Incest पूरे घर की रंडी

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जिस तरह दोनों कैन भर गई थी उससे तो यही लग रहा था कि सुहाना को मूत खूब तेज लगी थी।



सुहाना के मूत से भरी हुई दोनों कैन को बीच में रखते हुए टोनी ने एक चुम्मी सुहाना की चूत की ली सुहाना के मुंह से आईस्स्स ही निकल पाया।



फिर उसके दोनों हाथों को पकड़ कर बैठा दिया, उसके बाद दोनों कैन को हाथ में उठाते हुए बोला- लो दोस्तो, मुफ्त में ही दो और बियर का इंतजाम हो गया!



कहते हुए उसने एक घूंट पी और फिर बगल में बैठी हुई अपनी बीवी मीना को पकड़ा दिया, मीना ने भी सिप लिया और आशिष जो उसकी बगल में बैठा था, उसको दिया। आशिष ने भी देखा देखी एक सिप ली और मुझे पकड़ा दी। इस तरह से दोनों कैन खाली हो चुकी थी।



इस बार आशिष बोला- देखो, अब किसी को भी मूत लगेगी वो कैन में ही मूतेगा।



उसके बाद टोनी ने सभी औरतों को खड़े होने का आदेश दिया और बोला- तुम लोग प्रतियोगी हो और हम लोग जज… तुम सभी खड़ी हो जाओ और हम लोग जज करके बतायेंगे कि किसकी चूत सबसे अच्छी है।


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हम लड़कियाँ खड़ी हो गई। सबसे पहले टोनी ने सबकी चूत को सहलाया और चूमा, फिर आशिष ने, उसके बाद अमित ने, फिर रितेश ने बारी बारी से हम सभी औरतों की चूत को सहला कर देखते और उसे चूमते और फिर हम लोग से दूर हटकर दूसरे कमरे में चले गये।



कुछ देर बाद टोनी लीडर की तरह आगे आया, बोला- आज की सबसे सेक्सी चूत सुहाना की है, सबसे पहले उसी की बुर में लंड जायेगा।



नमिता बोली- हम लोगों को जानना है कि सुहाना की चूत सबसे सेक्सी कैसे है?



टोनी बोला- यह हम लोगों का आपस में विचार हुआ है और हमने अपने विचार आपको बता दिये।



नमिता फिर बोली- लेकिन मुझे जानना है कि क्या विचार किया।



अब की रितेश बोला- सबने अपनी चूत को काफी चिकना किया हुआ है पर सुहाना की चूत के ठीक ऊपर देखो उसने कमर के नीचे और चूत के ठीक ऊपर झांटों को इस तरह सेट कराया है जिससे उसके इस हिस्से का आकर्षण अलग सा हो गया है और हम लोगों ने ये डिसाईड किया है कि सुहाना जिसको चाहेगी आज की चुदाई की शुरूआत वही करेगा।


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तभी हम सभी लेडीज एक साथ बोल पड़ी- हम भी यह डिसाईड करेंगी कि तुममें से सबसे अच्छा लंड किसका है और वही सुहाना के साथ उसकी चूत चुदाई की शुरूआत करेगा। उसके बाद पर्ची निकाली जायेगी, जिसकी पर्ची जिसके साथ मिलेगी, वो ही उसकी चुदाई करेगा, बाकी सभी उस चुदाई को लाईव देखेगे। अब तुम लोग सब लाईन पर खड़े हो जाओ ताकि हम सभी तुम लोगों के लंड को देख कर बता सकें कि किसका लंड सबसे ज्यादा अच्छा है और कौन वो खुशकिस्मत है जो आज की चुदाई की शुरूआत सुहाना की चूत के साथ करेगा।



सभी मर्द लाईन में खड़े हो गये। हम सभी लोग मर्दों के लंड को नापते, उनके टोपे को टच करते रही।


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फिर हम सभी दूसरे कमरे में गई और सभी के निष्कर्ष से यह निकला कि मेरे प्यारा हबी रितेश का लंड सबसे ज्यादा जानदार है। हम सभी औरतें कमरे से बाहर आई और हमने डिसाईड किया कि सुहाना बतायेगी कि उसे सबसे ज्यादा किसका लंड पसन्द आया?



सुहाना एक-एक करके सबके पास जाती, बन्दे को देखती और मुस्कुराती हुई आगे बढ़ जाती। फिर सबसे हटकर खड़ी हो गई और रितेश की तरफ इशारा करती हुई बोली- रितेश का लंड सबसे ज्यादा पसंद किया गया है।



टोनी तुरन्त बोल पड़ा तो मैंने मीना को इशारा किया तो मीना बोली- एक तो रितेश का लंड तुमसे सबसे बड़ा है और दूसरे हम सभी ने तुम्हारे लंड के टिप को छुआ था, तुम सभी के लंड चिपचिप कर रहे थे, मतलब तुम्हारे रस की बूंदें बाहर आ चुकी थी पर रितेश के लंड से कोई रस नहीं निकल रहा था।



मीना की बात सुनकर सभी मर्द रितेश के लंड को टच करने लगे ताकि वो जान सकें कि मीना जो कह रही है वो सही है या नहीं।



जब सभी ने रितेश के लंड को बारी बारी छू लिया तो कहने लगे- ठीक है, तो सुहाना और रितेश की जोड़ी आज के चुदाई का प्रोग्राम शुरू करेंगे और बाकियों की पर्ची निकाली जायेगी।



अब फैसला यह होना था कि पर्ची मर्दों की निकाली जायेगी या हम औरतों की।



सभी ने मिलकर फैसला किया कि मर्दों की पर्ची निकाली जायेगी और औरतें पर्ची उठा कर देखेंगी कि किसके पास कौन मर्द आता है।



अमित, टोनी और आशिष के नाम की पर्ची उछाली गई। मैंने, नमिता और मीना ने एक एक पर्ची उठाई। मेरे हिस्से में आशिष आया, नमिता को टोनी और मीना को अमित मिल गया।
 
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फिर तय हुआ कि बारी बारी से सभी चुदाई का खेल खेलेंगे और बाकी जोड़ियां उस खेल को देखकर आनन्द लेंगी। एक शर्त जो पहले से ही थी कि सभी औरतें हाई हील सैन्डिल पहने रहेंगी और कोई भी जोड़ी केवल चुपचाप चुदाई का खेल देखेगी और कोई हरकत नहीं करेगी और अगर गलती से भी कोई हरकत होती है तो उस जोड़ी को चुदाई का मौका नहीं मिलेगा।



टोनी फिर बोल उठा कि इस गेम वाली चुदाई में या फिर अन्त तक?



‘नहीं एक ही ट्रिप वाली चुदाई में!’



टोनी ने एक फिर प्रश्न किया- मान लो सुहाना और रितेश चुदाई कर चुके हैं और तीसरी जोड़ी का चुदाई खेल शुरू है और रितेश और सुहाना ने नियम तोड़ा तो?



नमिता बोली- जिस जोड़ी का चुदाई का प्रोग्राम हो चुका होगा वो अलग अलग बैठेगा। सभी सहमत हो गये।



अब बारी थी सुहाना और रितेश की चुदाई की… बाकी जोड़ियाँ सुहाना और रितेश के ईर्द-गिर्द गोला बना कर अपने पार्टनर की गोद में बैठ गई।



चूंकि सभी के दिमाग में उत्तेजना थी और सभी के लंड तने हुए थे और साथ में लड़कियों की गांड और चूत उनके लंड से सटी हुई थी तो लाजिमी सी बात थी कि हरकत होनी है।



मैं आशिष की गोद में बैठी हुई थी और उसका लंड मेरी गांड से टच कर रहा था और मेरी गांड में सुरसुराहट सी हो रही थी। हम सभी को यह लग रहा था कि यह मजा नहीं सजा मिली है लेकिन बर्दाश्त करना था तो मैं आशिष की जांघ पर बैठ गई।



सभी की हालत एक जैसे ही थी, बाकी की दोनों जोड़ियाँ भी मेरी देखादेखी अपने अपने पार्टनर की जांघ पर बैठ गई।



इधर रितेश और सुहाना का गेम शुरू होने वाला था। हाई हील सैन्डिल पहने होने के कारण सुहाना और रितेश की लम्बाई बिल्कुल बराबर हो गई, रितेश सुहाना के समीप आया, उसे अपने से चिपकाया और दोनों ही दो मिनट तक ऐसे ही खड़े रहे। फिर रितेश ने सुहाना के दोनों गालों को अपनी हथेलियों में लिया और अपने होंठ उसके होंठ को चूसने लगा।


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उसके बाद दोनों एक-दूसरे से जीभ लड़ा रहे थे और एक दूसरे की जीभ को अपने मुंह में लेने की कोशिश कर रहे थे। थोड़ी देर तक तो इसी तरह चलता रहा।



उधर उन दोनों का खेल चल रहा था और बाकी के लोग अपनी कोमेन्ट्री पेल रहे थे, कोई कह रहा था कि शुरूआत अच्छी है, काफी बढ़िया से होंठ चूस रहे है एक दूसरे के। आशिष भी कोमेन्ट्री कर रहा था और उसका एक हाथ चुपचाप सबकी नजरों को बचा कर मेरी कमर और पेट को सहला देता।



होंठ चूसते चूसते रितेश ने सुहाना के बालों को खोल दिया।


क्या लम्बे बाल थे सुहाना के… सुहाना के बाल जब खुल कर नीचे की तरफ जा रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि कोई सांप बल खाकर चल रहा हो।



बाल सुहाना के इतने लम्बे थे कि उसके चूतड़ को पूरा ढक चुके थे। रितेश ने अपने एक हाथ को सुहाना की गर्दन पर रखे और उसके गालों को चूमते हुए उसकी गर्दन को भी चूम रहा था।



उसके बाद रितेश सुहाना के पीछे आ गया, उसकी गर्दन को चूमते हुए उसकी चूचियों को दबा रहा था और सुहाना ने अपने दोनों बांहों की माला बनाकर रितेश की गर्दन में डालकर आंखें बन्द कर ली थी, जो कुछ भी रितेश उसके साथ कर रहा था, वो उसका मजा ले रही थी।



आशिष इस सीन को देखकर कह उठा- वाह सुहाना, क्या पोज है ऐसा लग रहा है कि कामदेव कामदेवी रति की ज्वाला शांत करने की कोशिश कर रहे हैं और कामदेवी अपनी आंखें बन्द किये हुए एक-एक पल का मजा ले रही हैं।



वास्तव में सुहाना बिल्कुल सब कुछ भूल चुकी हो, उसके मुंह से केवल बीच बीच में सीईईई की आवाज आ रही थी।



रितेश की दोनों हथेलियाँ सुहाना के दोनों लटकते हुए खरबूजे जैसी चूचियों को काबू में करके उसको तेज-तेज भींच रही थी और बीच बीच में उसकी निप्पल को तेजी से मसल दे रही थी।



जब कभी रितेश की हथेलियाँ और उंगलियाँ सुहाना की चूचियों या निप्पल को तेजी से मसलती तभी एक आह की आवाज उसके मूंह से निकलती लेकिन इन हालातों में भी वो अपनी आँखों को बन्द किये ही रही।



इधर आशिष जैसे ही एक सिसकारी सुहाना के मुंह से सुनता, वो उतनी ही तेजी से मेरे पेट को दबा देता, जिससे मुझे दर्द होता लेकिन मैं इसलिये चुप हो जाती कि कहीं मेरा दर्द हमारी सजा में तब्दील न हो जाये।



मैंने कई बार इशारों से आशिष को रोकने की कोशिश की लेकिन वो जब भी सुहाना की सीत्कार सुनता तो उसका रिऐक्शन मेरे साथ भी ऐसा ही होता।



फिर रितेश सुहाना की पीठ को चूमते हुए उसके नीचे की तरफ बढ़ने लगा, जैसे जैसे वो सुहाना के नीचे की ओर बढ़ता, वैसे ही वैसे वो सुहाना की पीठ पर अपने दूसरा हाथ का प्रेशर देता और सुहाना भी उसी तरह झुक जाती।
 
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रितेश सुहाना के कमर तक पहुंचता, उससे पहले सुहाना काफी झुक चुकी थी और उसकी चूत और गांड का छेद एक ही सेन्टर पर आ चुके थे।



रितेश के हाथ अब सुहाना के कूल्हों पर थे, एक जोर से चांटा रितेश ने सुहाना के कूल्हे पर लगाता।



उधर रितेश ने चांटा कूल्हे पर लगाया इधर आशिष ने मेरे पेट को कस कर मसल दिया। काफी तेज दर्द हुआ, पर इस बार मैंने आशिष के कान में कहा- जो कुछ करना वो हमारी बारी आने पर करना, मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ।



आशिष चुपचाप सॉरी बोला और उसने सबकी नजरें बचा कर मेरे गाल को चूम लिया।



रितेश इस तरह नीचे बैठ गया था कि उसका मुंह सुहाना के चूत के ठीक सामने था, रितेश ने सुहाना के दोनों छेदों को बारी-बारी चूमा और फिर उसने सुहाना की चूत पर बहुत सारा थूक थूक दिया, उस थूक से सुहाना की चूत को गीला करने लगा, फिर अपनी हथेली को चाट कर गीला करता, फिर अपनी हथेली से अपने लंड को पौंछता, फिर सुहाना की चूत को कस कर उसी हथेली से रगड़ता।


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फिर रितेश खड़ा हुआ और अपने लंड को सुहाना की चूत पर रगड़ते रगड़ते एक झटके से उसकी चूत में पेल दिया।


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‘ओक्क…’ की एक हल्की सी आवाज सुहाना के मुंह से निकली।



रितेश ने 12-14 धक्के कस-कस कर लगाये और फिर लंड को बाहर निकाल कर सुहाना की गांड में पेल दिया। दो तीन कोशिश करने के बाद रितेश का लंड सुहाना की गांड में धंस चुका था। एक बार फिर रितेश तेज-तेज धक्के लगाने लगा।


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फिर कुछ धक्के लगाने के बाद इस बार रितेश सुहाना के आगे आया और अपना लंड सुहाना के मुंह की ओर कर दिया।



सुहाना उसी पोजिशन में रितेश के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी, सुहाना कभी टोपे पर जीभ फेरती तो कभी पूरा लंड अपने मुंह के अन्दर ले लेती तो कभी वो रितेश की गोटियों को कस कर दबा देती।



अब बारी रितेश की थी, जब कभी भी सुहाना रितेश की गोटियों को दबाती तो रितेश की सीत्कार निकल जाती।



आशिष रितेश के इस सीत्कार का आनन्द ले रहा था, उसे लग रहा था कि सुहाना ने रितेश को अपने काबू में कर लिया। रितेश की तरह सुहाना भी रितेश के लंड पर थूकती और फिर अपने हाथों से उस थूक से रितेश के लंड पर मालिश करती।



इधर सभी के कमेन्ट बदसतूर जारी थे। इस बार अमित बोला- वाह साले साहब, तुमको देखकर जोश आ रहा है कि अभी ही हम लोग शुरू हो जायें।



रितेश ने सुहाना को सीधी खड़ी किया और उसे गोदी में उठाकर पास में ही पड़े हुए बेड पर लेटा दिया और उसकी टांग को खीचकर बेड के बाहर कर दिया और फिर सुहाना की दोनों टांगों को फैलाकर अपने लंड को उसकी चूत में पेल दिया और फिर जोर जोर से धक्के लगाने लगा।



दो तीन मिनट तक दोनों के द्वंद की आवाज फच-फच के रूप में हम सभी को सुनाई देती रहीं। उसके बाद रितेश ने अपना लंड सुहाना की चूत से निकाल लिया और अब सुहाना के डायरेक्शन को उसने चेंज कर दिया अब सुहाना की गर्दन पलंग के बाहर लटकी थी और उसके पैर बिस्तर पर थे।


रितेश सुहाना के सर को अपनी जांघों के बीच लेकर उसके मुंह के अपने लंड को ले जाकर अपने लंड को फेटने लगा। बीच बीच में वो अपना लंड सुहाना के मुंह के अन्दर भी डाल देता।



रितेश के इस तरह करने का मतलब था कि वो अब झड़ने वाला है।



कोई एक ही मिनट के बाद रितेश का गाढ़ा वीर्य सुहाना के खुले मुंह के अन्दर था जिसे सुहाना पूरा पी गई और रितेश के लंड पर लगा हुआ वीर्य भी उसने चाट कर साफ कर दिया।


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उसके बाद दोनों एक दूसरे से चिपक कर खड़े हो गये।



सभी ने जोर दार तालियां उनके लिये बजाई और फिर अमित ने सुहाना से पूछा कि उसे कैसा लगा।



कहानी जारी रहेगी।
 
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सभी ने जोर दार तालियां सुहाना और रितेश के लिये बजाई और फिर अमित ने सुहाना से पूछा कि उसे कैसा लगा।



सुहाना आशिष की तरफ देखते हुए बोली- बहुत मजा आया, मैं आशिष से उम्मीद करती हूँ कि वो आकांक्षा को भी इतना ही मजा दे।



टोनी ने पूछा कि वो अभी और चुदना चाहती है या थक गई है तो वो मुस्कुराते हुए बोली- टोनी साहब मेरा तो मन नहीं भरा है, मैं चाहती हूँ कि एक बार मैं चूदूं पर अभी दूसरों की भी बारी आनी है। अगर मैं दुबारा चुदने लगी तो आप सभी ही हमें गाली देना शुरू कर देंगे।



अब आशिष की बारी थी, वो बोला- सुहाना इस चुदाई में तुम्हें किस बात की कमी खली?



सुहाना बोली- हाँ, एक कमी तो थी ही।



‘क्या?’ आशिष ने पूछा तो बोली- मैं सोच रही थी कि रितेश मेरी गांड को भी अच्छे से चाटेगा और उसकी भी चुदाई करेगा।



रितेश तुरन्त ही बोला- सॉरी सुहाना जी, पर दो पूरी रात और दिन पड़ा है और अब मौका मीलेगा तो यह बन्दा आपके गांड की सेवा भी पूरी तरह करेगा।



कहने के साथ ही सुहाना और रितेश हमारी तरफ आये, रितेश ने मुझे चूमा और सुहाना आशिष से लिपट गई।



आशिष भी सुहाना को जम कर चूमने लगा और बोला- सुहाना, तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूँ कि इतनी जानदार पार्टी में तुम मुझे लेकर आई हो। जहाँ तुम्हारी भी सब इच्छा पूरी होगी और मेरी भी।



उसके बाद रितेश और सुहाना दोनों बारी-बारी सभी से गले मिले और फिर अलग अलग जाकर बैठ गये।



अब बारी आई नमिता और टोनी की… टोनी ने नमिता को गोद में उठाया और उसको बेड पर ले जाकर लेटा दिया। टोनी नमिता के बगल में लेट कर उसके बालों से खेलते हुए उसकी गालों को चूमता हुआ नमिता के होंठों पर अपनी उंगली फेर रहा था।



धीरे धीरे वो नमिता की आँखों को चूमने लगा, उसके बाद उसके दोनों के गालों को बारी बारी चूमता हुआ नमिता के अधर पर अपने होंठ टिका दिए और उनको चूमने लगा।



नमिता टोनी के बालों को सहलाते हुए उसका साथ उसके होंठ चूमने में देने लगी। टोनी ने थोड़ी देर तक नमिता के होंठों को चूमा और फिर वो नमिता के पैरों के पास आ गया और उसके पैरों के अंगूठे को चूमने लगा।



जब टोनी इस तरह कर रहा था कि अमित बोल उठा- वाह भाई टोनी, तुमने तो मेरी सुहागरात याद दिला दी। उस दिन मेरी पत्नी को मैं इसी तरह प्यार कर रहा था और नमिता खूब शर्मा रही थी।



टोनी बोला- भाई जो चुदक्कड़ होती है वो नहीं शर्माती, पर जो लड़कियाँ पहली बार सुहागरात की सेज पर बैठती हैं, उनकी तो ऐसे ही गांड फटी रहती है कि क्या होगा उनकी चूत का।



इतना कहने के साथ ही टोनी ने एक बार फिर नमिता के पैरों को चूमना शुरू कर दिया और चूमते चूमते उसकी जांघों के बीच आ गया और जांघें चूमते हुए टोनी ने जब नमिता की फूली हुई चूत पर चुम्बन लेना चाहा तो नमिता अपने दोनों हाथों से उस जगह को छिपाने लगी।



टोनी ने उसका हाथ हटाया और फिर जैसे ही चूमने गया, वैसे ही नमिता ने अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ लिया। टोनी बड़े आश्चर्य में था कि हो क्या रहा है, फिर भी उसने नमिता का हाथ छोड़ा और उसके पैरों को फैलाया और फिर जैसे ही चूमने के लिये अपने होंठों को उसकी चूत के ऊपर ले ही जा रहा था कि नमिता ने फिर अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को ढक लिया।



इस तरह से थोड़ी देर तक टोनी नमिता की चूत को चूमने जाता तो नमिता किसी न किसी तरीके से अपनी चूत को छिपा लेती। हम जितने लोग भी वहां बैठे थे सभी बड़ी उत्सुकता से देख रहे थे कि टोनी फेल हो रहा था।



अन्त में वो गुस्से में आ गया और बोला- मुझे ऐसी लड़की के साथ मजा नहीं चाहिए जो थोड़ा भी कॉपरेट नहीं कर रही हो।



टोनी के गुस्से को देखते हुए खुद नमिता बोली- टोनी जी, आपके किस्से तो मैंने बहुत सुने थे कि आप औरतों से हार नहीं मानते और यह क्या? कह कर चुप हो गई।



सभी नमिता को देख रहे थे, नमिता फिर बोली- मैं तो टोनी को सुहागरात का मजा दे रही थी कि जब पहली बार औरत सुहागरात मनाती है तो वो कैसे झिझकती है।



टोनी सुनकर बोला- ओह सॉरी डार्लिंग! कहते हुए एक बार फिर टोनी नमिता के बगल में बैठ कर उसकी चूत को सहलाने लगा और उसके निप्पल को चूसने लगा। अब नमिता टोनी को जो चाह रहा था करने दे रही थी।



इधर आशिष मेरी नाभि में अपनी उंगली कर रहा था, सच बताऊँ तो मैं खलास होने के करीब आ चुकी थी और शायद यही हाल मीना का भी था, इशारों में पता लग चुका था कि वो भी झड़ने के करीब आ चुकी है।
 
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मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि जब मैं और मीना दोनों झड़ने के करीब थी तो दोनों मर्दों का क्या हाल हो रहा होगा। मैंने आशिष के कान में धीरे से अपनी वेदना बताई तो बोला- आकांक्षा जी, मेरा हाल तो आपसे और ज्यादा बुरा है, मेरा लंड बुरी तरह से खुजिया रहा है, अगर जल्दी मेरा लंड आपकी चूत में न गया तो हम बाजी हार जायेंगे।



इधर नमिता की चूत पर टोनी अपने जलवे दिखा रहा था, उसने नमिता की चूत की फांकों को खोला और उसके ऊपर थूकता हुआ अपनी उंगली से उस थूक को नमिता की चूत के अन्दर करने लगा और फिर वही उंगली अपने मुंह में ले जाकर चाट लेता! टोनी नमिता की कभी चूत चाटता तो कभी उसकी चूची को अपने मुंह में लेता तो कभी उसके होंठ चूमता।



उसके बाद टोनी नमिता के ऊपर आकर 69 की अवस्था में आ गया, नमिता के मुंह में टोनी का लंड था और टोनी के होंठ और दांत नमिता के क्लिट और कण्ट को अपना कमाल दिखा रहे थे, टोनी कभी उसके भगनासा को काटता तो कभी उसके भग द्वारों को, जिससे नमिता की आउच सुनाई पड़ती, और उसी का बदला लेते हुए नमिता टोनी के गोटियों को अच्छे से दबा देती और फिर टोनी की आवाज सुनाई पड़ती।


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उन दोनों के बीच उत्तेजना की सिसकारियाँ ज्यादा थी। काफी देर तक चूसा चुसाई का गेम चल रहा था कि टोनी ने नमिता को उल्टा कर दिया, उसकी पीठ पर चढ़कर बैठ गया और उसकी पीठ को चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा। नमिता की जांघों के बीच बैठकर टोनी अपने लंड को नमिता के कूल्हे के बीच फंसा कर अपने लंड को रगड़ने लगा, नमिता ने अपने चूतड़ों को फैला लिया लेकिन टोनी नमिता के हाथ को हटाकर उसके चूतड़ दबाने लगा, ऐसा लग रहा था कि वो कूल्हे को चूची समझ रहा है।



इसके बाद टोनी ने एक बार फिर नमिता के गांड की छेद में थूक उड़ेल दिया और अपनी जीभ की टिप को वहाँ ले जाकर चाटने लगा। नमिता की गांड को चाटता देखकर आशिष ने मुझसे बोला- आकांक्षा तुम भी मेरी गांड चाटना, मुझे बहुत मजा आयेगा।



मैंने उसकी तरफ देखा और फिर मुस्कुरा कर ओके कह दिया।



इधर टोनी नमिता की गांड चाटने के बाद उठा और अपने लंड को नमिता की गांड के अन्दर झटके से पेल दिया। नमिता आह करके ही रह गई।


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आठ-दस धक्के टोनी ने जोर-जोर से लगाये और उसके बाद नमिता के कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया, इससे नमिता का सीना और घुटने एक सीध में हो गये।



नमिता ने जब अपना सर उठाना चाहा तो टोनी ने उसके सिर को तकिया से सटा दिया और फिर उसके पीछे घुटने के बल खड़ा होकर अपने लंड को नमिता की चूत के अन्दर पेलता गया और जोर-जोर से धक्के लगाता गया।


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टोनी नमिता के दोनों छेदो का बराबर ध्यान रख रहा था, वह बदल-बदल कर कभी नमिता की चूत चोदता तो कभी उसकी गांड में अपना लंड पेल देता और चुदाई शुरू कर देता।



नमिता आह… ओह… आह… ओह… की आवाज निकाल रही थी, टोनी की स्पीड बढ़ती जा रही थी, उसने नमिता के बालों को इस तरह पकड़ा जैसे उसने किसी घोड़े की लगाम को पकड़ा हो और जोर जोर से धक्के लगाता ही चला जा रहा था।



अचानक टोनी हाँफने लगा और उसने कसकर नमिता की कमर को पकड़ा और उसके ऊपर लेट गया।


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दो मिनट बाद जब वो नमिता के ऊपर से उठा तो नमिता ही बोल पड़ी- तुमने अपना माल मेरे अन्दर क्यों गिराया?



टोनी बोला- मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अपनी बीवी को चोद रहा हूँ और इसी लिये तुम्हारे चूत के अन्दर मैंने अपना माल गिरा दिया।



सुहाना बोल उठी- नमिता, तुम्हें टोनी की चुदाई कैसे लगी।



नमिता- ये जंगली की तरह मुझे चोद रहा था, ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत उसे दुबारा नहीं मिलेगी।



मीना बोल पड़ी- ये बताओ नमिता, तुम्हें टोनी की सबसे खास बात क्या लगी?



नमिता अमित की तरफ देखते हुए बोली- वो औरत के एक-एक अंग को प्यार करता है और स्टेमिना भी अच्छा है।



अब मेरी बारी थी पूछने की, तो मैंने पूछा- नमिता, टोनी में क्या कमी नजर आई?



नमिता तुरन्त बोली- कमी तो बस यही है कि धैर्य नहीं है, वो चाहता है कि वो जो कुछ करे औरत उसका साथ दे और अगर उसका पार्टनर थोड़ा इधर उधर की हरकत करे तो बहुत ही जल्दी गुस्सा हो जाता है।



अब सबने अमित से नमिता से कुछ पूछने के लिये कहा तो अमित पूछा- नमिता, आज का दिन तुम्हें कैसा लगा?



नमिता अमित की तरफ गई उसके गर्दन पर अपनी बांहों का हार डाला और बोली- आज ऐसा लगा कि मेरा आदमी अपनी बीवी को किसी गैर मर्द से चुदती हुई देख रहा है लेकिन बुरा नहीं मान रहा है।



कहते हुए नमिता ने अमित के होंठो को चूम लिया और फिर आगे बोली- आज की रात मैं कभी भी नहीं भूलूंगी।



फिर वो जाकर सुहाना के बगल में बैठ गई और टोनी रितेश के बगल में बैठ गया।
 
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अब बारी मेरी और आशिष की थी, आशिष मुझसे धीरे से बोला- यार आकांक्षा, मुझे लगता है कि मेरा जल्दी निकल जायेगा।



मैंने आशिष को इशारे से समझा दिया कि जैसे मैं कहूँ बस वही करना।



अब बिस्तर पर मैं और आशिष थे। मैं नीचे बैठ गई और उसके लंड के सुपारे को चाटने लगी और फिर उसके लंड को अपने मुंह के अन्दर ले लिया, जैसे ही लंड मेरे मुंह में गया, अश्वनी का माल मेरे मुंह में निकलने लगा लेकिन मैंने उसे इस प्रकार अपने मुंह में लिया कि बाकी लोगों को लगे कि मैं अश्वनी का लंड चूस रही हूँ। जब तक उसके रस की एक-एक बूंद मेरे गले से नीचे नहीं उतर गई तब तक मैंने उसके लंड को ऐसे ही चूसना जारी रखा, उसके बाद लंड को बाहर निकाल कर सुपारे को भी अच्छे से साफ किया।


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आशिष ने मुझे उठाया और मेरे होंठ को चूमते हुए बोला- जान, तुम बहुत अच्छी हो, मेरी इज्जत बचा ली। अब मैं कायदे से खेल सकता हूँ।



फिर मुझसे बोला- तुम भी तो कह रही थी कि तुम भी कभी भी खलास हो सकती हो?



हम दोनों बात भी कर रहे थे और हमारे हाथ भी इस प्रकार चल रहे थे कि लोगों को लगे कि हम अपने खेल में व्यस्त हैं।



आशिष के कहने से मैं पलंग पर लेट गई और अपनी दोनों टांगों को पलंग के किनारे पैरों के बल टिका दिया। आशिष मेरी टांगों के बीच आ गया और मेरी चूत की फांकों को फैला कर छेद के अन्दर अपनी जीभ डाल दी और मेरे अन्दर से बहते हुए लावा को आशिष ने अपने अन्दर ले लिया।



उसके बाद आशिष ने मुझे पलंग पर सीधा लेटाया और मेरी बगल में आ कर लेट गया, मेरी टांगों के ऊपर अपनी टांग चढ़ाई और मेरे होंठों को चूमने लगा, मेरे लिये उसका साथ देना बहुत आसान था।



वो कभी मेरी कान को काटता तो कभी मेरी गर्दन को चूमता तो कभी होंठों के चूमता, इसके साथ-साथ उसकी एक हथेली बराबर मेरी चूचियों को भींच रही थी। कस कस कर वो मेरी चूचियों को दबा रहा था, दर्द तो बहुत हो रहा था, लेकिन एक अलग अहसास था और ऊपर से हम दोनों अभी-अभी डिस्चार्ज हो चुके थे।



मेरे कान को काटते हुए आशिष ने एक बार फिर डिमान्ड रखी- जानेमन, अभी बियर के साथ मूत पिलाया गया था, मैं अब तुम्हारी चूत का मूत पीना चाहता हूँ।



‘क्यों?’ मैंने पूछा।



तो बोला- जानेमन, तुम सबसे सेक्सी हो, किसी का भी फिगर तुम्हारे सामने फीका है और मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी जैसी सेक्सी के जिस्म का एक-एक चीज का स्वाद लूँ।



मैंने कहा- ओके जानेमन, मूतना तो मुझे भी है।



कहते हुए मैंने आशिष को अपने ऊपर से हटाया और उसके ऊपर चढ़ गई और मुंह के ऊपर बैठ गई।



सभी की नजर मेरे ऊपर थी, इसलिये मैंने अपनी जांघों को इस तरह से सटाया कि चूत किसी को भी न दिखाई दे, खास कर उसकी बीवी सुहाना को। फिर मैं अपने जिस्म को इस तरह से हिलाने लगी कि ऐसा लग रहा था कि मैं आशिष के मुंह में बैठ कर अपनी चूत चटवा रही थी जबकि मेरी मूत की धार उसके मुंह के अन्दर जा रही थी।


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आशिष के मुंह में मूतने के बाद मैं खिसक कर नीचे उसके लौड़े के पास आ गई और उसके लौड़े को अपनी चूत से रगड़ने लगी, इस समय आशिष मुझे नहीं, मैं आशिष को चोद रही थी।



चूत से लंड को रगड़ने के बाद मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया, लॉली पॉप की तरह चूसने लगी, मेरा दूसरा हाथ आशिष की छाती पर था, मैं उसके निप्पल को अपनी दो उंगलियों में बीच लेकर मसल रही थी।



जिस तरह से आशिष का जिस्म अकड़ रहा था उससे लग रहा था कि आशिष को बड़ा मजा आ रहा था। मेरी जीभ कभी उसकी नाभि पर चलती तो कभी उसके लंड के सुपारे पर। मैं उसके लंड को अपनी थूक से काफी गीला कर चुकी थी।



मैं अपना काम कर रही थी और आशिष के मुंह से निकल रहा था- हां जानेमन, बस ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है।



जब मेरे नाखून उसके सुपारे के कटे हुए हिस्से से रगड़ खाते तो बस उसके मुंह से यही निकलता- मार डाला रे… बहुत मजा आ रहा है। मैं उसके टट्टों के साथ भी खेल रही थी।


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फिर मैंने आशिष को पलट दिया और अपने एक हाथ को उसके नीचे डालकर उसके लंड की मुठ मारने लगी और दूसरा हाथ आशिष के गांड की दरार में अपना करतब दिखा रहा था, मेरी उंगली उसके गांड के अन्दर जा रही थी और आशिष अपनी गांड उठा उठा कर मेरी उंगली को अपने अन्दर लेने का प्रयास कर रहा था।



आशिष ने मुझसे कहा था कि मैं उसकी गांड भी चांटू तो मैंने उसके कूल्हों को फैलाया और उसके अन्दर थूक उड़ेल कर उसे चाटने लगी।
 
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लोग हमारे ऊपर क्या कमेन्ट कर रहे थे, वो मुझे नहीं सुनाई पड़ रहा था, मैं तो केवल चाहती थी कि जब आशिष मुझसे खेल चुके और मुझे चोद चुके तो वो बोले कि आज चुदाई के खेल में उसे बहुत मजा आया।



तभी आशिष हल्का सा हिला, मैं उसके ऊपर से हट गई और वो खड़ा हो गया। आशिष काफी हेल्दी और लम्बा था, उसका लंड भी रितेश से थोड़ा ही छोटा रहा होगा, उसने मुझे गोद में उठाया और फिर हवा में ही उसने मुझे पलट दिया, इससे मेरा मुंह उसके लंड की तरफ आ गया और मेरी चूत उसकी मुंह के पास थी, मतलब हम दोनों खड़े ही खड़े 69 की अवस्था में आ गये।


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वो मेरी चूत को अपने मुंह में भरे हुए था और मेरे मुंह में उसका लंड था। अपनी दाड़ी को वो मेरी चूत से रगड़ रहा था, मैं एक बार फिर झड़ने को तैयार थी कि आशिष ने मुझे हवा में ही सीधा किया और अपनी गोदी में ले लिया।



एक हाथ से उसने मुझे पकड़ रखा था और अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर डालने का प्रयास कर रहा था। मैंने भी अपनी बांहो से उसको जकड़ लिया था और उसका साथ दे रही थी ताकि उसका लंड आसानी से मेरी चूत के अन्दर चला जाये। थोड़े प्रयास के बाद आशिष का लंड मेरी चूत के अन्दर था।


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आशिष ने मुझे दीवार के सहारे सटा दिया और चोदने लगा, एक दो मिनट तक वो ऐसे ही मेरी चूत को चोदता रहा फिर उसने मुझे नीचे उतारा और खुद नीचे बैठकर मेरी एक टांग को अपने कंधे से क्रास करा दिया, इससे मेरी चूत उसके मुंह के और करीब आ गई।



एक बार फिर आशिष मेरी चूत को चाट रहा था और मेरे चूतड़ों को भींच रहा था, मैं भी मस्ती में खोई हुई थी।



फिर आशिष खड़ा होकर मेरे पीछे आ गया और अपनी उंगली मेरी चूत के अन्दर डालकर चलाने लगा और फिर मेरा रस निकाल कर अपनी उंगली को चाटता फिर मेरी चूचियों को कस कस कर मसलता। मेरे दोनों हाथ उसके लंड को पकड़ कर खेल रहे थे, बीच-बीच में वो मेरी गांड को भी सहलता जाता।



कुछ देर ऐसा करने के बाद आशिष एक बार फिर मेरे पीछे नीचे बैठ गया ओर मेरे कूल्हे को जोर-जोर से चपत लगाता और उसे कस कर दबाता, मेरे मुंह से दर्द सी आवाज निकलती लेकिन उसे किसी बात का असर नहीं होता।


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उसके बाद उसने मेरी गांड को थोड़ा सा चौड़ा किया और फिर अपनी जीभ मेरे छेदों के बीच डाल दी और चलाने लगा। उसके इस तरह जीभ चलाने से मुझे मेरे अन्दर कुछ कीड़ा सा रेंगता सा लग रहा था, लग रहा था कि मेरे जिस छेद में यह कीड़ा रेंग रहा है उस छेद में आशिष अपने लंड को तुरन्त डाल कर उस रेंगते हुए कीड़े को मसल दे और मुझे उससे निजात दिला दे।



मैं सोच ही रही थी कि आशिष ने मेरी पीठ पर अपने हाथ का दवाब डाला जिससे मैं आगे की तरफ झुक गई और एक कुतिया की पोजिशन में आ गई।



आशिष ने अपने आप को सेट किया, अपने लंड को मेरी गांड की छेद में डाल दिया और फिर मुझे सीधा खड़ा कर दिया, मुझे कसकर पकड़ लिया ताकि मैं कहीं इधर उधर न हो जाऊँ और उसका लंड मेरी गांड से बाहर ना आ जाये।


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मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं उसकी पकड़ से छुटना चाह रही थी पर मैं छूट नहीं पा रही थी। ऊपर से यह सितम कि वो मेरी चूचियों को भी बहुत ही जोर से मसल रहा था।



मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरी गांड में मोटा सा राड डाल दिया है और उस राड के सहारे मुझे हवा में लटकाना चाह रहा हो। अगर एक-दो मिनट तक यही हालात मेरे साथ बने रहते तो पक्का मेरी आँख से आँसू निकलने वाले थे पर आशिष ने एक ही मिनट ऐसा किया होगा और मुझे फिर वापस झुका दिया।



फिर वो उसकी हथेली मेरी चूत को सहलाते हुए लग रही थी, बीच-बीच में वो छेदों में उंगलियाँ डालकर अन्दर घुमाता। इस बार मुझे फिर से उसका लंड मेरी गांड में महसूस हुआ, दो-चार धक्के वो मेरी गांड को लगाता और फिर चूत में लंड डाल देता।



बहुत देर से वो इसी तरह मेरा बाजा बजा रहा था, कुतिया की पोजिशन में मैं खड़े-खड़े थक गई थी। मुझे चोदते-चोदते आखिर उसके मुंह से निकल गया- आकांक्षा तुमने आज जितना मजा दिया है, आज से पहले इस मजे के लिये मैं तरसता था।



आशिष करीब मुझे 30 मिनट से चोद रहा था लेकिन वो थक नहीं रहा था, जबकि मैं दो बार पानी छोड़ चुकी थी। तभी मुझे मेरे कूल्हे में एक झन्नाटेदार चपट महसूस हुई, मेरा मुंह उस झन्नाटेदार चपट से खुल गया जबकि हाथ अपने आप ही मेरे कूल्हे को सहलाने लगा।
 
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आशिष ने मेरे खुले हुए मुंह में अपना लंड पेल दिया और मेरी चोटी को पकड़कर मेरे मुंह की चुदाई करने लगा।


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इस समय मेरी चुदाई का सीन किसी पोर्न फिल्म से कम नहीं था, वो अपने लंड को मेरे हलक तक उतार रहा था, जब तक मेरी सांस घुटती हुये वो महसूस नहीं करता, तब तक अपने लंड को मेरे हलक तक रखता और फिर थोड़ा आराम देने के लिये निकाल लेता।



जैसे ही वो लंड को बाहर करता, वैसे ही खों खों की आवाज के साथ मैं खांसती। जिस तरह की चुदाई मैं चाह रही थी, आशिष उसको पूरी कर रहा था।



अब आशिष ने एक हाथ से मेरे बालों को पीछे की तरफ खींचा, जिससे मेरा चेहरा पीछे की तरफ आ गया और वो अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को हिला रहा था। ऐसा लग रहा था कि अब वो भी झड़ने वाला है, मैंने अपना मुंह उसके रस को अन्दर लेने के लिये खोल दिया और एक ही मिनट बाद ही आशिष का वीर्य फचफचाते हुए मेरे मुंह के अन्दर आ गया।


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जब आशिष पूरी तरह झड़ गया तो एक बार फिर उसने अपने लंड को मेरे मुंह के अन्दर दे दिया, जब तक मैंने उसके लंड को अच्छे से साफ नहीं कर दिया, तब तक उसने अपना लंड मेरे मुंह के अन्दर बाहर करता रहा।



उसके बाद उसने मुझे सीधा किया और नीचे बैठ कर मेरी चूत को चूमा फिर अन्दर एक उंगली डाली और जैसे कटोरी से चटनी निकालते हैं, ठीक उसी तरह उसने अपनी उंगली को मेरी चूत के अन्दर घुमाया और फिर मेरा जो रस उसकी उंगली में लगा, वो उसे चाट गया।



फिर वो मेरे बगल में खड़ा हो गया और उसके हाथ मेरे चूतड़ को सहला रहे थे। हम दोनों की चुदाई लगभग 45 मिनट चली होगी।



सबसे पहला प्रश्न सुहाना का ही था, वो बोली- आशिष, तुम कह रहे थे कि तुम्हे आज इस चुदाई में बहुत मजा आया, अब तुम कैसा लग रहा है?



‘मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, मैं कल्पना भी नहीं कर सकता कि जिस उम्मीद से मैं यहाँ आया था, वो ऐसे पूरी होगी। अब मेरे मन में हमेशा आजाद चुदाई की कल्पना रहेगी जो मैं और तुम दोनों मिलकर पूरा करेंगे।’



सुहाना आशिष के पास आई, बोली- जान, अब तुम जब चाहो मेरी गांड और चूत की धज्जीया उड़ा सकते हो। मैं अब तुमसे कुतिया भी बन कर चुदूंगी। आज आकांक्षा के साथ तुम्हारा चोदने का अंदाज देखकर मेरी चूत एक बार फिर से फड़फड़ा रही है, इतना कहने के साथ वो आशिष के लंड से खेलने लगी।



तभी खंखराते हुए नमिता बोली- सुहाना, अपने घर ले जाकर जितनी देर चाहना उतनी देर तक आशिष का लंड अपनी बुर में या गांड में लेकर पड़ी रहना।



फिर वो बोली- आकांक्षा, आशिष में सबसे अच्छा क्या लगा? स्टेमिना में तो मुझे लगता है कि आज उसने सबको फेल कर दिया?



मैं रितेश की तरफ देख रही थी तो वो इशारे से बोला- जब मेरी बारी आयेगी तो यही लंड बतायेगा कि स्टेमिना क्या होता है।



मीना ने पूछा- क्या कमी थी?



‘नहीं मुझे नहीं लगा कि कोई कमी हो, क्योंकि मेरी गांड और चूत दोनों ही बराबर अभी भी दुख रही हैं।’



रितेश मेरे पास आया और बोला- मेरी जान, यह तो बताओ कि मेरे और अश्वनी में तुम्हें सबसे तगड़ा कौन लगता है।



‘तुम…’ मैं सीधी बोली- आशिष से आज पहली बार चुदी हूँ लेकिन जब भी मेरी चूत को तुम्हारे लंड की जरूरत हुई, तब तब तुमने मेरी चूत की प्यास मिटाई है।



मेरे इस उत्तर को सुनकर रितेश ने मुझे गोदी उठा लिया, मेरे होंठों को चूमने लगा और मेरी तारीफ करते हुए बोला- जानू मैं जानता हूँ कि एक बार जो भी तुम्हारी खुशबू को पा जाये, वो तुमको छोड़ कर कहीं और नहीं जा सकता।



उसके बाद मैं लड़कियों के पास जाकर बैठ गई और रितेश और आशिष लड़कों के साथ बैठ गये।
 
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अब बारी थी अमित और मीना की।



मीना भी बड़ी ही आकर्षित करने वाली लड़की थी, उसकी गदराई जवानी के तूफान में जो एक बार फंस गया तो बचाने वाला फिर तो मालिक ही है और हुआ भी यही।


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हालांकि अमित की भी पर्सनैलिटी किसी से कमजोर नहीं थी, पर अनुभव वो तो मीना के पास ज्यादा था। अमित ने मीना को गोदी में उठाया और बेड पर पटक दिया और उसके ऊपर झुककर उसके होंठ चूसने लगा।



पर थोड़ी देर में नजारा ही बदल गया, मीना ने अमित को एक झटके से अपने ऊपर खींचा, अमित अपने को संभाल नहीं पाया और मीना के ऊपर उसका पूरा वजन गिर गया।



मीना ने फिर एक झटका दिया और अमित मीना के बगल में और दूसरे ही पल मीना अमित के ऊपर चढ़ बैठी फिर अमित को एक लड़की की तरह लेटाते हुए उसके होंठ को चूमने लगी।



होंठ चूमने के बाद वो अमित से बोली- देखो आज शुक्रवार की रात का ऑफर है और ऑफर तुम्हारे सामने है, लूट लो।



अमित बोला- मोहतरमा, आप आज मुझे लूटो और अपनी जवानी का जलवा ऐसा दिखाओ कि मैं भूल ना पाऊँ।



‘तो ठीक है अमित मेरी जान, आओ और मेरी जवानी के सागर में गोते लगाओ… और गोते लगाने के बाद मेरे साथ कुश्ती लड़ो।’ कहने के बाद मीना अमित की जांघ पर बैठ गई और अपने दोनों पैरो को उसके मुंह के पास ले गई और उसके लंड को सहलाते हुए बोली- लो मेरे अंग के रस को पीने की शुरूआत मेरे पैरों से करो, तुम मेरे गुलाम हो, जो मैं कहूँगी वो तुम करोगे।



‘हाँ मेरी रानी, मैं तुम्हारा और तुम्हारे हुस्न का गुलाम हूँ।’ कहते हुए अमित उसके पैरों के अंगूठे को कभी अपने मुंह में भरता तो कभी उसके तलवे चाटता।


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अमित उसके पैरों के साथ खेल रहा था जबकि मीना उसके लंड को सहला रही थी और अपने अंगूठे का प्रयोग अमित के सुपारे को चेक करने के लिये कर रही थी।


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क्योंकि अमित और मीना का नम्बर तो सबसे अंत में था और तीन जोड़ियों की भयानक चुदाई देखकर बर्दाश्त करना मुश्किल ही था। मेरी नजर सिर्फ मीना के अंगूठे पर थी और जो मैं सोच रही थी वही अब होने जा रहा था।



मीना तुरन्त ही घूमी और अपनी चूत का मुहाना अमित के मुंह के पास ले गई और उसके लंड को अपने मुंह के अन्दर कर लिया। मीना का मुंह लगाना था कि अमित शायद बर्दाश्त नहीं कर पाया क्योंकि जैसे ही मीना ने उसके लंड को अपने मुंह में लिया, वैसे ही अमित का शरीर कुनमुनाने लगा और अमित का जिस्म इस तरह अकड़ रहा था जैसे लग रहा हो कि वो मीना के मुंह में ही झर रहा है।


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मीना इस बात को जानती थी तो वो पहले से ही तैयार थी इसलिये मीना अमित के रस के एक एक बूंद को चूस चुकी थी। इधर मीना का जिस्म कुछ इसी तरह की बात की ओर इशारा कर रहा था, दोनों एक दूसरे के मुंह में अपना रस छोड़ चुके थे।



उसके बाद मीना के कहने पर अमित आधा बिस्तर के बाहर आ गया और मीना उसकी टांगों के बीच आ कर उसके सीने के बालों से खेलने लगी।



वो अमित के सीने के बालों के बीच में अपनी उंगलियाँ फंसाती और फिर उनको उमेठती और अमित के निप्पल को बारी-बारी से चूसती।



अमित ने अपने दोनों हाथों को अपने सिर के नीचे कर लिया था, मानो उसने मीना को खुली इजाजत दे रखी थी कि मीना जो कुछ भी उसके साथ करना चाहे वो करे। हाँ बीच-बीच में अमित जरूर मीना के निप्पल को अंगूठे के बीच दबा देता था।



नजारा बिल्कुल अलग था, अमित के मुंह से आह-ओह की आवाज आ रही थी, अमित का लंड मुरझा चुका था और मीना बड़े ही लगन के साथ उसके मुरझाये लंड को खड़ा कर रही थी।



वो बीच-बीच में लंड को छोड़कर अमित के होंठ को चूमती, बदले में अमित उसकी पीठ या गांड सहला देता। फिर मीना अमित के दोनों निप्पल को चूसती उसके बाद फिर नीचे बढ़ती और उसकी नाभि के अन्दर अपनी जीभ चलाती और फिर उसी जीभ को उस मुरझाये हुए लंड पर फिराती।



बहुत ही धीमे और कलात्मक तरीके से वो अमित के जिस्म के एक एक हिस्से को चूम रही थी।



फिर वो और नीचे आई अमित के दोनों पैरों को पलंग से टिकाया और फिर उसके टट्टे को चाटने के साथ साथ उसकी गांड को भी चाटने लगी।


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थोड़ी देर यही प्रक्रिया चली, उसके बाद मीना एक बार फिर 69 की पोजिशन में आ गई और अपनी चूत को अमित के मुंह के पास ले गई।



जिस प्यार से अभी तक मीना अमित के लंड से खेल रही थी, उसी प्यार के साथ अमित मीना की चूत और गांड के साथ खेल रहे थे। दोनों में कोई जल्दी बाजी नहीं थी, दोनों ही मस्त होकर अपने खेल में व्यस्त थे।
 
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अमित मीना चूत चाटने में मस्त था और मीना उसके लंड को वापस खड़ा करने की जतन कर रही थी।



अन्त में वो मुरझाया हुए लंड को मीना के प्यार के सामने हार माननी पड़ी और एक बार फिर वो किला फतेह करने के लिये तन कर खड़ा हो गया।



इधर जहां तक मैं समझ रही थी कि मीना की गुफा में हलचल हो रही थी कि लंड आकर वहां हलचल मचाये, इसीलिये मीना तुरन्त ही उठी और अमित के लंड के ऊपर अपनी चूत को सेट किया और नीचे की ओर सरकने लगी।


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उत्तेजना में ही दोनों की आँखें बन्द थी। एक ही प्रयास में मीना की चूत के अन्दर अमित का लंड था।



लंड को अपनी चूत के अन्दर लेने के बाद मीना ने अपने हाथ का पूरा वजन अमित के सीने पर दिया और आगे-पीछे होने लगी। अमित के हाथ मीना की चूचियों से खेल रहे थे, उसकी दोनों हथेलियाँ जोर जोर से मीना की चूचियों को मसल रही थी।


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दोनों के मुख से म्यूजिकल आवाजें आना शुरू ही हुई थी कि दरवाजे की घण्टी बजी। सभी के कान दरवाजे की तरफ लग गये। मीना का शरीर हिलना-डुलना बंद हो गया, अमित के हाथ जो इस समय मीना की चूचियों को दबा रहे थे, वो स्वतः रूक गये।



एक बार फिर घंटी बजी… फिर एक बार… इस तरह कई बार घंटी बज चुकी थी।



अन्त में मैं उठी और दरवाजे के पास जा कर पूछा- कौन है?



कहानी जारी रहेगी।
 

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