Incest सास बनी दामाद के बच्चों की मां

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आने के बाद मैंं कभी भी जल्दी नहीं उठ पाई। उसके पीछे का कारण था मेरी चुदाई जो देर रात तक चलती थी। ऐसा भी नहीं कि मेरा मन नहीं होता था। बल्कि मैं तो चाहती थी कि अविनाश रात दिन मेरी चुदाई करता रहे। इसलिए मैं भी घर में नंगी ही रहती थी और मेरी कोशिश रहती कि अविनाश को जितना रिझा पाउ ताकि वो मेरी चुदाई कर सके। सुबह नौ बजे उठने के बाद सबसे पहले मैं फ्रेश हुई और फिर जल्दी से नहा धोकर हल्का सा मैकअप किया। कपडे तो पहनने नहीं थी। और जहां तक नहाने वाली बात थी तो थोडी देर बाद फिर से नहाना था। क्योंकि अविनाश मुझे अपने साथ वॉशरूम जरूर ले जाता था। और नहाते हुए एक बार मेरी चुदाई जरूर होनी थी। लेकिन अविनाश जब सुबह उठे तो मैं उसे सजी हुई दिखू इसलिए सुबह सबसे पहले नहा कर तैयार हो गई थी फिर मैंने अविनाश के लिए चाय नाश्ता तैयार किया और इसमें 10.30 बजे गए अविनाश अभी तक सोया हुआ था। मैं चाय नाश्ता लेकर कमरे में आती हू और उसे साइट में टेबल पर रखकर अविनाश को उठाने विस्तर पर पहुंचती हूं तभी मेरी नजर अविनाश के लंड पर पडती हैं। उसे देखकर मैं मन ही मन सोचता हीं कि मेरी जान का हथियार कितना बडा और कितना सुंदर है। मन करता है कि जिंदगी भर इसे अपनी चूत में लेकर डली रहूं और मेरे हाथ खुद ब खुद अविनाश के लंड पर पहुंच जाते हैं और उसके सहलाने लगते हैं। फिर मेरे मन में ज्यादा क्या विचार आता है और में अविनाश को उठाना भूलकर अविनाश का लंड चाटना शुरू कर देती हूं और फिर धीरे धीरे लंड को अपने मुंह में ले लेती हूं और अब मैं अविनाश के लंड को मुंह के अंदर लेकर उसे चूसने और चाटने लगती हूं।


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मेरी लंड चुसाई से अविनाश की भी आंख खुल जाती हैं और जब वो देखता है कि मैं उसका लंड चूट रही हूं तो उसकी चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ जाती हैं। और अविनाश का हाथ अब मेरे सिर पर आ जाता है जिससे मैं समझ जाती हूं कि अविनाश अब उठ गया है और मैं लंड को मुंह से निकाल देती हूं और जब लंड को देखती हूं तो वो पूरा खडा हो चुका था। मैं एक बार फिर अविनाश के लंड को एक किस करती हूं और फिर उसके होठों की तरह आकर उसके होठों को चूसने लगती हूं दो मिनिट की किसिंग के बाद मैं अविनाश से दूर हटती हूं।

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दीप्ति : गुड मार्निंग जान।
अविनाश : अरे जान पीछे क्यो हट गई सुबह सुबह इतना मजा आ रहा था एक राउंड कर लेते हैं।
दीप्ति : नहीं साढे दस बज रहे हैं पहले नाश्ता करो और नहा धोकर तैयार हो जाओ उसके बाद जो करना हो कर लेना मैं तुम्हें कभी भी रोकती नही हूं।
अविनाश : अरे तो अभी एक राउंड कर लेते हैं और अविनाश मुझे अपनी बाहों में खींच लेता है। और मेरे होठों को चूसने लगता है। में कुछ देर अविनाश का साथ देती हूं लेकिन फिर उसकी बाहों से निकल
दीप्ति : देखों जान मैं कहीं नहीं जा रही हूं पहले पेट पूजा कर लो मैं तुम्हारी सामने ही हूं जितना चाहो चोद लेना मुझे बहुत भूख लग रही है।
अविनाश मेरी बात सुनता है और मुझे बडे प्यार से देखते हुए मेरे गाल पर एक किस करता है और कहता है।
अविनाश : अच्छा मेरी जान को भूख लग रही है पहले बताना चाहिए था। चल पहले नाश्ता करते हैं फिर मैं तेरा नाश्ता करूंगा।
दीप्ति : ठीक है लेकिन मेरा नाश्ता वॉशरूम में कर लेना। क्योंकि आप मुझे अभी विस्तर पर चोदेंगे फिर वॉशरूम में चुदाई शुरू कर देंगे।
अविनाश : अरे तो क्या हुआ क्या वॉशरूम में नहीं चुदवाओगी।
दीप्ति : आप जहां चाहों मुझे चोद लो। लेकिन आपने कल क्या कहा था कि हम लोग मूवी देखने चलेगे। 20 मिनिट का तो रास्ता ही है यहां से सिनेमा हॉल पहुंचने में। और साढे दस बज गए हैं। अब आप ही सोच लो कब तक हम लोग तैयार होंगे और कब निकलेगे और आप दो दो बार चुदाई की बात भी कर रहे हैं।
अविनाश : अरे ये तो मैं भूल ही गया था। और अविनाश मुझे अपनी बाहों से आजाद कर देते हैं और जल्दी ही चाय नाश्ता करता है और मुझे लेकर वॉशरूम में घुस जाता है। अविनाश जान आज जरा जल्दी जल्दी करना क्योंकि हमें जल्दी ही निकलना है।
दीप्ति : अभी तो चुदाई की बात कर रहे थे।
अविनाश : चुदाई तो तेरी करूंगा। अभी यहां करता हूं फिर रास्ते में जहां मौका मिलेगा वहां तू चुदेगे पहले मेरा लंड चूसना शुरू कर और मैं अविनाश का लंड चूसना शुरू कर देती हूं। शॉवर का पानी उपर से गिर रहा था और नीचे मैं अविनाश का लंड चूस रही थी। अविनाश के मुंंह से आह आह आह की आवाजें निकल रही थीं।


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दीप्ति : जान क्या मेरी चूत नहीं चूसोगे
अविनाश : नहीं जान अभी टाइम नहीं हैं अभी तो तू दीवार के सहारे झुककर खडी हो जा जल्दी से तेरी चूत और गांड मार लूं क्योंकि मेरा पानी नहीं निकलेगा तो मुझे बेचैनी रहेगी।
दीप्ति : लेकिन तुम्हारा पानी जल्दी निकलता भी कहा है।
अविनाश : वो बाद में देंखेंगे और अविनाश मुझे उठाकर दीवार के साहारे खडा कर देता है मैं दीवार का सहरा लेकर घोडी बन जाती हूं और अविनाश मेरे पीछे आकर अपना लंड मेरी चूत में डाल देता है चूत हल्की गीली थी लेकिन अविनाश मुझे इतना चोद चुका था इसलिए जब अविनाश ने चूत पर लंड सेट कर हल्का धक्का लगाया तो लंड चूत में तीन इंच चला गया और मेरे मुंह से आह निकल गई। आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आईईईर्ईर्ईर्ईर् और अविनाश ने इसके बाद दो और धक्के मारे और उसका लंड मेरी चूत की गहराई में पहुंच गया और अविनाश ने एकदम से अपने धक्के तेजी से लगाने शुरू कर दिए मैं समझ रही थी कि अविनाश जल्दी से जल्दी अपना पानी निकलना चाहता है इसलिए मैं भी अपनी कमर पीछे करके उसके लंड को ज्यादा से ज्यादा अंदर लेने की कोशिश कर रही थी। पंद्रह मिनिट तक अविनाश एक ही पॉजीशन में मुझे चोदता रहता है उपर से शॉवर का पानी अभी भी हम दोनों के उपर गिरता रहता है।


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मेरा शरीर अकडने लगता है मैं झडने वाली थी। और मैं अविनाश से कहती हूं कि अविनाश और तेज और तेज9 तभी मोबाइल में सवा 11 बजे का अलर्म बज उठता है जो अविनाश ने ही थोडी देर पहले लगाया था। अलर्म बजते ही अविनाश मुझे छोड देता है और कहता है कि दीप्ति अब जल्दी से तैयार हो जाओ हमें 20 मिनिट में निकलना हैं। मैं अविनाश की ओर याचिना भर नजरों से देखते हुए कहती हैं कि प्लीज थोडी देर और मेरी चुदाई कर दो मेरा पानी निकल जाएगा।
अविनाश : नहीं जान बाद में अभी तो जितना तुम तडपोगी उतना ही मजा तब आएगा जब मैं तुम्हारी चुदाई करूंगा और अविनाश एक टॉवल मुझे देता हुआ कहता है कि फटाफट तैयार हो जाओ। जल्दी से हम दोनों लोग अपने कपडे पहनते हैं और शहर जाने के लिए निकल पडते हैं।
 
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मेरी लंड चुसाई से अविनाश की भी आंख खुल जाती हैं और जब वो देखता है कि मैं उसका लंड चूट रही हूं तो उसकी चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ जाती हैं। और अविनाश का हाथ अब मेरे सिर पर आ जाता है जिससे मैं समझ जाती हूं कि अविनाश अब उठ गया है और मैं लंड को मुंह से निकाल देती हूं और जब लंड को देखती हूं तो वो पूरा खडा हो चुका था। मैं एक बार फिर अविनाश के लंड को एक किस करती हूं और फिर उसके होठों की तरह आकर उसके होठों को चूसने लगती हूं दो मिनिट की किसिंग के बाद मैं अविनाश से दूर हटती हूं।

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दीप्ति : गुड मार्निंग जान।
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अविनाश : अरे ये तो मैं भूल ही गया था। और अविनाश मुझे अपनी बाहों से आजाद कर देते हैं और जल्दी ही चाय नाश्ता करता है और मुझे लेकर वॉशरूम में घुस जाता है। अविनाश जान आज जरा जल्दी जल्दी करना क्योंकि हमें जल्दी ही निकलना है।
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दीप्ति : जान क्या मेरी चूत नहीं चूसोगे
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Bahut badhiya update bhai
 
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अपडेट 46
मैं इस समय एक शार्ट स्कर्ट और शार्ट टॉप में थीं जिसमें से मेरी बूब की लाइनें साफ साफ दिखाई दे रही थी। अविनाश ने मुझे ब्रा नहीं पहनने दी थी। हा पेंटी जरूर मैंने पहनी थी उसका कारण था कि यदि मैं पेंटी भी ना पहनती तो कहीं भी भी बैठते समय कोई भी मेरी चूत को साफ साफ देख सकता था। और मेरी चूत अविनाश की प्रॉपर्टी बन चुकी थी। इसलिए उसने पेंटी पहनने से मना भी नहीं किया। लेकिन जब मैंने इस ड्रेस में खुद को देखा तो मुझे खुद ही शरम आ रही थी। लेकिन तभी अविनाश की आवाज आती है

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अविनाश : जान कितना टाइम लगाओगी हम लोग लेट हो रहे हैं।
दीप्ति : जी मैं तैयार हो गई चलिए और मेंं अविनाश के साथ बाइक पर बैठ जाती हूं। ठीक 12 बजे हम लोग शहर में बने सिनेमा हॉल में पहुंच जाते हैं। ना जाने कौन सा सिनेमा हॉल था दिखने में तो ठीक लग रहा था लेकिन उसमें जो फिल्म लगी थी वो कोई अंग्रेजी पिक्चर थी और ये फिल्म एडल्ट थी। जिसे देख मैंने अविनाश से कहा जान हम लोग क्या ये पिक्चर देखेंगे।
अविनाश : यार पहले ही देर हो चुकी है और अबकहीं ओर जाएंगे तो पिक्चर निकल जाएंगी जब यहां आ गए हैं तो चलो इसे ही देख लिया जाए और अविनाश बाइक स्टेड में लगाकार बुकिंग विंडों पर पहुंचता है वो रेट लिस्ट पर नजर डालता है और कहता है कि बॉक्स की सीट मिल जाएगी।
टिकट काउंटर वाला जवाब देता है सर बॉक्स तो हॉल में नहीं हैं बालकनी है। दो बालकनी है एक छोटी जिसमें सिर्फ 12 सीटें हैं और एक बड़ी। छोटी वाली का टिकट महंगा होने के कारण उसका टिकट नहीं बिका है। वैसे भी कल ये फिल्म हट रही है आज ज्यादा लोग भी नहीं है पहले शो में वैसे भी कम ही लोग आते हैं। कुल 15 टिकट बिके हैं बॉलकनी तो पूरी ही खाली पड़ी है। बस रात के शो में एक ग्रुप आया था जिसने बॉलकनी के टिकट लिया था। आप कहीं भी बैठ जाना और मैने उसकी बातें सुनकर एक हजार रुपए दिए और दो टिकट मांगे एक टिकट 300 रुपए का था। मैंने उससे कहा कि चार सौ रुपए टिप का रख लेना किसी को अब वहां आने मत देना. मेरी बात सुनकर टिकट काउंटर वाला भी खुश हो जाता है और मुझे दो टिकट देता है। मैं दीप्ति को लेकर हॉल के अंदर पहुंच जाता हूं और फिर उसे लेकर छोटी वाली बॉलकनी में ले जाता हूं। जो पूरी तरह से कवर था साइड में गेट भी लगा हुआ था मैं गेट बंद कर देता हूं। उसमें कुल 12 सीटें थी। और सिर्फ हम दो लोग ही उसमें थे।
दीप्ति : जान यहां तो कोई भी नहीं है
अविनाश : हां जान मैंने बुक कर लिया है; अब यहां कोई नहीं आएगा मैं और मेरी जान ही अकेले बैठकर फिल्म देखेंगे
 
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अपडेट 47
अविनाश मेरी कमर में हाथ डालकर हॉल के अंदर ले जाता है। तभी पीछे से आवाज आती है भाई क्या जबरदस्त रंडी है।
दूसरी आवाज : हां भाई लेकिन अपने वश की नहीं है बहुत महंगी होगी।
ये आवाजें सुनकर जहां मैं शरमा रही थी वहीं अविनाश का चेहरा तमतमा रहा था और वो पलटकर उन लोगों से लडने के लिए कदम बढाता है लेकिन मैं अविनाश के हाथ पकड लेती हूं।

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दीप्ति : प्लीज आपको मेरी कसम आप लड़ाई नहीं करेंगे;
अविनाश : लेकिन तुमने सुना नहीं वो लोग क्या कह रहे थे;
दीप्ति : उन्हें कहने दो वैसे भी आप मुझे इस तरह के कपडे पहनाकर सी ग्रेड के हॉल में ले आए हैं. यहां तो ऐसे ही लोग मिलेंगे;
अविनाश : तुम क्या चाहती है हम लोग यहां से चले;
दीप्ति : दीप्ति समझ जाती है कि अविनाश का मूढ खराब हो रहा है। इसलिए वो उसे मनाने लगती और कहती है। मैंने ये कब कहा, हम लोग मूवी नहीं देखेंगे। चलिए अब जल्दी अंदर चलिए नहीं तो कोई फिर कमेंट कर देगा तो आप फिर भिडने लग जाएंगे। और दीप्ति अविनाश का हाथ पकडकर अंदर ले जाती हैं। जब अविनाश बॉलकनी में पहुंचता है तो वो देखकर दंग रह जाता है क्योंकि वो किसी कैबिन जैसी बनी हुई थी। अविनाश दीप्ति को लेकर सबसे पीछे की सीट पर बैठ जाता हैं और दीप्ति को भी अपनी गोद में ही बैठा लेता है।
अविनाश : डार्लिंग तुम मेरे साथ खुश तो हो ना, तुम्हें ऐसा तो नहीं लगता मैं तुम पर हुकुम चलता हूं और तुम्हें तुम्हारी मर्जी के कपडे भी नहीं पहनने देता।
दीप्ति: ये आपसे किसने कहा कि मैं खुश नहीं हूं मुझे देखकर लगता है कि मुझे कोई दुख है। शायद जिंदगी में मैं पहले कभी इतना खुशी रही हूं जितना इस समय हूं। आपने मुझे से खुशी दी है वो मुझे पहले कभी नहीं मिली। और रही कपडों की बात तो कोई भी औरत अपने पति के लिए सजती है। यदि उसके पति को कोई ड्रेस अपनी बीबी पर अच्छी लगती है तो उसे पहनने में कोई बुराई नहीं हैं। मैं तो अब वो ही ड्रेस पहनूंगी जो आप मुझे पसंद करके देंगे। नहीं तो
अविनाश : नहीं तो क्या नंगी रहेगी
दीप्ति : हां नंगी भी रह लूंगी यदि आप रखना चाहो तो। आपको अपनी बीबी की इज्जत का ख्याल रखना है मुझे क्या आप जहां कहेंगे मैं तो कपडे उतार दूंगी;
अविनाश : चल ज्यादा मत बोल।
दीप्ति : देख लेना कभी टेस्ट लेकर
अविनाश : ठीक है देख लूंगा तभी हॉल की लाइटें बंद हो जाती है और फिल्म शुरू हो जाती हैं। पूरी फिल्म में गरमागरम दृश्य भरे हुए थे और जैसे ही मूवी स्टार्ट होती है शुरूआत में ही एक औरत और एक आदमी होठ चूसती हुई दिखाई देती है। जिसे देख अविनाश भी दीप्ति के होठ चूसने लगता हैं। दीप्ति अविनाश का पूरा साथ दे रही थी। फिर अविनाश दीप्ति की टॉप की गांठ खोल देता है जिससे दीप्ति के बूब बाहर आ जाते हैं।
दीप्ति : अरे आप ये क्या कर रहे हैं यहां इतने लोगों के बीच में कोई भी कभी भी आ सकता है। प्लीज और दीप्ति टॉप को सही करने लगती है।
अविनाश : यार कोई नहीं आएंगा और अविनाश एक बार फिर दीप्ति का टॉप खोलने की कोशिश करता है;
दीप्ति : जान मान लिया करो।
अविनाश गुस्से से दीप्ति की ओर देखता है और उसे अपनी गोद से उठाकर बगल वाली सीट पर बैठा देता है और खुद खडा होकर दो लाइन आगे वाली सीट पर बैठ जाता है। दीप्ति समझ जाती है कि अविनाश गुस्सा है वैसे भी बाहर जो हुआ उससे उसका मूढ वैसे ही खराब था और अब उसने अविनाश का मूढ खराब कर दिया है। अब उसे ही अविनाश् का मूढ सही करना होगा लेकिन कैसे वो थोडी देर सोचती रहती है फिर कुछ सोचकर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। वहीं अविनाश आगे बैठा मूवी देख रहा था। तभी उसे एहसास होता है कि कोई उसके पीछे खडा है और अविनाश के कंधे पर एक हाथ आ जाता है। अविनाश हाथ को हटा देता है लेकिन फिर दो हाथ आते हैं और उसकी गले में हार की तरह लिपट जाते हैं।


index
अविनाश : पीछे मुड कर तुम अभी अविनाश इतना ही कह पाया था कि उसका मुंह खुला का खुला रह गया क्योंकि मैं अविनाश के सामने पूरी नंगी खडी थी;
दीप्ति : हां क्या कह रहे थे आप पूरी बात तो बोलिए।
अविनाश : बिना आंखे झपकाए मुझे देख रहा था वैसे तो वो मुझे एकदम नंगी कई बार देख चुका था तीन दिन से तो मैं उसके सामने कपडो में कम और नंगी ज्यादा रही थी। अविनाश तुरंत ही मुझे बाहों में भर लेता है।
दीप्ति : जान तुम गुस्सा मत हुआ करो, यदि गुस्सा आए भी तो मुझे सजा दे दिया करो लेकिन इस तरह रूठा मत करो।
अविनाश : यार मैं रूठा नहीं था बस मजाक कर रहा था;
दीप्ति : यदि ये मजाक था तो भी ये अच्छा नहीं था; मेरी तो हालत खराब हो रही थी।
अविनाश मेरे के पूरे शरीर को चूस रहा था। मैं अपने कपडे पीछे ही कुर्सी पर रख आई थी। बीस मिनिट तक अविनाश मुझे चूमता और चूसता रहता है अब मैं बेहद ज्यादा गरम हो चुकी थी। लेकिन ऐसा लग रहा था कि अविनाश को जल्दी नहीं थी अविनाश मुझे दीवार के सहारे खडा करता है और मेरी एक टांग को कुर्सी पर रखता है और फिर अपनी मुंह सीधा मेरी चूत पर टिका देता है मेरी आह निकल जाती हैं. अअ ईई ऊऊऊऊ अअ ईई ऊऊऊऊ अअ ईई ऊऊऊऊ अअ ईई ऊऊऊऊ अअ ईई ऊऊऊऊ यदि इस समय कोई हमें देख लेता तो पर्दे पर चल रही ब्लू फिल्म की जगह असली ब्लू फिल्म देखना शुरू कर देता। में पहले ही गरम हो चुकी थी इसलिए अविनाश की दस मिनिट की चुसाई में ही मेरा पानी निकल गया जिसे अविनाश पूरा पी गया और उसके बाद भी वो मेरी चूत चाटता रहा जिससे मैं फिर से गरम हो गई। और अविनाश का सिर पकडकर अपनी चूत पर दबाने लगी और अपनी कमर हिलाकर चूत में अविनाश का मुंह घुसाने लगी।

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अअ ईई ऊऊऊऊ अअ ईई ऊऊऊऊ अअ ईई ऊऊऊऊ अअ ईई ऊऊऊऊ मेरे मुंंह से आवाजे निकल रहीथ थीं. अविनाश करीब 15—17 मिनिट मेरी चूत चाटी और फिर वो कुर्सी पर बैठ गया। मैं उसका मतलब समझ गई थी इसलिए मैं अविनाश की कुर्सी के नीचे बैठ गई और उसके लंड से खेलने लगी उसे मुंह में लेकर चूसने लगी। थोडी ही देर की चुसाई में लंड अपनी औकात पर आ गया लेकिन अविनाश का लंड लगातार चूसने के कारण अब मुझे कोई दिक्कत नहीं हो रही थी।


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दीप्ति 15 मिनिट तक नॉनस्टाप अविनाश का लंड चूसती रहती है। अविनाश फिर दीप्ति को कुर्सी के सहारे खडा कर झुका देता है और अपना लंड पीछे से मेरी उसकी चूत में सेट करता है और एक जोरदार धक्का लगता चूत मेरी गीली थी और अविनाश के लंड को लेने की अदात भी अब पड गई थी इसलिए लंड असानी से मेरी चूत की गहराईयों में समाता चला जाता हैं और मेरे मुंह से आह निकल जाती हैं आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आईईईर्ईर्ईर्ईर् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आईईईर्ईर्ईर्ईर् अविनाश फिर लंड धीरे से थोडा बाहर खींचता है और फिर एक और धक्का लगता है और लंड पूरा मेरी चूत के अंदर समाज जाता है मेरी एक बार फिर सिसकी निकल जाती है। आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आईईईर्ईर्ईर्ईर् और फिर अविनाश पीछे से मेरी चूत में धक्के मारना शुरू कर देता है अविनाश करीब 20 मिनिट तक मुझे चोदता रहता है


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सामने पर्दे पर क्या चल रहा था ये हम दोनों को ही पता नहीं थी. अचानक पूरे हाल में रोशनी हो जाती है इंटरवेल हो गया था और हमें इसका होश ही नहीं रहा था जब हॉल में रोशनी होती है तो मैं डर के मारे वहीं जमीन पर बैठ जाती हूं। अविनाश भी मौके की नजकत को समझ रहा था आखिर मैं उसकी बीबी थी यदि लोगों की नजर मुझ पर पड जाती तो मेरी खैर नहीं थी। मैं कितनो से चुदती इसका हिसाब भी नहीं होता।
अविनाश : एक काम कर तू अपने कपडे पहन ले
दीप्ति : नहीं तुम चाहते थे मैं नंगी हो जाउं तो मैं नंगी ही ठीक हूं।
अविनाश : पागल हो गई है क्या जल्दी कपडे पहन नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
दीप्ति : नहीं पहनती, आपने कपडे उतारने के लिए कहा था उतार दिए अब कपडे मैं नहीं पहनूंगी यदि आपको नंगी बुरी लग रही हूं तो आप ही पहना दो।
अविनाश दीप्ति की बात समझ जाता है और तुरंत ही पीछे कुर्सी से कपडे उठा है और उसे टॉप और स्कर्ट पहना देता है लेकिन पेंटी नहीं पहनाता;
दीप्ति : अब पेंटी क्यों छोड दी
अविनाश : जान अभी थोडी देर बाद इंटरवैल समाप्त हो जाएगा तो बाकी का बचा काम भी तो करना है।
दीप्ति : जान चलो घर चलते हैं। वहीं जो करना हो कर लेना।
अविनाश : नहीं अब रात को ही घर जाएंगे। और अविनाश एक बार फिर दीप्ति को किस करने लगता है।
दीप्ति : जान भूख लगी है
अविनाश : रूको मैं कुछ लेकर आता हूं और अविनाश बाहर जाता है दस मिनिट बाद अविनाश आता है तो उसके हाथ में एक ट्रे था जिसमें पॉपकार्न, बर्गर, कोल्ड ड्रिक थी। इसके बाद मैं अविनाश की गोद में बैठकर ही ये सब खाती हूं कोल्ड ड्रिंक हम लोग एक ही स्ट्रो से पी रहे थे। थोडी देर में इंटरवेल समाप्त हो जाता है और लाइटें बंद हो जाती है और में एक बार फिर नंगी हो जाती हॅूं।
अविनाश : जान पहले इसे तैयार तो कर दो, अविनाश की बात सुनकर मैं लंड को हाथ में पकडती हूं और उसे चूसना शुरू कर देती हूं। पांच मिनिट में लंड फिर खडा हो जाता है और मैं अब अविनाश के लंड को अपनी चूत में सेट कर बैठ जाती हूं और लंड पर उछलने लगती हूं। मेरे मुंह से सिसकियां निकल रही थीं आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आईईईर्ईर्ईर्ईर् दस मिनिट तक मैं अविनाश के लंड पर उछलती रहती हूूं लेकिन फिर थक जाती हूं अविनाश मुझे थोडा सा उपर उठता है और नीचे से लंड के झटके मारना शुरू कर देता है मेरे मुंह से आवाजे निकलने लगती हैं आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आईईईर्ईर्ईर्ईर् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आईईईर्ईर्ईर्ईर् फिर अविनाश मुझे दीवार के सहारे खडा करता है और पीछे से मेरी गांड में लंड डाल देता है और मेरी गांड मारना शुरू कर देता है। गांड मेेरी अभी भी टाइट थी इसलिए गांड में हल्का दर्द होता है लेकिन अविनाश नहीं मानता और अपना पूरा लंड मेरी गांड में डाल देता है और फिर मेरी गांड में तेजी से धक्के मारने लगता है साथ ही अपनी दो उंगुलियां मेरी चूत में भी डाल देता है अब मैं दोनों ओर से चुद रही थी। अविनाश 20 मिनिट तक मुझे इसी पॉजीशन में चोदता रहता है और फिर उसके धक्के तेज हो जाते हैं; और अविनााश पिफर अपना लंड मेरी गांड से निकालकर मेरी चूत में डाल देता है और मेरी चूत की चुदाई शुरू कर देता है मैं आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आईईईर्ईर्ईर्ईर् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आह आह आह फ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्हह् आईईईर्ईर्ईर्ईर् करती रहती हूं। दस मिनिट तक अविनाश मेरी भीषण चुदाई करता रहता है मैं बुरी तरह से थम गई थी अविनाश अब कुर्सी पर बैठकर मुझे चोद रहा था और दस मिनिट और चोदने के बाद उसका लंड मेरी चूत के अंदर पिचकारी छोड देता है अविनाश के लंड ने पांच छह पिचाकरी मारी थी जिससे मेरी चूत अविनाश के पानी से लबालब भर गई थी। अविनाश उठता है और पीछे से मेरी पेंटी लेकर आता है और उससे वो अपना लंड साफ करता है और फिर मुझे पकडा देता है चूत साफ करने के लिए। अपनी पेंटी से अपनी चूत साफ करती हूं और फिर अविनाश अपने कपडे पहन लेता है और मुझसे भी कपडे पहनने को कहता है लेकिन जब में कपडे नहीं पहनती तो अविनाश खुद मुझे कपडे पहनाता है और कहता है कि चलो अब निकलते हैं वैसे भी पिक्चर भी खत्म् होेने वाली है और अविनाश मुझे आपने साथ लेकर हॉल से बाहर आ जाता है। मेरी हालत खराब हो रही थी मेरा थोडा मैकअप खराब हो गया था साथ ही मैं पेंटी भी नहीं पहने थी। मैं अविनाश की बाइक पर उसके पीछे चिपक कर बैठी थी। अविनाश अपनी बाइक एक रेस्टोरेंट के सामने रोकता है रेस्टोरेंट में केबिन बने हुए थे। अविनाश मुझे एक कैबिन में ले जाता है और मैं कोने में बैठ जाती है और मेरे बाद अविनाश बैठता है तभी वेटर आता है और अविनाश उसमें खाने का आर्डर करता हैं। और वेटर चला जाता है।
दीप्ति : जान तुम्हें मालूम हैं मैं पेंटी नहीं पहने हूं और मेरी स्कर्ट भी बहुत शर्ट है;
अविनाश : अरे कोई बात नहीं वैसे भी तुम्हें यहां कौन जानता है, और जब तक मैं तुम्हारे साथ हूं कोई तुम्हें टच भी नहीं कर सकता।
दीप्ति : हां इस बात की ही राहत है। लेकिन मुझे अजीब लग रहा है;
अविनाश : अरे यार इंज्वैय करो जब तक तू मेरे साथ है अपनी चिंता मुझ पर छोड दो तेरा ये शरीर अब मेरी मिल्कियत है। इसलिए तू चिंता छोड तभी वेटर खाना ले जाता है और अविनाश अपने हाथों से मुझे खाना खिलाता है।
दीप्ति : जान ऐसे ही जिंदगी भर प्यार करते रहना और ये कहते हुए मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं;
अविनाश : चिंता मत कर तुझे जिंदगी भर छोडकर नहीं जाउंगा। खाने खाने के बाद
दीप्ति : अब हम लोग कहां चल रहे हैं यदि तुम मुझे एक पेंटी दिलवा दो तो अच्छा है।
अविनाश : यार अभी तो हम लोग पार्क में चल रहे हैं उसके बाद देखते हैं और अविनाश अपनी बाइक सिटी पार्क की ओर मोड देता है।
 
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मजे लो ये डांस क्लब है अंदर बहुत मस्ती होती है चलो हम लोग भी चलते हैं, मैं कुछ कहती उससे पहले ही अविनाश ने मेरी कमर में हाथ डाला और मुझे अपने साथ अंदर ले जाने लगा। अविनाश का इतना प्यार देख आगे उससे कुछ कह ही नहीं पाई और क्लब के अंदर चली गई। अंदर अंधेरा था लेकिन डांस वाले एरिया में जरूर हल्की रोशनी थी जो रंग बिरंगी थी। फ्लोर पर कई जोडे डांस कर रहे थे। मेरे आंखें भी अब अभ्यसत हो रही थी।


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डांस क्लब में जब मैंने चारों तरफ देखा तो वहां कई कुर्सी टेबिल लगी हुई थी। जहां लोग बेठे दारू, वीयर पी रहे थे अधिकांश लोग जोडे में ही बैठे थे। बाद में अविनाश ने बताया कि यहां जोडों को ही एंट्री मिलती हैं। फिर हम लोग एक टेबिल पर बैठ गए।
अविनाश : बताओ दीप्ति कौन सा ब्रांड पियोगी
दीप्ति : क्या मैं शराब नहीं पीती
अविनाश : यार तुम यूरोप में रही हो फिर भी शराब नहीं पीती
दीप्ति : वहां जरूर कभी कभी जीवन के साथ पी लेती थी लेकिन
अविनाश : अच्छा जीवन के साथ पी सकती हो लेकिन मेरे साथ पीने में तुम्हें दिक्कत हो रही है। तुम बोलो तो जीवन को बुला लूं फिर तो पी लोगी उसके साथ।
दीप्ति को मेरी बातों से झटका लगता है मुझे भी लगता है कि शायद मैं ज्यादा बोल गया और दीप्ति से बोलता हूं सॉरी जान वो मुंह से निकल गया। सॉरी आगे से ऐसा नहीं होगा।
मेरी बात सुनकर दीप्ति भी नार्मल हो जाती है और कहती है नही जान इसमें सॉरी बोलने की कोई बात नहीं है तुमने सही ही कहा यदि मैं जीवन की खुशी के लिए शराब पी सकती हूं तो तुम्हारी खुशी केलिए क्यो नहीं जबकि तुम मुझे जो खुशी दे रहे हो वो जिंदगी में किसी ने नहीं दी।आज मैं अपनी जान के साथ जरूर शराब पियूंगी लेकिन एक शर्त पर।
अविनाश : अब इसें शर्त कहां से आ गई, लेकिन फिर भी बोले अपनी ओर से पूरी कोशिश करूंगा।
दीप्ति : में शराब सिर्फ अपनी जान के हाथों से पियूंगी और वो भी उसकी गोद में बैठकर
अविनाश : अरे ये कौन सा मुश्किल काम है। तुझे अपनी गोद में नहीं बल्कि अपने लंड को तेरी चूत में डालकर तुझे शराब पिलाउंगा और फिर अविनाश एक वेटर को इशारा और उससे दो पैग का ऑर्डर करता है और कुछ खाने को भी मंगाता है। वेटर के जाने के बाद अविनाश और दीप्ति बाते करते रहते हैं। अब उनकी आंखें अंधेरे मेें भी सब कुछ साफ साफ देख सकती थी। दीप्ति की नजर डांस फ्लोर पर जाती है तो वो चौंक उठती है क्योंकि वहां बहुत ही भदï्दा डांस हो रहा था। लडकियों की टीशर्ट, टॉप या जो भी वो उपर पहने हुई थी उनमें लडकों का हाथ घुसा हुआ था लडकियां बडे मजे से अपनी चुचियां मिसवा रही थी और खुद लडको का लंड सहला रही थी कई लडकों का तो लंड भी पेंट के बाहर था। दो औरतों के ब्लाउज के पूरे बटन खुले हुए थे और ब्रा भी लटक रही थी। उनके निप्पल भी साफ साफ दिख रहे थे। हमारी टेबिल के पास भी लडके लडकियां एक दूसरे को चूमने चाटने में लगे थे। ये देख मैं और अविनाश दोनों ही गरम हो रहे थे। तभी बेटर हमारा आर्डर ले आता है और मैं अविनाश की गोद में बैठ जाती ही अविनाश भी मुझे अपनी गोद में बैठाने से पहले अपना लंड निकलता है और उसे मेरी चूत पर सेट करता है। शर्ट स्कर्ट और उपर से बिना पेंटी के थी माहौल इतना कमोत्तेजक था कि चूत पहले ही गीली हो चुकी थी तो अविनाश का लंड आसानी से मेरी चूत की गहराईयों में समाज आता है इसके बाद अविनाश अपने हाथों से मुझे शराब पिलाने लगता है मुझे इस बात का होश ही नहीं था कि अविनाश खुद तो शराब नहीं पी रहा था लेकिन पिलाता जा रहा था. दूसरा अंधेरा भी था तो मुझे ज्यादा कुछ समझ में आ भी नहीं रहा था और इस तरह दोनों पैग में पी जाती हूं। अब अविनाश ने मुझे उठाया है और मुझे लेकर डांस पर आ गया। मैं लडखडा रही थी। जबकि अविनाश को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि उसे शराब पी है। क्योंकि हकीकत में उसने शराब पी ही नहीं थी। अविनाश मुझे लेकर डांस करने लगे मैं भी अपनी आप को संभालने के लिए अविनाश के गले में बाहें डालकर डांस करने लगी।


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तभी एक नया गाना शुरू होता है गाना अंग्रेजी में था लेकिन उसका संगीत बहुत ही मादक था। अविनाश ने मुझे अपने से चिपका लिया। और अपना लंड पेंट से निकलकर मेरी चूत पर सेट कर दिया। मैं अविनाश से चिपकी हुई थी। और जैसे ही अविनाश के लंड को मैंने महसूस किया तुरंत ही चूत का प्रेशर उस पर डाला जिससे लंड मेरी चूत में घुसता चला गया। अब डांस फ्लोर पर मौजूद 20-25 लोगों के सामने अविनाश मुझे चोद रहा था। लेकिन मुझे कोई फिक्र नहीं थी फ्लोर पर माहौल ही कुछ ऐसा था अब अविनाश ने मेरी चूत में अपने लंड से धक्के लगाना शुरू कर दिए। वो पहले स्लो और फिर तेजी से मेरी चूत में धक्के लगाता रहा। मेरे मुंह से सिसिकियां निकल रही थी। आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह लेकिन तेज संगीत में मेरी आवाज किसी को सुनाई नहीं दे रही थी।


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पांच मिनिट बाद गाना बदल जाता है लेकिन अविनाश मेरी चुदाई उसी तरह से जारी रखता है। मैं बुरी तरह से मदहोश हो चुकी थी। मुझे ये भी खबर नहीं थी कि मेरे आसपास क्या हो रहा है। अब मैं अविनाश को अपने अंदर समा लेना चाहती थी। अचानक अविनाश ने अपना लंड निकाल लिया और मुझे घुमा दिया। और जल्दी ही अपना लंड पीछे से मेरी चूत में सेट कर एक ही धक्के में अंदर कर दिया। मैं आई आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह जान बहुत मजा आ रहा है इतनी भीड के बीच में चुदने में। कोई डर नहीं कोई परेशानी नहीं और मजा ऐसे जो मुझे कभी भी नहीं मिला।
अविनाश : चिंता मत करो जान तुम्हें ऐसा मजा अब में रोज ही दूंगा और अविनाश अब मेरी चूत में धक्को की रफ्तार और तेज कर देता है मुझे लगता है कि अब मैं टिक नहीं पाउंगी तभी संगीत अचानक बंद हो जाता है और सभी जोडे जो डांस कर रहे थे रूक जाते हैं। अविनाश को भी मेरी चूत में से अपना लंड निकालना पडता है जिस कारण से मैं मायूस सी हो जाती हूं क्योंकि यदि दो मिनिट और संगीता चलता तो मेरी चूत पानी छोड चुकी होती। फिर एक नया गाना शुरू होता है जिसमें पाटर्नर चेंज हो रहे थे और ऐसे ही डांस करते करते मैं किसी और की बाहों में चली गई और एक दूसरी लडकी अविनाश की बाहों में आ गई। जिस लडके की बाहों में मैं गई थी। वो 6 फुट का था और अविनाश के साथ मेरी मस्ती या यूं कहें मेरी चुदाई देख रहा था। वो समझ चुका था कि मैं नीचे से नंगी ही हूं। दूसरी ओर जो लडकी अविनाश की बाहों में थी वो अविनाश से चिपकी हुई थी और उसका एक हाथ अविनाश के लंड से खेल रहा था। मैंने एक नजर उधर डाली लेकिन अविनाश के चेहरे के भाव में पढ नहीं पाई। इधर मैं जिस लडके की बाहों में थी वो मेरी कमर को पकड कर मुझे अपने से सटा लिया डांस करने लगा। अचानक उसका हाथ मेरी स्कर्ट के नीचे पहुंचा और फिर नीचे से उसने मेरी स्कर्ट थोडा सा उठाई और मेरे चूतडों को मसलने लगा। मैं मदहोश हो चुकी थी। मुझे ये भी होश नहीं था कि इस समय मैं अपने पति अपने मालिक अविनाश की बाहों में नहीं किसी और की बाहों में हूं। तभी उस लडके ने अचानक अपने होठ मेरे होठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा।
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं ना तो साथ दे रही थी और ना ही विरोध कर रही थी। अचानक मुझे अपनी चूत पर उसी उंगुलियां महसूस हुई और फिर दो उंगुलियां मेरी चूत के अंदर पहुंच गई और वो तेजी से मेरी चूत में अपनी उंगूली अंदर बाहर करने लगा। मेरी सिसकियां निकलने लगी आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह मेरे मुंह से निकल गया जान अब रूका नहीं जा रहा प्लीज अपना लंड मेरी चूत में डाल दो। मेरी ये बात सुनकर वो लडका खुश हो गया और अपना लंड निकालकर मेरी चूत पर टिका दिया। वो लडका कुछ कर पाता तभी किसी ने मुझे खींचकर अपनी बाहों में ले लिया। ये अविनाश था। अविनाश के ऐसा करते ही उस लडने भी मुझे अपनी ओर खींचने की कोशिश की लेकिन अविनाश मुझे खींचता हुआ फ्लोर से बाहर ले आया। पीछे पीछे वो लडका भी आ गया उसे लगा कि अविनाश मुंझे जबरदस्ती ले जा रहा है। उस लडके का नाम श्याम था।
श्याम : ये क्या बदतमीजी है इस लडकी को ऐसे कैसे ले जा रहे हो।
अविनाश : तू कौन होता है हमारे बीच में आने वाला अविनाश का गुस्सा इस समय सातवें आसमान पर दिख रहा था उसकी आंखों में अंगारे से निकल रहे थे।
श्याम : तू शायद मुझे जानता नहीं है
अविनाश : जानने की जरूरत नहीं है। कोई भी मेरी बीबी के साथ जबरदस्ती करेंगे तो मैं क्या करूंगा मुझे मालूम नहीं।
श्याम जैसे ही अविनाश के मुंह से ये सुनता है कि मैं उसकी बीबी हूं तो वो एकटक हम दोनों को देखता है। उसे लगता है कि शायद अविनाश मजाक कर रहा है। लेकिन मेरी मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र देखकर वो थेाडी देर खडा रहता है और फिर कुछ सोचकर वापस अंदर चला जाता है। दूसरी ओर मुझे अभी भी कोई होश नहीं था।
मैं : जान क्या हुआ तुम्हें तुमने बीच में ही क्यो मुझे चोदना बंद कर दिया। प्लीज मेरी चुदाई करो ना मैं बहुत बैचेन हूं। दूसरी ओर अविनाश का गुस्सा बढता जा रहा था। अचानक एक जोरदार आवाज आई और मेरा गाल लाल हो गया। ये आवाज अविनाश के झपड की थी जो मेरे गाल पर पडा था। मुझे दिन में तारे नजर आने लगे। नशे की हालत में तो मैं थी ही अविनाश के झापड से खुद को संभाल नहीं पाई और वहीं जमीन पर गिर पडी. शराब का नशा और उपर से अविनाश के झापड ने मेरी पूरी ताकत और हिम्मत तोड दी। इसके बाद मैंने उठने की कोशिश की लेकिन उठने में कामयाब नहीं हो पाई। और वहीं सडक पर फैल गई। मेरी हालत को देख अविनाश को भी ध्यान आया कि मैं तो होश में ही नहीं हूं। उसे भी अपनी गलती का एहसास होने लगा अविनाश ने मुझे कंधों को पकडकर उठाया मैं अविनाश की बाहों में झूल गई। अविनाश किसी तरह से सहारा देकर मुझे अपने साथ कुछ दूर तक लेकर आया। अब उसे मेरी चिंता होने लगी थी। क्योंकि हमें घर पहुंचना था। वैसे अविनाश की बाइक से सफर 15 मिनिट का भी नहीं था लेकिन दिक्कत ये थी कि मैं बाइक पर बैठूंगी कैसे। अविनाश की भूख, चैन सभी उड गया था। एक घंटे तक इस तरह से अविनाश मुझे अपने से चिपकाए एक कोने में खडा रहा। इस बीच मुझे दो बार उल्टी भी हो चुकी थी. जिससे मेरा नशा तो कम हो गया लेकिन मेरा सिर घूम रहा था।
अविनाश : तुम बाइक पर बैठने वाली स्थिति में या फिर हम लोग टैक्सी ले ले।
दीप्ति : नहीं नहीं आपके साथ ही चलूंगी,
अविनाश : अरे मैं तुम्हें छोडकर कहीं नहीं जा रहा सिर्फ ये पूछ रहा था कि बाइक पर बैठने लायक स्थिति में हो कि नहीं टैक्सी से भी चलेंगे तो साथ में ही चलेंगे।
दीप्ति : नहीं आपके साथ बैठकर चली चलूंगी आप बाइक निकाल लाइए मैं यहीं खडी हूं।
अविनाश : दो मिनिट खडी रह सकती हो। इस हालत में।
दीप्ति : कोशिश करूंगी। वैसे सिर में दर्द सा हो रहा है।
अविनाश : कोई बात नहीं रास्ते में मेडिकल मिलेगा वहां से दवा ले लूंगा। तभी मुझे याद आया कि हम लोगों ने खाना भी नहीं खाया रात के 11 बज रहे थे। सामने एक रेस्टोरेंट भी दिखाई दे रहा था पहले मैं दीप्ति को लेकर रेस्टोरेंट में गया और खाना पैक करवाया खाना ज्यादा नहीं लिया था कि पता नहीं था दीप्ति खाना खा भी पाएगी या नहींं। उसके बाद में दीप्ति को लेकर बाइक से निकल पडता हूं। बाइक अब बहुत ही धीमे चलाना पड रही थी। दीप्ति के दोनों हाथों में मैंने अपनी कमर से लपेट लिया था और एक हाथ से उसकी दोनों हाथों को पकड रखा था औरएक हाथ से ही बाइक चला रहा था। थोडी ही देर में शहर समाप्त हो गया और गांव का रास्ता शुरू हो गया। करीब पौने 12 बज चुके थे मैं धीरे धीरे गांव की ओर बढ रहा था कि तभी
दीप्ति : जान जरा गाडी रोको
अविनाश : क्या हुआ।
दीप्ति : जान मुझे बहुत जोर की वाथरूम आ रही है प्लीज रोक लो नहीं तो निकल जाएगी।
अविनाश : गाडी रोकता है और मैं गाडी से उतरती हूं मेरे एक गाल पर दर्द हो रहा था नशा अभी भी था लेकिन इतना नहीं कि अपने आप को संभाल ना पाउं मैं सडक के किनारे बनी झाडियों में शूशू करने बैठ जाती हूं झाडियों में कुछ कांटे लगे हुए थे जिसमें मेरी टॉप और स्कर्ट उलझ जाते हैं। मैं खींचती हूं तो वो और ज्यादा उलझ जाते हैं और टॉप तो दो हिस्सो में फटता चला जाता है लेकिन झाडियों से नहीं निकलता स्कर्ट भी बीच से फट जाती है अब सडक पर मैं एक दम मादरजात नंगी खडी थी। गनीमत ये थी कि रास्ता गांव का शुरू हो चुका था हम लोग मुख्य सडक से 300 मीटर अंदर आ चुके थे। इसलिए हाइवे से निकलने वाली गाडियों की कोई परेशानी नहीं थी। मैं नंगी ही खडी थी पांच मिनिट तक मैं वैसे ही खडी सोचती रहती हूं कि क्या करूं तभी अविनाश बाइक लगाकर वहां आ जाता है और मुझे एकदम नंगी देख कर चौकजाता है।
अविनाश : अरे तुझे क्या हुआ तेरे कपडे कहां चले गए।
दीप्ति: पता नहीं झाडियों में उलझ गए थे और मैंने निकालने की कोशिश की तो वो फट गए।अविनाश मेरे पास आया तो मैं उससे चिपक गई। और रोने लगी।
अविनाश : अरे क्या हुआ जान,
दीप्ति : तुमने मुझे मारा ना आज तक मुझे किसी ने नहीं मारा था। मैं बहुत बुरी हूं इसीलिए तुमने मारा।
अविनाश : नहीं जान मैं तुम्हें दूसरे की बाहों में और किसी और को तुम्हारे शरीर से खोलता देख बर्दाश्त नहीं कर सका। मैं ये भी नहीं समझ पाया कि तुम होश में ही नहीं हो। प्लीज जान मुझे माफ कर देना। और अविनाश मुझे चूमने लगता है।
दीप्ति : एक शर्त में माफी मिलेगी।
अविनाश : तुम्हारी हर शर्त मंजूर है।
दीप्ति : पहले सुन तो लो
अविनाश : हां बोले तुम कुछ भी मांग सकती हूं।
दीप्ति : तो ठीक है मुझे पहले ठंडा करो मैं तडक रही हूं।
अविनाश : क्या यहां रास्ते पर घर चल घर पर चलकर करता हूं, अविनाश समझ जाता है कि मैं अभी भी होश में नहीं हूं।
दीप्ति : नहीं या तो तुम मेरी यहीं चुदाई करोगे नहीं तो मैं कहीं नहीं जा रही।
अविनाश : मुझे मनाने की बहुत कोशिश करता है लेकिन जब मैं नही मानती तो वो आखिर हथियार डाल देता है और थोडी ही देर में अविनाश अपना लोअर उतार कर देता है और अपना अंडरवियर भी उतार कर नीचे से नंगा हो जाता है। अविनाश मुझे बाइक पर झुका देता है और अपना लंड मेरी चूत में पीछे से डाल देता है। इसके साथ ही मेरी सिसकियां निकलना शुरू हो जाती है आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह अविनाश इस समय मुझे पूरी ताकत से चोद रहा था। शराब का नशा था या कुछ ओर मुझे मदहोश कर रही थी। लेकिन मेरा पानी नहीं निकल रहा था।


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फिर अविनाश मुझे पलट देता है और मुझे खडा करके अपना लंड मेरी चूत में डाल देता है मेरा एक पैर बाइक की सीट पर था और एक जमीन पर मैं अविनाश की बाहों में सिमटी हुई थी और अविनाश मुझे चोदे जा रहा था। फिर मैंने अपने होठ अविनाश के होठ पर रख दिए और उसके होठों को चूसने लगी। 25 मिनिट हो चुके थे वहां सडक किनारे अविनाश से चुदते हुए। लेकिन अज मेरा पानी नहीं निकल रहन था।
खडे खडे हम थकने लगे थे तो अविनाश ने मुझे वहीं जमीन पर लटने को कहा, सडक किनारे हल्की घास थी और मैं धास पर लेट गई। लेकिन कुछ सोचकर मैं उठकर बैठ गई और अविनाश के लंड को पकड लिया और उसे सीधा अपने मुंह में ले लिया और अविनाश का लंड चूसने लगी।
अविनाश : जान यदि तू मेरा पानी ऐसे निकाल देगी तो तेरा पानी कैसे निकलेगा। अविनाश की बात सुनकर मैं लेट गई और उससे 69 पोजीशन में आने को कहा अब अविनाश मेरी चूत चूस रहा था और मैं उसका लंड चूस रही थी। अविनाश की चूत चुसाई से मेरी सिसकियां निकल रही थीं आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह लेकिन मैं अपने मुंह से उसका लंड नहीं निकाल रही थी। अ
अविनाश अपनी कमर के हल्के धक्के भी मार रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे मुंह की चुदाई करना चाहता हो। थोडी देर बाद मैं फिर बैठ जाती हूं औरअविनाश को जमीन पर लिटा देती हूं अविनाश समझ गया था कि मेरे मन में क्या है मैं अविनाश के लंड पर बैठकर अपनी चूत टिका देती हूं और उसके लंड पर बैठती चली जाती हूं। लंड पूरा मेरी चूत में आसानी से चला जाता है और अब मैं अपने दोनों हाथ अविनाश की छाती पर रखकर अविनाश के लंड पर उछलने लगती हूं। अविनाश मेरी चूत में अपना लंड अंदर बाहर जाते देख रहा था। मेरे मुंह से निकलने वलाी सिसकियां तेज होती जा रही थी। आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह फिर मैं अविनाश के उपर झुक जाती हूं और उसके होठ चूसने लगती हूं। हमारी जीभ एक दूसरे की लार को चूस रही थी। 15 मिनिट बाद में बुरी तरह से थक जाती हूं और


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दीप्ति : जान अब मुझमें ताकत नहीं बची लेकिन समझ में नहीं आ रहा आज मेरा पानी क्यो नहीं निकल रहा नहीं तो अब तक तीन बार तो पानी निकल ही जाता था। अविनाश कोई जबाव नहीं देता ओर मुझे जमीन पर ही डोगी स्टाइल में करता है और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डालकर उसकी चुदाई शुरू कर देता है। मेरे बूब हवा में झूल रहे थे। मैं अपनी गांड आगे-पीछे कर रही थी जिससे अविनाश का लंड मेरी चूत की गहराईयों तक जा रहा था। फचच… फचच… की आवाज़ों से माहौल बहुत गर्म हो गया. जीतनी जोर से अविनाश मेरी चूत में धक्का मारता उतनी जोर से में गांड आगे-पीछे धकेल देती। अविनाश ताबडतोड मेरी चूत में धक्के लगा रहा था। चुदवाते हुए सातवें आसमान की सैर कर रही थीं और उनके लंड की अपनी चूत की गहराई में घर्षण महसूस कर रही थी. अविनाश मुझे चोदने के साथ ही मेरी पीठ को बेतहाशा चूम भी रहा था। और अपने हाथों से मेरे बूब भी दबा रहा था। अब मेरा शरीर अकडने लगा था और उधर अविनाश के धक्के भी तेज होते जा रहे थे।
अविनाश : सॉरी जान माफ कर देना आज शायद मैं तुम्हें ठंडा नहीं कर पाउंगा एक घंटे से तुझे चोद रहा हूं और अब मेरा पानी निकलने वाला है लेकिन अविनाश को ये नहीं पता था कि मैं भी अब चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुकी हूं और मेरा पानी निकलना शुरू हो जाता है अविनाश भी तीन चार धक्के मारता है और मेरी चूत में झड जाता है। चुदाई की मेहनत के बाद हम दोनों बुंरी तरह से थक गए थे हमारे शरीर पसीने और मिट्टी से लथपथ हो चुके थे। सेक्स का नशा उतरने के साथ ही शराब का नशा भी काफी हद तक उतर चुका था अब जब मैंने अपनी स्थिति देखी तो घराब गई।
दीप्ति : जान मेरे कपडे कहां चले गए।
अविनाश : अरे तुम्हें याद नहीं हैं तुम्हारे कपडे यहीं झाडियों में उलझकर फट गए थे;
दीप्ति: लेकिन मैं यहां झाडियों में क्यो गई थी तुम लेकर गए होगे;
अविनाश : लगता है तुझे कुछ याद नहीं है;
दीप्ति : हल्का सा याद है लेकिन मेरे गाल में बहुत दर्द हो रहा है अब मैं घर कैसे जाउंगी;
अविनाश : एक काम कर बाइक पर बैठ इस समय करीब एक बज रहा है हमें कोई मिलेगा नहीं। यदि तुझे शरम आ रही है तो तू मेरे कपडे पहन ले;
दीप्ति : नहीं आप बाइक चलाएंगे कोई देखेगा तो वो आपको ही देखेगा मैं पीछे बैठ जाउंगी वैसे पांच मिनिट का ही रास्ता है और फिर मैं बाइक स्टार्ट करता हूं और दीप्ति बाइक पर पीछे बैठ जाती हैं। हमारी किस्मत अच्छी थी कि रात को कोई मिला नहीं और हम लोग घर पहुंच गए।
घर में सबसे पहले मैंने गेट खोलकर दीप्ति को अंदर किया और फिर बाइक को अंदर कर गेट बंद कर लिया; इसके बाद ही मुझे राहत की सांस मिली। दीप्ति अभी भी नंगी ही थी मैंने उसे गोद में उठा लिया।
दीप्ति : क्या कर रहे हो जान गिर जाउंगी चोट लग जाएगी। वैसे भी पता नहीं गाल में दर्द कैसे हो रहा है।
अविनाश मेरे गाल पर किस लेते हुए चलो पहले हम लोग नहा लेते हैं। दोनों का ही शरीर धूल और पसीने से गंदा हो रहा है और अविनाश मुझे सीधा वॉशरूम में ले जाता है और शॉवर चालू कर देता है। पानी के नीचे 15 मिनिट खडे रहने के बाद मेरा बचा हुआ नशा भी उतर जाता है। इसके बाद हम लोग टॉवल से अपना शरीर साफ करते हैं और विस्तर पर पहुंच जाते हैं।
दीप्ति : जान हम लोग डांस क्लब में गए थे तुमने मुझे शराब पिलाई उसके बाद तुम मुझे डांस फ्लोर पर ले गए उसके बाद कुछ हुआ क्या
अविनाश : क्यो तुम ऐसा क्यो पूछ रही हो जबकि अब अविनाश की हालत खराब हो रही थी।
दीप्ति : वैसे ही क्योंकि मेरे एक गाल में बहुत दर्द हो रहा है;
अविनाश : कुछ नहीं इस मामले में हम सुबह बात करेंगे;
दीप्ति : ठीक है लेकिन मुझे भूख लग रही है;
अविनाश : हां भूख तो मुझे भी लग रही है। थोडा खाना रखा है चलो उसे ही खा लेते हैं और उसके बाद होटल से जो खाना लाया था उसे हम दोनों लोग मिलकर खा लेते हैं। इसके बाद हम सो जाते हैं। दीप्ति मेरी बाहों में ही सो रही थी।
दीप्ति : जान लगता है मुझे तुम्हारी बाहों में सोने की आदत हो गई है।
अविनाश : कोर्इ् बात नहीं और अविनाश मेरेगालों में किस करता हैं और हम लोग वैसे ही सो जाते हैं। सुबह करीब 8 बजे फोन की घंटी बजती है मैं उठती हूं और फोन देखती हूं तो वो तृप्ति का फोन था।
दीप्ति : हां तृप्ति कैसी है केसे फोन किया
तृप्ति : अरे ये बात मुझे पूछनी चाहिए दीप्ति तू तो हम लोगों को भूल ही गई। अविनाश क्या मिला हम लोग पराए हो गए।
दीप्ति : अरे कैसी बातेें करती हो।
तृप्ति : अच्छा तो चार दिन से कोई फोन नहीं किसी की चिंता नहीं है। वैसे आपके पति और होने वाले दामाद क्या कर रहे हैं।
दीप्ति : अरे सो रहे हैं अभी रात को दो बजे सोए थे।
तृप्ति : अच्छा तो रात दो बजे तक मेहनत हो रही है।
दीप्ति : तू भी ना मार खाएंगी।
तृप्ति : अरे वो अविनाश से बात करनी थी उठे तो बोल देना कि मेरा फोन था।
दीप्ति : रूक वो उठ गए हैं और में अविनाश को फोन पकडाकर कहती हूं कि मैं चाय बनाकर लाती हूं तब तक आप तृप्ति से बात कीजिए;
तृप्ति : हैलो अविनाश कैसा चल रहा है दीप्ति परेशान तो नहीं करती, सपोर्ट कर रही है या नहीं वैसे जिस तरह से हमने देखा था लगता नहीं है तुम्हारे खिलाफ उसके मन में कुछ भी है। और आज जिस तरह से बात कर रही थी साफ लग रहा था वो वहां बहुत खुश है।
अविनाश : हां तुने जो काम किया है उसके बाद तो मैं तेरा गुलाम हो गया। मेरा सपना था एक बार दीप्ति को चोदने का लेकिन तूने ऐसी व्यवस्था करा दी कि अब दीप्ति मुझे छोड किसी को हाथ नहीं लगाने देगी।
तृप्ति : अरे जनाब आप मेरे गुलाम नहीं हैं मैं आपकी गुलाम हूं। आपको मेरा काम करना है मुझे अपने बच्चे की मां बनाना है;
अविनाश : चिंता मत कर पहले दीप्ति का नम्बर लगेगा उसके बाद तेरा, और ये बता जो काम मैंने तुझे दिया था उसका क्या हुआ।
तृप्ति : जान तुम मुझे कोई काम दो और वो पूरा ना हो। तुम जो जो चाहते हो वो वो होगा। कहो तो बात करा दूं। तुम जैसे चाहों वैसे यूज कर सकते हैं और हां तुम यदि दीप्ति को एक महीने और वहां रखना चाहो तो वो भी हो जाएगा। और ये बताओं रोहित से क्या क्या करवाना है;
अविनाश : नहीं किसी से बात करने की जरूरत नहीं है तेरे उपर पूरा भरोसा है। और रोहित वाला मैटर क्या है उससे क्या करवाना है
तृप्ति : अरे जान तुमने ही तो कहा था रोहित कोकल्ड बनाना है। वैसे वो तो पहले से ही तैयार है। तुम जैसा चाहोंगे मैं रोहित से वो वो करवा लूंगी।
अविनाश : कुछ सोचते हैं ठीक है वहां आकर देखूंगा।
तृप्ति : तो कब तक आ रहे हो
अविनाश : तीन चार दिन में आता हूं तभी दीप्ति चाय भी ले आती है और अविनाश फोन काट देता है;
दीप्ति : लीजिए चाय पीजिए
अविनाश दीप्ति का चेहरा देखता है जो एक तरफ हल्का सा सूझा हुआ था। अविनाश दीप्ति को अपनी गोद में बैठाता है और उसके गाल को चूसते हुए कहता सॉरी जान;
दीप्ति : किस बात के लिए
अविनाश : तुम्हारा जो गाल सूजा है उसके लिए
दीप्ति : अरे वो तो कल नशे में गिर गिरा पडी होउंगी तुम उसके लिए माफी क्यो मांग रहे हो।
अविनाश : तुम कहीं गिरी नहीं थी। बल्कि कल रात गुस्से में मैंने तेरे उपर हाथ उठा दिया था।
दीप्ति: क्या आपने मारा था मुंझे लेकिन क्यों
अविनाश : कल रात को तू किसी और की बाहों में डांस कर रही थी यदि मैं तुझे नहीं रोकता तो तू उस आदमी से चुद भी जाती।
दीप्ति : क्या आप सच बोल रहे हैं ये हो ही नहीं सकता।
अविनाश : तुझे क्या लगता है मैं तुझसे झूठ बोल सकता हूं। ये सच है।
दीप्ति : यदि ऐसी बात थी तो फिर आपने मुझे जिंदा क्यो छोड दिया मार क्यो नहीं दिया। और मैं अविनाश से लिपट कर रोने लगी। जान मैं नशे में थी इसलिए वो हो गया होगा यदि होश में होती तो ऐसा कभी नहीं करती।
अविनाश : मुझे मालूम है जान ऐसा ही हुआ था। इसलिए तुम वो सब भूल जाओ वैसे भी तुम्हें कुछ याद भी नहीं हैं। लेकिन दीप्ति की रूलाई रूक नहीं नहीं थी।
दीप्ति : जान तुम जो चाहे मुझे सजा दे दो मुझे हर सजा मंजूर होगी।
अविनाश : यार तेरी कोई गलती ही नहीं थी तो सजा किस बात की, मुझे तो अपने उपर ही गुस्सा आ रहा है जो अपनी इतनी प्यारी बीबी पर हाथ उठा दिया था। और फिर हम दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में लिए रहते हैं। मैं समझ जाती हूं कि अविनाश को बुंरा लग रहा है इसलिए मैं अपने आंसू पोछते हुए कहती हूं चलो पहले नाश्ता कर लो फिर मुझे दूसरा नाश्ता भी करता है और अविनाश के लंड को पकड लेती हूं।
अविनाश मुझे मुस्कुराकर देखता है और एक बार फिर मुझे बाहों में भर लेता है थोडी देर बाद मैं अविनाश की बाहों से निकलती हूं और नाश्ता विस्तर पर लगा देती हूं;
अविनाश : जान बहुत दर्द हो रहा होगा ना
दीप्ति : नहीं अब बिल्कुल नहीं हो रहा, जबकि मुझे ही पता था कितना दर्द है।
 
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मेरे चेहरे पर अभी भी हल्की सी सूजन थी। मुझे रात की घटना हल्की हल्की याद थी. अविनाश मुझे जबरदस्ती रेस्टोरेंट से खींचकर बाहर लाया एक लडके से उसकी कुछ बात हुई और फिर अविनाश ने मुझे झापड मारा। लेकिन क्यो रेस्टोरेंट की घटना मुझे याद नहीं आ रही थी। लेकिन में ये पक्का था कि रेस्टोरेंट में कुछ तो हुआ था। और जाहिर सी गलती है अविनाश ने मुझे मारा तो मैंने कोई बहुत बड़ी गलती ही की होगी। नहीं तो वो मुझे पर हाथ उठाने की सोच भी नहीं सकता। और मारा भी इतना जोर का कि अभी तक दर्द बचा हुआ है। लेकिन हुआ क्या था कैसा पूछा जाए। मैं इसी सोच में थी। लेकिन पहले सोचा कि कुछ नाश्ता तैयार कर लूं। सुबह दूध वाला दूध दे जाता था। इसलिए हल्का नाश्ता और चाय बनाती हूं और उसे लेकर कमरे में आती हूं। घर के अंदर थी इसलिए कपडे पहनने की जरूरत नहीं थी। अविनाश भी उस समय पूरी तरह से नंगा था। मैं नाश्ता विस्तर पर ही लगा देती हूं और अविनाश की गोद में जाकर बैठ जाती हूं। इस समय अविनाश का लंड बैठा हुआ था। अविनाश मेरे होठों को किस करता हैं और फिर पूछता है ज्यादा दर्द तो नहीं हैं। मैं ना में सिर हिला देती हूं।
अविनाश : मुझे मालूम है दर्द हो रहा होगा, मेरी गलती थी जो इतनी जोर का झापड़ तुझे लगा दिया। सॉरी यार माफ कर देना। फटाफट नाश्ता कर लो फिर पैन किलर खा लेना। दोपहर तक दर्द गायब हो जाएगा।
दीप्ति : एक बात पूछो सच सच बताओगे
अविनाश : हां पूछो
दीप्ति : देखिए आपने मेरे उपर हाथ उठाया इतना तो मुझे मालूम है लेकिन क्यो उठाना ये ध्यान नहीं आ रहा है रेस्टोरेंट में कुछ हुआ था इसका धुंधला सा याद आ रहा है लेकिन क्या हुआ था मेरे साथ आप तो वहीं थे ना।
अविनाश : हां मैं वहीं था और तुम्हारे साथ कुछ भी गलत नहीं हुआ था। हां मैं थोडी देर करता तो जरूर बहुत गडबड हो जाती।
दीप्ति : घबराते हुए क्या मेरे साथ कुछ हुआ था क्या, सच सच बताना
अविनाश : देख अब जो हो गया उसे वहीं खत्म कर। मैं कह रहा हूं कि तेरे साथ कुछ भी गडबड नहीं हुई। मैंने समय पर ही रोक दिया था।
दीप्ति : आप सच सच बताइएं क्या हुआ था। मेरे बार बार पूछने के बाद भी अविनाश उस समय मुझे आधी बात ही बताता है। पूरी बात तो उसने मुझे एक साल बाद बताई थी। उस समय अविनाश ने इतना ही बताया था कि डांस करते करते जब पाटर्नर चेंज हुए तो मैं जिस लडके की बाहों में थी वो मेरे साथ छेड़छाड़ कर रहा था और मैं उसका कोई विरोध नहीं कर रही थी जिस कारण से अविनाश को गुस्सा आ गया था।
दीप्ति : क्या ऐसा हुआ था लेकिन मैं तो उस समय नशे में थी मुझे तो कुछ भी याद नहीं आ रहा है।
अविनाश : हां जान तुम नशे में थी लेकिन उस लडके की बदतमीजे का तुमने विरोध नहीं किया था जिस कारण मुझे तुम पर गुस्सा आ गया था और मेरा हाथ उठ गया। लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ कि मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गई है. उस समय तो गुस्से में हाथ चल गया लेकिन अब उसका पछतावा हो रहा है तुम जो सजा चाहे मुझे दे सकती हो;
दीप्ति : कैसी बातें करते हैं आप कोई भी होता तो उसे गुस्सा आ ही जाता। वो तो आप थे जो समय पर मुझे बचा लिया नहीं तो मैं तो किसी को मुंह दिखाने के काबिल भी नहीं रहती। इसलिए आपको माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। इसके बाद हम लोग नाश्ता करते हैं और फिर अविनाश मुझे एक पैन किलर खाने को देता है। उस दिन हम लोग घर पर ही रहते हैं और दिन मेें अविनाश दो बार मेरी चुदाई करता है। इसके बाद दो दिन कोई विशेष ऐसी घटना हमारे साथ नहीं घटी शाम के समय मैं अविनाश के साथ घूमने जाती उसके बाद रात को हमारी चुदाई का कार्यक्रम शुरू होता जो सुबह चार पांच बजे तक चलता।


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जिस कारण तीन दिन हम लोग दोपहर को 11 बजे से पहले नहीं उठे। देर से उठने के कारण दिन में एक ही राउंड चुदाई का हो पाता था। आज हम लोगों को वापस घर लौटना था इसलिए हम लोग रात को एक बजे ही सो गए। हां सोने से पहले अविनाश ने मेरी एक बार चूत और एक बार गांड जरूरी बुरी तरह से मारी अविनाश मुझे प्यार तो बहुत करता था लेकिन कुछ दिनों से चुदाई के समय वो बिल्कुल बदर्द बन जाता है। वैसे मुझे भी अविनाश का ये रूप चुदाई के दौरान पसंद आता था। वो बुरी तरह से मुझे रौंद कर रख देता था। लेकिन जैसे ही उसका पानी निकलता वो पहले जैसा हो जाता था। सुबह आठ बजे मैं अविनाश का उठती हूं।
दीप्ति : जान चलो उठ जाओ आज बहुत काम है, हमें घर के लिए भी निकलना है।
अविनाश : आंखें खोलता है और मुझे अपने उपर खींच लेता है और मेरे गालों को चूमने लगता है;


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दीप्ति : जान प्लीज जो भी करना बाद में कर लेना पहले उठ जाओ और जो जरूरी काम है उसे पूरा कर लो।
अविनाश : अरे अपनी जान से प्यार करने से ज्यादा जरूरी भी कोई काम होता है।
दीप्ति : प्यार करने से तो मैं कभी भी मना नहीं करूंगी। लेकिन पहले उठ जाओ नाश्ता कर लो और फ्रेश हो जाओ हमें पैकिंग भी करनी है।
अविनाश : तुम ठीक कह रही है। एक काम करना हमारे पास एक बैग होगा बस कपडे का, उसे में भेज दूंगा मेरा एक मिलने वाला आज दोपहर 12 बजे जा रहा है। उसे दे दूंगा एक जोडी कपडे छोडकर बाकी के बैग में पैक कर देना। और फिर चाय पीने के बाद हम दोनों लोग साथ साथ नहाते हैं जहां अविनाश मेरे ना ना कहने के बावजूद भी मुझे चोद ही देता है। वैसे भी मेरा विरोध सिर्फ दिखावे के लिए था।

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उसके बाद हम लोग जल्दी जल्दी सामान पैक करते हैं अब हमारे पास दो बैग थे एक तो छोटा था जबकि एक बैग में हम दोनों के कपडे थे। तभी हमारे घर के दरवाजे पर दस्तक होती है। मैं तुरंत कपडे पहनती हूं, और दरवाजे की ओर जाती हूं तो अविनाश मुझे रोक देता है और कमरे में जाने को बोल देता है। मुझे उसकी बात समझ में नहीं आती लेकिन इस समय मैंने उससे सवाल करना भी ठीक नहीं समझा तब तक अविनाश भी लोअर पहन चुका था मेरे कमरे में जाते ही अविनाश दरवाजा खोलता है।
अविनाश : आओ शेखर मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था।
शेखर : हां यार वो अपना सामान दे दो क्योंकि मैं निकल रहा हूं और अविनाश कमरे में आकर बैग ले जाता है और मुझसे धीरे से कहता है कि तुम तब तक कमरे से बाहर नहीं आना जब तक मैं ना कहूं। मेरी अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था बाहर अविनाश की शेखर से थोडी देर बात होती है और उसके बाद वो चला जाता है। शेखर के जाते ही अविनाश दरवाजा बंद कर लेता हैं
अविनाश :जान अब तुम कमरे से बाहर आ सकती हो;
दीप्ति : जान एक बात बताओं तुमने मुझे कमरे में जाने के लिए क्यो बोल दिया था। तुम्हारा दोस्त था, क्यो तुम्हें उस पर भरोसा नहीं था या फिर और मैंने अपनी बात अधूरी छोड दी
अविनाश : या फिर क्या तुम ये ही कहना चाहती हो कि मुझे शेखर या तुम में से किस पर भरोसा नहीं था।
दीप्ति नजरें झुकाते हुए : जी
अविनाश : मेरे चेहरे को उपर करते हुए, देखों मुझे तुम दोनों पर ही पूरा भरोसा है और ये ही डर भी था।
दीप्ति : मतलब
अविनाश : देख यदि आज शेखर तुम्हें इन कपडों में मेरे साथ देखता, जहां दोनों लगभग नंगे हैं तो उसे हमारे उपर सीधा सीधा शक होता और वो हमसे शायद सवाल भी कर देता. उस समय हमारे पास कोई जवाब नहीं होता यदि हम उससे झूठ बोल भी देते तो आज तो बच जाते लेकिन जिस दिन में अनुष्का से शादी करता तब क्या जवाब देते। क्योंकि शेखर मेरी—अनुष्का के साथ शादी में भी आता और वहां वो आपको भी देखता तो फिर वो कई सवाल पूछने लगता और तब हमारे पास उसके सवालों का कोई जवाब नहीं होता। शेखर हमारे घर का सदस्य नहीं है जो उस पर मैं इतना भरोसा कर सकूं। मैं नहीं चाहता कोई तुम पर या तुम्हारे परिवार पर जिस परिवार का अब मैं भी सदस्य बन चुका है उस उंगली उठाए। इसलिए मैंने तुमसे कमरे से बाहर आने के लिए मना कर दिया था। वैसे तो मैं खुद बैग शेखर को देने जाने वाला था लेकिन ये यहां कैसे आ गया ये नहीं पता। हां इसे एड्रेस जरूर मैंने दिया था। लेकिन ये एक घंटे पहले ही आ गया।
अविनाश की बात सुनकर मैं उससे लिपट जाती हूं और कहती हूं जान तुम मेरी इज्जत का कितना ख्याल रखते हो;
अविनाश : तेरे नहीं हमारी इज्जत अब फटाफट तैयार हो जाओ हम लोग अब थोडी देर घूमेंगे खाएंगे पिएंगे और फिर घर के लिए निकलेंगे। करीब दो बजे हम लोग घर छोड देते हैं और शहर पहुंचकर सबसे पहले रेस्टोरेंट जाते हैं जहां लंच करते हैं और फिर पास में बने एक मॉल में जाते हैं। करीब पांच बजे अविनाश मुझे सिटी पार्क ले जाता हैं, सोमवार का दिन था इसलिए सिटी पार्क में भीड बहुत कम दिखाई दे रही थी। अविनाश मुझे एक झाडी के पीछे ले जाता है मैं समझ चुकी थी कि अब मेरे साथ क्या होने वाला है और मैं इसके लिए तैयार भी थी। हम लोग वहां जमीन पर बैठ जाते हैं।
अविनाश : दीप्ति हम लोग अब शहर चल रहे हैं और तू मेरे बीबी भी बन चुकी है। उस घर में तेरे पति भी रहता है तू किसके साथ रहेगी।
दीप्ति : आप भी कैसी बातें करते हैं जीवन ने मुझे पूरी तरह से आपके हवाले कर दिया है जिस दिन उसने कन्यादान में मुझे आपको सौंपा उसी दिन मैंने उसके साथ सभी रिश्ते समाप्त कर लिए। अब आप ही मेरे पति है और मैं आपके साथ ही रहूंगी।
अविनाश : तो फिर ये बताओ मेरे कमरे पर मेरे साथ रहोगी या फिर अपने बच्चों के साथ।
दीप्ति : कुछ देर सोचती है क्या ऐसा नहीं हो सकता कि दोनों ही मुझे मिल जाए, लेकिन जब वो मेरी ओर से कोई जवाब आता नहीं देखती तो थोडी मायूसी के साथ कहती है कि मैं अपने बच्चों को छोड दूगी और अपनी पति के साथ ही रहूंगी;
अविनाश : अरे बच्चों को छोडने की कौन कहा रहा है बच्चे भी हमारे साथ रह लेंगे।
दीप्ति : लेकिन आपके पास तो सिर्फ एक ही कमरा है।
अविनाश : तो क्या हुआ एक कमरे में नहीं रह सकते सभी।
दीप्ति : जी परेशानी तो होगी लेकिन बच्चों से पूछ लूंगी। वैसे आप बुरा ना माने तो एक बात कहूं।
अविनाश : हां कहो
दीप्ति : देखिए हमारे पास जो मकान है वो मेरे नाम पर है, यदि आप उसमें रह ले जब तक आपकी पढाई चल रही है मैं तब तक की बोल रही है आपकी पढाई पूरी होने के बाद आप जैसे ही नौकरी शुरू करेंगे या बिजनैस शुरू करेंगे जो भी करेंगे उसके बाद आप मुझे जहां रखेंगे में रह लूंगी। प्लीज अभी उसी घर में बच्चों के साथ रह लीजिए। मैं लाचारी के साथ अविनाश की ओर देखती हूं और शायद मेरी स्थिति को देखते हुए उसका मन भी बदल जाता है।
अविनाश : ठीक है लेकिन जैसे ही मेरी पढाई पूरी हुई वैसे ही
अविनाश की बात पूरे होने से पहले ही मैं बोल पडती हूं मैं पहले ही कह चुकी हूं आप जैसा भी रखेंगे आपके साथ रह लूंगी। और अविनाश आगे कुछ बोले उससे पहले ही आपने होठों से उसके होठ सिल देती हूं। और उसे वहीं नीचे लिटाकर उसके उपर आ जाती हूं हमारे होठ अभी भी मिले हुए थे। हम लोग अभी भी किस कर रहे थे। फिर अविनाश का हाथ मेरी स्कर्ट पर आया और स्कर्ट की हुक साइड से खोल दी। इसके बाद उसने स्कर्ट की चैन भी खींच कर नीचे कर दी इसके बाद मेरी स्कर्ट थोडी ही देर में साउड में डली हुई थी। इसके बाद अविनाश ने मेरे टीशर्ट को पकडकर उपर उठाया और उसे भी निकाल दिया। अविनाश मुझे ब्रा पहनने नहीं देता था इसलिए टीशर्ट निकालते ही मैं सिर्फ पेंटी में रह गई थी। अविनाश ने भी जल्दी से अपने कपडे उतारे और वहीं साइड में रख दिए। अब हम पागलों की तरह एक दूसरे चूम रहे थे। कभी मेरे गालों पर, तो कभी मेरे होठो पर अविनाश किस कर रहा था। अविनाश फिर नीचे आया और मेरी चूचियों को मुंह में भरकर चूसने लगा।


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पार्क में चहल पहल दिखाई दे रही थी कहीं बार तो लगता था कि बात करते करते जोडा हमारे पास में ही आकर खडा हो गया हो। लेकिन ना तो हमें फर्म पड रहा था और ना ही कोई हमें डिस्टर्ब कर रहा था। जबकि जो भी वहां हमारी आवाजें सुनता वो समझ जाता था कि अंदर चुदाई चल रही है। अविनाश ने मेरी चूचियों को पीने के बाद अब नीचे पहुंचा और मेरी नाभी को चूसने लगा जिससे मेरी सिसकियां निकलना शुरू हो गई। सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ फिर अविनाश नीचे पहुंचा और उसने मेरी पेंटी के उपर से ही मेरी चूत पर अपना मुंह लगा दिया और मेरी चूत को चाटने लगा। मैं अब बहुत गरम हो चुकी थी फिर अविनाश ने पेंटी को साइड किया और अपनी एक उंगुली मेरी चूत में घुसा दी जिससे मेरी सिसकियां और तेज हो गई सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ उफ और फिर अविनाश ने मेरी पेंटी भी नीचे सरकाना शुरू कर दिया। और मेरी पेंटी पैरो से उतार कर बाकी बचे कपडे के साथ पडी हुई थी। इसके बाद अविनाश ने एक बार फिर मेरी चूत पर कब्जा जमा लिया और वो बुरी तरह से उसे चूसने लगा। अविनाश जब भी मेरी चूत चूसता तो मैं अपना कंट्रोल खो देती थी और इस समय भी मेरे साथ ये ही हो रहा था सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ जान ऐसे हीं सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ जान बहुत मजा आ रहा है सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ जान और फिर मेरी एक चीख निकलती है और मैं झड जाती हूं मेरी चूत का सारा पानी अविनाश पी जाता हैं


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और फिर उठकर खडा हो जाता है मैं भी अविनाश का इशारा समझ जाती हूं इसलिए घुटने के बल बैठकर अविनाश की पेंट की बेल्ट खेल देती हूं और फिर पेंट की जिप खोलकर पेंट नीचे खिसका देती है और फिर उसका अंडरवियर भी उतार देती हूं। जिससे अविनाश का लंड जो राड की तरह तना हुआ था उछलकर मेरे सामने आ जाता है। मैंने अविनाश के लंड को पकडा और उसे पहले हल्के हल्के सहलाया और उसे पहले किस की और फिर उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। मैं अब अविनाश के लंड को चूसने की अभ्यस्त हो चुकी थी इसलिए थोडी ही देर में मैं लंड को पूरा मुंह के अंदर लेने की कोशिश करने लगती हूं 15 मिनिट तक मैं लगातार अविनाश का लंड चूसते रहती हूं और अविनाश के मुंह से भी सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ की आवाजें निकलने लगती हैं, लेकिन उसका पानी नहीं निकल रहा था, मेेरे मुंह में दर्द होने लगता है। इसके बाद अविनाश नीचे लेट जाता है और मैं अविनाश के उपर आ जाती हूं और फिर उसके लंड को अपनी चूत पर सेंट करती हूं और बैठ जाती हूं जिससे अविनाश का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर समा जाता है चूत गीली थी इसलिए लंड के अंदर जाने में कोई तकलीफ नहीं हुई। इसके बाद मे। अविनाश के लंड पर उछलने लगती हूं। 20 मिनिट तक मैं नॉनस्टाप अविनाश के लंड पर उछलती हूूं और एक बार फिर मेरी चूत पानी छोड देती हैं इसके बार अविनाश मुझे नीचे ले लेता है और मिसनरी पोजीशन में मुझे दस मिनिट तक चोदता है मेरे मुंह से सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ मां मार गई सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ बहुत मजा आ रहा है जान सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ ऐसे ही तुम मुझे सारा दिन चादते रहेा सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ और में लगातार अविनाश को उसका रही थी। दस मिनिट बाद अविनाश ने मुझे घोडी बना और फिर पीछे से अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया और मेरी गांड मारने लगा।


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गांड अभी सूखी थी जिस कारण हल्का दर्द हुआ ये दर्द ऐसा नहीं था कि उसे सहन ना किया जा सके। और अविनाश ने फिर मेरी गांड में तेजी से धक्के मारना शुरू कर दिया। 15 मिनिट की नॉन स्टॉप चुदाई के बाद अविनाश का शरीर अकडने लगता है और वो मेरी गांड में पानी छोड देता है। हम लोग थोडी देर तक लेटे रहते हैं और अपनी सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं तभी मेरे फोन की घंटी बजती हैं। मैं स्क्रीन देखती हूं तो तृप्ति का फोन था। मैं फोन उठाती हूं।
दीप्ति : हां तृप्ति क्या बात है।
तृप्ति : अरे तुम लोग अभी तक निकले नहीं वहां से
दीप्ति: बस थोडी देर में ही निकलने वाले हैं।
तृप्ति : अरे भाई छह—सात घंटे लग जाएंगे और तुम लोग बाइक पर हो इसलिए समय से निकल लेते।
दीप्ति : लो तुम इनसे बात कर लो।
तृप्ति : इनसे कौन
दीप्ति : लो बात कर लो और मैं अविनाश को फोन पकडा देती हूं अविनाश भी हमारी बातें सुन चुका था इसलिए वो सीधी बात करता है
अविनाश : तृप्ति हम लोग बस दस मिनट में निकल रहे हैं रात 12 या 1 बजे तक पहुंच जाएंगे।
तृप्ति : ठीक है तो आप लोगों के लिए खाना तैयार रखना है।
अविनाश : हां
तृप्ति : ठीक है आप लोग आइएगा आपको पूरा घर जागता मिलेगा।
अविनाश : पूरे घर को जागने की क्या जरूरत है।
तृप्ति : यार नई बहू घर में प्रवेश करेगी तो जश्न तो मनेगा ना।
अविनाश : ठीक है तुझे जो करना है कर लेना हम लोग निकल रहे हैं इस बीच मैं पर्स से छोटी टॉवल निकलती हूं और अपनी चूत और गांड को साफ करती हूं अविनाश का लंड तो मेरी चूसकर वैसे ही साफ कर दिया था। फिर हम लोग घर की ओर निकल पडते हैं। हम लोग नॉनस्टॉप चलते हैं और ठीक रात साढे 11 बजे घर के सामने हमारी गाडी रूकती हॅं।
दीप्ति : जान यदि हम लोग थोडा जल्दी निकल आते तो इतनी रात नहीं होती हमें आने में।
अविनाश : रात तो मैंने खुद की थी ताकि जब हम लोग घर पहुंचे तो हमारे पडोसी हमें नहीं देखें।
दीप्ति अविनाश से लिपटते हुए ये तो मैंने सोचा ही नहीं था। और मैं अविनाश की बाहें पकड लेती हूं। अविनाश घर दरवाजे की जैसे ही बैल बजाता है तृप्ति आकर दरवाजा खोलती है उसके हाथ मेें पूजा की थाली थी।
 
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तृप्ति : एक मिनिट रूको पहले तुम दोनों की आरती कर लूं। शादी के बाद बहू पहली बार घर में आई है और तृप्ति आरती उतारती हैं। फिर अविनाश और दीप्ति घर में प्रवेश करते हैं। पूरी परंपरा के अनुसार दीप्ति का गृह प्रवेश कराया जाता है।


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आज दीप्ति को घर में अलग ही लग रहा था। चेहरे सब पहचाने हुए थे लेकिन रिश्ते अब बदलने लगे थे। जीवन जो उसका पति था अब उसे जीवन पराया लगने लगा था। तृप्ति तो अब बहू की जगह उसकी दोस्त बन गई थी और बेटी उसकी सौतन बनने वाली थी।
अनुष्का : मम्मी आपने बहुत देर लगा दी थोडा समय पर निकल लेती देखों कितनी रात हो गई है।
दीप्ति : बेटा मैंने तो कहा था इनसे लेकिन ये बोले कि लेट नाइट में ही घर पहुंचेगे।
अविनाश : हां क्योंकि रात को घर आने से हमें आसपास के लोग नहीं देख पाएंगे और हमें किसी के सवालों का जवाब नहीं देना होगा। नहीं तो लोग पूछते कि दीप्ति अविनाश के साथ कहां से आ रही हैं। दीप्ति अब तुम सबकी नजर में मेरी बीबी है और मैं नहीं चाहता कोई उस पर सवा उठाए। क्योंकि बाहरवालों की नजर में जीवन की ही पत्नी है। अविनाश ने आज पहली बार जीवन को अंकल की जगह नाम से संबोधित किया था और किसी ने इस पर आपत्ति में नहीं जताई।
तृप्ति : हां ये बात सही हैं चलो अब सब लोग खाना खा लो तुम्हारे चक्कर में किसी ने खाना भी नहीं खाया है और तुरंत ही खाना टेबिल पर लगा दिया गया। सभी लोग टेबिल पर बैठने लगे और जीवन अपनी कुर्सी पर बैठने को बढ़ा तो तृप्ति ने उसे टोक दिया। और कहा पापा ये कुर्सी आप भी जानते हैं इस धर में जिसकी सबसे ज्यादा चलती है उसकी हैं पहले आप इस पर बैठते थे लेकिन अब आप ही फैसला करें कि घर में अब किसकी सबसे ज्यादा चलने वाली है। तृप्ति की बात सुनते हुए जीवन वो कुर्सी छोड देता है और दूसरी कुर्सी पर जाकर बैठक जाता है।
दीप्ति अविनाश से कहती है कि सुनिए आज से आप इस कुर्सी पर बैठेंगे और मैं अविनाश को लेकर जाती हूं और कुर्सी पर बैठा देती हूं। खाना पीने खाते खाते साढे बारह बज जाते हैं।
अविनाश : जान हमारा रूम कौन सा है हम लोग कहां सोएंगे।
दीप्ति : अब मैं क्या कहूं ये इंतजार तो तृप्ति ने किया होगा मैं तो आपके ही साथ थी।
अविनाश : अरे तृप्ति क्या इंतजाम है। और अविनाश तृप्ति के पास पहुंच जाता है।
तृप्ति : इंतजाम तो पूरे हैं जीवन का जो कमरा है वो अब आपका है कमरे में एक सोफा भी बिछा दिया है और जीवन अब उसी सोफे पर सोया करेगा।
अविनाश : और वो हमारी चुदाई में दिक्कत तो नहीं देगा।
तृप्ति : अरे तुम चिंता मत करो मैं उसे पूरी तरह से तैयार कर दिया है वो तुम्हारी और दीप्ति की चुदाई में मदद ही करेगा। तुम कहोंगे तो तुम्हारा लंड तैयार करेगा, दीप्ति की चूत भी चाट देगा वो भी तब जब तुम्हारा माल दीप्ति की चूत में हो। तुम्हें भरोसा नहीं हो रहा हो तो जीवन से ही पूछ हो और तृप्ति जीवन को आवाज देकर बुलाती है।
जीवन : हां बहू तुमने बुलाया।
तृप्ति : हां पिताजी, वो मैंने अविनाश को सबकुछ बता दिया है जो आपने मुझसे कहा था। आप अपने कमरे में ही सोएंगे लेकिन सोफे पर। और दीप्ति पर आपका उतना ही अधिकार होगा जितना अविनाश आपका उस समय देगा जब दीप्ति आपके सामने होंगी।
जीवन : हां मैं तुमसे वादा कर तो चुका हूं;
अविनाश : ठीक है जीवन जी वैसे भी अब दीप्ति अपकी नहीं मेरी पत्नी है और मेरी पत्नी को आप कब हाथ लगाएंगे ये मैं तय करूंगा।
जीवन : सिर झुकाकर हां
तृप्ति : और हां अविनाश मैंने अलमारी से जीवन के कपडे हटवा दिए हैं और उसमें दीप्ति के अलावा सिर्फ तुम्हारे कपडे हैं।
अविनाश : ठीक है जो कपडे मैंने दीप्ति को दिलवाए थे अब तो वो उन्हीं कपडों को अधिकतर पहनेगी।
तृप्ति : कोई बात नहीं वो कपडे दीप्ति खुद लगा लेगी। अब देर हो रही है आप लोग कमरे में चलिए और अविनाश दीप्ति के पास आता है और उसे बताता कि जीवन भी हमारे कमरे में ही सोएगा।
दीप्ति : क्या और आप तैयार भी हो गए।
अविनाश : अरे जान कहां सोएगा, घर में तीन कमरे में एक में हम हो जाएंगे एक अनुष्का का रूम हैं और एक तुम्हारे बेटे और मेरी रखैल का। ये बेचारा कहां जाएंगे।
दीप्ति: तो सिर्फ हमारा कमरा ही क्यो है ये कहते हुए दीप्ति का दिमाग खराब होने लगता है
अविनाश : दीप्ति के पास आता है और उसके कान में कुछ कहता है और कहता है जान मेरी बात मान लो प्लीज।
दीप्ति : शरमाते हुए आप भी ना क्या क्या करवाते हैं। लेकिन में जीवन को अपने शरीर से हाथ नहीं लगाने दूंगी।
अविनाश : आंख मारते हुए हाथ की जगह कुछ और लगा दिया तो।
दीप्ति : आपकी भी ना, चलो अब कमरे में चलते हैं बहुत थक गई हूं नींद आ रही है।
अविनाश : हां यार मैं भी बहुत थक गया हूं। शरीर टूट रहा है।
दीप्ति : कहो तो मालिस कर दूं।
अविनाश : नहीं यार तुम्हारी हालत भी खराब होगी, यदि मुझे थकान नहीं होती तो मैं ही तुम्हारी मालिस कर देता। अविनाश और दीप्ति लम्बा सफर वो भी बाइक पर करके आए थे इसलिए हकीमत में उन्हें बहुत ज्यादा थकान हो रही थी। इसलिए वो लोग कमरे में पहुंचे और जल्दी ही वॉशरूम में घुस् जाते हैं जहां से दीप्ति एक पारदर्शी नाइटे पहनकर आती हैं जिसे देख जीवन का भी लंड सेमी हार्ड हो जाता है जीवन के लंड की ये ही औकात थी।

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दूसरी ओर अविनाश शार्ट पहने हुए था। विस्तर पर पहुंचकर अविनाश अपना शार्ट उतार देता है और दीप्ति को भी नंगा कर देता हैं जीवन को लगता है कि अब जल्दी ही उसके सामने चुदाई शुरू होगी। विस्तर पर दोनों एक दूसरे के होठ चूमने लगते हैं दीप्ति भी अविनाश का लंड अपने हाथ में पकडकर सहलाने लगती है।


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जीवन जब अविनाश का लंड देखता है तो उसकी आंखें फटी रह जाती हैं क्योंकि ऐसा लंड उसने सिर्फ पॉर्न मूवी में ही देखा था जीवन समझ जाता है कि आखिर दीप्ति क्यो अविनाश की गुलाम बन गई हैं जो भी अविनाश कहता है वो बिना कोई सवाल जबाब के मान लेती है। उसके पीछे का जो कारण सबसे बडा है वो है अविनाश का लंड। जबकि हकीकत ये थी कि दीप्ति अविनाश के लंड से खुश थी ही साथ ही वो अविनााश के प्यार में भी पागल हो चुकी थी। और इसके बाद दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में लपेट सो जाते हैं।
 
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दूसरी ओर
रोहित : देखों तृप्ति हमारे पास रास्ते बहुत सीमित हैं। यदि हम इनका चुनाव नहीं करेंगे तो कुछ भी हाथ नहीं आएगी। बाद में पछताना पड सकता है।
तृप्ति : अरे अभी हमारी उम्र ही कितनी है।
रोहित : वो तो ठीक है शादी के बाद मम्मी-पापा भी चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी बच्चा आए। लेकिन उन्हें ये भी पता है ये संभव नहीं है। यदि हम उन्हें ये भी कह दे कि हम पांच साल की फैमिली प्लानिंग पर काम कर रहे हैं। तब भी कुछ फायदा नहीं हें। क्योंकि पांच साल बाद भी हमें ये ही कदम उठाना पडेगा। तो पांच साल क्यो घुट घुटकर जिएं।
तृप्ति : देखो मुझे कुछ समय दो।
दो सप्ताह बाद
रोहित : तो तुमने क्या सोचा है उस बारे में।
तृप्ति : किस बारे में
रोहित : वो ही बच्चे वाले मामले में मैंने तुमसे कहा था कि तुम किसी और के साथ सेक्स कर लो और प्रेगनेंट हो जाओ।
तृप्ति : ये बहुत मुश्किल काम है। मैं किसी और के साथ कैसे ये काम कर सकती हूं।
रोहित : यार और कोई ऑपशन होता तो मैं तुमने ये काम करने को कहता भी नहीं।
तृप्ति : कुछ सोचते हुए, लेकिन क्या मम्मी-पापा भी इस काम के लिए तैयार है।
रोहित : वो सब तैयार है लेकिन अंतिम फैसला तुम्हारा ही होगा।
तृप्ति : लेकिन रोहित यदि मैं किसी और का विस्तर गरम करूंगी तो तुम्हें बुरा नहीं लगेगा।
रेाहित : देखों ये हम लोग मजे के लिए नहीं कर रहे हैं मजबूरी में कर रहे हैं।
तृप्ति : लेकिन यदि मैं बहक गई और उसी के साथ प्यार कर बैठी तो।
रोहित : फिर भी तुम यदि खुश होगी तो मैं तुम्हारे रिश्ते के बीच में नहीं आउंगा।
तृप्ति : सोच लो कुछ भी हो सकता है, ये भी हो सकता है कि मैं तुम्हारी ही रहूं और किसी गैर मर्द से सेक्स कर बच्चे पैदा कर लूं। ये भी हो सकता है कि मैं उससे प्यार कर बैठूं और फिर तुमसे तलाक लेकर पूरी तरह से उसकी हो जाउं। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि मैं नाम के लिए तुम्हारी बीबी रह जाउं और वो गैर आदमी मुझे अपनी रखैल या रंडी बना ले।
रोहित : ये किस्मत वाली बात हैं। लेकिन तुम जिस रिश्ते में खुश होगी हमें उसी में खुशी होगी। बस हमें एक बच्चा दे देना। तुम्हारी खुशी और घरवालों की खुशी मेरे लिए ये ही सबसे महत्वपूर्ण है।
तृप्ति : कुछ सोचते हुए ठीक है लेकिन शर्त ये है कि वो आदमी मेरी पसंद का होना चाहिए। उसके बारे में मुझे सबकुछ पता होना चाहिए। और जब तक मैं ओके न कह दूं उसे मेरे बारे में कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए।
रोहित खुश होते हैं। ठीक है।
दूसरी ओर ये बात रोहित दीप्ति को बताता है और दीप्ति जीवन से कहती है।
दीप्ति: वो इतना तो मानने को तैयार हो गई है कि वो सैक्स कर लेंगी लेकिन जो आदमी हो वो उसकी पंसद का होना चाहिए। और जब तक वो हां न कह दे किसी को इस बारे में न बताया जाए।
जीवन : क्या ये तो अच्छी बात है। रोहित ने किसी से बात की है।
दीप्ति: नहीं लेकिन अब वो जल्दी ही तृप्ति के लिए किसी आदमी का चुनाव करेंगे। इसके बाद दिन निकलते गए। रोहित हर दूसरे दिन किसी न किसी आदमी का फोटो और वायोडाटा लाता लेकिन तृप्ति उसे रिजेक्ट कर देती। इस तरह डेढ महीना निकल गया।
दीप्ति और जीवन भी परेशान थे। कि तृप्ति किसी को पंसद क्यो नहीं कर रही है।
दीप्ति : अब तक 20 लोगों को तृप्ति रिजेक्ट कर चुकी है। पता नहीं उसकी पसंद क्या है।
जीवन : डर, वो डरती है कि कहीं वो बदनाम ना हो जाए। वो किसी अनजान के साथ संबंध बनाने से डर रही है। और रोहित भी किसी अपने करीबी के साथ तृप्ति को सौंपने को तैयार नहीं है क्योंकि वो व्यक्ति जिंदगी भर उसे जलील कर सकता है।
जीवन : ठंडी सांस लेते हैं, फिर अचानक उसे याद आता है और कहता है उसका नाम लिया तृप्ति के सामने।
दीप्ति : किसका
जीवन : अविनाश का
दीप्ति : क्या लेकिन वो
जीवन : एक बार तृप्ति से पूछकर देख लो, शायद वो उसे पसंद आ जाए। वैसे भी मैं 15 दिन से देख रहा हूं जब भी अविनाश आता है तो तृप्ति उसे घूर-घूर कर देखती है।
दीप्ति : आपने कब देख लिया। और क्या अविनाश भी उस पर नजर रखता है।
जीवन : हंसते हुए वो तृप्ति को तो नहीं लेकिन तुम्हें जरूर देखता है।, जीवन ने एक दो बार अविनाश को दीप्ति को देखते हुए पकडा था। लेकिन उसने कुछ कहा नहीं था।
दीप्ति :आंखे दिखाते हुए आप भी ना कुछ भी कहते हैं।
वहीं जीवन भी हंसने लगता है क्योंकि उसे भी अविनाश का दीप्ति को देखने में हवस नहीं दिखती है। लेकिन तृप्ति की नजर में जरूर प्यास दिखाई देती थी। इसलिए उसे भरोसा था अविनाश का नाम तृप्ति खारिज नहीं करेगी। दोपहर को जब रोहित घर आता है तो दीप्ति उसे अपने पास बुलाती है।
दीप्ति : रोहित किसी लडके पर तृप्ति तैयार हुई कि नहीं
रोहित : नहीं मम्मी अभी तक तो बात नहीं बनी है। लेकिन शायद जल्दी बन जाए।
दीप्ति: एक बात बता तूने अविनाश के बारे में पूछा है तृप्ति से
रोहित : चौंकते हुए अविनाश का
दीप्ति : हां एक बार तृप्ति से पूछ कर देख, देख अविनाश से हमें कई फायदे हैं एक तो वो हमारे घर जैसा ही है। दूसरा यदि तृप्ति तैयार होती है और अविनाश नहीं मानता है तो हम उसे मना भी सकते हैं। हमारी परेशानी देख जरूर वो तैयार होगा। एक बार तृप्ति से बात करके देख।
रोहित : ठीक है मां, वैसे अविनाश का तैयार होना थोडा मुश्किल है।
दीप्ति : पहले तृप्ति तो तैयार हो उससे पूछो।
रोहित : ठीक है और रोहित सीधा अपनी बीबी के पास पहुंचता है। और कहता है तृप्ति तुमसे एक जरूरी बात करनी है कमरे में चलो। और तृप्ति के साथ कमरे में चला जाता है।
तृप्ति : हां बोलिए क्या काम है।
रोहित : मैंने तुमसे बच्चे को लेकर जो बात की थी
तृप्ति : हां मैं तैयार हूं लेकिन मैंने अपनी शर्त आपको बता दी है।
रोहित : हां मुझे मालूम है एक लडका है मेरी नजर में
तृप्ति : कौन है
रोहित : अविनाश
तृप्ति : क्या, अविनाश
रोहित : हां देखों वो भरोसा का भी है, वैसे उसे तैयार करना मुश्किल है। लेकिन पहले तुम अपना फैसला सुना दो। शाम तक बता देना ओके। एक दम से उसे खारिज मत करना प्लीज सोच समझकर फैसला लेना।
तृप्ति : कुछ सोचते हुए ठीक है लेकिन उसके मन में कहीं न कहीं खुशी दिखाई दे रही थी। और वो मन ही मन सोचती है। चलो अब लाइन पर तो आए जनाब। क्योंकि मैं तो पहले ही फैसला कर चुकी थी। यदि किसी और का बच्चा पालन है तो फिर अविनाश का ही होगा और किसी का नहीं। क्योंकि कॉलेज में भी तृप्ति अविनाश को पसंद करती थी। लेकिन रोहित का प्रपोजल वो पहले एक्सपेंट कर चुकी थी जिस कारण अविनाश ने उसे कभी भाव नहीं दिया था। लेकिन अब रोहित ही उससे कह रहा था कि वो अविनाश के साथ चुदाई करे और बच्चा पैदा करें।
दीप्ति रोहित से क्या जबाव दिया तृप्ति ने तेरी बात हुई।
रोहित : मां उसने शाम तक का समय मांगा है, वैसे मैंने ही उससे कहा था कि हर बार की तरह एकदम से खारिज मत करना पहले सोच समझ लो उसके बाद फैसला लो। नहीं तो वो एक दम से मना कर देती।
दीप्ति : हां तूने ये बात सही की। शाम को दीप्ति रोहित से पूछती है कि तृप्ति ने जवाब दिया। तो रोहित कहता है कि अभी नहीं लेकिन में उससे पूछता हूं। और रोहित तृप्ति को लेकर कमरे में पहुंच जाता है।
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