Incest सौतेला बाप(completed)

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Update 40

पर शायद काव्या के ये सोचना उसकी खुद कि सोच थी, उसकी माँ थोडे पुराने विचारों कि थी, वो शायद उसकी तरह या फ़िर इन मर्दों कि तरह खुल कर ना सोचती हो
काव्या ने सोचा कि काश, वो सब उसके साथ हो रहा होता .
वो सोच ही रही थी कि उसके कानों मे रीतु के चीखने कि आवाज आई, उसने अंदर देख तो समीर ने रीतु को सोफ़े पर लिटाकर उसकी टाँगे हवा मे घुमाकर अपनि तरफ़ घुमा लिया और अपना मुँह उसकी चूत पर लगाकर उसकी ताजा मलाई को खा रहा था
उसकी उंगलियाँ अभी तक उसकी चूत कि मालिश कर रही थी और अन्दर का माल बाहर निकाल रही थी , और जो माल बाहर निकलता उसे समीर अपनि जीभ से चाटकर अन्दर निगल जाता.
कुछ देर तक उसे चाटने के बाद समीर ने रितू को घोडी बना दिया और उसकी चूत के अन्दर अपना लंड पेल दिया..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म मयेस्सस्सस्सस्सस ऐसी ही ………… अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह, जोर से मारो अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
समीर ने आगे झुककर उसकी बालों को पकड़ा और झटके मारकर लगाम कि तरह उसके बालों को खींचकर उसकी घुड़सवारी करने लगा
''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाआआन ऐसे ही ……… उम्म्म्म्म्म्म मजा आ गया , इतने दिनों के बाद असली प्यास बुझी है मेरी …। उम्म्म्म अह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ्फ्फ़ और जोर से सर ....... और जोर से …… कोई रहम मत करो मुझपर … फाड़ डालो मेरी चूऊऊऊत अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''..
रितु अपनी चुदाई करवाते हुए बड़बड़ाती जा रही थी , उसे सच में बहुत मजा आ रहा था समीर का लम्बा लंड अंदर लेने में .
और लोकेश भी अपनी आँखे मूँद कर अपनी रश्मि भाभी के हुस्न को याद करते हुए अपने लंड को रितु के मुंह के अंदर डालकर जोरों से हिलाने लगा, रितु अपने मुंह के अमृत से उसके लिंग को नहला कर बाबू बच्चा बनाने में लगी हुई थी..
लोकेश के लंड को पूरी तरह अपनी थूक से गीला करने के बाद रितु ने लोकेश को अपने नीचे लेटने का इशारा किया , और जैसे ही लोकेश बेड पर लेटा , वो अपने हाथ पैरों पर किसी कुतिया की तरह चलती हुई उसके ऊपर तक आई और अपने मुम्मे को उसके मुंह के आगे लटका दिया, जिसे लोकेश ने किसी भेड़िये की तरह झपट्टा मारकर दबोच लिया और उसके अंगूरों का रस पीने लगा
रितु के आगे खिसक जाने की वजह से समीर का लंड बाहर निकल आया, जो उसकी चूत के रस में भीगकर बुरी तरह से चमक रहा था , वो अपने हाथों में अपने लंड को लेकर उसपर सारा रस चोपड़ने लगा
और रितु की चूत पर जैसे ही लोकेश के खड़े हुए लंड ने दस्तक दी, उसने बिना किसी वार्निंग के उसे अपने अंदर खींच लिया , लोकेश तो रितु को अभी थोड़ा और तरसाना चाहता था, पर उस रंडी के अंदर जो आग जल रही थी उसके आगे ये छिछोरी हरकतें नहीं चलने वाली थी, वो हुमच -२ कर उसके लंड को अपने अंदर लेने लगी
अब समीर के सामने थी रितु की थिरक रही गांड, जिसके छेद को अभी थोड़ी देर पहले ही लोकेश ने मारकर थोड़ा और खोल दिया था , वो आगे आया और अपने पंजों पर खड़ा होकर उसने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाया और एक जोरदार झटके के साथ आगे हो गया
फफक्छ्ह्ह्ह की आवाज के साथ रितु की गांड भी पूरी भर गयी
एक लड़की के जीवन का सबसे सुनहरा पल होता है ये, जब उसकी चूत और गांड एक साथ मोटे-२ लंड से भरी होती है .
और यही ख़ुशी रितु महसूस कर रही थी ....... और वो भी पूरी अंदर तक..
और जब रितु को दोनों तरफ से झटके लगने शुरू हुए तो उसका बड़बड़ाना फिर से शुरू हो गया..
''अह्ह्ह्हह्ह येस्सस्सस्स। …… यही तो मैं कह रही थी ……। अह्ह्हह्ह्ह्ह यी फीलिंग …… उम्म्म्म्म्म्म .... दोनों का एक साथ अंदर लेना, कितना मजेदार है ……… अब चोदो मुझे दोनों, जोर जोर से, अह्ह्हह्ह्ह्ह , फाड़ डालो ,मेरी गांड …… और चूत उम्म्म्म्म्म्म्म ''
और वो दोनों दोस्त लग गए अपने पुराने काम पर फिर से एक साथ …।
अगले पन्द्रह मिनट में उन दोनों ने मिलकर उसकी ऐसी रेल बनायीं की आखिर में उसके मुंह से सिसकियों के साथ-२ लम्बी -२ लार भी निकलने लगी , और उसके साथ ही निकलने लगे दोनों की तोपों के अंदर से गरमा गरम गोले..
समीर ने अपना सारा माल रीतु के गोदाम यानी गांड मे पहुंचा दिया और लोकेश ने अपना माल उसके मैन शोरूम यानी चूत में .
काव्य भी कायल हो गयी रितु की , ऐसी चुदाई की कला तो वो भी सीखना चाहेगी …
 
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Update 41

काव्या ने वहां छुपना सही नहीं समझा , वो चुपके से वहां से निकल कर वापिस अपने कमरे मे चली गयी.
और उसने रूम मे पहुँचते ही सबसे पहले फोन निकाला और अपनी सहेली श्वेता को फोन लगाकर उसे अभी तक कि सारी बाते सुना डाली..
श्वेता उसकी बाते सुनकर काफी हैरान हुई, और नाव वाला किस्सा सुनकर खुश भी हुई, उसने आने वाले दिनो के बारे मे काव्या को कुछ समझाया और फ़िर उसने फ़ोन रख दिया.
अब अपने बेड पर लेटकर काव्या अभी तक कि सारी बाते सोच रही थी.
समीर ने उसकी माँ से शादी तो कर ली, पर एक पति कि तरह वो पोसेसिव बिल्कुल भी नहीं है, उसे अपनी बीबी को अपने दोस्त के साथ शेयर करने मे कोई परेशानी नहीं है, और जब वो अपनी बीबी के साथ ये कर सकते है तो एक दिन उसके साथ भी वो सब करेगा..
नहीं , वो अपने सौतेले बाप कि साजिश का हिस्सा कभी नहीं बनेगी, वो ऐसा कभी नहीं चाहेगी कि वो और उसकी माँ समीर की गुलामी करते हुए अपनी जिंदगी गुजारे..
उसे ही कुछ करना होगा, ताकि समीर के सामने वो और उसकी माँ लाचार बनकर ना रहे, बल्कि समीर उनके इशारों पर नाचे और इसकी लिये उसकी पास सिर्फ़ एक ही हथियार था..
उसका योवन, उसकी जवानी..
और जैसा की प्लान था, उसे सबसे पहले लोकेश को आपने बस मे करना होगा , क्योंकि जो काम वो करना चाहती थी, वो सिर्फ़ और सिर्फ़ लोकेश की मदद से ही हो सकता था.
शाम को काव्या टहलती हुई होटल के रिसेप्शन वाले एरिया मे जा पहुंची , जहां रितु तीन चार लड़कियों के साथ खड़ी थी. वो रीतु को देखकर मुस्कुराई, रीतु ने भी उसे देख और मुस्कुरा कर उसके पास आ गयी
रितु : "हाय , मेर नाम रितु है, मैं यहॉँ फ्रंट ऑफिस मैनेजर हु , "
काव्या : "यस, पता है मुझे, लोकेश अंकल के साथ देखा था तुम्हे "
उसकी बात सुनकर रितु एकदम से सकपका सी गयी
रितु :" तुमने .... तुमने कब देख मुझे "
काव्या मन ही मन हंस रही थी, चोर कि दाड़ी मे तिनका
काव्या : "वो, कल जब हम आये थे यहाँ, तो तुम लोकेश अंकल से बात कर रही थी न अलग से जाकर, मैँ समझ गयी थी कि तुम यहाँ होटल कि मैनेज़र हो "
रितु (थोड़ा मायूसी से बोली ) : "होटल कि नहीं , सिर्फ़ फ़्रंट ऑफिस कि , बस अपने प्रोमोशन के बारे मे ही बात कर रही थीं उस वक़्त , जब तुमने मुझे सर के साथ देखा था "
काव्या समझ गयी कि क्यो वो अपने सर कि "हर" बात मान रही थी
तभी रिसेप्शन पर एक नया गेस्ट आया तो रितु उसे अटेंड करने के लिये वहां चली गई
और अटेंड करते-२ उसने अपनी शर्ट के दो बटन खोल दिये, काव्या दूर खड़ी होकर उसकि हरक़तें देख रही थी, और सीख रही थी कि कैसे मर्दों को आपने काबू मे लाया जाता है
वो वापिस अपने कमरे मे आयी और अपने कपड़ो मे से एक हॉट पेंट (छोटी सी निक्कर) निकाल कर पहन ली और उसके उपर एक कसी हुई सी टी शर्ट
उस ड्रेस मे वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी
उसे पता था कि जब उसकी माँ ऎसी ड्रेस यहाँ देखेगी तो जरूर गुस्सा करेगी , घर कि अलग बात है , पर बाहर ऐसी ड्रेस मे वो कभी नहीं निकली थी
उसकी माँ अभी-२ सोकर उठी थी और समीर के साथ बालकनी मे बेठ कर चाय पी रही थी
उसे ऐसे कपड़ो मे देखते ही वो उठ खड़ी हुई और शुरु हो गयी : "काव्या , ये क्य पहन रख है, तुझे शर्म नहि है, जगह देख ले पहले, "
तभी समीर बोल पड़ा : "अरे, क्या प्राब्लम है इसमे, इतनी अच्छि तो लग रही है ..."
उसकी नज़रें काव्या की मांसल जांघों को घूर रही थी, जैसे उनका टँगड़ी कबाब बना कर खा जायेगा वो ..
 
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Update 42

समीर की शह मिलते ही काव्या समीर के पास गयी और सीधा उसकी गोद मे जाकर बैठ गयी, समीर भी उसकी इस हरकत से चोंक सा गया, पर काव्या बड़े ही आराम से उसके गले मे अपनी बाहें डालकर बोली : "पापा, आप ही बताइए, हम घूमने आए है, ऐसी ड्रेसस यहा ना पहनु तो कहा पहनु, वैसे भी यहा कोई देखने वाला नही है..''
समीर की साँसे तेज़ी से चलने लगी, उसे तो यकीन ही नही हो रहा था की काव्या ऐसी हरकत करेगी, उसके लंड ने अपना सिर उठना शुरू कर दिया था, जिसे काव्या अपनी गान्ड के नीचे सॉफ महसूस कर रही थी , वो थोड़ा और चिपक कर बैठ गयी समीर से, जिसकी वजह से उसकी छोटी गेँद समीर की गर्दन से टच करने लगी, अब तो समीर के लंड ने पूरी बग़ावत कर दी और उफान मारते हुए काव्या की गांड पर धक्के मारने लगा..
रश्मि ने भी जब देखा की काव्या कितने प्यार और अपनेपन से समीर की गोद मे जाकर बैठ गयी है, तो उसने भी आगे टोकना सही नही समझा, शादी के बाद से ही समीर और काव्या के बीच का तनाव उसकी परेशानी बना हुआ था, पर अब समीर काव्या को अपनी बेटी की तरह अपनी गोद मे बिताकर उसकी तरफ़दारी कर रहा था तो रश्मि को ये देखकर बहुत अच्छा लगा..
अब उसे कौन बताए की समीर के मन मे क्या चल रहा है...
थोड़ी देर तक वहाँ बैठने के बाद काव्या उठ खड़ी हुई और जाते-2 उसने एक और काम किया और वो भी इतनी तेज़ी से की समीर को रियेक्ट करने का समय ही नही मिला, काव्या ने देखा की जैसे ही रश्मि की नज़रें दूसरी तरफ गयी, उसने जल्दी से समीर के होंठों पर एक हल्की सी पप्पी दी और बोली ''थेंक्स पापा , बाय , मैं उपर अपने कमरे मे हू'' और वहाँ से उठकर अपने रूम मे भागती चली गयी..
वो बेचारा अपने लंड को मसलता हुआ, उसकी मोटी गाण्ड कि थिरकन ही गिनता रह गया.
रश्मि को कुछ पता भी नही चला, और समीर अपने होंठों पर उसके रुई जैसे होंठों के स्पर्श से सिहर उठा था, और अपने होंठों को मसलता हुआ उन्हे अपनी जीभ से भिगो कर चूस रहा था.
रात का खाना खाने के बाद सभी सोने की तैयारी करने लगे, शाम को जिस तरह से काव्या ने समीर के लँड को खड़ा कर दिया था, उससे एक बात तो पक्की थी की वो आज रश्मि की खूब बजाएगा..
और अपने रूम मे जाते ही उसने अपने पुर कपड़े निकाल फेंके और सोफे पर जाकर बैठ गया.
रश्मि नहाने गयी हुई थी उस वक़्त, समीर ने उसे पहले से ही बोल दिया था की वो बिना कपड़ो के और बिना अपने बदन को पोंछे बाहर आएगी..
अपने बदन को शावर जैल से मसलने के बाद वो ऐसे ही भीगी हुई सी बाहर निकल आई, उसके नंगे बदन से पानी की बूंदे बहकर नीचे गिर रही थी और कारपेट को भी गीला कर रही थी
समीर ने सिगरेट सुलगा ली और दूसरे हाथ मे पेग पकड़ लिया और रश्मि से बोला : "अब मेरे पास कुतिया की तरह चलती हुई आओ ''
रश्मि ने समीर को ना कहना तो सीखा ही नही था अब तक, और वैसे भी, सेक्स के मामले मे वो अब इतना खुल चुकी थी की उसे भी मज़ा आने लगा था ऐसी हरकतें करने मे..
वो अपने घुटनो के बल बैठ गयी और हाथों को आगे रखकर धीरे-2 चलती हुई समीर की तरफ बढ़ने लगी.
उसके उरोजों पर अटका हुआ पानी, इकट्ठा होकर उसके निप्पल्स तक जा रहा था और बूंदे बनकर नीचे गिर रहा था, जैसे मोटी तोप से छोटे-2 पानी के गोले निकल रहे हो.
उसके पास आते ही समीर ने अपने पैर की उंगलियों से उसके चेहरे की बूँदो को मसलना शुरू कर दिया और फिर उसके होंठों के अंदर अपना अंगूठा डाल दिया, जिसे वो बड़े भयानक ढंग से चूसने लगी, जैसे वो पैर का अंगूठा ना हो उसका लॅंड हो.
 
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Update 43

फिर अपने गीले अंगूठे को वो रश्मि के मुम्मों तक ले गया और उसके निप्पल को अंगूठे और उंगली के बीच फँसा कर नीचे की तरफ खींच दिया.
रश्मि दर्द से कराह उठी : "अहह उम्म्म्मममम ''..
पर साथ ही उसकी चूत से भी गर्म हवा के भभके निकलने लगे..
समीर का लॅंड उसके पेट पर ठोकरे मार रहा था, समीर ने उसे आँखो से इशारा किया तो वो झपटकर उपर आई और उसके लॅंड को अपने मुँह मे लेकर उसका रस पीने लगी.
आज तो वो ऐसे बिहएव कर रही थी जैसे वो उसके लॅंड को उखाड़ कर खा जाएगी
झटके लगने से उसका पेग भी छलक रहा था
उसने गिलास और सिगरेट को साईड मे रखा और फिर दोनो हाथों से उसके बालों को पकड़कर ज़ोर-2 से अपने लॅंड के उपर मारने लगा
और जब उसे लगने लगा की अब ज़्यादा नही रोक पाएगा तो उसने अपना लॅंड छुड़ा लिया और रश्मि को अपनी गोद मे खींच कर उसकी चूत के अंदर अपना लॅंड पेल दिया
वहीं सोफे पर बैठे -2 वो रश्मि को अपनी गोद मे बिठा कर चोदने लगा
और यही वो समय था जब काव्या अपने कमरे से निकल कर नीचे जा रही थी, लोकेश के पास, अपने मा बाप के कमरे से आ रही उत्तेजना से भरी चुदाई की आवाज़ों को सुनकर वो समझ गयी की ये उसके जलवे का ही कमाल है जो समीर उसकी मा को ऐसे चोद रहा है
वो मुस्कुराती हुई नीचे उतर आई, क्योंकि अब खुजली उसकी चूत मे भी हो रही थी
इसी बीच, समीर ने रश्मि को बेड पर लेजाकर घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत मे दाखिल हो गया
और अगले दस मिनट तक वो उसे बुरि तरह चोदता रहा
और जैसे ही उसके लॅंड का पानी निकल कर रश्मि की चूत मे जाने लगा, उसके मुँह से अनायास ही निकल गया : "ओह काव्य्ाआआआअ''..
वैसे तो उसने सिर्फ़ बुदबुड़ाए थे वो शब्द पर रश्मि के तेज कानो ने उन्हे सुन ही लिया..
और उन्हे सुनते ही उसके पुर शरीर मे एक सनसनाहट सी दौड़ गयी...
उसे समझते देर नही लगी की समीर की गंदी नज़रें उसकी जवान बेटी पर है, इसलिए वो उसे चोदते हुए अपनी आँखे बंद करके उसकी बेटी का नाम ले रहा है...पर वो कर भी क्या सकती थी...उसने मन ही मन निश्चय कर लिया की वो अपनी बेटी को जितना हो सकेगा , समीर से दूर रखेगी..अभी उसे पता चल गया है, ऐसा उसने शो ही नही किया..
चुदाई के बाद समीर ने अपना जाम ख़त्म किया और दस मिनट मे ही गहरी नींद के आगोश मे चला गया, और पीछे रह गयी अपनी बेटी की चिंता मे उसकी माँ रश्मि, जिसकी आँखो से नींद कोसो दूर थी.
पर उस बेचारी को ये पता नही था की जिस बेटी को बचाने के लिए वो अपनी नींद खराब कर रही है वो खुद इस समय क्या करने गयी हुई है..
लोकेश के कमरे के बाहर पहुँचकर काव्या ने धीरे से दरवाजा खड़काया.
लोकेश अपने बाथरूम मे था , अपने शरीर कि गर्मी को वो नहा कर निकाल रहा था
उसने टॉवल लपेटा और दरवाजा खोलने के लिये बाहर आया
दरवाजा खोलते ही काव्या जल्दी से लोकेश को धक्के देते हुए अन्दर आ गयी और दरवाजा बंद कर दिया
लोकेश का टॉवल गिरते-2 बचा.…
लोकेश : "क्या हुआ, इतनी जल्दी किस बात की है ''
काव्या : "वो.....मुझे लगा की शायद कोई मुझे यहा आते हुए देख रहा है'
 
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मम्मी-पापा तो मस्ती का खेल खेलकर आराम कर रहे होंगे...उनकी आवाज़ें नीचे तक आ रही थी''
काव्या उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी
उसकी नज़रें लोकेश की बॉडी से होती हुई उसके उभार तक जा पहुँची
काव्या ने एक झटके मे उसका टॉवल खींच कर नीचे गिरा दिया
लोकेश को इस बात की आशा भी नही थी, वो अपने लॅंड को अपने हाथों से ढक कर उसे छुपाने की कोशिश करने लगा
काव्या (हंसते हुए) : "हा हा, आप तो ऐसे शरमा रहे है, जैसे मैने इसे पहले देखा ही नही , भूल गये, कैसे आप मेरे सामने पुर नंगे होकर बैठे थे ''
तब तक लोकेश भी संभल चुका था, क्योंकि उसे भी पता था की रात के इस समय काव्या उसके रूम मे क्या करने के लिए आई है और जब उसने टॉवल खींच कर गिरा दिया तो वो समझ गया की आज की रात उसकी चाँदी होने वाली है
वो बोला : "वहाँ नाव मे तो तुम भी पूरी नंगी थी ''
उसकी बात सुनकर काव्या की मुस्कान गायब हो गयी और उसकी जगह कामुक हाव भाव ने ले ली, उसने अपनी टी शर्ट को पकड़ा और उसे उतार दिया और अपनी छोटी सी निक्कर को भी पकड़ कर नीचे खिसका दिया
अब वो सिर्फ़ अपनी ब्रा और पेंटी मे थी
वो मदहोशी वाली चाल मे चलती हुई आगे आई और लोकेश के पास जाकर रुक गयी , दोनो एक दूसरे की साँसे अपने चेहरे पर महसूस कर पा रहे थे
काव्या ने लोकेश के हाथों को पकड़ा और उन्हे अपनी कमर के उपर की तरफ रख दिया और उपर खिसकाने लगी उन्हे
लोकेश समझ गया की वो अपनी ब्रा उसके हाथों से खुलवाना चाहती थी
उसने भी धीरे-2 हाथ खिसका कर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और वो फिसलकर नीचे जा गिरी
फिर उन्ही हाथों को पकड़कर काव्या ने अपनी पेंटी पर रख दिया
लोकेश फिर समझ गया की वो अपनी पेंटी भी उतरवाना चाहती है
लोकेश का लॅंड इस समय तक झटके मारता हुआ काव्या के पेट पर ज़ोर-2 से दस्तक दे रहा था
काव्या की पिंक पेंटी को भी खिसका कर लोकेश ने नीचे कर दिया
और अब थी काव्या पूरी नंगी, जैसे की लोकेश था इस समय
काव्या : "अब तो ठीक है ना, मैं भी पूरी न्यूड हो गयी हू अब तो , चलो अब शुरू हो जाओ, तुमने कहा था की मेरे एहसान का बदला उतरोगे''
लोकेश को याद आ गयी अपनी बात , जब नाव मे काव्या ने उसका लॅंड चूसा था तो उसने ये बात कही थी
 
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Update 45

लोकेश ने काव्या को अपनी बाहों मे भरा और उसके नन्हे से शरीर को अपनी बलिष्ठ बुझाओं मे दबा कर निचोड़ डाला
उसके छोटे-2 बूब्स उसकी सख़्त छाती से दबकर नीचूड़ से गये
लोकेश के हाथों मे काव्या की गोल-मटोल गाँड थी, जिसे दबाने मे उसे बहुत मज़ा आ रहा था
काव्या तो पागल हुई जा रही थी, उसकी साँसे इस समय रेल के इंजन की तरह तेज और गर्म थी
उसने आवेश मे आकर लोकेश की गर्दन, छाती गाल और फिर एकदम से उसके होंठों को चूमना और चूसना शुरू कर दिया
काव्या के शरीर को जब लोकेश ने ज़ोर से दबा कर अपनी छाती से लगाया तो उसका बदन टूटने सा लगा, लोकेश ने उसे उपर हवा मे उठा कर ज़ोर से स्मूच करना शुरू कर दिया
''उम्म्म्मममममम मुकक्चह अहह''
ये काव्या की लाइफ का पहला स्मूच और किस्स था
उसकी चूत का गीलापन उसे बाहर निकलता हुआ महसूस हो रहा था
और साथ ही एक-दो ठोकरे लोकेश के लॅंड की भी लग चुकी थी वहाँ, इसलिए कुछ ज़्यादा ही गीली हो गयी थी वो
और लोकेश ने जब काव्या के होंठों को चूसा तो उसमे से निकलने वाली मिठास का वो कायल हो गया, ऐसी ठंडक और मीठापन उसने आज तक किसी को भी किस करते हुए महसूस नही की थी, उसका मन कर रहा था की उसके मोटे होंठों की मदिरा वो पूरी तरह से पी जाए
लोकेश ने उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और खुद उसके पीछे जाकर उसकी उभरी हुई गांड के बीच अपने लँड को फंसा कर घिस्से मारने लगा , और साथ ही साथ उसकी चूचियाँ भी रोंदने लग आपने कठौर हाथोँ से
लोकेश ने काव्या को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके कसमसाते हुए जिस्म को देखकर अपने होंठों पर जीभ फिराने लगा
वो उसपर पूरी तरह से लेट गया , और नीचे झुककर उसके फूल चुके मुम्मों को अपने हाथोँ से दबाकर उन्हे बड़ा करने लगा और साथ ही उसके निप्पल चूसकर उसका दुध निचोड़ने लगा
उसे तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था की एक 18 साल की कच्ची कली को वो आज चोदने जा रहा था
उसकी नज़र काव्या की रस उगलती चुत पर पड़ी, जो अपने ही रंग मे नहाकर चमक रही थी
उसने एक बार और अपने होंठों पर जीभ फेराई और नीचे झुक कर उसकी चूत के सामने भिखारी की तरह बैठ गया
काव्या समझ गयी थी की अब उसके साथ क्या होने वाला है, उसने अपनी साँसे रोक ली, अपनी कोहनियों के बल आधी लेट कर वो लोकेश की तरफ देखने लगी
लोकेश ने जैसे ही अपना सिर उसकी चूत पर झुकाया और अपनी जीभ से उसे छुआ, काव्या ने तड़प कर अपनी चूत वाला हिस्सा आगे किया और उसके मुँह पर दे मारा और अपनी टाँगो से लोकेश की गर्दन लपेट ली और उसकी गर्म जीभ को अपनी लाल भट्टी के अंदर महसूस करते हुए जोरों से सिसकारियाँ मारने लगी
''अहह उम्म्म्मममममममम वाआआव अंकल .........मज़ा आ गया ''
अपनी कुँवारी चूत की पहली चुसाई लोकेश से करवाते हुए वो मचल रही थी, उसके शरीर मे लहरें उठ रही थी, उसने लोकेश के बालों को पकड़ लिया और अपनी चूत पर घिसाई करने लगी उसके मुँह से
लोकेश के लिए साँस लेना भी मुश्किल हो गया था
 
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Update 46

पर उसकी चूत का गरमा गरम मीठा रस इतना मजेदार था की वो अपना मुँह वहाँ से हटा ही नही पा रहा था
लोकेश की खुरदूरी जीभ जब काव्या की वेल्वेट जैसी चूत के उपर चली तो वहाँ से निकल रही सारी चिकनाहट को सॉफ करती चली गयी
अब तक काव्या का मुँह भी सूखने लगा था
उसने बड़ी मुश्किल से अपनी चूत से जोंक की तरहा चिपके लोकेश को पीछे हटाया और उन्हे बेड पर आकर लेटने को कहा, और जैसे ही लोकेश वहाँ लेटा , काव्या ने उसके रॉकेट को अपने मुँह के अन्दर रखा और उसे ऊंची उड़ान पर भेज दिया और उसके लॅंड को आइस्क्रीम की तरह चूसने लगी
अब लोकेश का लॅंड पूरी तरहा से बग़ावत पर उतार आया था, स्टील जैसा कड़ा हो चुका था वो, उसने सोचा यही वक़्त है कुँवारी चूत का उद्घाटन करने का
उसने अपने आप को छुड़ाना चाहा पर काव्या ने उसे छोड़ा ही नही, उसका लॅंड चूसती ही रही
अब लोकेश को भी लगने लगा की वो ज़्यादा देर तक अपने आप पर कंट्रोल नही कर सकेगा, क्योंकि काव्या किसी रंडी की तरह उसके लॅंड को चूस रही थी
अपनी जीभ और दांतों का हल्क़ा इस्तेमाल और होठो से किसी मशीन कि तरह उसके लंड को चूसते हुए काव्या क चेहरा तमतमा उठा , इतनी उत्तेज़ना उसे आज तक महसूस नहि हुई थी
और फिर अचानक लोकेश के मुंह से अजीब - २ सी आवाजें निकलने लगी
काव्या समझ गयी कि उसका निकलने वाला है
वो उठकर बैठ गयी और लोकेश को अपने सामने खड़ा करके अपनी जीभ निकाल कर उसके लंड को मसलने लगी
और आखिर लोकेश ने अपने लंड का माल उगल ही दिया उसके चेहरे पर
लोकेश के रस कि लँबी -२ लकीरे निकल कर काव्या के चेहरे और होंठों पर गिरने लगी
और इस बार काव्या ने उस रस का अपमान नही किया उसे बाहर फेंक कर, बल्कि एक ही झटके मे वो सारा रस अपने गले से नीचे उतार कर पी गयी
लोकेश ने पूछा : "तुम हटी क्यो नही, मुझे ये अंदर डालना था तुम्हारे''
उसने अपने लॅंड की तरफ इशारा करते हुए कहा
वो मुस्कुरा कर रह गयी
उसने लोकेश की तरफ देखते हुए अपनी चूत की तरफ इशारा किया, यानी वो चाहती थी की वो उसे भी चूस कर झड़ने मे मदद करे..
वो उठा और उसके सामने फिर से उसी पोज़ मे आ गया जिसमे पहले चूस रहा था उसकी नर्म चूत को
उसने चूसना शुरू किया, और साथ ही साथ अपने लॅंड को भी मसल कर फिर से खड़ा करने लगा, ताकि उसकी चूत को फाड़ सके
और अगले पाँच मिनट मे वो खड़ा हो भी गया
उसने उसकी चूत को चाटना छोड़ दिया और अपने लॅंड को मसलते हुए आगे की तरफ आया
पर तभी काव्या बोल पड़ी : "नही अंकल .....ये नही...''
लोकेश बेचारा उसका चेहरा देखता रह गया
एक जवान लड़की उसके साथ सब कुछ कर रही है, पर अपनी चूत मरवाने से मना कर रही है, ऐसा क्यो..
उसकी तो के एल पी ड़ी हो गयी
काव्या ने उसे फिर से अपनी चूत चाटने को कहा
 
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Update 47

और वो बेचारा मन ही मन उसे गालियाँ देता हुआ उसे फिर से चाटने लगा
और काव्या उत्तेजना के शिखर पर पहुँचकर जब झड़ने लगी तो मन ही मन मुस्कुरा भी रही थी
की किस तरहा से लोकेश उसके इशारे पर नाच रहा है
उसने अपने जिस्म का इस्तेमाल करके उसे अपना दीवाना बना लिया था
पर जो काम वो करवाना चाहती थी, उसके लिए अपने पास एक हुक्म के इकके को बचाकर रखना ज़रूरी था
और वो हुक्म का इक्का था उसकी कुँवारी चूत
कुँवारी चूत एक ऐसी चीज़ होती है जिसे मारने के लिए आदमी कुछ भी कर सकता है
और यही हाल इस वक़्त लोकेश का हो रहा था, उसके मन मे पता नही क्या-2 चल रहा था, की ये क्यो अपनी चूत बचा कर रख रही है, इतना कुछ तो कर ही चुकी है, तो इसके लिए क्यो मना कर रही है
पर वो कर भी क्या सकता था, ज़बरदस्ती वो कर नही सकता था
सिर्फ़ उस समय का वेट कर सकता था जब वो इसके लिए राज़ी हो जाए
कुँवारी चूत एक ऐसी चीज़ होती है जिसे मारने के लिए आदमी कुछ भी कर सकता है
और यही हाल इस वक़्त लोकेश का हो रहा था, उसके मन मे पता नही क्या-2 चल रहा था, की ये क्यो अपनी चूत बचा कर रख रही है, इतना कुछ तो कर ही चुकी है, तो इसके लिए क्यो मना कर रही है
पर वो कर भी क्या सकता था, ज़बरदस्ती वो कर नही सकता था
सिर्फ़ उस समय का वेट कर सकता था जब वो इसके लिए राज़ी हो जाए
***********
अब आगे
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अपना काम करवा कर काव्या वहा से निकल कर अपने कमरे मे आ गयी, और हमेशा की तरह उसने अपनी सहेली श्वेता को सारी बाते बता डाली, श्वेता भी उसकी पर्फॉर्मेन्स से काफ़ी खुश थी, क्योंकि अभी तक सब कुछ उनके अनुसार ही चल रहा था.
एक इंसान को उस चीज़ की चाहत तब तक रहती है, जब तक वो उसे ना मिल जाए, और यही हाल इस समय लोकेश का हो रहा था, काव्या की कुँवारी चूत उसके मुँह तक आकर निकल गयी थी, वो उसे मार नही पाया था...
और उसकी चूत मारने की चाहत अब और भी बढ़ चुकी थी, और इसके लिए वो कुछ भी करने को तय्यार था, पर समझ नही पा रहा था की आख़िर काव्या क्या चाहती है.
अगले दिन भी यही सिलसिला चला, वो उसके कमरे मे आई, दोनो ने चाटम - चाटी की पर चुदाई नहीं करने दी काव्या ने, ज़्यादा ज़ोर देने पर सिर्फ़ इतना कहा की वक़्त आने पर वो सब भी करेगी, पर इसके लिए उन्हे तोड़ा इंतजार करना होगा.
अगले दिन वो सब वापिस निकल पड़े, एक हफ्ते का हनिमून मना कर समीर और रश्मि भी काफ़ी खुश थे.
वापिस आकर काव्या सीधे श्वेता के घर गयी.
दोनो एक दूसरे से मिलकर काफ़ी खुश हुए और श्वेता ने तो काव्या के होंठों पर एक जोरदार किस भी कर दी.
वो चोंक कर बोली : "ये क्या कर रही है, आंटी ने देख लिया तो ??"
श्वेता : "कोई नही देखेगा, मम्मी घर पर नही है"
इतना सुनते ही काव्या की आँखे भी चमक उठी और उसने भी दुगने उत्साह के साथ उसके होंठों को चूम लिया
और ऐसे ही चूमते-2 दोनो सहेलिया श्वेता के रूम तक पहुँच गयी और दोनो एक दूसरे के कपड़े भी उतारती चली गयी.
अब तक दोनो उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुकी थी..
 
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दोनो अब पेंटी और ब्रा मे थी बस..
श्वेता : "साली, तूने तो इतने मज़े ले लिए, अब तो मेरे से भी आगे निकल गयी है तू''.
और इतना कहकर उसने काव्या की ब्रा और पेंटी नोचकर फेंक दी, और उसके छोटे-2 मुम्मों को ज़ोर से मसल दिया ..
दोनो जब भी उत्तेजित होती थी तो एक दूसरे को गालियाँ देकर बाते करती थी.
काव्या : "अहह, यु बिच ...धीरे कर ना, दर्द होता है.....और मैं तेरे से आगे नही निकली हू, मेरी चूत की पेकिंग अभी तक सलामत है''
उसने अपनी डबलरोटी जैसी चूत के उपर अपनी उंगलियों को नचाते हुए कहा
उसकी गुलाबी चूत देखकर श्वेता के मुँह मे पानी भर आया, वो झपटकर उसके पास पहुँची और उसे बेड पर लिटा कर उसकी चूत के अंदर अपनी दो उंगलिया घुसेड़ डाली और झुककर उसके निप्पल को मुंह में डालकर चूसने लगी
और फिर वो खिसककर नीचे की तरफ जा पहुंची और उसकी नमकीन चूत के ऊपर अपनी जीभ रख कर अंदर घुसेड़ डाली
''अहह एसस्स्स्स्स्सस्स ऐसे ही चूसा था लोकेश अंकल ने भी .....अहह और अंदर डाल ना अपनी जीभ कुतिया .......एसस्स्सस्स अहह ऐसे ही ....उम्म्म्ममममममम ''
उसकी जीभ के साथ - 2 ढेर सारी लार भी उसकी गुल्लक के अंदर जाकर उसे और गीला कर रही थी
बेडशीट पूरी तरहा से भीग चुकी थी
अचानक काव्या को महसूस हुआ की वो झड़ने वाली है, उसने तुरंत श्वेता को उपर की तरफ खींच लिया और अपने ऑर्गॅज़म को थोड़ी देर के लिए टाल दिया, क्योंकि वो इतनी जल्दी नही झड़ना चाहती थी, उपर खींचने के बाद वो उसके फूल जैसे होंठों पर लेगे अपनी चूत के शहद को चाटने लगी
दोनो की चूतें एक दूसरे से रगड़ खा रही थी
अपने ओर्गास्म को थोड़ा शांत करने के बाद काव्या ने घूमकर श्वेता को 69 की पोज़िशन मे जकड़ लिया और दोनो ने एक दूसरे की दहक रही भट्टी पर अपने-2 होंठ रख दिए और एकसाथ दोनो सिसक भी उठी
''उम्म्म्ममममम.......सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स
ऐसी मक्खन जैसी चिकनी चूत जब किसी के मुँह से लगती है तो ऐसी ही आवाज़ें आती है
श्वेता बुदबुदाई : "ज़रा चूस कर बता, कैसे चूसा था तूने अपने लोकेश अंकल का लॅंड....''
इतना सुनते ही जैसे काव्या के अंदर किसी उर्जा का संचार हो गया, उसने अपने दोनो हाथों से उसकी चूत के होंठों को पकड़ा और जैसे ही माँस इकट्ठा होकर उभरा, उसने उस उभरे हुए भाग को अपने मुँह मे लेकर किसी लॅंड की तरहा चूसना शुरू कर दिया,
और इस समय काव्या को ऐसा लग रहा था की 69 की पोज़िशन मे वो श्वेता के साथ नही बल्कि लोकेश अंकल के साथ ही है, उनका मोटा ताज़ा लॅंड निगल रही है और वो उसकी चूत को चूस कर उसकी मलाई चाट रहे है
श्वेता की तितली के पंख जैसी छूट जब काव्या के मुँह मे गयी तो वो तड़प उठी, उसे लगा की शायद उसने लोकेश के बारे मे पूछकर और काव्या को उसके लॅंड चूसने के बारे मे याद दिलाकर कोई ग़लती की है, पर जब उसकी चूत के बीच फँसा हुआ मोती काव्या के मुंह के अंदर उभरा और उसने उसे चुभलाया और हल्का सा काटा तो उसकी चिंताए दूर हो गयी और वो आनंद सागर मे गौते खाकर भरभरा कर झड़ने लगी
''अहह .....उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ....काव्य्ाआआआआआआ .....उम्म्म्मममममममम ....एसस्स्सस्स''
और काव्या के मुँह मे जब मीठे शहद की नदी ने प्रवेश किया तो उसकी खुद की झील का झरना श्वेता के मुँह मे गिरकर उसकी प्यास बुझाने लगा..
''उम्म्म्मममममम....अहह''
दोनो के चेहरे ऐसे लग रहे थे जैसे उनपर आमरस मल दिया हो बहुत सारा.
दोनो ने एक दूसरे के आमरस को चाटकार सॉफ किया और फिर एक दूसरे के गले से मिलकर अठखेलिया करने लगे
और जब वो ये सब कर रहे थे तो वो ये नही जानते थे की उन्हे कोई देख रहा है दरवाजे की औट से ...
और वो था श्वेता का भाई नितिन
 
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Update 49

जो कॉलेज से वापिस आ चुका था, और श्वेता और काव्या की नासमझी की वजह से बाहर का दरवाजा खुला रह गया
और जब वो अंदर आया तो सबसे पहले उसे सामने पड़ी हुई टी शर्ट दिखाई दी और उसके बाद जीन्स और पेंटी भी
वो उन्हे उठाता गया और सूंघटा गया
और उन गिरे हुए कपड़ो का पीछा करते-2 वो जब अपनी बहन श्वेता के रूम के बार पहुँचा और अंदर से आ रही आवाज़ों को सुना तो उसे पक्का विश्वास हो गया की आज ज़रूर उसे कुछ गरमा गरम देखने को मिलेगा, और हुआ भी ऐसा ही..अंदर उसके सपनो की रानी काव्या पूरी तरहा से नंगी थी और उसकी सग़ी बहन के साथ वो 69 की पोज़िशन मे मज़े ले और दे रही थी ..
काव्या के हुस्न पर तो वो काफ़ी पहले से मरता था, पर अपनी बहन को उसने उस नज़र से आज तक नही देखा था, पर आज उसकी भरी हुई गांड और मादकता से भरे हुए मुम्मे देखकर उसके लॅंड ने पहली बार अपनी बहन के नाम की अंगड़ाई ली
उसने झट से अपना लॅंड बाहर निकाल लिया और मसलने लगा..
वो फ़ैसला नहीं कर पा रहा था की अपनी बहन को देखकर मूठ मारे या काव्या को देखकर ...
पर जिस तरहा से दोनो बिल्लिया एक दूसरे को नोच रही थी, एक बात तो पक्की थी, उनमे से कोई भी उसे मिल जाए, एकदम वाइल्ड सेक्स करेंगी वो दोनो ही उसके साथ..
बस यही सोचते-2 उसके लॅंड ने पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दी , वहीं अपनी बहन के दरवाजे के सामने..उसके मुंह से हलकी सी गुरगुराहट निकल गयी
और अचानक श्वेता को लगा की उसने कोई आवाज़ सुनी है..उसने काव्या को अपने उपर से हटाया दोनो ने जल्दी-2 कपड़े पहने ...
नितिन ने जब देखा की वो बाहर आने को तय्यार हो रहे है तो वो झट से भागकर उपर अपने कमरे मे चला गया
बाहर निकालकर श्वेता ने देखा की नितिन का बेग टेबल पर पड़ा हुआ है तो उसे ये समझते देर नही लगी की वही था बाहर, उसने काव्या को कुछ नही कहा और उसे जल्दी से वापिस जाने के लिए कहा, वो भी बिना कोई बात पूछे वहा से चली गयी, क्योंकि उसे भी जल्दी घर पहुँचना था..
अपने कपड़े समेटकर वो जैसे ही अपने कमरे के बाहर पहुँची वो फिसलते-2 बची, नीचे देखा तो नितिन के लॅंड से निकला चिपचिपा पानी था, उसे समझते देर नही लगी की नितिन वहां खड़ा होकर क्या कर रहा था, वैसे तो वो उसका बड़ा भाई था, और उसने उसके बारे मे कभी ऐसा नही सोचा था, पर आज उसके माल को महसूस करके उसके अंदर ना जाने कैसी चिंगारियाँ दहकने लगी...वो फिर से गर्म होने लगी...
 

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