Incest सौतेला बाप(completed)

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update 20

श्वेता भागकर आई और उसके नंगे शरीर से लिपट गयी और बोली : "यार, मैं अगर लड़का होती ना, तो तुझे आज ही कली से फूल बना देती ''.
उसकी ये बात सुनकर काव्या की साँसे तेज हो गयी, जिसे श्वेता ने भी महसूस किया, और उसने ये भी देखा की काव्या अपनी चूत वाले हिस्से को उसकी जाँघ पर रगड़ रही है ..
वो समझ गयी की आज तो उसके साथ कुछ करना ही पड़ेगा.
उसने अपने दाँये हाथ की उंगली उसकी बह रही चूत के अंदर खिसका दी, वो सिसक कर उसके और पास आ गयी और अपने छोटे-2 स्तनो को उसकी गोल-गोल छातियों से घिसने लगी..
श्वेता ने अपने दोनो हाथो मे उसके लंबे निप्पल पकड़े और उन्हे अपनी तरफ खींच लिया और झटके से आगे आई काव्या के होंठों को अपने मुँह मे दबोच कर उसने उन्हे चूसना शुरू कर दिया..
''पुछ्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्मममममम अहह''.
और फिर अपनी उंगली और अंगूठे के बीच उसके निप्पल फँसा कर हथेली से उसकी दोनो ब्रेस्ट को मसाज करने लगी.
श्वेता : "ये देख, जब भी खाली बैठी हुआ कर तो ऐसे ही अपनी ब्रेस्ट की मालिश करती रहा कर , तभी मोटी होंगी ये, मेरी तरहा .....तेरी मा की तरहा .....''
वो आगे बोली : "जैसे वो योग गुरु बताते है ना टीवी पर, अपने नाख़ून एक दूसरे पर घिसने से बॉल आ जाते हैं, वैसे ही इन्हे घिसने पर ये भी बड़ी हो जाएँगी ...इसलिए जब तक कोई रोज इन्हे दबाने वाला तेरा कोई बाय्फ्रेंड नही आता, तुझे ही ये काम करना होगा''..
काव्या ने समझते हुए हाँ मे सिर हिला दिया ...
पर अभी ये समय शिक्षा लेने-देने का नही था, उसे तो अपनी चूत की आग शांत करनी थी अभी ..
उसने श्वेता के सिर को पकड़ा और उसे नीचे की तरफ धकेलना शुरू कर दिया , वो समझ गयी की काव्या क्या चाहती है, वो भी उसकी ताज़ा छिली चूत को अपने मुँह मे लेकर उसे चूसना चाहती थी..
वो धीरे-2 नीचे होती गयी और अंत मे आकर वो उसकी चूत के बिल्कुल सामने बैठ गयी..
और अपनी साँप जैसी जीभ को लपलपाकर जैसे ही उसने काव्या की चूत की औस की बूँदों को पिया, उसने अपनी आँखे बंद करते हुए एक जोरदार चीत्कार मारी और अपनी चूत को बुरी तरहा से झटका देकर अपनी सहेली के चेहरे पर दे मारा..
''आआयययययययीीईईईईईई .........अहह उम्म्म्मममममममम''.
और खुद पीछे होती हुई अपने बिस्तर पर जाकर लेट गयी ....
और अपने पैरों को श्वेता के सिर के चारों तरफ फँसाकर उसे अपनी चूत के थ्रू पीने लगी , या यूँ कहलो कि अपना जूस उसे पिलाने लगी ...
श्वेता को ऐसा लगा की उसकी साँस ही घुट जाएगी, उसने बड़ी मुश्किल से अपने सिर को उसके चुंगल से छुड़ाया और उपर देखते हुए बोली : "साली, देखने मे तो कितनी भोली सी लगती है, पर तेरे अंदर इतनी आग भरी पड़ी है .....संभालकर इस्तेमाल कर इसका , तभी तू सामने वाले को अपने इशारों पर नचा सकेगी, वरना पहली बार मे ही कोई भी तेरी चूत के परखच्चे उड़ा कर निकल लेगा और तू देखती रह जाएगी ''..
श्वेता की सेक्स क्लास अभी तक चालू थी ....
उसके समझाने के बाद काव्या ने अपने उपर थोडा कंट्रोल किया और आराम से लेटकर उसकी जीभ को अपने तालाब मे किसी मछली की तरह महसूस करने लगी..
और कुछ ही देर के बाद उसकी उबलती हुई चूत मे से गरमा गरम लावा निकालकर बाहर आ गया, तब जाकर उसके शरीर का तापमान सामान्य हुआ..
उसके बाद एक-एक करके काव्या ने अपनी सारी ड्रेसेस उसे पहन कर दिखायी , और उसकी हर ड्रेस पर श्वेता ने तालियां और सिटी मारकर उनको सराहा ...
काव्या को कुछ और बातें समझाने के बाद श्वेता अपने घर चली गयी..और साथ ही ये भी बोल गयी की कोई भी बात पूछनी हो तो तुरंत फोन कर लिया करे..
अगला पूरा दिन पेकिंग करने मे निकल गया। …
 
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update 21

और अगली सुबह सभी लोनवाला के लिए निकल पड़े .
आज समीर खुद ड्राइव कर रहा था, उसकी फॉर्चूनर की अगली सीट पर रश्मि बैठी थी और पीछे वाली सीट पर काव्या थी.
और समीर का ध्यान आज बार-2 उसकी तरफ ही जा रहा था.
कारण था उसके कपड़े, जो उसने खास तौर पर वहाँ जाने के लिए पहने थे..
एक टाईट सी टी शर्ट और नीचे एक छोटी सी हॉट पेंट..
जिसमे उसके मोटी गांड के उभार सॉफ नज़र आ रहे थे...
थोड़ी देर मे ही लोकेश का घर भी आ गया और उसको पीकप करने के बाद वो लोग लोनवला की तरफ निकल पड़े, वहाँ का रास्ता डेड घंटे का था.
पीछे वाली सीट पर बैठते ही लोकेश की नज़र काव्या की चिकनी टाँगो पर पड़ी , उसके पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गये, उसने भी आज तक उसे बुरी नज़र से नही देखा था, वो तो उसे बच्ची समझ रहा था, पर उसे क्या मालूम था की ये बच्ची उन ढीले-ढाले कपड़ो के अंदर छुपा हुआ एक बॉम्ब है ..
काव्या ने भी मुस्कुराते हुए लोकेश अंकल से हाथ मिलाया और उनसे सट कर बैठ गयी ... और इधर-उधर की गप्पे मारने लगी..
बातों ही बातों मे कब लोनवाला आ गया, उन्हे पता ही नही चला, पुर रास्ते समीर का ध्यान पीछे की तरफ ही था, उसे लोकेश से ईष्र्या भी हो रही थी की वो क्यो उसकी जवान बेटी के पास ऐसे चिपक कर बैठा है, पर वो कुछ कर भी तो नही सकता था
पर ये तो अभी शुरुवात थी, अगले चार दिनों में क्या होने वाला था ये शायद समीर भी नहीं जानता था ...
लोकेश का रिसोर्ट काफी बड़ा था, उसके आगे कि तरफ काफी बड़ी सी झील थी जिसे देखकर रश्मि और काव्या को ऐसा लगा कि वो स्वर्ग में आ गए हैं , पहाड़ियों से घिरी जगह के बीचो बीच इतना शानदार रिसोर्ट था लोकेश का, अब रश्मि कि समझ में आ रहा था कि वक़ालत कि मोटी कमाई उसने कहाँ लगायी है ।
उनकी गाडी मैन गेट से होती हुई अंदर आ गयी, रिसोर्ट का पूरा स्टाफ उनके स्वागत के लिए खड़ा था, सबके हाथों में बूके दिए गए और उन्हें सम्मान के साथ अंदर ले जाया गया
लोकेश ने मेनेजर से पुछा : "हमारा कॉटेज तैयार है न ??"
मैनजर : "जी सर , जैसा आपने कहा था, आप सभी के रहने का इंतजाम हमेशा कि तरह पीछे वाले कॉटेज में कर दिया गया है , चलिए मैं आपको वहाँ ले चलता हु ''
वो सभी पीछे वाले रास्ते से होते हुए रिसोर्ट के पिछले हिस्से में पहुँच गए, और वहाँ कि बाउंड्री को क्रॉस करने के बाद , घने पेड़ो के बीच बने एक शानदार बंगले के पास जा पहुंचे.
समीर ने रश्मि से कहा : "ये है लोकेश का पर्सनल कॉटेज, हम दोनों जब भी आते हैं तो यहीं ठहरते हैं, इसका रिसोर्ट थ्री स्टार है, पर ये कॉटेज पूरा फाईव स्टार है ''.
और सच में, वो एक छोटा सा फाईव स्टार होटल था, बड़ा ही शानदार था वो, आलिशान और बड़ा सा, लगभग पांच कमरे थे उसमे, नीचे तीन और ऊपर दो, और सामने था एक बड़ा सा पार्क और उसके आगे थी दूर तक फैली हुई झील, जो सिर्फ इस कॉटेज के लिए ही थी शायद , क्योंकि रिसोर्ट में रहने वालो के लिए झील का सामने वाला हिस्सा था, पीछे वाला नहीं.
सभी का सामान कमरों में रख दिया गया.
लोकेश अपने ग्राउंड फ्लोर वाले रूम में रुका और समीर और रश्मि को ऊपर वाला रूम मिल गया, काव्या को उनके साथ वाले रूम में पहुंचा दिया गया.
लोकेश ने मेनेजर को बोल दिया कि उनकी इजाजत के बिना पीछे वाले हिस्से में कोई भी ना आये , इस बात का रहस्य रश्मि और काव्या को बाद में पता चला..
अपने रूम में सामान रखने के बाद जब लोकेश लॉन में बैठा चाय पी रहा था तो काव्या वहाँ आयी , गाडी में इतनी देर तक उसके साथ बैठने कि वजह से उसके हुस्न का दीवाना तो वो मन ही मन हो चूका था, अब पहला मौका था जब दोनों अकेले थे..
काव्या : "वाव अंकल , आपका रिसोर्ट तो बड़ा ही शानदार है, मुझे काफी अच्छा लगा यहाँ आकर …।''
लोकेश थेंक्स कहकर उसकी छातियों कि तरफ घूरकर देखने लगा, क्योंकि उसके लम्बे निप्पल देखकर उसके मुंह से और कुछ निकला ही नहीं..
काव्या को झील के किनारे एक नाव खड़ी हुई दिखायी दी, जैसी पुरानी मूवीज में होती थी, लम्बी सी, चप्पू से चलाने वाली , और उसे देखकर वो काफी खुश हुई..
''वाव , यहाँ तो नाव भी है, ये चलती भी है क्या ??"..
लोकेश : " हाँ, इसमें बैठकर अक्सर मै और तुम्हारे पापा फिशिंग के लिए जाते हैं अंदर ''..
काव्या : "अच्छा , मैं भी जाना चाहती हु, चलो न प्लीस ....''.
उसने बड़े ही प्यार से लोकेश से कहा, और वो मना कर ही नहीं पाया.
 
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update 22

काव्या : "यु आर सो स्वीट अंकल , मैं अभी चेंज करके आती हु ''.
और इतना कहकर वो अपने भारी भरकम चूतड़ हिलाते हुए ऊपर कि तरफ भाग गयी..
उसके मांसल चूतड़ों को देखकर उसके लंड ने एक जोरदार अंगड़ाई ली , जिसे उसने बड़ी मुश्किल से अपनी केप्री में अडजस्ट किया.
थोड़ी ही देर में वो भागती हुई नीचे आयी , उसने एक जींस कि निक्कर और टाईट टी शर्ट पहन ली थी, और उस टी शर्ट को उसने पेट वाले हिस्से पर बांध भी लिया था, जिसकी वजह से उसकी गहरी नाभि सपाट पेट के बीच साफ़ दिख रही थी..
एक तो पहले ही लोकेश कि हालत खराब थी, काव्या को ऐसी ड्रेस में देखकर वो और भी उत्तेजित हो गया, उसने दूसरी तरफ मुंह कर लिया ताकि उसके लंड का उभार काव्या न देख सके..
नीचे आते हुए वो रश्मि को कहती हुई आ रही थी कि वो लोकेश अंकल के साथ नाव पर जा रही है , और ये बात सुनकर समीर के कान खड़े हो गए, वो भी भागता हुआ पीछे - २ आ गया..
तब तक काव्या नाव में बैठ चुकी थी, उसने अपने हाथ में पकडे हुए टावल और क्रीम को अंदर रखा और चप्पू अपने हाथ में ले लिए.
लोकेश ने उसकी तरफ लाईफ जेकेट फेंकी और बोला : "ये पहन लो ''..
और उसने खुद भी जेकेट पहन ली और नाव कि रस्सी खोलकर ऊपर चढ़ने लगा, तभी समीर आया और उसे थोडा दूर ले जाकर बोला : "यार एक फेवर करना मेरे लिए ....''
लोकेश ने उसकी तरफ देखा और बोला : "हाँ हाँ क्यों नहीं, बोलो ''
समीर : "तुम झील में जाओ तो एक घंटे से पहले मत आना ''
लोकेश ने रहस्यमयी मुस्कान से उसकी तरफ देखा और बोला : "सही है दोस्त, सही है … डन ''
समीर भी हंस दिया और फिर बोला : "और कोशिश करना कि इतनी दूर निकल जाओ कि यहाँ का नजारा तुम दोनों कि नजरों से ओझल हो जाए ''..
लोकेश समझ गया कि समीर का प्लान रश्मि को वहीँ बाहर लाकर खुले में चोदने का है, आखिर घने पेड़ो से घिरी ऐसी जगह पर चुदाई करने का मजा ही अलग है ।
लोकेश ने भी धीरे से उसके कान में कहा : "पर कीड़े मकोड़ों का ध्यान रखना, कहीं भाभी को कोई काट न ले ....''
समीर ने हँसते हुए उसकी कमर पर एक मुक्का लगाया और उसे जाने के लिए कहा, उसके लंड का उभार भी अब बर्दाश्त से बाहर निकल रहा था.
लोकेश ऊपर चढ़ गया और चप्पू चलाकर नाव को दूर ले जाने लगा..
काव्या उसकी तरफ पीठ करके बैठी थी, इसलिए उसकी पतली कमर और फैली हुई गांड कि शेप उसे साफ़ दिख रही थी , और लोकेश के लिए ये ठीक भी था, क्योंकि वो आसानी से अपने खड़े हुए लंड को अडजस्ट कर सकता था
 
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update 23

काव्या वहाँ कि खूबसूरती को निहारती हुई जा रही थी, पर उसके मन के कुछ और ही चल रहा था, वो बार -२ मुड़कर पीछे भी देख रही थी, और जब उसे लगा कि वो काफी दूर निकल आये हैं और कॉटेज वहाँ से दिखायी नहीं दे रहा है तो वो आराम से उठी और अपनी टी शर्ट कि गाँठ खोल दी..
लोकेश हैरानी से देख रहा था कि वो आखिर करना क्या चाहती है.
काव्या ने टी शर्ट का निचला हिस्सा पकड़ा और उसे धीरे-२ ऊपर उठाना शुरू कर दिया...
लोकेश कि समझ में नहीं आया कि वो आखिर कर क्या रही है..
वो टी शर्ट उठाती चली गयी और उसे उतार दिया उसने टी शर्ट के नीचे हाल्टर ब्रा पहनी हुई थी, लाल रंग कि, जिसमे उसके नन्हे-२ चूजे बंद थे , और उनकी चोंचे ब्रा को फाड़कर बाहर आने को तैयार थी..
लोकेश हैरानी से उन्हें देखता रह गया , उसके मुंह से कुछ निकला भी नहीं..
वो क्या कर रही थी , लोकेश कि समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था , उसने अपना टॉवल उठाया और उसे वहीँ नीचे कि तरफ बिछाने लगी, और ऐसा करते हुए नाव एकदम से डगमगाने लगी..
लोकेश ने अपने सूखे मुंह से आवाज निकाली और बोला : "देखो काव्या , नाव पर बैलेंस बनाकर रखना जरुरी है, तुम बीच में बैठोगी तो सही से चल नहीं पायेगी ये …''
काव्या : "तो थोड़ी देर के लिए रोक लेंगे न, मुझे तो बस सन टैनिंग करनी है, अगर आप को कोई परेशानी न हो तो ''
लोकेश को विश्वास नहीं हुआ कि काव्या उसके होते हुए सन टेनिंग लेना चाहती है , उसने मन ही मन सोचा कि ये आजकल कि लड़कियों को अपनी त्वचा को एकसार बनाये रखने के लिए क्या-२ करती रहती है, पर वो इतनी बेशर्म होकर उसके सामने ही सन टेनिंग लेगी, उसे अब भी विश्वास नहीं हो पा रहा था.
पर जल्द ही उसका जवाब उसे मिल गया..
काव्या ने धड़कते हुए दिल से अपनी हाल्टर ब्रा कि डोरी खोली और उसे खोलकर नीचे रख दिया अब वो ऊपर से पूरी तरह से नंगी थी.
काव्या नीचे झुककर अपना टॉवल फिर से अडजस्ट करने लगी..
उसकी नजरें लोकेश कि तरफ गयी, जो चप्पू चलना भूलकर , अपना मुंह फाड़े, उसकी कोमल और नन्ही ब्रेस्ट को बिना पलकें झपकाए देख रहा था..
ये पहला मौका था जब काव्या ने इतनी बेशर्मी से अपनी ब्रेस्ट किसी को दिखायी थी, पर वो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे ये सब नॉर्मल है उसके लिए..
उसने लोकेश से पूछा : "आई होप अंकल, आपको ये सब बुरा नहीं लग रहा , एक्चुअली, मैं मॉम-डेड के सामने तो ऐसा कर नहीं सकती न, आपके साथ तो मैं अब काफी फ्रेंक हो चुकी हु ''.
लोकेश को भला क्या प्रॉब्लम हो सकती थी , उसे तो अब भी विश्वास नहीं हो रहा था कि काव्या उसके सामने टॉपलेस बैठी है..
उसकी ब्रेस्ट कि बनावट देखकर उसके मुंह में पानी भर आया, वो टकटकी लगाए हुए उन्हें घूरता रह गया
काव्या : "आप तो ऐसे देख रहे हैं, जैसे आपने पहले किसी कि ब्रेस्ट देखि ही नहीं है ''
उसकी बात सुनकर लोकेश एकदम से शर्मिंदा हो गया और दूसरी तरफ देखने लगा, काव्या कि हंसी निकल गयी
वो थोडा सम्भला और बोला : "नहीं, ऐसा नहीं है कि मैंने पहले कभी ब्रेस्ट नहीं देखि, बस मुझे अंदाजा नहीं था कि तुम ऐसा कुछ करोगी, वैसे सोचकर देखो, अगर तुम्हारे पापा और मम्मी को पता चला कि तुम नाव पर मेरे सामने इस तरह से टॉपलेस बैठी हो तो क्या होगा ''
काव्या ने अपनी आँखे फैलायी और बोली : "पापा का तो पता नहीं, पर मम्मी तो पागल ही हो जायेगी ये सुनकर, तभी तो मैंने कॉटेज का आँखों से ओझल होने तक का वेट किया, और आपकी परमिशन कि जरुरत नहीं समझी मैंने, इतना तो भरोसा कर ही सकती हु न आपके ऊपर ....''
लोकेश ने मन ही मन सोचा, साली बिहेव तो ऐसे कर रही है जैसे बरसों विदेश में रहकर आयी है, और इतने खुलेपन कि आदत है उसे, वैसे कोई भी शरीफ लड़की इतनी जल्दी किसी के भी सामने नंगी नहीं हो जाती, या तो ये चालू है या फिर एक नंबर कि बेवक़ूफ़ ....
पर उसे क्या मालुम था कि ये तो उसके शातिर दिमाग का एक ऐसा प्लान है जो उसने अपनी सहेली श्वेता के साथ मिलकर बनाया है..
 
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update 24

लोकेश : "हाँ हाँ , क्यों नहीं, भरोसा रखो मुझपर ……''
और फिर उसकी छातियों को अपनी नजरों से भेदता हुआ वो नाव चलाने लगा..
पर उसे क्या पता था कि ये तो बस शुरुवात है, काव्या ने उसकी तरफ चेहरा करते हुए अपनी निक्कर के बटन खोले और उसे उतारने लगी, जैसे -२ उसकी निक्कर नीचे आ रही थी, लोकेश कि आँखे फ़ैल कर फटने को तैयार हो रही थी , उसने निक्कर के नीचे लाल रंग कि ही एक छोटी सी पेंटी पहनी हुई थी , जिसके अंदर उसकी फूली हुई सी चूत वो साफ़ देख पा रहा था.
नाव छोटी थी, और काव्या के पैर लगभग लोकेश को टच ही कर रहे थे जब वो अपनी टाँगे फेला कर अपनी निक्कर को बाहर खींच रही थी, उसके नरम पैरों के स्पर्श से उसके शरीर में तरंगे उठने लगी..
उसके बाद काव्या वहीँ टावल पर बैठ कर क्रीम लगाने लगी, उसने ढेर सारी क्रीम निकालकर अपने पैरों, हाथों पर मल ली और फिर अपनी ब्रैस्ट पर भी काफी क्रीम लगाकर उन्हें मसलने लगी..
ऐसा करने में काव्या को काफी मजा भी आ रहा था, उसके लम्बे निप्पल ऐसी क्रिया से बुरी तरह से खड़े होकर लहराने लगे थे, उसके नन्हे और सफ़ेद मुम्मों में एक अलग तरह कि लालिमा उतर आयी थी, जो लगातार मर्दन से और भी बढ़ती जा रही थी ...
काव्या : "उम्म्म्म … ऐसा मौका कभी-२ ही मिलता है ''
वो शायद लोकेश को अपना तर्क दे रही थी
पर लोकेश तो उसकी सुंदरता में ऐसा खोया हुआ था कि उसे वो सुनायी ही नहीं दिया
लोकेश : "अन्न। …क्या …क्या कहा तुमने ??"
काव्या हंसने लगी, और लोकेश बेचारा शर्मिंदा सा होकर फिर से चप्पू चलाने लगा
अब काव्या ने भी बात थोडा और आगे बढ़ाने कि सोची..
काव्या : "अंकल आप ठीक तो है न , लगता है आप कम्फर्टेबल नहीं हो मेरे ऐसा करने से ''..
लोकेश (हकलाते हुए) : "वो वो … दरअसल … ऐसा अगर आँखों के बिलकुल सामने हो तो थोडा हो ही जाता है .... ''
काव्या : "हम्म्म्म दिख रहा है मुझे भी ''..
उसकी नजरें लोकेश के लंड को घूर रही थी जो बुरी तरह से फड़फड़ा कर बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था
लोकेश ने झट से अपने लंड को अपनी टांगो के बीच छुपा कर उसकी भूखी नजरों से छुपा लिया..
काव्या ने एक और बम्ब फोड़ा
काव्या : ''अच्छा अंकल , एक बात बताओ, क्या आपने आज तक अपनी इस नाव पर मास्टरबेट किया है ''
उसकी बात सुनकर लोकेश नाव से गिरते-२ बचा..
"क्याआअ ???? क्या कहा तुमने "..
उसने उतनी ही मासूमियत से कहा : "मेरा मतलब है आपने अपना कम कभी इस नाव पर निकाला है , सेक्स करते हुए या मास्टरबेट करते हुए ''..
उसकी इतनी एडवांस बातें लोकेश के सर के ऊपर निकल रही थी.
उसके मुंह से बस इतना ही निकला : "उम्म्म नहीं …यहाँ कभी नहीं ''
 
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Update 25

काव्या : "कोई और हो, जिसने ये किया हो ??"..
शायद उसका इशारा समीर कि तरफ था.
लोकेश : "नहीं , मेरे हिसाब से तो किसी ने भी नहीं किया ''.
काव्या : "ओह वॉव, यानि मैं पहली बार ऐसा कुछ करुँगी आपकी इस नाव पर ''.
इतना कहते हुए उसने अपनी क्रीम से भीगी हुई उँगलियों को अपनी कच्छी के अंदर खिसका दिया और अपनी चूत को उनसे मसलने लगी.
उसकी आँखे बंद हो चुकी थी पर उसकी उँगलियों कि थिरकन और चेहरे पर आ रहे भाव को देखकर लोकेश को समझ में आ रहा था कि उसे इस वक़्त कितना मजा आ रहा था
इस वक़्त तक लोकेश ने चप्पू चलना छोड़ दिया था और वो अपना मुंह और आँखे फाड़े काव्या को अपनी नाव पर मुठ मारते हुए देख रहा था , उसकी नुकीली छातियाँ नीले आसमान कि तरफ मुंह करके अपनी सुंदरता बिखेर रही थी.
काव्या ने अपनी आँखे खोली और बड़े ही सेक्सी स्टाईल में लोकेश को देखते हुए बोली : "वैसे अब इसका भी कोई मतलब नहीं रह गया है ''..
इतना कहते हुए उसने अपनी पेंटी को भी नीचे खिसका दिया और कुछ ही देर में उसकी गर्म पेंटी लोकेश के पैरों के ऊपर पड़ी हुई थी
अब वो पूरी नंगी थी, लोकेश तो उसकी नग्नता को देखकर सिहर उठा , इतनी जवान और कच्ची कली को उसने आज तक नंगा नहीं देखा था.
उसकी कच्छी कि धारियां उसके बदन पर साफ़ दिख रही थी , उनकी तरफ इशारा करते हुए उसने कहा : "इनके लिए तो इससे अच्छी जगह कोई और हो ही नहीं सकती थी टेनिंग के लिए ''..
उसकी चूत के ऊपर बना हुआ तिकोन बड़ा ही सेक्सी लग रहा था.
वो उसके बारे में कुछ बोलने ही वाला था कि काव्या कि उंगलियो ने अपनी चूत को फैलाया और अपनी बीच वाली ऊँगली अंदर खिसका कर अपने दाने को कुरेदने लगी , और साथ ही उसके मुंह से एक सेक्सी सी आवाज भी निकल आयी..
''आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। ....... उम्म्म्म ''
उसने अपनी मदहोश आँखे खोली और लोकेश कि तरफ देखते हुए बोली : "वैसे मेरा काम और भी आसान हो सकता है, अगर आप अपने शेर को पिंजरे से बाहर निकाल कर मुझे दिखा दो, और मेरे साथ आप भी मास्टरबेट करो, हो सकता है आप मुझसे पहले इस नाव पर अपना कम गिराने वाले इंसान बन जाए ''..
लोकेश ने हैरानी से पुछा : "तुम मजाक तो नहीं कर रही ??".
काव्या : "आपको क्या लगता है अंकल , मैं इस टाइम आपकी नाव पर नंगी बैठकर अपनी पुस्सी में फिंगरिंग कर रही हु, ये क्या मजाक लग रहा है, ऑफसौर्स, मैं ऐसा ही चाहती हु, जल्दी करो प्लीज ....''
उसका ऑफर ही इतना लुभावना था कि लोकेश ना कर ही नहीं पाया ..
उसने पलक झपकते ही अपनी केप्री और चड्डी निकाल कर नीचे रख दी , और अपने फुंकारते हुए लंड को आजाद कराया
काव्या : "अपनी टी शर्ट भी उतारो, मुझे आपकी चेस्ट भी देखनी है ''.
उसने अपनी चूत में ऊँगली डालते हुए बड़े ही सेक्सी अंदाज में कहा ..
 
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Update 26

उसने अपनी टी शर्ट भी उतार दी, उसे पता था कि ऐसा मौका उसकी जिंदगी में कभी दोबारा नहीं आएगा..
काव्या तो उनके लंड को देखकर निहाल ही हो गयी, उसकी चूत के अंदर एक अजीब तरह कि खुजली होने लगी , पर उसे भी पता था कि अभी के लिए उसे क्या-२ करना है..
काव्या : "शर्माओ मत अंकल , करो आप भी मेरे साथ, हिलाओ इसे , जल्दी - २ , जोर से, कम ओन्न्न ……''
और इसके साथ ही उसकी उँगलियों कि थिरकन और भी तेज होने लगी ..
उसे अब भी विश्वास नहीं हो पा रहा था कि उसके जिगरी दोस्त कि बेटी उसके सामने नंगी होकर बैठी है और मास्टरबेट कर रही है..
उसने भी अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया, उसका सुपाड़ा स्किन के नीचे छिप जाता और फिर निकल आता, ये देखकर काव्या के अंदर कि मस्ती बढ़ती ही जा रही थी..
दोनों एक दूसरे को देख रहे थे, काव्या कि नजरे लोकेश के लंड पर थी और लोकेश कि नजरें उसकी जूसी पुस्सी पर ।
लोकेश ने देखा कि काव्या कि चूत में से गीलापन निकल कर बाहर रिसने लगा है, जिसे वो अपनी चूत के चेहरे पर मलकर उसे निखार रही थी , लोकेश के लंड से भी प्रीकम निकला, जिसे उसने अपने पूरे लंड पर मलकर उसे चिकना बना लिया, दोनों कि साँसे तेज होने लगी थी , दोनों के अंदर एक तूफ़ान जन्म ले चुका था
और अचानक लोकेश के थरथराते हुए लंड को देखकर काव्या के मुंह से निकला : "ओह्ह्हह्ह्ह्ह अंकल उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''
और उसके साथ ही उसने अपनी दो और उँगलियाँ अपनी चूत में उतार दी, ऐसा सीन और उसकी सेक्सी आवाज लोकेश के लिए बहुत थी, उसके ज्वालामुखी को बाहर निकालने के लिए ....
वो थोडा आगे खिसक आया और एक जोरदार हुंकार के साथ उसके लंड से गर्म -२ दूध निकलकर काव्या के ऊपर गिरने लगा .
वो तो उसकी तपन से जल सी गयी..
ढेर सारा रस नाव पर भी गिरा , जिसे देखकर और महसूस करते हुए काव्या कि उँगलियाँ भी तेज हो उठी और वो बुदबुदाने लगी
''अह्ह्ह्हह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म येस्स्स्स अंकल अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आई ऍम आल्सो कमिंग ..........'''''
और इसके साथ ही उसकी चूत से भी एक गर्म पानी कि बौछार बाहर कि तरफ निकल आयी , और एक बड़ी सी बूँद लोकेश के माल पर भी जाकर गिरी..
काव्या ने गहरी साँसे लेते हुए अपनी ऊँगली से अपने और लोकेश के रस को मिलाया और अपनी ऊँगली में लपेट कर उसे अपने मुंह के अंदर धकेल लिया और एक गहरी सांस लेते हुए उसे चूसने लगी
लोकेश ने तो सोचा भी नहीं था कि उसकी जिंदगी में ऐसा कुछ भी हो सकता है.
वो बेचारा अपनी साँसों पर काबू पाने कि कोशिश करता हुआ काव्या को अपना और उसका खुद का रस चाटते हुए देख रहा था..
उसने अपनी घडी देखि, अभी तो सिर्फ आधा घंटा ही हुआ था, लोकेश ने फिर से चप्पू चलाना शुरू कर दिया
काव्या तो मास्टरबेट करने के बाद वहीँ टावल पर लेट कर अपनी चूत कि परतों को मसल रही थी , उसके सेक्सी बदन को देखकर कब उसके लंड ने दोबारा अकड़ना शुरू कर दिया उसे भी पता नहीं चला
और लोकेश के लंड कि अकड़न काव्या से भी ज्यादा देर तक छुपी ना रह सकी
 
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Update 27

काव्या : " वाव अंकल , मानना पड़ेगा, इतनी उम्र में भी आप जवानो से कम नहीं हो …लगता है अभी-२ जो प्रतियोगिता आपने जीती है, उसका इनाम देने का समय आ गया है ''
इतना कहते हुए वो अपने घुटनो और हाथों पर किसी कुतिया कि तरह चलती हुई लोकेश कि तरफ बढ़ने लगी..
अभी भी आधा घंटा था वापिस जाने में, कहाँ तो लोकेश पहले सोच रहा था कि एक घंटे तक क्या करेगा नदी में, और अब सोच रहा है कि एक घंटे से ज्यादा ठहर सकते तो कितना अच्छा होता पर वो ज्यादा देर तक ठहर कर समीर और रश्मि के मन में कोई शक़ भी पैदा करना नहीं चाहता था, आखिर उनकी जवान बेटी के साथ आया हुआ था वो.
लोकेश कि नजरें काव्या के लटक रहे थनों पर पड़ी, जो नीचे लटकने कि वजह से कुछ ज्यादा ही बड़े नजर आ रहे थे, अब काव्या ही अपनी तरफ से पहल कर रही थी, इसलिए लोकेश ने भी ज्यादा भाव खाना सही नहीं समझा , उसने अपने पैर को आगे किया और ऊपर करते हुए उसने उसके लटक रहे मुम्मे के निप्पल को अपने अंगूठे और उसके साथ वाली ऊँगली के बीच फंसा कर नीचे कि तरफ खींचा.
काव्या के मुंह से दर्द भरी सिसकारी निकल गयी : "अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह धीईरे। ……… दर्द होता है न ''...
उसने बड़े ही प्यार से अपनी गोल आँखे नचाते हुए लोकेश से कहा.
ये उसकी जिंदगी का पहला स्पर्श था, किसी मर्द का …
लोकेश ने फिर से चप्पू चलना छोड़ दिया और अपने दूसरे पैर को भी खिसका कर उसकी दूसरी ब्रेस्ट पर ले आया और अपने अंगूठे से उसके निप्पल को खुरचने लगा.
उसने अपने दोनों अंगूठों का दबाव ऊपर कि तरफ डाला जिसकी वजह से उसके दोनों लम्बे -२ निप्पल मुम्मों के मांस के अंदर घुस गए , वहाँ के गुदाजपन को अपने पैरों पर महसूस करके लोकेश को एक अलग ही आनंद प्राप्त हो रहा था , काव्या के दोनों निप्पल उसके अंगूठे पर किसी कील कि तरह चुभ रहे थे.
काव्या के लिए भी ये अलग किस्म का मजा था, उसका तो मन कर रहा था कि उसके पैर को पकड़ कर अपनी चूत पर रखे और उसकी सारी उँगलियाँ अंदर धकेल डाले , पर आज के लिए वो अपनी सीमा जानती थी, वो सिर्फ उतनी लिमिट तक ही जाना चाहती थी, जहाँ तक के लिए उसने और श्वेता ने डिसकस किया था.
वो सीधी होकर अपने घुटनों को मोड़कर उसके सामने किसी दासी कि तरह बैठ गयी और अपने दोनों हाथों को लोकेश के पैरों के ऊपर रखकर उनका दबाव अपनी छातियों पर डाला और उनसे मिल रही सिहरन का मजा महसूस करके सिसकने लगी.
उसने सिसकारी मारते हुए उसके अंगूठे को पकड़कर अपने मुंह कि तरफ किया और उसके मोटे से अंगूठे को पकड़कर अपने रसीले होंठों के अंदर रखा और उसे किसी लंड कि तरह से चूसने लगी.
अब अपनी आँखे बंद करके सिसकने कि बारी लोकेश कि थी, उसे ऐसा अनुभव हो रहा था कि जैसे काव्या उसका अंगूठा नहीं बल्कि लंड चूस रही है , दूसरे पैर से वो उसके निप्पल को पकड़कर बाहर कि तरफ खींचने लगा जैसे वो उसके बदन से उखाड़कर अलग ही कर देना चाहता हो , काव्या को भी दर्द हो रहा था पर उस दर्द का भी अलग ही मजा मिल रहा था उसे …
अपने दूसरे पैर को उसकी छाती को मसलने के बाद वो उसे नीचे कि तरफ ले गया और सीधा लेजाकर काव्या कि धधक रही चूत के ऊपर रख दिया , वो पहले से ही इतनी गीली थी कि लोकेश के पैर का अंगूठा घप्प से उसके अंदर घुस गया और काव्या अपनी कमर हिला-हिलाकर उसकी अकड़न को अपनी क्लिट के दाने पर मसलकर उसका आनंद उठाने लगी.
अब काव्या से सहन करना मुश्किल हो रहा था, उसने लोकेश के दोनों अंगूठों को अपने मुंह और चूत से बाहर निकाला और खिसक कर और आगे आयी और झपट कर उसके खड़े हुए लंड को अपने हाथ में ले लिया और सड़प करके उसे अपने मुंह के अंदर धकेल लिया..
ये था काव्या कि जिंदगी का पहला लंड , जिसे उसने अपने हाथों में पकड़ा था, और अब उसे अपने मुंह के अंदर ले कर उसे किसी लोलीपोप कि तरह चूस रही थी..
 
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Update 28

इतना मोटा, लम्बा और मुलायम त्वचा का लंड, कितनी अकड़ थी उसके अंदर , वो तो पागल सी हुई जा रही थी उसे अपने हाथों और मुंह के अंदर महसूस करते हुए , उसने अपनी जिंदगी के लगभग 18 साल निकाल दिए थे बिना किसी लंड को टच किये बिना और अब वो उन सभी सालों का हिसाब जल्द से जल्द चुकता कर देना चाहती थी.
वो अपनी जीभ से लोकेश अंकल के लंड के सुपाड़े को किसी आइसक्रीम कोन कि तरह चाट रही थी, और उसपर अनगिनत किस्सेस भी कर रही थी..
अपने लंड को मिल रही इतनी इज्जत से लोकेश भी खुश हो गया..
उसने एक हाथ से काव्या के बालों को पकड़ा और दूसरे से उसकी गर्दन दबोच ली और उसके सर को ऊपर नीचे करता हुआ अपने लम्बे लंड से उसके मुंह को चोदने लगा..
ये बेशक काव्या कि जिंदगी कि पहली लंड चुसाई थी, पर वो कर ऐसे रही थी कि लोकेश को भी लग रहा था कि वो काफी खेली खायी लड़की है..
और लोकेश मन ही मन हैरान भी हो रहा था कि इतनी सी उम्र में ही उसने लंड चूसने कि ऐसी महारत हासिल कर ली है , पर जो भी था, वो इन पलों का पूरा आनंद लेता हुआ अपना लंड चुस्वा रहा था ...
और जल्द ही उसके लंड ने जवाब दे दिया और एक के बाद एक कई रॉकेट उसके लंड से निकलकर काव्या के मुंह के अंदर पहुँच गए..
और वो अंत तक उसे चूसती रही..
जब वो पीछे हुई तो उसके दोनो गाल फूले हुए थे, यानि उसने लोकेश का माल अपने मुंह के अंदर ही इकठ्ठा किया हुआ था..
उसने लोकेश कि तरफ बड़े ही सेक्सी अंदाज में देखा और झील कि तरफ झुककर अपने होंठों को गोल करके एक पिचकारी मारी, और सारा माल बाहर निकाल दिया.
काव्या : "सॉरी, मुझे इसका स्वाद पसंद नहीं है, इसलिए निकाल दिया ''.
काव्या ने अपनी जिंदगी में आज पहली बार किसी के रस को अपने मुंह से चखा था, और थोडा अजीब सा स्वाद था वो ,इसलिए अंदर नहीं निगल पायी , शायद आने वाले टाइम में निगल पाये, पर आज नहीं …
गहरे नीले रंग के पानी पर लम्बी सी लकीर खिंच गयी सफ़ेद रंग कि, जो धीरे-२ पानी के अंदर विलीन हो गयी..
लोकेश : "यहाँ इतनी जगह नहीं है कि मैं ढंग से तुम्हारे इस अहसान का बदला चुका सकू ''.
काव्या : "कोई बात नहीं अंकल, अभी तो हमारे पास काफी दिन हैं यहाँ , शायद रात तक ही कोई रास्ता निकल आये ''.
अभी भी पंद्रह मिनट बचे थे, और ये बात काव्या भी जानती थी, उसने लोकेश को जल्द से जल्द वापिस चलने को कहा.
उसे पता था कि समीर और उसकी माँ पीछे से क्या करेंगे और वो देखना चाहती थी कि वहाँ क्या हो रहा है ....
लोकेश ने भी कोई बहस नहीं कि, वैसे भी, बेटी के बाद माँ के जलवे देखने के लिए वो भी उत्सुक था.
पर उन्हें क्या पता था कि जो आज वो देखने जा रहे हैं वो उन दोनों कि जिंदगी हमेशा के लिए बदल देगा
दूसरी तरफ, जैसे ही लोकेश और काव्या नाव पर बैठकर समीर कि नजरों से ओझल हुए, उसने नीचे खड़े-२ ही रश्मि को आवाज लगायी
समीर : "रश्मि …… रश्मि ....... जल्दी से नीचे आओ ''
 
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Update 29

रश्मि ने खिड़की से अपना सर बाहर निकाला और बोली : "क्या हुआ जी , क्यों इतने उतावले हो रहे हो ''
समीर ने अपनी केप्री नीचे खिसका दी और अपना खड़ा हुआ लंड उसकी आँखों के सामने लहरा दिया ..
रश्मि ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया और बोली : "हाय , तुम्हे कोई शर्म है या नहीं, लोकेश भाई साहब और काव्या यहीं है अभी ....''
समीर : "नहीं , वो दोनों तो गए एक घंटे के लिए ''
इतना कहकर उसने दूर जाती हुई नाव कि तरफ इशारा किया..
अब रश्मि समझ गयी थी कि ये समीर का ही प्लान होगा शायद, काव्या और लोकेश को भेजकर वो खुलकर जंगल में मंगल करना चाहता था.
समीर ने उसे फिर से नीचे बुलाया और वहीँ से चिल्ला कर बोला : "जल्दी से नीचे आओ, और सुनो, बिना कपड़ो के ही आना ''.
इतना कहकर उसने अपने बचे हुए कपडे भी उतारकर साईड में रख दिए.
रश्मि ने आज तक समीर को किसी भी बात के लिए मना नही किया था, इसलिए अब भी नही करना चाहती थी, उसने सकुचाते हुए अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए, और मन ही मन वो सोच भी रही थी की कैसे वो इतनी बेशरम हो सकती है की खुले मे नंगी होकर वो समीर के पास जाएगी, पर करना तो पड़ेगा ही, आख़िर उसके बॉस और पति का हुक्म जो था.
वैसे दोस्तो, पति को हमेशा ऐसी ही पत्नियाँ पसंद आती है, जो सेक्स के वक़्त उसकी बात को बिना सोचे-समझे मान ले,ये सब उसके मन में बसी हुई इच्छाये या फेंटसी होती है, जो वो अपनी पत्नी से पूरा करवाना चाहता है .. चाहे वो बात ग़लत हो या सही, तभी वो व्यक्ति अपनी पत्नी से पूरा संतुष्ट रह पाता है, वरना कब बाहर मुँह मारने लग जाए, उसे खुद भी पता नही चलता.
अपने मुम्मे छलकाते हुए वो नीचे आ रही थी जिसे देखकर समीर के लंड ने उसके पेट के ऊपर अपना सर दे मारा , वो भागकर उसके पास गया और उसके नंगे बदन से लिपट गया और उसे बेतहाशा चूमने लगा
चूमते-२ वो उसे झील के किनारे बिछायी हुई चादर के ऊपर ले आया और उसे नीचे लिटा कर उसकी छाती पर बैठ गया , और अपने लंड को उसके मुंह के सामने लहरा दिया, और बोला : "खोलो, मुंह खोलो जल्दी से …
 

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