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थोड़ी देर बाद रितेश ने मुझे अपनी गोद से उतारा और मुझे घोड़ी बनने का इशारा किया। मैंने जानबूझ कर खिड़की की दीवार से अपने को सपोर्ट दिया, मैं देखना चाहती थी कि नमिता को कैसा लग रहा है। खिड़की की एक तरफ नमिता और दूसरी तरफ अमित छुप कर अंदर के नजारे का मजा ले रहे थे।
रितेश ने मेरी गांड में थूक लगाया और एक झटके में अपने लंड को मेरी गांड के अंदर पेल दिया।
‘उईईई ईईईई मां… मादरचोद हमेशा इसी तरह से मेरी गांड मारोगे कि कभी प्यार से भी?’
‘अरे बहन की लौड़ी, जब तेरी गांड ही इतनी मस्त है तो मैं अपने आप को कैसे रोकूँ?’
‘तो यह बात है- तुमको सिर्फ मेरी गांड ही मस्त लगती है चूत नहीं?’
रितेश बोला- नहीं रंडी, चूत तो तुम्हारी दुनिया की सबसे मस्त चूत है। इतनी चूत चोदी, लेकिन जब तक तेरी चूत न चोदूँ तो मजा नहीं आता है। आज तो पूरी रात मेरा लंड तुम्हारी चूत और गांड की सेवा करेगा। क्योंकि कल से फिर दो तीन दिन के लिये अपना मिलन जरा मुश्किल है।
कहकर वो जोर-जोर से मेरी चूत और गांड का बाजा बजाने लगा और साथ ही साथ मेरे चूतड़ पर कसकर तड़ी मारता और जोर-जोर से मेरी चूची को मसलता। दर्द के कारण मेरे मुंह से सीत्कार निकल जाती।
इधर वो दोनों मेरी बात को सुनकर एक दूसरे को कमरे में चलने का इशारा कर रहे थे लेकिन मेरी नजर में ना आ जायें इसलिये वो वहीं रूके रहे।
तब तक रितेश मेरी कायदे से बजा चुका था और चिल्ला रहा था- मैं झड़ने वाला हूँ!
उसको सुनकर मैं तुरंत ही नीचे बैठ गई और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर उसके माल को जैसा कि आप सभी समझ गये होंगे, लेकर मैंने क्या किया होगा।
इधर मुझे दौड़ने की आवाज आई और यही दौड़ने की आवाज रितेश ने भी सुनी। वो बोला- आकांक्षा, ऐसा लगा कि कोई दौड़ रहा है।
मैं जानती थी कि दौड़ने वाले कौन है लेकिन मैंने रितेश को टाल दिया, मैं चाहती थी कि आज रितेश भी चुदाई को लाईव देखे, मैं जानती थी कि अगर मैं रितेश को अमित और नमिता की चुदाई देखने के लिये कहूँगी तो हो सकता है वो मना कर दे।
इसलिये मैं बोली- रितेश, आओ छत पर चलें।
रितेश तो पहले पहल नंगा छत पर घूमने से कतराने लगा लेकिन मेरे फोर्स करने पर वो तैयार हो गया। मैं और रितेश एक-दूसरे के कमर में हाथ डाले अपने कमरे से निकल पड़े।
रितेश का सारा ध्यान मैंने अपने ऊपर लगा दिया और टहलते हुए नमिता के कमरे के पास पहुँचे तो दोनों की बातों की आवाज आ रही थी।
रितेश मुझसे वापस चलने के लिये इशारा कर रहा था जबकि मैंने रितेश को चुपचाप उन दोनों की बातों को सुनने का इशारा किया और नमिता के कमरे की खिड़की के और पास जाकर खड़ी हो गई, उन दोनों की बातें सुनने लगी।
एक बात तो थी रितेश में वो मेरी कोई बात नहीं टालता था, इसलिये वो मेरे पीछे आकर चिपक गया। मैंने जो जगह बनाई थी नमिता के कमरे के अन्दर देखने की, वहां खड़ी हो गई और अंदर का नजारा देखने लगी।
अन्दर अमित की गोद में नमिता बैठी हुई थी और अमित की उंगलियाँ उसकी चूचियों पर चल रही थी और साथ में अमित मेरी ही तारीफ कर रहा था।
दोस्तो, यहां से अमित और नमिता की बातचीत सुनिये।
अमित- यार, रितेश सही ही कह रहा था कि भाभी की चूत है बहुत मस्त… चूत ही क्या उनके जिस्म का एक एक अंग बहुत मस्त है।
नमिता थोड़ा चिढ़ते हुए- हाँ हाँ, अब तुम्हें भाभी की चूत अच्छी लगने लगी।
अमित- लो, मैं क्या गलत कह रहा हूँ। उनके होंठ देखो, ऐसा लगता है कि गुलाब की दो पखुंडियाँ। उनके होंठ क्या रसीले आम की तरह है, मन करता है कि चूसता रहूँ।
नमिता- तो जाओ ना, फिर भाभी के होंठ को चूसो, मुझे छोड़ो। आज मैंने भाई का भी लंड देखा है। क्या लंबा मोटा है। इसलिये तो भाभी भाई से खुश है। काश भाई जैसा लंड मुझे भी मिलता!
अमित- मेरा भी लंड तो तेरे भाई जैसा है।
नमिता- तो मेरी चूत कौन सी बीमार है? जो एक बार मेरी चूत देख ले वो मेरी चूत में ही खो जाये।
रितेश पीछे से मेरी पीठ पर लगातार अपने चुम्बन की झड़ी लगाये हुए थे और मेरा हाथ उसके लंड को मसल रहा था।
नमिता की इतनी बात सुनते ही अमित रास्ते पर आ गया- लेकिन नमिता तेरी चूची, क्या गोल गोल है बहुत मस्त है।कहते हुए अमित नमिता की चूची को उसके कपड़े के ऊपर से ही मसल रहा था और उसकी गर्दन, गालों पर अपने चुम्बन की बौछार लगा रहा था।
इधर रितेश का हाथ भी मेरी चूचियों से खेल रहा था।
रितेश ने मेरी गांड में थूक लगाया और एक झटके में अपने लंड को मेरी गांड के अंदर पेल दिया।

‘उईईई ईईईई मां… मादरचोद हमेशा इसी तरह से मेरी गांड मारोगे कि कभी प्यार से भी?’
‘अरे बहन की लौड़ी, जब तेरी गांड ही इतनी मस्त है तो मैं अपने आप को कैसे रोकूँ?’
‘तो यह बात है- तुमको सिर्फ मेरी गांड ही मस्त लगती है चूत नहीं?’
रितेश बोला- नहीं रंडी, चूत तो तुम्हारी दुनिया की सबसे मस्त चूत है। इतनी चूत चोदी, लेकिन जब तक तेरी चूत न चोदूँ तो मजा नहीं आता है। आज तो पूरी रात मेरा लंड तुम्हारी चूत और गांड की सेवा करेगा। क्योंकि कल से फिर दो तीन दिन के लिये अपना मिलन जरा मुश्किल है।
कहकर वो जोर-जोर से मेरी चूत और गांड का बाजा बजाने लगा और साथ ही साथ मेरे चूतड़ पर कसकर तड़ी मारता और जोर-जोर से मेरी चूची को मसलता। दर्द के कारण मेरे मुंह से सीत्कार निकल जाती।
इधर वो दोनों मेरी बात को सुनकर एक दूसरे को कमरे में चलने का इशारा कर रहे थे लेकिन मेरी नजर में ना आ जायें इसलिये वो वहीं रूके रहे।
तब तक रितेश मेरी कायदे से बजा चुका था और चिल्ला रहा था- मैं झड़ने वाला हूँ!
उसको सुनकर मैं तुरंत ही नीचे बैठ गई और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर उसके माल को जैसा कि आप सभी समझ गये होंगे, लेकर मैंने क्या किया होगा।


इधर मुझे दौड़ने की आवाज आई और यही दौड़ने की आवाज रितेश ने भी सुनी। वो बोला- आकांक्षा, ऐसा लगा कि कोई दौड़ रहा है।
मैं जानती थी कि दौड़ने वाले कौन है लेकिन मैंने रितेश को टाल दिया, मैं चाहती थी कि आज रितेश भी चुदाई को लाईव देखे, मैं जानती थी कि अगर मैं रितेश को अमित और नमिता की चुदाई देखने के लिये कहूँगी तो हो सकता है वो मना कर दे।
इसलिये मैं बोली- रितेश, आओ छत पर चलें।
रितेश तो पहले पहल नंगा छत पर घूमने से कतराने लगा लेकिन मेरे फोर्स करने पर वो तैयार हो गया। मैं और रितेश एक-दूसरे के कमर में हाथ डाले अपने कमरे से निकल पड़े।
रितेश का सारा ध्यान मैंने अपने ऊपर लगा दिया और टहलते हुए नमिता के कमरे के पास पहुँचे तो दोनों की बातों की आवाज आ रही थी।
रितेश मुझसे वापस चलने के लिये इशारा कर रहा था जबकि मैंने रितेश को चुपचाप उन दोनों की बातों को सुनने का इशारा किया और नमिता के कमरे की खिड़की के और पास जाकर खड़ी हो गई, उन दोनों की बातें सुनने लगी।
एक बात तो थी रितेश में वो मेरी कोई बात नहीं टालता था, इसलिये वो मेरे पीछे आकर चिपक गया। मैंने जो जगह बनाई थी नमिता के कमरे के अन्दर देखने की, वहां खड़ी हो गई और अंदर का नजारा देखने लगी।
अन्दर अमित की गोद में नमिता बैठी हुई थी और अमित की उंगलियाँ उसकी चूचियों पर चल रही थी और साथ में अमित मेरी ही तारीफ कर रहा था।

दोस्तो, यहां से अमित और नमिता की बातचीत सुनिये।
अमित- यार, रितेश सही ही कह रहा था कि भाभी की चूत है बहुत मस्त… चूत ही क्या उनके जिस्म का एक एक अंग बहुत मस्त है।
नमिता थोड़ा चिढ़ते हुए- हाँ हाँ, अब तुम्हें भाभी की चूत अच्छी लगने लगी।
अमित- लो, मैं क्या गलत कह रहा हूँ। उनके होंठ देखो, ऐसा लगता है कि गुलाब की दो पखुंडियाँ। उनके होंठ क्या रसीले आम की तरह है, मन करता है कि चूसता रहूँ।
नमिता- तो जाओ ना, फिर भाभी के होंठ को चूसो, मुझे छोड़ो। आज मैंने भाई का भी लंड देखा है। क्या लंबा मोटा है। इसलिये तो भाभी भाई से खुश है। काश भाई जैसा लंड मुझे भी मिलता!
अमित- मेरा भी लंड तो तेरे भाई जैसा है।
नमिता- तो मेरी चूत कौन सी बीमार है? जो एक बार मेरी चूत देख ले वो मेरी चूत में ही खो जाये।
रितेश पीछे से मेरी पीठ पर लगातार अपने चुम्बन की झड़ी लगाये हुए थे और मेरा हाथ उसके लंड को मसल रहा था।
नमिता की इतनी बात सुनते ही अमित रास्ते पर आ गया- लेकिन नमिता तेरी चूची, क्या गोल गोल है बहुत मस्त है।कहते हुए अमित नमिता की चूची को उसके कपड़े के ऊपर से ही मसल रहा था और उसकी गर्दन, गालों पर अपने चुम्बन की बौछार लगा रहा था।

इधर रितेश का हाथ भी मेरी चूचियों से खेल रहा था।