Incest पूरे घर की रंडी

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दरवाजे की घंटी बजी, सभी चौकन्ने हो गए, मीना और अमित स्वतः रूक गये।



एक बार फिर घंटी बजी… फिर एक बार… मैं उठी और दरवाजे के पास जाकर पूछा- कौन है?



तो एक कर्कश आवाज आई- मैं हूँ, दरवाजा खोलो… अन्दर कौन है?



मेरे कांपते हुए हाथ सिटकनी की तरफ बढ़ गये और जैसे ही सिटकनी नीचे गिरी, भड़ाक की आवाज के साथ दरवाजा खुला और एक औरत अन्दर की तरफ आई।



हम सभी लोग उनको देखकर जड़वत हो गए और वो महिला भी हम सभी को इस हालत में देखकर जड़वत हो गई थी। दो मिनट बाद अपने सर को झटकते हुए बोली- ये सब क्या हो रहा है? मेरे घर को रंडी खाना बना रखा है। कहाँ है वो सूअर?



वो इतनी तेज चिल्ला रही थी कि उसकी आवाज सुनकर और भी लोग आ सकते थे और हम सभी के फंसने के पूरे आसार उत्पन्न हो सकते थे।



इसलिये मैंने जल्दी से दरवाजा बन्द किया और उस औरत के पास पहुंचकर उससे बोली- क्या हुआ मैम? आप कौन हैं और क्यों चिल्ला रही हैं?



मेरी बात सुनकर मुझे घूरती हुई बोली- मेरी छोड़, तू बता, तू कौन है कुतिया? और मेरे घर में नंगी क्यों है और वो हरामी कहाँ है?



और फिर बड़बड़ाती हुई वो मीना के पास पहुंची और बोली- देखो तो इस बेशर्म कुतिया को… कैसे इस कुत्ते पर चढ़ी बैठी है।



अब हम सभी को गुस्सा आ रहा था लेकिन वो इस घर की मालकिन थी तो हम लोग कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थे, लेकिन फिर भी मैंने उनसे जुबान संभाल कर बोलने के लिये कहा।



फिर भी उसका गुस्सा कम नहीं हुआ और बोली जा रही थी- वो हरामी कहां छिपा बैठा है? मेरे घर को रंडी खाना बना रखा है। मेरे पीछे लड़कियों को लाकर चोद रहा है।



अब हम सभी का पारा हाई हो रहा था कि अमित बोल उठा- ऐ मादरचोद, चुप हो जा, नहीं तो इन कुत्ते और कुतिया की जमात में तुम्हें भी शामिल कर दूंगा और तेरी चूत को ये सब कुत्ते फाड़ कर रख देंगे। और यह कौन हरामी-हरामी चिल्ला रही है?



तो वो थोड़ा नार्मल होते हुये बोली- मेरा पति-अभय… कहाँ है?



मैं समझ गई कि मेरे बॉस की बीवी है तो मैंने सबको शांत किया और उसके पास जाकर उसके कंधे में हाथ रखकर बोली- मैम, शांत हो जायें, आपके पति यहाँ नहीं हैं, हम सब फ्रेंड हैं और हमारा यह ग्रुप है और जब भी हमको मौका मिलता है तो हम सब ग्रुप में आकर सेक्स करते हैं, एन्जॉय करते हैं।



‘तो तुझे मेरा घर ही मिला था? और वो हरामी कहाँ है?’



‘वो अभय सर यहाँ नहीं हैं, वो मेरे बॉस हैं और मेरे ही कहने पर उन्होंने यह घर दो दिन के लिए दिया था और खुद आपके पास जाने को बोले। उन्हें भी नहीं पता कि हम लोगों ने इस लिये लिया है।’



फिर उन मोहतरमा ने घूम घूम कर पूरे घर को देखा। हम सभी नंगे थे और अमित और मीना इस समय दोनों अलग हो गये थे।



बॉस की वाईफ बहुत ही खूबसूरत थी, दूध जैसा रंग था, छरहरा बदन था, जींस और सफेद टॉप और चश्मा लगा कर वो और भी सेक्सी नजर आ रही थी।


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40 के आस-पास रही होगी लेकिन मैं अपने बॉस का स्टेमिना जानती थी, वो इस खूबसूरत बला को संभाल नहीं पाता होगा, 38 की तो उसकी चूची की साइज होगी।



उसने एक बार मुझे फिर घूर कर देखा और बोली- कब से हो यहाँ पर?



‘पांच घंटे हुए हैं हम लोगों को यहां पर… और परसों हम लोग चले जाते। अब आप आ गई हैं तो हम लोग चले जाते हैं।’



जिस तरह उनकी बातों में धीरे धीरे नरमी आ रही थी, मैं समझ चुकी थी कि यह चिड़िया भी मस्ती कर सकती है इसलिये मैंने सबको इशारा किया और सभी लोग कपड़े के लिये लपके।



मैंने उन सबको फिर रोकते हुए कहा- अरे ये सब कौन हटायेगा? पहले ये सब साफ करो! कहकर मैंने आँख मारी।



सभी मेरे इशारों को समझ गये और नंगे ही जमीन पर जो खाने पीने का सामान पड़ा था वो उठाने लगे।



वो बेहद खूबसूरत लेडी बोली- आधी रात को कहाँ जाओगे? चलो यहीं रूक जाओ पर एक शर्त है कि मुझे भी अपना ये खेल दिखाओगे?



तभी टोनी बोला- मैम?



लेडी टोकते हुए बोली- दीपाली नाम है मेरा!



‘ओके दीपाली, आप हम लोगों का गेम देख भी सकती है और इसमे शामिल भी हो सकती हैं।’



‘लेकिन मेरा पार्टनर कोई नहीं है और तुम सब अपना अपना पार्टनर लाये हो तभी तुम सब एक दूसरे से मजा ले रहे हो।’



मैं बोली- कोई बात नहीं, सर को कॉल कर लीजिये, तब तक आप ऐसे ही हमें ज्वाईन कर सकती हैं।



‘तब ठीक है… तो मुझे अपना गेम दिखाओ!’ कह कर उन्होंने सर को कॉल किया और जल्दी से जल्दी घर पहुंचने का आदेश दे दिया।



उसके बाद मैंने चारों मर्दों को इशारा किया तो वो दीपाली के चारों ओर खड़े हो गये। मैं दीपाली मैम के पीछे जाकर खड़ी हो गई और कान में बोली- मैम, जब तक बॉस नहीं आ रहे हैं, तब तक इनके सामान को चेक कर लो!



कहते हुए मैंने अपने एक हाथ को उनकी कमर में रखा और उनके हाथ को पकड़कर सभी मर्दो के लंड से टच कराने लगी।



हालाँकि झिझकते हुए वो सभी के लंड को टच कर रही थी और मैं उनकी झिझक को दूर करने के लिये उनकी गर्दन को चूम रही थी।
 
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दोहरी मार के कारण वो अपने होश धीरेधीरे गँवा रही थी और उनकी आँखें बन्द हुए जा रही थी।



सभी के जब लंड को दीपाली मैम ने छू लिया तो मीना बोली- दीपाली, आँख, कान और मुंह खोल कर मजा लो तो और भी मजा आयेगा।



फिर मीना दीपाली मैम के और करीब आते हुए बोली- दीपाली, तुमने कितने कपड़े पहन रखे हैं?



थोड़ा झिझकते हुए बोली- चार!



‘ओके और चार मर्द भी है यहाँ।’ कहकर मीना अपने होंठों को काटते हुए बोली- तो आज सभी मर्दों को हल्का सा एक ऑफर है।



चारों मीना की तरफ देखने लगे, मीना सभी को समझाते हुए बोली- देखो दीपाली ने चार कपड़े पहन रखें है और तुम भी चार हो तो ऑफर यह है कि तुम सभी लोग एक एक करके दीपाली के पास आओ और उसके एक एक कपड़े को उतारो। अरे यार, जब हम सभी यहां नंगे हैं तो क्या दीपाली कपड़ों में रहेगी?



सभी को बात समझ में आई तो अमित आगे कूदते हुए दीपाली के पास आया और उसके टॉप को पकड़ लिया। दीपाली ने भी अपने टॉप को पकड़ लिया और बोली- मैं खुद ही उतार देती हूँ।



‘नहीं! मीना बोली- उसमें मजा नहीं आयेगा।



फिर दीपाली ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया और अमित अपने दोनों हाथों को टच कराते हुए दीपाली मैम के टॉप को उतार दिया।


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अन्दर एक साधारण सी काली ब्रा थी, उसके बाद आशिष ने आकर जींस को दीपाली मैम से अलग करते हुए उसकी जांघों को चूमने लगा।



दीपाली मैम पर भी उत्तेजना धीरे-धीरे हावी होने लगी थी। टोनी को ब्रा उतारने का मौका मिला, टोनी ने दीपाली को अपने से कस कर चिपका लिया और पीठ पर हाथ फेरते हुए उसकी ब्रा की हुक खोल दिया और ब्रा को उनके जिस्म से अलग कर दिया।


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रितेश की बारी थी दीपाली की पैन्टी उतारने की, मेरी नजर दीपाली की पैन्टी पर गई देखा तो वो सफेद रंग की थी और चूत का पास के हिस्से में पीला रंग का दाग लगा था।


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रितेश ने पैन्टी उतारी और चूत पर हाथ फेरने लगा। दीपाली की चूत गीली हो चुकी थी क्योंकि रितेश अपनी उंगली को चाटने लगा था और पैन्टी के उस गीले हिस्से को भी अपने मुंह में भर लिया।


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यह सब देखकर दीपाली काफी शरमा रही थी… फिर भी उसके साथ जो हो रहा था, उसे अच्छा लग रहा था। दीपाली को मैंने अपने पास बैठाया और मीना और अमित को अपनी अधुरी चुदाई आगे बढ़ाने के लिये कहा।



इस बार अमित ने मीना को लेटाया और अपनी दोनों उंगलियों का प्रयोग करके उसकी चूत की फांकों को फैला कर अपनी जीभ उसकी चूत के बाहरी भागों में चलाना शुरू कर दिया।


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इधर अमित की जीभ ने अपना कमाल शुरू ही किया था कि मीना ने अपनी गांड उठाना शुरू कर दी और अपनी चूची को कस-कस कर भींचने लगी।



अमित ने जीभ चलाना छोड़ कर उसके चूत के अन्दर अपनी उंगली डाल दी, पहले उसने अपनी एक उंगली मीना की चूत में डाली और थोड़ी देर तक अन्दर बाहर करता रहा, फिर दो, फिर तीन और फिर अपनी चारों उंगलियाँ चूत के अन्दर डाल दी और फिर मीना की चूत की गहराई नापने लगा।



आधी हथेली उसकी चूत के अन्दर जा चुकी थी। अब अमित अपनी उंगलियों को ही अन्दर बाहर कर रहा था। जब अन्त में उसने अपना हाथ चूत से बाहर निकाला तो उसका हाथ मीना के रस से काफी गीला हो चुका था और थोड़ा रस मीना की चूत से बाहर टपक रहा था।



अमित अपनी हथेली मीना के मुंह के पास ले गया और खुद उसकी चूत से निकलता हुआ रस चाटने लगा।



मेरी नजर दीपाली पर भी थी, वो भी बड़ी उत्सुकता से इस खेल को देख रही थी और अपनी चूत को सहला रही थी, मानो कह रही हो ‘थोड़ा ठंड रख, तुझे भी ऐसा ही मजा मिलेगा।’



मीना ने भी अमित की हथेली को चाट-चाट कर साफ किया। फिर अमित खड़ा हुआ और मीना को पलग से आधा बाहर खींच लिया और उसके कमर के हिस्से को हवा में उठा लिया और उसकी चूत के अन्दर अपना लंड पेल दिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी।


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इधर अमित मीना को चोद रहा था उधर दीपाली मैम मुझे कोहनी मार कर धीरे से बोली- ऐसा नजारा तो पोर्न में होता है। मुझे नहीं मालूम था कि मैं अचानक आकर ऐसी सीन लाईव देख सकूंगी।



मैंने भी धीरे से कहा- घबराओ नहीं दीपाली मैम, अभी आप लाईव देख रही है और कुछ देर बाद लाईव महसूस भी करेंगी। जिस तरह एक कुतिया को देखकर चार-पांच कुत्ते उसकी तरफ दौड़ लगाते हैं और उसको पकड़ कर चोदना शुरू कर देते हैं, ये चार कुत्ते भी आपकी चूत को मजा देंगे।
 
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इधर अमित के धक्के बहुत तेज-तेज हो रहे थे।



फिर अमित ने मीना को खड़ा किया और अपना लंड उसकी मुंह में दिया और मीना उसके लंड को चूसने लगी। अपने लंड को थोड़ा चुसवाने के बाद अमित ने मीना को खड़ा किया और उसके कूल्हे को फैला कर अपने एक हथेली के ऊपर थुका और फिर वही थूक मीना की गांड में मलने लगा, फिर उसकी गांड में अपना लंड पेल दिया।



दोनों की आह-ओह की आवाज कमरे में फैलने लगी। लंड बारी बारी से मीना की चूत और लंड को चोदता और फिर अन्त पास आने लगा।


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अमित की स्पीड एक बार फिर तेज हो गई और उसने एक झटके से अपना लंड बाहर निकाला, मीना ने सीधी होकर अपने मुंह को खोल दिया, अमित अपने लंड को फेंट रहा था और फिर अमित ने अपना रस सीधा एक तेज धार के साथ मीना के मुंह में छोड़ दिया। कुछ बूंद उसके गालों पर गिरी जिसको उसने अपनी जीभ से लेकर मुंह के अन्दर कर लिया।


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अमित का लंड मुरझा चुका था, उसने मीना को उठाया और अपने से चिपका कर उसके कान में कुछ कहने लगा।



मीना मुस्कुराई और फिर पलंग पर लेट गई और अपने दोनों पैरों के साथ अपनी चूत को भी अच्छे से खोलकर बोली- आओ अमित, मेरी जान, लो तेरी जान का छेद खुल गया है आओ जल्दी से करो।



कोई कुछ समझता, इससे पहले अमित अपने लंड के सुपारे के मुंह को मीना की चूत के ऊपर ले गया और मूतना शुरू कर दिया।


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मीना चिल्ला चिल्ला कर कहने लगी- क्या गर्म धार छोड़ रहे हो… और छोड़ो मेरी जान, मजा आ रहा है।



इस खेल को देखकर दीपाली मैम की आँखें फटी की फटी रह गई।



उसके बाद अमित और मीना अगल बगल खड़े हो गये।



सबसे पहला सवाल नमिता ने मीना से पूछा- अमित ने तुम्हारे कान में क्या कहा था?



मीना बोली- अमित ने कहा कि उसे मेरी चूत में मूतना है। तो मैंने कहा जान इस समय मेरी चूत तुम्हारी है, आओ मूतो, कहकर मैं लेट गई और अपने चूत का मुँह अमित के मूत के लिये खोल दिया।



अब सुहाना बोली- जब अमित तुम्हारी चूत में मूत रहा था तो तुम्हें कैसा लग रहा था?



‘बहुत मजा आया… जब उसके मूत की धार पड़ती तो मेरे जिस्म में झझनाहट होती थी।’



अब मेरी बारी थी, मैंने पूछा- अमित का सबसे बढ़िया प्वाइंट क्या था?



‘सब बढ़िया था, दीपाली मैम के आने से पहले जब मैं उसके ऊपर थी तो उसने एक बार भी यह कोशिश नहीं की कि वो अपने को मुझसे अच्छा सिद्ध करे, वो लेटा रहा और जो कुछ भी मैं कर रही थी उसने मुझे करने दिया।



टोनी बोल उठा- डार्लिंग, अगर इसी समय तुम्हें एक और मौका चुदने का मिले तो किसको तुम अपना पार्टनर बनाओगी?



मीना ने सभी चारों मर्द की ओर देखा और फिर आशिष की ओर इशारा करते हुए बोली- अगर मेरी चूत को अभी तुरन्त कोई लंड मिले तो वो आशिष का होगा।



दीपाली से रहा न गया तो बोली उठी- ऐसा क्यूं?



सभी दिपाली की तरफ देखने लगे। इस तरह अपने ऊपर सभी की नजर देखकर वो थोड़ा शर्मा गई।



लेकिन मीना बोली- यहाँ पर जितने मर्द है सबका लंड मेरी चूत में जा चुका है। बस आशिष मेरे लिये नया है और वैसे भी जिस अंदाज में उसने आकांक्षा की चूत की चुदाई की वो भी मुझे बहुत पसंद आया।
 
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फिर मीना भी लड़कियों की तरफ आकर बैठ गई और अमित मर्दो की झुंड में चला गया।



सभी लोग बैठे थे कि रितेश और आशिष उठे और रसोई में गये और वहाँ से आईस क्यूब की थैली, नौ गिलास और एक विह्सकी की बोतल उठा लाये, जबकि अमित और टोनी ने विह्सकी के साथ लिये जाने वाले आईटम को लगा दिया।



सभी एक बार फिर गोल घेरा बना कर बैठ गये।



तभी दीपाली बोली- आप सभी लोग कब तक ऐसे ही नंगे रहोगे?



आशिष बोला- संडे की शाम तक… उसके बाद सभी अपने घर चले जायेंगे।



‘लेकिन मुझे लगता है कि सभी को कपड़े पहने होने चाहिएँ!’ दीपाली बोली।



‘क्यों?’ आशिष बोला।



दीपाली बोली- एक्साईटमेन्ट!!



‘एक्साईटमेन्ट?’ टोनी बोला- हम लोग तो बहुत ही मजा ले रहे हैं।



‘हाँ, वो तो ठीक है।’ दीपाली ने कहा- लेकिन सोचो, इस समय हम सब नंगे बैठे हैं, तो क्या किसी के मन में है कि यार इसकी चूत की एक झलक दिख जाती तो क्या मजा आता या फिर लड़कियाँ ये सोचें कि इस साले का लंड अब कितना लंबा हो गया होगा। अपने ही मन में सोच कर तुम सब कितने एक्साईटेड होते न? और ये सोचो कि तुममें से किसी की चड्डी मे लंड टाईट हो और फिर कोई लड़की तुम्हारी चड्डी की तरफ कनखियों से देखे और तुम उसको इस तरह देखते पकड़ लो तो सोचो कितना मजा आयेगा।



दीपाली की बात सबकी समझ में आ गई और सभी ने दीपाली की बात को मानते हुए कपड़े पहन लिये। सिप का दौर चलता रहा और बातें होती रही कि तभी नमिता बोली- दोस्तो, सभी की चूतें चुद चुकी हैं, बस दीपाली ही है जिसकी चूत में इस समय तक किसी का लंड नहीं गया है।



चूंकि मैं अपने बॉस की ताकत से अच्छे से वाकिफ थी तो मैं यह जानना चाहती थी कि बॉस ने दीपाली के साथ अन्तिम बार मजे कब लिए।



लेकिन बार बार पूछने पर वो नहीं बता रही थी, बस इतना ही बोली- थोड़ा सा घर के माहौल से उब गई थी तो पिछले एक महीने से मैं अपने घर चली गई।



बात मेरी समझ में आ चुकी थी कि दीपाली के चूत की सिंचाई हुए एक महीने से भी ज्यादा का समय हो रहा होगा।



चूंकि दीपाली मेरे ही बगल में बैठी थी, मैं उसकी जांघ को सहलाने लगी तो उसका भी हाथ मेरी जांघ के ऊपर था।



‘दोस्तो…’ मेरी आवाज सुनकर सभी मेरी तरफ देखने लगे, मैंने कहना शुरू किया- यह बताओ, अगर कोई खेत काफी समय तक सूखा पड़ा हो तो उस खेत के साथ क्या होना चाहिए?



सभी एक ही स्वर में बोल उठे- चुदाई! और हँसने लगे।



मैंने दीपाली की तरफ देख कर बोली- मैम, यहाँ हम लोगों को एक को एक का लंड मिला है और आप खुशकिस्मत हो कि आपके खेत को चोदने के लिये चार चार लंड तैयार हैं।



उसके बाद हम औरतें दीपाली को छोड़कर अलग हो गई और चारों मर्द दीपाली के पास आ गये।



रितेश दीपाली के होंठों पर अपनी उंगलियाँ फेरते हुए बोला- दीपाली जी, आप जैसी हसीन औरत का खेत सूखा पड़ा है तो साला मर्द ही ना मर्द होगा।



अमित उसकी चूची को मसलते हुए बोला- हाँ, वास्तव में आप बहुत खूबसूरत हो। हम लोग तो चाहते हैं कि आपकी चूत में अपना लंड डालकर पड़े रहें।



टोनी बोला- मैं तो हमेशा इनका गुलाम बना रहूँ और जब ये कहें, तभी मैं इनकी प्यास मिटाता रहूँ।



सभी को एक झटके से सबको हटाता हुए आशिष दीपाली के होंठों को चूसते हुए बोला- इस तरह की खूबसूरत जिस्म की मलिका अगर हमारे बीच में रहेगी तो हम लोग एक पल भी कपड़े पहन कर नहीं रहे पायेंगे। हर समय हम लोगों को लंड चड्डी में ही खड़ा रहेगा!



कहते हुए वो दीपाली के होंठों को चूमते चूमते अपने पूरे कपड़े उतार चुका था और साथ ही दीपाली की पैन्टी को छोड़कर उसके सभी कपड़े उतार चुका था।



अब आशिष के हाथ दीपाली की चूचियों को भी मसलने में लगे थे।



बाकी सभी आशिष को केवल देखते रहे लेकिन जब मेरी नजर दीपाली के नीचे के हिस्से में पड़ी तो देखा कि उसकी पैन्टी भी कोई उतार चुका है।



दीपाली सभी के बीच में घिरी हुई थी और सभी मर्दों के भी कपड़े उतर चुके थे, कोई उसकी गांड में उंगली कर रहा था तो कोई उसकी चूत में, जिसका जहाँ मन कर रहा था, वहीं पर उसको चाटने में लगा था।


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इस समय वास्तव में वो चारों मर्द किसी कुत्ते से कम नहीं लग रहे थे और दीपाली उनके बीच फंसी हुई एक कुतिया थी।



दीपाली भी इस समय बहुत अनुभवी लग रही थी, वो घुटने के बल बैठ गई और सभी मर्दों में लंड को बारी बारी से चूसने लगी।


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जिस मर्द के लंड को दीपाली चूसती तो बाकी सभी मर्द उसके सामने अपना लंड हिलाते रहते।


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काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा, जिसकी बारी आती वो अपना पूरा लंड उसके मुंह के अन्दर हलक तक डाल देता और जब तक उसकी सांस न घुटने लगती वो नहीं निकालता था।



लेकिन दीपाली को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था और शायद वो इसका मजा लूट रही थी। दीपाली बड़ी मस्ती के साथ सब को सन्तुष्ट कर रही थी और अपनी चूत को सहला रही थी।



जब लंड चुसाई हो चुकी तो रितेश ने दीपाली को गोद में उठाकर पलंग पर लेटा दिया और उसकी चूत को चाट कर गीला करने लगा। उसके बाद रितेश ने लंड को चूत में सेट किया और एक धक्का मारा!



यह क्या? लंड अन्दर जाने के बजाय फ़िसल गया।



रितेश ने एक बार मेरे बॉस की बीवी की चूत की फांकों को फैलाया और फिर लंड को टच किया और एक तेज झटका, लंड थोड़ा सा चूत के अन्दर और रितेश के मुंह से निकला- क्या टाईट चूत मिली है।



दीपाली की बात सही थी, कई महीने हो गये होंगे उसको लंड अपनी चूत में लिये। लंड अन्दर जाते ही दीपाली के मुंह से भी चीख निकल गई।


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रितेश ने एक दूसरा तेज झटके के साथ अपने लंड को चूत के अन्दर घुसेड़ दिया। दीपाली ने रितेश के हाथों को कस कर पकड़ लिया और बर्दाश्त करने के नियत से उसने अपने होंठ चबाने शुरू कर दिये और आँखें बन्द कर ली। रितेश थोड़ा सा रूकते हुए उसकी चूचियों को मुंह में भर लिया और चूसने लगा।



दीपाली शायद थोड़ा राहत पा चुकी थी, इसलिये उसने अपनी कमर को उठाने लगी और इशारा करने लगी कि वो अब तैयार है। रितेश ने भी इशारा समझा और फिर लंड को हल्के से बाहर निकाला और एक तेज झटका और फिर एक बार मेरे पति का मोटा लंबा लंड दीपाली की चूत गुफा में घुस चुका था।



वो ‘ओफ्फ!’ बस इतना ही कह पाई थी।



इधर बाकी तीनों अपने लंड को हिला कर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, रितेश चोदे जा रहा था और दीपाली बोले जा रही थी- मेरी प्यासी चूत की तुम लोग मिलकर प्यास बुझा दो। इस चूत का भोसड़ा बना दो। मुझे रंडी बना कर चोदो, बहुत मजा आ रहा है। काफी दिनो के बाद मेरी चूत की घिसाई हो रही है। हाँ बस ऐसे ही चोदो!



पता नहीं और क्या क्या बोले जा रही थी कि तभी एक बार फिर घंटी बजी। सब अपनी जगह रूक गये।



इस बार दीपाली ने पूछा- कौन?



तो बाहर से आवाज आई- मैं अभय हूँ।



दीपाली ने मुझे इशारा किया, मैंने दरवाजा खोल दिया और अभय सर यानि की मेरे बॉस अन्दर आ गए।



मुझे देख कर हाथ के इशारे से पूछा कि ये सब क्या हो रहा है? और तुम्हारा फोन क्यों ऑफ बता रहा है?



मैंने उन्हें अन्दर आने के लिये कहा।



बस वो अन्दर आये ही थे कि जड़वत हो कर खड़े हो गये। क्योंकि उनकी बीवी अब आशिष के लंड को अपने अन्दर ले चुकी थी। थोड़ी देर तक तो वो इसी तरह देखते रहे फिर थोड़ी तेज आवाज में बोले- यह क्या हो रहा है?



दीपाली अपने होंठ पर उंगली रखकर मेरे बॉस को चुप रहने का इशारा करती हुई बोली- बहुत दिनों बाद मेरी चूत की खुजली मिट रही है, इस खुजली को मिटने दो। आओ तुम भी आओ। इस नदी में तुम भी आ जाओ और थोड़ी सैर कर लो।


दीपाली के इतना कहते ही बॉस चुप हो गये और मेरा इशारा पाते ही बाकी की लड़कियाँ बॉस पर पिल पड़ी और लगी उनको चूमने चाटने !


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अगले पांच मिनट में बॉस भी हम नंगों की जमात में शामिल हो गये।



आशिष के धक्के और दीपाली के मुंह से निकलती हुई आवाज के साथ साथ मेरे बॉस की भी आवाज ‘आह ओह’ की निकलने लगी। थोड़ी ही देर में बॉस का लंड भी तैयार हो गया।



दीपाली ने इशारे से बॉस को बुलाया, आशिष वहाँ से हट गया और बॉस एक आज्ञाकारी की तरह दीपाली की चूत के पास जा कर खड़ा हो गया।



दीपाली ने बड़े ही कामुक अंदाज में बोला- अभय, मेरी चूत को देखो मत, आओ इसे चाटो और फिर इसके अन्दर अपना लंड डाल कर मुझे मजा दो।



मेरे बॉस बिना कुछ कहे अपने घुटने के बल हो गये और फिर अपने हाथों को दीपाली की जांघों पर रखते हुए उसको सहलाने लगे, साथ ही साथ उनके दोनों अंगूठे दीपाली की जांघों के जोड़ों को कसकर दबा रहे थे।



थोड़ी देर तक तो ऐसा ही होता रहा फिर बॉस दीपाली की बुर को सूंघने लगे और फिर अपनी जीभ दीपाली की चूत पर चलाने लगे। कभी उनकी जीभ दीपली की चूत के ऊपरी हिस्सों को चाटती तो कभी चूत के अन्दर उनकी जीभ चली जाती।


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दीपाली हल्की सी मुड़ कर बॉस के बालों को सहलाने लगी।



उसी समय टोनी दीपाली के मुंह के पास अपना लंड लेकर खड़ा हो गया, दीपाली उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।


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इधर बॉस बहुत ही तेज गति से अपनी जीभ दीपाली की चूत में चला रहा था, दीपाली भी उसे प्रोत्साहित करते हुए बोली- जानम और तेज… और तेज चाटो, बहुत मजा आ रहा है।
 
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बॉस और टोनी दीपाली से खेल रहे थे जबकि बाकी के तीनों मर्द और हम औरतें आस पास खड़ी होकर तमाशा देख रही थी।



इधर बॉस अपने लंड को भी जोर जोर से हिला रहा था, मुझे लगने लगा कि बॉस जल्दी न झर जाये, मैं बॉस के पास गई और उसको मुंह को घुमाते हुए अपनी चूत की तरफ ले आई और धीरे से वो जगह बाकी के मर्दों के लिये खाली कर दी क्योंकि अगर बॉस वहाँ दो मिनट और ज्यादा रूकता तो वो अपने लंड को हिलाते हुए ही पानी छोड़ देता तो बाकी के सामने उसकी फजीहत हो जाती।



बॉस के हटते ही अमित ने अपना लंड सेट किया और दीपाली की चूत के अन्दर डाल कर चोदने लगा।



इधर मैंने बॉस को सोफे पर बिठाया और खुद उसके लंड पर अपनी चूत को सेट करके बैठ गई। मेरे बैठने के एक मिनट के ही अन्दर मैंने बॉस का लावा अपने अन्दर महसूस किया और बॉस ने अपने अन्दर राहत!


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अब नजारा यह था कि दीपाली की चूत में अमित का लंड था, मुंह में टोनी का, रितेश उसकी एक चूची को दबा रहा था और आशिष भी दीपाली के पास खड़े होकर अपने लंड को हिला रहा था।


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इधर मैं बॉस के ऊपर बैठी थी, बॉस मेरे बालों को सहलाते हुए बोला- आकांक्षा मेरी जान, तुम बहुत अच्छी हो!



और मेरी चूची को पीते हुए बोला- अच्छा हुआ तुमने इस कुतिया को भी चुदवा दिया। अब मैं खुलकर तुम्हारे साथ खेल सकूंगा।
 
MotteDudh,PyasiBhos,BhukhiGandwali
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थोड़ी देर बाद रितेश ने मुझे अपनी गोद से उतारा और मुझे घोड़ी बनने का इशारा किया। मैंने जानबूझ कर खिड़की की दीवार से अपने को सपोर्ट दिया, मैं देखना चाहती थी कि नमिता को कैसा लग रहा है। खिड़की की एक तरफ नमिता और दूसरी तरफ अमित छुप कर अंदर के नजारे का मजा ले रहे थे।



रितेश ने मेरी गांड में थूक लगाया और एक झटके में अपने लंड को मेरी गांड के अंदर पेल दिया।


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‘उईईई ईईईई मां… मादरचोद हमेशा इसी तरह से मेरी गांड मारोगे कि कभी प्यार से भी?’



‘अरे बहन की लौड़ी, जब तेरी गांड ही इतनी मस्त है तो मैं अपने आप को कैसे रोकूँ?’



‘तो यह बात है- तुमको सिर्फ मेरी गांड ही मस्त लगती है चूत नहीं?’



रितेश बोला- नहीं रंडी, चूत तो तुम्हारी दुनिया की सबसे मस्त चूत है। इतनी चूत चोदी, लेकिन जब तक तेरी चूत न चोदूँ तो मजा नहीं आता है। आज तो पूरी रात मेरा लंड तुम्हारी चूत और गांड की सेवा करेगा। क्योंकि कल से फिर दो तीन दिन के लिये अपना मिलन जरा मुश्किल है।



कहकर वो जोर-जोर से मेरी चूत और गांड का बाजा बजाने लगा और साथ ही साथ मेरे चूतड़ पर कसकर तड़ी मारता और जोर-जोर से मेरी चूची को मसलता। दर्द के कारण मेरे मुंह से सीत्कार निकल जाती।



इधर वो दोनों मेरी बात को सुनकर एक दूसरे को कमरे में चलने का इशारा कर रहे थे लेकिन मेरी नजर में ना आ जायें इसलिये वो वहीं रूके रहे।



तब तक रितेश मेरी कायदे से बजा चुका था और चिल्ला रहा था- मैं झड़ने वाला हूँ!



उसको सुनकर मैं तुरंत ही नीचे बैठ गई और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर उसके माल को जैसा कि आप सभी समझ गये होंगे, लेकर मैंने क्या किया होगा।


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इधर मुझे दौड़ने की आवाज आई और यही दौड़ने की आवाज रितेश ने भी सुनी। वो बोला- आकांक्षा, ऐसा लगा कि कोई दौड़ रहा है।



मैं जानती थी कि दौड़ने वाले कौन है लेकिन मैंने रितेश को टाल दिया, मैं चाहती थी कि आज रितेश भी चुदाई को लाईव देखे, मैं जानती थी कि अगर मैं रितेश को अमित और नमिता की चुदाई देखने के लिये कहूँगी तो हो सकता है वो मना कर दे।



इसलिये मैं बोली- रितेश, आओ छत पर चलें।



रितेश तो पहले पहल नंगा छत पर घूमने से कतराने लगा लेकिन मेरे फोर्स करने पर वो तैयार हो गया। मैं और रितेश एक-दूसरे के कमर में हाथ डाले अपने कमरे से निकल पड़े।



रितेश का सारा ध्यान मैंने अपने ऊपर लगा दिया और टहलते हुए नमिता के कमरे के पास पहुँचे तो दोनों की बातों की आवाज आ रही थी।



रितेश मुझसे वापस चलने के लिये इशारा कर रहा था जबकि मैंने रितेश को चुपचाप उन दोनों की बातों को सुनने का इशारा किया और नमिता के कमरे की खिड़की के और पास जाकर खड़ी हो गई, उन दोनों की बातें सुनने लगी।



एक बात तो थी रितेश में वो मेरी कोई बात नहीं टालता था, इसलिये वो मेरे पीछे आकर चिपक गया। मैंने जो जगह बनाई थी नमिता के कमरे के अन्दर देखने की, वहां खड़ी हो गई और अंदर का नजारा देखने लगी।



अन्दर अमित की गोद में नमिता बैठी हुई थी और अमित की उंगलियाँ उसकी चूचियों पर चल रही थी और साथ में अमित मेरी ही तारीफ कर रहा था।


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दोस्तो, यहां से अमित और नमिता की बातचीत सुनिये।



अमित- यार, रितेश सही ही कह रहा था कि भाभी की चूत है बहुत मस्त… चूत ही क्या उनके जिस्म का एक एक अंग बहुत मस्त है।



नमिता थोड़ा चिढ़ते हुए- हाँ हाँ, अब तुम्हें भाभी की चूत अच्छी लगने लगी।



अमित- लो, मैं क्या गलत कह रहा हूँ। उनके होंठ देखो, ऐसा लगता है कि गुलाब की दो पखुंडियाँ। उनके होंठ क्या रसीले आम की तरह है, मन करता है कि चूसता रहूँ।



नमिता- तो जाओ ना, फिर भाभी के होंठ को चूसो, मुझे छोड़ो। आज मैंने भाई का भी लंड देखा है। क्या लंबा मोटा है। इसलिये तो भाभी भाई से खुश है। काश भाई जैसा लंड मुझे भी मिलता!



अमित- मेरा भी लंड तो तेरे भाई जैसा है।



नमिता- तो मेरी चूत कौन सी बीमार है? जो एक बार मेरी चूत देख ले वो मेरी चूत में ही खो जाये।



रितेश पीछे से मेरी पीठ पर लगातार अपने चुम्बन की झड़ी लगाये हुए थे और मेरा हाथ उसके लंड को मसल रहा था।



नमिता की इतनी बात सुनते ही अमित रास्ते पर आ गया- लेकिन नमिता तेरी चूची, क्या गोल गोल है बहुत मस्त है।कहते हुए अमित नमिता की चूची को उसके कपड़े के ऊपर से ही मसल रहा था और उसकी गर्दन, गालों पर अपने चुम्बन की बौछार लगा रहा था।


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इधर रितेश का हाथ भी मेरी चूचियों से खेल रहा था।
Jis ghar me chutmarani bhabhi ho vo ghar me hamesa chudai ki khushbu bhari hoti h.
 

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