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रितेश और अमित दोनों रसोई से चले गये और थोड़ी देर बाद दोनों बनियान और लोअर में वापस रसोई में आ गये। रसोई के अंदर हमें दोनों को चोदने के ख्याल से ही दोनों के लंड तने हुए थे।
‘अब क्या करना है?’
मैंने कहा- करना क्या है, बस रसोई में हो अपने लंड की मुठ मारो, हम दोनों तुम दोनों को मुठ मारते हुए देखेंगी।
अमित ने चिढ़ते हुए कहा- इसी को कहते हैं ‘खड़े लंड पर धोखा…’
रितेश बोल पड़ा- देखो, तुमने जैसे कहा था, वैसे ही कर दिया है, अब तुम दोनों अपनी अपनी चूत में हमारे लंड ले लो और इसकी गर्मी को निकालो।
मौके की नजाकत को समझते हुए मैंने रसोई के दरवाजे को हल्का सा खुला रख छोड़ा ताकि जब कोई आये तो दूर से ही पता चल जाये।
अमित और रितेश को समझाते हुए बोली- देखो, ओरल सेक्स नहीं करेंगे, बस अपने लंड की प्यास हम दोनों की गांड और चूत से शांत कर लो!
कहते हुए मैंने अपने गाउन को ऊँचा कर लिया और रसोई के प्लेटफार्म पर झुक कर खड़ी हो गई। नमिता ने अपने पजामे को नीचे कर दिया और वो भी झुक कर खड़ी हो गई।
तभी नमिता बोली- अमित, बाहर भी ध्यान रखना कि कोई आ रहा हो तो हट जाना… ऐसा न हो कि कोई आकर यहां खड़ा है और तुम दोनों हम दोनों को पेल रहे हो।
अमित बोला- चोदने के साथ साथ बाहर का भी ध्यान रखेंगे।
इस समय हम लोग विदेशी लोगों की तरह थे, हम लोगों का कल्चर यह तो है ही नहीं, लेकिन मजा खूब आ रहा था।
पारी पारी से रितेश और अमित दोनों ही हम दोनों के चूत और गांड को चोद रहे थे और अपने लंड की प्यास बुझा रहे थे। हम चारों की किस्मत अच्छी थी कि अभी तक रसोई में कोई नहीं आया।
अब सब झड़ने वाले थे, अमित बोला- मैं झड़ने वाला हूँ, बताओ माल को कहाँ गिराऊँ?
मैंने सुझाव दिया- इस समय तुम नमिता की गांड या चूत में अपना माल गिराओ और रितेश तुम मेरी चूत या गांड कहीं भी निकाल सकते हो।
दोनों ने ऐसा ही किया, रितेश मेरी चूत के अन्दर अपने रस को गिरा रहा था और अमित नमिता की चूत के अन्दर।
फिर हम सबने अपने अपने कपड़े ठीक किए।
अमित बोला- भाभी केवल आप ही हो जो जब चाहे और जहां चाहे मजा दे सकती हो।
दोनों ने एक एक बार फिर हम को चुम्बन दिया और मेहमानों के साथ जाकर बैठ गये।
कहानी जारी रहेगी।
‘अब क्या करना है?’
मैंने कहा- करना क्या है, बस रसोई में हो अपने लंड की मुठ मारो, हम दोनों तुम दोनों को मुठ मारते हुए देखेंगी।
अमित ने चिढ़ते हुए कहा- इसी को कहते हैं ‘खड़े लंड पर धोखा…’
रितेश बोल पड़ा- देखो, तुमने जैसे कहा था, वैसे ही कर दिया है, अब तुम दोनों अपनी अपनी चूत में हमारे लंड ले लो और इसकी गर्मी को निकालो।
मौके की नजाकत को समझते हुए मैंने रसोई के दरवाजे को हल्का सा खुला रख छोड़ा ताकि जब कोई आये तो दूर से ही पता चल जाये।
अमित और रितेश को समझाते हुए बोली- देखो, ओरल सेक्स नहीं करेंगे, बस अपने लंड की प्यास हम दोनों की गांड और चूत से शांत कर लो!
कहते हुए मैंने अपने गाउन को ऊँचा कर लिया और रसोई के प्लेटफार्म पर झुक कर खड़ी हो गई। नमिता ने अपने पजामे को नीचे कर दिया और वो भी झुक कर खड़ी हो गई।
तभी नमिता बोली- अमित, बाहर भी ध्यान रखना कि कोई आ रहा हो तो हट जाना… ऐसा न हो कि कोई आकर यहां खड़ा है और तुम दोनों हम दोनों को पेल रहे हो।
अमित बोला- चोदने के साथ साथ बाहर का भी ध्यान रखेंगे।
इस समय हम लोग विदेशी लोगों की तरह थे, हम लोगों का कल्चर यह तो है ही नहीं, लेकिन मजा खूब आ रहा था।
पारी पारी से रितेश और अमित दोनों ही हम दोनों के चूत और गांड को चोद रहे थे और अपने लंड की प्यास बुझा रहे थे। हम चारों की किस्मत अच्छी थी कि अभी तक रसोई में कोई नहीं आया।

अब सब झड़ने वाले थे, अमित बोला- मैं झड़ने वाला हूँ, बताओ माल को कहाँ गिराऊँ?
मैंने सुझाव दिया- इस समय तुम नमिता की गांड या चूत में अपना माल गिराओ और रितेश तुम मेरी चूत या गांड कहीं भी निकाल सकते हो।
दोनों ने ऐसा ही किया, रितेश मेरी चूत के अन्दर अपने रस को गिरा रहा था और अमित नमिता की चूत के अन्दर।

फिर हम सबने अपने अपने कपड़े ठीक किए।
अमित बोला- भाभी केवल आप ही हो जो जब चाहे और जहां चाहे मजा दे सकती हो।
दोनों ने एक एक बार फिर हम को चुम्बन दिया और मेहमानों के साथ जाकर बैठ गये।
कहानी जारी रहेगी।