Adultery पत्नी खुश तो पति भी खुश (लघु कथा)(completed)

Member
184
149
43
सरत मिया शाम को घर लौटे । रात को उसका मन रोमासिट हो गया और अपनी धरम पत्नी के उपर चढ़ गए । गुंजन ने भी चढ़ने दी ।

लेकिन जब सरत बाबु की नजर अपनी धरम पत्नी की मोटे चूचे पे दात के लाल निशान देखे तो उसे समझाने में देर नहीं लगा और गुस्सा हो कर चिल्लाए " तुम फिर से इस कुत्ते साथ । "

गुंजन एक पल के लिए दर गई अगले ही पल उसे नजाने कहा से इतनी हिम्मत मिली और वो दत्त के बोली " बोहोत हो गया आपका । अब बस । अब में आपके एक बात नेही सुनूंगी और ना ही करूंगी । में अपने मन की करूंगी । मैंने फैसला किया है में उसके साथ भी रहूंगी चाहे आपको मंजूर हो या ना हो "


सरत बाबू के माथा जंजना गए गुस्से में नाग की तराह फंफनाने लगे । और गुंजन के गाल पे एक उल्टे हाथ का झड़ दिया " ऐसा क्या है जो मेरे पास नही । क्या में तुझसे प्यार नही करता हूं ।"


गुंजन हस्ते हुए अपनी पति की मजाक उड़ाते हुए बोली " हा हा हा हा । फुद्दू कही का । उसके पास वो जो है ना आपसे दो गुना बड़ा है । जब वो मैरी गहराई में जाता हे ना तो आपसे कही ज्यादा मेजा आता है । और आपकी तरह नही जो दो धक्कों में ढेर हो जाए । 30 से 40 मिनट तक मुझे खुश करता है । उसके हथियार में भी और कमर में भी आपसे चार गुना ताकत हे । विश्वास ना हो तो बोलना घर में बुला के आपके आखों के सामने कर के दिखाएगा कितना ज्यादा मर्द है आपसे । "




सरत मिया आंखे शर्म से झुक गया और गुंजन दो और थप्पड़ लगा के कमरे से बाहर निकाल गए । गुंजन हस्ती रही । उसे ऐसा महसूस होने लगा निर्दय और बेवफा बन के जैसे वो आजाद पंछी की तरह खुले आसमान में उड़ने लगी ।





सरत मिया पूरी तरह से टूट गए । अक्सर शराब खाने रात भर पड़े रहने लगे और घर में उसकी धरम पत्नी के साथ एक पराए मर्द आ के बिस्तर गर्म कर के चले जाते थे ।



बहकना और बेकाबू दोनो ही असबधान की पहली लक्षण है । चाहे कुछ भी हो संतुलन कभी नही खोना चाहिए ।







समाप्त
 
Last edited:
Member
184
149
43
गुंजन तैयार हो के गेस्ट रूम में गई । कारेल उसे देख के खड़े हो गए । अपनी छोड़ नजरों से ऊपर से नीचे तक देखा गुंजन को और अपने मन में बोला " सरत बाबू क्या माल है ।"

गुंजन फिर भी उसके नजरो को पहचान गई लेकिन उसने ज्यादा माइन नही किया kyu की ये बात थी मर्दों का दूसरी औरत को यू घूरना ।

" मालकिन में कारेल अली ।"

" हा जानती हूं । हम काफी बार तो मिल चुके हे ना । और प्लीज मुझे मालिकन मत कहो आप उनके दोस्त भी हे तो मुझे भाबी या नाम से ही बुलाएगा तो मुझे अच्छा लगेगा "

" ये तो आपकी बड़प्पन है ठीक है में आपकी भाबीजी बुला लूंगा "

" आप बैठिए ना "

कारेल मिया सोफे पर बैठ गए । गुंजन भी उसके सामने वाले सोफे पे बैठ गए ।

" और बताइए भाई साहब कैसे आना हुआ "

" वो सरत बाबू ने काल रात मुझे फोन किया था रात को कह रहे थे कोई दिल करनी हे इसलिए अहमदाबाद जा रहे हे एक हफ्ते के लिए "

" हा वो काल रात की फ्लाइट से निकल गए थे "

" हा और कह रहे थे जब तक वो नही आते में आपके घर में रहूं आपकी और घर की सुरक्षा के लिए "

" सुरक्षा " गुंजन हैरान रह गई
" लगता है आपको बताना भूल गए वो "

गुंजन सोचने लगी कि बताना भूल गए । लेकिन ये कैसी बात हुई भला किसी पराए मर्द को अपने घर रखने की इतनी दिन । लेकिन वो अब मुंह पे माना भी नही सकते थे ।

" सायेद भूल गया होगा "

" हा आज काल काम ज्यादा होने कारण बोहोत भूलने लगे हे "

" अच्छा आप बैठिए में अभी आती हूं "

" जी भाभी जी "

गुंजन लगभग दोरती हुई कमरे से बाहर निकली और अपने कमरे में जा के अपने पति को कॉल लगाया ।

" हा डार्लिंग बोलो। क्या हुआ मूड बन रहे है क्या "

" मूड माई फूट । ये क्या हरकत है "

" अरे इतना गुस्सा ।"

" गुस्सा नही आयेगा क्या ऐसी हरकत पे । आपने क्यू बोला कारेल की यहां हमारे घर रूकने की जब तक आप नही लौटे तब तक वो यहां रह के मेरी और घर की सुरक्षा करे । आपको क्या लगता हे की आपकी बीवी को कोई एक हफ्ते में उठा के ले जायेगा या नजर रख रहे है की में किसी को बुला के रंगलालिया ना मनाऊं आपकी गैर हाजिरी में "

" शांत हो जा मेरी दादी अम्मा । मैंने ऐसा कुछ नही था कारेल को मेंने उसे घर आने को नही कहा था । बस ऐसे ही खयाल रखने को बोला था बस । अब क्या बोलने के लिए में ये भी नही कह सकता क्या "

" तो फिर वो बोरिया बिस्तर उठा के क्यू आया है "
 
Member
184
149
43
" मुझे क्या पता " ।
" आपको नही पता तो किसको पता" "

" वो वाहा क्यू गया । ओह लगता है उसके लिए गाया है " ।

" किस से के लिए आया है । आप साफ साफ बोलीते क्यों नही " ।


" अरे डार्लिंग जिस का हमारा व्यापार है । घर में कुछ बोहोत कीमती ज्वैलरी है उसकी के लिए "

" तो उसे फोन कर के बोलो की वो सब ज्वेलरी ले के जय अपने साथ "

" डार्लिंग समझा करो । कुछ नियम है असूल है और रिस्क भी है कानूनी कारवाई भी हो सकती है पकड़ा गया तो "

" क्या आप कोई स्मेगलर हो " ।।
" नही । हर बात को क्यू उल्टा समझती हो । समझा करो ना । लाख दो लाख की ज्वैलरी नही हे कोरोरो का अकड़ा है । प्लीज समझा करो "

" मुझे कुछ नही पता बस उसे मेरे घर से जाने के लिए कह दो । में हूं ना में संभाल लूंगी आपके कीमती खजाने की सुरक्षा कर लूंगी "

" डार्लिंग सबसे बड़ी खजाना तुम हो मेरी । देखो अब उसे जाने के लिए के देंगे तो बेजत्ती हो जायेगी । कोई बात नही डार्लिंग दो दिन रहने दो में उसे किसी काम लगवा दूंगा "

" दो दिन नही उसे अभी बाहर जाने को बोलो घर से ऐसे कैसे अनजान आदमी को मेरे घर रहने दूं "

" अरे डार्लिंग ये ठीक बात नही होगी । मेरी नाक मिट्टी में मिल जाएगी । और वो कौनसा सा अंजान है सालो से जानता हूं मेरा दोस्त है । वफादार भी है और ऊपर से बेचारा भी बात बात पे बीवी उसे घर से निकल देती हे । प्लीज मेरे लिए डार्लिंग "

" नहीं बोला नहीं । नही में घर छोड़ के चली जाऊंगी "

" ।।।।।।।।।।।।। गुंजन ऐसा मत करो प्लीज अब वो मेहमान बन के आया हे तो हम ऐसा नही कर सकते ना । प्लीज दो दिन रहने दो फिर में कुछ इंतजाम करता हूं । प्लीज डार्लिंग "

" आप आओ घर फिर बताती हूं आपको " गुंजन ने गुस्से में फोन काट दी ।

और फिर से नीचे गई जेस्ट रूम में ।

" आपने नाश्ता नही किए होंगे ना "

" हां भाबीजी बस एक कप कॉफी पी के आया हूं । सरत बाबू का फरमान मिला तो में दौरा चला आया । "

" आइए हमारे साथ नाश्ता कीजिए "





:buba-phone:
 
Member
184
149
43
गुंजन और कारेल मिया दोनो एक नाश्ता कर के उठे ।

" तो भाई साब आप रहिए । मैंने बोल दिया हे नौकरानी को वो आपका कमरा लगा देंगे । मुझे स्कूल के लिए देर हो रही हे । "
" अरे तो में आपको छोड़ देता हूं ना में उसी तरफ काम से जा रहा हूं ।"

" अरे नही नही मेरा ड्राइवर है ना । आप क्यू तकलीफ कर रहे है "

" अरे इसमें तकलीफ किसी । में भी उसी तरफ जा रहा हूं तो साथ चलते हे ना थोड़ी गुफ्तगू हो जायेगी और जान पहचान होगी हमारी "

गुंजन अब भला कैसे माना करे उसे । उसने भी आखिर में हां कह दी ।

कारेल मिया ड्राइव कर रहा था और को ड्राइवर सीट पे गुंजन बैठी । दोनो में एक दो बाते होने लगी । कारेल रसक बाते करने में महारथ वरदान थी । कुछ किस्सा सुना के गुंजन को हसा रही थी ।

थोरी देर बाद गुंजन को कुछ याद आता है । " ओह हो में पानी लाना भूल गई "

कारेल साइड में कार रोक के बोला " रुकिए में लाता हूं पानी आपके लिए "

" अरे नही नेही स्कूल में मिल जायेंगे "

" भाबीजी एक पानी का बॉटल लाने से मेरे हाथ नही दिखेंगे और ना ही पेड़ । आप यही बैठिए "

कारेल मिया कार से उतर के एक दुकान से पानी का बॉटल खरीद लिया । यह कार में बैठी बैठी गुंजन सोच रही थी कुछ ज्यादा ही वफादारी खिदमदगिरी दिखा रहा हे । बस दो तीन दिन रुकने दून फिर में ही उसे भगा दूंगी ।


बाहर किसी के नजर में ना आते हुए कारेल मिया अपनी जेब से एक इंटेक्शन निकल के बॉटल पे लगा दिया । पता नही क्या था वोही जाने उस इंजेक्शन में ।

" ये लीजिए आपका पानी "

" शुक्रिया "

कारेल ने कार आगे बढ़ा दी । और कूची देर में गुंजन का स्कूल आ गया ।

" लो आ गई आपकी स्कूल । "

" ओके शुक्रिया आपका । बाई घर पे मिलेंगे "

गुंजन कार से निकाल के चली गई और कारेल उसकी पतली कमर की चाल थिरकती हुई मोटी गांड देखते हुए जोर से अपना लन्ड मसल दिया ।
 
Member
184
149
43
गुंजन का आज तीन पीरियड लेना था । वो पहले अपने सोशलसिंस के डिपार्टमेंट के दफ्तर में गई । वाहा इस डिपार्टमेंट में तीन सीक्षक बैठे थे पहले से ही । दो सिक्षिका और एक शिक्षक ।

उन में से एक सिक्षिका बोली " गुंजन मेम क्या बात है आज देर हो गई आपको । "

" हा एक पागल को चक्कर में में लेट हो गई । "
" आपका क्लास मिश्रजी ने ले लिया । हम लगा आप ने लीव ली हे "

" अच्छा है मिश्रा जी के क्लास के में अटेंड कर लूंगी "

और अपने डेस्क पे बैठ के अपनी बेग से पानी का बॉटल निकल के दो घुट पानी पी ली उसने । फिर अपना रूटीन पे काम करने लगी ।


समय बिता उसने लंच तक पूरी बॉटल पि गई । लंच के बाद अपनी आखरी पीरियड लेने के लिए 6th स्टैंडर्ड की क सेक्शन में गई ।


जब वो स्टूडेंटस को सोचियेल स्टडी की किताब से कुछ प्रेग्राब पढ़ के उसे बिस्तर से समझने लगी तब उसे ऐसा लगा जैसे शिर भारी सा होने लगा हे । वो बच्चों को समझते समझते ही क्लास रूम के खिड़की के पास गई जहा उसे एक ठंडी का झोका महसूस हुई उसकी होंठो पे मुस्कान खिल गई । हाला की क्लास रूम में चार पंखे निरंतर चल रहे थे ।


क्लास के एक बदमाश बच्चे ने गुंजन को ऐसे मुस्कुराते हुए देख लिया और बोला " मेम आप ऐसे क्यूं दुल्हन की तरह मुस्कुरा रही है । बुक में कोई रोमांटिक स्टोरी लिखी हे क्या "

चारे बच्चे हसने लगे ।

गुंजन गुस्सा हुई " shut up you guys ! बुक पे ध्यान दो "

लेकिन गुंजन को उस बच्चे का छेड़ना अच्छी लगी थी वो अंदर ही अंदर मंद मंद मुस्कुरा रही थी । वो बार बार उस बच्चे को छोड़ निगाहों से देख रही थी वो बच्चा जब भी गुंजन की तरफ देखता तो गुंजन लाल आंखे दिखात और बच्चा दर के शिर नीचे कर लेता । गुंजन को बड़ा मजा आ रही थी उसे बच्चे के ऐसा करने में उसने ऐसा चार बार की । वो अपनी हांसी रुक नही पा रही थी । मुंह छुपा के मुसूक मुसुक मुस्कुरा रही थी लेकिन सैतन बच्चे उसकी ये हरकत देख के काना फूसी कर रहे थे । उसे और पढ़ान का मूड नहीं था तो उसने बुक में से शॉर्ट क्वेशन का एनसार निकल कर कॉपी बुक में लिखने को कहा । और सभी बच्चे कॉपी निकल कर क्लास टीचर की आदेश पालन करने में लगे पड़े ।
 
Last edited:
Member
184
149
43
गुंजन फिर खिड़की के पास गई लेकिन इस बार क्लास रूम के आखरी वाली खिड़की में गई जिससे बच्चे अब उसे सामने से देख नही सकते थे । और सभी बच्चे उत्तर निकलने के लगे ।

गुंजन हाथो में हाथ बांध कर खिड़की से बाहर की नजारे को देख रहे । जिसने उसे स्कूल की बाउंड्री दिखाई दे रही थी और उसके आगे प्ले ग्राउंड में कुछ बच्चे क्रिक्रेट खेल रहे थे ।

गुंजन को जरा भी सा भनक नही लगी की वो नशे की खुमार में मदमस्त हो रही थी । नशा ही कुछ अलग सा था । अचानक ही बिना किसी वजह से खुशी का एहसास हो रहा था । दिल कर रहा था की ठंडी आहे भरे । खुद को ही बाहें फैला के बाहों में कस ले । रिमझिम रिमझिम झनझनाहट का एहसास उसे खुशनुमा बना रही थी ।


दोपहर के तीन बजे पूरे स्कूल कि छुट्टी होती थी और गुंजन अपनी काम से विराम ले के स्कूल के गेट पे आ गई । आज तो उसे टैक्सी पकड़ के जाना पड़ेगा । इसलिए वो ओला उबेर देख रही थी की उसके सामने ही एक कार आ के रुकी । उसने देखा कार के अंदर कारेल बैठा है । उसने बुरा सा मुंह बना के सोचा ये हरामी सक्स क्या मेरा पीछा कर रहा हे क्या ।

कारेल मिया ने ऐसा नीचे कर के बोला " आइए भाबीजी बैठिए में लौट रहा था तो सोचा आपको ले के चलूं "

गुंजन का मन तों नही कर रहा था लेकिन वो कर भी क्या सकती थी । कार में बैठ गई । और कारेल मिया ड्राइव करने लगे ।

" तो बताइए भाबीजी कैसा रहा दिन "

" अच्छा था जैसा हमेशा होता है वैसा ही । और आपका "

" जी मेरा तो बोहोत अछा था जिस काम के लिए निकला था वो काम भी अच्छे से हो गया और एक काम हो रहा हे लगता हे इस बार बनी बनाई मलाई खाने को मिलेगी "

" अच्छा लगता है आपकी किस्मत पे भाग्यरेखा कुछ ज्यादा लिपि हे । " गुंजन मुस्कुराई

" अच्छा आप बच्चो को क्या पढ़ती हे "

" वैसे तो मेरी स्पेशियलिटी जियोग्राफी हे लेकिन सोसियेल साइंस पढ़ाती हूं जिसमे हिस्त्री बुरंजी जियोग्राफी इत्यादी सभी का पाठ रहता है "

" ओह अच्छा । पता हे मैंने भी जियोग्राफी में ऑनर्स लिया था । "

" ओह अच्छा । लिया था का मतलब "

" मतलब घर से आर्थिक सापोर्ट नही मिला पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी । कॉलेज के लिए गांव से 30 किलोमीटर दूर बस से सफर करना था ऊपर से खेती बारी का काम भी संभालना था । लेकिन जब में इस शहर में आया और सरत बाबू के सत्रसाय में रह के मैंने आइडल पे जनरल विभाग में डिग्री ली । ध्यन्य है सरत बाबू का आज जो कुछ भी हूं सब उसकी की वजह से हूं "
 
Member
184
149
43
" में भी किसान की ही बेटी हूं । लेकिन मेरे घरवाले गवार जरूर थे लेकिन मेरी पढ़ाई को ले के बोहोत जागरुक थे । "

कारेल मिया पूरी तैयारी के साथ आया था । जैसे तो वो परशम लहरा के ही जायेगा । बोहोत पुनः खोज के पुत्का मंसूबे के साथ तिर बार कर रहा था । जैसे गुंजन की मन की बातें वो पहले ही समझते थे । क्या पसंद है क्या पसंद नही सब जानते थे । और फॉर्मूला अपना रहा था किसी को प्रभावित करना हो तो उसकी पसंद को अपनाओ । गुंजन भी उस नसीली पदार्थ का शिकार थी जिसे उसे जरा भी ज्ञात नही थी । उसको भी कारेल मिया के भारी आवाज को मिठास अच्छी लगने लगी । उसे सफर बोहोत एडवेंचर लगने लगा ।

" भाबीजी आप अपना देवर समझ के अपने और सरत बाबू के प्रेम कथा के बारे में कुछ बताइए ना "

गूंजन शरमाने लगी उसकी गाल सुर्ख लाल हो गई " क्यू आपके दोस्त ने बताए नही कभी क्या । लेकिन आप तो सब जानते ही होंगे मेरे मिलने से ही तो आप उनके साथ काम करते थे " ।

" नही तब में उनसे इतना क्लोज नही था । तब बस आज्ञाकारी कर्मशारी था । बाद में हमारी दोस्ती गहरी हो गई लेकिन उसने कभी इन सब बारे में जिक्र नही किया और ना ही मैने । भाग दौर की जिंदगी में कहा समय मिलता हे इन बातों के लिए "

गुंजन सोचने लगी " अच्छा हमारी सेक्स लाइफ के बारे में डिसकस करते हो आप दोनो और हमारी प्रेम कथा के बारे में ऐसे पूछ रहे है जिसे कुछ जानता ही ना हो ।"

" आपको बुरा तो नहीं लगा भाबीजी "

" अरे नही । बस वोही कहानी हे । उनके दुकान में अपनी पायल बनवाने गई तब में उनको पसंद आ गई । और वोही साइकिल से पीछा करना बस ऐसे ही हो गई । "

" पता है भाबीजी सरत बाबू जो आपको चिट्ठी भेजते थे वो सब मेरे हाथों से लिखवाते थे । में उनसे एक बार पूछा था तो उसने दात दिया था । उनको मानता था बोहोत इसलिए मैंने कभी दुबारा नही पूछा । लेकिन बाद में एक दिन ऐसे ही पता चल गया था "

गुंजन की गाल और लाल हो गई । पेट में गुदगुदी होने लगी रोम रोम खड़े हो गए उसकी । उसके लिए बोहोत संकोची पल थी । वो तो यही समझ रही थी वो सब उनके आशिक ने लिखे होंगे आज पता चला कि वो इसके आशिक ने नही उसके एक कर्मसारी ने लिखे थे और सालों बाद उसे पता चल रही है । और उस सक्स के साथ ही कार में अगल बगल बैठी है ।
 
Member
184
149
43
" अरे भाभीजी आप तो शर्माने लगीं है । लिखावट मेरी जरूर थी लेकिन चिट्ठी के हर एक लाइन सरत बाबू के दिल से निकले हुए लफ्ज़ थे । बोहोत कलाकारी थे उनके लाइन में भी चुरा के अपनी प्रेमिका को भेजता था । "

" उसने कभी बताए नही मुझे "

" हा भूल गया होगा । उनकी हैंडराइटिंग खराब थी इलसिए मेरे हाथों से लिखवाते थे । वैसे छोड़िए में भी क्या ले के बैठ गया और बताइए ।"

गुंजन अभी भी थोड़ा शर्म महसूस कर रही थी लेकिन उसका मस्तक रिमझिम रिंग्ने वाली एहसास उनको खुल रही थी । उसे हर एक बात रसक दिलचस्प महसूस हो रही थी ।


25 किलोमीटर का रास्ता था और कारेल मिया आराम से मध्यम गति में कार ड्राइव कर रहे थे । और कुछ ऐसा बात जिक्र कर रहे थे जिसे गुंजन दिलसस्पी ले उसके बातों पर उसके साथ घुल मिल जाए ।


" भाभीजी आपको ड्राइव करना आता है "

" हां लेकिन मैंने कभी मैनुअल कार नही चलाए । जब सीखा था तबसे ऑटोमैटिक कार ही चलाती आ रही हूं । लेकिन कभी कभी ही मुझे दर लगता हे "

" आपको अपनी ड्राइविंग पे भरासा नही है । ठीक हे में आज आपको मैनुअल कार चलाना शिखाता हूं । "


कारेल ने सड़क से कार उतार ली और एक खाली ग्राउंड की तरफ ले गया ।


" अरे नही नही । आप क्यू खमखा तकलीफ कर रहे है ।"

" नही भाभीजी । आपको शिखना होगा । में चाहता हूं जब तक में आपके पास हूं आपके घर में तो मुझसे भी आपको कुछ फायदा हो । "

" अरे पर मुझे जरूरत ही क्या है मेरे पास तो ऑटोमेटिक कार हे । वो भी कभी कवार ही चलता हूं जब ड्राइवर छुट्टी पर रहता हे ।"

" क्या पता कब जरूरत पड़ जाए भाभीजी । जिंदगी में जो सीखने को मिले वो शिखना चाहिए । ऐसे इनकार नही करना चाहिए । ये भी एक कला है अच्छी ड्राइविंग करना । अच्छी ड्राइविंग से आप खुद को और दूसरों को भी सुरक्षा दे सकती है ।"

गुंजन माना करती भी कैसे । कार ग्राउंड के बीचों बीच रूक चुकी है । कारेल माया कार से उतर के गुंजन की तरफ आके दरवाजा खोल के बोला " जाइए भाभीजी ड्राइविंग सीट पे जाइए । "

गुंजन ड्राइविंग सीट पे गई । " भाई साहब मुझे दर लग रहा हे ।"

" डरने की क्या बात है । आपको ड्राइविंग आती ही हे ब्रेक और स्टेयरिंग तो आप संभाल ही लेगी ना । बस में क्लाच और गियर का फंडा समझा देता हूं आपकी "
 
Member
184
149
43
" पहला गीयर लगा के क्लाच छोड़ दो धीरे धीरे और एक्सीलेटर अपने गति के हिसाब से दबाते जाओ ।"

" हां होगी । आपको तो पता ही हे बस आपकी थोड़ी प्रैक्टिस की जरूरत हे । देखना आप आज ही शिख जायेगी । और जब गियर बदलना हो एक्सीलेटर छोड़ के क्लच दावा के अगला गियर दल दो ।"

" ओके ट्राई करती हूं । लेकिन पहले ही कह देती हूं अगर कार कही थूक गई तो उसका भरपाई में नही करूंगी " गुंजन ने बोहोत ही प्यारी मासूम अंदाज में मजाक की

कारेल मिया की दिल पे तो टीच की तरह सल्लाह हो गया । " हा हा हा । उसकी शिंता मत कीजिए भाभीजी । वैसे भी ये तो खुला मैदान हे थूकने को कोई झाड़ पेड़ भी नहीं है आप आराम से ट्राई कीजिए ।"

कारेल मिया ने दरवाजा बंद कर के डायरेक्शन देने के लिए तैयार । गुंजन ने कार को न्यूट्रल किया फिर इगीनिसेन का बटन दबा के कार स्टार्ट की ।

" भाई साब मेरा जी घबरा रहा है "

" अरे घबराइए मत । चलिए अब गियर डालिए क्लस्ट दबा के "

गुंजन को बोहोत आनंद आ रही थी । जैसे वो पहली बार ड्राइविंग शिख रही है । उसने क्लास दबा के पहले गियर पे डाल के धीरे से क्लच छोड़ के एक्सीलेटर दबाने लगा । लेकिन गाड़ी झटका खा के बंद पड़ गई ।


" कोई बात नही दुबारा कीजिए "

गुंजन ने दुबारा ट्राई किया लेकिन फिर से वोही हुआ । कारेल ने दुबारा करने को बोला फिर से वाही प्रतिफल । कारेल ने फिर से ट्राई करते रहने को कहा ऐसा करते करते गुंजन ने दस बार ट्राई किया ।

" भाई साब मुझसे नही होगा । चलिए चलते हे खमखा आपका समय बर्बाद कर दिए ।"

" नही । में समझ गया पहले आपको रनिंग कार में गियर डालना शिखना होगा तभी आप क्लच का इस्तेमाल समझ पाएगी । "


" कैसे । मतलब "


" आप उतरिए में समझता हूं "

दोनो कार से उतर गए । कारेल मिया ड्राइविंग सीट पे बैठ गए लेकिन दरवाजा बंद किए बिना अपनी गोद में इशारा कर के बोले " आइए गोद में बैठिए । में जब कार आगे बढ़ाऊंगा तब आप क्लच दबा के गीयर डाल के क्लच का ऑपरेट शिख लीजिएगा "

गुंजन की आंखे फैल गई वो सोचने लगी " क्या बेहूदा इंसान है । जरा भी शर्म ओ हया है की नही । एक औरत को गोद में बैठने को के रहे हे । " भले ही वो नशे की खुमार में थी थी अपनी शर्म हया की होश नही खोई थी अपनी आबरू बसाने की समता अभी भी बची हुई थी ।
 
Member
184
149
43
" नही रहने दीजिए भाई साब । आप खमखा तकलीफ कर रहे हे । और शाम भी हो गई है हमे अब चलना चाहिए ।"

कारेल मिया मुस्कुराया जैसे वो खुद को कोश रहा है । " भाभजी मुझे पता हे आप क्या सोच रही हे । आप यही समझ रहे हे ना में कितना निर्लज आदमी हूं । पर सौगंध खा के कहता हूं में अब अपने तन मन खुदा के बस्ते हवाले कर चुका हूं । अब मेरा जिस्मानी चाह बचा नही हे । साफ शब्द में बोला जाए तो में अब पूरी तरह से नापुसक रह गया । इसलिए तो मेरी बेगम मुझे घर से निकल देती है परेशान हो कर । माफ कीजिएगा आपको मेरे गोद में बैठने को कहा । लेकिन मेरा बिस्वास कीजिए मेरे मन कोई गलत विचार नही हैं । मेरा मन जिस्मानी रुह से आजाद हे । में चाह कर भी वो सब धरना अपने मन में नही ला सकता "

गुंजन भले ही सुलझी हुई नैतिक विचार रखती थी । लेकिन उसकी मन पानी की तरफ साफ निच्छल थी । इसलिए उसने झट से कारेल मिया की बात पे विश्वास कर ली । और उसे कारेल मिया पे बोहोत तरस आने लगी ।

" माफ करना भाई साब मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था आपको ढेस पोहचाने का । "

" जी में समझता हूं कोई दूसरी औरत होती तो शायद अब तक मुझे जूते मार चुके होते हे । मगर आप ऐसी नही हे मुझे पता हे आपके मन ऐसा कोई अहंकार नही हे में समझता हूं "

" फिर भी आपको बुरा लगा तो माफ कर दीजिएगा ।"

" एक शर्त पे । आपको मेरे साथ कार चलाना शिखना ही होगा । तभी मुझे लगेगा आपके मन में मेरे बारे में गलत विचार नही हे "

" भाई साब अब क्या कहूं । आप तो पीछे ही पड़ गए मेरे "

" हां में ऐसा ही हूं । थोड़ा जिद्दी हूं प्लीज आइए ना "

गुंजन अपनी होंठ कटने लगी और सोचने लगी । बेचारा । इसके बारे में अब तक में गलत समझ रही थी । ठीक हे बैठने में क्या जाता है बैठना ही तो हे । " ठीक भाई साब जब इतना कह रहे है तो आप शिखाइये कार चलना "

गुंजन कारेल मिया की गोद में बैठ गई । और करेल मिया ने दरवाजा बंद कर लीया ।
 

Top