Erotica कुँवारियों का शिकार

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मैं राज शर्मा (राज ) 45 साल का होने वाला हूँ और अपना स्कूल चलाता हूँ जो देल्ही शहर के पॉश एरिया में है और इसकी गिनती शहर के सबसे अच्छे स्कूल्स में होती है. ईससी मेरे दादाजी ने शुरू किया था और उनके बाद मेरे पिताजी इससे चलाते रहे और उनके बाद करीब 20 साल पहले मेने इसकी कमान संभाली.

मेरे माता-पिताजी, मेरा छ्होटा भाई, सिम्ला से लौट रहे थे, मेरी पत्नी अपने मायके चंडीगढ़ गयी हुई थी और वो भी उनके साथ ही आ रही थी. रास्ते में अंबाला से तोड़ा आगे उनकी कार का आक्सिडेंट हो गया. रॉंग साइड पर आ रहे एक ट्रक ने उन्हे सामने से टक्कर मारी थी. ड्राइवर समेत सभी लोग वहीं मौके पर ही ख़तम हो गये, कार पूरी तरह से टूट-फूट गयी. में अकेला रह गया अपने बेटे और बेटी के साथ. लोगों ने बहुत ज़ोर डाला पर मेने दूसरी शादी नही की.
दोनो बच्चो की शादी करके मैं बिल्कुल अकेला लेकिन पूरी तरह आज़ाद हो गया. बेटी अपने पति के साथ गुड़गाँवा में रहती है और अभी कुछ महीने पहले उससने एक बेटे को जन्म दिया है. मेरा दामाद विजय अपने मा बाप की इकलौती संतान है और अपना खुद का मीडियम साइज़ कॉल सेंटर चलाता है. उसके पिता 2 महीने पहले ही रिटाइर हुए है. आइएएस क्लियर करने के बाद एजुकेशन मिनिस्ट्री में ही रहे और वहीं मेरी उनसे पहचान हुई और फिर ये पहचान रिश्तेदारी में बदल गयी. उनकी करक ईमानदारी की मिसालें दी जाती थीं, और यही हमारी दोस्ती की वजह भी बनी थी. कुल मिलाकर बेटी और उसका परिवार बहुत सुखी परिवार है और में उस तरफ से बिल्कुल निश्चिंत हूँ.

मेरा बेटा माइक्रोसॉफ्ट में सीनियर.सॉफ्टवेर इंजिनियर है और अपनी पत्नी एवं बेटे के साथ यूएसए में रहता है. 6 साल मे वो तीन बार इंडिया आया है जिसमें पहली बार आया था शादी करवाने के लिए. यानी एक साल वो आ जाता है और एक साल में च्छुतटियों में उनके पास चला जाता हूँ.

इंट्रोडक्षन तो हो गया अब शुरू करता हूँ अपनी काम यात्रा. मेरी सेक्षुयल अवेकेनिंग तो तब शुरू हुई थी जब मैं 10थ क्लास में था पर मेरा पहला सेक्षुयल एनकाउंटर हुआ था जब मैं 12थ में था. वो सब बातें में यहाँ पर लिख नही सकता एडिट हो जाएँगी और हो सकता है के बॅन भी लग जाए. उसके बाद मेरी ज़िंदगी में बहुत कुछ हुआ और वो सब मैं आपको बीच-बीच में जैसे-जैसे याद आएगा बताता रहूँगा.

पिताजी की अक्समात मृत्यु के बाद मेरे ऊपेर स्कूल की पूरी ज़िम्मेदारी आ गयी और मैं उसे पूरा करने का प्रयत्न जी-जान से करने लगा और सफल भी रहा. लेकिन मेरा स्वाभाव थोड़ा रूखा हो गया और मैं लापरवाह भी हो गया. साथ ही साथ थोड़ा चीर्चिड़ापन और सख्ती भी आ गयी. सारे टीचर्स और स्टाफ की मेरे साथ पूरी सहानुभूति तो थी ही जिसकी वजह से स्कूल की फंक्षनिंग में कोई गड़बड़ या रुकावट नहीं हुई परंतु मुझे भी महसूस होने लगा के मैं कुछ बदल सा गया हूँ.

मैने स्कूल के कामों में और दोनो बच्चों की तरफ ज़्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया और अपने आप को ज़्यादा से ज़्यादा बिज़ी रखने की कोशिश करने लगा और यह तरकीब काम भी कर गयी. धीरे-धीरे मैं नॉर्मल होने लगा पर मेरे व्यवहार की तल्खी कम नही हुई. इसका एक फ़ायदा भी हुआ. स्कूल चलाने के लिए स्ट्रिक्ट तो होना ही पड़ता है, इसलिए टीचर्स और स्टाफ ने भी मेरे साथ अड्जस्ट कर लिया और स्कूल में डिसिप्लिन अच्छे से कायम हो गया और दिन ठीक से बीतने लगे.

मेरी आदत थी स्कूल का राउंड लेने की और कोई फिक्स टाइम नहीं था इसके लिए. कभी-कभी मैं राउंड स्किप भी कर देता था और कभी दिन में 2 राउंड भी लगा देता था. इसका फ़ायदा यह था के स्कूल के टीचर्स और स्टाफ हर समय अलर्ट रहते के पता नही मैं कब आ जाउ राउंड पर. उन्ही दिनों की बात है कि एक दिन ऐसे ही राउंड पर मैने देखा के बाय्स लॅवेटरी में से एक लड़का निकला और मुझे देख कर कुछ ज़्यादा ही चौंक गया. यह मेरे ही स्कूल के मेद्स के सीनियर टीचर पांडेजी का बेटा दीपक था. मेरे पास पहुँचते उसने काँपते हाथों से टाय्लेट पास जेब से निकाल लिया और धीरे से गुड मॉर्निंग सर कहता हुआ निकल गया और मुझे क्रॉस करते ही तेज़ी से दूसरे मूड कर अपनी क्लास की तरफ चला गया. बाय्स लॅवेटरी अभी भी मेरे से 15-20 कदम आगे थी.

अभी मैं 2-3 कदम ही बढ़ा था के मेरे चौंकने की बारी थी. एक लड़की का सर बाय्स लॅवेटरी के दरवाज़े से बाहर निकला और उसने दोनो तरफ झाँका. जैसे ही वो सर मेरी तरफ मुड़ा वो लड़की एकदम से पीछे हट गयी. मैं तेज़ी से आगे बढ़ा और अंदर दाखिल हो गया. अंदर कोई भी नज़र नही आया. मैने दरवाज़े के पीछे झाँका तो देखा कि वो लड़की आँखे बंद किए हुए खड़ी थी और उसका चेहरा डर के मारे बिल्कुल सफेद पड़ गया था. मैने गुस्से से उससे पूछा, के वो यहाँ क्या कर रही है. उसकी घिग्घी बँध गयी और मुँह से कोई बोल ना फूटा. मैने उससे कॅड्क आवाज़ में कहा के मेरे ऑफीस में जाकर मेरा इंतेज़ार करे.

यह 12थ की स्टूडेंट प्रिया थी. बहुत ही सुंदर. गोरा रंग, तीखे नैन-नक्श और फिगर ऐसी के जैसे कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो. मेरे ऐसा कहते ही वो डरती हुई काँपते कदमों से मेरे ऑफीस की तरफ चल दी.

मैं कोई 10 मिनट के बाद ऑफीस में पहुँचा और देखा कि वो बाहर वेटिंग रूम में सर झुकाए सहमी सी बैठी थी. अपनी कुर्सी पर बैठते ही मैने अपने कंप्यूटर में उसका नाम और क्लास डाली. मेरे सामने तीन चेहरे कंप्यूटर स्क्रीन पर नज़र आए, उनमें एक चेहरा यह भी था. मैने उस पर क्लिक किया तो उसकी सारी डीटेल्स मेरे सामने खुलती चली गयीं.

यह था कमाल मेरे बेटे के बनाए हुए सॉफ्टवेर का जो उसका बनाया हुआ पहला सॉफ्टवेर था और उसने बड़ी मेहनत और लगन से बनाया था. इसमें स्कूल का पूरा रेकॉर्ड था, स्टूडेंट्स का, अकाउंट्स का, टीचर्स और स्टाफ का. रोज़ इसमें नयी डीटेल्स फीड की जाती और रोज़ ही पूरा अपडेट होता था.
 
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मेरी नज़र उस लड़की के रेकॉर्ड पर घूमती चली गयी. अचानक में चौंक गया क्योंकि मैने देखा के वो 3 महीने पहले 18 साल की हो चुकी थी. मैने पिछला रेकॉर्ड क्लिक किया तो देखा के आक्सिडेंट और बीमारी के कारण उसने 10थ क्लास रिपीट की थी और इसलिए वो एक साल पीछे थी. वैसे वो ब्रिलियेंट स्टूडेंट थी और शुरू से ही हर क्लास में उसकी पोज़िशन टॉप 5 में ही थी.

मैने एक बटन दबाया और गंभीर आवाज़ में प्रिया को अंदर आने को कहा, और एक और बटन को दबा दिया. दरवाज़ा क्लिक की आवाज़ के साथ खुल गया. यहाँ सब कुछ ऑटोमॅटिक था और ये एलेक्ट्रॉनिक्स का कमाल था. मेरे ऑफीस में 4 वेब कॅम लगे हुए हैं और हर आंगल से रूम की वीडियो बनती रहती है एक अलग अड्वॅन्स्ड कंप्यूटर में जिसमे 1-1 टीबी की 2 हार्ड डिस्क्स लगी हैं. मैं उसे डेली चेक कर के वापिस खाली कर देता हूँ. कोई ज़रूरी मीटिंग या बातचीत की डीटेल्स होती हैं तो उन्ह एक डिस्क में ट्रान्स्फर कर देता हूँ और दूसरी फिर से खाली करके रेकॉर्डिंग के लिए छोड़ देता हूँ.

प्रिया डरती हुई धीरे-धीरे अंदर आई और मैने आँख से उसे टेबल की साइड में आने का इशारा किया. यह सब क्या है, मैने पूछा. वो नज़रें झुकाए चुप खड़ी रही. मैने फिर कहा कि ठीक है मुझे नही बताना चाहती तो कोई बात नही, अपनी डाइयरी लेकर आओ, तुम्हारे पेरेंट्स आप पूच्छ लेंगे. इतना सुनते ही वो तेज़ी से आगे बढ़ी और टेबल की साइड से होते हुए नीचे घुटनों पर बैठ गयी और मेरी चेर पर हाथ रखते हुए धीरे से बोली के प्लीज़ सर, मेरे पेरेंट्स को पता नहीं चलना चाहिए, चाहे कुछ भी पनिशमेंट दे दीजिए पर मेरे पेरेंट्स को नहीं पता चलना चाहिए.

मैने उसकी तरफ देखा और नीचे देखते ही मेरी आँखें चौंधिया गयीं क्योंकि नज़ारा ही कुछ ऐसा था. जल्दबाज़ी में वो अपनी शर्ट के बटन लगाना भी भूल गयी थी और ऊपेर के दो खुले बटन्स के कारण उसके नीचे झुकते ही उसकी शर्ट भी आगे को हो गयी थी और उसकी दोनो गोलाइयाँ अपने पूरे शबाब पर मेरी आँखों के सामने थी मुझसे केवल 1 फुट की दूरी पर. 6 महीने से ज़्यादा समय हो गया था मुझे स्त्री संसर्ग किए हुए. इस नज़ारे ने मेरे होश उड़ा दिए थे और में एकटक बिना पलकें झपकाए देखे ही जेया रहा था.

पर 2-3 सेकेंड्स में ही अपने पर काबू करते हुए मैने उसकी तोड़ी के नीचे हाथ रख कर उससे कहा के यह क्या कर रही हो खड़ी हो जाओ. वो घबरा के खड़ी हुई और झटके से खड़े होने पर उसकी शर्ट मेरे हाथ में अटकी और तीसरा बटन जो शायद ठीक से लगा नही था खुल गया और उसके साइड में होने की कोशिश में उसकी शर्ट का राइट साइड का पल्ला मेरे हाथ में अटके होने के कारण खुलता चला गया और उसकी एक खूबसूरत गोलाई मेरे हाथ को छ्छूती हुई पूरी तरह से आज़ाद हो गयी. वो ऐसे गर्व से सर उठाए खड़ी थी जैसे कोई पहाड़ी टीला खड़ा होता है. वो स्पर्श मुझे अंदर तक हिला गया. मेरे अंदर का शैतान जिस पर मैने बड़ी मुश्किल से अपनी शादी के बाद काबू पाया था, मचलने लगा.

प्रिया ने शरमाते हुए अपने हाथ ऊपेर उठाने की कोशिश की. रूको, मैने उसे टोका, मुझे देखने तो दो कि आख़िर ऐसा क्या है जिसने दीपक जैसे लड़के को ग़लत हरकत के लिए मजबूर कर दिया. उसके हाथ वहीं रुक गये. मैने अपनी उंगली से प्रिया को पास आने का इशारा किया. वो डरते हुए आधा कदम आगे आई और मैने जब उसे घूरा तो वो जल्दी से मेरे एकदम पास आ गयी. मैने अपना दायां हाथ उठा कर उसके बाएँ उभार पर रख दिया जो कि शर्ट के अंदर था और दूसरे हाथ से उसकी शर्ट के बाकी बटन भी खोल दिए.

उसका उभार पूरा मेरी हथेली में फिट हो गया और मैने प्यार से उस पर थोडा सा दबाव डाला. मेरे ऐसा करते ही प्रिया चिहुनक गयी और उसके शरीर पर गूस बंप्स उभर आए. मैं समझ गया कि उसका ये एरिया बहुत ही सेन्सिटिव है और इसको छ्छूते ही उसके पूरे शरीर में जैसे करेंट की एक तेज़ लहर दौड़ गयी होगी. हू, मैं बुदबुडाया, तुम हो ही इतनी सुंदर की ऋषियों का ईमान भी डोल जाए दीपक तो बेचारा अभी बच्चा है.

उसने शर्मा के अपनी नज़रें झुका लीं. मैं उसके उभार को हाथ में लिए हुए ही खड़ा हो गया और धीरे से बोला कि अब यह तो मुझे तुम्हारे पेरेंट्स को बताना ही पड़ेगा. इतना सुनते ही वो मुझसे लिपट गयी और बोली के मैं जो भी कहूँगा वो करेगी पर उसके पेरेंट्स को पता नहीं चले, अगर उसके पिताजी को पता चला तो वो उसे जान से मार देंगे. मैने उससे कहा के ठीक है, अगर ऐसा है और वो तैयार है तो मैं किसी को भी पता नहीं लगने दूँगा परंतु उससे मेरी बात माननी होगी. उसने तुरंत सहमति में सर हिला दिया.

मेरे अंदर के शैतान ने इतनी देर में एक प्लान भी बना लिया था. मैने उससे कहा के रिसेस होने वाली है और वो रिसेस में भी क्लासरूम में ही रहे और तबीयत खराब होने का नाटक करे. अपनी शर्ट को ठीक करके वो चली गयी. उसके निकलते ही मैने घंटी बजा कर पेओन को बुलाया और उससे कहा के 12थ में से पांडेजी के बेटे दीपक को बुला के लाए बहुत जल्दी और उसके ठीक 5 मिनट बाद पांडेजी भी मेरे ऑफीस में होने चाहिएं.

वो फुर्ती से गया और दीपक को ले आया और पांडेजी को लिवाने चला गया. अंदर आते ही दीपक डरते हुए बोला के जी सर. मैने गुस्से में उससे कहा के सर के बच्चे आज तूने क्या हरकत की है, जानता है इसकी क्या सज़ा होती है. दीपक पढ़ने में तो बहुत ही होशियार था हमेशा फर्स्ट क्लास फर्स्ट लेकिन बेहद डरपोक टाइप. इतना सुनते ही मानो उसे साँप सूंघ गया उसकी टाँगें काँपने लगीं और वो धम्म से नीचे बैठ कर घुटनों में सर दे के रोने लगा.

मैने उसे ज़ोर से कहा के खबरदार अगर इस बात का ज़िकार भी कभी किया, अपने पिताजी को भी नही और उस लड़की का नाम तक नहीं लेना कभी, समझे. उसने सर उठा कर कहा के मा की सौगंध मैं इस सारी बात को ही निकाल दूँगा अपने दिमाग़ से. मैने कहा के तुम्हारी सेहत के लिए ठीक भी यही रहेगा. आखरी बात कहते पांडेजी भी ऑफीस में एंटर हो गये.

वो कुछ बोलते उसके पहले ही मैने हाथ उठाकर उन्हे चुप रहने का इशारा किया. फिर मैने दीपक को वहाँ से जाने के लिए कहा. मैने पांडेजी को बैठने का इशारा किया और अपने चेहरे पर एक भारी मुस्कान लाते हुए तसल्ली दी जैसे कुछ ख़ास नहीं हुआ है और कहा के दीपक एक बहुत होनहार लड़का है और मुझे बहुत उम्मीद है के वो मेरिट में आकर स्कूल का नाम ऊँचा करेगा.
 
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आज एक ग़लती उसने की थी और मैने उसे दबा दिया है और वो अब उससे इस बारे में कुछ ना कहें और ना ही कुछ पूच्छें. बस प्यार से समझा दें के दोबारा कोई ग़लती ना करे और बहुत अच्छे से पढ़ाई करे. और साथ ही मैने ज़ोर देकर उनसे कहा के पांडेजी हमारे लिए दीपक को मेरिट में आना ही होगा वो इस बात का पूरा ध्यान रखें. यह एक मीठी धमकी सी थी और पांडेजी समझ गये और मुझे आश्वासन देकर चले गये.

अब मैने टाइम देखा, रिसेस होने में अभी 7 मिनट बाकी थे. मैने घंटी बजकर पेओन को बुलाया और उससे कहा कि प्रीति मॅम को बुलाके लाए. प्रीति मॅम प्रिया की क्लास टीचर थी. वो बहुत पुरानी टीचर थी मेरे स्कूल की और मुझसे भी 3-4 साल बड़ी थी और मैं भी उनको शुरू से प्रीति मॅम कहकर ही बुलाता था. उनके आनेपर मैने उन्हे बताया कि उनकी क्लास की प्रिया के पापा का मेरे पास फोन आया था और वो कह रहे थे कि सुबह प्रिया की तबीयत कुछ खराब थी पर क्लास टेस्ट की वजह से उसने छुट्टी नही की.

अगर वो ठीक है तो कोई बात नही, और अगर उसकी तबीयत ठीक नही है तो उसे घर भेज दें. मैने आगे कहा के वो चेक कर लें और अगर वो ठीक नहीं है तो प्रिया को मेरे ऑफीस में भेज दें मैं उसे घर भेजने का इंटेज़ाम कर देता हूँ. प्रीति माँ ठीक है सर कहके चली गयीं और कुछ देर में ही प्रिया मेरे ऑफीस में आ गयी. मैने मुस्कुराते हुए पूछा के तुम्हे अंदर आते तो किसी ने नही देखा तो वो बोली के नही बाहर पेओन नही था. होता भी कैसे मैने उसे पहले ही अकाउंट्स ऑफीस भेज दिया था कुछ पेपर्स लाने के लिए.

मैं खड़ा हुआ और प्रिया का हाथ पकड़ कर ऑफीस की साइड में बने एक दरवाज़े पर लाया और उसे खोलकर बाहर ले आया. बाहर मेरी ब्लॅक मर्सिडीस खड़ी थी. मैने उसकी बॅक सीट पर प्रिया को बिठा दिया और कहा के मेरा वेट करे मैं 5 मिनट में आता हूँ. कार को रिमोट से लॉक करके मैं वापिस ऑफीस में आकर अपनी चेर पर बैठ गया. इतने में ही पेओन मेरे बताए हुए पेपर्स अकाउंट्स ऑफीस से लेकर आ गया. मैने पेपर्स लिए और उससे कहा के मैं थोड़ी देर में ज़रूरी काम से जा रहा हूँ और वापिस शायद नही अवंगा.

वो सर हिलाकर बाहर चला गया. मैने बटन दबाकर दरवाज़ा लॉक किया और साइड के दरवाज़े से बाहर आकर उसको बाहर से लॉक कर दिया और कार में ड्राइविंग सीट पर जा बैठा.

कार को स्टार्ट करके मैने आगे बढ़ाया तो प्रिया बोली के हम कहाँ जा रहे है सर. मैने रिर्व्यू मिरर में उसे देखा तो उसस्के चेहरे पर डर के भाव नज़र आए. मेने उसे तसल्ली देते हुए कहा के प्रिया देखो मेरा विश्वास करो हम जा रहे हैं सिर्फ़ एकांत में मज़े करने के लिए और जो कुछ हमने आज ऑफीस में किया था वही करेंगे लेकिन बिल्कुल एकांत में और साथ ही उसे विश्वास दिलाया के मैं उसके साथ कोई भी ज़बरदस्ती नही करूँगा और जो कुछ भी वो नही करना चाहेगी वो नही करूँगा. लेकिन चूमा-चॅटी और हाथ- चालाकी तो ज़रूर करूँगा और मज़े लूँगा भी और दूँगा भी. मेरी बात सुनकर उसके चेहरे पर परेशानी की जगह एक फीकी सी मुस्कान आ गयी.

मैने अब उसकी तरफ से ध्यान हटाकर ड्राइविंग की तरफ किया और कार की स्पीड बढ़ा दी. अब मुझे जल्दी से जल्दी अपने फार्म हाउस पहुँचना था ताकि आगे का काम शुरू कर सकूँ. फार्म हाउस में एक चौकीदार ही होता था जो दिन में गेट पर ही रहता था. फार्म हाउस के निकट पहुँच कर मैने प्रिया को कहा कि हम पहुँचने वाले हैं और जब मैं कहूँ वो नीचे दुबक जाए ताकि गार्ड को पता ना चले के मेरे अलावा भी कार में कोई है.

फार्म हाउस पहुँच कर मैने उसे बताया और वो फुर्ती से नीचे कार के फ्लोर पर बैठ गयी और सर भी नीचे कर लिया. मुझे देखते ही गार्ड ने मुस्तैदी से सल्यूट करते हुए गेट खोल दिया और मैं बिना रुके अंदर चला गया. गेट से बिल्डिंग का दरवाज़ा नज़र नही आता था. फिर भी मैने प्रिया को कहा के मैं पहले दरवाज़ा खोल दूं उसके बाद वो नीचे उतरे और फुर्ती से अंदर चली जाए. उसने ऐसा ही किया और मैं उसके पीछे अंदर गया और दरवाज़ा डबल लॉक कर दिया. उसका स्कूल बॅग कार में ही था और मैने अपना ब्रीफकेस एक तरफ रखा और प्रिया का हाथ पकड़ कर अंदर बेडरूम में ले आया.
 
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मैने टाइम देखा, हमे यहाँ पहुँचने में आधा घंटा लग गया था. यानी मेरे पास केवल 2 घंटे थे मस्ती करने के लिए. मैने उसकी तरफ देख मुस्कुराते हुए पूछा के कुछ पीना चाहोगी तो उसने पूछा के क्या. मैने कहा के पेप्सी या कोक या कुछ और. उसने मेरी तरफ एक प्रश्नावाचक दृष्टि डाली तो मैने मुस्कुराते हुए पूछा के बियर पीना चाहोगी. उसने कहा के कभी ट्राइ नही की. बस एक ही बार शॅंपेन ली थी वो भी एक ग्लास. मैने कहा चलो कोई बात नही अब बियर का मौसम भी नही है कुछ और पीते है.

मैने बकारडी (वाइट रूम) निकाली और 2 ग्लास में 2-2 अंगुल डाल कर चिल्ड 7-अप से भर दिया और ड्राइ फ्रूट की ट्रे के साथ बेड पर रख दिया और उससे कहा लो पियो. उसने पूछा ये क्या है तो मैने कहा के ट्रस्ट मी यह माइल्ड ड्रिंक है. दोनो ने ग्लास उठाए और मैने चियर्स बोला तो उसने भी चियर्स बोला. फिर मैने एक लंबा घूँट भरा और उसे कुछ देर मुँह में घुमाने के बाद गटक गया. उसने भी मुझे कॉपी किया और बोली के कुछ ख़ास तो लगा ही नही. मैने कहा के लगेगा जब ये तुम्हारा मज़ा दोगुना करेगी तब. उसने अपनी नज़रें नीची कर ली.

मैं उठकर उसके पास गया और उसके साथ लगकर बैठ गया और बगल में हाथ डाल कर अपने से सटा लिया. वो भी मेरे साथ लग गयी और मैने उसके गाल पे हल्का सा किस किया और कहा के जानेमन अब शरमाने से नही चलेगा तो वो शोखी से बोली के कैसे चलेगा. मैने तेज़ी से उसे खड़ा किया, ग्लास लेकर ट्रे में रखा और उसकी शर्ट खोल कर उतार दी और कहा के ऐसे. उसकी शर्ट उतरते ही उसके दोनो मम्मे उजागर हो गये और मैं प्यासी आँखों की प्यास बुझाने लगा. बाकी सब के लिए तो अभी बहुत समय था. मेरा शुरू से एक ही निश्चय रहा है के “धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुच्छ होये”.

मैने नज़रें उठा कर उसकी तरफ देखा और बोला के प्रिया आज मैं तुमको इतना और ऐसा मज़ा दूँगा के तुमने कभी स्वप्न में भी नही सोचा होगा. और कहते कहते मैने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी. दोनो शर्ट्स को मैने पास रखी एक कुर्सी की पुष्ट पर टाँग दिया और बेड पर बैठ कर प्रिया को अपनी गोद में खींच लिया.

मैने अपना ग्लास उठाया और प्रिया को उसका ग्लास थमा दिया. अब तक हमारे ग्लास आधे हो चुके थे. मैने कहा ख़तम करो इसे और अपना ग्लास खाली कर दिया. प्रिया ने भी ऐसा ही किया. दोनो ने कुछ दाने ड्राइ फ्रूट्स के मुँह में डाले और मैं फिर खड़ा हो गया. मैने तेज़ी से अपनी पॅंट उतारी और सलीके से फोल्ड करके उसी चेर पर रख दी. फिर प्रिया को उठाया और उसकी स्कर्ट भी उतार के फोल्ड करके अपनी पॅंट के ऊपर रख दी. क्या सुंदर और चिकनी टाँगें थी उसकी. मेने देखा के उसने लाइट पिंक कलर की पॅंटी पहनी थी और मेने अपना जॉकी.

मैं अभी इसके आगे नही बढ़ाना चाहता था. मेरी आदत ही नही पसंद भी कुछ ऐसी थी. सॉफ शब्दों में कहूँ तो यह के मुझे चोदने से अधिक मज़ा भोगने में आता था. चोदना तो आखीर होता है, असली आनंद तो स्पर्श-सुख लेने और देने में आता है. में खूब अच्छी तरह पका कर खाने में विश्वास रखता हूँ. पहली मुलाकात में किसी कुँवारी की सील तोड़ना मुझे पसंद नही है और ना ही किसी के साथ ज़बरदस्ती करने की ज़रूरत पड़ी है.

लड़की को पूरी तरह विश्वास में लेने के बाद और पक्का वादा लेने के बाद के ये हमारा संबंध केवल शारीरिक है और इसमे एमोशनल बिल्कुल नही होना है, तभी मैं आगे बढ़ता हूँ. बहुत फ़ायदा रहता है ऐसे संबंधों में. दोनो में किसी पर कोई बोझ या दबाव नही होता और कम से कम मुझे तो बहुत ही आनंद आता है.

मैने आगे बढ़ कर प्रिया को गले से लगाया और उसका मुँह ऊपेर करके उसे चूमने लगा. मैने महसूस किया की उसके शरीर में हल्का हल्काकंपन हो रहा है. जैसे किसी सितार के तार को छेड़ने के बाद उसमे कंपन होता है. मैं उसे चिपकाए हुए ही बेड पर ले आया और बेड की पुश पर टेक लगाकर उसे अपने ऊपेर करते हुए घुमा दिया. उसकी पीठ मेरी छाती से चिपक गयी और मैने उसकी बगलों से हाथ डालकर उसके दोनो मम्मे अपनी हाथों में ले लिए. जैसे मेरे हाथों में दो टेन्निस बॉल्स आ गयी हों. इतने ही बड़े और इतने ही टाइट थे.

मैने प्यार से उन्हे दबाया और फिर उन्हें अपने हाथों में ऐसे भरा के मेरी उंगलियाँ उनके नीचे, हथेलिया दोनो साइड्स में और दोनो अंगूठे उसके चूचको के थोड़ा ऊपेर थे. उसके दोनो चूचक आज़ाद थे और मैं देख रहा था के उत्तेजना के कारण उसके शरीर पर गूस बंप्स उभर आए थे और उसके दोनो निपल्स संकुचित हो कर अंदर को धन्से हुए थे. मैने अपने दोनो अंगूठे नीचे किए उसके चूचकों पर तो मुझे ऐसा लगा के जैसे दो रूई के फाहे मेरे अंगूठों के नीचे आ गये हों. इतने मुलायम और नरम थे उसके चूचक.

मैं बहुत रोमांचित था और अपनी किस्मत पर गर्वान्वित भी की इतनी सुन्दर, कड़क जवान लड़की जो कि साक्षात सेक्स की प्रतिमूर्ति थी मेरी बाहों में थी और में उसका आनंद ले रहा था. मैने अपने अंगूठों और उंगलियों से दोनो मम्मों पर हल्का सा दबाव बढ़ाया तो उसके दोनो निपल्स तेज़ी से उभर कर बाहर को आ गये और मैने बड़े प्यार से उनको सहलाना शुरू किया. प्रिया के मुँह से अयाया, ऊउउउउह की आवाज़ें आनी शुरू हो गयीं. मैने पूछा, क्यों प्रिया मज़ा आ रहा है ना. तो वो लंबी साँस लेकर बोली के बहुत ज़्यादा, इतना के बता नहीं सकती, लेकिन बहुत ही ज़्यादा.

मैने अपनी दाईं टांग उठाकर उसकी दाईं जाँघ को प्यार से रगड़ना शुरू कर दिया. उसकी साँस अटकने लगी. बीच-बीच में वो एक लंबी साँस खींच लेती और फिर से उसकी साँस तेज़ हो जाती. मैने अपना हाथ उसके दोनो मम्मों के बीच में रखा तो महसूस किया के उसका दिल इतनी ज़ोर से धड़क रहा है जैसे अभी छाती फाड़ कर बाहर आ जाएगा. मैने उसे घूमाकर सीधा किया और अपने सीने से लगा लिया और उसे लिए हुए ही पलट गया. अब वो बेड पर मेरे नीचे लेटी थी और मैं पूरी तरह से उसके ऊपेर चढ़ा हुआ था.

मेरे दोनो हाथ उसकी पीठ पर थे. मैने प्रिया को इसी स्थिति में प्यार से भींच लिया और उसने भी दोनो बाहें मेरी पीठ पर लेजाकार मुझे ज़ोरों से कस लिया. ऐसा करने से उसकी उत्तेजना थोड़ी कम हुई और उसने अधखुली आँखो से मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा. मैने मुस्कुराते हुए पूछा, क्यों कैसा लग रहा है तो वो बोली के में नही जानती थी के इतना मज़ा भी आ सकता है. मैने कहा के मेरी जान अभी तो शुरुआत है असली मज़ा तो आगे आएगा. वो हैरानी से आँखे फाड़ के बोली और कितना मज़ा आएगा. मैने कहा के लेती जाओ, सब पता चल जाएगा.

मैं धीरे से प्रिया से अलग होकर बेड से उतर कर खड़ा हो गया. मेरा अंडरवेर प्री कम से गीला हो गया था और मुझे परेशानी हो रही थी. मैने देखा के उसकी पॅंटी तो कुछ ज़्यादा ही गीली हो गयी थी. मैने प्रिया को भी खड़ा किया और उसकी पॅंटी नीचे खींच दी और साथ ही अपना अंडरवेर भी उतार दिया. दोनो को एक दूसरी चेर पर डाल दिया और बोला के दोनो गीले हो गये हैं. प्रिया बोली के उसे लगा के कुछ निकला है उसके अंदर से. मैं समझ गया के वो एक बार झार चुकी है. मैने प्रिया को समझाया के क्या हुआ है और उसकी चूत को अपनी हथेली से ढक लिया. प्रिया की चूत पर अभी रोन्येदार छ्होटे बाल थे मुश्किल से आधा इंच के और रेशम की तरह मुलायम थे. मेरी हथेली पर सनसनाहट होने लगी.

मैने प्यार से प्रिया की चूत को सहलाया और बेड पर बैठ गया. प्रिया को मैने अपनी गोदी में खींच लिया. एक बार फिर उसकी पीठ मेरी छाती से चिपकी हुई थी. मैने लेफ्ट हॅंड में उसका लेफ्ट मम्मा पकड़ा और पहले से थोड़ा ज़्यादा ज़ोर से मसलना शुरू किया. राइट मम्मे को मुँह में लेकर चूसने लगा और चूत की दरार में उंगली चलानी शुरू कर दी. मेरी पूरी हथेली उसकी चूत को ढके हुए ऊपेर नीचे हो रही थी और मेरी उंगली उसकी दरार को रगड़ती हुई नीचे उसकी गांद के छेद को छू कर वापिस आती.
 
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मैं उंगली के सिरे से गांद के छेद और चूत के बीच वाले हिस्से पर दबाव से रग़ाद रहा था और वो मेरी गोदी में उच्छल रही थी. उसस्के मुँह से एक लंबी आ…आ...ह निकली और मैं समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है. मैं बेड पर ऊपेर की तरफ सरका और उसको बेड पर लिटा कर, टांगे उठाकर अपने हाथ उसके नीचे करके सख्ती से पकड़ लिया और अपना मुँह उसकी चूत पर चिपका दिया. वो पीछे को हुई पर मेरे हाथों की मज़बूत पकड़ ने होने नही दिया. मैने अपनी झीभ उसकी चूत पर चलानी शुरू करदी और एक हाथ आगे लाकर अंगूठे से उसके भज्नासे (क्लाइटॉरिस) तो सहलाना शुरू कर दिया.

उसका शरीर ज़ोर से एक बार कांपा और उसके बाद काँपता चला गया. मेरा मुँह उसकी चूत पर चिपका हुआ था. 2-3 झटकों के साथ उसकी चूत ने पानी छ्होर दिया जिसे मैं चाट गया. प्रिया ने अपनी टाँगें ज़ोर से भींच लीं और मैं उसकी बगल में लेट गया. प्रिया मुझसे लिपट गयी अओर मेरी छाती से शुरू होकर मेरे मुँह तक छ्होटे-छ्होटे किस करती चली गयी. मैने दोनो हाथों में लेकर उसका चेहरा अपने सामने किया और उसके होंठों को चूम लिया. मेरा लंड जो अब एक स्टील रोड की तरह सख़्त था प्रिया की जाँघ पर चुभने लगा.

प्रिया ने हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को हाथ में ले लिया और उसे दबाने लगी. फिर उठ कर बैठ गयी और बोली के इसे किस कर सकती हूँ. मैने हंसते हुए कहा के तुम जो चाहो कर सकती हो मेरी जान और तरीका भी यही है. प्रिया ने बड़े प्यार से मेरे लंड को अपने गालों पर लगाया और फिर उसके सुपारे पर किस किया. 2-3 चुंबन के बाद उसने देखा के प्री कम की बूँद मेरे लंड की टोपी पर चमक रही है. उसने उसे सूँघा, फिर अपनी जीभ की नोक उस पर लगाई और फिर उसे बड़े प्यार से चाट गयी.

मैने उत्तेजना के मारे उसका सर पकड़ कर उसका मुँह अपने लंड पर टीका दिया और थोडा दबाव डाला तो सुपारा उसके मुँह में चला गया. वो सर को इधर उधर करने लगी तो मैने उसके कान को चूमते हुए कहा के प्रिया अगर तुम्हे बुरा लग रहा है तो रहने दो नही तो इसको लॉलिपोप की तरह चूसो, मुझे भी तो मज़ा लेना है. प्रिया ने तिरच्चि आँख मेरे पर डाली और पूरे जोश से मेरे लंड को थोड़ा और अंदर कर के चूसने लगी और अपनी जीभ भी उस पर चलाने लगी.

मैं कुच्छ देर इसका मज़ा लेता रहा और फिर उसकी कमर पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और बोला, तुम यह करती रहो. वो मेरे लंड को चूस्ति रही. पर अभी उसे बहुत कुच्छ सीखना बाकी था. मैने उससे कहा के इसको चूस्ते हुए अंदर बाहर भी करो मुझे बहुत मज़ा आएगा, पर ध्यान रहे के दाँत ना लगें इस पर. वो एक आग्याकारी शिष्या की तरह वैसा ही करने लगी और कुच्छ ही मिनट में वो एक एक्सपर्ट की तरह मेरा लंड अंदर बाहर भी कर रही थी, चूस भी रही थी और अपनी जीभ भी उस पर फिरा रही थी. मैं आनंदतिरेक से सातवें आसमान पर था और 1-2 मिनट निश्चल पड़ा रहा.

फिर मैने उसकी दोनो टाँगें अपने दाएँ-बाएँ कर दी और उसको घुटनो के बल कर दिया. अब हम 69 की पोज़िशन में थे और उसकी चूत एक बार फिर मेरे मुँह के पास थी. मैने अपने बाएँ हाथ की बीच की उंगली अपने मुँह में डाल कर गीली की और तोड़ा थूक लेकर उसकी गांद के छेद पर रगड़ने के बाद थोडी सी उंगली उसकी गांद में डाल दी. वो एक दम उच्छल गयी पर मेरी पकड़ मज़बूत थी, मैने प्रिया को कहा के मज़ा लेने के लिए तैयार रहो.

उसका मेरे लंड को चूसना लगातार जारी था. मैने उंगली को उसकी गंद में ऐसे ही रहने दिया और मुँह उठाकर अपनी जीभ उसकी चूत की दरार पर फेरने लगा. दाएँ हाथ के अंगूठे से मैने उसके भज्नासे को दबाना शुरू किया और जैसे ही उसकी चूत गीली होनी शुरू हुई मैने अपना मुँह उस पर चिपका दिया और चूसने लगा. फिर जीभ को कड़ा करके उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा. यह सब उसके बर्दाश्त के बाहर था और केवल 2-3 मिनट में ही वो एक बार फिर झार गयी और च्चटपटाने लगी.

मैने प्रिया को अपनी साइड पर बिठा लिया. वो घुटने मोड़ कर बैठ गयी और मेरे लंड को फिर से चूसने लगी. मैने उससे कहा के जितना ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुँह के अंदर कर सकती हो करो. प्रिया ने कोशिश करके थोड़ा लंड और अंदर किया और चूस्ति रही. अब मेरा लंड करीब तीन चौथाई उसके मुँह में घुस रहा था. पर इतने से मैं कहाँ संतुष्ट होने वाला था.

मैने उसे बेड की साइड पर बिठा कर पीठ बेड से चिपका दी और बेड के पैरों की तरफ वाले हिस्से में एक जगह दबाव डाला तो एक छ्होटा सा पल्ला एक साइड से बाहर को खुल गया. मैने उसे पूरा खोला और अंदर हाथ डाल कर एक बटन को दबाया और बेड ऊपेर उठने लगा. जैसे ही बेड की ऊँचाई प्रिया की गर्देन तक पहुँची मैने अपना हाथ बटन से हटा लिया. फिर मैं प्रिया के पास वापिस आया और उसका सर बेड पर दबा दिया और मुँह खोलने को कहा. प्रिया के मुँह खोलते ही मैने अपना लंड फिर से उसके मुँह में दे दिया और उसे चूसने के लिए कहा. फिर एक पैर बेड के ऊपेर रख के अपना लंड अंदर बाहर करने लगा. फिर मैं अपना लंड उसके मुँह में पूरा अंदर करने की कोशिश में लग गया. थोड़ी देर के बाद मुझे कामयाबी भी मिल गयी. सर को इस तरह बेड पर टीकाने से लंड सीधे उसके गले तक पहुँच रहा था और मुझे बहुत मज़ा दे रहा था.

प्रिया को थोड़ी कठिनाई हो रही थी तो मैने उससे कहा के प्लीज़ थोड़ा को-ऑपरेट करो मेरा काम बस होने ही वाला है. वो ज़ोर से नाक से साँस लेने लगी. फिर मैने अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर फिर पूरा अंदर डालते हुए 8-10 गहरे धक्के लगाए. अब मैं झरने के कगार पर था. मैने अपना पैर नीचे किया और घुटने थोड़े मोड़ कर प्रिया का मुख चोदन करने लगा. मेरा लंड अब उसके तालू पर टकरा रहा था और नीचे से उसकी जीभ का दबाव मुझे बहुत मज़ा दे रहा था. कुछ ही देर में मैं अपने चरम पर पहुँच गया और मेरे लंड ने प्रिया के मुँह में पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी. इसके साथ ही मैने प्यार से प्रिया को कहा के इसको पूरा गटक जाए, कहते हैं के यह सेहत और स्किन के लिए बहुत अच्छा होता है.

बहुत दिनों से रुका होने के कारण वीर्य कुछ ज़्यादा ही था. प्रिया ने तो पूरी कोशिश की पर कुच्छ वीर्य उसके मुँह से बाहर बह गया और उसने मेरा लंड भी बाहर निकाल दिया इसलिए आखरी झटके से जो वीर्य निकला वो उसकी गर्देन पर गिरा और नीचे को बहने लगा. मुँह में भरा वीर्य गटाकने के बाद वो गहरी साँसे लेने लगी. प्रिया के चेहरे पर गेहन तृप्ति के भाव थे. यही मेरी जीत थी.

मैने प्यार से प्रिया को खड़ा किया और उसका हाथ पकड़ कर बाथरूम में ले आया. मैने एक टवल लेकर उसे पानी में भिगोया और निचोर कर गीले टवल से उसका बदन पोंच्छा और अपना लंड भी पोंछ कर सॉफ किया. मैने प्रिया को अपने से चिपका लिया और पूछा के कहो कैसी रही. उसने भी मुझे अपनी बाहों के घेरे में कस्स लिया और बोली के आउट ऑफ दिस वर्ल्ड.

फिर मैने कपबोर्ड खोल कर उस मे से प्रिया जो डियो यूज़ करती थी वो निकाला और थोड़ा सा उसकी बॉडी पर स्प्रे कर दिया. मेरे इस कपबोर्ड में ढेर सारे डियो और परफ्यूम्स रखे हुए थे. मैं उसे लेकर बाहर जहाँ पर हमारे कपड़े रखे थे वहाँ आ गया. उसने कुर्सी से उठाकर अपनी पॅंटी पहनी. फिर अपनी शर्ट और फिर अपनी स्कर्ट भी पहन ली. एक आश्चर्यजनक परिवर्तन, अभी कुछ देर पहले तक जो सेक्स की देवी लग रही थी वो अब फिर से एक स्कूल गर्ल में परिवर्तित हो गयी थी. इतनी देर में मैं भी अपने कपड़े पहन चुक्का था. फिर हमने अपने बाल ठीक किए और चलने को तैयार हो गये.



 
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मैं प्रिया को लेकर बाहर की तरफ बढ़ा. जैसे ही मैं अपना बॅग उठाने के लिए झुका प्रिया ने मुझे अपनी दोनो बाहों में लेकर जाकड़ लिया और बोली के थॅंक यू वेरी मच, आप बहुत अच्छे हैं. मैने कहा के मेरी जान मैं कोई अच्छा नहीं हूँ, अपनी बेटी से भी छ्होटी उमर की लड़की के साथ रंगरेलियाँ मना रहा हूँ, अच्छा कहाँ से हूँ. प्रिया बोली के आपने मेरी मर्ज़ी के साथ ही सब कुच्छ किया है कोई भी ज़बरदस्ती नहीं की है इस लिए आप अच्छे ही हैं.

प्रिया आगे बोली के मैं तो चाहती थी के आप काम पूरा करते पर शरम के मारे कुच्छ नही बोली. मैने चौंकने का नाटक किया और कहा क्या मतलब? वो बोली के आपने असली काम तो नहीं किया ना. मैने पूछा के तुम जानती हो? उसने कहा के हां उसकी एक फ्रेंड ने उसे एक वीडियो क्लिप दिखाया था इस लिए उसे सब कुच्छ पता है. फिर वो नज़रें झुका के बोली के अगली बार वो सब कुच्छ करना चाहती है. मैं नकली हैरानी दर्शाता हुआ बोला कि अगली बार का क्या मतलब. तो वो बोली के आप सब जानते हो बस ये बताओ के अगली बार आप कब मुझे प्यार करने वाले हो.

मैने कहा के आज तो हम बड़ा रिस्क उठाकर आए हैं और मैं इतना रिस्क नही उठा सकता. उसने कहा के वो आप मेरे पर रहने दो मैं सब कुच्छ संभाल लूँगी और कोई रिस्क नही रहेगा. मैने कहा के इस मे जितना गॅप रहे उतनी प्यास बढ़ती है और जितनी प्यास बढ़ती है उतना ही अधिक मज़ा आता है. इस पर प्रिया हंस दी और बोली के ठीक है मैं नेक्स्ट टू नेक्स्ट वीक कोई तरकीब करके आपको बता दूँगी.

फिर प्रिया ने कहा के आप मुझे अपना नंबर दे दीजिए मैं आपको फोन कर दूँगी. मैने उसे एक नंबर दे दिया जो प्रीपेड सिम था और मेरे नाम पर नही था और ऐसे ही कामों में यूज़ करने के लिए मैने रखा हुआ था. उसी फोन में मैने प्रिया का नंबर सेव कर लिया ताकि मुझे पता रहे के वो कॉल कर रही है.

हम बाहर निकले और पहले मैने निकल कर कार का दरवाज़ा खोला और अपना बॅग अंदर रखा और मेरे बाद प्रिया भी अंदर घुस गयी. मैं घूम कर ड्राइविंग सीट पर बैठा और देखा के प्रिया सीट के नीचे दुबक चुकी थी. मैं कार को मेन गेट तक लाया और हॉर्न दिया, गार्ड ने तुरंत सल्यूट करते हुए गेट पूरा खोल दिया.

मैने कार रोक कर उससे पूछा के ठीक तो हो ना राम सिंग. उसने जवाब दिया के आपकी किरपा है सरकार. मैने कहा के ध्यान रखना और उसने कहा के मेरे रहते आपको चिंता नही करनी चाहिए. मैने हंसकर कहा के राम सिंग के होते मैं क्यों चिंता करूँ और कार आगे को बढ़ा दी. ये हमारा हमेशा का रुटीन था. मेरी और उसकी इतनी ही बात होती थी.
 
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Bahut achchi kahani hai ye bahut pahle padhi thi kisi band ho chuki site par.. wapas yahan dekhkar khusi hui purani yaden taja ho jayegin ab :vhappy:
 
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रास्ते में मैने प्रिया को पूछा कि उसने दीपक में ऐसा क्या देखा के उसके साथ ये सब करने को तैयार हो गयी. प्रिया ने अपनी नज़र झुका ली और कुच्छ नही बोली. मैने फिर पूछा और कहा कि अब तो हमारे बीच एक दोस्ती का रिश्ता बन चुका है इसलिए उससे बेजीझक सब कुच्छ बता देना चाहिए. प्रिया कुच्छ देर चुप रही और फिर बोली के उसे लगा के उसका मेद्स का प्री-बोर्ड ठीक नही हुआ था और वो दीपक को पटा के चाहती थी के वो थोड़ी देर के लिए उसकी आन्सर बुक उसे दिखा दे जिस से वो करेक्षन कर दे.

मैं चौंक गया के यह लड़की इतनी चालाक हो सकती है और कहा के ऐसा कैसे हो सकता है. वो बोली क्यों नही हो सकता, जब उसके पापा चेकिंग के लिए आन्सर शीट घर लाते तो वो मुझे फोन करके बता सकता था और मैं उसके घर चली जाती किसी बहाने से और कोई तरीकानिकाल लेते. प्रिया बोलती चली गयी कि दीपक तो डरपोक निकला और उसकी बात सुनते ही भाग गया उसे अकेला छोड़ के.

मैने हंसते हुए कहा कि मेरे लिए. प्रिया भी हंस दी. मैने रास्ते में केमिस्ट शॉप से उसके लिए मेडिसिन ली. फिर हम उसके घर के पास पहुँच गये और वो मुझे डाइरेक्षन बताने लगी, मैने उसे रोक दिया और कहा के मैं जानता हूँ. रेकॉर्ड चेक करते समय मैं देख चुका था कि वो मेरे बहुत पुराने दोस्त नरेश (बिट्टू) के बड़े भाई नरेन्दर की बेटी है.

मेरा पहले उनके घर बहुत आना जाना था कॉलेज के दिनों में. वो हैरानी से मुझे देखने लगी. उसका घर आ गया और मैने गेट के साथ ही कार रोक दी और उतर के उसकी तरफ आ गया और दरवाज़ा खोल के उससे बोला आओ, ज़रा ध्यान से. उसका स्कूल बॅग मैने ले लिया और आगे हो के कॉल बेल दबा दी. उसकी मैड ने गेट खोला और बोली बेबी आ गयी मैं तो आने वाली थी तुम्हे लेने. फिर वो मेरी तरफ देख के बोली, आप कौन हैं.

प्रिया ठीक ना होने का नाटक करते हुए कमज़ोर सी आवाज़ में बोली ये हमारे प्रिन्सिपल हेँ स्कूल के और मेरी तबीयत खराब होने की वजह से मुझे डॉक्टर को दिखा के और मेडिसिन दिलवा के लाए हेँ. मैड ने झट से बॅग मुझसे लिया और आइए कहती हुई तेज़ी से अंदर को जाने लगी. मैं भी प्रिया को सहारा देते अंदर बढ़ गया.

हमारे मैन डोर तक पहुँचते तक नरेन्दर भैया बाहर आ गये और क्या हुआ कहते हुए हमारी तरफ बढ़े. फिर मुझे देख कर रुक गये और पहचान कर बोले कि तुम राज शर्मा हो ना, तुम यहाँ क्या कर रहे हो. मैने हंसते हुए कहा के हां राज ही हूँ और अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने की कोशिश कर रहा हूँ, लो सांभलो अपनी बेटी को, एक ज़रा सा ब्रेड पकॉरा हाज़ाम नही कर पाती, क्या खिलाते हो इसको? फिर मैने तसल्ली दी और कहा के घबराने की कोई बात नही है थोड़ी असिडिटी हो गयी थी और हल्का सा स्टमक आचे हुआ था इसको.

स्कूल में डॉक्टर आज के दिन आता नही है और कोई और प्रबंध ना होने की वजह से मैं खुद ही प्रिया को डॉक्टर के पास ले गया और चेक अप करवा के मेडिसिन दिलवा दी है और साथ के लिए भी मेडिसिन दी है एहतियातन के लिए अगर सुबह तबीयत खराब हो तो मेडिसिन लेले और फिर उसे बता दें वो फोन पर ही बता देगा जो टेस्ट्स करवाने होंगे और अगर ठीक हो तो मेडिसिन लेने की कोई ज़रूरत नही है. वैसे घबराने की कोई बात नही है आंटॅसिड लेते ही प्रिया वाज़ फीलिंग बेटर.
 
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नरेन्दर के चेहरे पर चैन के भाव आए और उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर आने को कहा और अंदर ले जा कर मुझे बिठा दिया और बोला के कितने सालों के बाद आए हो हमारे घर. फिर वो तोड़ा सीरीयस हो कर बोला, ‘आइ आम सॉरी राज, आक्सिडेंट के समय मैं आउट ऑफ इंडिया था और अभी कुच्छ दिन पहले ही वापिस आया हूँ और सोच ही रहा था के तुम्हें मिलकर अफ़सोस करूँ और तुम खुद ही आ गये. बिट्टू तो यहीं था और तुम्हारे साथ ही था.’

मैने भी सीरीयस होकर कहा के हां बिट्टू तो पूरा समय मेरे साथ ही था और पूरे 20 दिन तक उसने मुझे अकेला नही होने दिया और मुझे तो कुच्छ होश ही नही था, पर बिट्टू ने सब ज़िम्मेदारी अपने ऊपेर लेके सारा अरेंज्मेंट बहुत सलीके से कर दिया था. इतने में मैड कोल्ड ड्रिंक लेकर आ गयी और नरेन्दर ने मुझे कहा के लो और मैने एक ग्लास उठा लिया और एक सीप लेकर टेबल पर रख दिया.

फिर 5-10 मिनट नरेन्दर मुझसे बात करता रहा और अपनी सहानुभूति जताता रहा. मैने अपना कोल्ड ड्रिंक ख़तम कर लिया था और फिर मैं उठ खड़ा हुआ और चलने की इजाज़त माँगी. नरिंदर भी खड़ा हो गया और मेरे साथ बाहर तक आया और थॅंक यू बोला तो मैने उससे थोड़ा सा डाँट कर कहा वाह भैया आपने तो मुझे गैर कर दिया मुझे भी थॅंक यू कहोगे. वो झेंपटे हुए बोला के नही रे तुम तो मेरे लिए बिट्टू जैसे ही हो. मैने मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़ा और विदा लेकर वहाँ से चल दिया.

घर लौटते हुए मेरा ज़मीर मुझे धिक्कारने लगा के अब तू इन्सेस्ट पर भी उतर आया है. मेरे दिमाग़ ने कहा के नही मेरा प्रिया से कोई खूनका रिश्ता तो है नही फिर ये इन्सेस्ट कहाँ से होगा. प्रिया तो एक पका हुआ आम है अगर मैं उसे नही चोदुन्गा तो वो किसी और के हाथ लग जाएगी. बेहतर है के मैं ही उसकी पहली चुदाई करूँ. मैं भी खुश और वो भी खुश. वो आजकल की आज़ाद ख़याल लड़की है और अपनी मर्ज़ी से मेरे से चुदना चाहती है तो क्या बुरा है.

यही सब सोचते हुए मैं घर पहुँच गया. अब मुझे वेट करना था के प्रिया क्या और कैसे प्रोग्राम बनाती है. प्रिया के बारे में सोच-सोच कर मैं उत्तेजित हो रहा था. मैं इस उत्तेजना का आदि था और यह मुझे चुस्त, दुरुस्त और फुर्तीला रखती थी.

मैने अगले दिन ऑफीस में पहुँचते ही प्रिया का मेद्स का पेपर निकाला और चेक करने लगा. मैं खुद एक मेद्स टीचर भी हूँ. एम.एससी. मेद्स में और एम.ईडी. किया हुआ है मैने. एक अलग काग़ज़ पर मैने उसके मार्क्स लगाने शुरू किए और आख़िर में टोटल किया तो हैरान रह गया के उसके 100 में से 87 नंबर थे, जो के बहुत ज़्यादा तो नही तहे मेद्स के लिए पर फिर भी ठीक थे, वो फैल तो नही हुई थी जैसा वो सोच रही थी. स्कूल की छुट्टी होने के बाद मैने उसको फोन करके बता दिया के वो बेकार ही फिकर कर रही थी और वो बहुत खुश हो गयी और बोली के इसका इनाम वो मुझे बहुत जल्दी देगी.

मैं आपको यह बताना उचित समझता हूँ के मेरा घर स्कूल की बिल्डिंग के बिल्कुल साथ ही है केवल एक सर्विस लेन है बीच में. मेरा मकान 3-साइड ओपन है. बॅक और साइड में सर्विस लेन है और सामने छ्होटी रोड है और रोड के उस पार एक छ्होटा सा पार्क है. एक छ्होटा गेट मकान के साइड में भी है और उसके सामने स्कूल की बाउंड्री वॉल में भी एक छ्होटा दरवाज़ा लगा हुआ है जिसकी चाबी केवल मेरे पास होती है.

8-10 दिन बाद दोपहर को स्कूल से लौटने के बाद मैं आराम कर रहा था के मेरे प्राइवेट वाले मोबाइल की घंटी बजी. यह प्रिया का फोन था.

मैने फोन रिसीव किया और बोला के हां प्रिया बोलो. प्रिया की बहुत धीमी आवाज़ मेरे कान में पड़ी के मैने प्रोग्राम बना लिया है और पापा से पर्मिशन भी ले ली है फ्रेंड्स के साथ साकेत माल में घूमने की और उसके बाद फिल्म देखने की, जिस शो का प्रोग्राम बनाया है वो 7 बजे ख़तम होगा और मुझे 7-30 तक वापिस घर पहुँचना है. क्या इतना टाइम काफ़ी होगा? मैने बिना देर किए कहा कि हां. फिर वो बोली के मैं अब से ठीक 45 मिनट बाद साकेत माल पहुँचुँगी. मैने कहा के मैं वहीं तुम्हारा वेट करूँगा.

उसने कहा के पार्किंग में मेरा वेट करना मैं वहीं मिलूंगी. मैने कहा ओके, बाइ और फोन काट दिया. मैं दिल में प्रिया की तारीफ कर रहा था के क्या प्लॅनिंग की है उसने. फिर मैं आराम से तैयार हुआ और कार निकाल कर साकेत माल की तरफ चल पड़ा. फिर मैने वहाँ पहुँचते ही प्रिया को फोन किया और उसको अपनी कार की पोज़िशन बताई के मैं पार्किंग में किस लेवेल पर और किस लिफ्ट के पास उसका वेट कर रहा हूँ. उसने कहा के बस 5 मिनट में वहीं आ रही है.
 

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