Adultery Porn Creator मम्मी और में

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एक मिनिट दो मिनिट कर के में रुका रहा मम्मी भी कुछ ना बोल के कराहती रही ।


में मम्मी की कान में बोला " मम्मी अब "


मम्मी भी कुनमुनाई " हा अब "


में बोला " वोही तो अब क्या "


मम्मी भी बोली " वोही तो अब क्या उन्ह्ह "



में हास के मम्मी की गर्दन काट के बोला " मम्मी सोच समझ के मजाक किया करो । आपकी गर्दन मेरे तलवार के निशाने पर । सारा मोर्चा मेरे हाथ पर "



मम्मी की भी हसी निकल आई " अच्छा अच्छा । आराम आराम से करो मेरी वाहा आदत नही हे " मम्मी मेरा गाल चुने लगी ।



और में धीरे धीरे से धक्का देने लगा मम्मी भी अपनी टांग खोल देती है। मेरी हर धक्के में मम्मी आह्ह्हह्ह् उन्ह्ह्घ कर कराहने लगी । मुझे एहसास था पर में मम्मी की बड़ी गांड मार रहा हूं विश्वाश नही हो रहा था । मम्मी को आनंद थी वो मेरा प्यार पाना चाहती थी बार बार गाल मुंह आगे कर देती थी और में उनकी गाल उनकी गर्दन चूम चूम के ढेर प्यार जटा रहा था । मम्मी की गांड बोहोत चुस्त छेद थी जिसके कारण मेरा लन्ड ठीक से जा ही नहीं पा रहा था लेकिन सुपाड़े में ही तो असली मजा हे मुझे अनोखा मज़ा आ रहा था । मम्मी की कामुक आह " आह उई उई । बेटा आह आराम से आह। हुईं उह्ह्ह् बेटा उह्ह्ह्ह्ह्"



मम्मी की चूचियां भी दबा के धक्का देने में बोहोत मजा आ रहा था । जो मजा मैने कभी नही लिया वो आज मुझे मिल रहा था जब रोम रोम काम आनंद हो तो क्या गलत क्या सही विचार सोचना । ऊपर से मम्मी की सच में इतनी कामुक सिसकारियां निकल रही थी या फिर मुझे आनंद देने के लिए जान बूझ कर सिसकारियां मार रही थी मम्मी के रही थी " आह ओए बाबू । आराम से दुखता हे । उह्ह्हह धीर धीरे मेरा सोना उह्ह्"


हा मुझे भी तो बोहोत टाईट लग रहा था उनकी गांड मेरे लन्ड को कस के जैसे जकड़ रखना चाहता हों जैसे प्लास्टिक रब्बर हो । मुझे मेहसूस होने लगा की मेरी आनंद बढ़ गई है और नशों में जैसे उबाल आ रहा है। और में आवेश में जोर लगा के धक्का देने लगा तो मम्मी सर पटक पटक के अपनी टांगे चिपका ली " आह उई आह आह उई आह बाबू ना आह "


मेरा फबक फबक के निकलने लगा मम्मी की गांड के अंदर अपने आप लंद झटका खाते हुए अंदर की और दबा दबा के धक्के देने को मजबूर किया और में धीर धीरे शांत होने । मेरी शरीर ऐसा लगा मेरी सारी शक्ति निकल गई हो । में हाफ हाफ के निधल हो कर मम्मी की ऊपर से गिर पड़ा । अंधेरा था कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा था मम्मी की भी थकान को सांसे सुनाई देने लगा मुझे । कुछ देर बाद मुझे आभास हुआ कि मम्मी मुझसे बिना कुछ कहे मेरे कमरे से निकल गई । में भी नंगा ही रहा और बस सुखद एहसास करता रहा ।
akhir kar bete ne maa ko chod hi diya
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सुबह में उठा अपने आपको नंगा बिस्तर पर पाया। रात की आनंद याद आई बोहोत खुश हुआ में । मम्मी का खयाल आया मम्मी कहा होगी । में उठ कर फ्रेश हुआ और नीचे चला गया पापा को ढूंढने लगा कही दिखाई नही दिया तो सोचा की शायद बहार गए होंगे ।
मुझे पता था की मम्मी किचन में होगी तो में किचेन में गया । मम्मी खाना बना रही थी में जा के खुशी से मम्मी से लिपट गया " गुड मॉर्निंग मेरी प्यारी मम्मी "
मम्मी जवाब नही देती मुंह फुला के रखी थी । में उनकी गाल पर चूम के बोला " सुबह सुबह गुस्सा । पापा कहा है"
मम्मी नाराजगी दिखा के बोली " मुझे क्या कौन घर पे बता के जाता हे"
में बोला " किस बात का गुस्सा है पापा से गुस्सा हो "
मम्मी बोली " में होती कौन हूं गुस्सा करने वाली क्यू भला गुस्सा करू । जा के टेबल पर बैठ नाश्ता लगाती हूं "
में मम्मी को मुस्कुराते हुए देखा नहा धो के नाइटी पहन रखी थी आज । मैंने सोचा बाद में मिल लूंगा अभी मम्मी को अकेला छोड़ देता हूं । में जा के डाइनिंग टेबल पर बैठ गया और मम्मी ने नाश्ता लगा दिया मेरे लिए ।
आज कॉलेज नही जाऊंगा पहले ही सोच के रखा था नाश्ता करने के बाद में अपने कमरे में गया और फिर ऐसे मोबाइल पे टाइम पास करने लगा । दोपहर 12 बजे तक में कमरे से निकला नही।
12 बजे मम्मी मेरे कमरे में आई और बोली " अपने गंदे कपरे दे मुझे धोना हे "
में पूछा " आज आप पार्लर नही गई "
मम्मी नाराजगी दिखा के बोली " नही। जल्दी दो कपड़े"
में मम्मी के पास जा कर उनकी कमर खींच उनके चहरे को चूमते हुए पूछने लगा " आज इतना नाराजगी क्यू । किस बात का गुस्सा हे मेरी प्यारी मम्मी को हम्मम "
मम्मी ना हा बोल रही थी ना ना । मैने को बाहों में भर के उनकी गोल उभरी हुई मोटी नितंब दोनो हाथो से मसल दिया ो तब मम्मी की जूठी नाराजगी दूर हुई और सिसकते हुए में बाहों में चिपक के कहने लगी " इसससस बदमाश । आह सब खत्म कर दिया अपनी ही मम्मी को उन्ह्ह्ह्ह् "
में उनकी गर्दन चूमते हुए बोला " क्या खत्म हुआ मम्मी क्या किया मैंने "
मम्मी मुझे चूम चूम के मेरे कान की लो कट के बोली " अच्छा कुछ नही किया तूने । अपनी मम्मी को रात के अंधेरे में चोद दिया और बोलता है कुछ नही किया "
मम्मी की मुंह से चोद शब्द सुन के में उत्तेजित होने लगा और मम्मी सर पकड़ के उनकी लोबो को चूसते हुए बोला " औरते चूदने के लिए ही बंटी हे । आपने भी तो अच्छे से चूदावाया"
मम्मी अपनी चूचियां मेरे छाती पे रगड़ती हुई बोली " तो क्या मेरा मन नही हे। में भी तो कबसे बेहेक रही हूं । कबसे तू मुझे किस कर कर के गर्म कर रहा हे"
में जोश में बोला " अच्छा तो अभी एक बार कर लू "
 
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मम्मी बोली " क्या बात कहो"


में बोला " काल जो हुआ वो मैने कभी सोचा नही था । आप भी मान कैसे गई "


मम्मी बोली " मुझे भी अपने आप से उम्मीद नही थी । पता नही काल में भी बेहेक गया । तुम्हारी तरह में भी तो तुमसे आकर्षित हो रही थी । तुम्हे बड़ी उम्र की औरते पसंद है तुम्हारी फोन पर बड़ी उम्र फोटो रहते हे उनके विडियोज रहते हे । तुम मुझे छूटे हो मां हुई तो क्या हुआ में भी ढली नहीं हू। तुम्हारे कारण ही में बेहेकने लगी धीरे धीरे। बोहोत बदमाश हो तुम बेटा । पर जो हुआ जो भी हो रहा हे वैसा होना नहीं चाहिए बेटा "


में बोला " मम्मी होना तो नहीं चाहिए पर हो रहा है। मैने भी कशिश की रोकने की लेकिन । आपने भी कशिश की मुझे थप्पड़ तक मारी । पर आप भी रोक नही पाई । हो रहा हे तो होने दो हम इससे अब दूर नहीं रह पाएंगे "



मम्मी कुछ शिन्ता में चली गई फिर बोली " पता नही मुझे अभी कुछ समझ नहीं आया हे । मन हुआ तो ठीक अगर मन नही होगा तो में माना करूंगी तो तू कुछ मन करना ।"


में बोला " ठीक हे मम्मी । "


मम्मी बोली " अभी जाओ लड़कियों ने पॉर्लर खोला की नहीं देख के आओ । और तुम्हारे पापा भी दुकान खुला होगा देख के आओ । "


में बोला " अभी "

मम्मी मुस्कुरा के बोली " हा अभी । अभी कुछ नही मिलने वाला । चुप चाप जाओ बंदर की तरह और चले आओ "


में भी हस के जवाब दिया " ठीक हे चला जाता हूं । देखता हूं आप भी कब तक ठंडे पानी से नहाती रहती हो । "



में फिर मार्केट चला गया । पॉर्लर जा के चैक किया चारों ब्यूटीशियन मजुद थी अपना काम कर रही थी और कस्टमर की बिलिंग वो लोग ही कर रही थी । पापा भी दुकान खोल के बैठा उनके दुकान में पोरोसी दुकान दार बैठे उनके साथ गप्पे लड़ा रहे थे । तो में और क्या करता सोचा की अकेले ही थोड़ा घुमु फिरू फिर बाइक ले कर इधर उधर घूमता रहा ।



शाम को में घर लौटा । मम्मी दातने लगी की इतनी देर कहा था में । बस यही सब दिनचर्रिया रहा दिन भर का । आम खाने की ख्वाईश था वो भी पूरा हो गया और बिरियानी भी मिला बिना न्योता के तो मुझे तो खुश होना ही था । खुशियां मना रहा था और खयाल आया की इससे आगे मम्मी और मेरे साथ क्या होगा ।
 

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