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Update-6
रजनी अपनी बेटी को दूध पिलाती हुई बाहर आ गई और खाट पर बैठ गयी। काकी वहीं नीचे खाट पर बगल में पटरे पर बैठी थी।
रजनी बोली- काकी आज क्या बनाऊं खाने में शाम के 6 तो बज गए उसकी भी तैयारी करनी है न।
काकी- अरे बेटी कुछ भी बना ले जो तेरा मन कहे।
रजनी की बायीं चूची में दूध खत्म हो गया तो उसने अपनी बेटी को दायीं चूची का दूध पिलाने के लिए बड़ी लापरवाही से दूसरी तरह गुमाया और जिस चूची का दूध खत्म हो गया था उसको चोली के अंदर कर लिया फिर दायीं चूची को काकी के सामने ही बड़ी लापरवाही से चोली को ऊपर सरका के बाहर निकाला, चूची बड़ी और कसी होने की वजह से उछलकर बाहर उजागर हो गयी, उसकी चूची काफी बड़ी, मोटी और गोरी गोरी थी, इतनी गोरी चूची पर बड़ा सा गुलाबी निप्पल किसी को भी पागल कर देता, निप्पल बहुत मनमोहक था अलग ही कहर ढा रहा था, चूची उसकी इतनी सख्त और बड़ी थी कि वो रजनी के एक हाँथ में नही समा रही थी। दूध उतरने की वजह से उन दिनों रजनी की चूचियाँ काफी बड़ी, सख्त और गदराई सी हो गयी थी जो उसके सीने को अलग ही उभार देती थी।
रजनी ने हथेली में अपनी चूची लेकर आगे वाली तर्जनी और मध्यमा उंगली को गुलाबी- गुलाबी निप्पल के दोनों तरफ रखा और निप्पल को बेटी के मुंह में डाल दिया, उंगली से निप्पल के आस पास पकड़ने और दबाव बनने पर निप्पल से एक-दो बूंद दूध की टपक गयी।
यह सब काम वह बिना काकी की तरफ देखे कर रही थी, उसे आभास भी नही था कि काकी उसको देख रही है। वैसे भी वहां कोई पुरुष तो था नही, तो वो बेधकड होके ये कर रही थी।
एकाएक उसने काकी की तरफ देखा जो उसे ही देख रही थी।
रजनी- क्या हुआ काकी (और मुस्कुरा दी)
काकी भी मुस्कुराते हुए- कुछ नही अपनी बेटी का मनमोहक यौवन देखकर अपने दिन याद आ गए, बहुत खूबसूरत और मादक हैं ये।
रजनी- धत्त....काकी आप भी न । (रजनी थोड़ी झेंप गयी)
काकी- सच में तेरी चूची बहुत खूबसूरत है।
(काकी के मुँह से "चूची" शब्द सुनकर रजनी गनगना सी गयी)
रजनी- काकी...अब बस भी करो। अपनी ही बेटी को छेडोगी अब आप। वो तो यहां पर बस मैं और आप ही थे तो मैं थोड़ा बेपरवाह सी हो गयी।
काकी- अरे तो क्या हुआ, तेरी काकी हूं मैं, तेरी माँ समान। पर सुन मेरी बेटी कभी भी खुले में या खुले आसमान के नीचे बच्चे को दूध पिलाना हो तो हमेशा चूची को ढककर ही पिलाया कर, चूची को कभी भी बच्चे को दूध पिलाते वक्त ऐसे उजागर नही करते।
(बार बार काकी के मुंह से "चूची" शब्द सुनकर उसे सिरहन सी हुई)
रजनी- पर क्यों काकी।
काकी- क्यूंकि इससे दूध में नज़र लग सकती है और बच्चे की तबियत पर असर पड़ सकता है।
रजनी- हां काकी ये बात तो आपने बिल्कुल सही कही, अब मैं आगे से ख्याल रखूंगी।
और फिर काकी उठकर अंदर से रजनी की चुनरी ले आयी जो रजनी अपनी बेटी को अंदर से लाते वक्त वहीं भूल आयी थी, और उसे रजनी ने अपने ऊपर डालकर ढक लिया।
काकी- पर बिटिया जो भी हो दामाद जी को तो जन्नत का मजा मिलता होगा (काकी ने फिर छेड़ते हुए बोला)
रजनी- मजा तो तब मिलेगा न जब उन्हें इसकी कद्र होती। आपको तो मैंने सबकुछ बता ही रखा है। (ये कहते हुए वो थोड़ा उदास हो गयी) अब मुझे उनसे कोई मतलब नही है। जब उन्हें नही तो मुझे भी नही उनकी परवाह।
काकी- ओह्ह मेरी बेटी मुझे माफ़ कर देना, मुझे ध्यान ही नही रहा, उस नासमझ की बुद्धि में न जाने क्या घुस गया है जो इतनी सुंदर, मदमस्त पत्नी की कोई परवाह नही। तूने सही किया बेटी। परंतु तू दुखी मत हो बेटी समय हमेशा एक जैसा नही रहता।
हम स्त्रियों की किस्मत में तड़पना ही लिखा है। अब मुझे ही देख तेरे काका के जाने के बाद मैंने कैसे अपनी जिंदगी काटी है मुझे ही पता है।
रजनी- हां काकी वो तो मैं जानती ही हूँ। पर अब हम साथ मिलकर रहेंगे। इसलिए ही तो मैं यहां आ गयी हूँ। अच्छा काकी मैंने जो पूछा वो तो तुमने बताया नही।
(रजनी ने बात पलटते हुए कहा, दरअसल वो काकी से अभी इस टॉपिक पर बात करने से शरमा रही थी क्योंकि वो जानती थी कि काकी मजाकिया स्वभाव की है और धीरे धीरे वो गंदी बातें छेड़ देंगी, तो वो भी उसमें रम जाएगी फिर खाना बनाने में देरी होगी, हालांकि उसे भी ये सब बहुत पसंद था पर अभी वो थोड़ा झिझक रही थी)
काकी- क्या पूछा तूने मैं तो भूल ही गयी।
रजनी- अरे बड़ी भुलक्कड़ हो गयी है मेरी काकी भी (रजनी ने दूध पी चुकी बेटी को खाट पे लिटाते हुए कहा), मैन पूछा था न कि खाने में क्या बनाऊं?
काकी- अच्छा हां, तो तू बना ले न जो तुझे पसंद हो।
रजनी- जब से आई हूं 3 4 दिन से मैं अपनी पसंद का ही बना रही हूँ।
काकी- अच्छा तो एक काम कर आज अपने बाबू जी के पसंद का कुछ बना और उन्हें बताना नही, खुश हो जाएंगे।
रजनी- हां काकी ये सही है, उनको दाल पकवान पसंद है बहुत तो मैं वही बनाती हूँ।
इतना कहकर रजनी काकी को खाट पर लेटी बेटी को पंखा करने को बोलकर रसोई में रात का खाना बनाने चली जाती है। काकी बोलती है कि मैं भी आती हूं मदद करने तो वो उनको मना कर देती है और फिर काकी बच्ची को पंखा करने लगती है।