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साधना तैयार होकर नास्ता करने के बाद नैना के साथ उसकी स्कूटी में कॉलेज के लिए निकल गयी। आज भी कॉलेज पहुँचने पर सब कुछ वैसा ही था जैसा कि हर रोज़ होता है। कई दिल फ़ेंक आशिक़ अपना दिल थामे दोनों के दीदार में ऑंखें बिछाए खड़े थे। दोनों ने उन्हें इग्नोर करते हुए कॉलेज परिसर में प्रवेश किया और स्कूटी पार्क करके वापिस पलटी ही थी कि तभी....
साधना किसी से टकराकर नीचे गिर गयी।
"आह्हः..! " गिरते ही उसके मुंह से कराह निकल गयी।
"अरे साधना, क्या हुआ..?" नैना ने उसे उसकी कराह सुनकर कहा।
साधना उठ कर खड़ी हुयी और सामने देखा तो एक लड़का खड़े उसे ही एकटक घूरे जा रहा था। ये देख दोनों जल भुन कर तिलमिला गयी।
"ये मिस्टर, अंधे हो क्या...देख के नहीं चल सकते...ऊपर वाले ने ऑंखें तो गाड़ी की हेड लाइट जैसी दी हैं फिर भी नहीं दिखता...और ये ऐसे घूर क्या रहे हो ...?" नैना ने उसको घूरते हुए देख कर लम्बा चौड़ा भाषण सुना दिया।
"ओह्ह..आई ऍम वेरी वेरी सॉरी ...मैं जरा जल्दी में था तो ध्यान नहीं गया..सॉरी " लड़के ने नैना की लताड़ से होश में आते ही माफ़ी मांगी।
"कोई बात नहीं यार चल जाने दे...हमें क्लास के लिए लेट हो रहा है." साधना ने बात को आगे बढ़ने से रोकने की नीयत से कहा।
"अरे, तुम नहीं जानती अभी ऐसे लड़को की फितरत को..? ये सब इनका ड्रामा रहता है ..लेकिन इनकी ये दाल मेरे सामने नहीं गलेगी " नैना ने फिर से उस लड़के की तरफ आंखे दिखते हुए खरी खोटी सुनाई।
"चल छोड़ न यार, तू तो कही भी शुरू हो जाती है...अब माफ़ी तो मांग ली न उसने...बात को क्यों बढ़ा रही है जबरन...?" साधना ने नैना को खींचते हुए कहा।
"देखो मैं कोई जान बुझ कर नहीं टकराया था..वो तो बस गलती से हो गया जिसकी मैंने माफ़ी भी मांग ली है..." लड़के ने अपनी सफाई दी।
"ये चल निकल ले यहाँ से अब वरना काट दूंगी " नैना ने अपने बैग से ब्लेड निकल के दिखा कर धमकाया।
"चल यहाँ से, जब देखो लड़ने के मूड में रहती है " साधना ने अब की बार नैना का हाथ पकड़ कर अपने साथ क्लास की तरग खींच ले गयी।
"ओह माय गॉड..बड़ी खतरनाक लड़की है ये तो...पिछले जनम में जरूर ये खून पीने वाली चुड़ैल रही होगी….लेकिन दूसरी वाली बहुत प्यारी थी और सुन्दर भी.. " उन दोनों के जाते ही उस लड़के ने मन में सोचते हुए राहत की सांस ली।
वो लड़का साधना को जाते हुए तब तक देखता रहा जब तक की वह उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गई। आज पहली बार किसी लड़की को देख कर उसके दिल में हलचल पैदा हो रही थी। दोनों के जाने के बाद कुछ देर तक वह वही खड़ा उनके जाने की दिशा में अपलक देखता रहा शायद इस चाह में की काश एक बार उस लड़की का चेहरा दुबारा नज़र आ जाये किन्तु जब काफी समय तक निहारने के बाद भी उसके दिल की ये तमन्ना पूरी नहीं हुई तो वह भी अपनी क्लास में चला गया।
क्लास में लेफ्ट और राइट दोनों साइड दस दस पंक्तियों में बेंच लगी हुई थी। वो जाकर अंतिम बेंच पर बैठ गया मगर उसका मन आज उसके बस में नहीं था, न चाहते हुए भी वह उस लड़की का खूबसूरत चेहरा भूल नहीं पा रहा था।
थोड़ी ही देर में प्रोफेसर आ क्लास में गया और उसके बाद अटेंडेंस लेना शुरू कर दिय। किन्तु तभी जानी पहचानी किसी की आवाज़ सुनते ही वह चौंक गया और उधर देखने लगा और फिर देखते ही उसका दिल जो की मुरझाया हुआ था वह अचानक ही ख़ुशी से झूमने लगा। साधना और नैना फर्स्ट बेंच पर बैठी हुयी थी।
"नैना .." प्रोफेसर ने अटेंडेंस लेते हुए नाम पुकारा।
" प्रेजेंट सर "
" साधना '
"प्रेजेंट सर "
"पूजा "
"प्रेजेंट सर"
...............
..............
"राहुल '
"ओह, तो इसका नाम साधना है और उस चुड़ैल का नैना.." उसने नाम सुन कर सोचा।
"राहुल" प्रोफेसर ने कोई जवाब न मिलने पर दुबारा नाम पुकारा।
लेकिन वो लड़का तो जिसका कि नाम राहुल था, वह तो जैसे यहाँ क्लास में होकर भी यहाँ नहीं था..उसका तन तो अवश्य मौजूद था परन्तु मन तो किसी और के ही ख्यालों में डूबा हुआ था।
" साधना..कितना सुन्दर नाम है..साधना, कितनी मीठी आवाज़ है,मेरी साधना...साधना तुम सिर्फ मेरी हो, सिर्फ मेरी " वह अभी भी अपनी इन्ही कल्पनाओं में खोया हुआ था। साधना फर्स्ट बेंच पर बैठी थी तो राहुल लास्ट बेंच पर। इस हिसाब से उसे अपने बीच ही सबसे अधिक दूरी महसूस हो रही थी। वैसे तो राहुल बहुत अच्छा लड़का था, पढाई,लिखाई,खेल,कूद हर बात में अव्वल था लेकिन आज उसका दिमाग न जाने क्यों ऐसी बचकानी हरकते कर रहा था।
"अबे, ओये राहुल, कहा खोया हुआ है..? सर कबसे अटेंडेंस में तेरा नाम पुकार रहे थे " जब प्रोफेसर के दो तीन बार नाम पुकारने के बाद भी राहुल कि तन्द्रा भंग नहीं हुयी तो उसके बगल में बैठे उसके दोस्त विक्रम ने उसे हिलाया।
"यस ..यस सर " होश में आते ही राहुल ने तुरंत हड़बड़ाते हुए उठ कर अटेंडेंस बोली हालाँकि तब तक प्रोफेसर अटेंडेंस ख़तम करके पढ़ाना भी शुरू कर चुके थे।
"व्हाट ..!" प्रोफेसर ने चौंक कर देखा साथ ही सभी स्टूडेंट्स भी।
"राहुल प्रेजेंट सर " राहुल को जैसे वर्तमान स्थिति का आभास ही नहीं था।
"अभी तक सो रहे थे क्या..? " प्रोफेसर ने डांटा।
"यस सर..नो..नो सर...प्रेजेंट सर " राहुल ने हकलाते हुए जवाब दिया।
उसकी इस हरकत पर सभी स्टूडेंट ठहाका लगाकर हंस पड़े। साधना और नैना भी उसे देखकर खुद कि हंसी नहीं रोक पायी। क्लास में अपना अच्छा ख़ासा मज़ाक बनता देख वह शर्मिंदा हो गया।
"अब खड़े क्यों हो...सिट डाउन"
"तो इस छछूंदर का नाम राहुल है " नैना ने धीरे से बुदबुदाया।
धीरे धीरे दिन बीतते गए..क्लास रूम में साधना कि हर एक हरकत पर राहुल कि नज़र होती थी..और एक लड़के पर भी कि कौन उसे देख रहा है। अब तक वो साधना का नेचर जान चूका था। शालीन, रंगीन दुनिया से बिलकुल हटके, सकारात्मक विचारों वाली, न मोबाइल का शौक और न ही इंटरनेट का।
तीनो लेबोरेटरी में प्रैक्टिकल के एक ही ग्रुप में थे इसलिए धीरे धीरे उसकी साधना और नैना से थोड़ी बहुत बात भी होने लगी थी। जैसे जैसे वक़्त का पहिया आगे बढ़ता जा रहा था, वैसे वैसे साधना कि खूबियां, उसकी सादगी, उसका भोलापन, राहुल के दिलो दिमाग पर अपना घर करती जा रही थी।
इस दौरान बहुत से लड़के साधना के पीछे दीवाने होकर पड़े थे, कईयों ने तो उसके सामने अपने प्यार का इज़हार भी कर दिया था किन्तु साधना ने किसी को तवज्जो नहीं दी। राहुल से भी वह थोड़ी बहुत जो बात करती थी वह भी सिर्फ लेबोरेटरी में प्रैक्टिकल के टाइम पर ही, वह भी केवल प्रैक्टिकल से सम्बंधित विषय पर।जबकि नैना अब भी राहुल के कान खींचने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती थी।
उसी दौरान साधना के साथ एक घटना घट गयी। एक दिन घर में कुछ आवश्यक कार्य आ जाने के कारण नैना कॉलेज नहीं जा पायी लिहाज़ा साधना को उस दिन अकेले ही कॉलेज जाना पड़ गया। यूं तो वह रोज नैना के साथ उसकी स्कूटी में ही कॉलेज जाती थी लेकिन आज उसके कॉलेज न जाने के कारण ऑटो से जाना पड़ा। वापिस आने के लिए वह काफी देर तक ऑटो का इंतज़ार करती रही बड़ी मुश्किल से एक ऑटो दिखा, तो वह जल्दबाज़ी में उस तक पहुंचने के लिए रोड क्रॉस कर ही रही थी की तभी दूसरी तरफ से आ रही एक तेज़ रफ़्तार बाइक से वह टकरा गयी। इस टक्कर में उसके सर और हाथ में काफी चोट आयी, माथे से खून भी निकलने लगा था। वह तो गनीमत थी कि राहुल उस समय कॉलेज के बाहर खड़े होकर उसको ही देख रहा था, जो कि उसका दैनिक दिनचर्या का काम हो चूका था जब तक कि वह उसकी आँखों से ओझल नहीं हो जाती थी।
साधना को टकरा कर नीचे गिरते देख कर वह तेज़ी से उसकी तरफ भागा और जब उसकी नज़र साधना के माथे से बहते खून पर पड़ी तो उसे ऐसा लगा जैसे कि उसके दिल कि धड़कन ही बंद हो जाएगी। उसने तुरंत साधना को सहारा देकर खड़ा किया और फ़ौरन ऑटो में बैठा कर डॉक्टर के पास ले जाने लगा हालाँकि साधना ने मना भी किया किन्तु उसने इस बार उसकी एक नहीं सुनी।
रास्ते में नैना का फ़ोन आया तो राहुल ने उसे सब बता दिया, सुनते ही नैना भी उनके पास क्लिनिक पहुंच गयी। इस घटना ने राहुल को दोनों के करीब ला दिया था। साधना कि माँ तो बचपन में ही गुजर गयी थी, एक छोटे बच्चे कि देख भाल करना कोई आसान काम नहीं होता, सब के समझाने पर उसके एक दो साल बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली। लेकिन कहते हैं न कि, माँ हो गयी दूसरी तो बाप हो जाता है तीसरा, ऐसा ही कुछ यहाँ साधना के साथ भी हुआ था।
एक्सीडेंट कि इस घटना के बाद साधना, नैना और राहुल आपस में काफी अच्छे दोस्त बन चुके थे। उनसे मिलने से पहले साधना के जीवन में कुछ खोखलापन सा था, एक अजीब सा खालीपन था, जिसे आज तक नैना के अलावा किसी ने महसूस नहीं किया था। स्वाभाव से वह बहुत चंचल थी, इस कारण से कॉलेज में भी और घर में भी लोगो से घिरी रहती थी। इसके बावजूद कि वो बहुत बोलती थी। उसके जीवन का एक दूसरा पहलु भी था,और अपने जीवन के उस हिस्से में आने कि इज़ाज़त उसने किसी को नहीं दी थी। बाहर से खुश दिखाई देने वाली लड़की, जिसे लोग हर पल हँसते-खिलखिलाते देखते थे, उसके बारे में ये अंदाज़ा तक नहीं लगाया जा सकता था कि वो अंदर से इतनी अकेली होगी, ढेर सारे दर्द अपने भीतर समेटे हुए होगी। उसने अपने आस-पास एक घेरा सा बना लिया था, और कोई भी उसके द्वारा बनाये गए दायरों को नहीं तोड़ सकता था।
राहुल का व्यव्हार अब साधना और नैना को भी प्रभावित करने लगा था। साधना को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था कि राहुल उसके द्वारा बनाये दायरों को तोड़ कर उसकी सोच में समाता चला जा रहा है। शुरू शुरू में उससे बात करना महज़ एक औपचारिकता थी, सहपाठी होने कि वजह से राहुल से उसकी अक्सर थोड़ी बहुत बातचीत होती रहती थी, लेकिन साधना को इस बात का इल्म तक नहीं था कि राहुल मन ही मन उसे पसंद करता था। उससे दीवानो कि तरह प्यार करता था, ये अलग बात थी कि आज तक उसने इस बात को साधना के सामने जाहिर नहीं होने दिया था।
साधना को छोटी से छोटी तकलीफ होने पर, राहुल और नैना को साधना से कही अधिक दर्द महसूस होता था, कोई ऐसे भी किसी को चाह सकता है, यकीन करने में साधना को बहुत वक़्त लगा।
साधना किसी से टकराकर नीचे गिर गयी।
"आह्हः..! " गिरते ही उसके मुंह से कराह निकल गयी।
"अरे साधना, क्या हुआ..?" नैना ने उसे उसकी कराह सुनकर कहा।
साधना उठ कर खड़ी हुयी और सामने देखा तो एक लड़का खड़े उसे ही एकटक घूरे जा रहा था। ये देख दोनों जल भुन कर तिलमिला गयी।
"ये मिस्टर, अंधे हो क्या...देख के नहीं चल सकते...ऊपर वाले ने ऑंखें तो गाड़ी की हेड लाइट जैसी दी हैं फिर भी नहीं दिखता...और ये ऐसे घूर क्या रहे हो ...?" नैना ने उसको घूरते हुए देख कर लम्बा चौड़ा भाषण सुना दिया।
"ओह्ह..आई ऍम वेरी वेरी सॉरी ...मैं जरा जल्दी में था तो ध्यान नहीं गया..सॉरी " लड़के ने नैना की लताड़ से होश में आते ही माफ़ी मांगी।
"कोई बात नहीं यार चल जाने दे...हमें क्लास के लिए लेट हो रहा है." साधना ने बात को आगे बढ़ने से रोकने की नीयत से कहा।
"अरे, तुम नहीं जानती अभी ऐसे लड़को की फितरत को..? ये सब इनका ड्रामा रहता है ..लेकिन इनकी ये दाल मेरे सामने नहीं गलेगी " नैना ने फिर से उस लड़के की तरफ आंखे दिखते हुए खरी खोटी सुनाई।
"चल छोड़ न यार, तू तो कही भी शुरू हो जाती है...अब माफ़ी तो मांग ली न उसने...बात को क्यों बढ़ा रही है जबरन...?" साधना ने नैना को खींचते हुए कहा।
"देखो मैं कोई जान बुझ कर नहीं टकराया था..वो तो बस गलती से हो गया जिसकी मैंने माफ़ी भी मांग ली है..." लड़के ने अपनी सफाई दी।
"ये चल निकल ले यहाँ से अब वरना काट दूंगी " नैना ने अपने बैग से ब्लेड निकल के दिखा कर धमकाया।
"चल यहाँ से, जब देखो लड़ने के मूड में रहती है " साधना ने अब की बार नैना का हाथ पकड़ कर अपने साथ क्लास की तरग खींच ले गयी।
"ओह माय गॉड..बड़ी खतरनाक लड़की है ये तो...पिछले जनम में जरूर ये खून पीने वाली चुड़ैल रही होगी….लेकिन दूसरी वाली बहुत प्यारी थी और सुन्दर भी.. " उन दोनों के जाते ही उस लड़के ने मन में सोचते हुए राहत की सांस ली।
वो लड़का साधना को जाते हुए तब तक देखता रहा जब तक की वह उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गई। आज पहली बार किसी लड़की को देख कर उसके दिल में हलचल पैदा हो रही थी। दोनों के जाने के बाद कुछ देर तक वह वही खड़ा उनके जाने की दिशा में अपलक देखता रहा शायद इस चाह में की काश एक बार उस लड़की का चेहरा दुबारा नज़र आ जाये किन्तु जब काफी समय तक निहारने के बाद भी उसके दिल की ये तमन्ना पूरी नहीं हुई तो वह भी अपनी क्लास में चला गया।
क्लास में लेफ्ट और राइट दोनों साइड दस दस पंक्तियों में बेंच लगी हुई थी। वो जाकर अंतिम बेंच पर बैठ गया मगर उसका मन आज उसके बस में नहीं था, न चाहते हुए भी वह उस लड़की का खूबसूरत चेहरा भूल नहीं पा रहा था।
थोड़ी ही देर में प्रोफेसर आ क्लास में गया और उसके बाद अटेंडेंस लेना शुरू कर दिय। किन्तु तभी जानी पहचानी किसी की आवाज़ सुनते ही वह चौंक गया और उधर देखने लगा और फिर देखते ही उसका दिल जो की मुरझाया हुआ था वह अचानक ही ख़ुशी से झूमने लगा। साधना और नैना फर्स्ट बेंच पर बैठी हुयी थी।
"नैना .." प्रोफेसर ने अटेंडेंस लेते हुए नाम पुकारा।
" प्रेजेंट सर "
" साधना '
"प्रेजेंट सर "
"पूजा "
"प्रेजेंट सर"
...............
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"राहुल '
"ओह, तो इसका नाम साधना है और उस चुड़ैल का नैना.." उसने नाम सुन कर सोचा।
"राहुल" प्रोफेसर ने कोई जवाब न मिलने पर दुबारा नाम पुकारा।
लेकिन वो लड़का तो जिसका कि नाम राहुल था, वह तो जैसे यहाँ क्लास में होकर भी यहाँ नहीं था..उसका तन तो अवश्य मौजूद था परन्तु मन तो किसी और के ही ख्यालों में डूबा हुआ था।
" साधना..कितना सुन्दर नाम है..साधना, कितनी मीठी आवाज़ है,मेरी साधना...साधना तुम सिर्फ मेरी हो, सिर्फ मेरी " वह अभी भी अपनी इन्ही कल्पनाओं में खोया हुआ था। साधना फर्स्ट बेंच पर बैठी थी तो राहुल लास्ट बेंच पर। इस हिसाब से उसे अपने बीच ही सबसे अधिक दूरी महसूस हो रही थी। वैसे तो राहुल बहुत अच्छा लड़का था, पढाई,लिखाई,खेल,कूद हर बात में अव्वल था लेकिन आज उसका दिमाग न जाने क्यों ऐसी बचकानी हरकते कर रहा था।
"अबे, ओये राहुल, कहा खोया हुआ है..? सर कबसे अटेंडेंस में तेरा नाम पुकार रहे थे " जब प्रोफेसर के दो तीन बार नाम पुकारने के बाद भी राहुल कि तन्द्रा भंग नहीं हुयी तो उसके बगल में बैठे उसके दोस्त विक्रम ने उसे हिलाया।
"यस ..यस सर " होश में आते ही राहुल ने तुरंत हड़बड़ाते हुए उठ कर अटेंडेंस बोली हालाँकि तब तक प्रोफेसर अटेंडेंस ख़तम करके पढ़ाना भी शुरू कर चुके थे।
"व्हाट ..!" प्रोफेसर ने चौंक कर देखा साथ ही सभी स्टूडेंट्स भी।
"राहुल प्रेजेंट सर " राहुल को जैसे वर्तमान स्थिति का आभास ही नहीं था।
"अभी तक सो रहे थे क्या..? " प्रोफेसर ने डांटा।
"यस सर..नो..नो सर...प्रेजेंट सर " राहुल ने हकलाते हुए जवाब दिया।
उसकी इस हरकत पर सभी स्टूडेंट ठहाका लगाकर हंस पड़े। साधना और नैना भी उसे देखकर खुद कि हंसी नहीं रोक पायी। क्लास में अपना अच्छा ख़ासा मज़ाक बनता देख वह शर्मिंदा हो गया।
"अब खड़े क्यों हो...सिट डाउन"
"तो इस छछूंदर का नाम राहुल है " नैना ने धीरे से बुदबुदाया।
धीरे धीरे दिन बीतते गए..क्लास रूम में साधना कि हर एक हरकत पर राहुल कि नज़र होती थी..और एक लड़के पर भी कि कौन उसे देख रहा है। अब तक वो साधना का नेचर जान चूका था। शालीन, रंगीन दुनिया से बिलकुल हटके, सकारात्मक विचारों वाली, न मोबाइल का शौक और न ही इंटरनेट का।
तीनो लेबोरेटरी में प्रैक्टिकल के एक ही ग्रुप में थे इसलिए धीरे धीरे उसकी साधना और नैना से थोड़ी बहुत बात भी होने लगी थी। जैसे जैसे वक़्त का पहिया आगे बढ़ता जा रहा था, वैसे वैसे साधना कि खूबियां, उसकी सादगी, उसका भोलापन, राहुल के दिलो दिमाग पर अपना घर करती जा रही थी।
इस दौरान बहुत से लड़के साधना के पीछे दीवाने होकर पड़े थे, कईयों ने तो उसके सामने अपने प्यार का इज़हार भी कर दिया था किन्तु साधना ने किसी को तवज्जो नहीं दी। राहुल से भी वह थोड़ी बहुत जो बात करती थी वह भी सिर्फ लेबोरेटरी में प्रैक्टिकल के टाइम पर ही, वह भी केवल प्रैक्टिकल से सम्बंधित विषय पर।जबकि नैना अब भी राहुल के कान खींचने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती थी।
उसी दौरान साधना के साथ एक घटना घट गयी। एक दिन घर में कुछ आवश्यक कार्य आ जाने के कारण नैना कॉलेज नहीं जा पायी लिहाज़ा साधना को उस दिन अकेले ही कॉलेज जाना पड़ गया। यूं तो वह रोज नैना के साथ उसकी स्कूटी में ही कॉलेज जाती थी लेकिन आज उसके कॉलेज न जाने के कारण ऑटो से जाना पड़ा। वापिस आने के लिए वह काफी देर तक ऑटो का इंतज़ार करती रही बड़ी मुश्किल से एक ऑटो दिखा, तो वह जल्दबाज़ी में उस तक पहुंचने के लिए रोड क्रॉस कर ही रही थी की तभी दूसरी तरफ से आ रही एक तेज़ रफ़्तार बाइक से वह टकरा गयी। इस टक्कर में उसके सर और हाथ में काफी चोट आयी, माथे से खून भी निकलने लगा था। वह तो गनीमत थी कि राहुल उस समय कॉलेज के बाहर खड़े होकर उसको ही देख रहा था, जो कि उसका दैनिक दिनचर्या का काम हो चूका था जब तक कि वह उसकी आँखों से ओझल नहीं हो जाती थी।
साधना को टकरा कर नीचे गिरते देख कर वह तेज़ी से उसकी तरफ भागा और जब उसकी नज़र साधना के माथे से बहते खून पर पड़ी तो उसे ऐसा लगा जैसे कि उसके दिल कि धड़कन ही बंद हो जाएगी। उसने तुरंत साधना को सहारा देकर खड़ा किया और फ़ौरन ऑटो में बैठा कर डॉक्टर के पास ले जाने लगा हालाँकि साधना ने मना भी किया किन्तु उसने इस बार उसकी एक नहीं सुनी।
रास्ते में नैना का फ़ोन आया तो राहुल ने उसे सब बता दिया, सुनते ही नैना भी उनके पास क्लिनिक पहुंच गयी। इस घटना ने राहुल को दोनों के करीब ला दिया था। साधना कि माँ तो बचपन में ही गुजर गयी थी, एक छोटे बच्चे कि देख भाल करना कोई आसान काम नहीं होता, सब के समझाने पर उसके एक दो साल बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली। लेकिन कहते हैं न कि, माँ हो गयी दूसरी तो बाप हो जाता है तीसरा, ऐसा ही कुछ यहाँ साधना के साथ भी हुआ था।
एक्सीडेंट कि इस घटना के बाद साधना, नैना और राहुल आपस में काफी अच्छे दोस्त बन चुके थे। उनसे मिलने से पहले साधना के जीवन में कुछ खोखलापन सा था, एक अजीब सा खालीपन था, जिसे आज तक नैना के अलावा किसी ने महसूस नहीं किया था। स्वाभाव से वह बहुत चंचल थी, इस कारण से कॉलेज में भी और घर में भी लोगो से घिरी रहती थी। इसके बावजूद कि वो बहुत बोलती थी। उसके जीवन का एक दूसरा पहलु भी था,और अपने जीवन के उस हिस्से में आने कि इज़ाज़त उसने किसी को नहीं दी थी। बाहर से खुश दिखाई देने वाली लड़की, जिसे लोग हर पल हँसते-खिलखिलाते देखते थे, उसके बारे में ये अंदाज़ा तक नहीं लगाया जा सकता था कि वो अंदर से इतनी अकेली होगी, ढेर सारे दर्द अपने भीतर समेटे हुए होगी। उसने अपने आस-पास एक घेरा सा बना लिया था, और कोई भी उसके द्वारा बनाये गए दायरों को नहीं तोड़ सकता था।
राहुल का व्यव्हार अब साधना और नैना को भी प्रभावित करने लगा था। साधना को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था कि राहुल उसके द्वारा बनाये दायरों को तोड़ कर उसकी सोच में समाता चला जा रहा है। शुरू शुरू में उससे बात करना महज़ एक औपचारिकता थी, सहपाठी होने कि वजह से राहुल से उसकी अक्सर थोड़ी बहुत बातचीत होती रहती थी, लेकिन साधना को इस बात का इल्म तक नहीं था कि राहुल मन ही मन उसे पसंद करता था। उससे दीवानो कि तरह प्यार करता था, ये अलग बात थी कि आज तक उसने इस बात को साधना के सामने जाहिर नहीं होने दिया था।
साधना को छोटी से छोटी तकलीफ होने पर, राहुल और नैना को साधना से कही अधिक दर्द महसूस होता था, कोई ऐसे भी किसी को चाह सकता है, यकीन करने में साधना को बहुत वक़्त लगा।