Incest मम्मी मेरी जान

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मम्मी मेरी जान
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दोस्तो मैं आपका अपना सतीश एक और नई कहानी शरू कर रहा हु यह एक इनसेस्ट कहानी है एक ऐसे बेटे की जो अपनी बेहद हसीन माँ और खूबसूरत बहन का दीवाना है पर अब उसकी बहन शादी करके चली गई है मैं भी क्या आपको बोर करने लगा मैं अपनी बकवाणी बंद करता हु और कहानी शुरू करता हु जो आपको जरूर पसंद आयेगी ……सतीश
:congrats: FOR NEW STORY
 
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सतीश" 19 साल का हैंडसम स्मार्ट और मस्क्युलर लड़का है. उसका लंड नौ इंच का है. जवानी का जोश उसके ऊपर हर वक़्त सवार रहता है. ये उन दिनों की बात है... जब छुट्टी चल रही थी और सतीश अपनी बेहद सेक्सी और हसीन मा"सानिया" के साथ घर पे अपनी छुट्टियाँ गुज़ार रहा है.
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"सानिया" अपने पति विशाल की मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में एक एग्जीक्यूटिव है. ३७ साल की उम्र में भी उसका जिस्म एक २० साल की कुंवारी लड़की की तरहा बेहद सेक्सी और वेल शेप्ड है. वो ज़्यादा तर बॉडीफिट वाइट ब्लाउज और शार्ट स्कर्ट और छोटी सी नायलॉन की पेन्टी और पेन्टी होस पहनती है जिस में उसके बेहद हसीं सेक्सी और गड्ढेदार गोल गोल चुत्तड़ बड़ी मुश्किल से समाते हैं उसकी पावरोटी जैसी फुली हुई चिकनी चुत भी पूरी तरहा से उसमे नहीं समां पाती उसकी रसीली चुत का सेक्सी शेप साफ़ नज़र आता है.
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सानिया बेहद खूबसूरत और सेक्सी है. गोरा रंग, काली ज़ुल्फे, बेहद खूबसूरत गुलाबी ठोस चुची... चिकना सपाट पेट.. पतली कमर... २ बड़े बड़े उभरे हुए बेहद हसीन चुतड़... सेक्सी रसीली चुत.. मदमस्त फ़िगर... "३६D-३०-३८"
जो देखे उसका लंड खड़ा हो जाए... सानिया का सबसे बड़ा दीवाना कोई और नहीं उसका अपना बेटा सतीश है.
सतीश के दिमाग में हमेशा एक ही बात घूमति रहती है की... माँ को चोदने में कितना मज़ा आयेगा... माँ के हसीन पैरों को अपने कंधे पे रख के अपना नौ इंच का लंड उनकी रसीली चुत में डालने में कितना मज़ा आयेगा...
मा की चुत को अपने वीर्य से भर के उन्हें माँ बनाने में बड़ा मज़ा आयेगा...
सानिया ये जानती है की उसका बेटा उसे चोदना चाहता है...
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ये बाद उस से छुपी नहीं है... उसका बेटा हर वक़्त उसे भूखी नज़रों से देखता है... वो इस बात से बेहद खुश है की ३७ साल की उम्र में भी कोई है जो उसका दीवाना है... ये सोचते ही उसकी चुत वीर्य छोड़ने लगती है.. लेकिन ये और कोई नहीं बल्कि उसका अपना बेटा है.. भले ही वो कितना भी हैंडसम और स्मार्ट है लेकिन है तो उसका अपना सगा बेटा. माँ और बेटे को एक दूसरे के लिए ऐसी सोच रखना गलत है. ये क़ानून और समाज के खिलाफ है. वो ये सोचती है की इस उम्र में हर लड़के के साथ ऐसा ही होता है और वक़्त के साथ साथ उसकी और उसके बेटे की सोच बदल जाएगी..

एक वक़्त था जब सतीश अपनी बेहद हसीन और सेक्सी बहन मोना का दीवाना था मगर मोना की शादी के बाद सतीश अपनी माँ के सेक्सी जिस्म की तरफ आकर्षित हो गया...
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सतीश सुबह सो के उठता है और फ्रेश होने के बाद सिर्फ हाफ पैंट पहने घर के बाहर गार्डन में चला जाता है... गार्डन में सानिया रोज़ की तरहा एक छोटी सी नाईट गाउन पहने नंगे पैर घास पे टहल रही है...
ओ वहीँ खड़े खड़े माँ की सेक्सी नंगी मटकती गांड को घुरने लगा.

सानिया ने जैसे ही अपने बेटे को अपने जिस्म को घुरते देखा उसके जिस्म में एक सनसनी दौड़ गयी. उसने प्यारी आवाज़ में अपने बेटे से कहा.
सानिया : "गुड मोर्निंग, बेटा."
सतीश : "मोर्निंग, मा."
ओ आगे बढा और अपनी माँ के पास जाकर उसने अपनी माँ को पीछे से गले लगा लिया.
सतीश : आई लव यु मा...
सानिया ने पलट के अपने बेटे को स्माइल दी और कहा "आई लव यु टू मेरे लाल".
ओ अपने बेटे के कड़क लंड को अपनी गांड के बीच में चुभते हुए मेहसुस कर रही है. उसे ये एहसास हो गया है की उसके बेटे का लंड उसके पति के लंड से काफी बड़ा है.
सानिया : कल रात कैसी गुज़री...? तुम ठीक से सोये की नही...?
सतीश : हाँ मा... मैं ठीक से सोया... क्या डैड कोलकता चले गये...?
सानिया : हाँ अभी कुछ देर पहले ही गए है...
NICE START
 
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सानिया ये जानती है की उसका बेटा ये क्यों पूछ रहा है...? उसके पति के सामने उसके साथ उसके बेटे का बर्ताव कुछ और होता है... और उसके पति के जाते ही उसके बेटे का बर्ताव बदल जाता है... उसका बेटा उसके साथ काफी चिपकने लगता है...
सानिया बुरा नहीं मानति. वो ये जानती है की उसका जवान बेटा इस वक़्त उम्र के बेहद कामुक दौर से गुज़ार रहा है और वो अपनी माँ की मर्ज़ी के बगैर कुछ नहीं करेगा... और.
सतीश अपनी माँ को अपनी बाँहों में कस लेता है. उसका खड़ा लंड उसकी माँ की सेक्सी गांड में घूसने लगता है.
ओ अपना हाथ माँ के पेट् से ऊपर की तरफ सरकाने लगता है जब तक उसके हाथ अपनी माँ के स्तन के नीचले हिस्से तक नहीं पहुँच जाते.
सतीश : ओह्ह मा... "आई लव यु."
सानिया अपना हाथ पीछे ले जा के अपने बेटे के बालों में प्यार से घुमाने लगती है और अपनी गर्दन घुमा के अपने बेटे को देखति है.
सानिया : मुझे पता है मेरे लाल, में भी तुम्हे बहुत प्यार करती हु. तुम्हारी सोच से भी कहीं ज़्यादा.
सतीश : नहीं मा... तुम समझि नही... में.. मैं तुमसे बेहद प्यार करता हु. "आई लव यू मां"
सानिया अपने बेटे की तरफ घूम जाती है और अपने बेटे के हांथों पे अपनी ऊँगली रख देती है.
सानिया : "शश!!! मुझे पता है की तुम मुझे कितना चाहते हो. तुम्हे मुझे ये बात समझाने की कोई ज़रूरत नहीं है.
मुझे पता है की तुम्हारे दिल में इस वक़्त क्या चल रहा है...
सतीश : क्या सच मे...?
सानिया : हा... और ये पर्फेक्ट्ली नेचुरल है... तुम्हारी उम्र के लड़के अपनी माँ को इसी तरहा से चाहते हैं और देखते है. मुझे बताओ की तुम कैसा मेहसुस कर रहे हो...?
सतीश : मेरे ख...या...ल से... जलन.....
सोनिअ : जलन....!!! किस से...?
सतीश : द... द... डैड से...
सोनिअ : तुम्हे अपने डैड से जलन हो रही है... क्यूँ की में उनकी हूं....?
सतीश : हा... और श्... शायद... मैं ये जानता हूँ की वो तुम्हे वो सुख वो प्यार नहीं दे सकते जिसकी तुम हक़दार हो.... मुझे पता तुम्हे उस चीज़ (सेक्स) की कितनी चाहत है... उसके बिना तुम अधुरी हो... और....
सानिया : और....?
सतीश : और न जाने तुम कितने साल से तड़प रही हो उस के लिये... मुझसे तुम्हारी ये तड़प नहीं देखि जाती... तुम्हे इस अधुरी हालत में देख के मेरा दिल रो पडता है... मुझे बड़ी तकलीफ होती है तुम्हारे इस अधुरेपन को देख के... है काश डैड की जगह में होता...
सानिया : तुम होते तो.....?
सतीश : अगर डैड की जगह में होता तो में तुम्हे वो हर सुख देता जिसके लिए तुम न जाने कब से तड़प रही हो... मैं तुम्हारे अधुरेपन को पूरा कर देता... और तुम्हे इतना प्यार करता इतना प्यार करता की अगले ७ जनम के लिए काफी होता...
सतीश की बाते सुन के सानिया की आँखें नम हो गयी और उसने सतीश को अपने सीने से लगा लिया... माँ की आँखों में आँसु देख के सतीश ने कहा...
सतीश : "आई' एम सोर्री, मा... मुझे पता है की मेरा ऐसा सोचना बेवकूफ़ी है..." मगर में तुम्हे यूँ तड़पते हुए भी तो नहीं देख सकता...
सानिया : "नही मेरे लाल... ये बेवकूफ़ी नहीं है, स्वीटी. तुम्हारी फीलिंग्स एक दम रियल है... जब कोई किसी से इतना प्यार करता है... की उसकी हर तकलीफ आपको अपनी लगती है... आप उसके हर दर्द पे तड़प उठ ते हो... वही हाल इस वक़्त तुम्हारा है... तुम मुझसे इतना प्यार करते हो की मेरे बिना कुछ कहे भी तुम्हे ये पता चल गया की में किस तकलीफ में हु...
सतीश : तो माँ जो मैंने अभी कहा क्या वो सच है...?
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सानिया : हा... ये सच है की में और तुम्हारे डैड १४ साल से साथ रह के भी एक दूसरे के साथ नहीं है...
सतीश : "१४ साल" से...? क्या कहा १४ साल से तुम तड़प रही हो...?
सानिया : हा... और में कर ही क्या सकती हु... जब मेरी किस्मत में तडपना ही लिखा है तो में क्या कर सकती हु... और वैसे भी किस्मत के लिखे को कौन बदल सका है...
अपणी माँ की बात सुन के सतीश की आँखें चमक उठि.
सतीश : अगर ऐसी बात है तो... तुम्.... तुम मुझे क्यों नहीं ट्राय करने देती...? मुझे पता है.... नहीं मुझे यकीन है की में तुम्हारे अधुरेपन को दूर कर लुंगा... सही में में तुम्हे शीकायत का कोई मौका नहीं दूँगा... मैं तुम्हे वो हर सुख दूंगा जिसके लिए तुम १४ साल से तड़प रही हो...
अपने बेटे की बात सुन के सानिया हंसने लगी. वो दोनों एक दूसरे के बहुत पास एक दूसरे के चेहरे के सामने खड़े है. सानिया के हाथ अपने बेटे के कंधे पे है...
सानिया : "होल्ड इट, मिस्टर. तुम्हे ये पता है की में और तुम वो नहीं कर सकते... जो तुम कह रहे हो और जो तुम चाह रहे हो वो नहीं हो सकता...
सतीश : क्यों मा...? हम वो क्यों नहीं कर सकते...? और डैड को ये कभी पता नहीं चलेगा... तुम्हे उन से इस बारे में कुछ कहने की ज़रुरत ही क्या है... ये हमारा सीक्रेट रहेगा...
अपने बेटे की बात सुन के सानिया ज़ोर ज़ोर से हंसने लागी....
सानिया : "सतीश, तुम्हे पता भी है की तुम मुझसे क्या करने को कह रहे हो...?
सतीश : "मा में जो कह रहा हूँ उस बात में पॉइंट है... क्यों नहीं है क्या...? मेरी बात सही है... तुम डैड को धोका दिए बिना... फिर से वो सुख पा सकती हो...
सानिया : सतीश... लेकिन इस तरहा भी तो में आपने पति को धोका ही दे रही हू...
सतीश : "हा.... लेकिन फिर भी अगर कुछ गलत करने से आपको सुख मिलता है तो उस में बुराई क्या है... जो सुख तुम्हे डैड नहीं दे सकते वो सुख तुम्हे में दे सकता हु...मैं, मैं प्रॉमिस करता हूँ की हमारे बारे
मे किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा....
प्लीज माँ प्लीज.....
सानिया : "स्वीटी, तुम जो कह रहे हो हम वो नहीं कर सकते..."
सतीश : "क्यूं? माँ हम वो क्यों नहीं कर सकते...? तुम्हे जो सुख चाहिए वो तुम्हे में दे रहा हूँ फिर क्यों नहि...?
सानिया : "सतीश, ये बात मेरे सुख पाने की नहीं है ये बात है मेरी तुम्हारे साथ... अपने बेटे के साथ सेक्स करने की है..
सानिया : अपनी शादी के इन 20 सालों में एक बार भी मैंने उन्हें धोका नहीं दिया है... और अब भी में उनको धोखा दे के उनका विश्वाश नहीं तोडना चाहती...
अपनी माँ की बात सुन के सतीश अपना सर झुका लेता है... लेकिन फिर एक पल के बाद वो अपनी माँ को देखता है..
सतीश समझ जाता है कि थोड़ी ट्राय की तो माँ को चोदा जा सकता है उसके लिए माँ को बहोत सिड्यूस करना होगा ताकि वह खुद चोदने को तैयार हो जाये यही एक रास्ता है बहोत सालो से माँ चुदी नही है उसे सिर्फ सिड्यूस करना है बाकी अपने आप हो जायेगा.
आज जिस तरह दोनो माँ बेटे के बिच खुला पन है कुछ समय पहले नही था इसकी शुरुवात सतीश ने की थी
सतीश पिछले साल में खूब बदल गया था, मगर लम्बाई में नहीं बल्कि सतीश का जिस्म खूब भर गया था. उसकी छाती, कन्धे, जांघे अब वयस्क मर्द की तरह चौड़ी हो गयी थी मगर वह अब भी अपने डैड जैसा लंबा, चौढा मर्द नहीं बन सका था इसीलिए तब उसे जबरदस्त झटका लगा था जब सतिशने देखा था के उनके इतने लम्बे-चौड़े शरीर के बावजूद उनका लंड कितना छोटा सा था. एक बार डैड और उनके दोस्तोँ ने एक पार्टी रखी थी जहा डैड उसे भी साथ लेकर गए थे. डैड उस समय बाथरूम में खड़े पेशाब कर रहे थे जब वह बाथरूम में गया था. वो पेशाब करने के बाद अपना लंड हिलाकर उसे झाढ़ रहे थे और सतीश उनके अगले यूरीनल पर खड़ा हो गया क्योंके बाकि सब पहले से बिजी थे.
जब सतिशने कनखियों से देखा तो वो पेशाब कर अपना लंड हिला रहे थे. सतिशने बचपन के बाद आज पहली बार उनका लंड देखा था. बचपन में सतिशने तब उनका लंड देखा था जब उन्होनो उसे अपना लंड दिखाते हुए समझाया था के कुदरति तौर पर मर्द पेशाब कैसे करते है. उस समय उसे उनका लंड बहुत बढा लगा था. डैड के लंड को देखने पर लगा वो झटका उसके गर्व के एहसास में बदलता जा रहा था और फिर वो गर्व का एहसास अभिमान में बदलने लगा. सतीश अपने लंड को बाहर निकालने वाला था मगर फिर वह डैड को शर्मिंदा नहीं करना चाहता था इस्लिये वापस जिपर बंद करने लगा.
विशाल:-"शरमाओ मत्त"
डैड हंस पढ़े थे.
विशाल:- "मुझे पूरा यकीन हैं तुम्हे इस मामले में शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है" वो सिंक की और मूडते हुये मेरी पीठ थपथपा कर बोले. सतीश अब भी अपनी जिपर से उलझा हुआ था जब वो हाथ सुखाने के बाद हँसते हुए बाहर चले गये. अगर वह उसे भूल जाता तो शायद बात वहीँ ख़तम हो जाती और सबकुच ठीक ठाक हो जाता. मगर वह चाहकार भी उसे भुला न पाया. डैड की हँसी जैसे उसके दिमाग में घर कर गयी थी और बार बार उसे उसके कानो में वो अपमानजनक हँसी गूँजती सुनायी देती. डैड की वो अपमानजनक हँसी बार बार उसके दिल में किसी शूल की तरह चुभती थी. 'मुझे उस समय उन्हें अपना लंड दीखाना चाहिए था' वह सोचता. 'उसके लंड पर नज़र पढते ही उनका मुंह बंद हो जाता. उन्हें मालूम चल जाता के असली मर्द का लंड कैसा होता है, कम से कम उनके मुकाबले में. अगर उनका लंड ऊँगली के समान था तो सतीश का कलायी के समान'

दोस्तो कहानी के बारे में अपनी राय जरूर दे

कहानी जारी रहेगी
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उन्होनो उसकी मम्मी जैसी सुन्दर, निहायत खूबसूरत और बेहद सेक्सी औरत को उस बच्चे जैसे छोटे से लंड के बावजूद किस तरह अपने पास सम्भाला हुआ था, पूरी तरह उसकी समज से बाहर था. और इस तरह इस सब की शुरुवात हुयी.पहले वह अपनी बहन मोना का दीवाना था पर अब वह अपनी मम्मी का भी दीवाना हो गया अब
उसने अपनी मम्मी को एक औरत की नज़र से देखना शुरू कर दिया न के एक मम्मी की तरह. वो बहुत ही खूबसूरत थी और उम्र के हिसाब से उसका जिस्म बेहद आकर्षक था. डैड बहुत ही हैंडसम थे, तगड़े जिस्म के मालिक, अच्छे स्वभाव के और पढ़े लिखे मगर इन सब के बावजूद मम्मी को जरूर उनकी टांगों के बिच की कमी खलती होगी और वो जरूर इच्छा करती होगी की काश डैड का वो अंग भी उनके बाकि अंगों की तरह लम्बा तगड़ा होता! शायद मम्मी को शादी हो जाने तक इस बारे में पता नहीं चला था और जब पता चला तब तक बहुत देर हो चुकी थी. तो इसका मतलब शादी से पहले उन्होनो कभी चुदाई नहीं की थी .
जितना वह इस बारे में सोचता उतनी ही उसकी ख्वाहिश बढ़ती जाती के मम्मी को अपना दिखाऊ. सतीश हर बार खुद को चेताता था. कितना ऊटपटाँग और मूर्खतापूर्ण विचार था. सतीश अपनी काल्पनिक दुनिया में अपने खयाली पुलाव पका रहा था. मगर घंभीरता से सोचने पर उसे लगता के मेरी किसी ऐसी हरकत की प्रतिक्रिया में वो बेहद्द क्रोधित हो सकती थी. 'खुद पर क़ाबू रखो' वह अपने आप से दोहराता. घर का ख़ुशनुमा माहोल, मम्मी का लाड़-दुलार पाकर वह अपनी उद्ण्डता के लिए खुद को धिक्कारना बंद कर देता और उसकी इच्छा फिर से बलवति होने लगती. हर बार इस ख्याल मात्र से के वह अपनी मम्मी को अपना नंगा लंड दिखा रहा है, सतीश का लंड खड़ा हो जाता था.

सतीश अपने दिमाग में कई परिदृश्यों की कल्पना करता जिनमे कुछ वास्तविक हो सकते थे मगर ज्यादातर असलियत से कोसो दूर था. कुछ संजोगिक होते तो कुछ जानबूझकर.
सतिशने आखिर आगे बढ्ने का फैसला किया. सुरुआत में सतिशने लापरवाही की कुछ घटनाओ का सहारा लिया. सतीश जानबूझकर ऐसे जाहिर करता के पयजामे के अंदर अर्ध कठोर लंड के बारे में उसे कोई होश ही नहीं है या फिर उसके बॉक्सर्स के किनारे से झाँकते सुपाडे की उसे कोई जानकारी नहीं है. मगर जल्द ही अपनी इस लापरवाही के दिखावे से आगे बढ़ गया और ऐसे तरीके अपनाने लगा के उसे साफ़ साफ़ पता चल जाये के वह यह सब जानबूझकर कर रहा है कोई भी ऐसी हरकत करने के बाद सतीश को टॉयलेट भागना पडता ताकि वह जल्द से जल्द मुठ मार सके और खुद को लंड की दर्दभरी अकडन से छुटकारा दिला सके. सतीश मुट्ठ मारते हुये ऑंखे बंद कर लेता ताकी वह उस अनिच्छुक आनंद को महसूस कर सके जो मम्मी यक़ीनी तौर पर उसके असलि, मर्दो वाले लंड को देखने से हासिल करती थी.

सतिशने कभी भी मुट्ठ मारते हुये मम्मी द्वारा अपना लंड छुये जाने की कल्पना नहीं की थी, क्योंके असल में उसके पास इतना समय ही नहीं होता था. सतीश उसी समय झड जाता था जब कल्पना में मम्मी के चेहरे पर हैरत के भाव बदल कर कमोत्तेजना का रूप ले लेते और वो सतीश का लंड पकडने के लिए हाथ आगे बढाती थी.......
ओर ऐसे इसका धीरे धीरे अंत हो जाता? मगर नहि. अंत-तहा होना तो एहि चाहिए था के वह अपनी मम्मी को लेकर अपनी फैंटसी से आखिरकार थक जाता और मुट्ठ मारने के लिए नयी कल्पनायों का सहारा लेता. मगर नहि, उसके साथ ऐसा नहीं हुआ. सतीश इतना 'समझदार' नहीं था. डैड की तीखी सोच विचार क्षमता उस में नहीं थी. सतिशने अपनी कल्पना को वास्तविकता में बदलने दिया. सतीश स्कूल से घर जाते ही एक छोटा सा बॉक्सर पहन कर घर में घूमता फिरता ताकि मम्मी का ध्यान उसकी जांघों के बिच झूलते उसके तगड़े लंड की और जाये.वह हालांकि, टीवी पर किसी प्रोग्राम देखने को लेकर या किसी किताब को पढ़ने को लेकर जबरदस्त दिलचस्पी का दिखावा करता मगर सतीश का पूरा ध्यान उसकी सारी इन्द्रियां इसी पर केन्द्रीत होती के वह मम्मी की और से किसी इशारे या संकेत को पढ़ सके के उसका ध्यान उसके लंड की और जा रहा है के नही.
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सतिश ने खुद को भरोसा दिलाया के उनका ध्यान उसके लंड की तरफ जा रहा है. जिस तरह वो निचे की और देखने से कतरा रही थी, उससे वह निश्चित था. और फिर एक बार, जब वो उससे बात करते करते उसकी और घूमि और उसकी नज़र उसके पाजामे के उभार पर पढ़ी तो वो बोलते बोलते रुक गयी और ऐसे ही दो और मौक़ों पर वो किस तरह शर्मा गयी थी. मम्मी को उसके तगड़े लंड का पूरा एहसास था!**
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सतीश अपना पायजामा ऊपर चढता है जब तक्क के वो उसके अंडकोषों तक्क नहीं पहुँच जाता. उसके अण्डकोष उसके सख्त हो रहे लंड के निचे टाइट होते जा रहे थे उसके बारे में सोचना बंद कर' वह जैसे खुद को हुक्म दे रहा था. मगर उस कम्बखत ने उसकी एक न सुनि और ऊपर को झटका मार कर खड़ा हो गया जिससे उसके अंदरवियर में सर्कस का एक मिनी टेंट बन गया.
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सतीश ने पाजामा उतारकर बॉक्ससर्स पहन लिया और एक मैगज़ीन अपनी जांघो के जोड़ पर रख कर निचे जाता है जब वह सीढियाँ उतर रहा था तो खुश्किस्मती से न उसकी मम्मी और न उसके डैड उसकी तरफ देखते है. डैड अख़बार में डुबे हुये थे और बिच बिच में नज़र उठाकर टीवी पर चल रहे प्रोग्राम को देख लेते थे. मम्मी कोई मैगज़ीन पढ़ रही थी और उस मैगज़ीन को उन्होनो अपनी दायि जांघ पर रखा हुआ था जिसे उन्होनो बायीं जांघ पर क्रॉस करके चढ़ाया हुआ था. उनका पांव किसी ट्यून की ताल से ताल मिलाते हिल रहा था जो उनके दिमाग में बज रही थी. सतीश चुपके से आ रहा था ताकि वह अपने माता पिता को डिस्टर्ब न कर दे, बड़े सोफ़े के दूसरे कोने पर बैठ जाता है और अपनी पीठ उसकी साइड से टीका कर अपने पांव उठाकर सोफ़े के ऊपर रख लेता है सानिया सोफ़े के दूसरे सिरे पर बैठि थी और उसका रुख सामने की और था जबकि वह सिरे पर इस प्रकार बैठा था के उसका रुख मम्मी की तरफ था. सतीश अब मैगज़ीन के ऊपर से नज़र उठाकर अपनी मम्मी को देख सकता था. उसका एक हाथ अपने स्याह काले बालों की एक लट से खेल रहा था, यह उसकी ऐसे ही आदत थी जो में जब से होश सम्भाला था, देखता आ रहा था. वो तभी अपने बालों की लट से इस प्रकार खेलति थी जब वो किसी चीज़ पर अपना ध्यान केन्द्रीत करने की कोशिश कर रही होती थी. सतीश की नज़र उसके सुन्दर मुखड़े से हटकर उसके उभरे हुए सीने पर जाती है जो उसके फूलों के प्रिंट वाले ब्लाउज के अंदर उसकी पांव की ताल से ताल मिलाते हिल रहे थे. शूकर था उसने अपनी बाँह पीछे सोफ़े की पुश्त पर रखी हुयी थी जिससे उसके मम्मे बिलकुल उसकी नज़र के सामने थे, बिना किसी रूकावट के.
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सतिश ने एक ढीला सा बॉक्सर्स पहना हुआ था जिसे सतिशने खास कर इसी मौके के लिए चुना था ताकि अगर मम्मी की नज़र उसकी और जाये तो वो लेग से झाँकते उसके मुन्ने के दर्शन जरूर कर ले. मगर उसने उसकी और नहीं देखा. लेकिन इससे सतीश को कोई फरक नहीं पडा. सतिशने अपनी मैगज़ीन मम्मी की और करते हुए उसे पुकारा और एक पिक्चर की और इशारा किया. वो साधारण सी पिक्चर थी मगर असलियत में सतिशने वो मैगज़ीन इतनी निची करके पकड़ी हुयी थी के वो पिक्चर उसके बॉक्सर से झाँकते उसके लंड के सुपडे के बिलकुल करीब थी. ऐसा सम्भव नहीं था के वो पिक्चर देखे मगर उसका ध्यान उसके लंड के सुपाडे की और न जाये. मम्मी अपने हाव-भाव छुपा नहीं सकी. यकीनन उसका ध्यान लंड पर गया था. उसने बॉक्सर्स से झाँकता सतीश का लंड जरूर देखा था.
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इससे भी बढ़कर जब उसने उसके लंड से नज़र हटाकर फिर से ऊपर पिक्चर को देखा तो वो कुछ उद्दिग्न जान पड़ती थी, उसकी आवाज़ में कुछ कम्पन था जब वो अपना ध्यान उस पिक्चर पर केन्द्रीत करने की कोशिह कर रही थी जिसे सतीश अपनी ऊँगली से मार्किंग करते हुए उसे दिखा रहा था. और फिर उसने दोबारा पिक्चर से नज़र हटाकर उसके लंड को देखा. इसके बाद उसने झट्ट से अपना चेहरा अपनी मैगज़ीन पर झुका लिया.
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कुछ समय बाद सतिश ने उसे एक और पिक्चर दिखाने की कोशिश की मगर सानिया ने देखने से इंकार कर दिया. और उससे इतना कहकर पीछा छुडा लिया, सानिया:-"मुझे एक जरूरी आर्टिकल पढना है"
वो तीखे स्वर में बोली थी. वैसे भी, उस समय सतीश को अपने तगड़े लंड को छुपाने के लिए अपने बॉक्सर पर अपनी मैगज़ीन रखणी पढ़ रही थी जिसने उसके बॉक्सर में तूफ़ान खड़ा किया हुआ था. कुछ मिनट्स के बाद सतीश मुंह घुमाकर सीधा अपने रूम में गया और बाथरूम में जाकर अपने लंड को बेरहमी से तब तक पीटता रहा जब तक के उसने बाल्टी भर वीर्य से पूरे बाथरूम को गन्दा न कर दिया.
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दूसरे दिन नाश्ते के समय सानिया का मूड उखडा हुआ था. सतीश नाश्ता करने में जनबुजकर देर लगा रहा था और सतिश ने अपनी कुरसी घुमाकर उसका रुख टेबल की बजाये किचन के सेंटर की और कर दिया. सतीश कुरसी पर थोड़ा सा पीछे को झुक गया और अपनी टांगे चौड़ी कर लि, कुछ इस तरह के सतीश का पायजामा उसके लंड और अंडकोषों पर बेहद टाइट हो गया
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और निचे अंदरवियर न पहने होने के कारन वहां से काफी कुछ देखा जा सकता था. जब डैड ने न्यूज़पेपर का पन्ना पलटा और उसे उठाकर अपने चेहरे के नज़्दीक कर लिया ताकि वो उसे आराम से पढ़ सके तब सानिया ने सतीश की जांघो के बिच कई बार नज़र डाली वो अपनी तरफ से बेहद्द तेज़ी से चोरी-चोरी नज़र डालती थी मगर सतीश की तेज़ नज़रों से वो बच नहि सकी और इस बात को जानते हुये की उसकी चोरी पकड़ी गयी है वो गुस्सा हो रही थी. मगर इस सब के बावजूद वो खुद को उसके लंड की और कई बार नज़रें उठाने से रोक न पायी. कुछ समय बाद वो घर के पिछवाड़े में चलि गयी जहा वो कपडे धोती थी. सतीश भी कुछ देर बाद उसके पीछे वहा चला गया. वो अभी वाशिंग मशीन में कपडे डाल रही थी और बास्केट को खाली कर रही थी जब सतीश वहा पहुँच गया. उसका स्कर्ट उसके गोल मटोल उभरे नितम्बो के कारन उसकी गांड पर कसा हुआ था और उसमे से उसकी पेन्टी के बाहरी सिरे आराम से देखे जा सकते थे. वो सीधी खड़ी हो गयी और अपने कुल्हों पर हाथ रखकर सीधे अपने बेटे से बोलि,

सानिया:- "क्या चाहिए तुम्हे?"
इतना कुछ होने के बाद उनके इतने कढ़े स्वर से सतीश थोड़ा हैरत में पड़ गया.
सतीश:-"कुछ नहीं मम्मी, में आपको अपना पायजामा धोने के लिए देणे आया था."
सतिशने ठन्डे स्वर में बोलते हुए निचे अपनी जांघो के जोड की और इशारा किया जहा ऑरेंज जूस गिरा हुआ था. मम्मी की नज़र बेटे की नज़र का पीछा करती निचे आई जहा उसके सख्त लंड के उभार के ऊपर ऑरेंज जूस का धब्बा पड़ा हुआ था. वो जितना जरूरी था उसके कहीं अधिक समय तक पाजामे में उसके उभार को देखति रही और इससे सतीश की उत्तेजना और भी बढ़ गयी थी. उसके लंड ने पाजामे में झटके मारने सुरु कर दिए थे. सतीश उनके चेहरे से देख सकता था के उन्हे एहसास था के वो जरूरत से ज्यादा समय तक देखति रही थी और उसे इसका पता था. वो झुक कर ड्रायर में सुखाने के लिए ताज़ा धुले हुये कपडे ड़ालने लगी. सतीश की नज़र फिर से उसकी उभरि हुई गोल मटोल गांड पर चलि गयी.
सानिया:-"अपना पायजामा उतार कर यहाँ दाल दो"
सानिया तीखे स्वर में फर्श पर गंदे कपडों के ढेर की और इशारा करते हुये बोली. तब सतिशने वो किया जिसके बारे में सानिया ने कभी सोचा तक नहीं होगा, उसने क्या खुद सतिशने कभी ऐसी हिमाक़त करने के बारे में नहीं सोचा था. सतिशने अपना पायजामा पकड़ा और उसे उतार कर फर्श पर कपड़ों के ढेर में फेंक दिया. जैसे ही सतीश का पायजामा उस ढेर में गिरा ऐसा लगा जैसे समय की रफ़्तार बहुत धीमि हो गयी है. सतीश एक टी-शर्ट पहने खड़ा था और कमर से निचे पूरा नंगा था. सतीश का सख्त लंड हवा में झटके खा रहा था और मम्मी ड्रायर में कपडे ड़ालना रोक कर फर्श पर कपड़ों के ढेर की और सर घुमाति है, सानिया वहां पड़े सतीश के पयजामे की मोजुदगी को समझने की कोशिह कर रही थी. धीरे बहुत धीरे, उसकी ऑंखे और सर ऊपर की और उठने लगता है, उसके पांव से बेटे की टांगे और फिर अंत में उसकी नज़र अपने बेटे के पूरी तरह कठोर लंड पर जाकार अटक जाती है. वो उसके लंड की और इस तरह घूर रही थी जैसे वो उस बात को निश्चित करना चाहती थी जो बात उसका दिमाग उसे बता रहा था के सतिशने अपना पायजामा उतार दिया है. उसके लंड की अकडन और भी बढ़ गयी जब सतिशने उसकी ऑंखे फ़ैलती देखि. तब वह दोनों उस स्वप्न से जाग गये और समय वापस अपनी रफ़्तार से चलने लगा. वाशिंग मशीन का वॉशर भर चुका था और उसने कपडे ढ़ोने के लिए पहला चक्कर लगाना सुरु कर दिया. मम्मी झटके से सीधी खड़ी हो गयी.
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सानिया:-"येह तुम क्या कर रहे हो? होश में तो हो?" वो फुसफुसा कर बोली.
सतीश:-"तुमने खुद ही तो कहा था उतार कर गंदे कपड़ों में दाल दुं."
सतिशने ऐसे जबरदस्त तनावपूर्ण माहोल के बावजूद अत्यंत शांत स्वर में उसे जवाब दिया जैसे वहां कुछ भी ऐसा वैसा नहीं हुआ था और सब नार्मल था.
सानिया:-"मेरे कहने का मतलब अभी से नहीं था. मैंने यह नहीं कहा था के अभी अपना पायजामा उतार कर मेरे सामने नंगे हो जाओ"
सानिया ऊँचे स्वर में बोलती है. सतीश उसकी तरफ मासुमियत से देखता है जैसे के उसे कुछ मालूम ही नहीं था के कोलाहल किस बात के लिए मचा हुआ है. सानिया का चेहरा कठोर रुख धरण कर जाता है जैसे उसने कोई सख्त फैसला लिया हो.
सानिया:-"ठीक है अगर तुम मेरे मुंह से कहलवाना चाहते हो तो ऐसे ही सही. तुम्हे अपनी यह घटिया हरकतें बंद करनी होंगी!" वो उसके अंदेशे को सच करती हुयी बोली.
सानिया:-"तुम चाहते हो के में तुम्हारे डैड को यहाँ बुलाऊ?"
सतिश ने उसके दिखावे से न डरते हुये लापरवाही से अपने कंधे झटक दिये.
सानिया:-"अपना पायजामा इसी समय वापस पहनो वर्ना में इसी समय तुम्हारे डैड को बुला रही हु"
सानिया ने अपनी बात पर ज़ोर डालने के लिए अपना हाथ फर्श पर पढ़े उसके पाजामे की और झटका मगर जल्दबाज़ी में उसकी हथेली का पिछला भाग उसके कठोर लंड से टकरा गया. सानिया उस स्पर्श से कांप उठि और उसने फ़ौरन अपना हाथ झटक दिया. वो उसके एक तरफ से घूम कर घर के अंदर को जाने लगी मगर सतीश एक दम से पीछे होकर उसके रस्ते में और दरवाजे के बिच खड़ा हो गया.
सतीश:-"मगर उसे कैसे पह्नु, वो गन्दा है" सतिशने उससे कहा.
सानिया:-"तो कोई साफ़ कपड़ा पहन लो"
सतीश ने धुले कपड़ों की बास्केट को इस तरह देखा के उसे एहसास हो जाये के यह काम उसके बस से बाहर का था. हताश होकर सानिया खुद धुले कपड़ों की बास्केट में से उसके पेहनने के लिए कुछ ढूंडने लगी और आखिरकार उसने एक धुला हुआ पायजामा निकाल कर अपने बेटे की और बढा दिया. सतिश ने मम्मी के हाथ से पायजामा लिया और झुक कर उसमे एक एक कर अपने दोनों पांव डालने लगा. और फिर धीरे धीरे खड़ा होते हुये पायजामा भी अपने साथ ऊपर चढाने लगा. सतीश उस समय रुका जब पयजामे का वेस्टबैंड उसके अंडकोषों से रगड खता हुआ उसके लंड के नीचले हिस्से को दबाने लगा जिस कारन सतीश का लंड हलके हलके आगे पीछे झुलने लगा. सानिया की नज़र सीधे उसके लंड पर टिकी हुयी थी और वो उसकी हर उछाल को धयानपूर्वक देख रही थी.
सतीश:-"मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगेगा अगर तुम इसे देखोगी"
सतीश नरम स्वर में बोला.
सतीश:-"मुझे मालूम है यह डैड वाले से कहीं ज्यादा अच्छा है"
सानिया ने धीरे से सहमति के अंदाज़ में सर हिलाया जैसे वो अपने दिमाग में किसी बात का जवाब दे रही थी न के जो सतिश ने कहा था उसके बारे में. फिर वो नज़र उठकर अपने बेटे को देखति है.
सानिया:-"येह तुम क्या कर रहे हो बेटा? आखिर तुम्हारा ईरादा क्या है?"
सतीश:-"मैं बस चाहता हु के तुम इसे देखो"
सानिया:-"मगर क्यों?"
सतीश:-"मुझे नहीं मालुम्. मैं बस चाहता हु"
सतिशने कहा. सानिया ने सर हिलाया जैसे वो सतीश का मतलब समझ गयी हो.
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सानिया:-"येह तुम क्या कर रहे हो? होश में तो हो?" वो फुसफुसा कर बोली.
सतीश:-"तुमने खुद ही तो कहा था उतार कर गंदे कपड़ों में दाल दुं."
सतिशने ऐसे जबरदस्त तनावपूर्ण माहोल के बावजूद अत्यंत शांत स्वर में उसे जवाब दिया जैसे वहां कुछ भी ऐसा वैसा नहीं हुआ था और सब नार्मल था.
सानिया:-"मेरे कहने का मतलब अभी से नहीं था. मैंने यह नहीं कहा था के अभी अपना पायजामा उतार कर मेरे सामने नंगे हो जाओ"
सानिया ऊँचे स्वर में बोलती है. सतीश उसकी तरफ मासुमियत से देखता है जैसे के उसे कुछ मालूम ही नहीं था के कोलाहल किस बात के लिए मचा हुआ है. सानिया का चेहरा कठोर रुख धरण कर जाता है जैसे उसने कोई सख्त फैसला लिया हो.
सानिया:-"ठीक है अगर तुम मेरे मुंह से कहलवाना चाहते हो तो ऐसे ही सही. तुम्हे अपनी यह घटिया हरकतें बंद करनी होंगी!" वो उसके अंदेशे को सच करती हुयी बोली.
सानिया:-"तुम चाहते हो के में तुम्हारे डैड को यहाँ बुलाऊ?"
सतिश ने उसके दिखावे से न डरते हुये लापरवाही से अपने कंधे झटक दिये.
सानिया:-"अपना पायजामा इसी समय वापस पहनो वर्ना में इसी समय तुम्हारे डैड को बुला रही हु"
सानिया ने अपनी बात पर ज़ोर डालने के लिए अपना हाथ फर्श पर पढ़े उसके पाजामे की और झटका मगर जल्दबाज़ी में उसकी हथेली का पिछला भाग उसके कठोर लंड से टकरा गया. सानिया उस स्पर्श से कांप उठि और उसने फ़ौरन अपना हाथ झटक दिया. वो उसके एक तरफ से घूम कर घर के अंदर को जाने लगी मगर सतीश एक दम से पीछे होकर उसके रस्ते में और दरवाजे के बिच खड़ा हो गया.
सतीश:-"मगर उसे कैसे पह्नु, वो गन्दा है" सतिशने उससे कहा.
सानिया:-"तो कोई साफ़ कपड़ा पहन लो"
सतीश ने धुले कपड़ों की बास्केट को इस तरह देखा के उसे एहसास हो जाये के यह काम उसके बस से बाहर का था. हताश होकर सानिया खुद धुले कपड़ों की बास्केट में से उसके पेहनने के लिए कुछ ढूंडने लगी और आखिरकार उसने एक धुला हुआ पायजामा निकाल कर अपने बेटे की और बढा दिया. सतिश ने मम्मी के हाथ से पायजामा लिया और झुक कर उसमे एक एक कर अपने दोनों पांव डालने लगा. और फिर धीरे धीरे खड़ा होते हुये पायजामा भी अपने साथ ऊपर चढाने लगा. सतीश उस समय रुका जब पयजामे का वेस्टबैंड उसके अंडकोषों से रगड खता हुआ उसके लंड के नीचले हिस्से को दबाने लगा जिस कारन सतीश का लंड हलके हलके आगे पीछे झुलने लगा. सानिया की नज़र सीधे उसके लंड पर टिकी हुयी थी और वो उसकी हर उछाल को धयानपूर्वक देख रही थी.
सतीश:-"मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगेगा अगर तुम इसे देखोगी"
सतीश नरम स्वर में बोला.
सतीश:-"मुझे मालूम है यह डैड वाले से कहीं ज्यादा अच्छा है"
सानिया ने धीरे से सहमति के अंदाज़ में सर हिलाया जैसे वो अपने दिमाग में किसी बात का जवाब दे रही थी न के जो सतिश ने कहा था उसके बारे में. फिर वो नज़र उठकर अपने बेटे को देखति है.
सानिया:-"येह तुम क्या कर रहे हो बेटा? आखिर तुम्हारा ईरादा क्या है?"
सतीश:-"मैं बस चाहता हु के तुम इसे देखो"
सानिया:-"मगर क्यों?"
सतीश:-"मुझे नहीं मालुम्. मैं बस चाहता हु"
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