Incest पूरे घर की रंडी

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रितेश और अमित दोनों रसोई से चले गये और थोड़ी देर बाद दोनों बनियान और लोअर में वापस रसोई में आ गये। रसोई के अंदर हमें दोनों को चोदने के ख्याल से ही दोनों के लंड तने हुए थे।



‘अब क्या करना है?’



मैंने कहा- करना क्या है, बस रसोई में हो अपने लंड की मुठ मारो, हम दोनों तुम दोनों को मुठ मारते हुए देखेंगी।



अमित ने चिढ़ते हुए कहा- इसी को कहते हैं ‘खड़े लंड पर धोखा…’



रितेश बोल पड़ा- देखो, तुमने जैसे कहा था, वैसे ही कर दिया है, अब तुम दोनों अपनी अपनी चूत में हमारे लंड ले लो और इसकी गर्मी को निकालो।



मौके की नजाकत को समझते हुए मैंने रसोई के दरवाजे को हल्का सा खुला रख छोड़ा ताकि जब कोई आये तो दूर से ही पता चल जाये।



अमित और रितेश को समझाते हुए बोली- देखो, ओरल सेक्स नहीं करेंगे, बस अपने लंड की प्यास हम दोनों की गांड और चूत से शांत कर लो!



कहते हुए मैंने अपने गाउन को ऊँचा कर लिया और रसोई के प्लेटफार्म पर झुक कर खड़ी हो गई। नमिता ने अपने पजामे को नीचे कर दिया और वो भी झुक कर खड़ी हो गई।



तभी नमिता बोली- अमित, बाहर भी ध्यान रखना कि कोई आ रहा हो तो हट जाना… ऐसा न हो कि कोई आकर यहां खड़ा है और तुम दोनों हम दोनों को पेल रहे हो।



अमित बोला- चोदने के साथ साथ बाहर का भी ध्यान रखेंगे।



इस समय हम लोग विदेशी लोगों की तरह थे, हम लोगों का कल्चर यह तो है ही नहीं, लेकिन मजा खूब आ रहा था।



पारी पारी से रितेश और अमित दोनों ही हम दोनों के चूत और गांड को चोद रहे थे और अपने लंड की प्यास बुझा रहे थे। हम चारों की किस्मत अच्छी थी कि अभी तक रसोई में कोई नहीं आया।


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अब सब झड़ने वाले थे, अमित बोला- मैं झड़ने वाला हूँ, बताओ माल को कहाँ गिराऊँ?



मैंने सुझाव दिया- इस समय तुम नमिता की गांड या चूत में अपना माल गिराओ और रितेश तुम मेरी चूत या गांड कहीं भी निकाल सकते हो।



दोनों ने ऐसा ही किया, रितेश मेरी चूत के अन्दर अपने रस को गिरा रहा था और अमित नमिता की चूत के अन्दर।


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फिर हम सबने अपने अपने कपड़े ठीक किए।



अमित बोला- भाभी केवल आप ही हो जो जब चाहे और जहां चाहे मजा दे सकती हो।



दोनों ने एक एक बार फिर हम को चुम्बन दिया और मेहमानों के साथ जाकर बैठ गये।



कहानी जारी रहेगी।
 
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हम मेहमानों के साथ जाकर बैठ गये। इसी तरह मेहमानवाजी में फिर रात के ग्यारह बज गये और सब लोग सोने की तैयारी में थे।



मैं और नमिता माताजी के कमरे में आ गई पर काफी देर तक रोहन नहीं आया था। सब गहरी नींद में सो चुके थे लेकिन रोहन का कोई पता नही था।



मैं उठी और बाथरूम की तरफ इस उम्मीद से गई थी कि स्नेहा और रोहन बाथरूम के अन्दर ही मजे ले रहे होंगे, पर बाथरूम में कोई नहीं था, बाकी और कमरों में मेहमान थे तो वहाँ सवाल ही नहीं उठता था।



पर यह भी नहीं हो सकता था कि रोहन बिना किसी मतलब के अपनी नींद खराब करे… कल जब उसे मेरे साथ मौका मिला तो उसने उस मौके का भरपूर फायदा उठाया था और स्नेहा वो जब से आई है रोहन के साथ ही मजे लिये।



यही सोचते हुए मैं स्टोर रूम की तरफ गई तो अन्दर से हल्की आवाज आ रही थी और इस आवाज ने मेरी सोच को सही कर दिया। स्टोर रूम के अन्दर स्नेहा और रोहन ही थे, दोनों की कामुक आवाज आ रही थी, बस आवाज थोड़ी धीमी थी और जहां तक मेरा अंदाज था कि वो दोनों काफी देर से लगे हैं।



मेरे दिमाग में मेरे प्यारे रितेश का ख्याल आया कि उसे भी स्नेहा की चूत का मजा दिलवा दूं। मैंने तुरन्त ही रितेश को स्टोर रूम के पास आने का मैसेज किया। रितेश तुरन्त ही आ गया।



मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया और एक ऐसी जगह छुप गये जहाँ से रोहन और स्नेहा की नजर हम पर न पड़े। मैंने पूरी बात रितेश को बता दी।



पांच सात मिनट बाद रोहन स्टोर रूम से निकल कर कमरे की तरफ चला गया। मैंने रितेश को बता दिया कि अगर मैं कमरे में न मिली तो रोहन हो सकता है कि यहां आ जाये तो तुम ही अन्दर चले जाओ।



मेरी बात मानते हुए रितेश अन्दर चला गया। मैं दो मिनट के लिये बाहर रूक गई और देखने लगी कि रितेश को सामने देखकर स्नेहा का क्या रिएक्शन होता है।



वो पैन्टी पहन चुकी थी और ब्रा पहन रही थी कि रितेश को सामने देखकर चौंकी। रितेश ने जब पूछा कि वो वहाँ क्या रही है तो उसके पास कोई उत्तर नहीं था।



रितेश माहिर खिलाड़ी तो था ही उसने ज्यादा कुछ पूछना मुनासिब नहीं समझा और स्नेहा के और करीब जा कर उसको अपनी बांहों में भर कर उसकी पीठ सहलाने लगा और बिना कुछ बोले दोनों इसी तरह चिपके खड़े रहे लेकिन रितेश का हाथ स्नेहा की पैन्टी के अन्दर भी घुसकर अपना काम कर रहा था।



दोनों को वहाँ छोड़ कर मैं कमरे में चली आई, देखा तो रोहन सीधा लेटा हुआ है, मैं जाकर बगल में लेट गई। मेरे लेटते ही रोहन ने मेरी तरफ करवट ली और अपने एक पैर और एक हाथ को मेरे ऊपर रख दिया।



रोहन बहुत ही चोदू किस्म का हो चुका था, अभी-अभी स्नेहा को चोद कर आया और मेरे ऊपर सवारी करने की सोच कर अपनी टांग मेरे ऊपर चढ़ा दी।



रोहन बोला- भाभी, दूध पीना है। कहते हुए वो थोड़ा नीचे सरक गया, मैंने अपने गाउन को खोलकर अपनी चूची को उसके मुंह में डाल दिया, एक निप्पल उसके मुंह में था और दूसरे को वो मसल रहा था और मैं उसके बालों को सहला रही थी।



जब उसका मन मेरी चूची पीने से भर गया तो वो थोड़ा और नीचे आया और मेरी नाभि के साथ खेलने लगा और मेरी चूत के अन्दर अपनी उंगली डालकर चूत के साथ खेलने लगा।


वो नाभि के अन्दर अपनी जीभ चला रहा था और चूत को उंगली से चोद रहा था, मैं पानी छोड़ चुकी थी।



रोहन ने मुझे सीधा किया और फिर मेरी चूत पर अपने मुंह को रख दिया और बहते हुए रस को चाटने लगा फिर मुझे पेट के बल होने के लिये कहा और मेरी गांड को फैलाकर उसको चाटने लगा।



काफी देर गांड चाटने के बाद उसने मुझे फिर सीधा किया और अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर पेल दिया और बहुत ही आहिस्ते आहिस्ते से मुझे चोद रहा था।


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उसकी और मेरी दोनों की ही नजर मां और नमिता पर थी कि कहीं कोई इस खेल को न देख ले। नमिता की तो चिन्ता नहीं थी क्योंकि उसे तो सब पता था पर मां की चिन्ता ज्यादा थी। पर दोनों ही गहरी नींद में सो रहे थे।



रोहन अपने जबड़े को भींचे मुझ पर अपनी पूरी ताकत लगा रहा था, मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।



क्या एडवेंचर था कि सास सो रही थी और उसी के ही बगल में नीचे उसका दूसरा पुत्र अपनी भाभी को चोद रहा था और भाभी चुदवा रही थी। डर मुझे और रोहन दोनों को ही था कि कही सासू मां जाग न जाये।
 
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अब वो धक्के पे धक्के पेले पड़ा था। फिर वक्त आ गया उसके डिसचार्ज होने का… मैं पहले ही झर चुकी थी, मेरी चूत केवल अपने आप को रोहन के लंड से फ्री होने का इंतजार कर रही थी कि कब रोहन डिसचार्ज हो और कब उसके लंड से मुक्ति मिले।



रोहन का शरीर अकड़ने लगा और उसने तुरन्त ही मेरे सीने पर बैठ कर अपने लंड को मेरे मुंह के अन्दर डाल दिया और अपने वीर्य की धार मेरे मुंह में छोड़ना शुरू किया।


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वो अपने आपको काबू नहीं कर पाया और उसका वीर्य एक झटके में खाली हो गया। कुछ बूंद मेरी मुंह के अन्दर गिरी तो कुछ बाहर निकल कर गालों से होती हुई नीचे गिरने लगी।


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जब वो पूरी तरह से डिसचार्ज हो गया और उसका लंड ढीला पड़ गया तो रोहन मेरे सीने से नीचे उतर कर मेरी बगल में लेट गया और रोहन ने मेरी चूत मेरी गाउन से साफ कर दी और मुझसे चिपक कर सो गया।



सुबह मैं भी बेसुध थी लेकिन मेरे कपड़े बिल्कुल सही थे और रोहन भी मुझसे दूर था।



आज सभी मेहमानों को जाना था और उनकी ट्रेन दस बजे की थी इसलिये मैं और नमिता दोनों ने ही तेजी से सब काम निपटा कर नौ बजे तक फ्री हो गई और मेहमान विदा होने लगे।



मेरी और नमिता की सेवा भाव से खुश होकर मुझे और नमिता को गिफ्ट दिया। स्नेहा मुझे लिपट कर थैंक्स बोली और अगली मुलाकात जल्दी करने का वादा करके चली गई।



फ्री होने पर मैं भी ऑफिस के लिये तैयार होने के लिये मैं अपने कमरे में आ गई। मैं तैयार हो ही रही थी कि मुझे पीछे से आकर रितेश ने जकड़ लिया और चूमने चाटने लगा।



मैं थकी हुई थी इसलिये मैं उसके चूमने चाटने का जवाब नहीं दे पा रही थी, फिर भी मैंने रितेश को रोका नहीं। रितेश ने मेरी जींस को नीचे किया और मुझे झुकाते हुए अपने मोटे लंड को मेरी चूत में पेल दिया।


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करीब तीन चार मिनट तक धक्के लगाने के बाद वो मेरी चूत में ही झर गया और फिर पास पड़े गाउन से रितेश ने मेरी चूत साफ की और फिर मुझे मेरी जींस और बाकी कपड़े पहनने को मदद की।



मैं रितेश के साथ ऑफिस निकल गई। ज्यादा थकी होने के कारण बॉस ने मुझे कुछ ज्यादा वर्क नहीं दिया बल्कि ट्रिप के बारे में एक दो दिन में इन्फार्म करने को कहा ताकि वो रिजर्वेशन करवा सके।



किसी तरह बॉस के साथ छुटपुट घटना के साथ शाम हुई और मैं घर आ गई। मेरे घर पहुंचने के बाद घर के बाकी सदस्य भी आ चुके थे, चाय नाश्ते के लिये सब बैठ चुके थे।



रितेश ने ही मेरे कहने पर बात की शुरूआत की, उसने बताया कि मुझे एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में कलकत्ता जाना है और मेरी कम्पनी मेरे साथ साथ रितेश का भी खर्चा उठाने को तैयार है अगर रितेश न जा पाये तो कोई एक और मेरे साथ कलकत्ता जा सकता है।



तो पापा ने पूछा- फिर समस्या क्या है? रितेश और तुम दोनों चले जाओ।



तब मैंने बताया कि रितेश को भी उसी दिन अपने ऑफिस के प्रोजेक्ट के लिये तमिलनाडु जाना है।



मुझे लग रहा था कि मेरे इस प्रोपोजल को सुनकर रोहन और सूरज मेरे साथ चलने को बेताब हो जायेंगे, लेकिन दोनों कुछ बोलते उससे पहले ही मेरे ससुर मुझसे बोले- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे साथ चल सकता हूँ। काफी दिन हो गये मुझे भी कहीं घूमे हुए।



मैं उनको मना नहीं कर पाई लेकिन यह तो तय हो गया कि मौका देखकर मुझे अपनी चूत में बैंगन, ककड़ी या फिर मूली डालकर ही काम चलाना पड़ेगा। और न चाहते हुए भी यह तय हो गया कि मैं और मेरे ससुर कोलकाता जा रहे हैं।



मुझे कल अपने बॉस को यह इन्फार्म करना था ताकि वो रिजर्वेशन करवा दे और होटल बुक करवा दे।



नाश्ता करने के बाद मैं और रितेश अपने कमरे में आ गये। रितेश मुझे देख कर हँसने लगा और बोला- तुम तो हनीमून मनाने जा रही थी? अब क्या करोगी?



‘कोई बात नही!’ मैं बोली- लंड नहीं तो मूली और बैंगन तो काम आयेगा। जब ज्यादा चुदास हूंगी तो बैंगन और मूली अपनी चूत में डाल कर अपनी चुदासी चूत को शान्त कर लूंगी।



मेरा बदन बहुत दर्द कर रहा था तो रितेश को मालिश करने के लिये बोलकर मैंने अपने कपड़े उतार दिये और नंगी होकर बेड पर उल्टी लेट गई। रितेश मेरी मालिश धीरे-धीरे करने लगा।


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जब रितेश मालिश कर रहा था तो मैंने उसके और स्नेहा की चुदाई की बात पूछी तो रितेश ने स्नेहा के साथ क्या किया, सुनाने लगा:



वास्तव में स्नेहा का जिस्म काफ़ी गठा हुआ था, उसकी टाईट चूची बता रही थी कि अभी उसका मन भरा नहीं है। मैंने थोड़ा सा उसे डराया तो कांपने लगी लेकिन फिर मैं उसे अपनी बांहो में भरकर उसके डर को कम करने लगा और फिर मेरा हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर चला गया और उसकी टाईट और चिकनी गांड को सहलाने लगा।



स्नेहा कुछ बोल नहीं रही थी, बस मेरे से चिपकी हुई थी और जो मैं उसके साथ-साथ कर रहा था, वो करने दे रही थी। थोड़ी देर बाद जब उसका डर कम हुआ तो मैंने उसके चेहरे को अपनी तरफ उठाया और उसके गुलाबी होंठ पर अपने होंठ रख दिया और हौले हौले चूमने लगा।



कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी और मेरे होंठ को अपने होंठ से चबाने लगी, अपने थूक को उसने मेरे मुंह के अन्दर डाला, मैं पी गया और फिर मैंने उसके मुंह के अन्दर थूक डाला तो वो पी गई।



फिर स्नेहा ने मेरी कपड़े उतार दिए और मेरे निप्पल को अपने दाँतों से काटने लगी।


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दोनों निप्पल को अच्छी तरह काटने के बाद वो नीचे सरकती चली गई और मेरी नाभि को तो कभी मेरी जांघों को, तो कभी मेरे लंड की टिप को अपने जीभ का मजा देती।



बीच-बीच में वो मेरे टट्टे को भी अपने मुंह में भर लेती। टट्टे को जब-जब वो अपने मुंह में भरती तो उसका एक हाथ मेरी गांड में चला जाता और वो मेरी गांड को सहलाती या फिर नाखूनों से वो गांड को खुरेचती।


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फिर वो खड़ी हो गई, मुझे पकड़कर नीचे बैठा दिया और अपनी चूत को मेरे मुंह से रगड़ने लगी।


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कुछ देर तक तो ऐसे ही चलता रहा फिर वो अलमारी का सहारा लेकर झुक गई जो मेरे लिये इशारा था कि अब मैं लंड को उसकी चूत में पेल दूं और उस चुदास लड़की को मजे दूं। मैंने भी वैसा ही किया।


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फिर स्नेहा ने मुझे उस छोटी जगह पर लेटने के लिये कहा, मैं लेट गया और वो मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लंड की सवारी करने लगी।


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हां वो यह भी बताना नहीं भूली कि उसकी गांड भी चुद चुकी है तो एक ही राउन्ड में उसकी चूत और गांड का मजा लिया।



जब मेरा लंड उसकी गांड के अन्दर आ जा रहा था तो जो उसके गांड का छेद था वो ऐसा था कि किसी गाय को बांधने के लिये जमीन में खूंटा गड़ा गया और फिर उसे निकाल लिया गया, ठीक उसी तरह से स्नेहा की गांड खुली हुई थी, लंड गप-गप अन्दर बाहर हो रहा था। बीच-बीच में मैं उसके गांड के अन्दर थूक देता।


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उसकी सेक्सी आवाज भी मेरे हौंसले को और बढ़ा रही थी इसलिये मैं उसकी चूचियों को भी जोर जोर से मसल देता जिससे उसके मुंह से निकलने सिसकारी ‘आह ओह आह…’ की आवाज का बड़ा मजा आ रहा था।



जब लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ, मैं उसको सीधा करके उसके मुंह में लंड डालने लगा तो बोली ‘मेरे मुंह में नहीं, मेरी गांड के अन्दर झरो और फिर अपनी मलाई का स्वाद खुद लो और मेरी गांड चाटो।’



उसको कहने पर मैंने अपना माल उसकी गांड में निकाला और फिर उसको चाट कर साफ किया।


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उसके बाद स्नेहा एक बार फिर मेरे होंठों पर अपनी जीभ फिराने लगी और मेरे मुंह में लगे हुए वीर्य को वो साफ करने लगी।


मेरी इच्छा थी कि एक बार उसकी और चुदाई करूं लेकिन स्नेहा ने मना कर दिया, कहने लगी कि रोहन ने उसकी काफी अच्छे से बजाई है। और वो बहुत थकी होने के साथ-साथ नींद भी बहुत तेज आ रही है, इसलिये मैंने उसे ज्यादा फोर्स नहीं किया। फिर मैंने उसे उसके कपड़े पहनाये और फिर कमरे तक पहुँचा कर मैं कमरे में जा कर सो गया।



कहानी बताते-बताते रितेश ने मेरी मालिश भी काफी अच्छे से कर दी। मेरा नहाने का भी बहुत मन हो रहा था, मैं नहाने के लिये जाने लगी तो रितेश मुझे रोकते हुए वीट की क्रीम दी और बोला- जरा आज अपनी चूत को भी चिकना कर लो।



उसके वीट देने पर मेरी नजर मेरी चूत की ओर गई तो देखा कि उसमे रोएं निकल चुके हैं और थोड़ा बड़े भी हो गये हैं।


मैं बाथरूम के अन्दर अपनी चूत की सफाई कर ही रही थी कि मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है।



उस छेद से मैंने झांक कर देखा तो सूरज मुझे झांक कर देख रहा था, मैं उससे बोली- जब तुमने अपनी भाभी का मजा ले लिया है तो अब छुपछुप कर क्यों देख रहे हो?



सूरज बोला- छुप कर देखने का मजा आप क्या जानो!



मैंने पूछा- कैसा मजा?
 
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तो बोला- भाभी, छुप कर जब आपको देखता हूँ तो लगता है कि चूत मिलने की उम्मीद है और फिर आप जब यहां से चली जाती हो तो आपकी चूत न मिलने की कसक रह जाती है और इसी कारण मैं अपने लंड का मूठिया लेता हूँ।



फिर सूरज ने पूछा- भाभी, यह क्या कर रही हो?



तो मैं बोली- रितेश को मेरी चूत में रोएं दिख गये तो वीट देकर बोला कि इसको चिकना कर लो। मुझे क्या ऐतराज हो सकता था।



मेरे कहने पर वो चुपचाप बाथरूम में आ गया और फिर उसने बड़े ही प्यार से मेरी चूत की सफाई की।


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मेरी चूत जब एकदम से चिकनी हो गई तो सूरज मेरी चूत के फांकों को फैला कर उस पर अपनी जीभ चलाता। चूत पर उसकी जीभ रेंगने लगी और मैं मदहोश होने लगी, मेरी आँखें बन्द थी, मेरे मुख से निकलते हुए शब्द उसे मना कर रहे थे, कह रहे थे कि वो अब बाथरूम से जाये, लेकिन दिल चाह रहा था कि उसकी जीभ मेरी चूत पर ऐसे ही चलती रहे।



मेरे दो-तीन बार मना करने पर सूरज बोला- भाभी, यह कोई बात नहीं हुई, मेरा मेहनताना तो दो।



कहकर सूरज ने अपने कपड़े उतार दिये और शॉवर चालू कर दिया। शॉवर का पानी हम दोनों के जिस्म में गिर रहा था।



सूरज ने मुझे अपने से चिपका लिया और मेरे होठों को चूसने लगा, चूसते-चूसते वो एक बार फिर मेरी चूत की तरफ आ गया और अपनी जीभ को मेरे चूत के ठीक पास ले आया और शॉवर का पानी जो मेरी चूत से होता हुआ उसकी जीभ पर गिर रहा था वो उसको पीने लगा।



उसके बाद सूरज खड़ा हुआ और अपने लंड को हिलाने लगा, मैं समझ गई कि सूरज के लंड को चूसना है। अब मेरी बारी थी, मैं सूरज के लंड को चूसने लगी।


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उसके बाद सूरज ने मेरी एक टांग को उठा लिया और अपने लंड को खड़े खड़े मेरी चूत में पेल दिया, करीब दो मिनट तक उसी पोजिशन में चोदता रहा।


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सूरज चोदता रहा और मैं सोचती रही कि क्या मेरी किस्मत है जब से इस घर में आई हूँ, मेरी चूत के अन्दर एक लंड की एंट्री होती है और दूसरा बाहर वेटिंग लिस्ट में होता है।



खैर फिर सूरज ने अपना लंड निकाला और मुझे झुका दिया और मेरी गांड में अपने लंड को सेट करके एक ही धक्का दिया कि उसका मूसल सा लंड मेरी गांड के अन्दर एक ही बार में चला गया।



सूरज ने दो-तीन बार झटके से मेरी गांड में अपने लंड को पेलता और निकालता मुझे ऐसा लगा कि वो मेरी जान ही निकाल कर मानेगा।



काफी देर तक सूरज मेरी गांड और चूत को चोदता रहा फिर उसने मुझे सीधा किया और मेरी दोनों हथेलियों को आपस में इस प्रकार जोड़ा कि वो चुल्लू बन गया और अपने लंड की मुठ मारने लगा, उसका पूरा माल मेरी उस चूल्लू में गिर गया, बोला- भाभी, लो मैंने प्रसन्न होकर तुमको ये प्रसाद दिया है।



उसके इस बात को सुनकर बिना कुछ बोले मैं उस रस को चाट कर साफ कर गई।


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फिर सूरज ने मुझे अच्छी तरीके से नहलाया, सूरज ने मेरे जिस्म के एक-एक हिस्से में जम कर साबुन लगाया और फिर मेरे बदन को पौंछ कर मुझे गाऊन पहना दिया।



मैं चारों ओर देखकर सूरज को वहीं बाथरूम में छोड़कर जल्दी से अपने कमरे में आ गई, मेरे लिये तो इस समय घर के हर कोने में लौड़ा था, जिस जगह जाओ, वहीं पर एक लौड़ा तना हुआ तैयार मिलता था।



हलाँकि रितेश की मालिश और सूरज की चुदाई से मेरे बदन की पूरी थकान उतर चुकी थी और एक बार फिर रात के खाने की तैयारी शुरू कर चुकी थी।



रात को तो पक्का रितेश मेरी चुदाई करने वाला था। मुझे लगता है कि मेरी चूत चूत न होकर भोसड़ा हो चुकी थी, हर लंड को वो लेने के लिये तैयार थी।



कहानी जारी रहेगी।
 
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काम निपटाने के बाद रात को मैं, रितेश, अमित और नमिता उनके कमरे में आ गये और स्वेपिंग की प्लानिंग करने लगे। इस बात पर चर्चा शुरू हो चुकी थी कि कोई ऐसी जगह चुनी जाये जहाँ दो दिन तक कोई न हो और न कोई बोले।

दिन शनिवार और रविवार का चुना गया क्योंकि दूसरे शनिवार की वजह से ऑफिस में छुट्टी होती है। हमारे ग्रुप में जितने लोग थे, वो शनिवार और रविवार ही प्रेफर कर रहे थे।

मैं अमित की गोद में थी और नमिता अपने भाई की गोद में थी, सबके हाथ भी चल रहे थे और प्लानिंग भी चल रही थी।
फोन पर टोनी-मीना और सुहाना-आशीष को भी लाईन पर ले लिया और प्लांनिग के बारे में डिस्कस होने लगा।

खैर सभी शनिवार और रविवार के लिये सहमत थे, वेन्यू की बात थी, मेरे दिमाग में बॉस का घर घूम रहा था जो पूरा खाली पड़ा था और बॉस की बीवी 15 दिन तक नहीं आने वाली थी तो मैंने वेन्यू की बात सभी को बताई।

रितेश बोला- तुम्हारा बॉस तैयार हो जायेगा?

‘क्यों नहीं तैयार होगा और फिर मेरी चूत कब काम आयेगी?’

तो तय हो गया कि इस शनिवार और रविवार को खूब मस्ती होने जा रही थी। इसी बीच रितेश पेशाब करने के लिये जाने लगा तो नमिता भी पीछे पीछे पेशाब करने का इशारा करके चल दी।

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अमित अभी भी मेरी चूची दबा रहा था, अचानक अमित ने मुझे पटक दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे होंठों को मुंह में भर कर चूसने लगा।

इसी बीच नमिता आ गई और उसने पीछे से आकर अमित की गांड पर एक जोर से चपट मारी। अमित बिलबिला उठा।नमिता फिर अपनी उंगली अमित की गांड में डालकर बोली- अमित, मैं अपनी उंगली तुम्हारी गांड में घुसा कर गांड मार रही हूँ।

तभी रितेश बोला- तब तो ठीक है… अगर नमिता अमित की गांड मार रही है तो मैं नमिता की गांड की सेवा कर दूं। कहते हुए रितेश भी नमिता के साथ लग गया और एक बार फिर हम चारों में चूत लंड गांड कुश्ती की जंग छिड़ गई, कभी चाटना तो कभी चूमना और उसके बाद मेरी और नमिता की गांड चूत की कुटाई बड़ी बेहरमी से हो रही थी।

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दो राउंड चुदाई के चले होंगे कि उसके बाद मैं और रितेश अपने कमरे में आकर सो गये।

अब मैं भूल चुकी थी कि एक दिन में मैं कम से कम कितनी बार चुदती हूँ। रूटीन बन चुका था कि घर, ऑफिस का काम निपटाते निपटाते जब जिससे मौका लगे, उसको अपनी बुर दे दो और चुदाई का आनंद लो।

फिर मेरे और रितेश के बीच जैसा तय हुआ था कि ऑफिस जाकर कोलकाता कौन कौन जा रहा है, उसका नाम रिजर्वेशन के लिये देना था और दूसरा दो दिन के लिये बॉस का घर चाहिये वो बताना था।

मैं ऑफिस पहुँची, बॉस मेरा ही इंतजार कर रहा था, मैंने अपने बॉस को बताया कि मेरे कुछ फ्रेंड आ रहे हैं, उनके लिये मुझे दो दिन के लिये उनका फ्लैट चाहिए।

तो बॉस बोला- एक तो बताओ कि मैं इन दो दिनों में कहाँ रहूँगा?

मैंने बताया कि दो दिन के लिये अपनी वाईफ के पास चले जाओ और उसकी चूत चोदो।

बॉस बोला- ठीक है, तुम्हारी बात मान ली लेकिन फ्लैट के बदले मुझे क्या मिलेगा?

मैंने तुरन्त ही उसका हाथ पकड़ा और अपनी छाती पर रखती हुई बोली- बॉस, ये तुम्हारा ही तो है।

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मुस्कुराते हुए बॉस बोला- तुम जानती हो कि कैसे एक मर्द को अपने वश में किया जाता है।

तुरन्त ही बॉस ने अपने केबिन को अन्दर से लॉक कर मेरी जींस उतार दी और मुझे मेज पर बैठा कर मेरी चूत चूसने लगे।

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मुझे पता था कि बॉस ज्यादा लम्बा नहीं चल सकता है तो मुझे कोई चिन्ता भी नहीं थी, तीन से चार मिनट में ही बॉस फ्री होने वाला था।

हुआ भी वही… बॉस ने मेरी चूत चाटी और तुरन्त ही खड़ा होकर अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया।

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बॉस ने दस-पंद्रह धक्के ही मारे होंगे कि उसका माल मेरे मुहँ के अन्दर… और वो हाँफता हुआ मेरे ऊपर।

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फिर वो थोड़ा शर्मिन्दा हो गया जैसे हमेशा होता है, इस समय भी उसने वही डायलॉग बोला- सॉरी जान… लेकिन तुम बहुत अच्छी हो कि मुझे तुम कुछ नहीं कहती हो। मैं जानता हूँ कि मेरे में ज्यादा स्टेमिना नहीं बचा है, फिर भी जिस संयम के साथ तुम मेरा साथ देती हो, कोई दूसरा नहीं दे पाया, इसलिये मैं तुम्हें बहुत पसंद भी करता हूँ और प्यार भी करता हूँ।​
 
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मैंने मन ही मन सोचा ‘दूसरी साली चूतिया होंगी।’



फिर ऊपर से मुस्कुराते हुए बोली- बॉस, तुम अगर खुश तो मैं भी खुश!



कुछ देर बाद बॉस ही खुद याद करते हुए बोले- रिजर्वेशन के लिये नाम दो?



मैंने जब अपने साथ अपने ससुर का नाम दिया तो वो भौंच्चके रह गए।



मैंने बॉस को ससुर का मेरे साथ चलने की पूरी बात बताई तो बोले- तब तो तुम्हारा टूर तो बेकार, काम करोगी और फिर रात को टांगें फैला कर सो जाओगी और उन टांगों के बीच में कोई नहीं होगा, तुम्हारी रात कैसे कटेगी? कहो तो मैं चलूँ?



मैंने तुरंत ही एक बहाना बना कर मना कर दिया, जानती थी कि चाहे ससुर हो या फिर बॉस दोनों के होने न होने का मुझे कोई फायदा या नुकसान नहीं था।



ससुर से लिहाज था और बॉस किसी काम का नहीं… बॉस के साथ तड़पने से अच्छा है कि मैं ससुर के साथ ही जाऊँ।



मेरे बॉस बोला कि जब भी उसके घर की चाबी चाहिये तो मैं उसे बता दूंगी तो वो दो दिन के लिये कहीं एडजस्ट कर लेगा।



शाम को घर आकर मैंने रितेश से बताया तो वो खुश होते हुए बोला- मान गये जान, तुमने हर चीज अरेंज कर ली है।



अब बारी अमित की थी कि वो घर वालों को क्या बताता है कि हम दो दिन घर से बाहर क्यों रहेंगे। अमित ने भी बड़ी समझदारी का परिचय देते हुए घर में बताया कि उसके डिपार्टमेन्ट ने एक आयोजन किया है और मुझे और नमिता के अलावा एक शादीशुदा जोड़ा और आ सकता है तो उसने आकांक्षा और रितेश का नाम दे दिया है। उसके बाद घर वालों को पूरी बातों से सन्तुष्ट किया।



हम चारों लोग बड़ी उत्सुकता से जुम्मे की रात यानि शुक्रवार की रात का इंतजार करने लगे, हम चारों का प्रोग्राम था कि शुक्रवार रात को ही शिफ्ट हो जायेंगे, क्योंकि दो दिन के लिये भरपूर इंतजाम करना था ताकि किसी को बाहर न निकलना पड़े।



इंतजार करते करते शुक्रवार की रात आ गई थी। शिफ्ट होने के एक रात पहले रितेश ने अमित और नमिता को बता दिया कि पार्टी में खुलकर शराब, सिगरेट, गाली-गलौच खूब होगी इसलिये खूब सोच लो क्योंकि वहाँ शर्म नहीं चलेगी।



अमित तुरन्त बोला- मेरी तरफ से ओके है, नमिता अगर ओके करती है तो मजा आयेगा।



नमिता ने ओके किया और रितेश ने तुरन्त ही चार गिलास निकाले, सिगरेट निकाल कर सबको एक-एक पकड़ाई और पैग बनाने लगा। नमिता की आँखों में भी उत्सुकता थी, वो बड़े ही ध्यान से देख रही थी।



सबको एक-एक गिलास उठाने को कहा गया, सबने गिलास उठाया और पहला सिप किया, घूंट भरते ही नमिता ने बुरा सा मुंह बनाया, लेकिन समझाने के बाद वो धीरे धीरे सिप करने लगी और सिगरेट को भी पहली खांसी के बाद पीने लगी।


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हालाँकि बीच बीच में एक दो बार और नमिता को खांसी आई लेकिन फिर सब ठीक हो गया। अमित और रितेश ने अपनी चड्डी पहनी हुई थी जिसमें से उनके तने हुए लंड स्पष्ट दिखाई पड़ रहे थे।



चूंकि मैं नीचे कुछ नहीं पहनती तो मैंने गाउन कुछ इस तरह से पहना था कि मेरे जिस्म का आधा हिस्सा खुला रहे और आधा ढका रहे। नमिता भी इस समय केवल पैन्टी और ब्रा पहने हुए थी, नमिता की बड़ी-बड़ी चूचियाँ ब्रा में समाने की भरपूर कोशिश कर रही थी, लेकिन समा नहीं पा रही थी।



हल्की लाईट की रोशनी में उसका जिस्म काफी आकर्षित लग रहा था, अमित और रितेश की नजर बार बार नमिता के नंगे जिस्म पर ही जा रही थी।



एक पैग के बाद सुरूर चढ़ने लगा था कि रितेश ने दूसरा लेकिन लाईट पैग बना दिया। रितेश ने अमित का गिलास अपने हाथ में लिया, नमिता को खड़ा होने के लिये बोला और अमित की तरफ देखते हुए बोला- अमित, आज तुम अपनी बीवी के जिस्म से निकला हुआ नया रस पीयो।



इतना कहने के बाद रितेश ने अपनी बहन नमिता की पैन्टी के अन्दर अपने दांयें हाथ की दो उंगलियों को फंसा दिया और पैन्टी को खींचते हुए थोड़ी सी जगह बनाई और गिलास की शराब को पैन्टी के अन्दर गिरा दिया और तुरन्त ही खाली गिलास को नमिता की चूत के नीचे लगा दिया।


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अमित का गिलास फ़िर शराब से भर गया लेकिन इस बार का जाम नमिता की चूत और पैन्टी से मिलकर बना हुआ था। रितेश ने गिलास अमित को पकड़ाया और खुद नमिता की गीली पैन्टी पर अपनी जीभ फिराने लगा। रितेश की देखा देखी अमित ने भी वही किया।



जैसे ही दोनों हटे, मैंने भी नमिता की गीली पैन्टी, जिसका स्वाद अमित और रितेश चख चुके थे, पर अपनी जीभ लगा दी। थोड़ा चाटने के बाद मैं मुस्कुरा दी और बोली- आज की ड्रिंक पार्टी तो बहुत ही मजेदार थी।
 
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नमिता भी अब पूर्ण रूप से खुल चुकी थी, वो बोली- मुझे नहीं मालूम था कि मेरी चूत में इतना रस भरा होगा कि मेरी चूत के नीचे गिलास लगाना होगा और फिर उस रस को जाम समझ कर पी जाओगे। कहकर हँसने लगी।



मैं उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही अपने अंगूठे को रगड़ते हुए बोली- वास्तव में तुम्हारी चूत का जवाब नहीं है।



उसकी पैन्टी को उतार कर मैं नमिता के पीछे आई, उसकी चूत की फांकों दोनों हाथों से खोलते हुए अमित और रितेश से बोली- लो देखो नमिता की चूत की लालिमा और इसको पुचकारो।



मेरे कहने के साथ ही दोनों बारी बारी से नमिता के चूत की लालिमा का मजा लेने लगा। रितेश तो एक्सपर्ट था ही… वो नमिता की चूत की क्लिट और कण्ट को भी दांतों से मसलने लगा। नमिता सिसकार उठी।


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फिर रितेश ने बिस्तर पर रखे हुए गिलास को हटाया और बोला कि तुम दोनों करवट करके लेटो और एक दूसरी की चूत चाटो और हम दोनों तुम्हारी गांड के छेद का मजा लेंगे। रितेश के इतना कहते ही सब के पूरी तरह कपड़े उतर गये।



मैं और नमिता दोनों करवट होकर 69 की पोजिशन में आ गई और एक दूसरी के मुंह के ऊपर अपने पैरों को टिका दिया ताकि चूत चूसने में आसानी हो सके।



मेरी गांड की तरफ रितेश था और अमित अपनी प्यारी बीवी की तरफ था। रितेश का हाथ मेरे कूल्हों को अच्छे से सहला रहा था और बीच बीच में चूतड़ों को चूम लेता और मेरी गांड के अन्दर उसकी उंगली कब जानी है रितेश को अच्छे से पता था।


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कुछ देर तो ऐसा ही चलता रहा। नमिता के साथ क्या हो रहा था, मुझे नहीं मालूम लेकिन उसको खूब मजा आ रहा था क्योंकि उसके जिस्म की हरकत बता रही थी कि वो मेरे साथ साथ अमित को भी एन्जॉय कर रही थी।



मेरी गांड काफी गीली हो चुकी थी। रितेश कोशिश कर रहा था कि जिस पोजिशन में मैं हूँ उसी पोजिशन में वो मेरी गांड के अन्दर अपना लंड डाल दे। लेकिन न कर पाने के कारण रितेश एक हाथ से मेरे कूल्हे को पकड़ा और फिर लंड को छेद में रगड़ने लगा।



मैं नमिता की चूत को चाटने में मस्त थी और रितेश लंड से मेरी छेद की घिसाई कर रहा था और जब तक उसने मेरी गांड की घिसाई चालू रखी जब तक कि वो छेद में ही डिसचार्ज न हो गया। फिर अपने रस को उंगली से मेरे गांड के अन्दर भरने लगा।


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एक दूसरी की चूत चाटने से हम दोनों ही झड़ चुकी थी और एक दूसरी का रस को पीने का आनन्द ले रही थी।



इस दौर के बाद एक बार फिर हम लोगों के बीच अदला बदली हुई। मैं अपने जीजू अमित की बांहों में थी और नमिता अपने भाई के बांहों में थी।



रितेश उठा और नमिता को गोदी में उठा कर कमरे से बाहर ले जाने लगा तो अमित ही पूछ बैठा- साले साहब, कहाँ ले जा रहे हो?



रितेश बोला- जीजू, आप मेरी वाली के साथ अब अकेले में मजा लो और मैं नमिता को अपने साथ अपने कमरे में ले जाकर मजा लूंगा।



अमित बोला- साले साहब, तुम मेरी बीवी की चूत या गांड को को मेरे सामने भी चोद सकते हो, मैंने कब मना किया है और तुम्हें अपनी बहन के साथ जो भी करना है, हमारे सामने करो। हमें भी देखना है कि तुम नमिता के साथ नया क्या करते हो?



‘ठीक है, अगर तुम लोग नहीं मानते तो मैं यहीं पर मजा करता हूँ।’ भाई ने अपनी नंगी बहन को गोद से उतारते हुए पलंग पर बैठा दिया और उसके दोनों हाथों का टेक पीछे की तरफ दे दिया और नमिता के गालों को दोनों हाथ रखते हुए बोला- मैं जो भी करूँ, तुम केवल उसमें साथ देना।



रितेश ने एक गिलास पानी से भरा हुआ लिया और नमिता के पीने के लिये दिया, नमिता ने बिना कुछ बोले उस गिलास को खाली कर दिया।



रितेश ने फिर से उस गिलास को भर दिया, नमिता ने रितेश को देखा पर बोली कुछ नहीं और गिलास का पानी फिर पी गई। उसके बाद रितेश ने भी दो गिलास पानी पिया।



पानी पीने के बाद रितेश नमिता के दोनों पैरों के बीच आकर बैठ गया और उसकी तरफ देखते हुए बोला- शनिवार को चार नये पार्टनर और जुड़ेंगे, खूब खुला सेक्स होगा, खूब मस्ती होगी। हो सकता है कि दो दिन तक हमारे जिस्म में एक भी कपड़ा न हो। जिसकी जहाँ मर्जी होगी, खड़ा होकर मूतेगा, जहाँ मर्जी होगी और जिसके साथ किसी को सेक्स करना होगा, बिना कुछ पूछे वो अपने पार्टनर को पकड़ लेगा और सबके सामने चाहे लंड चूत के अन्दर जाये या फिर चूत लंड को अपने अंदर ले ले।



नमिता की जांघ को सहलाते हुए बोला- तुम दिल और दिमाग दोनों से तैयार हो न?



नमिता बोली- भाई, जब मैं तुम्हारे समाने नंगी हूँ और तुम्हारे लंड को अपने अन्दर ले चुकी हूँ तो अब किसी के लंड से कोई परेशानी नहीं।



रितेश का हाथ नमिता की जांघ पर ही था, उसने पूछा- नमिता तुमने किसी मर्द को मूतते हुए देखा है?



‘कई बार देखा है मगर चोर नजरों से!’



‘कभी इच्छा हुई कि कोई तुमको मूतता हुआ देखे?’
 
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‘नहीं, कुछ दिन पहले तक तो नहीं लेकिन इधर जब से भाभी हम सब साथ सब कुछ कर रहे है तो मन में इच्छा होती है कि कोई अजनबी मर्द मुझे भी मूतते हुए देखे और ललचाये।’



रितेश ने नमिता की चूत की फांकों को फैलाया और उसको चाटते हुए बोला- पेशाब लगी है मेरी प्यारी बहना?



नमिता ने हाँ में सर हिलाया।



रितेश ने अपनी लम्बी सी जीभ निकाली और उसकी चूत के पास ले जाकर लगा दी और बोला- अपनी धार को अहिस्ते से छोड़ना, ध्यान रखना कि कोई बूंद मेरी जीभ से बाहर ना जाये।



नमिता ने रितेश के कहे अनुसार ही किया और नमिता की मूत की एक-एक बूंद रितेश की जीभ से होते हुए उसके हलक के नीचे उतर रही थी, रितेश बड़ा ही स्वाद ले लेकर उसे पी रहा था।


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नमिता का पूरा पेशाब गटकने के बाद रितेश एक बार फिर नमिता की चूत की फांकों के बीच अपनी जीभ चलाने लगा तकि बचा हुआ रस भी वो गटक सके।



ऐसा करने के बाद जैसे ही रितेश ने उसकी फांकों से अपना मुंह हटाया तो नमिता बोली- कि इसका स्वाद कैसा है?



वो मुस्कुराते हुए बोला- तुम्हारी भाभी की चूत का पानी और तुम्हारी चूत का पानी बहुत ही मस्त है।



मैं और अमित दोनों ही केवल उन दोनों की बातों को और क्रियाओं को देख रहे थे।



फिर रितेश खड़ा हुआ और नमिता को जमीन पर बैठ कर अपना मुंह खोलने के लिये बोला। नमिता वहीं जमीन पर अपना मुंह खोल कर बैठ गई और आँखें बन्द कर ली और आने वाले उस पल का इन्तजार करने लगी।



रितेश ने अपने लंड को बिल्कुल नमिता के मुंह के करीब ले गया और बहुत ही धीरे से अपनी पहली धार नमिता के मुंह में छोड़ी। नमिता ने उसे बड़ी ही मुश्किल से गटक पाई जैसे वो उसके स्वाद को समझने की कोशिश कर रही हो, फिर अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेरा और फिर मुंह को खोल दिया।अब वो उस स्वाद के लिये तैयार थी जिसके बारे में रितेश ने नमिता को बताया था।



रितेश ने समय लेते हुए नमिता के मुंह में धार गिराना चालू रखा। नजारा तो बेहद कामुक और गंदा था लेकिन अब हम लोगों के लिये ये नजारा चुदाई के खेल का एक पार्ट हो चुका था।



मैं भी अमित के लंड को पकड़ कर चूसने लगी और अपना मुंह खोल दिया। अमित समझ गया और अपना सारा ध्यान एक जगह केन्द्रित कर लिया, थोड़ा सा समय लेने के बाद अमित के लंड से एक बूंद मेरी जीभ को टच की। मुझे तुरन्त अपनी सुहागरात याद आई जब मैंने और रितेश ने मजबूरी में एक दूसरे की मूत पी थी लेकिन आज मूत पीने का बहुत ही आनन्द ले रहे थे।



अमित शायद अपने दिमाग को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था, उसका पेशाब रूक रूक कर आ रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं हॉट काफी पी रही हूँ, बहुत ही कसैला सा स्वाद था लेकिन लग रहा था कि यह स्वाद बना रहे।



जब अमित पेशाब कर चुका तो मैंने उसके सुपारे के खोल को हटाते हुए उसकी लंड के अग्र भाग को चाटने लगी। उसके बाद अमित घुटने के बल नीचे बैठ गया और अपने मुंह को खोल दिया।



उस दिन मैंने बदला लेने की गरज से अमित को जबरदस्ती अपना मूत पिलाया था पर आज मैंने अपनी चूत को बहुत ही आहिस्ते से उसके मुंह के पास लगा दिया और फिर धार छोड़ने लगी।



जब मेरी भी धार खत्म हुई तो अमित ने अपने उंगलियों का यूज करते हुए मेरी चूत की फांकों को मसलता और फिर उसे चाटता।



तभी मेरी नजर रितेश पर पड़ी, वो अपनी बहन को बिस्तर पर लेटा कर बहन की चूत के अन्दर अपना लंड डाल चुका था और उसके दोनों पैरों को अपने कंधे की ऊँचाई तक कर दिया था।



मैंने भी जल्दी से पलंग पर आकर उसी पोजिशन पर अपने पैरों को उठा लिया और अमित मेरे पैरों के बीच आकर अपने लंड को मेरी चूत में डाल कर हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।



ननद और भाभी अगल बगल लेटी हुई थी और दोनों की चूचियाँ चूत ठुकाई से खूब हिल डुल रही थी। नमिता मुझे देखकर मुस्कुराती और मैं नमिता को देख कर मुस्कुराती।


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मैं रितेश की बातों को भी अपने जेहन में उतारती चली गई कि शनिवार से एक नया माहौल होगा और खूब मस्ती होगी। मेरी चूत में अमित के धक्के कभी धीरे होते तो कभी तेज होते।



कुछ देर की ठुकाई से मेरे अन्दर की गर्मी बाहर निकल चुकी थी और शायद अमित की भी गर्मी शांत होने वाली थी। तभी अमित ने अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाला और अपने लंड की मुठ मारने लगा, उसका लावा मेरी जांघों पर गिरने लगा। रितेश ने भी कुछ इस तरह ही नमिता के ऊपर किया।


दोनों के डिस्चार्ज होने के बाद का जो माल हम दोनों के ऊपर गिरा था, उसको वहीं पास पड़ी चादर से साफ किया और फिर वही एक दूसरे की बांहों में सिमट कर सो गये।



कहानी जारी रहेगी।
 
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दूसरे दिन मैं रूटीन काम निपटा कर ऑफिस गई पर ऑफिस में मेरा मन नहीं लग रहा था, किसी तरह से काम निपटा कर मैंने बॉस से उसके घर की चाभी ली और एवज में बॉस ने अपने दो मिनट का खेल मेरी चूत में खेला।



दो दिन वो खेल होने वाला था जिसमें कई लोग नये थे और कई लोग इस खेल के एक्सपर्ट खिलाड़ी थे पर मजा खूब आने वाला था।



घर पहुंची तो देखा नमिता ने रात की सभी तैयारी कर ली है, वो खुद भी खूब एक्साईटेड थी। इस समय हम चार लोग केवल टाईम पास कर रहे थे कि कब घर का खाना निपटे और कब हम लोग बॉस के घर में शिफ्ट हों।



टाईम भी जिद पर अड़ा हुआ था और उसने भी अपनी गति को बहुत धीमा कर रखा था। पर जैसे तैसे रात का खाना निपटा तो हम लोग कार लेकर निकल पड़े और बॉस के घर आ गये। कार ऐसी जगह पार्क की कि किसी की नजर उस पर न पड़े।



फिर हम लोग मेरे बॉस के घर के अन्दर गये अपने सामान फेंके और चारों ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारे कि तभी रितेश की नजर हमारे पैरों पर गई, वो तुरन्त बोल उठा- तुम लोग पूरे दो दिन तक हाई हील सैन्डल ही पहनकर रहोगी।



अभी हम लोगों को पहुंचे पंद्रह मिनट ही हुए होंगे कि टोनी की कॉल आ गई- हम लोग लखनऊ आ चुके हैं, होटल जा रहे हैं, कल आकर पिक कर लेना।



रितेश ने उसे कुछ देर वहीं इंतजार करने को कहा और गाड़ी का नम्बर और गाड़ी का कलर पूछ कर बोला- जब मैं फोन करूँ तो तुम लोग कार के पास आ जाना।



रितेश ने वहीं पड़ी दो चादर उठाई और नमिता से बोला- चलो, मेहमान को रिसीव करके आते हैं।



नमिता कपड़े पहनने लगी तो रितेश ने उसके हाथ से कपड़े लिये और चादर देते हुए बोला- जहाँ इसकी जरूरत हो, तुम औढ़ लेना।



कहते हुए नमिता का हाथ पकड़ कर रितेश चल दिया।



करीब आधे घण्टे बाद ही नीचे कार के हॉर्न की आवाज सुनाई दी। मैं और अमित भी नीचे उतर आये तो देखा कि सुहाना-आशिष, टोनी और मीना सभी थे और सभी पूर्ण रूप से नंगे थे।



मुझे और अमित को देखते ही सब हमारे गले लगे और होंठों को चूम-चूम कर अभिवादन करने लगे। उसके बाद सभी लोग ऊपर आ गये।



टोनी बोला- इसको कहते हैं स्वागत करना।



मेरे पूछने पर रितेश ने बताया: मैं टोनी और मीना को रिसीव ही कर रहा था कि सुहाना का फोन आ गया, वो भी स्टेशन से होटल जा रहे थे तो मैंने उनको भी कार में बुला लिया। कार के अन्दर जैसे ही आशिष और सुहाना आये तो मुझे और इन सभी को नंगा देख कर सुहाना बोली ‘क्या डेयरिंग है तुम्हारी कि तुम दोनों पूरे नंगे होकर हम लोगों को रिसीव करने आये हो।’



सुहाना का जवाब देने से पहले मैंने सबका एक-दूसरे से इन्ट्रोडक्शन कराया।



टोनी तो टोनी है, तुरन्त ही सुहाना के बूब्स दबाते हुए बोला ‘हाय’ इससे पहले कि सुहाना टोनी के इस हरकत को समझ पाती कि टोनी ने आशिष का हाथ पकड़ा और मीना के बूब्स पर रखते हुए बोला कि तुम दोनों एक दूसरे को हाय नहीं बोलोगे क्या?



सुहाना और आशिष दोनों के लिये ये नया-नया था। टोनी की आदत है कि किसी को कपड़े में देखना उसे पसंद नहीं है तो वो बोला ‘यार आशिष तुम दोनों बहुत ही कमीने हो कि हम शरीफ लोग शर्मा रहे हैं।



मैं समझ रहा था कि आशिष और सुहाना के लिये ये थोड़ा मुश्किल हो रहा होगा तो मैं ही बात काटते हुए बोला कि तुम दोनों को भी ये कपड़े उतारने के लिये बोल रहा है क्योंकि इस पार्टी का रूल है कि कोई भी एक मेम्बर अगर नंगा है तो बाकी सब को भी नंगा होना पड़ेगा।



मेरी बात पर हामी भरते हुए आशिष और सुहाना ने भी अपने कपड़े उतार दिये और नंगे हो गये।



फिर सभी लोग जमीन पर गोला बना कर बैठ गये फिर सब को नियम बता दिये गए और यह भी बता दिया कि सभी एक दूसरे की हरकत का मजा लेंगे बुरा कोई नहीं मानेगा, अगर किसी को बुरा लग रहा हो तो अभी भी वो छोड़कर जा सकता है।



सभी की हामी एक सुर में मिलने के बाद रितेश ने फ्रिज से ठंडी बियर की कैन निकालीं और सभी को एक एक पकड़ा दी। सभी ने एक स्वर में चीयर्स बोला और एक-एक घूंट बियर की बदल बदल के पीने लगे।


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सुरूर चढ़ने के साथ साथ सभी के खेल शुरू हो गये कि तभी सुहाना खड़ी हुई और बोली- मुझे पेशाब लगी है, मूतने जाना है।



टोनी ने तुरन्त ही एक बियर की खाली कैन उठाई उसके कवर को निकाल कर सुहाना की चूत की तरफ लगा कर बोला- मेरी जान, लो मूतो।



सभी मर्द टोनी की तरफ देखने लगे लेकिन टोनी अपने में ही मस्त सुहाना की चूत को सहलाते हुए बोले जा रहा था- मेरी जान, अपनी इस प्यारी चूत से अपनी मूत की धार निकालो और इस खाली डिब्बे में मूतो।



सुहाना टोनी को सहलाना बर्दाश्त नहीं कर पाई और धार छोड़ दी।


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एक कैन भरने लगी तो टोनी ने रितेश की तरफ इशारा करते हुए दूसरी कैन मांगी। रितेश ने दूसरी खाली कैन भी टोनी को पकड़ा दी जिसको तुरन्त ही टोनी ने सुहाना की चूत के मुहाने में लगा दिया।
 

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