Incest पापा की दुलारी जवान बेटियाँ

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गुप्ता जी - क्यों बंसल? तुमने उसकी इनर थाइस तो देखी होगी? कितनी गोरी है?

बंसल - नहीं सर, मैंने कभी उसकी इनर थाइस नहीं देखी।

गुप्ता जी - ओह क्यों? क्या वो शॉर्ट्स नहीं पहनती?

बंसल - नही।

गुप्ता जी - लेग्गिंग्स, टाइट सलवार?

बंसल - हाँ।

गुप्ता जी - तब तो आपने उसकी जांघों को देखा होगा। कैसी है उसकी थाइस?

बंसल - हाँ देखी है मोटी हैं काफी।

गुप्ता जी - (अपना लंड पेंट के ऊपर से मसलते हुए।। ) वो।।। मुझे साड़ी में उसकी हिप्स देख के ही पता चल गया था की उसकी जाँघे मोटी होंगी।)

बंसल - अच्छा मैं अब घर जांउगा।

गुप्ता जी को लगा की अब यहीं रुक जाना चाहिए इससे पहले बंसल को बुरा लग जाये। वो उसे अपनी कार में बैठा कर होटल छोड़ दिया। दरवाजे पे पहुच कर बंसल ने डोर बेल्ल बजाए। उससे सीधे खड़ा हुआ नहीं जा रहा था।

शालु जब दरवाजा खोलती है तो अपने पापा की ऐसी हालत देख उन्हें कन्धा देती है। कंधे पे जब वो उन्हें सम्भालती है तब उसके पापा का हाथ ठीक उसके बूब्स पे चला जाता है। अपने शरीर का वजन न सँभाल पाने के कारण वो अपने हाथ से कस के शालु के बूब्स दबा देता है। शालु लाचार अपने बूब्स को दबवाती बिस्तर तक आती है। जैसे ही उन्हें लिटाती है, बंसल का हाथ शालु के गले में होता है और वो उनके ऊपर गिर जाती है। शालु इस कदर अपने पापा पे गिरती है की उसकी जाँघो पे उसके पापा का लंड महसूस होता है।

शालु अपने आप को सम्भालती है, और उठ कर बेड पे बैठ जाती है। बंसल पूरी तरह नशे में था और उसकी आँख बंद थी। उसके शर्ट से शराब की बदबू आ रही थी। शालु को शराब की बदबू बर्दाश्त नहीं होती और वो पापा के शर्ट के बटन खोलने लगती है। शर्ट को अलग कर पहली बार वो अपने पापा के चेस्ट को देखती है। उसे समझ में नहीं आता की वो क्या करे तो वो अपने पापा के पेंट को भी बदलने की सोचती है। वो पेंट की तरफ देखती है, और फिर अपना हाथ आगे बढा कर एक बटन खोलती है, फिर धीरे से पेंट का चैन खोलने लगती है। पेंट के अंदर अपने पापा के कुछ उभार को छु कर उसे कुछ अजीब सा लगता है। वो पेंट निकालने के लिए जोर से खिचती है, लेकिन अगले ही पल पेंट उसके पापा के अंडरवियर के साथ नीचे खींच जाती है।
 
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अंडरबीयर खीचते ही उसकी नज़र अपने पापा के लंड पे पड़ती है। ओह शीट।।। उसके मुह से निकल जाता है। वो अपने पापा के लंड को देखती है, इतना मोटा।


उसने आज से पहले कभी किसी का इतना मोटा लंड नहीं देखा था। आज़ देखा भी तो अपने पापा का, वो तुरंत अपने पापा के फेस की तरफ देखति है तो उसे यकीन हो जाता है की पापा पूरे नशे में है। वो तुरंत अंडरवियर को ऊपर करती है लेकिन लंड फिर भी बाहर रहता है। वो बहुत घबरा जाती है, कोई ऑप्शन न देख वो एक हाथ से अपने पापा का लंड पकडती है और अंडर वियर के अंदर ड़ालने लगती है। इतना मोटा लंड़, वो अस्चर्य से देखति है, तभी शायद उसके छुअन से बंसल का लंड पूरा खड़ा हो जाता है।

शालु जब अपने पापा का खडा लंड देखति है तो उसकी आँखे बड़ी हो जाती है। जैसे ही वो उनके लंड को वापस अंडरवियर में ड़ालने के लिए पकडती है, उसके पापा के लंड का स्किन खुल जाती है। लंड का स्किन नीचे जाते ही उसे कुछ महक आने लगती है, शालु को ये स्मेल अच्छी लगती है, वो अपने नाक को लंड के पास ले जाती है तो उसे पता चलता है की ये स्मेल उसके पापा के लंड की है। उसे ये अजीब सी स्मेल बहुत अच्छी लगती है। वो लंड को मुट्ठी में पकड़ कर स्किन ऊपर उठाती है, लेकिन वो फिर से खुल जाती है।

वो जब बार बार लंड के स्किन को बंद करने की कोशिश करती है लेकिन स्किन बार- बार नीचे सरक जाती है।

वो अपने हाथ को सूँघती है तो उसके हथेली में लंड की स्मेल थी, उसे स्मेल अच्छी लगती है और वो एक बार फिर झुक कर अपनी नाक सटा कर लंड की महक लेने लगती है। उसे अपने शरीर में कुछ अजीब सा महसूस होता है। वो सोचती है की वो ये क्या कर रही है, फिर सँभालते हुए बड़ी मुश्किल से लंड को अंडरवियर के अंदर डाल देती है।

करीब १ घंटे की कोशिश के बाद वो पापा का शर्ट और पेंट बदलने में कामयाब हो जाती है। शालु बिस्तर से उठ कर सामने खड़ी हो जाती है, अपने सूटकेस से वो एक नाईट ड्रेस निकालती है और उसे चेंज करने के लिए बाथरूम जाने लगती है। फिर उसकी नज़र पापा के तरफ जाती है, वो सो रहे थे। उन्हें सोता देख वो कमरे में उनके सामने ही कपडे बदलने लगती है। शालु को अपने पापा के सामने कपडा बदलना बहुत अजीब सी फीलिंग दे रहा था। वो एक पतला सा टॉप और एक छोटी सी स्कर्ट पहन लेती है। कपडे बदल कर वो बिस्तर पे वापस आ जाती है। वो ध्यान देती है की पापा के सर के नीचे तकिया नहीं है। वो साइड से एक तकिया निकालती है और पापा के सर के नीचे लगाने लगती है। वो सर को उठा कर एक हाथ से तकिया अंदर लगा रही होती है। बिस्तर पे बैठ वो पापा के सर के काफी क़रीब होती है। एक बार जोर से कोशिश कर जैसे ही वो उन्हें अपने पास खिचती है, उसके पापा करवट ले उसके जाँघो के बीच आ जाते है। शालु को जब ध्यान आता है तो वो देखति है की पापा अपना हाथ उसके कमर में डाले हैं और उनका मुह उसकी दोनों जाँघो से होती बीच में उसकी पेंटी पे आ टीकी है। वो उन्हें पुश करती है लेकिन बार बार उनका होठ शालु की पेंटी से रगडने लगता है। शालु की साँस तेज़ हो जाती है, उसने कभी भी किसी को अपने प्राइवेट पार्ट्स के पास इतना क़रीब नहीं महसूस किया था।

शालु के स्कर्ट ऊपर थे और उसकी जाँघ पूरी तरह से खुल चुकी थी। जब वो अपने पापा के गर्म साँस अपने चूत पे महसूस करती है तो उसके बुर से कुछ रिसाव होने लगता है। वो आनन्द में आखे बंद किये पहली बार अपने बुर को गीला महसूस करती है।
 
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वो कस कर अपने पापा का बाल पकड़ लेती है और उनके मुह को पेंटी के ऊपर अपने बुर पे दबाव बनाने लगती है। वो पूरी तरह बेचैन हो उठती है। पापा का बाल पकडे न जाने कब वो एक हाथ वहां से हटा कर अपनी पेंटी को एक तरफ खीच देती है, और फिर जो होता है उससे वो काँप उठती है। शालु के पापा का होठ उसकी गरम गिली बुर पे छु जाती है, वो बेचैन हो कर अपने बुर को पापा के होठ पे रगडने लगती है। उस वक़्त उसके बुर से इतना पानी निकलता है जितना उसने कभी नहीं महसूस किया था। वो पापा के होठ को अपने चिपचिपे चूत के रस से भर देती है।

कांपते हाथो से वो जीवन में पहली बार अपने पापा के मुह में स्खलित हो जाती है। इस वक़्त उसके आनन्द का ठीकाना नहीं होता, पूरी तरह स्खलित होने के बाद वो अपनी आँखें खोलती है और बिस्तर के सामने लगे शीशे में अपने आपको को पापा को बुर पिलाते हुए देखती है तो शर्म से लाल हो जाती है। वो पीछे हो जाती है, और स्कर्ट ठीक कर अपने सर को अपने हाथ पे दे मारती है। वो सोचने लगती है हाय राम ये मैं क्या कर रही थी, वो भी अपने पापा के साथ। हे भगवान, ये सब कब और कैसे हुआ? वो सोचने लगी की काश ये सपना हो। लेकिन ये तो हकीकत था, उसने कभी भी सपने में ये नहीं सोचा था की उसकी बुर को अपने होठों से स्पर्श करने वाला पहला इन्सान उसके खुद के पापा होंगे। वो अपने कपडे ठीक कर उनके बगल में लेट गई, वो अपने पापा से नज़रें नहीं मिला पा रही थी। लेकिन उसने जो आनन्द आज महसूस किया था वो शायद कभी नहीं भूलने वाला सच था।
 
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अगले दिन सुबह शालु बिस्तर से जल्दी उठ जाती है, फ्रेश होकर वो होटल के रिसेप्शन पर आ जाती है। रिसेप्शन के पास एक सोफा लगा होता है, जिसपे शालु बैठ कर न्यूज़ पढने लगती है, लेकिन उसका ध्यान बार-बार बीती रात हुई घटना पे चलि जाती है। रात की घटना के बारे में सोच कर वो सिहार उठती है, उसकी धड़कन तेज़ हो जाती है। तभी रिसेप्शन पे बैठा होटल का स्टाफ शालु के क़रीब आता है।

होटल स्टाफ - गुड मॉर्निंग मैडम।

शालु - ओह।। गुड मॉर्निंग

होटल स्टाफ - आई होप यू आर एंजोयिंग योर स्टे इन आवर होटल। आपको और आपके हस्बैंड को हनीमून कपल रूम कैसा लगा।

होटल स्टाफ शालु और बंसल को हस्बैंड वाइफ समझ रहा था। शालु ने भी इसपे कोई कमेंट नहीं करना चाहा और हाँ में अपना सर हिला दिया।

शालु - हाँ रूम बहुत पसंद आया हम दोनों को।

होटल स्टाफ - थैंक्स मैम, उम्मीद है आपकी कल की रात काफी मज़ेदार रही होगी। (होटल स्टाफ मुस्कराते हुए शालु की तरफ देखकर बोला) अगर आपको किसी चीज़ की जरुरत हो तो हमे जरुर बोलियेगा। किसी चीज़ की जरुरत हो तो बिना झिझक बोलिये हम कपल का ख़ास ध्यान रखते है। अगर किसी चीज़ की जरुरत पड़ जाए तो मेरे होटल स्टाफ आपके लिए आधी रात को भी सर्विस देगा।

होटल स्टाफ का इशारा शायद कंडोम की तरफ था। शालु ने होटल स्टाफ को बस एक मीठी सी मुसकान दे डाली।

शालु - जी जरुर, मैं माँग लूँगी अगर कुछ चाहिये तो।

होटल स्टाफ - (शालू की चूचियों की उभार और उसकी टाइट थाइस को देखते हुए) मैम, क्या आपके पति ऑफिस चले गये। आप कहें तो मैं बेडशीट चेंज करा दूँ।

शालु - नहीं अभी वो सो रहे है। और चादर चेंज करने की जरुरत नहीं है आप तकलीफ मत उठाइये।


होटल स्टाफ - (मुस्कुराते हुए) इटस ओके मैम, यहाँ बहुत सारे कपल आते है। और हमे रोज बेडशीट धुलवानी पड़ती है। वी अंडरस्टैंड मैम नो प्रोब्लम।

होटल स्टाफ शालु से काफी खुल कर बातें कर रहा था। शालु को भी ये सब बहुत अजीब लगा अपने पापा के बारे में ऐसी बात कर के।

शालु - जी जैसा आप ठीक समझेँ।
 
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होटल स्टाफ - ठीक है मैम। वैसे एक बात कहूं मैम (होटल स्टाफ ने शालु के बदन को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहा )

शालु - जी कहिये।

होटल स्टाफ - आप इन कपड़ों में बहुत अच्छी लग रही है। आपके हस्बैंड बंसल जी बहुत लकी है।

शालु - (मुस्कुराते हुवे) थैक यु।

उधर बंसल का नशा पूरी तरह उतर चूका था और वो नींद से जाग कर फ्रेश हो चूका था। बंसल ने जब अपनी बेटी को कमरे में नहीं पाया तो उसने रिसेप्शन पे कॉल किया।

होटल स्टाफ - यस सर। बंसल सर।

होटल स्टाफ - शालु से ।।। मैम आपके हस्बैंड का फोन

शालु फ़ोन पे पापा से बात करती है और होटल के कमरे में वापस आ जाती है।

बंसल - बेटी तुम कहाँ चलि गई थी?

शालु - पापा मैं मॉर्निंग वाक करने गई थी

बंसल - ठीक है। चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ ऑफिस निकलना है ना।

शालु - जी पापा मैं अभी आयी, आप भी रेडी हो जाइये।

बंसल और शालु दोनों रेडी हो जाते हैं और एक टैक्सी लेकर ऑफिस आ जाते है। आज़ शालु ने डार्क ब्लू कलर की टाइट जीन्स और पिंक कलर का टॉप पहना हुआ था। जब वो ऑफिस आये तो बंसल के बॉस गुप्ता जी पहले से ही ऑफिस में बैठे थे।

गुप्ता जी - आओ बंसल, आओ बेटी।।

बंसल - सॉरी सर, आज हमदोनो थोड़ा लेट हो गये।

गुप्ता जी - इटस ओके, आज तुम दोनों काम जल्दी ख़तम कर लो शाम को मेरी कार में हमलोग अपने एक बहुत पुराने क्लाइंट से मिलने जाएंगे।

बंसल - क्लाइंट?

गुप्ता जी - हाँ, डॉ। माथुर। हमारे बहुत अच्छे बिज़नेस पार्टनर और दोस्त भी।

बंसल - ओके सर।

गुप्ता जी - और तुम दोनों को मेरी बात याद है न? डॉ माथुर हमारे क्लाइंट हैं और उनको ये पता नहीं चलना चाहिए की तुम दोनों बाप बेटी हो। अगर उनको पता चला तो वो समझेंगे की हमने कंपनी अपने परिवार और रिश्तेदारों के लिए खोल रखी है।


शालु - सर आप फ़िक्र न करे, आपने मेरी मदद की है मैं समझती हूँ मैं एक सेक्रेटरी की तरह ही बिहेव करुँगी।

गुप्ता जी - थैंक्स शालू।

शाम को गुप्ता जी की कार में बंसल और उसकी बेटी शालु क्लाइंट माथुर से मिलने उनके घर पे जाते है।
 
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मि माथुर का बंगला बहुत ही बड़ा था, कई गाड़ियाँ और कई सारे नौकर आगे पीछे घूम रहे थे। घर पहुच कर माथुर ने सबका अच्छे से वेलकम किया।

माथुर - हाऊ आर यू गुप्ता? और ये लोग कौन हैं?

गुप्ता जी - माथुर, ये बंसल हैं मेरे ऑफिस में काम करते हैं और ये उनकी सेक्रेटरी मिस शालु।

माथुर - हाय बंसल, हाय शालू। नाइस टू मीट यू

बंसल / शालु - हेलो सर

माथुर - ओह कॉमन डोन्ट कॉल मी सर। कॉल मी माथुर। ड्रिंक?

सबने ड्रिंक के लिए हाँ कर दि। माथुर ने शालु को ड्रिंक बनाने के लिए कहा, वो हॉल में रखे मिनी बार के पास खड़ी होकर ड्रिंक बनाने लगी।

शालु की मटकती गांड देख कर माथुर के होश उड़ गये। उन्होंने बंसल और गुप्ता जी से कहा।

माथुर - यार ये सेक्रेटरी है या किसी फिल्म की हीरोइन?

गुप्ता जी - माथुर, शालु सुन्दर तो है किसी हीरोइन से कम नहीं है।

माथुर - हीरोइन से कम नहीं उनसे ज्यादा हॉट है। जीन्स में इसकी गांड देख कर तो मजा ही आ गया।



गुप्ता और बंसल, माथुर की इस बात से झेंप गये।

माथुर - क्या हुआ? तुम दोनों को मेरी बात अच्छी नहीं लगी? क्या शालु तुमलोगों की कुछ लगती है?

बंसल माथुर की इस बात से काफी घबरा गया।

बंसल - नही नहीं सर, ऐसी बात नहीं है।

माथुर - तो फिर कैसी बात है? तुमलोग तो औरतों की तरह शर्मा रहे हो। क्या तुमलोगों का लंड खड़ा नहीं होता?

बंसल माथुर के मुँह से इस तरह की बात सुन कर हक्का बक्का रह गया।
 
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माथुर - देखो बंसल, मैं और गुप्ता जी बहुत अच्छे दोस्त है। मैं अपने साथ काम करने वालों को बॉस की तरह नहीं बल्कि दोस्त की तरह मानता हू। ये ऑफिस नहीं मेरा घर है, यहाँ पे हम सब दोस्त हैं तो शर्माना क्या?
क्यों गुप्ता जी।

गुप्ता जी - जी ठीक कहा आपने ( गुप्ता जी ने माथुर की बात से सहमति जतायी)

माथुर - इसलिये मुझे दोस्त मानो बॉस नही। ठीक है बंसल ?

बंसल - जी सर, आई मीन माथुर ।

माथुर - गूड। अब बोलो लंड खड़ा होता है न तुम्हारा?

बंसल - जी ?

माथुर - भाई बोलो तुम्हारा लंड खड़ा होता है की नहीं अपनी सेक्रेटरी की टाइट गांड देख कर?

बंसल - जी।। जी।।।

गुप्ता जी - बोलो बंसल ।

बंसल - जी।। जी होता है।

माथुर - अरे इतना क्या शरमाना, ऐसी माल को तो कोई न छोडे। अबतक तो चोद चूका होगा तू शालु को क्यों ?

बंसल - जी।। जी नहीं माथुर सर।

माथुर - तूने चोदा नहीं अब तक ? (आश्चर्य से)

बंसल - नही।

माथुर - ये मैं क्या सुन रहा हूँ गुप्ता जी, ऑफिस में इतनी सेक्सी माल और किसी ने उसे चोदा नहीं? क्या तूने बंसल को बताया नहीं की हमारे ऑफिस की हर लड़कियां चुदती है। और सेकेरेटरी तो चोदने के लिए ही होती है। क्या तूने भी नहीं चोदा उसे अभी तक?

गुप्ता जी - नहीं माथुर, अभी नयी आयी है ये।

बंसल ये सारी बात सुन रहा था, उसे समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे। एक तरफ नौकरी का डर और एक तरफ बेटी की इज्जत।

माथुर - नई है तो फिर ठीक है। सुन बंसल, पहले तू उसे चोद ले और फिर मुझे दिला देना। लेकिन जरा जल्दी। मैं ज्यादा वेट नहीं कर सकता। मुझे उसकी चूत चाहिए २-३ दिन के अंदर। तू उसे जल्दी से जल्दी चोद समझा?

बंसल - जी।
 
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माथुर - (शालू को पीछे से देख अपने लंड को सहलाते हुए) साली क्या माल है, इतनी मस्त गांड है इसकी, मेरा तो लंड खड़ा हो गया।एक बार अगर मिल गई तो इसकी गांड भी मारूँगा जरूर।

थोड़ी देर में शालु सबके लिए ड्रिंक बना कर ले आयी, और सब एक साथ बैठ शराब पीने लगे। माथुर शालु की उभरी चूचि को अपनी गन्दी नज़र से देख रहा था।



गुप्ता और बंसल शराब पीते हुए एक किनारे आकर खड़े हो गए और बात करने लगे।

गुप्ता जी - बंसल मुझे माफ़ कर दो, माथुर तुम्हारी बेटी के बारे में न जाने क्या-क्या कह रहा था।

बंसल - इटस ओके सर।

गुप्ता जी - माथुर ने हद पार कर दी उसने तुम्हे भी शालु को चोदने की बात कहलवाई। लेकिन उसे क्या मालूम की जिस लड़की के बारे में वो बात कर रहा है वो तुम्हारी बेटी है।

बंसल - इटस ओके सर नो प्रॉब्लम ।

गुप्ता बंसल को और शराब पिलाने लगा, बंसल की तरफ से कोई ऑब्जेक्शन न करता देख गुप्ता भी शालु के बारे में गन्दी बातें करने लगा।

गुप्ता जी - वैसे माथुर बेचारा भी क्या करे, तेरी बेटी है ही इतनी माल की किसी का भी लंड खड़ा हो जाए।

बंसल - हाँ।

गुप्ता जी - देख उधर बंसल कैसे तेरी बेटी माथुर के पास बैठी है। और माथुर उसकी जाँघ पे हाथ रख कर बात कर रहा है। ऐसा लगता है जैसे तेरी बेटी खुद माथुर से चुदना चाहती हो।


बंसल - नहीं मेरी बेटी ऐसी नहीं है।

गुप्ता जी - तेरी बेटी ने तो मेरा लंड भी खड़ा कर दिया। चलो माथुर के पास चल कर बैठते है।

सोफे पे माथुर और बंसल एक साथ बैठ गए और दूसरी तरफ शालु और गुप्ता जी बैठ गये। सोफ़े के बीच में एक टेबल रखी थी जिसपे शराब की कुछ बोतलें रखी थी।
माथुर की नज़र शालु की बड़ी-बड़ी चूचियों पे थी। शालु को धीरे धीरे नशा चढ रहा था, और इस बात का फ़ायदा उठाते हुए गुप्ता शालु की कमर में हाथ डाल अपनी तरफ सम्भाले हुए था। साइड से गुप्ता ने शालु की टॉप उठा दी और उसकी नंगी कमर को सहलाने लगा।
 
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शालु नशे में चूर थी। तभी बंसल ने अपने बगल में बैठे माथुर की तरफ देखा। माथुर शालु के टॉप के ऊपर से चूचियों के उभार देखते हुए अपना लंड टेबल के नीचे से बाहर निकाल लिया था और मुट्ठ मार रहा था। इससे पहले की बंसल कुछ कह पाता, माथुर की मुट्ठ की धार फर्श और टेबल पे निकल पडी। बंसल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे, उससे ग़ुस्सा आ रहा था लेकिन उसने अपने पेंट के अंदर अपने लंड को खड़ा पाया।

शायद बंसल माथुर की इस हरकत को एन्जॉय कर रहा था। शालु इन सब बातों से अन्जान शराब पीती रही, माथुर अपने लंड का पानी निकाल कर बंसल की तरफ मुस्कुरा कर देखा।

माथुर - (धीरे से बंसल के कान में कहते हुये), साली ने २ मिनट में मेरा पानी निकाल दिया वो भी बिना कपडे उतारे। माथुर अपना लंड पेंट के अंदर डाल लिया।

बंसल ने अपने आप को सम्भाला और उठ खड़ा हुआ। शालु के क़रीब आया तो देखा गुप्ता जी का एक हाथ शालु के टॉप के अंदर था और वो शालु की चिकनी कमर और नाभि से खेल रहे थे। बंसल शालु का हाथ पकड़ उसे उठाने लगा।

बंसल - शालु।। शालु।। चलो घर चलें। चलो मैं तुम्हारे घर छोड़ दूं तुम्हे। बहुत रात हो गई है।

गुप्ता ने अपना हाथ शालु के टॉप के अंदर से निकाल लिया।

बंसल - चलो शालु।

शालु - ओह मेरा सर घूम रहा है।

बंसल - चलो घर चलो शालू।

बंसल - माथुर सर अब हमें घर जाने दिजिये बहुत रात हो गई है। चलिये गुप्ता जी।
 
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बंसल, गुप्ता और शालु माथुर के घर से चले आए। गुप्ता ने शालु और बंसल को होटल ड्राप किया और अपने घर चला गया। होटल पहुच कर बंसल ने अपनी बेटी को सहारा दे कर बिस्तर तक ले आया। आज़ बंसल ने अपनी बेटी को माथुर और गुप्ता जी से बचा लिया था। बंसल का नशा उतार चूका था, वो शालु को बिस्तर पे लिटा कर बगल में लेट गया। बंसल के दिमाग में बार-बार माथुर की मुट्ठ मारने वाली हरकत ध्यान में आ रही थी। और वो गुप्ता किस तरह मेरी बेटी के टॉप के अंदर हाथ डालकर उसकी खुली पेट और नाभि को मसल रहा था। क्या उसने शालु की चूचि भी मसली होगी? अगर हाँ तो क्या उसने ब्रा के ऊपर से चूचि दबाई होगी या ब्रा के अंदर हाथ डाल उसकी नंगी चूचि को मसला होगा। नहीं नही, गुप्ता सर ऐसा नहीं किये होंगे।

इतना सबकुछ सोचते-सोचते बंसल ने जब अपने लंड की तरफ ध्यान दिया तो पेंट के अंदर उसने अपना लंड खड़ा पाया। मन हुआ की लंड बाहर निकाल कर मुट्ठ मारे और सोई हुई शालु का मुह अपने मुट्ठ से भर दे। लेकिन शालु मेरी अपनी बेटी है, मुझे ये सब नहीं सोचना चाहिए। ये शराब बहुत गन्दी चीज़ होती है, इसका नशा इतना बुरा होता है जो किसी जवान लड़की और बेटी में फ़र्क़ नहीं करता। बंसल ने अपने दिमाग से अपनी बेटी के बारे में आने वाले गंदे ख्याल को बाहर निकाला। अपने डण्डे की तरह खड़े लंड को वो तकिये में दबा कर बिना मुट्ठ मारे सो गया।
 

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