Incest माँ का आँचल और बहन की लाज़(completed)

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जैसे ही शशांक बाहर आता है उसकी नज़र बाहर दरवाज़े पर खड़ी शिवानी पर पड़ती है ...अपनी भवें सीकोडता हुआ उसे देखता है ....

" तू यहाँ क्या कर रही है ..??" थोड़े गुस्से से उस से पूछता है...पर शिवानी की आँखों में भी आँसू छलकते देख चूप हो जाता है ...

" मैने सब कुछ देखा भी और सुना भी भैया ....आप सच में कितना प्यार करते हो ना मोम से ..??इतना तो शायद मैं भी नहीं कर पाऊँ कभी किसी से ..."

" हां मेरी गुड़िया ..मैं बहोत प्यार करता हूँ ..बहोत ... " अभी भी शशांक का चेहरा थोड़ा उदासी लिए होता है ....

" कम ओन भैया ..चियर अप ....आप क्या सोचते हैं मोम चूप बैठेंगी...कभी नहीं ...आप देखना आप को आप का प्यार मिलेगा और भरपूर मिलेगा ..." शिवानी ने अपने प्यारे भैया का मूड ठीक करने को आँखों से आँसू पोंछ मुस्कुराते हुए कहा....

" आर यू शुवर शिवानी..? उफ़फ्फ़ अगर ऐसा हो गया तो मेरी जिंदगी के वो पल सब से हसीन पल होंगे.. तेरे मुँह में घी शक्कर .." शशांक ने आहें भरते हुए कहा ....

" अरे बिल्कुल होगा भैया और हंड्रेड परसेंट होगा ...आख़िर मेरे ही भैया हो ना आप...और मेरी चाय्स भी कोई ऐसी वैसी थोड़ी ना होती है ...जिस पर मैं मरती हूँ ..वो जिस पर मारे उस की तो खैर नहीं ...और एक बात भैया ..मुझे अपने मुँह में घी शक्कर नहीं चाहिए ...कुछ और ही चाहिए ." शिवानी अपने भैया के गालों पर पिंच करते हुए एक बड़ी शरारती मुस्कान चेहरे पे लाते हुए बोलती है ....

शशांक उसकी इस बात पर उसे आँखें फाड़ कर देखता है और उसके गालो पे हल्की सी चपत लगाता है

" तू भी ना शिवानी...कुछ भी बोल देती है ...." फिर हँसने लगता है और अपने गालों को जहाँ उस ने पिंच किया था , सहलाता है ...और थोड़ा झुंझलाते हुए कहता है

"अरे बाबा तू कैसे बोलती है यार ..मेरी समझ में तो कुछ नहीं आता ... "
 
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" अब सब कुछ क्या यहीं खड़े खड़े बताऊं ??...पापा आते ही होंगे ..चलो तुम्हारे कमरे में ..मैं बताती हूँ मेरे भोले भैया .." और शिवानी उसका हाथ थामे उसे घसीट ती हुई उसी के कमरे में ले जाती है...

शिवानी अंदर घूस्ते ही झट पलंग पर लेट जाती है..और शशांक के लिए जगेह बनाते हुए उसे भी अपने पास आने का इशारा करती है....पर शशांक उसके बगल में लेटने की बजाए एक कूर्सी खींच पलंग से लगाते हुए उसकी बगल बैठ जाता है ...शिवानी उसकी ओर देखते हुए थोड़ा मुस्कुराती है और मन ही मन सोचती है :

" आख़िर कब तक .अपने आप को बचाओगे भैया ....? जब मेरे छूने से ही तुम्हारे अंदर इतना तूफान आ सकता है के तुम बाथरूम के अंदर तूफान के झोंके शांत करो....फिर यह तूफान मेरे अंदर शांत होने में देर नहीं ..."

" अरे क्या सोच रही है ..चल जल्दी बता ना ...."

" बताती हूँ बाबा बताती हूँ...देखो मोम कोई ऐसी वैसी औरत तो हैं नहीं के तुम ने बाहें फैलाई और वो तुम्हारी बाहों के अंदर घूस जायें ..? हां मैने जितना देखा और सुना तुम दोनों की बातें ..मोम को तुम ने हिला दिया है...उनको सोचने पर मजबूर ज़रूर कर दिया है "

" अच्छा ..?? पर यार शिवानी तुम इतनी छोटी सी प्यारी सी गुड़िया ..तुम्हें इतना सब कैसे पता हो जाता है..."शशांक ने उस की ओर हैरानी से देखा ....

" ह्म्‍म्म्मम..भैया आप भी तो मोम की नज़र में एक बच्चे हो..फिर भी आप ने अपनी बातों से साबित कर दिया ना के आप भी एक मर्द हो अब ....बच्चे नही..??" शिवानी ने करारा जवाब दिया शशांक को ...

शशांक फिर से हैरान हो जाता है ...और उसकी आँखों में शिवानी के लिए प्रशन्शा झलकती है ..
 
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" बात तो तू पते की करती है......अब मेरी गुड़िया भी लगता है औरत बनती जा रही है..."

शशांक की इस बात से शिवानी की आँखों में चमक आ जाती है , और मन ही मन फिर सोचती है

" लगता है अब इस औरत को यह मर्द जल्दी ही अपनी बाहों में लेगा ...बस तू तैय्यार रह..."

" लो तू फिर कहाँ खो गयी शिवानी.... मोम सोचने पर मजबूर .हैं .? क्यूँ ..हाउ डू यू से दट ..?"

" अरे भोले भैया जब मोम तुम से गले लग रो रहीं थी उन्होने क्या कहा था ..???"

" क्या कहा था....? शिवानी मैं तो बस सिर्फ़ बोलता जा रहा था ..मुझे कुछ होश नहीं वो क्या बोल रही थीं..कुछ याद नहीं उन्होने क्या बोला ...बता ना प्लीज़ .."

शिवानी लेटे लेटे ही खीसकते हुए शशांक के बिल्कुल करीब आ जाती है और अपने हाथ उसके जांघों पर रखते हुए कहती है ..

" याद करो उन्होने कहा था ना ' बेटा समय बड़ा बलवान है ..सब ठीक करेगा ..??' .... "

" हां यार कहा तो था मोम ने " शशांक याद करते हुए बोलता है ..फिर अचानक उसे मोम की इस बात की गहराई समझ में आती है और वो खुशी से चिल्लाता हुआ बोल उठता है

" ...ओह गॉड..ओह गॉड...! ओह शिवानी ...मैं सही में कितना बेवकूफ़ हूँ ...कितनी बड़ी बात कही मोम ने .....शी नीड्स टाइम ....शी जस्ट वांट्स मी टू हॅव पेशियेन्स .... वेट आंड . ...उफ़फ्फ़ ..शिवानी मान गये यार तू सही में गुड़िया नहीं ...तू तो मेरी फ्रेंड , फिलॉसफर , गाइड है यार.....माइ बेस्ट फ्रेंड "

और वो अपनी कुर्सी से उठता हुआ शिवानी को गले लगा लेता है ..उसके गाल चूम लेता है ..बार बार गले लगाता है और गाल चूमता है ...और बोलता जाता है "उफफफफ्फ़ ,,इतनी सी बात मुझे समझ नहीं आई ..."

भैया के इस बादलव से शिवानी कांप उठ ती है ..उसका रोम रोम खुशी से झूम उठ ता है ....और भैया से लिपट ते हुए उसकी आँखों में झान्कति है और बोलती है

" भैया देखा ना समय कितना बलवान होता है..मैने भी वेट आंड . वाली पॉलिसी अपनाई ..और आज मेरी सब से प्यारी चीज़ मेरी बाहों में है ..बस तुम भी ऐसा ही करो .."

" यस शिवानी ...यस यस ..यू अरे सो राइट ..." शशांक भी उसकी आँखों के अंदर झाँकता हुआ कहता है.

शिवानी अपनी आँखें बंद किए शशांक के सीने पर अपना सर रखे.. उस पर हाथ फिराते हुए भर्राई आवाज़ में कहती है :

" बस भैया तुम भी वेट करो , बी पेशेंट ..मोम को टाइम दो .... "
 
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शशांक शिवानी का चेहरा अपने हाथों से उपर उठाता है और कहता है

" हां शिवानी .."

थोड़ी देर उसे एक टक देखता है और फिर बोलता है

".तू जानती है तेरी नाक बिल्कुल मोम की जैसी है ..सो शेप्ली आंड सेक्सी.."

ऐसा बोलता हुआ वो उसकी नाक उंगलियों के बीच थामता हुआ प्यार से सहलाता है ....

" भैया और तुम जानते हो ना तुम जिस तरेह अपनी आँखें डालते हुए बातें करते हो , दुनिया की कोई भी औरत तुम पर मर मिटेगी .."

" मैं दुनिया की किसी औरत को नहीं जानता ..बस सिर्फ़ अपनी मोम को जानता हूँ और अब उसकी तरेह एक और भी है मेरी बाहों में ..बस उसे ..."

ऐसा बोलते हुए वो शिवानी को अपने सीने से चीपका लेता है और उसके होंठों को चूम लेता है ...

शिवानी कांप उठती है ... सीहर उठ ती है ....खुशी से पागल हो जाती है..आज उसे मन की मुराद मिल गयी ...

तभी बाहर किसी के चलने की आहट होती है ....पापा आ गये थे शायद ..

शिवानी फ़ौरन अपने को शशांक से अलग करती है ...बीस्तर से उठ ती है ..

और शशांक की ओर बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखती हुई झूमते हुए..नाचते हुए कमरे से बाहर निकल जाती है .

शशांक बीस्तर पर नीढाल होता हुआ लेट जाता है ..हाथ पैर फैलाए

" उफ्फ क्या दिन था आज ... कितना कुछ हो गया..."

और सोचता हुआ आँखें बंद कर लेता है ....नींद उसे थपकी देती है , वो उसकी गोद में खो जाता है....
 
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शशांक बॅक स्ट्रोक लगाते हुए तैर रहा है ..उसकी जंघें शांति की जांघों से टकरा रही हैं ..उसके स्विम्मिंग ट्रंक की उभार उसकी मोम की जांघों के बीच चूत से टकराता हैं , .... .वो स्ट्रोक लगाए जा रहा है ...जैसे जैसे स्ट्रोक लगाता है ,उसका उभार शांति की चूत से घिसता जाता है , शांति आनंद विभोर है ... उसके सारे शरीर में सीहरन हो रही है..वो .कांप रही है ...किलकरियाँ ले रही है .." हां .हां मेरे बेटे ..हाँ मुझे किनारे ले चलो ..मुझे बचा लो .."

शशांक के स्ट्रोक्स ज़ोर पकड़ते है ..जैसे जैसे किनारा नज़दीक आता है स्ट्रोक्स और ज़ोर और ज़ोर पकड़ते जाते हैं......शांति की चूत और तेज़ घीसती जाती है शशांक के उभार से ....... .. शांति जोरों से चीख उठ ती है " शशााआआआआआंक.." उस से और भी चीपक जाती है ..उसकी मुलायम चूचियाँ शशांक के कठोर सीने से लगी हुई एक दम सपाट हो जाती हैं....उसके चूतड़ शशांक के उभार पर बार बार उछाल मारते हैं ....वो हाँफ रही है ......पैर और जंघें थरथरा रही हैं...

शांति की नींद टूट जाती है....उसके चेहरे पे एक शूकून है ....वो उठ जाती है....उफफफफफफफ्फ़..उसकी पैंटी बूरी तरेह गीली थी....

वो उठ ती है और दबे पावं बाथ रूम की ओर जाती है ...अपनी गीली पैंटी उतारती है ....उसकी चूत के होंठ अभी भी फडक रहे थे ....उस ने अपनी चूत सॉफ की , दूसरी फ्रेश पैंटी पहनी और बाथ रूम से बाहर आ गयी...

दबे पावं फिर से बीस्तर पे लेट जाती है ...वो काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी ... अब वो किसी भी असमंजस की स्थिति में नहीं थी ...उसकी सारी उलझनें भंवर की अतः गहराइयों में डूब गयीं ...
इस सपने ने शांति को उसके भंवर से निकाल दिया था ...वो मुस्कुराती है ... उसे उस विशाल और विस्तृत झील के समान अपनी जिंदगी का किनारा मिल गया था ....

शांति आँखें बंद कर लेती है , सपने के सुनहरे पलों को संजोए फिर से सो जाती है...
 
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आज फिर एक सुबेह होती है शिव-शांति के घर .... पर आज की सुबेह और कल की सुबेह में कितना फ़र्क था ....

एक ही दिन में कितना कुछ बदल गया था ...

आज सब से खुश थी शिवानी.....उसने तो मानों दुनिया जीत ली थी ....भैया का उसके होंठों का चूमना....... उसके होंठ अभी भी याद कर फडक उठ ते ....उसके पावं तो ज़मीन पे पड़ते ही नहीं थे ...झूम रही थी शिवानी ....अपने लूज टॉप और लूज स्लॅक्स में बहोत ही प्यारी लग रही थी ...उसकी गदराई चूचियाँ टॉप के अंदर उसकी ज़रा भी हरकत से हिल उठ ती ...बाहर निकलने को तैयार ...

आज दीवाली की सुबेह उसकी जिंदगी में रोशनी भरी थी ...जगमगा उठी थी ...मन में फुलझारियाँ फूट रहीं थीं ... और चूत में पटाखे .......

इधर शशांक भी अपने आप को बड़ा हल्का महसूस कर रहा था....उस ने मोम के सामने अपने प्यार का इज़हार कर दिया था..बिल्कुल ख़ूले लफ़्ज़ों में ....उसे अपने गालों पर झन्नाटेदार थप्पड़ की पूरी आशंका थी.....पर थप्पड़ के बजाय उसे मिली मोम की चुप्पी.... और यह मोम का चूप रहना भी शशांक के लिए मोम की स्वीकृति से कम नहीं थी..उस ने ठान लिया था कि अब वो अपने किसी भी हरकत से मोम को परेशान नहीं करेगा...कल शाम किचन वाली हरकत तो किसी भी सूरत में नहीं ...वो अपने मोम को साबित कर देगा उसका प्यार सिर्फ़ वासना नहीं ....एक पूजा है ...
 
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और शांति भी खुश है..उसके चेहरे पर एक शूकून है....जो किसी असमांजस की स्थिति से बाहर आ एक निष्कर्ष पर पहूंचने के बाद चेहरे पर आती है ...शांति , शशांक और अपने संबंधो के बारे एक फ़ैसले पर पहून्च चूकि थी ....कोई कन्फ्यूषन नहीं था अब..

सभी अपने अपने कमरों से तैय्यार हो कर डाइनिंग टेबल पर नाश्ते के लिए आते हैं....

शिव और शांति तो पूरी तरेह से तैय्यार हैं दूकान जाने को ...शांति आज जीन्स और टॉप में थी..इस उम्र में भी अच्छी फिगर के चलते बहोत सूट करता था उसके बदन पर... उसका ड्रेस सेन्स भी लाजवाब था ..जीन्स ना बहोत टाइट था ना लूज..बस सिर्फ़ उसके अंदर की आकृति की झलक दीख जाती ...और टॉप भी बस वैसा ही ..उसके दूध से सफेद सीने का उभार लोगों के मन में हलचल पैदा कर देता ... इतना भी नीचा नहीं कि चूचियाँ बाहर नीकल आयें ....बस घाटी तक पहून्च कर थामा था टॉप का गला ..लोगों को उसके अंदर नायाब गोलाई का अंदाज़ा दे देती....

दोनों , बच्चों से गले मिलते हैं और एक दूसरे को दीवाली की शुभकामनायें देते हैं...

शशांक मोम से गले मिलता है , उसके गाल चूमता है ,और दीवाली विश करता है...

शशांक चौंक जाता है..मोम का रवैया कुछ बदला बदला सा था ... ... रोज सुबेह जब वो मोम से गले मिलता और उसके गाल चूमता ....मोम एक मूरत की तरेह खड़ी रहती और छोटी सी बस निभाने वाली मुस्कान ले आती... मानो यह भी एक ज़रूरी काम हो ..बस निबटा दो ...
 
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पर आज तो मोम ने खुद ही अपने गाल उसकी तरफ किए ...बड़े प्यार से मुस्कुराया और काफ़ी देर तक उसके होंठों से अपने गाल लगाए रखा..उसकी मुस्कुराहट में भी एक चमक सी नज़र आई . शशांक को कुछ समझ नहीं आ रहा था ..आख़िर एक रात में ही क्या हुआ मोम को..???

शिव और शांति अपने बच्चों की तरफ हाथ हिलाते हुए बाहर निकल जाते हैं .....

पर जाते जाते शांति दोनों बच्चों को हिदायत देना नहीं भूलती " देखो तुम दोनों ज़रा ख़याल रखना ...और शिवानी तुम दिया वग़ैरह जला देना ..शशांक तुम भी शिवानी को हेल्प कर देना ..हो सकता है हमें आने में कुछ देर हो जाए .."

" यस मोम ...सब हो जाएगा डॉन'ट वरी " शिवानी बोलती है ...

जैसे ही पापा और मोम कार से निकलते हैं शिवानी से रहा नहीं जाता , वो उछलते हुए शशांक के गले से लिपट जाती है और अपने पैर उसकी कमर के गिर्द लपेटे हुए उसे चूमती है , बार बार , कभी गले को , कभी गाल को और कभी शशांक के होंठो को , वो पागल हो जाती है

" ओह भैया ,,भैया यू आर छो स्च्वीत ...आइ लव यू ....दीवाली मुबारक हो ...."

शशांक इस अचानक हमले से बौखला जाता है

" यह लड़की ..उफफफफ्फ़ ...पटाखे से भी ज़्यादा ही फट रही है ..."

" हां भैया ..तुम ने ठीक कहा पटाखे से भी ज़्यादा ... "

"ओके ओके ....आइ नो आइ नो " ..और वो भी एक प्यारा सा किस उसके होंठों पर जड़ देता है , उसे अपनी मजबूत बाहों से थामते हुए उसे पास रखी एक कुर्सी पर बिठा देता है ..और खुद भी एक कुर्सी खींच उसके बगल बैठ जाता है....

शिवानी उत्तेजना से हाँफ रही थी .....
 
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शशांक भी शिवानी के इस प्यारे से हमले से अपने आप को पूरी तरह बचा नहीं पाया था, उसके उभरे हुए बॉक्सर का शेप इसकी बात की चीख चीख कर गवाही दे रहा था ...

थोड़ी देर तक कोई कुछ नहीं बोलता ...एक दूसरे को देखते रहते हैं ...

शिवानी की साँस नॉर्मल होती है ..शशांक चूप्पि तोड़ता हुआ बोलता है

" अच्छा शिवानी तू तो अब मेरी फिलॉसफर , गाइड और बेस्ट फ्रेंड है ना ...??" शशांक थोड़ा माखन लगाता है ..

" हां वो तो हूँ .." शिवानी अपना सीना तानते हुए कहती है ..
 

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