Incest पापा प्लीज……..

Well-known member
2,893
6,187
143
पापा प्लीज……..
839_1000.jpg

jZdWp4.jpg
 
Last edited:
Well-known member
2,893
6,187
143
UPDATE 1
पाँच मंजिले मकान के प्रथम तल के एक कमरे में सुबह के 5 बजे की अलार्म बजते ही बेड पर कुनमुनाती हुई अपना हाथ बढ़ा अलार्म बंद की और फिर चादर तान के सो गई…ये है रूपा…घर में सबकी लाडली…घर में सबसे सुंदर जो थी…

तीनों भाई तो अपने पापा पर गए काले सम्राट…पर रूपा अपने मम्मी के रंग पर चली गई…दूध की तरह सफेद रंग, तीखे और बड़ी बड़ी आँखें,लाल सुर्ख होंठ, लम्बी गर्दन, कमर तक रेशमी बाल,ललाट पर बिंदी की जगह चंदन लगाना,नाक में छोटी सी नथुनी, सुडौल और तराशा हुआ बदन….

ऊपर से नीचे तक नजर हजारों बार फिरा लो रूपा पर , पर शायद ही किसी बार आप बिना तारीफ के रह सको…जब कॉलेज के लिए अपने दोस्त के साथ घर से निकलती तो रास्ते भर ना जाने कितने दिल घायल होते और ना जाने कितनी आहें निकलती….

पर इन सब से बेखबर रूपा बस अपने काम से मतलब रखती…इसी वजह से वो आज तक कुंवारी कली की तरह खिल रही थी…रूपा को अपने आशिकों की खबर ना थी ऐसी बात नहीं थी…रूपा अपने सुंदर बदन के साथ साथ तेज और संतुलित दिमाग की भी मालकिन थी…

पर रूपा दिलफेंक आशिकों को अच्छी तरह जानती थी कि ऐसे लड़के अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं…और दूसरी बात रूपा के पापा शहर के सबसे अमीर बिजनेस मैन हैं और उनकी शहर में अच्छी धाक है तो किसी की हिम्मत नहीं होती कि उनसे कोई पंगा ले…

रूपा की दोस्त भी सिर्फ और सिर्फ एक ही थी…कनक…जो कि थी तो दूर गाँव की पर उनके पिता इसी शहर में बैंक की नौकरी करते थे तो अब यहीं शिफ्ट हो गए थे…कनक भी दिखने में काफी सुंदर थी और पढ़ने में भी तेज तो इस वजह से दोनों में गहरी दोस्ती हो गई…

दोनों साथ हो तो सगी बहन जैसी लगती थी पर सच्चाई तो कुछ और ही थी…हाँ, इन दोनों में एक फर्क जरूर थी…कनक जहाँ चालू टाइप की बिंदास गर्ल थी तो वहीं रूपा सीधी-साधी शरीफ लड़की…फिर भी इन दो ध्रुवीय में कैसे इतनी गहरी दोस्ती हो गई…समझ से परे….

कनक स्कूल दिनों से आज तक पता नहीं कितने बॉयफ्रेंड बदले, वो खुद गिनते वक्त भूल जाती…हाँ, अपने बॉयफ्रेंड संग बिताए हर पल का बखान वो रूपा को जरूर सुनाती और रूपा भी सुन के मस्त होती…

पर कनक साथ में ये भी कहती कि रूपा, तुम मेरी तरह बन के मस्ती की मत सोचना…जब भी जिंदगी तुम्हें ऐसे मौके दे तो पहले अपने दिल की सुनना और फिर दिल जो कहे, बस वैसी ही करना…

यहीं पर रूपा कनक की कहनी से छिटक के बाहर आती तो उसे अपने मम्मी-पापा भैया-भाभी के दिल में अपने प्रति भावना आ जाती है और कनक की तरह मस्ती करने की सोचती भी नहीं…क्योंकि वो कभी भी ये नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से उसके फैमिली वालों पर कोई उंगली उठाए….

अब हम रूपा के कमरे से निकल दूसरे कमरे में चलते हैं…क्योंकि इसी तल के दूसरे कमरे में रूपा के मम्मी पापा गहरी नींद में सो रहे हैं…इनके रूम में 6 बजे अलार्म बजती है…रूपा के पापा कालीचरण और मम्मी पुष्पा…

कालीचरण अपने नाम की ही तरह बिल्कुल काला, जबकि पुष्पा दूध की धुली एकदम गोरी चिट्टी और बेमिसाल हुस्न की मल्लिका…कोई देख ले तो एक बार चौंक जरूर जाए कि आखिर कैसे…

इनकी कहानी भी अजीब है…बात तब की है जब कालीचरण अपने जीवन के 24वे साल में प्रवेश किया था…और तब वह कालीचरण नहीं, कालिया था…बदमाश कालिया…

बदमाश भी कोई ऊंचे दर्जे का नहीं था..बस अपने इसी शहर का नामी बदमाश था…और वो अपने गिरोह का सरगना था…काम मुसाफिरों के अटैची उड़ाना चाहे वो जैसे दे…मतलब मार खा कर या चाकू से घायल होकर या नशा का शिकार हो कर…

पर आज तक कालिया कभी मर्डर नहीं किया था और ना ही करना चाहता था… वो कहता था कि दो दिन अपना पेट भरने के लिए किसी की जिंदगी भर की पेट नहीं काट सकता…शायद यही अच्छाई उसे आज एक सफल व्यक्ति बना दिया..

एक दिन रात के करीब आठ बजे की बात है…वो अपने चार दोस्तों के साथ आखिरी बस के आने का वेट कर रहा था कि कोई फंसे तो आज की रात रंगीन हो जाएगी…पेट तो भर ही चुका था बस गले को गीली करना बाकी थी….

कुछ ही पलों में दूर से हॉर्न बजाती तेज गति से बस दनदनाती हुई आती नजर आई…नजर पड़ते ही सबने अपने-अपने पोजीशन ले लिए…और सबकी नजर बस से उतरने वाली मुसाफिर पर जम गई…

अगले ही पल बस अपनी जगह पर जा खड़ी हो गई…कालिया और उसका दोस्त साँस थामे नजरे गड़ाए बस की गेट पर देख रहा था…पहला यात्री…हाथ में बस एक फाइल पकड़े परेशान दिखता उतरा…दूसरा…हाथ में एक झोला और उसके अंदर एक टिफिन जिसकी हैंडल झोले से बाहर निकली थी…

उसके बाद दो और उतरे जो विद्यार्थी थे…कालिया विद्यार्थी की तरफ तो देखता भी नहीं था…अंगूठा छाप वालों की क्या हसरत होती है वो अच्छी तरह जानता था क्योंकि वो खुद अंगूठा छाप था…ऐसे में वो किसी को तंग कर पढ़ाई रूकवाने की जुर्रत कतई नहीं करना चाहता था…

तभी बस से एक लड़की बड़े से सूटकेस लिए उतरती नजर आई…सबकी नजर एकटक सूटकेस पर जम गई…नीचे उतरते ही उसने सूटकेस के हैंडल बाहर खींची और सूटकेस खींचती हुई बाहर की तरफ चल पड़ी…

दिखने में तो ये स्टूडेंट लग रही थी और इसी वजह से सब कालिया की तरफ देखने लगे कि क्या करें? कालिया अपना दिमाग लड़की के कदम से दस गुनी तेज चलाने लगा…जब लड़की कालिया और उसके साथी को क्रॉस कर रूकी और अपने फोन से किसी को कॉल करने लगी….

कालिया हल्की रोशनी में खड़ी उस लड़की के होंठ पर नजर गड़ाए पढ़ रहा था कि वो क्या बात कर रही है…अचानक उसके होंठो पर मुस्कान आई और वो अपने साथियों को इशारा कर दिया…

और अगले ही पल लड़की सड़क पर गिरी चीखने लगी," आहहहब…..चोर…चोर…मेरा सूटकेस….कोई पकड़ो….." पर जब तक कोई बस स्टैंड के अंदर कोई पहुंच पाता तब तक सब के सब फरार हो चुके थे…

करीब दस मिनट के अंदर ही वहां शहर के एस.पी. साहब पहुंच गए…ओह…ये तो एस.पी. की इकलौती बेटी थी जिसे कालिया ने लूटा था…पूरे शहर में कोहराम मच गया और रातों रात पूरे शहर से एक-एक लफंगे को पूछताछ के लिए दबोच लिया गया…

पर कालिया और उसके साथी कहाँ गायब हो गया, किसी को मालूम नहीं…रात भर कड़ी पूछताछ के बाद बाकी सब को छोड़ दिया और पूरी की पूरी पुलिस टीम फरार कालिया के पीछे पड़ गई…

उधर कालिया जब सुटकेस को तोड़ा तो उसके अनुमान के तहत ढ़ेर सारे जेवर,कुछ रूपए और कीमती कपड़े मिले…सब खुशी से फूले नहीं समा रहे थे…पर उसे मालूम नहीं था कि पुलिस उसके पीछे पड़ गई है….

सारे चीजों को आपस में बाँटने के बाद जब वो सूटकेस को पैरों से मार कर दूर धकेला तो सबकी नजर सूटकेस से बाहर निकल कर छिटकती कुछ पेपर पर नजर पड़ी…कालिया को कुछ शक हुआ और वो पेपर उठा लिए…

पढ़ना तो आता नहीं था जो देखता कि ये किस चीज की पेपर है…वो कुछ सोच पेपर को मोड़ कर जेब में डाला और चल पड़ा…शहर से बाहर की तरफ जाते देख कालिया का एक साथी पूछा,"भाई, अपन लोग किधर जा रहे हैं…"

"अबे शाले, भेजा काम नहीं करता है क्या? इतना बड़ा माल मारा है तो वो लड़की ऐसे चुप रहेगी क्या…पुलिस में कम्प्लेन लेके जाएगी…और फिर हम सब की धुलाई और जेल दोनों मिलेंगे…कुछ दिन दूसरे शहर चल फिर सारे माल को ठिकाने लगा वापस आएंगे…तब तक बात भी ठंडी पड़ जाएगी और सबका गुस्सा भी…मतलब पकड़े गए तो सजा भी हल्की ही मिलेगी…चल अब.."

कालिया भले ही दूर भागने की कोशिश कर रहा था पर वह जानता था कि बच नहीं पाएगा….बचने के लिए उसे कोई नायाब तरीका सोचना ही पड़ेगा…वो तरीके खोजने की सोच में आगे बढ़ रहा था…

अगले दिन वह दूसरे शहर में न्यूज में पढ़ा कि वो लड़की एस.पी. बेटी थी तो सबको ऐसा महसूस हुआ जैसे पिछवाड़े में बम फूट गया…सबके पसीने पर पसीने छूट रहे थे कि बेटा, अब तो खैर नहीं…कोई और होती तो कुछ चांस भी थे कम सजा की पर अब….

शाम तक कालिया सोचता रहा…आखिर उसने जोखिम से भरा एक रास्ता खोज ही लिया और बाहर निकल फोन बूथ पर जा धमका और फोन लगाने लगा…

वो अपने शहर किसी साथी को फोन कर कुछ पूछताछ कर अपने कुछ सवाल उसे कह दिया और कल सुबह तक जवाब के लिए हुक्म दे दिया…वापस आ सब रात भर वहीं रहने की सोच खा पीकर सो गया…

अगले दिन तय समय पर कालिया फोन घुमाया और बातचीत खत्म कर अपने साथ आए सभी को कह दिया कि आगे उन सब को क्या करना है…

दोपहर बाद कालिया के सब साथी कालिया के कहे अनुसार दूर गुप्त जगह कह भिजवा दिया और खुद वापस अपने शहर की तरफ निकल पड़ा…और सबको यह भी कह दिया कि वो सब बस अपने एक साथी के सम्पर्क में रहेगा और मैं उससे सम्पर्क में रहूंगा और जब तक मैं ना कहूँ तुम लोग इधर फटकोगे भी नहीं…

शाम के 5 बजे तक कालिया अपने शहर आ पहुँचा और अपने उसी फोन वाले साथी के गुप्त स्थान पर जा पहुँचा…

साथी,"भाई,सारा बंदोबस्त कर दिया हूँ और वो लड़की अपने कपड़े खरीदने मार्केट अपने मम्मी के साथ आई है…कल आपने उसके सारे कपड़े ले लिए थे सो….." इतनी बात कहते वो हँस पड़ा जिसे सुन कालिया भी अपनी हंसी रोक नहीं पाया…

"अच्छा, ठीक है..तुम अपना नम्बर चेंज मत करना…मैं बूथ से तुम्हें फोन करता रहूँगा…खुद फोन तो रखना नहीं है…शाला ये वैज्ञानिक लोग भी ना सुविधा तो करता है पर उतना ही खतरा भी पैदा कर देता है…"कालिया उसे समझाते हुए कहा..

और फिर कुछ और बात कर कालिया निकल पड़ा…बाहर निकलते ही एक 4 व्हीलर ठीक उसके आगे रूकी और कालिया तेजी से उसमें बैठ गया और चल पड़ा…छोटे मोटे चोरी करने वाला कालिया आज बचने के लिए बड़े काम को अंजाम देने चल पड़ा था…

कालिया अपने ड्राइवर साथी से पूछा,"किस जगह शॉपिंग कर रही है वो…"

उसने जवाब दिया और गाड़ी चलाने में मशगूल हो गया…जहाँ एस.पी. की बेटी शॉपिंग कर रही थी उधर भीड़ कुछ ज्यादा थी तो कालिया उससे पहले ही अपनी गाड़ी सड़क किनारे रोक ली…

"उसकी गाड़ी कौन सी है..?" कालिया उस तरफ गाड़ी के अंदर से ही झांकते हुए पूछा..

"भाई, वो सामने लगी है…"ड्राइवर साथी ने एक सफेद रंग की गाड़ी की तरफ इशारा करते हुए बोला…

"छोटे अपना काम किया…"कालिया अपने कमर से तमंचे निकाल उसके अंदर की गोलियाँ देखते हुए बोला…

"भाई, वो छोटे सामने गोलगप्पे खा रहा है…काम हो गया है…"उसने सड़क के दूसरे तरफ देखते हुए बोला..उसकी बात सुन कालिया भी उधर मुड़ा…छोटे ने गोलगप्पे की प्लेट रखते हुए काम हो गया का इशारा कर दिया ड्राइवर की तरफ….

कालिया,"..उसे निकल जाने बोल दो.."

ड्राइवर उसे जाने की इशारा करते हुए बोला,"वो अपने लोग का ही वेट कर रहा था…"

और फिर दोनों एक साथ उस सफेद गाड़ी की तरफ नजर जमा दिया और बीच बीच उस एस.पी. की बेटी को भी खोज रहा था…पर वो यहां से दिख रही किसी भी जगह नहीं थी…

तभी ड्राइवर का फोन घिनघिनाने लगा…वो जल्दी से रिसीव कर कान में लगाया…उधर की आवाज सुन वो कालिया की तरफ देखते हुए बोला,"भाई, एस.पी. की बेटी बिल पे कर निकलने वाली है…"

कालिया "हम्म्म्म्म…"करते हुए घड़ी पर नजर डाली तो 7 बजने वाले थे…अंधेरा पूरी तरह छा गई थी…वो आखिरी बार तमंचे पर नजर डाला और उसे अपने एक हाथ में कस के थाम लिया और सामने एस.पी. की बेटी के आने का इंतजार करने लगा…. कुछ ही पलों में एस.पी. की बीवी और बेटी आती नजर आई…साथ में दो कांस्टेबल उनके पीछे हाथ में सामान पकड़े चला आ रहा था…कालिया की नजर उसे देखते ही चमक पड़ी…ड्राइवर कालिया की तरफ देखते हुए शेल्फ लगा दी…

उन दोनों के गाड़ी के निकट पहुँचते ही गाड़ी का ड्राइवर झट से बाहर निकला और गेट खोल दिया…तब तक दूसरी तरफ से एक और पुलिस का जवान गाड़ी से उतरा और खड़ा हो गया…

कुल तीन जवान थे और एक ड्राइवर…कालिया अपने पैनी नजर उन पर डाले वक्त का इंतजार कर रहा था…

दोनों मां-बेटी के बैठते ही दो कांस्टेबल गाड़ी के पीछे डिक्की में घुस गया जबकि जवान ड्राइवर के बगल में बैठ गया…तब तक ड्राइवर भी अपनी जगह ले गाड़ी को स्टॉर्ट कर दिया…

गाड़ी जैसे ही बढ़ी, अगली दोनों टायर फिस्स करती हुई अपनी सारी हवा बाहर कर दी और गाड़ी झटके लेती वहीं पर जम गई…ये देख कालिया और उसके साथी कुटिल मुस्कान से मुस्कुरा पड़े…

ड्राइवर तुरंत बाहर निकल गाड़ी की दशा पर झल्लाता हुआ कुछ बड़बड़ाने लगा…जवान और कांस्टेबल भी तब तक उतर गया और टायर देख ड्राइवर से पूछताछ करने लगा…

फिर जवान ने एस.पी. की बीवी से उतरने की हालत बयां करते हुए बताया…दोनों मां बेटी उतर कर साइड हो गई…एक टायर होती तो बदल भी सकता था फौरन पर दो थे तो बिना बनवाए नहीं होने वाला था….

गाड़ी से उतरते ही एस.पी. की बेटी फोन लगा दी…शायद पापा को बता रही थी और दूसरी गाड़ी मंगवा लेगी….ये देख कालिया थोड़ा परेशान जरूर हुआ क्योंकि दूसरी गाड़ी एस.पी. के घर से आने में करीब दस मिनट लगेंगे और कोई गाड़ी आसपास हुई तो 2-3 मिनट काफी हैं….

रिस्क लेने की सोच कालिया गाड़ी आगे बढ़ाने का इशारा कर दिया…गाड़ी कोई 40-50 गज की दूरी पर थी…5-7 गज ही गाड़ी बढ़ी थी कि एस.पी. की बेटी फोन बंद कर दी और सड़क के दूसरी तरफ नजर दौड़ाती मम्मी से कुछ कहने लगी…

ये देखते ही कालिया के रोंगटे खड़े हो गए और "धीरे.." कहते हुए एस.पी. की बेटी की नजर का पीछा किया…उस जगह नजर पड़ते ही कालिया हंस पड़ा…वो गोलगप्पे वाला था…

कालिया कांस्टेबल की तरफ नजर किया तो दोनों बैठ कर ड्राइवर को टायर खोलते देख रहा था जबकि जवान वहां पर नहीं था…तभी एस.पी. की बेटी गोलगप्पे वाले की तरफ बढ़ गई जो कि सड़क के उस पार खड़ा था…
 
Well-known member
2,893
6,187
143
UPDATE-2
तभी कालिया "जल्दी लो उसके पास…." कहते हुए लगभग चीख पड़ा…और पलक झपकते ही कालिया की गाड़ी सड़क के बीचोंबीच पहुँच चुकी एस.पी. के बेटी की बगल में जा कर रूकी…

एस.पी.की बेटी डर से लगभग चीखती हुई रूकी और जबतक कुछ समझती, कालिया उसकी बांह पकड़ अंदर खींच लिया और फिर उससे भी दुगुनी गति से गाड़ी चल पड़ी…

पीछे कांस्टेबल और ड्राइवर कुछ समझ के चिल्लाता, तब तक कालिया दूर जा चुका था…जवान ऐन मौके पर नदारद हो गया था जो कम से कम फायरिंग भी करके रोकने की कोशिश करता… ये खबर जैसे ही एस.पी. को लगी, वो तो सर पकड़ कर बैठ गया कि ये क्या मुसीबत आ गई मेरी बेटी के साथ…पर ये सोचने का नहीं, कुछ करने का वक्त था…

उसने अपने दिल को संभाला और फौरन एक्शन में आ गया…आधे घंटे में शहर क्या; पूरे डिस्ट्रिक के बॉर्डर को सील कर दिया…और पूरे जिले के पुलिस को कुत्ते के माफिक दौड़ा दिया….

पर असली कुत्ता और इस बनावटी कुत्ते में कुछ तो फर्क होता है… गाड़ी में ही कालिया ने उसके मुंह पर टेप चिपका के हाथ बाँध दिया और उसे हल्की नशे की दवा सूंघा दिया, जिसे सूंघते ही वो बेहोश हो लुढ़क पड़ी…

कालिया के साथी ड्राइवर को तुरंत फोन आ गइ कि पूरे शहर के साथ साथ जिलों को भी सील कर दिया गया है और सभी लफंगों को पागल की तरह पीट पीट कर पूछताछ कर रहा है एस.पी….

कालिया चौकन्ना हो गया और वो पाँच मिनट में ही किसी से सम्पर्क किया और बाहर निकलने के लिए पता कर लिया…हर जगह दो रास्ते होते ही हैं ये सिर्फ कहावत ही नहीं बल्कि सच्चाई है….

सो उसने दूसरे रास्ते अपनाए जो कि बिल्कुल साफ और सुरक्षित थी…आगे से कच्ची सड़क जंगल से हो के निकलती थी और सीधे बॉर्डर से 5 किमी दूर मेन रोड पर मिलती थी…

पर एक दिक्कत थी कि उस रास्ते में 4 व्हीलर नहीं जा पाती थी…और ये कालिया को फायदे ही पहुँचाती…उसने एक बाइक मंगवायी और गाड़ी चेंज कर कर दी…

4 व्हीलर को सलीके से वापस भेज दिया और बाइक पर खुद लड़की के पीछे बैठा, लड़की बीच में और एक दूसरा साथी बाइक चला रहा था…

लड़की पूरी तरह बेहोश थी तो उस पूरी मजबूती से पकड़ना पड़ रहा था…इसी मजबूत पकड़ में कालिया का हाथ अचानक से उस लड़की की चुची पर पकड़ बना लिया…

कालिया सन्न रह गया…हालांकि इससे पहले भी वो कई बार ना जाने कितनी रंडिया चोद चुका था पर इस पल की बात ही कुछ और थी…

वो दुनिया से बेखबर हो चुका था और अपने सीने पर लड़की की लुढ़की सर को एक टक से निहारने लगा…अंधेरे की वजह से चेहरा तो नहीं दिख रहा था पर बनावट जरूर पता चल रही थी…

एकदम किसी हिरोइन माफिक ना गोल, ना लम्बी बनावट.. और फिर वो इन चांद जैसे बनावट को देखते देखते काफी निकट अपना चेहरा कर लिया…

कालिया के चेहरे पर लड़की की गर्म साँसे अब पड़ रही थी और वो इन साँसों में ही मदहोश होने लगी…इन्हीं मदहोशी में कालिया के अंदर मर्द जाग गया और उसके हाथ उसकी चुची को मसलने लगा….

कड़क हाथों की मसाज पाते ही फूल सी लड़की दर्द से कुनमुना गई पर होश में नहीं आ पाई…ये देख कालिया होश में आ तुरंत अपने हाथ रोक दिए…

और फिर उसकी चुची पर हाथ चला उसकी कसावट मापने लगा…एकदम कड़क और सुडौल चुची थी…निप्पल भी मध्यम आकार की थी…कालिया तुरंत भांप गया कि ये कली तो बिल्कुल ही अनछुई है…

इस दौरान कालिया का लण्ड कब अकड़ के तोप बन गया, उसे मालूम ही नहीं चला और वो तोप लड़की की गांड़ में सलवार को भेद कर जाने के लिए तड़पने लगा…

वो किसी तरह कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था…बाइक पर कुछ करता तो बैलेंस बिगड़ सकती थी और लेने के देने पड़ जाते…उसने लण्ड से मन हटाने के लिए बार फिर उसकी चुची सहलाने लगा और उसके चेहरे देखने लगा….

वो एक बार फिर मदहोश होता गया और उसके होंठ उसके गालों से रगड़ खाने लगी…और अगले ही पल मुंह पर चिपकी टेप को दांतों तले दबा वो हटाने लगा…और वो फिर अपने होंठों से उसके चेहरे को मापने लगा…

उसके होंठ जब लड़की की नर्म और रसीले होंठों पर पड़ी तो कालिया के अंदर भूचाल सा आ गया…आज दूसरी बार लड़की सामने आई थी पर कल जहाँ लड़की नहीं, उसके सूटकेस दिख रहे थे और आज मार्केट में खुद बचने के टेंशन में लड़की की खुबसूरती निहार नहीं पाया था…

पर इस वक्त वो सब भुला इस हूर की परी को बस अंधेरे में भी साफ साफ देख रहा था…

"कालिया भाई, मेन रोड आने वाली है…अपने आदमी से सम्पर्क कर लूँ कि वो पहुँचा या नहीं…" तभी बाइक वाला साथी बोला…

जिससे कालिया स्वर्ग की सुंदरता से बाहर आते हुए बोला,"हाँ, इधर ही रोक कर पता कर लो…" कालिया के बोलते ही बाइक रूकी और वो फोन पर बात करने लगा…

सब ठीक ठाक थी और आगे आदमी तैयार भी था तो फिर से चल दिया…अब कालिया के पास और ज्यादा वक्त नहीं था कि और इस दुनिया में खो के रहे…

सो वो मुस्कुराते हुए अंधेरे में ही उलके होंठों को चूमा और वापस अपनी वर्तमान में पहुँचने की कोशिश करने लगा…पर उसका दिल नहीं मान रहा था…

तभी अचानक से कालिया के दिमाग ने कुछ कह डाला जिससे वो शर्म से मरने लगा…क्या जो तुम कर रहे वो सही है…एक मजबूर लड़की जिसका तुमने किडनैप कर लिया उसकी इज्जत भी लोगे क्या?

बचने के लिए इसे तुम उठाए और इसी का शिकार करोगे…ये तो जीतेजी मर जाएगी..इसके माध्यम से बचना चाहते तो ठीक है…इसके बाप से सम्पर्क करना और केस नहीं करने को कह बच जाना और शायद मजबूर हो एस.पी. मान भी जाए पर इसके साथ ऐसी हरकत कर रहे ये सही नहीं है…

वो इसी तरह की बातें सुन खून के घूंट पी कर रह गया और सर को झटकते हुए ऐसी हरकत ना करने की ठान ली और फिर वापस इस दुनिया में गया…अब वो एक ही बात सोचने लगा कि किसी भी तरह इसे किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दूंगा और इसके बाप को किसी तरह मनाने की कोशिश करूंगा कि वो केस ना करे…

हां नहीं माना तो देखा जाएगा पर इसके साथ कुछ भी गलत नहीं करूंगा…चाहे एस.पी. को ही क्यों ना उठाना पड़े…अजीब थी एक ही दिन में कालिया एस.पी. को उठाने की सोचने लग गया… कुछ ही देर में कालिया मेन रोड के किनारे पहुंच गया…उसने बाइक से उतरा और लड़की को एक फूल की माफिक गोद में उठा लिया…और सामने खड़ी गाड़ी की तरफ तेजी से बढ़ गया…तब तक बाइक वाला भी तेजी से मेन रोड पर बाइक चढ़ा फुर्र हो गया…

कालिया बड़ी सावधानी से उसे सीट पर लिटा दिया और खुद भी अंदर चला गया…और चल पड़ा…अब रात भी बीत रही थी चौकसी तेज होने की आशंका थी…कालिया उसे किसी जगह रूकने को बोला…

करीब 1 घंटे में वो अपने ठिकाने तक पहुँच गया…फिर लड़की को सुला दिया और उसके हाथ पांव अच्छे से बांधा और खुद भी सोने की करने लग गया…पर सामने ऐसी लड़की हो जो उसके दिल को घायल कर रही हो तो भला नींद कैसे आ सकती है…

वो रात भर उसे निहारने में जगा ही रह गया…सुबह में करीब चार बजे वो उठा और वहां से निकलने की सोची…वो दूसरी ओर सो रहे साथी को जगाया और चलने बोला…

"आहहहह…मम्मी…मैं कहाँ हूँ…" तभी कालिया के कानों में लड़की की सुरीली कराह सुनाई पड़ा..वो आवाज सुनते ही उसकी तरफ फौरन पलटा…

लड़की कालिया को देखते ही चीख पड़ी…रात के अंधेरे में काला आदमी और भयानक लगता है…वो डर के मारे चीख पड़ी थी…कालिया तुरंत ही नीचे झुक अपने हाथ उसके मुँह पर रख दी जिससे उसकी आवाजें घुट कर रह गई….

इससे वो लड़की छटपटाती हुई और चिल्लाने की कोशिश करती रोने लग गई…उसे रोते देख कालिया अंदर ही अंदर घुटन महसूस कर रहा था पर ऐसी स्थिति में उस पर रहम करना खुद पर कुल्हाड़ी चलाने के बराबर थी…

"ऐ रोना बंद कर नहीं तो…यहीं पे ये…ये..देख रही है ना सीधा तेरे अंदर डाल दूंगा…समझी ना…"कालिया ना चाहते हुए भी उसे डराने के लिए अपने बंदूक उसकी आँखों के आगे लहराते हुए गुर्राया…

ये सुनते ही लड़की के और डर से बुरा हाल हो गया और वो बच्चों की तरह हल्की आवाज में सिसकने लगी…ये देख कालिया कुछ हल्का हुआ पर एक डर थी कि अगर बाहर ये शोर कर दी तो मुश्किल हो जाएगी…

कालिया," देख, ये रोना-धोना बंद करो…नहीं तो मुझे फिर से तुम्हें बेहोश करना पड़ेगा…अब हम यहां से निकलेंगे तो तुम जैसे चलना चाहोगी पसंद तुम्हारी…"कालिया थोड़ा कड़क बनने की कोशिश कर रहा था पर उसकी मासूम भरी चेहरे के सामने बन नहीं पाया…

लड़की अब थोड़ी चुप हो गई और एकटक उसकी तरफ देखने लगी…ये देख कालिया उसके पांव खोल दिए और उसकी बांह पकड़ कर बेड पर बिठा दिया…इस बार लड़की नहीं चिल्लाई…

"तुम मुझे क्यों लाए हो ?"लड़की बैठते ही कालिया से सवाल कर गई…शायद भांप ली थी कि अगर वो शांत रही हो उसे कुछ नहीं करेगा ये…तो वो जानने की कोशिश कर रहा था…

कालिया सवाल सुन ऱूक सा गया और उसकी तरफ देखने लगा…कुछ देर चुप रहाऔर फिर बोला,"मुझे तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है पर तेरा एस.पी. बाप…." कालिया "बाप" से आगे कुछ बोलता कि बीच में ही लड़की गुस्से से बोल पड़ी..

"ऐ…पापा हैं वो मेरे…और वो तुम्हारे जैसे गंदे काम नहीं करते…समाजसेवी हैं वे, इज्जत करना सीखो…" लड़की की बातों से कालिया को हंसी छूट गई…

"हा..हा…हा…ओके…तुम्हारे पापा मेरे पीछे पड़ गए हैं…अगर ऐसा रहा तो मैं किधर रहूँगा बताओ तुम ही…हर वक्त मेरे को टेंशन होता रहता है और परसों से भागता ही रहता हूँ…" कालिया की बातों से लड़की चौंक पड़ी…

"कल से…मतलब मेरा सूटकेस तुमने ही छीना था….फिर तो ठीक हो रहा है…मैं तो अब पापा को बोलूंगी कि पापा इसे जेल मत भेजो…सीधा एनकाउन्टर कर दो…इसी ने मुझे उठाया था…देख लेना अब तुम तो गए…"लड़की तुरंत समझ गई कि यही वो चोर था तो अपने अंदर का गुस्सा बाहर करने लगी…

कालिया उसकी बातों से थोड़ा मुस्कुराया और उठ कर उसकी बांह पकड़ बाहर की तरफ चल दिया…वो ज्यादा देर नहीं करना चाहता था…

"ओए..अब मुझे कहां ले जा रहे हो..मुझे घर जाना है…"लड़की ना चाहते भी खिंचती हुई चलती बोली…जिसे सुन कालिया को थोड़ा गुस्सा आ गया…

कालिया,"ज्यादा चपर चपर की ना तो तू कभी घर का मुँह नहीं देख पाएगी…चुपचाप चल तेरे पापा जब तक मेरे केस को खत्म नहीं करेंगा तू मेरे साथ ही रहेगी…समझी ना..चल अब."

लड़की का सारा गुस्सा यूँ हवा हो गई और रोनी सूरत बनाती हुई चलने लगी…गाड़ी में उस लड़की को बिठा कालिया उसके बगल में बैठा और चल पड़ा…अब धीरे धीरे धूप भी लाल रोशनी पड़ने लग गई थी जमीं पर…

लड़की को ऐसे मुंह बना देख कालिया कुछ मायूस सा हो गया…क्योंकि वो बोलते वक्त काफी हसीन लगती थी…वो खुद पर गुस्सा भी हो रहा था कि क्यों डांट दिया…खैर सुबह की वक्त थीतो सड़के सुनसान थी…जिसमें गाड़ी पूरी रफ्तार से बढ़े जा रही थी…
 
Well-known member
1,761
4,953
145
UPDATE 1
पाँच मंजिले मकान के प्रथम तल के एक कमरे में सुबह के 5 बजे की अलार्म बजते ही बेड पर कुनमुनाती हुई अपना हाथ बढ़ा अलार्म बंद की और फिर चादर तान के सो गई…ये है रूपा…घर में सबकी लाडली…घर में सबसे सुंदर जो थी…

तीनों भाई तो अपने पापा पर गए काले सम्राट…पर रूपा अपने मम्मी के रंग पर चली गई…दूध की तरह सफेद रंग, तीखे और बड़ी बड़ी आँखें,लाल सुर्ख होंठ, लम्बी गर्दन, कमर तक रेशमी बाल,ललाट पर बिंदी की जगह चंदन लगाना,नाक में छोटी सी नथुनी, सुडौल और तराशा हुआ बदन….

ऊपर से नीचे तक नजर हजारों बार फिरा लो रूपा पर , पर शायद ही किसी बार आप बिना तारीफ के रह सको…जब कॉलेज के लिए अपने दोस्त के साथ घर से निकलती तो रास्ते भर ना जाने कितने दिल घायल होते और ना जाने कितनी आहें निकलती….

पर इन सब से बेखबर रूपा बस अपने काम से मतलब रखती…इसी वजह से वो आज तक कुंवारी कली की तरह खिल रही थी…रूपा को अपने आशिकों की खबर ना थी ऐसी बात नहीं थी…रूपा अपने सुंदर बदन के साथ साथ तेज और संतुलित दिमाग की भी मालकिन थी…

पर रूपा दिलफेंक आशिकों को अच्छी तरह जानती थी कि ऐसे लड़के अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं…और दूसरी बात रूपा के पापा शहर के सबसे अमीर बिजनेस मैन हैं और उनकी शहर में अच्छी धाक है तो किसी की हिम्मत नहीं होती कि उनसे कोई पंगा ले…

रूपा की दोस्त भी सिर्फ और सिर्फ एक ही थी…कनक…जो कि थी तो दूर गाँव की पर उनके पिता इसी शहर में बैंक की नौकरी करते थे तो अब यहीं शिफ्ट हो गए थे…कनक भी दिखने में काफी सुंदर थी और पढ़ने में भी तेज तो इस वजह से दोनों में गहरी दोस्ती हो गई…

दोनों साथ हो तो सगी बहन जैसी लगती थी पर सच्चाई तो कुछ और ही थी…हाँ, इन दोनों में एक फर्क जरूर थी…कनक जहाँ चालू टाइप की बिंदास गर्ल थी तो वहीं रूपा सीधी-साधी शरीफ लड़की…फिर भी इन दो ध्रुवीय में कैसे इतनी गहरी दोस्ती हो गई…समझ से परे….

कनक स्कूल दिनों से आज तक पता नहीं कितने बॉयफ्रेंड बदले, वो खुद गिनते वक्त भूल जाती…हाँ, अपने बॉयफ्रेंड संग बिताए हर पल का बखान वो रूपा को जरूर सुनाती और रूपा भी सुन के मस्त होती…

पर कनक साथ में ये भी कहती कि रूपा, तुम मेरी तरह बन के मस्ती की मत सोचना…जब भी जिंदगी तुम्हें ऐसे मौके दे तो पहले अपने दिल की सुनना और फिर दिल जो कहे, बस वैसी ही करना…

यहीं पर रूपा कनक की कहनी से छिटक के बाहर आती तो उसे अपने मम्मी-पापा भैया-भाभी के दिल में अपने प्रति भावना आ जाती है और कनक की तरह मस्ती करने की सोचती भी नहीं…क्योंकि वो कभी भी ये नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से उसके फैमिली वालों पर कोई उंगली उठाए….

अब हम रूपा के कमरे से निकल दूसरे कमरे में चलते हैं…क्योंकि इसी तल के दूसरे कमरे में रूपा के मम्मी पापा गहरी नींद में सो रहे हैं…इनके रूम में 6 बजे अलार्म बजती है…रूपा के पापा कालीचरण और मम्मी पुष्पा…

कालीचरण अपने नाम की ही तरह बिल्कुल काला, जबकि पुष्पा दूध की धुली एकदम गोरी चिट्टी और बेमिसाल हुस्न की मल्लिका…कोई देख ले तो एक बार चौंक जरूर जाए कि आखिर कैसे…

इनकी कहानी भी अजीब है…बात तब की है जब कालीचरण अपने जीवन के 24वे साल में प्रवेश किया था…और तब वह कालीचरण नहीं, कालिया था…बदमाश कालिया…

बदमाश भी कोई ऊंचे दर्जे का नहीं था..बस अपने इसी शहर का नामी बदमाश था…और वो अपने गिरोह का सरगना था…काम मुसाफिरों के अटैची उड़ाना चाहे वो जैसे दे…मतलब मार खा कर या चाकू से घायल होकर या नशा का शिकार हो कर…

पर आज तक कालिया कभी मर्डर नहीं किया था और ना ही करना चाहता था… वो कहता था कि दो दिन अपना पेट भरने के लिए किसी की जिंदगी भर की पेट नहीं काट सकता…शायद यही अच्छाई उसे आज एक सफल व्यक्ति बना दिया..

एक दिन रात के करीब आठ बजे की बात है…वो अपने चार दोस्तों के साथ आखिरी बस के आने का वेट कर रहा था कि कोई फंसे तो आज की रात रंगीन हो जाएगी…पेट तो भर ही चुका था बस गले को गीली करना बाकी थी….

कुछ ही पलों में दूर से हॉर्न बजाती तेज गति से बस दनदनाती हुई आती नजर आई…नजर पड़ते ही सबने अपने-अपने पोजीशन ले लिए…और सबकी नजर बस से उतरने वाली मुसाफिर पर जम गई…

अगले ही पल बस अपनी जगह पर जा खड़ी हो गई…कालिया और उसका दोस्त साँस थामे नजरे गड़ाए बस की गेट पर देख रहा था…पहला यात्री…हाथ में बस एक फाइल पकड़े परेशान दिखता उतरा…दूसरा…हाथ में एक झोला और उसके अंदर एक टिफिन जिसकी हैंडल झोले से बाहर निकली थी…

उसके बाद दो और उतरे जो विद्यार्थी थे…कालिया विद्यार्थी की तरफ तो देखता भी नहीं था…अंगूठा छाप वालों की क्या हसरत होती है वो अच्छी तरह जानता था क्योंकि वो खुद अंगूठा छाप था…ऐसे में वो किसी को तंग कर पढ़ाई रूकवाने की जुर्रत कतई नहीं करना चाहता था…

तभी बस से एक लड़की बड़े से सूटकेस लिए उतरती नजर आई…सबकी नजर एकटक सूटकेस पर जम गई…नीचे उतरते ही उसने सूटकेस के हैंडल बाहर खींची और सूटकेस खींचती हुई बाहर की तरफ चल पड़ी…

दिखने में तो ये स्टूडेंट लग रही थी और इसी वजह से सब कालिया की तरफ देखने लगे कि क्या करें? कालिया अपना दिमाग लड़की के कदम से दस गुनी तेज चलाने लगा…जब लड़की कालिया और उसके साथी को क्रॉस कर रूकी और अपने फोन से किसी को कॉल करने लगी….

कालिया हल्की रोशनी में खड़ी उस लड़की के होंठ पर नजर गड़ाए पढ़ रहा था कि वो क्या बात कर रही है…अचानक उसके होंठो पर मुस्कान आई और वो अपने साथियों को इशारा कर दिया…

और अगले ही पल लड़की सड़क पर गिरी चीखने लगी," आहहहब…..चोर…चोर…मेरा सूटकेस….कोई पकड़ो….." पर जब तक कोई बस स्टैंड के अंदर कोई पहुंच पाता तब तक सब के सब फरार हो चुके थे…

करीब दस मिनट के अंदर ही वहां शहर के एस.पी. साहब पहुंच गए…ओह…ये तो एस.पी. की इकलौती बेटी थी जिसे कालिया ने लूटा था…पूरे शहर में कोहराम मच गया और रातों रात पूरे शहर से एक-एक लफंगे को पूछताछ के लिए दबोच लिया गया…

पर कालिया और उसके साथी कहाँ गायब हो गया, किसी को मालूम नहीं…रात भर कड़ी पूछताछ के बाद बाकी सब को छोड़ दिया और पूरी की पूरी पुलिस टीम फरार कालिया के पीछे पड़ गई…

उधर कालिया जब सुटकेस को तोड़ा तो उसके अनुमान के तहत ढ़ेर सारे जेवर,कुछ रूपए और कीमती कपड़े मिले…सब खुशी से फूले नहीं समा रहे थे…पर उसे मालूम नहीं था कि पुलिस उसके पीछे पड़ गई है….

सारे चीजों को आपस में बाँटने के बाद जब वो सूटकेस को पैरों से मार कर दूर धकेला तो सबकी नजर सूटकेस से बाहर निकल कर छिटकती कुछ पेपर पर नजर पड़ी…कालिया को कुछ शक हुआ और वो पेपर उठा लिए…

पढ़ना तो आता नहीं था जो देखता कि ये किस चीज की पेपर है…वो कुछ सोच पेपर को मोड़ कर जेब में डाला और चल पड़ा…शहर से बाहर की तरफ जाते देख कालिया का एक साथी पूछा,"भाई, अपन लोग किधर जा रहे हैं…"

"अबे शाले, भेजा काम नहीं करता है क्या? इतना बड़ा माल मारा है तो वो लड़की ऐसे चुप रहेगी क्या…पुलिस में कम्प्लेन लेके जाएगी…और फिर हम सब की धुलाई और जेल दोनों मिलेंगे…कुछ दिन दूसरे शहर चल फिर सारे माल को ठिकाने लगा वापस आएंगे…तब तक बात भी ठंडी पड़ जाएगी और सबका गुस्सा भी…मतलब पकड़े गए तो सजा भी हल्की ही मिलेगी…चल अब.."

कालिया भले ही दूर भागने की कोशिश कर रहा था पर वह जानता था कि बच नहीं पाएगा….बचने के लिए उसे कोई नायाब तरीका सोचना ही पड़ेगा…वो तरीके खोजने की सोच में आगे बढ़ रहा था…

अगले दिन वह दूसरे शहर में न्यूज में पढ़ा कि वो लड़की एस.पी. बेटी थी तो सबको ऐसा महसूस हुआ जैसे पिछवाड़े में बम फूट गया…सबके पसीने पर पसीने छूट रहे थे कि बेटा, अब तो खैर नहीं…कोई और होती तो कुछ चांस भी थे कम सजा की पर अब….

शाम तक कालिया सोचता रहा…आखिर उसने जोखिम से भरा एक रास्ता खोज ही लिया और बाहर निकल फोन बूथ पर जा धमका और फोन लगाने लगा…

वो अपने शहर किसी साथी को फोन कर कुछ पूछताछ कर अपने कुछ सवाल उसे कह दिया और कल सुबह तक जवाब के लिए हुक्म दे दिया…वापस आ सब रात भर वहीं रहने की सोच खा पीकर सो गया…

अगले दिन तय समय पर कालिया फोन घुमाया और बातचीत खत्म कर अपने साथ आए सभी को कह दिया कि आगे उन सब को क्या करना है…

दोपहर बाद कालिया के सब साथी कालिया के कहे अनुसार दूर गुप्त जगह कह भिजवा दिया और खुद वापस अपने शहर की तरफ निकल पड़ा…और सबको यह भी कह दिया कि वो सब बस अपने एक साथी के सम्पर्क में रहेगा और मैं उससे सम्पर्क में रहूंगा और जब तक मैं ना कहूँ तुम लोग इधर फटकोगे भी नहीं…

शाम के 5 बजे तक कालिया अपने शहर आ पहुँचा और अपने उसी फोन वाले साथी के गुप्त स्थान पर जा पहुँचा…

साथी,"भाई,सारा बंदोबस्त कर दिया हूँ और वो लड़की अपने कपड़े खरीदने मार्केट अपने मम्मी के साथ आई है…कल आपने उसके सारे कपड़े ले लिए थे सो….." इतनी बात कहते वो हँस पड़ा जिसे सुन कालिया भी अपनी हंसी रोक नहीं पाया…

"अच्छा, ठीक है..तुम अपना नम्बर चेंज मत करना…मैं बूथ से तुम्हें फोन करता रहूँगा…खुद फोन तो रखना नहीं है…शाला ये वैज्ञानिक लोग भी ना सुविधा तो करता है पर उतना ही खतरा भी पैदा कर देता है…"कालिया उसे समझाते हुए कहा..

और फिर कुछ और बात कर कालिया निकल पड़ा…बाहर निकलते ही एक 4 व्हीलर ठीक उसके आगे रूकी और कालिया तेजी से उसमें बैठ गया और चल पड़ा…छोटे मोटे चोरी करने वाला कालिया आज बचने के लिए बड़े काम को अंजाम देने चल पड़ा था…

कालिया अपने ड्राइवर साथी से पूछा,"किस जगह शॉपिंग कर रही है वो…"

उसने जवाब दिया और गाड़ी चलाने में मशगूल हो गया…जहाँ एस.पी. की बेटी शॉपिंग कर रही थी उधर भीड़ कुछ ज्यादा थी तो कालिया उससे पहले ही अपनी गाड़ी सड़क किनारे रोक ली…

"उसकी गाड़ी कौन सी है..?" कालिया उस तरफ गाड़ी के अंदर से ही झांकते हुए पूछा..

"भाई, वो सामने लगी है…"ड्राइवर साथी ने एक सफेद रंग की गाड़ी की तरफ इशारा करते हुए बोला…

"छोटे अपना काम किया…"कालिया अपने कमर से तमंचे निकाल उसके अंदर की गोलियाँ देखते हुए बोला…

"भाई, वो छोटे सामने गोलगप्पे खा रहा है…काम हो गया है…"उसने सड़क के दूसरे तरफ देखते हुए बोला..उसकी बात सुन कालिया भी उधर मुड़ा…छोटे ने गोलगप्पे की प्लेट रखते हुए काम हो गया का इशारा कर दिया ड्राइवर की तरफ….

कालिया,"..उसे निकल जाने बोल दो.."

ड्राइवर उसे जाने की इशारा करते हुए बोला,"वो अपने लोग का ही वेट कर रहा था…"

और फिर दोनों एक साथ उस सफेद गाड़ी की तरफ नजर जमा दिया और बीच बीच उस एस.पी. की बेटी को भी खोज रहा था…पर वो यहां से दिख रही किसी भी जगह नहीं थी…

तभी ड्राइवर का फोन घिनघिनाने लगा…वो जल्दी से रिसीव कर कान में लगाया…उधर की आवाज सुन वो कालिया की तरफ देखते हुए बोला,"भाई, एस.पी. की बेटी बिल पे कर निकलने वाली है…"

कालिया "हम्म्म्म्म…"करते हुए घड़ी पर नजर डाली तो 7 बजने वाले थे…अंधेरा पूरी तरह छा गई थी…वो आखिरी बार तमंचे पर नजर डाला और उसे अपने एक हाथ में कस के थाम लिया और सामने एस.पी. की बेटी के आने का इंतजार करने लगा…. कुछ ही पलों में एस.पी. की बीवी और बेटी आती नजर आई…साथ में दो कांस्टेबल उनके पीछे हाथ में सामान पकड़े चला आ रहा था…कालिया की नजर उसे देखते ही चमक पड़ी…ड्राइवर कालिया की तरफ देखते हुए शेल्फ लगा दी…

उन दोनों के गाड़ी के निकट पहुँचते ही गाड़ी का ड्राइवर झट से बाहर निकला और गेट खोल दिया…तब तक दूसरी तरफ से एक और पुलिस का जवान गाड़ी से उतरा और खड़ा हो गया…

कुल तीन जवान थे और एक ड्राइवर…कालिया अपने पैनी नजर उन पर डाले वक्त का इंतजार कर रहा था…

दोनों मां-बेटी के बैठते ही दो कांस्टेबल गाड़ी के पीछे डिक्की में घुस गया जबकि जवान ड्राइवर के बगल में बैठ गया…तब तक ड्राइवर भी अपनी जगह ले गाड़ी को स्टॉर्ट कर दिया…

गाड़ी जैसे ही बढ़ी, अगली दोनों टायर फिस्स करती हुई अपनी सारी हवा बाहर कर दी और गाड़ी झटके लेती वहीं पर जम गई…ये देख कालिया और उसके साथी कुटिल मुस्कान से मुस्कुरा पड़े…

ड्राइवर तुरंत बाहर निकल गाड़ी की दशा पर झल्लाता हुआ कुछ बड़बड़ाने लगा…जवान और कांस्टेबल भी तब तक उतर गया और टायर देख ड्राइवर से पूछताछ करने लगा…

फिर जवान ने एस.पी. की बीवी से उतरने की हालत बयां करते हुए बताया…दोनों मां बेटी उतर कर साइड हो गई…एक टायर होती तो बदल भी सकता था फौरन पर दो थे तो बिना बनवाए नहीं होने वाला था….

गाड़ी से उतरते ही एस.पी. की बेटी फोन लगा दी…शायद पापा को बता रही थी और दूसरी गाड़ी मंगवा लेगी….ये देख कालिया थोड़ा परेशान जरूर हुआ क्योंकि दूसरी गाड़ी एस.पी. के घर से आने में करीब दस मिनट लगेंगे और कोई गाड़ी आसपास हुई तो 2-3 मिनट काफी हैं….

रिस्क लेने की सोच कालिया गाड़ी आगे बढ़ाने का इशारा कर दिया…गाड़ी कोई 40-50 गज की दूरी पर थी…5-7 गज ही गाड़ी बढ़ी थी कि एस.पी. की बेटी फोन बंद कर दी और सड़क के दूसरी तरफ नजर दौड़ाती मम्मी से कुछ कहने लगी…

ये देखते ही कालिया के रोंगटे खड़े हो गए और "धीरे.." कहते हुए एस.पी. की बेटी की नजर का पीछा किया…उस जगह नजर पड़ते ही कालिया हंस पड़ा…वो गोलगप्पे वाला था…

कालिया कांस्टेबल की तरफ नजर किया तो दोनों बैठ कर ड्राइवर को टायर खोलते देख रहा था जबकि जवान वहां पर नहीं था…तभी एस.पी. की बेटी गोलगप्पे वाले की तरफ बढ़ गई जो कि सड़क के उस पार खड़ा था…
Aik dam jhakaas star....
 

Top