Incest पूरे घर की रंडी

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इस बार लंड सीधे मेरी चूत के अन्दर था।



अब मैं और उस फिल्म की लड़की एक ही पोजिशन में थे और रितेश उसी तरह धक्के मार रहा था जैसे उस फिल्म का लड़का कर रहा था।



जिस-जिस पोजिशन में वो लड़का उस लड़की की चुदाई कर रहा था उसी पोजिशन में रितेश मेरी भी चुदाई करता।



उस लड़के ने लड़की को दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया और उसकी एक टांग को पकड़ कर हवा में उठाकर उसको चोद रहा था तो रितेश ने भी मुझे उसी तरह की पोज में कर दिया और अपनी कार्यवाही शुरू कर दी। उसकी नजर भी स्क्रीन पर थी।

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फिर चार-पांच धक्के मारने के बाद रितेश ने मुझे डायनिंग टेबल पर बैठाया और अपना लंड मेरी चूत में डालने के बाद मुझे गोदी में उठा कर उछल कूद करने लगा।



अब इस समय मैं अपनी तो कुछ नहीं कह सकती पर रितेश को खूब मजा आ रहा था। कुछ दस पन्द्रह शॉट लगाने के बाद एक बार फिर रितेश ने मुझे उसी तरह लेकर एक कुर्सी पर बैठ गया।



दूसरे ही पल लगा कि रितेश एक बार फिर अपनी गर्मी को मेरे अन्दर उतार दिया।



ठीक उसी समय उस लड़के ने लड़की को नीचे बैठा कर अपने लंड को उसके मुंह में लगा दिया और कुछ सफेद सा उसके मुंह में डालने लगा जिसको लड़की ने पूरा गटक लिया और फिर मुंह से लड़के का लंड चाट कर उसकी मलाई को साफ कर दिया।

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ऐसा देख कर मैंने रितेश से पूछा- तुम अपनी मलाई मेरे अन्दर क्यों डाल देते हो?



वो बोला- मुझे अच्छा लगता है।



तीन चार घंटे बीत चुके थे तो मैंने रितेश को चूम कर बाय किया और अपने घर चली आई।



कहानी जारी रहेगी।
 
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इसके बाद जब भी मौका मिलता तो मैं और रितेश अपनी जिस्म की आग को बुझाते और नई स्टाईल से मजा लेते और अब तो मुझे भी गाली देने की आदत सी हो गई थी।



लेकिन एक दिन मुझे उल्टी सी महसूस हुई और उसके बाद लगातार होने लगी और मन खट्टा होने लगा तो मेरी मम्मी मुझे डॉक्टर के यहां ले गई। डॉक्टर ने चेक अप करने के बाद मुझे बताया कि मेरे पेट में बच्चा है, तो मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई।



डॉक्टर जाकर मेरी मम्मी को बताने वाली थी लेकिन मेरे रिक्वेस्ट करने पर न बताने को बोली और जल्दी ही ऑर्बशन कराने के लिये बोली। मुझे एक लम्बा चौड़ा सा लेक्चर दे दिया।



लेकिन एक बात डॉक्टर ने बताई कि खूब खुल कर मजा लो लेकिन अगर बच्चा नहीं चाहती हो तो कुछ प्रिकॉशन लो और कोशिश करो कि लड़के का पानी तुम्हारे अन्दर न जाये।



मेरे लिये अब चिन्ता की बात यह थी कि इस बात को कैसे छुपाया जाये। तो डॉक्टर से छुटने के बाद मैं सीधा रितेश से मिली और जो जो डॉक्टर ने बताया सब बात रितेश को बता दी।



किसी तरह घर से बहाना बना कर ऑबोर्शन कराने पहुँची।


इस समय रितेश ने मेरा खूब साथ दिया और जैसे-जैसे डॉक्टर ने कहा उसने उसी तरह मेरा ध्यान रखा।



धीरे-धीरे दोनों लोगों का एक-दूसरे के यहां आना जाना शुरू हो चुका था। रितेश मेरे परिवार एक एक-एक सदस्य से मिल चुका था और मैं रितेश के परिवार के एक-एक सदस्य से मिल चुकी थी।



हलाँकि रितेश में परिवार में ज्यादा लोग नहीं थे, उसके एक जीजा, जो काफी हैण्डसम थे और पुलिस में थे, उसकी मम्मी थी, पापा थे जो 55 की उम्र में भी काफी हट्टे कट्टे थे और दो छोटे भाई थे दोनों ही अब तक बालिग हो चुके थे।



हम दोनों के परिवार को हम दोनों के रिश्ते को मंजूरी भी मिल चुकी थी पर शर्त इतनी थी कि अच्छी सी जॉब मिलने के बाद हम दोनों की शादी कर दी जायेगी। लेकिन किसी को यह नहीं मालूम था कि हम दोनों जिस्म की आग को बुझा रहे हैं।



खैर आओ फिर से कहानी पर लौटते हैं। अब वो कहानी यहां से शुरू होती है जब एक-एक करके कई लंड मेरी चूत में जा चले गये। शुरू शुरू में मेरी चूत में जो भी लंड गया, उसमें रितेश भी शामिल था पर बाद में लंड मिलते गये और मैं लेती गई।



इसी क्रम में एक दिन रितेश मेरे पास आया और बटरिंग करने लगा तो मैंने बोल दिया- यार तेरे को जब भी मेरी चूत चाहिये होती है तो मैं तो तैयार ही हूँ ना फिर मेरी बटरिंग करने का क्या फायदा?



‘आज कुछ नया करना है।’



मुझे लगा वो मेरी गांड मारने की बात कर रहा है तो मैं बोली- यार, एक चीज तो सुहागरात के लिये छोड़ दो, नहीं तो सुहागरात में क्या करोगे। कुछ तो कुवांरा रहने दो, मैं सुहागरात में तुमसे अपनी गांड ही मरवाऊँगी, यह वादा है।



तभी वो बोला- यार, मैं तेरी गांड सुहागरात का उदघाटन सुहागरात पर ही करूंगा पर अभी कुछ नया हो।



कह कर वो चुप हो गया और फिर बोला- देख, तू मेरी होने वाली बीवी है, मैं तुझसे कुछ छिपा कर नहीं करना चाहता, जो भी मैं करूँ तेरे साथ ही करूँ।



मैं उसकी बात को काटते हुये बोली- बता, तू क्या चाहता है।


तो उसने एक बार फिर टोनी और मीना की बात बताई कि टोनी तुम्हें चोदना चाहता है और मीना मुझसे चुदवाना चाहती है।



खैर इतने दिनों सेक्स का खेल खेलते हुए एक बात तो समझ में आ गई कि रितेश मुझसे बहुत प्यार करता है और सिवाय मेरे वो किसी भी और लड़की को देखता नहीं है, जबकि कई लड़कियाँ उससे चुदने को तैयार हैं। फिर भी पता नहीं टोनी और मीना के लिये ये इतना परेशान क्यों हो रहा था।



मैंने उससे कहा- क्या तुम मुझे रंडी बनाना चाहते हो?



वो गुस्से से बोला- देख तू मेरी बीवी है और जब मुझे ऐतराज नहीं है तो तू क्यों चिन्ता करती है। क्या तू मेरे लिये इतना नहीं कर सकती?



हम दोनों के बीच काफी बहस हुई लेकिन मैं हार कर उसकी बात मान गई।



रितेश ने उस प्लान के लिये वो समय चुना जब कॉलेज का टूर जा रहा था। तो हम दोनों ने अपने-अपने घर में टूर के बारे में जो कि तीन से चार दिन का था, बता दिया और तय समय पर हम लोग घर से निकल गये और दिल्ली की ट्रेन पकड़कर दिल्ली स्टशन पहुँचे।



स्टेशन पर पहले से ही टोनी और मीना हम लोगों का इंतजार कर रहे थे। टोनी की लम्बाई और डील डौल बहुत ही अच्छा था और रितेश से बीस था और मीना बहुत ही खूबसूरत, उसके सामने मैं कुछ भी नहीं थी।



उसका दूध जैसा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, आँखो में काजल, होंठों में हल्की गुलाबी लिपस्टिक, बड़ी-बड़ी चूची जो उसके कपड़े से आजाद होने के लिये बेताब थी। टाईट जींस और उँची हील की सैन्डिल में वो पटाका लग रही थी।

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रितेश ही नहीं हर लड़के की नजर उसके उपर थी। सबसे बेपरवाह उन दोनों ने हम दोनों का गले लगा कर स्वागत किया और फिर उनकी गाड़ी में बैठ कर उनके घर की तरफ चल दिये।



रास्ते में टोनी ने मुझे आकांक्षा डार्लिंग कहकर सम्बोधित किया और पूछा डर तो नहीं लग रहा है?
 
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मैं कुछ नहीं बोली तो उसने गाड़ी एक किनारे लगाई और मीना से बोला- तुम रितेश के पास बैठो और आकांक्षा, तुम मेरे पास आओ।



मैंने रितेश की तरफ देखा और उतर कर मैंने और मीना ने अपनी जगह बदल ली। मेरे लिये ये सब अजीब सा था और हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी।



तभी निसंकोच रूप से टोनी ने अपना हाथ को मेरी चूत पर रख दिया और सहलाते हुये पूछा- डार्लिंग, अब तक केवल रितेश से ही चुदवाई करवाई है या किसी और से भी?



मैं चुप रही तो टोनी, जिसका हाथ मेरी चूत को ही सहला रहा था, फिर बोला- आकांक्षा शर्म करने से कुछ नहीं होगा, पीछे देखो मीना ने रितेश के लंड को अपने हाथ में लिया है और चूस रही है, और रितेश मीना की चूत सहला रहा है।



दोनों अपने में मस्त मशगूल थे। मीना के लगभग कपड़े उतर ही चुके थे वो केवल पैन्टी में ही थी और रितेश के लंड पर झुकी हुई थी। मेरी नजर उन दोनों पर जब हटी जब मुझे एहसास हुआ कि मेरा हाथ जीन्स के ऊपर टोनी के लंड पर है।



इतने ही पल में टोनी ने अपने लंड को अपने जींस से बाहर निकाल लिया और मेरे हाथ को लेजाकर उस पर टिका दिया।


करीब आधे घंटे के बाद टोनी का बंगला आ गया।



अपनी गाड़ी को पार्किंग में खड़ी करके मीना नंगी ही उतरी फिर उसने मेरी तरफ का दरवाजा खोला और मुझे लेकर अन्दर चली। मैं उसे देख रही थी और वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी, फिर मेरी गांड में चिकोटी काटते हुये बोली- बिन्दास दो दिन सेक्स का मजा लो।



तभी फिर मुझे अपना वो ख्याल याद आया जब मैं सोचती थी कि शादी के बाद सुहागरात में मेरे साथ क्या-क्या होगा। लेकिन मेरी सुहागरात तो शादी से काफी पहले हो चुकी है और अब मुझे रितेश के अलावा दूसरा मर्द चोदेगा।



सोचते-सोचते मैं घर के अन्दर प्रवेश कर गई। थोड़ी ही देर में मीना ही हम सब के लिये चाय ले आई। मीना अभी भी नंगी ही थी और जब वो झुक कर चाय सर्व कर रही थी तो उसकी लटकी हुई गोल चूचियों पर से रितेश की नजर हट ही नहीं रही थी।

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चाय का कप मैं उठा ही रही थी कि मेरे हाथ को पकड़ते हुए टोनी बोला- देखो यहां पर कोई भी किसी बात का बुरा नहीं मानेगा और अपनी मर्जी की करने के लिये सभी स्वतंत्र होंगे। दूसरा की हम लोग चाय ऐसे नहीं पियेंगे। और बताने लगा कि आकांक्षा चाय सिप करेगी फिर उसका कप मेरे पास आयेगा, मेरा कप मीना के पास जायेगा, मीना का कप रितेश की पास और रितेश का कप आकांक्षा के पास जायेगा।



कहकर हम लोग चाय पीने लगे। थोड़ी देर तक गपशप होती रही। इसी बीच टोनी ने भी अपने सभी कपड़े उतार दिये और अपने हाथ से लंड को मसलते हुये बोला- तुम लोग नहा धो लो।



मुझे थोड़ी उलझन हो रही थी और संकोच से बाहर नहीं आ पा रही थी तो मैं ही उठी, बाथरूम में नहाने पहुँची और बाथरूम का दरवाजा बन्द ही कर रही थी कि टोनी वहां पहुँच गया, बोला- यहां कुछ बन्द में नहीं होता सब कुछ खुले में होता है।



कह कर उसने दरवाजे को खोल दिया और वहीं पर कुर्सी लगा कर बैठ गया और मुझे आँख मारते हुये फ्लाईंग किस करने लगा।



उसी समय रितेश आ गया और टोनी के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला- यार देखो, अब शर्माना छोड़ो और खुल कर मजा लो।



उसी समय मीना ने पीछे से रितेश को पकड़ा और उसके दोनों निप्पल को कस कर मसलने लगी और उसके गालों को किस करने लगी। हाँ, एक बात पर मेरा बहुत ज्यादा ध्यान गया वो ये कि मीना कपड़ो में नहीं थी पर हाई हील सेन्डिल पहनी हुई थी।

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तभी रितेश मेरे कंधे के झटके हुये बोला- क्या सोच रही हो?



कह कर मेरी गांड में चपत लगाते हुए बोला- एन्जोय



मैं अपनी सोच से बाहर आते हुये अपने कपड़े उतारने लगी कि मीना टोनी से बोली- डार्लिंग, जाकर उसके कपड़े उतारने में उसकी मदद करो।



टोनी उठा और मेरे कुर्ती, सलवार, ब्रा और पैन्टी एक एक करके सभी उतार दी और मेरी चूत की फांकों में उंगली करने लगा।



मुझसे अब रहा नहीं गया तो मैं मीना से बोली- मीना तुम हाई हील सेन्डिल हर समय क्यों पहनती हो?



तो वो बोली- अपने टोनी के लिये। जब मैं हाई हील सेन्डिल पहन कर चलती हूँ तो मेरी गांड पेन्डुलम की तरह उपर नीचे होती है और टोनी को बहुत मजा आता है।



उसकी बात सुनकर रितेश ने मेरी ओर देखा तो मैं उसके इशारे को समझते हुए मीना की हाई हील सेन्डिल पहनकर चलने लगी। अब रितेश और टोनी दोनों को ही मेरा इस तरह चलना बहुत अच्छा लग रहा था।



दोनों मीना के अगल-बगल खड़े होकर उसकी चूत में हाथ डाले हुए मेरी ओर देखकर दोनों ही बोले- यार, इसकी गांड भी बड़ी मजेदार लग रही है।



ऊँची हील पहनने के कारण मेरी लंबाई भी रितेश के लम्बाई के बराबर हो गई।


मेरी चाल को देखकर दोनों के लंड बिल्कुल तन कर नब्बे डिग्री का कोण बना चुके थे और दोनों ही अपने हाथों को कष्ट दे रहे थे मतलब दोनों ही अपने लंड को हिला रहे थे।

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तभी मीना ने रितेश के दोनों जांघों को हाथ से पकड़ कर उसके लंड को चूसने लगी। मीना को ऐसा करते देख मैंने भी अपनी पोजिशन पकड़ ली और टोनी के लंड को अपने मुँह में ले लिया।

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अब मुझे भी चुदाई के इस खेल में बहुत कुछ समझ में आ गया था और मैं टोनी के लंड को चूस कर उसको खुश भी करना चाहती थी।



मैं कभी उसके लंड को पूरा अपने मुँह में लेती तो कभी उसके सुपारे की चमड़ी हटा कर उसके अग्र भाग को अपनी जीभ की टो से टच करती और अपने हाथ से अपनी चूत को सहलाती और जो गीलापन मेरी चूत से निकलता उस गीलेपन से टोनी के लंड को मालिश करती और फिर उसके लंड को चूसती।



रितेश और टोनी के मुँह से सीसीसी की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था। मीना के कहने पर हम दोनों अदल-बदल कर लंड चूस रही थी।



इस तरह करते-करते करीब दस मिनट बीत चुके थे। तभी टोनी ने मुझे खड़ा किया और मुझे घुमाते हुए नीचे की तरफ झुका दिया और अपने प्यासे लंड से मेरी चूत को रगड़ने लगा, फिर बिना एक पल गवांए मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया।

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टोनी की देखा देखी रितेश ने भी मीना की चूत में लंड डाल दिया और धक्के पे धक्का देना शुरू कर दिया। उस पोजिशन में झुके होने से मेरे पैरों और कमर में दर्द बहुत हो रहा था पर मजा भी खूब आ रहा था।



दोनों ही बारी-बारी से हम दोनों की चूत में लंड पेलते और चोदते जाते।

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टोनी बड़बड़ाते हुए कह रहा था- इसको कहते है बुर का भोसड़ा बनाना। आ मेरी कुतिया… क्या मजा आ रहा तेरी चूत चोदने का!



उधर रितेश के मुंह से केवल आह-ओह ही निकल रहा था।



अब जब टोनी का माल निकलने वाला था तो उसने मुझे घुटने के बल नीचे बैठा दिया और मेरे खुले मुँह में लंड लाकर अपने माल को डालने लगा और जब तक उसके माल की एक एक बूँद में गटक नहीं गई तब तक उस हरामी ने मेरे मुँह को छोड़ा नहीं। उधर बड़े प्यार से मीना रितेश के माल को पी गई।

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फिर टोनी अपने मुरझाये लंड को मीना के पास और रितेश मेरे पास आ गया और मुँह में डालते हुए बोला- रंडियो, चलो बचा खुचा माल भी साफ करो।



मैं रितेश के लंड को साफ कर ही रही थी कि टोनी मेरे पास आया और मीना से बोला- मीना, मुझे उम्मीद नहीं थी कि आकांक्षा इतनी जल्दी एडजस्ट कर लेगी।



अब मुझे भूख लग रही थी, मैंने मीना को अपनी भूख के बारे में बताया तो सभी हँसने लगे।



उसके बाद मैं और मीना रसोई में गये और खाना बनाने लगे।



खाना खाने के बाद टोनी ने सभी को मॉल चलने के लिये कहा। सभी लोग तैयार होने लगे।

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हम लोगों के बीच अब कोई परदा तो था नहीं मैं भी सबके सामने कपड़े पहनने लगी।



और जैसे ही मैंने अपनी जींस को पहनना शुरू किया कि टोनी बोला- सभी लोग केवल दो ही कपड़े पहनेंगे उससे एक भी ज्यादा नहीं।



उसकी बात सुनकर मैंने मीना की तरफ देखा तो वो मुझे आँख मारते हुए अपनी ब्रा और पैन्टी को उतार कर खड़ी हो गई और टोनी से चिपकते हुए बोली- जानू, तुम बताओ मैं क्या पहनूँ?



टोनी उसके होंठों को कस कर चूसने लगा और कोई दो मिनट बाद अलग करते हुए बोला- जान तुम और आकांक्षा दोनों ही शार्ट स्कर्ट और टॉप पहन कर चलो। मेरे पास तो थी नहीं, तो मीना ने मुझे अपना एक सेट निकाल कर दिया और मैं उसे पहन कर तैयार हो गई।

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रितेश और टोनी ने बरमुडा और टी-शर्ट पहन ली। हम सभी चल पड़े।



मॉल पहुँच कर हम सभी घूम रहे थे कि टोनी रितेश का हाथ पकड़ कर और मीना से बोला कि तुम दोनों इधर ही रहो हम दोनों अभी आ रहे हैं। इतना कहकर पता नहीं दोनों कहाँ गायब हो गये।



उन दोनों को गये पाँच सात ही मिनट बीता होगा कि मीना मुझसे बोली- यार, मुझे पेशाब आ रही है, मैं मूत कर आती हूँ तुम यहीं रहना। कह कर वो भी एक कार्नर में जाकर गायब हो गई।



मैं बिल्कुल अकेली खड़ी थी कि तभी मेरी गांड में किसी ने उंगली कर दी। मैंने पलट कर देखा तो एक लम्बा चौड़ा आदमी खड़ा था।


जैसे ही मैं मुड़ी तो मुझे आँखे मारते हुए बोला- एक रात का कितना लेती हो? बहुत मस्त माल हो तुम, अपना रेट बताओ मैं तुम्हारी चूत और गांड का मजा लेना चाहता हूं।



कहकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और एक किनारे जहां भीड़ कम थी, ले जाने की कोशिश करने लगा और मैं लगभग घसीटती सी चली जा रही थी।



मौका पाकर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरी चूचियों को कस-कस कर मसलने लगा। मेरी सांस अन्दर बाहर न तो मैं चीख पा रही थी और न ही उससे अपने आपको छुड़ा पा रही थी। लगा कि भरे बाजार मेरी इज्जत जाने वाली थी।



कहानी जारी है।
 
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तभी टोनी, रितेश और मीना तीनों ही वहां पहुंच गये और मेरे साथ कुछ हो इससे पहले उन लोगों ने मुझे बचा लिया। मैं शर्मिन्दगी के कारण किसी से नजर मिला नहीं पा रही थी, मेरे पैर भी बुरी तरह से कांप रहे थे। सभी वहां से निकल कर घर पर आ गये।



घर पहुँचते ही मेरा गुस्सा रितेश पर फूट पड़ा, मैं रितेश पर चिल्ला पड़ी और बोली- बस, अब वापस चलो… रंडी ही बना कर छोड़ना! मेरा जिस्म, चूत, गांड सब केवल तुम्हारे लिये ही थी लेकिन तुमने टोनी से भी चुदवा दिया और अब मन न भरा हो तो मुझे यहीं नंगी कर दो और आने जाने वालों से मुझको चुदवा दो।



तभी मीना ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरी पीठ सहलाते हुए मुझे शांत करने लगी। धीरे-धीरे मेरा गुस्सा शांत हुआ।



तब मीना बोली- देखो आकांक्षा, केवल तुम ही नहीं हो जो टोनी से चुद रही हो, मैं भी तो रितेश से चुद रही हूँ। और जब हमारे होनेवाले पति को कोई ऐतराज नहीं तो फिर किसी के ऐतराज से हमें चिन्ता नहीं होनी चाहिए। टोनी के साथ जब भी मैं बाहर कही जाती हूँ तो टोनी मेरी गांड को जानबूझ कर सहलाता है, ताकि लोगों की नजर मुझ पर पड़े। कई बार टोनी की इस हरकत के वजह से मेरी गांड में भी लोगों ने उंगली कर दी।



शुरू-शुरू में मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन टोनी ने बताया कि उसे वाईल्ड सेक्स बहुत पसंद है और इस तरह के सेक्स के साथ वो जीवन जीना चाहता है। उसका कहना है कि जब एक आदमी कई औरतों को चोद सकता है और उसका लंड घिसता नहीं तो अगर एक औरत भी अपनी इच्छानुसार मर्द से चुदे तो कौन सी उसकी चूत और गांड में अन्तर हो जायेगा।



जब मुझे उसकी बात समझ में आई तो हमारी दुनिया ही बदल गई। और यह नहीं है कि टोनी ही जिसको सेलेक्ट करे उसी से मैं चुदूँ। इसलिये हम लोग नेट यूज करने लगे।और जो कपल में हम दोनों की रजामन्दी होती है उसी के साथ हम अपने रिश्तों को बढ़ाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि मुझे कोई मर्द पसंद आया पर उसकी औरत टोनी को नहीं पसंद है तो भी टोनी उस औरत के साथ मेरे लिये रिलेशन बनाता है और इसी तरह मैं भी टोनी का ध्यान रखती हूँ। हम दोनों दिनभर जॉब करते हैं और रात को मजा लेते है।



तभी रितेश बोला- हम दोनों में कौन ज्यादा पसंद था?



टोनी ने उत्तर दिया- तुम दोनों ही पसंद थे क्योंकि दोनों ही कुंवारे थे और तुम दोनों को ही चुदाई का खेल नहीं आता था।



तभी मैं बीच में बोल पड़ी- जब मैं यहाँ आई तो एक अच्छी खासी चुदी हुई लड़की हूँ।



तभी टोनी मेरे पास आया और मेरे पीछे घुटने के बल बैठते हुए और मेरी गांड को सहलाते हुए बोला- हाँ, अब तुम चुदी हुई जरूर हो लेकिन पहली बार जब हम लोग वेब कैम पर थे तो तुम दोनों ही कुंवारे थे और तुम लोगों को कुछ नहीं मालूम था और अब से पहले जितनी बार तुम चुदी होगी वो केवल रितेश से ही चुदी होगी।



इतना कहकर टोनी मेरी गांड की फांकों को फैलाते हुए छेद में अपनी जीभ घुसेड़ दी।

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आज से पहले रितेश मुझे चोदते समय मेरी गांड में उंगली करता था और मैं उसे झिड़क देती थी क्योंकि मुझे ये सब पसंद नहीं था, लेकिन आज टोनी के इस तरह से मेरी गांड चाटने का मुझे एक अलग सा आनंद मिल रहा था।



तभी टोनी ने इशारा करते हुए रितेश को पास बुलाया और मेरी चूत को सहलाते हुए उसे चाटने के लिये बोला।



अब रितेश भी मेरे सामने घुटने के बल बैठ गया, मेरी चूत में उसने अपनी जीभ लगा दी और बीच बीच में वो अपने हाथों का प्रयोग करता पर मीना ने रितेश के हाथ को पीछे बांध दिया।



अब रितेश बिल्कुल एक कुत्ते की तरह मेरी चूत चाट रहा था।

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मीना अपने होंठों पर उंगली रखकर दो मिनट कुछ सोचती रही और फिर एकाएक मेरी चूचियों को कस कस कर मसल रही थी। वो मेरी चूची को कसकर मसलती अपने दाँतों से मेरे निप्पल को काटती और फिर मुँह में रख कर उसको पीती।



कसम से मुझे पहली बार वो एहसास हो रहा था जिसका मैं बखान नहीं कर सकती। गांड में सुरसुराहट, चूत में सुरसुराहट… मतलब मेरे पूरे जिस्म में एक खलबली सी मची हुई थी।



काफी देर तक सभी एक पोजिशन में थे और मैं करीब तीन बार पानी छोड़ चुकी थी और हर बार तीनों लोग मेरा पानी पी लेते।



मीना भी काफी उत्तेजित थी, वो भी पानी छोड़ रही थी और अपने हाथ से अपनी चूत का पानी लेती और मेरे मुंह के पास लाती और उसके पानी को मुझे चाटना पड़ता।



टोनी का घर अब किसी रंडी खाने से कम नहीं था उस समय।



रितेश की तो हालत और भी खराब थी। टोनी फिर भी मेरी गांड चाटते हुए अपने हाथ से अपने लंड को भी सम्भाल रहा था पर रितेश का हाथ बंधा था और उसका शरीर अकड़ रहा था।



उसकी हालत और पतली होती जा रही थी तो मैंने मीना से उसके हाथ को खोलने के लिये कहा।



जैसे ही मीना ने उसका हाथ खोला तो रितेश का हाथ सीधा उसके लंड पर गया और वो कस-कस कर मुठ मारने लगा और दो मिनट बाद रितेश ही खलास हो गया और फिर सभी मुझसे अलग हो गये।
 
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दोनों मर्दों का माल नीचे जमीन पर गिरा पड़ा था और लंड सिकुड़ चुका था। तब मैं टोनी के सिकुड़े लंड को साफ करने लगी और उधर मीना रितेश के लंड को साफ करने लगी।



उसके बाद मीना घुटने के बल रेंग कर उस जगह पहुँची जहां पर रितेश का माल गिरा पड़ा था और मुझे भी इशारे से उसी तरह आने के लिये कहा जैसा मीना ने किया था।



फिर हम दोनों ने ही जमीन पर गिरे माल को कुतिया की तरह चाट कर साफ किया।

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उसके बाद हम दोनों ही मतलब मैं और मीना अपने-अपने प्रेमी मतलब कि मैं रितेश से चिपक गई और मीना टोनी से चिपक गई और एक बार फिर चूमा-चाटी का दौर शुरू हो चुका था।



करीब आधे घंटे तक अदल-बदल कर चूमा चाटी चलती रही।



दोनों के लंड टाईट हो चुके थे और हम दोनों की चूतो में खुजली हो चुकी थी जिसको अब केवल लंड से ही मिटाया जा सकता था।



खैर दोनों बारी-बारी से हम दोनों को चोद रहे थे और दोनों अपनी ताकत का अहसास करा रहे थे कि दोनों में से पहले कौन फिनिश होता है।

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उन दोनों के इस खेल से हम दोनों की चूत का बाजा बज चुका था। अच्छी खासी चूत चुदाई चल रही थी कि अचानक टोनी की जब बारी मुझे चोदने के लिये आई तो उसने मुझे एक बार फिर कुतिया की पोजिशन में आने के लिये कहा।



चूँकि सुबह से ही मैं एक दो बार इस पोजिशन में आकर रितेश और टोनी के लंड को अपनी चूत में ले चुकी थी इसलिये बिना हिचके मैं कुतिया बन गई।



मेरे कुतिया बनते ही टोनी मेरी गांड को अपने लंड से रगड़ने लगा और मेरी गांड के अन्दर अपने लंड को डालने की कोशिश करने लगा। मैं चिहुंकी और तुरन्त खड़ी हो गई और टोनी से गांड न मारने की बात बोली तो टोनी ने कहा- यार जब छेद बना है तो लंड डलवा लो।



मेरे मना करने के बाद भी वो मेरी गांड मारने के लिये जिद करने लगा। टोनी जिद तो कर ही रहा था रितेश भी उसको बढ़ावा दे रहा था। हो सकता हो उसे मेरा वादा न याद रहा हो, इसलिये वो टोनी के हाँ में हाँ मिला रहा था।



मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ क्योंकि मैं चाहती थी कि रितेश ही मेरी गांड का उदघाटन करे और मैं ये सीधे सीधे बोल नहीं सकती थी… तो न चाहते हुए भी टोनी मेरी गांड मार लेता।



तभी मेरे मुँह से निकला- टोनी डार्लिंग, मैं चाहती थी कि मेरी चूत की सील शादी के बाद टूटे, पर रितेश के प्यार के करण वो समय से पहले टूट गई। लेकिन मैं चाहती हूँ कि जब मेरी और रितेश की शादी हो तो सुहागरात में मैं कम से कम मेरी गांड के कोरेपन का तोहफ़ा रितेश को दूँ। नहीं तो सुहागरात का कोई आनंद नहीं रह जायेगा।



मेरी बात से मीना सहमत हो गई और उसने टोनी को मेरे लिये मना लिया लेकिन टोनी ने हम दोनों को पूरे कपड़े पहनने के लिये कहा। हम सभी लोग टोनी से पूछते रहे क्या हुआ, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया और जिद पर अड़ गया कि मुझे और मीना को पूरे कपड़े पहनने ही है।



टोनी की जिद पर हार कर हमने अपने कपड़े पहन लिए। फिर उसने एक इंग्लिश म्यूजिकल सांग लगा दिया और हम दोनों से बोला कि यह म्यूजिकल गाना पन्द्रह मिनट का है और इस गाने पर हम दोनों को डांस करना है, डांस करते-करते अपने एक-एक कपड़े उतारने हैं और उसे (टोनी) और रितेश को उत्तेजित करना है।



मीना तुरन्त तैयार हो गई पर मुझे पता नहीं था कि कैसे करना है। मैंने इशारो ही इशारों में मीना से पूछा तो मीना बोली कि जैसे वो करे उस देख कर वो करती रहे।

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रितेश और टोनी सोफे पर बैठ गये।



मीना मुझसे चिपक कर अपने एक हाथ को मेरे कमर पर रख कर अपनी कमर को मटकाने लगी। अब उसके हाथ धीरे-धीरे मेरे पिछवाड़े चलने लगे और मैं भी समझने के बाद मीना के पिछवाड़े को सहलाने लगी। कभी मेरा पिछवाड़ा उन दो मर्दों के सामने होता तो कभी मीना का।



मीना के अगले स्टेप में वो मेरी स्कर्ट को ऊपर करती और मेरी पैन्टी को हल्का सा नीचे करके मेरे चूतड़ को सहलाती और फिर पैन्टी ऊपर कर देती। जिस तरह से वो करती, उसी तरह मैं भी करती।



दोस्तो, मैं केवल मीना के स्टेप को बता रही हूँ और आप सभी मेरे चाहने वाले यह समझ लेना कि जो स्टेप मीना ने मेरे साथ किया था उसी स्टेप को मैंने दोहराया है।



फिर मीना ने मेरे टॉप को ऊपर करके ब्रा का हुक खोल दी और फिर मेरी टॉप भी उतार दी।

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अब हम दोनों कमर के ऊपरी हिस्से में नंगे हो चुके थे।

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मेरी और मीना की चूची आपस में चिपकी हुई थी
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और मीना मेरे होंठों का रसास्वादन कर रही थी कि अचानक मीना ने मुझे घुमा दिया। अभी तक मेरा पिछवाड़ा दोनों के सामने था, लेकिन अब मेरी उछलती हुई चूचियाँ उन दोनों के सामने थी।


मीना ने मेरे दोनों हाथ को ऊपर हवा में उठा कर अपने कंधे में रख लिए और मेरी चूचियों से खेलने लगी। वो बीच-बीच में मेरे कानों को काटती तो कभी मेरे कंधे को चूमती, मेरी घुमटियों को मसलती।
 
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फिर झटके से मीना ने मेरी स्कर्ट को भी उतार दिया। अब हम दोनों ही केवल पैन्टी में थी और एक दूसरी से चिपकी हुई थी और एक दूसरे के चूतड़ को सहला रहे थे। ऐसा करते करते कब हम दोनों के जिस्म से पैन्टी भी उतर गई पता नहीं चला।



फिर हम दोनों इस तरह से झुक गई कि उन दोनों को हमारे गांड और चूत एक साथ दिखाई पड़े।

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हम बैले डांस की तरह अपने चूतड़ हिला ही रही थी कि अचानक टोनी ने म्यूजिक को पॉज कर दिया और दो दुपट्टे को हम दोनों की तरफ उछालते हुए सलमान स्टाईल में डांस करने के लिये बोला।

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हमने दुपट्टा उठाया और अपनी टांगों के बीच फंसा कर अपनी चूत को उस दुपट्टे से रगड़ने लगी।

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इधर हम लोग दुपट्टे से अपनी चूत रगड़ रहे थे उधर रितेश और टोनी अपने-अपने लंडों को मसल रहे थे।



हम चारों लोग अगले दो दिनों तक टोनी के घर पर इसी मस्ती के साथ लंड चूत का खेल खेलते रहे और चुदाई के नये-नये तरीके सीखते रहे।



कुल मिला कर यह ट्रिप बहुत ही अच्छा था। हम लोग भी इस खेल में माहिर हो चुके थे।



जब हम लोग दिल्ली से लौट रहे थे तो रास्ते में लोगों की नजर बचा कर कभी मैं रितेश के लंड को दबा देती और कभी रितेश मेरी चूची को दबा देता या फिर मेरी चूत के साथ छेड़खानी कर देता।



पब्लिकली ऐसा करने में भी एक आनंद सा मिल रहा था। मेरे साथ कहानी की शुरूआत हो चुकी थी और रितेश के अलावा पहला गैर मर्द टोनी था जिसने मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दी।


और उस दिन से एक बात समझ में आई कि हम औरतों के पास ऊपर वाले की दी वो नियामत है जिसके बल पर वो जिन्दगी के मजे भी लूट सकती हैं और चाहे मर्द कैसा भी हो, उसे अपना गुलाम बना सकती हैं।



मेरी इसी उधेड़बुन में मेरा अपना शहर कब आ गया मुझे पता ही नहीं चला। हम लोग वापस अपने घर आ गये।



कहानी जारी है।
 
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अब मैं और रितेश एक-दूसरे की जरूरत बन गये थे, मुझे जब खुजली होती तो मैं अपनी खुजली मिटाने उसके घर पहुँच जाती और जब उसको मेरी चूत चाहिये होती तो वो मेरे घर आ जाता।



हम दोनों के माँ-बाप भी हम दोनों की शादी के लिये तैयार हो गये थे और हमारे सेमेस्टर कम्पलीट होने की राह देख रहे थे। अब तक हम दोनों एक दूसरे के घर के सभी सदस्य से अच्छी तरह से परिचित हो चुके थे।



रितेश के घर में उसके माँ ही एक महिला के रूप में थी, बाकी सभी मर्द थे। मेरे होने वाले ससुर जो एक रिटायर आर्मी मैन थे और काफी लम्बे चौड़े थे। बाकी रितेश से छोटे उसके दो भाई, एक बडी बहन जिसकी शादी हो चुकी थी और उनके पती एक पुलिस वाले थे और वो भी एक बलिष्ठ जिस्म का मालिक थे और शादी से पहले ही मुझसे वो खुल कर हँसी मजाक करते थे। मतलब कि वलगर… और उसकी इस वलगर हँसी मजाक का जवाब भी मैं उसी तरह दिया करती थी।



खैर इसी तरह हमने अपने सेमेस्टर को कम्पलीट कर लिये और एक अच्छी कम्पनी ने कैंपस इन्टरव्यू में हम दोनों को सेलेक्ट भी कर लिया था और इत्तेफाक से हमारी जॉब भी हमारे शहर में हो गई थी, इस कारण हम लोगों को शहर भी नहीं छोड़ना पड़ा।



करीब छः महीने की जॉब के बाद हमारे परिवार वालों ने हमारी शादी कर दी। जिसमें टोनी और मीना भी शामिल होकर हम लोगों को हमारे नये जीवन शुरू करने की बधाई दी।



शादी में एक बात जो मैंने नोटिस की कि रितेश के जीजा जिनका नाम अमित था वो मेरे आगे-पीछे घूम रहे थे, रितेश को रह रह कर चिढ़ा रहे थे और मुझे किसी न किसी बहाने टच करने की कोशिश कर रहे थे।



खैर शादी के झंझटों से निपटने के बाद वो रात भी आई जिसका मैं अपने कुँवारेपन से इन्तजार कर रही थी।



मैं सज संवर कर अपने कमरे मैं बैठी हुई थी और अपने पिया का इंतजार कर रही थी कि अमित कमरे में आ गया और रितेश को लगभग मेरे उपर धकेलते हुए बोला- लो सँभालो अपने मियाँ को… अगर मेरी जरूरत हो तो बताना।



जाने से पहले रितेश को आँख मार कर बोले- साले साहब दूध पीने में जल्दी मत करना नहीं तो मजा खराब हो जायेगा। और फिर मुझे बोले- तुम भी मेरे साले को दूध अच्छी तरह से पिलाना… अगर बच गया तो मैं आकर पी जाऊँगा।



शायद अमित की यह बात सुनकर रितेश थोड़ा झिझक गया और अमित को थोड़ा सा धकियाते हुए बोला- जीजा, अब जाओ ना!



अमित ने एक बार फिर रितेश को आँख मारी और कमरे से बाहर चला गया। रितेश ने कमरे को बन्द कर लिया।



रितेश के पास बैठते ही मैं हल्के गुस्से के साथ बोली- यार, तुम्हारा जीजा मुझे सही आदमी नहीं लगा। पूरी शादी में वो मुझे टच करने की लगातार कोशिश करता रहा और अब ये द्विअर्थी बाते कि दूध अच्छी तरह से पिलाना नहीं तो मैं पी जाऊँगा।



रितेश हंसा और मेरी चूची को कस कर दबाते हुए बोला- ठीक ही तो कह रहा था… देखो अपनी चूची को, कितनी बड़ी और मस्त हो गई है, कोई भी इसको पीने के लिये मचलेगा ही ना!



जब रितेश ने ऐसी बात बोली तो मैं भी उसे चिढ़ाने की गरज से बोली- फिर दूध पूरा ही पी लेना, नहीं तो तुम्हारे जीजा को पिला दूँगी।



‘मुझे कोई ऐतराज नहीं… पर कोई मुझे अपना दूध पिलायेगी तो फिर तुम क्या करोगी?’



उसकी इस बात को सुनकर मैंने बड़े प्यार से रितेश को चूमा और बोली- जब कोई मेरा दूध पी सकता है और तुम्हें ऐतराज नहीं तो फिर कोई तुम्हें अपना दूध पिलाये तो मुझे भी ऐतराज नहीं।



हम लोगों ने एक दूसरे को वचन दिया कि हम दोनों कभी भी किसी से कोई बात नहीं छिपायेंगे। बात करते-करते कब हम दोनों के कपड़े हमारे जिस्म से गायब हो गये पता ही नहीं चला, हम बिल्कुल नंगे हो चुके थे।



रितेश का हाथ मेरी चूत को सहला रहा था और मेरे हाथ में रितेश का लंड था।



मेरी चूत हल्की सी गीली हो चुकी थी। रितेश ने मुझे बाँहों में जकड़ रखा था और मेरी पीठ को और चूतड़ को सहला रहा था।



सुहागरात से पहले मैं रितेश से कई बार चुद चुकी थी, लेकिन आज रितेश के बाँहों में मुझे एक अलग सा आनंद मिल रहा था और मैं अपनी आँखें मूंदे हुए केवल रितेश के बालों को सहला रही थी।



रितेश मुझसे क्या कह रहा था, मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था, मुझे आज अपनी चुदी हुई चूत एक बार फिर से कुंवारी नजर आ रही थी।



तभी रितेश मेरे कान में बोला- आकांक्षा… मेरी जान, आज तुम्हें तुम्हारा वादा पूरा करना है। आज तुम्हारी गांड चुदने वाली है।



मैंने भी बहुत ही नशीली आवाज में कहा- जानू, ये गांड ही क्या, मैं तो तब भी पूरी तुम्हारी थी और आज भी तुम्हारी हूँ। तुम एक हजार बार मेरी गांड मार लो, मैं उफ भी नहीं करूँगी। बस शुरुवात मेरी चूत से ही करना।



मेरी बात सुनते ही उसने मुझे धीरे से बिस्तर पर सीधा लेटा दिया और मेरी चूची चूसते हुए उसने मेरी नाभि में अपनी जीभ घुसेड़ दी और धीरे धीरे मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा, मेरी चूत को सूँघने लगा और अपनी जीभ मेरी चूत पर लगा दी।

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आज पहली बार पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैंने रितेश को अपनी चूत से अलग कर दिया।


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मैं नहीं चाहती थी कि मेरी पनियाई हुई चूत को वो चाटे। मुझे बड़ा अजीब लग रहा था।



लेकिन रितेश को पता नहीं क्या हुआ, उसने मेरे दोनों हाथों को कस कर पकड़ा और अपनी जीभ को मेरी चूत से सटा दिया। मैं छटपटा रही थी पर अपने आपको रितेश से छुड़ा नहीं पा रही थी।



वो मेरी चूत को चाटता ही जा रहा था। मैं अपना होश खो रही थी और रितेश के आगे अपने आपको समर्पण करने लगी।


अब मेरी टांगें खुद-ब-खुद खुल गई, मेरे हाथ अब रितेश के सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर और दबाव दे रहे थे।


थोड़ी देर तक वो मेरी चूत चाटता रहा और फिर उठा और एक झटके में उसने बड़ी तेजी के साथ अपने लंड को मेरी चूत की गुफा में प्रवेश करा दिया।

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अचानक हुए इस हमले से मेरी चीख निकल गई। तभी रितेश के बहन-बहनोई की आवाज आई सील टूट गई। रितेश मुझे देखकर मुस्कुराने लगा। मैं भी समझ गई थी कि रितेश ने ऐसा क्यों किया। वो जानता था कि उसके जीजा और बहन बाहर खड़े होकर मेरी चीख का बेसबरी से इन्तजार कर रहे होंगे।



एक तेज झटका मारने के बाद रितेश मेरे ऊपर लेट गया और मुझसे बोला- यह तरीका टोनी ने मुझे बताया था।



उसके बाद हम दोनों फिर गुत्थम-गुत्था हो गये और रितेश मुझे तेज धक्के लगाता रहा। धक्के लगाने के बीच में कभी मेरी चूत को चाटता तो कभी मेरे मुँह में लंड डाल देता।



मैं बिस्तर पर सीधी लेटी रही और वो मुझे चोदता रहा, मेरी चूचियों को मसलता रहा। अब उसके धक्कों की स्पीड बढ़ती जा रही थी कि अचानक उसका शरीर अकड़ने लगा और फिर निढाल होकर मेरे ऊपर गिर पड़ा।



ठीक उसी समय मुझे भी ऐसा महसूस हुआ कि मेरे अन्दर से कुछ बाहर आ रहा है। हालाँकि रितेश के गर्म गर्म माल को भी मैं महसूस कर सकती थी।



थोड़ी देर तक मेरे ऊपर लेटे रहने के बाद वो मुझसे अलग होकर मेरे बगल में सीधा लेट गया। उसके मेरे ऊपर से हटते ही मेरा हाथ चूत पर चला गया और मेरी उंगलियों पर चिपचिपा सा लग गया।



मैंने चादर से ही अपनी चूत साफ की और रितेश के लंड को शादी वाली साड़ी जो मेरे बगल में पड़ी थी, उससे साफ किया। उसके बाद मैंने अपनी टांग रितेश के ऊपर चढ़ा दी और उसके सीने पर अपना सर रख दिया।



वो मेरे बालों को सहलाता रहा, मेरी उंगलियाँ उसकी छाती के बालों को सहला रही थी। हम दोनों के बीच एक खामोशी सी थी।



इस समय रितेश में बिल्कुल भी हरकत नहीं थी, वो निढाल सा पड़ा हुआ था। मैं ही उसके सीने के बालों से खेल रही थी और बीच में उसके निप्पल को काट लेती थी। वो चिहुँक उठता और मुझे हल्की सी चपत लगा देता।



थोड़ी देर ऐसा करते रहने के बाद रितेश अब मेरी तरफ मुड़ा और मेरी टांग़ को अपने कमर के उपर रख दिया और अपने होंठों को मेरे होंठो से सटा दिया।



अपने हाथों का इस्तेमाल वो बड़ी अच्छी तरीके से कर रहा था, मेरे चूतड़ सहलाता, मेरी गांड के छेद को कुरेदता, चूत में उंगली करता और दाने को मसल देता, जिसके कारण हल्की सी चीख निकल जाती थी।



थोड़ी देर तक तो ऐसे ही चलता रहा। फिर हम दोनों 69 की पोज में आ गये, वो मेरी चूत और गांड चाटता रहा और मैं उसके लंड को लॉलीपॉप समझ कर चूसती रही और उसके अंडों से खेलती रही।

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उसने मेरी गांड चाट-चाट कर काफी गीली कर दी और उसमे उंगली कर दी। उंगली करते करते रितेश बोला- अब असली सुहागरात होने वाली है, अब तुम्हारी गांड का उदघाटन करूंगा।



मैं भी उसके हौंसले को बढ़ाते हुई बोली- मेरी जान, मैं भी कब से चाह रही हूँ… मेरी गांड में अपना लंड डालो।



तभी उसने मुझे अपने से अलग किया। मैं भी पलंग से उतर कर अपने हाथों को पलंग पर इस तरह से सेट करके झुक कर खड़ी हो गई कि मेरी गांड हल्की सी खुल जाये। इसी बीच रितेश ने ढेर सारी क्रीम मेरे गांड में मल दी और लंड को एक झटके से डाल दिया।

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पहली बार की तरह इस बार उसका लंड अपने जगह से नहीं भटका। मुझे अहसास हुआ की उसके लंड का कुछ हिस्सा मेरी गांड में धंस चुका है।

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मेरे मुँह से चीख निकलने वाली थी लेकिन अपने आपको संयम में रखते हुए अपने होंठो को मैंने भींच लिया ताकि आवाज बाहर न जा सके।



मुझे अहसास भी था कि जिस तरह जब पहली बार मेरी चूत चुदी तो मुझे कितना दर्द हुआ था, लेकिन बाद मैं चुदाई का बहुत मजा आने लगा, इसलिये इस दर्द को भी मैं बर्दाश्त कर रही थी।



इधर रितेश को भी मालूम था कि कैसे गांड में लंड डालना है।


इसलिये वो जब भी मेरे मुंह से हल्की भी आवाज सुनता तो रूक जाता और फिर मेरी पीठ को चाटता और मेरी चूची को मसलता।



इस तरह करीब तीन बार करने से उसका लंड पूरी तरह से मेरी गांड में चला गया था। अब धीरे-धीरे उसके लंड की स्पीड बढ़ती जा रही थी और मेरे गांड का छेद भी खुलता जा रहा था।

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कोई चार से पांच मिनट तक रितेश धक्के लगाता रहा और फिर उसका गर्म गर्म माल मेरी गांड के अन्दर गिरने लगा।

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मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था पर मजा भी बहुत आया।



आज की चुदाई की खास बात यह थी कि न तो रितेश और न ही मैंने एक दूसरे के माल को चखा। लेकिन एक ऐसी घटना घटी की न चाहते हुये वो करना पड़ा, जिसकी पक्षधर न तो मैं थी और न ही रितेश!



हुआ यूँ कि चुदने के बाद मुझे पेशाब बहुत तेज लगी थी। मैंने रितेश को यह बात बताई तो उसने भी बताया कि उसे भी पेशाब लगी है। लेकिन समस्या यह थी कि कमरे में अटैच बाथरूम नहीं था और मूतने के लिये बाहर जाना था।


और अगर मैं कपड़े पहनने से समय गवांती तो मेरी मूत वहीं निकल जाती।



मेरे जिस्म की हरकत बता रही थी कि मैं एक सेकेण्ड भी बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। रितेश ने मेरी दशा को समझते हुए तुरन्त ही मुझे चादर इस प्रकार औढ़ा दी कि कहीं से मेरा जिस्म खुला न दिखे और खुद उसने जल्दी से लोअर पहन लिया।



फिर रितेश ने दरवाजे की कुंडी खोल दी। पर यह क्या… दरवाजा बाहर से भी बंद था। किसी ने दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया।



अब मेरे बर्दाश्त से बाहर था और हल्के सा मूत चूत के बाहर निकल चुका था और देर होने की स्थिति में मेरे अन्दर का तूफान पूरे वेग से बाहर निकल सकता था।



रितेश ने बहुत कोशिश की पर दरवाजा नहीं खुला।



हारकर रितेश ने मुझे सुझाव दिया कि मैं कमरे में ही मूत लूँ, लेकिन कमरे में मूतने पर बाद जो उससे बदबू आती तो वो भी सुबह हमारा मजाक बनता।



कोई रास्ता न देख रितेश घुटने के बल नीचे बैठ गया और मेरी चूत के सामने अपना मुंह खोल दिया और मेरी गांड को सहलाते हुए मुझे मूतने का इशारा किया।



मैं क्या करूँ, इससे पहले मैं समझती कि मेरी चूत ने धार छोड़ दी जो सीधा रितेश के मुँह के अन्दर जाने लगी। रितेश बड़े ही प्यार के साथ मेरे पेशाब को पी गया।

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मुझे गुस्सा भी बहुत आ रहा था, पता नहीं मेरे दिमाग में यह बात कहाँ से आई कि हो न हो रितेश के जीजा अमित ने ही बाहर से कमरा बंद किया है। मैंने रितेश को यह बात बताई तो उसने भी हामी भरी।



मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था, उसी गुस्से में मैंने रितेश को बोला- जब भी मुझे मौका लगा तो इसी तरह तेरे जीजा के मुँह में भी मूतूंगी।



रितेश मुस्कुराया और मुझे चिपकाते हुए बोला- मूत लेना यार… अभी क्यों गुस्सा कर रही हो, अपनी सुहागरात का मजा लो।



तभी मुझे ध्यान आया कि रितेश को भी पेशाब लगी थी। अगर रितेश मेरी मूत पी सकता है तो मैं भी उसकी मूत पी सकती हूँ।



ऐसा सोचते ही मैं तुरन्त अपने घुटने के बल पर आ गई और उससे मूतने के लिये बोला। तो रितेश ने मना कर दिया और बोला- मैं बर्दाश्त कर लूंगा और सुबह मूत लूँगा।



लेकिन मैं नहीं मानी और रितेश को मूतने के लिये जिद करने लगी। मेरी जिद के आगे रितेश हार गया और मेरे मुँह में धीरे-धीरे मूतने लगा।

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फिर हम दोनों बिस्तर पर आ गये।



रितेश मुझे अपने से चिपकाते हुए बोला- जानू, आज के बाद जब भी मैं घर पर रहूँ, तुम पैन्टी ब्रा नहीं पहनोगी। मैंने भी हामी भर दी।



फिर मैंने अपनी ब्रा और पैन्टी को एक किनारे कर दिया और बाकी के कपड़े पहन कर सोने की कोशिश करने लगी।



न तो मुझे और न ही रितेश को नींद आ रही थी, हम एक-दूसरे की बाहों में पड़े हुए यही सोच रहे थे कि ऐसी हरकत की किसने होगी। करवट बदलते बदलते पूरी रात बीती और जैसे ही सुबह हुई, रितेश ने दरवाजा खुलवाया।



कहानी जारी रहेगी।
 

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