Incest माँ का आँचल और बहन की लाज़(completed)

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शांति भी उसके प्यार से आत्मविभोर है ...वो सोचती है कितनी खुशनसीब है वो ..इतना प्यार करनेवाला पति..इतने प्यारे प्यारे बच्चे ... उसने ज़रूर पीछले जन्म में कोई पुन्य का काम किया होगा ..और सोचते सोचते उसे नींद आ जाती है , और वो शशांक के कंधो पर सर रखे रखे सो जाती है ..उसका सर शशांक के कंधो पर था ..आँचल नीचे गिरा था ..उसका सीना शशांक की नज़रों के सामने था ....उसकी सुडौल चूचियाँ उसकी साँसों के साथ उपर नीचे हो रही थीं ...शशांक एक टक उन्हें निहार रहा था ....

उस की उंगलियाँ शांति के सार से फिसलते हुए कब उसके सीने पर पहून्च गयीं ..शशांक को कुछ मालूम नहीं था ...उस ने मोम के सीने को सहलाना शूरू कर दिया ..उफफफफफफफ्फ़ ...यह उसका किसी औरत को इतने करीब से छूने का पहला मौका था ...पॅंट के अंदर खलबली मची थी ..उसका पूरा बदन सीहर उठा था ...

तभी शिवानी चाइ का ट्रे लिए आती है ...शशांक घबडा जाता है पर अपने पर काबू करते हुए फ़ौरन अपने हाथ हटा ता हुआ शिवानी के हाथ से चाइ की ट्रे लेता है ...पर बड़ी सावधानी से ..उसकी मोम का सर अभी भी उसके सीने पर था ...

शिवानी अपनी आदत से मजबूर कुछ बोलना चाहती है.. पर शशांक उसे इशारा कर चूप रहने को कहता है ..और मोम की ओर इशारा कर धीमी आवाज़ में कहता है " चूप कर शिवानी .मोम को सोने दे ..."

पर शिवानी कहाँ चूप रहती ..उस ने अपना चेहरा शशांक के बिल्कुल करीब ले जाते हुए फूसफूसाते हुए कहती है .." भाई ..मोम को बेड रूम में हम दोनों ले जाते हैं ... वहाँ आराम से उन्हें सोने दो ....यहाँ हम दोनों की बातों से इन्हें डिस्टर्ब होगा.." और अपनी चमकीली दांतें बाहर कर मुस्कुराती है ...

शशांक को भी यह आइडिया पसंद आ जाता है....उसने हामी में अपना सर हिला दिया ...शिवानी खील उठी ..

दोनों भाई बहेन बड़ी सावधानी से शांति को अपनी अपनी बाहों से उठाते हैं , शशांक उन्हें एक बच्ची की तरेह अपने सीने से चिपकाता हुआ गोद में भर लेता है , शिवानी उनका पैर थामती है , धीरे धीरे दोनों बेड रूम की ओर बढ़ते जाते हैं ....शशांक अपनी मोम के स्तनों का दबाव अपने सीने पर महसूस करता है .....उफफफफफफफ्फ़ ..वो आनंदविभोर है इस अनुभूति से ... उसकी आँखें भी आधी बंद हो जाती हैं ...एक अजीब ही सुख था इस स्पर्श में ...

दोनों बड़ी सावधानी से शांति की नींद में बिना किसी खलल के बेड रूम तक पहुचाते हैं ..और उसे बेड पर लीटा देते हैं ...

शांति के बाल बीखरे हैं , आँचल नीचे गीरा है ..हाथ बेड पर फैले हुए ... .क्या दृश्य था ....शशांक उसे निहारता रहता है ..
 
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शिवानी उसे हल्के से झकझोरती है ..और बाहर निकलने का इशारा करती है ....शशांक सर हिलाता है ..हामी में ..

जैसे दोनों बेड रूम से बाहर आते हैं शिवानी शशांक से लिपट जाती है , उसके गालों को चूमने लगती है .... शशांक भी अपने गाल उसकी ओर बढ़ा देता है ..पर शायद शिवानी इसे शशांक की स्वीकृति समझ उसके होंठों पर अपने होंठ लगाती है .....शशांक बड़े प्यार से उसका चेहरा अपने हाथों से थामता हुआ अलग करता है और पीछे हट जाता है ....

" हां शिवानी इसी बारे में तुम से बातें करनी है ...." वो प्यार से उसे झीड़कते हुए कहता है

शिवानी का चेहरा मुरझा जाता है ......

शशांक उसे उसके कंधों से थामता हुआ ड्रॉयिंग रूम में सोफे की ओर बढ़ता जाता है...
 
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शिवानी शशांक के सीने पर अपना पूरा बोझ डाले , अपनी गोल गोल सुडौल चूतड़ उसकी पॅंट से चिपकाए अपने मुरझाए चेहरे पर फिर से एक शरारती मुस्कान लिए उसके साथ साथ आगे बढ़ती है सोफे की तरफ .

शशांक झुंझला उठता है अपनी बहेन की इस हरकत से ..पर अपने आप को संभालता है ....उसका लंड अंदर ही अंदर शिवानी के चूतड़ो की दरार से टकराता जाता है ...पर शशांक अपने आप को बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किए सोफे पर बैठता है ....और शिवानी की कमर को थामते हुए उसे अपने बगल कर लेटा लेता है ...

शिवानी के चेहरे को अपनी हथेलियों से बड़े प्यार से थामता है और उसके गाल चूम लेता है ..शिवानी फिर से आँखें बंद कर लेती है और सोचती है " आज लगता है ऊँट पहाड़ के नीचे और मेरी चूत इसके लंड के नीचे आने ही वाली है.."

पर शशांक तो किसी और ही मिट्टी का बना होता है ....उसका लंड उसकी चूत पर तो नहीं पर हां उसकी हथेल्ली की हल्की चपत उसके गालों पर पड़ती है ..और शिवानी अपने लंड और चूत के सपनों से वापस आ जाती है ...

" देख शिवानी ..तू जानती है ना मैं तुझे कितना प्यार करता हूँ ..? "शशांक बड़े प्यार से उसे कहता है ..

" तो क्या मैं नहीं करती आप से..?"

"हां करती हो..शिवानी ..पर उस तरेह नहीं जैसे कोई बहेन अपने भाई से करती है ....देख , ना मैं ना तू ..कोई भी अब बच्चा नहीं रहा ....क्यूँ अपने आप को धोखे में रख रही है गुड़िया ..?? प्लीज़ होश में आ जा ... "

" भैया मैं पूरे होश-ओ-हवास में हूँ ..और आप भी जानते हो मैं कोई बच्ची नहीं रही ..."

" तभी तो कह रहा हूँ ना मेरी बहना ....क्यूँ तू मेरे पीछे पड़ी है ..अपने क्लास में तुझे कोई लड़का पसंद नहीं ..? मेरी रानी बहना ..अपना बॉय फ्रेंड बना ले .."

" भैया एक बात पूछूँ ..? "
 
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" हां पूछ ना शिवानी .." शशांक उसके बालों को सहलाता हुआ कहता है..

" आप की क्लास में भी तो कितनी हसीन, जवान और खूबसूरत लड़कियाँ हैं ..मैं जानती हूँ आप किसी को भी आँख उठा कर नहीं देखते ...आप ने अब तक अपनी गर्ल फ्रेंड क्यूँ नहीं बनाई..?"शिवानी की बात से शशांक चौंक जाता है .....उसकी गुड़िया अब गुड़िया नहीं रही ..वो भी अब इन बातों को समझती है ... उसे ऐसे ही फूसलाया नहीं जा सकता ..कूछ ना कूछ तो करना पड़ेगा ...

शशांक कुछ देर खामोश रहता है और शिवानी की तरेफ देखता है ...

" क्यूँ भैया चूप क्यूँ हो गये ..?? " शिवानी भी शशांक की आँखों में झाँकते हुए कहा ...

" तू क्या जान ना चाहती है..सच या झूट..?? "


" भैया ...मैं आप का सच और झूट सब जानती हूँ ..पर मैं आप के मुँह से सुन ना चाहती हूँ..हिम्मत है तो बोलिए ना .." शिवानी ने शशांक को लल्कार्ते हुए कहा ..

शशांक आज शिवानी की बातों से एक तरफ तो हैरान था पर दूसरी तरेफ मन ही मन उसकी इतनी बेबाक , स्पष्ट और निडर तरीके से बात करने के अंदाज़ का कायल भी हो गया था ....

शिवानी अब बड़ी हो गयी थी ...

"ह्म्‍म्म ठीक है तो सुन ..मैं मोम से बहोत प्यार करता हूँ शिवानी ..बे-इंतहा ....उनके सामने मुझे कोई और नज़र नहीं आता ... तू भी नहीं .." शशांक ने भी शिवानी की ही तरेह उसे दो टुक जवाब दिया .

पर शिवानी उसके जवाब से ज़रा भी विचलित नहीं हुई....बलके उसकी आँखों में उसके लिए आदर और प्रशंशा के भाव थे..

" भैया ...मेरे प्यारे भैया ..बस उसी तरेह मैं भी आप को प्यार करती हूँ बे-इंतहा ....मुझे भी कोई आप के सामने नहीं दीखता ....और एक बात , आप ने जिस तरेह मोम के बारे मुझे बिना कुछ छुपाए सब कुछ बताया ...मेरी नज़र में आप और भी उँचे हो गये हो...आप ने मुझ से झूट नहीं कहा ..कोई भी बहाना नहीं बनाया ..मेरी भावनाओं की कद्र की ...और सूनिए ..मैं आप से कुछ भी एक्सपेक्ट नहीं करती ....बस सिर्फ़ आप मुझे इस तरेह नसीहतें मत दें ..आप अपनी राह चलिए ..मैं अपनी राह ....शायद हम दोनों की राह शायद कहीं , कभी मिल जाए..???"

शिवानी इतना कहते कहते रो पड़ती है ... उसकी आँखों से आँसू की धार फूट पड़ती है ..

शशांक उसे अपने गले से लगा लेता है ...उसकी पीठ सहलाता है ..उसकी आँखों से आँसू पोंछता है और कहता है ..

" शिवानी ....शिवानी ..मत रो बहना ..एक प्यार करनेवाला ही जानता है प्यार का दर्द ..मैं समझता हूँ ...पर तू भी समझती है ना मेरी मजबूरी ..?? "
 
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" हां भैया मैं समझती हूँ ..अच्छी तरेह समझती हूँ ..आज के बाद मैं आप को कभी भी परेशान नहीं करूँगी भैया ,,कभी नहीं ...मुझे अपने प्यार पर भरोसा है ... जैसे आप को अपने प्यार पर भरोसा है ......"

उफफफफफ्फ़ कैसा प्यार है इन दोनों भाई बहेन का .... प्यार में तड़प , दर्द और सब कुछ झेलने को तैयार ...सिर्फ़ एक मिलन की आस में .....

...दोनों की आँखों में आँसू थे ..कैसी विडंबना थी .... कैसा त्रिकोण था ....सभी प्यार करते एक दूसरे से ..बस सिर्फ़ नज़रिए का फ़र्क था ...

" अरे कहाँ हो शशांक -.शिवानी ..?? "

मोम की आवाज़ ने दोनों भाई बहेन को जगा दिया ..वापस ले आया हक़ीकत की दुनिया में ..जहाँ हसरतें हमेशा पूरी नहीं होतीं ..पर फिर भी लोग अपनी अपनी हसरतो के ख्वाब का सहारा लिए आगे बढ़ते जाते हैं ..एक बड़ी आशा के साथ के शायद कभी..???? इसी शायद पर ही तो उनकी दुनिया अटकी है ...

दोनों भाई-बहेन मोम के कमरे की ओर बढ़ते हैं ..

मोम बीस्तर पर पीठ के बल अढ़लेटी है ..

" अरे मैं यहाँ कब आई ...मैं तो सोफे पर थी ना ..?"

"हां मोम ...पर तुम इतनी गहरी नींद में थी कि हम ने तुम्हें अपनी बातों से डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा ..मैं और भैया ने तुम्हें उठा कर यहाँ लिटा दिया.." शिवानी ने उन से कहा

"ओह माइ गॉड मैं भी कितनी गहरी नींद में थी ..तुम लोग उठा कर मुझे यहाँ ले आए और मैं सोती रही ..उफ़फ्फ़ .मैं भी ना ....अच्छा यह बताओ अभी टाइम क्या हुआ है..?? "शांति ने उनसे पूछा.

" मोम अभी शाम के सिर्फ़ 8 बजे हैं ..पर यह तो बताओ मोम आप का सर दर्द कैसा है अब ..? " शशांक ने पूछा

" अब तेरे जैसा सर दबानेवाला हो तो फिर सर दर्द तो क्या कोई भी दर्द कहाँ टीक सकता है बेटा..?? " मोम ने जवाब दिया ..

" ओह मोम ..क्या बात है.. " शशांक के चेहरे पर चमक आ जाती है ... और वो अपनी मोम से लिपट जाता है ..

शिवानी मुस्कुराती है भैया को देख ..और मोम उसे प्यार से धक्का देते हुए हटाती है

" अच्छा चलो हटो बहोत आराम हो गया ..मैं जाती हूँ किचन में कुछ बना लूँ खाने को ..तेरे पापा भी अब आते ही होंगे .."

शांति किचन की तरेफ जाती है और इधर शिवानी अपने भैया से फिर से चीपक ती है ...
 
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" वाह भैया ..लगे रहो .... पर कुछ ख़याल इधर भी कर लो भाई....."

शशांक उसे धक्का देते हुए अलग कर देता है

" देख अब तू मार खाएगी ....अभी तू ने कहा था ना मुझे परेशान नहीं करेगी ..?"

"वाह जब बेटा अपनी मोम से चीपक सकता है ..बहेन भाई से चीपक नहीं सकती ..??? बड़ी ना-इंसाफी है ..."

" उफ्फ तू भी ना शिवानी ...." वो उसकी ओर बढ़ता है उसे मारने को..पर शिवानी भागते हुए किचन में घूस जाती है ...

तभी फोन के घंटी की चीख सुनाई पड़ती है ....

" अरे कोई देखो किस का फोन है ..." मोम किचन से आवाज़ देती है ..

शशांक भागता हुआ ड्रॉयिंग रूम की ओर जाता है फोन रिसीव करने को.....
 
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शशांक अपने लंबे लंबे कदमों से भागता हुआ फ़ौरन फोन उठाता है ...आवाज़ शिव की थी ..

" हां पापा क्या बात है ..?" शशांक ने पूछा..उसकी आवाज़ में चिंता सॉफ झलक रही थी

" शशांक बेटा , कोई खास बात नहीं .. तेरी मोम कहाँ है ?.."

" मोम तो किचन में हैं पापा .उन्हें बुलाऊं क्या ..?''

" नहीं रहने दे ..मोम को बोल देना मैं काफ़ी देर से आऊंगा ...कुछ पेंडिंग काम हैं , शो रूम में दीवाली का स्टॉक अरेंज करना है ...बोल देना वो समझ जाएँगी.और तुम लोग खाना खा लेना ..मेरा वेट मत करना ..."

" ओके पापा ..पर ज़्यादा देर मत करना ..टेक केर.."

और फोन रख देता है.

मोम अभी भी किचन में ही थी..शशांक किचन के अंदर जाता है..मोम के बगल खड़ा हो जाता है ..

" किसका फोन था बेटा .?" शांति उसकी ओर देखते हुए पूछती है .

"पापा का था मोम ..आज रात देर से आएँगे ..कह रहे थे दीवाली का स्टॉक अरेंज करने का मामला है ..हम लोग खाने पर उनका वेट नहीं करें.."

" हां बेटा दीवाली सर पर है...कस्टमर्स को नये नये डिज़ाइन्स और चॉइस चाहिए.मैं समझती हूँ ".

मोम कुक भी कर रही थी और साथ में शशांक से बातें भी करती जाती .

वो अभी भी उन्हीं कपड़ों में थी जिसे पहेन वो सुबेह दूकान गयी थी ..और शाम को घर वापस आई थी..

साड़ी और ब्लाउस में सिलवटें पड़ी थीं , बाल बीखरे हुए थे ...चेहरे और आँखों पर एक हल्की अलसाई सी थकान की छाया ....आँचल संभाले नहीं संभलता ..बार बार हाथों पर आ जाता ...और उनकी अभी भी सुडौल और मांसल चूचियाँ शशांक की आँखों के सामने आ जाती ...

शशांक उन्हें एक टक निहारता जा रहा था ..उनकी यह चाबी वो मंत्रमुग्ध हो कर एक तक देखे जा रहा था ..उसकी आँखों में अपने मोम के लिए प्यार , चाहत , तड़प सॉफ सॉफ झलक रहे थे ...
 
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अभी तक शिवानी एक कोने में खड़ी उनकी बातें सुन रही थी ..भैया की आँखों में मोम के लिए उसका प्यार और प्यास देख ..उस ने भैया के लिए रास्ता साफ करते हुए किचन से बाहर निकल जाती है और जाते जाते कहती जाती है

" मोम मैं टीवी देखने जा रही हूँ.मेरा फवर्ट शो बस आने ही वाला है." जाते जाते भैया को आँख मारना नहीं भूलती ...

शिवानी के बाहर निकलते ही , थोड़ी देर वो मोम को देखता रहता है फिर पीछे से शांति के कंधों पर हाथ रखते हुए हल्के से जाकड़ लेता है और उनके गाल चूम लेता है

" क्या बात है .आज अपनी इस बूढ़ी मोम पर मेरे बेटे को बड़ा प्यार आ रहा है...? सर भी कितने अच्छे से दबाया तू ने ..." शांति ने पीछे मुड़ते हुए उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा ..

" कम ऑन मोम बूढ़ी और आप..? अरे जवान लड़कियाँ भी आप के सामने कुछ नहीं ...क्या फिगर आप ने मेनटेन किया है ..सच बोलता हूँ मोम ...जी करता है आप को मैं अपनी गर्ल फ्रेंड बना लूँ .."

" वाह रे वाह ..अब मेरे इतने हॅंडसम बेटे की किस्मेत इतनी तो फूटी नहीं कि मेरी जैसी बूढ़ी उसकी गर्ल फ्रेंड बने ..क्या सारी जवान लड़कियाँ मर गयी हैं..?"

" हां मोम आप के सामने तो वो सब मुर्दे के ही समान तो हैं ..."
 
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"ह्म्‍म्म..बातें बनाना भी अच्छी सीख गया है तू ..." और इतना कहते हुए शांति उपर शेल्फ से कुछ सामान लेने को अपने पंजों से उपर उचकति है , नतीज़ा यह होता है उसके भारी भारी और मांसल चूतड़ , नज़दीक खड़ा शशांक के अब तक तन्ना उठे लंड से छू जाते है ..शांति को अपने चूतड़ पर चूभान महसूस होती है ....वो चौंक जाती है ..शशांक सीहर उठ ता है ...

शांति पीछे मुड़ती है ..शशांक को देखती है ..उसकी आँखें बंद थीं और चेहरे पर एक अजीब मस्ती और आनंद की झलक थी

" शशांक...! " उसकी आवाज़ में कुछ झुंझलाहट , कुछ आश्चर्य और कुछ कौतुहाल ..सभी का मिश्रण था

शशांक चौंक जाता है और उसकी आँखें खुलती है ..अपने आप को मोम से बिल्कुल चिपका हुआ पाता है ...

शशांक फ़ौरन अलग हो जाता है और मोम की झिड़की से .. पॅंट के अंदर भी सब कुछ सीकूड जाता है ..

शशांक को खुद नहीं मालूम था कब उसके पॅंट ने तंबू का शेप धारण कर लिया था ...अपनी मोम के सामने वो अपने होशो-हवास खो बैठता था ... बिल्कुल खो जाता था अपनी माँ के रूप और आकर्षक फिगर पर ...

शांति कुछ देर चूप रही , फिर नॉर्मल होते हुए कहा " बेटा तू अब जा और तुम दोनों भाई बहेन थोड़ी देर में डाइनिंग टेबल पर आ जाओ ..मैं भी बस कुछ देर में आती हूँ ..सब साथ बैठ कर खाएँगे..."

" हां मोम .." कहता हुआ शशांक फ़ौरन किचन से बाहर आ जाता है ..वो अपनी इस हरकत पर बहोत शर्मिंदा था ... पर क्या करे वो भी अपनी मोम की चाहत के सामने लाचार था ..विवश था ...

इधर शांति भी भौंचक्की थी .. उसे डांटना चाहती थी ..पर फिर इसे उसकी उम्र का तक़ाज़ा समझ अनदेखा कर देती है ... पर अपने दिमाग़ के कोने में उस से कभी बात करने की ज़रूरत का ध्यान रख लेती है ..

वो ड्रॉयिंग रूम में बैठे टीवी देख रही शिवानी का पास बैठ जाता है..उसका चेहरा अभी भी उतरा हुआ

था .... शिवानी उसे देखती है ..शशांक का चेहरा देख वो भाँप जाती है मामला कुछ गड़बड़ है...

पर उस ने उस समय कुछ कहना यह पूछना ठीक नहीं समझा ... उसका मन तो बहोत किया ..पर फिर उसके भैया के लिए प्यार और इज़्ज़त ने उसका मुँह बंद रखा ..वो समझती थी कि उसके पूछने से शशांक के ईगो को बहोत ठेस (चोट ) लगेगी ...

वो अंजान बनते हुए चहकति हुई कहती है .."उफ्फ भैया क्या इंट्रेस्टिंग सीरियल है ...तुम भी देखो ना.. " उसकी जाँघ पर हाथ मारती है...

उसकी इस हरकत पर शशांक झुंझला जाता है और कहता है " शिवानी ..क्या बच्पना है यार.. ऐसे सीरियल तुम्हें ही मुबारक....टीवी बंद करो और चलो ..मोम खाने को बोल रही हैं ..."

" भैया ..प्लीज़ मेरी सीरियल बस अब ख़त्म ही होनेवाली है ...तुम जाओ ना हाथ मुँह धो लो तब तक , मैं भी आती हूँ .."

"ठीक है बाबा मैं जाता हूँ ..यू आंड युवर सीरियल्स ..माइ फुट.."

शशांक उठता है जाने को , पर शिवानी उसके जाने के पहले उसके गाल चूम लेती है

" थॅंक्स माइ च्वीत च्वीत ब्रो.."

शशांक भून भुनाता हुआ उठता है " तू कभी नहीं सुधरेगी ...."

और शिवानी की गाल पर हल्की सी चपत लगाता हुआ वॉश लेने अपने बेड रूम में चला जाता है ...
 
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पर शिवानी चौंक जाती है भैया के इस रवैय्ये से ....जिस जागेह उसने चपत लगाई वहाँ उसने अपनी हथेली से पोन्छा और और अपनी हथेली चूम ली ..भैया ने आज पहली बार उसके गाल चूमने पर प्यारी सी चपत लगाई थी ..वरना हमेशा बड़ी बेदर्दी से अपने गाल पोंछ लेते थे ....

शिवानी का चेहरा खील उठ ता है ...

तभी मोम की आवाज़ आती है " अरे कहाँ चले गये सब...मैने टेबल पर खाना लगा दिया है ..तुम लोग आ जाओ ,,मैं भी फ्रेश हो कर आती हूँ.."

शशांक भी तब तक वॉश ले चूका था ...और शिवानी का सीरियल भी उसे अगले एपिसोड में फिर मिलने का वादा करते हुए ख़त्म हो चूका था...

डाइनिंग टेबल पर दोनों मोम का इंतेज़ार करते हैं... !
 

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