Incest सौतेला बाप(completed)

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Update 10

काव्या कि चूत के अंदर भी अब खुजली होने लगी थी, पहले तो उसने अपनी माँ को समीर सर यानि समीर पापा से चुदते हुए देखा, और फिर अपनी सहेली कि निराली चूत देखि और अब फिर से अपनी माँ कि उन्माद में डूबी आवाजें सुनकर उसके अंदर भी कुछ होने लगा था, उसे लगने लगा कि उसके अलावा आस पास के सभी लोग मजे ले रहे हैं, जब सभी मजे ले रहे हैं तो वो अपने आप को क्यों रोक रही है.
इतना सोचते ही उसकी आँखों में गुलाबी डोरे उतर आये, उसके लाल सुर्ख होंठ काम्पने लगे और उसका छोटा सा हाथ लहराकर अपनी चूत कि तरफ चल पड़ा..
वो सोच रही थी कि अभी एक मिनट पहले वो श्वेता को भाषण दे रही थी और अब खुद पर काबू नहीं रख पा रही है.
उसकी परेशानी भांप कर मुठ मारती हुई श्वेता बोली : "अब क्या सोचने लग गयी, मत रोक अपने आप को, यही टाइम है हमारी जिंदगी का, जी ले इसे , मजे ले, जैसे मैं ले रही हु, तेरी माँ ले रही है ''.
इसी के साथ एक और चीख आयी मम्मी के कमरे से.
श्वेता : "वैसे एक बात बोलू, तेरे पापा का लंड है शानदार, जैसा बी ऍफ़ मूवीज में होता है, लम्बा और मोटा , मैं तो बस उसी को सोचकर कर रही हु ,आजा तू भी कर ले ''.
श्वेता कि भी हद थी, काव्या के सामने ही उसके नए पापा के लंड के बारे में बात कर रही थी और उसे भी सोचने और करने कि सलाह दे रही थी.
कितना गलत कर रही थी वो.
पर इसमें गलत ही क्या है..
वो उसके असली पापा थोड़े ही हैं, वो तो उसका सौतेला बाप है , एक ऐसा इंसान जिसका कुछ दिन पहले तक उसकी जिंदगी में नामो निशान नहीं था, एकदम से वो उसका बाप बनकर उसकी जिंदगी में आ गया है..
वैसे श्वेता ठीक कह रही है, उसके पापा का लंड है तो कमाल का, लम्बा और मोटा, जैसा हर लड़की सोचती है, दुसरो का तो पता नहीं पर वो जरुर सोचती है..
वो ये सब सोच ही रही थी कि श्वेता ने आगे बढ़कर उसका हाथ खींचा और अपनी गोद में बिठा लिया.
वो खुद सोफे पर बैठकर अपनी चूत मसल रही थी..
काव्या भी बिना किसी विरोध के उसके साथ खींचती चली गयी..
एक हाथ से अपनी चूत मसलते हुए श्वेता ने दूसरे हाथ को जैसे ही काव्या कि चूत के ऊपर लगाया वो सिसक उठी.
श्वेता : "ओह माय गोड, तेरी चूत तो बुरी तरह से गर्म हवा फेंक रही है , चल जल्दी से उतार इसको ''..
और उसने अपना हाथ चूत से निकालकर काव्या का खड़ा किया अपने सामने और उसका पायजामा धीरे-२ नीचे खिसका दिया..
उसने पिंक कलर कि पेंटी पहनी हुई थी, जिसके आगे का हिस्सा चिपचिपे पानी से लिसढ़ कर बुरी तरह से गिला हो चूका था , श्वेता ने उसकी पेंटी को भी नीचे खिसका दिया.
 
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Update 11

उसके स्तन भले ही छोटे थे पर गांड का भराव बिलकुल सही हुआ था, चिकने और भरवां चूतड़ देखकर श्वेता अपने आप को रोक नहीं पायी और उन्हें मसल-मसलकर मजे लेने लगी
उसकी कुंवारी चूत पर हलके फुल्के बाल थे , जिन्हे देखकर श्वेता बोली : "कावी डार्लिंग, मैंने तुझे एक बार पहले भी समझाया था न कि इसे हमेशा साफ़ रखा कर''..
उसकी बात का काव्या ने कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि इस वक़्त उसकी चूत में जो आग लगी हुई थी वो उसके बारे में ही सोच रही थी..
श्वेता ने अपनी चूत से निकली ऊँगली को उसकी चूत पर फेराया , जिसे महसूस करते ही काव्या अपने पंजो पर खड़ी होकर सुलग उठी और एक हलकी सी चीख उसके मुंह से भी निकल आयी..
''आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म ''..
श्वेता के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी..
और अगले ही पल बिना किसी वार्निंग के श्वेता ने वही ऊँगली उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दी .
काव्या ने अपनी आँखों को फैलाते हुए, अपने मुंह को गोल करते हुए, एक हुंकार भरी और अपने दोनों हाथों से श्वेता के हाथ को थाम लिया और अपने पंजो पर खड़ी होकर गहरी-२ साँसे लेने लगी.
उसने आज तक इतनी अंदर तक अपनी ऊँगली भी नहीं धकेली थी, डर के मारे कि कहीं उसकी सील न टूट जाए, और आज श्वेता ने कितनी बेदर्दी से उसकी चूत के अंदर अपनी ऊँगली डाल दी है, कहीं कुछ हो न जाए..
ऐसा सोचते हुए उसने धीरे-२ उसके हाथ को बाहर कि तरफ खींचा, और उसकी ऊँगली को गोर से देखने लगी.
श्वेता समझ गयी कि उसके मन में क्या चल रहा है.
वो बोली : "अरी पागल, इतनी सी ऊँगली डालने से कुछ नहीं होता, उस झिल्ली को तोड़ने के लिए लंड चाहिए लंड …… समझी ''.
काव्या ने धीरे से सर हिलाया और उसकी ऊँगली को फिर से अपनी चूत के मुहाने पर रखकर खुद ही अंदर धकेल दिया , और इस बार जब वो ऊँगली रगड़ खाती हुई अंदर तक गयी तो उसका रोम रोम पुलकित हो उठा , ऐसी फीलिंग उसे आज तक नहीं हुई थी, परम आनंद , जिसे शब्दो में बयां नहीं किया जा सकता.
उसकी चूत के अंदर ऊँगली डालने के बाद श्वेता ने दूसरे हाथ कि ऊँगली अपने अंदर डाल ली और एक ही लय में दोनों हाथ हिलाने लगी.
श्वेता : "ऐसे सिर्फ आँखे बंद करने से कुछ नहीं होगा, तू किसी के बारे में सोच, ऐसे किसी लड़के के बारे में, किसी हीरो के बारे में जिसके लंड को तू इस समय अपने अंदर महसूस करना चाहती है, और मेरी ऊँगली को वही लंड समझकर मजे ले बस ''.
बंद आँखों के पीछे काव्या ने काफी कोशिश कि पर ऐसा कोई भी इंसान उसकी सोच में नहीं आया जिसके बारे में सोचकर वो इस पल का मजा ले सके , उसने तो आजतक किसी के बारे में ऐसा नहीं सोचा था और ना ही किसी के लंड कि तरफ कभी देखा था, पर आज तो उसने अपने समीर पापा का लंड देख लिया, पहली बार लंड देखा और वो भी अपने बाप का , और उनके लंड के बारे में सोचते ही काव्या के शरीर में एक अजीब सी ऐठन आने लगी और वो श्वेता कि ऊँगली को समीर पापा का लंड समझ कर उसके ऊपर लहराने लगी..
और मजे कि बात ये थी कि श्वेता भी समीर के लंड के बारे में ही सोचते हुए मास्टरबेट कर रही थी.
और साथ वाले कमरे में रश्मि समीर का लंड सच में लेकर मजे कर रही थी.
 
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Update 12

देखा जाए तो एक ही बन्दा तीन-२ चूतों को एक साथ मजे दे रहा था.
श्वेता के तो दोनों हाथ बिजी थे पर काव्या बिलकुल खाली थी , और ऐसी हालत में आते ही अनायास उसका दांया हाथ अपनी ब्रेस्ट कि तरफ चला गया और उसने अपना चीकू बुरी तरह से मसल डाला..
''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म '' ...
अपने ही हाथो दर्द पाने का मज़ा अलग ही होता है .
और आज अपने अनछुए उरोजों को दबोचकर जो दर्द काव्या फील कर रही थी, उसमे एक अलग ही मजा आ रहा था उसे..
उसकी सिसकारी सुनकर श्वेता ने भी अपनी आँखे खोली और उसकी ख़ुशी का कारण जानकार उसने उसका दूसरा हाथ अपनी ब्रेस्ट के ऊपर रख दिया.
और फिर काव्या को समझाने कि जरुरत नहीं पड़ी कि आगे क्या करना है,
उसने श्वेता का भी भोम्पू बजाना शुरू कर दिया..
श्वेता कि ब्रेस्ट उसके मुकाबले काफी बड़ी थी, इन्फेक्ट उसकी मम्मी के जितनी थी , लगभग 34 के आस पास, और उसकी तो अभी 32 भी नहीं हुई थी ढंग से.
उसने मन ही मन सोचा कि काश उसकी ब्रेस्ट भी श्वेता के जैसी बड़ी और मुलायम होती क्योंकि लड़को को तो बड़ी-२ ब्रेस्ट ही लुभाती है.
श्वेता के निप्पल खड़े होकर बुरी तरह से मचल रहे थे और यही हाल काव्या के निप्पलस का भी था, एक तो वो इतने लम्बे थे ऊपर से जो खुजली अभी उनमे हो रही थी उसका तो मन कर रहा था कि उन्हें नोच कर कोई खा जाए बस.
और इतना सोचते ही काव्या ने श्वेता के सर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा और अपनी छाती पर दे मारा.
काव्या का खड़ा हुआ निप्पल किसी शूल कि तरह श्वेता के चेहरे पर चुभा क्योंकि रात के समय उसने सिर्फ टी शर्ट पहनी हुई थी.
टी शर्ट के अंदर से निप्पल कि शेप ऐसी थी कि श्वेता अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं रख पायी और अपना मुंह खोलकर उसकी पुरी ब्रेस्ट को निप्पल समेत अपने मुंह के अंदर धकेल लिया और जोर - २ से सक करने लगी...
''आआययययययीईईईईईई उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म एस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ''
काव्या ने उसका सर और जोर से अपने अंदर घुसा लिया.
''कट्टी मारो स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह खा जाओ इसे उम्म्म्म्म्म्म्म्म ''
श्वेता से भी सब्र नहीं हो रहा था, उसने एकदम से उसकी टी शर्ट को ऊपर किया और उसे उतार फेंका , अब काव्या पूरी नंगी होकर उसकी गोद में बैठी थी और उसके लरजते हुए गीले निप्पल श्वेता के अधरों में जाने के लिए मचल रहे थे..
श्वेता ने अपनी जीभ होंठों पर फेरकर उन्हें गीला किया और अपना मुंह आगे करते हुए उसकी ब्रेस्ट को फिर से अपने मुंह में लेकर चूसने लगी..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्वेता उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म सक्क्क ईट अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बाईट करो इन्हे ''
श्वेता का एक हाथ अपनी चूत और दुसरा हाथ काव्या कि चूत कि सेवा कर रहा था और मुंह से वो उसकी ब्रेस्ट सक कर रही थी , मल्टीटास्किंग बंदी थी श्वेता जो इतने काम एक साथ कर रही थी..
वो कभी उसके दांये और कभी बांये स्तन को चूसती, दोनों को चूस चूसकर उसने लाल सुर्ख कर दिया, लाल निशाँ बना दिए उसके गोरे शरीर पर..
काव्या ने भी नाईट शर्ट के बटन खोलकर उसके मुम्मे बाहर निकाल लिए और अब दोनों पूरी तरह से नंगी होकर एक दूसरे के शरीर से खेल रही थी..
इस खेल में इतना मजा आता है, ये उन्हें मालूम होता तो आजतक ना जाने कितनी बार ये मजा ले चुकी होती..
काव्या उसे उठाकर बेड कि तरफ ले गयी , और उसके ऊपर लेट कर उसकी ब्रेस्ट को चूसने लगी.
और फिर श्वेता ने उसे ऊपर खींचते हुए उसके होंठों पर भी एक रसीली फ्रेंच किस्स कर दी, दोनों ने आज पहली बार एक दूसरे को इस तरह से चूमा था.
दूसरे कमरेसे आ रही थपेड़ों कि आवाज और भी तेज हो गयी , समीर ने रश्मि को अपनी गोद में ले रखा था और नीचे से धक्के मारकर उसके शरीर के कलपुर्जे हिला रहा था
अब उनसे भी रहा नहीं जा रहा था..
काव्या ने अपनी चूत वाले हिस्से को उसकी चूत के ऊपर लगाया और ऊपर नीचे होते हुए जोर से घिस्से लगाने लगी
और फिर एक जोरदार गर्जना के साथ दोनों कि चूतों से लावा बह निकला और काव्या हांफती हुई सी श्वेता के ऊपर गिर पड़ी..
दूसरे कमरे का तूफ़ान भी अब शांत हो चुका था..
 
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Update 13

पर शायद कुछ देर के लिये..
उनकी तो आज सुहागरात थी..
पर उसका असर काव्या पर क्या हो रहा है ये शायद ना तो रश्मि ने सोचा था और ना ही समीर ने....!
दोनों सहेलिया पूरी रात ढंग से सो नहीं पायी, रश्मि और समीर ने आतंक जो मचा रखा था दूसरे कमरे में, ऐसा लगता था जैसे दोनों वियाग्रा कि गोलियां खाकर आये हो , थकने का नाम ही नहीं ले रहे थे दोनों.
रात के चार बज रहे थे और दूसरे कमरे से अभी भी रश्मि के बजने कि आवाजें आ रही थी.
श्वेता : "यार, एक बात तो माननी पड़ेगी, ये तेरे समीर पापा का स्टेमिना है कमाल का, औरतें को तो कोई फर्क नहीं पड़ता, वो चाहे जितनी बार अपनी चूत में लंड ले सकती है, पर एक ही लंड बार-२ तैयार होकर अंदर जाए, ये कमाल कि बात है ''.
काव्या : "इसमें कमाल कि क्या बात है ''.
श्वेता : "यार, तू न अक्ल से बच्ची ही है अभी तक, तुझे नहीं पता कुछ भी, यु नो , आदमी के पेनिस को दोबारा फ़किंग के लिए तैयार होने के लिए कम से कम तीन-चार घंटे का समय लगता है, और वो भी जवान लड़को को, और तेरे पापा को तो देख जरा, उनकी उम्र फोर्टी को क्रॉस कर चुकी है उसके बावजूद उनका जोश तो देख जरा, तेरी मम्मी के तो मजे हो गए, इतने सालो कि प्यास अब दिन रात प्यार करके बुझेंगी आंटी जी, ....... हा हा ''..
काव्या को उसकी बात का जरा भी बुरा नहीं लगा, चुदाई कि बातें करना तो आम बात थी दोनों के बीच, पर अपनी माँ के बारे में ऐसी बाते सुनकर भी उसे बुरा नहीं लगा, इतनी ट्यूनिंग तो बन ही चुकी थी दोनों के बीच आज कि रात.
दूसरे कमरे से थपा थप कि आवाजें लगातार बढ़ती ही चली जा रही थी.
श्वेता : "यार, मुझसे तो रहा नहीं जा रहा , चल न, दोबारा से बालकनी में चलते हैं, मुझे उन्हें फिर से देखना है ''..
काव्या उसे मना करती, इससे पहले ही वो भागकर बाहर निकल गयी और छोटी सी दिवार फांदकर साथ वाली बालकनी में और फिर दिवार फांदकर मम्मी-पापा कि बालकनी में पहुँच गयी.
काव्या के पास भी अब कोई चारा नहीं था, देखना तो वो भी चाहती थी उन्हें दोबारा, पर शायद अपनी इच्छा जाहिर नहीं कर पा रही थी , वो भी दीवारे फांदकर वहाँ पहुँच गयी..
श्वेता पहले से ही झुकी हुई अंदर का नजारा देख रही थी..
काव्या ने भी अंदर देखा, उसके पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी, समीर ने उसकी माँ रश्मि को बेड पर लिटाया हुआ था और पीछे से उसकी चूत का बेंड बजा रहा था , रश्मि के मोटे-२ मुम्मे खिड़की कि तरफ थे जिन्हे झूलता हुआ देखकर श्वेता और काव्या के मुंह में पानी आ गया.
''ओह्ह्ह्हह्ह समीिर अह्ह्ह्हह्ह्ह येस्स येस्स अह्ह्ह्ह ओह्ह्हह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म येस्स्स्स अ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
श्वेता धीरे से फुसफुसाई : "यार तेरी माँ कि ब्रेस्ट देखकर तो मन कर रहा है कि इन्हे चूस लू बस , और तेरे पापा के पेनिस को तो देख जरा , कितना लम्बा है, काश मैं होती तेरी माँ कि जगह ''..
श्वेता अपनी बात कर रही थी और काव्या अपने बारे में सोच रही थी, खुद को वो अपनी माँ कि जगह रखकर देख रही थी, अगर वो उसकी माँ कि जगह ऐसी अवस्था में होती तो भले ही उसकी ब्रेस्ट ऐसे न हिल रही होती, छोटी है न इसलिए, पर पेनिस के अंदर जाने और बाहर आने में जो आवाजें आ रही है, वो जरुर और भी भयंकर होती , अपनी टाईट चूत पर इतना तो भरोसा था उसे..
तभी चीखती चिल्लाती रश्मि कि चूत से समीर का लंड निकल आया और पीछे-२ निकला रश्मि का ढेर सारा पेशाब , और वो भी फव्वारे कि शक्ल में ....
रश्मि आनंद विभोर होकर चिल्ला पड़ी : "अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उम्म्म्म्म्म्म ओह्ह्ह्ह समीर, बोल रही थी न, इतनी देर से, जाने दो मुझे बाथरूम, देखो, क्या गंद फेला दिया है ''
समीर के झटके बंद नहीं हुए, वो हँसता हुआ बोला : "यही गंद तो मुझे पसंद है मेरी जान, सुकरटिंग का अलग ही मजा है, चलो डालो अंदर इसे फिर से ''..
समीर का इशारा अपने लंड कि तरफ था जो फिसल कर बाहर आ गया था, रश्मि ने उसके मचलते हुए लंड को कुछ देर तक अपनी बह रही चूत के होंठों पर मसला और उसे पूरा नहला दिया फिर एक ही झटके में फिर से अंदर धकेल दिया..
श्वेता तो ये सीन देखकर बुरी तरह से गर्म हो गयी.
वो बोली : "यार, तेरे पापा को तो सारी तरकीबे आती है, इनसे चुद कर सच में बड़ा मजा आएगा ''..
दोनों सहेलियां फिर से अंदर देखने लगी, अपने-२ जहन में खुद को रश्मि कि जगह रखकर चुदते हुए.
शायद चौथी बार था उनका , पर फिर भी समीर को देखकर लग नहीं रहा था कि वो थके हुए हैं , सटासट धक्के मारकर वो चुदाई कर रहे थे.
अचानक समीर ने अपना लंड बाहर खींच लिया, और उठकर रश्मि के चेहरे के पास आ गया, शायद इस बार वो उसके चेहरे पर अपना माल गिराकर संतुष्ट होना चाहता था.
एक दो झटके अपने हाथों से मारकर जैसे ही अंदर का माल बाहर आया, काव्या और रश्मि को लगा जैसे दुनिया रुक सी गयी है, स्लो मोशन में उन्हें समीर के लंड का सफ़ेद और मसालेदार दही रश्मि के चेहरे पर गिरता हुआ साफ़ नजर आया..
रश्मि के चेहरे को अपने पानी से धोने के बाद,बाकी के बचे हुए रस को समीर ने उसके मुम्मों पर गिरा दिया, और वहीँ बगल में लेटकर पस्त हो गया.
शायद ये उनका आखिरी राउंड था.
काव्या ने श्वेता को चलने के लिए कहा, पर जैसे ही श्वेता उठने लगी, उसके सर से खिड़की का शीशा टकरा गया और एक जोरदार आवाज के साथ वो शीशा टूट गया, दोनों सहेलियों कि फट कर हाथ में आ गयी
 
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Update 14

दोनों जल्दी से उछलती हुई वापिस अपने कमरे कि तरफ भागी और दरवाजा बंद करके चुपचाप लेट गयी.
समीर ने जैसे ही वो आवाज सुनी वो नंगा ही भागता हुआ वह पहुंचा, जाते हुए उसने अपने ड्रावर में से पिस्टल निकाल ली थी.
वो चिल्लाया : "कौन है, कौन है वहाँ ……''
नंगी पड़ी हुई रश्मि ने अपने शरीर पर चादर लपेटी और वो भी डरती हुई सी बाहर कि तरफ आयी, जहाँ समीर खिड़की के टूटे हुए शीशे को देख रहा था.
रश्मि : "क्या हुआ, क्या टूटा है यहाँ ''...
समीर : "खिड़की का शीशा, जरूर कोई यहाँ छुपकर हमें देख रहा था ''
रश्मि के पूरे शरीर में करंट सा लगा, ये सोचते हुए कि उसकी रात भर कि चुदाई को कोई देख रहा था
रश्मि : "कौन, ऐसे कौन आएगा यहाँ ??"..
समीर ने काव्या के रूम कि तरफ देखा तो रश्मि बोली : "तुम क्या कहना चाहते हो, काव्या थी यहाँ, नहीं, ऐसा नहीं हो सकता, वो भला ऐसा क्यों करेगी, उसमे इतनी अक्ल तो है कि वो ऐसा नहीं करेगी ''..
समीर ने कुछ नहीं कहा, वो समझ चूका था कि काव्या के सिवा और कोई इतनी उचाई पर आ ही नहीं सकता था, नीचे से ऊपर आने के लिए कोई भी साधन नहीं था, सिर्फ बालकनी से टापकर ही वहाँ पहुंचा जा सकता था , पर वो ये सब बाते अभी करके रश्मि को नाराज नहीं करना चाहता था..
इसलिए वो अंदर आ गया और उसके बाद दोनों सो गए.
दूसरे कमरे में काव्या और श्वेता भी थोड़ी देर में निश्चिन्त होकर सो गए.
अगले दिन श्वेता जल्दी ही निकल गयी, शायद वो समीर कि शक़ वाली नजरों से बचना चाहती थी.
रश्मि सुबह चार बजे सोयी थी, इसलिए वो अभी तक सो रही थी, पर समीर को जल्दी उठने कि आदत थी, इसलिए वो अपने समय पर उठ गया था.
श्वेता को नौ बजे के आस पास जाता हुआ देखकर उसने मन ही मन कुछ निश्चय किया और काव्या के रूम कि तरफ चल दिया.
काव्या अपने बिस्तर पर लेटी ही थी कि समीर ने दरवाजा खड़काया , काव्या ने जम्हाई लेते हुए दरवाजा खोला, और सामने समीर को खड़ा देखकर उसकी आँखे एकदम से खुल गयी, उसके दिमाग में रात कि चुदाई कि पूरी तस्वीर चलने लगी फिर से और उसकी नजर अपने आप समीर के लंड कि तरफ चली गयी.
काव्या : "अरे अंकल .... मेरा मतलब पापा , आप .... इतनी सुबह ??".
समीर कुछ नहीं बोला और अंदर आ गया , उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ झलक रहा था, वो चलते हुए बालकनी में पहुँच गया
काव्या कि तो हालत ही खराब हो गयी, वो वहाँ से अपने कमरे कि बालकनी कि तरफ देखने लगा, और फिर अंदर आकर काव्या के सामने खड़ा हो गया, वो समीर से नजरे नहीं मिला पा रही थी..
समीर : "तुम ही थी न रात को मेरी बालकनी में, तुम्ही देख रही थी न वो सब ....''
काव्या : "क …क़ …क़्यआ …… मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है ''.
वो इतना ही बोली थी कि समीर का एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके बांये गाल पर पड़ा और वो बिस्तर पर जा गिरी.
समीर चिल्लाया : "एक तो गलती करती हो और ऊपर से झूट बोलती हो …''
इतना कहते हुए वो आगे आया और बड़ी ही बेदर्दी से उसने काव्या के बाल पकडे और उसे खड़ा किया
काव्या दर्द से चिल्ला पड़ी , पर समीर पर उसका कोई असर नहीं हुआ , समीर का एक और थप्पड़ उसके कान के पास लगा और उसे कुछ देर के लिए सुनायी देना भी बंद हो गया.
आज तक उसे रश्मि ने भी नहीं मारा था, और ना ही कभी उसके खुद के बाप ने, और आज ये समीर उसे पहले ही दिन ऐसे पीट रहा था जैसे उसकी बरसों कि दुश्मनी हो.
वैसे समीर था ही ऐसा, उसका बीबी से तलाक सिर्फ इसी वजह से हुआ था कि दोनों में झगडे और बाद में मार पीट काफी ज्यादा बढ़ चुकी थी, समीर ने तो अपनी बीबी को एक-दो बार अपनी पिस्टल से डराया भी था, और यही कारण था उनके तलाक का, घरेलु हिंसा .
पर समीर का ये चेहरा सिर्फ घर तक ही था, बाहर किसी को भी उसके ऐसे बर्ताव कि उम्मीद तक नहीं थी, सोसाईटी में और ऑफिस में तो उसे शांत स्वभाव का सुलझा हुआ इंसान समझा जाता था, पर गुस्सा कब उसके दिमाग पर हावी हो जाए, ये वो खुद नहीं जानता था ..
और आज भी कुछ ऐसा ही हुआ था.
उसके खुद के घर में , काव्या उसके बेडरूम के बाहर छुप कर उसकी चुदाई के नज़ारे देख रही थी, ऐसा सिर्फ उसे शक था, पर फिर भी उसने अपने गर्म दिमाग कि सुनते हुए जवान लड़की पर हाथ उठा दिया, ये भी नहीं सोचा कि उसकी एक दिन कि शादी पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, रश्मि क्या कहेगी जब उसे पता चलेगा कि उसकी फूल सी नाजुक लड़की को ऐसे पीटा गया है..
 
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Update 15

और काव्या को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसके साथ ऐसा सलूक किया जा रहा है, जिस समीर पापा कि चुदाई देखकर उसकी चूत में भी पानी भर गया था कल रात और वो उनसे चुदने के सपने देखने लगी थी ,वो उसके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हैं, वो सब रात भर का प्यार नफरत में बदलता जा रहा था अब..
समीर ने एक और झापड़ उसे रसीद किया और फिर बोला : "सच बोल, तू ही थी न रात को वहाँ ''.
काव्या ने आग उगलती हुई आँखों से समीर को देखा और ना में सर हिला दिया..
समीर ने उसे धक्का दिया और उसका सर दिवार से जा लगा, और उसके माथे पर एक गोला सा बन गया , वो दर्द से बिलबिला उठी.
समीर उसके करीब आया और फिर से उसके बालों को पकड़ा और उसके चेहरे के करीब आकर गुर्राया : "मेरी बात कान खोलकर सुन ले साहबजादी, ये मेरा घर है, और मेरी मर्जी के बिना यहाँ का पत्ता भी नहीं हिल सकता, फिर से ऐसी कोई भी हरकत न करना कि मैं तुझे और तेरी माँ को धक्के मारकर इस घर से निकाल दू , समझी , अगर यहाँ रहना है तो सीधी तरह से रह ''.
और फिर बाहर निकलते हुए वो पीछे मुड़ा और बोला : "ये बात हम दोनों के बीच रहे तो सही है, वरना अंजाम कि तुम खुद जिम्मेदार होगी ''.
ये सारा किस्सा रश्मि को न पता चले, इसकी धमकी देकर समीर बाहर निकल आया ...... अपने बिस्तर पर दर्द से बिलखती हुई काव्या को छोड़कर .
उसने उसी वक़्त श्वेता को फ़ोन करके रोते-२ सारी बात बतायी , उसे भी विश्वास नहीं हुआ कि समीर ऐसा कुछ कर सकता है उसके साथ , श्वेता ने काव्या को अपने घर पर आने के लिए कहा.
वो नहा धोकर तैयार हो गयी, तब तक रश्मि भी उठ चुकी थी, और सबके लिए नाश्ता बनाकर टेबल पर इन्तजार कर रही थी, समीर और काव्या जब टेबल पर आकर बैठे तो दोनों ने एक दूसरे कि तरफ देखा तक नहीं.
रश्मि ने अपनी बेटी को उदास सा देखा तो उसके पास आयी और तभी उसके माथे पर उगे गुमड़ को देखकर चिंता भरी आवाज में बोली : "अरे मेरी बच्ची, ये क्या हुआ, ये चोट कैसे लगी ''.
काव्या ने नफरत भरी नजरों से समीर कि तरफ देखा, जो बड़े मजे से नाश्ता पाड़ने में लगा हुआ था, और फिर धीरे से बोली : "कुछ नहीं माँ, रात को बिस्तर से गिर गयी थी, ऐसे बेड पर सोने कि आदत नहीं है न, इसलिए ''.
समीर उसकी बात सुनकर कुटिल मुस्कान के साथ हंस दिया..
अपना नाश्ता करने के बाद काव्या अपनी माँ को बोलकर श्वेता के घर पहुँच गयी.
उसके कमरे में पहुंचकर उसने विस्तार से वो सब बातें बतायी जो आज सुबहउसके साथ हुई थी , जिसे सुनकर श्वेता का खून भी खोलने लगा
श्वेता : "साला, कमीना कहीं का , देख तो कितने वहशी तरीके से पीटा है तुझे, ''
उसने काव्या के माथे को छूकर देखा, वहाँ अभी तक दर्द हो रहा था
श्वेता : "यार, जिस तरह से तू समीर के बारे में बता रही है, मुझे तो लगता है कि ये कोई साईको है, अगर जल्द ही इसका कुछ नहीं किया गया तो शायद किसी दिन ये आंटी के साथ भी ऐसा कुछ ना कर दे ''
ये बात सुनते ही काव्या सिहर उठी, उसे अपनी माँ से सबसे ज्यादा प्यार था और उसे वो ऐसे पिटते हुए नहीं देख सकती थी
काव्या : "नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगी ....''
श्वेता : "वो ऐसी हरकत ना करे, ना ही तेरे साथ और ना ही आंटी के साथ, इसके लिए हमें कुछ करना होगा ''
दोनों ने एक दूसरे को देखते हुए सहमति से सर हिलाया, दोनों ने मन ही मन दृढ़ निश्चय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए , वो कभी समीर को ऐसा कुछ नहीं करने देंगी
उनके अंदाज को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि वो अपनी बात पूरी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं
दोनों समीर से निपटने कि रणनीति तैयार करने लगी
श्वेता : "देख, अभी कुछ दिन के लिए तो तू बिलकुल चुपचाप रह , तेरा ये सौतेला बाप क्या करता है, कौन-२ उसके दोस्त है, किन बातों से खुश होता है, किनसे नाराज होता है, ये सब नोट करती रह, उसके बाद हम उसके हिसाब से आगे का प्लान बनाएंगे ''.
काव्या : ''पर इससे क्या होगा …??''.
श्वेता : "हमें बस ये सुनिश्चित करना है कि जो आज तेरे साथ हुआ है वो दोबारा न हो, और न ही कभी तेरी माँ के ऊपर ऐसी नौबत आये ''.
काव्या : "और जो उसने मेरे साथ किया है आज,उसका क्या ''
श्वेता : "उसका भी बदला लिया जाएगा , तू चिंता मत कर , तभी तो मैं कह रही हु, उसपर नजर रखने के लिए, हमें उनकी कमजोरी पकड़नी है, ताकि उसका फायदा उठाकर हम अपनी मर्जी से उन्हें अपने इशारों पर नचा सके ''
काव्या कि समझ में उसकी बात आ गयी ..
 
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Update 16

थोड़ी देर तक बैठने के बाद काव्या वहाँ से वापिस घर आ गयी.
उसने अब श्वेता कि बात मानते हुए समीर के ऊपर नजर रखनी शुरू कर दी ..
वो कोई भी बात कर रहा होता, उसे सुनने कि कोशिश करती, किन लोगो से मिलता है, कहा-२ जाता है, उन सब बातों का हिसाब रखना शुरू कर दिया उसने..
चुदाई के मामले में एक नंबर का हरामी था वो..
दिन में 2-3 बार सेक्स करता था, एक सुबह ऑफिस जाते हुए और फिर रात को सोने से पहले..
उसकी माँ कि मस्ती भरी चीखे पुरे घर में गूंजती थी, जिन्हे सुनकर वो भी गीली हो जाती थी.
समीर का कोई फ्रेंड सर्किल नहीं था, ऑफिस और घर के बीच चक्कर काटना , बस यही काम था उसका..
बस एक ही फ्रेंड था, उसका वकील दोस्त, लोकेश दत्त.
जिसकी सलाह मानकर समीर ने रश्मि को प्रोपोस किया था..
दोनों दोस्त अक्सर शाम को बैठकर दारु पीया करते थे और अपने दिल कि बाते एक दूसरे से शेयर करते थे..लोकेश अपनी फेमिली के साथ पास ही रहता था उनके घर के ...
ये सब वो उसी बालकनी में बैठकर करते थे जहाँ छुपकर काव्या ने अपनी माँ को चुदते हुए देखा था.
पर पीने के बाद समीर ये भूल जाता कि शायद काव्या अपने कमरे के अंदर बैठकर वो सब बाते सुन रही है जो वो दोनों कर रहे होते हैं और वो दोनों अक्सर चुदाई कि बाते भी करते थे या फिर ऑफिस में आयी किसी नयी लड़की के बारे में या कोर्ट में आये केस में फंसी बेबस लड़कियो और उनकी कारस्तानियों के बारे में..
कुल मिलाकार उनकी हर चर्चा का केंद्र सेक्स ही होता था..
शादी के एक हफ्ते बाद दोनों दोस्त बालकनी में बैठकर बारिश और दारु का मजा ले रहे थे..
लोकेश : "यार आजकल कोर्ट में एक तलाक का केस आया हुआ है , मिया बीबी अपनी शादी के बीस साल बाद तलाक ले रहे हैं, मैं औरत कि तरफ से केस लड़ रहा हु, वो रोज आती है मेरे केबिन में, अपनी 19 साल कि लड़की के साथ,उसका नाम है रोज़ी..यार, क्या बताऊ, इतनी गर्म और लबाबदार जवानी मैंने कही नहीं देखि , उसमे बोबे देखकर मन करता है अपना मुंह उनके बीच डालकर अपनी सारी फीस वहीँ से वसूल लू … हा हा हा ''
समीर भी उसकी बात सुनकर बोला : "ये उम्र होती ही ऐसी है, कच्चे-२ अमरुद लगने जब शुरू होते हैं न जवान शरीर पर, उन्हें दबाने और मसलने का मजा ही कुछ और है ……''
वो आगे बोला : "वैसे मुझे उसके बारे में भी बात करनी थी, उनकी माली हालत ज्यादा ही खराब है, इसलिए रोज़ी कोई जॉब करना चाहती है, अगर तेरे ऑफिस में कोई स्टाफ कि जरुरत है तो देख ले। ।''
समीर (कुछ देर सोचकर) : "हाँ , चाहिए तो सही मुझे, अपनी पर्सनल असिस्टेंट , रश्मि से शादी करने के बाद वो जगह अब खाली हो गयी है, तू उसे मेरे ऑफिस भेज देना, मैं देख लूंगा ''
लोकेश : "देखा, सिर्फ उसके बारे में सुनकर ही तू उसे जॉब देने के लिए तैयार हो गया, है तो तू पूरा ठरकी , हा हा "
और फिर अपना गिलास एक ही बार में खाली करते हुए समीर बोला : "एक तेरे क्लाईंट कि बेटी है, जिसके मस्त शरीर कि बाते सुनकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया है, और एक मेरी बीबी कि बेटी है, साली ऐसी मनहूस है कि उसे देखकर खड़ा हुआ लंड भी बैठ जाए ''
काव्या छुपकर वो सब बातें सुन रही थी, ये पहली बार था जब समीर और लोकेश उसके बारे में बाते कर रहे थे
लोकेश : "यार, ऐसा भी कुछ नहीं है, मुझे तो उसका मासूम सा चेहरा बड़ा ही सेक्सी लगता है ''
उसने अपने लंड के ऊपर अपना हाथ फेरते हुए कहा
 
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Update 17

दोनों पर शराब पूरी तरह से चढ़ चुकी थी
समीर : "यार, तेरा टेस्ट न बकवास होता जा रहा है आजकल, कहा से तुझे वो सेक्सी लगती है, बिखरे हुए बाल, कपडे पहनने कि समझ नहीं, सुखा हुआ शरीर, जिसपर पता नहीं कोई फल लगेगा भी या नहीं, और ऊपर से उसकी हरकतें , सिर्फ रश्मि कि वजह से वो मेरे घर पर है, वर्ना .......''और इतना कहकर उसने एक और नीट पेग एक ही बार में निगल लिया.
लोकेश : "अरे , छोड़ न यार, तू भी कौन सी बात लेकर बैठ गया , अच्छा तूने भाभी से बात कि थी या नहीं, हनीमून पर जाने वाली, जो मैंने कही थी तुझे ''..
समीर : "यार, ये भी कोई उम्र है मेरी हनीमून पर जाने कि … वैसे भी टाइम ही नहीं मिला रश्मि से पूछने का , आज पूछता हु ''
लोकेश : "देख, हनीमून कि कोई उम्र नहीं होती … मेरा लोनावला में जो लेक के किनारे रिसोर्ट है, तू वहाँ चला जा भाभी को लेकर ''
समीर : "और साथ में उसका दहेज़ भी तो जायेगा, मुझे याद है, हमारी कोई बात हो रही थी बाहर जाने कि तो रश्मि ने पहले ही बोल दिया था कि जहाँ भी जायेंगे काव्या साथ ही चलेगी, उसे अकेला छोड़कर वो कहीं भी घूमने नहीं जायेगी ''
लोकेश : "अरे, तो ले जा न उसे भी साथ में, वैसे भी हनीमून में तुझे जो भी करना है वो बंद कमरे में करेगा, वो तो दूसरे कमरे में रहेगी न ''
समीर सोचने लग गया और फिर कुछ देर बाद बोला : "तो फिर एक काम कर , तू भी साथ चल, मुझे कौन सा सारा दिन बंद कमरे में रहना है, शाम को तो पेग चाहिए होता है मुझे, और अकेले पीने में वो मजा नहीं है जो तेरे साथ बैठकर पीने में है''..
लोकेश : "अच्छा, अब तेरे साथ दारु पीने के लिए मैं तेरे हनीमून पर भी साथ चलु''.
समीर : "तू अपने रिसोर्ट के एकाउंट्स चेक कर लियो ,इतने महीनो से गया भी तो नहीं है न वहाँ ''..
समीर कि बात में दम था , लोकेश ने वहाँ कि जिम्मेदारी अपने साले को सोंप रखी थी , जो सारा हिसाब किताब रखता था वहाँ का.
लोकेश : "बात तो तू सही कह रहा है, चल ठीक है, तू रश्मि भाभी से बात कर और प्रोग्राम पक्का कर ले, मैं चलने के लिए तैयार हु''.
समीर : "इसमें रश्मि से पूछने वाली क्या बात है, वो मना नहीं करेगी, उसे सिर्फ अपनी बेटी कि चिंता होती है, वो अगर साथ है तो उसे चाँद पर भी ले चलो, वो वहाँ भी चल पड़ेगी … हा हा हा ''
और फिर दोनों दोस्तों ने एक-२ पेग और पीया और इधर-उधर कि बातें करते रहे.
उनकी बाते सुनकर काव्या को बहुत गुस्सा आया था, जब समीर ने उसके बारे में वो सब बोला जो वो उसके बारे में सोचता था.
क्या वो सच में ऐसी है..
वो शीशे के सामने जाकर खड़ी हुई और अपने आप को देखने लगी.
वैसे समीर सच ही तो कह रहा था..
उसके बाल बिखरे से रहते थे हमेशा, अपने शरीर में होने वाले बदलाव के बारे में वो चिंता भी नहीं करती थी , उसके हाथ अपने आप अपनी छातियों पर चले गए , और उसने अपनी शर्ट के बटन खोलकर अपनी शर्ट उतार दी, अन्दर उसने सिर्फ एक शमीज ही पहनी हुई थी क्योंकि ब्रा पहनने में उसे परेशानी होती थी, वैसे भी उसके अभी इतने बड़े नहीं हुए थे जो वो रोज ब्रा पहना करे.. उसने अपने सारे कपडे उतार दिए और नंगी होकर सोफे पर बैठ गयी, और अपने शरीर को निहारने लगी
फिर उसने अपना फ़ोन उठाया और श्वेता को फ़ोन लगाया और हाय हेल्लो के बाद वो बोली : "एक बात बता मुझे, क्या मैं अट्रेक्टिव नहीं लगती ''..
श्वेता भी उसकी बात सुनकर हैरान हो गयी और बोली : "नहीं बैबी , ऐसा नहीं है, किसने कहा कि तू अट्रेक्टिव नहीं है ''.
उसके बाद काव्या ने वो सारी बाते श्वेता को बता दी जो उसने छुप कर सुनी थी..
 
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Update 18

उन्हें सुनकर श्वेता कुछ देर तक चुप रही , जैसे कुछ सोच रही हो, और फिर बोली : "देख, अगर वो लोग ऐसा कह रहे हैं तो हो सकता है कि वो सही भी हो, क्योंकि मैं तो एक दोस्त कि नजर से तुझे देखती हु और तू मुझे अच्छी लगती है, और उन्होंने तुझे देखा एक आदमी कि नजर से देखा और हर आदमी लड़की को जब देखता है तो उसका चेहरा ही नहीं बल्कि पुरे शरीर को देखता है और उसके हिसाब से ही अपनी राय कायम करता है उसके बारे में ''.
फिर थोडा रूककर वो बोली : "तेरा चेहरा किसी फ़िल्मी हिरोइन से कम नहीं है, पर आदमी कि नजर चेहरे के नीचे पहले जाती है, जहाँ का वजन देखकर वो उसकी असली तारीफ करता है , लड़की के हर अंग में सही मात्रा में भराव होना चाहिए, बस यही तरीका है उनका हॉटनेस नापने का ''..
काव्या उसकी बाते सुनती रही, और फिर बोली : "पर इसमें मेरी क्या गलती है, मैं जैसी हु,वैसी हु, अपने आप को कैसे बदलू मैं ?".
श्वेता : "वो काम तू मुझपर छोड़ दे, आज के बाद जैसा मैं कहूँगी तो वैसा ही करेगी और कपडे भी मेरी मर्जी से पहनेगी। ओके ''..
काव्या : "हम्म्म्म ''.
उसके बाद आधे घंटे तक श्वेता उसे समझाती रही कि क्या खाना है, क्या नहीं, क्या पहनना है, कैसे पहनना है, कैसे चलना है, झुकना है, समीर और लोकेश के सामने कैसे बिहेव करना है, लोनावला में जाकर क्या करना है जिससे समीर और लोकेश कि उसके बारे में धारणा बदल जाए.
और सब कुछ सुनने के बाद उसने फ़ोन रख दिया.
उसने सोच लिया था कि वो अपनी इमेज बदल कर रहेगी.
जो उसके बारे में सोचा जाता है, जैसी वो दिखती है , वो सब बदल देगी..
और अपने आप को बदलने के लिए उसके सामने पहला मिशन था उसकी मम्मी का हनीमून, जहाँ जाकर वो अपने आप को बदलने कि शुरुवात कर सकती थी.
शाम को रश्मि ने खुश होते हुए काव्या को जब बताया की वो सभी लोग घूमने जा रहे हैं तो काव्या ने ऐसे जताया जैसे उसके लिए ये बात सर्प्राइज़ है, रश्मि ने उसे ये भी बताया की अगले दिन वो शॉपिंग करने चलेंगे. वैसे शॉपिंग पर जाने का एक और कारण भी था, काव्या का 18वा बर्थडे आने वाला था, और उस वक़्त वो सभी लोग लोनावला में ही होंगे ..
काव्या ने भी सोच लिया था की इस बार वो ऐसे कपड़े पहनेगी जो उसने आज तक नही पहने, आख़िर उसके बाप को भी तो पता चले की वो चीज़ क्या है.
अगली सुबह , समीर के ऑफीस जाने के बाद , दोनो मा-बेटी शॉपिंग करने निकल पड़ी, अंधेरी के एक बड़े से माल मे जाकर दोनो शॉपर्स स्टॉप के शोरुम मे घुस गये, रश्मि अपने लिए कपड़े निकालने लगी और काव्या अपने लिए, काव्या ने काफ़ी रंगो मे छोटी-2 निक्कर यानी हॉट पेंट्स ली, जीन्स, स्कर्ट, केप्री, और साथ मे नूडल स्ट्रेप वाले टॉप, हॉल्टर टॉप, स्किन टाईट टॉप, स्ट्रेप लेस टॉप, उसे जो भी सेक्सी ड्रेस मिलती गयी, वो लेती गयी, पैसो की तो चिंता ही नही थी, समीर ने एक लाख रुपय दिए थे रश्मि को शॉपिंग के लिए ...
बिल बनवाते हुए रश्मि ने जब देखा की काव्या ने किस तरह के कपड़े लिए है तो उसने बोला भी, पर काव्या को मना करके वो उसका मूड खराब नही करना चाहती थी, इसलिए उसने सभी की पेमेंट कर दी,उसके बाद दोनो एक लिंगरी शोरुम मे भी गये, और वहा से भी काव्या ने अपनी पसंद के इन्नर वेयर खरीदे, जो आजतक उसकी माँ ही खरीदा करती थी..वहाँ पर भी उसका बिल अपनी मा से ज़्यादा ही आया ..
उसके बाद दोनो लंच करके घर आ गयी.
शाम को उसने श्वेता को घर पर बुला लिया और उसे सारी बात बतायी, और साथ ही अपनी खरीदी हुई ड्रेसेस भी दिखायी, जिन्हे देखकर श्वेता कि भी आँखे फटी रह गयी..
श्वेता : "यार, मुझे नहीं पता था कि मेरी बातों का तुझपर इतना असर पड़ेगा, तूने तो आज तक ऐसी ड्रेसेस पहनी भी नहीं, मुझे भी देखनी है, कैसी लगेगी तू इनमे, प्लीज ना , मुझे पहन कर दिखा ....''
काव्या भी तो यही चाहती थी की जो ड्रेसस वो लाई है, उन्हे पहन कर देखे, उसने श्वेता के सामने ही अपने कपड़े उतारे और पूरी नंगी होकर खड़ी हो गयी.
 
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Update 19

तब श्वेता ने गौर किया की उसने तो अपने पूरे शरीर के बॉल भी सॉफ नही किए है, अंडर आर्म्स , लेग्स और चूत सभी जगह बाल थे, ख़ासतौर पर उसकी चूत पर, वहा पर तो पूरा जंगल था...
श्वेता : "रुक जा, कपड़े पहनने से पहले तेरी मरम्मत भी करनी है ''.
काव्या : " वो कैसे ??".
श्वेता उसके पास आई और सीधा उसकी चूत के उपर हाथ रख दिया और उसके बालों को अपनी मुट्ठी मे भींच कर खींच लिया..
काव्या के मुँह से एक चीख निकल गयी ....
''अहह ssssssssssssssssss''.
श्वेता : "ये जंगल सॉफ करना है, आजकल बालों वाली चूत किसी को भी पसंद नही आती''
काव्या : "पर वहाँ तक दिखाना किसे है ?? ''..
श्वेता ने जैसे पहले से ही सब कुछ सोच कर रख लिया था काव्या के लिए , वो मुस्कुराती हुई उसके पास आई और बोली : "मेरी बन्नो, तू कितनी भोली है, ये जिस्म की आग जब जलेगी ना, तो सामने कौन है, वो नही देख सकेगी तू, हमारे प्लान के अनुसार तुझे अपना सब कुछ दिखा कर ही सामने वाले को बस मे करना है, फिर वो चाहे तेरा ये सोतेला बाप समीर हो या उसका जिगरी दोस्त लोकेश ..''
काव्या हैरानी से उसे देखने लगी ..
श्वेता : "देख, हमने पहले ही डिसाइड कर लिया है की तू अपने अपमान का बदला लेने के लिए कुछ भी करेगी, मैं भी तेरी मदद करूँगी, और देखना, हम दोनो मिलकर, तेरे अकड़ू बाप को अपने सामने झुकाएँगे, और वो भी पूरा नंगा ''..
उसकी बात सुनकर काव्या के चेहरे पर भी हँसी आ गयी और दोनो ने एक दूसरे के हाथ पर हाथ मारकर हाइ फाईव किया ..
श्वेता : "देख, तुझे सबसे पहले अपने बाप के दोस्त लोकेश को बस मे करना है, क्योंकि समीर सिर्फ उसकी बात ही मानता है, उसे शीशे मे उतारकर ही हम तेरे बाप को कंट्रोल कर सकते हैं, और इसके लिए तुझे उसके सामने अपने हुस्न के जलवे बिखेरने होंगे ''.
काव्या : "वो कैसे करूँगी मैं ?".
श्वेता : "सब हो जाएगा, वैसे भी वो तुम्हारे साथ लोनवला जा रहा है, तेरी मा और बाप तो अपने हनिमून मे बिज़ी होंगे, तू मौका देखकर इस लोकेश को पटा ले बस, और इसके लिए तुझे चाहे उसके सामने नंगा भी होना पड़े तो हो जा, बस वो सब मत करने दियो उसको ....''..
काव्या समझ गयी की वो सब का मतलब चुदाई से है...
उसकी बाते सुनकर उसकी चूत मे से गर्म पानी निकलकर उसकी जाँघो से होता हुआ नीचे तक आने लगा , जिसे देखकर श्वेता समझ गयी की काव्या भी ये सब करने के लिए तय्यार है..
वो भागकर बाथरूम से हेयर रिमोवर क्रीम एन्न फ्रेंच ले आई,और उसे बिस्तर पर लिटाकर उसकी बाजू, टाँगो और चूत पर क्रीम लगा दी
आधे घंटे के बाद उसने वो सब सॉफ कर दिया ...
तब काव्या ने देखा की श्वेता ने उसकी चूत के बीचो बीच एक लकीर छोड़ दी है, उसने श्वेता की तरफ देखा.
श्वेता : "ये आजकल का फेशन है, ऐसी ट्रिम की हुई लाइन या शेप देखकर मर्द बहुत उत्तेजित हो जाते हैं ''.
काव्या उससे पूछना तो चाहती थी की उसे इतना सब कैसे पता है, पर उसकी पूरी बॉडी मे बहुत इचिंग हो रही थी, सो वो भागकर बाथरूम मे चली गयी और नहाकार वापिस आ गयी, ऐसे ही, नंगी , उसका पूरा बदन पूरे शबाब पर था और चमक रहा था..
 

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