Incest पापा प्लीज……..

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पापा प्लीज……..
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UPDATE-4
उसके सामने आज पहली बार किसी ने उसकी तारीफ जो की थी…और तारीफ किसे नहीं अच्छी लगती…तारीफ सुन वो अपने दिल की खुशी रोक नहीं पाई और क्षण भर के लिए वो भूल गई कि वो किडनैप भी हुई है…

उधर कालिया भी ये देख काफी काफी खुश हुआ और उसका दिल तो बल्लियों उछलने लगा…वो रत्ना की तरफ देख कर मुस्कुराया और बोला,"यार बच गया नहीं तो…"

उसके बाद कालिया और रत्ना ने अपने बीते हुए दिनों की बात खोल दिया और बात करने लगा…कैसे वो बचपन से ही ऊटपटांग काम करता था…

कैसे मौलवी साहब की मुर्गी चुराकर पार्टी करता था और अगले दिन मौलवी साहब मुर्गी की टांगे लिए पूरे शहर ढ़िढ़ोरा पिटते कहते थे कमीना कालिया और रत्ना मेरी मेहबूबा का ये हाल कर दिया…अब अंडे कैसे खाऊंगा…

इसी तरह की बात करते करते वो किनारे तक पहुँच गया…लड़की पलट कर नदी के उस पार देखी तो पूरा जल ही जल…वो माथा पीट कर रह गई…वो दोनों भी नीचे उतरे और चल पड़े…

कुछ ही दूर झाड़ी की ओट में एक जीप खड़ी थी…रत्ना उस पर सवार हो गया…साथ ही कालिया लड़की को बैठने का इशारा कर रत्ना के बगल में बैठ गया…लड़की के बैठते ही जीप अपनी रफ्तार से जंगलों के बीचोंबीच दौड़ने लगी…

इस दौरान किसी ने कुछ बात नहीं की…करीब एक घंटे जीप पर रहने के बाद जीप एक जगह रूकी…जीप के रूकते ही चार लोग सशस्त्र पता नहीं किधर से आए और जीप के चारों तरफ खड़े हो गए…

रत्ना,"जाओ तुम लोग, ये मेहमान हैं मेरे…" रत्ना के कहते ही पलक झपकते वे सब गायब हो गए…फिर आगे बढ़ झाड़ी को हटा एक सुरंग टाइप के रास्ते से अंदर की तरफ बढ़ गया…

उसके पीछे कालिया ने लड़की को चलने कहा और खुद सबसे पीछे हो लिया…कुछ ही पलों में वो झाड़ी से बाहर निकला तो सामने देख लड़की की आँखें फटी की फटी रह गई…

इस वीरान जंगल के बीच एक शानदार भवन था…जो कि दिन में भी रोशनी से नहाई थी…आखिर क्यों ना हो घर के चारों तरफ से बड़े बड़े वृक्षों से घिरी थी जिस वजह से बाहर या ऊपर से भी नहीं लगता कि यहां घर है…

घर दो मंजिल की थी…घर के अंदर दाखिल हो तीनों ऊपरी मंजिल पर गए और ऊपर पहुँचते ही रत्ना ने कालिया को एक घर की तरफ इशारा करते हुए बोला,"इस तीखी मिर्ची को इस रूम में डाल दो,पड़ी रहेगी…बाकी तुम मेरे साथ आ जाओ…"तब तक रूम के पास पहुँच रत्ना ने रूम ओपेन कर दिया…

तभी बगल के रूम से दो खूबसूरत बिल्कुल कच्ची कली और जवानी की दहलीज पर कदम रखती हुई लड़की निकल के बाहर आई…उस पर नजर पड़ते ही कालिया और इस लड़की के तो होश उड़ गए…

वो सिर्फ बिकनी में थी..ये देख रत्ना हंसते हुए बोला,"आ गया हूँ डार्लिंग…अभी आता हूँ आपकी इच्छा पूरी करने…तुम अंदर ही रूको…" इतना सुनते ही वो दोनों वापस रूम में घुस गई…

इधर इस लड़की को शर्म से अपना मुँह घुमाना पड़ा…बोल तो कुछ नहीं सकती थी…तभी कालिया बोला,"जब तक मैं तुम्हारे पापा से बात करूँ तब तक तुम यहीं रहोगी और कोई उल्टी सीधी हरकत करने की सोचना भी मत…नहीं तो जंगल कितना खतरनाक है तुम देख ही चुकी…कोई चीज…"

"मुझे फ्रेश होनी है और नहानी भी है…पूरी शरीर गंदी हो गई है…"कालिया को बीच में ही टोकती हुई अपनी जरूरत की शुरूआत कर दी…ये देख कालिया और रत्ना मंद मंद मुस्कुरा दिया…

रत्ना,"ओके मैं कपड़े भिजवा देता हूँ…तुम अंदर अटैच बाथरूम में फ्रेश हो लेना…पता है तुम औरों की तरह जिद्दी नहीं हो इसलिए इतनी खातिरदारी कर रहा वर्ना क्या होता तुम्हारे साथ तुम सोच भी नहीं सकती.."

कहते हुए रत्ना और कालिया दोनों बगल वाले रूम में चले गए…कुछ ही देर में एक लड़की आई और इसे कुछ ड्रेस दे दिए…ड्रेस खोल के देखी तो राउण्ड नेक की टीशर्ट और शार्ट्स थी…

"कोई और ड्रेस नहीं है तुम्हारे पास…मैं अक्सर समीज पहनती हूँ…ये सब उफ्फ्फ…"ड्रेस देखते ही अपनी भौंहे सिकुड़ाती हुई बोली…

"नहीं…ये तो मैं साथ लाई थी वहीं ड्रेस हैं जिन्हे आज तक कभी पहनी ही नहीं क्योंकि यहाँ पहनने की जरूरत ही नहीं होती…"वो लड़की जवाब देती हुई हंसती हुई वापस रत्ना के रूम में घुस गई… वो लड़की कुछ देर वहीं खड़ी कुछ सोचती रही कि तभी उसे पता नहीं क्या सूझी, आगे बढ़ी और रत्ना के रूम के पास पहुँच दरवाजे पर हाथों से धक्का दे दी…

उसकी नजर सामने पड़ते ही चीख निकल गई उसकी…इन चंद मिनटों के दरम्यान में ही दोनों लड़की की चुचियाँ नंगी हो गई थी और दोनों उन लड़की को बेड पर पटके उसकी चुची से खेल रहे थे….

चीख सुनते ही सबके सब चौंकते हुए गेट की तरफ मुड़े और इसे देख रत्ना जोर से हंसने लगा और बोला,"जा यार, अब इसे क्या हुआ…पूछ ले…मुझे तो प्यास लगी है जरा इसके रस चूसने दो…"और फिर वो उसकी चुचियों पर दांत भिड़ा दिए…

कालिया ना चाहते हुए भी उठा और गेट के बाहर आया जहाँ लड़की मुंह घुमाये खड़ी कुछ बड़बड़ा रही थी…कालिया उसे देख हौले से मुस्काते हुए बोला,"क्या हुआ.?"

"ये कपड़े मैं नहीं पहनूँगी…"लड़की वो टीशर्टस और शार्ट्स कालिया के हाथों में थमाती हुई बोली…कालिया थोड़ा आश्चर्य से कपड़े को खोल कर देखने लगा…

कालिया,"यार अब मैं तुम्हारे लिए इस वक्त दूसरी ड्रेस कहाँ से लाऊं…आज भर पहन लो कल तक मंगवा दूंगा…"कालिया की बात सुनते ही लड़की गरजती हुई बोलने लगी…

"..तो फिर मेरे कपड़े वापस करो जो चुराये थे…"लड़की की बात सुनते ही कालिया हंस दिया..फिर बोला,"उफ्फ्फ…वो कपड़े यहाँ नहीं है…वो उसी शहर में एक साथी के पास है जो कि अब तक बेच भी दिया होगा या फिर बेचने वाला होगा…"

कालिया समझाने की कोशिश करता रहा पर वो बस दूसरे ड्रेस के लिए शोर मचाए जा रही थी…ये सब देख अंदर मस्ती कर रहे रत्ना का थोड़ा मूड ऑफ हो गया और वो भी बाहर निकल गया…

रत्ना,"क्या नाटक है..?" रत्ना ने बाहर आते ही पूछा तो कालिया बोला कि ये दूसरी ड्रेस मांग रही है…ये ऐसे ड्रेस नहीं पहनती है…रत्ना उसकी बात सुन आगे बढ़ा और लड़की के बिल्कुल समीप गया और उसके बालों को जोर से पीछे की तरफ भींचते हुए बोला…

"शाली चुपचाप रहा कर इधर वर्ना ज्यादा नौटंकी की ना ये तो पाँच मिनट में तुम कुछ भी पहनने के लिए तैयार हो जाओगी…समझी ना…चल जा अब.." और कहते हुए रत्ना ने उसे हल्के से रूम की तरफ धकेल दिया…

ऐसे बर्ताव की उम्मीद नहीं थी उसे…वो पल भर में आंसू की नदी बहाने लगी और रोते हुए तेजी सेअपने रूम की तरफ भाग गई और रूम बंद कर रोने लग गई…रत्ना के इस रवैये से लड़की से ज्यादा कालिया को ठेस पहुंची थी…

उसके दिल में उसके लिए ढ़ेर सारा प्यार उमड़ रहा था…आज रत्ना पहली बार किसी के लिए इतना बेचैन हो गया जब उसके साथ ज्यादातदी की गई हो…शायद उसका दिल उसे चाहने लगा था…पर वो कुछ बोला नहीं बस चुपचाप देखता रहा…

लड़की के जाते ही रत्ना कालिया बोला,"ये जरूरी था नहीं तो हर समय ये नई नई नौटंकी शुरू कर देती…बेहेनचोद मूड की मां चोद दी…चल आ इधर…" कालिया उसकी बात सुन सिर्फ "हम्म्म्म." कर रह गया और वापस रूम में आ गया…

वो ड्रेस भी नहीं ले गई थी…कालिया वो ड्रेस एक तरफ रख दिया…तब तक रत्ना कुछ ड्रिंक्स निकाल लिया और सामने रख उन दोनों लड़की को ड्रिंक्स तैयार करने कहा….

उधर पूरा शहर कर्फ्यू की तरह लग चुका था…हर जगह गहन चेकिंग और किसी पर भी शक हो तुरंत उसे पूछताछ के लिए अंदर…इन दो दिनों में शहर के जितने भी छोटे बड़े अपराधी थे सब डर के मारे दुबके पड़े थे….

पर एस.पी. सबको उसके मांद से खींच खींच कर बाहर करता और पहले डंडे की भाषा ही बोलता….इस दौरान ने कई कालिया और उसके साथी का पूरा बायोडाटा भी रख दिया…तो एस.पी. भी अपना पूरा ध्यान कालिया गिरोह पर लगा दिया….

शहर से लेकर आस पड़ोस के हर जगह छान मारा पर कहीं भी कालिया हाथ ना लगा…अब तो एस.पी. के कामों पर ही सवाल खड़े होने लगे थे…ऐसे में एस.पी. किसी जख्मी शेर की भांति तड़प कर रह रहा था…

अब तो उसे बस आखिरी किरण पर ही उम्मीद टिकी थी और वो थी फोन…वो हर वक्त फोन सामने रख उसकी तरफ निहारता रहता कि कब फोन आए…और इसमें अगर फोन की बैट्री 5% भी कम होती ना तो वो तुरंत चार्ज पर लगा देता….

उधर कमरे में बंद उसकी बेटी का रो रोकर हाल बुरा हो गया था…करीब एक घंटे तक रोती रही और फिर वो रोते रोते ही सो गई…फ्रेश भी नहीं हुई थी…जबकि बगल में रूम में रत्ना और कालिया की पार्टी अंतिम पड़ाव पर पहुँच चुकी थी….

और नशे में आने के बाद कालिया रत्ना को ये साफ साफ कह दिया," दोस्त, वो लड़की को मैं लाया हूँ और तुमसे हेल्प मांगा हूँ सिरेफ रहने के लिए…मैं तो तुम्हारे जैसे बड़े हाथ मारने वाला तो हूं नहीं जो ऐसे घर बनवा सकूं…"

रत्ना बस उसकी बात सुन सर हिला रहा था…

कालिया,"..तो दोस्त अगर मुझे यहां रहने से कोई आपत्ति है तो बोल दो..मैं कोई और जुगाड़ करूँगा…"कालिया की ये बात सुन रत्ना कुछ बोलना चाहा पर कालिया रोकते हुए "पहले मेरी बात सुन…"कह चुप करा दिया…

"और अगर कोई दिक्कत नहीं है तो मेरे लिए एक काम करना…अभी से तुम उस लड़की को कुछ नहीं कहोगे…पता है दोस्त तुम्हारी बात सो उसे कितनी चोट लगी होगी उसके दिल में…नहीं..तुम्हें नहीं पता है…पर मुझे पता है क्योंकि…" इतना कह कालिया चुप सा हो गया…वो दिल के अंदर की सच्चाई को बाहर आने नहीं देना चाहता था…

रत्ना,"..हम्म्म्म..मैं बताता हूँ…क्योंकि तू उसका दिवाना हो गया है…उसका आशिक हो गया…हा..हा…हा..शाले इसी लिए तू पीछे रह गया…यार दिल की बात हमेशा सुननी चाहिए और दिल जो कहे वही करो पर करते वक्त दिमाग लगाया करो…मैं तो बोट परही जान गया था पर मैं इंतजार करता था कि तुम खुद कहोगे पर नहीं…"

रत्ना भी अब सब कुछ उलटने लग गया,"मुझे ही कहलवाना पड़ा…चलो अच्छा ही हुआ…कम से कम बोले तो…यार मुझे ना कभी प्यार वाली फीलींग किसी को देख के आई ही नहीं पर समझता जरूर हूँ…चल अब से मैं साइड…मतलब लड़की को कभी नहीं डाटूंगा…और तुम..नहीं…बस एक बात मेरी मानना…कि…तुम अब से दिल की बात सुन उसे दिमाग से करना…ठीक है.. "

रत्ना की बात खत्म होते ही कालिया भावुक सा हो गया और बिना कुछ बोले रत्ना कोगले से लग कस लिया…कोई शब्द ही नहीं थे कालिया के पास रत्ना को कहता…बस उसकी आंखें अपने दोस्त के लिए गीली हो गया… दोनों दोस्त की पार्टी खत्म हुई तो रत्ना और कालिया दोनों बिल्कुल लड़खड़ा रहे थे…पता नहीं क्या क्या बोले जा रहे थे?ये देख उन दोनों लड़की ने उन्हें बेड पर सुलाने की सोची …

एक लड़की रत्ना को सहारा दी जबकि दूसरी कालिया को…सहारा मिलते ही दोनों उठे और कुछ कुछ बोलते बेड की तरफ बढ़े जा रहे थे…बेड के पहुँच लड़की उन्हें बेड पर सुलानी चाही पर वो सो नहीं कर बेड के किनारे बैठ गए…

रत्ना,"हम्म्म्म्म..दोस्त आज कितने बाद बाद जब तुम्हारे साथ समय बिता रहा हूँ ना तो पता है…मुउउझे कितनाऽ अच्छा लग रहा है…शाला स्वर्ग में सीधाआआ पहुँच गया.."

कालिया,"बिल्कुलऽ…सही कह दोस्त….और तुम जैसे दोस्त हो नाऽ तो शाला….स्वर्ग भी कुछ भी नहीं….हाँ कुछ नहीं…..कुछ नहीं है शाला….."

रत्ना,"बिल्कुउउलऽ ठीक…." कालिया भी नशे में बोले,"स्वर्गऽ है ना अपने लोग का इधर ही है…उधर कुछ नहीं है…वो ऊपर…ऐ भगवान जी…देख..तेरा स्वर्ग इधर ले आया मैं…अब बोलो, क्या करोगे..हा..हा…हा…"

रत्ना,"यार, स्वर्ग में तो वो क्या कहते हैं सुंदर लड़की को…हाँ…अप्सरा…वो अपने लोग का ये दोनों है…"

कालिया,"गलत बात…बिल्कुलऽ गलत….ये दोनों किसी अप्सरा से कम सुंदर है क्या…मतलबऽ…ये अप्सरा….अप्सरा जी…कुछ हो जाए…गाना लगाओ और…."

रत्ना,"हाँ…..गाना लगाओ…" दोनों के बोलते ही वो दोनों लड़की थोड़ी मुस्कुराती हुईएक गाना म्यूजिक प्लेयर पर ऑन कर दी और फिर डांस करने लगी…वो भी सिर्फ छोटी सी कच्छी में…

आखिर रत्ना की रखैल जो थी…रत्ना जो कहता वो करती पर कभी भी रत्ना उसे जबरदस्ती नहीं करा था…औरों की तरह नहीं जो ना करे तो उसे टार्चर करे…बस प्यार से कह कह के सब कुछ करवा लेता और वो भी खुशी से राजी हो जाती…

ये देखते ही दोनों झूम उठे वाह वाह करते…माहौल पूरी तरह रंगमय हो चुका था…किसी बार की तरह सग रहा था…दो पी के टल्ली और दो लड़की डांस करती हुई…

कुछ देर तो गाना चली पर उसके बाद रत्ना के आपे से बाहर हो गया और वो दो तीन प्रयासों के बाद आखिर उठ ही गया…और आगे बढ़ लड़की के बीच जा झूमने लगा…

ये देख कालिया भला कैसे खुद कोरोक पाता…वो भी साथ हो लिया…रत्ना झूमने के साथ धीरे धीरे अपने कपड़े हटाने लगा…कुछ ही पलों में वो सिर्फ अंडरवियर में झूम रहा था…

दो तीन मिनट ही अभी झूमा कि रत्ना एक लड़की की बांह पकड़ा और अपने से चिपका लिया…इस दौरान अगर वो लड़की अपनी ताकत का इस्तेमाल ना करती तो दोनों जमीन पर ही होते…

बस रत्ना के साथ चिपकते ही लड़की समझ गई कि अब क्या करना है..वो अपने होंठ रत्ना के होंठ पर चिपका दी…ये देखते ही कालिया भी बर्दाश्त नहीं कर सका और वो भी अपनी साथ वाली लड़की को पकड़ स्मूच करने लगा…

दोनों लड़की पूरे मस्ती में स्मूच करती हुई खुद को बेड के पास पहुँचा लाई…ये बात उन दोनों को मालूम भी नहीं हुई…बेड के पास आ कुछ देर स्मूच की और फिर किस रोकती हुई उन्हें बेड पर बिठा दी…

किस रूकते ही दोनों के मुख से आहहहह निकल पड़ी…ये आह तड़प की थी…दोनों लड़की मुस्कुरा पड़ी और पुनः किस करने लग गई…कालिया को किस करती हुई वो अब उसके कपड़े खोलने लगी थी…

कालिया के सहयोग से लड़की ने कालिया को भी सिर्फ अंडरवियर में कर दी..और फिर दोनों एक साथ किस तोड़ती हुई दोनों के चेहरे पर अपनी जीभ चला मदहोश करने लगी…
 
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Adbhut lekhan kaushal...
aik alag hee level thaa is update mein...
thrill continues... with a definite n strong plot... aesa laga raha he jesse kissi mann moh lene walee kathaa kee buniyaad rakhee ja rahee ho....
yaara... keval itna hee kahun gaaa... please continue.... dying to read more.... :yourock:
rusty blade BHIAYA APKA BAHUT BAHUT DHANYAWAD
 
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उसके सामने आज पहली बार किसी ने उसकी तारीफ जो की थी…और तारीफ किसे नहीं अच्छी लगती…तारीफ सुन वो अपने दिल की खुशी रोक नहीं पाई और क्षण भर के लिए वो भूल गई कि वो किडनैप भी हुई है…

उधर कालिया भी ये देख काफी काफी खुश हुआ और उसका दिल तो बल्लियों उछलने लगा…वो रत्ना की तरफ देख कर मुस्कुराया और बोला,"यार बच गया नहीं तो…"

उसके बाद कालिया और रत्ना ने अपने बीते हुए दिनों की बात खोल दिया और बात करने लगा…कैसे वो बचपन से ही ऊटपटांग काम करता था…

कैसे मौलवी साहब की मुर्गी चुराकर पार्टी करता था और अगले दिन मौलवी साहब मुर्गी की टांगे लिए पूरे शहर ढ़िढ़ोरा पिटते कहते थे कमीना कालिया और रत्ना मेरी मेहबूबा का ये हाल कर दिया…अब अंडे कैसे खाऊंगा…

इसी तरह की बात करते करते वो किनारे तक पहुँच गया…लड़की पलट कर नदी के उस पार देखी तो पूरा जल ही जल…वो माथा पीट कर रह गई…वो दोनों भी नीचे उतरे और चल पड़े…

कुछ ही दूर झाड़ी की ओट में एक जीप खड़ी थी…रत्ना उस पर सवार हो गया…साथ ही कालिया लड़की को बैठने का इशारा कर रत्ना के बगल में बैठ गया…लड़की के बैठते ही जीप अपनी रफ्तार से जंगलों के बीचोंबीच दौड़ने लगी…

इस दौरान किसी ने कुछ बात नहीं की…करीब एक घंटे जीप पर रहने के बाद जीप एक जगह रूकी…जीप के रूकते ही चार लोग सशस्त्र पता नहीं किधर से आए और जीप के चारों तरफ खड़े हो गए…

रत्ना,"जाओ तुम लोग, ये मेहमान हैं मेरे…" रत्ना के कहते ही पलक झपकते वे सब गायब हो गए…फिर आगे बढ़ झाड़ी को हटा एक सुरंग टाइप के रास्ते से अंदर की तरफ बढ़ गया…

उसके पीछे कालिया ने लड़की को चलने कहा और खुद सबसे पीछे हो लिया…कुछ ही पलों में वो झाड़ी से बाहर निकला तो सामने देख लड़की की आँखें फटी की फटी रह गई…

इस वीरान जंगल के बीच एक शानदार भवन था…जो कि दिन में भी रोशनी से नहाई थी…आखिर क्यों ना हो घर के चारों तरफ से बड़े बड़े वृक्षों से घिरी थी जिस वजह से बाहर या ऊपर से भी नहीं लगता कि यहां घर है…

घर दो मंजिल की थी…घर के अंदर दाखिल हो तीनों ऊपरी मंजिल पर गए और ऊपर पहुँचते ही रत्ना ने कालिया को एक घर की तरफ इशारा करते हुए बोला,"इस तीखी मिर्ची को इस रूम में डाल दो,पड़ी रहेगी…बाकी तुम मेरे साथ आ जाओ…"तब तक रूम के पास पहुँच रत्ना ने रूम ओपेन कर दिया…

तभी बगल के रूम से दो खूबसूरत बिल्कुल कच्ची कली और जवानी की दहलीज पर कदम रखती हुई लड़की निकल के बाहर आई…उस पर नजर पड़ते ही कालिया और इस लड़की के तो होश उड़ गए…

वो सिर्फ बिकनी में थी..ये देख रत्ना हंसते हुए बोला,"आ गया हूँ डार्लिंग…अभी आता हूँ आपकी इच्छा पूरी करने…तुम अंदर ही रूको…" इतना सुनते ही वो दोनों वापस रूम में घुस गई…

इधर इस लड़की को शर्म से अपना मुँह घुमाना पड़ा…बोल तो कुछ नहीं सकती थी…तभी कालिया बोला,"जब तक मैं तुम्हारे पापा से बात करूँ तब तक तुम यहीं रहोगी और कोई उल्टी सीधी हरकत करने की सोचना भी मत…नहीं तो जंगल कितना खतरनाक है तुम देख ही चुकी…कोई चीज…"

"मुझे फ्रेश होनी है और नहानी भी है…पूरी शरीर गंदी हो गई है…"कालिया को बीच में ही टोकती हुई अपनी जरूरत की शुरूआत कर दी…ये देख कालिया और रत्ना मंद मंद मुस्कुरा दिया…

रत्ना,"ओके मैं कपड़े भिजवा देता हूँ…तुम अंदर अटैच बाथरूम में फ्रेश हो लेना…पता है तुम औरों की तरह जिद्दी नहीं हो इसलिए इतनी खातिरदारी कर रहा वर्ना क्या होता तुम्हारे साथ तुम सोच भी नहीं सकती.."

कहते हुए रत्ना और कालिया दोनों बगल वाले रूम में चले गए…कुछ ही देर में एक लड़की आई और इसे कुछ ड्रेस दे दिए…ड्रेस खोल के देखी तो राउण्ड नेक की टीशर्ट और शार्ट्स थी…

"कोई और ड्रेस नहीं है तुम्हारे पास…मैं अक्सर समीज पहनती हूँ…ये सब उफ्फ्फ…"ड्रेस देखते ही अपनी भौंहे सिकुड़ाती हुई बोली…

"नहीं…ये तो मैं साथ लाई थी वहीं ड्रेस हैं जिन्हे आज तक कभी पहनी ही नहीं क्योंकि यहाँ पहनने की जरूरत ही नहीं होती…"वो लड़की जवाब देती हुई हंसती हुई वापस रत्ना के रूम में घुस गई… वो लड़की कुछ देर वहीं खड़ी कुछ सोचती रही कि तभी उसे पता नहीं क्या सूझी, आगे बढ़ी और रत्ना के रूम के पास पहुँच दरवाजे पर हाथों से धक्का दे दी…

उसकी नजर सामने पड़ते ही चीख निकल गई उसकी…इन चंद मिनटों के दरम्यान में ही दोनों लड़की की चुचियाँ नंगी हो गई थी और दोनों उन लड़की को बेड पर पटके उसकी चुची से खेल रहे थे….

चीख सुनते ही सबके सब चौंकते हुए गेट की तरफ मुड़े और इसे देख रत्ना जोर से हंसने लगा और बोला,"जा यार, अब इसे क्या हुआ…पूछ ले…मुझे तो प्यास लगी है जरा इसके रस चूसने दो…"और फिर वो उसकी चुचियों पर दांत भिड़ा दिए…

कालिया ना चाहते हुए भी उठा और गेट के बाहर आया जहाँ लड़की मुंह घुमाये खड़ी कुछ बड़बड़ा रही थी…कालिया उसे देख हौले से मुस्काते हुए बोला,"क्या हुआ.?"

"ये कपड़े मैं नहीं पहनूँगी…"लड़की वो टीशर्टस और शार्ट्स कालिया के हाथों में थमाती हुई बोली…कालिया थोड़ा आश्चर्य से कपड़े को खोल कर देखने लगा…

कालिया,"यार अब मैं तुम्हारे लिए इस वक्त दूसरी ड्रेस कहाँ से लाऊं…आज भर पहन लो कल तक मंगवा दूंगा…"कालिया की बात सुनते ही लड़की गरजती हुई बोलने लगी…

"..तो फिर मेरे कपड़े वापस करो जो चुराये थे…"लड़की की बात सुनते ही कालिया हंस दिया..फिर बोला,"उफ्फ्फ…वो कपड़े यहाँ नहीं है…वो उसी शहर में एक साथी के पास है जो कि अब तक बेच भी दिया होगा या फिर बेचने वाला होगा…"

कालिया समझाने की कोशिश करता रहा पर वो बस दूसरे ड्रेस के लिए शोर मचाए जा रही थी…ये सब देख अंदर मस्ती कर रहे रत्ना का थोड़ा मूड ऑफ हो गया और वो भी बाहर निकल गया…

रत्ना,"क्या नाटक है..?" रत्ना ने बाहर आते ही पूछा तो कालिया बोला कि ये दूसरी ड्रेस मांग रही है…ये ऐसे ड्रेस नहीं पहनती है…रत्ना उसकी बात सुन आगे बढ़ा और लड़की के बिल्कुल समीप गया और उसके बालों को जोर से पीछे की तरफ भींचते हुए बोला…

"शाली चुपचाप रहा कर इधर वर्ना ज्यादा नौटंकी की ना ये तो पाँच मिनट में तुम कुछ भी पहनने के लिए तैयार हो जाओगी…समझी ना…चल जा अब.." और कहते हुए रत्ना ने उसे हल्के से रूम की तरफ धकेल दिया…

ऐसे बर्ताव की उम्मीद नहीं थी उसे…वो पल भर में आंसू की नदी बहाने लगी और रोते हुए तेजी सेअपने रूम की तरफ भाग गई और रूम बंद कर रोने लग गई…रत्ना के इस रवैये से लड़की से ज्यादा कालिया को ठेस पहुंची थी…

उसके दिल में उसके लिए ढ़ेर सारा प्यार उमड़ रहा था…आज रत्ना पहली बार किसी के लिए इतना बेचैन हो गया जब उसके साथ ज्यादातदी की गई हो…शायद उसका दिल उसे चाहने लगा था…पर वो कुछ बोला नहीं बस चुपचाप देखता रहा…

लड़की के जाते ही रत्ना कालिया बोला,"ये जरूरी था नहीं तो हर समय ये नई नई नौटंकी शुरू कर देती…बेहेनचोद मूड की मां चोद दी…चल आ इधर…" कालिया उसकी बात सुन सिर्फ "हम्म्म्म." कर रह गया और वापस रूम में आ गया…

वो ड्रेस भी नहीं ले गई थी…कालिया वो ड्रेस एक तरफ रख दिया…तब तक रत्ना कुछ ड्रिंक्स निकाल लिया और सामने रख उन दोनों लड़की को ड्रिंक्स तैयार करने कहा….

उधर पूरा शहर कर्फ्यू की तरह लग चुका था…हर जगह गहन चेकिंग और किसी पर भी शक हो तुरंत उसे पूछताछ के लिए अंदर…इन दो दिनों में शहर के जितने भी छोटे बड़े अपराधी थे सब डर के मारे दुबके पड़े थे….

पर एस.पी. सबको उसके मांद से खींच खींच कर बाहर करता और पहले डंडे की भाषा ही बोलता….इस दौरान ने कई कालिया और उसके साथी का पूरा बायोडाटा भी रख दिया…तो एस.पी. भी अपना पूरा ध्यान कालिया गिरोह पर लगा दिया….

शहर से लेकर आस पड़ोस के हर जगह छान मारा पर कहीं भी कालिया हाथ ना लगा…अब तो एस.पी. के कामों पर ही सवाल खड़े होने लगे थे…ऐसे में एस.पी. किसी जख्मी शेर की भांति तड़प कर रह रहा था…

अब तो उसे बस आखिरी किरण पर ही उम्मीद टिकी थी और वो थी फोन…वो हर वक्त फोन सामने रख उसकी तरफ निहारता रहता कि कब फोन आए…और इसमें अगर फोन की बैट्री 5% भी कम होती ना तो वो तुरंत चार्ज पर लगा देता….

उधर कमरे में बंद उसकी बेटी का रो रोकर हाल बुरा हो गया था…करीब एक घंटे तक रोती रही और फिर वो रोते रोते ही सो गई…फ्रेश भी नहीं हुई थी…जबकि बगल में रूम में रत्ना और कालिया की पार्टी अंतिम पड़ाव पर पहुँच चुकी थी….

और नशे में आने के बाद कालिया रत्ना को ये साफ साफ कह दिया," दोस्त, वो लड़की को मैं लाया हूँ और तुमसे हेल्प मांगा हूँ सिरेफ रहने के लिए…मैं तो तुम्हारे जैसे बड़े हाथ मारने वाला तो हूं नहीं जो ऐसे घर बनवा सकूं…"

रत्ना बस उसकी बात सुन सर हिला रहा था…

कालिया,"..तो दोस्त अगर मुझे यहां रहने से कोई आपत्ति है तो बोल दो..मैं कोई और जुगाड़ करूँगा…"कालिया की ये बात सुन रत्ना कुछ बोलना चाहा पर कालिया रोकते हुए "पहले मेरी बात सुन…"कह चुप करा दिया…

"और अगर कोई दिक्कत नहीं है तो मेरे लिए एक काम करना…अभी से तुम उस लड़की को कुछ नहीं कहोगे…पता है दोस्त तुम्हारी बात सो उसे कितनी चोट लगी होगी उसके दिल में…नहीं..तुम्हें नहीं पता है…पर मुझे पता है क्योंकि…" इतना कह कालिया चुप सा हो गया…वो दिल के अंदर की सच्चाई को बाहर आने नहीं देना चाहता था…

रत्ना,"..हम्म्म्म..मैं बताता हूँ…क्योंकि तू उसका दिवाना हो गया है…उसका आशिक हो गया…हा..हा…हा..शाले इसी लिए तू पीछे रह गया…यार दिल की बात हमेशा सुननी चाहिए और दिल जो कहे वही करो पर करते वक्त दिमाग लगाया करो…मैं तो बोट परही जान गया था पर मैं इंतजार करता था कि तुम खुद कहोगे पर नहीं…"

रत्ना भी अब सब कुछ उलटने लग गया,"मुझे ही कहलवाना पड़ा…चलो अच्छा ही हुआ…कम से कम बोले तो…यार मुझे ना कभी प्यार वाली फीलींग किसी को देख के आई ही नहीं पर समझता जरूर हूँ…चल अब से मैं साइड…मतलब लड़की को कभी नहीं डाटूंगा…और तुम..नहीं…बस एक बात मेरी मानना…कि…तुम अब से दिल की बात सुन उसे दिमाग से करना…ठीक है.. "

रत्ना की बात खत्म होते ही कालिया भावुक सा हो गया और बिना कुछ बोले रत्ना कोगले से लग कस लिया…कोई शब्द ही नहीं थे कालिया के पास रत्ना को कहता…बस उसकी आंखें अपने दोस्त के लिए गीली हो गया… दोनों दोस्त की पार्टी खत्म हुई तो रत्ना और कालिया दोनों बिल्कुल लड़खड़ा रहे थे…पता नहीं क्या क्या बोले जा रहे थे?ये देख उन दोनों लड़की ने उन्हें बेड पर सुलाने की सोची …

एक लड़की रत्ना को सहारा दी जबकि दूसरी कालिया को…सहारा मिलते ही दोनों उठे और कुछ कुछ बोलते बेड की तरफ बढ़े जा रहे थे…बेड के पहुँच लड़की उन्हें बेड पर सुलानी चाही पर वो सो नहीं कर बेड के किनारे बैठ गए…

रत्ना,"हम्म्म्म्म..दोस्त आज कितने बाद बाद जब तुम्हारे साथ समय बिता रहा हूँ ना तो पता है…मुउउझे कितनाऽ अच्छा लग रहा है…शाला स्वर्ग में सीधाआआ पहुँच गया.."

कालिया,"बिल्कुलऽ…सही कह दोस्त….और तुम जैसे दोस्त हो नाऽ तो शाला….स्वर्ग भी कुछ भी नहीं….हाँ कुछ नहीं…..कुछ नहीं है शाला….."

रत्ना,"बिल्कुउउलऽ ठीक…." कालिया भी नशे में बोले,"स्वर्गऽ है ना अपने लोग का इधर ही है…उधर कुछ नहीं है…वो ऊपर…ऐ भगवान जी…देख..तेरा स्वर्ग इधर ले आया मैं…अब बोलो, क्या करोगे..हा..हा…हा…"

रत्ना,"यार, स्वर्ग में तो वो क्या कहते हैं सुंदर लड़की को…हाँ…अप्सरा…वो अपने लोग का ये दोनों है…"

कालिया,"गलत बात…बिल्कुलऽ गलत….ये दोनों किसी अप्सरा से कम सुंदर है क्या…मतलबऽ…ये अप्सरा….अप्सरा जी…कुछ हो जाए…गाना लगाओ और…."

रत्ना,"हाँ…..गाना लगाओ…" दोनों के बोलते ही वो दोनों लड़की थोड़ी मुस्कुराती हुईएक गाना म्यूजिक प्लेयर पर ऑन कर दी और फिर डांस करने लगी…वो भी सिर्फ छोटी सी कच्छी में…

आखिर रत्ना की रखैल जो थी…रत्ना जो कहता वो करती पर कभी भी रत्ना उसे जबरदस्ती नहीं करा था…औरों की तरह नहीं जो ना करे तो उसे टार्चर करे…बस प्यार से कह कह के सब कुछ करवा लेता और वो भी खुशी से राजी हो जाती…

ये देखते ही दोनों झूम उठे वाह वाह करते…माहौल पूरी तरह रंगमय हो चुका था…किसी बार की तरह सग रहा था…दो पी के टल्ली और दो लड़की डांस करती हुई…

कुछ देर तो गाना चली पर उसके बाद रत्ना के आपे से बाहर हो गया और वो दो तीन प्रयासों के बाद आखिर उठ ही गया…और आगे बढ़ लड़की के बीच जा झूमने लगा…

ये देख कालिया भला कैसे खुद कोरोक पाता…वो भी साथ हो लिया…रत्ना झूमने के साथ धीरे धीरे अपने कपड़े हटाने लगा…कुछ ही पलों में वो सिर्फ अंडरवियर में झूम रहा था…

दो तीन मिनट ही अभी झूमा कि रत्ना एक लड़की की बांह पकड़ा और अपने से चिपका लिया…इस दौरान अगर वो लड़की अपनी ताकत का इस्तेमाल ना करती तो दोनों जमीन पर ही होते…

बस रत्ना के साथ चिपकते ही लड़की समझ गई कि अब क्या करना है..वो अपने होंठ रत्ना के होंठ पर चिपका दी…ये देखते ही कालिया भी बर्दाश्त नहीं कर सका और वो भी अपनी साथ वाली लड़की को पकड़ स्मूच करने लगा…

दोनों लड़की पूरे मस्ती में स्मूच करती हुई खुद को बेड के पास पहुँचा लाई…ये बात उन दोनों को मालूम भी नहीं हुई…बेड के पास आ कुछ देर स्मूच की और फिर किस रोकती हुई उन्हें बेड पर बिठा दी…

किस रूकते ही दोनों के मुख से आहहहह निकल पड़ी…ये आह तड़प की थी…दोनों लड़की मुस्कुरा पड़ी और पुनः किस करने लग गई…कालिया को किस करती हुई वो अब उसके कपड़े खोलने लगी थी…

कालिया के सहयोग से लड़की ने कालिया को भी सिर्फ अंडरवियर में कर दी..और फिर दोनों एक साथ किस तोड़ती हुई दोनों के चेहरे पर अपनी जीभ चला मदहोश करने लगी…
bro... jo likhun ga sach likhun ga...

is update mein... itnee saralta se aur khubsoortee se events ka flow dikhaya he... sach mein mujhe aesa laga jese mein sab kuch apne samne hota dekh raha hun... padh nahee raha ... yaar itna zabardast kesse likhte ho bro....

kamaal he yaar.... :superr:
 

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