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मेरे नीचे उनके चूतड़ों की हरकत और तेज़ हो गयी। मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे अम्मी की चूत ने मेरे लंड को सख्ती से अपनी गिरफ्त में जकड लिया हो। अब मैं समझ गया कि अम्मी खल्लास होने वाली थीं। मुझे ये जान कर बहुत खुशी हुई और मैं उनकी चूत में ज्यादा रफ़्तार से घस्से मारने लगा। मैं इस काबिल तो हो ही गया था कि अपनी अम्मी को चोद कर खल्लास कर सकूँ। अम्मी की चूत अब लगातार पानी छोड़ रही थी और उनके जिस्म में बुरी तरह झटके लग रहे थे। इन हालात में मेरे लिये अपने आप को संभालना मुश्किल हो रहा था। मैंने बिला सोचे समझे अपना लंड अम्मी की पानी से भरी हुई चूत से बाहर निकाल लिया और उनकी बगल में लेट गया।
अम्मी का जिस्म चंद लम्हे ऐसे ही लरजता रहा। फिर उन्होंने अपनी साँसें क़ाबू में करते हुए मुझ से पूछा कि क्या हुआ। मैंने कहा – “मुझे फारिग होने का डर था। इसलिये घस्से मारने बंद कर दिये क्योंकि मैं और मज़े लेना चाहता था।“
वो एक बार फिर हंस कर बोलीं – “शाकिर, तुम एक घंटे पहले ही खल्लास हुए हो। मर्द एक दफ़ा झड़ने के बाद दूसरी बार उतनी जल्दी नहीं छूटते? परेशान मत हो... रफ़्ता-रफ़्ता सब समझ जाओगे बस थोड़े तजुर्बे की जरूरत है... चलो आओ और खुद को डिसचार्ज करो ताकि इस काम का मज़ा तो ले सको!”
मैंने उनसे पूछा कि उन्हें मज़ा आया क्या तो उन्होंने कहा कि अगर मज़ा नहीं आता तो वो दो दफ़ा खल्लास कैसे होतीं। फिर वो उठीं और घूम कर अपनी दोनों कुहनियों और घुटनों के सहारे बेड पर घोड़ी बन गयीं और अपने मस्त मोटे-मोटे चूतड़ों को ऊपर उठा दिया और बोलीं कि अब मैं उन्हें पीछे से चोदूँ। इस तरह अम्मी ने अपनी हसीन गाँड का रुख मेरी तरफ कर दिया और अपनी टाँगें भी फैला लीं।
मैंने उठ कर अम्मी के चूतड़ों में से झाँकते हुए उनकी गाँड के छोटे से गोल सुराख पर उंगली फेरी तो मेरा लंड फिर अकड़ने लगा। अम्मी की चूत अब उनके उभरे हुए चूतड़ों के अंदर उनकी गाँड के सुराख से ज़रा नीचे नज़र आ रही थी। मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रख कर उसे अपने टोपे के ज़रिये महसूस किया। अम्मी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और मैंने अपना लंड पीछे से उनकी चूत में घुसेड़ दिया। अम्मी की चूत अभी भी गीली थी इसलिये मेरे लंड को उस के अंदर दाखिल होने में कोई मुश्किल पेश नहीं आयी। मैंने अम्मी के हसीन गदराये चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में घस्से मारने लगा।
अम्मी का जिस्म चंद लम्हे ऐसे ही लरजता रहा। फिर उन्होंने अपनी साँसें क़ाबू में करते हुए मुझ से पूछा कि क्या हुआ। मैंने कहा – “मुझे फारिग होने का डर था। इसलिये घस्से मारने बंद कर दिये क्योंकि मैं और मज़े लेना चाहता था।“
वो एक बार फिर हंस कर बोलीं – “शाकिर, तुम एक घंटे पहले ही खल्लास हुए हो। मर्द एक दफ़ा झड़ने के बाद दूसरी बार उतनी जल्दी नहीं छूटते? परेशान मत हो... रफ़्ता-रफ़्ता सब समझ जाओगे बस थोड़े तजुर्बे की जरूरत है... चलो आओ और खुद को डिसचार्ज करो ताकि इस काम का मज़ा तो ले सको!”
मैंने उनसे पूछा कि उन्हें मज़ा आया क्या तो उन्होंने कहा कि अगर मज़ा नहीं आता तो वो दो दफ़ा खल्लास कैसे होतीं। फिर वो उठीं और घूम कर अपनी दोनों कुहनियों और घुटनों के सहारे बेड पर घोड़ी बन गयीं और अपने मस्त मोटे-मोटे चूतड़ों को ऊपर उठा दिया और बोलीं कि अब मैं उन्हें पीछे से चोदूँ। इस तरह अम्मी ने अपनी हसीन गाँड का रुख मेरी तरफ कर दिया और अपनी टाँगें भी फैला लीं।
मैंने उठ कर अम्मी के चूतड़ों में से झाँकते हुए उनकी गाँड के छोटे से गोल सुराख पर उंगली फेरी तो मेरा लंड फिर अकड़ने लगा। अम्मी की चूत अब उनके उभरे हुए चूतड़ों के अंदर उनकी गाँड के सुराख से ज़रा नीचे नज़र आ रही थी। मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रख कर उसे अपने टोपे के ज़रिये महसूस किया। अम्मी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और मैंने अपना लंड पीछे से उनकी चूत में घुसेड़ दिया। अम्मी की चूत अभी भी गीली थी इसलिये मेरे लंड को उस के अंदर दाखिल होने में कोई मुश्किल पेश नहीं आयी। मैंने अम्मी के हसीन गदराये चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में घस्से मारने लगा।