंड मुह में ले कर चूसने लगती है .....बहुत जल्द ही कल्लू का लंड एकबार फीर से खड़ा हो जाता है .....।

मालती खाट पर लेट कर अपनी टाँगे हवा में फैला कर अपने हाथो से पकड़ लेती है ...... .।


मालती---- चल बेटा आजा, और अगर इस बार बीच में झरा तू । तो कभी ये बुर नही मिलेगी तुझे ।

कल्लू को अब डर सताने लगा था की कही मै जल्दी ना झर जाऊँ।
कल्लू अपना बड़ा लंड मालती के बुर पर रख गुस्से में इतनी जोर का धक्का मरता हैं की ......मालती का मुह खुला का खुला रह जाता हैं ....वो चिल्लाने लगती है ।

कल्लू--- चुप साली, लंड लेने का बहुत शौक है ना तुझे ले फिर, और फीर एक जोर दार धक्का जड़ देता है ।

कुछ समय तक मालती दर्द से जूझने के बाद मस्ती की गहराइयों में पहुंच जाती हैं ।

मालती अब अपनी गांड उठा उठा कर मजे ले रही थी ।
मालती ----- आ.............ह, बेटा झड़ना मत। बहुत मज़ा आ रहा है.....चोद मुझे अगर ......आह तूने मेरा ......आह पानी निकाल दीया तो .....उईईईई...मां । तेरी रखैल बन कर आह रहूंगी।

ये सुनते ही कल्लू के अन्दर जोश के गुब्बारे फटने लगते हैं ।
वो मालती को किसी रंडी की तरह जोर जोर से चोदने लगता है .....।

कल्लू----- ले साली, मदर्चोद तू मेरी रखैल नही .....रंड़ी बनकर रहेगी । बोल मैं तेरी रंड़ी हूं ।

मालती अपने बुर में इतनी जोर जोर से लग रहे धक्के की वजह से उसका पानी निकलने के कगार पर आ जाता है .....उसे वो मज़ा मील रहा था जिसे वो पहले अपने मरद से भी नही पाई थी ।


मालती----- हा आआआआ......मै .....teri रंडी हू......चोद, साले मैं गई ...... आह ......निक्लालाआआआआ.......mera panini.....।
और फीर मालती की बुर कल्लू के बुर को जाकाड़ने लगती है......aurमालती कल्लू से एकदम से चिपक जाती हैं और अपना पानी छोड़ने लगती है.......।

कल्लू भी 2, 4 धक्के जम कर लगाता है और पानी पुरा मालती के बुर में भरने लगता हैं ।


तहवस का तुफान शांत हो गया था मां बेटा दोनो मदर्जात नंगे एक दुसरे से चिपक अपनी-अपनी सांसे काबू में कर रहे थे ।

कल्लू अपना मुह उठा कर मालती की तरफ़ देखता हैं .....।
मालती भी उसे बड़े प्यार से देख उसका बाल सहलाने लगती हैं ....और कल्लू के होठो को चूम लेती हैं ।

कल्लू---- मां तूने क्या कहा था?
मालती (कल्लू का बाल सहलाते हुए)----- मैने क्या कहा था?

कल्लू---- यही की अगर मै तेरा पानी निकाल दीया तो तू मेरी रंड़ी ।

मालती--- हाय रे दईया ........मतलब तू अपनी मां को अब रंडी बनाकर रखेगा ।

कल्लू (अपनी मां के होठो को चूम्ते हुए)---- नही मा अपनी पत्नी बनाकर ।

ये सुन मालती शर्मा जाती है और शर्माते हुए बोली----- तो बना तो लिया तूने मुझे अपनी पत्नी ।

कल्लू मालती को बड़े प्यार से चूमने चाटने लगता है........।

मालती---- वैसे तेरा दोस्त, मुझें चोदने के फिराक़ में हैं । तो सोच रही थी एक बार उसके साथ भी सो के देख लूँ ( मालती मज़ाक करते हुए)

कल्लू--- नही नही ..... अगर एक बार सोनू ने चोदा तो, तू तो मुझे भूल ही जायेगी । ऐसा मत करना पगली नही तो मै तो जीते जीते मर जाऊंगा ।

ये सुन मालती कल्लू के मुह पर हाथ रख देती है .......।

मालती---- दुबारा मरने वर्ने की बात मत करना, मरे तेरे दुश्मन । क्या चुदाइ तुझसे बढ़ कर है.....मेरे लिए तो तू ही सब कुछ है .... मेरा बेटा ., मेरा पति .....सब कुछ। और वैसे भी मेरा बेटा, अपनी मां की बुरी तरह से बजा लेता है ।

कल्लू ने मालती की आंखो में देखा जो अब तक भीग चुकी थी ...... usne मालती की पलको को चूम लिया ।

और फीर दोनो के होठ एक हो जाते है .................... ।

अनन्या सुनहरी की बड़ी बेटी घर के आंगन में बने मुसल खाने में नहा रही थी .......तभी वहा कस्तूरी आ जाती हैं ।

कस्तूरी---- अरे अनन्या कितना देर से नहा रही है, थोड़ा जल्दी नहा मुझे भी नहाना हैं ।

अनन्या--- बस हो गया चाची नहा चुकी हूं ।
कस्तूरी की नजर अनन्या के बढ़े हुए चुचियो पर पड़ती हैं ।

 
😈😈😈ENDLESS 😈😈😈
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Update 6

कस्तूरी---- क्या बात हैं, अभी आम का समय आया भी नही है, फीर भी मेरी अनन्या बेटी का आम इतना बड़ा हो गया हैं ।

अनन्या--- कैसा आम चाची?
कस्तूरी--- अरे तेरे आम बेटी ।
अनन्या--- शर्मा जाती है , क्या चाची आप भी ना कितनी गंदी हो ।

कस्तूरी--- अच्छा बेटी, सच बोली तो मैं गंदी हो गई ।
तभी सुनीता भी वहां आ जाती है ........।

सुनीता----- कस्तूरी तू नहायी नही अभी तक ।
कस्तूरी--- अरे दीदी, ये अनन्या को तो पहले नहाने दो । कितना रगड़ रगड़ कर नहा रही हैं ।

सुनीता---- अच्छा ठीक हैं , तू भी नहा ले जल्दी से....... और कह कर वहा से चली जाती हैं ।

अनन्या अब तक नहा कर कपड़े भी बदल चुकी थी ।
कस्तूरी भी नहाने के लिए जैसे ही अपना ब्लऊज निकलती हैं ।

अनन्या--- खुद बड़े बड़े खर्बुजे ले के घूम रही हो चाची और तुम आम की बात कर रही हो ।

कस्तूरी ये सुन कर हंसने लगती है .............अरे अनन्या बेटी, जब तेरी भी शादी हो जायेगी ना तो तेरा भी आम खर्बुजे जैसा हो जायेगा ।

ये सुन अनन्या शर्मा कर वहां से भाग जाती हैं .......।

कस्तूरी नहाते नहाते उसका ध्यान उसकी बुर पर जाता है .......जो सोनू का लंड लेके खुल चुकी थी, कस्तूरी अपने बुर पर हाथ रखते ही उसके मुह से .......सी, सी की आवाज़ निकलती है और सोनू के लंड के सपनो में जैसे खो जाती है ।

कस्तूरी (मन में)---- आह ....... सोनू क्या हालत कर दी तूने अपने चाची के बुर की, पुरा का पुरा खोल दीया । बस अब तू इसको खोलते जा बेटा तेरे लंड के बिना अब चैन नही आता रे....।

तभी वहा अनीता पहुंच जाती है .......कस्तूरी की आंखे बंद थी और उसका एक उंगली उसके बुर में था ......कस्तूरी की सूजी हुई बुर देख कर अनीता ये समझ जाती है की कस्तूरी ने सोनू के लंड से अपनी बुर खुलवा ली है ।

अनीता--- अब नहा भी लो दीदी ।
ये सुन कस्तूरी हड़बड़ा जाती है .....और जैसे ही आंख खोलती है उसके सामने अनीता खड़ी थी ।

कस्तूरी---- अरे तुने तो, मुझे डरा ही दीया । मुझे लगा कौन आ गया?
अनीता--- हा दीदी, तुम्हे लगा सोनू आ गया ।
कस्तूरी --- धत बेशरम .....और शरमा जाती है ।

अनीता----- दीदी, फीर तुमने आखिर सोनू से खुलवा ही लिया अपना ।
कस्तूरी---- हाय रे, अनीता बड़ा बेरहम है ......सच में औरतों पर रहम नही करता .....लेकीन मज़ा भी बहुत देता हैं ।

अनीता---- तुम्हारे ही तो मज़े हैं दीदी ।
कस्तूरी---- तू चिंता मत कर, तेरा भी जुगाड़ लगती हूं सोनू का लंड तेरा भी फाड़ फाड़ कर चोदेगा । तेरी बुर ........

अनीता शर्मा जाती है और जैसे ही वहां से जाने को होती हैं कस्तूरी उसका हाथ पकड़ अपनी तरफ़ खींच लेती हैं ।

अनीता---- आह .....दीदी क्या करती हो ......छोड़ो कोई देख लेगा ।
कस्तूरी ने अपना हाथ अनीता की चुचियो पर रख जोर जोर से मसलने लगती हैं .....।

अनीता---- आह दीदी .....दर्द हो रहा है .....थोड़ा धी.......रे। तुम भी सोनू से .....आह चुदवा कर उसकी तरह बेरहम हो गई हो क्या ।

कस्तूरी---- मेरी बेरहमी कुछ नही है ....अनीता । जब सोनू तेरी चुचिया मसलेगा तब पता चलेगा ....... aur फीर कस्तूरी अपना मुह अनीता के मुह में डाल देती हैं ।

अनीता भी गरम हो चुकी थी, उसकी शादी होते ही उसका पति शहर गया तो आया ही नही ......वो भी लंड के लिए हमेशा तडपती रहती थी ।
और आज जब कस्तूरी ने उसकी जवानी को छेड़ा तो उसका बदन हवस के आग में जलने लगा ।
कस्तूरी अपने दोनो हाथो से अनीता की चुचिया मसल रही थी, और अनीता भी अपना पुरा मुह कस्तूरी के मुह में घुसा उसके होठो को चुस रही थी ......।


अरे बेशर्मो क्या रही हो तुम लोग ..........लेकीन अनीता और कस्तूरी तो जैसे उस आवज को सुन ही नही रही थी, बस हवस की आग में एक दुसरे को मसल रही थी ।

सुनीता ने पास जाकर ऊन दोनो को अलग कीया .......।
सुनीता---- घर पर तिन तिन जवान बेटियाँ है और तुम लोग बेफिकर हो कर मसली मसला कर रही हो ।

कस्तूरी---- अब क्या करू दीदी, जब से तेरे बेटे ने अपना सांड जैसा लंड घुसेड़ा है । कुछ समझ में ही नही आ रहा हैं ।

सुनीता--- तो क्यूँ घुसवा ली मेरे बेटे का लंड ।
कस्तूरी---- अब क्या करू दीदी, आसमां के तारे जो दिखा देता है तेरे बेरहम बेटे का लंड ।

ये सुन सुनीता के बदन में तुफान सी उठने लगती हैं .......और सोचने लगती है, अखिर कितना मज़ा देता है मेरे बेटे का लंड जो भी ले रही है, उसके लंड की तारिफ करते नही थक रही है ।

कस्तूरी----- क्या हुआ दीदी कीस सोच में पड़ गयी? कही तुम भी तो ......

सुनीता----- चुप छीनाल, और अपने चेहरे पर हल्की सी शर्म लिए वहां से चली जाती है ..........।


आज सोनू अपने खेत के बने झोपड़े में बैठा वैभवी को अपनी यादों सें निकाल देने की कोशिश कर रहा था .....लेकीन वैभवी का वो खुबसूरत प्यारा चेहरा उसके आंखो के सामने आ ही जाता था .......वो एकदम पागल हो जाता है ।


सोनू सोचने लगा की यार मैं उसको कैसे भूलू , तभी सोहन वहां आ जाता हैं ।

सोनू सोहन को देख कर सोचा ---- अब तो बस चुदायी करूंगा बस, ताकी उसका खयाल ना आये.......लेकीन सोनू शायद ये नही समझ रहा था की ......चुदायी की बात करते समय भी वो वैभवी की ही बात कर रहा है .......जिसे वो भूल जाना चहता है ।

सोहन---- अरे मेरे राज क्या सोच रहे हो .......मेरा तो खयाल ही नही रहा ।

सोनू---- भोस्ड़ी के ज्यादा बोल मत और मेरा लंड निकाल और चुस ......।

सोहन बिना देर किये सोनू का लंड निकाल अपने मुह में भर लेता है ।
सोनू लेटा हुआ अपने लंड को उसके मुह में घुसा रहा था ......लेकीन उसका ध्यान तो सिर्फ वैभवी के उपर ही था ।
करीब 5 मिनट से सोहन सोनू के लंड को चुस रहा था ।


सोहन---- क्या बात हैं ......राजा, आज ये फ़ौलाद खड़ा क्यूँ नही हो रहा हैं ।

सोनू--- तु चुसता रह साले ......।
सोहन और 10 मिनट चुसता है लेकीन सोनू का लंड खड़ा ही नही होता .......और खड़ा भी कैसे होता सोनू का ध्यान तो अपने लंड पर नही बल्की वैभवी पर था ।

अखिर थक हार कर सोहन उसका लंड छोड़ देता है .......।

सोहन---- लगता है आज इसका मुड़ नही है ......मैं जा रहा हूं ।

सोनू---- ठीक है जा तू।
सोहन अपना गांड लिए झोपड़े से बाहर निकल जाता हैं ।

सोनू--- अरे यार ये लड़की आखिर मेरे खयालो से जा क्यूं नही रही हैं । वो एकदम परेशान हो जाता है , और वही खाट पर पड़े फिर से वैभवी के खयालो में खो जाता है .......।


और ईधर वैभवी भी बिस्तर पर पड़े सोनू के बारे में ही सोच रही थी ।तभी पायल आ जाती हैं ........।

पायल---- कीस खयाल में खोयी हैं मेरी बेटी ।
वैभवी---- कुछ नही मा, वो मुझे कल मुंबई वापस जाना है exam हैं, ना तो वही सोच रही थी ।

पायल--- लेकीन मेरी बेटी की आँखे तो कुछ और ही कह रही हैं ।
वैभवी--- अरे मां वही सोच रही थी मैं, और कुछ नही ।

पायल--- सच सच बता क्या बात हैं ......मैं तेरी मां ही नही तेरी दोस्त भी हूं ।

वैभवी--- वो मां मैं सोनू के बारे में सोच रही थी .......आज उससे जब मिली तो पता चला की वो मुझसे प्यार करता है........।

पायल--- तो तू भी तो उससे प्यार करती हैं ।
वैभवी--- नही मा मैं नही करती ......वो गांव का अनपढ़ और मैं एक medical student कैसे, हो ही नही सकता ।

पायाल--- बेटी प्यार किसी status, की मुहमुहताज नही होती वो तो बस हो जाता हैं । भगवान ने हमे जिन्दगीं दी हैं सिर्फ जीने के लिए नही, बल्की उसके साथ जीने के लिए जिसके साथ हम अपनी पुरी जीन्दगी गुजार सके । और रही बात तेरी जो तू बोल रही है की तू सोनू को प्यार नही करती, अगर सच में नही करती तो उसके बारे में सोचती ही नही ।

देख बेटी ये जिन्दगी तेरी है तो तू ही फैसला कर सोनू तेरे लिए सही है या नही ........ ।

वैभवी पारुल की बाहों में अपना सर रख कर लेट जाती हैं .......।

वैभवी --- मां ये लड़का तो मेरी नींद ही चुरा लिया है ......मुंबई में इतने लड़के मेरे दोस्त है, लेकीन कभी उतना नही सोचा जितना ये कमीने के बारे में सोच रही हूँ ।

पारुल---- यहीं तो प्यार हैं .........जा जाकर बोल दे ।
वैभवी का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है ........।

वैभवी---- नही मा थोड़ा तड़पने दे .......... उसको, अब जब मुंबई से आऊंगी तब ही उसको propose करूंग। तब तक थोड़ा तडपा लूँ, हक़ है मेरा ।

पारुल---- ठीक है तड़पा ले, बाद में वो वसूल भी कर लेगा, हक़ है उसका ।

वैभवी (शर्मा कर)----- मां .......तुम भी ना ।
पारुल---- अच्छा सो जा, कल तुझे निकलना भी हैं ।
वैभवी ठीक है मां और फिर बेड पर लेट जाती है...... वो सोने की कोशिश करती है लेकीन नींद उसकी आंखो से कोशो मील दूर थी ................।


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बेचन घर में बैठा खाना खा रहा था, बकी लोग सब खाना खा चुके थे ......वो खाना खाते खाते सीमा को ही देख रहा था, और साथ में दारु की शीशी भी हलक मे उतार रहा था ।

सुगना --- सीमा तेरा बिस्तरा, बहु के बगल में लगा दीया है ।
सीमा--- तू कहा सोयेगी दादी?

सुगना---- मैं दुसरे कमरे में जा रही हू सोने ।
ये सुन बेचन खुश हो जाता है .....और सोचने लगता हैं की आज तो अपनी बेटी को कली से फूल बना ही दूंगा, यही जोश में वो फटा फट दो शीशी पी लेता है ......बेचन को बहुत चढ़ गई थी । वो खाना खत्म कर थोड़ा बाहर घुमने चला जाता है ........दारु के नशे में लड़खड़ा कर चल रहा था ।


सीमा (मन में)--- आज तो बापू मेरी जम कर कुटाई करेंगे , तभी रितु वहां आ जाती हैं ।

सुगना--- अरे रितु बेटा तू ।
रितु--- हा दाई वो मैं , सीमा को लेने आइ थी । कल से मेरा परीक्षा है, तो अकेले पढ़ने में मन नही लगता और नींद भी आती हैं । अगर सीमा रहेगी तो बात करते करते पढ़ भी लूंगी ।

सीमा--- अरे रितु, मुझे नींद आ रही है, तू जा मैं कल से आ जाऊंगी ।

सुगना--- जा चली जा, उसके साथ रहेगी तो वो पढ़ तो लेगी कम से कम ।

सीमा भी मरती क्या ना करती, आज उसे रितु पर बहुत गुस्सा आ रहा था .....लेकीन वो wheelchair पर बैठ रितु के साथ चली जाती है ।


और ईधर सुगना भी सीमा के बिस्तरे पर लालटेन बुझा कर रजाई ओढ़ लेट जाती है ।

घर के पिछवाड़े बेचन बीड़ी सुलगा कस लेता हुआ सोच रहा था की थोड़ा लेट जाऊंगा, तब तक अम्मा भी सोने चली जायेगी ।
बेचन करीब 1 घंटे बाद घर में घुसता हैं, घर में अन्धेरा था, और उपर से उसने चढा भी रखी थी ।
वो धीरे से सीमा के बिस्तरे के करीब जाता हैं, और रजाई हटा कर बिस्तरे में घुस जाता हैं .......।

सुगना कस्मसाई, की ये कौन हैं ......तभी उसके कानो के बगल में बहुत धीरे से आवाज़ आती हैं ।
सीमा बेटी तेरा बाप आ गया, तुझे कली से फूल बनाने ।

लेकीन बेचन को शायद ये नही पता था की, वो जिसे अपनी बेटी समझ रहा है वो उसकी अम्मा हैं ।
खैर सुगना की हालत तो ये सुनसुनकर ही खराब हो जाती हैं की एक बाप अपने बेटी को चोदने आया था , लेकीन कही ये अपनी अम्मा ही ना चोद दे ।
लेकीन सुगना भी कुछ4नही बोलती, क्युकी बगल में उसकी बहु जो लेती थी ।

बेचन का हाथ सुगना की चुचियो को पकड़ कर जोर जोर से मस्लना शुरु कर दीया था ।
इतनी जोर जोर से मसलने पर सुगना की चुचियो में दर्द होने लगा तो उसने अपने मुह में रजाई ठूंस लिया ।
शराब के नशे में धुत्त बेचन सुगना के उपर आ गया, और उसको होठो को अपने मुह में भर जोर जोर से चूसने लगा ।

बेचन का जोश इतना था की एक 60 साल की औरत का भी भोस्ड़ा फुदकने लगा, और वो औरत कोई और नही उसकी खुद की अम्मा थी ।
शायद अब सुगना की भी बची खुची जवानी रंग लाई, उसने भी सोहन को कस कर अपनी बाहो मे भर लिया, और अपने मुह का कमाल दिखाने लगी ।


बेचन हवस मे इतना पागल हो गया था की, वो खाट पर खड़ा हो गया और, अपना 6 इंच का लंड सुगना के मुह में डाल कर उसका बाल जोर जोर से पकड़ उसका मुह चोदने लगा, जैसे वो बुर चोद रहा हो


सुगना की सांसे अटक जाती जब बेचन का लंड अन्दर तक घुसता । खप्प खप्प की आवाज़ इतनी जोर दार थी की झुमरी की आंखे खुल गई ।
और ईधर सुगना अपना मुह खोले बचन का लंड मजे से मुह में ले रही थी ।

तभी बेचन ने सुगना का पैर उपर उठाया उसकी साडी सरक कर कमर तक आ गई, सोहन ने अपना लंड सुगना के बुर पर रख जोरदार धक्का मारा?, लंड आराम से सरकता सुगना के बुर पुरा घुस गया ।
सुगना--- आह, उह ......।

की आवाज़ से चदाई के मज़े लेने लगी । पुरे 20 साल बाद उसके बुर में लंड घुसा था, और बेचन भी हुमच हुमच कर उसको चोद रहा था ......खाट तो इतनी जोर जोर से चरर मरर कर रही थी की झुमरी ये जान चुकी थी की किसी की चदाई हो रही है .......lekink kiski?

अभी तक तो सिर्फ खाट की आवाज़ रही थी लेकीन अब सुगना के बुर से भी फच्च फच्च की आवाज़ आने लगी ।
सुगना की बुर एक दम पानी से भर चुकी थी जिसके वजह से जब बेचन का लंड उसमे घुसता तो फच्च फच्च की आवाज़ आती ।

सुगना जोश में बेचन को अपने तरफ़ खींच लेती हैं और कहती है,

सुगना ---- चोद मदर्चोद, अपनी बुढ्ही अम्मा, को चोद मज़ा आ रहा है, मदर्चोद पहले क्यूँ नही चोदा ।

अपनी अम्मा का आवाज़ सुन कर बेचन का जोश ठंढा पड़ जाता है, और ईधर झुमरी भी आवक रह जाती हैं की उसका मरद अपनी अम्मा को ही चोद रहा हैं ।

सुगना का पारा तब गरम हो जाता है जब बेचन उसको चोद्ते चोद्ते रुक जाता है ।

सुगना ने खींच कर एक थप्पड़ बेचन के गाल पर मारा .......चोद मधर्चोद, चोदने आया था ना , चोद अपनी अम्मा को ।

ये सुनते ही बेचन जोश में आता है और जोर जोर से उसकी बुर में अपना लंड पलने लगता है ।


बचन---- ले मदर्चोद अपने बेटे का लंड, साली फाड़ दूंगा तेरी बुर मैं भोस्ड़ी ।
सुगना--- आह .........चोद, और अन्दर डाल मदर्चोद, इतने से ही .....आह अपनी मा का भोस्ड़ा फाड़ेगा ।

बेचन और तेज तेज धक्के मारने लगता है .....लेकीन जितना लंड है उतना ही जायेगा ना ।

खैर धक्को की गति ने सुगना को झरने के कगार पर ला कर खड़ा कर दीया ।
सुगना --- चोद, हा मै गई 20 साल बाद, आह और अन्दर डाल दे रे कोई तो, और वो खुद बेचन को कस कर पकड़ खाट पर खड़ी हो जाती है ......और अपनी गांड उठा उठा कर इतनी जोर जोर से से धक्के मारने लगती है की ।
बचन का भी पानी सुगना के साथ ही निकल जाता है .......।


दोनो मा बेटे हाफ्ते हाँफते खाट पर लेट जाते हैं ........।

सुगना----- आह बेटा, तेरा लंड छोटा पड़ गया लेकीन मेरा पानी निकाल दीया तुने ।

बेचन---- साली तू 60 साल की छीनाल औरत है, तुने तो मेरा पानी निकाल दीया ......।

तभी जाग चुकी झुमरी ने कहा .......अरे कोई मेरा पानी भी तो निकाल दो ...................।


सुगना---- अरे बहु रोज तो ये तेरा पानी निकलता है।
झुमरी---- जब से बिमार हू अम्मा तब से एक बार भी लंड नही गया ।

बेचन---- पहले तू ठीक हो जा रानी फीर तेरा भी पानी निकाल दूंगा ।

और फीर बेचन अपनी अम्मा की चुचियो में मुह लगा देता है ......।
सुगना---- अरे हरामी फीर से चोदेगा क्या?

बेचन---- मन तो कर रहा है,
सुगना--- तो फीर डाल कर फीर से गदर मचा दे,

बेचन ने अपना लंड फीर से अपनी अम्मा के बुर में डाल हुमचने लगता है ।
उस रात पता नही कितनी बार बेचन ने अपनी अम्मा को चोदा होगा ............... ।


सुबह सुबह वैभवी तैयार हो कर अपनी मां के साथ कार में बैठ स्टेशन की तरफ़ निकल देती है ।
उसका दील एक बार सोनू को देखने का कर रहा था, लेकीन इतनी सुबह सुबह उसे सोनू कहा दिखेगा .....यही सोचती हुई वो स्टेशन पर पहुंच जाती है ।

स्टेशन पर ट्रेन आकर खड़ी होती है, वो ट्रेन में अपनी सीट पर बैठ जाती है और जैसे ही ट्रेन जाने को होती है उसे सोनू भागते हुए दिखा ।

वैभवी ट्रेन के दरवाजे पर आ जाती है , जिसकी वजह से सोनू उसे देख लेता है । सोनू के पैरो की रफ्तार तेज होती है और धीरे चल रही ट्रेन से आगे भागते वो वैभवी के पास पहुंच जाता है ।

सोनू (ट्रेन के साथ भागते हुए)---- आप आज जा रही थी, एक बार बता तो देना चाहिये था ।

वैभवी की पलकें भीग चुकी थी उसे यकीं नही था की सोनू उसे इस कदर चहता है,

वैभवी---- मेरी हिम्मत नही पड़ी बताने की ।
सोनू की सांसे भागते भागते फूलने लगी थी ........

सोनू--- अच्छा ठीक है, फीर कब आओगी?
वैभवी--- 2 महिने बाद, आ जाऊंगी मैं ......

sonu(हांफते हुए)----- अच्छा .......भूल तो नही जाओगी मुझे । दोस्त माना है ना ।

वैभवी ये सुनते ही, उसे ऐसा लगा की अभी ट्रेन से उतर जाऊं और सोनू को अपनी बाहों में भर कर बोलू अब तुम मेरे सिर्फ दोस्त नही बल्की मेरी जिन्दगी हो ............लेकीन जब तक वैभवी सोनू को कुछ जवाब देती ट्रेन स्टेशन के साथ साथ सोनू को भी दूर छोड़ चुकी थी ।

सोनू स्टेशन के आखरी छोर पर खड़ा अपनी आंखो में आंसू लिए वैभवी को देखता रहा, और वैभवी भी रोते हुए अपना हाथ हिलाते सोनू को अलविदा कह रही थी ।

वो दोनो एक दुसरे को तब तक देखते रहे जब तक की वो एक दुसरे के आंखों से ओझल नही हो जाते .........

sonu जैसे ही पीछे की तरफ़ घुमा उसे पारुल खड़ी दिखी, सोनू के भीग चुके आंखो को देख कर पारुल की आंखे भी नम हो जाती है .......aur वो सोचने लगती है की ( किसी ने सच ही कहा है जब प्यार होता है तो सारी दुनिया उसे बेगाना लगती है सिर्फ एक उसे छोड़ कर)


सोनू बिना कुछ बोले वहां से निकल जाता है .................।


इधर घर में कस्तूरी अपनी बुर मसल मसल कर सोनू के लंड को याद कर रही थी , लेकीन शायद उसे ये नही पता था की जिसे वो याद कर रही है वो पहले से ही किसी के याद में पागल हैं ।

कस्तूरी अपनी बुर मसल ही रही थी की तभी वहा सोनू आ जाता है ।
कस्तूरी सोनू को देख उसे अपनी बाहो में भर लेती हैं ......।

सोनू उसे अपने से दूर कर देता है ......जिसकी वजह से कस्तूरी को ऐसा करना अच्छा नही लगता ।

कस्तूरी--- क्या हो गया है तुझे? पिछले 2 दिनो से ना तू बात कर रहा है और ना ही ठीक से खाना खा रहा है .......।

अगर मै पसंद नही तो वो भी बोल दे मै तेरे पास नही आऊंगी ।

सोनू--- कस्तूरी को अपनी बाहो में भरते हुए ..... नही मेरी जान ऐसी कोई बात नही हैं, कौन बोला की तू मुझे पसंद नही है, वो तो बस मेरा मुड़ खराब था इसीलए।

कस्तूरी सोनू के होठो को चूमती हुई---- क्या बात है सोनू मुझे बता की अखिर ऐसी कौन सी बात है जो तुझे परेशान कर रही है ।

सोनू कस्तूरी को अपनी बाहो में उठा लेता हैं और उसे छत पर ले कर आ जाता है ।
छत के कमरे में खाट पर कस्तूरी को लिटा कर खुद उसके उपर लेट जाता है ........।

कस्तूरी कुछ बोलने ही वाली थी की सोनू ने उसके होठो को अपने होठो में कैद कर लेता है ।

उसकी यादों में सिर्फ वैभवी का चेहरा घूम रहा था, वो भूल गया था की इस वक़्त वो अपनी चाची के उपर लेटा है ।
वो कस्तूरी को वैभवी समझ उसे ऐसे चूम और चुस रहा था जैसे की उसके नीचे वैभवी हो।

कस्तूरी भी आज इतनी मदमस्त हो गई थी की वो समझ ही नही पाई की हमेशा बेरहमी से चोदने वाला आज इसको क्या हो गया ।
सोनू कस्तूरी के पुरे चेहरे को चाट चाट कर भिगा दीया था .....कस्तूरी का पुरा चेहरा सोनू के थूक से भीग गया था ।

ऐसा अहसास कस्तूरी को पहले कभी नही हुआ था, आज पता नही क्यूँ सोनू की हर एक छुअन उसे अपना सा लग रहा था ।
उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसे कोई बेइन्तहा प्यार करने वाला उसका पति उसके साथ है .....।

सोनू कस्तूरी के चेहरे को चूम्ते हुए उसके गर्दनो को अपनी होटो में पुरा भर चारो तरफ़ चूमने चाटने लगता हैं ।
कस्तूरी अपनी आंखे बंद किये जैसे किसी दुसरी दुनिया में पहुंच गई हो ........।


आज कस्तूरी को एक अजीब सा प्यारा अहसास हो रहा था ......उसकी बुर ने पानी उग्ल्ना शुरु कर दीया था ।
सोनू धीरे धीरे चूम्ते हुए उसकी चुचियो पर आ जाता है और उसकी एक चुची को अपने मुह में जैसे ही मुह में लेके चुसता हैं .......।

कस्तूरी----- आह ......मेरे राजा, आज क्या हो गया हैं तुझे .....शुरु से ही मजा देने लग गया हैं ।
लेकीन सोनू तो जैसे उसकी आवज ही नही सुन रहा था ......वो कस्तूरी की चुचियो को चुस चुस कर फूला देता हैं ।
कस्तूरी से इतनी मस्ती सही नही जा रही थी अब उसकी बुर लंड के लिए तैयार हो चुकी थी ।

तभी सोनू का एक हाथ कस्तूरी की बुर पर पड़ता है और सोनू ने अपनी एक उंगली कस्तूरी के बुर में घुसा कर आगे पीछे करने लगा ......।

कस्तूरी----- आह सोनू, बेटा मार डालेगा क्या? जल्दी से डाल दे अपना........मुसल अपनी चाची की बुर में ........आह कीस रंडी के खयाल में खोया हैं .....आह ।


सोनू इतना सुनते ही उसका पारा आसमां पर चढ़ गया, क्युकी वो वैभवी के खयाल में ही खोया था ।

सोनू का गुस्सा बहुत तेज था ., उसने कस्तूरी के गाल पर जोर का थप्पड़ जड़ दीया ।

सोनू---- साली बहुत आग है ना तेरे भोस्ड़ी में, आज इसका वो हाल करूंगा की..........

कस्तूरी---- आह राजा तो कर ना, देखती हू तेरे लंड में कितना ताकत हैं ।

सोनू अपने बेरहमी पर आ गया, उसने कस्तूरी के दोनो टाँगे सटा कर हवा में उठाया जिससे कस्तूरी की बुर की फान्के एक दुसरे से चिपक गई ......... और सोनू जबरन अपना लंड उसके बुर में घुसने लगा ।

एक जोर के झटके से कस्तूरी की बुर अन्दर चिर्ते हुए सोनू का लंड लेने लगी ।
कस्तूरी का चेहरा लाल हो चुका और इतनी जोर की चिल्लाहट से कमरा गूंज गया ।


सोनू ने फाटक से अपना लंड बाहर खींच लीया और कस्तूरी की टाँगे cross कर दीया जिससे कस्तूरी की बुर और सिकुड़ गई ।

अब सोनू ने फिर से अपना लंड कस्तूरी के बुर में घुसना चाहा लेकीन टाँगे cross होने की वजह से कस्तूरी के बुर की छंद जकड़ गई थी ।
फीर भी सोनू ने जबरन अपना लंड उसके बुर में अपने लंड का टोपा फंसा कर अपनी पुरी ताकत से जड़ तक घुसा दीया ।




कस्तूरी-- आ..............आ......मां, मर जाऊँगी .............सोनू, रहम कर........आ।
कस्तूरी का दर्द उसकी चिन्खो से बयाँ हो रहा था, इतनी जोर की चिल्लाहत से नीचे बैठे सुनीता और अनीता भागते हुए छत पर आ गई ।

छत पर आते ही, उन्होने जो नजारा देखा तो दंग रह गई .....।

कस्तूरी जोर जोर से चिल्ला रही थी उसके चेहरे की हालत बता रही थी की, वो सोनू के लंड को बहुत मश्क़िल से ले पा रही है ।

और वो सोनू से बार बार, अपनी अटक चुकी आवाज़ से कह रही थी, की मुझें माफ़ कर दे सोनू, निकाल ले इसे मैं नही ले पाऊंगी ।

लेकीन सोनू ने अपने धक्को की रफ्तार और तेज कर दी ......।

सुनीता और अनीता का गला सुख चुका था, सोनू को किसी जानजानवर की तरह चोद्ता देख ।

सोनू---- चल साली गांड खोल । पीछे कुतीया बन ....
कस्तूरी को थोड़ा आराम मील सोनू के लंड निकलने से ......।

कस्तूरी (रोते हुए)----- मैने ऐसा क्या कह दीया, सोनू जो तू इतनी बेरहमी से चोद रहा है मुझे ।

सोनू---- कुछ नही, बस तू कुतीया बन, और अपनी गांड में मेरा लंड ले
कस्तूरी की हालत और खराब हो जाती हैं, वो सोनू को अपनी बाहो में भर लेती हैं, और रोते हुए कहती हैं ।

कस्तूरी---- इतनी बेरहमी मत कर, सोनू बेटा कुछ गलत बोल दीया हो तो माफ़ कर दे ।

सोनू कस्तूरी को वैसे ही बाहो में उठा लेता हैं, और उसकी दोनो टांगो को अपने दोनो बाहो में भर उसका पीठ पकड़ जकड़ लेता हैं ।

कस्तूरी अब सोनू के बाहो में जकड़ी हुई थी, उसका गांड सीधा सोनू के लंड के उपर था ।

कस्तूरी सोनू के गले में अपना हाथ डाले उसके बाहो में थी, और सोनू नीचे जमीन पर उसको उठाये खड़ा था ।

सोनू--- चल मदर्चोद, अपने एक हाथ से मेरा लंड अपनी गांड में घुसा ।
कस्तूरी समझ चुकी थी की आगे आनेवाला दर्द बहुत भयानक हैं .....उसकी आंखो से आंसू निकलने लगता हैं ।

कस्तूरी---- नही सोनू, वहा नही मैं मर जाऊंगी, और रोने लगती हैं ।
सोनू(कस्तूरी को उठाये)--- साली ज्यादा नाटक मत कर, जितना बोल रहा हूं उतना कर,

कस्तूरी--- मरती क्या ना करती, वो रोते हुए अपना एक हाथ नीचे ले जाकर सोनू के लंड को अपनी गांड के छंद पर टिका देती है,

सोनू कस्तूरी को अपने हाथ के सहारे नीचे करते हुए, जोर का धक्का मारता है .....जिससे कस्तूरी की गांड फटती चली जाती हैं,
कस्तूरी--- आ...aa.aaaaaaaeeeeeeeeii........आआआ...... aaah ,
अपना पुरा मुह खोल कर चिल्लाने लगती हैं, लेकीन सोनू जोर जोर से उसकी गांड मारने लगता हैं ......। हद तो तब हो जाती हैं, जब सोनू कस्तूरी को ही अपने लंड पर उसे उठा उठा कर उछल्ने लगता हैं ।

सोनू का लंड कस्तूरी के गांड के औकात से अन्दर जैसे ही घुसना चालू कीया ........खून की लरि उसके गांड से बहते नीचे जमीन पर गिरने लगी .......और साथ ही कस्तूरी एक जोर की चिल्लहट से बेहोश हो जाती है ......।
सोनू पगला चुका उसे खाट पर लिटा, बगल में पड़े पानी के ग्लास से पानी निकाल कस्तूरी के चेहरे पर जोर से पानी का छिटा मारता है ......जिससे कस्तूरी होश में आती हैं ।


सोनू कस्तूरी का बाल जोर से खींचता हैं---- क्या हुआ साली, इतनी जल्दी हार मान गई, अभी तो और लंड बचा है पुरा कहा ली तुने, और सोनू फीर से उसे उसी अवश्था में उथाने लगा ......।


कस्तूरी का रो रो कर गला सुख गया था, वो किसी तरह बस यहा से निकलना चाहती थी ।

कस्तूरी---- छोड़ दे सोनू ......मैं तेरे हाथ जोडती हू, मेरी बुर फाड़ दे मगर गांड में नही ले पाऊंगी, देख तेरी चाची हूं मैं इतना कहा तो मान ले मेरा ......aaaaaaaaaaaaआ.............aआ.............म.......री।

सोनू का लंड फीर से कस्तूरी के गांड में घुस चुका था,
बाहर खड़ी सुनीता और अनीता का हाथ पैर सुन्न हो चुका था । और सुनीता की नज़र कस्तूरी की गांड के छेंंद पर पड़ी, जो सोोनू के लंड ने बुुरी..........तरह खोल.....दीया था ......और कस्तूरी के गांड से रीस रीस कर।
खून नीचे टपक रहा था .....लेकीन सोनू का लंड उसके गांड में अभी भी बुरी तरह अन्दर बाहर हो रही थी ।
कस्तूरी सोनू के बाहो में पड़ी सिर्फ दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी ......लेकिन सोनू ने इस बार कस्तूरी को अपने दोनो हाथो से उपर उठाया लंड गांड से बाहर निकला, लेकिन सोनू ने वापस कस्तूरी को नीचे की तरफ़ जोर से लाया और नीचे से अपना गांड भी उछाल कर धक्के दीया दोनो तरफ़ से धक्के पड़ने सें .........कस्तूरी सोनू से चिपक दर्द से छटपटाने लगती हैं .......।


और जोर से.......आmmmmmmmmmm ......... आ........... हाँ मां .......मार डालेगा .....ये आज।


कस्तूरी की हालत सुनीता से देखी नही जाती, वो झट से दरवाजा खोलती हैं ........जिसे सोनू अपनी मां को देख सुन्न हो जाता हैं ।

और कस्तूरी को नीचे खाट पर लिटा देता हैं .......।
सुनीता गुस्से में लाल पास में पड़ी लकड़ी से सोनू को सटा सट मारने लगती हैं .......।



सुनीता(सोनू को दंडे से मरती हुई)----- हरामी ...... तुने औरतो को समझ क्या रखा हैं ......खिलौना ......हैं , जिसे तू जैसे चाहे वैसे इस्त्ट्तेमाल करेगा ।
सोनू मार खाता रहा और अपने कपड़े पहनता रहा ......।

दर्द से निढ़ाल हो चुकी कस्तूरी भी सुनीता को रोक रही थी और इधर अनीता भी उसको पकड़ रही थी ।

सुनीता--- नही हट जा अनीता, औरते मर्दो के पास आती है ताकी वो भी अपने शरीर को संतुष्ट कर पाये ......लेकिन ये हरामी औरतो को खिलौना समझता हैं, थोड़ा भी रहम नही हैं इसके अन्दर ......जानजानवर हैं ये ।

और फीर एक जोर का दंडा खींच कर मारती हैं सोनू अपना बेल्ट उठाने नीचे झुक्ता हैं और वो दंडा सीधा उसके सर पर लगता है ....... और सोनू वही नीचे निढ़ाल हो कर गीर जाता हैं ........।

सुनीता--- नही हट जा अनीता, औरते मर्दो के पास आती है ताकी वो भी अपने शरीर को संतुष्ट कर पाये ......लेकिन ये हरामी औरतो को खिलौना समझता हैं, थोड़ा भी रहम नही हैं इसके अन्दर ......जानजानवर हैं ये ।

और फीर एक जोर का दंडा खींच कर मारती हैं सोनू अपना बेल्ट उठाने नीचे झुक्ता हैं और वो दंडा सीधा उसके सर पर लगता है ....... और सोनू वही नीचे निढ़ाल हो कर गीर जाता हैं ........।


सोनू के गिरते ही सुनीता का गुस्सा गायब हो जाता हैं ....वो सोनू के तरफ़ बढती हैं ......
सोनू को अपने गोद में उसका सर उठाती हाय, उसके सर से बहुत खून निकल रहा था .....और सोनू बेहोश हो चुका था ।


सुनीता----- रोते हुए ......हाय राम ये मैने क्या कर दीया ।
वो सोनू को 2,3 बार झिंझोद्ती हैं लेकिन सोनू के तरफ़ से कोई हलचल नही होती ..............




डाक्टर साहिबा .....डाक्टर साहिबा .....जोर जोर की आवाज़ अस्पताल में गूंज रही थी ।
ये आवाज़ राजू की थी जो सोनू को सुनीता और अनीता के साथ अस्पताल ले कर आया था ......।

पारुल आवाज़ सुनते ही, अपने cabin से बाहर आती हैं ......।

राजू--- डाक्टर देखो ना मेरे भाई को चोट लग गई हैं आप कुछ किजीये ।

पारुल जैसे ही सोनू को देखती हैं ......वो खून से लत्पथ अपनी मां सुनीता के गोद में लेटा था ।

पारुल की हालत खराब हो जाती हैं .....वो फटाफट नर्स को सोनू को अन्दर लाने के लिििि बोलतीी हैं ।


सोनू को हॉस्पिटल के सरकारी special ward ले आया गया ।

सब लोग बाहर खड़े रोते बिल्खते पारुल का इन्तज़ार करने लगे ......।
कुछ देर बाद पारुल बाहर आती हैं ......।


सुनीता---- डॉक्टर साहिबा कैसा है मेरा बेटा ।
पारुल--- देखीये सुनीता जी, सोनू का खून बहुत निकल बह गया है हमे खून की शख्त ज़रुरत हैं ।


सुनीता पागल हो चुकी---- म .....मेरा खून ले लो डॉक्टर साहिबा लेकिन मेरे बेटे को बचा लो ......।


पारुल---- ठीक है सुनीता जी आप अपना blood चेक करवा लो हमे A+ का ही ब्लड चाहिये ।

और फिर सुनीता पारुल के साथ blood checkup के लिए अन्दर ward में चली जाती हैं ............

पारुल सुनीता का ब्लड चेक करने के बाद सुनीता से बोली की आप का ब्लड ग्रुप सोनू के ब्लड ग्रुप से अलग है तो हम आपका खून नही ले सकते ।

सुनीता एक दम घबरा गई .......वो रोते रोते पारुल के सामने हाथ जोडती है की आप कुछ भी करके मेरे बेटे को बचा लो ।

राजू--- डॉक्टर आप मेरा खून ले लो लेकीन भैया को बचा लो ।
पारुल --- नही राजू, तुम्हारी उम्र के हिसाब से मैं तुम्हरा भी खून नही ले सकती ।

पारुल को भी चिंता हो रही थी की वक़्त बहुत कम है और ब्लड सोनू को जल्दी ना मिला तो उसकी जान को खतरा हो सकता है .....पारुल यही सोच ही रही थी की अचानक से उसके दिमाग आया की A+ ब्लड ग्रुप तो मेरा भी हैं .......।

वो फटाफट नर्स को आवाज़ देती हैं और उस वार्ड में चल देती है जीस वार्ड में सोनू था ।

सोनू के बगल वाली पेशेंट बेड पर लेटती हुई वो नर्स को अपना ब्लड सोनू को चढ़ाने के लिए कहती हैं ।

नर्स ने फटाफट सिरिंज इन्जेच्ट कीया और पारुल का ब्लड सोनू को चढ़ाने लगी ।

ब्लड चढ़ाने के बाद पारुल उठ कर बाहर आती हैं ........।

पारूल---- सुनीता जी डरने की कोई बात नही सोनू को ब्लड मील गया हैं । वो खतरे से बाहर हैं 2, 4 घंटे में उसे होश आ जायेगा ।


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Parul
😄
 
😈😈😈ENDLESS 😈😈😈
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Update 7





सुनीता पारुल के आगे हाथ जोड़ती हुइ -- डॉक्टर साहिबा पता नही ये अहसान मैं आपका कैसे चुका पाऊंगी । आपने अपना खून दे के मेरे बेटे की जान बचाई ।

पारुल-- अरे सुनीता जी ये तो मेरा फर्ज था ।(और मन में सोचती की अगर मैने ब्लड नही दीया होता तो मेरी बेटी मुझे जान से मा .र देती.)

ये कहते हुए पारुल वापा अपने केबिन में चली जाती है।

अस्पताल में आज , सुनीता के साथ साथ अनीता और राजू बैठे थे।
तभी वहां फातीमा भी आ जाती है

फातिमा---- अरे सुनीता क्या हुआ सोनू को,।

फातिमा काफी घबराई हुई दिख रही थी ,

सुनीता फातिमा को देखते ही रोने लगती है।
फातिमा-- अ रे क्या हुआ कुछ बताएगी भी।

पारुल-- उन्हें थोड़ा आराम करने दीजिए, उनको थोड़ा सदमा लगा है। और सोनू अब बिल्कुल खतरे से बाहर हैं।

ये सुनते ही फातिमा को भी तसल्ली मिली.........।

तभी पारुल के फोन की घंटी बजी ट्रिंग ट्रिंग........... पारुल ने फोन उठाया ये फोन किसी और ने नहीं बल्कि वैभवी का था।

पारुल-- हा मेरा बेटा कहा तक पहुंची।
वैभवी-- अरे कहां तक पहुंची मा, मेरा तो मन कर रहा है वापस लौट आऊं।

पारुल-- अरे ३ महीने की तो बात हैं, जैसे ही एक्साम्स खत्म होंगे चली आना।

वैभवी-- मा कुछ अच्छा नहीं लग रहा है......। सोनू दिखा था आपको?

ये सुनते ही पारुल थोड़ा घबराई वो नहीं चाहती थी की सोनू के इस हादसे के बारे में वैभवी को बताए नहीं तो ठीक से अपना एक्सामस भी नहीं दे पाएगी।

पारुल-- हा...... हा दिखा था, थोड़ा उदास था, लेकिन जब तू आएगी तो वो उदासी भी उसकी गायब हो जाएगी।

वैभवी (ठंडी आहे भरते हुए)-- हा.... ठीक कहा मा, लेकिन ये तीन महीना मुझे तीन सौ साल के बराबर लग रहा है।

पारुल-- ओ हो, बड़ी बसब्र हो रही है मेरी गुड़िया........
वैभवी--- क्या...... मा , तुम भी ना, चलो अब मै फोन रखती हूं।

पारुल-- ठीक हैं बेटा पहुंच कर कॉल कर देना।
वैभवी-- ओक , मा और फोन डिस्कनेक्ट कर देती हैं।


इधर पारुल जैसे ही अपने कान से फोन हटती है,।

नर्स--- मैडम , उनको होश आ गया।

पारुल ये सुन कर की खुश हो जाती हैं और अपने केबिन से बाहर निकलते हुए सीधा सुनीता के पास जाती हैं।


पारुल-- सुनीता जी अब रोना बंद कीजिए , सोनू को होश आ गया है।

रो रों कर लाल पड़ चुका सुनीता का खूबसूरत चेहरा, अपने बेटे के होश में आने की बात सुनकर उसने जान आ जाती है..... जैसे एक मुरझाए हुए पेड़ में पानी पड़ने से उसमे जान आने लग जाती हैं.... उसी तरह सुनीता भी अपने आंख के आंसू पोच्छते हुए पारुल से बोली।


सुनीता-- के..क्या मै देख सकती हूं अपने बेटे को ?

पारुल--- हा..... हा सुनीता जी, जाकर मील लो,
। सुनीता ये सुन कर सीधा भागते हुए, सोनू के वार्ड में पहुंची..... सोनू अपनी आंखे खोल छत की तरफ उपर देख रहा था।


सुनीता सोनू के पास आकर बैठ जाती है, अपने बेटे के सर में बंधी पट्टी को देख कर उसका दिल मानो जोर जोर से रोने लगता हैं।

सुनीता की आंखो से लगातार पानी की आंसू बह रहे थे और उसे अपने आप पर पछतावा हो रहा था।

सुनीता (कांपते हुए)--- बे.... टा।

लेकिन सोनू को कोई फर्क ही नहीं हुआ.... उसकी नजर जहा थी वहीं गड़ी रही, उसने अपनी मां की आवाज़ सुन कर भी नजर अंदाज़ कर दिया, उसने एक बार अपनी मा की तरफ देखा भी नहीं।

सुनीता अब तक चार पांच बार सोनू को आवाज़ दे चुकी थी.... लेकिन शायद सोनू ही अपने मा से बात नहीं करना चाहता था।

सुनीता--- देख मुझसे ऐसे नाराज़ मत हो, नहीं तो में जी नहीं पाऊंगी, तेरे सिवा और कोई है भी नहीं मेरा.....( सुनीता भचक bhachak कर रों रही थी)

लेकिन सोनू को कोई फ़र्क ही नहीं पड़ा, उसे उसके मा के आंसू भी बेकार से लग रहे थे।

सुनीता-- सुन... ना, ए मेरे लाल, मत रूठ अपनी मां से। तू.... तू चाहे तो वो डंडा लेकर मुझे भी मार ले, लेकिन एक बार मुझसे बात कर ले..... उसकी लगातार आंखो से आंसू निकलते निकलते सुर्ख लाल हो चुके थे...... सुनीता अब तक ये समझ चुकी थी की सोनू उससे एकदम रूठ चुका है..... लेकिन उसे ये बात सताए जा रही थी की ये रुसवाई कब तक की है..... कहीं मेरा ज़िन्दगी भर मुझसे बात नहीं किया तो.... अपने मन में ढेर सारे सवालों की झड़ी लगाकर वो खुद से ही पूछ रही थी और रोते हुए अपना हाथ सोनू के हाथ पर रख देती है।

तभी वहां पारुल आ जाती है.........।

पारुल--- कैसे हो सोनू अब, कैसा लग रहा है?

सोनू--- अब ठीक लग रहा है मैडम जी, लेकिन मेरा सर बहुत तेज दर्द कर रहा है। ऐसा लग रहा है मुझे अब आराम करना चाहिए?

पारुल-- हा... हा , सोनू तुम आराम करो, सुनीता जी अब चलिए थोड़ा सोनू को आराम करने दीजिए.....।
लेकिन सुनीता को जैसे पारुल की आवाज़ नहीं सुनाई दे रही थी , वो अपना एक हाथ सोनू के हाथ पर रख उसके मासूम चेहरे में खोई हुई थी।

तभी पारुल ने सुनीता को थोड़ा झिंझोड़ कर बोला-- सुनीता जी।

सुनीता जैसे नींद के आगोश से बाहर निकली.....।

सुनीता-- ह..... हा।

पारुल--- कहां खो गई आप, वो ठीक है अब, सोनू को थोड़ा आराम करने दीजिए, चलिए अब चलते है।

सुनीता--- डॉक्टर साहिबा म.... मै यहां सिर्फ बैठी रहूंगी, उससे बात भी नहीं करूंगी, लेकिन मै अभी मेरे बच्चे को छोड़ कर जाना नहीं चाहती।

पारुल-- मै आप की भवनावो को समझ सकती हूं, लेकिन आप यहां रहोगी तो उसे नींद नहीं आएगी..... समझिए थोड़ा।

सुनीता ना चाहते हुए भी अपने दिल पर पत्थर रख वो बाहर की तरफ चल देती है... बाहर जाते हुए सुनीता ने कई बार पीछे मुड कर सोनू की तरफ देखा, लेकिन सोनू ने एक बार भी नहीं अपनी मा की तरफ तांका।


आज झुमरी खाट पर से कई दिनों के बाद उठी थी, शायद अब वो बिल्कुल ठीक थी।
वो आंगन में बने गुसल खाने में नहा रही थी....... गूसल खाना भी एकदम ना के बराबर ही था, बस थोड़ी थोड़ी इंट की दीवारें उठी थी सर के बराबर तक दरवाजे का नामो निशान भी नहीं था।
। झुमरी नहाते हुए..... अपने ब्लाउस की दो बटन खोल देती है।


और अपनी साड़ी निकाल कर, नीचे रख देती है, झुमरी अपनी पेटीकोट थोड़ा अपनी जांघ तक सरका कर, रगड़ रगड़ कर नहा रही थी.... उसकी मोटी मोटी गोरी जांघं इतनी मांसल थी की अगर कोई उसकी जांघ देख ले तो बीना झुमरी को चोदे रह नहीं सकता।

झुमरी अपनी जांघो को मसलते मसलते उस रात हुई धमाके दार चुदाईई को याद करने लगी, जब उसका मर्द बेचैन अपनी मां को हुमच हुमाच कर चोद रहा था..... और सुगना भी उसे और जोर जोर से चोद ने के लिए उकसा रही थी......।

अनायास ही ये सब सोच झुमरी का हाथ पेटीकोट से होते हुए उसके बूर पर पर पहुंच गई।
झुमरी की बूर पनिया चुकी थी.... अपना एक हाथ झुमरी ने अपने बड़ी बड़ी चूचियों पर रख मसलते लगती है.... और नीचे पेटीकोट के अंदर अपने बूर में दो उंगलियां घुसा कर अन्दर बाहर कर रही थी।

अब झुमरी की सिसकारी निकलने लगी और मन में बड़बड़ाती हुई.....।

झुमरी----। सी ईईईईई.... आह, कुत्ता जब मुझे चोदने को होता है, तो आह.... उसके लन्ड की ताकत खत्म हो जाती है... और अपनी मां को उछल उछल कर चोद रहा था।

झुमरी अपनी मस्ती में मस्त अपनी चूचियां और बूर मसल रही थी... वो शायद भूल चुकी थी कि उसने बाहर का दरवाजा बंद नहीं किया है.......।


बाहर शेशन जो कि बेचन का बड़ा भाई है.... वो खेत के झोपड़े की चाभी लेने, सीधा घर के अंदर घुस गया..... उसे ओसार में कोई नहीं दिखा तो वो बैचन को आवाज़ लगते आंगन में चला आया.....।

आंगन में पहुंचते ही शेशान ने जो नज़ारा देखा देखते ही, उसके पैर वहीं थम्हे के थाम्हे रह गए.... झुमरी अपनी मस्ती में मस्त अपना एक हाथ पेटीकोट में डाल कर, अपनी बूर में कचाकच उंगलियां पेल रही थी.... और एक हाथ से अपनी ब्लाउस के उपर ही चूचियां दबा रही थी..... इतना कामुक नज़ारा देख शेसन की हालत को लकवा मार जाता है.... उसके बदन में तो सरसराहट होती है.... लेकिन उसके लन्ड को कोई फर्क नहीं पड़ता।

शेसान अब करीब ७० साल का हो गया था उसके, लंड्ड ने उसका साथ छोड़ दिया था..... वो ये नज़ारा देख कर अपने मन में खुद को गाली देते हुए बाहर निकाल जाता है।

शेसंन---- साला आज अगर लंड खड़ा होता तो , झुमरी बहू को चोद देता..... और यही सोचते सोचते जैसे ही घर में पहुंचा, उसे उसके कमरे से कुछ आवाज़ सुनाई दी। ये आवाज़ इतनी धीमी थी की समझ में नहीं आ रहा था की क्या बाते हो रही है।

शेसन धीरे धीरे क़दमों से उस कमरे तक पहुंचा, और अपना कान दरवाजे से सटा दिया।

अन्दर से आवाज़ आ रही थी...... शीला भाभी मान जाओ ना एक बार अपना ये मखहन जैसा बदन मेरे नाम कर दो कसम से मज़ा आ जाएगा।

ये सुनते ही शेसन के पैरो तले ज़मीन खिसक गई... क्यूकी ये आवाज़ बेचन की थी, उसके छोटे भाई की।
ओ हड़बड़ा गया और उसके दिमाग का पारा बहुत तेज़ होने लगा था, उसने नज़र इधर उधर घुमाई उसे एक मोटा डंडा दिखा, ओ डंडे को उठाकर सोचा की आज तो बेचन को जान से मार दूंगा.... और जैसे ही दरवाजा खोलने को हुआ, उसे उसकी औरत शीला की आवाज़ सुनाई पड़ी।


वो बोल रही थी.... क्या देवर जी आह... क्या करते हो, शर्म नहीं आती इतने जोर से मसलते हो.... आह, दर्द होता है। छोड़िए मुझे आप, नहीं करना है ये सब मुझे... आह।

शेसंन का हाथ दरवाज़े तक पहुंच कर रुक जाता है..... वो सोचने लगा की शीला आह उह क्यों कर रही है, आखिर ये बेचन कर क्या रहा है शीला के साथ..... यही उत्सुकता और मन में गुस्से से भरा शेसन्न बगल में लगी सीढ़ियों के सहारे खिड़की से अन्दर जैसे ही झांकता है उसके रौंगटे खड़े हो जाते है......।

खिड़की से झांकते हुए पाया की, उसका भाई बेचन उसकी औरत शीला को अपनी बाहों में जकड़े हुए उसकी एक चूची को अपने हाथ के मुट्ठी में एक दम से दबोचे हुए था। और शीला छटपटा कर उसे छोड़ने को क रही थी।

अद्भुद नज़ारा था , शीला की उम्र लगभग 55 साल की होगी लेकिन फिर भी इस उम्र में गजब की भरी हुई बदन लिए हुए किसी भी जवान मर्द का पानी निकाल सकती थी।

शीला-- आह.. छोड़िए ना देवर जी, क्या कर रहे हो, आपके भईया अगर आ गए ना तो हम दोनों की खैर नहीं।


बेचन(शीला की चूचियों को मसलते हुए)-- आह भाभी लगता है भईया तुझे कुछ ज्यादा ही मजा देते है... जो तुझे अपने इस देवर पर तरस नहीं आ रहा है.... और कहते हुए शीला की चूचियों को जोर से दबा दिया।

शीला......- आ.......ह, देवर जी, मार डालोगे क्या।
शीला बेचन की बाहों में किसी खिलौने की तरह पड़ी हुई थी, जिसे बेचन बड़े मजे ले ले कर उसकी चूचियां मसल रहा था।



बेचन--- एक बार पुरी नंगी हो जा ..... भाभी , बस एक बार।

शीला की बची खुची जवानी बेचन के इस तरह मसलने से रंग लाने लगी थी, वो जानबूझ कर नाटक कर रही थी।
शीला-- नहीं देवर जी छोड़िए मुझे, ये सब अच्छा नहीं लगता अब इस उम्र में। आपके भईया अगर......
बेचन बीच में ही बात काटते हुए-- अरे भाभी आप तो भईया के उपर ही अटकी पड़ी हो कब से.... तभी बेचन ने शीला की ब्लाउस अपनी उंगलियों में पकड़ जोर से खींच कर फाड़ दिया।
शीला -- हाय री दाईया.... ये क्या किया आपने देवर जी... और अपने दोनों हाथो से अपनी चूचियों को छुपाने लगी।



बेचन,-- क्यू तड़पा रही है भाभी , देख ना तेरी ये मस्त चूचियां देख कर मेरे लंड की क्या हालत हो गई है।

अनायास ही शीला की नजर बेचन के पजामे पर पड़ी जो अब तक वहां पर तम्बू बना था..... ये देख शीला शर्मा गई और अपनी आंखे नीचे कर ली।

बेचन शीला को इस कदर शरमाते देख उसकी हिम्मत बढ़ गई वो झट से खाट पर से उठा और शीला को अपनी बांहों में कस कर दबोच लिया।
बेचन-- क्या हुआ भाभी लगता है पसंद नहीं तुझे?
शीला कुछ बोल नहीं पाई और अपना सर नीचे ही झुका कर रखी रही।

बेचन-- भाभी अब सहा नहीं जाता... निकाल दे अपनी ये साड़ी और बन जा अपने देवर की रखैल...।
शीला ये सुनते ही पूरी की पूरी अंदर तक हिल गई..... उसके जांघो के बीच काफी सा लो से वो झनझनाहट जो आनी बंद हो गई थी, बेचैन के एक शब्द ने उसके बूर को आखिर गुदगुदा ही दिया,,।

शीला-- देवर जी आप जाओ यहां से,
शीला बोल ही रही थी कि उसने नजर उठा कर जैसे ही बेचन की तरफ देखा बेचन ने अपना पायजामा निकाल कर अपना लंड हाथ में ले लिया था और उसे धीरे धीरे आगे पीछे कर रहा था।
६ इंच का लंड देख शीला की जवानी बेकाबू होने लगी, थोड़ा सा शर्म और इज्जत की मारी शीला अपनी नजर झुकाए वहीं खड़ी रही...।

ये देख बेचन की हालत और खराब होने लगी उसका लंड तो पहले से ही उफान मार रहा था। जब से अपनी मां को चोदा था उसने और अब अपनी बिटिया सीमा का बूर खोलने की खुशी उसके तन बदन दोनों को आग लगा रही थी।

बेचन--- अरे भाभी, देख ना मेरा लंड खड़ा है और तू है कि अपनी मुंडी झुकाए खड़ी है।
चल आजा मेरी जान अपने देवर का लंड अपने मुंह में ले के चूस......।

शीला तो मानो जैसे पानी पानी हो गई थी क्युकी आज तक ऐसी बाते उसके मर्द ने भी उससे नहीं करी थी, और लंड चूसने का सुन कर तो तो उसके भोसड़े में तो जैसे तहलका मच गया हो, क्युकी लंड चूसना तो आज तक वो सिर्फ गाली गलौच के समय ही सुनी थी लेकिन कभी चूसा नहीं था।

शीला के लिए लंड चूसने का ये पहला अहेसास था, लेकिन मारे शर्म से वो खुल नहीं पा रही थीं।
शीला ये सब सोच ही रही थी कि तभी बेचन ने आगे बढ़कर उसकी साड़ी के पल्लू को पकड़ लिया और एक झटके में खींचने लगा जिससे शीला चारो तरफ नाचने लगी और उसकी साड़ी देखते देखते ही उसके बदन पर से उतरने लगी......।

शीला--- नहीं देवर जी ऐसा मत करो, ये ग़लत है।
लेकिन बेचन ने आखिर उसकी साड़ी को पूरा उतार ही दिया, अब शीला सिर्फ पेटीकोट में और एक नीले रंग के ब्लाउज में खड़ी थी।
अपनी मोटी मोटी कमर लिए शीला अपनी दोनों हाथो से अपने ब्लाउज के ऊपर हाथ रख उसे छुपाने की कोशिश कर रही थी।

और इधर बेचन शीला की बड़ी बड़ी चूचियां और मोटी गांड़ देख पागल हुए जा रहा था।

बेचन--- आह भाभी, कसम से क्या गांड़ है तेरी, मज़ा आ जाएगा जब तेरी गांड़ में मेरा लंड घुसेगा तो।

शीला ऐसी बाते सुनकर और शर्मा जाती लेकिन उसे ऐसी बातों में मजा भी बहुत आ रहा था।

शीला--- आप बहुत गंदे हो देवर जी, ऐसी गंदी बातें कर के आप को शर्म नहीं आ रही है?

बेचन(अपने लंड को मसलते हुए)---- आह , मेरी शीला रानी.... भईया नहीं करते क्या तुझसे ऐसी बाते?

शीला--- वो तुम्हारी तरह गंदे थोड़ी है, वो ऐसी गंदी बाते कभी नहीं करते।

बेचन ने शीला को फिर से एक बार अपनी बाहों में कस कर भर लिया... और शीला का पेटी कोट उपर उठाते हुए उसके दोनों बड़ी बड़ी चूतड़ों को अपनी हथेलियों में दबोच उसे जोर जोर से मसलने लगा।

शीला--- हाय..... राम, क्या..... आ.... कर रहे हो.... दर्द हो रहा है...। छोड़ दो देवर..... जी।

बेचन--- अरे शीला रानी, तेरी गांड़ हैं ही इतनी मस्त, पता नहीं वो भंडवा मेरा भाई तेरी गांड़ की नथ क्यू नही उतार पाया।

शीला--- आह.... देवर जी...धीरे.... करो।
बेचन-- भईया ने कभी नहीं दबाया तेरी इन मस्त चूतड़ों को?

शीला-- बेचन की बाहों में पड़ी... आह न.... नहीं।
बेचन-- तू चिंता मत कर शीला रानी, अब से तेरी गांड़ की सेवा में करूंगा, तेरी इस मोटी गांड़ में अपना लंड डाल कर खूब तेरी गांड़ करूंगा। क्यू मरवाएगी ना अपनी ये गांड़ मुझसे?

शीला को बहुत ज्यादा शर्म आ रही थी, ऐसी बाते उसके बदन में आग भी लगा रही थी और उसकी शर्म उसे रोक रही थी, वो भी चाहती थी की पूरा खुल कर मजे लू लेकिन गांव की औरतं इतनी जल्दी भला कैसे बेशर्म हो सकती है।


शीला को बहुत ज्यादा शर्म आ रही थी, ऐसी बाते उसके बदन में आग भी लगा रही थी और उसकी शर्म उसे रोक रही थी, वो भी चाहती थी की पूरा खुल कर मजे लू लेकिन गांव की औरतं इतनी जल्दी भला कैसे बेशर्म हो सकती है।

शीला-- आह हटो, आप इतनी गंदी गंदी बात कर रहे हो, मुझे शर्म आती है, आप तो बेशर्म हो कर मेरी मसले जा रहे हो और पूछते हो की।

बेचन- - क्या मसले जा रहा हूं भाभी?
शीला-- आप मसल रहे हो, तो आ....ह, आप को नहीं पता क्या?

बेचन-- मुझे नहीं पता तू ही बता दे ना मेरी , रखैल ।

शीला-- आप मर्द लोग ऐसे ही होते हो.... आह, खुद तो मजे लेते हो औरतों को मसल मसल कर और दर्द की परवाह तो होती नहीं त आप मर्दों को।

बेचन ने शीला के बूर में अपनी दो उंगलियों को घिसोड़ कचकाच पेलने लगा, शीला की बूर पानी उगलने लगी।

शीला--- आह..... अम्मा. हाय री.... देवर जी, ।
बेचन-- तेरी बूर तो पानी छोड़ रही है भाभी, कसम से बहुत कसी कसी लग रही है।
बेचन खड़े खड़े ही , अपनी उंगलियां शीला की बूर में पेले जा रहा था.... और शीला भी मस्त मज़े में अपनी टांगे चौड़ी कर के उंगलियां पेलवाने का मजा ले रही थी।
पूरे कमरे में शीला की सिसकारियों से आवाज़ गूंज रही थी, और शेशन खिड़की से ये नज़ारा देख पागल हो गया था, वो कभी सोच भी नहीं सकता था की उसकी औरत ये सब भी कर सकती है... शीला जिस तरह बेचन की बाहों में खड़ी अपनी दोनों टांगे चौड़ी कर के अपनी बूर बेचन की उंगलियों से पिलवा रही थी, वो नज़ारा ही एक दम मादक भरा था।
शेशन ने अपनी औरत को कभी भी नंगा नहीं देखा था, रात के अंधेरे में ही उस की चूद्दाई कर देता था, और अब तो उसका लंड भी खड़ा नहीं होता।

बेचन--- (उंगलियां पेलते हुए)--- कैसा लग रहा है भाभी, मजा आ रहा है कि नहीं।

शीला--- आह....म.... देवर जी, आप गंदे हो, आह दैया री... कितना अंदर डालोगे अपनी आह उंगलियां.... फाड़ दोगे क्या अपनी भाभी की बूर।

अपनी औरत के मुंह से ऐसी बात सुनकर शेशन का हाल बेहाल हो गया, क्युकी शीला भी ऐसी बाते कर सकती है उसे पता नहीं था।

और इधर बेचन समझ चुका था , की भाभी की बूर अब लंड मांग रही है, और वैसे भी काफी समय हो गया था उसे लगा उसका भाई कभी भी आ सकता है तो जल्दी से पहले चोद लेता हूं बाद में फिर कभी इत्मीनान से इसे चोदूंगा और वैसे भी अब ये मना नहीं करेगी।

बेचन--- भाभी अपना पेटीकोट उठा कर झुक जा, अब तेरी बूर में अपना लंड डालूंगा और चोदूंगा नहीं तो तेरा bhandwa मर्द आ जायेगा।

शीला--- आह, देवर जी नहीं मत करो ना मत चोदो मुझे... लेकिन शीला ने अपनी पेटीकोट को ऊपर सरका कर खाट पकड़ झुक गई....।

बेचन के सामने अब शीला पूरी नंगी बड़ी बड़ी गांड़ थी, और उसकी झांटों से घिरी बूर बेचन के ६ इंच लंड को और कड़क बना रही थी।
बेचन ने समय का तकाज़ा समझ जल्दी से चोदने का फैसला लिया हालांकि वो शीला को और रगड़ना और मसलना चाहता था लेकिन उसे डर था कि कहीं अगर शेसन आ गया तो गड़बड़ हो जाएगा।


बेचन--- आह भाभी, क्या मस्त गांड़ है.... तेरी गांड़ में ही डाल दूं क्या?
शीला अपनी पेटीकोट उठाए अपनी गांड़ बाहर की तरफ निकले झुकी थी कसम से क्या नज़ारा था जिस तरह से एक ५७ साल की औरत अपनी मदमस्त गांड़ खो ले.... अपने देवर के लंड का इंतजार कर रही थी।

शीला--- नहीं... देवर जी उसमे मत डालो... ।
बेचन(फिर से शीला के बूर में उंगलियां डाल)--- तो कहा डालू रानी.... तेरी इस बूर में डालू, बहुत गरम है... देख कैसे पानी चुआ रही है मेरे लंड के लिए।

शीला से अब रहा नहीं जा रहा था उसका बूर एकदम से गरम हो चुका था और वो थोड़ी भी देरी नहीं करना चाहती थी।

शीला--- आह, देवर जी , कब तक झुकाए रखोगे अपनी रखैल को... डाल भी दो अब।

खिड़की में से झांकता हुए शेसन अपनी औरत के मुंह से बेचन की रखैल वाली बात सुनकर लाल पीला हो गया... वो सोचने लगा वाह री शीला तू इतनी बड़ी छीनाल है मै कभी समझ ही नहीं पाया।

और इधर जैसे ही बेचन ने अपनी भाभी के मुंह से अपनी रखैल शब्द सुना तो पागल हो गया और अपना कड़क लंड शीला के बूर की फांकों में फंसा जोर का धक्का मारा और पूरा लंड एक बार में ही घुसा दिया।

शीला---- हाय री.... मेरी बूर... फाड़ दिया...aaaaaaaaaaaa... निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है....आह... नहीं... धी...... रे...।


शीला की चिल्लहट, और बेचन की पागलों जैसी दक्केमारी देख कर शेसन सन्न रह गया.... उसने ऐसी चूदाईई ना कभी देखी थी और ना कभी की थी.... शीला पूरी हिल जाती जब बेचन जोर जोर से शीला की बूर में धक्का मारता... और शीला अपना मुंह खोले चिल्लाती।

बेचन--- आह.... भाभी बहुत मज़ा आ रहा है तेरी बूर में... कैसा लग रहा है तेरे देवर का लंड।

शीला को भी अब मज़ा आने लगा था , शीला बेचन के जोश की दीवानी हो गई थी जीस तरह वो उसे कस कस कर चोद रहा था.... उसे उसके पति ने कभी नहीं चोदा था।

शीला-- आह.... देवर जी, बहुत मज़ा आ रहा है.... आह पहले क्यों नहीं चोदा अपनी भाभी को.... कब से सुख गई थी मेरी बूर... हा... हा... देवर जी ऐसे ही आह.... मा इतना मज़ा कभी नहीं आया था री।

बेचन की रफ्तार और तेज हो गई पूरे कमरे में फच्छ फाच्छ की आवाज़ और शीला की सिसकारियां माहौल को और भी मादक बना रही थी।

बेचन-- आह शीला, पहले ही चोद देता तुझे गलती हो गई... अब ले अपने देवर का लंड ।

शीला--- आह देवर जी..... बहुत अन्दर जा रहा है आपका लंड बहुत मज़ा आ रहा है... मेरा तो... आह पानी निकलने वाला है... चोदो मुझे ऐसे ही, मै गई देवर जी..... आह।

बेचन--- आह भाभी मेरा भी निकलने वाला है... कहा डालू अपना पानी।

शीला--- आ........... मेरी बु..... र में ही डाल दो.... और शीला अपनी का बदन अकड़ने लगा और वो झरने लगी.... और बेचन ने भी एक दमदार धक्का लगाया और अपना पूरा पानी शीला की बूर में भरने लगा।

तूफ़ान गुजर गया था.... दोनों अपनी सांसों को काबू में कर रहे थे.... शीला अब अपना पेटीकोट नीचे कर के खड़ी हो चुकी थी और बेचन अपना ढीला पड़ चुका लंड हाथ में लिए खड़ा बोला।

बेचन--- मज़ा आया भाभी।
शीला तो शर्मा गई.... पूरा।
शीला--- धत बेशरम..... कह कर अपनी साड़ी पहनने लगी।

बेचन--- शीला को पीछे से अपनी बाहों में भर कर उसकी दोनो चूचियां मसलने लगता है।

शीला-- आह.... अभी आपका मन नहीं भरा जो फिर से लग गए।
बेचन-- अरे मेरी जान तू है ही इतनी मस्त की तुझे देख फिर से मन हो जाता है।

शीला--- नहीं.. छोड़ो मुझे, एक तो चोद चोद कर मेरी हालत खराब कर दी आपने और फिर से मन हो रहा है..... अब जाओ नहीं तो आपके भईया आ जाएंगे।

बेचन--- अभी तो जा रहा हूं हूं रानी.... लेकिन फिर कब चुद्वाएगी?
शीला ये सुन शर्मा जाती है..... और बोली।

शीला--- अब तो मै आपकी ही हूं जब मन करे तब चोद लेना।
ये बात सुन कर शेसन एक दम टूट सा गया और कुत्ते जैसा मुंह बनाकर बाहर चला गया........।

और फिर कुछ देर बाद बेचन भी अपने घर पर चल दिया।


हॉस्पिटल में बैठी सुनीता के साथ साथ फातिमा , राजू, और अनीता चुप थे।
सुनीता की हालत तो समझ में ही नहीं आ रही थी दीवार के सहारे अपना सर टिकाए लगातार उपर ताक रही थी..... उसे सोनू के बचपन के दिन याद आ गए... वो सोचने लगी कि एक बच्चे के लिए मै पूरी पांच साल तड़पती रही कहा कहा नहीं गई मंदिरों में हर जगह और जब भगवान ने मुझे एक बच्चा दिया तो मुझे उसकी कद्र ही नहीं.... यही सोचते सोचते उसकी आंखे भर आती है......


सुगंधा को बहुत जोरों से पेशाब लगी हुई थी वह अपने आप पर बहुत ज्यादा संयम रखने की कोशिश कर रही थी लेकिन u उसके लिए इस समय मोचना बेहद आवश्यक हो चुका था। क्योंकि ज्यादा देर तक वह अपनी पेशाब को रोक नहीं पा रही थी पेट में दर्द सा महसूस होने लगा था। सुगंधा खाट पर से उठी और कुछ देर तक इधर-उधर चहल कदमी करते हुए अपने पेशाब को रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन कोई भी इंसान ज्यादा देर तक पेशाब को रोक नहीं सकता था इसलिए सुगंधा को भी मुतना बेहद जरूरी था। इसलिए वह ना चाहते हुए भी अंगूर की डालियों के नीचे से होकर धीरे-धीरे पेशाब करने के लिए जाने लगी और एक जगह पर पहुंच कर वह इधर उधर नजरे दौरा कर देखने की कोशिश करने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन उस अंगूर के बागान में दूसरा कोई नजर नहीं आ रहा था सुगंधा जहां पर खड़ी थी वहां पर कुछ ज्यादा ही झाड़ियां थी और वहां पर किसी की नजर पड़ने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी और वहीं पास में ही एक छोटी सी झुग्गी बनी हुई थी।

दूसरी तरफ रोहन हेड पंप के पास पहुंचकर वही पर रखे बर्तन में पानी भरने लगा और खुद भी पानी से हाथ मुंह धो कर अपने आप को ठंडा करने की कोशिश करने लगा जब वह वहां से चलने को हुआ तभी उसकी आंखों के सामने से एक खरगोश का बच्चा भागता हुआ नजर आया और रोहन उसके पीछे पीछे जाने लगा रोहन उसे पकड़ना चाहता था उसके साथ खेलना चाहता था इसलिए जहां जहां खरगोश जा रहा था रोहन उसके पीछे पीछे चला जा रहा था।

दूसरी तरफ से सुगंधा अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर संपूर्ण रूप से निश्चिंत होने के बाद धीरे-धीरे अपनी सारी ऊपर की तरफ उठाने लगी और ऐसा करते हुए वह बार-बार अपने चारों तरफ देख ले रही थी लेकिन चारों तरफ सिर्फ सन्नाटा ही नजर आ रहा था लेकिन उसे इस बात का डर भी लगा था कि कहीं रोहन उसे ढूंढता हुआ यहां तक ना पहुंच जाए इसलिए वह इससे पहले पेशाब कर लेना चाहती थी वैसे भी पेशाब की तीव्रता उसके पेट में ऐठन दे रही थी सुगंधा धीरे-धीरे अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी यह नजारा बेहद ही कामुकता से भरा हुआ था लेकिन इस नजारे को देखने वाला वहां कोई नहीं था धीरे-धीरे सुगंधा पूरी तरह से अपनी कमर तक अपनी साड़ी को उठा दी थी उसकी नंगी चिकनी मोटी मोटी जांगे पीली धूप में स्वर्ण की तरह चमक रही थी बेहद खूबसूरत और मादकता से भरा हुआ यह नजारा देखने वाला वहां कोई नहीं था और वैसे भी सुगंधा यही चाहती थी कि कोई उसे इस अवस्था में ना देख ले सुगंधा साड़ी को अपनी कमर तक उठा कर एक हाथ से अपनी पीली रंग की पैंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगी धीरे धीरे सुगंधा अपनी पैंटी को अपनी मोटी चिकनी जांघों तक नीचे कर दी और तुरंत नीचे बैठ गई मुतने के लिए।

दूसरी तरफ रोहन लड़कपन दिखाते हुए खरगोश के पीछे पीछे भागता चला जा रहा था और तभी खरगोश उसकी आंखों के सामने एक घनी झाड़ियों के अंदर चला गया रोहन उस खरगोश को पकड़ लेना चाहता था इसलिए दबे पांव वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा उसके सामने घनी झाड़ियां थी। वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था उसे मालूम था कि इसी झाड़ियों के अंदर खरगोश दुबक कर बैठा हुआ है इसलिए वह घनी झाड़ियों के करीब पहुंचकर धीरे धीरे पत्तों को हटाने लगा लेकिन उसे खरगोश नजर नहीं आ रहा था वह अपनी चारों तरफ नजर दौड़ाने लगा लेकिन वहां खरगोश का नामोनिशान नहीं था वह निराश होने लगा वह समझ गया कि खरगोश भाग गया है और अब उसके हाथ में नहीं आने वाला लेकिन फिर भी अपने मन में चल रही इस उथल-पुथल को अंतिम रूप देते हुए वह अपने मन की तसल्ली के लिए अपना एक कदम आगे बढ़ाकर घनी झाड़ियों को अपने दोनों हाथों से हटाकर देखने की कोशिश करने लगा लेकिन फिर भी परिणाम शून्य ही आया वह उदास हो गया वह अपने दोनों हाथों को झाड़ियों पर से हटाने ही वाला था कि उसकी नजर थोड़ी दूर की घनी झाड़ियों के करीब गई और वहां का नजारा देखकर एकदम सन्न रह गया।
रोहन को एक बार फिर से अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी बड़ी नंगी गांड थी उसका दिमाग काम करना बंद है कर दिया क्योंकि मैं जा रहा है उसके सामने इतना गरमा गरम था कि उसकी सोचने समझने की शक्ति ही खत्म होने लगी थोड़ी देर में उसे इस बात का अहसास हो गया कि उसकी मां वहां पर बैठकर मुत रही थी।
रोहन बार-बार अपनी आंखों को मलता हुआ उस नजारे की हकीकत को समझने की कोशिश कर रहा था।
उसे अपनी किस्मत पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि अब तक तो अपनी मां को नंगी देख चुका था लेकिन उसे बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि वह अपनी मां को अपनी आंखों से पेशाब करता हुआ देख रहा है। रोहन के मुंह में पानी आने लगा उसकी लार टपकने लगी खुशी अपनी किस्मत पर नाज होने लगा क्योंकि कुछ दिनों से उसकी किस्मत उसके पक्ष में चल रही थी जो वह सोचता था उसकी आंखों के सामने वैसा ही होता जा रहा था इस समय रोहन की आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी गोरी गांड थी। जिसे सुगंधा हल्के से उठाए हुए थे और सुगंधा की इस हरकत का उसके बेटे पर बुरा असर पड़ रहा था पलभर में ही उसका लंड पजामे के अंदर तन कर लोहे के रोड की तरह हो गया था। जिसे रोहन अपने हाथों से मसलने लगा था सुगंधा की गुलाबी पुर के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार बड़ी तेजी से निकल रही थी जिसकी वजह से उसमें से एक सीटी सी बजने लगी थी और इस समय सुगंधा की बुर से निकल रही सीटी की आवाज रोहन के लिए किसी बांसुरी के मधुर धुन से कम नहीं थी रोहन उस मादकता से भरे नजारे और बुर से आ रही है मधुर धुन में खोने लगा सुगंधा अपनी तरफ से पूरी एहतियात बरतते हुए अपनी चारों तरफ देख ले रही थी लेकिन अपने पीछे नजर नहीं बढ़ा पा रही थी वह इस बात से पूरी तरह से निश्चिंत थी कि उसे इस समय पेशाब करते हुए कोई नहीं देख रहा है लेकिन इस बात से अनजान थी कि उसका ही बेटा झाड़ियों के पीछे से चुपके से खड़ा होकर उसे पेशाब करते हुए देख रहा था। थोड़ी देर में सुगंधा पेशाब कर ली लेकिन उठते उठते वह अपनी गुलाबी पुर की गुलाबी पतियों में से पेशाब की बूंद को गिराते हुए हल्के हल्के अपने नितंबों को झटकने लगी।
लेकिन सुगंधा की यह हरकत बेहद ही कामुकता से भरी हुई थी क्योंकि रोहन खुद अपनी मां की इस हरकत को देखकर एकदम से चुदवासा हो गया था और जोर से अपने लंड को मसलने लगा था।
सुगंधा पेशाब करके खड़ी हो गई और एक हाथ से अपनी पीली रंग की पैंटी को ऊपर चढ़ाने लगी रोहन तो यह नजारा देखकर एकदम कामुकता से भर गया थोड़ी ही देर में सुगंधा अपनी साड़ी को नीचे गिरा दी और अपने कपड़े ठीक कर के जाने को हुई ही थी कि झुग्गी मैं से आ रही खिलखिला ने की आवाज सुनकर उसके कदम रुक गए वह एक पल के लिए झुग्गी की तरफ देखने लगी। तुरंत उसकी आंखों में चमक आ गई उसे वह दिन याद आ गया जब वह गेहूं की कटाई वाले दिन खेतों में आई थी और इसी तरह से झुग्गी मैं से आ रही हसने की आवाज सुनकर उत्सुकतावस अंदर झांकने की कोशिश की थी और अंदर का नजारा देखकर एकदम से सन में रह गई थी। उसे उस समय इस बात का बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि झुग्गी के अंदर उनके खेतों में काम कर रहा मजदूर किसी औरत के साथ चुदाई का खेल खेल रहा है और आज ठीक उसी तरह की आवाज सुनकर एक बार फिर से सुगंधा का दिल जोरो से धड़कने लगा।
दूसरी तरफ रोहन अपनी मां को देखते हुए अपने लंड को मसल रहा था लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां आखिर वापस जाते जाते वहीं रुक क्यों गई उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वह उन्हीं झाड़ियों के पीछे छुप कर देखने लगा


सुनीता एक दम से बेसुध अपने बेटे के बारे में ही सोच रही थी कि तभी उसे किसी ने झिंघोडा वो तुरंत ही सकपका कर उठ गई,

राजू-- चाची बहुत देर हो गई है.... आप घर जाओ मैं यहां हॉस्पिटल में हूं भईया के साथ,

पारुल--- हा सुनीता जी , राजू ठीक क रहा है,, आप घर जाओ और वैसे भी आप ज्यादा टेंशन लोगे तो आप की भी तबियत बिगड़ जाएगी.....।

सुनीता... को तो जैसे कुछ होश ही नहीं था वो तो जैसे सोनू को छोड़ के जाने वाले बात पर ही मुंह उधर कर ली...।
सुनीता-- नहीं मै कहीं नहीं जाऊंगी अपने बेटे को छोड़ कर...।
पारुल-- देखिए सुनीता जी आप बेवजह परेशान हो रही हैं। सोनू एकदम ठीक हैं, और वैसे भी हॉस्पिटल में राजू हैं ना....।
पारुल की बात सुनकर वहां पर खड़ी फातिमा, और अनीता भी ज़ोर देने लगी ।

आखिरकार सुनीता को घर आने के लिए मानना ही पड़ा.... सुनीता अनीता और फातिमा के साथ घर लौट आईं......।

रात के करीब 8 बज गए थे.... सुनसान रास्ते पर सुनीता के साथ अनीता और फातिमा चली आ रही थी।

फातिमा (अनीता से)-- अनीता ये सब कैसे हुआ?

अनीता ने भी फातिमा से पूरी आप बीती सुना डाली.....।
ये सुन फातिमा का चेहरा गुस्से में लाल हो गया हालांकि रात के अंधेरे में फातिमा का चेहरा ना तो सुनीता देख सकती थी और ना ही अनीता....।

सुनीता (गुस्से में)-- जब चुदाने की उसके गांड़ में ताकत नहीं थी तो क्यूं चूद्वाने गई थी साली और तू सुनीता अपने ही बेटे को... छी। कैसी मा हैं तू, भला इसमें सोनू की क्या गलती हैं....।

ये सुन सुनीता रोने लगती है.....।

सुनीता (रोते हुए)-- हा री.... फातिमा ... लेकिन मै क्या करती उस वक़्त मुझे कुछ सूझा नहीं और मैंने ये सब अनजाने में..... और फिर उसकी मूसलाधार आंसुओ कि बारिश होने लगती है....।
फातिमा और अनीता ने सुनीता को संभाला और घर पर ले आई....।

घर पर जैसे ही वो तीनो पहुंचते है .... कस्तूरी अपनी गांड़ टेढ़ किए हुए चल कर आती है..... उसे देख कर ही लग रहा था कि कस्तूरी की गांड़ बड़ी बेरहमी से सोनू ने मारी है। क्युकी उसकी चाल एकदम से बदल गई थी।

कस्तूरी--- .... कैसा है सोनू बेटा?
फातिमा गुस्से में जैसे ही कुछ बोलने जा रही थी कि सुनीता ने फातिमा का हाथ पकड़ लिया और बोली।

सुनीता-- अब ठीक है।
ये सुन कस्तूरी के भी जान में जान आती है....।
कस्तूरी--- हे भगवान तेरा लाख लाख शुक्र है.... जो सोनू सही सलामत है.... वरना मै अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाती।

उस रात सुनीता ने बेमन से खाना खाया वो भी फातिमा के इतना कहने पर.... और फिर जैसे तैसे रात काटने के इंतजार में सुनीता खाट पर लेट गई.... नींद तो उसके आंखो से कोषों दूर था, वो तो बस सुबह का इंतज़ार कर रही थी और भगवान से इतना ही प्रार्थना कर रही थी कि मेरा बेटा मुझसे रूठे ना..... खैर जैसे तैसे पूरी रात काट ली सुनीता ने एक झपकी भी नहीं ली सुनीता ने पूरी रात.... सुबह के ६ बज रहे थे।

सुनीता फाटक से खाट पर से उठी और अनीता को जागते हुए....।

सुनीता-- अनीता.... ऐ अनीता।
अनीता नींद से जागती हुई अपनी आंखे खोलते है....।

अनीता-- अरे दीदी क्या हुआ?
सुनीता-- चल हॉस्पिटल चलना है.... मुझे।

अनीता-- हा दीदी वो तो ठीक है.... कुछ खाना पीना भी तो बना कर ले चलना है.... हॉस्पिटल में राजू और सोनू क्या खाएंगे?

सुनीता-- हा... हा तूने सही कहा चल उठ खाना बनाते हैं.....।

सुनीता , अनीता के साथ फटाफट खाना तैयार करती है दिन अब ८ बज गए थे.... इतनी कड़ाके की ठंडी कोहरे की चादर ओढ़े ओश की बूंदे बनकर टपक रही थी.... हालत खराब कर देने वाली थी ये ठंडी।

सुनीता और अनीता कम्बल ओढ़े अस्पताल की तरफ निकल पड़ते है....।
 

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