Romance मै सिर्फ तुम्हारा हूँ

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अस्वीकरण
इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
 
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UPDATE 007

अब तक आपने पढा कि कैसे बालिंग कप्तान मीरा शुक्ला , अपने अद्भुत प्रदर्शन और कौशल कला से शुक्ला भवन के एक एक विकेट को उखाड़ दिया है । मगर ऐन मौके कोई ऐसा बल्लेबाज सामने आ गया है कि वो नरभसा गयी है ।
देखते है आने वाले नये बल्लेबाज कौन है और क्या वो सच मे उतने खतरनाक है कि मीरा शुक्ला के छक्के छूट जाये ।
अब आगे

मैच ड्रा की नौबत

फ़िलहाल दो नये बल्लेबाज शुक्ला भवन की पिच पर उतर चुके थे तो आईये इनके कैरिअर पर एक नजर डाल लेते है

1. हेमा मालिनी मिश्रा
अब इनका नाम ऐसा इसिलिए है क्योकि इन देवी के जन्म के भारतीय सिनेमा जगत मे हेमा मालिनी का वर्चस्व जोर पर था और ट्रेंडिंग चीज़ो को महत्व देते हुए इनके पिता ने बड़े लाड इनका नाम हेमा मालिनी मिश्रा रख दिया ।
रिश्ते मे ये मीरा शुक्ला की चाची है और ये ग्वालियर से है ।

अब ध्यान देने योग्य बात ये है कि इस हिसाब से मीरा शुक्ला का मायका भी ग्वालियर हो जाता है और इसिलिए कानपुरी माहौल मे मीरा शुक्ला की ग्वालियर वाली टोन मे संवाद होते रहे है ।

2. स्वाति मिश्रा
कुवारि , चंचल , मोटी और वजनदार सी दिखने वाली ये प्लेयर असल मे हेमा मालिनी मिश्रा की सुपुत्रि है और हर गोरे स्मार्ट लडके पर इनका दिल बहुत ही आसानी से आ जाता है ।

जी हा ये दोनो प्लेयर मीरा शुक्ला के मायके से आये थे और इनके हताश होने का मुख्य कारण ये भी था कि मीरा ने अपने चाची को भी भरोसा दिलाया था कि वो स्वाति के लिए आयुष से बात करेंगी ।
मगर यहा तो सारी विसात और फील्डिंग चारु के लिए सेट की जा रही थी मगर एक नये प्लेयर के मैदान मे उतरने का अन्दाजा बोलिंग कप्तान मीरा शुक्ला को बिल्कुल भी नही था ।


ड्रिंक टाईम

अब शुक्ला भवन मे मेहमान आये और आवभगत ना हो , कैसे चलेगा ।
मीरा ने फटाफट अगुआई कर उनके बैठने का इन्तेजाम किया और किचन मे घुस गयी

मन मे कई व्यथाये थी , कि हेमा चाची कैसे बिना बताये आ गयी ,, आई तो आई लेकिन स्वाति को लाने की क्या जरुरत थी , कही आयुष के लिए तो नही ना

मीरा बडबडाते हुए जल्दी जल्दी प्लेट ग्लास निकाल रही होती है - हे भगवान, का हो रहो इ , जे चाची ने मुह खोल दी ते हमाओ नाम खराब हो जाओगो ससुराल मा

मीरा ट्रे मे सब कुछ सजा कर जाने को तैयार हुई कि उसे एक और डर सताया - जे ग्वालियर मे हमाई अम्मा को पता लग गओ कि हम इहा तीन का तेरह बना रहे ,,,,नाही नाही जे ना होगो ,,

हाल मे मीरा का प्रवेश

हेमा बिस्कुट मुह मे तोडते हुए - छोटकन बाबू आयुष ना दिख रहे जीजी

शान्ति मुस्कुरा कर - हा ऊ एक दोस्त की शादी मे गवा है ,, औ बताओ कइसे आना हुआ बड़े सवेरे

हेमा खुले विचार से - जे हमको तो भाईसाहब ने कल ही सूचना दी थी कि आयुष के शादी चारु के साथ तय हो रही हैगी , जे हम भी आ गये कि मिल मिलाप कर ले


मीरा की आंखे चौडी हुई और समझ गयी कि ये सब मुन्शी जी का ही किया धरा है और उसे समझ आ गया कि बाऊजी इतनी आसानी से कैसे माने थे ।
हाल मे हेमा की बाते सुन कर बाकी सबके चेहरे पर ताज्जुब भरे भाव आये कि ऐसा क्यू किया बाऊजी ने ,,,मगर मेहमान के सामने प्रतिक्रिया कैसे दे।


स्टैटेजिक टाईम आउट का समय समाप्त

ड्रिंक के बाद मुन्शी जी ने कप्तानी संभाली और बोले - अरे आप तो बता रही थी कि आप की भी एक बेटी है शादी लायक

हेमा - हा हा ,,इ है ना स्वाति

स्वाति नमस्ते करती है उनको
मनोहर - तो अशिष इ बिटिया के बारे मे का ख्याल है , तुमहू बोलो दुल्हीन , इ हमारे बबुआ के लिये कैसी रही


मुन्शी जी के बाउनसर से सबकी हवा टाइट हो गयी और सबसे बड़ी बात ये थी कि हर समय चुप रहने वाले मनोहर जी अचानक से ऐसे कैसे खुले होकर बोल रहे है ।

तभी सोनमती , अरे वही चौबेपुर वाली मिश्राईन , अरे भई चारु की अम्मा, मीरा की बुआ और हेमा मालिनी मिश्रा की ननद बोली

सोनमती - अरे भाईसाब सब कुछ तो हमाये साथ फाइनल हो गयो है ना तब काहे इस सब

मनोहर हस कर - अरे मिश्राइन कहा कुछ फाइनल हुओ है अभी ,,जे अभी तो पूरा मैच बाकी है

मनोहर - हा आशिष बोलो , दुल्हीन तुम बोलो कुछ

मीरा की घबडाहट से धड़कने तेज थी और उसे समझ नही आ रहा था क्या करे ,,मन ही मन खुद को कोश रही थी क्यू चौबेपुर की बुआ के सोने की अंगूठी वाले लालच मे आई ,,

मनोहर थोडी तेज आवाज मे - दुल्हीन कुछ कह रहे है हम

मीरा चौकी और हडबड़ा कर - जे हम का बोले बाऊजी , जे शादी तो देवर जी को करनी हैगी ना ,,जे बा ही परसन्द करे तो ठीक रहोगो , का अम्मा सही कह रहे हैं ना
मीरा ने अपने सर पड़ी लाठी को अपनी सास की ओर उछाल दिया ।
शान्ति देवी भी सोनमती को जुबान देके फस चुकी थी तो उन्हे भी मीरा की बात सही लगी - अ ब ब हा हा दुल्हीन ठीक कह रही हो ,, अब ऐसी स्थिति मे बबुआ जो ठीक समझे

आशिष बहुत उलझन मे था ,,उसे अपने गलती का अह्सास था और वो तो सोच रहा था कि अगर आयुष को पता चला कि बिना बताये उसकी शादी की बाते फाइनल हो रही है तो कितना दुख होगा उसे ,,,

सोनमती - जे का कही रही हो मीरा , तुमने तो हमाई चारु के लिए बात करने के लिए कही रही तो अब काहे पलट रही हो

हेमा चौक कर - ना ना सोनमती जीजी ,,,, मीरा ने हमाये स्वाति के लिए बात की रही हैगी , तभी तो हम आये हैं

मीरा को जिसका डर था वो हो गया था,,,दोनो ने बाते उगल ही दी ।

इधर शुक्ला भवन मे ननद भौजाई की झड़प शुरु हो गयी और बाकी प्लेयर माथा पीठ कर देख रहे थे ।
दोनो ने मारे जलन मे एक दुसरे की ऐसी बखिया उधेड़ी की सब तामाशा बन गया था ।

इसी दौरान शुक्ला भवन के सलामी बल्लेबाज आयुष बाबू मैदान मे पहुचे
उनको देख कर सभी चुप हो गये ।
आयुष बडी उलझन से चल रहे माहौल को समझने की कोशिश कर रहा था

आयुष - भैया क्या हुआ ,, काहे की बहस चल रही थी ।

अब तो सबके सब चुप , कोई बोले तो क्या बोले
अशिष जो कि पहले ही अपनी गल्तियो की ग्लानि कर चूका था वो हिम्मत करके आयुश के पास आया

अशिष - बबुआ इहा तुम्हारे शादी की बात चल रही है

आयुष हस कर - अच्छा ,,तो उसमे इतना हल्ला काहे का मचा है ।

फिर आशिष आयुष को लेके बाहर आता है और उसे सारी बाते बताता है कि कैसे मीरा ने अपनी अगुआई मे अपनी बुआ और चाची को शादी के लिये जबान देदी थी और उसी की गलती का नतिजा ये हुआ है आज ।
फिर अशिष ने आयुष से अपनी गलती की माफी भी मागी ।


आयुष - अरे भैया आप बड़े है आप काहे माफी माग रहे हैं,,, और चलिये अन्दर चलते हैं और मामला खतम करते है ।

फिर हाल मे दोनो प्रवेश करते है और आयुष सभी को बैठने को कहता है ।

आयुष - देखिये आप लोग बड़े है और मै समझ सकता हूँ आपको मेरी चिंता है ,, लेकिन मुझे अभी शादी करनी नही है । मै अभी अपनी पहचान बनाना चाहता हू । अपने लिये , अम्मा बाऊजी के लिए कुछ करना चाहता हू फिर कही शादी वादी ।

शान्ति गुस्से मे भन्ना कर मीरा को देखते हुए - हा ठीक है बबुआ लेकिन अब इस लभेड़ का क्या करे जे इ दुल्हीन ने फैलाई है

मीरा की तो घिग्गी बध गयी
आयुष मुस्कुरा कर - अरे अम्मा इसमे हमारी परसन्द जैसा कुछ है ही ,,,चारु को तो हम हमेशा अपनी छोटी बहिन समझे है और रही बात स्वाति की तो वो भी हमारी बहन जैसी ही है । बडी वाली हिहिहिही

स्वाति आयुष की बाते सुन कर बिलखने लग जाती है ।
जिसको देख के शुक्ला भवन के मुन्शी जी हसने लग जाते है ।
जैसा भी था नरम गरम आयुष ने मामला शांत कर दिया था लेकिन मिश्राइन बहुत आग बबुला थी अपनी भौजाई से । वही आशिष मीरा की करतूत पर नाराज थे ।

शान्ति देवी मामला खतम होने पर राहत मह्सूस कर रही थी और इस हाल मे अगर सबसे ज्यादा कोई खुश था तो वो मुन्शी जी थे । भई उनकी योजना काम जो कर गयी थी । गुपचुप रूप से ही सही वो अपने बेटे को बचा लिये थे और उन्हे इस बात का गर्व था ।

इधर इस लभेड़ का एक फायदा ये हुआ कि आयुष बाबू को भी मौका मिल गया कि वो अपने मन की दबी हुई बात घर मे सबके सामने खुलकर बोल पाये , खासकर बाऊजी के सामने ।
अब उन्हे भी कोई शादी का दबाव नही था और वो एक नये सफ़र पर खुलकर पूरी आजादी से जा सकते थे ।

अगले मैच की तैयारी

सुबह की लभेड़ के बाद दोपहर के खाने पीने का प्रोग्राम हुआ और फिर धीरे धीरे गिरे मन से दोनो मिश्रा टीम अपना बैग-कीट पैक कर अपने अपने पवेलियन निकल गये ।

इधर आशिष बाबू तो भले नाराजगी मे मीरा का गुस्सा खाने पर उतारा मगर बाऊजी का लिहाज कर खाना खा कर निकल गये दुकान ।
शान्ति जी भी मीरा पर भन्नाते हुए खाना गटकी किसी तरह ।

अगले दो दिन तक ऐसा ही माहौल चला और फिर आयुष का नये मैच सीरीज पर जाने का यानी जॉब पर जाने का दिन आ गया ।

बड़े सवेरे से मीरा ने शुक्ला स्टेडीयम मे अपने प्लेयिंग टूल से किचन मे अभ्यास शुरु कर दिया था ।
अब दो बजे की फ्लाईट थी और 12:30 तक पहुचना था एयरपोर्ट । उसके लिए भी घर से 11 बजे तक निकलना था ।
गाडी मोटर की कोई चिन्ता थी नही , क्योकि 3D भैया के रहते अपने आयुष बाबू को कोई दिक्कत हो ऐसा हो नही सकता था ।

सवेरे क्या कल रात से आयुष बाबू की पैकिंग चालू थी ।
कल दिन भर मेवेदार पकवानो से शुक्ला भवन का कैनटिन गमका हुआ था ।

सारी तैयारिया पूरी हुई तो एक बडे ट्रैवलर बैग और एक सोल्डर बैग के साथ 10 बजे तक आयुष बाबू तैयार होकर निचे हाल मे उतरे ।

पुरा शुक्ला परिवार ने एक साथ भोजन किया और फिर थोडी देर मे 3D अपनी TWO DOOR WRANGLER JEEP लेके शुक्ला भवन के सामने हाजिर था ।

हार्न की आवाज से शुक्ला भवन के हाल मे चल रहे भावनात्मक बिछोह मे खनक हुई और सबने अपने आसूँ पोछे ।
हालांकि आयुष बाबू के पास उनके भाई साहब का दिया हुआ डेबिट कार्ड था लेकिन फिर भी ममतामयि माता शान्ति देवी ने बडे दुलार मे शगुन का नाम देके आयुष बाबू की हथेली मे 2000 हजार के रोल किये हुए पांच नोट रख कर मुथ्ठी बंद कर दी ।

आयुष मुस्कुरा कर पहले मा के पैर छुए और गले लगते ही शुक्लाइन फफक पडी ।
जैसा भी हो आयुष बाबू भी थे स्वभाव से बहुत ही भावुक तो कुछ हसी भरे ही सही लेकिन आंखे उनकी भी भर आई ।
माता से मेल मिलाप कर बाउजी के पैर स्पर्श के बाद दोनो के बीच काफी चुप्पी रही लेकिन दो दिन पहले की हुई जीत से मनोहर जी मे ना जाने कैसी हिम्मत थी कि उन्होने ने आयुष को गले लगा लिया ।
पिता के प्यार को लालायीत रहने वाले आयुष बाबू को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी और उनकी रही सही भावना , सारे गीले सिकवे इस एक मिलाप मे आसुओ के साथ बह गये ।
इस भावनात्मक माहोल मे आशिष ने आयुष को सम्भाला और सबसे छिप कर मुन्शी जी ने भी अपनी लाल होती आंखो को साफ कर मुस्कुराने लगे ।

तब तक 3D ने 3 होर्न दे दिया था और भन्ना कर हाल मे पहुचे कि सामने आयुष आशिष का भरत मिलाप चल रहा था ।

3D- अबे यार बनबास नही हुआ है तुमको ,,नौकरी पे जा रहे हो बे ,,,

3D की गुदगुदी बातो से सबसे चेहरे पर हसी आई सिवाय शान्ति देवी के ,,, भई मा की ममता मे मजाक होता ही कहा है । वो तो निशछ्ल प्रेम है जो अपने बेटे के चिन्ता मे निकल रही होती है कि उसके बगैर उसके बेटे का क्या होगा ।

सबसे मुखातिब होने के बाद आयुष ने अपनी मीरा भाभी के पाव छुए तो मीरा पीछे हो गयी ।
रुआसी चेहरे पर मुस्कुराहत के भाव लाये मीरा ने एक टिफ़िन का बैग आयूष को लिया और बताया कि इसमे उसके मनपसन्द बेसन की लिट्टी है ।
लेकिन मीरा के इस निस्वार्थ प्रेम मे भी शुक्ला भवन कोच शान्ति शुक्ला ने मुह फुलाये रखा और आशिष जी ने भी बड़ी ओछी नजर से मीरा को निहारा ।
मीरा एक बार फिर से ग्लानि से भर आई और मुह फेर कर आसू पोछ लिये ।

विदाई समारोह समाप्त हुआ और आयुष बाबू का बैग पिछ्ली सीट पर रखा गया और सभी प्लेयर शुक्ला स्टेडीयम के वाहर थे ।

भावनात्मक माहौल मे ममतारुपी मा शान्ति देवी ने आयुष को पुचकारा - पहुच कर फोन कर देना

3D- हा अम्मा तुमको भिडीओ काल कर देंगे ,,,,

3D आयुष को खिच कर - और तुम बैठे बे ,,, तुमाये मायके के चक्कर मे तुमाये ससुराल वाली प्लेन रह जायेगी ।

3D की बातो से एक बार फिर सब खिलखिलाए और इधर 3D ने एक्सेलिरेटर दबाया और घनघनाती हुई जीप को कानपुर - फतेहपुर हाईवे पर ले लिया

रास्ते मे
आयुष बाबू अभी अपने परिवार के भावनात्मक पलो मे खोये चुप थे , खास करके की अपने पिता के प्रेम मे ।
3D को आयूष बाबू की चुप्पी खल रही थी
3D- अबे इसिलिए कहते है तुमको की इतना सम्वेदनशील ना बनो बे ,,,,दर्द बहुत होता है

आयुश मुस्कुरा कर - नही बे वो बात नही है ,,,आज बाऊजी ने हमको गले लगाया तो बहुत खुश है हम

3D- सही है गुरू ,,,तब हमको भी कौनौ जुगाड बताओ बे ,,ताकि हमाये बाऊजी भी हम पर पराउड फील करे

आयूष हस कर - साले तुम मुह से हगना बंद कर दो ,, पोस्टर लगवा देंगे चैयरमैन साहब तुम्हाये नाम का हाहहहहा

ऐसे ही इनदोनो की मस्ती भरी बाते चलती रही और वो दोनो एयरपोर्ट आ गये ।
अभी भी 30 मिंट का समय बाकी था एन्ट्री मे तो वो दोनो एयरपोर्ट के लान मे टहलने लगे ।
3D तो खास कर आंखे फाडे निहार रहा थ इधर उधर ,,, तभी उसकी नजर एक विदेशी महिला पर गयी जो साड़ी पहने हुई थी ।

3D आयुष को उस महिला की ओर दिखा कर - अबे देख बे , का चौकस माल है बे ,,,एक दम बिदेसी मूल की संस्कारी महिला है बे

आयुष जो कि इस समय मोबाईल पर कुछ चेक कर रहा था , वो तुरंत मोबाईल मे स्वीटी का नम्बर डायल कर 3D को मोबाइल दे देता है ।

3D की हिक्डी टाइट हो गयी
3D हडबड़ा कर फोन काट दिया और बोला - अरे हमाये बाप कहो तो गान्धारी बन जाये लेकिन ये सब काण्ड ना किया करो बे ,,फट जाती है

और उधर स्वीटी ने दुबारा फोन कर दिया
आयुष हस कर फोन उठाता है ।
फोन पर
स्वीटी - हा भैया काहे फोन किये थे
आयुश हस कर - वो हम दिल्ली जा रहे है तो एयरपोर्ट आये थे , लेकिन ये 3D को तुमहारी याद आ रही थी ।

स्वीटी शर्माइ और ह्स कर - का भैया ,, जे उनको याद आ रही है तो जे फोन करेंगे ना ,,आप थोडी

3D ने सोचा कही आयुष सच मे उसकी पोल ना खोल दे
इसिलिए वो लपक कर मोबाईल लेके एक तरफ हो गया और थोडा बाबू सोना स्वीटू जानू करके फोन रख दिया ।

इधर announcement चालू हो गया ।
आखिर के समय मे 3D भी भावुक हुआ और पहुच कर भूल ना जाने की याद दिलाई ।

आयुष- साले हमसे बड़के सेंटी तुम हो
3D आयुष से गले लग कर - अबे भाई हो तुम हमारे ,, रोयेंगे नही
फिर आयुष अपना समान लेके निकल जाता है अन्दर और जब तक फ्लाईट उड़ नही जाती तब तक 3D वही लान मे खड़ा रहता है और आखिरी बिदाई देकर भरी आंखो से नवाबगंज के लिए अपनी जीप से निकल जाता है ।

फ्लाइट मे बैठ जाने के बाद आयुष किसी को sms करता है जिसका कॉन्टैक्ट था नेम मिस मेहता । उसको अपनी सारी फ्लाईट डिटेल्स भेज देता है ।

जारी रहेगी
 
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so puri tarah ran neeti taiyar kar li meera ne waise charu naam ki ek kila uski hukumat mein hi thi.... ab baaki tha ek ek karke baaki ke kile pe fateh hasil karna... sab se pehle hamla boli usne apne pati matlab ashshi naam ke kile par.... apne roop yovan ka yun jadu chala di ki ashish charo khane chit....Phir baari thi sabse shaktishali kila matlab shaanti ji ki...meera ne aisi chaal chali ki sabse zyada majbut kile par haq jama baithi.... Ab shanti ji meera ki hukumat mein ki aurr se ladne wali thi to baaki ke kile pe jeet to meera ki honi to honi thi.... phir kya tha ek ek karke sabhi sabhi meera ki hukumat ke bol bolne lage.....

ab finally baari thi aayush naam ke kile ki....isko jeet liya to samjho mission accomplished....Meeting huyi asal target yani ayush ko kaise charo khane chit kiya jaaye....

Lekin shayad yahan pe twist tha.aur ye twist lane wala wo unknown person jo shayad meera ki ran neeti aur uski hukumat ke liye hanikaarak tha...
Lekin tha koun wo... ?


Shaandaar update, shaandaar lekhni, shabdon ka chayan aur saath hi dilchasp kirdaaro ki bhumika bhi...

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :clapping: :clapping:

Bahut badhiya lekin sex wali baat to short ma nipta gaye dudh piya aur khel khatam

Amazing update dear. meera sukla bahut satir aur drihsanklpi hai. ek bar jo kuch karne ki sanklp le liya wo karke hi rehti hai. family ke sabhi sadashy apni or kar li usne.
par isse pehle age kuch karti, bipaks party ka sadashy a dhamka ghar par. kon tha wo?

Kaha ayush apne khabo ki hasina ke bare me 3D bhai ko batia rha tha aur kaha kothi me meera apna master game khel rhi thi. koi to aesa banda praves kiya tha jise pta tha meera ki kartute , nahi to meera itni gharbrati nhi.

meera jitni bhi try kar le lekin mujhe nai lagta ki wo kamyab ho paegi. update me sabse interesting akhiri ke lines lagi. ane wale agantuk ke bare janne ke liye curiosity badh gayi hai. Meera ki koi dusman? lekin uski kaun dusman ho sakti ho? aur use kaise pata meera ke bune hue jal ke bare me?

बार बार हाँ, बोलो यार हाँ
मीरा की जीत हो, उनकी हार हाँ
कोई मीरा से जीत ना पावे , चले चलो, चले चलो
मिट जावे जो टकरावे, चले चलो
टूट गई जो, उंगली उठ्ठी
पाँचों मिली तो, बन गयी मुट्ठी
एका बढ़ता ही जावे , चले चलो, चले चलो

और अगले दिन . 🤭
तूने मारी एंट्रियां रे ,मीरा के दिल में बजी घंटियाँ रे
तन तन तन
दिल की सुन कमेंट्रियां रे ,प्यार की गारंटीयाँ रे
तन तन तन . 🤭

Update was great, always :hug2: Meera's seductive style and very attractive and easy to feel love :love2: me yah dek kar paglu ho gaya :faint: kya baat hai :sex2: ke liye bhi code hota hai aaj pata chala :shy2: ab koi bhabhi ya aunty seductive style me kuch bole gi to me samaj jau :sex: ka bol rahi hai :hehe2: vese mera ne dhudu de kar ayush se work hard :chop: mera is trying her best :lol:
Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story.
Thank You...
:thanks::thanks::thanks::thanks::thanks::thanks::thanks::thanks::thanks:

sala bolne ku kuch bacha hi nhi. ashis aur meera ke thukai ko censored kar ke updat se hi nikal deya. :cry2:
sukla ke ghar meera ka ashiq Aakesh. aaela he. apne purane ashiq ko achanak dekh meera garam ho gayeli he :hot:

:chilling2:

:reading:

:protest: विकास की चाभी , मीरा भाभी । :protest:
:protest:
विकास की चाभी , मीरा भाभी ।

:protest:

Yah kitna doodh piyega :sigh1:
Lagta hain ek tabella iss ke liye banana hoga 3D ko :smarty:
Par ussko fininace kon karega :think3:

Yah tv ke deewane apne aas paas ka dhyaan hi nahin rakhte
Kamre mein mira the vamp aa chuki hain
Par yah toh alag hi duniya mein kho rakhe hain

Mujhe iss mira ke lakhshan theek nahin lagte :galaghot:


Yaha yah mira ittna kuch kar chuki hain par iss ko yoh abhi bhi tv mein hi ghusna hain​

Meri baat maan iske muh par daal de yah doddh tab isko pata chhlega ki kamre mein koe aur bhi hain

:sarma: Arre sharm naaki ka ghana hota hain aur issne toh vahi hata diya Vaishnavi sissy dekho issko​

These tharki people abhi tak tv ke alawa dhyaan nahin tha isska kahi aur ab :sigh:

:sarma: mene kuch nahin padha

:wtfrol:

:hidee:

Vamp mira ki nae chaal :galaghot:

:abbey: these tharkis
Lekine iss ke mann mein yah baat kyu aaie kahi yah toh bhuva ko nahin nihar raha :lotpot:

Jhutti kahi ki :galaghot:


Ha yah kahi na sahi baat
Ab bole vamp mira :D

Kittni chalak hain yah vamp mira
Mujhe toh paka yakin ho gaya aakhir tak aate aate yah iss asishh ko fhasa legi :angsad:

:girlcry:

Isse ko besharam kahte hain :D

Kya guru hain aur kya uski cheli
Upar wala bachhae ayush ko :pray:

Agar vo manna karde toh kya tu nahin bataegi vamp mira :galaghot:

Yah politician hain kya
Iss mein saare gunn hain :shocking:

Jhutti kahi ki :chalbakk:

Pahle khude aag laga rahi hain aur fir kah rahi hain kuch na hoga :huh:


:slap: vo jhutti hain aunty

:weep2:

Yaha ghar mein raajneti chal rahi hain aur iss ko shopping karni hain :abbey:


100 lomdiya mari thi tab iss vamp ne janam liya hoga
Aur yaha ayush ko pata bhi nahin hain ki uske saath kya hone wala hain​

:call: hello lustyweb police yaha iss thread par kuch galath ho raha hain jara aakar dekhna toh :bat2:

:superr:
Update dear par bechare ayush ki naya dubne waali hain aur iss vamp mira ki jeet hone waali hain :weep2:
Baaki aapki writing skill air humour dono hi superb hain saath mein presentation ka tarika bhi​

:clap3:
Waiting for next update​

Update 6 sex sceen :teasee:
Vese me apne dosto ko bata deta hu jo soch rahe hai ki dhud Dene ke baad ky code tha to awo me smajata hu. Jab Meera ne dudh diya ayush ko 🥛 to usme :sleep: ki 💊 Mila diya tha aur vo bheosh :sleep2: gaya. Fir Meera XP 007 aur Aakesh. Ke pass jati hai aur :bj2: fir :ano: fir :doggy: fir :sex: fir palang Tod :sex2: hota hai mene ye breaking news aap logo ko de Diya ye baat DREAMBOY40 ko mat batana :secret: age aor khabro ke liye follow like share kare
APp logo ka payara XP 007
THanks for reading :reading1: this news
....
:thanks:

Revo mangna chodkar jaldi jaldi update post karo nehi to..... :hideee:
NEW UPDATE IS POSTED
READ AND REVO :bat2:
 
expectations
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14,682
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UPDATE 007

अब तक आपने पढा कि कैसे बालिंग कप्तान मीरा शुक्ला , अपने अद्भुत प्रदर्शन और कौशल कला से शुक्ला भवन के एक एक विकेट को उखाड़ दिया है । मगर ऐन मौके कोई ऐसा बल्लेबाज सामने आ गया है कि वो नरभसा गयी है ।
देखते है आने वाले नये बल्लेबाज कौन है और क्या वो सच मे उतने खतरनाक है कि मीरा शुक्ला के छक्के छूट जाये ।
अब आगे

मैच ड्रा की नौबत

फ़िलहाल दो नये बल्लेबाज शुक्ला भवन की पिच पर उतर चुके थे तो आईये इनके कैरिअर पर एक नजर डाल लेते है

1. हेमा मालिनी मिश्रा
अब इनका नाम ऐसा इसिलिए है क्योकि इन देवी के जन्म के भारतीय सिनेमा जगत मे हेमा मालिनी का वर्चस्व जोर पर था और ट्रेंडिंग चीज़ो को महत्व देते हुए इनके पिता ने बड़े लाड इनका नाम हेमा मालिनी मिश्रा रख दिया ।
रिश्ते मे ये मीरा शुक्ला की चाची है और ये ग्वालियर से है ।

अब ध्यान देने योग्य बात ये है कि इस हिसाब से मीरा शुक्ला का मायका भी ग्वालियर हो जाता है और इसिलिए कानपुरी माहौल मे मीरा शुक्ला की ग्वालियर वाली टोन मे संवाद होते रहे है ।

2. स्वाति मिश्रा
कुवारि , चंचल , मोटी और वजनदार सी दिखने वाली ये प्लेयर असल मे हेमा मालिनी मिश्रा की सुपुत्रि है और हर गोरे स्मार्ट लडके पर इनका दिल बहुत ही आसानी से आ जाता है ।

जी हा ये दोनो प्लेयर मीरा शुक्ला के मायके से आये थे और इनके हताश होने का मुख्य कारण ये भी था कि मीरा ने अपने चाची को भी भरोसा दिलाया था कि वो स्वाति के लिए आयुष से बात करेंगी ।
मगर यहा तो सारी विसात और फील्डिंग चारु के लिए सेट की जा रही थी मगर एक नये प्लेयर के मैदान मे उतरने का अन्दाजा बोलिंग कप्तान मीरा शुक्ला को बिल्कुल भी नही था ।



ड्रिंक टाईम

अब शुक्ला भवन मे मेहमान आये और आवभगत ना हो , कैसे चलेगा ।
मीरा ने फटाफट अगुआई कर उनके बैठने का इन्तेजाम किया और किचन मे घुस गयी

मन मे कई व्यथाये थी , कि हेमा चाची कैसे बिना बताये आ गयी ,, आई तो आई लेकिन स्वाति को लाने की क्या जरुरत थी , कही आयुष के लिए तो नही ना

मीरा बडबडाते हुए जल्दी जल्दी प्लेट ग्लास निकाल रही होती है - हे भगवान, का हो रहो इ , जे चाची ने मुह खोल दी ते हमाओ नाम खराब हो जाओगो ससुराल मा

मीरा ट्रे मे सब कुछ सजा कर जाने को तैयार हुई कि उसे एक और डर सताया - जे ग्वालियर मे हमाई अम्मा को पता लग गओ कि हम इहा तीन का तेरह बना रहे ,,,,नाही नाही जे ना होगो ,,

हाल मे मीरा का प्रवेश

हेमा बिस्कुट मुह मे तोडते हुए - छोटकन बाबू आयुष ना दिख रहे जीजी

शान्ति मुस्कुरा कर - हा ऊ एक दोस्त की शादी मे गवा है ,, औ बताओ कइसे आना हुआ बड़े सवेरे

हेमा खुले विचार से - जे हमको तो भाईसाहब ने कल ही सूचना दी थी कि आयुष के शादी चारु के साथ तय हो रही हैगी , जे हम भी आ गये कि मिल मिलाप कर ले


मीरा की आंखे चौडी हुई और समझ गयी कि ये सब मुन्शी जी का ही किया धरा है और उसे समझ आ गया कि बाऊजी इतनी आसानी से कैसे माने थे ।
हाल मे हेमा की बाते सुन कर बाकी सबके चेहरे पर ताज्जुब भरे भाव आये कि ऐसा क्यू किया बाऊजी ने ,,,मगर मेहमान के सामने प्रतिक्रिया कैसे दे।



स्टैटेजिक टाईम आउट का समय समाप्त

ड्रिंक के बाद मुन्शी जी ने कप्तानी संभाली और बोले - अरे आप तो बता रही थी कि आप की भी एक बेटी है शादी लायक

हेमा - हा हा ,,इ है ना स्वाति

स्वाति नमस्ते करती है उनको
मनोहर - तो अशिष इ बिटिया के बारे मे का ख्याल है , तुमहू बोलो दुल्हीन , इ हमारे बबुआ के लिये कैसी रही


मुन्शी जी के बाउनसर से सबकी हवा टाइट हो गयी और सबसे बड़ी बात ये थी कि हर समय चुप रहने वाले मनोहर जी अचानक से ऐसे कैसे खुले होकर बोल रहे है ।

तभी सोनमती , अरे वही चौबेपुर वाली मिश्राईन , अरे भई चारु की अम्मा, मीरा की बुआ और हेमा मालिनी मिश्रा की ननद बोली

सोनमती - अरे भाईसाब सब कुछ तो हमाये साथ फाइनल हो गयो है ना तब काहे इस सब

मनोहर हस कर - अरे मिश्राइन कहा कुछ फाइनल हुओ है अभी ,,जे अभी तो पूरा मैच बाकी है

मनोहर - हा आशिष बोलो , दुल्हीन तुम बोलो कुछ

मीरा की घबडाहट से धड़कने तेज थी और उसे समझ नही आ रहा था क्या करे ,,मन ही मन खुद को कोश रही थी क्यू चौबेपुर की बुआ के सोने की अंगूठी वाले लालच मे आई ,,

मनोहर थोडी तेज आवाज मे - दुल्हीन कुछ कह रहे है हम

मीरा चौकी और हडबड़ा कर - जे हम का बोले बाऊजी , जे शादी तो देवर जी को करनी हैगी ना ,,जे बा ही परसन्द करे तो ठीक रहोगो , का अम्मा सही कह रहे हैं ना
मीरा ने अपने सर पड़ी लाठी को अपनी सास की ओर उछाल दिया ।
शान्ति देवी भी सोनमती को जुबान देके फस चुकी थी तो उन्हे भी मीरा की बात सही लगी - अ ब ब हा हा दुल्हीन ठीक कह रही हो ,, अब ऐसी स्थिति मे बबुआ जो ठीक समझे

आशिष बहुत उलझन मे था ,,उसे अपने गलती का अह्सास था और वो तो सोच रहा था कि अगर आयुष को पता चला कि बिना बताये उसकी शादी की बाते फाइनल हो रही है तो कितना दुख होगा उसे ,,,

सोनमती - जे का कही रही हो मीरा , तुमने तो हमाई चारु के लिए बात करने के लिए कही रही तो अब काहे पलट रही हो

हेमा चौक कर - ना ना सोनमती जीजी ,,,, मीरा ने हमाये स्वाति के लिए बात की रही हैगी , तभी तो हम आये हैं

मीरा को जिसका डर था वो हो गया था,,,दोनो ने बाते उगल ही दी ।

इधर शुक्ला भवन मे ननद भौजाई की झड़प शुरु हो गयी और बाकी प्लेयर माथा पीठ कर देख रहे थे ।
दोनो ने मारे जलन मे एक दुसरे की ऐसी बखिया उधेड़ी की सब तामाशा बन गया था ।

इसी दौरान शुक्ला भवन के सलामी बल्लेबाज आयुष बाबू मैदान मे पहुचे
उनको देख कर सभी चुप हो गये ।
आयुष बडी उलझन से चल रहे माहौल को समझने की कोशिश कर रहा था

आयुष - भैया क्या हुआ ,, काहे की बहस चल रही थी ।

अब तो सबके सब चुप , कोई बोले तो क्या बोले
अशिष जो कि पहले ही अपनी गल्तियो की ग्लानि कर चूका था वो हिम्मत करके आयुश के पास आया

अशिष - बबुआ इहा तुम्हारे शादी की बात चल रही है

आयुष हस कर - अच्छा ,,तो उसमे इतना हल्ला काहे का मचा है ।

फिर आशिष आयुष को लेके बाहर आता है और उसे सारी बाते बताता है कि कैसे मीरा ने अपनी अगुआई मे अपनी बुआ और चाची को शादी के लिये जबान देदी थी और उसी की गलती का नतिजा ये हुआ है आज ।

फिर अशिष ने आयुष से अपनी गलती की माफी भी मागी ।


आयुष - अरे भैया आप बड़े है आप काहे माफी माग रहे हैं,,, और चलिये अन्दर चलते हैं और मामला खतम करते है ।

फिर हाल मे दोनो प्रवेश करते है और आयुष सभी को बैठने को कहता है ।

आयुष - देखिये आप लोग बड़े है और मै समझ सकता हूँ आपको मेरी चिंता है ,, लेकिन मुझे अभी शादी करनी नही है । मै अभी अपनी पहचान बनाना चाहता हू । अपने लिये , अम्मा बाऊजी के लिए कुछ करना चाहता हू फिर कही शादी वादी ।

शान्ति गुस्से मे भन्ना कर मीरा को देखते हुए - हा ठीक है बबुआ लेकिन अब इस लभेड़ का क्या करे जे इ दुल्हीन ने फैलाई है

मीरा की तो घिग्गी बध गयी
आयुष मुस्कुरा कर - अरे अम्मा इसमे हमारी परसन्द जैसा कुछ है ही ,,,चारु को तो हम हमेशा अपनी छोटी बहिन समझे है और रही बात स्वाति की तो वो भी हमारी बहन जैसी ही है । बडी वाली हिहिहिही

स्वाति आयुष की बाते सुन कर बिलखने लग जाती है ।
जिसको देख के शुक्ला भवन के मुन्शी जी हसने लग जाते है ।
जैसा भी था नरम गरम आयुष ने मामला शांत कर दिया था लेकिन मिश्राइन बहुत आग बबुला थी अपनी भौजाई से । वही आशिष मीरा की करतूत पर नाराज थे ।

शान्ति देवी मामला खतम होने पर राहत मह्सूस कर रही थी और इस हाल मे अगर सबसे ज्यादा कोई खुश था तो वो मुन्शी जी थे । भई उनकी योजना काम जो कर गयी थी । गुपचुप रूप से ही सही वो अपने बेटे को बचा लिये थे और उन्हे इस बात का गर्व था ।

इधर इस लभेड़ का एक फायदा ये हुआ कि आयुष बाबू को भी मौका मिल गया कि वो अपने मन की दबी हुई बात घर मे सबके सामने खुलकर बोल पाये , खासकर बाऊजी के सामने ।
अब उन्हे भी कोई शादी का दबाव नही था और वो एक नये सफ़र पर खुलकर पूरी आजादी से जा सकते थे ।


अगले मैच की तैयारी

सुबह की लभेड़ के बाद दोपहर के खाने पीने का प्रोग्राम हुआ और फिर धीरे धीरे गिरे मन से दोनो मिश्रा टीम अपना बैग-कीट पैक कर अपने अपने पवेलियन निकल गये ।

इधर आशिष बाबू तो भले नाराजगी मे मीरा का गुस्सा खाने पर उतारा मगर बाऊजी का लिहाज कर खाना खा कर निकल गये दुकान ।
शान्ति जी भी मीरा पर भन्नाते हुए खाना गटकी किसी तरह ।

अगले दो दिन तक ऐसा ही माहौल चला और फिर आयुष का नये मैच सीरीज पर जाने का यानी जॉब पर जाने का दिन आ गया ।

बड़े सवेरे से मीरा ने शुक्ला स्टेडीयम मे अपने प्लेयिंग टूल से किचन मे अभ्यास शुरु कर दिया था ।
अब दो बजे की फ्लाईट थी और 12:30 तक पहुचना था एयरपोर्ट । उसके लिए भी घर से 11 बजे तक निकलना था ।
गाडी मोटर की कोई चिन्ता थी नही , क्योकि 3D भैया के रहते अपने आयुष बाबू को कोई दिक्कत हो ऐसा हो नही सकता था ।

सवेरे क्या कल रात से आयुष बाबू की पैकिंग चालू थी ।
कल दिन भर मेवेदार पकवानो से शुक्ला भवन का कैनटिन गमका हुआ था ।


सारी तैयारिया पूरी हुई तो एक बडे ट्रैवलर बैग और एक सोल्डर बैग के साथ 10 बजे तक आयुष बाबू तैयार होकर निचे हाल मे उतरे ।

पुरा शुक्ला परिवार ने एक साथ भोजन किया और फिर थोडी देर मे 3D अपनी TWO DOOR WRANGLER JEEP लेके शुक्ला भवन के सामने हाजिर था ।

हार्न की आवाज से शुक्ला भवन के हाल मे चल रहे भावनात्मक बिछोह मे खनक हुई और सबने अपने आसूँ पोछे ।
हालांकि आयुष बाबू के पास उनके भाई साहब का दिया हुआ डेबिट कार्ड था लेकिन फिर भी ममतामयि माता शान्ति देवी ने बडे दुलार मे शगुन का नाम देके आयुष बाबू की हथेली मे 2000 हजार के रोल किये हुए पांच नोट रख कर मुथ्ठी बंद कर दी ।

आयुष मुस्कुरा कर पहले मा के पैर छुए और गले लगते ही शुक्लाइन फफक पडी ।
जैसा भी हो आयुष बाबू भी थे स्वभाव से बहुत ही भावुक तो कुछ हसी भरे ही सही लेकिन आंखे उनकी भी भर आई ।
माता से मेल मिलाप कर बाउजी के पैर स्पर्श के बाद दोनो के बीच काफी चुप्पी रही लेकिन दो दिन पहले की हुई जीत से मनोहर जी मे ना जाने कैसी हिम्मत थी कि उन्होने ने आयुष को गले लगा लिया ।
पिता के प्यार को लालायीत रहने वाले आयुष बाबू को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी और उनकी रही सही भावना , सारे गीले सिकवे इस एक मिलाप मे आसुओ के साथ बह गये ।
इस भावनात्मक माहोल मे आशिष ने आयुष को सम्भाला और सबसे छिप कर मुन्शी जी ने भी अपनी लाल होती आंखो को साफ कर मुस्कुराने लगे ।

तब तक 3D ने 3 होर्न दे दिया था और भन्ना कर हाल मे पहुचे कि सामने आयुष आशिष का भरत मिलाप चल रहा था ।

3D- अबे यार बनबास नही हुआ है तुमको ,,नौकरी पे जा रहे हो बे ,,,

3D की गुदगुदी बातो से सबसे चेहरे पर हसी आई सिवाय शान्ति देवी के ,,, भई मा की ममता मे मजाक होता ही कहा है । वो तो निशछ्ल प्रेम है जो अपने बेटे के चिन्ता मे निकल रही होती है कि उसके बगैर उसके बेटे का क्या होगा ।

सबसे मुखातिब होने के बाद आयुष ने अपनी मीरा भाभी के पाव छुए तो मीरा पीछे हो गयी ।
रुआसी चेहरे पर मुस्कुराहत के भाव लाये मीरा ने एक टिफ़िन का बैग आयूष को लिया और बताया कि इसमे उसके मनपसन्द बेसन की लिट्टी है ।
लेकिन मीरा के इस निस्वार्थ प्रेम मे भी शुक्ला भवन कोच शान्ति शुक्ला ने मुह फुलाये रखा और आशिष जी ने भी बड़ी ओछी नजर से मीरा को निहारा ।
मीरा एक बार फिर से ग्लानि से भर आई और मुह फेर कर आसू पोछ लिये ।

विदाई समारोह समाप्त हुआ और आयुष बाबू का बैग पिछ्ली सीट पर रखा गया और सभी प्लेयर शुक्ला स्टेडीयम के वाहर थे ।

भावनात्मक माहौल मे ममतारुपी मा शान्ति देवी ने आयुष को पुचकारा - पहुच कर फोन कर देना

3D- हा अम्मा तुमको भिडीओ काल कर देंगे ,,,,

3D आयुष को खिच कर - और तुम बैठे बे ,,, तुमाये मायके के चक्कर मे तुमाये ससुराल वाली प्लेन रह जायेगी ।

3D की बातो से एक बार फिर सब खिलखिलाए और इधर 3D ने एक्सेलिरेटर दबाया और घनघनाती हुई जीप को कानपुर - फतेहपुर हाईवे पर ले लिया

रास्ते मे
आयुष बाबू अभी अपने परिवार के भावनात्मक पलो मे खोये चुप थे , खास करके की अपने पिता के प्रेम मे ।
3D को आयूष बाबू की चुप्पी खल रही थी
3D- अबे इसिलिए कहते है तुमको की इतना सम्वेदनशील ना बनो बे ,,,,दर्द बहुत होता है

आयुश मुस्कुरा कर - नही बे वो बात नही है ,,,आज बाऊजी ने हमको गले लगाया तो बहुत खुश है हम

3D- सही है गुरू ,,,तब हमको भी कौनौ जुगाड बताओ बे ,,ताकि हमाये बाऊजी भी हम पर पराउड फील करे

आयूष हस कर - साले तुम मुह से हगना बंद कर दो ,, पोस्टर लगवा देंगे चैयरमैन साहब तुम्हाये नाम का हाहहहहा

ऐसे ही इनदोनो की मस्ती भरी बाते चलती रही और वो दोनो एयरपोर्ट आ गये ।
अभी भी 30 मिंट का समय बाकी था एन्ट्री मे तो वो दोनो एयरपोर्ट के लान मे टहलने लगे ।
3D तो खास कर आंखे फाडे निहार रहा थ इधर उधर ,,, तभी उसकी नजर एक विदेशी महिला पर गयी जो साड़ी पहने हुई थी ।

3D आयुष को उस महिला की ओर दिखा कर - अबे देख बे , का चौकस माल है बे ,,,एक दम बिदेसी मूल की संस्कारी महिला है बे

आयुष जो कि इस समय मोबाईल पर कुछ चेक कर रहा था , वो तुरंत मोबाईल मे स्वीटी का नम्बर डायल कर 3D को मोबाइल दे देता है ।

3D की हिक्डी टाइट हो गयी
3D हडबड़ा कर फोन काट दिया और बोला - अरे हमाये बाप कहो तो गान्धारी बन जाये लेकिन ये सब काण्ड ना किया करो बे ,,फट जाती है

और उधर स्वीटी ने दुबारा फोन कर दिया
आयुष हस कर फोन उठाता है ।
फोन पर
स्वीटी - हा भैया काहे फोन किये थे
आयुश हस कर - वो हम दिल्ली जा रहे है तो एयरपोर्ट आये थे , लेकिन ये 3D को तुमहारी याद आ रही थी ।

स्वीटी शर्माइ और ह्स कर - का भैया ,, जे उनको याद आ रही है तो जे फोन करेंगे ना ,,आप थोडी

3D ने सोचा कही आयुष सच मे उसकी पोल ना खोल दे
इसिलिए वो लपक कर मोबाईल लेके एक तरफ हो गया और थोडा बाबू सोना स्वीटू जानू करके फोन रख दिया ।

इधर announcement चालू हो गया ।
आखिर के समय मे 3D भी भावुक हुआ और पहुच कर भूल ना जाने की याद दिलाई ।

आयुष- साले हमसे बड़के सेंटी तुम हो
3D आयुष से गले लग कर - अबे भाई हो तुम हमारे ,, रोयेंगे नही
फिर आयुष अपना समान लेके निकल जाता है अन्दर और जब तक फ्लाईट उड़ नही जाती तब तक 3D वही लान मे खड़ा रहता है और आखिरी बिदाई देकर भरी आंखो से नवाबगंज के लिए अपनी जीप से निकल जाता है ।

फ्लाइट मे बैठ जाने के बाद आयुष किसी को sms करता है जिसका कॉन्टैक्ट था नेम मिस मेहता । उसको अपनी सारी फ्लाईट डिटेल्स भेज देता है ।

जारी रहेगी
Badhiya vidai ka rochak vivran kiya hai sabke sath kuch aisa hota pahli baar faimly se door Jane par
 
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UPDATE 007

अब तक आपने पढा कि कैसे बालिंग कप्तान मीरा शुक्ला , अपने अद्भुत प्रदर्शन और कौशल कला से शुक्ला भवन के एक एक विकेट को उखाड़ दिया है । मगर ऐन मौके कोई ऐसा बल्लेबाज सामने आ गया है कि वो नरभसा गयी है ।
देखते है आने वाले नये बल्लेबाज कौन है और क्या वो सच मे उतने खतरनाक है कि मीरा शुक्ला के छक्के छूट जाये ।
अब आगे

मैच ड्रा की नौबत

फ़िलहाल दो नये बल्लेबाज शुक्ला भवन की पिच पर उतर चुके थे तो आईये इनके कैरिअर पर एक नजर डाल लेते है

1. हेमा मालिनी मिश्रा
अब इनका नाम ऐसा इसिलिए है क्योकि इन देवी के जन्म के भारतीय सिनेमा जगत मे हेमा मालिनी का वर्चस्व जोर पर था और ट्रेंडिंग चीज़ो को महत्व देते हुए इनके पिता ने बड़े लाड इनका नाम हेमा मालिनी मिश्रा रख दिया ।
रिश्ते मे ये मीरा शुक्ला की चाची है और ये ग्वालियर से है ।

अब ध्यान देने योग्य बात ये है कि इस हिसाब से मीरा शुक्ला का मायका भी ग्वालियर हो जाता है और इसिलिए कानपुरी माहौल मे मीरा शुक्ला की ग्वालियर वाली टोन मे संवाद होते रहे है ।

2. स्वाति मिश्रा
कुवारि , चंचल , मोटी और वजनदार सी दिखने वाली ये प्लेयर असल मे हेमा मालिनी मिश्रा की सुपुत्रि है और हर गोरे स्मार्ट लडके पर इनका दिल बहुत ही आसानी से आ जाता है ।

जी हा ये दोनो प्लेयर मीरा शुक्ला के मायके से आये थे और इनके हताश होने का मुख्य कारण ये भी था कि मीरा ने अपने चाची को भी भरोसा दिलाया था कि वो स्वाति के लिए आयुष से बात करेंगी ।
मगर यहा तो सारी विसात और फील्डिंग चारु के लिए सेट की जा रही थी मगर एक नये प्लेयर के मैदान मे उतरने का अन्दाजा बोलिंग कप्तान मीरा शुक्ला को बिल्कुल भी नही था ।



ड्रिंक टाईम

अब शुक्ला भवन मे मेहमान आये और आवभगत ना हो , कैसे चलेगा ।
मीरा ने फटाफट अगुआई कर उनके बैठने का इन्तेजाम किया और किचन मे घुस गयी

मन मे कई व्यथाये थी , कि हेमा चाची कैसे बिना बताये आ गयी ,, आई तो आई लेकिन स्वाति को लाने की क्या जरुरत थी , कही आयुष के लिए तो नही ना

मीरा बडबडाते हुए जल्दी जल्दी प्लेट ग्लास निकाल रही होती है - हे भगवान, का हो रहो इ , जे चाची ने मुह खोल दी ते हमाओ नाम खराब हो जाओगो ससुराल मा

मीरा ट्रे मे सब कुछ सजा कर जाने को तैयार हुई कि उसे एक और डर सताया - जे ग्वालियर मे हमाई अम्मा को पता लग गओ कि हम इहा तीन का तेरह बना रहे ,,,,नाही नाही जे ना होगो ,,

हाल मे मीरा का प्रवेश

हेमा बिस्कुट मुह मे तोडते हुए - छोटकन बाबू आयुष ना दिख रहे जीजी

शान्ति मुस्कुरा कर - हा ऊ एक दोस्त की शादी मे गवा है ,, औ बताओ कइसे आना हुआ बड़े सवेरे

हेमा खुले विचार से - जे हमको तो भाईसाहब ने कल ही सूचना दी थी कि आयुष के शादी चारु के साथ तय हो रही हैगी , जे हम भी आ गये कि मिल मिलाप कर ले


मीरा की आंखे चौडी हुई और समझ गयी कि ये सब मुन्शी जी का ही किया धरा है और उसे समझ आ गया कि बाऊजी इतनी आसानी से कैसे माने थे ।
हाल मे हेमा की बाते सुन कर बाकी सबके चेहरे पर ताज्जुब भरे भाव आये कि ऐसा क्यू किया बाऊजी ने ,,,मगर मेहमान के सामने प्रतिक्रिया कैसे दे।



स्टैटेजिक टाईम आउट का समय समाप्त

ड्रिंक के बाद मुन्शी जी ने कप्तानी संभाली और बोले - अरे आप तो बता रही थी कि आप की भी एक बेटी है शादी लायक

हेमा - हा हा ,,इ है ना स्वाति

स्वाति नमस्ते करती है उनको
मनोहर - तो अशिष इ बिटिया के बारे मे का ख्याल है , तुमहू बोलो दुल्हीन , इ हमारे बबुआ के लिये कैसी रही


मुन्शी जी के बाउनसर से सबकी हवा टाइट हो गयी और सबसे बड़ी बात ये थी कि हर समय चुप रहने वाले मनोहर जी अचानक से ऐसे कैसे खुले होकर बोल रहे है ।

तभी सोनमती , अरे वही चौबेपुर वाली मिश्राईन , अरे भई चारु की अम्मा, मीरा की बुआ और हेमा मालिनी मिश्रा की ननद बोली

सोनमती - अरे भाईसाब सब कुछ तो हमाये साथ फाइनल हो गयो है ना तब काहे इस सब

मनोहर हस कर - अरे मिश्राइन कहा कुछ फाइनल हुओ है अभी ,,जे अभी तो पूरा मैच बाकी है

मनोहर - हा आशिष बोलो , दुल्हीन तुम बोलो कुछ

मीरा की घबडाहट से धड़कने तेज थी और उसे समझ नही आ रहा था क्या करे ,,मन ही मन खुद को कोश रही थी क्यू चौबेपुर की बुआ के सोने की अंगूठी वाले लालच मे आई ,,

मनोहर थोडी तेज आवाज मे - दुल्हीन कुछ कह रहे है हम

मीरा चौकी और हडबड़ा कर - जे हम का बोले बाऊजी , जे शादी तो देवर जी को करनी हैगी ना ,,जे बा ही परसन्द करे तो ठीक रहोगो , का अम्मा सही कह रहे हैं ना
मीरा ने अपने सर पड़ी लाठी को अपनी सास की ओर उछाल दिया ।
शान्ति देवी भी सोनमती को जुबान देके फस चुकी थी तो उन्हे भी मीरा की बात सही लगी - अ ब ब हा हा दुल्हीन ठीक कह रही हो ,, अब ऐसी स्थिति मे बबुआ जो ठीक समझे

आशिष बहुत उलझन मे था ,,उसे अपने गलती का अह्सास था और वो तो सोच रहा था कि अगर आयुष को पता चला कि बिना बताये उसकी शादी की बाते फाइनल हो रही है तो कितना दुख होगा उसे ,,,

सोनमती - जे का कही रही हो मीरा , तुमने तो हमाई चारु के लिए बात करने के लिए कही रही तो अब काहे पलट रही हो

हेमा चौक कर - ना ना सोनमती जीजी ,,,, मीरा ने हमाये स्वाति के लिए बात की रही हैगी , तभी तो हम आये हैं

मीरा को जिसका डर था वो हो गया था,,,दोनो ने बाते उगल ही दी ।

इधर शुक्ला भवन मे ननद भौजाई की झड़प शुरु हो गयी और बाकी प्लेयर माथा पीठ कर देख रहे थे ।
दोनो ने मारे जलन मे एक दुसरे की ऐसी बखिया उधेड़ी की सब तामाशा बन गया था ।

इसी दौरान शुक्ला भवन के सलामी बल्लेबाज आयुष बाबू मैदान मे पहुचे
उनको देख कर सभी चुप हो गये ।
आयुष बडी उलझन से चल रहे माहौल को समझने की कोशिश कर रहा था

आयुष - भैया क्या हुआ ,, काहे की बहस चल रही थी ।

अब तो सबके सब चुप , कोई बोले तो क्या बोले
अशिष जो कि पहले ही अपनी गल्तियो की ग्लानि कर चूका था वो हिम्मत करके आयुश के पास आया

अशिष - बबुआ इहा तुम्हारे शादी की बात चल रही है

आयुष हस कर - अच्छा ,,तो उसमे इतना हल्ला काहे का मचा है ।

फिर आशिष आयुष को लेके बाहर आता है और उसे सारी बाते बताता है कि कैसे मीरा ने अपनी अगुआई मे अपनी बुआ और चाची को शादी के लिये जबान देदी थी और उसी की गलती का नतिजा ये हुआ है आज ।

फिर अशिष ने आयुष से अपनी गलती की माफी भी मागी ।


आयुष - अरे भैया आप बड़े है आप काहे माफी माग रहे हैं,,, और चलिये अन्दर चलते हैं और मामला खतम करते है ।

फिर हाल मे दोनो प्रवेश करते है और आयुष सभी को बैठने को कहता है ।

आयुष - देखिये आप लोग बड़े है और मै समझ सकता हूँ आपको मेरी चिंता है ,, लेकिन मुझे अभी शादी करनी नही है । मै अभी अपनी पहचान बनाना चाहता हू । अपने लिये , अम्मा बाऊजी के लिए कुछ करना चाहता हू फिर कही शादी वादी ।

शान्ति गुस्से मे भन्ना कर मीरा को देखते हुए - हा ठीक है बबुआ लेकिन अब इस लभेड़ का क्या करे जे इ दुल्हीन ने फैलाई है

मीरा की तो घिग्गी बध गयी
आयुष मुस्कुरा कर - अरे अम्मा इसमे हमारी परसन्द जैसा कुछ है ही ,,,चारु को तो हम हमेशा अपनी छोटी बहिन समझे है और रही बात स्वाति की तो वो भी हमारी बहन जैसी ही है । बडी वाली हिहिहिही

स्वाति आयुष की बाते सुन कर बिलखने लग जाती है ।
जिसको देख के शुक्ला भवन के मुन्शी जी हसने लग जाते है ।
जैसा भी था नरम गरम आयुष ने मामला शांत कर दिया था लेकिन मिश्राइन बहुत आग बबुला थी अपनी भौजाई से । वही आशिष मीरा की करतूत पर नाराज थे ।

शान्ति देवी मामला खतम होने पर राहत मह्सूस कर रही थी और इस हाल मे अगर सबसे ज्यादा कोई खुश था तो वो मुन्शी जी थे । भई उनकी योजना काम जो कर गयी थी । गुपचुप रूप से ही सही वो अपने बेटे को बचा लिये थे और उन्हे इस बात का गर्व था ।

इधर इस लभेड़ का एक फायदा ये हुआ कि आयुष बाबू को भी मौका मिल गया कि वो अपने मन की दबी हुई बात घर मे सबके सामने खुलकर बोल पाये , खासकर बाऊजी के सामने ।
अब उन्हे भी कोई शादी का दबाव नही था और वो एक नये सफ़र पर खुलकर पूरी आजादी से जा सकते थे ।


अगले मैच की तैयारी

सुबह की लभेड़ के बाद दोपहर के खाने पीने का प्रोग्राम हुआ और फिर धीरे धीरे गिरे मन से दोनो मिश्रा टीम अपना बैग-कीट पैक कर अपने अपने पवेलियन निकल गये ।

इधर आशिष बाबू तो भले नाराजगी मे मीरा का गुस्सा खाने पर उतारा मगर बाऊजी का लिहाज कर खाना खा कर निकल गये दुकान ।
शान्ति जी भी मीरा पर भन्नाते हुए खाना गटकी किसी तरह ।

अगले दो दिन तक ऐसा ही माहौल चला और फिर आयुष का नये मैच सीरीज पर जाने का यानी जॉब पर जाने का दिन आ गया ।

बड़े सवेरे से मीरा ने शुक्ला स्टेडीयम मे अपने प्लेयिंग टूल से किचन मे अभ्यास शुरु कर दिया था ।
अब दो बजे की फ्लाईट थी और 12:30 तक पहुचना था एयरपोर्ट । उसके लिए भी घर से 11 बजे तक निकलना था ।
गाडी मोटर की कोई चिन्ता थी नही , क्योकि 3D भैया के रहते अपने आयुष बाबू को कोई दिक्कत हो ऐसा हो नही सकता था ।

सवेरे क्या कल रात से आयुष बाबू की पैकिंग चालू थी ।
कल दिन भर मेवेदार पकवानो से शुक्ला भवन का कैनटिन गमका हुआ था ।


सारी तैयारिया पूरी हुई तो एक बडे ट्रैवलर बैग और एक सोल्डर बैग के साथ 10 बजे तक आयुष बाबू तैयार होकर निचे हाल मे उतरे ।

पुरा शुक्ला परिवार ने एक साथ भोजन किया और फिर थोडी देर मे 3D अपनी TWO DOOR WRANGLER JEEP लेके शुक्ला भवन के सामने हाजिर था ।

हार्न की आवाज से शुक्ला भवन के हाल मे चल रहे भावनात्मक बिछोह मे खनक हुई और सबने अपने आसूँ पोछे ।
हालांकि आयुष बाबू के पास उनके भाई साहब का दिया हुआ डेबिट कार्ड था लेकिन फिर भी ममतामयि माता शान्ति देवी ने बडे दुलार मे शगुन का नाम देके आयुष बाबू की हथेली मे 2000 हजार के रोल किये हुए पांच नोट रख कर मुथ्ठी बंद कर दी ।

आयुष मुस्कुरा कर पहले मा के पैर छुए और गले लगते ही शुक्लाइन फफक पडी ।
जैसा भी हो आयुष बाबू भी थे स्वभाव से बहुत ही भावुक तो कुछ हसी भरे ही सही लेकिन आंखे उनकी भी भर आई ।
माता से मेल मिलाप कर बाउजी के पैर स्पर्श के बाद दोनो के बीच काफी चुप्पी रही लेकिन दो दिन पहले की हुई जीत से मनोहर जी मे ना जाने कैसी हिम्मत थी कि उन्होने ने आयुष को गले लगा लिया ।
पिता के प्यार को लालायीत रहने वाले आयुष बाबू को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी और उनकी रही सही भावना , सारे गीले सिकवे इस एक मिलाप मे आसुओ के साथ बह गये ।
इस भावनात्मक माहोल मे आशिष ने आयुष को सम्भाला और सबसे छिप कर मुन्शी जी ने भी अपनी लाल होती आंखो को साफ कर मुस्कुराने लगे ।

तब तक 3D ने 3 होर्न दे दिया था और भन्ना कर हाल मे पहुचे कि सामने आयुष आशिष का भरत मिलाप चल रहा था ।

3D- अबे यार बनबास नही हुआ है तुमको ,,नौकरी पे जा रहे हो बे ,,,

3D की गुदगुदी बातो से सबसे चेहरे पर हसी आई सिवाय शान्ति देवी के ,,, भई मा की ममता मे मजाक होता ही कहा है । वो तो निशछ्ल प्रेम है जो अपने बेटे के चिन्ता मे निकल रही होती है कि उसके बगैर उसके बेटे का क्या होगा ।

सबसे मुखातिब होने के बाद आयुष ने अपनी मीरा भाभी के पाव छुए तो मीरा पीछे हो गयी ।
रुआसी चेहरे पर मुस्कुराहत के भाव लाये मीरा ने एक टिफ़िन का बैग आयूष को लिया और बताया कि इसमे उसके मनपसन्द बेसन की लिट्टी है ।
लेकिन मीरा के इस निस्वार्थ प्रेम मे भी शुक्ला भवन कोच शान्ति शुक्ला ने मुह फुलाये रखा और आशिष जी ने भी बड़ी ओछी नजर से मीरा को निहारा ।
मीरा एक बार फिर से ग्लानि से भर आई और मुह फेर कर आसू पोछ लिये ।

विदाई समारोह समाप्त हुआ और आयुष बाबू का बैग पिछ्ली सीट पर रखा गया और सभी प्लेयर शुक्ला स्टेडीयम के वाहर थे ।

भावनात्मक माहौल मे ममतारुपी मा शान्ति देवी ने आयुष को पुचकारा - पहुच कर फोन कर देना

3D- हा अम्मा तुमको भिडीओ काल कर देंगे ,,,,

3D आयुष को खिच कर - और तुम बैठे बे ,,, तुमाये मायके के चक्कर मे तुमाये ससुराल वाली प्लेन रह जायेगी ।

3D की बातो से एक बार फिर सब खिलखिलाए और इधर 3D ने एक्सेलिरेटर दबाया और घनघनाती हुई जीप को कानपुर - फतेहपुर हाईवे पर ले लिया

रास्ते मे
आयुष बाबू अभी अपने परिवार के भावनात्मक पलो मे खोये चुप थे , खास करके की अपने पिता के प्रेम मे ।
3D को आयूष बाबू की चुप्पी खल रही थी
3D- अबे इसिलिए कहते है तुमको की इतना सम्वेदनशील ना बनो बे ,,,,दर्द बहुत होता है

आयुश मुस्कुरा कर - नही बे वो बात नही है ,,,आज बाऊजी ने हमको गले लगाया तो बहुत खुश है हम

3D- सही है गुरू ,,,तब हमको भी कौनौ जुगाड बताओ बे ,,ताकि हमाये बाऊजी भी हम पर पराउड फील करे

आयूष हस कर - साले तुम मुह से हगना बंद कर दो ,, पोस्टर लगवा देंगे चैयरमैन साहब तुम्हाये नाम का हाहहहहा

ऐसे ही इनदोनो की मस्ती भरी बाते चलती रही और वो दोनो एयरपोर्ट आ गये ।
अभी भी 30 मिंट का समय बाकी था एन्ट्री मे तो वो दोनो एयरपोर्ट के लान मे टहलने लगे ।
3D तो खास कर आंखे फाडे निहार रहा थ इधर उधर ,,, तभी उसकी नजर एक विदेशी महिला पर गयी जो साड़ी पहने हुई थी ।

3D आयुष को उस महिला की ओर दिखा कर - अबे देख बे , का चौकस माल है बे ,,,एक दम बिदेसी मूल की संस्कारी महिला है बे

आयुष जो कि इस समय मोबाईल पर कुछ चेक कर रहा था , वो तुरंत मोबाईल मे स्वीटी का नम्बर डायल कर 3D को मोबाइल दे देता है ।

3D की हिक्डी टाइट हो गयी
3D हडबड़ा कर फोन काट दिया और बोला - अरे हमाये बाप कहो तो गान्धारी बन जाये लेकिन ये सब काण्ड ना किया करो बे ,,फट जाती है

और उधर स्वीटी ने दुबारा फोन कर दिया
आयुष हस कर फोन उठाता है ।
फोन पर
स्वीटी - हा भैया काहे फोन किये थे
आयुश हस कर - वो हम दिल्ली जा रहे है तो एयरपोर्ट आये थे , लेकिन ये 3D को तुमहारी याद आ रही थी ।

स्वीटी शर्माइ और ह्स कर - का भैया ,, जे उनको याद आ रही है तो जे फोन करेंगे ना ,,आप थोडी

3D ने सोचा कही आयुष सच मे उसकी पोल ना खोल दे
इसिलिए वो लपक कर मोबाईल लेके एक तरफ हो गया और थोडा बाबू सोना स्वीटू जानू करके फोन रख दिया ।

इधर announcement चालू हो गया ।
आखिर के समय मे 3D भी भावुक हुआ और पहुच कर भूल ना जाने की याद दिलाई ।

आयुष- साले हमसे बड़के सेंटी तुम हो
3D आयुष से गले लग कर - अबे भाई हो तुम हमारे ,, रोयेंगे नही
फिर आयुष अपना समान लेके निकल जाता है अन्दर और जब तक फ्लाईट उड़ नही जाती तब तक 3D वही लान मे खड़ा रहता है और आखिरी बिदाई देकर भरी आंखो से नवाबगंज के लिए अपनी जीप से निकल जाता है ।

फ्लाइट मे बैठ जाने के बाद आयुष किसी को sms करता है जिसका कॉन्टैक्ट था नेम मिस मेहता । उसको अपनी सारी फ्लाईट डिटेल्स भेज देता है ।

जारी रहेगी
Mast fadu update tha bhai. meera bhoji ke sath bhot hard bhot hard ho gya.
bhai ap story par aae nai logo ki photo kyu nahi dete :banghead2: Gadrai maal Swaati ka body size bhi gol kar gae :Tantrum:
ayush itna bada chutiya hai .do do gadrai mast maal ko chhod koi 0 size wali miss mehta nam ki sharir chhokri ke piche pagal he :sigh1:
 
ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
995
1,082
143
UPDATE 007

अब तक आपने पढा कि कैसे बालिंग कप्तान मीरा शुक्ला , अपने अद्भुत प्रदर्शन और कौशल कला से शुक्ला भवन के एक एक विकेट को उखाड़ दिया है । मगर ऐन मौके कोई ऐसा बल्लेबाज सामने आ गया है कि वो नरभसा गयी है ।
देखते है आने वाले नये बल्लेबाज कौन है और क्या वो सच मे उतने खतरनाक है कि मीरा शुक्ला के छक्के छूट जाये ।
अब आगे

मैच ड्रा की नौबत

फ़िलहाल दो नये बल्लेबाज शुक्ला भवन की पिच पर उतर चुके थे तो आईये इनके कैरिअर पर एक नजर डाल लेते है

1. हेमा मालिनी मिश्रा
अब इनका नाम ऐसा इसिलिए है क्योकि इन देवी के जन्म के भारतीय सिनेमा जगत मे हेमा मालिनी का वर्चस्व जोर पर था और ट्रेंडिंग चीज़ो को महत्व देते हुए इनके पिता ने बड़े लाड इनका नाम हेमा मालिनी मिश्रा रख दिया ।
रिश्ते मे ये मीरा शुक्ला की चाची है और ये ग्वालियर से है ।

अब ध्यान देने योग्य बात ये है कि इस हिसाब से मीरा शुक्ला का मायका भी ग्वालियर हो जाता है और इसिलिए कानपुरी माहौल मे मीरा शुक्ला की ग्वालियर वाली टोन मे संवाद होते रहे है ।

2. स्वाति मिश्रा
कुवारि , चंचल , मोटी और वजनदार सी दिखने वाली ये प्लेयर असल मे हेमा मालिनी मिश्रा की सुपुत्रि है और हर गोरे स्मार्ट लडके पर इनका दिल बहुत ही आसानी से आ जाता है ।

जी हा ये दोनो प्लेयर मीरा शुक्ला के मायके से आये थे और इनके हताश होने का मुख्य कारण ये भी था कि मीरा ने अपने चाची को भी भरोसा दिलाया था कि वो स्वाति के लिए आयुष से बात करेंगी ।
मगर यहा तो सारी विसात और फील्डिंग चारु के लिए सेट की जा रही थी मगर एक नये प्लेयर के मैदान मे उतरने का अन्दाजा बोलिंग कप्तान मीरा शुक्ला को बिल्कुल भी नही था ।



ड्रिंक टाईम

अब शुक्ला भवन मे मेहमान आये और आवभगत ना हो , कैसे चलेगा ।
मीरा ने फटाफट अगुआई कर उनके बैठने का इन्तेजाम किया और किचन मे घुस गयी

मन मे कई व्यथाये थी , कि हेमा चाची कैसे बिना बताये आ गयी ,, आई तो आई लेकिन स्वाति को लाने की क्या जरुरत थी , कही आयुष के लिए तो नही ना

मीरा बडबडाते हुए जल्दी जल्दी प्लेट ग्लास निकाल रही होती है - हे भगवान, का हो रहो इ , जे चाची ने मुह खोल दी ते हमाओ नाम खराब हो जाओगो ससुराल मा

मीरा ट्रे मे सब कुछ सजा कर जाने को तैयार हुई कि उसे एक और डर सताया - जे ग्वालियर मे हमाई अम्मा को पता लग गओ कि हम इहा तीन का तेरह बना रहे ,,,,नाही नाही जे ना होगो ,,

हाल मे मीरा का प्रवेश

हेमा बिस्कुट मुह मे तोडते हुए - छोटकन बाबू आयुष ना दिख रहे जीजी

शान्ति मुस्कुरा कर - हा ऊ एक दोस्त की शादी मे गवा है ,, औ बताओ कइसे आना हुआ बड़े सवेरे

हेमा खुले विचार से - जे हमको तो भाईसाहब ने कल ही सूचना दी थी कि आयुष के शादी चारु के साथ तय हो रही हैगी , जे हम भी आ गये कि मिल मिलाप कर ले


मीरा की आंखे चौडी हुई और समझ गयी कि ये सब मुन्शी जी का ही किया धरा है और उसे समझ आ गया कि बाऊजी इतनी आसानी से कैसे माने थे ।
हाल मे हेमा की बाते सुन कर बाकी सबके चेहरे पर ताज्जुब भरे भाव आये कि ऐसा क्यू किया बाऊजी ने ,,,मगर मेहमान के सामने प्रतिक्रिया कैसे दे।



स्टैटेजिक टाईम आउट का समय समाप्त

ड्रिंक के बाद मुन्शी जी ने कप्तानी संभाली और बोले - अरे आप तो बता रही थी कि आप की भी एक बेटी है शादी लायक

हेमा - हा हा ,,इ है ना स्वाति

स्वाति नमस्ते करती है उनको
मनोहर - तो अशिष इ बिटिया के बारे मे का ख्याल है , तुमहू बोलो दुल्हीन , इ हमारे बबुआ के लिये कैसी रही


मुन्शी जी के बाउनसर से सबकी हवा टाइट हो गयी और सबसे बड़ी बात ये थी कि हर समय चुप रहने वाले मनोहर जी अचानक से ऐसे कैसे खुले होकर बोल रहे है ।

तभी सोनमती , अरे वही चौबेपुर वाली मिश्राईन , अरे भई चारु की अम्मा, मीरा की बुआ और हेमा मालिनी मिश्रा की ननद बोली

सोनमती - अरे भाईसाब सब कुछ तो हमाये साथ फाइनल हो गयो है ना तब काहे इस सब

मनोहर हस कर - अरे मिश्राइन कहा कुछ फाइनल हुओ है अभी ,,जे अभी तो पूरा मैच बाकी है

मनोहर - हा आशिष बोलो , दुल्हीन तुम बोलो कुछ

मीरा की घबडाहट से धड़कने तेज थी और उसे समझ नही आ रहा था क्या करे ,,मन ही मन खुद को कोश रही थी क्यू चौबेपुर की बुआ के सोने की अंगूठी वाले लालच मे आई ,,

मनोहर थोडी तेज आवाज मे - दुल्हीन कुछ कह रहे है हम

मीरा चौकी और हडबड़ा कर - जे हम का बोले बाऊजी , जे शादी तो देवर जी को करनी हैगी ना ,,जे बा ही परसन्द करे तो ठीक रहोगो , का अम्मा सही कह रहे हैं ना
मीरा ने अपने सर पड़ी लाठी को अपनी सास की ओर उछाल दिया ।
शान्ति देवी भी सोनमती को जुबान देके फस चुकी थी तो उन्हे भी मीरा की बात सही लगी - अ ब ब हा हा दुल्हीन ठीक कह रही हो ,, अब ऐसी स्थिति मे बबुआ जो ठीक समझे

आशिष बहुत उलझन मे था ,,उसे अपने गलती का अह्सास था और वो तो सोच रहा था कि अगर आयुष को पता चला कि बिना बताये उसकी शादी की बाते फाइनल हो रही है तो कितना दुख होगा उसे ,,,

सोनमती - जे का कही रही हो मीरा , तुमने तो हमाई चारु के लिए बात करने के लिए कही रही तो अब काहे पलट रही हो

हेमा चौक कर - ना ना सोनमती जीजी ,,,, मीरा ने हमाये स्वाति के लिए बात की रही हैगी , तभी तो हम आये हैं

मीरा को जिसका डर था वो हो गया था,,,दोनो ने बाते उगल ही दी ।

इधर शुक्ला भवन मे ननद भौजाई की झड़प शुरु हो गयी और बाकी प्लेयर माथा पीठ कर देख रहे थे ।
दोनो ने मारे जलन मे एक दुसरे की ऐसी बखिया उधेड़ी की सब तामाशा बन गया था ।

इसी दौरान शुक्ला भवन के सलामी बल्लेबाज आयुष बाबू मैदान मे पहुचे
उनको देख कर सभी चुप हो गये ।
आयुष बडी उलझन से चल रहे माहौल को समझने की कोशिश कर रहा था

आयुष - भैया क्या हुआ ,, काहे की बहस चल रही थी ।

अब तो सबके सब चुप , कोई बोले तो क्या बोले
अशिष जो कि पहले ही अपनी गल्तियो की ग्लानि कर चूका था वो हिम्मत करके आयुश के पास आया

अशिष - बबुआ इहा तुम्हारे शादी की बात चल रही है

आयुष हस कर - अच्छा ,,तो उसमे इतना हल्ला काहे का मचा है ।

फिर आशिष आयुष को लेके बाहर आता है और उसे सारी बाते बताता है कि कैसे मीरा ने अपनी अगुआई मे अपनी बुआ और चाची को शादी के लिये जबान देदी थी और उसी की गलती का नतिजा ये हुआ है आज ।

फिर अशिष ने आयुष से अपनी गलती की माफी भी मागी ।


आयुष - अरे भैया आप बड़े है आप काहे माफी माग रहे हैं,,, और चलिये अन्दर चलते हैं और मामला खतम करते है ।

फिर हाल मे दोनो प्रवेश करते है और आयुष सभी को बैठने को कहता है ।

आयुष - देखिये आप लोग बड़े है और मै समझ सकता हूँ आपको मेरी चिंता है ,, लेकिन मुझे अभी शादी करनी नही है । मै अभी अपनी पहचान बनाना चाहता हू । अपने लिये , अम्मा बाऊजी के लिए कुछ करना चाहता हू फिर कही शादी वादी ।

शान्ति गुस्से मे भन्ना कर मीरा को देखते हुए - हा ठीक है बबुआ लेकिन अब इस लभेड़ का क्या करे जे इ दुल्हीन ने फैलाई है

मीरा की तो घिग्गी बध गयी
आयुष मुस्कुरा कर - अरे अम्मा इसमे हमारी परसन्द जैसा कुछ है ही ,,,चारु को तो हम हमेशा अपनी छोटी बहिन समझे है और रही बात स्वाति की तो वो भी हमारी बहन जैसी ही है । बडी वाली हिहिहिही

स्वाति आयुष की बाते सुन कर बिलखने लग जाती है ।
जिसको देख के शुक्ला भवन के मुन्शी जी हसने लग जाते है ।
जैसा भी था नरम गरम आयुष ने मामला शांत कर दिया था लेकिन मिश्राइन बहुत आग बबुला थी अपनी भौजाई से । वही आशिष मीरा की करतूत पर नाराज थे ।

शान्ति देवी मामला खतम होने पर राहत मह्सूस कर रही थी और इस हाल मे अगर सबसे ज्यादा कोई खुश था तो वो मुन्शी जी थे । भई उनकी योजना काम जो कर गयी थी । गुपचुप रूप से ही सही वो अपने बेटे को बचा लिये थे और उन्हे इस बात का गर्व था ।

इधर इस लभेड़ का एक फायदा ये हुआ कि आयुष बाबू को भी मौका मिल गया कि वो अपने मन की दबी हुई बात घर मे सबके सामने खुलकर बोल पाये , खासकर बाऊजी के सामने ।
अब उन्हे भी कोई शादी का दबाव नही था और वो एक नये सफ़र पर खुलकर पूरी आजादी से जा सकते थे ।


अगले मैच की तैयारी

सुबह की लभेड़ के बाद दोपहर के खाने पीने का प्रोग्राम हुआ और फिर धीरे धीरे गिरे मन से दोनो मिश्रा टीम अपना बैग-कीट पैक कर अपने अपने पवेलियन निकल गये ।

इधर आशिष बाबू तो भले नाराजगी मे मीरा का गुस्सा खाने पर उतारा मगर बाऊजी का लिहाज कर खाना खा कर निकल गये दुकान ।
शान्ति जी भी मीरा पर भन्नाते हुए खाना गटकी किसी तरह ।

अगले दो दिन तक ऐसा ही माहौल चला और फिर आयुष का नये मैच सीरीज पर जाने का यानी जॉब पर जाने का दिन आ गया ।

बड़े सवेरे से मीरा ने शुक्ला स्टेडीयम मे अपने प्लेयिंग टूल से किचन मे अभ्यास शुरु कर दिया था ।
अब दो बजे की फ्लाईट थी और 12:30 तक पहुचना था एयरपोर्ट । उसके लिए भी घर से 11 बजे तक निकलना था ।
गाडी मोटर की कोई चिन्ता थी नही , क्योकि 3D भैया के रहते अपने आयुष बाबू को कोई दिक्कत हो ऐसा हो नही सकता था ।

सवेरे क्या कल रात से आयुष बाबू की पैकिंग चालू थी ।
कल दिन भर मेवेदार पकवानो से शुक्ला भवन का कैनटिन गमका हुआ था ।


सारी तैयारिया पूरी हुई तो एक बडे ट्रैवलर बैग और एक सोल्डर बैग के साथ 10 बजे तक आयुष बाबू तैयार होकर निचे हाल मे उतरे ।

पुरा शुक्ला परिवार ने एक साथ भोजन किया और फिर थोडी देर मे 3D अपनी TWO DOOR WRANGLER JEEP लेके शुक्ला भवन के सामने हाजिर था ।

हार्न की आवाज से शुक्ला भवन के हाल मे चल रहे भावनात्मक बिछोह मे खनक हुई और सबने अपने आसूँ पोछे ।
हालांकि आयुष बाबू के पास उनके भाई साहब का दिया हुआ डेबिट कार्ड था लेकिन फिर भी ममतामयि माता शान्ति देवी ने बडे दुलार मे शगुन का नाम देके आयुष बाबू की हथेली मे 2000 हजार के रोल किये हुए पांच नोट रख कर मुथ्ठी बंद कर दी ।

आयुष मुस्कुरा कर पहले मा के पैर छुए और गले लगते ही शुक्लाइन फफक पडी ।
जैसा भी हो आयुष बाबू भी थे स्वभाव से बहुत ही भावुक तो कुछ हसी भरे ही सही लेकिन आंखे उनकी भी भर आई ।
माता से मेल मिलाप कर बाउजी के पैर स्पर्श के बाद दोनो के बीच काफी चुप्पी रही लेकिन दो दिन पहले की हुई जीत से मनोहर जी मे ना जाने कैसी हिम्मत थी कि उन्होने ने आयुष को गले लगा लिया ।
पिता के प्यार को लालायीत रहने वाले आयुष बाबू को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी और उनकी रही सही भावना , सारे गीले सिकवे इस एक मिलाप मे आसुओ के साथ बह गये ।
इस भावनात्मक माहोल मे आशिष ने आयुष को सम्भाला और सबसे छिप कर मुन्शी जी ने भी अपनी लाल होती आंखो को साफ कर मुस्कुराने लगे ।

तब तक 3D ने 3 होर्न दे दिया था और भन्ना कर हाल मे पहुचे कि सामने आयुष आशिष का भरत मिलाप चल रहा था ।

3D- अबे यार बनबास नही हुआ है तुमको ,,नौकरी पे जा रहे हो बे ,,,

3D की गुदगुदी बातो से सबसे चेहरे पर हसी आई सिवाय शान्ति देवी के ,,, भई मा की ममता मे मजाक होता ही कहा है । वो तो निशछ्ल प्रेम है जो अपने बेटे के चिन्ता मे निकल रही होती है कि उसके बगैर उसके बेटे का क्या होगा ।

सबसे मुखातिब होने के बाद आयुष ने अपनी मीरा भाभी के पाव छुए तो मीरा पीछे हो गयी ।
रुआसी चेहरे पर मुस्कुराहत के भाव लाये मीरा ने एक टिफ़िन का बैग आयूष को लिया और बताया कि इसमे उसके मनपसन्द बेसन की लिट्टी है ।
लेकिन मीरा के इस निस्वार्थ प्रेम मे भी शुक्ला भवन कोच शान्ति शुक्ला ने मुह फुलाये रखा और आशिष जी ने भी बड़ी ओछी नजर से मीरा को निहारा ।
मीरा एक बार फिर से ग्लानि से भर आई और मुह फेर कर आसू पोछ लिये ।

विदाई समारोह समाप्त हुआ और आयुष बाबू का बैग पिछ्ली सीट पर रखा गया और सभी प्लेयर शुक्ला स्टेडीयम के वाहर थे ।

भावनात्मक माहौल मे ममतारुपी मा शान्ति देवी ने आयुष को पुचकारा - पहुच कर फोन कर देना

3D- हा अम्मा तुमको भिडीओ काल कर देंगे ,,,,

3D आयुष को खिच कर - और तुम बैठे बे ,,, तुमाये मायके के चक्कर मे तुमाये ससुराल वाली प्लेन रह जायेगी ।

3D की बातो से एक बार फिर सब खिलखिलाए और इधर 3D ने एक्सेलिरेटर दबाया और घनघनाती हुई जीप को कानपुर - फतेहपुर हाईवे पर ले लिया

रास्ते मे
आयुष बाबू अभी अपने परिवार के भावनात्मक पलो मे खोये चुप थे , खास करके की अपने पिता के प्रेम मे ।
3D को आयूष बाबू की चुप्पी खल रही थी
3D- अबे इसिलिए कहते है तुमको की इतना सम्वेदनशील ना बनो बे ,,,,दर्द बहुत होता है

आयुश मुस्कुरा कर - नही बे वो बात नही है ,,,आज बाऊजी ने हमको गले लगाया तो बहुत खुश है हम

3D- सही है गुरू ,,,तब हमको भी कौनौ जुगाड बताओ बे ,,ताकि हमाये बाऊजी भी हम पर पराउड फील करे

आयूष हस कर - साले तुम मुह से हगना बंद कर दो ,, पोस्टर लगवा देंगे चैयरमैन साहब तुम्हाये नाम का हाहहहहा

ऐसे ही इनदोनो की मस्ती भरी बाते चलती रही और वो दोनो एयरपोर्ट आ गये ।
अभी भी 30 मिंट का समय बाकी था एन्ट्री मे तो वो दोनो एयरपोर्ट के लान मे टहलने लगे ।
3D तो खास कर आंखे फाडे निहार रहा थ इधर उधर ,,, तभी उसकी नजर एक विदेशी महिला पर गयी जो साड़ी पहने हुई थी ।

3D आयुष को उस महिला की ओर दिखा कर - अबे देख बे , का चौकस माल है बे ,,,एक दम बिदेसी मूल की संस्कारी महिला है बे

आयुष जो कि इस समय मोबाईल पर कुछ चेक कर रहा था , वो तुरंत मोबाईल मे स्वीटी का नम्बर डायल कर 3D को मोबाइल दे देता है ।

3D की हिक्डी टाइट हो गयी
3D हडबड़ा कर फोन काट दिया और बोला - अरे हमाये बाप कहो तो गान्धारी बन जाये लेकिन ये सब काण्ड ना किया करो बे ,,फट जाती है

और उधर स्वीटी ने दुबारा फोन कर दिया
आयुष हस कर फोन उठाता है ।
फोन पर
स्वीटी - हा भैया काहे फोन किये थे
आयुश हस कर - वो हम दिल्ली जा रहे है तो एयरपोर्ट आये थे , लेकिन ये 3D को तुमहारी याद आ रही थी ।

स्वीटी शर्माइ और ह्स कर - का भैया ,, जे उनको याद आ रही है तो जे फोन करेंगे ना ,,आप थोडी

3D ने सोचा कही आयुष सच मे उसकी पोल ना खोल दे
इसिलिए वो लपक कर मोबाईल लेके एक तरफ हो गया और थोडा बाबू सोना स्वीटू जानू करके फोन रख दिया ।

इधर announcement चालू हो गया ।
आखिर के समय मे 3D भी भावुक हुआ और पहुच कर भूल ना जाने की याद दिलाई ।

आयुष- साले हमसे बड़के सेंटी तुम हो
3D आयुष से गले लग कर - अबे भाई हो तुम हमारे ,, रोयेंगे नही
फिर आयुष अपना समान लेके निकल जाता है अन्दर और जब तक फ्लाईट उड़ नही जाती तब तक 3D वही लान मे खड़ा रहता है और आखिरी बिदाई देकर भरी आंखो से नवाबगंज के लिए अपनी जीप से निकल जाता है ।

फ्लाइट मे बैठ जाने के बाद आयुष किसी को sms करता है जिसका कॉन्टैक्ट था नेम मिस मेहता । उसको अपनी सारी फ्लाईट डिटेल्स भेज देता है ।

जारी रहेगी
meera ki smartness dhari ke dhari reh gayi. hema malini ake pani fer diya sab par. par asli mastermind to ayush ka bap tha 😂
ayush noida na jake sasural ja raha ho . rona dhona suru. 3D bhai ne mahol ko halka fulka bana diya. airport me kya firki li ayush ne uski. :roflol: sweeti bhabhi se kuch jaada hi darta hai apna 3D bhai. Kahani super ja rahi hai bhai.
 

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