अपडेट 44
घर पहुंचकर अविनाश दीप्ति के हाथ से बैग लेकर अंदर आता है और बैग को अपने कमरे में रख देता है।
दीप्ति : आप दो मिनिट रूके मैं फ्रेश होकर आती हूं।
अविनाश : ठीक है मैं भी आराम कर लेता हूं थोडा थक गया हूं।
दीप्ति : लाइए जरा बैग दे दीजिए जो कपडे आपको पसंद हो वो दे दीजिए आपको वो ही पहनकर दिखाउंगी।
अविनाश : यार घर के अंदर कपडों की कोई जरूरत नहीं है तू वॉशरूम जा रही वहां से जब निकलकर आएगी तो तेरे शरीर पर एक भी कपडा मुझे नहीं चाहिए। ये कपडे तो तब के लिए हैं जब हम बाहर जाएंगे।
दीप्ति : क्या आप मुझे बाहर इन कपडों में लेकर जाएंगे।
अविनाश : हां और जब हम लोग अपने घर पहुंचेगे तो तू ये ही कपडे पहनेगी।
दीप्ति : क्या घर पर जीवन, रोहित, अनुष्का, तृप्ति के सामने ऐसे कपडे मुझे तो शर्म आएगी।
अविनाश : कुछ शर्म नहीं आएगी। तू चिंता मत कर घर पर अनुष्का और तृप्ति भी ऐसी ही कपडे पहनेंगी। जिससे मुझे जब भी तुम तीनों में से किसी को चोदना हो तो आराम से चोद सकूं। कपडे उतारने का झंझट ही नहीं हो।
दीप्ति : वो तो वैसे ही आप किसी से भी कह देंगे वो आपके साथ बेडरूम में चली जाएगी।
अविनाश : और जब मन होगा तो इतना टाइम किसके पास होगा। अब ज्यादा बातें मत कर नहीं तो अभी तुझे पटककर चोद दूंगा।और ये कपडे भी कुछ दिन ही तुम लोगों को पहनने दूंगा। फिर घर में जब मैं अकेला रहूंगा तो तुम तीनों को घर में मेरे सामने नंगा रहना होगा।
दीप्ति : क्या आप हम तीनों को एक साथ नंगा रखेंगे।
अविनाश : हां जिससे तुम लोगों की शरम एक दूसरे के से खत्म हो जाए। क्योंकि मुझे तुम तीनों को एक ही विस्तर पर एक ही साथ चोदना है।
दीप्ति : अरे तो वो काम तो आप वैसे ही कर लेंगे। उसके लिए हम लोगों को नंगा रखने की क्या जरूरत है।
अविनाश: मुझे तुम लोगों को नंगा देखने में मजा आएगा। इसलिए अब उसे छोड तू बता तैयार हो रही है कि अभी ही तेरी चुदाई शुरू कर दूं।
दीप्ति : ठीक है और मैं वॉशरूम में चली जाती हूं और 10 मिनिट बाद जब निकलती हूं तो मेरे शरीर पर एक भी कपडा नहीं था।
अविनाश मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था मैं सीधे विस्तर पर पहुंचती हूं और अविनाश की बाहों में समा जाती हूं और अविनाश के होठों पर टूट पडती हूं। हम दोनों एक दूसरे को होठों को चूस रहे थे।
मेरी सांसे अब गरम हो रही थी। अविनाश मेरे होठों को चूसने के साथ ही मेरी गांड को भी सहला रहा था जिससे में गरम होती जा रही थी। हम दोनों एक दूसरे के मुंह के अंदर जीभ डाल रहे थे। और फिर अविनाश ने मुझे नीचे लिटा दिया और खुद मेरे उपर आ गया। और मेरे होठों को चूसने लगा। मेरे होठों को चूसते हुए अविनाश ने कहा दीप्ति डार्लिंग तेरे होठ कितनी मीठें मन करता है जिंदगी भर इन्हें बस चूसता ही रहूं।
दीप्ति : तो मना किसने किया है आपके सामने हूं जितना मन कर चूसो मैं अपने पति से कभी भी मना नहीं करूंगी। अब अविनाश ने मेरे होठों को चूसते चसते मेरी चूचियों को भी दबाना शुरू कर दिया। मेरी पूरी चूची अविनाश के हाथ में थी और वो उसे धीरे धीरे दबा रहा था। मुझे भी बहुत मजा आ रहा है। मेरे मुंह से अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा हा हा की सिसकारियां निकालने लगती थी। अब अविनाश मेरी चूचियों के निप्पल पर आता है और उन्हें अपने मुंह में भरकर चूसने लगता है। इसके बाद अविनाश नीचे की ओर आया और मेरे पेट और नाभी को चूसने के बाद वो मेरी चूत तक पहुंच गया। और अविनाश ने मेरी चूत की दरारों पर अपना मुंह लगा दिया।
अविनाश अपनी जीभ से हल्का हल्का मेरी चूत को चाटने लगा। आविनाश द्वारा चूत को चाटने से मैं अब बहुत ज्यादा गरम हो गई थी। अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा की आवाजें निकल रही थी। अविनाश बहुत अच्छे से मेरी चूत चाट रहा था। पिछले दो दिन से ही मुझे पता चला था कि चूत चटाई में कितना मजा आता है। जीवन ने तो जिंदगी में मेरी चूत चाटी नहीं थी। उसने मेरा जीवन ही बर्वाद कर दिया था। मैं कुछ ऐसा सोचने लगती हूं। और दूसरी ओर अविनाश मेरी चूत के दाने पर अपनी जीभ घुमा रहा था और तेजी से मेरी चूत चाट रहा था जिससे मेरी चूत से हल्का हल्का पानी निकलने लगा। अविनाश मेरी चूत के रस को पीता भी जा रहा था। अविनाश मेरी चूत से निकलने वाला सारा पानी पी गया। अब मैं बहुत गरम हो गई थी मैं अविनाश के सिर को पकडकर अपनी चूत पर दबा रही थी। और लगातार चिल्ला रही थी अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा जान ऐसे ही चूसते रहो। जान बहुत मजा आ रहा है अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा ऐसे ही जान अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा अविनाश अब अपनी जीभ को मेरी चूत में अंदर की तरफ डाल रहा था। जिससे मेरी चूत से पानी का फुव्वारा से छूट गया और अविनाश ने मेरा सारा पानी चाटकर साफ कर दिया। अविनाश अब मेरी चूत के दाने को काट रहा था। जिससे मेरी चीख निकल रही और मैं अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा कर रही थी। अब अविनाश मेरे उपर से हट जाता है और अपना लंड मेरे मुंह के करीब ले आता है मैं समझ गई थी कि मुझे क्या करना है। मैंने अविनाश के लंड को अपने हाथों में पकडा और पहले उसे थोडा आगे पीछे किए और फिर उस पर अपनी जीभ रख थी।
लंड को थोडा चाटा और फिर उसे अपने मुंह में डालकर चूसना शुरू कर दिया। अविनाश का लंड मेरे मुंह में फूलता जा रहा था। मैं अब पागलों की तरह अविनाश के लंड को चूस रही थी। लप लप लप लप की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। बीच बीच में मैं अविनाश के लंड को मुंह से बाहर निकलती और उसकी लंड की गोटियां चूसना शुरू कर देती और फिर लंड मुंह में डालकर उसे चूसने लगती। अविनाश का लंड अब पूरे फारम में आ चुका था। मैंने अविनाश की ओर देखा और उससे कहा जान अब मेरे चूत बहुत पानी छोड रही है प्लीज इसकी प्यार बुझा दो। मेरी बात सुनते ही अविनाश मेरी चूत पर आया और मेरी दोनो टांगो फैलाकर अपने बेटने की जगह बनाई और मेरी चूत पर अपना लंड रगडने लगा। अविनाश मेरी चूत को मैंने अपने हाथों से मसल रहा था। लंड को चूत पर रगड रहा था लेकिन मेरी चूत में अपना लंड नहीं डाल रहा था। मैंने अविनाश ने कहा कि जान क्यो तरसा रहे हो। प्लीज अपना लंड मेरी चूत में डाल दो। अविनाश : अरे डार्लिंग तुम इतने प्यार से बोलोगी तो कैसे मना कर पाउंगा और अविनाश ने अपने लंड को मेरी चूत पर सेट करके एक जोरदार धक्का मारा जिससे उसका लंड मेरी चूत में पांच इंच तक चला गया। लेकिन इससे मेरी हल्की सी चीख निकल गई।
अविनाश : डार्लिंग तुम्हें इतना चोद चुका हूं। लेकिन अभी भी तुम्ळारी चीख निकल रही है। मैंने कहा कि अभी दो दिन ही हुए हैं और तुमने तो एक ही धक्के में अपना पूरा लंड घुसाने की कोशिश की है। अब एक सप्ताह हो जाए तो मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। फिर तुम कैसे भी धक्के मार लेना। और अविनाश ने फिर दूसरा धक्का मारा और उसका पूरा लंड अब मेरी चूत में समा गया था मेरी एक और चीख निकली। लेकिन अब अविनाश ने इसकी परहवा नहीं की। अब अविनाश ने मेरी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए। अविनाश का लंड तेजी से मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। दस मिनिट तक अविनाश ने मुझे मिसनरी पोजीशन में ही चोदा और फिर मुझे घोडी बना दिया और मुझे झुका दिया।
अब अविनाश पीछे ने मेरी चूत मारने लगता है। उसका लंड सटा सट मेरी चूत में दौड लगा रहा था। मेरी चूत बार बार पानी छोड़ रही थी जिससे अविनाश का लंड आसानी से मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। थोडी देर तक अविनाश मुझे घोडी बनाकर चोदता रहा। फिर अपना लंड मेरी चूत से निकालकर मुझे जमीन पर बैठा दिया और अपना लंड मेरे मुंंह में दे दिया और कहा कि लंड को चाट कर साफ कर दो अब तेरी गांड मारूंगा। मैंने भी अविनाश की बात को नहीं टाला और उसका लंड चाट चाट कर साफ कर दिया। अब अविनाश ने मुझे विस्तर पर पेट के बल लिटाया और अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया। अविनाश ने एक हल्का सा धक्का लगाया और उसका लंड डेढ इंच मेरी गांड में चला गया लेकिन मेरी बहुत जोर की चीख निकल गइ उईईईईईईईई उईईईईईईईई उईईईईईईईई मेरी चीख सुनकर अविनाश एकदम से रूक गया।
अविनाश : क्या हुआ जान तुम तो ऐसी चीख रही हो जैसे कि पहली बार तुम्हारी गांड मार रहा हूं।
दीप्ति : जान तुम ये तो देख लो गांड अभी पूरी तरह से सूखी है अब तक तुमने जब भी गांड मारी उसे चिकना करके ही मारा गांड अभी इतनी ढीली नहीं हुई कि तुम्हारा लंड आसानी से ले लें।
अविनाश : सॉरी जान मुझे ये ध्यान ही नहीं रहा। रूको पहले तुम्हारी गांड का इंतजाम करता हूं।
दीप्ति : अरे इसमें सॉरी कहने की क्या बात है ये तो हो जाता है मुझे मालूम है आप मुझे जानबूझकर कभी भी तकलीफ नहीं देंगे। अविनाश पास में से ही जैली उठाता है जो आज ही हम लोगों ने खरीदी थी। और शायद अविनाश ने मेरी गांड मारने के लिए ही इसे लिया था। अविनाश ने मेरी गांड में जैली लगाई जिससे मेरी गांड चिकनी हो गई उसके बाद उसने अपने लंड पर भी थेाडी से जैली लगाई और फिर मेरी गांड पर अपना लंड सेट कर दिया। अब अविनाश ने धक्का मारा तो लंड तीन इंच तक आराम से चला गया। मैंने कहा कि जान तुम ऐसे ही धीरे धीरे धक्के मारकर मुझे चोदों लंड अपने आप गांड में चला जाएगा और अविनाश ने भी धीरे धीरे धक्के मारना शुरू कर दिए हर धक्के के साथ लंड थोडा थोडा अंदर जाता रहा और करीब छह इंच लंड अंदर पहुंचा था तो फिर वहां से आगे नहीं बढ रहा था। अविनाश ने फिर एक जोरदार धक्का मारा और लंड को पूरा मेरी गांड में घुसा दिया।
मेरे एक बार फिर चीख निकली, अविनाश ने फिर मेरे पूरी पीट को चूमना और चाटना शुरू कर दिया और फिर धीरे धीरे धक्के मारकर मेरी गांड मारना शुरू कर दिया। दस मिनिट तक अविनाश ने मेरी गांड मारी और उसके बार मेरे उपर से हट गया। अब अविनाश नीचे लेट गया और मैं अपनी गांड पर लंड सेट कर अविनाश के उपर बैठ गई लंड को अपनी गांड में अंदर लेने के बाद मैं अविनाश के लंड पर उछलने लगी। पहली बार था कि मैं अविनाश के लंड को अपनी गांड में लेकर उछल रही थी। नहीं तो अभी तक मैं नीचे होती थी और अविनाश उपर आकर मेरी गांड मार रहा होता था। अब मुझे भी गांड मरवाने में मजा आने लगा था।
दीप्ति : आहहह जान पता नहीं था कि गांड मरवाने में इतना मजा आता है।
अविनाश : जान चिंता मत करो में तुम्हारी अब रोज गांड मारूंगा और साथ ही चूत भी मारूंगा चूत मारकर ही तो मुझे तुमसे बच्चा मिलेगा।
दीप्ति : जान कुछ भी मार लेना मेरी चूत और गांड अब तुम्हारी हैं और बच्चे तुम जितने चाहों उतने ले लेना। मैं भी अब चाहती हूं कि तुम जल्दी से जल्दी मुझे अपने बच्चे की मां बना दो। मैं पूरी तरह से तुम्हारी हूं जान तुम जो चाहे मुझे बना तो मैं मना नहीं करूंगी। और अविनाश तेजी से मेरी गांड मारने लगता है वो नीचे से मेरी गांड में धक्के लगा रहा था। बीस मिनिट बाद अविनाश मेरी गांड में ही झड जाता है और हम दोनों एक दूसरे को बाहों में समेटे आराम करने लगते हैं।
अविनाश : जान तुम्हें चोदने में जो मजा है वो किसी भी चीज में नहीं है।
दीप्ति : मुस्कुराते हुए मस्का मार रहे हो ना मुझे
अविनाश : नहीं जान सच कह रहा हूं। रात को 12 बजे के करीब एक बार फिर अविनाश मेरी चुदाई करता हैं और फिर वो लोग सो जाते हैं।