Incest सौतेला बाप(completed)

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Update 30

उसकी बेचैनी देखकर रश्मि कि भी हंसी निकल गयी, वो भी मजे लेते हुए बोली : "अगर ना खोलू तो …''
समीर ने झुक कर उसके बालों को पकड़ा और बेदर्दी से उसे ऊपर कि तरफ खींच कर थोडा ऊपर उठाया और बोला : "तो तकलीफ तुझे ही होगी, जल्दी कर अब ....''
रश्मि को भी समीर का ये मर्दाना अंदाज पसंद आ रहा था, वो तो हमेशा चाहती थी कि उसे बिस्तर पर कोई ऐसा मिले जो उसपर किसी दासी कि तरह हुक्म चलाये, उसे रोंदे, उसे मसले, उसकी फाड़ कर रख दे , और आज समीर के इस रूप को देखकर उसके मन को इतना सकून मिल रहा था ये समीर को भी नहीं पता चल पा रहा था..
उसने मुंह खोल दिया.
समीर ने अपने दूसरे हाथ में अपने लंड को पकड़कर उसके खुले हुए मुंह के अंदर धकेल दिया और अपनी आँखे बंद करके उसमे धक्के मारने लगा , रश्मि ने भी अपने होंठों के फंदे में अपने मालिक के लंड को जकड़कर उसे चूसना और चुभलाना शुरू कर दिया.
रश्मि ने समीर के घुटनों को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचकर धक्को में एक लय सी बाँध ली और समीर भी तेजी से धक्के मारता हुआ उसके मुंह को बुरी तरह से चोदने लग गया.
एक बार तो उसने इतना तेज धक्का मारा कि रश्मि के गले के अंदर तक उसका लंड घुस गया और उसे सांस लेने में भी मुश्किल होने लगी, समीर ने थोड़ी देर के लिए अपना हथियार बाहर निकाला और फिर जब वो ठीक हुई तो दोबारा अपना थूक से भीगा हुआ लंड उसके मुंह के अंदर पेल दिया.
उसके बाद दो बार और वही हुआ तो समीर ने आखिरकार अपना लंड बाहर ही निकाल लिया, रश्मि कि हालत खराब हो रही थी, ऐसा लग रहा था कि उसे उलटी आ जायेगी, पर पति को मना भी नहीं कर रही थी वो, ये देखकर समीर को काफी अच्छा लगा, उसने रश्मि को उसका इनाम देने कि सोची और धीरे से खिसक कर नीचे कि तरफ जाने लगा.
रश्मि समझ गयी कि अब क्या होने वाला है, उसकी साँसे तेज होने लगी, और जैसे ही समीर ने उसकी चूत के ऊपर अपनी जलती हुई जीभ रखी,
वो तड़प उठी और अपना ऊपर का हिस्सा हवा में उठाकर समीर के सर को अपनी चूत कि भट्टी में झोंक दिया.
वो भी किसी पालतू कुत्ते कि तरह उसकी चूत से रिस रहे गर्म और मीठे पानी को चाट रहा था , उसकी नाक चूत कि लकीर पर घिसाई कर रही थी जिसका एक अलग ही आनंद रश्मि को मिल रहा था
समीर ने उसकी चूत के होंठों को अपने हाथ से फैलाया और अंदर बैठी हुई क्लिट को अपने होंठों के बीच फंसा कर बाहर कि तरफ खींचा , रश्मि को तो ऐसा लगा जैसे उसकी आत्मा को बाहर निकाल रहा है कोई, उसने खुले हुए मुंह से समीर के सर को पकड़कर उसे पीछे कि तरफ धकेला, पर समीर ने उसके दाने को नहीं छोड़ा, वो उसे चूसता ही रहा, चूसता ही रहा
पेड़ो के बीच , रश्मि कि तेज चीखें गूँज रही थी, उसे अपने ऊपर कोई कण्ट्रोल नहीं रह गया था, वो पागलों कि तरह समीर से अपनी चूत चुसवाती हुई सिस्कारियां मार रही थी
और अचानक उसने वो पल महसूस किया जिसके लिए ये सब हो रहा था, उसके अंदर का ओर्गास्म एक जोरदार आवाज के साथ बाहर निकल आया और वो निढाल सी होकर अपनी साँसों पर काबू पाने कि कोशिश करने लगी
"उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म मजा आ गया, थेंक यू … '' रश्मि ने बड़े ही प्यार से समीर के बालों में हाथ फेरते हुए कहा .
''अभी तो और भी बहुत कुछ बाकी है '' इतना कहते हुए वो उसकी जांघो , पेट और नाभि को चूमता हुआ ऊपर आने लगा, बीच में उसकी पहाड़ियों पर भी अपने गीले होंठों के निशान छोड़ता हुआ, उसके निप्पल को मुंह में चूसकर, दूसरे को अपनी उंगलिओं से दबता हुआ, और आखिर में उसके चेहरे को अपनी जीभ से साफ़ करते हुए, उसके होंठों को चूसने लगा, रश्मि को उसके होंठों से अपनी चूत के रस कि खुशबु आ रही थी
वो दोनों काफी देर तक एक दूसरे को चूसते रहे , रश्मि का हाथ समीर के लंड पर किसी पिस्टन कि तरह चल रहा था
रश्मि ने समीर कि आँखों में देखते हुए धीरे से कहा : "यानि, अब आप मुझे चोदोगे ??"
आज पहली बार रश्मि ने चुदाई शब्द का इस्तेमाल किया था, और वो भी इसलिए कि उसे पता था कि समीर को ऐसी भाषा में बोलना और सुनना पसंद है, वो तो पहले से ही उत्तेजित था, रश्मि के मुंह से चुदाई शब्द सुनकर वो उत्तेजना के मारे हकलाने सा लग गया और बोला : " हआ न। … मेरी जान .... सालि रांड .... अब मैं चोदुंगा ते.... ते.... तेरी चू.. चूत को , अच्छी तरह से लूँगा तेरी मैं अब ....''
 
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Update 31

रश्मि जानती थी कि ऐसी बातें करके वो समीर को और भी ज्यादा उत्तेजित कर सकती है, उसकी उत्तेजना और मर्दानगी को बढ़ाने के लिए उसने समीर से कहा : "आप मेरी चूत मारोगे और मैं मारने दूंगी, ऐसा हर बार तो होगा नहीं, मेरा काम तो हो चूका है, मैं अब आपको अपनी चुदाई नहीं करने दूंगी ''.
उसकी आँखों में एक शरारत भी थी, जिसे समीर देख भी पा रहा था और उसकी बातों को समझकर वो जान भी गया था कि वो ऐसा क्यों कह रही है.
उसने उसके बालों को पकड़ा और बोला : "अगर तुम मुझे मना करोगी तो मुझे तुम्हारे साथ जबर्दस्ती करनी पड़ेगी ''..
रश्मि : "करके दिखाओ ''
उसने जैसे चेलेंज किया समीर को ..
रश्मि के इतना कहते ही समीर ने उसे बालों से पकड़ते हुए ऊपर उठाया और उसके एक हाथ को पीछे कि तरफ मोड़ते हुए उसे एक तरफ चलने को कहा..
वो एक हाथ से उसके बाल और दूसरे से उसकी बाजू को पकड़कर उसे जानवरों कि तरह चलाता हुआ एक पेड़ के पास तक ले आया और उसे पेड़ के तने से चिपका कर खड़ा कर दिया, उसके नाजुक -२ मुम्मे और खड़े हुए निप्पल, पेड़ के कठोर तने से पीसकर रगड़ खा गए और रश्मि के मुंह से एक दर्द भरी सिसकारी निकल गयी.
समीर उसके नंगे बदन से लिपटकर खड़ा हो गया और उसकी उभरी हुई गांड पर अपने लंड को रगड़कर अपनी जीभ से उसकी कमर को चाटने लगा.
और फिर वो थोडा सा झुका और उसकी टांगों को खोलकर अपने लंड के लिए जगह बनायीं और अपनी उँगलियों में ढेर सारी थूक लेकर अपने लंड पर लगायी और उसे रश्मि कि चूत पर रखकर नीचे से ऊपर कि तरफ एक जोरदार धक्का दिया.
रश्मि को ऐसा लगा कि उसके पीछे से कोई मिसाइल अंदर घुस गयी है, उसने अपनी टाँगे और भी फेला दी, और थोडा और झुककर समीर के लंड को पूरी तरह से अपने अंदर ले लिया.
दोनों के मुंह से सिस्कारियां निकल रही थी.
''चोदो मुझे समीर …ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही …येस्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म्म्म अंदर तक डालो, फाड़ डालो मेरी चूत को …… अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह समीईईर अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
अपनी बीबी को किसी रंडी कि तरह बर्ताव करता हुआ देखकर समीर पर जैसे कोई भूत चढ़ गया, वो अपने लंड को पूरा बाहर निकालकर फिर से अंदर डालने लगा और हर बार पूरा लंड अंदर बाहर महसूस करके रश्मि को भी बहुत मजा आ रहा था.
अचानक उसने अपने पुरे लंड को बाहर ही निकाल लिया , रश्मि पर भी अब तक दूसरे ओर्गास्म का नशा चढ़ने लगा था , वो अपनी गांड पीछे करती हुई उसके लंड के लिए तड़प उठी और बोली : "डालो न, जल्दी से अपना मोटा लंड, मेरी चूत में उम्म्म्म्म्म्मा ''
पर समीर के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था.
उसने अपने लिसलिसाते हुए लंड को उसकी गांड के छेद पर रखा और अंदर धकेलने लगा..
रश्मि के पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए, वो कसमसाई और धीरे से बोली : "नहीईईईइ …… वहाँ नहीं ....''
ये शायद पहली बार था जब उसने समीर को किसी काम के लिए मना किया था, और बॉस को ये बात पसंद नहीं आयी, उसने उसके मुंह पर हाथ रखा और उसकी बोलती बंद कि और एक जोरदार झटके से अपने लंड को और अंदर धकेल दिया
रश्मि के मुम्मे पेड़ के तने से रगड़ खाते हुए ऊपर कि तरफ उछल गए
 
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Update 32

रश्मि को बहुत दर्द हो रहा था, पर उसे पता था कि अब समीर मानने वाला नहीं है, उसने अपने होंठों को दांतों के बीच दबा कर अपने दर्द पर काबू पाने कि कोशिश कि, और इसी बीच समीर के एक और झटके ने उसे ऊपर कि तरफ उछाल दिया, उसके दोनों पैर एक पल के लिए हवा में लटक गए, और जब वो नीचे आये तो उसके भार के साथ-२ उसकी गांड के छेद ने अपने अंदर समीर के लंड को पिरो लिया.
अब समीर का लोड़ा उसकी गांड के पूरा अंदर तक था.
समीर थोड़ी देर तक रुका रहा और उसके कानों और गर्दन को चूमता रहा.
और फिर धीर-२ उसने पीछे से धक्के मारने शुरू कर दिए..
उसका एक हाथ आगे आकर उसकी चूत को भी सहला रहा था
समीर से मिल रहे हर झटके से वो ऊपर तक उचक जाती और फिर नीचे आती, अब उसे भी मजा मिलने लगा था , वो भी ऊपर नीचे उचक कर समीर का साथ देने लगी थी
समीर ने अपना पूरा लंड बाहर खींचा और फिर से उसकी चूत में डाल दिया , और फिर धीरे से निकालकर वापिस रश्मि कि गांड मारने लगा, समीर अपने सिंगल मोबाइल से रश्मि को डबल सिम का मजा दे रहा था और उसके दोनों नेटवर्क कवर कर रहा था .
और ऐसे ही झटके मारते हुए एक जोरदार उछाल के साथ समीर ने अपनी दो दिन कि जमापूंजी रश्मि कि गांड कि गुल्लक में डाल दी..
और फिर उसने धीरे-२ अपना गन्ना बाहर खींच लिया, पीछे-२ उसके गन्ने का रस भी फिसलकर बाहर आने लगा और रश्मि कि जांघो और टांग से होता हुआ नीचे तक पहुँच गया
और किसी पालतू दासी कि तरह रश्मि उसके सामने बैठ गयी और अपने मालिक के लंड को साफ़ करके चमका दिया
पर अभी रश्मि कि शरारते ख़त्म नहीं हुई थी , उसने समीर के लंड को पकड़ा और उसे पकड़कर झील कि तरफ ले जाने लगी
झील में थोड़ी ही दूर एक पत्थर था, वहां पहुंचकर रश्मि ने समीर को उसपर बैठने को कहा, समीर अपनी गांड टिकाकर उस ठंडी चट्टान पर बैठ गया , ठंडी हवा और नीचे से मिल रही चट्टान की ठंडक ने उसके शरीर में झुरझुरी सी दौड़ा दी.
रश्मि के चेहरे पर शरारत के भाव थे...
वो नीचे झुकी और समीर के मुरझाये हुए लंड को पकड़कर अपने मुंह में ले लिया , उसको चूसते हुए बाहर निकाला और फिर अपनी जीभ से उसको चाटने लगी.
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रश्मि sssssssssssssssssssssss ''
यानी उसको मजा आ रहा था.
समीर ने उसके सर पर हाथ रखकर कहा : "अगर अब मैं मना करू तो ....''
रश्मि के चेहरे के भाव बदल गए और वो अपनी आँखे नचाते हुए बोली : "मना कर के तो देखो आज, खा जाउंगी इसको ....''
उसने समीर के खड़े होते हुए लंड को खीरे की तरह लहराते हुए कहा..
बस यही भाव देखकर एक झटके में समीर का लंड पूरी तरह से खड़ा होकर फिर से लहराने लगा.
पर समीर अभी भी जॉली मूड में था..
समीर : "देखो, मैंने अभी - २ अपना माल निकाला है, इतनी जल्दी दोबारा नहीं कर सकता ''.
इतना सुनते ही रश्मि ने एक खूंखार आवाज के साथ उसके लंड और बॉल्स को एक साथ अपने मुंह में ले लिया..
समीर अपना मुंह खोलकर खड़ा हो गया पानी के अंदर.
पर रश्मि ने उसके लंड और टट्टो को नहीं छोड़ा, वो उन्हें चूसती रही, और उनका रस पीती रही..
और जब उसे लगा की अब वो अंदर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है तो वो फिर से समीर को किनारे की तरफ ले गयी, जहाँ गीली मिटटी और हल्का फुल्का पानी था, वहां लेजाकर उसने समीर को नीचे लिटाया और खुद उसके ऊपर सवार होकर अपने मोटे मुम्मे उसके आगे लटका दिए..
समीर ने लपककर उसके दोनों मुम्मे पकडे और उन्हें जोर-२ से दबाने लगा, उसका लंड अपने आप उसकी चूत के ऊपर ठोकरें मारने लगा, रश्मि ने भी अपनी गांड ऊपर नीचे की और बिना हाथ लगाये उसके लंड के टोपे को सही जगह पर लगा दिया, और फिर उसकी आँखों में एक अजीब सा नशा उत्तर आया और उन्हें देखते हुए समीर ने नीचे से अपना लंड वाला हिस्सा ऊपर उचका दिया और एक ही शॉट में उसे गीली चूत के अंदर पहुंचा दिया .
 
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Update 33

''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह समीर स्स्स्स्स्स्स्स्स ……"
वो इतनी तेज चीखी थी की उनकी आवाज वापिस आ रहे काव्या और लोकेश को भी सुनाई दे गयी, दोनों ने एक दूसरे के चेहरे की तरफ देखा और रहस्यमयी हंसी हँसते हुए जल्दी से किनारा आने की प्रतीक्षा करने लगे..
रश्मि ने समीर के लंड के ऊपर नाचते हुए पीछे मुड़कर देखा , अपनी चूत के अंदर बाहर होता हुआ समीर का लंड इतना प्यारा लग रहा था उसे की उसका मन हुआ की अभी नीचे उतरे और उसे कचर कचर करते हुए पूरा खा जाए .....
ऐसा सोचते ही उसकी चूत के अंदर अजीब सी बेचैनी होने लगी, उसे पता चल गया की उसकी चूत का ज्वालामुखी कभी भी फट सकता है , वो और तेजी से उसके ऊपर कूदने लगी, अपने मुम्मे अपने ही हाथों से मसलते हुए, उन्हें समीर के मुंह के आगे परोसते हुए, अपनी चूत मरवाते हुए, पागलो की तरह चिल्लाते हुए, वो अपनी चूत बुरी तरह से मरवा रही थी...
अचानक वो पलट कर उसके पैरों की तरफ मुंह करके बैठ गयी, क्योंकि इस एंगल में समीर का लंड पूरा अंदर तक जा रहा था..
उसके लंड को अपनी चूत की दीवारों पर रगड़ खाता पाकर, अपने मुम्मों को अपने हाथों से मसलकर वो जोर-२ से चिल्लाने लगी..
और एक जोरदार झटके के उसके अंदर का ज्वालामुखी फट गया और वो नीचे गिर पड़ी..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं तो गयी अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह समीर उम्म्म्म्म्म्म.........मैं तो गयी ''
समीर अभी थोड़ी देर पहले ही झड़ा था, इसलिए उसे अभी बहुत टाइम लगने वाला था..
और वो इस टाइम का फायदा उठा कर रश्मि को हर एंगल में चोदना चाहता था..
उसने रश्मि को नीचे उतारा और उसे वहीँ गीली मिटटी पर घोड़ी बना दिया और उसके पीछे खड़ा होकर उसने उसकी उभरी हुई गांड के अंदर अपना लंड पेल दिया..
रश्मि को वो सब सिर्फ महसूस ही हो रहा था, कोई मजा नहीं मिल रहा था, वो तो बस अपनी गांड ऊँची किये, किसी गली की कुतिया की तरह अपनी गांड मरवा रही थी..
अगले पांच मिनट तक उसकी गांड के सारे पेंच ढीले कर दिए समीर ने, अब तो वो अपने पूरे लंड को बाहर खींचता और फिर से अंदर डालता, और वो भी बिना हाथ लगाये, उसे ख़ुशी हो रही थी की एक ही दिन में रश्मि की गांड ने उसे पहचानना शुरू कर दिया है, इसलिए बिना रोक टोक उसे अंदर ले रही है.
उसने फिर से एंगल बदला और खुद को नीचे बिठा कर उसे अपनी गॉड में बिठा लिया और उसकी गांड मारने लगा.
ऐसा करते हुए वो उसके होंठों को भी चूस पा रहा था और उसके हिलते हुए मोटे मुम्मों को भी देख पा रहा था...
समीर ने उसकी गर्दन को चूसते हुए पूछा : "अह्ह्हह्ह रश्मि , कैसा लग रहा है ''
अब रश्मि का तो काम पहले ही हो चूका था, इसलिए उसे सिर्फ समीर का लंड अंदर बाहर आता हुआ महसूस हो रहा था, फिर भी समीर को बुरा न लगे, और उसका साथ देने के लिए वो कंपकंपाती हुई आवाज में बोली : "उम्म्म्म्म्म इतना लम्बा लंड है तुम्हारा, इसे अंदर लेकर तो सिर्फ मस्ती ही आती है, बहुत मजा आ रहा है डार्लिंग, यू आर फकिंग में रियली वेल्ल ''
अपनी और अपने शागिर्द की तारीफ सुनकर समीर और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया और किसी ड्रेकुला की तरह अपने दांतों को उसकी गर्दन में गाड़कर उसकी नरम खाल पर अपने दांतों के निशान छोड़ने लगा...
और ऐसा करते हुए उत्तेजना के मारे समीर के मुंह से गलियों की बौछार सी होने लगी
''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह साली कुतिया, भेन चोद ,ले मेरा लंड अपनी गांड में, साली रंडी , तेरे अंदर कितनी आग है, भेन की लोड़ी, हमेशा तैयार रहती है मेरा लंड लेने के लिए, तुझे तो गली के कुत्तों से चुदवाऊँगा एक दिन , तेरी चूत की सारी खुजली मिटवा दूंगा अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
 
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Update 34

और उसे पता चल गया की वो वक़्त आ गया है जब आज के दिन का आखिरी शरबत उसके लंड से निकलने वाला है...
पर अब वो सारा रस रश्मि के मुंह में निकालना चाहता था, उसने जल्दी से अपना खीरा उसकी गांड से बाहर निकाला और उसे नीचे बिठा कर उसके सामने खड़ा हो गया, और रश्मि ने भी झट से अपने मालिक के लंड को अपने मुंह के अंदर लिया और उसे चूसने लगी..
और तभी एक तड़तड़ाहट के साथ समीर के लंड से सफ़ेद रस की लहरें निकालकर उसके मुंह के अंदर जाने लगी, उसने भी बिना किसी झिझक के वो सारी मलाई अंदर निगल ली और उसे चाट चाटकर पीने लगी
और यही वो वक़्त था जब समीर की नजरें पीछे खड़ी हुई नाव पर पड़ी, जिसमे बैठे हुए काव्या और लोकेश अपना मुंह फाड़े न जाने कब से उनकी चुदाई का वो खेल देख रहे थे..
एक पल के लिए तो समीर को समझ में नहीं आया की वो क्या करे, वैसे तो लोकेश के साथ मिलकर उसने ना जाने कितनी लड़कियों को एक दूसरे के सामने ही चोदा था, पर आज जिसे वो चोद रहा था वो उसकी पत्नी थी, और फिर ना जाने कैसे उसके मन में आया की पत्नी है तो क्या हुआ, है तो वो एक औरत ही न, लोकेश ने पहले भी उसे कितनी औरतों को चोदते हुए देखा है, अगर उसकी पत्नी को भी देख लिया तो क्या हुआ..
और फिर उसका ध्यान काव्या की तरफ गया, जो बिना पलकें झपकाये अपनी माँ को समीर का लंड चूसते हुए देख रही थी ..
काव्या को देखकर एक पल के लिए तो समीर घबरा गया और अंदर भागने की सोचने लगा पर फिर न जाने क्या सोचकर वो वहीँ खड़ा रहा और अपनी नयी बेटी को अपना खड़ा हुआ लंड उसकी माँ के हाथों चूसता हुआ दिखने लगा..
एक कच्ची कली को देखकर जो हाल एक 45 साल के इंसान का होता है, वही हाल समीर का हो रहा था, उसने नोट किया की काव्या की नजरें उसके भरे हुए लंड से हट ही नहीं रही है , यानी उसका भी चांस है काव्या को चोदने का ......ये सोचकर वो अपनी मर्दानगी पर मंद ही मंद मुस्कुराने लगा ..
समीर को मंद -२ मुस्कुराता हुआ देखकर, उसकी नजरों का पीछा करते हुए रश्मि एक झटके से पलटी और लोकेश और अपनी बेटी को वहां पाकर उसके तो होशो -हवास ही उड़ गए, उसने झटके से पास पड़े हुए टावल को उठाया और समीर को दिया और खुद को पास ही पड़ी एक चादर से ढक लिया ..
रश्मि : "आप बोल नहीं सकते थे की ये लोग वापिस आ गए हैं, आपको शर्म नहीं आई ये सब इन्हे दिखाते हुए, ''
समीर अपना टावल लपेटता हुआ बोला : "मैंने भी अभी देखा इन्हे, अब इतना भी इशू मत बनाओ इस छोटी सी बात का, काव्या भी अब इन बातों को समझती है ''
उसने मुस्कुराते हुए काव्या की तरफ देखा, जिसने एक तिरछी नजर अपनी माँ पर डाली और दूसरी समीर पर, और फिर बिना कुछ बोले वहां से भागकर ऊपर अपने कमरे में चली गयी..
लोकेश : "यार, तूने ही तो कहा था एक घंटे के बाद आने के लिए, देख ले, पुरे एक घंटे के बाद ही आये हैं, वरना मेरा इरादा तुम लोगो को ऐसा देखने का बिलकुल भी नहीं था, सॉरी भाभी .....''
और इतना बोलकर वो भी अपने रूम में चला गया..
समीर जानता था की अभी एक घंटा नही हुआ है, उसके हरामीपन पर वो फिर से मुस्कुरा दिया..
समीर को बेशर्मों की तरह मुस्कुराता हुआ देखकर रश्मि गुस्से में अपना पैर पटकते हुए ऊपर अपने कमरे की तरफ चल दी.
और उसके पीछे -२ समीर भी.
 
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Update 35

वो मन ही मन सोच रहा था की ये वाक़या ना जाने क्या रंग बिखेरेगा उसकी जिंदगी में...
रश्मि ने उसके बाद समीर से कोई बात नहीं की, वो अपना मुंह फुला कर दूसरी तरफ मुंह करके लेटी रही , उसकी हिम्मत अपनी बेटी के सामने जाने की भी नहीं हो रही थी , समीर ने भी उसके साथ बात करने की कोई कोशिश नहीं की, वो भी उसके साथ ही जाकर सो गया
दूसरी तरफ, काव्या की आँखों के सामने अभी तक उसकी माँ ,समीर का लंड चूसते हुए दिख रही थी. किस तरह से वो उसके सामने दासी की तरह बैठी थी, समीर के लम्बे लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी, और उसकी मलाई को भी कैसे चपर -२ करके खा गयी, पूरी रंडी लग रही थी उसकी माँ उस वक़्त..
और उसकी माँ का ये रूप देखकर काव्या भी हैरान थी, उसने सोचा भी नहीं था की सेक्स के मामले में वो ये सब भी करती होगी, पर पिछले कुछ दिनों में जो उसने देखा था, उसे देखकर तो उसकी सारी धारणाएं ही बदल गयी थी अपनी माँ के बारे में, वो आजकल की लड़कियों की तरह ही सेक्स की दीवानी थी, लंड चूसने में और अपनी चूत चुस्वाने में उसे बड़ा मजा आता था, और चुदवाते हुए चीखने में भी उसका कोई जवाब नहीं था, काव्या की सोच में पहले उसकी माँ एक कंजरवेटिव औरत थी, पुराने ज़माने की औरतों की तरह, जो सिर्फ टाँगे पसार कर , बिना किसी फोरप्ले के , चुदाई करवाती थी, पर दो-तीन बार उन्हें देखने के बाद काव्या को पता चला था की वो कितना गलत सोचती थी अपनी माँ के बारे में, वो सेक्स का मज़ा लेने में सच में उसकी माँ थी ...
वैसे होना भी यही चाहिए, औरत चाहे बीस साल की हो या चालीस की, चुदाई के समय उसे रंडी जैसा बिहेव करना चाहिए, ऐसा करने में उसे भी मजा आएगा और उसके पार्टनर को भी..
और काव्या को समझ में आ रहा था की ये सब उसकी माँ किस वजह से कर रही है ........
समीर की वजह से.
क्योंकि जहाँ तक उसे याद है, समीर से शादी के बाद ही ऐसे चेंज आये है उसकी माँ में, कहाँ तो वो पहले उसके सामने कपडे बदलने में भी शर्माती थी, और आज ऐसे खुले में नंगी होकर समीर का लंड चूस रही है.
कितना बदल दिया है उसके सौतेले बाप ने उसकी माँ को , और सौतेले बाप समीर का नाम आते ही उसकी सोच का रुझान उसकी तरफ चल दिया..
उसके सामने समीर का बलिष्ट शरीर और उसकी टांगो के बीच लटकता लम्बा लंड लहराने लगा, और उसके बारे में सोचते ही उसकी खुद की टांगो के बीचो बीच एक टीस सी उभर आई..
और उसके हाथ लहराकर अपने आप वहां पहुँच गए , और उसे वहां पर गीलापन देखकर आश्चर्य बिलकुल भी नहीं हुआ.
एक ही दिन में दो-२ लंड देखकर ऐसा गीलापन तो स्वाभाविक ही था , पहले लोकेश अंकल का और फिर अपने नए बाप का..
काव्या ने अपना तकिया अपनी टांगो के बीच फंसाया और उसके ऊपर उलटी होकर लेट गयी..
और फिर उसके ऊपर लेटकर ऐसे हिलने लगी, जैसे तकिये की चुदाई कर रही हो , आगे पीछे हिलकर वो उसके ऊपर अपने पूरे शरीर को झुलाने लगी …हिलाने लगी ....
आँखों के सामने कभी लोकेश अंकल नाव पर नंगे बैठे हुए अपना लंड मसलते हुए दीखते और कभी समीर झील के किनारे खड़ा होकर अपना लंड चुसवाते हुए दिखता..
और वो सब सोचते-२ कब उसकी चूत ने तकिये को गीला कर दिया, उसे भी पता नहीं चला, बस उसके मुंह से गर्म साँसे निकल रही थी , जिसकी तपन उसे अपने चेहरे पर भी महसूस हो रही थी..
अपनी आँखों में रंग बिरंगे सपने बुनते-२ कब उसे नींद आ गयी उसे भी पता नहीं चला.
और ग्राउंड फ्लोर पर अपने आलिशान कमरे में घुसते ही लोकेश ने अपने सारे कपडे उतार फेंके और अपने लंड को बुरी तरह से मसलने लगा...
 
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Update 36

आज जो उसने देखा था, वो आज से पहले कभी नहीं देख सका था, एक ही दिन में माँ-बेटी को नंगा देखने का सौभाग्य हर किसी के नसीब में नहीं होता.
एक तरफ काव्या की कच्ची जवानी थी और दूसरी तरफ रश्मि का हरियाली कबाब जैसा मांसल शरीर.
रश्मि जिस तरह से समीर के लंड को चूस रही थी , उसे पूरा विश्वास था की चुदाई के समय वो पूरा मजा लेने वाली मस्तानी औरत है.
रश्मि और काव्या को याद करते -२ उसका लंड बुरी तरह से फ़ुफ़कारने लगा..
उसने जल्दी से फ़ोन उठाया और रिसोर्ट के रिसेप्शन पर फ़ोन लगाया..
लोकेश : "रितु, जल्दी से मेरे कमरे में आओ, फ़ौरन ....''
बस इतना कहकर उसने फ़ोन पटक दिया और अपने लंड को सहलाकर शांत कराने की कोशिश करने लगा ..
पांच मिनट के अंदर ही दरवाजे पर खट-२ हुई, लोकेश नंगा ही भागकर वहां गया और दरवाजा खोल दिया .
सामने होटल की रिसेप्शनिस्ट रितु खड़ी थी, सिल्वर कलर का ब्लाउसौर पर्पल कलर की साडी पहन कर , जिसमे वो काफी सेक्सी लग रही थी , नीचे उसने हील वाले सेंडल पहने हुए थे . .
लोकेश ने उसका हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया और दरवाजा बंद कर दिया और फिर उससे बुरी तरह से लिपट कर उसके जिस्म को अपने हाथों से रोंदने लगा..
रितु (हँसते हुए) : "रुकिए सर, इतने उतावले क्यों हो रहे हो , आराम से करिये न, मुझे वापिस रिसेप्शन भी सम्भालना है, कपडे मत फाड़िए मेरे ''
लोकेश थोड़ी देर के लिए शांत हुआ और गहरी साँसे लेता हुआ बेड पर जाकर बैठ गया..
लोकेश : "चल, जल्दी से उतार ये सारे कपडे , और नंगी हो जा ''
रितु ने कातिलाना हंसी में मुस्कुराते हुए, अपने बॉस की बात मानते हुए, धीरे-२ अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए..
रितु : "मैं अभी थोड़ी देर पहले सोच ही रही थी, आपको आये हुए इतनी देर हो गयी, मुझे बुलाया ही नहीं, कोई गलती हुई है क्या मुझसे "
अपनी ब्रा को उतारते हुए उसने बड़े ही सेक्सी अंदाज में लोकेश से कहा..
लोकेश और समीर ने ना जाने कितनी बार रितु की चुदाई की थी मिलकर, वो जब भी रिसोर्ट में आकर ठहरते , रितु उनके साथ ही रहती थी, पूरी नंगी होकर वो उनके कमरे में घूमती रहती, जिसका जब मन करता, उसकी चूत और गांड मार लेता..
पर इस बार समीर अपनी नयी बीबी और बेटी के साथ आया था, और लोकेश को अभी तक रितु को बुलाने का टाइम ही नहीं मिल पाया था, इसलिए रितु ऐसी शिकायत कर रही थी..
जैसे ही रितु ने अपने शरीर का आखिरी कपडा उतारा, लोकेश उसके सामने जाकर खड़ा हुआ और उसे धक्का देकर उसके पंजों पर बिठा दिया और अपने लंड को उसके चेहरे के सामने लहरा दिया, जिसे रितु ने एक ही बार में पकड़ा और उसे चूसना शुरू कर दिया..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स चूऊस साली ''
 
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Update 37

लोकेश के जहन में रश्मि भाभी की तस्वीर दौड़ने लगी, जो थोड़ी देर पहले उसी अवस्था में समीर का लंड चूस रही थी...
उसने रितु के सर को पकड़ा और अपने लंड से उसके मुंह को चोदना शुरू कर दिया..
रहा नहीं जा रहा था उससे , और वो सब करते हुए उसकी आँखे भी बंद थी.
वैसे एक बात है, जो भी लड़की या लड़का सेक्स करते हुए अपनी आँखे बंद कर लेते है, और लम्बी -२ सिस्कारियां लेते है, वो उस वक़्त अपने सामने वाले पार्टनर के बारे में नहीं, बल्कि किसी और ही के बारे में सोच रहे होते है, कोई पुराना आशिक़, कोई क्रश या फिर कोई फेंटेसी …
और यही इस वक़्त लोकेश भी कर रहा था, उसकी आँखों के सामने एक नहीं बल्कि दो-२ तस्वीरें तैर रही थी , माँ और बेटी की..
लोकेश ने रितु को एक टेबल पर बिठाया और उसकी टांगो को खोलकर अपनी खोलती हुई जीभ उसकी चाशनी उगल रही चूत के ऊपर रख दी और अपनी जीभ को घुमा घुमाकर जलेबियाँ बनाने लगा..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''
रितु ने लोकेश के सर को पकड़ कर अपनी अंदर ठोंस लिया, जितना अंदर हो सकता था , उतना अंदर …
रितु के अंदर एक आग सी लगनी शुरू हो गयी थी, वो एक ऐसी रंडी थी जो एक बार सुलगने पर बुरी तरह से जलती भी थी और सामने वाले को जलाती भी थी..
और अपनी जलन को महसूस करते ही वो अपने फेवरेट रोल प्ले पर उतर आई , जैसा वो अक्सर पहले भी करती थी , लोकेश और समीर से चुदते वक़्त..
रितु : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पापा ............. अब मत तरसाओ ………आओ न , आपकी बेबी चुदना चाहती है अब ……''
लोकेश भी रोल प्ले में उसका साथ देने लगा
लोकेश : "उम्म्म्म्म्म्म माय डॉल , कम टू पापा ''
और उसने नंगी रितु को अपने गले से लगा लिया और उसकी ही चूत के पानी को उसके होंठों पर रगड़कर उसे पिलाने लगा
ऐसी हालत में तो रितु लोकेश का पेशाब भी पी जाती, ये तो फिर भी उसकी अपनी चूत का रस था, वो अपनी लम्बी जीभ निकाल कर लोकेश के पूरे मुंह को पालतू कुतिया की तरह चाटने लगी
और फिर लोकेश को सोफे पर धक्का देकर वो 69 की पोजीशन पर आ गयी और दोनों एक दूसरे के अंगो को अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करने लगे..
आज तो रितु ऐसे चूस रही थी , जैसे वो लोकेश के गन्ने का सारा रस निचोड़कर पी जाएगी..
और लोकेश भी उसकी दोनों जाँघों को पकड़कर उसकी चूत के सागर में अटके उस मोती को अपनी जीभ से कुदर रहा था जैसे उसे बाहर निकल लेना चाहता हो..
उसकी जीभ की कुतरन से रितु बावली हो उठी और अपनी चूत को जोरों से उसके मुंह पर मारती हुई जोर -२ से चीखने लगी..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स पापा ……… सक ईट , उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
समीर और रश्मि तो सो चुके थे, पर अपनी मुठ मारकर सुस्ता रही काव्या के कानों में जब यस पापा ...यस पापा... की आवाज पहुंची तो वो एकदम से उठकर बैठ गयी , कान लगाकर उसने सुनने की कोशिश की तो पता चला की आवाज तो नीचे से आ रही है , उसने जल्दी-२ कपडे पहने और नीचे चल दी, वो भी देखना चाहती थी की ये कौन सी बेटी है जो अपने पापा से चुद रही है..
अपने मम्मी पापा के कमरे के आगे से निकलते हुए उसने सुनने की कोशिश की, पर वहां से कोई आवाज नहीं आ रही थी,..
तभी नीचे से फिर से आवाज आई
''पापा , अब मत तरसाओ …फ़क मी , जल्दी से करो अब ''
वो समझ गयी की आवाज नीचे लोकेश अंकल के रूम से आ रही है , पर ये पापा की बेटी कहाँ से आ गयी..
वो नीचे उतरी तो सीढ़ियों के साइड में बने हुए एक रोशनदान को थोड़ा सा खुला पाकर उसने अंदर झाँका तो हैरान रह गयी ..
लोकेश अंकल एक लड़की के साथ पूरे नंगे थे और दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे को चूस रहे थे
लड़की को गौर से देखने पर उसे मालुम चला की ये तो होटल की रिसेप्शनिस्ट है, जो उनके स्वागत में फूल और माला लेकर बाहर खड़ी थी , वो समझ गयी की ये उन दोनों का पुराना चक्कर है, और ये पापा-बेटी का रोल प्ले वो सेक्स में मजा लाने के लिए कर रहे है..
वो पहले से ही गर्म थी, उनका नाटक देखकर फिर से गरमाने लगी..9
रितु अब पलटकर लोकेश के ऊपर आ गयी और उसके खड़े हुए लंड को अपनी चूत से रगड़ने लगी , लोकेश भी बड़ा शातिर था, वो उसे अंदर नहीं डाल रहा था , बल्कि उसे तरसा रहा था..
रितु : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह पापा , मत तरसाओ अपनी लाड़ली को, उसे लेने दो अपने पापा को अंदर ''
 
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Update 38

लोकेश मुस्कुराया और अपनी बेटी की बात मानकर उसने आखिरकार उसकी चूत के दरवाजे पर अपने लंड को रख दिया और एक दो घिस्से देने के बाद अंदर धकेल दिया..
रितु किसी कच्ची कली की तरह, ओह्ह्ह पापा , उम्म्म पापा करती हुई लोकेश के लंड पर फिसलती हुई नीचे तक आई और अपनी गांड टिकाकर वहीँ बैठ गयी..
थोड़ी देर तक उसके मोटे लंड को अपने अंदर एडजस्ट करने के बाद उसने धीरे-२ ऊपर नीचे उछलना शुरू किया और लोकेश ने भी नीचे से धक्के मारकर उसकी चूत की टाईटनेस्स को लूस करना शुरू कर दिया
चूत में लंड जाता हुआ देखकर , रोशनदान से झाँक रही काव्या की आँखे फट कर बाहर ही आ गयी, उसने अभी थोड़ी देर पहले ही लोकेश अंकल का लंड काफी पास से देखा था, उसे रितु से जलन हो रही थी, क्योंकि अगर वो चाहती तो इस वक़्त वो झूल रही होती लोकेश अंकल के झूले पर
जैसे रितु झूल रही थी अब, अपनी टाँगे फैलाये हुए, अपने पापा के ऊपर , उनका लंड अपनी छोटी सी चूत में फंसाकर
काव्या भी लोकेश अंकल की ताकत देखकर रोमांचित हो उठी, कितनी आसानी से वो रितु को दोनों हाथों में लेकर आगे पीछे कर रहे थे, उनके हाथों में इतनी ताकत है तो छोटे शेर में कितनी होगी..
इतना सोचते ही उसका हाथ फिसलकर फिर से अपनी चूत पर पहुँच गया, जिसे थोड़ी देर पहले ही तकिये से रगड़कर शांत किया था , अब उसे अपनी उँगलियों से सहलाकर शांत करना था..
इसी बीच, लोकेश उठकर बैठ गया और अपना लंड रितु की चूत में फंसाये -२ खड़ा हो गया और चलता हुआ बेड तक आया और उसे घोड़ी बनाकर पेलने लगा फिर से उस रंडी को
और इस बार वो अपनी पूरी ताकत से उसकी चूत की रस्सियाँ ढीली करने में लगा था, वो अपना पूरा लंड बाहर खींचता और फिर उतनी ही ताकत से वापिस अंदर धकेल देता, हर धक्के में घच की आवाज आती और रितु का मुंह खुला का खुला रह जाता..
अपने पापा के इन्ही धक्को की कायल थी रितु, वो अपनी गुळगुळाती हुई गांड को पीछे की तरफ धक्का देकर ज्यादा से ज्यादा लंड हड़पने की कोशिश करने लगी..
काव्या तो रितु को देखकर हैरान हुई जा रही थी, कितनी आसानी से और कितने इनोवेटिव तरीके से वो लोकेश अंकल का लंड ले रही थी, ले तो वो रही थी पर महसूस वो खुद कर रही थी , अपनी खुद की उँगलियाँ अंदर पेलकर.
लोकेश अब उसके सामने खड़ा हो गया और उसकी टांगो को फैलाकर अंदर दाखिल हो गया, बाकी का काम रितु ने किया, अपनी कमर उचका -२ कर लोकेश के खूंटे पर अपनी चूत का लिफाफा चिपकाने लगी वो
काव्या की उँगलियाँ भी अपने क्लिट के दाने को खरोंच कर उसके अंदर छुपा हुआ अमृत निकालने में लगी थी, दो बार वो अपनी मसालेदार चूत मसलती और तीसरी बार उन उँगलियों को चाटकर खुद ही साफ़ कर देती , इतना रस तो आजतक उसकी चूत ने नहीं बरसाया था..
और अपनी उत्तेजना के शिखर पर पहुंचकर लोकेश ने रितु की कमर को पकड़कर ऊपर उठा लिया , हवा में, और रितु भी बड़ी नजाकत से अपने हाथों का सहारा लेकर हवा में झूल गयी और अपने प्यारे और मुंह बोले पापा का लंड लेने लगी..
ऐसा घर्षण तो उसे आज तक फील नहीं हुआ था.
और उन्ही घिस्सों को अंदर फील करते हुए वो भरभराकर , वहीँ हवा में झड़ने लगी..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। …… ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पापा …… मैं तो गयी ....''
और हवा में लटकी हुई रितु की चूत में से गरम रस की धार नीचे गिरकर ऐसी लग रही थी मानो कोई झरना गिर रहा हो ऊपर से.
और यही वो पल था जब पापा बने लोकेश के लंड ने भी जवाब दे दिया, उसने जल्दी से अपना हथियार बाहर खींचा और और अपनी गरम -२ मलाई को उसने ताजा चुदी चूत के चेहरे पर छिड़ककर उसकी बची-खुची प्यास भी बुझा दी.
 
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Update 39

अंदर दोनों शांत हुए तो बाहर एक तूफ़ान आकर गुजर गया, काव्या ने भी अपनी चूत के रस की धार वहीँ सीढ़ियों पर निकालकर उन्हें पवित्र कर दिया
तभी काव्या को ऊपर का दरवाजा खुलने की और किसी के नीचे उतरने की आवाज आई और वो भागकर नीचे उतर गयी और सीढ़ियों के नीचे बनी हुई जगह पर छुप गयी.
उपर से उतरने वाला कोइ और नहीं, बल्कि उसका सौतेला बाप समीर था.
उसने लोकेश के रूम कि बेल बजाई, और लोकेश ने दरवाजा खोलकर समीर को अंदर बुला लिया
काव्या भी भागकर वापिस सीढ़ियों पर चढ़ गयी, और अंदर देखने लगी.
समीर बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई रितु को देखकर हैरानी से बोला : "ओहो , तो यहाँ ये सब चल रहा है … मै भी सोचु, इतनी देर से ये चीखने कि आवाजें कहां से आ रही थी ''…
रितु ने जब समीर को देख तो उठ खड़ी हुई और नंगी ही चलती हुई समीर के पास पहुंची और उसके गले से लिपट गयी.
समीर ने भी उसे अपनी ताकतवर बाजुओं मे पकडकर उसके हलवे जैसे शरीर को मसल दिया..
रितु (शिकायती लहजे मे ) : "मुझे आपसे तो बहुत शिकायत है, इतने टाइम बाद आये हो और वो भी अपनी बीबी के साथ , आपको पता है न जब तक आप दोनो एक साथ मुझे ना चोदे तो मेरी प्यास नहीं बुझती , देखिये न, अभी -२ सर ने मेरी चूत बुरी तरह से मारी है और मैं अभी -२ झड़ी हु, पर आपको यहॉँ देखकर फ़िर से अंदर कि चिंगारियां निकलने लगी है ''
शिकायत करते -२ उसका लहजा बदलकर कामुक हो ग़या और उसकी उन्गलियों ने अपनी चूत पर जमा हुआ घी खुरचकर अपनी क्लिट पर मला और उसे गरम करके पिघलाने लगी
लोकेश ने भी समीर कि शिकायत का जवाब देते हुए कहा : "यार, एक तो तुम भाभी के साथ खुल्ले मे चुसम चुसाई कर रहे थे , वो सीन देखकर मेरा क़्या हाल हो रहा था इतनी देर से तुम्हे क्या पता , इसलिए मैने रीतु को यहॉँ बुलाया ''
लोकेश कि बात सुनकर समीर हंस दिया और नीचे झुककर उसने रितु निप्पल को अपने दांतों से कचोट लिया और धीरे -२ अपनी जीभ से उसकी गर्दन को चाटते हुए उपर कि तरफ़ आया , वो भी उसकी गर्दन से झूलकर समीर का साथ देने लगी
सच मे, एक नम्बर कि रंडी थी वो रीतु।
तभी समीर ने कुछ ऐसा बोला कि सीडियो पर छुपकर उनकी बाते सुन रही काव्या को अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ ....
समीर : "अब तो देख लिया ना तूने अपनी भाभी का नंगा जिस्म, ……… बता , कैसा लगा ??"
लोकेश कुछ देर तक चुप रहा और फ़िर अपने मुरझाये हुए लँड को अपने हाथों से मसलता हुआ बोला : "यार, कसम से, ऐसी चीज तो मैने आज तक नहीं देखी, साली के मोंटे मुम्मे देखकर मेरा तो मन कर रहा था कि वहीँ के वहीँ अपना लँड उसके तरबूजों के बीच फंसा कर अपना रस निकाल दु, अब तो बस मन कर रह है कि साली को जल्द ही चोद डालु ''
अपने जिगरी दोस्त कि बीबी के बारे मे लोकेश अंकल ऎसी बातें कह रहे थे और उपर से उनका दोस्त, यानी काव्या का सौतेला बाप बडे मजे ले-लेकर उसकी बातें सुन रहा था और अपनी बाहों मे मचल रही रीतु के मोंटे मुम्मों को चूस रहा था.
काव्या कि समझ मे नहीं आ रहा था कि वो दोनो ऐसा क्यो कर रहे हैं, पर उसका जवाब भी जल्द ही मिल ग़या उसे..
समीर : "यार, आज तक हमने जो भी काम किया है, मिल बांटकर किया है ,जब तूने मुझे अपनी बीबी को चोदने से नहीं रोका, तो मै कौन होता हु तुझे रोकने वाला, कोइ प्लान बना और चोद डाल उसे, वैसे एक बात बोलू, तुझे उस वक़्त अपने सामने देखकर वो काफी नाराज हुई थी, उसे अपनी बोतल मे उतारना आसान नहीं होगा तेरे लिये ''
और इसी के साथ समीर की तीन उँगलियाँ एक साथ रितु कि चूत के अंदर घुस गयी, वो बेचारी अपनी आंखें फैला कर अपने पंजों पर खड़ी होकर सिसकारने लगी
समीर ने रितु को बेड पर लिटाया और अपनी तीनो उँगलियों से उसकी चूत को किसी पिस्टन कि तरह चौदने लगा
लोकेश का लँड भी अब पूरे शबाब पर था, शायद रश्मि के बारे मे सोचते हुए ऐसा हुआ होगा
लोकेश : "उसकी चिंता तू छोड़ दे, ऐसी औरतों को कैसे बोतल में उतरा जाता है वो मुझे अच्छी तरह से पता है ''
काव्या बेचारी अभी तक शॉक में थी, अपनी माँ के बारे मे ऎसी गन्दी बात उसने आज तक नहीं सुनी थी , पर ना जाने क्यो, उसे गुस्सा नहीं आ रहा था इस बात पर, क्योंकि अचानक उसने अपनी माँ कि जगह पर अपने आप को रख कर देखा, तब उसे महसूस हुआ कि एक तरफ तो उसे मज़ा देने के लिये समीर है, और दूसरी तरफ उसके हुस्न पर अपनी गिद्ध जैसी नजरें लगाये हुए उसके पति का जिगरी दोस्त लोकेश है, और जब समीर दूसरी लडकियों के साथ मौज मस्ती कर रहा है और उसे कोइ आपत्ति नहीं है कि उसकी बीबी उसके ही दोस्त के साथ चुदाई का खेल खेले, तो उसकी माँ रश्मि को क्या प्रोब्लेम हो सकती है
 

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