लास्ट अपडेट में अपने पढा कैसे कर्मा ममता चाची का आम चूस्ता है और उनसे लंड चुसवता है ...और फिर वहां से निकल जाता है..अब आगे
अपडेट 5
ममता चाची के घर से निकला तो मैं चहक रहा था ... इतने सेक्सी माल से लंड चुसवाकर मैं बहुत खुश था लेकिन साथ में ये बातें भी दिमाग में घूम रही थी .. क्या होगा अगर किसी को पता चल गया तो
पल्लवी को देखकर भी मुझे वैसे ही ख्याल आ रहे थे..क्या ममता चाची इसके बाद आम तौर पर रह पायेंगी..कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए...
फिर दिमाग ने खुद से ही लडना शुरू किया और फिर से वो लाइन दिमाग में आई ... चूत तो चूत होती है ... मैंने भी खुद को समझा लिया की छोटी सी तो जिंदगी है इसमे क्या इतना सोचना और वैसे भी चाची ने और मैंने वो ही किया जो हम लोगो को अच्छा लगा इसमे गलत क्या है... वैसा भी मुझे इतना अच्छा माल मिल गया मुझे तो खुश होना चाहिए बस अब चाची को चोदना है जल्दी ही ...
ये सोचते हुए मैं घर की ओर निकल गया ... घर पहुचा तो दोपहर हो चुकी थी ... मैंने गेट खतखताया तो मां ने खोला ... मां का चेहरा पसीने से भीगा हुआ था मैंने पूछा
मैं- मां क्या हुआ आप इतना पसीने से भीगी हुई क्यों हैं..
माँ- क्या करूँ इतनी गरमी है और बिजली भी चली गई है इस लिए गरमी लग रही है...
मैं अंदर आते हुए
मैं- हां मां गरमी तो बहुत है...
मे उनके के पीछे पीछे आंगन में पअहूंच गया और एक तख्त पर बैठा सामने मां आई और बैठ गई
माँ: मुझसे तो गरमी बरदाश्त ही नहीं हो रही....
और इतना कहकर मां ने अपनी साड़ी का पल्लू नीच गिरा दिया .... मैं सोचने लगा आज मेरे साथ क्या रहा है ये ... पहले चाची को इस हाल में देखा और अब तो मेरी मां ....
हाय .... क्या कहूं मेरा तो हाल ही खराब हो गया उन्हे देख कर .... पल्लू के हटते ही..उनकी नंगी कमर, सेक्सी सपाट पेट, और ब्लाउज के बाहर झांकती चुचिया मेरे सामने आ गई थी
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मेरी नज़र उनसे से हट ही नहीं रही थी ...और मेरा लंड जो कुछ देर पहले ही झड़ा था फिर से फुनकारने लगा ... और कड़क हो गया, मैं भी पसीने से भीगने लगा कुछ मां के बदन को देखकर और कुछ गर्मी से मैं पसीना पसीना हो गया .... मां ने मेरी तरफ देखा और बोली
मां- तू भी पूरा भीग गया है देख कितना पसीना आ रहा है..
मैंने बड़ी मुश्किल से उनके चूचियों से नज़र हटाई और चेहरे की तरफ देखा और बोला
मैं- हां मां बहुत गर्म लग रही है, क्या करूं?
मां- ये टीशर्ट उतर दे न शायद कुछ राहत मिले..
मैंने भी झट से हाथ ऊपर करके टी शर्ट निकाल दी अब मैं ऊपर से नंगा था और मां ने भी पल्लू नीच कर रखा था तो मुझे एक अलग उत्तेजना हो रही थी मां के साथ ऐसे रहने में मेरा लंड पूरी तरह से मैंने खड़ा हो गया उसे मैने नीचे एडजस्ट किया और अपने घुटनों की तरफ झुका रखा था तो मां को दिख नहीं रहा था...
मां हाथ वाले पंखे से हवा कर रही थी अपने ऊपर ...और मैं उनके चूचियों को घूरे जा रहा था.. मैं सोच रहा था यार कर्मा मां है तो बहुत खूबसूरत इतनी सेक्सी बॉडी है कि मेंउनका अपना बेटा लंड खड़ा होने से नहीं रोक पाता
.और रात की चुदाई देख कर ये भी कन्फर्म हो गया था की मां चुदासी भी रहती है...और आज चाची के साथ हुए सीन ने मेरा कॉन्फिडेंस भी थोड़ा बड़ा दिया था तो मैं सोचने लगा की क्या मैं मां पर भी कोशिश कर सकता हूं ... क्या कभी ऐसा भी हो सकता है में मैं मां की चूचियों को चूस पाऊं, उनकी कमर को चाट पाऊं, उनकी कभी में जीब दाल पैन, उनकी चूत को अपने मुह में भरकर चूस पाऊं, मेरा लंड वो चूसें, मैं उनको चोद पाऊं ... क्या ये संभव है ... कोई और समय होता तो मैं खुद को मना कर देता लेकिन आज हुई चाची के साथ वाली घटना ने मुझे उम्मीद दिला दी थी, मैं सोचने लगा के मुझे कोशिश करना ही चाहिए मां पर... लेकिन बहुत सोच संभल कर नहीं तो एक गलत कदम सब कुछ बिगाड़ सकता है...
मैं- मां आपकी उम्र कितनी है,
माँ- क्या तुझे आज मेरी उम्र जानने की क्या पड़ी है,
मैं- बताओ ना मां..
माँ- ये ही होगी 42-43
मैं- सच कहूं मां आपकी उम्र इतनी बिल्कुल नहीं लगती,
मां- अच्छा तो फिर कितनी लगती है तुझे....
मैं- मुझे तो आप बस 30 की लगती हो
माँ-चल और कोई नहीं मिला आज तो माँ से ही मज़ाक..पागल कहीं का...
मैं- नहीं माँ मज़ाक नहीं कर रहा, आप की बॉडी अभी भी बहुत फ़िट है .... इसलिय आप ना बहुत खूबसूरत लगती हो ..
माँ- अच्छा तो तुझे अब अपनी माँ ख़ूबसूरत लगने लगी..पागल।
मैं- सच्ची मां आपकी पूरी बॉडी बहुत ही फिट और वो है जिससे आपकी उम्र का पता ही नहीं लगता...
माँ- फ़िट और वो क्या?
मैं- अम्म्म क्या बोलूं... हां भरी हुई...
माँ- अच्छा तो मोटी लगती हुं मैं तुझे,
मैं-ऑफो मां मोटी नहीं आप फिट और वो ... वो ... गदराई लगती हो, (मैंने गदराई शब्द धीरे से बोला लेकिन मां ने सुना)
माँ- हट बदमाश कहीं का कैसी कैसी बातें बोल रहा है अपनी माँ के बारे में.... ख़ूबसूरत तो तेरी उमर की लड़की है मैं तो बुड्ढी हो गई हूं..
मैं ये सुन कर ओवर एक्टिंग करते हुए अपने हाथ कान पर रखते हुए बोले...
मैं- हे भगवान, ये सुनने से पहले मेरे कान खराब क्यों नहीं हो गए, ये धरती फट क्यों नहीं गई, ये आकाश गायब गया क्यों नहीं हो गया ..... मेरी मां बुढी है ....
मां मेरी हरकत से चौक गई और फिर मजाक में गुसा दिखाते हुए बोली
माँ- नालायक डरा ही दिया मुझे ऐसा कोई चिल्लाता है अचानक ...... मेरी तो जान ही निकल दी ... ड्रामाबाज़ है तू बहुत बड़ा ..
ये कहते हुए मां भी हंस पड़ी और मुझे पंखे से मारने लगी..
मैं- अरे मां आप तो मेरी भी जान हो आपकी जान कैसे निकल जाएगी
या ये कहकर मैंने उठ कर मां को अपनी बाहों में भर लिया ... मां ये देख कर थोड़ा चौक गई क्योंकि मुझे भी नहीं याद आखिरी बार कब मैंने उन गले से लगाया होगा ...
मां- बड़ा प्यार आ रहा है अपनी बूढ़ी मां पर...
मैं- मां मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं तो प्यार तो आएगा ही ...और आप बुद्धि नहीं हो ...औरअब मैं ऐसे ही प्यार करुंगा आपको
ये कहकर मैंने अपने हाथ और कस लिए और उन्हे अपनी और समा लिया .... कुछ पल बाद जब मुझे अंदाज हुआ के मेरा हाथ कहां है मेरा एक हाथ उनकी पीठ पर ब्लाउज के ऊपर था और एक हाथ जो जगह मुझे बहुत पसंद थी उनकी नंगी कमर पर था ... मेरे सीने पर मां के चुचे मुझे महसूस हो रहे थे।
बस आपको एहसास होते ही कि मेरी अंगलिया मां की कमर पर हैं और उनके बडे बड़े चूचे मेरे सीने में समाए हए हैं मेरा लंड झटके मारने लगा और सीधा सामने खड़ा हो गया तो मैंने अपनी कमर पीछे करली जिनसे मां को ये टच ना करे...औरमैं मां की कमर पर हाथ फिराने लगा ... मुझे बहुत मजा आ रहा था ... बहुत चिकनी कमर थी मां की ... मैं थोड़ा सा हाथ आगे की तरफ लाने लगा उनके पेट की तरफ ... मां ने अब तक कुछ नहीं बोला था..लेकिन कुछ डर बाद बोली ...
माँ- कर्मा हट अब बहुत हो गया प्यार
..गर्मी लग रही है...
मैंने भी कुछ नहीं बोला और अपने आप को कंट्रोल करके अपने हाथ उनकी कमर से हटाये और फिर से अपनी बाहें खोल दी और फिर से अपनी जगह पर बैठ गया... मां फिर से पंखे से हवा करने लगी और अब मेरे पास आकर बैठ गई
मां- ले तू भी हवा खा ले थोड़ा पूरा भीग गया है पसीने में और मुझसे भी हवा करने लगी,
मैंने सोचा यार कितना प्यार करती है मां मुझे... जरा सी गरमी में भी नहीं देख सकती मां यही होता है मां का दिल बच्चे को ज़रा सी तकलीफ में नहीं देख सकता... ये सोचकर मेरा प्यार मां की ओर और बढ़ गया....
इतनी गरमी में पंखे की हवा बहुत सुकून दे रही थी तो मैं वही तख्त के नीचे घुटने लटके हुए ही पीछे की तरफ लेट गया और अपनी आंखें बंद करली ... कुछ जैसे याद आया हो अचानक से मेरी आंखें खुली और मुझे अपने पजामे में बना तंबू दिखा ... मैंने सोचा मर गया.इसके बारे में तो मैं भूल ही गया..अब क्या करुं... मां ने कहीं देख तो नहीं लिया अचानक से कुछ करुंगा तो मां को पता चल जाएगा ... फिर मेरे दिमाग में कुछ सूझा और मैं ऐसे ही आंख बंद करके लेटा रहा और एक हाथ से अपनी आंखें ढक ली जिनसे मां को मेरी आंखें न दिखीं ... देखने लगा मां पंखा हिलाये जा रही थी एक बार उन्होन मेरी तरफ देखा तो वह लगा शायद मैं सो रहा हूं तो थोड़ी सी घूम कर मेरी तारफ हो कर बैठ गई जिससे मुझे हवा ज्यादा मिल सके ....और फिर अचानक से उनकी नज़र मेरे सामने लंड के तंबू पर गई ... तो उनकी आंखों में एक थाहराव सा आ गया और फिर अचानक से मेरे चेहरे की तरफ देखा तो उन्हे अब भी लगा के मैं तो सो रहा हूं और फिर उनकी नजर मेरे लंड पर आ गई ..वो थोड़ी देर तक उसे घूरती रही. और फिर मुझे भी समझ नहीं आया उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट आ गई लंड को देखते हुए ... तब मेरी बुरी किस्मत के बिजली आ गई और मां मेरे पास से उठ कर खड़ी हो ग मुड कर एक बार मुझे देखा और फिर मेरे लंड को और अपनी सारी का पल्लू जो कबसे गिरा हुआ था उसे अपने सीने पर डाला और कमरे की तरफ चली गई .... मुझे कुछ समझ नहीं आया के मां का क्या रिएक्शन था मेरे लंड के उभार को देखने के बाद ... ये सोचते सोचते मैं भी सो गया....
इसके आगे कर्मा मां को पाने के लिए और क्या करता है वो सब अगली अपडेट में ... आप लोग कृपया समीक्षाएं देते रहे जिनसे कहानी और अच्छी बने ... शुक्रिया ...