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उस रात जब होटल में नज़ीर अम्बरीन खाला को चोद रहा था तो मैंने एहद की थी के अब मैं अपने ज़हन में खाला के बारे में कोई गलत खयाल नहीं आने दुँगा। मैं इस एहद पर कायम रहना चाहता था। मैंने बहुत ब्लू फिल्में देखी थीं लेकिन नज़ीर को खाला की चूत लेते हुए देखना एक नया ही तजुर्बा था जिसने मुझे बहुत कुछ सिखाया था। अब अगर में किसी औरत को चोदता तो शायद मुझे कोई ज्यादा मुश्किल पेश ना आती। सब से बढ़ कर ये के नज़ीर ने जिस नंगे अंदाज़ में मेरी अम्मी का ज़िक्र किया था उसने मुझे अम्मी के बारे में एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ अंदाज़ में सोचने पर मजबूर कर दिया था।
ये तो मैं जानता था कि अम्मी भी अम्बरीन खाला की तरह एक खूबसूरत औरत थीं लेकिन मैंने हमेशा उनके बारे में इस तरह सोचने से गुरेज़ किया था। आख़िर वो मेरी अम्मी थीं और मैं उन पर बुरी नज़र नहीं डाल सकता था। लेकिन ये भी सच था के अम्मी और अम्बरीन खाला में जिस्मानी तौर से कोई ऐसा ख़ास फ़र्क़ नहीं था। बल्कि अम्मी अम्बरीन खाला से थोड़ी बेहतर ही थीं। उनकी उम्र चालीस साल थी और वो भी बहुत गदराये और सुडौल जिस्म की मालिक थीं। उनका जिस्म बड़ा कसा हुआ था। इस उम्र में औरतें जिस्मानी तौर पर भारी हो जाती हैं और उनका गोश्त लटक जाता है लेकिन अम्मी का जिस्म कसरत करने की वजह से सुडौल होने के साथ-साथ बड़ा कसा हुआ भी था। अम्मी के मम्मे मोटे और बड़े-बड़े गोल उभारों वाले थे जो अम्बरीन खाला के मम्मों से भी एक-आध इंच बड़े ही होंगे। वैसे तो अम्मी भी फ़ैशनेबल और मॉडर्न ख्यालात की थीं और घर पे और बाहर पार्टियों वगैरह में शराब भी पीती थीं लेकिन अम्बरीन खाला की तरह उनकी कमीज़ों के गले ज्यादा गहरे नहीं होते थे। हम भाई-बहनों की मौजूदगी में भी काफी एहतियात से अपने सीने को दुपट्टे ढक कर रखती थीं। इसलिये उनके साथ रहने के बावजूद मुझे उनके नंगे मम्मे देखने का इत्तफाक़ कम ही हुआ था।
वैसे मैंने उनके बाथरूम में बहुत मर्तबा उनके सफ़ेद, काले, लाल गुलाबी रंग के ब्रेसियर देखे थे जो काफी डिज़ायनर किस्म के होते थे। उसी तरह उनकी पैंटियाँ भी रेग्यूलर पैंटियों कि बजाय जी-स्ट्रिंग वाली होती थीं। जब में बारह साल का था तब मैंने उनके जिस्म का ऊपरी हिस्सा नंगा देखा था। एक दिन मैं अचानक ही बेडरूम में दाखिल हो गया था जहाँ अम्मी कपड़े बदल रही थीं। उन्होंने सलवार पहनी हुई थी मगर ऊपर से बिल्कुल नंगी थीं। उनके हाथ में एक काले रंग की झालर वाली ब्रा थी जिसे वो उलट-पुलट कर देख रही थीं। शायद वो उस ब्रा को पहनने वाली थीं।
ये तो मैं जानता था कि अम्मी भी अम्बरीन खाला की तरह एक खूबसूरत औरत थीं लेकिन मैंने हमेशा उनके बारे में इस तरह सोचने से गुरेज़ किया था। आख़िर वो मेरी अम्मी थीं और मैं उन पर बुरी नज़र नहीं डाल सकता था। लेकिन ये भी सच था के अम्मी और अम्बरीन खाला में जिस्मानी तौर से कोई ऐसा ख़ास फ़र्क़ नहीं था। बल्कि अम्मी अम्बरीन खाला से थोड़ी बेहतर ही थीं। उनकी उम्र चालीस साल थी और वो भी बहुत गदराये और सुडौल जिस्म की मालिक थीं। उनका जिस्म बड़ा कसा हुआ था। इस उम्र में औरतें जिस्मानी तौर पर भारी हो जाती हैं और उनका गोश्त लटक जाता है लेकिन अम्मी का जिस्म कसरत करने की वजह से सुडौल होने के साथ-साथ बड़ा कसा हुआ भी था। अम्मी के मम्मे मोटे और बड़े-बड़े गोल उभारों वाले थे जो अम्बरीन खाला के मम्मों से भी एक-आध इंच बड़े ही होंगे। वैसे तो अम्मी भी फ़ैशनेबल और मॉडर्न ख्यालात की थीं और घर पे और बाहर पार्टियों वगैरह में शराब भी पीती थीं लेकिन अम्बरीन खाला की तरह उनकी कमीज़ों के गले ज्यादा गहरे नहीं होते थे। हम भाई-बहनों की मौजूदगी में भी काफी एहतियात से अपने सीने को दुपट्टे ढक कर रखती थीं। इसलिये उनके साथ रहने के बावजूद मुझे उनके नंगे मम्मे देखने का इत्तफाक़ कम ही हुआ था।
वैसे मैंने उनके बाथरूम में बहुत मर्तबा उनके सफ़ेद, काले, लाल गुलाबी रंग के ब्रेसियर देखे थे जो काफी डिज़ायनर किस्म के होते थे। उसी तरह उनकी पैंटियाँ भी रेग्यूलर पैंटियों कि बजाय जी-स्ट्रिंग वाली होती थीं। जब में बारह साल का था तब मैंने उनके जिस्म का ऊपरी हिस्सा नंगा देखा था। एक दिन मैं अचानक ही बेडरूम में दाखिल हो गया था जहाँ अम्मी कपड़े बदल रही थीं। उन्होंने सलवार पहनी हुई थी मगर ऊपर से बिल्कुल नंगी थीं। उनके हाथ में एक काले रंग की झालर वाली ब्रा थी जिसे वो उलट-पुलट कर देख रही थीं। शायद वो उस ब्रा को पहनने वाली थीं।