Incest पूरे घर की रंडी

Member
198
120
18
वो शरारत यह थी कि मैं और नमिता दोनों ही नंगी ऊपर जायें, तो मैंने नमिता से ऊपर नंगे चलने की बात कही तो एक बार उसकी आँखें फिर चौड़ी हुई और बोली- भाभी, तुम पागल हो क्या, अभी नीचे सब जाग रहे है और किसी ने देख लिया तो बवाल हो जायेगा।



मैंने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा- कोई नहीं देखेगा, सब अपने कमरे में हैं और अगर तुम नंगी ऊपर जाओगी तो अमित और भी सरप्राईज हो जायेगा। चलो मैं कमरे में अंधेरा कर देती हूँ।



कह कर मैंने पूरे घर की लाईट ऑफ कर दी, बस जिस कमरे में मैं और नमिता खड़ी थी, उसमें जीरो वाट का बल्ब जलते रहने दिया। नमिता झिझक रही थी और मैं उसे हौंसला दे रही थी।



तभी नमिता बोली- फिर भाभी, आप भी नंगी चलो।



मैं तो चाहती यही थी, फिर भी मैंने मना करने की नियत से कहा- देखो, अमित को तुम सरप्राईज दे रही हो मैं नही। मैं मन ही मन बहुत खुश हो रही थी, लेकिन फिर दिखावा करते हुए बोली- मुझे कोई परेशानी नहीं है लेकिन अगर मेरा मन अमित का लंड अपनी चूत के अन्दर लेने का हुआ तो तुम बुरा नहीं मानोगी?



नमिता तुरन्त बोली- नहीं भाभी, बिल्कुल नहीं बुरा मानूँगी, आज हम दोनों उसे डबल सरप्राईज देंगे और डबल चूत भी।



‘ठीक है!’ कहकर मैंने तुरन्त ही अपने गाऊन को उतार दिया।


चूंकि मैं अन्दर कुछ भी नहीं पहनती थी तो मैं पूर्ण रूप से नंगी थी।



अब नमिता की बारी थी, उसने भी गाउन उतारा और फिर एक-एक करके अपनी पैन्टी और ब्रा को भी उतारकर बिल्कुल नंगी होकर ऊपर अपने कमरे की तरफ चल दी।


2978770_13_o.jpg



हम जब छत पर पहुँचे तो अमित केवल चड्ढी में था और सिगरेट पीते हुए हम लोगों का इंतजार कर रहा था। हम दोनों को ही नंगी देखकर अमित की आँखें फटी फटी रह गई। अमित केवल अपना मुंह फाड़े हमे देख रहा था और नमिता अमित को इस तरह देखकर अपने आपको रोमांचित महसूस कर रही थी।



अमित ने तुरन्त ही नमिता को अपने बांहों में भर लिया और बोला- डार्लिंग, अब तुम मुझे रोमांचित करने लगी हो। अमित नमिता के जिस्म को सहला रहा था।



थोड़ी देर तक दोनों ऐसे ही चिपके रहे, फिर जब दोनों अलग हुए तो अमित की नजर मुझ पर भी पड़ी और मुझे देखकर वो मुस्कुराने लगा, फिर अपनी चड्डी उतारते हुए बोला- जब तुम दोनों पूरी नंगी हो तो मैं भी लो, पूरा नंगा हो जाता हूँ।



मेरे मन में थोड़ा सा थ्रिल करने का हो रहा था तो अमित से बोली- हम तीनों ही छत पर रहें तो?



नमिता और अमित दोनों मेरे इशारे को समझ गये थे, अमित ने तुरन्त ही तीन कुर्सी लगा दी। पहले अमित, फिर नमिता और मैं जानबूझ कर नमिता के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई।



अमित काफी चहक रहा था और शायद हम तीनों को कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था कि हमें छत पर कोई नंगा देख रहा है या नहीं। तीनों ही मस्ती के मूड में थे।



अमित बल्कि कुछ ज्यादा ही था, वो बोला- कभी मेरी किस्मत चूत के मामले में गधे के लंड से लिखी हुई थी, बाहर क्या घर वाली की चूत भी ठीक से नसीब नहीं होती थी, आज दो दो चूत सामने हैं।



मैं नमिता के बोलने से पहले ही बोल पड़ी- जीजू, गफलत में मत पड़ो, तुम दो चूत को देख सकते हो लेकिन चूत केवल नमिता की चोद सकते हो।



ऐसा लग रहा था कि अमित को जो मौका आज मिला है वो शायद आज के बाद फिर न मिले, वो सब कुछ कर लेना चाहता था, इसलिये वो बोला- आज बिना मांगे बहुत कुछ मिल गया तो एक इच्छा और पूरी कर दो?



नमिता बोली- जानू, तुम जो कहोगे वो करूँगी।



‘मैं चाहता हूं कि आज तुम दोनों मुझे गाली दो और मैं तुम दोनों को गाली दूँ, जल्दी से बोला- अगर तुम दोनों को बुरा न लगे तो?



‘मुझे तो आती नहीं।’ नमिता बोली।



मैंने नमिता को सुझाया कि अमित पहले हम दोनों को गाली बकेगा और फिर तुम समझ लेना उसके बाद हम दोनों अमित को गाली देंगी, लेकिन माँ बहन की गाली नहीं होगी।



बस मेरी बात खत्म हुई थी कि अमित बोला- चुदक्कड रंडीयो दोनों बिना किसी लाज शर्म के नंगी ही नीचे से ऊपर चली आई।



अमित ने इतना ही बोला था कि मैं बोल उठी- भोसड़ी के, तू ही तो चूत के बिना मरा जा रहा था, रोज मेरी चूत मारने का सपना देख रहा था और आज तेरे सामने मेरी चूत है तो हमें लाज शर्म सिखा रहा है।



तभी नमिता बोल पड़ी- हाँ भाभी, देखो इस साले को, अभी तक चाह रहा था कि मैं पूरी नंगी इसके सामने रहूँ और आज सामने हूँ तो हम लोगों को पाठ पढ़ा रहा है।



मैं और अमित नमिता की बात सुन कर हँसने लगी, अमित उसके दोनों गालों को प्यार से खींचते हुए बोला- जाने मन… बहुत खूब, बस थोड़ा और..



‘मुझे शर्म आ रही है।’



‘कोई बात नहीं!’ अमित बोला- जानेमन, जब तुम नीचे से नंगी ऊपर चली आई तो फिर अपने आदमी को गाली बकने में शर्म मत करो।



हकलाते हुए नमिता बोली- चल चुतीये मेरी चूत को चाट, नहीं तो तेरी गांड में इतने हन्टर मारूँगी कि जब तू सुबह हगने के लिये उठेगा तो तेरी गांड इतनी सूज़ी होगी कि तू टट्टी भी कायदे से नहीं कर पायेगा।



कह कर नमिता ने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया।
 
Member
198
120
18
‘ओह… ओह… मेरी गांड सुजायेगी, भैन की लौड़ी… जब मेरा लंड तेरी चूत में जाकर तेरी गांड से निकलेगा तो दर्द तुझे पता चलेगा।’



इसी तरह हम सभी के बीच गाली चलती रही, नमिता भी धीरे-धीरे खुलने लगी और मौका देखकर अमित नमिता से बोला- जानू, अगर तुम बुरा ना मानो तो भाभी की चूत का भी मैं मजा ले लूँ।



नमिता ने पहले मेरी तरफ देखा, फिर बोली- कोई बात नहीं अमित, अगर भाभी चाहें तो तुम उसकी चूत का भी मजा ले सकते हो, बेचारी भाई की याद में कितना तड़प रही है।



अमित तुरन्त उठा और थोड़ा झुकते हुए बोला- हुस्न की मलिकाओ, तुम्हारा यह गुलाम तैयार है, जो हुक्म दोगी, वो करने के लिये तैयार है।



नमिता थोड़ा अकड़ते हुए अपने दोनों टांगों को उठा कर कुर्सी के हत्थे पर रखते हुए बोली- चल गुलाम शुरू हो जा, मेरी और भाभी की चूत चाट!


3428668_7_o.jpg



अमित एक गुलाम की तरह मेरी और नमिता की चूत चाटने लगा और हम दोनों ही उत्तेजना में अपनी अपनी चूचियाँ मसल रही थी। काफी देर तक चूत जब अमित चाट चुका तो मैंने अमित के मुँह में अपनी निप्पल लग दी और नमिता से उसकी गांड चाटने के लिये बोली।



इसी तरह अब कभी अमित हम दोनों के जिस्म के किसी हिस्से को चाटता तो कभी हम लोग उसके जिस्म को चाटते।


3551407_9_o.jpg


3428668_6_o.jpg


3428668_4_o.jpg



*
3543481_8_o.jpg




फिर मैंने जमीन पर अमित को लेटाया और उसके लंड पर चढ़कर सवारी करने लगी। उधर नमिता अमित के मुँह में बैठ गई। बदल-बदल के हम दोनों ने कई बार अमित के लंड से चुद चुकी थी।



थोड़ी देर में अमित की शक्ति जवाब देने लगी, वो बोल उठा- नमिता, मैं झड़ने वाला हूँ।



मैंने तुरन्त ही नमिता को बोला- चलो, नमित के लंड को चूसो और उसके लंड के पानी को पूरा पी जाओ।



नमिता ने तुरन्त अमित के लंड के अपने मुँह में ले लिया और मैं अमित के मुँह में अपने चूत को लगा चुकी थी जिससे अमित मेरी चूत के रस को पी ले।


3551407_12_o.jpg



इधर अमित ने मेरी चूत चाट कर साफ कर दी और उधर नमिता ने अमित के लंड का पानी पीने के बाद अमित के मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत का रस पिलाने लगी। इस तरह से हम तीनों का पहला राउन्ड खत्म हुआ।



मैं और नमिता दोनों ही अमित के बगल में लेट गये और अपनी-अपनी टांगें उसके ऊपर चढ़ा दी और हम दोनों ही अमित के निप्पल पर अपने नाखूनों गड़ाती या फिर उसके निप्पल को चूसती, साथ ही साथ हम दोनों के हाथ अमित के लंड को सहलाने में लगे थे, जिसके कारण अमित का लंड एक बार फिर टाईट होने लगा।



अमित के लंड को टाईट होते देख मैं नमिता से बोली- आज इस मौके का भरपूर आनन्द उठा ले।



उसने इशारे से पूछा- क्या?



तो मैं बोली- अभी तूने चूत का मजा लिया है, अब अगर तू चाहे तो गांड का भी मजा ले सकती है।



नमिता अमित को चूमते हुए बोली- अब मेरा हर छेद अमित का है, वो चाहे तो चोदे या न चोदे।



नमिता का इशारा पाते ही मैं बोल उठी- तो ठीक है, चलो सब मेरे कमरे में। इसका मजा कमरे में लेंगे।



उसके बाद हम तीनों मेरे कमरे में आ गये। कमरे में पहुँच कर मैंने वेसलिन की बोतल निकाली और कमरे की लाईट को जला दिया।



अमित का तो लंड टाईट हो चुका था तो मैंने नमिता को घोड़ी बनने का तरीका बताया, नमिता घोड़ी बन गई, फिर अमित से नमिता की गांड को चाटने के लिये बोला। नमिता की गांड अमित चाटने लगा और मैंने वेसलीन अमित के लंड पर लगा दी।



अमित भी इतनी देर में नमिता की गांड चाटकर गीला कर चुका था और नमिता भी खूब आहें भर रही थी। उसके बाद मैंने उंगली में वेसलीन लेकर नमिता की गांड के अन्दर तक अच्छे से लगाई और फिर उसकी गांड को फैला कर अमित से लंड डालने के लिये बोली।


3551407_6_o.jpg



और नमिता से बोली- अगर दर्द हो तो तुम जितना तेज चाहो चिल्ला सकती हो!



कहते ही मैंने अमित को इशारा किया, अमित ने एक ही झटके में लंड को नमिता की गांड में पेल दिया, नमिता चिल्ला उठी, बोली- अमित, प्लीज अपने लंड को निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है।


2762644_15_o.jpg



‘कोई बात नहीं नमिता, बस अपनी पहली रात की चुदाई के बारे में सोचो और अपनी गांड को अपनी चूत समझ कर दर्द बर्दाश्त कर लो।’



अमित को मैंने कहा कि थोड़ा रूक जाये और नमिता की चूचियों को मसले। जबकि मैं उसकी चूत को सहला रही थी और अपनी उंगली को नमिता की चूत के अन्दर बाहर कर रही थी। ऐसा करते रहने से नमिता को राहत मिलने लगी और उसके ऊपर फिर मस्ती छाने लगी।



‘अमित, अब तुम केवल अपने लंड को धीरे धीरे गांड के अन्दर बाहर करो, ध्यान रहे झटके मत मारना!’
 
Member
198
120
18
मेरे कहे अनुसार अमित कुछ देर तक लंड को अन्दर बाहर करता रहा। इस तरह से कुछ देर करते रहने से नमिता को भी अच्छा लगने लगा, तभी मैंने अमित को इशारा किया तो अमित ने एक बार और तेज धक्का लगाया और वैसे ही अमिता के मुँह से निकला- उई ईईई माँआआ आआ… मैं मर गई।


3551407_7_o.jpg



अमित को फिर एक इशारा मैंने किया और तीसरी बार अमित ने एक बार फिर लंड के बाहर निकाला और एक तेज झटके से अपने लंड को नमिता की गांड में पेल दिया।



इस बार शायद नमिता बर्दाश्त नहीं कर पाई और नमिता ने अपने दोनों हाथों में अपने जिस्म का वजन डाला था, उसका हाथ बैलेंस नहीं बना पाया और वो मुंह के बल गिर गई और उसकी आंख से आंसू आने लगे, साथ ही उसकी चूत ने पेशाब की धार छोड़ दी।


3520916_12_o.jpg



एक बार फिर मैंने अमित को धक्के मारने के लिये मना किया और नमिता के बालों को सहलाने लगी। नमिता बोली- अमित, प्लीज अपना लंड निकाल लो, बहुत जलन हो रही है।



लेकिन मैंने अमित को मना कर दिया और उसे उसी अवस्था में रहने के लिये कहा। जबकि मैं नमिता को समझाते हुए बोली- बस थोड़ा सा और!



साथ ही साथ मैं और अमित अपनी तरफ से उसके जिस्म को इस तरह से सहला रहे थे कि वो अपने दर्द को भूल जाये।



तब फिर माहौल को उत्तेजनात्मक बनाते हुए अमित से मैंने नमिता की गांड चाटने के लिये बोला। अमित एक गुलाम की तरह नमिता की गांड को चाटने लगा। अब इस गांड चाटाई से नमिता के अन्दर एक बार फिर से ज्वाला भड़कने लगी और अमित मेरे इशारे के लिये तैयार था।



इशारा मिलते ही एक बार फिर अमित ने नमिता की गांड का भेदन करना शुरू कर दिया। अब एक बार फिर मेरे कमरे में वासना की तेज चीखे गूँजने लगी।



इधर अमित नमिता को खूब मस्ती से चोद रहा था, उधर मैं कभी अमित तो कभी नमिता की गांड में चपत लगा देती, इससे दोनों की चीखें और तेज हो जाती।



इसी तरह तीनों अपने अपने काम को करते रहे कि अमित मस्ती से चिल्लाने लगा- जानेमन, मेरा अब निकलने वाला है!


अमित मेरी तरफ ही देख रहा था, मैंने उसे उसका वीर्य नमिता की गांड के अन्दर ही निकालने को कहा।



मेरे कहे अनुसार अमित ने अपना वीर्य नमिता की गांड के अन्दर निकाला। फिर मैं अपनी उंगली से अमित के विर्य को नमिता के गांड के अन्दर डाल रही थी, फिर मेरी देखादेखी अमित भी नमिता की गांड में उंगली करने लगा।


3453853_15_o.jpg



अचानक पता नहीं नमिता को क्या हुआ, वो झटके से खड़ी हुई और तेजी से बाहर की तरफ भागी, मैं और अमित दोनों उसके पीछे-पीछे बाहर आये तो देखा कि नमिता नाली के पास बैठ कर मूतने लगी।


3100673_10_o.jpg



मैं अमित से बोली- अगर नमिता ने बताया होता तो तुम अपनी बीवी के पानी का मजा ले लेते।



अमित बोला- रांड भाभी, अपनी मुत का तो पिला ही चुकी हो अब और किसका किसका पिलाओगी?



‘वो तुम्हारी बीवी है। सोचो कितना मजा आता तुम उसकी चूत में मुँह लगाते और वो मना करती और नखरे करती, मुझे देखने में कितना मजा आता!’



मूतने के बाद नमिता मेरे पास आकर बोली- भाभी, आपको भी आई है तो मूत लो।



‘नहीं, अभी मुझे नहीं आई है, जब आयेगी तो मैं मूत लूँगी।’



उन दोनों से बात कर ही रही थी कि रितेश का फोन आ गया और उन दोनों को जाने का इशारा किया और मैंने रितेश को आज की सारी घटना सुना दी।



तो हैरान होते हुए रितेश बोला- तुमने नमिता की गांड भी चुदवा दी।



‘हाँ… और उसने भी अपनी गांड खूब मजे लेकर चुदवाई।’



रितेश आहें भरता हुआ बोला- मेरी जान, मजे तो तुम्हारे हैं और वो मादरचोद मेरी बॉस है, उसने दिन भर प्रोजेक्ट करवा कर मेरी गांड मार दी है। बहुत थक जाता हूँ। किसी तरह कल बीते तो मैं फिर तुम्हारी बांहो में आ जाओ।



‘मैं तो तुम्हारे इन्तजार में बिल्कुल नंगी लेटी हूँ, पता नहीं तुम्हारे लंड को कब मेरी चूत और गांड की सुरंग की जरूरत हो।’



इसी तरह बात करते-करते नींद आने लगी और मैं फोन काट कर सो गई।



कहानी जारी रहेगी।
 
Member
198
120
18
सुबह अमित और नमिता ने दरवाजा खटखटाया तो मेरी नींद खुली।



अमित बोला- भाभी, आज लगता है मेरा दिन काफी अच्छा जायेगा।



मैंने पूछा- क्यों?



तो अमित बोला- आज पहली बार मैंने सुबह सुबह दो दो औरतों को नंगी देखा है। कह कर वो हंसने लगा।



जब मेरी नजर अपने ऊपर गई तो मैं भी हँस पड़ी। उसके बाद मैंने अपने कपड़े पहने और फिर हम तीनों नीचे आ गये। घर के बाकी सभी लोग उठ चुके थे और सब तैयार हो रहे थे जबकि मैंने और नमिता ने रसोई सँभाल रखी थी।



सब काम निपटाने के बाद मैं भी ऑफिस के लिये तैयार हो गई, फिर नाश्ता करने के बाद मैं भी ऑफिस के लिये चल दी। अमित ने आज एक बार फिर मुझे मेरे ऑफिस ड्राप कर दिया।



जैसे ही मैं अपने केबिन में बैठी कि बाॅस की कॉल मुझे अपने ऑफिस में बुलाने के लिये आई। वहां पहुँचने पर बॉस मेरी तारीफ के पुल बाँधने लगे तो मैं समझ गई आज बन्दा मुझे अपना हम बिस्तर बनाना चाहता है।



मुझे ऐसा कोई ऐतराज भी नहीं था लेकिन थोड़े नखरे करने की सोच रही थी और इसी सोच में पता नहीं कब ख्याली दुनिया में पहुँच गई कि मुझे मेरा बॉस क्या कह रहा है पता ही नहीं चल रहा था।



एकदम बॉस ने मुझे झकझोरा और बोला- आकांक्षा, मैं तुमसे बहुत दिनों से एक बात कहना चाह रहा था लेकिन कह नहीं पा रहा था। लेकिन अब मैं बहुत स्पष्ट रूप से तुमसे कहना चाहता हूँ कि तुम मुझे बहुत ही सेक्सी लगती हो और कई दिनों से में केवल तुम्हारी कल्पना कर रहा हूँ। आज इसीलिये मैंने अपनी बीवी को एक दो दिन के लिये उसके मायके भेज दिया है ताकि मैं तुम्हारे साथ मेरे घर में रह सकूँ। मैं चाहता हूँ चाहे आज या कल तुम चार पांच घंटे मेरे साथ रहो, मैं तुमको जम के चोदना चाहता हूँ। कहकर वो मेरी तरफ देखने लगा।



उसकी इतनी स्पष्ट तरीके से अपने प्रोपोजल को मेरे सामने रखा कि मैं अब उसे नखरे नहीं दिखाना चाहती थी और न मैं यह चाहती थी कि उसे यह पता लगे कि मैं चुदने के लिये तैयार हूँ।



तो थोड़ा नाटक करते हुए मैं बोली- बॉस, अगर किसी को पता ना चले तो मैं आपके घर चल सकती हूँ।



बॉस मेरी तरफ देखने लगा और फिर मुझे मेरे केबिन मैं जाने के लिये बोला।



करीब आधे घंटे के बाद बॉस के बुलावे पर ऑफिस के सभी स्टॉफ एक हॉल में खड़े थे। बॉस आये और बोले- आज मेरी 5-6 घंटे की एक ऑउट डोर मीटिंग है, मैं मीटिंग में रहुंगा कोई भी डीस्टर्ब ना करे।



मैंने अपना हाथ उठाया, बॉस बोले- क्या हुआ आकांक्षा, कोई तकलीफ है?



मैं बोली- नहीं बॉस, मुझे हॉफ लीव चाहिये उसके लिए बोल रही हूँ।



'ठीक है।'



कहकर वो सभी की तरफ देखने लगे। सभी कुछ न कुछ बहाना बना कर हट गये।



अंत में बॉस बोले- अब चलो मेरी रंडी तुम्हारी चुदाई का टाईम हो गया है।



मैं ऑफिस के बाहर आ गई और मेरे पीछे-पीछे बॉस आ गये और मैं उनके साथ उनके घर पहुँची। बॉस मुझे सीधे अपने बेड रूम ले गये और मुझे पकड़कर चूमने लगे।



‘अरे बॉस, रूको तो सही, कपड़े उतारोगे या कपड़े पहने ही सब कुछ कर लोगे?’



तब जाकर मुझे उन्होंने अपने से अलग करके जल्दी-जल्दी अपने कपड़े उतारे, उनका पाँच इंच का लंड तना हुआ था। कपड़े उतारने के बाद वो अपने लंड को मसलने लगे, मैंने हाथ हटाते हुए कहा- बॉस, इसको इतना मत मसला करो। इसे प्यार की जरूरत है न कि सजा की।



‘तो ठीक है, नहीं मसलता… जल्दी से अपने कपड़े उतार, मैं तेरी चूत में इसको घूसा देता हूँ।’



‘इसीलिये मुझे यहाँ लाये हो कि मैं कपड़े उतार दूँ और तुम तुरंत अपने लंड को मेरी चूत में डालकर ठण्डे हो जाओ। थोड़ा प्यार व्यार करो, फिर इसको डालो।’



मेरी बातों के आगे हार कर बोला- तो ठीक है, तु जो चाहती है वो कर, लेकिन मुझे खूब प्यार कर और मजा दे।



‘मैं तैयार हूँ लेकिन, जो मैं कहूँगी, वो तुम करोगे।’



‘तु जो कहेगी, मैं करूँगा।’



‘ठीक है, पलंग़ पर लेट जाओ और अपने लंड पर अपना हाथ बिल्कुल मत लगाना।’



फिर मैं अपने कपड़े उतार कर बॉस के ऊपर चढ़कर बैठ गई और अपने अंगूठे को बॉस के मुँह में देते हुई बोली- चल शुरू हो जा मेरी जान मजा लेने को, चल चाट इसे, आज तुझे वो मजा दूँगी जो तेरी बीवी ने तुझे कभी नहीं दिया होगा।


3544716_12_o.jpg



अपने दोनों पैर उसकी जुबान पर खूब रगड़ रही थी, उसके बाद उसकी नाक के पास चूत ले जाकर उसे सूँघने को बोली। मैं अपनी चूत को कभी उसकी नाक से रगड़ती तो कभी उसके मुँह से। बॉस मजबूर था कभी मेरी चूत सूँघने के लिये और कभी चाटने के लिये।


3363965_6_o.jpg



उसके बाद मैंने अपनी चूची उसके मुंह में लगा दी। मेरा बॉस मेरी चूची को एक छोटे बच्चे की तरह चूस रहा था।
 
Member
198
120
18
‘क्यों बॉस, मजा आ रहा है?’



‘बहुत मजा आ रहा है।’



‘अच्छा तुम बताओ कि तुम क्या चाहते हो जो मैं तुम्हारे साथ करूँ।’



मैं उसके ऊपर लेट गई जिससे उसके लंड को भी मेरी चूत की गर्मी का अहसास हो जाये। लेकिन ये क्या… जैसे ही मेरी चूत उसके लंड से टच हुई वैसे ही उसके लंड से फव्वारा छूट पड़ा।



‘यह क्या किया तुमने? इतनी जल्दी तुम डिस्चार्ज़ हो गये?’



बॉस का माल मेरी चूत और जांघ पर गिर चुका था।


187474_14big.jpg



बॉस नजर नहीं मिला पा रहा था, मैं उठी और बोली- कोई बात नहीं जानू!



कह कर मैं सीधी लेट गई और उससे बोली- मेरी चूत और उसके आस पास जहाँ जहाँ भी तुम्हारा माल गिरा है, उसको अपनी जीभ से साफ करो।


trailer.jpg




थोड़ा झिझकने के बाद उसने अपनी जीभ चलाना शुरू कर दिया, उसके बाद मैंने अपने दोनों पैरों को हवा में ऊपर उठाया और अपनी उंगली को अपनी गांड की तरफ दिखाते हुए बोली- बॉस, कभी गांड चाटी है? मेरी गांड और चूत दोनों का छेद तुम्हारे एकदम सामने है, इनको भी चाटो और मजा लो।


27214_11big.jpg



इस तरह कभी मैं बॉस से अपनी आर्मपिट तो कभी जांघ तो कभी गांड तो कभी चूत चटवाती। अब बॉस को भी मजा आने लगा और खुल कर मेरे जिस्म से वो खेलने लगा।


(m=eqgl9daaaa)12.jpg



जब वो मुझे चाटते-चाटते थक गया तो फिर मेरे सीने पर बैठ कर अपने लंड को मेरे मुँह के आगे लाया और बोला- आकांक्षा, साली रांड बहुत देर से तु अपना सब कुछ चटवा रही है, अब तु मेरे लंड को भी चूस।



मैं उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी और उसके टट्टों से खेलने लगी।


48936.jpg



धीरे धीरे बॉस का लंड में तनाव पैदा होने लगा, फिर वह अपना लंड मेरे मुंह से निकाल कर मेरी चूत के डाल कर धक्के देने लगा।


3478029_10_o.jpg



कुछ देर बाद वो हाँफने लगा और मेरे ऊपर लेट गया। उसका लंड मेरी चूत से बाहर आ गया तो उसको सीधा लेटा कर मैं उसके ऊपर चढ़ बैठी और उछलने लगी।


3478029_9_o.jpg



वह ज्यादा देर तक वो बर्दाश्त नहीं कर पाया और एक बार फिर वो खलास हो गया। इस बार भी मेरी तृप्ति नहीं हुई थी और मुझे उसके ऊपर गुस्सा भी आने लगा था, लेकिन थोड़े से प्रयास के बाद मैं डिसचार्ज हो गई। और बॉस के बगल में लेट गई।



बॉस ने मेरी ऊपर अपनी टांग़ चढ़ा दी और मेरी पीठ और गांड को सहलाते-सहलाते मेरी गांड के छेद में उंगली करने लगे। मेरा हाथ उनके लंड की मसाज कर रहा था। कुछ देर तक हम दोनों ही चुपचाप एक दूसरे के कामांगों की सेवा हाथ से कर रहे थे।



मौन तोड़ते हुए मेरा बॉस बोला- आकांक्षा, आज से पहले मुझे इतना मजा कभी नहीं आया। मुझे तो लगता था कि लड़की नंग़ी होकर सीधी लेट जाती है और आदमी उसकी चूत में लंड पेल कर केवल धक्का लगाता है। यह जो ओरल सेक्स है ये केवल ब्लू फ़िल्म में ही होता है, लेकिन आज तुमने मुझे उसका भी सुख दे दिया। मेरी एक इच्छा और पूरी कर दो।



मैं अलसाई सी बोली- बोलिये चुद्दक्कड बाॅस?



मेरा इतना कहना था कि बॉस ने अपना लेपटॉप ऑन किया और मुझे एक पोर्न फ़िल्म दिखाने लगे। लेपटॉप को बॉस ने अपने लेप पर रखा और मेरे कंधे में हाथ डालकर मेरी चूचियों से खेलने लगे।



उस पोर्न मूवी में लड़की जो है, लड़के का लंड चूस रही है और लड़का उसकी चूत को चाट रहा है। फिर लड़का लड़की को एक ऊँचे मेज पर लेटा कर उसकी चूत में लंड पेल कर उसे चोदता है और उसकी चूची को जोर जोर से मसलता है। थोड़ी देर तक चोदने के बाद एक बार फिर लड़का अपना लंड लड़की से चुसवाता है और फिर लड़की को घोड़ी स्टाईल से खड़ी करके चोदता है।



पूरी मूवी में लड़का और लड़की कई पोजिशन से चुदाई का खेल खेलते हैं लेकिन मेरे बॉस ने वो घोड़ी वाली स्टाईल की चुदाई वाली सीन पर उस मूवी को रोक दिया और बोला- आकांक्षा, मैं तुजे इसी तरह पीछे से चोदना चाहता हूँ।



उसकी इस अदा पर मुझे तरस आया और उससे बोली- बॉस, मैं तुमसे इसी स्टाईल में चुदुंगी।



कहकर मैंने उसके लेपटॉप को हटाया और उसके ऊपर बैठ गई और उसके होंठों को चूमने लगी। मैं उसके होंठों का रसपान करने के साथ-साथ उसके निप्पल को भी बीच-बीच में अपने दांतों से काट लेती थी।



मैं अब उतरते हुए उसके लंड पर आ चुकी थी और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर लॉली पॉप की तरह चूसने लगी और लंड के टोपे पर अपनी जीभ फिराती और मेरा बॉस तेज तेज सिसकारियाँ लेता, सिसकारियाँ लेते-लेते बोला- रंडी मादरचोद जल्दी घोड़ी की पोजिशन पर आ।
 
Member
198
120
18
मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठा कर घोड़ी की पोजिशन बना ली और बॉस जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया और धक्के पे धक्के देने लगा।


3549763_10_o.jpg



इस बार बॉस काफी देर तक अपने घोड़े को मेरी गुफा में दौड़ाता रहा। इस बार बॉस बॉस की तरह ही अपना लंड मेरी चूत में पेलता रहा और मैं उसी पोजिशन में खड़ी रही। इस बार बॉस ने घिसाई इतनी देर तक की कि मैं पानी छोड़ चुकी थी कि तभी मेरे कान में ‘आह ओह, आह-ओह…’ की आवाज आई और लगा कि धक्के की गति पहले से काफी तेज हो चुकी थी या फिर अपने चरम पर थी।



‘ओह्ह्ह्ह…’ करते हुए बॉस मेरी पीठ पर लुढ़क गया और उसका गर्म गर्म माल मेरी चूत में भर गया और फचाक की आवाज के साथ उसका लंड मेरी चूत से बाहर आ चुका था।



‘बॉस आपने जो कहा, मैंने माना… अब तुम अपने लंड और मेरी चूत के मिलन का रस चख कर देखो।’



‘मैं आज पूरा मजा लेना चाहता हूँ!’ कहकर बॉस ने अपनी जीभ को मेरी चूत के मुहाने पर रख दिया और रस का स्वाद लेने लगे।


you-are-ease-with-my-fucking-since-your-balls-were-cut-off.jpg



फ्री होने पर बॉस ने मुझे एक बार फिर अपने सीने से जकड़ लिया और कहने लगा- आकांक्षा, तुमने आज जो सुख दिया है, उसके बदले में मैं तुम्हारे कोलकाता ट्रिप को और मजेदार बना रहा हूँ। काम के साथ साथ वहाँ एन्जॉवय भी करो। ऑफिस की तरफ से तुम्हारे साथ एक और परसन का खर्चा मिलेगा। उसमें तुम जिसे चाहो उसे अपने साथ ले जा सकती हो।



अचानक फिर कुछ याद करते हुए बोले- अभी तो तुम्हारी नई नई शादी हुई है और अभी तुमने हनीमून भी नहीं मनाया होगा, तुम अपने हबी के साथ जाकर हनीमून बना लो।



मैं अपने बॉस से और चिपकते हुए बोली- मेरा तो रोज हनीमून हो रहा है।



फिर बॉस मुझे कपड़े पहनाते हुए बोले- आकांक्षा, तुम्हारी सैलरी में 20% का इन्क्रीमेन्ट भी लगा रहा हूँ।



फिर वो भी तैयार होकर मुझे मेरे घर तक छोड़ने आये और मेरे घर आने तक रास्ते में जब भी मौका मिलता मेरी चूत से खेल लेते थे।


men_fingering_cheating-wife-sex-car.jpg



घर पहुँची तो सभी लोग मेरा इंतजार कर रहे थे। आज मैं काफी थकी हुई लग रही थी।



अमित और नमिता मेरे पास आये, आते ही अमित ने कहा- भाभी बहुत थकी हुई लग रही हो, कहो तो मालिश कर दूँ?



मैंने नमिता की तरफ देखा और बोली- अगर नमिता को ऐतराज न हो तो… और केवल मालिश, चोदने नहीं दुंगी।



नमिता बोली- भाभी, मैं भी देखना चाहती हूँ कि अमित कैसी मालिश करता है। मैं भी जब कभी थकी हूँगी तो अमित मेरी भी मालिश कर दिया करेगा।



तभी ससुर जी की आवाज आई- क्या बात है, आज तुम काफी थकी सी लग रही हो?



‘हाँ बाबू जी, आज ऑफिस में काम ज्यादा था इसीलिये!’



‘कोई बात नहीं, जाओ एक-दो घण्टे तुम आराम कर लो। तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा।’



कहकर वो चले गये और मैं ऊपर अपने कमरे में आ गई। मेरे पीछे-पीछे अमित और नमिता भी आ गये। कमरे में पहुँच कर मैंने रितेश को फोन लगाया तो उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था।



एक दो बार ट्राई करने के बाद मैंने वही नमिता और अमित के सामने ही अपने कपड़े बदल कर गाउन पहन लिया और अमित से बोली- थरकी जीजू, आप तैयारी करो, मैं जरा फ्रेश होकर आ रही हूँ, तब आप मालिश करना।



इतना कहने के साथ मैं फ्रेश होने नीचे आई और फ्रेश होने के लिये बाथरुम का दरवाजा खोलने ही जा रही थी कि अन्दर से ‘आह उह… आह उह…’ की आवाज आ रही थी।



मैं आवाज तो सुन पा रही थी लेकिन देखने के लिये मैं कोई सुराख खोज रही थी कि देखा छोटा देवर जिसका नाम सूरज था, वो मेरा नाम ले लेकर मुठ मार रहा था, बोल रहा था- भाभी तुम कितनी अच्छी हो। तुम्हारी चूत क्या कहना… आ आ मेरी रंडी भाभी, मेरे लंड को अपनी चूत में ले ले। क्या गोल गोल है तुम्हारी चूची, इसका दूध मुझे पिला दो। क्या गांड मटका मटका के चलती हो।



इसी तरह वो मेरी चूत, चूची और गांड के कसीदे पढ़ रहा था। बड़बड़ाते हुए उसका हाथ भी बड़े तेजी से चल रहा था और फिर अचानक उसके लंड से पिचकारी छूटी और उसकी पूरी हथेली में उसका रस लगा था। फिर वो उसी अवस्था में अपने हाथ धोने के लिये खड़ा हुआ।




मुरझाने के बाद भी उसका लंड लंड नहीं मूसल लग रहा था।


हाथ धोने के बाद उसने अपनी चड्डी पहनी और मैं जल्दी से वहाँ से दूर हो गई।



जब सूरज बाहर आया तो मैं उसको गौर से देखने लगी, जो अब मुझे काफी सेक्सी दिख रहा था।



खैर मैं फिर फारिग होने के लिये चली गई और टोयलेट में जितनी देर बैठी रही, सूरज के बारे में सोचती रही कि सूरज ने मुझे कब और कैसे नग्न देख लिया कि उसे मेरे अंग अंग के बारे में मालूम था या फिर वो कोरी कल्पना में मुझे पाना चाहता था।
 
Member
198
120
18
तभी अचानक वो सुराख मुझे याद आया, जैसे अभी अभी मैंने सूरज को वो सब करते देखा, हो सकता है कि सूरज ने मुझे देखने के लिये सूराख किया है।



तभी मेरी नजर उस सुराख में एक बार फिर पड़ी और मुझे लगा कि किसी की आँख अन्दर की तरफ झांक रही है।



फिर मेरे अन्दर का कीड़ा एक बार फिर जाग गया और मैंने अपने आपको झुकाते हुए अपनी चूचियों को और लटका कर खुला छोड़ दिया ताकि जो देख रहा है, अच्छी तरह देख सके।


और फारिग होने के बाद मैं नंगी ही अपने हाथ धोने उठी।


1687128_9_o.jpg



उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गई जहाँ अमित मेरा इंतजार कर रहा था। पहुँचने के बाद मैंने अपनी गाउन उतारी और जमीन पर लेट गई। अमित और नमिता भी नंगे हो चुके थे।



अमित अब मेरी मालिश करने लगा। वो बहुत ही अच्छे से मेरी मालिश कर रहा था, हालाँकि बीच बीच में अमित मेरी चूत और गांड में उंगली कर रहा था।


254186_01big.jpg


106590_03big.jpg


106590_04big.jpg


106590_06big.jpg



मेरी मालिश और अंगो की छेड़छाड़ करने की वजह से अमित का लंड तन कर टाईट हो चुका था और मेरी जिस्म के हर हिस्से से रगड़ खा रहा था।



मेरी मालिश करने के बाद अमित लेट गया और नमिता उसके लंड पर बैठ गई, फिर धीरे-धीरे वो सवारी करने लगी। उन दोनों की काम क्रीड़ा देखने के बाद भी मेरी इच्छा नहीं हो रही थी।


3473315_12_o.jpg



उधर थोड़ी देर तक उन दोनों के बीच भी युद्ध चलता रहा और फिर अपने मुकाम पर पहुँच कर शान्त हो गया।


3473315_13_o.jpg



एक बार फिर अमित मुझे धन्यवाद देते हुए बोला- भाभी, आपके ही कारण नमिता की चूत मुझे मिलने लगी है। इस पर नमिता हंस दी।



उसके बाद अमित मेरे बगल में और नमिता अमित के बगल में लेट गये। मुझे पता नहीं कब नींद आ गई और मैं अमित से चिपक कर सो गई।



एक घंटे के बाद मैं उठी और नहाने के लिये नीचे आ गई। नहा धोकर फ्री होने के बाद मैंने और नमिता ने मिल कर घर के काम को खत्म किया।



इस दौरान मेरी नजर सूरज पर भी रहने लगी और रह रहकर मेरी नजर के सामने उसका लम्बा मूसल लंड आने लगा। और न चाहते हुए भी मेरा मन उसके लंड को अपनी चूत में लेने का कर रहा था।



लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि जो मैं चाह रही थी वो पूरा नहीं हो पायेगा क्योंकि सूरज और रोहन (मेरा छोटा देवर) एक ही कमरे में सोते है और वो कमरा भी सास और ससुर के कमरे के पास में ही है इसलिये मुझे मौका तो इतनी आसानी से नहीं मिलने वाला था।



खैर काम निपटा कर मैं अपने कमरे में आ गई और अमित और नमिता अपने कमरे में चले गये। रात को मुझे जल्दी ही नींद आ गई।



कहानी जारी है।
 
Member
198
120
18
रितेश से बात करते करते पता ही नही चला की सुबह हो गई है। में उठी और घर के काम निपटाने के साथ-साथ मैं सूरज और रोहन (सबसे छोटा देवर) दोनों पर ही नजर रखे हुए थे, क्योंकि मैं समझ गई थी रोहन भी मेरे लिये आहें भरता ही होगा। मेर घर पर ही मेरे लिये काफी लंड थे जो मेरी चूत में जाना चाह रहे थे।



लेकिन रोहन तो दिखा नहीं, सूरज बार-बार उत्सुकता से मेरी तरफ देख रहा था। उसके हाव भाव से ऐसा लग रहा था कि मैं तुरन्त ही नहाने चली जाऊँ, जिससे वो मुझे देख सके। क्योंकि घर के बाकी सदस्य अभी भी सो रहे थे और शायद रोहन भी सो रहा होगा।



मुझे भी मौका सही लगा तो मैंने बाकी का काम छोड़ दिया और अपने कपड़े लेकर बाथरुम में चली गई और अन्दर उसी छेद से मैं सूरज की गतिविधि पर नजर रखने लगी।



देखा तो सूरज भी दबे कदमों से गुसलखाने के पास आ रहा था। लेकिन यह क्या!?! वो सीधा टोयलेट में घुस गया।



मेरा माथा ठनका… मैं समझने की कोशिश कर रही थी कि सूरज टोयलेट में क्यों गया होगा। मैं अब बाथरुम के अंदर चेक करने लगी तो देखा तो टोयलेट से लगी हुई दीवार के किनारे एक छेद है।



मैं वहां जाकर इस तरह खड़ी हो गई कि सूरज को यह न लगे कि मैंने उस छेद को देख लिया है। कुछ देर ऐसे ही खड़ी रही, फिर हल्के से दूसरी तरफ देखा तो सूरज खडा था। इसका मतलब यह था कि वो मुझे नंगी देखने के लिये बड़ा उत्सुक है, लेकिन अभी तक मैंने कपड़े पहने हुए थे और इसी को लेकर वो बैचेन था।



मैं उस छेद से थोड़ा दूर होते हुए इस तरह से खड़ी हुई कि मेरी गर्दन के नीचे से सूरज को अच्छी तरह से मेरे पूरे जिस्म का दर्शन हो जाये।



उसके बाद मैंने अपनी नाईटी उतार दी और अपने चूचियों को और चूत को अच्छे से सहलाने लगी ताकि सूरज को और मजा मिले।


44859_01big.jpg


44859_04big.jpg


44859_06big.jpg



थोड़ी देर तक तो मैं सूरज को अपने गांड, चूत और चूची का नजारा धीरे धीरे नहा कर देती रही कि तभी मुझे कुछ तेज आवाज सुनाई दी तो उसी छेद से झांककर देखा तो सूरज ही कम्बोड पर बैठा हुआ था, उसकी आंखें बन्द थी और वो बड़बड़ाते हुए मुठ मार रहा था।



मैं नहा कर निकली और कपड़े बदलने ऊपर कमरे चली गई। नीचे उतर कर देखा तो अब सूरज नहाने जा रहा था। अब मेरी भी लालसा उसके लंड को देखने की हो रही थी।



मैं बाहर से देख नहीं सकती थी और नहा चुकी थी लेकिन देखना तो था ही, जैसे ही सूरज बाथरुम में घुसा, वैसे ही मैंने नमिता को अपना पेट खराब होने की जानकारी देकर मैं टोयलेट में घुस गई। सूरज को उम्मीद नहीं रही होगी कि उसे भी कोई नंगा देखने की तमन्ना रखता है।



अन्दर घुस कर मैं उसी छेद से बाथरूम के अंदर झांक रही थी। सूरज अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा शॉवर के नीचे खड़ा था और पानी के बौछार का आनंद ले रहा था। क्या जिस्म था उसका… पूरा मर्द लगता था। उसकी गांड की उभार भी क्या टाईट थे।



लेकिन मेरा पूरा ध्यान तो उसके लंड पर था और जो मैं देखना चाह रही थी। वो जब घूमा तो उसका लंड बिल्कुल तना हुआ था और बार बार ऊपर नीचे हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि कोई रह रह कर नाग फुंफकार रहा हो।


397255_10_o.jpg



सूरज भी नहा धोकर बाहर निकला और उधर मैं भी। मैं ऑफिस के लिये तैयार होने जा ही रही थी कि नमिता मुझे टोकते हुये बोली- जब तबियत ठीक नहीं है तो ऑफिस मत जाओ।



फिर सूरज की तरफ देखते हुए बोली- सूरज, भाभी की तबियत ठीक नहीं है, तुम आज कॉलेज मत जाओ और जाकर किसी डॉक्टर के यहां दिखा दो।



सूरज को तो जैसे मन की मुराद मिल गई हो, वो तपाक से बोला- जी दीदी, जरूर! मैं भाभी को डॉक्टर के यहां चेकअप करा दूंगा।



सूरज का लंड देखने के बाद तो मेरा भी ऑफिस जाने का मन नहीं कर रहा था तो मैंने भी नमिता से बोल दिया कि मैं ऑफिस फोन करके बता देती हूँ कि आज मैं नहीं आ पाऊँगी।


लेकिन मेरे दिमाग में यह घूम रहा था कि सूरज के लंड का मजा कहाँ लूँ। घर पर नहीं ले सकती थी और बाहर होटल वो भी नहीं जंच रहा था कि मेरे दिमाग बॉस के घर पर घूमा, उसका घर पूरा खाली था और कोई भी खतरा होने के डर भी नहीं था।
 
Member
198
120
18
यह ख्याल दिमाग में आते ही मैंने अपने बॉस को फोन किया ऑफिस न आने का कारण बता दिया। बॉस ने खुशी खुशी छुट्टी मंजूर कर ली।



जब छुट्टी मंजूर हो गई तो मैंने अपने बॉस से कहा- बॉस, मुझे आपका एक फेवर चाहिये?



‘हाँ हाँ… बोल, मैं मेरी रांड के लिये क्या कर सकता हूँ?’



‘आज मेरे हबी बाहर से वापस आ रहे है और मैं उन्हें ऐन्टरटेन करना चाह रही हूँ। दिन में मैं उन्हें घर पर ऐन्टरटेन नहीं कर सकती तो मुझे आपके घर की चाबी चाहिये। जहाँ केवल मैं और मेरे हबी हों।’



वो तुरन्त ही बोले- मुझे कोई ऐतराज नहीं है, मैं ऑफिस में हूँ, जब चाहो आकर चाबी ले जाना।



मेरे लिये सब कुछ आसान हो गया था, अब सूरज के लिये मुझे तैयार होना था। दस बजे के करीब मैं थोड़े अच्छे से तैयार हुई, तभी सूरज मेरे कमरे में आया और बोला- भाभी, मैं तैयार हूँ।



फिर मुझे देखते हुए बोला- वाव भाभी, आप कितनी अच्छी लग रही हो।


348384_07big.jpg



लेकिन मैंने उसकी बातों को अनसुना कर दिया और अपने रूम से बाहर आ गई। इतनी देर में सूरज ने अपनी बाईक स्टार्ट कर ली थी, मैं अन्दर सब को बता कर सूरज के साथ बाईक पर बैठ गई।



मेरे अन्दर एक अलग सी आग भड़क रही थी और चाह रही थी कि जितनी जल्दी हो सूरज मेरी बाँहों में हो।रितेश के बाद सूरज ऐसा पहला मर्द था, जिसकी बांहो में मैं खुद आना चाह रही थी।



बाईक अपनी गति से चली जा रही थी और मैं सूरज से सट कर बैठी थी और उसके कमर को अपनी बांहो से जकड़े हुए थी। और चुची को उसकी पीठ पर रगड रही थी। पता नहीं उसे कैसा लग रहा होगा।


sparkles3.jpg



अभी हम घर से थोड़ी दूर ही चले थे कि मैंने सूरज से मेरे ऑफिस चलने के लिये बोला तो वह बिना कुछ बोले दस मिनट बाद मुझे मेरे ऑफिस ले आया और बोला- भाभी, आपका ऑफिस आ गया।



जैसे मैं नींद से जागी और जल्दी से बाईक से उतर कर अपने ऑफिस के अंदर चली गई और सीधे बॉस के केबिन में।



मुझे देखते ही बॉस ने अपनी आदतानुसार मुझे बांहों में जकड़ लिया और एक चुम्मा मेरे होंठों पर चस्पा कर दिया।


8732_04big.jpg



मैंने बॉस से चाबी ली और चलने लगी तो बॉस ने मुझसे बोले कि मेरे हबी से वो मिलना चाहते हैं। मैंने उन्हें उन्ही के केबिन से नीचे मोटरसाईकिल पर बैठे सूरज को दिखा दिया।



उसके बाद मैं तेजी से चलते हुए नीचे आ गई और मोटरसाईकिल पर बैठ गई, सूरज ने बाईक आगे बढ़ा दी।



उसके बाद फिर मैंने सूरज को मेरी बताई हुई जगह पर चलने के लिये कहा तो सूरज बोल उठा- भाभी, हमें तो डॉक्टर के यहाँ चलना है।



‘हाँ चलती हूँ, बस एक छोटा सा काम है, निपटा लूँ, फिर डॉक्टर के यहाँ चलते हैं। उसके बाद सीधे घर चलकर मैं आराम करूंगी।’



फिर बिना कुछ बोले सूरज ने बाईक आगे बढ़ा दी और उसके बाद बॉस के फ्लैट पर पहुँचने से पहले मेरे और सूरज के बीच कोई बात नहीं हुई।



फ्लैट पर पहुंचने के बाद मैंने सूरज को बाईक पार्क करने के लिये बोला तो उसने वहीं रहकर इंतजार करने के लिये बोला।



मैं सूरज के हाथ को अपने हाथ में लेते हुये बोली- भाभी की बात मानने में बहुत मजा आता है और जो नहीं मानता है तो फिर पछताने के सिवा कुछ नहीं मिलता है।



फिर बिना कुछ बोले सूरज ने बाईक को पार्क किया और मेरे साथ फ्लैट के अन्दर आ गया। कमरे के अन्दर पहुँचने पर सूरज आश्चर्य से इधर उधर देखने लगा।



उसको देख कर मैंने पूछा क्या देख रहे हो तो बोला भाभी आपने तो कहा था कि आप यहां काम से आई हो लेकिन इस फ्लैट में कोई नहीं रहता है और फिर आप बाहर से लॉक खोल कर आई हो। मैं समझा नहीं?



‘मैं यहां अपना इलाज करवाने आई हूँ।’



‘यहाँ कौन है जो आपका इलाज करेगा?’



‘तुम…’ छूटते ही मैं बोली।



सूरज की आंख आश्चर्य से और चौड़ी हो गई, हकलाते हुए बोला- मैं आपका इलाज कैसे कर सकता हूँ?



‘अरे वाह, सुबह तो तुम कह रहे थे कि भाभी आप बहुत अच्छी लग रही हो और अब नादान बन रहे हो।’ कहते हुए मैं उसके और समीप आ गई थी और उसके शर्ट के ऊपर ही उंगली चलाते हुए बोली- क्यों सूरज, तुम्हें अपनी भाभी को नंगी देखना कैसा लगता है?



‘मैं समझा नहीं भाभी?’



‘देखो बनो मत… तुम्हारे दिल की ही तमन्ना है न कि भाभी को तुम नंगी देखो। तो आज इलाज के बहाने तुम मुझे नंगी देख सकते हो। घर मैं यह मौका तो तुम्हे कभी भी नहीं मिलता इसलिये मैं तुम्हे यहां लाई हूँ।’ उसके हाथ को पकड़कर मैंने अपनी चूचियों पर रख दिया- तुम अपनी इच्छा पूरी कर लो!


119261_03big.jpg



‘भाभी…’ वो कुछ बोल नहीं पा रहा था।



मैं अब पूरी बेशर्मी पर उतर आई थी, मेरा हाथ उसके तने हुए नागराज पर फिसल रहा था जो बाहर आने को बहुत बैचेन था।


161646_04big.jpg
 
Member
198
120
18
‘भाभी…’ बस इतना ही बोल पाया था, उसका संकोच उसे आगे नहीं बढ़ने दे रहा था।



‘देखो, मेरे नाम की मुठ मारने से भाभी की चूत नहीं मिलेगी। या फिर ये हो सकता है कि तुम्हारा लंड केवल मुठ मारने के लिये है न कि चूत चोदने के लिये।’



मेरी इस बात को सुनते ही उसने मुझे तुरंत अपनी बांहों में भर लिया और अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और थोड़ी देर मेरे होंठ को चूसने के बाद वो बोला- भाभी, अपने देवर का आज कमाल देखना। कैसे वो आपको खुश करता है।


161646_02big.jpg



कहते हुए उसने मुझे पलट दिया और मेरी चूचियों को टॉप के ऊपर से ही दबाने लगा। कभी वो मेरी चूची दबाता तो कभी मेरी चूत से छेड़खानी करता और मैं आंखें बन्द किये हुये ये सब करवाती रही।



थोड़ी देर बाद उसने मेरे टॉप को मेरे जिस्म से अलग कर दिया और मेरी नंगी चूची को बिना ब्रा के देख कर बोला- वाआओ… भाभी आप तो पूरी तैयारी से आई हो? अन्दर ब्रा भी नहीं पहनी हो।



‘मैं ब्रा और पैन्टी नहीं पहनती हूँ।’



‘क्या कह रही हो?’



‘हाँ, तेरे भाई को मेरा ब्रा और पैन्टी पहनना अच्छा नहीं लगता है।’



फिर उसने मेरी जींस भी उतार दी, मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी। मेरी गर्दन को चूमते हुए बोला- भाभी, आज मेरा सपना सच हो रहा है। मैं अपनी सेक्सी भाभी को अपनी आँखों के सामने नंगी देख रहा हूँ।



कहकर वो मेरी पीठ को चूमते-चूमते मेरे गांड के पास पहुँच गया और मेरी गांड को चूची समझ कर तेज-तेज दबाने लगा।फिर उसने मेरी गांड को कस कर फैला दिया और दरार में उंगली चलाने लगा और बीच-बीच में मेरी गांड के छेद में उंगली डाल देता। मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत मजा आ रहा था।


187982_02big.jpg



सहसा वो उठा और बोला- भाभी, आज मैं आपको जी भर कर देखना चाहता हूँ।कहकर वो मेरे एक एक अंग को छूकर देख रहा था और साथ ही साथ मेरे फिगर की तारीफ एक अनुभवी खिलाड़ी की तरह किये जा रहा था।



सूरज बोला- भाभी, आज तक मैंने इतना परफेक्ट और सेक्सी फिगर नहीं देखा।


129863_07big.jpg



मैंने पूछा- कितनी लड़कियां चोद चूका है अब तक?



‘बहुत को चोदा है भाभी, लेकिन तुम्हारी जैसी बिन्दास और सेक्सी नहीं देखा। तुम तो पूरी की पूरी काम देवी लग रही हो।’



कहकर उसने मुझे गोदी में उठाया और पास पड़े बेड पर बड़ी सावधानी से लिटा दिया और फिर अपनी उंगलियाँ मेरी चूचियों की गोलाइयों में चलाने लगा और बीच बीच में मेरे निप्पल को दबा देता।



उसके बाद वो मुझे चूमने लगा और फिर मेरी नाभि में अपनी जीभ को घुमाने लगा। सूरज जितने प्यार से मेरे जिस्म से खेल रहा था कि उसे किसी बात की कोई जल्दी नहीं है।



उसके इस तरह से मेरे जिस्म से खेलने के कारण मैं पानी छोड़ चुकी थी कि तभी उसकी उंगली ने मेरे चूत प्रदेश की यात्रा शुरू कर दी। और जैसे ही उसकी उंगली मेरे चूत के अन्दर गई तो उसकी उंगली गीली हो गई।


209442_03big.jpg



उसने उंगली को बाहर निकाला और अपने मुंह में ले जाकर अपनी उंगली इस तरह से चूस रहा था कि जैसे वो कोई लॉलीपॉप चूस रहा हो।



उसके बाद वो बोला- भाभी, तेरी गीली चूत को प्यार करने में बड़ा मजा आयेगा।



कहकर उसने मेरी दोनों टांगों को जो अब तक एक दूसरी से चिपकी हुई थी, अलग कर दिया और अपनी जीभ से हौले-हौले चाटने लगा।


238199_04big.jpg



अभी तक उसने अपने एक भी कपड़ा नहीं उतारा था और न ही अपने लंड को मसल रहा था।



सूरज अपनी जीभ के साथ-साथ अपने दोनों हाथों का प्रयोग भी कर रहा था, कभी वो मेरी क्लिट से छेड़खानी करता तो कभी चूत से… तो कभी अपनी उंगली मेरी चूत के अन्दर डालकर अंदर खरोंच करता जैसे कोई छोटी शीशी के तले से चाशनी निकाल रहा हो।



मेरे मुंह से ‘उफ ओह उफ ओह…’ के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था।



उसकी इस प्यारी हरकत के कारण मेरे मुंह से कुछ नहीं निकल पा रहा था। बड़ी मुश्किल से मैं बस इतना ही बोल पाई- सूरज, भाभी को पूरी नंगी देख लिया और खुद इतना शर्मा रहे हो कि भाभी के सामने नंगे भी नहीं हो पा रहे हो।
 

Top