Incest माँ का आँचल और बहन की लाज़(completed)

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शशांक और शिवानी दोनों अगल बगल बैठे मोम के आने का इंतेज़ार कर रहे थे...थोड़ी देर दोनों चूप थे ..पर शिवानी ने शांत रहना सीखा ही नहीं था ...उसका शैतानी दिमाग़ भला शांत कैसे रह सकता ...

उसका मुँह बंद था ..पर हाथ और पैरों ने हरकत चालू कर दी ......उसके शशांक के बगल वाले पैर के अंगूठे ने शशांक के घूटने से नीचे नंगे पैर की पिंडली को कुरेदना चालू कर दिया और हाथ की उंगलियाँ सीधा पहून्च गयीं उसके बॉक्सर के उभार पर और वहाँ सहलाना चालू कर दिया ..शशांक इस एक दम से हमले पर चिहूंक उठा ...(शशांक जब अपने बेड रूम में वॉश करने को आया था उस ने एक लूस टॉप और बॉक्सर पहेन ली थी )

" उफफफफ्फ़ ...शिवानी ..यार तू क्या कर रही है ..मोम आती होगी."

" अरे बाबा तुम चिंता क्यूँ करते हो भैया ..मोम को कुछ पता नहीं चलेगा ..तुम बस चूप रहो .." और शिवानी ने अपना काम जारी रखा ...

" तू भी ना शिवानी...पर तुम ने कहा था ना मुझे परेशान नहीं करोगी..?" तब तक शिवानी के हाथ पैर ने काफ़ी काम कर दिया था .शशांक का बॉक्सर बूरी तरेह उभरा हुआ था...

"हां कहा तो था भैया ..." शिवानी ने बड़ी कॉन्फिडॅंट्ली कहा

"तो फिर यह क्या है.." शशांक ने झुंझलाते हुए कहा

" यू नो ब्रो' मैने कहीं पढ़ा है 'एवेरितिंग इस फेर इन लव आंड वॉर ' और आप तो जानते हो , आइ आम इन लव "

शिवानी के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी ..

" हे भगवान मुझे इस पागल लड़की से बचा ...." उस ने अपने हाथ जोड़े और भगवान की ओर उपर देखा

तब तक शांति भी फ्रेश हो कर डाइनिंग टेबल की ओर बढ़ते हुए बोलती है
 
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" अरे क्या हो गया शशांक बेटा ..यह भगवान को क्यूँ याद किया जा रहा है..." उन्होने एक चेर खींचा और बैठते हुए कहा .

" अरे कुछ नहीं मोम आज कल भैया बड़े धार्मिक हो गये हैं ना ..खाने से पहले भगवान को याद कर रहे हैं ..." शशांक कुछ बोलता उसके पहले ही शिवानी ने अपना जुमला छोड़ दिया ....और अपनी उंगलियों से उसके लंड को थोड़ी और ज़ोर से थाम लिया ..शशांक सीहर रहा था ...

शिवानी के बात पर शांति जोरों से हंस पड़ती है ..."ओके ओके ..चलो मज़ाक बंद और खाना शूरू करो.."

कहना ना होगा ..शशांक की नज़र अपनी मोम पर टीकी थी ....फ्रेश हो कर आने के बाद उन्होने निघट्य पहेन ली थी ... नाइटी के अंदर उनकी शेप्ली बॉडी की छटा ...बाल जुड़े में बड़ी सफाई से बँधे ...पूरी शरीर से एक बड़ी मादक सी खूशबू ....शशांक की नज़रें अटक सी गयीं अपने मोम की इस छटा पर ..

शांति शशांक की ओर देखती है ..उसे अपनी ओर एक टक देखते हुए पाती है ..उसे थोड़ा अनईजी फील होता है ..पर आखीर माँ से पहले वो भी एक औरत ही थी ..एक जवान , खूबसूरत और हॅंडसम लड़के का इस तरेह देखना.... उसे थोड़ा गर्व भी महसूस हुआ .. इस उम्र में भी उसमें काफ़ी खूबियाँ हैं ...

मुस्कुराते हुए वो बोलती है.."बेटा चल जल्दी खाना शूरू कर ...और हां शिवानी तुम भी ..."

" हां मोम .." बोलता हुआ शशांक खाना शूरू करता है ..शिवानी भी अपने खाली हाथ से खाना शूरू करती है ..पर उसका दूसरा हाथ अभी भी अपने क्रिया कलाप में व्यस्त था ..
 
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शशांक का बूरा हाल था ..उपर मोम का सेक्सी अवतार और नीचे शिवानी का सेक्सी व्यवहार ...उसका लंड एक दम कड़क खड़ा था ..शिवानी ने उसे बॉक्सर के उपर से ही बूरी तरेह जाकड़ रखा था अपनी हथेली से ..शिवानी को भी मज़ा आ रहा था ...उसका किसी लंड को थामने का यह पहला मौका था ...और वो भी ऐसा वैसा लंड नहीं ..पूरे का पूरा 8" उसकी हथेली में था..उसकी टाइट चूत गीली हो गयी थी ..

शशांक अपने पर काफ़ी कंट्रोल करते हुए खाना खा रहा था ..पर एक इंसान की भी कोई लिमिट होती है ...शशांक ने महसूस किया के यह दो तरफ़ा हमला अब उसके सहेन की सीमा पर कर रहा है ... इस के पहले की उसके लंड से पीचकारी छूट ती ..वो उठ खड़ा होता है

" मोम बस अब और भूख नहीं ...मैं उठता हूँ.."

और वो फ़ौरन उठता हुआ बाथरूम की तरेफ हाथ धोने को चल पड़ता है ...पर अपनी पीठ मोम की तरेफ करते हुए ..कहीं उनकी नज़र बॉक्सर पर ना पड़ जाए ..बाथरूम के अंदर जाते ही शशांक ने अपने लंड को बॉक्सर से बाहर किया ...लंड इतना कड़क था के हिल रहा था...उस ने जल्दी जल्दी अपने हाथ चलाए , दो चार बार में ही उसकी पीचकारी छूट गयी .....उसने राहत महसूस की..."उफफफफफ्फ़..यह शिवानी भी ना...."

शिवानी भैया के इस हाल पर अंदर ही अंदर मुस्कुराती है ...पर चेहरे पर कोई भी भाव नहीं ... बिल्कुल नॉर्मल ....

" यह शशांक को आज क्या हुआ है शिवानी ..कुछ अजीब नहीं लग रहा तुझे ..??" मोम खाते हुए पूछती है ..

" पता नहीं मोम ..मैं क्या जानू..मुझ से तो ढंग से बात भी नहीं करते ...आप ही पूछ लो ना .." शिवानी ने बड़ी सफाई से अपना पत्ता साफ कर लिया ...

" ह्म्‍म्म्म..ठीक है ...मैं बात करूँगी आज ... अभी तो शिव के आने में भी देर है ... तू खाना खा कर बर्तन समेट लेना ... मैं शशांक के कमरे में उस से बात करती हूँ ...आज कुछ परेशान सा लग रहा है ..." शांति खाना ख़त्म करते हुए कहती है.

" हां मोम यह ठीक रहेगा ... "

शिवानी ने कितनी सफाई से अपने प्यारे भाई के लिए उसकी प्रेयसी से अकेले में मिलने का रास्ता सॉफ कर दिया ..

तब तक शशांक बाथ रूम से बाहर आ चूका था और अब काफ़ी रिलॅक्स्ड लग रहा था ...

" मोम मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ ..पापा को तो आने में देर है ..आप भी अपने कमरे में आराम कीजिए .." कहता हुआ अपने कमरे की ओर जाता है..

" बेटा अगर तू सो नहीं रहा तो मैं तुझ से कुछ बात करना चाहती हूँ ...मैं तेरे कमरे में आती हूँ.."

शशांक मोम की इस बात पर चौंक पड़ता है ... पर चेहरे पर चौंकने की कोई झलक नहीं दिखाता और मोम से कहता है ...

" वाह मुझ से बात करेंगी ..थ्ट्स ग्रेट मोम ..पर मेरे कमरे में क्यूँ ? आप के सर में दर्द था ..आप अब भी थकि सी नज़र आ रही हैं ..आप अपने कमरे में लेटो ना ..मैं ही आप के पास आ जाता हूँ.."

" ठीक है मैं जाती हूँ ..तू जल्दी आ जा , शिव के आने तक का टाइम अपने पास है.."

शिवानी टेबल से बर्तन समेट रही थी ..पर मोम से बचते हुए शशांक की ओर देखती है और बड़ी जोरों से आँख मारती है ....

शशांक उसे घूँसा दिखाता है .....और मोम के कमरे की ओर चल पड़ता है....

किचन वाली बात से वो काफ़ी घबडाया सा था ....पर वो सोच लेता है चलो जो होगा देखा जाएगा ... मैने प्यार ही तो किया है ना ...

और धड़कते दिल से अंदर जाता है कमरे में ...
 
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शशांक ने मन में ठान लिया था कि आज मोम को सब कुछ सॉफ सॉफ बता देगा ..उसकी नज़रों में उसका अपनी माँ के लिए आकर्षण कोई पाप नहीं था ..यह तो उसका प्यार था ...उसकी माँ से नहीं ..बल्कि एक सुंदर , सुगढ़ और सेक्सी औरत से ..जो उसकी माँ भी थी , पर एक औरत पहले ... माँ के आँचल को वो दाग भी नहीं लगने देगा ... अगर उसकी माँ की औरत ने उसे स्वीकार किया तो ठीक , वरना उसकी किस्मेत ...उस ने आज सर पर कफ़न बाँध लिया था ..चाहे इधर यह उधर ...

शशांक नपे तुले कदमों से मोम के कमरे में प्रवेश करता है...मोम बड़े सहज ढंग से अपनी नाइटी को अछी तरेह समेटे पलंग पर अढ़लेटी थी ..हमेशा की तरेह पीठ टीकाए और पैर सामने की ओर बड़े टरतीब से फैलाए ... उसकी इस सुगढ़ता में भी एक अलग ही आकर्षण था ...

शशांक उसके पैर के पास , चेहरा मोम की ओर किए चूप चाप बैठ जाता है ...

" अरे बेटा वहाँ उतनी दूर क्यूँ बैठा है...आ मेरे पास आ "...और शशांक को अपने बगल बिठा लेती है

" हां बोलिए मोम ..आप कुछ कहना चाहती थी ना..? " शशांक की आवाज़ में एक आत्म विश्वास था ..एक दृढ़ता थी ...शांति उसकी ऐसी आवाज़ से काफ़ी प्रभावीत होती है पर उसे आश्चर्य भी हुआ ..वो तो सोची थी बेचारा डरा सहमा सा होगा ...पर यह तो बिल्कुल निडर और बेधड़क है ....शांति ने सावधानी से काम लेने की सोची.

" अरे कुछ नहीं बेटा ..मैं देख रही हूँ तू आज बड़ा परेशान सा लग रहा था..खाना भी ठीक से नहीं खाया ... तबीयत तो ठीक है ना.? " शांति ने उस से पूछा .

" कुछ नहीं मोम ..मेरी तबीयत बिल्कुल ठीक है ... खाना मैने बिल्कुल पेट भर के खाया , और खाना तो बहोत टेस्टी था मोम....बल्कि आप बताइए आप की तबीयत ठीक है ना...आप के सर में दर्द था ..."

अब तक शशांक काफ़ी आश्वश्त हो चूका था और बड़ी कॉन्फिडॅंट्ली उस ने मोम को जवाब दिया ..
 
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शांति को कुछ समझ में आ रहा था मामला उतना सीधा नहीं जितना वो समझती थी ..अगर शशांक उसे सिर्फ़ सेक्स की भावना से देखता होता तो उसके बात करने का लहज़ा इतना स्पष्ट और आत्मविश्वास से भरा नहीं होता ..बात कुछ और ही है ....पर फिर किचन में जो हादसा हुआ वो क्या था ? ..शांति सोच में पड़ गयी ..पर बात तो करना था ...शांति ने चूप्पि तोड़ी..

" हां शशांक अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ ... तुम ने कितने प्यार से मेरा सर दबाया .... अच्छा यह बता तू हमेशा मेरी ओर एक टक क्या देखता रहता है बेटा ..मैं क्या कोई अजूबा हूँ ..?? " शांति ने अपने प्रश्न की दिशा को सही रास्ते पर मोड़ने की कोशिश करते हुए पूछा..

" हा हा हा !! मोम आप भी ना ..कैसी बातें करती हो....आप और अजूबा ..??? आप अजूबा नहीं मोम आप नायाब हो ...कम से कम मेरी नज़रों में .." शशांक ने बेधड़क जवाब दिया

" अच्छा नायाब ..? पर किस मामले में "

" हर मामले में.." उस ने फ़ौरन जवाब दिया ...

"फिर भी .... कुछ तो बता ना ...मेरी ईगो ज़रा बूस्ट होगी...." मोम ने उसे उकसाया ..

शशांक फिर हंस पड़ा मोम के ईगो वाली बात से ..." क्या क्या बताऊं मोम...आप की हर बात नायाब है..." शशांक ने मोम की आँखों में देखते हुए कहा ..

" अरे कुछ तो बता ना बेटा ..मैं भी तो सूनू ....प्लीज़ .." शांति ने " प्लीज़ " में काफ़ी ज़ोर देते हुए कहा ...

" ह्म्‍म्म्मम..ठीक है पहला नंबर तो आप की पर्सनॅलिटी का है ..कितना आकर्षक है ..अभी भी आप की फिगर इतनी अच्छी है...आप ने कितने अच्छे से अपने आप को मेनटेन कर रखा है...दूसरी बात आप की सुंदरता ..तीसरी बात आप हमेशा कितना खुश रहती हो ... आपके चेहरे पे हमेशा मुस्कुराहट रहती है ...चौथी बात आप की नाक ..कितनी शेप्ली है ... आप के चेहरे की सुंदरता को चार चाँद लगा देता है... पाँचवी बात ......"

" बस बस बस .....बाप रे बाप इतनी पैनी नज़र है तुम्हारी ...." शांति ने हंसते हुए शशांक के मुँह पर हाथ रख उसे चूप करती है ...."इतनी बात तो तेरे पापा ने भी नहीं बताई मुझे आज तक...."

" नहीं मोम ..अभी और भी सुनिए मैने यह सब बात आप को एक औरत की तरेह देख कर बताया ...आप . मेरे लिए सुंदरता की देवी हैं ...."

" ह्म्‍म्म..पर बेटा अगर तुम मुझे एक देवी की तरेह देखते हो तो फिर किचन में तुम ने अपनी देवी का अपमान कर दिया ना ..." शांति ने बड़ी टॅक्टफुली शशांक की ही बात पकड़ते हुए असली मुद्दे पर आ गयी ...

" हां मोम ..मैं समझता हूँ मुझ से बड़ी ग़लती हुई ....पर मैं क्या करूँ ..आप की पूरी पर्सनॅलिटी ऐसी है कि मुझे हर तरेह से प्रभावीत करती है...मेरा दिल , मेरा दिमाग़ ..मेरा एक एक अंग उस से प्रभावीत हो जाता है..आप एक संपूर्ण औरत हैं....और सब से बड़ी बात मैं आप से बेइंतहा प्यार करता हूँ ..बेइंतहा ...."
 
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शशांक मोम की आँखों में झाँकता हुआ कहता है.. उसकी ओर एक तक देखता रहता है..बिना पलक झपकाए और फिर एक दम से चूप हो जाता है ..शांति भी उसके दो टुक जवाब से सन्न रह जाती है ...थोड़ी देर तक रूम में सन्नाटा छा जाता है....दोनों की धड़कनों की आवाज़ भी सॉफ सुनाई देती है....

शांति समझ जाती है कि मामला सही में उतना आसान नहीं था ... शशांक उस पर मर मिटा है ....यही बात अगर उस से किसी और ने कही होती ..तो यह उसके औरत होने की बहोत बड़ी उपलब्धी होती ...उसके औरत होने का कितना बड़ा सम्मान होता ..पर यही बात उसके बेटे के मुँह से ...उफफफ्फ़ ...मैं क्या करूँ ..शांति एक बड़े चक्रव्यूह में फँसी थी ..उसके चेहरे से परेशानी झलक उठती है ... वो उसे डाँट फटकार कर चूप कर सकती थी ..पर वो अब तक शशांक की बातों से जान गयी थी कि डाँटने से बात और भी बीगड़ सकती है ..कहीं शशांक कुछ कर ना बैठे ..उस पर जुनून सवार था अपनी मोम का ....

पर कुछ तो करना ही था ....
 
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शांति ने शशांक के चेहरे को अपने हाथों से थामते हुए अपनी ओर किया , उसकी आँखों में देखते हुए कहा ..

" पर बेटा मैं तुम्हारी माँ हूँ ..क्या कोई अपनी माँ से इस तरेह प्यार करता है..??."

शांति की आवाज़ में एक माँ की ममता , प्यार , दर्द और विवशता भरी थी .

" मैं जानता हूँ मोम ..पर मैने कहा ना आप के दो रूप हैं एक मोम का और दूसरा एक औरत का ...मैं आप की औरत से प्यार करता हूँ...... एक मर्द की तरेह ..मैं भी तो एक मर्द हूँ ना माँ "

शशांक की आवाज़ में कितना दर्द ,कितनी कशिश और तड़प थी शांति भी आखीर एक औरत थी , समझ सकती थी ..

जिस तरेह बिना किसी हिचकिचाहट ,बिना किसी रुकावट , जितने सॉफ सॉफ लफ़्ज़ों और जितनी सहजता से शशांक अपनी बात कहता जा रहा था..शांति दंग थी .. वो महसूस कर सकती थी कि शशांक जो भी कह रहा है....यह उसके दिल की गहराइयों से निकली आवाज़ है ..

शांति की मुश्किल बढ़ गयी थी ..वो बहोत बड़े पेश-ओ-पेश में थी ...

उसकी बातों ने उसे झकझोर दिया था ....

पर वो एक व्याहता औरत और माँ भी थी ...जो उसे इस हद तक जाने को रोक रहा था ...वो बहोत परेशान हो जाती है ....
 
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" मोम तुम परेशान मत हो ..." शशांक शांति की परेशानी समझता था " देखो तुम यह मत समझना कि मुझ पर कोई जुनून सवार है ..बिल्कुल नहीं मोम..मैं पूरे होश-ओ-हवास में हूँ ...आप के लिए मेरा प्यार सिर्फ़ सेक्स नहीं ...एक पूजा है ...मैं आप की इज़्ज़त पर कभी भी आँच नहीं आने दूँगा .... आप मुझे एक औरत का प्यार नहीं दे सकतीं ..मत दीजिए ..पर मुझे मत रोकिए ....मेरी जिंदगी..मेरी शांति मेरा सब कुछ मत छीनिए प्लीज़ .....आप का प्यार मेरा सहारा है ....जब तक आप के अंदर की माँ आपके अंदर की औरत को इज़ाज़त नहीं देती ,,मैं आप को शर्मिंदगी का एक भी मौका नहीं दूँगा ...बिलीव मी ..एक भी मौका नहीं दूँगा ..पर मुझे कभी मत कहना कि मैं आप से प्यार नहीं करूँ ..कभी नहीं...आइ लव यू ..आइ लव यू ...मोम आइ लव यू .."

और वो फूट पड़ता है..उसकी आँखों से आँसू की धार बहती है .... फफक फफक के रोता है शशांक ..बच्चों की तरेह ..

शांति के अंदर की औरत शशांक की हालत पर रो पड़ती है ..इतना प्यार ..उफफफफफफफ्फ़ ..कितनी अभागन है यह औरत ....उसे ले नहीं सकती ..

पर एक माँ अपने बेटे की हालत पर बहोत दूखी हो जाती है .... उसे गले लगाती है .." मत रो बेटे , मत रो ..समय का इंतेज़ार करो बेटा ...समय बड़ा बलवान है .... सब ठीक करेगा "

दोनों माँ बेटे आँसू बहा रहे हैं ..बेटा अपने प्यार की मजबूरी पर ...माँ अपने बेटे की हालत पर..

और एक औरत बस मूक दर्शक है ..सन्न है.......क्योंकि शांति की औरत उसकी माँ और पत्नी की छवि के अंदर जाने कब से दबी पड़ी है ..कभी उठ पाएगी ...?????????

आज शशांक ने शांति की औरत की बेबसी और लाचारी को ललकार दिया था ...

शशांक अपने आँसू पोंछता है ... मोम के चेहरे को अपने हथेली से थामता है और उसके माथे को चूमता हुआ कहता है " मोम ...आप का आँचल मैला नहीं होगा ...विश्वास रखो ... " वो उठ ता है और बाहर निकल जाता है..

शांति के होश-ओ-हवस गुम हैं अपने बेटे का अपने पर प्यार देख .... कहाँ तो वो अपने बेटे को समझना चाहती थी पर वाह रे बेटा....उस ने तो उसे ही प्यार का पाठ समझा दिया अच्छी तारेह ...काश वो भी उसे प्यार कर पाती....काश.......

शांति को एक गाना याद आता है " ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन ... जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन" कितना सटीक गाना था यह उसकी मजबूरी पर ......

तभी बाहर कार के हॉर्न की आवाज़ आती है ....शांति की तंद्रा भंग हो जाती है ...शायद शिव आ गये थे

वो बीस्तर से उठ ती है हाथ मुँह धो कर वापस आ जाती है एक पत्नी के रूप में ...

अपने पति का इंतेज़ार करती है....
 

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