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और फिर सम्राट अपने जलते हुए मुंह को खोलता है और गुरु ब्राम्हनंद के शक्तियों को उनके शरीर से खींचने लगता है और देखते ही देखते गुरु ब्राम्हनंद के शरीर के सारे औरा शक्ति और ऊर्जा शक्ति निकलकर सम्राट के मुंह के अंदर सामने लगती है और इधर गुरु ब्राम्हनंद का शरीर भी जलने लगा था कुछ ही मिनट के अंदर सम्राट गुरु ब्राम्हनंद की सभी शक्तियों को उनके शरीर से खींच लेता है और अपने अंदर समा लेता है और यहाँ तक की सम्राट गुरु ब्राम्हनंद के रूहह आत्मा को भी निगल लेता है
अब सम्राट गुरु ब्राम्हनंद का अष्टित्वा पूरी तरह से खत्म कार चुका था यहाँ तक की सम्राट ने गुरु ब्राम्हनंद के आत्मा तक को निगल लिया था
और फिर सम्राट गुरु ब्राम्हनंद का काम तमाम करने के बाद उनके आधे जल चुके शरीर को उठता है और काला पर्वत के नीचे फेंक देता है और गुरु ब्राम्हनंद का शरीर तेजिसे जाकर काला पर्वत के नीचे धाधम्म्म करके गिरता है
और गुरु ब्राम्हनंद के शरीर को नीचे गिरता देख काला पर्वत के नीचे मौजूद सभी प्राण भक्षी फौरन गुरु ब्राम्हनंद के शरीर के ऊपर कुदड पड़ते हैं और उनके आधे जले हुए शरीर को चिर फाड़ते हुए खाने लगते हैं
शा कभी नहीं होगा ब्राम्हनंद कम से कम इसे बार तो बिलकुल भी नहीं , पिछली बार तुम सबने मिलकर मेरे भाई को मेरे खिलाफ भड़का दिया था हम दोनों भाइयों के बीच में दरार डाल दिया था तुम सबने मिलकर , जिसके वजह से वो मेरे खिलाफ हो गया था वरना मेरा भाई कभी भी मेरे खिलाफ खड़ा नहीं होता , सम्राट का अक्ष गुरु ब्राम्हनंद को कहता है
ये तुम्हारा बहन है सम्राट हम में से किसने भी विराट को तुम्हारे खिलाफ नहीं भड़काया था , तुम्हारी दरिंदगी और तुम्हारी शैतानियत देख के तुम्हारा भाई तुम्हारे खिलाफ हो गया था , वो एक सच्चा योढ़ा था और अचाई का रक्षक था और तुम एक शैतान बन चुके थे मासूम लोगों को मौत के घाट उतरना तुम्हारी आदत बंचुकी थी और तुम्हारी इन्हीं सभी हरक़तों के वजह से वो तुम्हारे खिलाफ हो गया था और अबकी बार भी शा ही होगा , ये कहकर गुरु ब्राम्हनंद चुप होजते हैं
गुरु ब्राम्हनंद के चुप होते ही सम्राट फिरसे कहता है , नहिंन्नणणन् इसे बार शा कुछ भी नहीं होगा , में शा कुछ होने ही नहीं दूँगा में अग्नि को उसकी पिछली जिंदगी के बारे में कभी याद आने ही नहीं दूँगा , इसे बार में शा कुछ भी नहीं होने दूँगा और रही बात तेरी तो ब्राम्हनंद अब तेरा वक्त खत्म होचुका है अब तेरे मरने का वक्त आ गया है बहुत सालों तक जिलिया तूने अब अपने मौत का सामना कार
ये बोलते हुए सम्राट अपने हाथ को ऊपर उठता है और बारे ज़ोर से चिल्लाता है , यहह , ये चीख इतनी खतरनाक थी की इसे चीख की गूँज पूरे खून्नी जंगल में फैल जाती है और पूरा का पूरा जंगल हिल जाता है , खून्नी जंगल की सभी काली शक्तियाँ काले धुआँ के रूप में तेजिसे सम्राट के अंदर सामने लगती हैं
ब्राम्हनंद तैयार होज़ा अपने मौत का सामना करने के लिए , सम्राट गुरु ब्राम्हनंद को कहता है
और फिर सम्राट अपनी हाथ को गुरु ब्राम्हनंद के तरफ करता है और देखते ही देखते सम्राट के अक्ष के हाथ से काली शक्तियाँ ऊर्जा के रूप में निकलती हैं और तेजिसे गुरु ब्राम्हनंद के तरफ बढ़ने लगती हैं और जब गुरु ब्राम्हनंद ये देखते हैं तो फौरन अपने जादुई दंड को उठाते हैं और कहता हैं ” रक्षनाम ” और फिर गुरु ब्राम्हनंद के द्वारा इसे मंत्र के कहे जाने के बाद अचानक उनके जादुई दंड से एक तेज सफेद रोशनी निकलती है और तेजिसे एक बड़ा सा गोल आकर ले लेती है और गुरु ब्राम्हनंद को चारों तरफ से घेर्लेटी है एक सुरक्षा कवच की तरह , सम्राट के अक्ष के हाथ से निकली हुई काली ऊर्जा शक्तियाँ सीधे आकर गुरु ब्राम्हनंद के उस कवच से लगती हैं
जब सम्राट का छोड़दा गया काली ऊर्जा गुरु ब्राम्हनंद के उस कवच से टकराती है तो एक बहुत बड़ा तेज विस्पोट होता है , बूंमम्ममममम , और इसे विस्पोट से पूरा का पूरा काला पर्वत हिल जाता है और चारों तरफ काला ही काला धुआँ फैल जाता है , जब कुछ देर बाद वहाँ से काला धुआँ धीरे धीरे हटने लगता है तब पता चलता है की सम्राट का बार खाली गया है
अपने वार को नाकाम होता हुआ देख सम्राट बौखला जाता है और दुबारा से गुरु ब्राम्हनंद के ऊपर अपनी काली ऊर्जा शक्तियों से हमला करने लगता है एक के बाद के , एक से बढ़कर एक हमला करने लगता है सम्राट गुरु ब्राम्हनंद के ऊपर लेकिन गुरु ब्राम्हनंद का वो जादुई कवच उन्हें सम्राट के हर एक वार से बचलेटा है
जब सम्राट की काली ऊर्जा शक्तियाँ गुरु ब्राम्हनंद के उस जादुई कवच से टकराते हैं तो बहुत बारे बारे धमाके और विस्पोट होते हैं लेकिन सारे नाकाम रहते हैं उस कवच को तोड़ने में और ये सब देख सम्राट अपनी आँखों को बंद करता है और देखते ही देखते सभी काली शक्तियाँ जो सम्राट के अंदर काले धुआँ के रूप में थे वो सब बाहर निकलते हैं और सम्राट को चारों तरफ से घर लेते हैं वो सभी काली शक्तियाँ सम्राट को इसे तरह घेरते हैं की सम्राट को कोई भी देख नहीं पता है
और फिर अचानक ही उन्न काला धुआँ में से कुछ रोशनी निकालने लगती है और फिर वो सारे काला धुआँ धीरे धीरे सम्राट के चारों तरफ से हटने लगते हैं और पीछे जाने लगते हैं , और जब वो सभी काला धुआँ सामने से हॅट जाते हैं तो सम्राट का नया रूप सामने आता है
सम्राट इसे वक्त एक अलग ही रूप में था उसका अक्ष ईश्वक़्त जल रहा था सम्राट का पूरा अक्ष ईश्वक़्त जल रहा था सम्राट ईश्वक़्त एक आग के दानव के रूप में था और उन्न सभी काली शक्तियाँ जो काला धुआँ के रूप में थे उनके आगे खड़ा था
सम्राट को इसे आग के दानव के रूप में देख गुरु ब्राम्हनंद के पसीने निकालने लगते हैं , और सम्राट अपने नये रूप में आ ही अपने दोनों हाथों को ऊपर उठता है इसे से सम्राट के हाथों से आग निकालने लगते हैं और हवाओं और असमान में तेजिसे फैलने लगते हैं और फिर सम्राट अपने दोनों हाथ को आश्मन के तरफ करके धीरे धीरे घूमने लगता है और फिर सम्राट के शा करते ही असमान और हवाओं में फैला हुआ आग भी चारों तरफ चाकरी के तरह घूमने लगता है और फिर वो आग और भी तेजिसे चाकरी के तरह घूमने लगती है
और फिर सम्राट अपने जलते हुए सर को पीछे घूमता है और अपने पीछे मौजूद उन्न काली शक्तियों को हुकुम देता है के जाकर उन्न आग के साथ मिलज़ाओ और फिर देखते ही देखते वो काली शक्तियाँ सीधे जाकर उन्न आग के साथ मिल जाती है इसे से वहाँ का बताबरन और भी खतरनाक हो जाता है
अब सम्राट अपने काली शाकत्ों को अपने खतरनाक आग के साथ मिला चुका था और फिर सम्राट गुरु ब्राम्हनंद के तरफ देखता है , गुरु ब्राम्हनंद की हालत ईश्वक़्त बहुत खराब होचुकी थी ये सब नज़ारा देख उनके मुंह से एक ही शब्द निकलती है ” है मेरे मलिक मेरी रक्षा कर इसे शैतान से ”
सम्राट अपने दोनों हाथों का रुख गुरु ब्राम्हनंद के तरफ करदेता है और देखते ही देखते सम्राट की आग और काली ऊर्जा से मिली जुली शक्तियाँ तेजिसे गुरु ब्राम्हनंद के तरफ उड़ जाती है और देखते ही देखते वो सभी जा टकराती हैं गुरु ब्राम्हनंद के उस जादुई कवच से और उस कवच से टकराते ही एक तेज धमाका होता है दिल दहला देने वाला , और इसे धमाके से गुरु ब्राम्हनंद का कवच बच नहीं पता और उसके चिथड़े उड़ जाते हैं और इसे धमाके से गुरु ब्राम्हनंद तेजिसे उड़ते हुए जाते हैं और जाकर सीधे एक चट्टान से टक्रजते हैं
गुरु ब्राम्हनंद फौरन उठ खड़े होते हैं और अपने हाथ में जादुई दंड को लेकर सम्राट के तरफ बढ़ने लगते हैं और सम्राट भी अब अपने नये रूप के साथ अपने पीछे उन्न सभी काली शक्तियों को लेकर गुरु ब्राम्हनंद के तरफ बढ़ने लगता है , सम्राट धीरे धीरे जितना कदम आगे बढ़ता सम्राट का आकर उतना ही बड़ा होता जा रही था उसका अक्ष और भी ज्यादा जल उठ रहा था चारों तरफ ईश्वक़्त आग ही आग फैल चुका था काला पर्वत के ऊपर
गुरु ब्राम्हनंद अपने हाथ में जादुई दंड पकड़े हुए थे और उस जादुई दंड का रुख वो सम्राट के तरफ करने लगते हैं और कुछ मंत्र बोलने को होते ही हैं की अचानक कुछ शा होता है जिस से गुरु ब्राम्हनंद की रही सही हिम्मत भी टूट जाती है
सम्राट जीतने जीतने कदम आगे बढ़ता चारों तरफ आग उठने ही तेजिसे फैलता जाता , गुरु ब्राम्हनंद अपने जादुई दंड का रुख सम्राट के तरफ करके कुछ मंत्र पढ़ने को हुए ही थे की अचानक सम्राट के नज़दीक आने के वजह से उनका जादुई दंड जल्के रख हो जाता है और उस जादुई दंड का रख हवा में उड़ जाता है और अपने जादुई दंड को रख होता हुआ देख गुरु ब्राम्हनंद का सारा हिम्मत टूट जाता है
अब सम्राट गुरु ब्राम्हनंद का अष्टित्वा पूरी तरह से खत्म कार चुका था यहाँ तक की सम्राट ने गुरु ब्राम्हनंद के आत्मा तक को निगल लिया था
और फिर सम्राट गुरु ब्राम्हनंद का काम तमाम करने के बाद उनके आधे जल चुके शरीर को उठता है और काला पर्वत के नीचे फेंक देता है और गुरु ब्राम्हनंद का शरीर तेजिसे जाकर काला पर्वत के नीचे धाधम्म्म करके गिरता है
और गुरु ब्राम्हनंद के शरीर को नीचे गिरता देख काला पर्वत के नीचे मौजूद सभी प्राण भक्षी फौरन गुरु ब्राम्हनंद के शरीर के ऊपर कुदड पड़ते हैं और उनके आधे जले हुए शरीर को चिर फाड़ते हुए खाने लगते हैं
शा कभी नहीं होगा ब्राम्हनंद कम से कम इसे बार तो बिलकुल भी नहीं , पिछली बार तुम सबने मिलकर मेरे भाई को मेरे खिलाफ भड़का दिया था हम दोनों भाइयों के बीच में दरार डाल दिया था तुम सबने मिलकर , जिसके वजह से वो मेरे खिलाफ हो गया था वरना मेरा भाई कभी भी मेरे खिलाफ खड़ा नहीं होता , सम्राट का अक्ष गुरु ब्राम्हनंद को कहता है
ये तुम्हारा बहन है सम्राट हम में से किसने भी विराट को तुम्हारे खिलाफ नहीं भड़काया था , तुम्हारी दरिंदगी और तुम्हारी शैतानियत देख के तुम्हारा भाई तुम्हारे खिलाफ हो गया था , वो एक सच्चा योढ़ा था और अचाई का रक्षक था और तुम एक शैतान बन चुके थे मासूम लोगों को मौत के घाट उतरना तुम्हारी आदत बंचुकी थी और तुम्हारी इन्हीं सभी हरक़तों के वजह से वो तुम्हारे खिलाफ हो गया था और अबकी बार भी शा ही होगा , ये कहकर गुरु ब्राम्हनंद चुप होजते हैं
गुरु ब्राम्हनंद के चुप होते ही सम्राट फिरसे कहता है , नहिंन्नणणन् इसे बार शा कुछ भी नहीं होगा , में शा कुछ होने ही नहीं दूँगा में अग्नि को उसकी पिछली जिंदगी के बारे में कभी याद आने ही नहीं दूँगा , इसे बार में शा कुछ भी नहीं होने दूँगा और रही बात तेरी तो ब्राम्हनंद अब तेरा वक्त खत्म होचुका है अब तेरे मरने का वक्त आ गया है बहुत सालों तक जिलिया तूने अब अपने मौत का सामना कार
ये बोलते हुए सम्राट अपने हाथ को ऊपर उठता है और बारे ज़ोर से चिल्लाता है , यहह , ये चीख इतनी खतरनाक थी की इसे चीख की गूँज पूरे खून्नी जंगल में फैल जाती है और पूरा का पूरा जंगल हिल जाता है , खून्नी जंगल की सभी काली शक्तियाँ काले धुआँ के रूप में तेजिसे सम्राट के अंदर सामने लगती हैं
ब्राम्हनंद तैयार होज़ा अपने मौत का सामना करने के लिए , सम्राट गुरु ब्राम्हनंद को कहता है
और फिर सम्राट अपनी हाथ को गुरु ब्राम्हनंद के तरफ करता है और देखते ही देखते सम्राट के अक्ष के हाथ से काली शक्तियाँ ऊर्जा के रूप में निकलती हैं और तेजिसे गुरु ब्राम्हनंद के तरफ बढ़ने लगती हैं और जब गुरु ब्राम्हनंद ये देखते हैं तो फौरन अपने जादुई दंड को उठाते हैं और कहता हैं ” रक्षनाम ” और फिर गुरु ब्राम्हनंद के द्वारा इसे मंत्र के कहे जाने के बाद अचानक उनके जादुई दंड से एक तेज सफेद रोशनी निकलती है और तेजिसे एक बड़ा सा गोल आकर ले लेती है और गुरु ब्राम्हनंद को चारों तरफ से घेर्लेटी है एक सुरक्षा कवच की तरह , सम्राट के अक्ष के हाथ से निकली हुई काली ऊर्जा शक्तियाँ सीधे आकर गुरु ब्राम्हनंद के उस कवच से लगती हैं
जब सम्राट का छोड़दा गया काली ऊर्जा गुरु ब्राम्हनंद के उस कवच से टकराती है तो एक बहुत बड़ा तेज विस्पोट होता है , बूंमम्ममममम , और इसे विस्पोट से पूरा का पूरा काला पर्वत हिल जाता है और चारों तरफ काला ही काला धुआँ फैल जाता है , जब कुछ देर बाद वहाँ से काला धुआँ धीरे धीरे हटने लगता है तब पता चलता है की सम्राट का बार खाली गया है
अपने वार को नाकाम होता हुआ देख सम्राट बौखला जाता है और दुबारा से गुरु ब्राम्हनंद के ऊपर अपनी काली ऊर्जा शक्तियों से हमला करने लगता है एक के बाद के , एक से बढ़कर एक हमला करने लगता है सम्राट गुरु ब्राम्हनंद के ऊपर लेकिन गुरु ब्राम्हनंद का वो जादुई कवच उन्हें सम्राट के हर एक वार से बचलेटा है
जब सम्राट की काली ऊर्जा शक्तियाँ गुरु ब्राम्हनंद के उस जादुई कवच से टकराते हैं तो बहुत बारे बारे धमाके और विस्पोट होते हैं लेकिन सारे नाकाम रहते हैं उस कवच को तोड़ने में और ये सब देख सम्राट अपनी आँखों को बंद करता है और देखते ही देखते सभी काली शक्तियाँ जो सम्राट के अंदर काले धुआँ के रूप में थे वो सब बाहर निकलते हैं और सम्राट को चारों तरफ से घर लेते हैं वो सभी काली शक्तियाँ सम्राट को इसे तरह घेरते हैं की सम्राट को कोई भी देख नहीं पता है
और फिर अचानक ही उन्न काला धुआँ में से कुछ रोशनी निकालने लगती है और फिर वो सारे काला धुआँ धीरे धीरे सम्राट के चारों तरफ से हटने लगते हैं और पीछे जाने लगते हैं , और जब वो सभी काला धुआँ सामने से हॅट जाते हैं तो सम्राट का नया रूप सामने आता है
सम्राट इसे वक्त एक अलग ही रूप में था उसका अक्ष ईश्वक़्त जल रहा था सम्राट का पूरा अक्ष ईश्वक़्त जल रहा था सम्राट ईश्वक़्त एक आग के दानव के रूप में था और उन्न सभी काली शक्तियाँ जो काला धुआँ के रूप में थे उनके आगे खड़ा था
सम्राट को इसे आग के दानव के रूप में देख गुरु ब्राम्हनंद के पसीने निकालने लगते हैं , और सम्राट अपने नये रूप में आ ही अपने दोनों हाथों को ऊपर उठता है इसे से सम्राट के हाथों से आग निकालने लगते हैं और हवाओं और असमान में तेजिसे फैलने लगते हैं और फिर सम्राट अपने दोनों हाथ को आश्मन के तरफ करके धीरे धीरे घूमने लगता है और फिर सम्राट के शा करते ही असमान और हवाओं में फैला हुआ आग भी चारों तरफ चाकरी के तरह घूमने लगता है और फिर वो आग और भी तेजिसे चाकरी के तरह घूमने लगती है
और फिर सम्राट अपने जलते हुए सर को पीछे घूमता है और अपने पीछे मौजूद उन्न काली शक्तियों को हुकुम देता है के जाकर उन्न आग के साथ मिलज़ाओ और फिर देखते ही देखते वो काली शक्तियाँ सीधे जाकर उन्न आग के साथ मिल जाती है इसे से वहाँ का बताबरन और भी खतरनाक हो जाता है
अब सम्राट अपने काली शाकत्ों को अपने खतरनाक आग के साथ मिला चुका था और फिर सम्राट गुरु ब्राम्हनंद के तरफ देखता है , गुरु ब्राम्हनंद की हालत ईश्वक़्त बहुत खराब होचुकी थी ये सब नज़ारा देख उनके मुंह से एक ही शब्द निकलती है ” है मेरे मलिक मेरी रक्षा कर इसे शैतान से ”
सम्राट अपने दोनों हाथों का रुख गुरु ब्राम्हनंद के तरफ करदेता है और देखते ही देखते सम्राट की आग और काली ऊर्जा से मिली जुली शक्तियाँ तेजिसे गुरु ब्राम्हनंद के तरफ उड़ जाती है और देखते ही देखते वो सभी जा टकराती हैं गुरु ब्राम्हनंद के उस जादुई कवच से और उस कवच से टकराते ही एक तेज धमाका होता है दिल दहला देने वाला , और इसे धमाके से गुरु ब्राम्हनंद का कवच बच नहीं पता और उसके चिथड़े उड़ जाते हैं और इसे धमाके से गुरु ब्राम्हनंद तेजिसे उड़ते हुए जाते हैं और जाकर सीधे एक चट्टान से टक्रजते हैं
गुरु ब्राम्हनंद फौरन उठ खड़े होते हैं और अपने हाथ में जादुई दंड को लेकर सम्राट के तरफ बढ़ने लगते हैं और सम्राट भी अब अपने नये रूप के साथ अपने पीछे उन्न सभी काली शक्तियों को लेकर गुरु ब्राम्हनंद के तरफ बढ़ने लगता है , सम्राट धीरे धीरे जितना कदम आगे बढ़ता सम्राट का आकर उतना ही बड़ा होता जा रही था उसका अक्ष और भी ज्यादा जल उठ रहा था चारों तरफ ईश्वक़्त आग ही आग फैल चुका था काला पर्वत के ऊपर
गुरु ब्राम्हनंद अपने हाथ में जादुई दंड पकड़े हुए थे और उस जादुई दंड का रुख वो सम्राट के तरफ करने लगते हैं और कुछ मंत्र बोलने को होते ही हैं की अचानक कुछ शा होता है जिस से गुरु ब्राम्हनंद की रही सही हिम्मत भी टूट जाती है
सम्राट जीतने जीतने कदम आगे बढ़ता चारों तरफ आग उठने ही तेजिसे फैलता जाता , गुरु ब्राम्हनंद अपने जादुई दंड का रुख सम्राट के तरफ करके कुछ मंत्र पढ़ने को हुए ही थे की अचानक सम्राट के नज़दीक आने के वजह से उनका जादुई दंड जल्के रख हो जाता है और उस जादुई दंड का रख हवा में उड़ जाता है और अपने जादुई दंड को रख होता हुआ देख गुरु ब्राम्हनंद का सारा हिम्मत टूट जाता है