समय बर्बाद ना करते हुए कहानी पर चलते है। आगे जो भी कैरेक्टर आएगा उसका परिचय साथ में करा दूंगा।
बात उस समय की है जब मै और मेरी बहन संजना स्कूल में थे। हमलोग क्लास अलग अलग था लेकिन स्कूल एक ही था। मेरे साथ रोज किसी ना किसी के साथ झगड़ा हो जाता। बात होती कि कोई मेरी बहन संजना के बारे में गलत बाते बोल देता तो मेरा दोस्त मुझे बता देते और मै उस लड़के के साथ झगड़ा कर लेता। सिकायत स्कूल से घर तक आता। एक दिन मेरे पिताजी ने मुझे हॉस्टल भेजने के लिए कहा और मै थोड़ा नानुकुर करने के बाद तैयार हो गया।
मै हॉस्टल से दस दिन के अंदर ही भाग आया घर आने पर मेरी बहुत पिटाई हुई। पिताजी को मेरे से ज्यादा उनके पैसे प्यारे थे। उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया और बोला कि या तो तुम चुप चाप हॉस्टल चले जाओ और नहीं पढ़ना चाहते हो तो मै तुम्हारे ऊपर जितना पैसा खर्च किया हूं उतना ब्याज के साथ वापस करो। मै मरता क्या न करता। और वापस दादाजी के साथ हॉस्टल चला गया। दादाजी हॉस्टल के प्रधानाध्यापक से मिल का मुझे काफी समझाया और मुझे वापस हॉस्टल में रख कर चले आए। उसके बाद मै साल में दो चार दिन के लिए ही वापस आता। मै स्कूल खत्म कर के कॉलेज सुरु कर दिया।
कॉलेज में मै कुछ ज्यादा बिगड़ गया, हॉस्टल में शराब सिगरेट पीने लगा हॉस्टल के लड़के मुझे मूठ मारना सिखा दिया। कुल मिला कर मै सब गंदी आदते सीख चुका था। मेरा कॉलेज में दूसरा साल चल रहा था। उस समय बुआ की सादी का दिन निकल गया तब मुझे घर जाना पड़ा। पहले भी कई बार हम घर गए हुए थे लेकिन इस बार हमारे घर पहली सादी थी यानी हमारे लखनऊ वाले घर पर पहली सादी होनी थी। मै भी पूरे एक महीने तक का छुट्टी डालकर
दस दिन पहले घर आगया। मै शाम को घर पहुंचा किसी को मालूम नहीं था कि मै जल्दी आने वाला हूं। मुझे देख कर सभी लोग चौक गए क्योंकि मै दस साल में दस महीने भी घर पर नहीं रहा था। पिताजी घर पर नहीं थे क्योंकि उनका व्यापार ज्यादा बढ़ गया था और वो ज्यादा घर से बाहर ही रहते थे। शाम को मै दादाजी के साथ बाहर चला गया देर रात को घर आया तो आते ही दीदी मुझे खाने के लिए बोला। मै दादा जी के साथ ही खाना खाया और उनके ही रूम में सोने के लिए लेट गया। मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मुझे खाना खाने के बाद सिगरेट पीने की लत लगी थी और इस समय मुझे सिगरेट की तलब लगी थी। मैअपने हेंड बैग से सिगरेट और लाइटर निकाल कर छत को तरफ चल दिया। क्योंकि मै पहले भी मै छत पर पानी टंकी के पास छुपकर सिगरेट पीता था, तो मै अपना पुराना जगह पर बैठ कर सिगरेट जलाया और एक लंबा कस मारा तब मेरे दिल को सुकून मिला। अभी आधा ही सिगरेट जलाया था तभी छत पर किसी की आने की आहट सुनाई दी। मै अच्छे से टंकी के पीछे छुप गया। सीढ़ी पर एक लोहा का दरवाजा लगा था उसका बंद होने कि आवाज सुनाई दिया,उसके बाद छत पर एक कमरा बना हुआ था जिसमें दुकान का एक्स्ट्रा समान रखा रहता था। एक तरह से छोटा गोदाम था। उसका दरवाजा खुलने और बंद होने कि आवाज सुनाई दिया। मुझे कुछ समझ मै नहीं आया मै जल्दी से सिगरेट खत्म करने लगा। मुझे दर था कि कोई चोर तो नहीं आगया। मै सिगरेट खत्म करके दबे पांव स्टोर रूम के पास आया अंदर लाइट जल रही थी। पायल और चूड़ियों कि खनकने की आवाजे आ रही थी। मुझे दाल में काला नजर आया मै रेलिंग पर चढ़ कर भिंडिलेटर से देखने लगा,अंदर का सीन देख कर मै स्तब्ध रह गया। मेरी मां और चाचा बंद कमरे में चाचा मम्मी का ब्लाउज खोल रहे हैं और मम्मी साड़ी निकाल रही है। चाचा पूरी तरह से जन्मजात नंगे है। मुझे अपने मम्मी पर बहुत गुस्सा आया और मै रेलिंग से नीचे उतर गया