Incest मेनका – हुसन्न की मालिका

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माल से होटेल जाते वक़्त कार मे बैठे-2 राजा साहेब ने अपने मोबाइल से फ़ोन मिलाया,"डॉक्टर.पुरन्दरे.हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं."

मेनका खिड़की से बाहर देखने लगी,उसके ससुर उसके पति का हाल पूच्छ रहे थे.इतने दीनो मे उसने 1 बार भी विश्वा के बारे मे नही सोचा था.अगर मन मे ख़याल आता भी तो जल्दी से अपना ध्यान दूसरी ओर कर उस ख़याल को दिमाग़ से निकाल फेंकती थी."कैसा आदमी था उसका 'सो-कॉल्ड पति'.जब वो हॉस्पिटल मे थी तो एक बार भी उसे देखने नही आया....ना कभी उस से माफी माँगने की कोशिश की और क्यू करता वो तो उसके लिए बस एक खिलोना थी....हवस मिटाने की चीज़,उसने उसे कभी पत्नी थोड़े ही समझा था.",मेनका सोच रही थी,"जब वो ठीक होकर वापस आ जाएगा तो वो कैसे करेगी उसका सामना...फिर से उस हैवान के साथ रहना पड़ेगा...",उसने अपने सर को झटका,"..जब आएगा तब सोचेंगे...आज तो इतनी खुशी का दिन है.डील फाइनल हो गयी है.आज कोई बुरा ख़याल मन मे नही लाऊंगी",अपने ससुर की तरफ देखा तो वो मोबाइल बंद करके जेब मे डाल रहे थे.वो उसे कभी भी विश्वा के बारे मे नही बताते थे...शायद जानते थे कि उसका ज़िक्र उसे फिर से वो दर्द याद दिला देगा.वो उनकी ओर देख कर मुस्कुराइ & फिर खिड़की से बाहर देखने लगी.

आइए अब हम बॅंगलुर चलते हैं,डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर मे,विश्वा को देखने.....वो देखिए बाकी पेशेंट्स के साथ बैठ कर खा रहा है...& डॉक्टर.पुरन्दारे कहाँ है?....हाँ..वहाँ अपने चेंबर मे कंप्यूटर पर कुच्छ देख रहे हैं...क्या देख रहें है आख़िर?....अच्छा!विश्वा के थेरपी सेशन्स के टेप हैं.डॉक्टर.साहब अपने सारे पेशेंट्स से जो भी बात करते हैं उसे वीडियो रेकॉर्ड कर लेते हैं,इस से उन्हे बाद मे मरीज़ को अनल्ये करने मे आसानी होती है.चलिए,हम भी उनके साथ ये वीडियोस देखते हैं.

पेशेंट नंबर.45681,विश्वजीत सिंग

सेशन 1

डॉक्टर.:हेलो,विश्वजीत.

विश्वा बस सिर हिलाता है.

डॉक्टर."देखो,विश्वा-आइ कॅन कॉल यू विश्वा...ओके.देखो,मेरा मानना है कि हर आदमी जो किसी बुरी लत का शिकार है खुद अपने को सुधार सकता है अगर वो खुद के अंदर झाँक कर अपनेआप को समझने की कोशिश करे.मैं चाहता हू कि तुम भी यही करो.

विश्वा एक तरफ सर घुमा कर दीवार की ओर देख रहा है.पता नही डॉक्टर.की बातों पर ध्यान दे भी रहा है या नही..

डॉक्टर.:..इंसान नशे का सहारा लेता है किसी चीज़ से भागने के लिए & ये नही सोचता कि कुच्छ समय बाद वो उस नशे का गुलाम हो जाता है..उस के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाता है बस...मेरी बात के बारे मे सोचना.यू मे गो नाउ.

डॉक्टर.कुच्छ फाइल्स स्किप कर आगे बढ़ते हैं.

सेशन 4

डॉक्टर.:हेलो,विश्वा.

विश्वा:हाई.डॉक्टर.

डॉक्टर.:कैसा लग रहा है यहा?

विश्वा:अच्छी जगह है डॉक्टर,पर जब तलब लगती है तो ये जगह जैल लगने लगती है.

डॉक्टर.:तुम चाहो तो कल ही यहा से जा सकते हो.तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ ,अगर तुम्हारे परिवार वाले बोले, तो भी मैं तुम्हे यहा नही रोकुंगा.

विश्वा(खड़ा होकर खिड़की से बाहर देखते हुए):नही डॉक्टर,मैं ठीक होना चाहता हू.मैं किसी और चीज़ को अपनी लाइफ कंट्रोल करने नही दे सकता.

डॉक्टर.:दट'स दा स्पिरिट!मैं समझता हू,विश्वा, जब तलब लगती है तो बहुत मुश्किल होती है पर मैं जानता हु कि तुम इस से ज़रूर उबर जाओगे.

डॉक्टर.और आगे बढ़ते हैं,1 वीडियो देखना शुरू करते हैं & फास्ट फॉर्वर्ड कर वाहा से देखते हैं, जहाँ से विश्वा बोलता है,

विश्वा:..मेरे मा-पिता बहुत अच्छे हैं & हम दोनो भाइयों को कँहि भी बिगड़ने नही दिया & ना ही कभी हुमारी कोई जायज़ माँग को ठुकराया ...& मेरा भाई तो मेरा दोस्त था.डॉक्टर,हम राजपरिवार के लड़को से कुच्छ खास उम्मीदें रखी जाती हैं-हमे अपने परिवार की मर्यादा का हर वक़्त ख़याल रखना पड़ता है-हर वक़्त.मुझ से ये सब उतना नही होता था,वैसे भी मेरा भाई भावी राजा था...उसे बिज़्नेस संभालना था & परिवार के मान की रखवाली करनी थी.

डॉक्टर.:तो तुम परिवार की इज़्ज़त का ख़याल नही करते?

विश्वा:करता हू.पर मैं राजपुरा मे नही रहना चाहता था,मैं तो अमेरिका मे अपने फ्रेंड्स के साथ अप्पर-एंड गॅडजेट्स का बिज़्नेस करना चाहता था.मेरे भाई को मेरे प्लॅन्स के बारे मे पता था & वो हुमेशा कहता था कि फॅमिली बिज़्नेस & ट्रेडिशन्स की देखभाल के लिए वो है,मैं तो बस वो करू जो मैं चाहता हू.मेरा भाई मेरा बहुत ख़याल रखता था डॉक्टर...पर भगवान ने उसे छ्चीन लिया & मुझे मजबूरन वापस आना पड़ा.पिता जी बिल्कुल अकेले थे & मा भी स्वर्ग सिधर गयी थी.

मैं आया था अपना फ़र्ज़ निभाने पर इधर कुच्छ महीनों से ये फ़र्ज़ मुझे बोझ लगने लगा था...

डॉक्टर. और आगे बढ़ते हैं....

सेशन 8

विश्वा:मुझे अपने पिता से कोई शिकायत नही डॉकटॉर पर शायद हम दोनो के रास्ते अलग हैं,राजपुरा उनकी ज़िंदगी है & मैं अब राजपुरा जाना नही चाहता.मेरा दम घुट ता है अब वहाँ.

सेशन 15

डॉक्टर.:सेक्स के बारे मे तुम्हारे क्या ख़याल हैं?

विश्वा;इंसानी ज़रूरत है जैसे खाना,पानी,हवा..

डॉक्टर.:और शादी?

विश्वा:बिल्कुल ज़रूरी नही.है अगर आप बच्चा पालना चाहते हैं तो अलग बात है वरना किसी लड़की के साथ आप शादी के बगैर भी वैसे ही रह सकते हैं.

डॉक्टर.:तो फिर तुमने शादी क्यू की?

विश्वा:क्यूकी राजकुनवर होने के नाते,दट वाज़ एक्सपेक्टेड ऑफ मी.

डॉक्टर.:तुमने अपनी बीवी के साथ जो किया...

विश्वा:मैं उसके लिए शर्मिंदा हू...यहा से जाते ही मैं मेनका से माफी माँगूंगा पर शायद हुमारी शादी अब मैं निभा नही पाऊँगा...(हंसता है)..मैं भी क्या कह रहा हू!जो उस रात हुआ उसके बाद तो वो ही मेरे साथ नही रहना चाहेगी....मैने बहुत कोशिश की उसके साथ एक एमोशनल रिश्ता बने,डॉक्टर...पर ऐसा कभी हो नही पाया...

डॉक्टर.:तो तुमने उसी से शादी क्यू की?किसी और राजकुमारी से भी कर सकते थे?

थोड़ी देर चुप रहने के बाद विश्वा बोला,"डॉक्टर,वो बहुत खूबसूरत है...मैं बस..मैं बस उसके साथ हुमबईस्तर होना चाहता था.उसे देखते ही मेरे दिल मे उसके जिस्म को हासिल करने का ख़याल आया था.शुरू मे मैने सोचा था कि इसी तरह हुमारे बीच प्यार भी हो जाएगा...वो बहुत अच्छी लड़की है...बहुत समझदार भी ...पर पता नही मेरे लिए वो कभी भी एक...एक...हसीन जिस्म से ज़्यादा क्यू नही बन पाई..मुझे कभी उस से प्यार नही हुआ.

तभी डॉक्टर.का फोन बजता है.यह राजा साहब का है,होटेल को जाते हुए कार से कर रहे हैं.

"नमस्कार,राजा साब...हा,हा..विश्वा मे काफ़ी इंप्रूव्मेंट है.अभी मैं उसी की फाइल देख रहा था.सबसे बड़ी बात है कि वो खुद भी ठीक होना चाहता है...मैं कल आपको उसके बारे मे एक डीटेल्ड ई-मैल भेजता हू,फिर हम बात करेंगे....अच्छा राजा साहब,नमस्ते."

चलिए वापस बॉमबे चलते हैं,मेनका & राजा यशवीर होटेल मेरियट पहुँच गये हैं & राजा साहब रिसेप्षन पर अपना परिचय दे रहे हैं..

"हम यशवीर सिंग हैं.हुमारे सेक्रेटरी ने राजपुरा से फोन पर यहा हुमारे नाम से 2 स्यूयीट्स बुक किए होंगे."

"वेलकम सर.आपकी बुकिंग है पर 1 सूयीट की.मैने ही राजपुरा से कॉल रिसीव की थी & मुझे कहा गया था कि राजा यशवीर सिंग & मिसेज़.सिंग के लिए सूयीट बुक करना है & हमने लोटस सूयीट आपके लिए रेडी कर दिया है."

"ये कैसे हो सकता है.हमने सॉफ कहा था कि 2..-"

"इट'स ओके.हमारा सूयीट हमे दिखा दीजिए.",मेनका राजा साहब की बाँह पकड़ते हुए बोली,"चलिए."

"शुवर मॅ'म.",कह कर रिसेप्षनिस्ट ने 1 बेल बॉय को बुला कर उनके साथ कर दिया.

"आपने हमे बात क्यू नही करने दी?ऐसी ग़लती कोई कैसे कर सकता है..",राजा साहब लिफ्ट मे घुसते हुए बोले.

"फोन पे अक्सर ऐसी ग़लत फहमी हो जाती है.सेक्रेटरी ने राजा साहब & मिसेज़.सिंग बोला होगा & इन्हे लगा होगा कि हम पति-पत्नी हैं.",जवाब देते हुए शर्म से मेनका के गाल लाल हो गये.

"अरे,जब आप बात समझ गयी थी तो उस रिसेप्षनिस्ट को बताया क्यू नही?"

"आपने भी तो माल मे सेलेज़्गर्ल को नही बताया था.",बेल्लबोय के पीछे सूयीट मे घुसते हुए मेनका बोली.

राजा साहब की बोलती बंद हो गयी,"... तो इसने सुन लिया था.",उन्होने सोचा.

सूयीट मे दाखिल होते ही एक लाउंज था जहा एक सोफा सेट लगा था & उसके बाद बड़ा सा बेडरूम जिसमे एक तरफ 4 चेर्स & 1 टेबल थी & 1 स्टडी डेस्क था जिसपे कंप्यूटर & फोन थे & दूसरी तरफ था 1 विशाल पलंग जिसे देख कर बस यही ख़याल आता था कि यह तो चुदाइ के लिए ही बना है.

राजा साहब फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चले गये,तब तक मेनका ने भी कपड़े बदल कर खाने का ऑर्डर दे दिया.

थोड़ी देर मे राजा साहब के आने के बाद दोनो ने साथ मे खाना खाया.अब मेनका काले रंग का ड्रेसिंग गाउन पहने थी & राजा साहब कुर्ते-पाजामे मे थे.

"हम यहा लाउंज मे सो जाएँगे,आप बेड पर सो जाइए.",राजा साहब ने अपनी बहू को कहा.

"जी नही,पलंग बहुत बड़ा है.एक तरफ आप सो जाइए,मैं दूसरी तरफ सो जाऊंगी."

"पर.."

"पर-वॉर कुच्छ नही.चलिए सो जाइए.दिन भर ज़रा भी आराम नही किया है आपने & यहा लाउंज मे तो आपको बड़ी अच्छी नींद आएगी!.",मेनका बाँह पकड़ कर अपने ससुर को ले गयी & पलंग पर बिठा दिया.,"चलिए,लेट जाइए.",& उनके लेट ते ही उपर से चादर ओढ़ा दी.फिर फ्रिड्ज से 1 बॉटल निकाली & ग्लास के साथ उसे राजा साहब के तरफ की साइड टेबल पर रख दिया.,"गुड नाइट."

"गुड नाइट.",राजा साहब ने अपनी आँखे बंद कर ली.मेनका बाथरूम चली गयी थी.आँखें तो बंद कर ली पर राजा साहब की आँखों मे नींद थी कहा.उन्हे कल रात का वाक़या याद आया जिसके बाद उन्होने अपनी बहू को सोच कर मूठ मारी थी.उन्हे अपने उपर आश्चर्य हो रहा था.जब से उनका बेटा मरा था,सेक्स की ओर उनका ध्यान कभी नही गया था...& वो शहर की रखाइलों वाला किस्सा तो उन्होने यूधवीर के विदेश से पढ़ कर लौटने से पहले ही ख़तम कर दिया था.पर इस लड़की ने उनमे फिर वो भूख जगा दी थी.

तभी मेनका बाथरूम से बाहर आई & ड्रेसिंग टेबल के सामने चली गयी,राजा साहब की ओर उसकी पीठ थी & वो उसे देख रहे थे.मनका ने सॅश खोल कर गाउन उतार दिया,नीचे काले रंग की नाइटी थी.

"..उफ़फ्फ़...काले लिबास मे तो इसका गोरा रंग & निखर रहा है..",मेनका ने अपने बाल सवार,बत्ती बुझाई & आकर पलंग पर लेट कर अपने उपर चादर डाल दी.

कमरे मे अंधेरा हो गया & बिल्कुल सन्नाटा च्छा गया.दोनो एक दूसरे की तरफ पीठ कर करवट से लेते हुए थे.बाहर सब शांत था पर दोनो के दिलों मे तूफान मचा हुआ था.राजा साहब का लंड पाजामे मे हरकते कर रहा था & बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे काबू मे किया था.मेनका की भी हालत बुरी थी,उसे तो ये हल्की-फुल्की नाइटी भी बहुत ज़्यादा तंग लग रही थी,वो चाह रही थी कि इसे भी उतार दे...उसकी चूत मे खुजली सी होने लगी थी..

पर किसी तरह दोनो ने अपने दिलों को काबू मे रखा & सोने की कोशिश करने लगे.बहुत सवेरे से जागे होने के कारण & दिन भर की थकान ने असर दिखाया & थोड़ी देर बाद दोनो नींद की गोद मे थे.

क्रमशः.....
 
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मस्त मेनका पार्ट..4


गतान्क से आगे................

रात अचानक राजा साहब को गर्मी महसूस हुई तो वो उठ बैठे,अपने बदन से चादर हटा दी & साइड टेबल पे रखा लॅंप ऑन कर दिया.फिर अपना कुर्ता उतार कर किनारे रख दिया & टेबल से बॉटल उठा कर पानी पीने लगे.घड़ी मे देखा तो 1 बज रहा था.उन्हे मेनका का ध्यान आया तो घूम कर उसकी ओर देखा.वो उनकी तरफ ही करवट कर लेटी हुई थी.

अपनी बहू को देखते ही राजा साहब के होठ फिर सूख गये,नाइटी के गले से मेनका की चूचियो का काफ़ी हिस्सा नज़र आ रहा था,बाहों के दबाव के कारण चूचियो का कटाव & बड़ा हो कर उभर रहा था.नींद मे चादर भी उसके शरीर से हट गयी थी & नाइटी उठ कर घुटनो के उपर तक आ गयी थी.उसकी गोरी टांगे & जांघों का थोड़ा सा हिस्सा लॅंप की रोशनी मे चमक रहे थे.राजा साहब का लंड पाजामे मे सुगबुगाने लगा.उनकी नज़रे मेनका के जिस्म से हट ही नही रही थी.उनकी आँखों ने उसके पैरों से उसका मुआयना करना शुरू किया और जैसे ही उसके चेहरे तक पहुँची तो उनके माथे पर सलवटें पड़ गयी.मेनका नींद मे थी पर कुच्छ बुदबुदा रही थी,चेहरे पर घबराहट भी झलक रही थी...

चारों तरफ घुप अंधेरा था & मेनका उस वीराने मे अकेली पूरी नंगी भाग रही थी.वो दैत्याकार आदमी काला लिबास पहने था & चेहरे पर भी काला मुखौटा था.वो हाथों मे तलवार ले उसका पीचछा कर रहा था.मेनका बदहवास सी बहुत तेज़ी से दौड़ रही थी पर तब भी उस हैवान को पीछे नही छ्चोड़ पा रही थी.तभी उसका पैर कही फँसता है & वो गिर जाती है.वो काला इंसान उसके पास पहुँच कर तलवार उठाता है,मेनका ज़ोर से चिल्लती है,"बचाओ!बचाओ!..."

"..दुल्हन..दुल्हन..आँखे खोलो...",कही दूर से उसके कानो मे आवाज़ आती है.वो अपनी आँखे खोलती है & वो इंसान जिसे वो ज़रूरत के वक़्त हमेशा अपने पास पाती है-उसका ससुर, उसे अपने उपर झुका पाती है,"..आ गये आप."

राजा साहब मेनका के उपर झुके हुए उसे जगाने की कोशिश कर रहे थे.मेनका ने उचक कर उनके गले मे बाँहें डाल दी & उनसे चिपक गयी,"मेरे पास रहिए.प्लीज़,मुझे छ्चोड़ कर मत जाइए."

राजा साहब संभाल नही पाए & उसे पकड़ते हुए उसके उपर गिर गये.मेनका उनके गले से लगी हुई थी & उनका नंगा सीना मेनका की छातियो पे दबा हुआ था.राजा साहब का चेहरा उसके बालों मे था & उसकी खुश्बू उन्हे मदहोश कर रही थी,मेनका को भी बहुत भला लग रहा था.जिस इंसान के सपने वो देखने लगी थी,आज वो उसकी बाहों मे था.उसने अपना गाल हौले से राजा साहब के गाल पे रगड़ा.उसकी इस हरकत से राजा साहब & नशे मे आ गये& उसे वैसे ही थामे हुए अपना सर उठा कर मेनका को देखा.

मेनका की नशीली आँखें & अधखुले होठ उन्हे बुलावा दे रहे थे जिसे उन्होने खुशी के साथ कबूल किया & अपने होठ उसके तपते होठों पे रख दिए & अपनी बहू को चूमने लगे.मेनका भी उनकी किस का जवाब देने लगी & दोनो काफ़ी देर तक एक-दूसरे के होठों का मज़ा उठाते रहे.फिर राजा साहब ने धीरे से अपनी जीभ मेनका के मुँह मे डाल दी,वो तो जैसे इसी इंतेज़ार मे थी & उसने भी अपनी जीभ उनकी जीभ से टकरा दी.अब दोनो पूरे जोश के साथ एक-दूसरे को चूमने लगे.राजा साहब का लंड पाजामे मे पूरा तन चुका था & नीचे मेनका उसे अपनी कमर की साइड मे महसूस कर रही थी,उसकी चूत भी गीली हो गयी थी.दोनो की टाँगें भी नीचे मिल रही थी & राजा साहब अपने पैर से उसके पैरों को सहला रहे थे.

राजा साहब ने अपनी बहू के होठों को छ्चोड़ दिया & उसके गाल चूमते हुए उसकी लंबी गर्दन पर आ गये.वाहा से उनके होठ मेनका के क्लीवेज पर पहुँच गये & राजा साहब ने उस पर किस्सस की झड़ी लगा दी.अपना हाथ पीछे ले जाते हुए उन्होने मेनका की नाइटी का ज़िप खोला & उसे उसके कंधों से नीचे सरकाते हुए उसके सीने से हटा दिया.काले रंग के स्ट्रेप्लेस्स ब्रा मे कसा उसका सीना उसकी तेज़ साँसों के साथ उपर-नीचे हो रहा था.छातियो का उपरी हिस्सा खुला था & निपल्स & नीचे का हिस्सा ब्रा ने छुपा रखा था.राजा साहब ने उसकी चूचियों के उस खुले उपरी हिस्से को चूमना शुरू कर दिया.

"एयेए...आहह..!",मेनका कराही,उसका बदन एक कमान की तरह उपर उठ गया,उसके हाथ अपने ससुर के सर को कस के पकड़े हुए थे.राजा साहब अब उसी जगह पर चूसने लगे थे,मेनका की हालत बुरी हो गयी,चूत तो पहले से ही गीली थी & राजा साहब की इस हरकत ने उसे & पागल कर दिया.राजा साहब वैसे ही चूस्ते रहे & मेनका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.वो झाड़ गयी थी & अभी तक उसके ससुर ने उसकी चूत को तो च्छुआ तक नही था.राजा साहब ने उसकी नाइटी को ओर नीचे सरका कर कमर तक कर दिया.

अब वो उसके पेट को चूम रहे थे,मेनका वैसे ही उनके सर पर हाथ रखे हुए थी.चूमते-2 वो उसके सपाट पेट के बीचो-बीच गोल,गहरी नाभि तक पहुँच गये & अपनी जीभ उसमे फिराने लगे.मेनका फिर से मज़े मे कसमसने लगी.उसके ससुर अपनी जीभ से उसकी नाभि ऐसे चाट रहे थे जैसे वो उसकी चूत हो.यह ख़याल आते ही वो फिर गरम होने लगी.राजा साहब की जीभ उसकी नाभि से निकल कर नाभि & पॅंटी के बीच के हिस्से पर थी & तभी राजा साहब ने पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत पर चुंबन ठोक दिया.मेनका ने लाज के मारे करवट ले अपने चेहरे को हाथों मे छुपा लिया.

अब राजा साहब के सामने उसकी पीठ थी.वो थोड़ी देर तक उसकी पतली कमर & चौड़ी गांद को निहारते रहे.फिर उन्होने अपना दाया हाथ उसकी कमर पर रख दिया & पीछे से उस से चिपक गये.उनका पाजामे मे क़ैद लंड मेनका की गांद से सटा था & उनका सीना मेनका की पीठ से.उनका हाथ उसकी कमर से फिसलता हुआ उसके पेट पे पहुँचा & उस हाथ की 1 उंगली उसकी नाभि को कुरेदने लगी.मेनका अपनी गांद पे राजा साहब के लंड को महसूस कर रही थी & उसने अपनी गांद पीछे कर के उस दबाव का जवाब दिया.राजा साहब उसकी गर्दन चूम रहे थे & उनका हाथ अब नाभि छ्चोड़ मेनका की ब्रा मे कसी चूचियों को दबा रहा था.मेनका ने अपना दया हाथ पीछे ले जाकर अपने ससुर के सर को पकड़ लिया.तब राजा साहब ने अपना हाथ उसके सीने से हटा लिया & उसमे उसके प्यारे चेहरे को भर कर अपनी तरफ घुमाया & उसे चूमने लगे .काफ़ी देर तक वो ऐसे ही अपनी बहू के होठों का रास्पान करते रहे & नीचे से अपना लंड उसकी गांद पे रगड़ते रहे .

राजा साहब ने उसके होठों को आज़ाद किया & उसे पेट के बल लिटा दिया & उसकी पीठ के 1-1 हिस्से को चूमने लगे.अपने दातों से उन्होने उसके ब्रा के हुक को खोल दिया & चूमते हुए नीचे उसकी गांद तक पहुँच गये.फिर उन्होने उसकी कमर पकड़ कर उसे घुमा कर सीधा पीठ के बल लिटा दिया.मेनका का खुला ब्रा उसके सीने पर अब भी पड़ा था,राजा साहब ने उसे किनारे फेंक दिया.मेनका की दूधिया रंग की बड़ी-2 सुडोल चूचिया & उन पर बने हल्के गुलाबी निपल्स अब उनके सामने थे.मेनका की आँखें शर्म के मारे बंद थी & साँसें और तेज़ हो गयी थी,जिसके कारण उसके उरोज़ उपर-नीचे हो रहे थे & राजा साहब को पागल किए दे रहे थे.

राजा साहब अपनी बहू की चूचियों पर टूट पड़े.वो कभी अपने हाथों से उन्हे दबाते ,मसलते तो कभी अपने होठों से चूमते & चूस्ते.उनकी इन हरकतों ने मेनका के सीने को लव बाइट्स से भर दिया.मेनका ने भी उन्हे अपनी बाहों मे कस लिया & उचक कर मानो अपना सीना उनके मुँह मे और घुसाने की कोशिश करने लगी.जब राजा साहब का मुँह उसके सीने से हट ता तो उनकी उंगलियाँ उसके निपल्स को मसालने लगती जो कि अब पूरे कड़े हो गये थे.मेनका अब बहुत गरम हो गयी थी & अपनी जांघें एक साथ रगड़ रही थी.उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी जब राजा साहब ने उसकी 1 चूची को अपने हाथ मे भरा & दूसरी को अपने मुँह मे & इतनी ज़ोर से चूस्सा & दबाया कि वो दूसरी बार झाड़ गयी.उसके ससुर ने बिना उसकी चूत छुए उसे 2 बार झाड़वा दिया था.वो अब पस्त हो गयी थी.उसने अद्खुलि आँखों से प्यार से अपनी ससुर को देखा.

राजा साहब उसके सीने को छ्चोड़ अपने घुटनो पर उसकी साइड मे बैठ गये.अपने दोनो हाथ की इंडेक्स फिंगर्स को उसकी सीने के बगलों से बहुत हल्के-2 फिराते हुए उसकी कमर तक ले आए & उन्हे उसकी पॅंटी के वेयैस्टबंड मे फँसा दिया & फिर हौले से उसे उसकी जांघों से सरकाने लगे.मेनका ने शर्म से आँखें बंद कर ली.अब वो अपने ससुर के सामने पूरी नंगी होने वाली थी.उसकी धड़कने तेज़ हो गयी.उसने महसूस किया कि पॅंटी उसकी गांद के नीचे फँस सी रही है तो उसने धीरे से अपनी कमर उठा दी & राजा साहब ने पॅंटी उसके जिस्म से अलग कर दी.

राजा साहब मेनका की खूबसूरती निहार रहे थे.मूठ मारते वक़्त जैसी कल्पना की थी मेनका उस से भी कहीं ज़्यादा खूबसूरत थी & उसकी छ्होटी सी,गुलाबी,बिना बालों की चूत कितनी प्यारी लग रही थी.उन्होने उसके पैर को उठा कर अपने होठों से लगा लिया & चूमते हुए उसकी जाँघ तक पहुँच गये.मेनका कसमसा रही थी.अब उसे बर्दाश्त नही हो रहा था.वो चाहती थी कि बस अब वो उसकी चूत को अपने मुँह से जी भर कर प्यार करे.
 
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राजा साहब ने उसकी दोनो जांघों को जम कर चूमा & चूसा & उसकी चूचियो की तरह भी यहा भी लव नाइट्स के रूप मे अपने होठों के दस्तख़त छ्चोड़ दिए.मेनका की चूत बस गीली हुए चली जा रही थी.राजा साहब उसकी जांघों को फैला कर उनके बीच लेट गये & अपना मुँह उसकी चूत के आस-पास 1 दायरे मे फिराने लगे.धीरे-2 वो दायरा छ्होटा होने लगा & उनके होठ पहली बार उसकी चूत से जा लगे.मेनका ने अपनी टांगे उनके कंधे पर रख दी थी.अब वो नीचे से अपनी कमर उचकाने लगी.राजा साहब ने अपनी जीभ उसकी चूत की दरार पे फिराई & धीरे से उसे अंदर सरका दिया.

"उउंम....उन्न्ञनह.!,"मेनका पागल हो गयी & अपनी कमर & उचकाने लगी अपने हाथों से अपने ससुर के सर को अपनी जांघों मे भींचने लगी.राजा साहब अब पूरे जोश से उसकी चूत चाटने लगे & उसके दाने पे अपनी जीभ फिराने लगे.ऐसा करते ही मेनका फिर झाड़ गयी पर राजा साहब ने चाटना नही छ्चोड़ा.मेनका की तो हालत अब बिल्कुल ही खराब हो गयी थी. राजा साहब ने उसकी चूत के थोडा अंदर उसके जी स्पॉट को खोज लिया था & वही कभी जीभ से तो कभी उंगली से उसे रगड़ रहे थे.मेनका की चूत तो पानी छ्चोड़ती ही जा रही थी & उसे होश भी नही था कि अब तक वो कितनी बार झाड़ गयी थी.आखरी बार झड़ने के बाद उसने देखा कि राजा साहब उसकी टाँगों के बीच खड़े अपना पाजामा उतार रहे हैं.जैसे ही वो नंगे हुए उसकी आँखें जो अभी तक अधखुली थी आश्चर्य से फैल गयी.

राजा साहब का 7 1/2इंच लंबा & काफ़ी मोटा लंड उसके सामने था.राजा साहब घुटनो के बल उसकी टाँगों के बीच बैठे थे.मेनका सोचने लगी कि वो कैसे इतने बड़े लंड को अपने अंदर लेगी.राजा साहब ने उसकी टाँगें फैला कर उसके घुटनो को मोड़ दिया & अपना लंड उसकी चूत की दरार पर फिराया तो मेनका ने अपना निचला होठ अपने दातों तले दबा लिया.

राजा साहब के लंड का मट्ठा बहुत मोटा था & अब वो उसे हल्के से उसकी चूत मे घुसा रहे थे.दर्द से मेनका की आँखें बंद हो गयी,"आ..हह.",पर राजा साहब ने बड़ी कोमलता से अपने मत्थे को उसके अंदर घुसा दिया.धीरे-2 करके 4 1/2 इंच लंड अंदर चला गया & वो वैसे ही घुटनो पर बैठे उतने लंड को अंदर बाहर करने लगे,अब मेनका का भी दर्द कम हो गया & उसे मज़ा आने लगा.वो अपने ससुर को देखने लगी & दोनो हाथ बढ़ा कर उनकी कलाईयों को पकड़ लिया.राजा साहब ने हल्के धक्कों के साथ अब अपना लंड और अंदर डालना शुरू किया.

मेनका आज तक केवल अपने पति से चूड़ी थी & इस से ज़्यादा अंदर उसका लंड कभी गया नही था.उसे फिर दर्द होने लगा.राजा साहब उसके उपर लेट गये & उसे चूमने लगे & बहुत धीमे-2 धक्कों के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत मे डाल दिया.थोड़ी देर वो स्थिर रहे & बस कभी उसके होठों तो काफ़ी चूचियो को चूमते रहे.मेनका का दर्द जब ख़तम हो गया तो वो नीचे से हल्के से अपनी कमर हिलाने लगी.

राजा साहब ने अपने बहू के इशारे को समझा & अपनी बाहों पे अपने वजन को लेते हुए उसके बदन से उठ गये.उसकी आँखों मे झाँकते हुए अपना पूरा लंड उन्होने ने बाहर खीच लिया & फिर 1 झटके मे अंदर पेल दिया.

"आ...ईईयईए.",मेनका चिल्लाई & अपने ससुर को अपने उपर खींच उनसे लिपट गयी & अपनी टांगे भी उनकी कमर के गिर्द लपेट दी.अब राजा साहब ने धक्के लगा कर उसकी चुदाई शुरू कर दी.मेनका को बहुत मज़ा आ रहा था.उसे बहुत खुशी हो रही थी कि उसने अपने ससुर का इतना बड़ा लंड अपने अंदर ले लिया था.वो उन्हे चूमने लगी.उसकी चूत आज पूरी भरी थी,राजा साहब का लंड उसकी चूत की आनच्छुई गहराइयों को माप रहा था & ये एहसास उसे और भी पागल किए दे रहा था.उसने अपनी कमर नीचे से हिलाना शुरू कर दिया,राजा साहब ने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी.तभी मेनका उचक कर उनको पागलों की तरह चूमने लगी,उसकी कमर भी तेज़ी से हिलने लगी & वो फिर झाड़ गयी पर राजा साहब अभी भी लगे हुए थे.

मेनका की कसी चूत उनके लंड को पूरा लपेटे हुए थी.अपने पूरे जीवन मे उन्होने ऐसी टाइट चूत नही चोदि थी.उनकी पत्नी की कुँवारी चूत भी ऐसी ना थी.

कमरे मे मेनका की आहो & राजा साहब की साँसों का शोर था.मेनका फिर से गरम हो रही थी.इस लंड ने तो उसे पागल कर दिया था.लगता था जैसे उसकी चूत से होता हुआ सीधे उसकी कोख पे धक्के मार रहा है.उसने फिर अपनी कमर नीचे से हिलाना शुरू कर दिया.अपने ससुर के बदन को उसने अपनी बाहों & टाँगों मे क़ैद कर रखा था.वो अब बहुत तेज़ धक्के लगा रहे थे.उसने जोश मे अपने नाख़ून उनकी पीठ मे गाड़ा दिए,उसकी चूत फिर से पानी छ्चोड़ने वाली थी.नीचे से अपनी कमर और तेज़ी से हिलाते हुए,पलंग से उठ कर वो अपने ससुर के होठों को चूमने लगी...बस वो झड़ने ही वाली थी...राजा साहब को भी अब अपने उपर काबू रखना मुश्किल हो रहा था & वो भी अपनी बहू के चुंबन का जवाब देते हुए & तेज़ी से धक्के लगाने लगे.तभी मेनका का मज़ा चरम सीमा पर पहुँच गया & वो अपने ससुर से चिपक सी गयी,उसके नाख़ून उनकी पीठ मे और धँस गये & उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.तभी उसने महसूस किया कि उसके ससुर ने उसके होठों को अपने होठों मे बुरी तरह कस लिया है & उनका बदन भी झटके खाने लगा & उसे अपनी छूट मे कुच्छ गरम सा महसूस किया...उसके झड़ने के साथ ही उसके ससुर भी झाड़ गये थे & उसकी चूत को अपने वीर्या से लबालब भर दिया था.

थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े अपनी साँस संभालते रहे.फिर राजा साहब उसके उपर से, धीरे से अपना लंड उसकी चूत मे से खीचते हुए उठ गये & बाथरूम चले गये.लंड निकलते ही मेनका को 1 ख़ालीपन का एहसास हुआ.

पर आज वो बहुत खुश थी.चुदाई मे इतना मज़ा मिलता है,उसने तो सपने मे भी नही सोचा था.जितनी बार वो आज झड़ी थी उतनी बार तो वो अपनी पूरी शादीशुदा ज़िंदगी मे भी नही झड़ी थी.विश्वा तो उसे बस मज़े के समुंदर के किनारे पे ला कर छ्चोड़ देता था,पर आज पहली बार अपने ससुर के साथ इस समुंदर की गहराई मे कई बार डूब कर उसने पूरा लुफ्त उठाया था.

वो वैसे ही नंगी पड़ी इन ख़यालों मे खोई थी कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला & राजा साहब बातरोब पहने बाहर आए.उसने मुस्कुरा कर उन्हे देखा पर वो उसे अनदेखा करते हुए लाउंज की ओर जाने लगे.

"सुनिए",वो उठने लगी पर राजा साहब नही रुके.वो दौड़ती हुई उनके सामने जा कर खड़ी हो गयी."क्या हुआ?कहाँ जा रहे हैं?"

"हमसे ग़लती हो गयी है.हमे जाने दीजिए."

"कैसी ग़लती?क्या कह रहे हैं आप?अभी जो भी हुआ उसमे आपके साथ-2 मेरी भी मर्ज़ी शामिल थी.फिर ग़लती कैसी?"

"समझने की कोशिश कीजिए!"

"क्या समझने की कोशिश करू?यही कि जितना मैं आपको प्यार करती हू उतना ही आप भी मुझ से करते हैं?"

"होश मे आइए.अभी जो हुआ वो नही होना चाहिए था."

"मैं पूरे होश मे हू बल्कि अब ही तो मैं होश मे आई हू.अभी जो हुआ उसमे वासना से कही ज़्यादा प्यार था.मैने आपकी आँखों मे मेरे लिए चाहत सॉफ देखी है.क्या ये सच नही हैं या मैं ग़लत हू...आप को भी बस मेरे बदन की भूख थी."

"आप जानती हैं कि हम आपको चाह-..."राजा साहब की अधूरी बात मे दर्द & गुस्सा था.

"तो फिर क्यू जा रहें है हमसे दूर?",मेनका ने उनके कंधों पे अपने हाथ दिए.

"आप...आप..हमारे बेटे की पत्नी हैं.समाज के भी कुच्छ नियम हैं.ये रिश्ता हम कैसे निभा सकते हैं?"

"समाज के नियम...पत्नी..हुन्ह!क्या है समाज के नियम!यही कि आग के चारो तरफ घूम के 7 फेरे ले,सिंदूर लगा कर किसी को भी अपनी पत्नी के शरीर को जब जी चाहे,जैसे चाहे रौंदने का मौका मिल जाता है !मैं नही मानती ऐसे नियम."

"आप समझ नही रही है."

"मैं सब समझ रही हू पर आप नही समझ रहे हैं.आपको समाज का डर है ना.मुझे भी राजकुल की मर्यादा का ख़याल है.आपको वचन देती हू कभी भी उस पर आँच नही आने दूँगी.कल को आपका बेटा ठीक होकर वापस आ जाएगा तो इस मर्यादा के लिए, समाज के लिए मैं उसकी ब्यहता बन जाऊंगी.पर राजा साहब,एक लड़की क्या चाहती है अपने पति से.बस प्यार,विश्वास & इज़्ज़त जोकि आपके बेटे ने मुझे कभी नही दिया.ये सब मुझे आपने दिया है & मैने तन & मन दोनो से आपको अपना पति मान लिया है.कल आपका बेटा वापस आएगा तो दुनिया के लिए मैं उसकी बीवी हूँगी पर मेरी आत्मा पर अगर किसी का अधिकार होगा तो वो बस आपका होगा.आज जो खुशी मैने पाई है वो पहले कभी किसी ने मुझे नही दी.प्लीज़...ये खुशी मुझ से मत छिनिये.चाहे थोड़े दीनो के लिए ही सही-ये...ये 1 सपना ही सही.. मुझे इस सपने मे अपने साथ जी लेने दीजिए...प्लीज़!",मेनका की आँखें छल्छला आई & गला भर गया.
 
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क्या ग़लत कह रही है?क्या हमे हक़ नही है खुश रहने का & इसने तो हमारे घर मे कदम रखने के बाद बस दुख ही झेले हैं...और उसके कुच्छ ज़िम्मेदार तो हम भी हैं....क्या हुमारा फ़र्ज़ नही बनता इसकी इच्छाओं का मान रखने का.",राजा साहब के मन मे सवाल उठ रहे थे.

मेनका उनसे अलग हो उनकी तरफ पीठ कर सूबक रही थी.राजा साहब ने उसे अपनी तरफ घुमाया & ठुड्डी पकड़ कर उसके झुके चेहरे को उपर किया,"हम भी आपको वचन देते हैं जब तक इस शरीर मे जान है तब तक आपकी हर खुशी का ख़याल रखेंगे & इन आँखों मे आज के बाद हुमारी वजह से आँसू नही आएँगे.",राजा साहब ने उसके चेहरे पर बनी आँसू की लकीरों को अपने होठों से मिटा दिया & उसे अपनी बाहों मे भर लिया.मेनका उनके सीने मे मुँह छुपा फिर सुबकने लगी मगर इस बार आँसू खुशी के थे.

थोड़ी देर बाद जब वो चुप हो गयी तो उसने अपने ससुर की आँखों मे झाँका & अपने लिए सिर्फ़ प्यार पाया,"आइ लव यू.",कह कर उसने उनके होठ हल्के से चूम लिए.फिर उनका बातरोब साष खोल कर उतार दिया & उन्हे बेड पे ले गयी.

राजा साहब लेट गये तो वो भी उनकी बगल मे लेट गयी.

राजा साहब पीठ के बल लेट गये & मेनका उनकी बगल मे करवट ले कर लेट गयी.दोनो के होठ 1 बार फिर जुड़ गये.राजा साहब की एक बाँह मेनका की कमर के गिर्द थी & उनका 1 हाथ उसकी कमर & गांद को सहला रहा था & दूसरा उसकी छातियो को.मेनका की उंगलियाँ उसके ससुर के सीने के बालों से खेल रही थी.काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे को ऐसे ही चूमते रहे.

फिर मेनका ने उनके होठों को छ्चोड़ उनके चेहरे को चूमना शुरू किया & चूमते हुए नीचे उनके सीने तक आ पहुँची.उसके होठ पहले तो हल्के से राजा साहब के काले निपल्स को छेड़ते रहे पर फिर अचानक उन्होने उन काले निपल्स को अपनी रेशमी गिरफ़्त मे भींच लिया.मेनका अपने ससुर के निपल्स चूसने लगी & वो अपने हाथ उसकी गांद & छाती से हटा उसके सर पर ले आए.उन्हे बहुत मज़ा आ रहा था.

मेनका उनके सीने को चूमते हुए उनके सीने के बालों का पीचछा करते हुए नीचे जाने लगी & उनके लंड तक पहुँच गयी.लंड फिर से पूरा तना हुआ था.मेनका उसे एक तक निहारने लगी.कुच्छ देर पहले राजा साहब ने इसी लंड के सहारे उसे जन्नत की सैर कराई थी.उसने एक हाथ बढ़ा कर उसे अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.राजा साहब उसे देख रहे थे.लंड इतना मोटा था कि उसका छ्होटा सा हाथ उसे पूरा नही घेर पा रहा था.

मेनका को अपने ससुर का लंड बहुत प्यारा लग रहा था.वो उसे अपने मुलायम हाथों से पकड़ धीरे-2 सहलाने लगी....उसका चेहरा धीरे-2 करके लंड की ओर झुकता जा रहा था.उसने और झुक कर लंड के टोपे को बहुत हल्के से चूम लिया.उसे खुद पर बहुत हैरानी हुई.उसका पति यही चाहता था पर उसे इतनी घिन आती थी,सोचने भर से ही उसे उबकाई आती थी....वो अपने पति से उलझ भी पड़ी थी & सॉफ इनकार कर दिया था उसके लंड को अपने मुँह मे लेने से.

पर उसे आज कोई घिन महसूस नही हो रही थी बल्कि आज तो उसे ये सबसे नॅचुरल बात लग रही थी.जिस इंसान ने उसे प्यार, इतना सुख दिया था,उसके लंड को प्यार करना तो एक स्वावाभिक बात थी & फिर ये लंड कितना प्यारा लग रहा था..इतना बड़ा..इतना मोटा...अफ....यही सब सोचते हुए उसने लंड को इस बार थोड़ा & ज़ोर से चूम लिया.राजा साहब की आँखें नशे से बंद हो गयी & उनकी पकड़ अपनी बहू के सर पर & मज़बूत हो गयी.उनकी पत्नी ने ये कभी नही किया था & जिन रंडियों के पास जाते थे,वो तो पैसे के लिए कुच्छ भी कर सकती थी.ये पहली बार था जब किसी औरत ने अपनी मर्ज़ी से उनके लंड पे मुँह लगाया था.

मेनका ने अपने ससुर की टांगे फैलाई & उनके बीच अपने घुटनो पे बैठ गयी,अपने हाथों मे लंड को पकड़ा & होठ उस पर कस दिए.राजा साहब ने आँखे खोली & सामने का नज़ारा देख कर & गरम हो गये.मेनका का काले बालों से घिरा चेहरा उनके लंड पर झुका था,उसने नज़रे उठाई तो उसके गुलाबी होठों मे लिपटा उनका लंड उन्हे दिखा.घुटने पे झुके होने की वजह से उसकी चौड़ी गांद हवा मे उठ गयी थी.राजा साहब उसके बालों मे उंगलिया फिराते रहे &जोश से पागल होते रहे.

मेनका ने उनकेसुपादे को कस कर चूस लिया तो राजा साहब की आह निकल गयी.अब वो पूरे जोश के साथ उनका लंड चूसने लगी.वो उनका पूरा का पूरा लंड निगल जाना चाहती थी पर वो उसके छ्होटे से मुँह मे आ नही रहा था.मेनका ने उसे मुँह से निकाला & उसे चूमने लगी.सूपदे के उपर लंड के छेद से चूमती वो लंड की जड़ तक पहुँच गयी.राजा साहब की झाँते भी उसके होठ छ्छू रही थी.उसने उनके अंडों को हाथ मे ले कर दबाया तो राजा साहब ने जोश मे अपनी कमर उचका दी.

मेनका ने पहले 1 & फिर दूसरे अंडे को अपने मुँह मे ले कर चूस लिया.राजा साहब तो पागल हो गये.उन्होने अपनी बहू का सर पकड़ अपने लंड पर दबा दिया.मेनका ने उनके आंडो को छ्चोड़ अबकी लंड की जड़ से चूमना शुरू किया & सूपदे तक पहुँच गयी.इसी तरह चूम कर & चूस कर राजा साहब को पागल कर दिया.वो बेचैनी से अपनी कमर हिला रहे थे.मेनका समझ गयी कि अब उसके ससुर को अपने उपर काबू रखना मुश्किल हो रहा है.उसने अपने मुलायम हाथों से नीचे से लंड को पकड़ा& हिलाने लगी.हिलाते हुए उसने अपने होठ लंड के उपर लगा दिया & चूसने लगी.

राजा साहब इस दो तरफे हमले से पागल हो गये.उनके आंडो से एक सैलाब चल कर उनके लंड से बाहर निकलने को बेताब होने लगा,उन्होने मेनका के सर को पकड़ अपने लंड पर & दबा दिया,"..हम...झड़ने वाले हैं...",उन्हे लग रहा था कि पता नही मेनका उनका पानी अपने मुँह मे लेना चाहे या नही.वो सोच रहे थे कि अब वो अपना मुँह हटा अपने हाथों से उन्हे झाड़वा देगी.

पर उनकी आशा के विपरीत मेनका ने अपने होठों की पकड़ & मज़बूत कर दी & और तेज़ी से उनके लंड को चूसने & हिलाने लगी.राजा साहब के सब्र का बाँध टूट गया,उनका शरीर झटके खाने लगा & नीचे से कमर हिला कर उन्होने अपनी बहू के मुँह को अपने पानी से भर दिया.मेनका उनका सारा वीर्या पीने लगी.उसने चूस-2 कर उनके लंड से विर्य की 1-1 बूँद निचोड़ ली.

राजा साहब झाड़ कर हान्फ्ते हुए लेट गये.उनका लंड सिकुड रहा था & मेनका उसे चाट कर सॉफ करने लगी.मेनका बहुत हैरान थी,उसने सपने मे भी नही सोचा था कि कभी वो ऐसे किसी लंड को मुँह मे लेगी & उसका पानी भी पी जाएगी....&वो भी अपने ससुर का.ऐसा सोचते ही उसे थोड़ी शर्म भी आ गयी.उसने लंड को अपने मुँह से अलग किया & धीमे से नज़रे उठा कर अपने ससुर से मिलाई.

राजा साहब को ऐसा मज़ा कभी भी महसूस नही हुआ था.उन्होने मेनका को अपनी ओर देखता पाया & हाथ बढ़ा कर उसे खीच कर अपने उपर लिटा लिया,फिर करवट ले उसे अपनी बगल मे किया & बाहों मे भींच कर उसके चेहरे पर चुम्मों की झड़ी लगा दी.फिर उसके चेहरे को अपने हाथों मे लिया & उसकी काली,बड़ी-2 आँखों मे झँकते हुए उनके होठों से निकला,"आइ लव यू...मेनका."

शर्म & खुशी की लाली मेनका के चेहरे पर छा गयी & उसने अपने ससुर के सीने मे मुँह छुपा लिया.थोड़ी ही देर मे दोनो नींद के आगोश मे चले गये.


मेनका की आँख खुली तो उसने पाया कि वो करवट से लेटी हुई है & उसके ससुर भी वैसे ही लेते हैं.उनके होठ उसकी एक चूची से चिपके हुए थे & दूसरी को अपने हाथ से मसल रहा था.उसने खिड़की की ओर देखा तो पर्दे के पीछे अभी भी अंधेरे का एहसास हुआ.तभी राजा साहब ने उसके निपल को ज़ोर से चूस लिया,"ऊओ...ओवववव.",मेनका ने आह भरी & राजा साहब को उपर लेती हुई पीठ के बल लेट गयी.राजा साहब के लिया बस इतना इशारा काफ़ी था,उन्होने मेनका की टांगे अपने घुटनो से फैलाई & अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.

"आ...आह.",मेनका को फिर अपनी चूत मे वो मीठा दर्द महसूस हुआ.उसने अपने ससुर को अपनी बाहों & टाँगो मे भीच लिया & उसकी कमर खुद बा खुद हिलने लगी.राजा साहब उसकी चूचियो को छ्चोड़,उसके होठों पर झुक गये & एक बार फिर अपनी बहू की चुदाई मे जुट गये.
सवेरे मेनका की नींद खुली तो उसने पाया कि वो बिस्तर पे अकेली नगी पड़ी हुई है,राजा साहब वाहा नही थे.उसने घड़ी देखी तो 8 बज रहे थे.वो जल्दी से उठी,11 बजे डील साइनिंग के लिए पहुँचना था.वो बिस्तर से उतरने लगी तो उसका ध्यान अपनी चूचियो & जांघों पर गया.राजा साहब ने दोनो जगहों पर अपने होठों के निशान छ्चोड़ दिए थे.वो शर्मा गयी पर उसकी नज़रे राजा साहब को ढूँढने लगी.

बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी.वो वैसे ही नंगी उस तरफ चल पड़ी,हाथ लगाया तो पाया कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला था.उसे धकेल कर वो अंदर दाखिल हुई तो देखा कि राजा साहब शेव कर रहें हैं,उनकी कमर के गिर्द 1 तौलिए के अलावा & कोई कपड़ा नही था.उन्होने घूम कर मेनका की तरफ देखा & मुस्कुरा दिए.

मेनका उनकी तरफ बढ़ने लगी.उसके ससुर की नज़रे उसके जिस्म के 1-1 अंग का मुआयना कर रही थी.उसके गाल शर्म से लाल हो गये,"ऐसे क्या देख रहे हैं?",वो उनके सामने खड़ी हो गयी.

"देख रहें हैं कि आपको धरती पर भेज कर भगवान आज कितना पछ्ता रहा होगा."

"धात!कैसी बातें करते हैं."

राजा साहब ने हल्के से उसके होठों को चूम लिया.तभी नीचे उसके पेट पे कुच्छ चुबा तो उसने देखा कि राजा साहब के तौलिए के अंदर उनका लंड खड़ा हो गया था & उसे छेड़ रहा था.मेनका ने हाथ बढ़ा कर तौलिए को राजा साहब के बदन से अलग कर दिया.

फिर वो झुक कर बैठ गयी,लंड उसकी आँखों के सामने था.राजा साहब सोच रहे थे कि फिर वो उन्हे मुँह मे लेगी पर मेनका ने ऐसा कुच्छ ना किया,हाथ बढ़ा कर वॉशबेसिन के बगल मे रखे शेविंग फोम के कॅन को उठा लिया & उस से फोम निकाल कर राजा साहब के लंड & टट्टों के आस-पास के बालों पर लगा दिया.फिर उनके हाथ से उनका रेज़र लिया & बड़ी सावधानी से राजा साहब की सारी झाटों को सॉफ कर दिया.

राजा साहब की धड़कन तेज़ हो गयी थी.काम पूरा कर मेनका उठी & उनके गालों पे बची शेव पूरी करने लगी,"कल रात प्यार करते वक़्त आपके इन बालों हमे बहुत तंग किया.",उसने एक हाथ से उनके लंड के पास की जगह को छुते हुए कहा.राजा साहब तो जोश से पागल हो गये.

उन्होने उसके हाथों से रेज़र छ्चीन कर फेंक दिया & उसे उठा कर वॉशबेसिन के बगल मे बने पलटफ़ॉर्म पे बिठा दिया,उसके घुटने मोड़ उसकी टाँगो को चौड़ा किया & अपना लंड उसकी चूत मे डाल दिया,"आ...अहह..."मेनका उनके सीने से लग गयी & दोनो फिर चुदाई का मज़ा उठाने लगे.वॉशबेसिन के उपर बने शीशे मे मेनका की नंगी पीठ की परच्छाई देख कर राजा साहब & गरम हो गये,उन्होने अपने हाथों मे उसकी चूचियाँ भींच ली.मेनका दर्द से तड़प कर उनसे चिपक गयी,"औ...च!",अपने नाख़ून उनकी पीठ मे गाड़ा दिए & टांगे कमर पर कस दी.

राजा साहब ने हाथ चूचियो से हटा उसकी गांद की फांकों पर कस दिए & काफ़ी ज़ोर के झटके मारने लगे.इस पोज़िशन मे उनका लंड मेनका की चूत की दीवारों से ही नही रगड़ खा रहा था बल्कि उसकी चूत के दाने को भी रगड़ रहा था.मेनका भी अब अपनी कमर हिलाने लगी.वो सातवे आसमान मे पहुँच गयी थी.अपने ससुर की मर्दानगी की तो वो कायल हो गयी.कल रात ये शख्स 3 बार झाड़ा था पर अभी भी उसे ऐसे चोद रहा था जैसे पहली बार कर रहा हो.उसकी कमर और झटके खाने लगी & वो अपने ससुर से & चिपक गयी.....उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया था...वो झाड़ चुकी थी.राजा साहब को पता चल गया कि उनकी बहू झाड़ गयी है तो उन्होने भी 3-4 ज़ोर के धक्के मारे & 1 बार फिर से अपनी बहू की चूत मे अपना पानी छ्चोड़ दिया.

थोड़ी देर दोनो वैसे ही एक-दूसरे से लिपटे,एक दूसरे को चूमते सहलाते रहे.फिर राजा साहब ने उसकी चूत से अपना लंड खींचना शुरू किया तो मेनका ने सवालिया नज़रो से उन्हे देखा,"डील साइन करने भी तो जाना है",उन्होने अपना लंड बाहर निकाल लिया,"जल्दी तैय्यर हो जाइए",उसके होठों को चूमा & बाथरूम से बाहर चले गये.

मेनका थोड़ी देर तक वैसे ही बैठी रही,वो इस एहसास से बाहर ही नही आना चाहती थी.पर डील के लिए भी तो जाना था.वो उठी & नहाने की तैय्यारि करने लगी.
तो बताइए ये पार्ट आपको कैसा लगा मेरे ख्याल से तो मैने इस पार्ट मे आपका मनोरंजन करने की पूरी कोशिश की है
क्रमशः..................................
 
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मस्त मेनका पार्ट..5

गतान्क से आगे................

थोड़ी देर बाद राजा साहब & मेनका नाश्ते के लिए होटेल के रेस्टोरेंट की तरफ जा रहे थे.होटेल के शॉपिंग एरिया से गुज़रते हुए मेनका को एक ख़याल आया,"आप चलिए,हम अभी आते हैं."

"अरे,क्या बात हो गयी?पहले तो नाश्ता तो कर लें फिर शॉपिंग कर लेना."

"प्लीज़!आप चलिए ना.हम बस यूँ गये & यू आए."

"ओके.जैसी आपकी मर्ज़ी.",राजा साहब रेस्टोरेंट मे 1 टेबल पर बैठ गये & नाश्ते का ऑर्डर कर दिया.वो थोड़ी देर पहले होटेल सूयीट के कंप्यूटर पे पढ़े डॉक्टर.पुरन्दारे के ई-मैल के बारे मे सोचने लगे.उन्हे इस बात की तसल्ली थी कि विश्वा भी ठीक होना चाहता है पर शादी मे उसका विश्वास ना होने वाली बात से वो थोड़े चिंतित थे.वो मेनका को प्यार नही करता था,ये जान कर उनके मन के किसी कोने मे बहुत खुशी पैदा हुई थी पर वो जानते थे कि मेनका & उनका रिश्ता विश्वा के लौटने तक ही रह सकता है...."खैर,जब विश्वा आएगा तो देखेंगे..",उन्होने एक ठंडी आह भरी."अभी तक दुष्यंत ने भी कोई खबर नही दी है.",वो सोच रहे थे.

अब आप सोचेंगे कि ये दुष्यंत कौन है.दुष्यंत वर्मा उन गिने-चुने लोगों मे से है जो राजा साहब को उनके नाम से पुकार सकते हैं.दोनो बोरडिंग स्कूल & कॉलेज मे साथ पढ़े थे & पक्के दोस्त थे.दुष्यंत वेर्मा 1 सेक्यूरिटी &डीटेक्टिव एजेन्सी चलाते थे जिसके क्लाइंट्स हिन्दुस्तान की जानी-मानी हस्तियाँ थी.राजा साहब ने उनसे उस इंसान का पता लगाने को कहा था जो उनके बेटे को ड्रग्स सप्लाइ करता था.उनकी सख़्त हिदायत थी कि इस पूरी जाँच को सीक्रेट रखा जाए & दुष्यंत,उनके इस काम पे लगे स्टाफ & राजा साहब के अलावा किसी को भी इस बात की भनक ना लगने पाए.ऐसा वो इसलिए चाहते थे क्यूकी उन्हे पूरा यकीन था कि इसके पीछे जब्बार का हाथ है & इस बार वो उसे आखरी सबक सिखाना चाहते थे.

"अरे,क्ये सोच रहें है?खाते क्यू नही?",मेनका उनके सामने बैठी उनकी आँखों के आगे हाथ फिरा रही थी.वो अपने ख़यालों मे इतना खोए थे कि वो कब आई & वेटर कब खाना सर्व कर गया,उन्हे पता ही ना चला.

"कुच्छ खास नही,बस ऐसे ही.चलिए शुरू कीजिए.",दोनो नाश्ता करने लगे

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जहा राजा साहब अपने दुश्मन को सबक सिखाने के ख़यालों मे डूबे थे वही उनका दुश्मन भी उनकी बर्बादी के इरादे से शहर आ पहुँचा था.आइए चल कर देखते हैं कि वो क्या कर रहा है.

शहर के बाहरी हिस्से मे जहा रोज़ नये फ्लॅट्स बन रहे हैं,वही 1 अपार्टमेंट कॉंप्लेक्स है जो कि अभी तक पूरी तरह से बसा नही है,उस कॉंप्लेक्स का 1 फ्लॅट जब्बार का शहर का अड्डा है.उसका फ्लॅट ग्राउंड फ्लोर पर है & उस बिल्डिंग के बाकी फ्लोर्स अभी खाली पड़े हैं.अभी दोपहर के वक़्त भी यहा वीरानी च्छाई है.बस एक लंबा-चौड़ा शख्स चलता हुआ उस फ्लॅट की ओर आ रहा है.

आप उस इंसान के बगल से भी गुज़र जाएँ तो आप कुच्छ खास बात नही नोटीस कर पाएँगे पर जब मैं आपसे पुछुन्गा कि उसकी शक्ल कैसी थी तब आपका ध्यान जाएगा कि आप पास से गुज़रते हुए भी उसका चेहरा सॉफ-2 नही देख पाए थे.जी,हाँ ये कल्लन है.सर पर कॅप,आँखों पे काला चश्मा,बदन पे जॅकेट जिसका कॉलर उठा हुआ है ताकि कोई भी उसका हुलिया ना जान पाए.

देखिए वो कॉल बेल बजा रहा है.चलिए देखते हैं क्या होता है...

बेल सुन मलिका ने दरवाज़ा खोला,"ओह,तुम हो",एक कातिल मुस्कान उसने कल्लन की तरफ फेंकी.,"जब्बार तो बाहर गया है."

"मैं वेट करूँगा.",कल्लन ने अंदर आकर जॅकेट,चश्मा & कॅप उतार दिया था.उसके बाल फिर से बढ़ गये थे & चेहरे पर दाढ़ी भी वापस आ गयी थी.

"ड्रिंक लोगे?",मलिका अपनी गांद मतकाते हुए बार की तरफ बढ़ी,कल्लन की तरफ उसकी पीठ थी & वो जान बुझ कर अपनी गांद थोड़ी ज़्यादा लचका रही थी.उसने 1 टॉप पहना था जो कि उसकी छातियो के बड़े साइज़ के कारण बहुत कसा हुआ था & उसके निपल्स का आकर सॉफ दिख रहा था,नीचे 1 मिनी स्कर्ट थी & जब वो चल रही थी तो तो उसमे से उसकी नंगी गांद का थोड़ा सा हिस्सा झलक रहा था.

बिना उसके जवाब का इंतेज़ार किए,वो बार पर आके ड्रिंक तैय्यार करने लगी.तभी कल्लन ने उसे पीछे से अपने मज़बूत बाज़ुओं मे जाकड़ लिया & टॉप के उपर से ही उसकी छातिया मसल्ने लगा.

"औच्च!...आ .....ज़ालिम ज़रा आराम से...तो तुझमे भी आग है...मैने तो सोचा था कि तू तो बर्फ की तरह ठंडा है...एयेए...अहह.",कल्लन ने उसके गले मे काट लिया.अब उसके हाथ मलिका के टॉप के अंदर उसकी चूचियों & उन पर बने कड़े हो चुके निपल्स को मसल रहे थे.

मलिका ने 1 हाथ पीछे ले जाकर कल्लन के गले मे डाल दिया & अपना चेहरे घुमा कर उसे चूमने लगी,दूसरा हाथ उसने उस की पॅंट की ज़िप पर रख दिया."उफ़फ्फ़.....बहुत बड़ा लगता है तेरा...",उसके होठों को छ्चोड़ते हुए मलिका बोली & पॅंट की ज़िप खोल लंड को बाहर निकाल लिया.उसने सर नीचे कर देखा,सचमुच कल्लन का लंड बहुत बड़ा था.

बड़े लंड मालिका की कमज़ोरी थी.जब्बार का लंड बहुत मोटा था पर लंबाई कुच्छ खास नही थी.जब्बार की ख़ासियत थी उसका स्टॅमिना जो कि मलिका जैसी हर वक़्त गरम रहने वाली लड़की की प्यास बुझाने मे बहुत काम आता था.पर मलिका की नज़रों मे बड़े लड की बात ही कुच्छ और थी & वो कभी भी ऐसे लंडो को अपनी चूत मे लेने से नही चूकती थी.

उसने अपने हाथ से कल्लन के लंड को रगड़ना शुरू कर दिया,लंड देख ते ही उसकी चूत गीली हो गयी थी.कल्लन अब आपे से बाहर हो गया उसने मलिका के दाये घुटने को मोडते हुए उसकी जाँघ उठा कर बार पर रख दिया & वैसे ही खड़े-2 अपना लंड उसकी चिकनी चूत मे पेल दिया.

"आआ....ईिईययईईए!....फाड़ देगा क्या?....थोड़ा धीरे घुसा ना...ऊओवव्व!",उसकी बातें कल्लन को और दीवाना कर रही थी & उसने अपना पूरा लंड उसके अंदर घुसा दिया & धक्के मारने लगा."हा...अन्न....ऐसे ..ही....ज़ोर से....है....और...ज़ोर से कर...ना..!"

मलिका भी अपनी गांद हिला कर उसका पूरा साथ दे रही थी,उसकी एक बाँह कल्लन की गर्दन को घेरे थी & दूसरी बाँह पर उसके बदन को सहारा दे रही थी.कल्लन का एक हाथ उसकी चूचिया मसल रहा था & दूसरे की उंगलिया चूत के दाने को रगड़ रही थी,होठ कभी उसके चेहरे,कभी होठ चूचियों पे घूम रहे थे.बहुत ज़ोर की चुदाई चल रही थी...

"ट्र्न्न्न!",कॉल बेल चीख उठी तो दोनो चौंक गये & मलिका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.कल्लन की कमर ने भी 2-3 झटके खाए & उसका लंड मलिका की चूत मे झाड़ गया.

मलिक ने बार से 1 नॅपकिन उठाया & कल्लन से अलग हो गई.दरवाज़े तक जाते हुए उसने अपनी जांघों पर बह आए कल्लन के & अपने पानी को सॉफ कर लिया.दरवाज़े पर जब्बार था.

अंदर आया तो उसने देखा की कल्लन सोफे पर बैठा ड्रिंक कर रहा था.थोड़ी देर पहले मचे वासना के तूफान का नाम ओ निशान उसके चेहरे पर नही था.

"क्यू बुलाया था?",उसने जब्बार से पुचछा.

"1 छ्होटी-सी मछ्लि हाथ लगी है जिसके ज़रिए हम बड़ी मछ्लि तक पहुँच सकते हैं.",उसने मलिका के हाथ से ड्रिंक लेते हुए जवाब दिया.,"हमे बहुत शॉर्ट नोटीस पर भी काम करने को तैय्यार रहना होगा.आज से तुम यही रहो पर ध्यान रहे किसी को इस बात का पता नही चलना चाहिए कि तुम यहा हो.",जब्बार कह तो कल्लन से रहा था पर उसकी नज़रे मलिका पर थी जो कि बड़े सोफे पर लेट कर उनकी बातें सुन रही थी.

"अब क्या करना है?",कल्लन अपना खाली ग्लास फिर भरने के लिए उठा.

"उस छ्होटी मछ्लि को चारा डालना है.",जब्बार मलिका की तरफ देख कर कुटिलता से मुस्कुराया.

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डील साइन करने के बाद राजा साहब & मेनका वापस होटेल आए.थोड़ी देर बाद ही उन्हे राजपुरा के लिए रवाना होना था.इस बार राजा साहब ने प्लेन चार्टर नही किया था बल्कि एरलाइन फ्लाइट से जाने वाले थे.चेक आउट करते वक़्त मेनका फिर उन्हे रिसेप्षन पे छ्चोड़ शॉपिंग एरिया मे चली गयी.

"ऐसा क्या है शॉपिंग सेंटर मे जो बार-2 वाहा जा रही हो?",कार तेज़ी से एरपोर्ट की तरफ बढ़ रही थी.

"ये तो आपको घर चल कर ही पता चलेगा.",मेनका शरारत से मुस्कुराइ.राजा साहब का दिल क्या कि उसी वक़्त उसे बाहों मे भींच कर प्यार करने लगे पर आगे ड्राइवर बैठा था.बड़ी मुश्किल से अपने जज़्बातों को उन्होने काबू मे किया.

एरपोर्ट मे चेक-इन काउंटर की ओर जाते हुए मेडिसिन स्टोर की विंडो मे लगे कॉंडम का पोस्टर देख राजा साहब के दिमाग़ मे 1 ख़याल आया.,"अरे,कल रात हम से 1 गड़बड़ हो गयी?"

"क्या?"

"हम..-"

"नमस्कार,राजा साहब.",राजा साहब के जवाब देने के पहले 1 लग भाग 60 साल का काफ़ी अमीर दिखने वाला आदमी उनके सामने आ खड़ा हुआ.

"अरे,सपरू साहब!कैसे हैं आप?यहा कैसे आए?"

"बस आपकी दुआ है,राजा साहब.हुमारी बेटी यही ब्याही है उसी से मिलने आए थे,अब वापस देल्ही जा रहे हैं."

"इनसे मिलिए.ये कुँवारानी हैं?...और ये सपरू साहब हैं.हुमारी तरह काग़ज़ & चीनी के व्यापारी पर इनका कारोबार हमसे कहीं ज़्यादा बड़ा & फैला हुआ है."

मेनका ने उन्हे नमस्कार किया तो जवाब मे उन्होने भी हाथ जोड़ दिए.,"राजा साहब तो हमे शर्मिंदा कर रहे हैं.इनकी बातों पर मत जाइए.हम तो इनके सहभागी बन ने को बेताब थे पर तक़दीर ने हमारा साथ नही दिया."

"हाँ,सपरू साहब.इस बात का मलाल तो हमे भी रहेगा कि आप & हम बिज़्नेस पार्ट्नर्स नही बन पाए.अगर आपकी कंपनी का पैसा उस चाइनीस डील मे नही फँसता तो आज हमे इन विदेशियो से डील करने की कोई ज़रूरत नही पड़ती."

"सब उपरवाले की मर्ज़ी है,राजा साहब!पर क्या मालूम?हो सकता है आगे चल के वो हमारा रिश्ता और मज़बूती से जोड़ दे."

"बहुत खूब कही,सपरू साहब आपने."तभी अनाउन्स्मेंट हुई & दोनो 1 दूसरे से विदा ले अलग-2 दिशाओ मे चले गये.

प्लेन मे बैठे मेनका ने 1 मॅगज़ीन के पन्ने पलट ते हुए राजा साहब से पूचछा,"आप एरपोर्ट पे किस गड़बड़ का ज़िक्र कर रहे थे?"

राजा साहब थोड़े परेशान दिखे,"वो..हम...कल रात हमने...कोई..कोई प्रोटेक्षन इस्तेमाल नही किया & कही तुम प्रेग्नेंट..-"

"आप उस बात की चिंता मत कीजिए.आपने नही मैने किया था.",धीरे से हँसती हुई वो वापस मॅगज़ीन पढ़ने लगी.राजा साहब को तसल्ली हुई.
 
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मेनका शुक्र मना रही थी कि पति के जाने के बाद भी उसने कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स खाना नही छ्चोड़ा था नही तो जैसे उसके ससुर ने उसकी चूत को 3 बार भरा था,वो तो शर्तिया प्रेग्नेंट हो चुकी होती.

शहर के एरपोर्ट पे राजा साहब के स्टाफ मेंबर्ज़ उनकी अगुआई के लिए खड़े थे.शाम घिरने लगी थी & स्टाफ मेंबर्ज़ ने उनसे शहर मे उनके बुंगलोव पर रुकने को कहा.पर राजा साहब जल्द से जल्द राजपुरा पहुँचना चाहते थे सो उन्होने उनसे अपनी कार ली और मेनका के साथ राजपुरा की ओर चल पड़े.वैसे भी रास्ता बस 1-1 1/2 घंटे का ही था.

राजा साहब को ड्राइव करना बहुत पसंद था & बहुत मजबूरी मे ही अपने ड्राइवर को ड्राइव करने देते थे.आज तो उन्हे बहुत अच्छा लग रहा था,ड्राइव करते वक़्त उनके साथ उनकी प्रेमिका जो बैठी थी.

कार के शीशे गहरे काले रंग के थे & अंदर का नज़ारा कोई बाहर से देख नही सकता था.इसी बात का फयडा उठाते हुए जैसे ही कार शहर से निकल कर हाइवे पर आई मेनका खिसक कर राजा साहब से सॅट कर बैठ गयी.उन्होने ने भी अपनी बाईं बाँह के घेरे मे मेनका को समेट लिया.मेनका अपने ससुर के कंधे पे सर रख सामने देखने लगी.करीब 15-20 मिनिट तक दोनो ऐसे ही बैठे रहे.फिर मेनका को शरारत सूझने लगी.उसने राजा साहब के गाल पर चूम लिया तो राजा साहब ने भी 1 पल के लिए रास्ते से नज़र हटा कर उसकी किस का जवाब उसके गालों पर छ्चोड़ दिया.

मेनका ने अपने ससुर की शर्ट के उपर के 2 बटन खोल दिए & उसकी उंगलियाँ उनके सीने के बालों से खेलने लगी.उनके सीने को सहलाते हुए उसने अपने नाखूनों से राजा साहब के निपल्स को छेड़ना शुरू कर दिया.,"क्या कर रही हो?अगर हुमारा ध्यान इधर-उधर हुआ तो कही आक्सिडेंट ना हो जाए."

"यही तो आपका इम्तिहान है,राजा साहब.मैं तो ऐसे ही करती रहूंगी,आप बिना होश खोए कार चला कर दिखाएँ तो मानु."

"हमे चॅलेंज कर रही हो...ठीक है.जो मर्ज़ी कर लो,हम भी हार नही मानेंगे.अब तो कार महल पर ही रुकेगी."

जवाब मे मेनका ने थोड़ा झुक कर शर्ट के गले से झँकते उनके सीने पर चूम लिया.कार मे ऑटोमॅटिक ट्रॅन्समिशन होने की वजह से राजा साहब को गियर बदलने की ज़रूरत तो थी नही,उनका दाया हाथ स्टियरिंग को & बाया मेनका को संभाले हुए था.मेनका चूमते हुए नीचे उनकी गोद मे पहुँच गयी & उनकी पॅंट का ज़िप खोल दिया & हाथ घुसा कर अपने ससुर के लंड को बाहर निकल लिया.लंड पहले से ही तना हुआ था.मेनका ने उसे हाथ मे थमा & राजा साहब की ओर देख कर मुस्कुराइ.राजा साहब भी मुस्कुरा दिए & फिर अपनी नज़रे रोड पर जमा दी.

मेनका ने लंड को हिलाना शुरू कर दिया.उसे अपने हाथ मे इस लंड का एहसास बहुत अच्छा लगता था & इसको छुने भर से ही वो गरम होने लगे थी.राजा साहब ने अपने बाए हाथ को नीचे कर झुकाते हुए मेनका के घुटने पकड़ कर उसकी टाँगें सीट पर कर दी,फिर सीधे हो बैठ गये & उसकी सारी उठा कर उसकी कमर तक ले आए.इस सब के दौरान उन्होने कार को ज़रा भी नही लड़खड़ाने दिया.

मेनका झुक कर अपने ससुर के लंड को चूसने लगी थी.राजा साहब ने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी पॅंटी की साइड मे से अपनी उंगलिया उसकी चूत मे घुसा दी & उसके दाने को रगड़ने लगे.मेनका तो जोश से पागल हो गयी पर राजा साहब की हालत तो और भी खराब थी.उनकी बहू उनके लंड को मसल & चूस रही थी & उनका दिल कर रहा था कि बस कार रोक उसे लिटा कर उस पर सवार हो जाएँ पर उन्हे मेनका का दिया हुआ चॅलेंज पूरा करना था.राजपुरा बस 10 मिनट दूर रह गया था.उन्होने बड़ी मुश्किल से अपने उपर काबू किया था & अपने पानी को छूटने से रोका हुआ था.

राजा साहब अपनी उंगलियों से उसके जी स्पॉट को ढूँढने लगे & जैसे ही उन्होने उसे खोज कर उस पे अपनी उंगली फिराई,मेनका झाड़ गयी.मेनका को बहुत मज़ा आ रहा था.वो अभी भी वैसे ही राजा साहब के लंड पर लगी हुई थी पर राजा साहब ने भी सोच लिया था कि महल पहुँच कर ही झड़ेंगे.

मेनका की जीभ राजा साहब के अंदो पर घूमने लगी,झाँते सॉफ करने के बाद अब वो काफ़ी आसानी से उन गोलों को चूस पा रही थी.कार महल के गेट पर पहुँच गयी थी.दरबान ने राजा साहब की कार के हॉर्न को दूर से ही पहचान लिया & गेट खोल दिया.मेनका ने लंड को वापस मुँह मे लेकर चूसना & हाथों से रगड़ना शुरू कर दिया था.राजा साहब की उंगली ने फिर से उसे जन्नत की सैर करना शुरू कर दिया था.

कार महल के कॉंपाउंड के अंदर दाखिल होकर बस अब मैं गेट तक पहुँचने वाली ही थी जब राजा साहब की उंगलियों की रगड़ से मेनका दुबारा झाड़ गयी.उसने अपनी जांघें भींचते हुए अपने ससुर की उंगलियो को अपनी चूत मे ही क़ैद कर लिया.उसके होठ उनके लंड को और तेज़ी से चूसने लगे & राजा साहब ने भी अपना पानी उसके मुँह मे छ्चोड़ दिया.मेनका सारा पानी पी गयी & चाट कर पूरा लंड सॉफ कर दिया,फिर उठ कर अपनी सारी & बाल ठीक करने लगी.

राजा साहब ने कार महल के पोर्च मे रोक दी,अपना लंड पॅंट के अंदर किया और मुस्कुरा कर मेनका की ओर देखा,"तो हम इम्तिहान मे पास हो गये?कितने नंबर मिले हमे?"

मेनका ने अपना आँचल सर पर ले लिया,"हां हो गये.100 मे से 101.",& दोनो कार से बाहर आ गये.

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थोड़ी देर पहले मैने आपको बताया था कि जब्बार 1 छ्होटी मछ्लि के बारे मे बात कर रहा था जिसे वो फाँसना चाहता था.आइए जानते हैं आख़िर उस छ्होटी मछ्लि के बारे मे उसे पता कैसे चला.इसके लिए हमे समय मे थोडा पीछे जाना पड़ेगा....तो चलें...

जब्बार अभी तक इस बात पे कॉन्सेंट्रेट कर रहा था कि विश्वा इलाज के लिए कहा जा सकता है & इसमे उसका समय भी बर्बाद हो रहा था,उपर से नाकामयाबी झेलनी पड़ रही थी.पर फिर उसके शैतानी दिमाग़ ने थोडा दूसरी तरह से सोचना शुरू किया.उसने सोचा कि जहा भी गया हो राजा जाएगा तो प्लेन से ही & प्लेन या तो एरलाइन्स के पास होता है या फिर चार्टर कंपनी के पास.जब उसे दुनिया से ये बात च्छुपनी थी की उसका बेटा इलाज के लिए कहा जा रहा है तो वो एरलाइन्स तो कभी नही इस्तेमाल करेगा.

और फिर चार्टर को. का नाम पता लगा कर वाहा पहुँचना तो उसके बाए हाथ का खेल था.जब शाम को दफ़्तर खाली हो गया तो वो 1 ड्यूप्लिकेट चाबी (जिनका 1 गुच्छा हुमेशा उसकी जेब मे रहता था),की मदद से अंदर घुस गया.ये चाबियाँ वो क्यू रखता था,आगे आपको ज़रूर पता चलेगा.

आइए अभी अंदर चल कर देखते हैं वो क्या कर रहा है.अंदर जब्बार कंप्यूटर के सामने बैठा था पर पासवर्ड ना मालूम होने के कारण वो फाइल्स खोल नही पा रहा था.झल्ला कर उसने मशीन बंद की & उठ कर गुस्से से एक फाइलिंग कॅबिनेट पर हाथ मारा.कॅबिनेट खुल गया & उसमे से कुच्छ कागज़ात गिर गये.उसने जल्दी से दरवाज़े की तरफ देखा-कहीं किसी ने कुच्छ सुना तो नही था.

वो पेपर्स उठा कर वापस रखने लगा की 1 फाइल पर उसकी नज़र गयी.उसने उसे खोला तो उसकी बाँछें खिल गयी.

पाइलट:माजिद सुलेमान

लास्ट चार्टर:मुंबई

करेंट स्टेटस:ऑन रेस्ट

लास्ट चार्टर क्लाइंट्स:राजकुल ग्रूप

नेक्स्ट चार्टर:न्यू देल्ही

ये राजकुल ग्रूप के चार्ट्स की फाइल थी,उसने पलट ते हुए वो डेट खोजनी शुरू की जब राजा अपने बेटे को लेकर गया होगा,पर उस दिन की एंट्री थी ही नही.कहीं राजा ने दूसरी चार्टर सर्विस तो नही उसे की....नही वो हुमेशा इसी को उसे करता है...तो फिर जान बुझ कर उस फ्लाइट की एंट्री नही की गयी है.उसने फिर से फाइल को स्टडी करना शुरू किया & पिच्छले 3 महीनो मे राजा की फ्लाइट्स उड़ाने वाले पाइलट्स का नाम,पता & फोन नंबर. नोट कर लिया.सबसे ज़्यादा बार इसी माजिद सुलेमान ने फ्लाइट्स पाइलट की थी,उस मिस्सिंग एंट्री के पहले वाली फ्लाइट & उस मिस्सिंग एंट्री के बाद वाली फ्लाइट जो की आखरी फ्लाइट भी थी,भी उसी ने पाइलट की थी....उसे अंधेरे मे रोशनी की बस एक किरण नज़र आ गयी & ये उस हैवान के लिए काफ़ी था.

अब अतीत से वापस वर्तमान मे आ जाते हैं & महल चलते हैं जहा 2 बेचैन दिल बस इस बात का इंतेज़ार कर रहे हैं की कब नौकर-चाकर बाहर जाएँ & वो फिर से एक-दूसरे मे खो जाएँ.रात के 10:30 बज गये हैं & नौकर बस दिन के काम निपटाने वाले हैं,मेनका अपने कमरे मे है & राजा साहब नीचे बेचैनी से चहलकदमी कर रहे हैं...

जैसे ही नौकर काम ख़तम कर के बाहर निकले,राजा साहब ने बटन दबा कर सारे दरवाज़े बंद कर दिए & सारी लाइट्स भी बुझा दी,सिर्फ़ 2 हल्की रोशनी वाले लॅंप्स जलने दिए.वो उपर जाने के लिए मुड़े तो देखा मेनका सीढ़ियों से उतर रही है.राजा साहब तो उसे देखते ही रह गये.वो साक्षात स्वर्ग की अप्सरा मेनका लग रही थी.

मेनका ने लाल रंग की स्लीव्ले नाइटी पहनी थी जिसमे स्ट्रॅप्स की जगह कंधों पे 2 पतले स्ट्रिंग्स थे.नाइटी का गला भी गहरा था जिसमे उसका क्लीवेज इस मद्धम रोशनी मे भी चमक रहा था,बाई टाँग पर 1 स्लिट था जो की उसके घुटने के उपर जाँघ तक चला गया था & जब वो सीढ़ियाँ उतर रही थी तो उसमे से उसकी गोरी टाँग & जाँघ का हिस्सा झलक रहा था.उसके लंबे बाल खुले थे & कमर पर लहरा रहा थे.

राजा साहब की नज़रों की गर्मी ने मेनका के दिल मे हलचल मचा दी & उसके चेहरे पर हया की लाली च्छा गयी पर उसे ये भी अच्छा लग रहा था कि उसके प्रेमी को उसका ये रूप बहुत भा रहा था.राजा साहब आगे बढ़े & मेनका को अपनी बाहों मे भर लिया & अपने तपते होठों से उसे चूमने लगे,मेनका ने भी अपनी बाहें उनके गले मे दल दी & किस का जवाब देने लगी.दोनो थोड़ी देर तक ऐसे ही एक दूसरे से चिपके अपने होठों & जीभ से खेलते रहे.

फिर राजा साहब ने चूमना छ्चोड़ उसे अपनी गोद मे उठा लिया,मेनका ने अपनी बाहें उनके गले मे डाल दी & फिर से उन्हे चूमने लगी.राजा साहब वैसे ही चूमते हुए उसे उठा कर सीढ़ियाँ चढ़ने लगे.उपर पहुँच कर वो अपने कमरे की तरफ मुड़े तो मेनका ने चूमना छ्चोड़ शरमाते हुए कहा,"मेरे कमरे मे चलिए ना."

"अरे,कमरा क्या पूरा का पूरा महल आपका है.फिर क्या आपका क्या मेरा.आज अपने इस कमरे,जिसे नाचीज़ अपना कहता है,चल कर इसे भी स्वर्ग बना दीजिए."& दोनो हंस पड़े.राजा साहब उसे अपने कमरे मे ले आए & अपने बिस्तर पर लिटा दिया & उसके उपर झुक कर उसे चूमने लगे.मेनका के हाथ उनके सर के बालों से खेलने लगे.राजा साहब ने उसके होठों को छ्चोड़ एक बार पूरे चेहरे को चूमा & फिर नीचे उसकी गर्दन पर पहुँच गये.मेनका ने अपने हाथ उनके कुर्ते के अंदर घुसा दिए & उनकी पीठ सहलाने लगी.
 
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राजा साहब थोड़ा उपर हुए & अपना कुर्ता उतार फेंका & फिर से अपनी बहू की गर्दन पर झुक गये.अपने हाथों से उन्होने उसके कंधों से दोनो स्ट्रिंग्स नीचे सरका दी & उसके नंगे कंधों को चूमने लगे,मेनका की चूत गीली होने लगी थी & उसने अपनी जांघे बेचैनी से रगड़ना शुरू कर दिया.उसके नाख़ून अभी भी अपने ससुर की पीठ पर फिर रहे थे.राजा साहब मेनका के क्लीवेज पर आ गये & दीवानो की तरह चूमने लगे.उनसे बर्दाश्त करने मुश्किल हो रहा था,वो जल्द से जल्द अपनी बहू के नंगे जिस्म का दीदार करना चाहते थे.

अपने हाथ पीछे ले जाकर उन्होने उसकी नाइटी का ज़िप खोल दिया,फिर उठे & 1 झटके मे उसे उसके शरीर से अलग कर दिया.नीचे मेनका ने कुच्छ नही पहना था.राजा साहब उसके उपर झुक गये तो मेनका ने शर्म से आँखें बंद कर ली & सर 1 तरफ घुमा लिया.

"मेनका..",राजा साहब ने अपने हाथ से उसकी ठुड्डी पकड़ चेहरे को सीधा किया.मेनका ने अधखुली आँखों से उन्हे देखा.

"अपने होठों से हुमारा नाम लो ना.",सुनकर मेनका और शर्मा गयी & फिर से मुस्कुराते हुए अपने चेहरे को अपने हाथों से च्छूपा लिया.

"प्लीज़,मेनका..बस 1 बार..हुमारा नाम लो...प्लीज़."

मेनका ने वैसे ही मुँह च्छुपाए हुए सर हिला कर मना कर दिया.

"प्लीज़,तुम्हे हमारी कसम.",उन्होने उसके हाथ उसके चेहरे से हटा दिए.

मेनका ने बहुत धीरे से कहा,"..यश.."

"1 बार और,मेरी जान,प्लीज़.."राजा साहब ने बेताबी से उसके गाल चूम लिए.

इस बार मेनका ने अपनी आँखें खोल अपने प्रेमी की आँखों मे देखा,"आइ लव यू,...यश."

इस बात ने तो राजा साहब को खुशी से पागल कर दिया & वो उसके जिस्म पर टूट पड़े.उसके गुलाबी निपल्स अब उनकी जीभ & होठों की रहम पर थे."एयेए...ह..",मेनका का बदन कमान की तरह मूड गया & छाती बिस्तर से उपर उठ गयी.उसने अपने ससुर के सर को अपने सीने पर कस के भींच लिया.राजा साहब ने एक चूची मुँह मे ली & दूसरी को हाथ मे & लगे उन्हे चूसने & दबाने.मेनका का जिस्म पूरी तरह से जोश मे डूब गया था & अब तो वो झड़ने ही वाली थी.राजा साहब ने चूचियो की पोज़िशन बदल दी,पहले बाई मुँह मे थी,अब दाई आ गयी,पर उनका चूसा जाना & दबाया जाना वैसे ही जारी रहा.मेनका ने हाथ नीचे ले जाकर पाजामे के उपर से ही अपने ससुर के खड़े लंड को पकड़ लिया & मसालने लगी.थोड़ी ही देर बाद मेनका का जिस्म आकड़ा & उसने अपनी जीभ दांतो तले दबा ली-उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया था.

राजा साहब पलंग पर खड़े हो गये & अपना पाजामा भी उतार दिया & अपनी बहू के सामने पूरे नंगे हो गये.वो झुक कर घुटनो पर खड़े हुए-उनका इरादा फिर से अपनी बहू के उपर चढ़ने का था,पर तभी मेनका की नज़र अपने ससुर के लंड पर पड़ी जिसने उसे पागल कर दिया था.

वो झट से उठी और अपने ससुर के लंड को अपने मुँह मे ले लिया & चूसने लगी.अब राजा साहब बिस्तर पर अपने घुटनो पे खड़े थे & मेनका बैठ कर उनके लंड को चूस रही थी,साथ-2 उसके हाथ लंड & नीचे लटक रहे अंदो को सहला & हिला रहे थे.राजा साहब ने अपने हाथ उसके सर पर रख दिए & खुद भी हौले-2 कमर हिला कर उसके मुँह को चोदने लगे.मेनका ने अपने हाथ उनके लंड पर से हटा लिए & पिछे ले जाकर उनकी गांद को पकड़ लिया.अपने नाखूनओ से वो हल्के-2 उनकी गांद सहलाने लगी.राजा साहब को बहुत मज़ा आ रहा था.उनकी पकड़ अपनी बहू के सर पर और मज़बूत हो गयी & वो थोड़ी और तेज़ी के साथ उसके मुँह को चोदने लगे.मेनका को तो ये लंड वैसे ही बहुत प्यारा लगता था.उसका तो दिल करता था की बस हर वक़्त वो इस से खेलती रहे.उसने भी राजा साहब की गांद & मज़बूती से पकड़ अपना मुँह उनकी जाँघो के बीच थोड़ा और घुसा दिया.राजा साहब झड़ने ही वाले थे पर उनका इरादा आज मेनका के मुँह मे अपना पानी छ्चोड़ने का नही था.

उन्होने अपना लंड मेनका के मुँह से बाहर खींच लिया तो मेनका ने सवालिया नज़रो से उन्हे देखा.राजा साहब ने उसकी बाँहे पकड़ उसे उपर उठा लिया,अब वो भी अपने ससुर जैसे उनके सामने घुटनो पे खड़े थी.राजा साहब ने अपने हाथ उसकी कमर पे लपेट दिए & उसे चूमने लगे.जवाब मे मेनका ने भी अपने ससुर की कमर के गिर्द अपने हाथ कस दिए.राजा साहब का प्रेकुं से गीला लंड दोनो के जिस्मो के बीच उसके पेट पे दबा हुआ था.चूमते हुए दोनो के हाथ एक-दूसरे की कमर से फिसल कर नीचे एक-दूसरे की गांडो से खेलने लगे.जहा राजा साहब अपनी बहू की गांद के फांको को जाम के मसल रहे थे वही मेनका उनकी गांद पे अपने नाखूनओ के निशान छ्चोड़ रही थी.

राजा साहब वैसे ही घुटनो पे खड़ी मेनका के होठों को छ्चोड़ नीचे आ उसकी चुचियों को चूसने लगे.थोड़ी देर चूसने के बाद वो और नीचे आए, उसके पेट को चूमा & फिर उस से भी नीचे उसकी चूत पे 1 किस ठोक दी.मेनका नीचे हो कर बैठने ही वाली थी की राजा साहब झट से उसके घुटनो के बीच लेट गये & उसकी कमर पकड़ उसे अपने मुँह पर बिठा लिया.

अब राजा साहब चित लेते थे & मेनका उनके मुँह पर बैठी थी.राजा साहब ने आँखे उठा कर अपनी बहू को देखा,उसके चेहरे पर हैरत & जोश की मिलीजुली मुस्कान थी.हाथ आयेज ला उन्होने उसकी छूट की फांको को फैलाया & अपनी जीभ उसके अंदर डाल दी & चाटने लगे."..ऊओ...ऊओह...",मेनका की आँखे बंद हो गयी,उसने अपने ससुर के सर को सहारे के लिए पकड़ लिया & अपनी कमर हिलाने लगी.राजा साहब उसकी चूत चाट ते हुए अपने हाथ उसकी कमर से हटा उपर ले जा उसकी चुचियाँ दबाने लगे.मेनका के लिए ये बहुत ज़्यादा था & वो दुबारा झाड़ गयी पर राजा साहब ने उसकी चूत चाटना नही छ्चोड़ा.वो उसी तरह अपने हाथों से उसकी चूचिया दबाते रहे,उसके निपल्स मसालते रहे.उन्होने ुआपनी बहू की चूत मे से जीभ तब तक नही निकाली जब तक की वो दो बार & नही झाड़ गयी.

आखरी बार झाड़ते ही मेनका निढाल हो आगे गिर गयी तो राजा साहब उसकी जांघों मे से सर निकाल उठ बैठे.मेनका पेट के बल लेट गहरी साँसे ले रही थी.राजा साहब अपने हाथों से उसकी पीठ & गांद सहलाने लगे.थोड़ी देर सहलाने के बाद उन्होने अपने होठ उसकी गांद पर रख दिए & वहाँ पर जम कर चूमा,चटा & चूसा.चूस-2 कर उसकी गांद की फांको & जांघों के पिच्छले हिस्से पर उन्होने लव बाइट्स छ्चोड़ दिए.

फिर उन्होने ने उसे कमर से पलट कर सीधा किया & उसकी जांघों पे चूमने & चूसने लगे.मेनका के बदन पर कल की लव बाइट्स के निशान अभी भी ताज़ा थे,राजा साहब ने उन मे कुच्छ और निशान जोड़ दिए.उसकी जांघों से उनके होठ उसकी चूत पर आए & जितना भी पानी अभी उसकी चूत ने छ्चोड़ा था,उसे पी गये.राजा साहब का अगला निशाना मेनका की नाभि थी.उनकी जीभ उसकी नही की गहराई नापने कागी तो मेनका फिर से गरम होने लगी.उसका दिल कर रहा था कि बस अब उसके ससुर उसकी चूत मे अपना लंड डाल दे.उसने हाथ बढ़ा कर अपने ससुर के बाल पकड़ कर खींचे,"इधर आइए ना...".

राजा साहब उपर आकर उस पर लेट गये & उसकी चूचिया चूसने लगे.थोड़ी देर बाद उठे कर मेनका की जांघों पे हाथ रखा तो उसने खुद ही उन्हे फैला दिया.राजा साहब ने अपना लंड 1 झटके मे ही उसकी चूत मे दाखिल कर दिया."ऊओ...ऊव्ववव!.."मेनका का सर पीछे मूड गया,छाती हवा मे उठ गयी & कम्र खुद बा खुद झटके खाने लगी.राजा साहब ने भी बहुत देर तक अपने उपर काबू रखा था.अब उन्होने भी जम कर उसकी चुदाई शुरू कर दी.

"आ...न्न्ह....आ...आन्न्न्नह..!कमरे मे मेनका की आनहें गूंजने लगी तो राजा साहब के धक्कों की रफ़्तार और भी बढ़ गयी.मेनका ने भी उनकी ताल से ताल मिलाते हुए अपनी कमर हिलाना भी तेज़ कर दिया.उसके हाथ जोकि अभी तक अपने ससुर की पीठ पर घूम रहे त,अब उनकी गांद पे जा लगे & उसने उसमे अपने नाख़ून गाड़ा दिए.उसकी इस हरकत से राजा साहब और जोश मे आ गये,उन्होने अपने होठ उसकी छाती पे और कस दिए & ज़ोर से चूसने लगे,फिर अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर ज़ोर के धक्कों के साथ फिर अंदर पेलने लगे.

हर धक्के के साथ मेनका उनके लंड के टोपे को अपनी कोख पे लगता महसूस कर रही थी & उसे इतना मज़ा आ रहा था की पुछो मत.तभी राजा साहब ने वैसे ही उसकी चूची चूस्ते हुए फिर से 1 ज़ोर का धक्का मारा तो उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया,वो उचक कर अपने ससुर से चिपक गयी उनका जिस्म भी झटके खाने लगा & उसने उनके लंड से च्छूटता पानी अपनी चूत मे भरता महसूस किया.

थोड़ी देर दोनो वैसे ही पड़े रहे,फिर राजा साहब उसके उपर से उतर कर उसकी बगल मे लेट गये.मेनका भी करवट ले उनकी बाहों मे आ गयी & उनके सीने पर सर रख दिया.राजा साहब उसके बाल सहला रहे थे & बीच-2 मे उसके सर पर चूम रहे थे.मेनका उनके सीने के बालों मे उंगलिया फिरा रही थी.

थोड़ी देर बाद मनेका उठ कर बैठ गयी,उसका ध्यान अपनी चूची पर गया जहाँ राजा साहब ने थोड़ी देर पहले जम कर चूसा था.अब वाहा पर 1 बड़ा सा निशान पड़ गया था.

"क्या देख रही हो?",राजा साहब ने लेते-2 ही पूचछा.

"आपकी कारस्तानी.",मेनका बनावटी गुस्से से बोली.

"अब ये ऐसी खूबसूरत होंगी तो कारस्तानी तो ऐसी ही होगी.",राजा साहब उठ कर उस जगह पर हाथ फिराते हुए बोले.

"आप भी ना!",मेनका ने उनका हाथ 1 तरफ कर दिया.

"ये क्या आप-आप लगा रखा है.आज से तुम हमे सिर्फ़ तुम कह कर पुकरोगी."राजा साहब ने उसे फिर अपनी बाहों मे भर लिया.

"आज क्या हो गया है आपको,ये..-.."

"-..फिर आप!तुम कहो."

मेनका के गाल लाल हो गये,"प्लीज़ क्यू सता रहे हैं?"

"क्यू सता रहे हो?तुम्हे हमारी कसम चलो ऐसे बोल कर दिखाओ."

"ये बात-2 पे अपनी कसम क्यू देते है?"

"फिर आप."

"अच्छा बाबा!तुम...क्या तुम बात-2 पर कसम देने लगते हो?"

"हो गया.अब नही देंगे."

दोनो हंस पड़े.,"ये कारस्तानी पसंद आई?",उन्होने उस निशान को सहलाते हुए पूचछा.जवाब ने मेनका ने मुस्कुराते हुए हां मे सर हिला दिया.

"तब हम आपको 1 और कारस्तानी दिखाते हैं.",राजा साहब उठे & मेनका के कुच्छ बोलने से पहले अपने वॉक-इन क्लॉज़ेट खोल उसके अंदर चले गये.थोड़ी देर बाद बाहर आए तो उनके हाथ मे 2 डब्बे थे.

वो मेनका के पास आकर बैठ गये.1 डब्बा उसको दिया,"खोलो."

मेनका ने डब्बा खोला तो उसकी आँखें चौंधिया गयी,अंदर हीरो का 1 बहुत बेशक़ीमती जड़औ हार जगमगा रहा था.

"ये मेनका सिंग के लिए है जिसके इनवॅल्युवबल कॉंट्रिब्यूशन के बदौलत राजकुल ग्रूप डील कर पाया."

"पर इतने कीमती तोहफे की क्या ज़रूरत थी?"

"ये तुमसे कीनती नही है.",राजा साहब ने हार उठा कर उसके गले मे पहना दिया.,"अब ये दूसरा डिब्बा खोलो."

उसको खोलते ही अंदर से एक गोल्ड चैन निकली जिसमे 1 हीरे का पेंडेंट लटका था.पेंडेंट मे हीरे से 'एम' बना था & 'एम' के बीच के 'वी' से 1 सीधी लाइन नीचे निकल कर 'Y' बना रही थी.जब तक कोई बहुत गौर से नही देखता तो उसे कभी नही पता चलता कि पेंडेंट मे दोनो लेटर्स एम & Y हैं.दूर से तो बस लगता था जैसे की एम बना है.

"और ये हमारी जान के लिए उसे हमारे प्यार का पहला तोहफा.",& वो चैन भी उसके गले मे डाल दी.

मेनका की आँखो मे खुशी के आँसू छल्छला आए & वो आगे बढ़ कर अपने ससुर के गले लग गयी & सुबकने लगी.

"अरे क्या हुआ?"

"घबराईए मत..-आइ मीन घबराव मत,ये खुशी के आँसू हैं.",राजा साहब हंसते हुए उसकी पीठ पर प्यार से हाथ फेरने लगे.

"हमने भी तुम्हारे लिए कुच्छ लिया है.हमारे कमरे मे रखा है.बस अभी लेकर आते हैं."

"बाद मे ले आईएगा.पहले आपको कुच्छ और भी दिखना है-कुच्छ बहुत ज़रूरी बातें बतानी हैं.आइए.",राजा साहब खड़े हो गये & अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया.मेनका उनका हाथ पकड़ खड़ी हो गयी & राजा साहब अपने कमरे के 1 कोने मे बने उस दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगे जिसके पीछे उनकी स्टडी थी.

आपको राजा साहब की स्टडी के बारे मे कुच्छ बता दू.यू तो महल के कर्मचारी सॉफ-सफाई & बाकी कामो के लिए कहीं भी आते जाते हैं पर राजपारियर के लोगों के कमरो मे बस उनके खास नौकर-नौकरानी ही आ-जा सकते थे.

पर ये स्टडी जोकि राजा साहब के बेडरूम के अंदर ही बनी हुई थी,उसमे उनके अलावा किसी को भी जाने की इजाज़त नही थी यहा तक की उनके अपने बेटे भी उन्हे वाहा डिस्टर्ब नही करते थे.कोई काम पड़ता & राजा साहब स्टडी के अंदर हो तो बस इंटरकम पे उनको खबर की जाती.

जब राजा साहब बाहर होते तो स्टडी मे ताला लगा होता & एकमत्रा चाभी राजा साहब के पास होती.मेनका को भी इन नियमो के बारे मे पता था & इसीलिए उसे आज बड़ी हैरत हो रही थी कि राजा साहब उसे वाहा ले जा रहे हैं.
 
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मस्त मेनका पार्ट----6

गतान्क से आगे................


राजा साहब ने चाभी से दरवाज़ा खोला & दोनो वैसे ही नंगे स्टडी के अंदर आ गये.राजा साहब ने लाइट जलाई तो मेनका पूरी स्टडी को ध्यान से देखने लगी.चारों तरफ शेल्व्स मे ज़मीन से छत तक किताबें भरी थी.बीच-2 मे राजा साहब के पुरखों के पोरट्रेट्स लगे थे.कमरे के बीच मे 1 बड़ा स्टडी डेस्क था & उसके पीछे 1 लेदर-बॅक चेर.

राजा साहब कमरे के 1 कोने मे चले गये थे.उस कोने मे बुक-शेल्फ मे से वो किताबें निकालने लगे.मेनका हैरत से देख रही थी & समझने की नाकाम कोशिश कर रही थी.राजा साहब ने 10 किताबें खिच-2 कर निकाल दी.फिर मेनका को इशारे से बुलाया,मेनका वाहा पहुँची तो देखा कि उस खाली जगह मे शेल्फ के पीछे का लकड़ी का हिस्सा दिख रहा था.उसने सवालिया नज़रो से अपने ससुर की तरफ देखा.राजा साहब ने मुस्कुराते हुए अपनी स्टडी से 1 पेन-नाइफ उठाई & शेल्फ के उस पिच्छले हिस्से की लकड़ी के दोनो सिरों पर जहा किताबें थी उपर से नीचे तक फिराया & वो लकड़ी का बोर्ड गिर पड़ा.

मेनका चौंक पड़ी तो राजा साहब हंस पड़े.,"ये लूज बोर्ड है & ये देखो इसके पीछे क्या है."

पीछे 1 छ्होटी-सी तिजोरी नज़र आ रही थी.राजा साहब ने उसका कॉंबिनेशन लॉक खोला & उसके अंदर से 1 काग़ज़ों का पुलिंदा निकाला.उस पुलिंदे को ले कर राजा साहब मेनका का हाथ पकड़ कर डेस्क के पीचे लेदर बॅक चेर की तरफ चले गये.उस पर बैठ कर उन्होने मेनका की कमर मे अपना बाया हाथ डाला & उसे अपनी गोद मे बिठा लिया.उसने भी अपनी दाई बाँह अपने ससुर के गले मे डाल दी.

"हम जो आपको बताने जा रहे हैं उसे जान ने का हक़ केवल महल के राजा को होता है.ये राजा की मर्ज़ी है कि इस बात को कब वो अपने सबसे बड़े बेटे,यानी की भावी राजकुमार को बताता है.हमने तो सोचा था कि डील फाइनल होते ही विश्वा को बताएँगे पर हुमारी बदक़िस्मती कि वो कमज़ोर निकला &...यूधवीर तो हमे पहले ही छ्चोड़ कर जा चुका है.",राजा साहब खामोश हो गये.

मेनका ने भी बिना कुच्छ बोले बस उनके बालों मे हाथ फिराने लगी.

राजा साहब ने फिर कहना शुरू किया,"ये उस वक़्त की बात है जब रजवाड़े ख़तम हो रहे थे & सारी रियासतें हिन्दुस्तान मे मिलाई जाने वाली थी.हुमारे पिताजी को इस बात की भनक काफ़ी पहले लग गयी & वो समझ गये कि अब हमारा वक़्त सचमुच ख़तम होने वाला है.इस पूरे राज्य मे हुमारी काफ़ी ज़मीन & प्रॉपर्टी थी...इतनी जितनी कि कोई कभी सोच भी नही सकता.उन्होने धीरे-2 सारी प्रॉपर्टी को इस तरह बेचा कि किसी को ज़रा भी शक़ नही हुआ.जब भारत सरकार ने उन्हे हिन्दुस्तान मे मिलने को कहा तो वो झट से राज़ी हो गये.",मेनका गौर से उनकी बात सुन रही थी.

"..पिताजी ने कुच्छ ज़मीन छ्चोड़ दी थी & उन्होने वो सारी ज़मीन & प्रॉपर्टी सरकार को दे दी.सारा कुच्छ बेचने के बाद हुमारे पास जो भी रकम आई वो सब स्विस बॅंक मे जमा करा दी गयी.",उन्होने 1 पेपर मेनका की तरफ बढ़ाया,"इसमे वो अकाउंट नंबर. & उनके कोड्स हैं जिन्हे बताने पर तुम्हे बॅंक अकाउंट ऑपरेट करने की इजाज़त देता है.",मेनका ने पेपर ले लिया पर वो अभी भी हैरत से अपने ससुर को देख रही थी.

"..राजकुल ग्रूप के हर साल के प्रॉफिट से कुच्छ पैसा निकाल लिया जाता है जिसे की अकाउंट्स बुक मे नही दिखाया जाता.अभी भी जो डील हुई है उसमे भी 30 करोड़ हमे अलग से मिले हैं.ये सारा पैसा भी इन बाँक्स मे जमा है.",उन्होने बाकी पेपर्स भी उसके हाथों मे दे दिए,"ये उन प्रॉपर्टीस के पेपर्स हैं जो हमने बाद मे खरीदी हैं.इनमे से कोई भी हुमारे नाम से नही है."

"इस वक़्त तुम्हारे हाथों मे जो काग़ज़ात हैं,मेनका,उनकी कीमत जानती हो कितनी है?",मेनका ने बस ना मे सर हिला दिया.

" 350 करोड़."

"क्या?!!",मेनका का मुँह हैरत से खुल गया.

"राजा साहब,आपने अपने देश से पैसे चुरा कर ये जमा किया है.",उसने काग़ज़ अपने ससुर के हाथों मे रख दिए."क्या फयडा है इस दौलत का & क्या करेंगे आप इतनी दौलत का?सारी बाहर बॅंक मे पड़ी है या आपके नाम से नही है....और अपने दिल पे हाथ रख के कहिए क्या आपको सच मे इन पैसों की ज़रूरत है?"

"मेनका,..ये पैसे किसी बुरे दिन हमारे काम आ सकते हैं."

"अगर बुरे दिन आएँगे तो क्या गॅरेंटी है की आपके ये पैसे भी सलामत रहेंगे?"

"राजा साहब,हुमारे पास वैसे ही बहुत दौलत है.इन पैसों को तो आपको दान कर देना चाहिए था....कम से कम लोगों की दुआ तो मिलती.",मेनका चुप हो गयी.राजा साहब ने सोचा नही था कि वो इस तरह से नाराज़ हो जाएगी....पर क्या ग़लत कह रही थी.आज इतनी दौलत है पर उसे भोगने वाला कौन है.1 बेटा मर चुका है & दूसरा पता नही कब वापस आएगा.राजा साहब सर झुकाए बैठे रहे & मेनका भी वैसे ही खामोश उनकी गोद मे बैठी रही.

उन्होने उसका हाथ अपने हाथों मे थाम लिया,"..हमने ये सारी बात आपको इसलिए बताई थी क्योंकि हमे आप पे जितना भरोसा हो गया है उतना कभी किसी पे नही हुआ.हमे नही पता कि उपर वाले ने हमारी कितनी उम्र लिखी है..",मेनका कुच्छ कहने को हुई पर उन्होने अपनी उंगली उसके होठों पे रख दी,"..हमारे बाद अगर कोई राजकुल का ध्यान रख सकता है तो वो केवल आप हैं."

"पर हम आज आपको 1 वचन देते हैं.अपने जीते जी हम ये सारा काला पैसा दान कर देंगे."

"हमारा दिल दुखाने का इरादा नही था.",मेनका की आवाज़ थोड़ी भर्रा गयी.

"हुमारा दिल पैसे की बात से दुखा भी नही.तुमने तो हुमारी आँखे खोल दी.सच मे,क्या फ़ायडा है ऐसी दौलत का जो किसी काम ही ना आ पाए.इसीलिए तो आपको वचन दिया है कि इसे दान कर देंगे.दिल तो हुमारा दूसरी बात से दुखा है.",मेनका के चेहरे पर परेशानी छा गयी,"क्या कह दिया हमने?प्लीज़ बताइए..",उसने उनके चेहरे को हाथों मे ले लिया.

राजा साहब के चेहरे पे गंभीरता आ गयी थी,"..तुम गुस्से मे हमे फिर से आप बुलाने लगी थी."

सुनते ही दोनो खिलखिला के हन्स पड़े.थोड़ी देर पहले जो तनाव पैदा हुआ था वो सारा अब हवा हो गया.हंसते हुए मेनका झुक कर अपने ससुर के होंठ चूमने लगी.राजा साहब ने उसकी कमर कस के पकड़ ली & लगे उसका रस पीने.चूमते हुए मेनका ने अपनी जाँघ पे कुच्छ गरम सा महसूस किया तो नीचे देखा.उसने पाया कि राजा साहब का लंड खड़ा होकर उसकी जाँघ से रगड़ रहा था.उसने हाथ बढ़ा कर उसे थाम लिया & थोडा रगड़ दिया.

उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल आया,वो खड़ी हुई & फिर कुर्सी पे राजा साहब के दोनो तरफ अपने घुटने रख 1 हाथ से उनके लंड को पकड़ा & उस पर बैठने लगी.जब आधा लंड अंदर चला गया तो उसने उसे छ्चोड़ अपने ससुर के कंधों पर बाहें रख उनके सर को हाथों मे थाम लिया & उन्हे प्यार से चूमने लगी.

राजा साहब ने उसकी कमर पकड़ कर नीचे झुकना शुरू किया & उसकी चूत मे अपना पूरा लंड घुसाने लगे.मेनका को थोड़ा दर्द महसूस हुआ,पर साथ ही साथ मज़ा भी बहुत आ रहा था.थोड़ी ही देर मे लंड जड़ तक चूत मे था.राजा साहब के हाथों ने उसकी चौड़ी गंद को थाम लिया & उसे प्यार से मसल्ने लगे.मेनका ने अपनी जीभ उनके मुँह मे डाल दी & जम के चूमने लगी.जोश मे वो अपने ससुर से चिपक गयी,"ओह्ह..",राजा साहब को सीने मे कुच्छ चुबा.दोनो ने अपने होठ जुड़ा किए तो पाया कि वो हीरो का नेकलेस उनके प्यार मे अड़चन बन रहा था.मेनका हाथ पीछे ले जा कर नेकलेस खोलने लगी,ऐसा करने से उसकी चूचिया और ज़्यादा उभर कर उसके ससुर के चेहरे के सामने चमकने लगी.राजा साहब ने अपना मुँह उन काम कलशो से लगा दिया & लूगे चूसने & चूमने.

"आ..अनन्नह..",मेनका ने नेकलेस को उतार डेस्क पर रखा,चैन उसने गले मे ही रहने दी & अपने हाथों मे अपने ससुर का सर जाकड़ लिया & अपनी कमर उचका-2 कर उन्हे चोदने लगी.राजा साहब के हाथ उसके बालों से होते हुए उसकी पीठ & गांद पे आके फिसलने लगे.

मेनका को इस पोज़िशन मे चुदाई करने मे बहुत मज़ा आ रहा था.इस मे वो पूरे कंट्रोल मे थी.आज तक जब भी वो अपने पति या ससुर से चुदी थी,तो वो उसके उपर रह कर धक्के मारते थे.पर आज उसकी मर्ज़ी थी कि वो कैसे धक्के लगती है.वो जी भरके अपने ससुर के लंड पे कभी तेज़ी से तो कभी हौले-2 तो कभी अपनी गांद घुमा-2 कर,उच्छल रही थी.
 
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राजा साहब के मज़ा का तो ठिकाना ही नही था.मेनका की कसी चूत उनके लंड पे रगड़ खा कर उन्हे जोश से भरे जा रहे थी.दोनो अब अपनी मंज़िल की ओर पहुँच रहे थे.मेनका ने उन्हे अपने आगोश मे और ज़ोर से जाकड़ लिए & अपनी गांद भी तेज़ी से उच्छलने लगी,राजा साहब ने अपने होठ उसकी छाती पे लगा के थोड़ी देर पहले बनाए निशान को और गहरा करना चालू कर दिया,उनकी कमर भी नीचे से हिलने लगी.

मेनका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया & वो अपने ससुर से चिपक गयी.झड़ती हुई उसकी चूत ने राजा साहब के लंड को कस के जाकड़ लिया तो उनके लंड से भी बर्दाश्त नही हुआ & उसने भी अपनी पिचकारी से चूत को नहला दिया.

दोनो थोड़ी देर तक वैसे ही बैठे रहे,"तुम हमे कुच्छ देने वाली थी?",राजा साहब मेनका के कान मे फुसफुसाए.

"हा,हुमारे रूम मे है.जा कर लाते हैं.",मेनका उतरने लगी तो राजा साहब उसे लिए हुए उठ गये & घूम कर उसे चेर पे बिठा दिया & अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया.मेनका टांगे फैलाए कुर्सी पर बैठी थी,राजा साहब के लंड का पानी उसकी चूत से टपक रहा था."थोड़ी देर यही बैठो.",राजा साहब ने सारे कागज़ा उठा कर वापस तिजोरी मे डाल कर शेल्फ मे वापस किताबें लगा दी.

"हम अभी आते हैं.",वो स्टडी से बाहर चले गये.

मेनका ने हाथ सर से उपर ले जाते हुए 1 कातिल अंगड़ाई ली.उसने अपनी चूत पे हाथ फिराया तो उसके हाथों मे वाहा का पानी लग गया.उसने डेस्क पर से नॅपकिन उठा कर उसे सॉफ किया.तभी राजा साहब वापस आ गये.

"आओ,"उन्होने उसका हाथ पकड़ कर उठाया तो मेनका लड़खड़ा गयी.चुदाई ने तो उसे पस्त कर दिया था.राजा साहब ने हाथ बढ़ा कर उसे थाम कर अपने कंधे से लगा लिया & चलने लगे.बाहर आकर स्टडी को लॉक किया & उसे ले अपने वॉक-इन क्लॉज़ेट मे आ गये.

क्लॉज़ेट क्या,छ्होटा-मोटा कमरा ही था.अंदर राजा साहब के कपड़े जूते & बाकी सामान करीने से लगा था.क्लॉज़ेट के 1 तरफ एक ड्रेसिंग टेबल रखा था जिसके बगल मे उसी के साइज़ की 1 पैंटिंग लगी थी.पैंटिंग मे एक लड़की अपना शृंगार कर रही थी.राजा साहब ने आगे बढ़ कर उस पैंटिंग को उतार दिया तो पीछे 1 दरवाज़ा नज़र आया.उन्होने मेनका को लिया & उस दरवाज़े को खोल अंदर दाखिल हो गये.

मेनका को 1 लगभग 6 फीट लंबा गलियारा नज़र आया जिसके आख़िर मे भी 1 दरवाज़ा खुला था & वाहा से रोशनी आ रही थी.दोनो गलियारा पार कर उस दरवाज़े को भी पार कर गये.

"अरे!!",मेनका की सारी थकान काफूर हो गयी.वो अपने बेडरूम के वॉक-इन क्लॉज़ेट मे खड़ी थी,उसने देखा की उसके क्लॉज़ेट की वो पैंटिंग उतार कर 1 तरफ रखी थी.

"ये क्या है?",राजा साहब के साथ वो अपने कमरे मे आ गयी.

राजा साहब उसके बिस्तर पर लेट गये & अपनी बाँहे खोल दी.मेनका थोड़ी हैरान सी उनमे समा गयी.राजा साहब ने उसे बाँहों मे भर अपने से चिपका लिया & 1 लंबी किस दी.,"हमारे पुरखों की बगल के राज्य वाले राजाओं से हुमेशा जुंग होती रहती थी.राजपरिवार की सुरक्षा के लिए उपरी मंज़िल के राजपरिवार के कमरों को इस तरह से जोड़ा गया ताकि मुसीबत के वक़्त दुश्मन से बच कर भागा जा सके.इस महल मे ऐसे और भी रास्ते हैं."

"पर हम इस रास्ते का इस्तेमाल केवल आपको प्यार करने के लिए करेंगे."

"मेरा तो सर घूम रहा है,पहले वो तिजोरी & अब ये रास्ते.",उसने अपने सर पर हाथ रखा,"पर एक बात बताओ क्या नौकरों को भी पता है इन रास्तों के बारे मे?"

"2-3 पुराने खास नौकरों को जो कि इसका ज़िकरा किसी से भी नही करते.",राजा साहब उसकी 1 चूची के निपल को मसालने लगे

"..उउंम...म्‍म्मह...अच्छा.और जब आप अपने कमरे मे चले जाएँगे तो हम ये भारी-भरकम पैंटिंग कैसे लगाएँगे?"

"वो केवल देखने मे भारी है.उठा कर देखना बिल्कुल हल्की है.",और अपने मुँह मे वो पूरी चूची भर ली.

"एयेए....आहह...यश..!",उसने अपनी 1 टाँग अपने ससुर की टाँग पर चढ़ा दी & दोनो फिर से प्यार के समुंदर मे गोते लगाने लगे.

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ठीक उसी वक़्त शहर मे उनका दुश्मन भी अपनी रखैल की चूत चोदने के बाद उसकी गांद मार रहा था.

"...1 बात बता साली...ऊओवव्व!",जब्बार ने मलिका की गंद मे ज़ोर का धक्का मारा.वो घोड़ी बनी थी & जब्बार पीछे से उसकी गंद मार रहा था.

"बोल,छिनाल."

"जब उस दिन की एंट्री फाइल मे है ही नही तो तुझे कैसे यकीन है कि वही पाइलट उस दिन राजा को ले गया होगा?"

"यकीन नही है,बस अंदाज़ा है.यकीन तो तू दिलाएगी जब उसे शीशे मे उतारेगी.",जब्बार ने अपनी उंगली उसली चूत मे डाल दी & दूसरे हाथ से उसकी चूचिया मसल्ने लगा.

"कल रात वो "बिज़्ज़रे" डिस्को मे जाएगा.वही तू उसे अपने जाल मे फँसाएगी.",उसके धक्कों की स्पीड बढ़ गयी थी.

"आ...अनन्न..हह..,ठीक है कुत्ते...आ....इयैयियैआइयीययी...ऐसे ही मार.फा..आड दे मेरी गा..आँड ...ऊऊओ...ऊओह..!",&वो झाड़ गयी.जब्बार ने भी 3-4 बेरहम धक्के और लगाए & उसकी गंद मे पानी छ्चोड़ दिया.

थोड़ी ही देर मे वो खर्राटे भर रहा था,पर मलिका की आँखों मे अभी भी नींद नही थी.उसे कल्लन का लंबा लंड याद आ रहा था.उसने जब्बार की तरफ देखा,जब उसे यकीन हो गया कि वो सो रहा है तो वो उठी & दबे पाँव कल्लन के कमरे मे चली गयी.

कल्लन चादर ओढ़ सो रहा था.मलिका उसकी चादर मे घुस गयी तो पाया कि वो नंगा है.उसने झट से उसके लंड को पकड़ लिया & हिलाने लगी.कल्लन की नींद खुल गयी,उसने मलिका को चित किया & टांगे फैला कर अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया.मलिका ने उसके कंधे मे दाँत गढ़ा अपने हलक से निकलती हुई चीख ज़ब्त की & अपनी टांगे उसकी कमर मे लपेट उस से चुदने लगी. दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस पार्ट को यही समाप्त करता हू फिर मिलेंगे अगले पार्ट मे तब तक के लिए विदा
 
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मस्त मेनका पार्ट-7

गतान्क से आगे...............

सुबह के 5 बज रहे थे.मेनका पूरी तरह से नंगी बेख़बर सो रही थी.बगल मे राजा साहब अदलेते से जागे हुए थे & उसकी जवानी को निहार रहे थे,वो भी पूरी तरह नंगे थे बस उनकी कलाई पर 1 सोने का ब्रेस्लेट चमक रहा था.ब्रेस्लेट के बीच मे चमकता सूरज बना था जोकि उनका राजचिन्ह भी था.यही वो चीज़ थी जोकि मेनका ने बॉमबे मे उनसे छिपा कर खरीदी थी ताकि उन्हे सर्प्राइज़ दे सके.कल रात आख़िरी बार की चुदाई के बाद उसने अपने हाथों से ये उन्हे पहनाया था.

राजा साहब मेनका को देखने लगे.सोते वक़्त कितनी मासूम लग रही थी.उसकी बड़ी-2 छातियो के बीच उनकी दी चैन चमक रही थी.साँसों के कारण उसकी चूचिया उपर नीचे हो रही थी . ये नज़ारा देख कर राजा साहब का सोया लंड फिर जागने लगा & उनका दिल किया कि अपने होठ अपनी बहू के निपल्स से लगा दें.पर तभी उन्हे समय का ध्यान आया,थोड़ी देर बाद दोनो को ऑफीस भी जाना था.अगर अभी वो मेनका को चोद्ते तो आज वो ज़रूर ऑफीस मिस कर देती जोकि वो बिल्कुल नही चाहते थे.

उन्होने 1 लंबी साँस भरी & उठकर क्लॉज़ेट के रास्ते अपने कमरे मे चले गये.फिर वहाँ से मेनका की नाइटी & नेकलेस लाकर उसके बेड पे रख दिया & इस बार फाइनली अपने बेडरूम मे चले गये & क्लॉज़ेट के उस सीक्रेट रास्ते को बंद कर दिया.

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राजकुल ग्रूप के ऑफीस के कान्फरेन्स हॉल मे राजा साहब अपने एंप्लायीस को डील के बारे मे & डील के पैसों से उन्हे मिलने वाले बोनस के बारे मे बता रहे थे,"..और अब 1 आखरी अनाउन्स्मेंट.अभी तक कंपनी का केवल 1 वाइस-प्रेसीडेंट था कुंवर विश्वजीत सिंग पर आज से 2 वी-पी होंगे & दूसरी वी-पी होंगी कुँवारानी मेनका सिंग."तालियों की गड़गढ़त से हॉल गूँज उठा,"...आज के बाद अगर हम ऑफीस मे ना हो तो हमारी जगह आप कुँवारानी को ही अपना सबसे बड़ा बॉस समझिए.ये सारी बातें थी जोकि आपका जानना ज़रूरी था.अगले 2-3 दीनो मे बोनस की रकम आपके सॅलरी अकाउंट्स मे जमा करा दी जाएगी.थॅंक यू."

मीटिंग के बाद मेनका राजा साहब के ऑफीस चेंबर मे बैठी थी,"क्या ज़रूरत है हमे वी-पी बनाने की?"

"अरे भाई,वैसे ही तुम 1 वी-पी की सारी ज़िम्मेदारियाँ उठाती हो तो बना भी दिया.",पास आकर उसे चेर से उठाया & बाहों मे कस लिया.

"क्या कर रहे हो?कोई आ जाएगा.",मेनका छूटने की कोशिश करने लगी.चेहरे पर घबराहट & शर्म के मिले-जुले भाव थे.

"हमारे ऑफीस मे बिना हमारी इजाज़त के कोई नही आ सकता.",राजा साहब ने उसके होठ चूम लिए.

"प्लीज़,यश मुझे डर लग रहा है.पागल मत बनो,ऑफीस है किसी को पता चल गया तो ग़ज़ब हो जाएगा."

"हम पर भरोसा रखो,तुमसे ज़्यादा तुम्हारी फ़िक्र करते हैं.",& एक बार फिर उसके होंठ चूमने लगे.उन्होने अपने हाथों से नीचे से उसकी साड़ी उठानी शुरू कर दी.मेनका फिर कसमसाई,"..प्लीज़..",पर राजा साहब ने उसे अनसुना करते हुए साड़ी कमर तक उठा दी & अपने हाथों से उसकी पॅंटी मे कसी गांद की फांको को मसल्ने लगे.

वैसे ही उसकी गांद पकड़ कर चूमते हुए उन्होने उसे डेस्क पर बैठा दिया & खुद उसके सामने चेर पर बैठ गये & 1 झटके मे उसकी पॅंटी उतार दी.मेनका कुच्छ कह पाती इस से पहले ही उसकी जंघे उसके ससुर के कंधे पे थी & उनके होठ उसकी चूत पे जा लगे.

"ऊओ...ऊ..",मेनका की सिसकारी निकल गयी.उसने अपनी जांघों मे अपने ससुर को भीच लिया & अपने हाथों से उनके सर को अपनी चूत पर दबाने लगी.राजा साहब के मुँह ने उसकी चूत को चाटना,चूमना &चूसना चालू कर दिया & हाथ उसकी ब्लाउस मे कसी चूचियों को दबाने लगे.मेनका मस्त हो गयी पर मन के किसी कोने मे पकड़े जाने का डर भी था.वो जल्दी से जल्दी झड़ना चाहती था & राजा साहब इसमे उसकी पूरी मदद कर रहे थे.थोड़ी ही देर मे मेनका ने अपनी गंद डेस्क से उठा दी & अपने होठ काट अपनी सिसकारियों को ज़ब्त करते हुए अपने ससुर का मुँह अपने हाथों से अपनी चूत पे और दबा दिया & झाड़ गयी.

राजा साहब उठे,अपनी पॅंट खोली & अपना लंड निकाल कर डेस्क पर बैठी मेनका की गीली चूत मे डाल दिया.लंड घुसते ही मेनका उनसे लिपट गयी &उनके धक्कों का मज़ा उठाने लगी,थोड़ी ही देर मे उसकी गंद फिर हिलने लगी.उसके होठ अपने ससुर के होठों से लगे थे & हाथ उनके पूरे शरीर पर फिर रहे थे.राजा साहब ने अपने हाथ नीचे से उसकी गंद पर कस दिए थे.दोनो चुदाई मे पूरी तरह डूब गये & थोड़ी ही देर मे दोनो के शरीर झटके खा कर झाड़ गये.

दोनो वैसे ही लिपटे 1 दूसरे को चूम रहे थे कि राजा साहब का मोबाइल बजा.

"हेलो."

"दुष्यंत बोल रहा हू,यशवीर.तुम्हारे केस के बारे मे कुच्छ बात करनी थी."

"हा,भाई.बोलो,क्या पता चला?",राजा साहब ने अपना लंड अपनी बहू की चूत से खीच लिया पर उनका खाली हाथ अभी भी उसका सर सहला रहा था.

"भाई तुम शहर आ जाओ तो तुम्हे अच्छी तरह सारी बात समझा दू.",मेनका ने डेस्क से उतर कर अपने ससुर की आएडियों पे गिरी पॅंट को उठा कर उन्हे वापस पहना दिया.

"ठीक है,दुष्यंत.हम बस अभी निकलते हैं.",फोन काट कर उन्होने मेनका को अपने पास खींच कर चूमा & उसकी आँखों मे उठे सवाल का जवाब दिया.,"1 बहुत ज़रूरी काम से शहर जाना पड़ रहा है.रात तक लौट आएँगे .घबराईए मत.चिंता की कोई बात नही है.",उन्होने ज़मीन पर पड़ी पॅंटी उसे थमाई.

मेनका उसे ले बाथरूम चली गयी.जब बाहर आई तो राजा साहब ने उसे गुडबाइ किस दी & चले गये.

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शहर के 5-स्टार होटेल के उस कमरे मे राजा साहब अपने जिगरी दोस्त के साथ बैठे थे पर कमरे मे उनके अलावा 1 नौजवान भी था.

"यश,ये मनीष है.तुम्हारा केस यही इन्वेस्टिगेट कर रहा है.और ये राजा यशवीर सिंग हैं,मनीष."

मनीष ने उन्हे प्रणाम किया तो राजा साहब ने जवाब मे सर हिलाके उस नौजवान को ठीक से देखा.

"इसकी उम्र पर मत जाना,यश.मेरे सबसे काबिल बन्दो मे से है ये.",दुष्यंत वेर्मा फिर मनीष से मुखातिब हुए,"मनीष अब तुम सारी रिपोर्ट हम दोनो को दो."

"जी सर.",मनीष ने बोलना शुरू किया,"सर,मैने राजपुरा & शहर की उन सभी जगहो पर जाकर तहकीकात की जहा कुंवर साहब का आन-जाना था.शुरू मे मुझे कहीं कोई सुराग नही मिला कि आख़िर उन्हे ड्रग कौन देता था.शहर के अपने मुखबिरो के ज़रिए मैने पता लगाया तो पाया कि यहा का किसी डीलर ने तो कभी उनसे कोई सौदा नही किया था.फिर राजपुरा जैसी छ्होटी जगह ये डीलर्स तो जाने से रहे.1 आदमी के बिज़्नेस के लिए यहाँ का अपना हज़ारों का नुकसान-ये कोई सेन्स नही था."थोडा रुक कर मनीष ने पानी का 1 घूँट लिया.

"..मैने अपना ध्यान राजपुरा पर लगा दिया.मुझे पता चला कि कुंवर आदिवासियों के गाओं महुआ की शराब लेने जाते थे.और यही किस्मत से मेरे हाथ 1 बड़ा सुराग लग गया.आदिवासियों ने बताया कि कुंवर के अलावा भी 1 शहरी आदमी था जोकि उनसे महुआ ले जाता था.उन्होने 1 बार उसे कार मे बैठे कुंवर से कुच्छ बाते करते हुए भी देखा था.जब मैने उसका हुलिया,नाम आदि पूचछा तो कुच्छ खास नही पता चला."

"..फिर 1 दिन मैं इसी सुराग के फॉलो-उप के लए उन आदिवासियों के पास गया.वाहा 1 आदिवासी जो शहर मे नौकरी करता था,बैठा हुआ था & अपने कॅमरा मोबाइल से फोटो खिच रहा था.फोन मे कुछ प्राब्लम आई तो उसने मुझे दिखाया.देखा तो पाया कि मेमोरी फुल है.मैने उसे कहा कि कुछ फोटोस डेलीट करनी पड़ेगी."

"..उसने कहा कि वो बताता जाएगा & मैं फोटोस डेलीट करता जाऊं.फोटोस डेलीट करते हुए मेरी नज़र 1 फोटो पर पड़ी.उसमे 1 गोरा-चितता शहरी था.बाकी सारे फोटो उन आदिवासीयो के थे तो फिर ये शहरी कौन था?"राजा साहब गौर से मनीष को सुन रहे थे.

"..उस आदिवासी ने बताया कि यही वो आदमी था.और यही वो फोटो है,सर.",मनीष ने अपना लॅपटॉप ऑन कर स्क्रीन राजा साहब की तरफ कर दी.फोटो मे 3 आदिवासी बैठे हंस रहे थे& पीछे फोटो के कोने मे वो शहरी था.राजा साहब के दिमाग़ मे उस इंसान का चेहरा छप गया.

"क्या गॅरेंटी है मनीष कि यही इंसान ड्रग डीलर है?"

"ये राजा साहब.",मनीष ने 1 छ्होटा सा पॅकेट आगे बढ़ाया जिसमे 1कॅप्सुल था.,"ये 1 बार इसकी जेब से गिर गया था & महुआ बेचने वाले आदिवासी ने दवा समझ कर अपने पास रख लिया था & फिर भूल गया था.इस आदमी की बात चलने पर उसे याद आया तो मुझ से इस 'दवा' के बारे मे पुच्छने लगा."

"वेल डन,मनीष.आइ'एम प्राउड ऑफ यू.",दुष्यंत वेर्मा ने उसकी पीठ ठोनकी.

"मनीष,आपने कमाल का काम किया है.हम चाहते हैं कि इस इंसान को ढूँढने मे आप हमारी मदद करें.",राजा साहब ने उस से हाथ मिलाया.

"सर,ये भी कोई कहने की बात है.जब तक पता ना चल जाए मैं भी चैन से नही बैठूँगा."

"..पर यश ये कौन हो सकता है?वही जाबर का साथी?"

"पता नही,दुष्यंत समझ नही आ रहा.जब्बार का कहने को तो धंधा प्रॉपर्टी डीलिंग का है पर असल मे डिस्प्यूटेड प्रॉपर्टीस को बिकवाना,किसी की प्रॉपर्टी पर ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा कर उस से पैसे ऐंठना ये उसका असल काम है.मशहूर है कि उसकी जेब मे 1 चाबियों का गुच्छा है जिस से कि दुनिया का कोई भी ताला खुल सकता है."राजा साहब ने ग्लास उठा कर पानी पिया,"..पर ड्रग्स...ये मेरी भी समझ मे नही आ रहा.इस तस्वीर वाले आदमी को भी पहली बार देखा है.पर मेरा मन कहता है कि इस के तार जब्बार से ही जुड़े हैं.पर कैसे?"

"ये मनीष पता लगा ही लेगा.तुम चिंता छ्चोड़ो.चलो कुच्छ खाते हैं."

रात के 11:30 बज रहे थे पर राजा साहब अभी तक नही आए थे.शाम 7 बजे फोन आया था कि वो खाना खा कर आएँगे पर किसी भी हाल मे 10 बजे तक आ जाएँगे.मेनका 1 छ्होटा-सा वाइट केमिसोल जोकि बस उसकी पॅंटी को ढके हुए थे, पहने बेचैनी से अपने कमरे मे चहलकदमी कर रही थी.अपने मोबाइल से वो लगातार अपने ससुर का मोबाइल ट्राइ कर रही थी पर बार-2 स्विच्ड ऑफ का मेसेज आ रहा था.क्लॉज़ेट का रास्ता उसने खोल दिया था & उसकी नज़रे बार-2 वाहा जा रही थी.

तभी कार की आवाज़ आई,राजा साहब लौट आए थे.नीचे से नौकरों को बाहर कर दरवाज़ा बंद करने की आवाज़ आई तो मेनका अपने बिस्तर पर चादर ओढ़ कर लेट गयी.अपनी पीठ उसने क्लॉज़ेट की तरफ कर ली.वो गुस्से मे पागल हो रही थी.

थोड़ी देर बाद राजा साहब क्लॉज़ेट के रास्ते उसके कमरे मे दाखिल हुए,वो पूरे नंगे थे.राजा साहब ने चादर उठाई & लेट कर मेनका को पीछे से अपनी बाहों मे जाकड़ लिए.,"जाओ,मुझे सोने दो.",मेनका ने उनका हाथ हटा दिया.

"क्या हो गया?"

"कुच्छ नही.हमे नींद आ रही है."

"नही तुम नाराज़ हो.क्या ग़लती हो गयी भाई?",उन्होने फिर उसे जाकड़ लिया & पीछे से अपना नंगा बदन उसकी पीठ & गंद से चिपका दिया.

"1 तो इतनी देर कर दी,उपर से फोन भी नही उठा रहे थे & पूछते हो क्या ग़लती की!"

"फोन डिसचार्ज हो गया था & कहा था ना कि ज़रूरी काम था,उसी मे देर हो गयी.अब गुस्सा छ्चोड़ो & प्यार करो.",उनका दाया हाथ उसकी पॅंटी मे घुस गया & बाया उसकी गर्दन के नीचे आ गया & वही से उसकी चूचिया दबाने लगा.

अपनी गांद पे अपने ससुर का लंड महसूस करते ही मेनका ने अपना हाथ पीछे ले जा कर उसे पकड़ लिया & हिलाने लगी.,"क्या कम था.......आन्न...न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह?"राजा साहब की उंगलिया उसके चूत के दाने को रगड़ रही थी.

"वक़्त आएगा तो सब बताएँगे,मेनका.अभी बस हमे प्यार करो."राजा साहब ने उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाया & दोनो एक-दूसरे को जमकर चूमने लगे.मेनका 1 बार झाड़ चुकी थी.राजा साहब ने उसका केमिसोल & पॅंटी उसके जिस्म से अलग किए & पीछे से करवट लिए हुए ही अपना लंड उसकी चूत मे डाल दिया & उसकी पीठ से चिपक कर धक्के मारने लगे.उनका लंड मेनका के जी स्पॉट से रगड़ खा रहा था & वो दुबारा झाड़ गयी.

राजा साहब ने बिना उसकी चूत से लंड निकाले उसे घुटनो के बल उल्टा खड़ा कर दिया .मेनका का सर तकिये मे धंसा हुआ था & गंद हवा मे उठी हुई थी.उसके ससुर का लंड जड़ तक उसकी चूत मे डूबा हुआ था & उनके हाथ उसकी गंद & चूचियो को मसल रहे थे.राजा साहब ने उसे इसी पोज़िशन मे चोदना शुरू कर दिया,मेनका मस्ती मे झूम रही थी.

डॉगी स्टाइल मे चोद्ते-2 राजा साहब ने ऐसे ज़ोरदार धक्के मारे कि मेनका बिस्तर पर पेट के बल गिर पड़ी.राजा साहब भी धक्के रोके बिना उसके उपर लेट गये,अपने हाथ उसके नीचे ले जाकर उसकी चूचियाँ दबाने लगे & लगे अपनी बहू की चुदाई करने.मेनका ने अपना सर उठाकर पीछे घुमाया तो राजा साहब ने अपने होठ उसके होठों से लगा दिए.

दोनो एक-दूसरे को चूमते हुए चुदाई कर रहे थे.मेनका ने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया & अपने ससुर के होठों को कस लिया,वो झाड़ गयी थी & तभी राजा साहब ने भी उसकी चूचियो पे अपनी पकड़ बहुत मज़बूत कर दी &1-2 धक्के लगा कर उसकी चूत मे अपना पानी छ्चोड़ दिया.

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"बिज़्ज़रे" नाइटक्लब खचाखच भरा था.म्यूज़िक & लोगों की बातचीत का शोर था & क्लब के बार के सामने ड्रिंक्स लेनेवालों की भीड़ जमा थी.

"एक्सक्यूस मी..मेराड्रिंक..",वो छ्होटा-सा ब्लॅक ड्रेस पहने लड़की बारटेंडर को अपना ऑर्डर देने की कोशिश कर रही थी पर इस भीड़ & शोर मेउसका ध्यान उस लड़की की तरफ जा ही नही रहा था.माजिद सुलेमान की नज़रे उस लड़की के ड्रेस से झाँकती गोरी टाँगों & जांघों के हिस्से को घूर रही थी.


"ये लीजिए अपनी ड्रिंक.",उसने भीड़ मे से हाथ बढ़ा कर बारटेंडर से 1 ग्लास लिया & उस लड़की को पकड़ाया.

"थन्क्यौ.",माजिद ने डिस्को लाइट्स मे उस लड़की का चेहरा देखा-बला की खूबसूरत थी & ड्रेस के गले मे से झाँकता उसका क्लीवेज..उफ्फ!

"मुझे माजिद कहते हैं."

"हाई!आइ'म रोमा.",उसने माजिद से हाथ मिलाया.

"आप अकेली आई यहाँ?"

"नही.अपनी सहेली & उसके बाय्फ्रेंड के साथ आई थी.पता नही दोनो कहा गायब हो गये."

"आप अपने बाय्फ्रेंड के साथ नही आई?"

"मेरा ब्रेक-अप हो गया है."

"आइ'म सॉरी."

"नो यू शौउल्ड़न'ट बी.आइ'म नोट.उसने मुझे किसी ओर के लिए छ्चोड़ दिया."

"ओह.वो शर्तिया बेवकूफ़ इंसान होगा जिसने आपके जैसी हसीन लड़की को छ्चोड़ दिया.तो आप फिर से सिंगल हैं?"

"तारीफ के लिए शुक्रिया.जी हा,मैं सिंगल हू.और आप?"

""मैं भी."

"आप क्या करते हैं?"

"मैं टॅक्सी-ड्राइवर हू."

"जी?!"

"जी.मैं 1 चार्टर एरक्रॅफ्ट कंपनी.मे पाइलट हू.जो लोग प्लेन्स हाइयर करते हैं उन्हे उनकी मंज़िल तक पहुचाता हू."

"ओह्ह.",दोनो हँसने लगे."आप बहुत मज़किया हैं,मिस्टर.माजिद?"

"प्लीज़ नो मिस्टर. & नो आप."

"ओक.तो तुम पाइलट हो.कितना एग्ज़ाइटिंग काम है.बहुत मज़ा आता हाओगा ना प्लेन उड़ाने मे...

...और ऐसी ही बातों से रोमा उर्फ मलिका ने उस पाइलट को शीशे मे उतारना शुरू कर दिया.
 

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