Fantasy मेरे अंतरंग हमसफ़र

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Update 08
अंतरंग हमसफ़र भाग 08- सुन्दर युवती से मुलाकात.
अभी तक आपने , मेरे अंतरंग हमसफ़र 7 में पढ़ा
हमने दस बजे नाश्ता किया, उसके बाद मैं रूबी के कमरे में गया, जहाँ पर रोजी, मोना और टीना पहले से मौजूद थी । प्रत्येक को मैंने सुंदर भेंट और गिफ्ट्स दिए, और उन्हें बताया कि अगर वो मेरे प्रति वफादार रहने का वादा करे तो उन्हें मैं हमेशा के लिए, उन सभी चारो को अपने साथ रखूंगाl उनमें से हर एक मुझसे बिस्तर पर एक बार फिर से उसे चुदने के लिए बेचैन थी, लेकिन समय आभाव के कारण मैं केवल एक के ही साथ सम्भोग कर सकता था, उन्होंने मेरी आखिरी चुदाई के लिए लाटरी डाली जो मोना के पक्ष में गयी। वह पूरे बिस्तर पर लेट गई, और जब मैंने अपनी पैंट उतारी, तो बाकी लड़कियों ने भी अपने कपड़े उतार दिए।
सब एक लाइन में खड़ी हो गयी और प्रत्येक ने एक पैर उठाया, और मैंने अपना प्यार का पिस्टन मोना की स्वादिष्ट पनाहगाहों में डाल कर द्वारा उसे परमानंद में डूबा दिया और तीनो को किश करने के बाद जाने लगा तो रोजी बोली वह मेरे बिन नहीं रह पाएगी और मेरे से दूर रह कर मर जायेगीl रोजी ने मुझ से अभी अपने साथ ले जाने की प्राथना की, तो मैंने माँ से बात करि की गाँव ने मेरी देखभाल रोजी ने अच्छे से की है इसलिए मैं चाहता हूँ ये शहर में भी मेरी देखभाल करे तो माँ ने भी मुझे इसकी इजाजत दे दी l फिर उसकी बहन ने भी कहा इसे आप साथ ले जाओ, तो मैंने कहा कुछ दिन में आप तीनो भी मेरे पास आ जानाl मैं इसका इंतजाम कर दूंगा।
तो मैंने जा कर फूफा को बोला माँ ने मुझे अपनी देखभाल के लिए रोजी को शहर में लाने को कहा है इसलिए उसे शहर ले जाने की अनुमति ले ली हैl फूफा जी ने भी अनुमति दे दी और रोजी फटाफट कुछ जरूरी सामान ले आयी और उसके बाद अपने फूफा और दोनों फूफेरे भाइयो के साथ रोजी को लेकर वापिस शहर रवाना हो गए।
दोस्तों मैं दीपक,अब तक कहानी में आपने पढ़ा आपने मेरी कहानिया झट शादी पट सुहागरात-1-4 में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी प्रीती एक दिन मेरे रूम में आ गयी शादी का जोड़ा लेकरl उसने अपने दिल की बात मुझसे कही और दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो l उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी और रूबी मिली, और मेरी पहली चुदाई के बारे में पूछने लगीl मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिलाl कैसे मेरी और रोजी की पहली चुदाई हुईl उसके बाद कैसे मैंने रूबी को चोदा l फिर हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनायाl रोजी ने हमे अपनी सहेली टीना से मिलवाया और टीना की पहली चुदाई कैसे हुईl फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदा रात में एकबार फिर सबका एक साथ ग्रुप सेक्स हुआ और रोजी मेरे साथ शहर आ गयीl
अब आगे

इसके बाद मैं चुप हो गया तो प्रीती बोली काफी मजेदार रहा आपका गाँव का ये सफर l क्या मोना ही वो लड़की है जिसके साथ सेक्स करके आपको सबसे ज्यादा मजा आया? क्या मोना आपसे फिर मिली? आगे फिर क्या हुआ ये भी बताइयेl
तो मैं बोला प्रीती तुम्हारे साथ मुझे मोना के साथ सेक्स करने से भी ज्यादा मजा आया, क्योंकि जहाँ मोना की योनि का छेद बहुत छोटा और टाइट है वही तुम और तुम्हारी योनि बिलकुल स्पेशल हैl तुम्हारे साथ जो मजा आया वह मेरे अब तक के अनुभवों में सबसे बेहतरीन रहा हैl तुम्हारे कौमार्य को भंग करने का सौभाग्य भी मुझे मिला हैl जबकि मोना का कौमार्य टॉम ने भंग किया था और रूबी का बॉब ने ,( जो की उन्होंने ही मुझे बताया था ) पर फिर भी मुझे दोनों बहुत प्यारी हैं l और जब भी मौका मिलता है वो मेरी सेवा में उपस्थित हो जाती हैं l
तो प्रीती बोली फिर अपने सभी अनुभवों के बारे में बताइये l
तो मैंने कहा ठीक है फिर आगे सुनो;
मेरे दोनों फूफेरे भाई मुझ से नाराज थे की मैं रूबी, टीना और मोना को साथ क्यों नहीं लायाl यह कहते हुए की तुम केवल अपनी प्रेमिका ही क्यों लाये? हमारा तुमने कोई ख्याल नहीं रखा उन दोनों ने रास्ते में मुझ से ज्यादा बात नहीं कीl
जब हम शहर पहुंचे तो कुछ ही देर बाद फूफा ने बताया मेरी बड़ी बुआ भी मेरी तीनो फूफेरी बहनो के साथ लंदन से दिल्ली आ रही हैं और यही कारण था की हम गाँव से वापिस दिल्ली लौटे थेl गाँव के दौरे ने मेरा लड़कियों की तरफ नजरिया बदल दिया थाl मैंने घर की देखभाल करने वाली प्रमुख सेविका आशा अम्मा से मिल कर पूरे घर का निरीक्षण करने का निर्णय कियाl मैंने आशा अम्मा को रोजी से मिलवाया और उसकी प्रशंसा करते हुए कहा गाँव में रोजी ने मेरी सब जरूरतों का बढ़िया ख्याल रखाl तो उन्होंने रोजी को मेरे कमरे और मेरी देखभाल करने की जिम्मेदारी दे दी l सबसे पहले जहाँ मेरा कमरा था, उसे देखा तो उसमे किताबी फैली हुई थी तो रोजी को उसे व्यवस्थित करने को कहाl
हमारा मुख्यता दिल्ली के दक्षिणी इलाके में फ़ार्म हाउस नुमा घर हैl उसमे मुख्यता तीन बड़े बड़े भवन हैं l सबसे आगे का एक भवन जिसमे बैठक पिताजी का दफ्तर और मेरे पिताजी और माता जी रहते हैंl मेरा भी अपने स्कूल की पढाई के दौरान मेरा कमरा भी उसी भवन की पहली मंजिल पर था आने वाले सभी मेहमान भी इसी पहले मुख्य भवन में रहते हैंl इसमें काफी सारे कमरे थेl
दुसरे हिस्से में मेरे स्वर्गीय दादाजी रहते थे l ये हिस्सा घर मुख्या हिस्से से थोड़ा अलग है l अपने जीवन काल में अधिकतर दादा जी इसी हिस्से में रहते थेl ये हिस्सा मुख्य भवन से थोड़ा सा बड़ा हैl जिसमे एक बहुत बड़ा हाल और कुछ कमरे हैं l घर की देखभाल की प्रमुख आशा अम्मा ने मेरा एकाकी स्वभाव और घर में भीड़ भाड़ को देखते हुए मुझे मेरे दादा का उनके इन्तेकाल के बाद से बंद पड़ा हुआ कमरा दे दिया गयाl उन्हें मेरे स्वभाव में आये परिवर्तन का अभी कुछ अंदाजा नहीं था और रोजी को मेरी और मेरे कमरे की देखभाल की जिम्मेदारी और उसके साथ ही लगता हुआ कमरा दे दिया गया l चुकी घर में काफी मेहमान आ गए थे तो घर की देखभाल के लिए और सहायको की आवश्यकता थी .तो रोजी ने फुर्ती से आशा अम्मा की सहायता करते हुए घर के कुछ काम अपने ऊपर ले लिए तो आशा अम्मा ने उसकी कार्य कुशलता की तारीफ कीl
मैंने सारे कामो को व्यवस्थित करवाने को कहा तो आशा अम्मा ने कहा इसमें थोड़ा समय लगेगा, तो मैंने भी मौके पे चौका मारते हुए कहा गाँव में कुछ और लड़किया थी जो काम अच्छे तरीके सलीके और मेहनत से करती हैं उन्हें बुला लेते हैं, आपकी मदद के लिए l जिसके लिए आशा अम्मा ने सहर्ष सहमति दे दी और मैंने फ़ोन करके रूबी, मोना और टीना को जल्द से जल्द दिल्ली आने को कह दियाl तीनो बोली वह रात की बस पकड़ कल सुबह तक आ जाएंगीl
जिससे आशा अम्मा भी प्रसन्न हो गयी की अब मैं भी समझदार हो गया हूँ और घर की जिम्मेदारी उठाने लग गया हूँ l ये सुन कर की टीना रूबी और मोना भी आ रही हैं टॉम और बॉब भी बेहद खुश हो गए l
इसके इलावा तीसरा भवन था जिसमे पिताजी की कुछ अन्य स्त्रिया अपने बच्चो के साथ रहती थी ( हमारे यहाँ पुरुषो के द्वारा एक से अधिक स्त्रियाँ रखने की प्रथा रही है) l और फिर इसके इलावा चौथे हिस्से में कुछ सेवक सेविकाओं के के कमरे थे जिनमे सेवक सेविकाएं और उनके परिवार रहते थेl
वहां पर मुझे एक बहुत सुन्दर युवती मिली जिसका नाम अलका थाl
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वह मेरी कजिन ( छोटी बुआ की लड़की) थी l वह मुझे देख कर बोली दीपक आज आप इधर का रास्ता कैसे भूल गए,?
तो मैंने कहा की पिताजी विदेश गए हैंl मुझे घर की देखभाल की जिम्मेदारी दे गए हैं, तो मैं देखने आया हूँ, किसी को कोई दिक्कत तो नहीं है l
फिर अलका ने मुझे वहां हमारे पूरे परिवार से मिलवाया और कइयों से तो मैं पहली बार ही मिला थाl सब मुझ से मिल कर बहुत खुश हुए और मैंने सब बड़ो के पाँव छुए और कुछ फल मिठाईया दी जो हम गाँव से अपने साथ ले आये थेl सबने मुझे आशीर्वाद दिया और मैंने अपने से छोटो को कुछ चॉक्लेट के तोहफे दिए, जिससे वो खुश हो गएl
अलका की माँ, मेरी छोटी बुआ ने कहा मुझ में मेरे बाप दादा के गुण स्वाभविक तौर पर आ गए हैंl मैंने वहां मिली लड़कियों को गाँव से लाये कुछ कपडे तोहफे में दिए जो उन्हें बहुत पसंद आये और सब खश हो गयीl
मैंने सबसे कहा अगर किसी को भी कुछ चाहिए हो तो निस्संकोच मुझ से कह सकता हैl मैं जल्द से जल्द उस जरूरत को पूरा करने की कोशिश करूंगा l पर किसी ने कुछ ख़ास मांग नहीं रखीl
भवनों के पीछे एक बहुत बड़ा सुन्दर बगीचा है l फिर उसके पीछे कुछ खेत और चरागाह भूमि थी और उसके पीछे काफी बड़ा जंगल है l मुझे अलका ने वह सब कुछ दिखाया l तो मैंने अलका को अपनी एक अंगूठी देते हुए कहा मेरी तरफ से ये तोहफा कबूल करो l तो अलका ने उसे ले लिया और बोली मुझे आपसे कुछ और भी चाहिए और मुझे गालो पर किश करके भाग गयी lपहले तो मैंने उसका पीछा करने की सोची, फिर चुकी रात होने लगी थी इसलिए सब विचार छोड़ कर वापिस आ गयाl
रात के खाने के बाद सब काम निपटाने के रोजी मेरे पास आ गयीl हम दोनों एक नहाये और फिर मैंने उसे रात में दो बार चोदा और फिर एक दुसरे के साथ चिपक कर सो गएl
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अगले दिन सुबह सुबह जब बड़ी बुआ आयी तो मैं अपनी बुआ से मिला उनके चरण स्पर्श किये, तो उन्होंने मुझे अपने गले लगा कर कहा मेरा भतीजा अब एक सुन्दर बांका जवान बन गया हैl उनसे मिलने के बाद मैं अपनी तीनो फूफेरी बहनो से भी गले मिलाl इस बार उन्हें मिल कर मुझे एक अलग ही आनंद मिला l फिर घर में सबके रहने का इंतजाम किया गया l
तो मैंने एकांत में दोनों फूफेरे भाइयो से कहा भाइयो क्या तुम्हे पता था बुआ आ रही है तो वो बोले हाँ हमें उनका कार्यक्रम पहले से पता थाl तो मैंने कहा अगर आप मुझे भी बता देते तो मैं रूबी टीना और मोना का हमारे साथ दिल्ली आने का प्रबंध पहले ही कर देता. क्योंकि पिताजी ने विदेश जाते हुए मुझे सबका ख्याल रखने की जिम्मेदारी दी थीl चलो कोई बात नहीं आगे से ऐसा कोई राज मत रखना और कभी ये मत सोचना के मैं उनके बारे में नहीं सोचता हूँ l हालात को देख समझ कर ही चलने से सब काम ठीक से हो पाते हैं, तो वह माफ़ी मांगते और शुक्रिया कहते हुए मेरे गले लग गए l
तो मैंने कहा भाई लोगो अब घर में कुछ और लोग भी हैं खासकर महिलाये और लड़किया, इसलिए हमे अपने आगे के प्रेमालाप के कार्यक्रम काफी सावधानी और गुप्त रूप से करने होंगे ताकि हमारे राज खुल न जाएl सबने जरूरी सावधानी रखने का वादा किया और मुझे घर में गुप्त प्रेमालाप के लिए कोई सुरक्षित स्थान ढूंढ निकालने का काम सौंपा गया l जिसमे मैंने रोजी की सहायता लेने का निर्णय किया l
मेरी फूफेरी बहनो का नाम
जेन,
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लूसी
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और
सिंडी
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, क्रमशः, उन्नीस अठारह, अट्ठारह । दो बहने अठारह सालो की कैसे ये खुलासा कहानी में आगे करूंगा l
मार्च अप्रैल के मस्त महीने हमेशा से ही सेक्स के बारे में अपने कामुक प्रभाव के लिए प्रसिद्ध रहे हैंl सर्दी ख़त्म हो रही होती है और ज्यादा गर्मी भी नहीं हुई होती हैl कुदरत भी इस समय अपने रंग बदल रही होती है पेड़ो पर नए पत्ते आ रहे होते हैंl तरह तरह के रंग बिरंगे फूल चारो तरफ खिले होते हैं, जिन्हे देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है l

आगे क्या हुआ ... ये कहानी जारी रहेगी
आपका दीपक
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Update 09

अंतरंग हमसफ़र भाग 09- फूफेरी बहन से प्रेम का इजहार.




अभी तक आपने , मेरे अंतरंग हमसफ़र 8 में पढ़ा;

"मार्च अप्रैल के मस्त महीने हमेशा से ही सेक्स के बारे में अपने कामुक प्रभाव के लिए प्रसिद्ध रहे हैं क्योंकि सर्दी ख़त्म हो रही होती हैl ज्यादा गर्मी भी नहीं हुई होती है और कुदरत भी इस समय अपने रंग बदल रही होती हैl पेड़ो पर नए पत्ते आ रहे होते हैं और तरह तरह के रंग बिरंगे फूल चारो तरफ खिले होते हैं जिन्हे देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है। "

दोस्तों मैं दीपक आपने मेरी कहानिया झट शादी पट सुहागरात-1-4 में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी प्रीती एक दिन मेरे रूम में आ गयी शादी का जोड़ा लेकर l मैंने उसके साथ सुहागरात मनाई और उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी और रूबी मिलीl प्रीती मेरी पहली चुदाई के बारे में पूछने लगी, तो मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला और कैसे मेरी और रोजी की पहली चुदाई हुईl उसके बाद कैसे मैंने रूबी को चोदाl हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनायाl रोजी ने हमे अपनी सहेली टीना से मिलवाया और टीना की पहली चुदाई कैसे हुईl फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदा रात में एकबार फिर सबका एक साथ ग्रुप सेक्स हुआ और रोजी मेरे साथ शहर आ गयीl उसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आयेl

अब आगे


अगले दिन सुबह सुबह टीना रूबी और मोना भी आ गयी और उन्हें देख कर टॉम और बॉब काफी खुश हो गए। उन तीनो को बुआ उनकी बेटियों और मेरे फूफेरे भाइयो बाले भवन की देखभाल की जिम्मेदारी दी गयी।

उस दिन सुबह के नाश्ते के बाद, सफर की थकान के कारण फूफा और बुआ उनकी सभी लड़किया अपने कमरे में जा कर ऊँघने लगेl दोनों बेटे बॉब और टॉम भी जल्दी से अपने कमरे में चले गए ,तो मैं भी भांप गया की वह क्या करने वाले हैं, तो मैंने रूबी को सावधान रहने के लिए कहा क्योंकि यहाँ पर काफी और लोग भी थे। जिस पर रूबी ने भी अपनी सहमति जताई और उसने मोना और टीना को भी सावधान कर दिया।

उसके बाद मैंने एक बार पीछे के मैदान में चहलकदमी करने का निर्णय किया, तो रोजी ने कहा बादल हो रहे हैंl आप छाता ले कर जाए कभी भी बरसात आ सकती हैl मैंने छाता लिया और मैदान की और चल दियाl

वहां पर मुझे अलका दिखाई दी, उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी और बगीचे में फूल चुन रही थी। वह बहुत सुन्दर लग रही थी।

उसने काफी झीनी सी गुलाबी रंग की चोली पहन रखी थीl जिसमे से उसके बड़े बड़े उरोज दिख रहे थेl वह फूल चुन चुन कर अपने साडी की झोली में डाल रही थीl तभी उसके नज़र मुझ पर पड़ी और वह एक दम से हैरान हो कर खड़ी हो गयीl ऐसा करने ने उसके सारे फूल जो उसने चुने थे, नीचे गिर गए l

वह मुझ से बोली आप कैसे हो?

मैंने कहा अच्छा हूँl में उसकी तारीफ करते हुए बोला इस साडी में तुम बेहद सुन्दर लग रही ही तो उसने शर्मा कर अपना सर नीचे झुका लियाl

वो नीचे बैठ कर गिरे हुए फूल दुबारा उठाने लगी तो मैं भी नीचे गिरे हुए फूल उठा कर उसके झोली में डालने लगा l ऐसे करते हुए मेरा ध्यान उसके वक्ष स्थल पर जा कर रुक गया, तो वह जब मुझे देखती थीl मैं भी झेंप कर दुबारा फूल उठाने लगता थाl ऐसा करते हुए हमारे हाथ टकरा जाते थेl हमने नीचे से सारे फूल उठाये ही थे की तभी हलकी सी बारिश शुरू हो गयीl तो मैंने कहा आप भीग जाओगी छतरी में आ जाओl वह छतरी के नीचे आ गयीl मेरे हाथ उसके स्तनों को हलके से छु रहे थेl तभी बारिश तेज हो गयीl मैंने कहा ठीक से पास आ जाओ नहीं तो भीग जाओगी और बीमार हो जाओगी, तो वह और नजदीक आ गयी और उसके उरोज मेरे हाथो से दब गए।

वह मुस्कुरा दी और मेरे हाथो की और देखने लगी मैंने भी देखा l न तो उसने पीछे हटने की कोशिस करि, न मैंने हाथ हटायाl वाह! क्या अनुभव था l क्या नरम मुलायम अहसास थाl

वह धीरे से बोली प्लीज ये छाता मुझे दे दीजिये मैं पकड़ लेती हूँl तो मैंने उसे छाता दे दिया और उसके हाथ पर अपना हाथ रखाl तभी एक जोर से बिजली कड़की और अलका डर कर मुझ से लिपट गयीl मैंने अपना दूसरा हाथ उसके कमर में डालते हुए दुसरे हाथ से अपने और खींचाl

मैं बोला जो कल आपने मुझे दिया था उसके बदले मुझे भी आपको कुछ देना है, और उसे अपनी और खींचते हुए उसे उसके ओंठो पर किश कर दियाl तभी दूर से एक आवाज आयी अलका आ जाओ, बारिश आ गयी है और अलका फूल सभालते हुए चुंबन तोड़ कर वहां से भाग गयी।

वहां हवा जोर जोर से चलने लगी मुझे बारिश पर बहुत गुस्सा आयाl ये अभी क्यों आ गयी, पर अलका के लिपटने का अहसास याद आते ही, बारिश अछि लगने लगी, क्योंकि बारिश के कारण ही अलका मेरे से लिपटी थीl मैं भी धीरे धीरे चलता हुआ बारिश के मजे लेता हुआ वापिस अपने कमरे में आ गया। वहां रोजी ने एक डायरी मुझे दी और बोली मुझे सफाई करते हुए कमरे में मुझे ये डायरी मिली है। मैंने डायरी को खोला तो मैं लिखाई से पहचान गया वो मेरे दादा जी की थी।
उसमे पहले पेज पर लिखा था ये डायरी मेरे पोते दीपक के लिए सन्देश हैl इसमें लिखा सन्देश दीपक के लिए है l अगर आप दीपक नहीं है तो ये डायरी आप दीपक को दे दे और दादा जी के हस्ताक्षर थे।

उसके अगले पन्नो पे क्या लिखा था मुझे समझ नहीं आ रही थी l मैंने कहा रोजी दादा जी ने कुछ कोड में लिखा है l मैं डायरी लेकर कमरे में घुमते हुए जहाँ खड़ा हुआ वहां एक शीशा था l रोजी बोली कुमार प्लीज वही रुकिए मैं शीशे में डायरी में जो लिखा है, उसमे से कुछ पढ़ पा रही हूँl तो मैंने भी डायरी को उल्टा कर दिया तो मुझे भी डायरी में जो लिखा है वह समझ आने लगा।

मैंने अगला पेज खोला तो उसमे मुझे आशीर्वाद के बाद लिखा था, ये डायरी दीपक तुम अकेले में पढ़ना । इसमें कुछ राज है। उसमे लिखा था दीपक ये वाला घर का हिस्सा जिसमे मेरे दादू रहते थेl उनके बाद वह मेरे अधीन होगा और गांव की भी सारी जमीं जायदाद कितनी है कहाँ है, सब का व्योरा था। इसके इलावा और भी सारी जमीन जायदाद प्रॉपर्टी बिज़नेस का व्योरा थाl दादू ने डायरी में लिखा था उनके मरने के बाद मुझे भी जा सारी जमीन जायदाद रुपए पैसे की जानकारी होनी चाहिए।

डायरी में कुछ गुप्त रास्तो का भी जिक्र था और दो तहखानों का जिक्र थाl गुप्त रास्तो कहाँ हैं, उनमे जाने का क्या रास्ता है और उनमे क्या छुपा है? इस बारे में डायरी में लिखा थाl यह उन तहखानों और गुप्त रास्तो को जब मैं खोज लूँगा तो वही पता चलेगा।

उस के बाद डायरी में कुछ और राज थे जिनका खुलासा मैं कहानी के अगले उपयुक्त भागो मे करूंगा।

तो मैं और रोजी दोनों उन दोनों तहखानों और रास्तो को खोजने में लग गए, पर वह नहीं मिले इतने में दोपहर के खाने का समय हो गयाl

रोजी बोली बाकी खोज का काम रात में करेंगे, अब आप दोपहर का भोजन कर लीजियेl तब तक हलकी हलकी बारिश हो रही थी ।

सब ने साथ में दोपहर का भोजन किया और चुकी बरसात जारी थी तो सब अपने कमरों में चले गए। हाल में केवल मैं, मेरी बुआ की लड़की जेन, लूसी और बॉब रह गए। हम कुछ देर बारिश को देखते रहे। बॉब पढ़ रहा था, तभी अचानक मौसम बदला और बारिश रुक गयी और धुप निकल आयी।

फिर हम लड़कों और लड़कियों ने मैदान में चहलकदमी की। मुझे विशेष रूप से मेरी फूफेरी बहन जेन जो की रूप में पूर्णतया सुन्दर विकसित गोरी , गहरी नीली आँखों के साथ, लाल होंठ, और एक पूर्ण विकसित बड़ी, गर्म छाती, जो मुझे इछाओ की की एक आदर्श ज्वालामुखी की तरह लग रही थी, ने अपनी और सबसे ज्यादा आकर्षित किया था। मैंने थोड़ा और घूमने का प्रस्ताव किया जिसे लूसी और बॉब ने अस्वीकार कर दिया।

मेरा फूफेरे भाई बॉब एक बहुत ही अशिष्ट साथी साबित हुआ। वह धूम्रपान करना चाहता था, इसलिए मुझे बोला आप जेन के साथ चले जाओ, तब तक मैं एक सिगरेट पी लेता हूँl लूसी बोली वह एक किताब जो उसने घर की लाइब्रेरी में देखि है उसे पढ़ना पसंद करेगी, वही जेन ने कहा वह तीन वर्षो बाद यहाँ आयी है और देखना चाहेगी यहाँ क्या क्या परिवर्तन हुए हैं।

जेन से मुझसे पहले मैदान में हुए बदलाव दिखाने के लिए अनुरोध कियाl मैंने फ्रैंक और लूसी से कहा "मुझे लगता है , साथियो आप दोनों बहुत आलसी हैं, आलस्य छोड़ दीजिये चलिए एक लम्बा चक्कर मार कर आते हैं। "

बॉब बोला इतने बढ़िया मौसम में मैं एक सिगरेट पीना चाहूंगाl सिगरेट का धुआँ आपकी निश्चित अच्छा नहीं लगेगाl इसके अलावा, मेरी बहन काफी अच्छी तरह से, या बेहतर योग्य है इसके लिए। मैं मैदान में बाहर निकलने के लिए बेहद उत्सुक नहीं हूंl मेरी बहन को इन सब में मुझ से ज्यादा शौक हैं। वैसे भी मैंने कभी भी कुछ भी नोटिस नहीं किया हैं।" और उसने एक दूसरी दिशा में जाकर अपनी सिगरेट सुलगा ली और लूसी वापिस हाल में चली गयी और कोई किताब पढ़ने लग गयी।

"आओ, जेन ," मैंने उसका हाथ लेते हुए कहा; " बॉब प्यार में है हम घूम कर आते हैं ।"

"नहीं, मुझे यकीन है कि वह अपनी बहनों को छोड़कर कभी किसी लड़की के बारे में नहीं सोचता," उसका जवाब था। तो मैंने कहा मुझे लगता है शायद उसे अपनी सिगरेट से प्यार है।

हम अब मैदान से आगे निकले। पेड़ो की एक छायादार सैर में, सबकी नज़र से दूर इसलिए मैं थोड़ा खुलते हुए बोला "लेकिन, अगर वह नहीं है तो निश्चित रूप से, आप, प्यार में हैं । मैं इसे आपकी आँखों से आपके लाल होते हुए सुन्दर गालो से और तेज चलती साँसों के कारण तेज धड़कती हुई बड़ी भारी छाती के ऊपर नीचे होने से बता सकता हूं ।"

अपनी बड़ी छाती के जिक्र से जेन का चेहरा एक दम से लाल हो गया पर निश्चित तौर पर उसकी विशेषताओं की प्रशंसा उसके लिए स्पष्ट रूप से मनभावन थी, और बिना नाराज हुए किसी भी आक्रामकता से दूर, वह शर्माते हुए चंचलता से बोली "ओह! आप थोड़ी , शरम कीजिये, दीपक!"

हम इस समय तक एक अच्छी दूरी पर आ गए थे और दूर दुर तक कोई नज़र नहीं आ रहा थाl एक सुविधाजनक स्थान पर एक पेड़ के नीचे खड़े होकर, तो शरमाई हुई जेन के चारों ओर मेरी बाहों को फेंक, मैंने उसके लाल ओंठो को चूमाl

उसे अपने पास खींचते हुए कहा, "अब, प्रिय जेन मैं तुम्हारा कजिन भाई हूँ और तुम्हारा पुराना मित्र और प्रशंसक हूँl तुम एक पूर्णतया सुन्दर युवती के रूप में विकसित हो चुकी होl मैं तुम्हारे इन सुन्दर ओंठो को किश करने से खुद को रोक नहीं सकाl मैं जब आप एक छोटी लड़की और मैं एक छोटा लड़का था तब से आप को पसंद करता हूँl अब यहाँ से जाने से पहले आप सब कबूल करिये और सच सच बताइये, तभी मैं आपको छोडूंगा "।

"लेकिन मेरे पास कबूल करने के लिए कुछ भी नहीं है दीपक।"

"क्या आपने कभी प्यार के बारे में नहीं सोचा हैं। जेन? आप मुझे देखिये. मेरे चेहरे को देखिए, क्या आप कह सकती हैं? कि यह आपके लिए अजनबी है," मैंने अपने बाए हाथ को उसकी गर्दन पर तब तक रखे रखा, जब तक कि मेरा दाहिने हाथ ने उसके हाँफते हुए उरोजों की गोलाइयों का माप नहीं लेने लगा।

मेरे ऐसा करने से वो मेरी तरफ घूमी और मेरी बातो का अर्थ समझने की एक निडर कोशिस करते हुए, उसके चेहरे का रंग सफ़ेद से पहले से कहीं ज्यादा गहरे सुर्ख लाल में बदल गयाl मेरी आँखे ने उसकी गहरे नीले रंग की आँखों से मुलाकात की तो उसमे एक मूक अपील नज़र आयी l लेकिन उसकी मूक अपील के जवाब मे मैंने बोलने की जगह उसे हर्षातिरेक से चूमा, और उसकी मीठी साँसों की खुशबू को में तब तक चूसता रहा, जब तक कि वह उत्तेजित हो कर कांपने नहीं लगी।

शाम होने लगी थी, मेरे हाथ उसकी खूबसूरत सुराहीदार गोरी चिकनी गर्दन को सहला रहे थे, और धीरे-धीरे नीचे की तरफ उसकी छाती की और बढ़ते हुए अपना काम कर रहे थेl आखिरकार मैंने फुसफुसाते हुए कहा, " जब मैंने आपके तीन साल पहले देखा था, उसके बाद से आप बहुत बहुत सुन्दर आकर्षक हो गयी हैं। आपके उरोज बहुत शानदार विकसित हुए हैं, डियर जेन, तुम अपने ममेरे भाई को बुरा तो नहीं मानोगी,? आपको मालूम नहीं मैं आपको कितना पसंद करता हूँ और उसके उरोजों को धीरे धीरे दबाने लगा और दुबारा उसको किस करने लगा। "


आगे क्या हुआ, ये कहानी जारी रहेगी l ।

आपका दीपक




अगला भाग रोजी, रूबी के साथ सामूहिक सेक्स- अंतरंग हमसफ़र भाग 10
SUPERB POST
 
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Update 10

अंतरंग हमसफ़र भाग 10- रूबी और रोजी एक साथ.




अभी तक आपने , मेरे अंतरंग हमसफ़र 9 में पढ़ा;

मेरे ऐसा करने से वो मेरी तरफ घूमी और मेरी बातो का अर्थ समझने की एक निडर कोशिस करते हुए, उसके चेहरे का रंग सफ़ेद से पहले से कहीं ज्यादा गहरे सुर्ख लाल में बदल गयाl मेरी आँखे ने उसकी गहरे नीले रंग की आँखों से मुलाकात की तो उसमे एक मूक अपील नज़र आयी l लेकिन उसकी मूक अपील के जवाब मे मैंने बोलने की जगह उसे हर्षातिरेक से चूमा, और उसकी मीठी साँसों की खुशबू को में तब तक चूसता रहा, जब तक कि वह उत्तेजित हो कर कांपने नहीं लगी।

शाम होने लगी थी, मेरे हाथ उसकी खूबसूरत सुराहीदार गोरी चिकनी गर्दन को सहला रहे थे, और धीरे-धीरे नीचे की तरफ उसकी छाती की और बढ़ते हुए अपना काम कर रहे थेl आखिरकार मैंने फुसफुसाते हुए कहा, "जब मैंने आपके तीन साल पहले देखा था, उसके बाद से आप बहुत बहुत सुन्दर आकर्षक हो गयी हैं। आपके उरोज बहुत शानदार विकसित हुए हैं, डियर जेन, तुम अपने ममेरे भाई को बुरा तो नहीं मानोगी,? आपको मालूम नहीं मैं आपको कितना पसंद करता हूँ और उसके उरोजों को धीरे धीरे दबाने लगा और दुबारा उसको किस करने लगा। "

दोस्तों मैं दीपक आपने मेरी कहानिया झट शादी पट सुहागरात-1-4 में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी प्रीती एक दिन मेरे रूम में आ गयी शादी का जोड़ा लेकर l मैंने उसके साथ सुहागरात मनाई और उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी और रूबी मिलीl प्रीती मेरी पहली चुदाई के बारे में पूछने लगी, तो मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला और कैसे मेरी और रोजी की पहली चुदाई हुईl उसके बाद कैसे मैंने रूबी को चोदाl हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनायाl रोजी ने हमे अपनी सहेली टीना से मिलवाया और टीना की पहली चुदाई कैसे हुईl फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदा रात में एकबार फिर सबका एक साथ ग्रुप सेक्स हुआ और रोजी मेरे साथ शहर आ गयीl उसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आयेlउसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आये और मैं और मेरी बुआ की सबसे बड़ी बेटी जेन के साथ शाम के समय मैदान में घूमने गया और वहां उससे प्रेम निवेदन कियाl ( मेरे अंतरंग जीवन की हमसफ़र -)

अब आगे:-


जब में जेन को चूम रहा था तो वही एक पेड़ के झुके हुए तने पर दोनों बैठ कर चुम्बन करने लगेl जेन भी चुम्बन में मेरा साथ देने लगी थीl उसके बाद जेन ने मुझे पकड़ कर वापिस मेरे होंठो को किस कियाl और मैंने उसके सर को जकड़ के उसके मुंह से अपना मुंह लगा दियाl और वह उसके ओंठ चूसने लगा और वो मेरे ओंठ चूसने लगाl थोड़ी देर बाद वह मेरा निचला होंठ चूसने लगी और मैं उसका ऊपर का ओंठ चूसने लगा lफिर उसने अपना मुंह थोड़ा सा खोला और मेरी जीभ जेन के मुंह में चली गयीl
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और जेन ने भी अपने झीभ मेरे मुँह में डाल दी मैं उसकी जीब चूसने लगा, फिर मैं जेन की झीब से खेलने लगाl वह मेरे साथ लिपट गयी, उसका बदन मेरे बदन से चिपक गयाl उसके बड़े बड़े गोल स्तन मेरी छाती में दब गए थेl हम दोनों एक दुसरे को बेकरारी से चूमने लगे और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट हम एक दुसरे के लबों को चूमते रहे, फिर रुक कर सांस लेती हुई बोली अब बस कीजिये ये बहुत हो गयाl
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मैंने उसकी ओर देखा और कहा: "ठीक है। बस एक बार, और केवल एक बार! मैं चाहता हूं कि आप यह जान लें कि मैं आपसे प्यार करता हूं और मैं यह कर रहा हूं क्योंकि मैं आपसे और आपसे बहुत प्यार करता हूंl

मैंने उससे कहा कि वह अपने सिर को थोड़ा सा दाईं ओर झुकाए और बस थोड़ा सा मुंह खोले। मैंने अपने हाथ उसके चेहरे के हर तरफ रख दिए और उसे अपने पास खींचने लगा। जैसे ही हम अपने होंठों के मिलन के करीब आए, उसका पूरा शरीर हिल गया। उसी के साथ उसके संपर्क में मेरे होंठ आये , मेरे होंठ उसके होंठ की मालिश करने लगेl वह धीमी गति से और बहुत नरम चुंबन, महसूस कर रही इस युवा किशोरी के साथ होंठो का मिलान बहुत रोमांचक था। मुझे उसके होंठ इतने जवान और इतने मस्त लग रहे थे की मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं अपनी जीभ बाहर लाया और उसके साथ उसके नरम गुलाब की पंखुरियों जैसे होंठों को छुआ और जब मैंने उन्हें बाहर को सहलाया, तो उसने अपने होंठ खुले रखे। जल्द ही उसने अपनी जीभ को वापस वही काम किया। हम एक दूसरे के मुंह, बाहर चुंबन, जीभ को चूमते रहेl
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भावनाओं के रोमांच , उत्तेजना के कारण हमारे बदन तप रहे थे और कई क्षणों तक वह मेरी बाहों में लगभग स्थिर थी l उसका एक हाथ मेरी जांघ पर आराम कर रहा था। मेरा लंड जाग गया था और अभिसार के लिए तैयार था, लेकिन उसने अचानक खुद को हिलाते हुए और चुम्बन तोड़ते हुए कहा, "हमें अब यहां और नहीं रुकना चाहिए, हमें तुरंत चलना चाहिए ,कही कोई हम ढूंढ़ता हुआ न आ जाए तो हमें यहाँ इन हालत में देख लेगा या देर होने पर वे कुछ संदेह करेंगे।"

"हम कब फिर से अकेले होंगे, डार्लिंग? हमें वापिस अंदर जाने से पहले उसे व्यवस्थित करना होगा,"मैंने जल्दी से कहा।

अब उसे उस पेड़ पर रोके रखना असंभव था, हमने दुबारा चलना शुरू किया l उसने कहा, "हम कल सुबह-सुबह दोपहर के भोजन से पहले टहलने जा सकते हैं, मां पापा किसी से मिलने जाने वाले हैं बॉब पुस्तक पढ़ रहा है और मुझे लगता है वह कल तक उसे समाप्त नहीं कर पायेगा टॉम बिस्तर पर ही रहता है , और मेरी बहनें सुबह TVl देखने में व्यस्त रहती हैं और मुझे कल कोई ख़ास काम नहीं है। "

मैं उसे गले लगाया और एक और चुंबन दे दिया, फिर मैंने कहा, "ये तो बहुत रमणीय हो जाएगा; प्रिय जेन...आप अत्यंत खूबसूरत होने के साथ विचारशील और समझदार भी हैं ।"

फिर वह बोली "मगर ध्यान दीजियेगा कल आपका व्यवहार संयत होl कल इतना चुम्बन नहीं होगा lनहीं तो मैं आगे से आपके साथ घूमने नहीं आऊँगी"और फिर हम वापिस घर पहुँच गए हमने चाय पि और अपने कमरे में चला गया l"

अपने कमरे में वापिस आया तो रोजी मुझसे पूछने लगी बहुत देर लग गयी आपको आप जेन के साथ lतो मैंने कहा में उसे बाग़ बगीचा दिखाने ले गया थाlतो वह शरारत भरी मुस्कराहट के साथ बोली कुछ ज्यादा ही लम्बा चक्कर लगाने चले गए या कोई और चक्कर चला रहे थे l बताइये तो क्या चक्कर है तो मैं बोला इधर आओ बताता हूँ क्या कर रहा थाl उसके साथ ll जेन के साथ हुए प्यारे चुम्बन को याद करते ही मैं फिर उत्तेजित हो गया और रोजी को पकड़ने उसके पीछे दौड़ा, तो वह बचने के लिए उपक्रम करते हुए पीछे हुई, और कमरे में दाहिने हिस्से में रखे एक मूर्ति से टकराई, तो मूर्ति घूम गयी और मेरे बिस्तर के साथ की अलमारी की साइड में एक गुप्त दरवाजा खुल गया शायद इसी गुप्त दरवाजे का जिक्र दादाजी की डायरी में था l

अब इसमें आगे क्या था l ये जानने के लिए हमारा उसके अंदर जाना जरूरी था पर दरवाजे के अंदर अँधेरा था तो रोजी बोली आप रुकिए मैं टोर्च ले कर आती हूँ तो मैंने कहा रुको मैं मोबाइल में से टोर्च जलाता हूँ lतो हमने मूर्ति को वापिस घुमाया तो दरवाजा बंद हो गया और फिर उसे दूसरी दिशा में घुमाया तो दरवाजा फिर खुल गया l पर दोनों का एक साथ अंदर जाना ठीक नहीं रहेगा मैं अंदर जाता हूँ तुम बाहर रुको अगर अंदर दरवाजा खोलने का रास्ता नहीं मिला तो तुम 5 मिनट बाद दुबारा मूर्ति हिला कर दरवाजा खोल देना l

हमने मोबाइल से टोर्च जला कर अंदर देखा तो वहां लाइट के स्विच नज़र आये उन्हें दबाया तो वहां रौशनी हो गयी और नीचे उतरने की सीढिया नज़र आयी मैं नीचे उतर गया आगे दीवार थी ।

वहां एक हैंडल भी था मैंने उसे घुमाया तो कमरे वाला दरवाजा बंद हो गया और सीढ़ियों के अंत में एक दरवाजा खुल गया मैंने उस हैंडल को उल्टा घुमाया तो कमरे का दरवाजा खुल गया और सीढ़ियों के अंत में खुला दरवाजा बंद हो गया ।

रोजी ने पुछा क्या वह आ जाए तो मुझे लगा चुकी ये एक गुप्त रास्ता है और इसका जिक्र दादाजी की डायरी में है तो सुरक्षित ही होगा मैंने कहा वह डायरी जो तुमने संभल कर रखी है वह ले कर आ जाओ तो रोजी वह डायरी ले कर आ गयी और फिर बोली इसे पढ़ेंगे कैसे शीशा तो मैं लायी नहीं l तो मैंने कहा आगे देखते हैं नहीं तो कोई शीशा ले कर आ जाना और मैंने हैंडल घुमा कर कमरे का दरवाजा बंद किया और आगे का दरवाजा खुल गया l हम उस दरवाजे के अंदर गए तो वहां एक शानदार हाल था l जिसमे बहुत सुन्दर सुन्दर लड़कियों की बहुत कामुक मुर्तिया और कामुक अंतरंग चित्र कलाकृतिया लगी हुई थी l और कमरे के अंदर एक शानदार बिस्तर जिसपर आठ से दस लोग आराम से सो सकते थे ।

किनारो पर शानदार आरामदायक सोफे लगे हुए थे l और हाल में एक बड़ा शानदार बाथरूम भी था ।

मेरे मुँह से अनायास निकला?बहुत शानदार"दादा जी भी पूरे रसिक थे ।

तभी मुझे वहां एक शीशा नज़र आया तो मैं उस पास गया तो उसके पास एक दूसरी डायरी और एक चाबी रखी हुई थी उसमे लिखा था इस कमरे में ऊपर के कमरे जैसी तीन मूतिया रखी हैं जिनको घूमाने से तीन अलग अलग रास्ते खुलेंगे l उनमे से एक से वो दरवाजा खुलेगा जिससे हम कमरे से इस तहखाने वाले हाल में आये थे l दुसरे से रास्ता पहले मुख्या भवन के हाल में खुलता है तीसरे से रास्ता से तीसरे भवन के पास खुलता है और उसी से आगे एक रास्ता मैदान के पास बड़े बरगद का पास पेड़ो के झुण्ड में खुलता हैl बड़ा बरगद उसे पेड़ के पास था जिस पेड़ के पास आज मैंने अपनी कजिन जेन को किश किया था l और चाबी ऊपर रखी अलमारी की थी ।

पूरा हॉल साउंड प्रूफ था उसमे एक बहुत बड़ी टीवी स्क्रीन लगी थी और बाकी भी सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस था l उस डायरी में ये भी लिखा था की इस हाल और मुख्या भवन से रास्ते का राज घर का ध्यान रखने वाली आशा अम्मा को भी मालूम था और वह ही इसकी सफाई और रख रखाव करती थीl उस डायरी में ये भी लिखा था के किस प्रकार से सब दरवाजो कोलॉक किया जा सकता था, जिससे कोई भी दरवाजा खोल न सके और साथ ही ये हिदायत भी थी के सुरक्षा की दृष्टि से ये राज गुप्त ही रखा जाए।

हम दोनों हाल की सब लाइट इत्यादि बंद करते हुए और डायरी में बताये गए तरीके से दरवाजे लॉक करके वापिस मेरे कमरे में आ गए ।
मैंने वापिस आ कर कमरे में देखा तो वहां ऐसी ही दो मूर्तिया और थी l एक मुख्या भवन की और एक बायीं और थी जो की एक गुप्त रास्ता था जो घर के बाहर ले जाता था मैंने दोनों को घुमाया तो दो दरवाजे खुले ।

कमरे के दायी और जो अलमारी थी नीचे जो चाबी मिली थी वो चाबी अलमारी में एक लॉकर की थी और डायरी में लिखा था की दोनों डायरी को उसी लाकर में सुरक्षित रखा जाए जब मैंने अलमारी खोल कर चाबी से लाकर खोला तो उसके अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक लाकर था और सके पास ही एक पर्ची पर उसका पास वर्ड लिखा था और साथ ही पससवर्ड बदलने की जरूरी हिफ़ायते थी और साथ ही लिखा था के पासवर्ड बदलने के बाद चबा कर इस पर्ची को खा जाना ।

अलमारी के लाकर में कुछ नहीं था l बस केवल लक्ष्मी जी की एक मूर्ति थी l मुझे समझ नहीं आया इसके लिए इतना झमेला क्यों किया दादा जी ने तो रोजी बोली "आप उस अंदर की मूर्ति को छु कर देखिये जरूर उसमे कोई राज है"l मैंने मूर्ति के चरण छुए तो मूर्ति घूम गयी और अलमारी में एक और गुप्त रास्ता खुल गया और वह रास्ता एक और तहखाने में ले गया जहाँ पर क्या मिला उसे मैं यहाँ गोपनीय रख रहा हूँ और प्रीती को भी एकांत में संक्षेप में बता दिया था ।

दादाजी ने ये भी लिखा था इन गुप्त रास्तो के बारे में घर के सभी सदस्यों को मालूम था केवल अलमारी वाले रास्ते और तहखाने का राज उन्हें और मुझे ही मालूम थाl चुकी मैं पहले पढाई में व्यस्य था तो इन रास्तो के राज को कभी नहीं बताया गया थाl अब चुकी मैं व्यस्क भी हो गया था और मेरी स्कूल की पढाई भी पूरी हो गयी थी तो दादाजी अपने आखिरी समय में सब लिख दिया था ताकि ये राज मुझे भी ठीक समय पर मालूम हो जाए ।

तो हम वापिस कमरे में आ गए और रात का खाना खाने के बाद आपमें कमरे में वापिस आ रहा था तो रास्ते में मुझे रोजी मिली और वह बोली आज रात को रूबी भी उसके साथ सोना चाहती है l जब सब लोग रात में अपने कमरों में चले गए तो मोना चुपके से बॉब के कमरे में और टीना टॉम के कमरे में चली गयी l और आधी रात में रूबी जब मेरे कमरे में आयी तो उससे पहले रोजी और मैं टेलीविजन देख रहे हैं, लेकिन हम ऊब गए थे।

- मैंने नग्न होते हुए कहा हमें साथ में कुछ मस्ती करनी चाहिए? - मैंने रोजी से कहा।

रोजी कहती हैं - रूबी के आने में थोड़ा समय लगेगा और रोजी ने भी अपने सभी कपडे उतार डाले मैं कुछ अच्छे सेक्स का मन नहीं बनाऊँगी, वह मुस्कुराते हुए कहती है। फिर बोली रूबी ने सुझाव दिया है कि आज हम दोनों को तुम्हें चोदना चाहिए। "

रोजी द्वारा मुझे उसके और रूबी को एकसाथ चोदने के लिए कहा गया विचार पूरी तरह से आश्चर्यचकित कर गया। मैंने रोजी से पूछा कि क्या उसकी और रूबी दोनों की एकसाथ चुदाई का विचार किसी तरह का मजाक तो नहीं था । रोजी ने कहा "नहीं, यह मजाक नहीं है।"उसने कहा कि रूबी उन दोनों के साथ मेरे साथ एक थ्रीसम के बारे में बात कर रही थी। रूबी मुझे और रोजी दोनों को अपने बिस्तर पर चाहती थी, और रोजी की भी ये इच्छा थी की मैं एक ही समय में उन दोनों को चोदू।

मेरा मानना है कि लगभग हर पुरुष की दो महिलाओं के साथ थ्रीसम करने की गुप्त इच्छा होती है; मैं कोई अपवाद नहीं था और हां में जवाब देने में संकोच नहीं किया। मैं यह जानकर रोमांचित और उत्साहित दोनों था कि मैं जल्द ही वह पूरा करूंगा जो मेरी सबसे बड़ी यौन फंतासी थी। मेरे दिमाग में मैं उन सभी अलग-अलग चीजों के बारे में सोच रहा था जो मैं दो महिलाओं के साथ कर सकता था।

मैं एक पल भी संकोच नहीं करता, क्योंकि मैं हमेशा सेक्स के लिए तैयार रहता हूं। तो मैं रोजी को पकड़ कर चूमता हूँ फिर हम गर्म पानी में स्नान करके खुद को तैयार करने के लिए दोनों नग्न ही बाथरूम में जाते हैं। उसे नग्न देख एक दूसरे को छूने नहलाने सहलाने और दूसरे के शरीर को चूमने से मेरा लिंग सर उठाना शुरू कर देता हैं।

हम एक दुसरे को चूमते हुए बेडरूम में जाते हैं। जब रोजी और मैंने बेडरूम में प्रवेश किया, रूबी पर रोशनी थी और वो बिस्तर पर लेती हुई थी पूरी तरह से नंगी हमारा इंतजार कर रही थी । उसने मान लिया होगा कि ऐसा कोई कारण नहीं था कि मैं इस तरह के प्रस्ताव को ठुकरा दूं। पूरे समय जब तक हम कमरे में रहे
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किसी ने भी लाइट बंद करने का कोई प्रयास नहीं किया ।

मैं अपने बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और मेरी अपने ऊपरी बांह रूबी के स्तनों को दबा रही थी और फिर रोजी भी अपने शरीर को मेरे साथ लता की तरह लिपट कर दूसरी तरफ लेट गई। तो दूसरी तरफ रूबी भी मुझ से लिपट गयी मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं वास्तव में दो महिलाओं जो मुझे बहुत ज्यादा पसंद थी के नग्न शरीर के बीच नग्न और सैंडविच की तरह रहूंगा।

मैंने कहा आप दोनों ने आज मुझे एक बहुत बड़ा सरप्राइज दिया है मेरा लंड तब तक पूरा उग्र हो चूका था और पूरे ९० डिग्री पर तन गया था रूबी ने जवाब दिया, "शायद आपका मुंह ऐसा कह रहा है, लेकिन कोई और कुछ और कह रहा है कि आप कुछ और करना चाहते हैं।"ये कहते हुए उसने नीचे की और मेरे खड़े लंड को देखा।
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तो रोजी ने ये जानने के लिए की रूबी किसके बारे में बात कर रही है नीचे देखा और उसने देखा कि मेरा लंड एकदम सीधा था और हम तीनों हँसने लगे, मुझे थोड़ी शर्मिंदगी हुई।

"क्या तुम उस चीज़ को नियंत्रित नहीं कर सकते,"हँसते हुए रोजी ने कहा।

"क्षमा करें, आप जानते हैं कि इसका खुद का दिमाग है। यह आप दोनों के आसपास होने से अब बिलकुल बेकाबू है।"मैंने जवाब दिया, मैं अपनी असहज भावना को छिपाने की कोशिश कर रहा था।


आगे क्या हुआ ... ये कहानी जारी रहेगी l
आपका दीपक




अगला भाग रोजी, रूबी और रोजी के साथ सामूहिक सेक्स- अंतरंग हमसफ़र भाग 11
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Update 11

अंतरंग हमसफ़र 11- रूबी और रोजी एक साथ.

अंतरंग हमसफ़र पिछले भाग में आपने पढ़ा;
"क्या तुम उस चीज़ को नियंत्रित नहीं कर सकते,"हँसते हुए रोजी ने कहा।
"क्षमा करें, आप जानते हैं कि इसका खुद का दिमाग है। यह आप दोनों के आसपास होने से अब बिलकुल बेकाबू है।"मैंने जवाब दिया, मैं अपनी असहज भावना को छिपाने की कोशिश कर रहा था ।
मैं दीपक आपने मेरी कहानिया झट शादी पट सुहागरात-1-4 में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी प्रीती दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो गयी और उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी और रूबी मिली और मेरी पहली चुदाई के बारे में पूछने लगी तो मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला और कैसे मेरी और रोजी की पहली चुदाई हुई और उसके बाद कैसे मैंने रूबी को चोदा और फिर हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनाया और रोजी ने हमे अपनी सहेली टीना से मिलवाया और टीना की पहली चुदाई कैसे हुई फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदा रात में एकबार फिर सबका एक साथ ग्रुप सेक्स हुआ और रोजी मेरे साथ शहर आ गयी उसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आये और मैं और मेरी बुआ की सबसे बड़ी बेटी जेन के साथ शाम के समय मैदान में घूमने गया और वहां उससे प्रेम निवेदन किया और रात में रोजी और रूबी के साथ हमारा पहला थ्रीसम शुरू हुआ ( मेरे अंतरंग जीवन की हमसफ़र -1 -10)
अब आगे

रोजी बोली ठीक है हरेक का अपनी भावना व्यक्त करने का और धन्यवाद करने का अलग तरीका है और इसका ये तरीका बहुत शानदार है। ये कह कर रोजी मेरे ऊपर झुकी और मुझे एक बहुत गरमा गर्म लिप किस करि। कुछ देर बाद हमने चुंबन तोड़ दिया तो रूबी ने मजाक में पूछा रोजी मुझे लगता है मुझे भी धन्यवाद देना चाहिए।"
"इसका लाभ उठाएं।"रोजी ने कहा।
उस टिप्पणी के बाद, एक सेकंड के अंदर ही रूबी के होठों ने मेरा एक जबरदस्त चुंबन किया ।
फिर रोजी बोली एक धन्यवाद मेरी तरफ से तो रूबी तुम्हारा भी बनता है जो तुमने मुझे दीपक जी से मिलवाया और प्रेम शास्त्र का अद्भुत अनुभव दिलवाया और रूबी को किश करने लगी ।रूबी भी उसी शिद्दत से रोजी को चूमने लगी । मैंने भी बोला रूबी का धन्यवाद तो मुझे भी देना चाहिए जो मुझे रोजी जैसी शानदार प्रेमिका से मिलवाया और रोजी का धन्यवाद के उसने मुझे इतना शुद्ध निर्मल और स्वार्थ रहित पूर्ण समर्पित प्रेम किया और उन चुम्बन करती हुई बहनो के चुम्बन में मैं भी शामिल हो गया।
इस तरह हमने एक थ्रीसम चुम्बन किया जिसमे तीनो एक दुसरे के ओंठो को चूस रहे थे।. ये बहुत शानदार अनुभव था। मैं रोजी और रूबी का ऊपर का ओंठ चूस रहा था तो रूबी और रोजी मेरा आधा नीचे का ओंठ चूस रही थी और तीनो की जीभे आपस में मिल रही थी। कुछ पता नहीं किसकी जीभ किसके साथ पेच लड़ा रही थी। तीनो की आँखे आनंद में बंद थी।
पता नहीं हम तीनो कितनी देर किस करते रहे। मेरे हाथ उनकी पीठ पर फिरते रहे और पीठ से होकर उनके एक स्तन पर पहुँच कर रोजी के दाए स्तन और रूबी के बाए स्तन से खेलने लग गए।
मेरे लिए ये शानदार सेक्स की सबसे शानदार शुरुआत है जो एक गर्म किश से शुरू होती है। योनि प्रवेश से पहले खुद को हुए अपने साथी को तैयार करना इसमें चूमना किश करना, सहलाना, प्यार करना,. मीठी बाते करना एक अच्छे सेक्स का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैl इससे सेक्स का पूरा मजा मिलता है।
रूबी चुम्बन तोड कर सांस लेने के लिए रुकी तो तीनो ने एक दुसरे को देखा तो मैंने उसे वापिस नीचे खींच लिया और हमने दुबारा एक दुसरे को चूमना शुरू कर दिया और रूबी ने मेरी जांघों को रगड़ना शुरू कर दिया। फिर रोजी ने चुंबन तोड़ दिया , मैं रूबी की ओर मुड़ते हुए बोला मुझे लगता है मैं आप दोनों से बेहतर कर सकता हूँ। "
एक धीमी गति से मौन मंजूरी के साथ, रूबी ने उसकी सहमति दे दी है और रोजी ने मुझे एक और गर्म चुंबन दे दिया और जैसे रूबी मेरी जाँघे रगड़ रही थी वैसे ही उसका हाथ भी नीचे पहुँच गया और मेरी कठोर लंड को सहलाते हुए उसने उसे कस कर पकड़ कर दबोच लिया ।
जब रोजी ने अपना चुम्बन तोडा तो रूबी ने भी गर्म चुम्बन से लेकर मेरी छाती को अपने हाथो से सहलाते हुए उसका हाथ भी मेरे लंड पर पहुंचा । उसकी जांघो ने मेरी जांघ को रगड़ा और फिर उसने भी लंड को सहलाते हुए दबोच लिया ।
फिर जब रूबी का चुंबन समाप्त हो गया है, हमने आगे और पीछे एक दूसरे को देखा, ये हमारे लिए एक नया रोमांच था।
10 सेकंड के अंदर ही वे दोनों में झुक कर मेरी गर्दन को चूमने और चाटने लगी और मेरे सारे बदन पर उनके हाथ चल रहे थे फिर जब रोजी मेरी छाती को चूम और चाट रही थी तो रूबी मुझे लिप किश करने लगी । फिर जहाँ रोजी ने छाती को चूमना रोका वही से रूबी मेरी छाती को चूमना और चाटना शुरू कर देती थी और रोजी मुझे लिप कस करने लगी इस तरह बारी बारी से वैकल्पिक चुंबन और मुझे चूमना और चाटना चलता रहा और वह दोनों मेरे निप्पलों से बारी बारी खेलने और चूसने लगी। .ये एक अभूतपूर्व अनुभव था पूरा शरीर कुछ नया अनुभव कर रहा था । एक साथ ओंठो का चुम्बन और छाती के निप्पल को चुसवाना. मेर लंड फुफकार रहा था ।
इसके बाद पता नहीं कब मेरा हर हाथ से एक अलग चूत पर पहुँच गया था और तभी मैंने महसूस किआ कि दो जोड़ी हाथ मेरे बहुत खड़े हुए लंड से खेल रहे हैं।
मैंने शुरू में प्रत्येक चूत को अपने हाथ से सहलाया और फिर उन्हें रगड़ना शुरू कर दिया । जबकि मेरी उंगलियों ने हर एक के अंदर अपना रास्ता ढूंढ लिया। रूबी की चूत के अंदर मेरे एक हाथ की उंगलियाँ थीं, जबकि मेरे दूसरे हाथ की उंगलियाँ रोजी की चूत के अंदर थीं। मैं वो कर रहा था जो मुझे लगता था कि कभी भी नहीं होगा, एक ही समय में दो अलग-अलग महिलाओं की योनियों में अपनी उंगलियों के साथ खेलना । सच में ये एक अद्भुत अनुभव था । इस दौरान हमारी किस चलती रही ।
उनकी चूत पर हाथ फेरने के कुछ ही मिनटों के बाद रूबी और रोजी दोनों ने अपनी स्थिति बदल ली और अपने सिर को मेरे पैर की ओर करके बिस्तर पर लेट गईं। इस बदलाव के बबाद भी वे दोनों मेरे लंड के साथ खेलती रही , और लंड के ऊपर अपने हाथ एक साथ चलाती रही इससे पहले कि मुझे यह समझ आये कि क्या हो रहा है । मैंने महसूस किया कि होंठों की एक जोड़ी ने मेरे लंड को घेर लिया है और नीचे की ओर से उँगलियों से लंड को पकड़ लिया था, जिससे लंड सीधा खड़ा रहे ।
मैंने नीचे देखा और देखा कि रूबी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी जबकि रोजी ने मेरा लंड पकड़ रखा था। रोजी ने रूबी के लिए एक ऐसे स्थिति में मेरा लंड अपने हाथ से उसके बेस पर पकड़ रखा तह जिससे रूबी को लंड चूसने में कोई दिक्कत न हो । इस तरह से रूबी ने मेरे लंड को पहली बार चूसा था । कुछ देर बाद इसी का अनुसरण करते हुए रोजी ने मेरा लंड चूसा और रूबी ने मेरा लंड उसके लिए पकड़ा । इसी तरह दोनों ने कई बार बारी बारी से मेरा लंड चूसा मैं उन्हें मेरा लंड चूसते हुए देखता रहा ।
मेरे लिए ये अद्भुत अनुभव था जब पहली बार इस तरह से मेरा लंड दो लड़कियों ने एक साथ बारी बारी से चूसा हो । फिर उन दोनों ने मेरा लंड अब एकसाथ चूसना शुरू कर दिया । रोजी मेरे लंडमुंड को मुँह में दाल कर चूसने लगी और रूबी बाकी के खड़े हुए कठोर लंड की पूरी लम्बाई को चूसने लगी।
उनका भी पहला थ्रीसम होते हुए भी उनका सामंजस्य अद्भुत था । ऐसा नहीं लग रहा था ये उनका भी पहला थ्रीसम है । फिर दोनों ने आधा आधा लंड चूसना शुरू कर दिया । रोजी ने दायी और से चूसना शुरू किया और रूबी ने बायीं और से चूसना शुरू कर दिया । दोनों ऊपर से शुरू करती फिर लंड पर झीभ फेरते हुए नीचे तक जाती फिर जड़ से वापिस ऊपर तक आती। मैं तो बस जन्नत में था।
फिर मेरा ध्यान मेरे सर के दोनों और उनकी चूत पर गया जो मेरे मुँह के पास थी । दोनों लड़किया इस तरह से लेटी हुई थी के उनकी चुत मेरे मुँह के बिलकुल पास थी ।रोजी की चुत बायीं और और रूबी की चूत सिर के बाईं ओर थीl मुझे केवल अपना सिर एक तरफ से दूसरी तरफ मोड़ना था और मेरा मुंह रूबी और रोजी की चूत पर टिका कर उन्हें बारी बारी चूसने लगा । मैं पहले एक चूत को चूसता और चाटता था फिर सर घुमा कर दूसरी को चूसने और चाटने लगता ।
मैं कई बार आगे पीछे होकर रूबी और रोजी की चुत को बारी बारी चूमता चूसता रहा । मैं उनकी चुत की पूरी लम्बाई और गहराई में अपनी जीभ चला रहा था । मैंने जीभ से उनकी चुत की गहराई की जांच करि । हालाँकि मेरा लंड कई बार उनकी चुत की गहराइयों की जांच कर चूका था पर जीभ से जांच करने का ये अनुभव स्पेशल था । मैंने उसकी चुत को इस प्रकार से चाटा बिल्ली कटोरे से दूध चाट जाती है । मैंने बिल्ली के समान गति का उपयोग करते हुए इसकी गहराई की जांच की।
बीच मैं कभी-कभी उनकी छत के दाने को भी चूसना शुरू कर देता और फिर उनकी योनि के बाहरी होठों की पूरी लंबाई को अपने मुँह में लेकर चूसता और फिर अचानक अपनी जीभ को जितना हो सके उनकी योनि की गहराइयों में घुसा देता था । हालांकि मुझे पता था कि मेरा मुँह दोनों में से किस की चुत पर था पर मैं उन्हें उनके स्वाद से भी बताने में सक्षम था। रोजी की चूत को स्वाद लगभग मीठा और हल्का था; जबकि रूबी की चूत का तीखा और तेज स्वाद था।
उसके बाद हमने स्थिति बदल दी जिसमे रोजी और रूबी दोनों एक-दूसरे के बगल में अपनी पीठ पर लेट गए। इसने मुझे प्रत्येक महिलाओं में से एक के साथ 69 करने की सुविधा दी। जब मेरा चेहरा रूबी या रोजी की चूत पर था, तो मैं उस पर लेट जाता और अपनी जीभ को उनकी चूत में जहाँ तक मैं पहुँच सकता था डाल देता था । वही मेरा लंड उसके मुँह में होता था ।
जिस तरह वो मेरे लंड को चूस रही थी मैं भी उसी तरह उसकी चूत के हिस्सों को अपने मुँह में ले लेता और उसे उसी तरह से चूसता जैसे वो चूस रही थी । पूरे समय यही होता रहा जब वो मेरा लंड मुँह की गहराइयों में लेकर चूसती रही और उसी तरह मैं उसकी चुत चूसता रहा । मैं फिर दूसरी लड़की के साथ ऐसा ही करता हूं, फिर से एक से दूसरे चुत पर बारी बारी से चूसने लगा । जब मैं अपना चेहरा रोजी या रूबी की चूत पर लगा कर चाटता था उसी समय दूसरी की चूत को मेरी उँगलियाँ जितनी हो सकती थीं और उसे अपने हाथ से चोद रहा था। इस दौरान दोनों दो बार झड़ चुकी थी ।
मैं आज दोनों को बराबर समय और प्यार देना चाहता था, तो रोजी बोली अब आप पहले रूबी को चोदिये मैं उसकी चूत का जितना हो सकता था चोदना चाहता था, लेकिन मैं रोजी को यह सोचने के लिए नहीं चाहता था कि मुझे आज केवल रूबी में दिलचस्पी थी। मैंने निश्चय किया मैं जो भी रोजी के साथ किया वही मैं रूबी के साथ करूंगा और मैं रूबी के साथ जो भी करूंगा वही मैं रोजी के साथ भी करूंगा। मैंने उनमें से प्रत्येक के साथ समान व्यवहार करने की कोशिश की।
रूबी और रोजी अपने समय को विभाजित करने के लिए स्वतंत्र थी । उन दोनों की हरकते और मेरे लंड को चूसने का समय अलग अलग था । हम आखिरकार मैं पीठ पर आ गया और रूबी या रोजी मेरे मुँह पर बैठ गयी और मैं उनकी चुत को खाने लगा जबकि इस दौरान दूसरी मेरे लंड को शानदार तरीके से चूसती । फिर उन्हों ने कई बार अपनी स्थिति बदली ताकि मैं उनकी चुत को अछि तरह से चाट सकू और फिर वो मेरा लंड भी चूस सके।
अब चुकी मैं प्रत्येक छोर पर एक समय में मैं एक को ही समायोजित कर सकता था, तो फिर मैंने सुझाव दिया क्यों न त्रिकोण बना कर किया जाए।इससे तीनो के मुँह और जानाँनग का भरपूर उपयोग हो सके, तो मैं साइड पर लेट गया और रूबी ने अपनी चुत मेरे मुँह के पर रखी और अपना मुँह मेरे लैंड के तरफ कर साइड पर लेट गयीl उसके बाद रोजी भी इस तरह से लेटी के मेरा लंड उसके मुँह में था और उसकी चुत रूबी के मुँह के पास थी। अब तीनो के मुँह चल रहे थे।
कुछ देर बाद दोनों ने अपनी स्थिति बदल ली इसके बाद मेरा मुँह रोजी की चुत पर चल रहा था और रोजी का मुँह रूबी की चुत पर था और रूबी का मुँह मेरे लंड पर था ।
इस पूरे समय में यह सब हो रहा था हमारे छह हाथ चार उपलब्ध स्तनों और निप्पल्स के साथ खेल रहे थे। इस तरह हम तीनों ने काफी समय बहुत सारे मौखिक सेक्स के अलावा एक-दूसरे के शरीर के साथ खेलने और और छेड़ छाड में बिताया।
मुझे इनमे से सबसे ज़्यादा मज़ा तब आया, जब रूबी और रोजी दोनों एक साथ अपने मुँह को मेरे लंड के दोनों तरफ रखेंगी और दोनों अपने मुँह को एक साथ ऊपर-नीचे करती थी इस मौके पर उनमें से एक ने मेरे लंड की पूरी लंबाई को अपने मुँह में ले लिया तब भी बहुत मजा आया ।

आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगी ..
दीपक

अगले भाग में पढ़े - रूबी और रोजी के साथ सामूहिक सेक्स- अंतरंग हमसफ़र भाग 12
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रूबी और रोजी के साथ सामूहिक सेक्स- अंतरंग हमसफ़र भाग 12




अंतरंग हमसफ़र भाग 11 में आपने पढ़ा;

कुछ देर बाद दोनों ने अपनी स्थिति बदल ली इसके बाद मेरा मुँह रोजी की चुत पर चल रहा था और रोजी का मुँह रूबी की चुत पर था और रूबी का मुँह मेरे लंड पर था ।

इस पूरे समय में यह सब हो रहा था हमारे छह हाथ चार उपलब्ध स्तनों और निप्पल्स के साथ खेल रहे थे। इस तरह हम तीनों ने काफी समय बहुत सारे मौखिक सेक्स के अलावा एक-दूसरे के शरीर के साथ खेलने और और छेड़ छाड में बिताया।

मुझे इनमे से सबसे ज़्यादा मज़ा तब आया, जब रूबी और रोजी दोनों एक साथ अपने मुँह को मेरे लंड के दोनों तरफ रख और दोनों अपने मुँह को एक साथ ऊपर-नीचे करती थीl इस मौके पर उनमें से एक ने मेरे लंड की पूरी लंबाई को अपने मुँह में ले लिया तब भी बहुत मजा आया।

मैं दीपक आपने मेरी कहानिया "झट शादी पट सुहागरात-1-4" में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी प्रीती दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो गयीl उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी और रूबी मिली और मेरी पहली चुदाई के बारे में पूछने लगी, तो मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला, कैसे मेरी और रोजी की पहली चुदाई हुईl उसके बाद कैसे मैंने रूबी को चोदाl फिर हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनायाl रोजी ने हमे अपनी सहेली टीना से मिलवाया और टीना की पहली चुदाई कैसे हुईl फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदाl रात में एकबार फिर सबका एक साथ ग्रुप सेक्स हुआ, और रोजी मेरे साथ शहर आ गयीl उसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आयेl मैं मेरी बुआ की सबसे बड़ी बेटी जेन के साथ शाम के समय मैदान में घूमने गया और वहां उससे प्रेम निवेदन किया और रात में रोजी और रूबी के साथ हमारा पहला थ्रीसम शुरू हुआ ( अंतरंग हमसफ़र भाग -1 -11)l

अब आगे:-

रोजी ने आखिरकार मुझसे कहा कि मुझे उसकी चुदाई करने से पहले रूबी को चोदना चाहिए। मुझे इस बात का इंतज़ार था, कि हम दोनों साथ-साथ रहें क्योंकि थ्रीसम का पूरा इरादा मेरे लिए रोजी और रूबी दोनों को चोदना था। मुझे पता था कि मेरा लंड त्यार था उस की चूत में घुसने के लिए और दोनों की जबरदस्त चुदाई करेगा

रोजी बिस्तर पर इस तरह से बैठ गयी ताकि वह मेरे लंड रूबी की योनि के अंदर जाते हुए आसानी से देख सकेl मैं अभी भी अपनी पीठ पर था और मेरे लंड की पूरी लंबाई रूबी के मुँह में थी। उसके बाद रूबी ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकाला, मेरे कूल्हों के दोनों ओर एक एक पैर करते हुए खुद को खड़ा किया और और फिर नीचे बैठते हुए उसने मेरा लंड अपनी चूत में लेने के लिए तैयार किया।

रोजी ने मेरा लंड रूबी की चूत के द्वार पर लगा दिया। जब उसने खुद को मेरे लंड पर उतारा तो रूबी की चुत मेरे लंड को पूरा निगल गयी। रूबी की चूत अब पूरी तरह से मेरे लंड के चारों ओर लिपटी हुई थी। मैंने महसूस किया रूबी की चूत की योनि मोना की चुत जैसी ही टाइट हो गयी थी और उससे पहले मैंने जिस रूबी की चुदाई की थी, ये उससे बहुत टाइट हो गयी थीl मुझे लगा ये लड़की वह नहीं थी जिसे उससे पहले मैंने चोदा था। मैं काफी हैरान था पर उसकी टाइट चुत के कारण बहुत मजा आ रहा थाl ऐसा लग रहा था की आज मैं उसे पहली बार चोद रहा थाl

मेरे लंड पर बैठ कर जिस तरह से उसने उस दिन थ्रीसम के दौरान मुझे चोदा, तो मुझे कुछ नहीं करना था, बस वहीं लेटा रहा, और चुदाई का मजा ले रहा था। वो भी मेरे लंड को अपने अंदर लेने के एहसास को महसूस कर मजे ले रही थी और मुझे अपनी चूत को देने का आनंद ले रही थी। कुछ देर तक वो ऊपर नीचे होती रहीl इस तरह चोदने का आनंद लेने के बाद मैं भी उससे मिलने के लिए नीचे से अपने चूतड़ उठा कर जोर लगाने लगाl जब भी उसकी चूत नीचे और मेरे लंड के आसपास आती थी. मैं भी नीचे से एक धक्का ऊपर को लगा देता था. जिससे उसकी आह निकल जाती थी । फिर तो हम रिदम में ताल से ताल मिला कर चुदाई करने लगे जब मैं इस तरह रूबी को चोद रहा था. तो रोजी मेरे लंड को रूबी के अंदर बाहर जाते हुए देखने के लिए बगल में लेटी हुई थी ।

फिर रोजी उठी और मेरे लैंड को नीचे आकर मेरे अंडकोषों को चूमने लगी, और साथ के साथ जब रूबी ऊपर होती तो वो मेरे लंड को भी चूमने लगी और बीच बीच में रूबी की चूत को भी चूम लेती थीl इस तरह से रूबी की चुदाई का मजा दोगुना हो गया और इस बीच मैं उसके स्तनों से खेलता रहा कुछ देर बाद मेरे लंड के प्रहारों और रोजी के चूमने के कारण रूबी झड़ गयी और मेरे ऊपर हो होl आह! आह! ओह्ह! ओह्ह! करती गिर गयी ।

और इस तरह आखिरकार रूबी ने मुझे चोदना बंद कर दिया और नीचे उतर कर लेट गयी मैं अपनी पीठ से उठ गया और खुद रोजी के ऊपर आ गया । मैंने धीरे से उसकी बहुत गीली हो चुकी चूत में प्रवेश किया जो चुदाई के लिए एकदम तैयार थी। मैं चुदाई के दौरान उसकी चूत के भीतर हर लहर महसूस कर पा रहा था क्योंकि मैंने अपना पूरा लंड उसकी गहराइयों में सरका दिया था । इस तरह से मैंने रोजी को काफी देर तक चोदा।

मुझे जल्द ही पता चला कि रूबी की चुदाई के पसंदीदा आसन पीठ के बल लेटते हुए पैर फैला कर ऊपर उठा कर, चुदाई करवाना है। इस आसन में जब हमने चुदाई की तो मैं उसके ऊपर था इस पोज़िशन मैं उसके ऊपर था और मेरा लंड उसकी चूत में गहराई तक घुस गया। जब मैं रूबी को चोद रहा था, तो रूबी हमारे बगल में लेटी हुई. मुझे रूबी की चुदाई करते हुए देख रही थी और गर्म से गर्मतर हो रही थी

मैंने थोड़ी देर के लिए रूबी की चुदाई की और फिर अपना ध्यान रोजी की तरफ किया और रोजी को चोदने लगा और रूबी हमे देखने लगी । रोजी अपनी पीठ पर थी उसने अपने पैरों को ऊपर खींचा और घुटनों पर झुकाते हुए उन्हें दूर तक फैलाया और उसकी चुदाई करनी शुरू कर दीl इसने मेरे लंड को रोजी की चूत में गहराई तक घुसने दिया।

जब मैं रोजी को चोद रहा था रूबी लगातार हम दोनों को छू रही थी उसने पूरे समय हमारी चुदाई को देखा। कभी-कभी रूबी भी रोजी की चूत पर हाथ रख देती थी और रोजी को चोदते समय मेरे लंड को छू लेती थी। मुझे सहलाने और चुम्बन करने के बावजूद उसके हाथ मुख्य रूप से रोजी के निप्पल्स के साथ खेल रहे हैं और उसे चुंबन कर रहे थे । इस बीच मैं लंड को आगे पीछे करता रहा और फिर थोड़ी देर के लिए रोजी को चोदता रहा। .

फिर मैंने नए नए प्रयोग करना शुरू कर दिया जो मैं अगर मेरे पास चुदाई करने के लिए दो छूटे हो तो उनके साथ करने की सोच सकता था । उन दोनों ने उनकी पीठ के बल साथ साथ लेटाकर मैं पहले एक से चोदता और फिर दूसरी को । फिर मैं भी दोनों में से एक को चोदता और अपना चेहरा दूसरी की चूत में घुसा देता । फिर मैं लड़की बदल देता और जिसे छोड़ता था उसकी चूत को चूसता और दूसरी की चूत को चोदने लगा ।

जब मैं इनकी भगनासा को उसी तरह से चूसता था जिस तरह से वे पहले मेरा लंड चूसते रहे थे तो वे दोनों बेकाबू हो गयी । इसके इलावा जब मैं रूबी या रोजी को छोड़ता था तो उसे चोदने के दौरान दूसरी की चूत को चूसूंने लगा । उसके बाद बदल कर फिर मैं जिसको चोद रहा था उसकी चूत को चूसूंगा और जिसे चूस रहा था उसे चोदने लगता था ।

इन सब पर मैं पहले दोनों में से एक को चोदता और फिर दूसरे को और फिर ऐसा करते हुए दोनों को कई बार चोदता। ऐसा मैंने कई बार किया । जितनी बार मैं उनमें से एक को चोद रहा था, उतनी ही बार मेरा हाथ उसकी चूत में ज्यादा से ज्यादा छेद चाँद करता था या मैं उसकी क्लिटोरिस से खेलता था । मैं कभी-कभार महसूस करता हूँ कि जो मुझ से चुद नहीं रही होती थी, वह कभी कभी मेरे लंड और चुद रही चूत को छू रहा होता थाl इस दौरान दोनों लड़किया कई बार झड़ीl जो झड़ जाती थी उसे छोड़ कर मैं दूसरी को चोदने लग जाता था ।

मुझे आज तक इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि मैं उन्हें एक साथ इस तरह से चोदना चाहता थाl इस तरह बार बार चोदते हुए उन दोनों को बिना एक भी बार झड़े नॉन स्टॉप ओरल सेक्स करते हुए उन्हें चार घंटे तक चोद पाया और मैं झड़ने के कगार पर पहुँच गया। पता नहीं ये बीच बीच में पार्टनर बदल लेने का परिणाम था या भवनाओ का अतिरेक या उस दिन कोई जादू हुआ था।

जब मेरा लंड रूबी की चूत के अंदर था और रोजी ने देखा कि मैं झड़ने के करीब था तो वह बिस्तर पर एक तरफ हो गयी और हमे देखने लगी, जहाँ उसने मेरे द्वारा रूबी को चोदने और उसके अंदर झड़ने के लिए मेरा इंतजार किया। रोजी द्वारा हमें अकेला छोड़ने का इरादा मुझे रूबी के साथ अकेले रहने की अनुमति देता था ताकि हम एक-दूसरे को निजी तौर पर चोदते हुए चरमोत्कर्ष प्राप्त कर सके।

हालाँकि मुझे ज्यादा अच्छा लगता अगर रोजी उस समय जब मैं रूबी की चूत में झड़ने लगता, तो रोजी मेरे पास रहती और मुझे छूती चूमती और सहलाती। रोजी के एक तरफ हो जाने के बाद मैंने एक बार फिर खुद को रूबी की सीधी टांगों के बीच फँसा लिया और अपना लंड उसकी इंतज़ार करती हुई चूत में सरका दिया।
मैंने उसे इस प्रकार चोदना शुरू किया जैसे उसे उस रात में आखिरी बार चोद रहा हूँ। मैं रूबी को सबसे अच्छी चुदाई देना चाहता था जो कि मैं उसे बहुत मजबूत संभोग बनाकर करने में सक्षम था। मैं भी रूबी को चोदने की अपनी क्षमता से प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था और उसे दिखाना चाहता था कि चाहे वह कितने भी लड़को से चुदवा चुकी हो, मैं चुदाई करने में उन सबसे अच्छा और बेहतर था। उसके बाद मैंने रूबी की चूत में कस कस कर लम्बे लम्बे शॉट लगाए जिससे उसका पूरा बदन हिल जाता था और हर शॉट के साथ उसकी एक जोरदार आह निकलती थीl

इस जबरदस्त चुदाई से जैसे ही रूबी अपने कामोन्माद के पास पहुंची, उसने अपने हाथ ऊपर उठाते हुए उसके सिर पर वापस फेंक दिए और बिस्तर के हेडबोर्ड पर पकड़ लिया और जोर से कराहने लगी। उसने हेडबोर्ड पर अपनी पकड़ तब तक जारी राखी जब तक कि हम दोनों एक साथ नहीं चरमोत्कर्ष पर नहीं पहुँच गए। रूबी अब अपने शरीर पर पूरा नियंत्रण खो चुकी थी और एक जंगली चुदाई की मशीन बन गई थी। वह उस मुकाम पर पहुंच गई थी, जहां सिर्फ दो चीजें मौजूद थीं, उसकी चूत और मेरा लंड जो उसकी चूत को चोद रहा था ।

उस समय मैं उसे ऐसे चोद चोद रहा था जैसे कि वह फिर कभी नहीं चुदी होगी और चिल्लाने लगी "दे दो बेबी। यह मुझे दे दो बेबी। और जोर से । " मैं आज उस लड़की को खुल कर चोद रहा था जिसे मैंने सबसे पहले अपने फूफेरे भाई बॉब से चुदते हुए देखा था और पूरी तरह से उसके साथ चुदाई का आनंद ले रहा था
क्योंकि मैं उसे वही दे रहा हूं जो वह चाहती है। "

मैं अपने नीचे मेरी जबरदस्त चुदाई के कारण हो रही रूबी के शरीर की प्रतिक्रिया को महसूस कर रहा था क्योंकि उसका शरीर कांपने लगा वह एक जबरदस्त ओर्गास्म अनुभव कर रही थीl उसने मेरे लंड को अपने जलाशय के अमृत से पूरा नहला दिया। लगभग उसी के साथ रूबी ने ऐसे चिल्लाना शुरू किया जैसे उसे बहुत तीव्र दर्द हो रहा हो । रूबी की उस कम्पन भरी चिल्लाहट से चार घंटे से ज्यादा देर से उत्तेजित मेरे लंड ने भी रूबी की चूत में बड़ी भारी मात्रा में लावे का विस्फोट कर दियाlजिसके बाद मेरे आधा दर्जन अतिरिक्त डिस्चार्ज और थे, प्रत्येक पूर्ववर्ती की तुलना में मात्रा में छोटे थे । रूबी की चूत में मेरे आखिरी शॉट के साथ मैंने कुछ शॉट और लगाए और उसके बाद उसके ऊपर गिर गया, थक गया। उसकी आश्चर्यजनक रूप से कसी हुई चूत के कारण रूबी ने मुझे एक बहुत अच्छी चुदाई का भरपुर मजा दिया ।

हम दोनों कुछ देर तक एक दुसरे की बाहों में बिस्तर पर लेट, वह मुझे पकड़ कर आलिंगन करती रही और हम चुंबन का आदान-प्रदान करते रहे । रूबी कुछ देर वैसे ही लेते रहना चाहती थी और एक दुसरे की बाहो में लिपटे हुए चुंबन कर रही थी जैसे हम दोनों अमर प्रेमी हो ।

जब हम्मारी साँसे कुछ संयत हुई तो रोजी और मैं आखिरकार बिस्तर से उठ गए तो रोजी जो हमे देख रही थी और हमारा इंतजार कर रही रोजी ने हमें उसके चेहरे पर मुस्कान के साथ अभिवादन किया और मुझसे कहा, "क्या आपको रूबी को चोदने में मज़ा आया?" जिस पर मैंने जवाब दिया, "बेशक।" उसकी अगली टिप्पणी थी, "मुझे यह नहीं पूछना है कि क्या रूबी को मज़ा आया। मैंने यह सुना।" हम तीनों के बीच थोड़ी सी बातचीत हुई और यह निर्णय लिया गया कि हमें अक्सर थ्रीसम के लिए मिलते रहना चाहिए । फिर रूबी बोली अगर अब आप चाहते हैं तो कुछ देर आराम कर लीजिये या एक बार रोजी को भी चोद लीजिये
भले ही मैं रूबी और रोजी दोनों को चोदने से थक गया था, और विशेष रूप से रूबी को , मैंने एक बार रोजी की चूत में लंड घुसा दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया। हम वहां अंधेरे में लेटे रहे, एक-दूसरे से प्यार करते रहे, और फिर तीनो साथ में जो हुआ था उसके बारे में बात करते हुए चिपक कर सो गए।
अगली सुबह रूबी अपने कमरे में चली गयीl अगला दिन मौसम शानदार था और मैंने रोजी से कहा शायद आज कमरे में कोई मेहमान आएगा. तो जरूरी व्यवस्था कर देना जैसे ही नाश्ता खत्म हुआ तो बुआ और फूफा किसी रिश्तेदार से मिलने चले गए और बाकी लोग अपने पूर्व निर्धारित कार्य बॉब पुस्तक पढ़ रहा था, टॉम बिस्तर पर था , और जेन की बहने TV. देखने में व्यस्त हो गयीl

मैंने और जेन ने टहलना शुरू कर दिया, विशेष रूप से मेरे दिमाग में था की बुआ और फूफा लंच के लिए वापस आ सकते हैं ।

मैं और मेरी खूबसूरत फूफेरी बहन के साथ बगीचे से आगे और मैदान से बाहर निकल गए, मैंने उसकी तारीफ करनी शुरू कर दी थी और धीरे धीरे हमारी बातचीत बहुत गर्म हो गई, और शर्म के मारे जेन का चेहरा उसके दौड़ते गर्म खून के कारण सुर्ख लाल हो गया ।

" आप बहुत बदमाश हो गए है दीपक। जब हम पहले यहाँ आये थे तो आप इतने अशिष्ट लड़के नहीं थे। मुझे आपके बात करने के तरीके पर शरम आ रही है, दीपक!" वह आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ती हुई बोली।

" मेरी प्यारी, जेन," मैंने जवाब दिया, "सुंदर लड़कियों, सुंदरियों की शानदार टाँगे उनके पैरों और सुन्दर उन्नत छातियों की, और उन सभी के बारे में और उनके साथ मस्ती करने और मस्ती की बात करने के ज्यादा और अधिक सुखदायक क्या हो सकता है?

मैं आपको बता नहीं सकता मैं आपकी ख़ूबसूरती का कैसा दीवाना हो गया हूँ कल के बाद से आज मैं आपके ही खयालो में डूबा रहा हूँ मैं आपके खूबसूरत टांगो की एक झलक देखने को बेकरार हूँ जिनकी मुझे एक झलक मिली है और मैं यही सोच रहा हूँ के आपकी ख़ूबसूरती को किस तरह से प्यार करना चाहिए?"

ये कह कर मैं एक छायादार पेड़ के नीचे रुक गया और उसे अपने पास खींच लिया, फिर वही घास का मैदान जो की पेड़ो के झुरमुट में छिपा हुआ था उसमे लेट कर, अपने पास घास पर नीचे, आधे मन से विरोध करती हुई जेन को अपने पास खींच लिया , और उसको ओंठो पर पूरी शिद्दत के साथ चूमने के बाद मैं बड़बड़ाया, "ओह! जेन, आपका चुम्बन बिलकुल आपकी ही तरह मीठा है, मीठे प्यार की तरह जीने लायक कुछ और भी है क्या?"

उसके होंठ मुझे एक उग्र आलिंगन में मिले थे, लेकिन अचानक खुद को मुझ से अलग करते हुए, उसकी आँखें नीचे झुक गईं, और भयानक रूप से हतोत्साहित दिखते हुए, उसने हकलाते हुए कहा, "यह क्या है? तुम्हारा क्या मतलब है, दीपक?"

"आह, मेरी प्यारी जेन, तुम इतनी मासूम तो नहीं हो? तुम देखो इधर प्रेम औजार तुम्हारी गदरायी जाँघों के बीच समाने के लिए बेताब हैl " मैं फुसफुसाते हुए ,उसका हाथ पकड़ कर मेरे लंड पर जिसे मैंने पेण्ट की ज़िप से बाहर निकाल लिया था और अब तक पूरा कठोर हो चूका थाl उस पर रख कर बोला " इसे अपने हाथ में पकड़ लो, प्रिय, क्या यह संभव है कि आप यह नहीं समझती कि यह किस लिए है?"

उसका चेहरा उसके बालों की जड़ों तक लाल हो गया था, क्योंकि उसके कांपते हुए हाथ ने मेरे उपकरण को पकड़ लिया था, और उसकी आँखें लंड श्री के अचानक स्पष्ट होने पर डर के मारे लाल हो गयी थी। वह डर भी रही थी और हैरान भी हो रही थी और इसके मुँह से बस इतना निकला "ओह माय गॉड! इतना बड़ा! " और उसका हाथ मेरे लंड के ऊपर ऐसे सरक रहा था जैसे वह माप ले रही होl उसके बाद वो आवाक सी मेरे लंड् को ताकने लगी . मैंने उसके अवाक भ्रम का फायदा उठाते हुए, उसकी लाल लंग की स्कर्ट के अंदर नीचे फिसलते हुए, जल्द ही उसके जांघो के बीच के जगह पर कब्जा कर लिया, और उसकी जांघों के घबराहट भरे संकुचन के बावजूद, मेरी उंगलियों ने अग्रदूत की तरह उसकी कुंवारी भगशेफ की खोज शुरू की ली । उसने अपनी जाँघे कस कर भींच ली ।

"आह! ओह! ओह! नहीं प्लीज दीपक नहीं वहां नहीं? आप क्या चाहते हो? आप क्या खोज रहे हो?"

उसे नए सिरे से सुस्वाद चुंबन के साथ उसे अपने साथ लपेटते हुए , उसके होंठ के बीच मेरी जीभ की मखमली अगले हिस्से को घुसाते हुए मैं फिर से फुसफुसाया

"यह सब प्यार है , प्रिय जेन , प्लीज अपनी जांघों को थोड़ा सा खोलिये और मेरी ऊँगली आप को मजे का अद्भुत अनुभव देगी ।"

"ओह! ओह! नहीं आप चोट करेंगे और मुझे दर्द होगा!" वह बोलने के बजाए आहें भरती दिख रही थी, लेकिन चुम्बन से मिलने वाले आनंद से उसके पैरों ने अपने अकड़ने वाले संकुचन को थोड़ा ढीला कर दिया था।

मेरे होंठ उसके ओंठो के साथ चिपके रहे, हमारी भुजाओं ने एक दूसरे को कमर के करीब से जकड़ा हुआ था, उसका हाथ मेरे कठोर लंड की ऐंठन को पकडे हुए था, जबकि मेरे दुसरे हाथ की उंगलियां क्लिटोरिस और उसकी योनि के साथ व्यस्त थींl उस समय केवल हमारे चुंबन और हमारी आह की आवाज ही वहां सुनाई दे रही थीl ये तब तक चलता रहा जब तक मेरे द्वारा उसकी चूत की छेड़ छाड़ और उसके चूत के दाने को सहलाने के कारण उसका शरीर हल्का सा थर्र्राया और मेरी उंगलियो ने उसकी योनि से निकलता हुआ गीलापन महसूस किया। और वह तेज तेज साँसे लेती हुई धीमे से मेरे कानो में बोली "ओह! दीपक मजा आ गया! अरे ये मुझे क्या हुआ?" "मुझे माफ़ कीजियेगा मैंने आपका हाथ गीला कर दिया।" वह शर्माते हुए बोलीl

ये कह कर मैं चुप हो गया क्योंकि मैं भी उस अनुभव की यादो में खो गया था, तो प्रीती बोली आगे क्या हुआ जेन के साथ आपका मिलन, कैसे, और कहाँ हुआ.. बताइये प्लीज!

ये कहानी जारी रहेगी

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रूबी और रोजी के साथ सामूहिक सेक्स- अंतरंग हमसफ़र भाग 12




अंतरंग हमसफ़र भाग 11 में आपने पढ़ा;

कुछ देर बाद दोनों ने अपनी स्थिति बदल ली इसके बाद मेरा मुँह रोजी की चुत पर चल रहा था और रोजी का मुँह रूबी की चुत पर था और रूबी का मुँह मेरे लंड पर था ।

इस पूरे समय में यह सब हो रहा था हमारे छह हाथ चार उपलब्ध स्तनों और निप्पल्स के साथ खेल रहे थे। इस तरह हम तीनों ने काफी समय बहुत सारे मौखिक सेक्स के अलावा एक-दूसरे के शरीर के साथ खेलने और और छेड़ छाड में बिताया।

मुझे इनमे से सबसे ज़्यादा मज़ा तब आया, जब रूबी और रोजी दोनों एक साथ अपने मुँह को मेरे लंड के दोनों तरफ रख और दोनों अपने मुँह को एक साथ ऊपर-नीचे करती थीl इस मौके पर उनमें से एक ने मेरे लंड की पूरी लंबाई को अपने मुँह में ले लिया तब भी बहुत मजा आया।

मैं दीपक आपने मेरी कहानिया "झट शादी पट सुहागरात-1-4" में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी प्रीती दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो गयीl उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी और रूबी मिली और मेरी पहली चुदाई के बारे में पूछने लगी, तो मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला, कैसे मेरी और रोजी की पहली चुदाई हुईl उसके बाद कैसे मैंने रूबी को चोदाl फिर हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनायाl रोजी ने हमे अपनी सहेली टीना से मिलवाया और टीना की पहली चुदाई कैसे हुईl फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदाl रात में एकबार फिर सबका एक साथ ग्रुप सेक्स हुआ, और रोजी मेरे साथ शहर आ गयीl उसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आयेl मैं मेरी बुआ की सबसे बड़ी बेटी जेन के साथ शाम के समय मैदान में घूमने गया और वहां उससे प्रेम निवेदन किया और रात में रोजी और रूबी के साथ हमारा पहला थ्रीसम शुरू हुआ ( अंतरंग हमसफ़र भाग -1 -11)l

अब आगे:-


रोजी ने आखिरकार मुझसे कहा कि मुझे उसकी चुदाई करने से पहले रूबी को चोदना चाहिए। मुझे इस बात का इंतज़ार था, कि हम दोनों साथ-साथ रहें क्योंकि थ्रीसम का पूरा इरादा मेरे लिए रोजी और रूबी दोनों को चोदना था। मुझे पता था कि मेरा लंड त्यार था उस की चूत में घुसने के लिए और दोनों की जबरदस्त चुदाई करेगा

रोजी बिस्तर पर इस तरह से बैठ गयी ताकि वह मेरे लंड रूबी की योनि के अंदर जाते हुए आसानी से देख सकेl मैं अभी भी अपनी पीठ पर था और मेरे लंड की पूरी लंबाई रूबी के मुँह में थी। उसके बाद रूबी ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकाला, मेरे कूल्हों के दोनों ओर एक एक पैर करते हुए खुद को खड़ा किया और और फिर नीचे बैठते हुए उसने मेरा लंड अपनी चूत में लेने के लिए तैयार किया।

रोजी ने मेरा लंड रूबी की चूत के द्वार पर लगा दिया। जब उसने खुद को मेरे लंड पर उतारा तो रूबी की चुत मेरे लंड को पूरा निगल गयी। रूबी की चूत अब पूरी तरह से मेरे लंड के चारों ओर लिपटी हुई थी। मैंने महसूस किया रूबी की चूत की योनि मोना की चुत जैसी ही टाइट हो गयी थी और उससे पहले मैंने जिस रूबी की चुदाई की थी, ये उससे बहुत टाइट हो गयी थीl मुझे लगा ये लड़की वह नहीं थी जिसे उससे पहले मैंने चोदा था। मैं काफी हैरान था पर उसकी टाइट चुत के कारण बहुत मजा आ रहा थाl ऐसा लग रहा था की आज मैं उसे पहली बार चोद रहा थाl

मेरे लंड पर बैठ कर जिस तरह से उसने उस दिन थ्रीसम के दौरान मुझे चोदा, तो मुझे कुछ नहीं करना था, बस वहीं लेटा रहा, और चुदाई का मजा ले रहा था। वो भी मेरे लंड को अपने अंदर लेने के एहसास को महसूस कर मजे ले रही थी और मुझे अपनी चूत को देने का आनंद ले रही थी। कुछ देर तक वो ऊपर नीचे होती रहीl इस तरह चोदने का आनंद लेने के बाद मैं भी उससे मिलने के लिए नीचे से अपने चूतड़ उठा कर जोर लगाने लगाl जब भी उसकी चूत नीचे और मेरे लंड के आसपास आती थी. मैं भी नीचे से एक धक्का ऊपर को लगा देता था. जिससे उसकी आह निकल जाती थी । फिर तो हम रिदम में ताल से ताल मिला कर चुदाई करने लगे जब मैं इस तरह रूबी को चोद रहा था. तो रोजी मेरे लंड को रूबी के अंदर बाहर जाते हुए देखने के लिए बगल में लेटी हुई थी ।

फिर रोजी उठी और मेरे लैंड को नीचे आकर मेरे अंडकोषों को चूमने लगी, और साथ के साथ जब रूबी ऊपर होती तो वो मेरे लंड को भी चूमने लगी और बीच बीच में रूबी की चूत को भी चूम लेती थीl इस तरह से रूबी की चुदाई का मजा दोगुना हो गया और इस बीच मैं उसके स्तनों से खेलता रहा कुछ देर बाद मेरे लंड के प्रहारों और रोजी के चूमने के कारण रूबी झड़ गयी और मेरे ऊपर हो होl आह! आह! ओह्ह! ओह्ह! करती गिर गयी ।

और इस तरह आखिरकार रूबी ने मुझे चोदना बंद कर दिया और नीचे उतर कर लेट गयी मैं अपनी पीठ से उठ गया और खुद रोजी के ऊपर आ गया । मैंने धीरे से उसकी बहुत गीली हो चुकी चूत में प्रवेश किया जो चुदाई के लिए एकदम तैयार थी। मैं चुदाई के दौरान उसकी चूत के भीतर हर लहर महसूस कर पा रहा था क्योंकि मैंने अपना पूरा लंड उसकी गहराइयों में सरका दिया था । इस तरह से मैंने रोजी को काफी देर तक चोदा।

मुझे जल्द ही पता चला कि रूबी की चुदाई के पसंदीदा आसन पीठ के बल लेटते हुए पैर फैला कर ऊपर उठा कर, चुदाई करवाना है। इस आसन में जब हमने चुदाई की तो मैं उसके ऊपर था इस पोज़िशन मैं उसके ऊपर था और मेरा लंड उसकी चूत में गहराई तक घुस गया। जब मैं रूबी को चोद रहा था, तो रूबी हमारे बगल में लेटी हुई. मुझे रूबी की चुदाई करते हुए देख रही थी और गर्म से गर्मतर हो रही थी

मैंने थोड़ी देर के लिए रूबी की चुदाई की और फिर अपना ध्यान रोजी की तरफ किया और रोजी को चोदने लगा और रूबी हमे देखने लगी । रोजी अपनी पीठ पर थी उसने अपने पैरों को ऊपर खींचा और घुटनों पर झुकाते हुए उन्हें दूर तक फैलाया और उसकी चुदाई करनी शुरू कर दीl इसने मेरे लंड को रोजी की चूत में गहराई तक घुसने दिया।

जब मैं रोजी को चोद रहा था रूबी लगातार हम दोनों को छू रही थी उसने पूरे समय हमारी चुदाई को देखा। कभी-कभी रूबी भी रोजी की चूत पर हाथ रख देती थी और रोजी को चोदते समय मेरे लंड को छू लेती थी। मुझे सहलाने और चुम्बन करने के बावजूद उसके हाथ मुख्य रूप से रोजी के निप्पल्स के साथ खेल रहे हैं और उसे चुंबन कर रहे थे । इस बीच मैं लंड को आगे पीछे करता रहा और फिर थोड़ी देर के लिए रोजी को चोदता रहा। .

फिर मैंने नए नए प्रयोग करना शुरू कर दिया जो मैं अगर मेरे पास चुदाई करने के लिए दो छूटे हो तो उनके साथ करने की सोच सकता था । उन दोनों ने उनकी पीठ के बल साथ साथ लेटाकर मैं पहले एक से चोदता और फिर दूसरी को । फिर मैं भी दोनों में से एक को चोदता और अपना चेहरा दूसरी की चूत में घुसा देता । फिर मैं लड़की बदल देता और जिसे छोड़ता था उसकी चूत को चूसता और दूसरी की चूत को चोदने लगा ।

जब मैं इनकी भगनासा को उसी तरह से चूसता था जिस तरह से वे पहले मेरा लंड चूसते रहे थे तो वे दोनों बेकाबू हो गयी । इसके इलावा जब मैं रूबी या रोजी को छोड़ता था तो उसे चोदने के दौरान दूसरी की चूत को चूसूंने लगा । उसके बाद बदल कर फिर मैं जिसको चोद रहा था उसकी चूत को चूसूंगा और जिसे चूस रहा था उसे चोदने लगता था ।

इन सब पर मैं पहले दोनों में से एक को चोदता और फिर दूसरे को और फिर ऐसा करते हुए दोनों को कई बार चोदता। ऐसा मैंने कई बार किया । जितनी बार मैं उनमें से एक को चोद रहा था, उतनी ही बार मेरा हाथ उसकी चूत में ज्यादा से ज्यादा छेद चाँद करता था या मैं उसकी क्लिटोरिस से खेलता था । मैं कभी-कभार महसूस करता हूँ कि जो मुझ से चुद नहीं रही होती थी, वह कभी कभी मेरे लंड और चुद रही चूत को छू रहा होता थाl इस दौरान दोनों लड़किया कई बार झड़ीl जो झड़ जाती थी उसे छोड़ कर मैं दूसरी को चोदने लग जाता था ।

मुझे आज तक इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि मैं उन्हें एक साथ इस तरह से चोदना चाहता थाl इस तरह बार बार चोदते हुए उन दोनों को बिना एक भी बार झड़े नॉन स्टॉप ओरल सेक्स करते हुए उन्हें चार घंटे तक चोद पाया और मैं झड़ने के कगार पर पहुँच गया। पता नहीं ये बीच बीच में पार्टनर बदल लेने का परिणाम था या भवनाओ का अतिरेक या उस दिन कोई जादू हुआ था।

जब मेरा लंड रूबी की चूत के अंदर था और रोजी ने देखा कि मैं झड़ने के करीब था तो वह बिस्तर पर एक तरफ हो गयी और हमे देखने लगी, जहाँ उसने मेरे द्वारा रूबी को चोदने और उसके अंदर झड़ने के लिए मेरा इंतजार किया। रोजी द्वारा हमें अकेला छोड़ने का इरादा मुझे रूबी के साथ अकेले रहने की अनुमति देता था ताकि हम एक-दूसरे को निजी तौर पर चोदते हुए चरमोत्कर्ष प्राप्त कर सके।

हालाँकि मुझे ज्यादा अच्छा लगता अगर रोजी उस समय जब मैं रूबी की चूत में झड़ने लगता, तो रोजी मेरे पास रहती और मुझे छूती चूमती और सहलाती। रोजी के एक तरफ हो जाने के बाद मैंने एक बार फिर खुद को रूबी की सीधी टांगों के बीच फँसा लिया और अपना लंड उसकी इंतज़ार करती हुई चूत में सरका दिया।
मैंने उसे इस प्रकार चोदना शुरू किया जैसे उसे उस रात में आखिरी बार चोद रहा हूँ। मैं रूबी को सबसे अच्छी चुदाई देना चाहता था जो कि मैं उसे बहुत मजबूत संभोग बनाकर करने में सक्षम था। मैं भी रूबी को चोदने की अपनी क्षमता से प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था और उसे दिखाना चाहता था कि चाहे वह कितने भी लड़को से चुदवा चुकी हो, मैं चुदाई करने में उन सबसे अच्छा और बेहतर था। उसके बाद मैंने रूबी की चूत में कस कस कर लम्बे लम्बे शॉट लगाए जिससे उसका पूरा बदन हिल जाता था और हर शॉट के साथ उसकी एक जोरदार आह निकलती थीl

इस जबरदस्त चुदाई से जैसे ही रूबी अपने कामोन्माद के पास पहुंची, उसने अपने हाथ ऊपर उठाते हुए उसके सिर पर वापस फेंक दिए और बिस्तर के हेडबोर्ड पर पकड़ लिया और जोर से कराहने लगी। उसने हेडबोर्ड पर अपनी पकड़ तब तक जारी राखी जब तक कि हम दोनों एक साथ नहीं चरमोत्कर्ष पर नहीं पहुँच गए। रूबी अब अपने शरीर पर पूरा नियंत्रण खो चुकी थी और एक जंगली चुदाई की मशीन बन गई थी। वह उस मुकाम पर पहुंच गई थी, जहां सिर्फ दो चीजें मौजूद थीं, उसकी चूत और मेरा लंड जो उसकी चूत को चोद रहा था ।

उस समय मैं उसे ऐसे चोद चोद रहा था जैसे कि वह फिर कभी नहीं चुदी होगी और चिल्लाने लगी "दे दो बेबी। यह मुझे दे दो बेबी। और जोर से । " मैं आज उस लड़की को खुल कर चोद रहा था जिसे मैंने सबसे पहले अपने फूफेरे भाई बॉब से चुदते हुए देखा था और पूरी तरह से उसके साथ चुदाई का आनंद ले रहा था
क्योंकि मैं उसे वही दे रहा हूं जो वह चाहती है। "

मैं अपने नीचे मेरी जबरदस्त चुदाई के कारण हो रही रूबी के शरीर की प्रतिक्रिया को महसूस कर रहा था क्योंकि उसका शरीर कांपने लगा वह एक जबरदस्त ओर्गास्म अनुभव कर रही थीl उसने मेरे लंड को अपने जलाशय के अमृत से पूरा नहला दिया। लगभग उसी के साथ रूबी ने ऐसे चिल्लाना शुरू किया जैसे उसे बहुत तीव्र दर्द हो रहा हो । रूबी की उस कम्पन भरी चिल्लाहट से चार घंटे से ज्यादा देर से उत्तेजित मेरे लंड ने भी रूबी की चूत में बड़ी भारी मात्रा में लावे का विस्फोट कर दियाlजिसके बाद मेरे आधा दर्जन अतिरिक्त डिस्चार्ज और थे, प्रत्येक पूर्ववर्ती की तुलना में मात्रा में छोटे थे । रूबी की चूत में मेरे आखिरी शॉट के साथ मैंने कुछ शॉट और लगाए और उसके बाद उसके ऊपर गिर गया, थक गया। उसकी आश्चर्यजनक रूप से कसी हुई चूत के कारण रूबी ने मुझे एक बहुत अच्छी चुदाई का भरपुर मजा दिया ।

हम दोनों कुछ देर तक एक दुसरे की बाहों में बिस्तर पर लेट, वह मुझे पकड़ कर आलिंगन करती रही और हम चुंबन का आदान-प्रदान करते रहे । रूबी कुछ देर वैसे ही लेते रहना चाहती थी और एक दुसरे की बाहो में लिपटे हुए चुंबन कर रही थी जैसे हम दोनों अमर प्रेमी हो ।

जब हम्मारी साँसे कुछ संयत हुई तो रोजी और मैं आखिरकार बिस्तर से उठ गए तो रोजी जो हमे देख रही थी और हमारा इंतजार कर रही रोजी ने हमें उसके चेहरे पर मुस्कान के साथ अभिवादन किया और मुझसे कहा, "क्या आपको रूबी को चोदने में मज़ा आया?" जिस पर मैंने जवाब दिया, "बेशक।" उसकी अगली टिप्पणी थी, "मुझे यह नहीं पूछना है कि क्या रूबी को मज़ा आया। मैंने यह सुना।" हम तीनों के बीच थोड़ी सी बातचीत हुई और यह निर्णय लिया गया कि हमें अक्सर थ्रीसम के लिए मिलते रहना चाहिए । फिर रूबी बोली अगर अब आप चाहते हैं तो कुछ देर आराम कर लीजिये या एक बार रोजी को भी चोद लीजिये
भले ही मैं रूबी और रोजी दोनों को चोदने से थक गया था, और विशेष रूप से रूबी को , मैंने एक बार रोजी की चूत में लंड घुसा दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया। हम वहां अंधेरे में लेटे रहे, एक-दूसरे से प्यार करते रहे, और फिर तीनो साथ में जो हुआ था उसके बारे में बात करते हुए चिपक कर सो गए।
अगली सुबह रूबी अपने कमरे में चली गयीl अगला दिन मौसम शानदार था और मैंने रोजी से कहा शायद आज कमरे में कोई मेहमान आएगा. तो जरूरी व्यवस्था कर देना जैसे ही नाश्ता खत्म हुआ तो बुआ और फूफा किसी रिश्तेदार से मिलने चले गए और बाकी लोग अपने पूर्व निर्धारित कार्य बॉब पुस्तक पढ़ रहा था, टॉम बिस्तर पर था , और जेन की बहने TV. देखने में व्यस्त हो गयीl

मैंने और जेन ने टहलना शुरू कर दिया, विशेष रूप से मेरे दिमाग में था की बुआ और फूफा लंच के लिए वापस आ सकते हैं ।

मैं और मेरी खूबसूरत फूफेरी बहन के साथ बगीचे से आगे और मैदान से बाहर निकल गए, मैंने उसकी तारीफ करनी शुरू कर दी थी और धीरे धीरे हमारी बातचीत बहुत गर्म हो गई, और शर्म के मारे जेन का चेहरा उसके दौड़ते गर्म खून के कारण सुर्ख लाल हो गया ।

" आप बहुत बदमाश हो गए है दीपक। जब हम पहले यहाँ आये थे तो आप इतने अशिष्ट लड़के नहीं थे। मुझे आपके बात करने के तरीके पर शरम आ रही है, दीपक!" वह आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ती हुई बोली।

" मेरी प्यारी, जेन," मैंने जवाब दिया, "सुंदर लड़कियों, सुंदरियों की शानदार टाँगे उनके पैरों और सुन्दर उन्नत छातियों की, और उन सभी के बारे में और उनके साथ मस्ती करने और मस्ती की बात करने के ज्यादा और अधिक सुखदायक क्या हो सकता है?

मैं आपको बता नहीं सकता मैं आपकी ख़ूबसूरती का कैसा दीवाना हो गया हूँ कल के बाद से आज मैं आपके ही खयालो में डूबा रहा हूँ मैं आपके खूबसूरत टांगो की एक झलक देखने को बेकरार हूँ जिनकी मुझे एक झलक मिली है और मैं यही सोच रहा हूँ के आपकी ख़ूबसूरती को किस तरह से प्यार करना चाहिए?"

ये कह कर मैं एक छायादार पेड़ के नीचे रुक गया और उसे अपने पास खींच लिया, फिर वही घास का मैदान जो की पेड़ो के झुरमुट में छिपा हुआ था उसमे लेट कर, अपने पास घास पर नीचे, आधे मन से विरोध करती हुई जेन को अपने पास खींच लिया , और उसको ओंठो पर पूरी शिद्दत के साथ चूमने के बाद मैं बड़बड़ाया, "ओह! जेन, आपका चुम्बन बिलकुल आपकी ही तरह मीठा है, मीठे प्यार की तरह जीने लायक कुछ और भी है क्या?"

उसके होंठ मुझे एक उग्र आलिंगन में मिले थे, लेकिन अचानक खुद को मुझ से अलग करते हुए, उसकी आँखें नीचे झुक गईं, और भयानक रूप से हतोत्साहित दिखते हुए, उसने हकलाते हुए कहा, "यह क्या है? तुम्हारा क्या मतलब है, दीपक?"

"आह, मेरी प्यारी जेन, तुम इतनी मासूम तो नहीं हो? तुम देखो इधर प्रेम औजार तुम्हारी गदरायी जाँघों के बीच समाने के लिए बेताब हैl " मैं फुसफुसाते हुए ,उसका हाथ पकड़ कर मेरे लंड पर जिसे मैंने पेण्ट की ज़िप से बाहर निकाल लिया था और अब तक पूरा कठोर हो चूका थाl उस पर रख कर बोला " इसे अपने हाथ में पकड़ लो, प्रिय, क्या यह संभव है कि आप यह नहीं समझती कि यह किस लिए है?"

उसका चेहरा उसके बालों की जड़ों तक लाल हो गया था, क्योंकि उसके कांपते हुए हाथ ने मेरे उपकरण को पकड़ लिया था, और उसकी आँखें लंड श्री के अचानक स्पष्ट होने पर डर के मारे लाल हो गयी थी। वह डर भी रही थी और हैरान भी हो रही थी और इसके मुँह से बस इतना निकला "ओह माय गॉड! इतना बड़ा! " और उसका हाथ मेरे लंड के ऊपर ऐसे सरक रहा था जैसे वह माप ले रही होl उसके बाद वो आवाक सी मेरे लंड् को ताकने लगी . मैंने उसके अवाक भ्रम का फायदा उठाते हुए, उसकी लाल लंग की स्कर्ट के अंदर नीचे फिसलते हुए, जल्द ही उसके जांघो के बीच के जगह पर कब्जा कर लिया, और उसकी जांघों के घबराहट भरे संकुचन के बावजूद, मेरी उंगलियों ने अग्रदूत की तरह उसकी कुंवारी भगशेफ की खोज शुरू की ली । उसने अपनी जाँघे कस कर भींच ली ।

"आह! ओह! ओह! नहीं प्लीज दीपक नहीं वहां नहीं? आप क्या चाहते हो? आप क्या खोज रहे हो?"

उसे नए सिरे से सुस्वाद चुंबन के साथ उसे अपने साथ लपेटते हुए , उसके होंठ के बीच मेरी जीभ की मखमली अगले हिस्से को घुसाते हुए मैं फिर से फुसफुसाया

"यह सब प्यार है , प्रिय जेन , प्लीज अपनी जांघों को थोड़ा सा खोलिये और मेरी ऊँगली आप को मजे का अद्भुत अनुभव देगी ।"

"ओह! ओह! नहीं आप चोट करेंगे और मुझे दर्द होगा!" वह बोलने के बजाए आहें भरती दिख रही थी, लेकिन चुम्बन से मिलने वाले आनंद से उसके पैरों ने अपने अकड़ने वाले संकुचन को थोड़ा ढीला कर दिया था।

मेरे होंठ उसके ओंठो के साथ चिपके रहे, हमारी भुजाओं ने एक दूसरे को कमर के करीब से जकड़ा हुआ था, उसका हाथ मेरे कठोर लंड की ऐंठन को पकडे हुए था, जबकि मेरे दुसरे हाथ की उंगलियां क्लिटोरिस और उसकी योनि के साथ व्यस्त थींl उस समय केवल हमारे चुंबन और हमारी आह की आवाज ही वहां सुनाई दे रही थीl ये तब तक चलता रहा जब तक मेरे द्वारा उसकी चूत की छेड़ छाड़ और उसके चूत के दाने को सहलाने के कारण उसका शरीर हल्का सा थर्र्राया और मेरी उंगलियो ने उसकी योनि से निकलता हुआ गीलापन महसूस किया। और वह तेज तेज साँसे लेती हुई धीमे से मेरे कानो में बोली "ओह! दीपक मजा आ गया! अरे ये मुझे क्या हुआ?" "मुझे माफ़ कीजियेगा मैंने आपका हाथ गीला कर दिया।" वह शर्माते हुए बोलीl

ये कह कर मैं चुप हो गया क्योंकि मैं भी उस अनुभव की यादो में खो गया था, तो प्रीती बोली आगे क्या हुआ जेन के साथ आपका मिलन, कैसे, और कहाँ हुआ.. बताइये प्लीज!


ये कहानी जारी रहेगी
अगले भाग में जेन की कहानी जारी रहेगी- अंतरंग हमसफ़र भाग 13


दीपक
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मेरे अंतरंग हमसफ़र
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परिचय

दोस्तों मैं दीपक कुमार, मेरे अंतरंग हमसफर मेरी सबसे पहली कहानी है और इसके पहल्रे 3 भाग आप पढ़ सकते हैं "झट पट शादी और सुहागरात" के नाम से जो मेरे कॉलेज के दोस्त ने पोस्ट किये हैं .

आगे के सभी भाग आपको इस फोरम पर मिलेंगे और मेरी कोशिश है आप इसे काफी कामुक पाएंगे और आपको पढ़ कर मजा भी आएगा

मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता था l


आपका

दीपक कुमार
Dear writer ✍️sir, please page number bhi likhe aap, update number ke sath sath index mein. Vese aap ki story bahut achi hai💊 Raji ki taraf se congrats🎉

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Update 13

जेन के साथ सेक्स.- अंतरंग हमसफ़र भाग 13


"मेरे अंतरंग जीवन की हमसफ़र -12 " में पढ़ा



मेरे होंठ जेन के ओंठो के साथ चिपके रहे, हमारी भुजाओं ने एक दूसरे को कमर के करीब से जकड़ा हुआ था, उसका हाथ मेरे कठोर लंड की ऐंठन को पकडे हुए था, जबकि मेरे दुसरे हाथ की उंगलियां क्लिटोरिस और उसकी योनि के साथ व्यस्त थींl उस समय केवल हमारे चुंबन और हमारी आह की आवाज ही वहां सुनाई दे रही थीl ये तब तक चलता रहा जब तक मेरे द्वारा उसकी चूत की छेड़ छाड़ और उसके चूत के दाने को सहलाने के कारण उसका शरीर हल्का सा थर्र्राया और मेरी उंगलियो ने उसकी योनि से निकलता हुआ गीलापन महसूस किया। और वह तेज तेज साँसे लेती हुई धीमे से मेरे कानो में बोली "ओह! दीपक मजा आ गया! अरे ये मुझे क्या हुआ?" "मुझे माफ़ कीजियेगा मैंने आपका हाथ गीला कर दिया।" वह शर्माते हुए बोलीl "


मैं दीपक आपने मेरी कहानिया "झट शादी पट सुहागरात-1-4" में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी प्रीती दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो गयीl उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी और रूबी मिली और मेरी पहली चुदाई के बारे में पूछने लगी, तो मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला, कैसे मेरी और रोजी की पहली चुदाई हुईl उसके बाद कैसे मैंने रूबी को चोदाl फिर हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनायाl रोजी ने हमे अपनी सहेली टीना से मिलवाया और टीना की पहली चुदाई कैसे हुईl फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदाl रात में एकबार फिर सबका एक साथ ग्रुप सेक्स हुआ, और रोजी मेरे साथ शहर आ गयीl उसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आयेl मैं मेरी बुआ की सबसे बड़ी बेटी जेन के साथ शाम के समय मैदान में घूमने गया और वहां उससे प्रेम निवेदन किया और रात में रोजी और रूबी के साथ हमारा पहला थ्रीसम हुआl अगले दिन सुबह अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं और जेन नाश्ते के बाद घूमने निकले ( मेरे अंतरंग जीवन की हमसफ़र -1 -12)।


अब आगे


ये कह कर मैं चुप हो गया क्योंकि मैं भी उस अनुभव की यादो में खो गया था तो प्रीती बोली आगे क्या हुआ? जेन के साथ आपका मिलन कैसे और कहाँ हुआ.. बताइये प्लीज ।


तो मैं बोला;


थोड़ी ही देर में जेन की उखड़ी हुई साँसे, संयत हो गयी और फिर मैंने उसे समझाया कि जिस परमानंद को उसने अभी महसूस किया था, वह केवल उस खुशी का थोड़ा सा संकेत मात्र था जो मैं उसे दे सकता था, अपने लंड को उसकी योनि में डालकर।
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मेरी मजेदार प्रेरक वाक्पटुता और उसकी इच्छाओं की गर्माहट ने जल्द ही उसके सभी स्त्री सुलभ डर और दबाव को खत्म कर दिया, और वो मुझे चूमने लगी मेरे लिए इतना इशारा काफी था।


फिर उसकी ड्रेस को नुकसान पहुंचने के डर से, या मेरे हल्के सफ़ेद रंग की पतलून के घुटनों पर घास का हरा दाग लगने के डर से, मैं उसे एक गेट जो वहां था उस पास ले गयाl मैंने उसे गेट के पास खड़े होने के लिए राजी कर लिया और मैं उसके पीछे आ गया। उसने गेट का एक हिस्सा पकड़ते हुए अपना चेहरा अपने हाथों में छिपा लिया, जैसे ही मैंने धीरे से उसकी ड्रेस उसके नितम्बो से ऊपर कर दी, तो मेरे देखने के लिए क्या नजारा मेरे सामने आया थाl मेरा लंड जो पहल ही पेण्ट से बाहर था, उसकी गोल चिकने नितंबों को देखते हुए एक पल में अपने पूरे विकराल रूप में आ गयाl लंड की कठोरता नवीनीकृत हो गई थीl उसकी गांड की दरार को मैंने मह्सूस किया.आअह्ह्ह उसकी सिसकी निकल गयी ।


मैंने उसके नितम्बो के बीच की सफ़ेद सुंदर दरार को सहलाया तो वह कहराने लगी जैसे उसे बहुत राहत मिली हो। मैंने नितम्बो को दबाया क्या नरम और मजबूत नितम्ब थे मैंने दरार को थोडा खोला और उसके मांस को उजागर किया, तो मैं उसकी योनि के मोठे होंठों को देख सकता था, जो दो पंखो जैसे लग रहे थे , जो नीचे की तरफ नरम थेl उसकी सुदृढ़ पुष्ट जाँघे, सुन्दर घुटने उसके प्यारे पैर, लम्बी केले के पेड़ के तने जैसी लम्बी चिकनी टाँगे, सुन्दर लम्बे जूते सब मिला कर, बहुत सुन्दर बना रहा था, जिसे मैं लिख और वर्णन करता हूँ तो आज भी मेरा लंड उत्साहित हो कठोर हो रहा है ।
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ये नज़ारा मेरे लंड की सूजन के विकराल होने का कारण बन गया l सबसे खूबसूरत और शानदार दृश्य था। मैं उसके नीचे झुका, और उसके नितम्बो को चूमा, और सब कुछ जहाँ तक मेरी जीभ तक पहुँच सकता थी उसको भी चूमा । यह सब मेरा था, मैं उठ कर खड़ा हुआ और प्रेम सिंघासन का कब्जा लेने के लिए तैयार हो । ऐसे में गोरी चिट्टी जेन को मुँह से गू गू आवाजे निकली वो गाये के रम्भाने जैसी थी।


अपना प्रेम औजार को पकड़ कर प्रेम की गुफा के द्वार के पास लाने ही वाला था की जेन अचानक से चीखी! बचाओ! जेन बेहद परेशान हो गई और डर गयी थी । उसकी गु गु की आवाज सुन कर एक सांड आकर्षित हो कर उसी और आ गया था। उसे एक बहुत बड़ा भयानक सांड अप्रत्याशित रूप से उसके सामने की तरफ दिखाई दिया,और उस सांड की ठंडी नम नाक जेन के माथे से अचानक छूने से मेरी प्यारी जेन उस समय बहुत ज्यादा डर गयी। वह पलटी और सीधी खड़ी हो गयी और मेरे साथ लिपट गयी और उसके कपड़े उसके बदन पर गिर गए, हमारी सारी व्यवस्था एक पल में उलट पलट हो गयी।
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जेन चिल्लाते हुए बेहोश होने वाली थी, " दीपक, दीपक! बचाओ मुझे इस भयानक जानवर से बचाओ!" मैंने उस जानवर को देखा और बोला ऐ भागो यहाँ से। ये देख कर ये वो गाय नहीं है जिसकी पुकार सुन कर वो यहाँ आया था. वो आज्ञाकारी सेवक की तरह एक तरफ को चला गया। जेन मुझ से लिपटी हुई थी और बोली प्लीज दीपक यहाँ से चलो मुझे बहुत डर लग रहा है। मैंने जेन को भरोसा दिलाया के गेट बंद है और गेट की इस तरफ हम दोनों बिलकुल सुरक्षित हैं। और फिर खुले और जंगल में प्यार का यही तो रोमांच है। जो इस प्यार को ख़ास बनाता है।
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मैं शान्ति के साथ उसे गेट के मध्य के पास ले गया, वहां पर लगा हुआ ताला दिखाया और गेट की ग्रिल और ताले को को हिला कर दिखाया के वो मजबूत हैं तो जेन आश्वस्त हो गयी के हम सुरक्षित हैं।



पर फिर भी वह बोली प्लीज यहाँ से चलो मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है यहाँ। तो मैंने उसे कुछ प्यार भरे चुम्बन किये तो वह कुछ संयत हो गयी और चुम्बन में मेरा साथ देने लगी।

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उसने अपनी ड्रेस थोड़ी ठीक की, मैंने भी अपनी पेण्ट थोड़ी ठीक की जिससे मैं चल पाऊ और फिर हमने दोनों ने चलना फिर शुरू किया, और कोई और अनुकूल जगह ढूंढने लगे । जल्द ही एक अनुकूल छायादार स्थान हमने ढूंढ लिया । मैंने कहा क्या यह जगह आपको ठीक लगती है प्रिय जेन तो उसने सहमति में सर हिला दिया। "आओ, प्रिय जेन , मेरे पास बैठ जाओ और मुझे यकीन है, प्रिय उस चौंकाने वाली रुकावट से उबरने और उसकी भरपाई के लिए ये अच्छी जगह है आप बहुत घबरा गयी थी।"

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मैंने उसे अपने साथ लायी बोतल जिसमे शराब और ख़ास देसी दवा की कुछ बूंदे मिली हुई थी वह उसे पीने को दी। उसने कुछ घूँट पि तो मैंने भी उसके कुछ घूँट भर लिए।. वैसे दवा कुछ बूंदे मैंने जेन से छुपा कर उसके नाश्ते में भी मिला दी थी ताकि आज वह मेरे साथ खुल कर बेजिझक संसर्ग कर सके। कुछ देर मैं उसकी खूबसूरती की तारीफ करता रहा आपकी बड़ी बड़ी नीली मदमस्त आँखे गुलाबी होंठ सुनहरे रंग के लम्बे बाल, बड़े बड़े गोल गोल बूब्स. नरम चूतड़, पतली कमर, सपाट पेट, पतला छरहरा बदन और फिगर 36 26 36 था. कद 5 फुट 7 इंच था, मीठी कोयल जैसी आवाज़ मुझे मदहोश करती है। बहुत सुन्दर हो आप जब से मैं जवान हुआ हूँ और आप को देखा है तब से आप से बहुत प्यार करता हूँ और आप को पाना चाहता था।आज आप मेरी हो गयी हैं ।
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आप बहुत सुन्दर , सबसे गोरी मस्त माल हो . आपको देखकर मैं तो दीवाना हो गया हूँl मैंने हल्की सी आवाज में ' आई लव यू जेन' आपको मालूम नहीं है. मेरे मन आपको देखते हे बेकाबू हो जाता है आपने मेरे दिल दिमाग पर काबू कर लिया हैl मैं उसको बोला आपके गुलाबी नरम गुलाब के पंखुरियों जैसे होठों का रस चूसना शुरू करे तो रूकने का नाम ही न ले।



जिसे सुन कर वह शर्माने लगी और उसका चहेरा लाल हो गया । मैंने पुछा क्या आपको अभी भी डर लग रहा है तो वह बोली नहीं । मैंने फिर उसको अपने से हल्का सा दूर किया हाथो से उसका चेहरा ऊपर किया और होंठो पर एक लम्बी किस की । उसकी आँखे बंद थी मैंने उसके होंठो को छोड कर चेहरा ऊपर किया तो उसने आँखे खोली और मुस्करायी। मैं फिर तो मैंने उसे चूमना शुरू किया। उसके ओंठ बेहद नरम और गीले थे लेकिन इस बार वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।


फिर एक हाथ उसकी छाती पर ले गया और उसे सहलाते हुए उसके मुलायम बदन को महसूस कर रहा था और उसके गोल गोल बूब्स को सहला दबा रहा था। धीरे धीरे दवा ने भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया और वह भी मेरी छाती पर अपने हाथ फिराने लगी। मैंने उसकी छाती को कस कर दबाया तो वह मुझसे लिपट गयी थी और उसकी 36 साईज की चूचीयां मेरे सीने से दब गयी।


फिर मैंने उत्तेजना में उन्हें जकड़कर अपनी बाहों में मसल डाला. तो जेन ने कहा कि दीपक प्लीज धीरे करो बहुत दर्द होता है। फिर मैंने उनके गालों पर अपनी जीभ फैरनी चालू कर दी और फिर उसके होठों को चूमता हुआ, नाक पर अपनी जीभ से चाट लिया। अब जेन भी उत्तेजित हो चुकी थी और सिसकारियां भरती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी। अब में उनके चेहरे के मीठे स्वाद को चूसते हुए उनकी गर्दन को चूमने, चाटने लगा था और मेरे ऐसा करते ही वो सिसकारी लेती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी। मैं उसका पूरा चेहरा गाल नाक माथा आँखे धीरे धीरे सब चूमते चूमते चाट गया।


अब में जेन की की ड्रेस के ऊपर का हिस्सा खोल कर उसके बूब्स को दबाने लगा था ।. उसके मांसल बूब्स दबाने से वो सिहरने, सिकुड़ने और छटपटाने लगी थी, मैंने उसकी ड्रेस के टॉप को बिलकुल ढीलाकर दिया। उसने उसके नीचे लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी । मैंने पहले उसकी ब्रा पर हाथ फिराया और उसके नरम बूब्स को महसूस किया। बहुत शानदार अहसास था!! फिर उसकी लाल ब्रा भी खोल दी तो उसने भी अपनी बाजुए ऊपर कर दी तो मैंने खींच कर ब्रा उतार दी। उफ़फ्फ़! भगवान् ने उसे क्या खूबसूरती से बनाया था! अब मेरा लंड तनकर पूरा खड़ा हो गया था और खुले हुए पोस्ट बॉक्स में से अपने आप ही उत्तेजित होकर बाहर आ गया जैसे वह भी उन शानदार बूब्स की पहली झलक देखना चाहता हो। उसके गुलाबी निपल भी उत्तेजित होकर कड़े हो गए थे।


मैंने महसूस किया उसके अनछुए बूब्स बहुत नरम मुलायम गोल और सुडोल थे। मैंने उसके निप्पल कड़क मह्सूस किये और उसकी छातियों को हाथो से पकड़ लिया और जोर से दबाने लगा। मेरे दबाने से दोनों गोरे बूब्स एक दम लाल हो गए।


मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया और मसलने लगा । दोनों बूब्स एक दम नरम मुलायम गोल सुडोल थे । जेन के पिंक गुलाबी निप्पल उत्तेजना से खड़े हो चुके थे । मेरे हाथों ने उनके स्तनों को अपनी हथेलियों में भरा और उन्हें किस करने लगा। मैंने स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया। हम दोनों की साँसे तेज तेज चलने लगीl उसके कंधो और बाँहों पर किस करने लगा। मैंने उसके बूब्स को चूमा और निप्पल्स को चूसा।


उसका सुडोल, चिकना, गोरा बदन, मेरी बाहों में था। मैंने उसको अपने गले लगाया और पीठ पर हाथ फिराया उसकी पीठ बहुत चिकनी थी ।


मैंने अपनी शर्ट को खोल दिया और जेन को अपनी छाती से लगा लिया और अपनी बाँहों में जकड लिया। उसके नरम मुलायम बूब्स का मेरी छाती से दबने लगे। मैं अपने आनंद को बयां नहीं कर सकता। मैंने जेन का मुँह चूमा और लिप किस करि. फिर मैं उनके निप्पल के साथ खेल रहे था। मैं उसके स्तनों को देखे जा रहे था और उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था । मैंने एक निप्पल अपने मुह में रखा और उसे चूसने लगा। हे भगवान्! मैं बता नहीं सकता की उस पल क्या अनुभूति हुयी।


मैंने उसके दुसरे निप्पल को किस किया और उसे भी चूसना शुरू कर दिया। उसने अपना सर उत्तेजना और आनंद के मारे पीछे की और कर लिया। मैंने चूचियों को दांतो से काटा। जेन कराह उठी आह! आह! दीपक!! प्लीज धीरे करो, प्लीज काटो मत।


मै उनकी चुचियों को मसलने लगा, और वो मादक आवाजें निकालने लगी, आह, उह, आह! फिर मैंने उनके मोमो को चूसना शुरू कर दियाl उनके मोमो कड़क हो गए थेl मैंने चूचियों को दांतो से कुतरा तो जेन कराह रही थी, आह1 यह1 आह1


जेन बोली धीरे प्रिय धीरे प्यार से चूसो, खेलो सब तुम्हारा ही हैl उसके बूब्स अब सुर्ख लाल हो चुके थेl


मैं बार बार बाएँ और दायें निप्पल को चूसना जारी करे रहा, जब तक की उसके पूरे शरीर में एक आग सी न लग गयी। पहली बार कोई ऐसा उसके साथ सम्भोग कर रहा था। उसके शरीर में एक उफान सा आया। उसका शरीर अकड़ा और फिर कांपने लगा और वह निढाल सी हो गयी और उसकी चूत को छूआ मुझे योनी में एक बार फिर गीलापन महसूस हुआ।


कुछ देर वह मेरी बाहो में ऐसे ही लेटी रही और हम लिप किश करते रहे । मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी । फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा । मैं जेन को बेकरारी से चूमने लगा। और चूमते चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 5-10 मिनट तक उसका लिप्स किस लेता रहा ।


जब मुझे लगा जेन की उखड़ी हुई सांस संयत हो गयी है तो फिर मैं उसके बूब्स दबाने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी, मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा । वह बोली आज मार ही डालोगे क्या? मैंने कहा इसके अलावा मैं चाहता हूँ के हमारे प्रेमालाप में उस बैल के कारण आये व्यवधान से हुई निराशा की भरपाई करि जाए और इसके लिए आप अभी और उत्तेजना को प्राप्त करें। "


ये जान कर के कि अब वो समय लगभग आ गया, उसके प्यारे चेहरे पर गर्म लाल खून की धारें बहने लगती है। उसने अपनी आँखें नीचे झुका ली तो मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और एक दुसरे को देखते हुए हम कंधे से कंधा मिलाकर गहरी घास पर लेटे रहे और एक दुसरे को एक प्रगाढ़ आलिंगन में चुमबन करने लगे।


" जेन! ओह! जेन!" मैंने हांफते हुए कहा, " मेरी प्यारी जेन मुझे अपनी जीभ की नोक दो ।" जैसे उसे पहले से ही कामना के अनुरूप उपजने वाली रमणीय प्रत्याशा हो की मैं ऐसा ही कुछ करूंगा या मांगूंगा उसने मेरी कामना की पूर्ती करते हुए बिना किसी हिचकिचाहट के, बिना किसी झिझक के, अपनी मखमली जीभ एक गहरी आह के साथ मेरे मुँह में डाल दी। मेरा एक हाथ उसके सिर के नीचे था, और दूसरे के साथ मैंने धीरे से उसके स्कार्फ़ को हटा दिया, और एक तरफ अपने शर्ट को उतार कर फेंक दिया, और इस दौरान उसकी जीभ को चूसता और चूमता रहा।



आगे क्या हुआ ..
अगले भाग में जेन के साथ मुखमैथुन और सेक्स की कहानी जारी रहेगी- अंतरंग हमसफ़र भाग 14
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Update 14

जेन के साथ सेक्स.- अंतरंग हमसफ़र भाग 14

"मेरे अंतरंग जीवन की हमसफ़र -13 " में पढ़ा

" जेन! ओह! जेन!" मैंने हांफते हुए कहा, " मेरी प्यारी जेन मुझे अपनी जीभ की नोक दो ।" जैसे उसे पहले से ही कामना के अनुरूप उपजने वाली रमणीय प्रत्याशा हो की मैं ऐसा ही कुछ करूंगा या मांगूंगाl उसने मेरी कामना की पूर्ती करते हुए बिना किसी हिचकिचाहट के, बिना किसी झिझक के, अपनी मखमली जीभ एक गहरी आह के साथ, मेरे मुँह में डाल दी । मेरा एक हाथ उसके सिर के नीचे था, और दूसरे के साथ मैंने धीरे से उसके स्कार्फ़ को हटा दिया, और एक तरफ अपने शर्ट को उतार कर फेंक दियाl इस दौरान उसकी जीभ को चूसता और चूमता रहा । "


मैं दीपक आपने मेरी कहानिया "झट शादी पट सुहागरात-1-4" में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी प्रीती दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो गयी और उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी और रूबी मिली और मेरी पहली चुदाई के बारे में पूछने लगी तो मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला और कैसे मेरी और रोजी की पहली चुदाई हुई । उसके बाद कैसे मैंने रूबी को चोदा और फिर हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनाया और रोजी ने हमे अपनी सहेली टीना से मिलवाया और टीना की पहली चुदाई कैसे हुई । फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदा । रात में एकबार फिर सबका एक साथ ग्रुप सेक्स हुआ और रोजी मेरे साथ शहर आ गयी । उसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आये और मैं और मेरी बुआ की सबसे बड़ी बेटी जेन के साथ शाम के समय मैदान में घूमने गया । वहां उससे प्रेम निवेदन किया और रात में रोजी और रूबी के साथ हमारा पहला थ्रीसम हुआ अगले दिन सुबह अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं और जेन नाश्ते के बाद घूमने निकले वहां हमने संसर्ग शुरू किया ही था की एक बैल वहां आ गया जिससे जेन डर गयी और हमने जगह बदल कर दुबारा संसर्ग शुरू करने की कगार पर थे ( अंतरंग हमसफ़र -1 -13) ।

अब आगे


तो मैं बोला प्रीती फिर मैंने जेन के गले पर बेतहाशा किस किया और काटने लगाl

वो बोली प्लीज काटो मत निशाँ पड़ जाएंगे l कोई पूछेगा तो क्या जवाब दूँगी?

मैंने फिर उसकी कंधो पर किस किया फिर मैं उसके गालो पर टूट पड़ा। उसके गाल बहुत नरम मुलायम सॉफ्ट और स्वाद में मीठे थे । वह कराहने लगी आअह्ह्ह्ह! आयीीी! ऊह्ह्हह्ह! मर गयी, मार डाला, प्लीज प्यार से करो, दर्द होता है ,और उसकी कराहट से मेरे जोश और बढ़ गया।.

मैं अपने हाथ उसके पीछे ले गया और उसकी मुलायम नरम पीठ को पहले सहलाया फिर कस कर पकड़ लिया। कुछ देर बाद मैंने उसे थोड़ा ऊपर किया और फिर मैंने मैं उसके दाए निप्पल को चूसा और काटाl फिर मैंने बाए निप्पल को चूसा और काटा, और पहली को हाथ से दबोच रहा था! वो बहुत फूल चुकी थी।और बोला जेन तू बहुत मीठी हैl मैं तुझे खा जाऊँगाl
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जेन बोली अगर खा जाओगे तो प्यार किसे करोगेl मेरे दोनों चुची को एक साथ चूसने से वह कराह रही थी, आआहह, ओमम्म्मममम, चाटो ना जोर से, सस्स्सस्स हहा और मचलने लगीl जेन अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी। अब वो सिसकारियाँ मारने लग गई थी।
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अब मैंने फैसला कर लिया. अब मुझे उसे पूर्ण नग्न देखना है और मैंने उसे नग्न करने के लिए उसकी स्कर्ट खोलने का और उसे उतारने का उपक्रम शुरू करने लगा, तो उसने बहुत हल्का सा प्रतिरोध किया । तो मैंने उसे प्यार से उसके स्तन चूमते हुए बोला क्या तुम्हे अपने बाकी जिस्म को छूने , सहलाने और चूमने का जादू अनुभव नहीं करना है तो उसने प्रतिरोध छोड़ते हुए अपना जिस्म ढीला कर मेरे हवाले कर दियाl
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जेन बोली "जैसा आप ठीक समझो करो, मेरे प्रिय प्रेमी! अब सब कुछ तुम्हारा ही है ।"

मैंने खींच कर उसकी स्कर्ट को उतार डाला और उसकी पैंटी को खींचा तो उसने चूतड़ उठा कर पेंटी उतारने में मेरा साथ दिया और मैंने उसे पूरी नंगी कर दिया।
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मैंने उनको एक तरफ रख दियाl उसकी योनि पर कोई बाल नहीं था । मैंने हाथ फिराया तो बोली मैंने आज ही साफ़ किये हैंl जैसे आप किश करते हैं, उससे मुझे लगा आपको यहाँ बाल बिलकुल पसंद नहीं होंगे।

मैंने जेन के एक हाथ को अपने तैयार कठोर लंड पर रखा, जो उत्तेजना के कारण फटने की स्थिति में थाl मैंने उसकी जीभ को एक पल के लिए छोड़ दिया और कहा "जेन , हमारे प्यार के हथियार को अपने हाथ में ले लो।"

उसने घबराते हुए उसे पकड़ लिया और वह धीरे-धीरे मेरे कान में फुसफुसाते हुए बड़बड़ा रही थी: "ओह, दीपक , अभी भी मुझे बहुत डर लग रहा है, और फिर भी, आप मुझे सबसे प्यारे लगते हो । हालाँकि मैंने पढ़ा और सुना है ये ही वह यह निषिद्ध फल है जिसके कारण आदम और ईव को जन्नत से निकाला गया था । मुझे लगता है, अगर इसमें मैं मर भी जाऊं तो भी, मुझे प्यार की इस सबसे सुस्वादु मिठाइ का स्वाद लेना चाहिए। "

उसकी आवाज़ बहुत धीमी थी फिर उसने मेरे लंड को दबाया और मेरे लंड पर ऊपर नीचे हाथ फेरा। उसके द्वारा लंड को प्यार से सहलाने से लंड और व्यग्र हो गया और नसे कुछ ज्यादा फूल गयी।

उधर मेरा हाथ भी नीचे अपना रास्ता खोजने में व्यस्त था वहीँ मैंने फिर से उसका मुँह चूमने लग गया, और उसकी जीभ को तब तक चूसा, जब तक कि मैं उसकी बढ़ी हुई उत्तेजना के अतिरेक के कारण उसके पुरे बदन का कंपन महसूस नहीं किया और मेरा हाथ, जो आनंद की गुफा के द्वार पर पहुँच गया था, उसके गर्म रज से भीग गया।

चुकी रोजी और रूबी के साथ थ्रीसम में मुझे मुखमैथुन के जादू के बारे में पता चल चूका था तो मैं जेन को भी इस अमृत से परिचित करवाना चाहता थाl

" मेरी प्यारी जेन! अब मैं तुम्हें वहाँ चुंबन करूंगा, और तुम्हारे प्रेम का अमृत का स्वाद चखना चाहूंगा ।" मैंने कहा और चुम्बन तोड़ कर होंठ अलग करते हुए अपनी स्थिति को उलटते हुए अपना चेहरा उसकी जाँघों के बीच घुसा दिया, उसने या उसकी जांघो ने कोई प्रतिरोध नहीं किया। उसकी योनि पर और उसके आसपास कोई बाल नहीं थाl

मैंने उसके तंग योनि के होंठों को आनंद के साथ चूसा, फिर मेरी जीभ ने अपनी संवेदनशील भगशेफ को छेड़ने लगी , जिसने उसे चुदने की पागल इच्छा के उन्माद में डाल दिया, उसने आनंद लेते हुए अपने टांगो को मेरे सिर के ऊपर घुमायाl मेरे सिर को अपनी शानदार चिकनी और मजबूत जांघों के बीच दबा दिया।

मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत की दरार में डाली तो वह गीली हो गयीl मैंने आसानी से अपनी ऊँगली को उसके छेद में डाल दियाl मेरी जीभ उसके कड़े छोटे से भगशेफ को टटोलने, छेड़ने में व्यस्त थीl मेरी ये हरकते उसे इतनी उग्र अवस्था में ले गयी कि उसने मेरा लंड पकड़ लिया, और अपने मुँह को मेरे लंड को पर ले आयी और उसने लंड मुंड पर एक मीठी किस करिl

मैं भी उसे ऐसा करने का मौका देने के लिए उसके ऊपर लेटा हुआ थाl उसने अपनी जीभ को लंड के सिर पर फिराया और फिर उसने अपने ओंठ खोलते हुए लंडमुंड को मुँह के अंदर ले लिया उसने ख़ास ख़याल रखा के लंड को उसके दांत न लगें। दोनों कामोत्तेजक आनंद में कराह रहे थे । फिर अत्यधिक उत्तेजना से उसके जलाशय में बाढ़ में आ गयी, जिसे मैं चूस गया और उसने भी लंड से हुए शुक्राणु विस्फोट की हर बूंद को चाट गयी।

हम दोनों अपनी भावनाओं की अधिकता से निढाल होकर लगभग बेहोश हो गएl थके हुए हौं दोनों तब तक वैसे ही लेटे रहेl जब तक मुझे लगा कि उसके प्यारे होंठ फिर से मेरे प्यार के इंजन को दबाने और चूसने लगे हैं। इसका प्रभाव जादुई था और मेरा लंड हमेशा की तरह कठोर हो गया था।

"अब प्रिय, क्या तुम प्यार के असली स्ट्रोक के लिए तैयार हो ।" मैंने कहा। मैंने अपनी जगह को बदला और उसकी खूबसूरत स्पंदन करती हुई जांघों को अलग किया, ताकि मैं उनके बीच अपने घुटने टेक सकूं। मैंने अपने घुटनो को उसकी जांघो के बीच में रखा और उसकी और देखा ।

वह मेरे सामने एक प्रसन्नचित्त अवस्था में लेटी हुई थीl उसका गोरा खूबसूरत चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया था और काली पलकें बंद, उसके होंठ थोड़े खुले हुए, और उसके बड़े बड़े उभरे हुए गोल सुडोल स्तन और उन पर ललचाते हुए उत्तेजना से कठोर हो चुके निप्पल, जो साँसों के साथ ऊपर नीचे हो कर मुझे ललचा रहे थे यह दृश्य बेहद उत्तेजक थाl मैं वासना से पागल हो गया था, और अब अपने आप को इसके बाद योनि प्रवेश से रोक नहीं सकता था।

मुझे मन ही मन अफसोस हो रहा था की ये सुंदर युवती जो मुझे पूरी तरह समर्पित है, उसका कौमार्य भंग करते समय मैं उसे असहनीय दर्द देने जा रहा था! और ये भी अफसोस था की मेरे पास कोई ऐसा उपाय नहीं था जिससे मैं उसे इस दर्द से बचा सकू। यह वह दर्द भरी राह थी जिस से गुजर कर ही हम दोनों उस अलौकिक आनंद को अनुभव कर सकते थे। उसके कौमार्य के लिए! मैं अपने लंड के सर को उसकी योनि के होंठों के बीच में लगाया।

जैसे ही मेरे लंड ने उसकी योनि को स्पर्श किया, मुझे उसी समय आनंद की एक सिहरन उसके बदन से गुजरती हुई महसूस हुई, उसकी आँखें खुलीं, और वह एक नरम, प्यार भरी मुस्कान के साथ, फुसफुसायी, "मुझे पता है कि मुझे अब चोट लगेगी और दर्द होगा, लेकिन दीपक, मेरे प्रिय दीपक, आप दयालु और दृढ़ दोनों रहें। मुझे पूरे आनंद की खोज में इस से गुजरना ही होगा, शायद ये दर्द मुझे मार ही डालेl तब भी मैं इस दर्द से गुजरना चाहूंगीl "
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उसने मेरी गर्दन के चारों ओर अपनी बाहों को फेंकते हुए, वो मेरे होंठों को अपने पास ले आयीl मुझे किस किया और फिर उसने अपनी जीभ को मेरे मुंह में डालते हुए बेहद प्यार के साथ चूमने चूसने लगी, और मेरे लंड से मिलने के लिए अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए और बोली मुझ में समा जाओ दीपक। .

मैंने अपना एक हाथ उसके नितंबों के नीचे रखा, जबकि दूसरे से, मैंने अपना लंड सीधे निशान पर रखा; फिर जोर से धक्का दिया, लंडमुंड लगभग एक इंच तक घुस गयाl मैंने फिर तब तक जोर लगता रहा जब तक कि यह कुदरती विरोध करने वाले अवरोधक हाइमन तक नहीं पहुंच गया। जब लंड ह्यमन से टकराया तो उसे दर्द की शुरुआत हो गयी की, लेकिन तब भी उसकी आँखों ने मुझे पूरे उत्साह से देखा।
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वो दर्द से कराहते हुए बोली "ओह्ह, आह , मेरे दर्द की परवाह मत करो, आप अपना काम पूरा करोl "

"अपने पैरों को मेरी पीठ पर ले जाओ , प्रिय," मैं सांस लेने के लिए रुकाl मैंने एक पल के लिए उसकी जीभ को छोड़ कर बोला और फिर दुबारा दुगने जोश के साथ उसे चूमने लगा। उसने सबसे ज्यादा होने वाले दर्द को सहन करने की दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपनी टांगो से मेरी कमर और नितम्बो को लपेट लिया। फिर जब मैंने एक निर्दयी धक्का दिया, तब उसके नितम्ब भी इस तरह ऊपर को उठ गए और उसकी टांगो ने मेरे नितम्बो को नीचे की और इस तरह दबा दिया, जैसे वो मुझसे मिलने के लिए तड़प रही हो और काम पूरा हो गया था।
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मेरे लंड महाराज ने हमारे आनंद भोग के मार्ग की सभी बाधाओं को तोड़ दिया था। उसने अपने दर्द को वश में करते हुई दर्द से कराही, और मैं अपने सबसे बड़े आकर्षण को उसके कब्जे में कठोर और फूलता हुआ महसूस कर रहा था। .
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" जेन डार्लिंग! मेरी जान! तुम मुझसे बेहद प्यार करती हो! मेरी बहादुर जेन, तुम कितनी अच्छी तरह से इस असहनीय दर्द को झेल गयी। चलो हम एक-दो पल के लिए लेटे और फिर प्यार की खुशियों लूटेंगे।" मैंने कहा, और उसके चेहरे, माथे, आंख, मुंह और ओंठो को जीत के आनंद में चूमा।

उसके बाद मैं उसकी योनि के तंग म्यान को अपने लंड पर सिकुड़ता महसूस कर रहा था । मेरे लंड के आवेग के लिए यह चुनौती बहुत ज्यादा थी। मैंने एक हल्का सा झटका दिया तो मैं उसके खूबसूरत चेहरे पर दर्द की ऐंठन से देख सकता था, कि यह अभी भी उसके लिए दर्दनाक थाl
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लेकिन, अपनी ललक को रोकते हुए, मैंने बहुत धीमे से काम किया, और धीरे धीरे लंड को हिलाना शुरू कियाl

हालाँकि मेरी वासना और उत्तेजना इतनी ज्यादा थी कि मैं अपने चरमोत्कर्ष को रोक नहीं सका और उनकी योनि के अंदर मैंने अपने वीर्य से भर दियाl मेरे लंड के घर्षण के कारण वह भी मेरे साथ ही कांपती हुई झड़ गयी और मेरे लंड को उसने अपने जलाशय के रस से भिगो दिया और मैं आंनद और प्यार की सुस्ती में उसकी छाती पर गिर गया।
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यह केवल कुछ ही क्षणों के लिए था, मैं उसे अपने से नीचे कांपती हुई महसूस कर सकता था, और उसकी म्यान अब अच्छी तरह से चिकनी हो गयी थी, और मेरा लंड भी अभी तक कठोर ही थाl हमने परमानंद के लिए एक रमणीय संसर्ग की शुरुआत की और मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये। उसका सारा दर्द गायब हो गया था,
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मेरे वीर्य के बहाव से उसकी योनि के घायल हुए भाग अब केवल प्रेम के रमणीय घर्षण का आंनद ले रहे थेl

मेरा प्रसन्नचित्त लंड उसमें घुसा, फिर मेरा लंड मेरे पूरे मर्दाना जोर से अंदर-बाहर हो रहा था और वो बार बार झड़ रही थीl
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इस तरह मैं भी उसके अंदर तीन चार बार झड़ गयाl जब तक हमारी काम प्रचंडता काफी हद तक कम नहीं हो गयी।
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आगे क्या हुआ? ये कहानी जारी रहेगीl.. अंतरंग हमसफ़र भाग 15
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अंतरंग हमसफ़र भाग 15
अंतरंग हमसफ़र द्वितीय अध्याय परिवार से मेलजोल
भाग - 8 जेन के साथ सेक्स

"मेरे अंतरंग जीवन की हमसफ़र -14 " में पढ़ा
यह केवल कुछ ही क्षणों के लिए था, मैं उसे अपने से नीचे कांपती हुई महसूस कर सकता था, और उसकी म्यान अब अच्छी तरह से चिकनी हो गयी थी, और मेरा लंड भी अभी तक कठोर ही थाl हमने परमानंद के लिए एक रमणीय संसर्ग की शुरुआत की और मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये। उसका सारा दर्द गायब हो गया था, मेरे वीर्य के बहाव से उसकी योनि के घायल हुए भाग अब केवल प्रेम के रमणीय घर्षण का आंनद ले रहे थेl

मेरा प्रसन्नचित्त लंड उसमें घुसा, फिर मेरा लंड मेरे पूरे मर्दाना जोर से अंदर-बाहर हो रहा था और वो बार बार झड़ रही थीl इस तरह मैं भी उसके अंदर तीन चार बार झड़ गयाl जब तक हमारी काम प्रचंडता काफी हद तक कम नहीं हो गयी।

मैं दीपक आपने मेरी कहानिया "झट शादी पट सुहागरात-1-4" में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी प्रीती दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो गयी और उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी और रूबी मिली और मेरी पहली चुदाई के बारे में पूछने लगी तो मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला और कैसे मेरी और रोजी की पहली चुदाई हुई । उसके बाद कैसे मैंने रूबी को चोदा और फिर हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनाया और रोजी ने हमे अपनी सहेली टीना से मिलवाया और टीना की पहली चुदाई कैसे हुई । फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदा । रात में एकबार फिर सबका एक साथ ग्रुप सेक्स हुआ और रोजी मेरे साथ शहर आ गयी । उसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आये और मैं और मेरी बुआ की सबसे बड़ी बेटी जेन के साथ शाम के समय मैदान में घूमने गया । वहां उससे प्रेम निवेदन किया और रात में रोजी और रूबी के साथ हमारा पहला थ्रीसम हुआ अगले दिन सुबह अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं और जेन नाश्ते के बाद घूमने निकले वहां हमने संसर्ग शुरू किया ही था की एक बैल वहां आ गया जिससे जेन डर गयी और हमने जगह बदल कर दुबारा संसर्ग शुरू करने की कगार पर थे ( अंतरंग हमसफ़र -1 -14) ।

अब आगे



फिर इस तरह मैंने जेन को उस दिन हमारे पहले मिलन पर तीन चार बार नॉनस्टॉप चोदा और जेन तो पता नहीं कितनी बार झड़ीl

उस दोपहर उसके अंदर आखिरी बार जब मैं झडा तो उसके कुछ देर बाद मेरा लंड आधा मुरझाया हुआ आधा बाहर आ गया, जिस पर उसकी नज़र पड़ी तो उसने मुझ से शांत होने की अपील की और साथ ही ये भी बोली की कृपया अत्यधिक आनंद से खुद को घायल मत कीजियेl अब बस कीजिये। तो मैं रुक गया ।

फिर उसने आह भरते हुए बोला "ओह दीपक! क्या इस तरह के रमणीय आनंद से किसी का खुद को चोट पहुंचाना भी संभव हो सकता है?" उसने आहें भरींl
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उसने अब तक तो मेरे लंबे कठोर लंड को ही देखा था पर इस बार उसने मुझे अपना मुरझाया हुआ लंगड़ा उपकरण उसकी योनि से निकालते हुए देखा तो वह कुछ चिंता करते हुए बोली थी अब बस कीजिये ।

वह मंद मंद मुस्कुराई, जैसा कि उसने शरमाते हुए कहा था, "मेरी अशिष्टता के लिए मुझे क्षमा कीजिये, प्रिय दीपक, लेकिन मुझे डर है कि हम दोनों में से तुम ही सबसे ज्यादा घायल हो। देखिये आपका औज़ार खून से पूरा सना हुआ है । "
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" हे थोड़ी अनजान, अनाड़ी सुंदरी ," उसे हर्षातिरेक से चुंबन करते हुए मैंने कहा " ये तुम्हारा खुद के कुंवारेपन का रक्त है। मुझे, इसे पोंछने दो, प्रिय जेन," फिर मैंने अपना रुमाल ले कर उसकी सूजी गई योनि के ऊपर और अंदर पोंछने के बाद
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मैंने अपना लंड भी उससे पोंछ कर साफ किया और बाद में उससे कहा। "यह सबसे प्यारी जेन , इसे मैं आपके कुंवारे और पहले प्यार के सबूत के रूप मे अपने खजाने में रखूंगा, आज आपने मेरे आगे आत्मसमर्पण करते हुए मुझे अपना सब कुछ सौंप दिया हैl" उसके लहू से सना हुआ रुमाल उसको प्रदर्शित किया और फिर उसे अपनी जेब में छुपा लिया ।
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फिर मैंने उससे पुछा उसे कैसा लगा? तो वह बोली "बस शुरू में जब पहली बार आपने अंदर डाला था तब कुछ देर दर्द हुआ था। उसके बाद तो बहुत मजा आया। उससे पहले भी जब आपने चूमा चाटा तो सब बहुत अच्छा लगा। आपको कैसा लगा?"
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तो मैंने कहा मुझे तो हर पल बहुत मजा आया और आपके साथ जब भी संभव हो सके तब करना चाहूंगाl आपको जो दर्द होना था वह हो गया अब कभी वैसा दर्द नहीं होगा। नाही अब फिर कभी खून निकलेगा। अब तो बस मजे लूटिये प्यार के खेल के। मैंने जेन को अपने कमरे में आने के लिए आमंत्रित किया।
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अब हम अपने नरम हरी घास के बिस्तर से उठे, और एक-दूसरे की सहायता करके हमारे प्रेम संबंधों के सभी निशान वहां से हटा दिए। एक दुसरे को कपडे पहनायेl वैसे तो कपडे उतारने में मजा आता है पर कपडे पहनाने के भी आनंद आया। फिर हम वापिस भवन की और चले और रास्ते में मैंने प्रिय जेन को प्यार की सभी कलाओं और प्रथाओं के बारे में बताया।
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"क्या आपको लगता है," मैंने टिप्पणी की, "आपकी बहनों या बॉब और टॉम को इस बात का कोई अंदाजा है कि प्यार की खुशियाँ क्या होती हैं?" इससे पहले के जेन कोई जवाब देती मुझे लगा के कोई लड़की मुझे पुकार रही थी ।
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दीपक! कहाँ है आप? इससे पहले हम कुछ समझते हमें सामने अलका आती हुई दिखाई दीl उसके हाथ में मोबाइल फ़ोन था।

वो मेरे पास आयी और मुस्कुराते हुए बोली दीपक आप कहाँ थे? तो मैंने कहा मैं और जेन बस यही घूम रहे थे। तो वह बोली मेरी माँ आपसे बात करना चाहती है। तो मैंने कहा ठीक है आप चलो मैं जेन को उनके निवास पर छोड़ कर आता हूँ। तो मैंने जेन और अलका दोनों मौसेरी बहनो का आपस में परिचय करवाया।
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तो उसके बाद अलका बोली नहीं माँ घर पर नहीं है, वो इनकी माँ ( मौसी) और मौसा के साथ गयी हैं और फिर उसने फ़ोन मिला कर मुझे पकड़ा दिया। तो मैंने बुआ को प्रणाम किया तो बुआ ने कहा वह, बहन और जीजा के साथ किसी काम से किसी परिचित के यहाँ गए थे और शाम तक वापिस आने का कार्यक्रम थाl पर अब वो अगले दिन वापिस आएंगे। ऐसे में अलका अकेली है, इसलिए वो चाहती थी की आज मैं अलका के पास रात को सो जाऊं, क्योंकि अलका कभी भी रात को अकेली नहीं रही है। तो मैंने कहा क्यों न अलका मेरे भवन पर मेरे पास आ कर रात में रहे, वहां और लोग भी हैं तो उसके लिए बुआ मान गयी। तो मैंने अलका को दोपहर के भोजन पर आमंत्रित किया जिसे उसने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
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इतने में जेन की माँ और पिताजी का भी फ़ोन आ गया और उन्होंने भी अपने वापसी के कार्यक्रम के एक दिन टल जाने की बात बताई और खाने पर इंतज़ार न करने के लिए कह दिया ।

इस पर अलका मुस्कुराती हुई वापिस चली गयी और जेन ने भी अपना कमरे में वापिस जाने की बात कही तो उसको उसके कमरे में छोड़ कर मैं अपना कमरे में आ गया । तो रोजी मेरे पास आ कर मुझ से पूछने लगी आज आप जेन के साथ काफी लम्बे चक्कर पर चले गए नाश्ते के बाद तो मैं कुछ नहीं बोला और अपनी पेण्ट बदलने लगा तो उसमे से जेन के कौमार्य के लहू, वीर्य और जेन के चूत रस से सना रूमाल बाहर गिर गया ।
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रोजी उसे उठा कर सूंघते हुए बोली "ठीक है फिर तो आप शायद जल्दी वापिस आ गए" और मुझे बधाई देती हुई बोली .. कैसी लगी जेन आपको?
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मैंने कहा "वह एक शानदार युवती हैl" ये मेरे द्वारा पटायी गयी पहली युवती के साथ मेरे संसर्ग की निशानी है। इसे संभाल कर खजाने में रख दो और वहां जगह बना लो ऐसे बहुत से रुमाल इकट्ठे करने का मैंने निश्चय कर लिया है।
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मैंने कहा " रोजी, मैंने अब तक तुम्हारे , रूबी, मोना और टीना के साथ कई बार संसर्ग किया है और आज जेन के साथ भी संसर्ग किया हैl हरेक के साथ मैंने भरपूर मजे लिए हैं और आगे भी लेता ही रहूंगा, पर अपने अनुभव से कह सकता हूँ, की एक कुंवारी के साथ पहला संसर्ग करने के आनंद का कोई मुक़ाबला नहीं है।
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मैं चाहता हूँ के इस यादगार को ख़ास बनाया जाए और लड़की को भी हमारे इस मिलन की प्यारी स्मृति रहे, इस के लिए उसे कुछ तोहफा दूँl तुम ऐसा करो हमारे परिचित सुनार के पास जा कर कुछ अँगूठिया बनवा लो जिन्हे मैं अपनी प्रेमिकाओ को पहले मिलन की निशानी के तौर पर तौह्फे के तौर पर देना चाहूंगाlमैं उन्हें फ़ोन कर दूंगा और मैंने उसे स्वस्तिक का निशाँ बना कर दे दिया और कहा हर अंगूठी पर ये निशाँ बनवा देनाl ये मेरी याद उन्हें दिलवाएगाl
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मैंने कहा " रोजी, आज मैं बहुत खुश हूँ और अगर प्रभु की कृपा ऐसे ही बनी रही. तो आज रात को एक नयी कुंवारी से भी पहला मिलन हो जाएगाl "
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तो रोजी बोली कौन है वह सौभाग्यशाली कन्या तो मैंने कहा शाम को आएगी तुम खुद ही देख लेना . तो रोजी मुस्कुराते हुए बोली अलका आएगी ऐसा क्यों नहीं कहते आपl तो मैं चौंका और बोलै तुम्हे कैसे मालूम अलका आएगीl हे प्राणप्रिया! अन्तर्यामी सुंदरी ये राज बताओl
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वह मुस्कराते हुए बोलीl " मेरे भोले प्रेमी! सुबह के नाश्ते के कुछ देर बाद अलका तुम्हे ढूंढती हुई आयी थी और मुझे उसने सब बताया था, तो मैंने ही उसे तुम्हे ढूंढ़ने के लिए पीछे मैदान और जंगल की तरफ भेजा था।"
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तो मुझे संशय हुआ जब अलका हमें ढूंढते हुए इतनी जल्दी आ गयी थी तो हमे इतनी देर बाद जब हमारा संसर्ग ख़तम हो गया ,तब क्यों मिली पर अभी मेरे पास इसका कोई उत्तर नहीं था।
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दोपहर के खाने के समय मैंने अपने फूफेरे भाइयो बॉब और टॉम और फूफेरी बहनो जेन , लूसी और सिंडी से. मैंने कहा जेन आप पहले ही अलका से आज नाश्ते के बाद जब हम सैर करके वापिस आ रहे थे तब अलका से मिल ही चुकी हैं और उसके बाद सबका परिचय अलका के साथ करवाया। अलका जाकर जेन जो मेरे साथ बैठी थी उसके पास दूसरी तरफ बैठ गयी । फिर मैंने उन सब को ये भी बताया की आज रात बुआ और फूफा वापिस नहीं लौटने वाले हैं।. तो ये सुन कर बॉब और टॉम अति प्रसन्न हो गए।
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फिर मैंने उन्हें ये भी बताया की आज रात को अलका भी यहीं हम सब के साथ रुकने वाली है. तो अलका बोली उसे घर में कुछ काम है जिन्हे ख़त्म करके वह रात के खाने के समय यहाँ आ जायेगी ।
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खाना ख़त्म करके हम लोग कुछ इधर उधर की बाते करते रहे अलका वापिस चली गयी और बॉब मेरे पास से गुजरा और फुसफुसाता हुआ बोला जेन को संभाल लो और आँखो से इशारा करते हुए वापिस पुस्तक पढ़ने अपने कमरे में चला गया। लूसी और सिंडी अपने कमरे में जाकर टीवी से चिपक गयी कोई वेब सीरीज देख रही थी। जिसके काफी हिस्से थे और उसे ख़त्म किये बिना छोड़ने वाली नहीं थी। और टॉम भी अंगड़ाई लेते हुए बॉब के कमरे में चला गया ।
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वहां मैं और जेन दोनों रह गए तो मैंने कहा जेन चलिए बाहर का एक चक्कर लगा कर आते हैं तो उसने कोई जवाब नहीं दिया । शायद मुझ से किसी बात के लिए नाराज हो गयी थी। लेकिन मैं चाहता था वह यहाँ से बाहर चले ताकि बॉब और टॉम अपनी प्रेमिकाओ से मिल सके। मेरे बार बार अनुनय करने पर नाराजगी भरे स्वर में जेन बोली " आप अपनी अलका के पास जाईये मुझ से अब आपको क्या मिलेगा? "
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मैंने वहीँ जेन का हाथ पकड़ लिया और बोला आप ही बताइये मैं क्या करता, अगर बड़े कह रहे हैं तो मैं उसे कैसे टालता?

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है आप कुछ सुझाव दीजिये। जेन बोली मैं आज रात आपके साथ रहना चाहती हूँ ऐसा मौका हमे दुबारा पता नहीं कब मिलेगा?
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चाहता तो मैं भी यही हूँ की आपका साथ मुझे फिर मिले। तो मैंने कहा ये तो अच्छा है आप अलका के साथ देने के बहाने मेरे भवन में आ जाइये। फिर तो सारी रात हमारी है आज सारी रात आपको प्यार करूँगा। आप अलका से दोस्ती बढ़ा लीजिये ताकि वही ये प्रस्ताव कर दे। (मुझे लगा अभी अलका के साथ संसर्ग करने का समय नहीं आया है।वैसे भी अलका तो यही हैं कभी भी दुबारा मौका मिल सकता है।)
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मैंने कहा अब आप खुद देख लीजिये आप कैसे करेंगी। चलिए थोड़ा बाहर घूम आते हैं और अगर आप थकी हुई हैं तो मेरा कक्ष देखने चलिए, वहां आपकी सारी नाराजगी दूर कर दूंगा और उसे अपने पास खींच कर उसे एक लिप किश कर दिया। तो वह बोली यहाँ ठीक नहीं रहेगा। मैं आपके साथ चलती हूँ और मैं उसका हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गया।

कमरे में घुसते ही हमारे ओंठ जुड़ गए । मैंने उसकी ड्रेस ढीली करि और उसके बूब्स पकड़ लिए . तो उसने भी मेरा सदा कठोर रहने वाला लंड पकड़ लिया । फिर मैने उसे घुमा कर घोड़ी बना दिया और बोलै उस बैल के अचानक आ जाने से जो अधूरा रह गया था उसे अभी पूरा कर देता हूँ । फिर अपनी पेण्ट से लिंग को बाहर निकाला उसकी ड्रेस उठा कर ऊपर करि और पैंटी को साइड में कर के चूत को सहलाया । मैंने देखा आगे क्या होने वाला है इसकी अपेक्षा में उसकी योनि थोड़ी सी गीली और तैयार हो गयी थी।.
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मैंने एक झटके से उस म्यान में अपनी तलवार डाल दी । जेन के मुँह से हलकी सी चीख निकली जिसे सुन रोजी भागी हुई आयी पर हमे इस अवस्था में देख कर वापिस चली गयी।
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फिर मैंने तलवार की धार को तेज करने के इरादे से तलवार को म्यान में आगे पीछे करना शुरू कर दिया, मानो उस घिस रहा हूँ । मैं उसके ऊपर झुक गया और उसके स्तन पकड़ कर उन्हें दबाने लगा मैंने उसके मोमे उसकी ड्रेस ढीली कर बाहर निकाल लिए । .
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फिर वो मेरे लंड पर अपनी नितम्बो को ज़ोर से आगे पीछे करने लगी और ज़ोर से मौन करने लगी। किया मुझे लगा पीछे से लंड ज्यादा अन्दर तक गया और पहले से ज्यादा मजा आया. । जेन भी मस्ती में गांड आगे पीछे कर मेरा साथ देने लगी और हम दोनों रिदम में चुदाई करने लगे और फिर में उसे लगातार धक्के देकर चोदता रहा।

मैं पीछे से उनके मोमो पकड़ कर दबाता रहा और चूचिया मसलता रहा मैं जेन अपना मुँह पीछे घुमा लेती थी और में उसे लिप किस करता रहा । इस बीच मेरा लण्ड फस फस कर अंदर बाहर जाता रहा। उसकी चूत का छेद बहुत टाइट था । करीब 25 मिनट तक लगातार उसको उस पोज़िशन में चोदा। हमारी हालत बुरी हो गयी थी । हम दोनों तेज तेज सांस ले रहे थे फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए । मैंने जेन की चूत अपने वीर्य से भर दी मैं जेन के ऊपर ही लेट कर उसकी जीभ चूसने लगा ।..
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कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे मैंने उसके कपडे उतारने चाहे तो उसने मना कर दिया बोली रात को सब देख लेना। अभी कही कोई आ न जाए ख़ास तौर पर तुम्हारी चहेती अलका । मैंने देखा था वह खाने की टेबल पर तुम्हे कैसे घूर रही थी। लड़कियों में नज़रो को पहचाने की एक जनम ज़ात काबलियत तो हमेशा होती है ।
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मैंने कहा छोड़ो अलका को, आप वो बाताओ जो मैंने आपसे पुछा था वह बोली क्या पुछा था आपने? तो मैं बोला "क्या आपको लगता है," "आपकी बहनों या बॉब और टॉम को इस बात का कोई अंदाजा है कि प्यार की खुशियाँ क्या होती हैं?"


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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