Incest सौतेला बाप(completed)

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Update 50

अपने कमरे मे जाकर वो फिर से नंगी हो गयी और अपने भाई के बारे मे सोचते हुए अपनी चूत के अंदर अपनी चारों उंगलियों से खुदाई करके वहा छुपा हुआ अमृत निकालने लगी और जैसे ही वो गर्म पानी का फव्वारा वहाँ से निकला, उसे ये एहसास हुआ की ये उसकी जिंदगी का सबसे अछा ऑर्गॅज़म था वो अब एक सही मौके का इंतजार करने लगी, ताकि अपने भाई के साथ वो सब कर सके, जिसके बारे मे सोचकर ही इतने मज़े मिल रहे थे उसको. और वो मौका जल्द ही मिल गया, एक दुर्घटना के रूप मे ..
अपने कॉलेज से आते हुए नितिन की बाइक एक कार से टकरा गयी और वो गिर गया, जिसकी वजह से उसके दांये हाथ पर एक महीने का प्लास्टर लग गया, और बाँये हाथ पर भी कुछ पट्टियाँ लगी थी. श्वेता के मम्मी-पापा जॉब करते थे, इसलिए अपने भाई को संभालने की ज़िम्मेदारी उसके पर आ गयी. उस एक्सीडेंट के दो दिन के बाद श्वेता अपने रूम मे बैठ कर टीवी देख रही थी तब नितिन ने उसे पुकारा वो भागकर नीचे पहुँची तो नितिन ने सिर झुकाए हुए, उससे नज़रे चुरा कर कहा : "श्वेता .... वो ....मुझे ....नहाना था ...''दो दिन से नही नाहया था नितिन, इसलिए शायद उस से अब बर्दाश्त नही हो रही थी अपने अंदर से आ रही दुर्गंध..
श्वेता भी उसकी बात सुनकर हैरान रह गयी, उसने इस बारे मे तो कभी सोचा भी नही था, की उसे अपने जवान भाई को कभी नहलाना भी पड़ेगा ..उसके दिमाग़ मे फिर से वही तस्वीरे आने लगी, जिनके बारे मे सोचकर उसने अपनी चूत मे उंगलियाँ डाली थी श्वेता ने भी ऐसे मुँह बनाया जैसे वो ये सब करना चाहती ही नही है और बोली : "क्या ???? तुम चाहते हो की मैं तुम्हारी मदद करू, नहाने मे ...दिमाग़ तो ठीक है ना तुम्हारा ...''नितिन भी अपनी बहन का ये रूप देखकर घबरा गया, उसने तो सोचा था की उसकी हालत देखकर वो कभी मना नही करेगी और उसके नाज़ुक हाथों का स्पर्श अपने शरीर पर महसूस होगा, पर यहा तो पासा ही उल्टा पड़ गया..
नितिन : "श्वेता ....माँ ने कहा था ना की मेरा हर काम अब तुम्हे ही देखना होगा...सो....प्लीज़...''वो कुछ देर तक सोचने का नाटक करते हुए अपना मुँह बना कर खड़ी रही...
फिर बोली : "चल ठीक है, ज़्यादा सेंटी मत कर अब ...''
नितिन का चेहरा खिल उठा, वो बोला : "थॅंक्स ...ये एहसान मैं कभी नही भूलूंगा ...इसके बदले मैं कुछ भी कर सकता हू..''
श्वेता ने उसके चेहरे को गौर से देखा, उसकी आँखों मे आ रही चमक को देखकर वो भी खुश हो गयी .
श्वेता ने पूछा : "कैसे करना है ?"
नितिन के मन मे आया की बोल दे : "तू नंगी होकर घोड़ी बन जा, मैं पीछे से तेरी चूत मारूँगा ...''
उसको सोचते देखकर वो बोली : "बोल ना, कैसे नहाना है ...''वो शायद उसके प्लास्टर को देखकर चिंतित थी ..की कही वो भीग ना जाए ..
नितिन : "ओह, इस प्लास्टर के उपर तो मैं प्लास्टिक शीट लगा कर इसको ढक लेता हू, और फिर बाथ टब में या शावर मे नहा सका हू ..''
श्वेता : "तुम्हे किसमे कम्फर्टेबल रहेगा ..?"
नितिन : "बाथ टब ठीक रहेगा ...''उसकी खुली आँखो ने सपने देखने शुरू कर दिए ..
श्वेता : "अब चलो भी...क्या सोचने लगे...''
नितिन अपने सपनो से बाहर आया और बाथरूम की तरफ चल पड़ा..
वहा पहुँचकर श्वेता ने उससे कहा : "तुम ऐसा करो, अंदर जाओ और टब मे अपने कपड़े उतारकर लेट जाओ ..फिर मुझे आवाज़ दे देना ..''
वो सिर हिला कर अंदर चला गया और अपने कपड़े उतारकर उसने अपनी दोनो बाजुओं को प्लास्टिक शीट से कवर कर लिया और बाथ टब भरने के बाद उसमे जाकर लेट गया..और फिर उसने श्वेता को आवाज़ देकर अंदर बुला लिया अंदर जाते हुए श्वेता का दिल ज़ोर-2 से धड़क रहा था, उसके दिमाग़ मे उस दिन की पिक्चर आ रही थी जब उसके कमरे के बाहर उसने नितिन के लॅंड का माल बिखरा हुआ देखा था, उसके बारे मे सोचते ही उसकी चूत गीली होने लगी..वैसे नितिन के बारे मे उसने और काव्या ने कई बार स्कूल मे भी डिसकस किया था, काव्या उसके बारे मे बोलकर हमेशा श्वेता को चिढ़ाती रहती थी की काश ऐसा भाई उसका होता तो वो कब का उसे फँसा कर मज़े ले चुकी होती, हालाँकि काव्या का नितिन के प्रति कुछ भी नही था, पर आज वो सब बाते याद करके श्वेता को बहुत अच्छा फील हो रहा था
वो अंदर गयी तो देखा की नितिन का पूरा शरीर झाग वाले पानी के अंदर है, सिर्फ़ उसकी गर्दन और दोनो बाजुए बाहर थी, और बाजुओं पर उसने प्लास्टिक लपेट कर उन्हे भीगने से बचा रखा था.वो बाथ टब के किनारे पर बैठ गयी और साबुन उठा कर नितिन को सीधा बैठने के लिए कहा, और फिर उसके कंधे और पीठ पर साबुन लगा कर अपने कोमल हाथों से रगड़ने लगीउसने पहली बार नोट किया की उसके भाई की बॉडी कितनी सुडोल हो चुकी है पिछले कुछ सालो मे..उसके कंधे कितने चौड़े थे ...और उसकी मांसपेशियाँ भी अलग ही चमक रही थी..शायद जिम जाने का फल था ये..लड़कियो को हमेशा जिम जाने वाले लड़के और उनकी मसकुलर बॉडी पसंद आती है...और श्वेता के उपर भी ये बात लागू होती थी..वो मंत्रमुग्ध सी होकर उसकी पीठ रगड़ रही थी..कुछ देर बाद उसने नितिन को फिर से पीछे होकर लेटने के लिए कहा, और फिर उसकी छाती पर साबुन लगाने लगी..चौड़ी छाती पर हल्के-2 बॉल थे, जिनमे अपनी नाज़ुक उंगलिया घुमाकर वो एक अलग ही दुनिया मे पहुँच चुकी थी ..
उसके बाद उसने नितिन को बोला : "टांगे ...''
नितिन ने अपनी टांगे उठा कर बाथ टब के किनारे पर रख दी..श्वेता खिसक कर नीचे की तरफ गयी और उसकी दोनो टाँगो पर साबुन लगाने लगी..और तब उसने देखा की नितिन ने अंदर कुछ भी नही पहना हुआ है...वो पूरा नंगा था..उसकी मोटी-2 गोटियां झाग वाले पानी मे चमक रही थी..और एक बार तो उसने नितिन के लंबे लॅंड का निचला हिस्सा भी देख लिया..जिसे देखकर उसकी आँखों मे गुलबीपन सा उतार आया ...नितिन को भी शायद ये एहसास हो चुका था की उसके खड़े हुए लॅंड के दर्शन श्वेता ने कर लिए है, इसलिए वो उससे आँखे मिलाने से कतरा रहा था .
और श्वेता भी उससे नज़रे चुरा कर बार -2 उसकी टाँगो के बीच ही देख रही थी..हालाँकि उसे नितिन के लॅंड के पूरे दर्शन नही हो पा रहे थे, पर उसकी छुपी-2 सी झलक भी उसे अंदर तक रोमांचित कर रही थी ..दोनो भाई-बहन एक दूसरे से नज़र नही मिला रहे थे ..नितिन की आँखे बंद थी, और लॅंड खड़ा था..और वो तो तब से खड़ा था जब से श्वेता ने उसे नहलाने की हामी भारी थी ..और अपनी बंद आँखों से वो उस दिन का नज़ारा देख रहा था जब वो और काव्या नंगी होकर एक दूसरे को चूसने मे लगी हुई थी ...पर वो दस फीट का फासला था और अब कुछ भी नही , वही श्वेता अब उसके इतने करीब बैठी थी ..काश वो पूरी नंगी होकर उसे नहला रही होती ..वो श्वेता के शरीर को निहारने लगा
उसने एक पिंक कलर का टॉप पहना हुआ था, जो उसकी बॉडी से पूरी तरहा से चिपका हुआ था, उसके मोटे-2 मुम्मे ब्रा के अंदर जकड़े हुए थे, और गोर से देखने पर उसे श्वेता के खड़े हुए निप्पल भी दिख रहे थे, जो कपड़े की दोनो परतों की परवाह किए बिना बाहर तक उजागर होकर ये बता रहे थे की वो किस जगह पर है ..उसकी पतली कमर के नीचे का हिस्सा वो देख नही पा रहा था, पर उसे मालूम था की उसकी फेली हुई गाण्ड भी कम सेक्सी नही है ..चूँकि श्वेता उससे नज़रें मिलाने से कतरा रही थी, इसलिए नितिन अब बेख़ौफ़ सा होकर उसके हर अंग को अपनी आँखो से तोल रहा था ..उसकी दोनो टाँगो को भी पूरा रगड़ने के बाद वो बोली : "हो गया सब...अब मैं चलती हू ...''
नितिन : "वो ...बस बाथ टब का पानी निकालने मे मेरी मदद कर दो..''
श्वेता ने अपना हाथ अंदर डालकर पानी रोकने वाले प्लग को ढूँढने की कोशिश की..जिसमे उसका हाथ एक-दो बार उसके खड़े हुए लॅंड से भी टकरा गया ...पर पानी उपर तक भरा था , इसलिए उसका हाथ नीचे तक नही पहुँच पा रहा था...वो थोड़ा और झुकी और उसने प्लग को खींच कर बाहर निकाल दिया, पर ऐसा करते हुए , उसकी दोनो ब्रेस्ट पूरी तरह पानी मे भीग गयी..और जब वो उठकर खड़ी हुई तो उसकी टी शर्ट पानी मे भीगकार पूरी ट्रांसपेरेंट हो चुकी थी, उसकी ब्लॅक ब्रा चमक रही थी , जैसे वो सिर्फ़ अपनी ब्रा मे ही खड़ी हो उसके सामने ...और उसके उभरे हुए निप्पल और भी सॉफ दिखने लगे ..
नितिन को अपनी छातियों की तरफ घूरते हुए देखकर श्वेता को अपनी हालत का एहसास हुआ और वो भागकर अपने कमरे की तरफ चल दी ...
और पीछे रह गया खाली टब मे बैठा हुआ नितिन और उसकी टाँगो के बीच खड़ा हुआ उसका लंबा लॅंड..अपने कमरे का दरवाजा बंद करके श्वेता ने अपने सारे कपड़े उतार फेंके ..और अपनी गीली छातियों को मसलते हुए अपनी रसीली चूत के अंदर अपनी उंगलियाँ पेल कर उसे जोतने लगी...और दूसरी तरफ नितिन बेचारा तो वो भी नही कर सकता था..उसका एक हाथ प्लास्टर मे था और दूसरे मे इतनी शक्ति नही थी की अपनी ज़ख्मी उंगलियो से अपने लॅंड की सेवा कर सके..बस श्वेता के बारे मे सोचते हुए वो वहा काफ़ी देर तक बैठा रहा और फिर जैसे-तैसे कपड़े पहने और अपने रूम मे जाकर लेट गया..पर उसके दिमाग़ ने अब काम करना शुरू कर दिया था की कैसे श्वेता की रसीली जवानी का मज़ा लिया जाए..आग दोनो तरफ थी, पर पहल कौन करे,इसका इंतजार था बस..
शाम को दोनो के बीच कोई ख़ास बात नही हुई, श्वेता भी ना जाने क्या सोचने मे लगी थी, ये पहला मौका था जब उसने इतनी बड़ी बात अपनी सहेली काव्या को नही बताई थी, वो ये तय नही कर पा रही थी की उसे कैसे बताए, अभी बता दे या कुछ होने का वेट करे और उसके बात बताए..अगले दिन दोनो के मा बाप अपनी-2 जॉब पर चले गये..और दोनो भाई बहन मिलकर मूवी देखने लगे
नितिन ने झिझकते-2 श्वेता से कहा : "श्वेता, क्या आज भी तुम मुझे नहाने मे हेल्प कर सकती हो ...''
श्वेता को पता था की ये सवाल कभी भी आ सकता है..वो तो पहले से ही तय्यार थी..पर फिर भी सोचने का नाटक करते हुए बोली : "मेरे पास और कोई चारा भी तो नही है ...''
नितिन के चेहरे पर मुस्कान आ गयी .
श्वेता : "लेकिन आज शावर मे नहाना तुम, कल तुम्हे नहलाते हुए मैं पूरा टाइम झुकी रही और मेरी कमर बुरी तरह से अकड़ गयी थी ...अभी तक पेन हो रही है ..''नितिन को क्या प्राब्लम हो सकती थी, उसने हा मे सिर हिला दिया और बोला : "जैसा तुम्हे ठीक लगे..मैं उपर तुम्हारा वेट कर रहा हू..''और फिर वो उपर अपने कमरे की तरफ चल दियाथोड़ी देर बाद धड़कते दिल से श्वेता भी वहा पहुँची , नितिन अपने दोनो हाथों को प्लास्टिक से कवर कर रहा था श्वेता टब के अंदर गयी और उपर लगे शवर को ऑन कर दिया, ठंडे और गर्म पानी का तालमेल बिठाने मे एक दो मिनट लगे , इसी बीच नितिन ने अपने कपड़े उतार दिए , अब वो सिर्फ़ अपने जॉकी में था श्वेता ने उसे अंदर जाने के लिए कहा और खुद बाहर खड़ी होकर उसके बदन पर साबुन लगाने लगीपर नितिन के जिस्म से छिटककर पानी उसके उपर आ रहा था और वो भी गीली हो रही थी..श्वेता थोड़ी देर के लिए रुकी और नितिन से बोली : "मैं अभी आई ...''और इतना कहकर वो एकदम से बाथरूम से बाहर निकल गयी, वो बेचारा सोचता रह गया की ऐसे वो एकदम से क्यो चली गयी ..
पर अगले पाँच मिनट मे जब वो आई तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी..श्वेता सिर्फ़ अपने अंदुरूनी कपड़ो मे थी...सिर्फ़ ब्रा और पेंटी मे.उसकी मोटी ब्रेस्ट उस सेक्सी ब्रा मे समा भी नही पा रही थी, और उसके डाइमंड की तरहा चमक रहे निप्पल सॉफ दिख रहे थे.और नीचे उसने डोरी वाली पेंटी पहनी हुई थी..जो पीछे से इतनी पतली थी की उसकी गांड के दोनो ग्लोब्स पुरे नंगे दिख रहे थे और आगे वी के आकार के पेच ने उसकी चूत को ढक कर रखा हुआ था .अपनी सग़ी बहन को इतने सेक्सी रूप मे देखकर उसके लॅंड ने उपर उठना शुरू कर दिया..पर उसकी हालत ऐसी थी की वो अपने उभार को छुपा भी नही सकता था.
श्वेता : "यही एक तरीका था, भीगना तो मुझे वैसे भी था, अब कम से कम मेरे कपड़े तो बचे रहेंगे...''इतना कहकर श्वेता मटकती हुई उसकी तरफ चल दी, चलते हुए उसके मोटे-२ मुम्मे ब्रा में ऐसी उछल कूद मचा रहे थे मानो अपने सारे बंधन तोड़कर बाहर निकलना चाहते हो ....अब श्वेता भी टब के अंदर आ गयी और नितिन के सामने खड़ी हो गयी.नितिन ने दूसरी तरफ मुँह कर लिया, ताकि श्वेता उसके लॅंड के उभार को ना देख सके.श्वेता ने अपने हाथ मे साबुन लिया और उसके कसरती बदन को अपने कोमल हाथों से रगड़कर साफ़ करने लगी...उसकी नाज़ुक उंगलियाँ पीठ पर ऐसे लग रही थी मानो किसी कुशन मे धँस रही हो..साबुन लगाते -2 वो नीचे तक पहुँची, जहाँ उसके सुडोल और सख़्त चूतड़ उसके हाथों मे आ गये, उसने अंडरवीयर के उपर से ही उन्हे दबा कर देखा की उनमे कितनी जान है..और फिर अचानक अपने हाथों मे ढेर सारा साबुन मलकर उसने अपने हाथ को अंदर खिसका दिया...और एक - एक करके उन्हे मसलने लगी..नितिन को श्वेता से ऐसा करने की उम्मीद नही थी..उसका पूरा जिस्म ऐंठ सा गया और उसके कूल्हों मे थोड़ा और कसाव आ गया, जिसे श्वेता भी महसूस कर पा रही थी.
श्वेता ने नितिन को घूमने के लिए कहा, वो दीवार की तरफ मुँह करके अपने दोनो हाथ उसपर लगा कर खड़ा हो गया, क्योकी वो अपने लॅंड के उभार को उसके बिल्कुल सामने नही लेकर आना चाहता था, श्वेता ने उसकी छाती पर साबुन लगाना शुरू कर दिया, उसकी नज़र सीधा नितिन के अंडरवीयर पर गयी जहा बड़ा सा तंबू बना हुआ था..उसकी साँसे रुकने सी लगी..नितिन ने भी देखा की श्वेता की नज़रे कहा पर है, वो धीरे से बोला : "ये ..तो बस ...ऐसे ही...यू नो. ....''श्वेता : "हाँ .... कोई बात नही, इट्स नॉर्मल ...''नितिन की नज़रे श्वेता की ब्रा पर टिक कर रह गयी, पानी की एक लंबी धार उसके उभारों के बीच बनी घाटी मे जा रही थी, और उसके नुकीले निप्पल वो बड़ी आसानी से देख पा रहा था, उसका सपाट पेट और चिकनी जांघे भी बड़ी सेक्सी लग रही थी.साबुन लगते हुए श्वेता नीचे घुटनो के बल बैठ गयी, वो उसकी टाँगो पर साबुन लगा रही थी..एक-दो बार तो उसके हाथ अंडरवीअर मे भरे हुए समान को भी छू गये..पर दोनो अपनी-2 साँसे रोक कर उसे इगनोर करते रहे..नितिन अब घूम कर उसकी तरफ मुँह करके खड़ा हो गया, और अपने सामने घुटनो के बल बैठी हुई श्वेता अब उसको ऐसे लग रही थी मानो उसके लॅंड को चूसने के लिए ही बैठी है वहा..उपर से देखने पर उसकी गोलाइयाँ भी काफ़ी बड़ी और गोल दिख रही थी..उसे ऐसी हालत मे देखकर नितिन के छोटे सिपाही ने एक दो सलामी ठोक डाली नीचे बैठी श्वेता के चेहरे पर ही...जिसे उसने भी साफ़ महसूस किया.
श्वेता जब एक टाँग पर साबुन लगाकर दूसरी की तरफ मुड़ी तो अपने सिर को पीछे किया और फिर आगे क्योंकि नितिन का लॅंड इतना आगे निकला हुआ था की अगर वो ऐसा ना करती तो उसके चेहरे से टकरा जाता वो..उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, वो मन ही मन सोच रही थी की इस वक़्त उसका कोई बाय्फ्रेंड होता तो कब का उसका लॅंड उसके मुँह मे होता.और उसके दिमाग़ मे अपने बीएफ के बारे मे ये बात चल ही रही थी की उसके हाथों ने हरकत की और उसकी टाँगो से होते हुए वो उपर तक आए और एक ही झटके मे उसके खड़े हुए लॅंड को पकड़ लिया..ओह्ह गॉड , कितना सख़्त है ये...बिल्कुल स्टील के जैसा..उसकी आँखो मे गुलाबीपन उतर आया..वो अंडरवीयर के उपर से ही अपने साबुन वाले हाथों से उसके लॅंड का नाप लेने लगी..नितिन को तो विश्वास ही नही हो रहा था की श्वेता ने पहल कर दी है उस खेल की, जिसका शायद दोनो कल से इंतजार कर रहे थे..श्वेता की नज़रें उसके लॅंड से होती हुई उपर तक आई...और अपने भाई को देखकर ना जाने उसके दिमाग़ मे एकदम से क्या आया और वो उछल पड़ी : "ओह्ह्ह फककक''और इतना कहकर वो उठ खड़ी हुई और टब से बाहर निकल आई..और एक टावल अपने गीले शरीर पर लपेटा और दूसरा नितिन की तरफ फेंक कर बाहर भागती चली गयी..नितिन पीछे से चिल्लाता रह गया की मत जाओ, मत जाओ...पर वो रुकी नही.नितिन ने अपना अंडरवीयर उतार फेंका और अपने नंगे बदन को साफ़ करने लगा
अपने कमरे मे पहुँचकर श्वेता ने दरवाजा बंद किया और अपना टावल फेंक कर बिस्तर पर लेट गयी, उसके सामने बाथरूम मे खड़ा हुआ नितिन ही दिख रहा था, सोचना कितना आसान था पर जब करने की बारी आई तो उसकी फट कर हाथ मे आ गयी, हिम्मत ही नही हुई कुछ और करने की, पर पहला कदम अपनी तरफ से उठा कर उसने हिम्मत तो दिखाई थी ना...और उसके भाई का लॅंड कितना बड़ा था, कितना सख़्त था..उसके बारे मे सोचते हुए उसने अपनी जाँघो को भींच लिया एक दूसरे के साथ..अब इतना कुछ होने के बाद उसके शरीर ने कुछ ना कुछ तो रिएक्ट करना ही था ना.''वो क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे..." इतना सोचते हुए उसने अपनी ब्रा की डोरी खोल दी और वो नीचे गिर गयी, अपने लंबे निप्पल्स को अपनी हथेली मे छुपा कर वो उसे मसलने लगी, पानी मे भीगकार ठंडे हो चुके निप्पल्स को रगड़कर वो उन्हें गर्म करने लगी और उनमे उर्जा का संचार करने लगी..उंगली मे पकड़कर वो उन्हे खींचने भी लगी..जिसमे उसे मज़ा भी आ रहा था, और साथ ही साथ अपनी ब्रेस्ट को दबाने भी लगी, उसकी खुली आँखो के सामने उसके भाई का लॅंड था, अंडरवीयर में , लंबा सा, जिसे महसूस वो कर रही थी पर असल मे पकड़ अपनी ब्रेस्ट रही थी..दूसरे हाथ से उसने अपनी डोरी वाली पेंटी को भी खोल कर नीचे गिरा दिया..अब वो पूरी तरहा से नंगी थी.
अपने भाई के बारे मे सोचते हुए उसने फिर से अपनी नमकीन चूत के अंदर उंगलियाँ घुमानी शुरू कर दी , और उंगलियाँ अंदर बाहर करते हुए उसकी सोच उस पल मे पहुँच गयी जब उसने नितिन का लॅंड पकड़ा था, फिर उसने उस पल से आगे इमैजिन करना शुरू कर दिया, वो उसका अंडरवीयर उतार देती है, और उसका खड़ा हुआ लॅंड एक ही झटके मे उसके चेहरे पर ठोकर मारता हुआ उसके सामने प्रकट हो जाता है..फिर वो धीरे से उसे पकड़ कर उसके सिरे पर चूमती है और फिर भूखी कुतीया की तरह उसे अपने मुँह के अंदर धकेल लेती है...नितिन बेचारा अपने पंजो पर खड़ा होकर चिल्लाने लगता है की धीरे करो, पर वो नही सुनती और अपने दांतो और होंठों का इस्तेमाल करते हुए उसके लंबे लॅंड की धज्जियाँ उड़ाते हुए उसे ज़ोर-2 से चूसने लगती है...और जैसे ही उसे ये एहसास होता है की उसके लॅंड का पानी निकल रहा है, उसी वक़्त उसकी चूत की दीवारों से रिस रहा पानी बाहर निकलने लगा और उसे लगातार दूसरे दिन परमानंद की प्राप्ति हुई.उसने एक निक्कर और टी शर्ट पहन ली, बिना ब्रा और पेंटी के और वही बेड पर लेटी रही, अपने भाई के बारे मे सोचती रही..और नीचे, अपने कपड़े पहन कर नितिन टीवी के सामने बैठा था, पर उसका दिमाग़ भी श्वेता की तरफ ही था, की कैसे उसने उसके खड़े हुए लॅंड को पकड़ लिया था, काश वो वहा से भाग ना गयी होती तो उसके लॅंड की तो ऐश हो जाती आज...जब भी श्वेता का नाम उसके जहन मे आ रहा था, उसका लॅंड खड़ा हो जाता, और फिर कुछ देर बैठने के बाद फिर से झटके मारने लगता ..काश वो अपने हाथों से मुठ मार सकता..तभी उसने देखा की श्वेता नीचे आ रही है.
वो कुछ बोलने ही वाला था की श्वेता ने बीच मे टोक दिया : "कुछ बोलने की ज़रूरत नही है..मुझे अभी उस बारे मे कोई बात नही करनी, अभी टीवी देखते है बस...''वो चलती हुई उसके सामने आई और साथ वाली खाली जगहा पर बैठ गयी, नितिन की नज़रें उसका एक्सरे करने मे लगी थी, उसकी मोटी-2 जांघे उस छोटी से निक्कर मे बुरी तरह से फंसी हुई थी,और जिस तरह से उसकी ब्रेस्ट हिल रही थी, वो समझ गया की उसने अंदर ब्रा नही पहनी है, इतना सोचते ही उसका लॅंड फिर से बग़ावत करता हुआ उठ खड़ा हुआ..उसने बड़ी मुश्किल से अपने हाथों से ढक कर उसे दिखने से बचाया..नितिन लगभग दस मिनट तक तो ऐसे ही बैठा रहा पर जब उसके लॅंड ने अपनी अकड़ नही छोड़ी तो वो उठ कर वहा से चल दिया, अपनी बहन को गुड नाइट बोल कर जब वो अपने कमरे मे जा रहा था तो श्वेता की नज़रें उसके चेहरे पर नही बल्कि उसकी दोनो टाँगो के बीच दिख रहे उभार पर थी, जिसे देखकर वो सोचने लगी की ये अब तक ऐसे ही खड़ा है...उसके अंदर की रंडी ने एक बार तो सोचा की झपटकर उसकी पेंट नीचे उतार दे और सक कर ले उसके लॅंड को पर वो ऐसा नही कर पाई..और वहीं बैठ कर टीवी देखती रह गयी अकेली..और कुछ देर बाद वो भी जाकर सो गयी.अगले दिन दोनो जब ब्रेकफास्ट कर रहे थे तो अचानक श्वेता ने नितिन से पूछा : "क्या आज भी तुम्हे हेल्प चाहिए नहाने के लिए..''नितिन के लिए ये किसी सरप्राईस से कम नही था, क्योंकि कल वाले इन्सिडेंट के बाद रात को जिस तरह से श्वेता बिहेव कर रही थी वो सोचने लग गया था की शायद वो नाराज़ हो गयी है और इसलिए उसने तय कर रखा था की आज वो श्वेता की मदद नही लेगा नहाने के लिए..पर उसने खुद ही उसके सामने ऑफर रख दिया था, इसलिए उसने खुशी -2 अपना सिर हिला कर हाँ बोल दिया.
श्वेता : ''पर तुम्हे भी मेरा एक काम करना होगा...''
 
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Update 51

नितिन : "क्या ....?"
श्वेता (शरमाते हुए) : "वो...वो ...शाम को केतन आएगा, और तुम हम दोनो को डिस्टर्ब नही करोगे कुछ देर के लिए...''
केतन और श्वेता का चक्कर काफ़ी समय से चल रहा था, और ये बात नितिन को भी पता थी, केतन के साथ श्वेता लगभग सब कुछ कर चुकी थी, सिवाए चुदाई के, उसने अपनी चूत के अंदर उसकी उंगलीया और जीभ के अलावा कुछ और नही जाने दिया था अब तक..और शायद इसलिए वो अब तक उसके पीछे पागलों की तरहा घूमता था...वो एक रईस बाप का बिगड़ा हुआ लड़का था..और श्वेता पर पानी की तरहा पैसे बहाता था.और ये बात नितिन अच्छी तरह से जानता था की उसकी बहन का एक बाय्फ्रेंड है..और उसका नाम केतन है..नितिन ने जब ये बात सुनी तो उसके सारे अरमान पानी की तरहा बह गये, उसके लॅंड की अकड़न ढीली पड़ गयी और उसका लॅंड भी उसके चेहरे की तरह मायूस होकर लटक गया.पर वो श्वेता की हिम्मत की दाद दे रहा था की वो उसे घर पर लाएगी , ये उसने सोचा नही था..
नितिन : "पर मम्मी ने मना किया है ना की ऐसे घर पर किसी को नही लेकर आना...''
श्वेता : "मम्मी को पता चलेगा तब ना, मैं तुम्हारी नहाने मे हेल्प कर रही हू, तुम मेरी इतनी सी हेल्प नही कर सकते...''श्वेता ने आगे बड़कर उसकी जाँघ पर हाथ रखकर उसे थोड़ा सा दबा दिया, नितिन और उसके लॅंड के लिए इतना ही बहुत था..उसने हाँ मे सिर हिला दिया.श्वेता की खुशी का कोई ठिकाना नही था..वो हंसते हुए उपर चल दी..अपने कपड़े चेंज करने के लिए..और नितिन बाथरूम की तरफ...उसे उम्मीद थी की शायद आज कुछ ज़्यादा हो जाए कल के मुक़ाबले...अंदर पहुँचकर वो अपने कपड़े उतार कर खड़ा हो गया, उसके लॅंड ने अपना आकार लेना शुरू कर दिया था..श्वेता अंदर आई, उसने वही कल वाली ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी, जिसमे उसके मोटे मुम्मे और अखरोट की तरह सख़्त निप्पल साफ़ दिख रहे थे..उसने नितिन के हाथों को प्लास्टिक से कवर किया और फिर दोनो शावर के अंदर चले गये..
श्वेता ने उसके पुर जिस्म पर साबुन लगाना शुरू कर दिया, आज वो कुछ ज़्यादा ही खुले तरीके से साबुन लगा रही थी, क्योंकि एक-दो बार जब नितिन का खड़ा हुआ लॅंड उसके हाथों से रगड़ खा गया तो भी वो बिना रुके साबुन लगती रही..श्वेता का बदन भी भीग कर पारदर्शी सा हो चुका था, आज वो कुछ ज़्यादा ही भीग रही थी, और कुछ ज़्यादा ही रगड़ रही थी अपने बदन को भी नितिन के बदन के साथ..नितिन को आगे खड़ा करके उसने जब उसके सीने पर साबुन लगाया तो उसकी दोनो चुचियाँ उसकी पीठ पर धँस गयी..श्वेता का तो पता नही पर नितिन के मुँह से ज़रूर एक आहह सी निकल गयी, उसे श्वेता के निप्पल अपनी पीठ पर चुभते हुए से महसूस हो रहे थे...उसके हाथ साबुन लगाते हुए नीचे तक आए और अचानक श्वेता को लगा की उसने नितिन के नंगे लॅंड को छू लिया है...और हुआ भी ऐसा ही था, दरअसल नितिन का खड़ा हुआ लॅंड लगभग दो इंच बाहर निकल आया था अपने अंडरवीयर से और उपर की तरफ मुँह करके वो श्वेता के नाज़ुक हाथों को छू रहा था..उन्हे चूम रहा था..श्वेता ने भी बिना किसी झिझक के उपर से नीचे हाथ करते हुए नितिन के लॅंड पर भी अपनी उंगलियाँ फिसला दी और उस पर भी साबुन लगा दिया..और फिर उपर हाथ करते हुए उसके सीने पर साबुन लगाने लगी..ऐसा उपर नीचे उसने दो-तीन बार किया...हर बार साबुन से सने हाथ उसके लॅंड पर फिसल रहे थे..और नितिन के चेहरे की रंगत हर बार बदल रही थी..दोनो एक दूसरे का चेहरा नही देख पा रहे थे, पर जब भी श्वेता के हाथ उसके लॅंड पर फिसलते, उसका मुँह खुल सा जाता और अंदर से ठंडी सिसकारियाँ बाहर निकलने लगती..श्वेता ने थोड़ा आगे होकर शावर ओन कर दिया और ठंडा पानी नितिन की छाती पर पड़ने लगा..श्वेता अपने हाथ उपर नीचे करते हुए उसके बदन का साबुन सॉफ करने लगी...और जब साबुन की चिकनाहट ख़त्म हुई तो श्वेता के नाज़ुक हाथ नितिन के बदन पर चिपक-2 कर चल रहे थे..और अंत मे जब उसके हाथो ने उसके लॅंड के उपरी भाग पर जमे हुए साबुन को सॉफ किया तो नितिन ने एक जोरदार झटका दिया और उसका आधे से ज़्यादा लॅंड उसके अंडरवीयर से बाहर निकल कर श्वेता के हाथ मे आ गया...श्वेता के दिल की धड़कन एकदम से इतनी तेज हो गयी की नितिन को अपनी पीठ पर हथोड़े बजते हुए सुनाई दे रहे थे...श्वेता ने धीरे-2 अपनी उंगलियाँ उपर नीचे करते हुए उसके लॅंड को पूरी तरह से सॉफ किया और शावर बंद कर दिया..और फिर कल की ही तरह ही अपना टावल उठा कर वहाँ से भागती हुई उपर अपने कमरे मे चली गयी..अपने कपड़े उतार कर उसने ऐसे फेंके जैसे आज के बाद उनकी कोई ज़रूरत ही नही पड़ने वाली..और फिर से नितिन के खड़े लॅंड के बारे मे सोचते हुए अपनी उंगलियाँ अपनी चूत के अंदर धकेल दी..दो दिनों से वो जो करना चाह रही थी वो ना तो खुद कर पाई थी और ना ही नितिन...पर जब तक दोनो कुछ करे उस आग को बुझाने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा...और उसके लिए केतन के अलावा कोई और हो ही नही सकता था...इसलिए उसने उसे अपने घर पर बुलाया था आज .... और अपने भाई और केतन के बारे मे सोचते हुए उसने एक जोरदार हुंकार के साथ अपनी चूत का पानी अपने बिस्तर पर निकाल दिया.
अपने सारे काम निपटाने के बाद रश्मि अपने बाथरूम मे घुस गयी और रग़ड़ -2 कर नहाने लगी, साथ ही एक रेजर निकाल कर अपनी चूत को भी पूरी तरह से साफ़ किया, सिर्फ़ एक हल्की सी लाइन छोड दी उपर की तरफ क्योंकि वो काफ़ी सेक्सी लग रही थी..अपने रूम मे जाकर उसने अपनी अलमारी मे से सबसे सेक्सी शॉर्ट स्कर्ट और टॉप निकाला, टॉप भी शॉर्ट मे था इसलिए स्कर्ट तक ही आ रहा था, उसने अपनी स्कर्ट की बेल्ट को नीचे की तरफ दो बार मोड़ कर और नीचे कर दिया, अब उसकी गांड की लकीर भी दिख रही थी पीछे से और उसकी कमर के कर्व भी..अपने आपको इतनी सेक्सी ड्रेस मे देखकर उसने खुद ही सिटी मार दी.अब तो बस इंतजार था केतन के आने का..उसने शीशे की तरफ अपनी गांड करी और पीछे की तरफ देखते हुए झुक गयी, वाव, क्या सीन उभर कर आ रहा था, उसकी गांड की शेप और उसकी लकीर सॉफ दिख रही थी..केतन का तो लॅंड आज फट जाएगा ये देखकर.वो उछलती हुई नीचे की तरफ चल दी, क्योंकि केतन के आने का समय हो रहा था.नीचे नितिन टीवी देख रहा था, उसने जब अपनी बहन को ऐसी ड्रेस मे देखा तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया, और उसका निचला जबड़ा ऐसे खुला जैसे ज़मीन से छू जाएगा..वो मटकती हुई जब उसके करीब से गुज़री तो उसकी गांड को देखकर उसके पूरे शरीर मे झुनझुनी सी दौड़ गयी..उसकी स्कर्ट का कपड़ा इतना पतला था की वो दोनो चूतड़ों के बीच फँस कर रह गया था..शायद उसने नीचे पेंटी भी नही पहनी थी..श्वेता उसके पास ही आकर बैठ गयी और टीवी देखने लगी, नितिन का लॅंड अब तक पूरी तरह से खड़ा होकर अपना तंबू गाड़ चुका था उसकी पेंट मे. उसको बड़ी मुश्किल हो रही थी, तभी बाहर की घंटी बाजी तो उसने चैन की साँस ली, श्वेता दरवाजा खोलने के लिए चली गयी..तब तक उसने बड़ी मुश्किल से अपने खड़े हुए लॅंड को मार-पीटकर अंदर दबा दिया..दरवाजा खोलने जाती हुई श्वेता ने मुड़कर नितिन से कहा : "याद है ना अपना वादा ..थोड़ा स्पेस देना हम दोनो को आज..ओके .."
"हाँ ..हाँ ....याद है...मैं अपने कमरे मे ही रहूँगा..." इतना कहकर नितिन बेमन से उठा और अपने कमरे की तरफ चल दिया..पीछे से उसे सिर्फ़ दरवाजा खोलने और उसके बाद केतन की आवाज़ सुनाई दी : "ओह्ह माई गोड ...तुम इस ड्रेस मे इतनी सेक्सी लग रही हो..वाव..क्या स्कर्ट है तुम्हारी....उम्म्माअहह...''शायद दोनो वहीं दरवाजे पर ही एक दूसरे को चूमने खड़े हो गये थे..पर तब तक नितिन अपने कमरे मे पहुँच चुका था और उसने दरवाजा बंद कर लिया..केतन के सीने से श्वेता के मोटे-2 मुममे पीसकर उसके लॅंड को भी खड़ा कर रहे थे..केतन के अचानक उसकी टी शर्ट को नीचे खिसकाया किया और उसकी दोनों ब्रेस्ट बाहर निकाल ली और उनको एक-२ करके बुरी तरह से चूसने लगा, एक -२ करके वो उसके मुम्मे को अपने मुंह में डाल रहा था और उन्हें जोर-२ से चूस रहा था , ये सब इतना अचानक हुआ की श्वेता को कुछ कहने का मौका ही नहीं मिला, उसने बड़ी मुश्किल से उसे पीछे किया और अपनी ब्रैस्ट को वापिस अंदर डाल लिया ,दोनों फिर से स्मूच करने लगे .श्वेता ने किस्स तोड़ी और बोली : "थॅंक्स फॉर कमिंग..आज का दिन हम खूब ऐश करेंगे...मम्मी पापा ने आज किसी पार्टी मे जाना है, इसलिए वो लेट् आएँगे..''केतन के तो खड़े लॅंड पर चिंटियाँ रेंगने लगी..वो खुशी से उछल पड़ा : "वाव...इसका मतलब हमे कोई डिस्टर्ब नही करेगा आज...''
श्वेता (हंसते हुए) : "ऐसा भी नही है...मेरा भाई घर पर ही है..यू नो, उसका एक्सिडेंट हुआ था..इसलिए वो कही बाहर भी नही जा सकता, पर उसने प्रोमिस किया है की वो हमे पूरा स्पेस देगा...''उसका भाई घर है, ये सुनकर उसे थोड़ी मायूसी तो हुई पर फिर भी वो बोला : "अच्छा , ठीक है, पर प्रोग्राम क्या है...''श्वेता : "हम कोई मूवी देखेंगे मिलकर...और पिज़्ज़ा मँगवाते हैं डिन्नर मे...''केतन का तो मन ऐसा कर रहा था की जो भी मिल जाए आज वो ही ठीक है...श्वेता ने उसके साथ आज तक जो भी किया था, उससे ज़्यादा करने का मन था उसका आज...उसने हाँ मे सिर हिला दिया.
श्वेता : "ठीक है फिर, अभी हम दोनो मूवी लेने चलते है कोई, मैं नितिन से भी पूछ कर आती हू अगर उसे भी कोई मूवी चाहिए ताकि वो भी अपने रूम मे देख सके..और बोर ना हो..''इतना कहकर वो उछलती हुई उपर की तरफ चल दी, केतन नीचे खड़ा हुआ उसकी भारी भरकम गांड को हिलते हुए देखता रहा, और जब वो उपर तक पहुँची तो उसकी शॉर्ट स्कर्ट के अंदर का भी नज़ारा दिख गया उसको, सॉफ सुथरी चूत थी उसकी क्योंकि उसने पेंटी नही पहनी थी अंदर ...अब तो उसके खड़े हुए लॅंड ने बग़ावत सी कर दी..वो पेंट फाड़कर बाहर निकालने को आतुर हो गया.श्वेता नितिन के रूम मे दनदनाती हुई घुस गयी..वो नीचे ज़मीन पर लेट कर इयरफोन लगा कर गाने सुन रहा था..दरवाजे की कंपन सुनकर उसने नज़रे उपर करके देखा तो दंग रह गया, उसके सामने श्वेता खड़ी थी और वो सीधा उसकी स्कर्ट के अंदर देख पा रहा था, और शायद एक्साईटमेंट मे श्वेता को भी ये पता नही था की वो किस पोज़ मे खड़ी है, उसका भाई उसकी नंगी चूत को सॉफ देख पा रहा है..
श्वेता : "हम दोनो मार्केट जा रहे हैं, मूवी की सीडी लेने, तुम्हे कोई मूवी देखनी है यहाँ तो बता दो..और हम डिन्नर मे पिज़्ज़ा ऑर्डर कर रहे हैं, तुम्हारे लिए भी पिज़्ज़ा मंगवा लू या कुछ और खाओगे..''इयरफोन लगाने की वजह से वो सुन नही पाया, उसने वो निकाले और श्वेता को दोबारा बोलने को कहा, वो बेबाकी से खड़ी होकर फिर से वो सब दोहराने लगी..पर नितिन का ध्यान उसकी स्कर्ट के अंदर ज़्यादा था, उसने बात सुनी और सिर हिला कर उसकी हाँ मे हाँ मिला दी..
श्वेता :"ठीक है , मैं तुम्हारे लिए भी कोई मूवी ले आउंगी और पिज़्ज़ा भी ऑर्डर कर दूँगी..''इतना कहकर वो मटकती हुई वहाँ से निकल गयी...ये भी नही देखा की उसके लॅंड ने कितनी बुरी नज़र से उसकी तरफ देखा था अभी..उसके जाने के बाद वो उसी मुद्रा मे वहाँ पड़ा रहा, और सोचने लगा की काश श्वेता ऐसे ही उसके चेहरे के उपर आकर खड़ी हो जाए, अपने पैर उसके सिर के दोनो तरफ करके, और अपनी चूत को तब तक रगडे जब तक अंदर का गरमा गरम पानी उसके चेहरे पर नही गिरने लगा.....अहह...उस गर्म बारिश मे भीगने का मज़ा अलग ही होगा...श्वेता और केतन सीधा वीडियो पार्लर मे गये और वहाँ शेल्फ पर लगी मूवीस देखने लगे, केतन जान बूझकर श्वेता से नीचे के रेक मे रखी हुई डीवीडी उठाने के लिए कह रहा था, ताकि वो उसकी मोरनी जैसी गांड के दर्शन कर सके..और वो भी जानती थी की केतन ऐसा क्यो करवा रहा है, उसे भी मज़े आ रहे थे ऐसा करने मे और अपनी गांड की नुमाइश करने मे..दोनो ने मिलकर 3 मूवीस पसंद कर ली.
श्वेता : : "अब एक काम करो, तुम नितिन के लिए भी कोई मूवी पसंद कर दो, तुम लड़के लोग एक दूसरे की मेंटेलिटी अच्छी तरह से जानते हो, उसे किस तरह की मूवीस पसंद होगी...तुम ज़रा देख लो.''
इतना कहकर वो दूसरे सेक्शन की तरफ चल दी..पीछे की तरफ एक छोटा सा काउंटर था जहाँ अडल्ट मूवीस थी बस...उसने हैरानी से उन्हे उठा-2 कर देखा और फिर एक मोविए ले भी ली.तब तक केतन बिलिन्ग काउंटर पर पहुँच चुका था..और 4 मूवीस की पेमेंट कर रहा था..श्वेता ने मुस्कुराते हुए अपनी लाई अडल्ट डीवीडी भी उसमे डाल दी, जिसे देखकर केतन की आँखे भी खुली रह गयी...पर फिर भी उसने बिना कुछ कहे पेमेंट की और दोनो वहाँ से निकलकर बाहर आ गये..पिछले बीस मिनट मे श्वेता इतनी एक्ससाइटेड़ हो चुकी थी की उसकी चूत का रस बाहर बहने लगा था..कार मे बैठते ही केतन के हाथ उसकी जांघों पर रेंगने लगे...और जैसे ही थोड़ा उपर की तरफ खिसके वहाँ का गीलापन उसे अपनी हथेलियों पर महसूस हुआ...दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा दिए..घर पहुँचकर श्वेता भागकर उपर गयी और नितिन को अपनी लाई हुई डीवीडी दे दी..
और जब वो जाने लगी तो नितिन बोला : "थेंक्स ..और कंट्रोल मे रहना ज़रा..समझी..''जवाब मे श्वेता ने अपने होंठों को गोल किया और अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसे चिढ़ाती हुई बाहर निकल गयी..तब तक केतन ने एक मूवी लगा दी थी..दोनो काउच पर बैठकर मूवी देखने लगे..साथ ही साथ दोनो के हाथ एक दूसरे के शरीर पर भी चल रहे थे..बीच-2 मे दोनो एक दूसरे को स्मूच भी कर रहे थे..मूवी काफ़ी रोमॅंटिक थी और उसमे काफ़ी हॉट सीन्स भी थे..इसलिए जैसे ही कोई हॉट सीन आता, दोनो एक दूसरे पर टूट पड़ते..श्वेता से सहन नही हुआ, उसने झुककर उसकी जींस की जीप खोली और उसके खड़े हुए लॅंड को आज़ाद कर दिया..और उसे मुँह मे लेकर ज़ोर-2 से चूसने लगी..और केतन किसी राजा की तरह उसके बालों को सहलाते हुए फिल्म का मज़ा लेने लगा..अब उन्हे मूवी मे कोई इंटेरेस्ट नही रह गया था..वो काफ़ी देर तक उसके लॅंड को चूसती रही...पर जैसे ही केतन का निकलने वाला होता वो उसे उठा देता और स्मूच करने लगता..उसने झड़ने नही दिया अपने लॅंड को.
श्वेता : "तुम वो मूवी देखना चाहोगे जो मैने पसंद की थी...''केतन समझ गया की वो अडल्ट मूवी की बात कर रही है, वो बोला : "ठीक है..''श्वेता जब डीवीडी चेंज करने के लिए झुकी तो जान बूझकर इतना झुकी की उसकी गीली चूत के दर्शन साफ़ कर सके केतन...ऐसे टीज करने मे उसको काफ़ी मज़ा आता था.वापिस आते ही वो फिर से उसके लंड पर टूट पड़ी और उसे ज़ोर-2 से चूसने लगी..दोनो की नज़रें टीवी स्क्रीन पर थी.वो एक बी ग्रेड मूवी थी, जिसमे खुलकर टॉपलेस सीन थे..पर लड़की की चूत या लड़के का लंड नही दिखाया गया था.श्वेता ने लंड चूसना बंद कर दिया और केतन से बोली : "ये तो काफ़ी देर से सिर्फ़ उपर के सीन ही दिखा रहे हैं..नीचे के नही..दोनो के पार्ट्स तो दिखाने चाहिए ना..अंदर जाते हुए भी नही दिखा रहे..सिर्फ़ धक्के मार रहे हैं..''उसकी बात सुनकर केतन मुस्कुरा दिया और बोला : "तुम्हे मूवी पार्लर से ऐसी मूवीज नही मिलेगी, इनकी भी रेटिंग होती है..वो तो तुम्हे ग्रे मार्केट से ही मिलेगी..''उसकी बात सुनकर श्वेता मायूस हो गयी, उसने सोचा था की आज शायद XXX देखते हुए उसका भी मन बन जाए और वो अपने बॉय फ्रेंड से चुद जाए..पर ये तो XX मूवी निकली..उसका मायूस चेहरा देखकर केतन बोला : ''अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे लंड को चूत मे जाते हुए दिखा सकता हू...''
केतन की बात सुनकर श्वेता के दिल की धड़कने तेज हो गयी...उसकी साँसे तेज़ी से चलने लगी..केतन समझ गया की श्वेता की हाँ है इसमे..वो उठा और अपनी जींस के बटन खोलने लगा..श्वेता काउच पर बैठी हुई थी , उसने अपनी टांगे फेला दी थी..और शायद उसकी चूत को केतन साफ़ देख भी पा रहा था..उसने अपनी जींस उतार कर साईड मे रख दी और झुककर श्वेता को स्मूच कर लिया, उसके अंडरवीयर मे क़ैद लंड ने उसकी चूत के उपर एक रग़ाड पैदा कर दी, पिछले दो दीनो से वो अपने भाई के लंड को जाने-अंजाने से छू चुकी थी, इसलिए अब अपने सामने खड़े हुए लंड को देखकर उससे सहन नही हुआ और उसने झपटकर अपना हाथ नीचे किया और केतन के लंबे और तगड़े पहलवान को पकड़ लिया..''अहह धीरे पकड़ो.....उखाड़ ही डालगी तुम तो.....''दोनो ने फिर से एक दूसरे को स्मूच करना शुरू कर दिया, इसी बीच केतन का अंडरवीयर भी उतर चुका था और अब उसका खड़ा हुआ लंड श्वेता की गीली चूत पर दस्तक दे रहा था,और अचानक वो उसमे फँस भी गया
श्वेता कुछ समझ पाती या उसको रोक पाती, केतन ने अपना भार उसके उपर डाल दिया और केतन का लंड उसकी चूत मे सरकता चला गया..और एक ही पल मे पूरा उसके अंदर समा गया.श्वेता को तो विश्वास ही नही हुआ की केतन का लंड इतनी आसानी से अंदर चला जाएगा..उसने तो सुना था की पहली बार करने मे काफ़ी दर्द होता है, खून भी निकलता है, मुश्किल से अंदर जाता है, चीखे निकलती है..पर ऐसा कुछ भी नही हुआ, उसे कुछ भी महसूस नही हुआ, हांलांकि उसे चूत के अंदर सब कुछ भरा-2 सा लग रहा था, पर कुछ अलग नही था ये सब..वो हैरान हुई जा रही थी की केतन ने झटके मारने शुरू कर दिए..अब उसको भी मज़ा आने लगा था, पर अचानक केतन ज़ोर से हाँफने लगा, जैसा की वो तब करता था जब वो झड़ने वाला होता था..
केतन : "ओफफफफ्फ़ .....अहह .....आई एम कमिंग .........''
श्वेता : "ओह .....नही .......अभी नही .....कुछ देर तो और करो ना .....मैं अभी तैयार नही हू ....... नओओओओओओ ''
पर तब तक केतन का ओर्गास्म आ चूका था ...उसने अपने लंड को बाहर खींचा और उसके चेहरे और टॉप के ऊपर अपना रस गिरा दिया .श्वेता ने पहली बार चूत मरवाई और उसमे भी प्यासी रह गयी वो.वो सोचने लगी की काश वो कुछ देर और करता तो वो भी झड़ जाती और वो अगर उसकी चूत के अंदर ही रस निकालता तो एक साथ झड़ने मे कितना मज़ा आता ...पर सब बेकार, उसका मूड बुरी तरह से ऑफ हो चुका था .पर केतन पूरा संतुष्ट था, उसके चेहरे पर एक अलग तरह की खुशी थी ...शायद श्वेता की चूत पहली बार मारने की खुशी थी वो ..
केतन : "अह्ह्हह्ह ...मज़ा आ गया आज तो ...चलो जाओ और ये सब वाश करके आओ ...''श्वेता उठ कर उपर अपने कमरे की तरफ चल दी ... और सोचने लगी की इसको सिर्फ़ अपनी फ़िक्र है, अपना माल निकालकर इसको तो मज़ा आ गया पर मेरी प्यास नही बुझी , इसका कुछ अंदाज़ा नही है केतन को ...पर ये बात केतन को बोलकर वो उसको नाराज़ नही करना चाहती थी .जैसे ही वो नितिन के कमरे के आगे से निकली, नितिन एक दम से बाहर आ गया, दोनो की नज़रें एक दूसरे से मिली, श्वेता के चेहरे पर केतन के लंड का रस अभी तक जमा हुआ था, जिसे देखकर नितिन की आँखे फैल गयी..जैसे ही श्वेता को इस बात का एहसास हुआ वो भागकर अपने कमरे के अंदर चली गयी..नितिन भी बिना कुछ बोले नीचे चल दिया और फ़्रीज से पानी की बोतल लेकर वापिस अपने कमरे मे आ गया.श्वेता अपने कमरे मे पहुँची और अपने सारे कपड़े उतार कर एक कोने मे फेंके, गीले कपड़े से अपने चेहरे और बालों को सॉफ किया और फिर एक टी शर्ट और पायज़ामा पहन कर नीचे आ गयी.
फिर दोनो मिलकर एक दूसरी मूवी देखने लगे. पर श्वेता अब कुछ भी बोल नहीं रही थी केतन को अब इस बात का एहसास हो चुका था की श्वेता अभी तक नही झड़ी है, इसलिए वो रूखा सा बर्ताव कर रही है, उससे ज़्यादा बात भी नही कर रही.आधे घंटे बाद केतन फिर से उसके शरीर से चिपकने लगा, उसकी जांघे और मुम्मे दबाने लगा..श्वेता को भी अंदर से कुछ-2 होने लगा था पर वो नाराज़गी का नाटक करती रही और चुपचाप मूवी देखती रही,
केतन : सुनो...नाराज़ मत हो ऐसे...ये देखो, मूवी मे कैसे वो लड़का उसके पीछे खड़ा होकर उसकी मार रहा है...चलो ना, ये पोज़िशन ट्राइ करते हैं...''
श्वेता (थोड़ा चिड़ते हुए) : "तुम्हारे बस की है ये सब करना...''
केतन : "तुम साथ तो दो मेरा...फिर देखना मेरा कमाल...''इतना कहकर उसने टी शर्ट के उपर से ही उसके निप्पल को ज़ोर से पिंच कर दिया, ये उसका वीक पॉइंट था, इसलिए उसके उपर हमला होते ही उसकी चूत फिर से दहकने लगी..और दोनो एक दूसरे को ज़ोर-2 से स्मूच करने लगे...स्मूच करते-2 दोनो खड़े हो गये...और इस बार केतन ने श्वेता की टी शर्ट और पायज़ामा भी उतार कर उसको पूरा नंगा कर दिया..और खुद भी एक ही पल मे नंगा होकर उसके जिस्म से लिपट गया...दोनो एक दूसरे के शरीर पर अपने हाथ लगा रहे थे, दबा रहे थे..चूस रहे थे..केतन ने श्वेता को डाइनिंग टेबल के साथ खड़ा खड़ा किया और उसे झुकने के लिए कहा..श्वेता ने टेबल पर हाथ रखे और अपनी गांड पीछे की तरफ निकाल कर खड़ी हो गयी.केतन ने झुककर अपने लंड को उसकी गीली चूत के अंदर लगाया और एक जोरदार झटके से उसके अंदर दाखिल हो गया..
''अहह .....उम्म्म्मममममम ......येस्स ......''और फिर केतन ने ज़ोर-2 से झटके देते हुए उसकी चूत मारनी शुरू कर दी.और उपर अपने कमरे मे बैठा हुआ नितिन नीचे से आ रही आवाज़ें सुनकर बेचैन हो रहा था...पहले अपनी बहन के चेहरे पर गिरे माल को देखकर उसे अंदाज़ा तो हो गया था की दोनो ने क्या किया होगा, पर अब आ रही आवाज़ों से साफ़ लग रहा था की नीचे चुदाई चल रही है..वो धीरे से अपने कमरे से बाहर निकला, और दबे पाँव सीडियां उतरकर नीचे की तरफ चल दिया..और जैसे ही उसने नीचे का नज़ारा देखा, उसका लंड फिर से स्टील की तरहा कड़ा होकर खड़ा हो गया..सामने थी उसकी बहन श्वेता, टेबल पर झुकी हुई, अपनी चूत मरवाती हुई..उसे सिर्फ़ उसके झूलते हुए मुम्मे दिख रहे थे और केतन की हिलती हुई गांड ..सॉफ था की वो कितनी बुरी तरहा से उसकी चूत मार रहा है...श्वेता को अचानक अपने भाई के लंड का ध्यान आ गया, उसके बाय्फ्रेंड के मुक़ाबले कितना लंबा और मोटा है उसके भाई का..काश वो मार रहा होता उसकी चूत इस समय...और अपने भाई के लंड के बारे मे सोचते हुए उसके चेहरे पर एक अलग ही तरहा की लालिमा आ गयी..तभी केतन का ऑर्गॅज़म करीब आ गया...वो बोला : "मेरा निकलने वाला है......''
श्वेता अपने सपनो से बाहर आई...उसका अभी तक कुछ नही हुआ था पर पिछली बार से काफी बेहतर था , पर फिर भी वो एकदम से बोली : "रूको...अंदर मत निकालना....मेरे मुँह के अंदर डालो सब....''
और वो एकदम से पलटी और उसके लंड के सामने पंजों के बल बैठ गयी..केतन ने अपने लंड को ज़ोर-2 से मसला और फिर जैसे ही उसका माल निकलने वाला हुआ, उसने अपने लंड का सिरा उसकी जीभ पर रख दिया, और गरमा गरम माल उसकी जीभ की थाली पर परोस दिया...वो उसका सारा माल निगल गयी...इसी बीच उसने अपनी चूत को अपने हाथ से मसलकर खुद ही संतुष्ट किया सीडियों पर खड़ा हुआ नितिन ये सब काफ़ी गौर से देख रहा था...अपनी बहन को किसी रंडी की तरहा बिहेव करता देखकर उसे गुस्सा नही आ रहा था बल्कि उत्तेजना हो रही थी..उसका लंड बैठने का नाम ही नही ले रहा था...अपना माल निकालने के बाद केतन निढाल सा होकर सोफे पर लूड़क गया..और श्वेता ने उठकर अपने कपड़े पहने और अपना चेहरा धोने के लिए वापिस उपर की तरफ चल दी..नितिन जल्दी से अपने कमरे मे जाकर छुप गया.उसका लंड बुरी तरह से दर्द कर रहा था...पर उसकी लाचारी थी की वो मूठ भी नही मार सकता था...उसके दोनो हाथों मे पट्टियाँ जो थी..
 
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Update 52


श्वेता ने सब सॉफ किया और फिर से नीचे आ गयी...उसने पिज़्ज़ा आर्डर , थोड़ी ही देर मे पिज़्ज़ा आ गया, श्वेता ने नितिन को नीचे बुलाया और सबने मिलकर पिज़्ज़ा खाया..और थोड़ी देर बाद केतन अपने घर चला गया, क्योंकि श्वेता के मम्मी-पापा के आने का टाइम हो रहा था..दोनो भाई बहन अकेले रह गये
श्वेता : "थॅंक्स भाई....हम दोनो को प्राइवेसी देने के लिए...''वो बस मुस्कुरा दिया, कुछ बोला नही..
श्वेता : "कल तुम्हे अच्छी तरह से नहलाऊंगी मैं...ये है तुम्हारा बोनस...''
उसकी बात सुनकर नितिन का चेहरा एक दम से खिल उठा...पर सिर्फ़ श्वेता ही जानती थी की उसके दिमाग़ मे क्या चल रहा है..
अगले दिन नितिन बड़ी बेसब्री से अपनी बहन का वेट कर रहा था, पर वो थी की अपने कमरे मे बंद होकर अपनी अभी तक की कहानी काव्या को सुनाने मे लगी थी..काव्या को जैसे ही पता चला की वो चुद चुकी है तो उसकी हैरानी की सीमा ही नही रही..और ना चाहते हुए भी वो अपनी सहेली के बाय्फ्रेंड नितिन के लंबे लॅंड के बारे मे सोचने लगी, की कैसे उसने श्वेता की चूत मे अपना लॅंड पेला होगा, कैसे झटके दिए होंगे, और कैसे अपना रस उसके चेहरे और मुँह के अंदर निकाला होगा...और साथ ही साथ वो श्वेता को गालियाँ भी देती जा रही थी की कैसे वो चूत मरवाने मे उससे आगे निकल गयी..
काव्या : "साली, तू तो एक नंबर की कुतिया निकली, इतने सालो तक अपना कुँवारापन बचा कर रखा और एक झटके मे लूटा बैठी ....यू बिच...''
श्वेता (हंसते हुए) : "यार, तुझे क्या बताऊ ...पिछले दो दिनों से मेरे साथ क्या-2 हो रहा है...उन सबकी वजह से ही मुझसे रहा नही गया और मैने केतन को रोका नही वो सब करने से...''
काव्या : "ऐसा क्या हो गया जो तेरे अंदर ऐसी आग लग गयी....चल जल्दी से बता मुझे ...''
श्वेता : "नही यार....वो ..वो ...बताने वाली बात नही है ...''पर काव्या भी कहा मानने वाली थी, उसने अपनी कसम देकर उसे बोलने पर मजबूर कर ही दिया और जब श्वेता ने अपने और नितिन के बारे मे वो सब उसे बताया तो काव्या के हाथ अपने आप अपनी चूत के उपर चले गये ...और जब तक उसकी बात ख़त्म हुई, वो उसकी पेंटी के अंदर तक घुसकर अपनी नर्म चूत को सहला रहे थे...
काव्या : "ओह यू बिच .....तेरे तो घर मे इतना बढिया जुगाड़ है, और तू है की बाहर अपना हलवा बाँटती फिर रही है...मुझे तो बेचारे नितिन पर तरस आ रहा है, एक तो उसके हाथ टूटे पड़े हैं और बेचारा अपनी सेक्सी बहन को अपने बाय्फ्रेंड के साथ देखकर कुछ कर भी नही पाता होगा हा हा ...बेचारा ..मैं होती ना ...''उसने अपनी बात बीच मे ही छोड़ दी ...श्वेता समझ गयी की वो क्या कहना चाहती है ...आख़िर उसके भाई के बारे मे पहले भी एक-दो बार काव्या बोल चुकी थी की वो कितना हॉट लगता है ...
काव्या : "चल जो हुआ, उसको भूल जा, और आगे क्या करना है वो देख ले तू ...मेरे साथ भी आजकल कुछ अजीब सा हो रहा है यहाँ, कल मेरे घर आ जा, सब डीटेल मे बताउंगी ...चल बाय , अभी मम्मी बुला रही है मुझे ..''इतना कहकर उसने फोन रख दिया.श्वेता खोई-2 सी नीचे पहुँची, जहाँ नितिन टेबल पर उसका वेट कर रहा था..
दोनो ने बिना कुछ बोले नाश्ता खाया, इस बीच श्वेता ना जाने क्या-2 सोचती रही और अचानक वो नितिन से बोली : "तुम्हे नहाना नही है क्या...''
नितिन : "हाँ ...हाँ हन ...मैं तो कब से तुम्हारा वेट कर रहा था, पर तुम ही ...''
श्वेता : "ओके ...चलो जल्दी, अंदर, मैं करती हू तुम्हारा ...''उसने ''करती हू तुम्हारा'' तो ऐसे बोला था जिसका कुछ और ही मतलब निकाल कर उसके लॅंड महाराज ने वहीं के वहीं नाचना शुरू कर दिया..वो अपने कपड़े बदलने के लिए अपने कमरे मे चली गयी और नितिन भागकर बाथरूम मे.श्वेता अपने आप को टवल से ढक कर बाथरूम मे पहुँची तो उसने देखा की नितिन सिर्फ़ अपने अंडरवीयर मे खड़ा हुआ उसका वेट कर रहा है, और उसके लॅंड ने अपना विकराल रूप लेकर वहाँ तंबू बना दिया है ..और उसके खड़े हुए डंडे को देखकर उसकी हँसी निकल गयी और बोली : "ये कभी बैठता भी है या नही ...''
श्वेता ने पहली बार उसके लॅंड के बारे मे बात की थी आज ..
नितिन : "दरअसल ...जो आटेंशन इसको मिलनी चाहिए, पिछले कुछ दीनो से मिल नही रही, इसलिए ये अपनी नाराज़गी दिखा रहा है ऐसे ....''दोनो हंस दिए ...
श्वेता ने अपना बँधा हुआ टावल निकाल दिया ..और नीचे उसके हुस्न को देखकर नितिन के लॅंड ने एक-दो झटके और मारे और पहले से ज़्यादा गुस्से मे आकर श्वेता को देखने लगा..उसने आज हॉल्टर ब्रा पहनी थी ..और सामने की तरफ तिकोना सा कपड़ा था जो उसके मोटे मुम्मों को आधे से ज़्यादा दिखा रहा था और सिर्फ़ कुछ हिस्सा ही छुपा पा रहा था ..और नीचे की तरफ उतनी ही सेक्सी वी शेप की पेंटी ...दोनो अंदर शावर मे चले गये.
आज श्वेता कुछ ज़्यादा ही रगड़ रही थी नितिन की बॉडी को ...अपने हाथ मे झाग बनाकर वो हर हिस्सा साफ़ कर रही थी ..उसके सामने खड़ी हुई जब वो उसकी चेस्ट को मल रही थी तो नितिन की नज़रें उसकी भारी भरकम ब्रेस्ट पर ही थी...उसका मन तो कर रहा था की एक झटके मे फाड़ डाले उसकी ब्रा को और देख ले की अंदर क्या छुपा कर रखा है उसने, गौर से देखने पर उसे श्वेता के खड़े हुए निप्पल भी सॉफ-2 नज़र आने लगे ..और निप्पल के चारों और उगे हुए छोटे-2 दाने भी ...पानी ने उसकी ब्रा को पूरा ट्रांसपरेंट कर दिया था ...अचानक श्वेता बोली : "उम्म ...नितिन ...क्या ..क्या ..तुम चाहते हो ...की ...उफ़फ्फ़ ...कैसे बोलू ... ..की मैं ...कोई मदद करू तुम्हारे कम को निकालने में ... .. आई मीन मास्टरबेट करने मे ....''नितिन को तो विश्वास ही नही हुआ ...वो हैरानी से बोला : " रियली .?? क्या तुम ..... सच मे ..... ऐसा कर सकती हो ....मतलब ..करना चाहती हो ...''
श्वेता उससे नज़रें नही मिला रही थी .. वो बोली : "हाँ ...मीन्स ...तुमने भी तो मेरी हेल्प की थी कल .... वो मुझे और नितिन को स्पेस देकर ...''वो आगे बोली : "और तुम्हारी हालत मुझसे देखी नही जा रही ....तुमने ही कहा था ना की ...इसको जो अटेंशन मिलनी चाहिए वो मिल नही रही ..तो मैं, वो अटेंशन इसको दे सकती हू ...तुम थोड़ा रिलीव महसूस करोगे ...हैं ना ..''नितिन स्पीचलेस हो गया ....उसने सिर्फ़ अपना सिर हिला दिया और अपनी स्वीकृति दे डाली श्वेता ने धड़कते दिल से उसके अंडरवीयर को नीचे किया और एक ही झटके मे उसका लॅंड लहराकर उसकी आँखो के सामने आ गया...ओह्ह्ह माय गॉड , इतना लंबा .....उम्म्म्ममममम, श्वेता ने ढेर सारा साबुन लिया और उसके लंबे लॅंड के उपर लगाकर उसे हिलाने लगी...पहले धीरे-2 फिर थोड़ी तेज़ी से ...''अहह....एस श्वेता .... अssssss .....उम्म्म्ममममम''
नितिन ने अपनी आँखे बंद कर ली ....पर जब उसकी सपनो की रानी उसके सामने बैठकर उसके लॅंड का मर्दन कर रही है तो वो आँखे क्यो बंद करे...उसने झट से अपनी आँखे खोल दी और प्यासी नज़रों से अपनी बहन को देखने लगा, उसके हिलते हुए मुम्मों को अपनी नज़रों से चोदने लगा, उसके लरजते हुए होंठों का रस अपने प्यासी आँखों से पीने लगा ...श्वेता अपने दोनो हाथों का प्रयोग कर रही थी ...एक हाथ से वो उसके लॅंड को उपर नीचे कर रही थी और दूसरे से उसकी गोटियों को सहला रही थी ...इतना प्यार भरा ट्रीटमेंट जब मिले तो रुकना मुश्किल हो जाता है, नितिन ने भी सिसकना शुरू कर दिया....श्वेता उसकी तेज चल रही सांसो को देखकर समझ गयी की वो झड़ने वाला है, पर उसकी समझ मे नही आ रहा था की वो उसके रस को कहाँ गिराए, जैसे ही नितिन ने एक-दो जोरदार झटके दिए अपनी कमर को तो वो समझ गयी की अब किसी भी वक़्त उसका रस निकल सकता है, वो उठ खड़ी हुई और अपने पेट का निशाना बना कर उसकी पिचकारी से निकले पानी को वहाँ गिरा लिया ...
नितिन अपने पंजों पर खड़ा होकर गोलियां चलाने लगा
नितिन : "अहह उम्म्म्मममममममम ...अहह''उसकी हर पिचकारी एक गर्म एहसास छोड़ रही थी श्वेता पर, इतना माल इकट्ठा कर रखा था नितिन ने की श्वेता के पेट पर सफेद रंग की परत सी बिछ गयी...पूरा कवर कर लिया उसके कम ने उसकी नाभि को...वो दिखाई भी नही दे रही थी ...उपर से चल रहे शावर ने धीरे-2 उसके गाड़े रस को पानी मे मिला कर वहाँ से गायब कर दिया ....
श्वेता : "वाव .....इतना स्टॉक इकट्ठा कर रखा था तुमने तो ...मैने आज से पहले ऐसा कुछ देखा ही नही था ...''
नितिन : "मैने बोला था ना, अपने हाथों की वजा से इसको सही से ट्रीट नही कर पा रहा था...थैंक्स ....तुम्हारी वजह से ही मैं आज रिलिव हो पाया हू ....''वो मुस्कुरा दी..
श्वेता : "अछा मुझे एक बात बताओ ....तुम कितने दीनो के बाद मास्टरबेट करते हो ...''
नितिन : "रोजाना ...मीन्स, एक्सीडेंट से पहले तो अब तक रोज ही करता था ...''
श्वेता : "तब तो वो रुटीन बनाकर रखना पड़ेगा ...मैं अब तुम्हे रोज ही ऐसे हेल्प किया करूँगी ..ओके ..''नितिन की खुशी का ठिकाना ही नही रहा ..
श्वेता उसके बदन को टावल से पोंछने लगी ..नितिन अब पूरा नंगा खड़ा था उसके सामने, वो बदन सॉफ करती हुई अपने घुटनों पर बैठकर उसकी टांगे सॉफ कर रही थी, और फिर उसने उसके लॅंड को आराम-2 से सॉफ करना शुरू किया, उसने देखा की वो फिर से अकड़ रहा है ..और कुछ ही सेकेंड मे वो फिर से खड़ा होकर उसके सामने हुंकार रहा था ...पहले से ज़्यादा ..पहले से लंबा होकर...अगले दो-तीन दिनों तक श्वेता ने हर रोज अपने भाई के लंड की मालिश करके उसका तेल निकाला...नितिन को तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था की उसकी हॉट सिस्टर रोजाना उसे नहलाते हुए मास्टरबेट भी करवाती है ...और दूसरी तरफ श्वेता ने भी अपने भाई के लंड को एक खिलोने की तरह देखना शुरू कर दिया था जिसके साथ वो रोजाना खेलती थी..
चोथे दिन, जब श्वेता नितिन को नहला रही थी तो नितिन ने झिझकते हुए अपने दिल की बात बोल ही दी...
नितिन : "श्वेता, मुझे कुछ कहना है...पर पता नही तुम क्या सोचोगी इसके बारे मे...'' उसने अपनी नज़रें चुराते हुए कहा..
श्वेता : "अब मैं तुम्हारे पेनिस को हाथ मे लेकर रोज तुम्हारा मास्टरबेट करती हू, इसके मद्देनजर तो तुम मुझसे कुछ भी पूछ या बोल सकते हो ...बताओ क्या बात है ...''उसने अपनी लंबी और पतली उंगलियाँ से नितिन की बॉल्स को सहलाते हुए कहा..
नितिन : " देखो..मुझे भी बात को घुमा फिराकार बोलना अच्छा नहीँ लगता...''उसने एक लंबी साँस ली और एक ही झटके मे बोला : "क्या तुम अपनी ब्रा उतार सकती हो मुझे मास्टरबेट करवाते हुए ..."एक ही साँस मे अपने दिल की बात बोलकर वो साँसे रोककर उसके उत्तर की प्रतीक्षा करने लगा ...श्वेता का दिमाग़ भी एकदम से चकरा गया...दोनो के मन मे काफ़ी आगे निकलने की चाह थी, पर इतना जल्दी भी नही..वो धीरे से बोली : "मुझे पता है...जो हम दोनो कर रहे है ये भी काफ़ी ज़्यादा है हमारे रिश्ते के हिसाब से...पर जो तुम चाहते हो उसके लिए मुझे सोचने का समय चाहिए ...''नितिन खुश था की उसने उस हिसाब से रियेक्ट नही किया जैसा उसने सोचा था..वो सोचेगी, यही बहुत था उसके लिए...
नितिन : "ओके , नो प्राब्लम, तुम सोच लो ...कोई प्रेशर नही है की तुम मेरी ये बात मान ही लो, तुम्हे सही लगे तभी करना...दरअसल.. मैं रोज सोते हुए बस यही सोचता हू की तुम्हारी ब्रेस्ट कैसी लगती होगी..कैसी दिखती होगी..इन्हे फील करने मे कैसा एहसास होगा...''श्वेता भी सोचने लगी...वो आख़िर क्या करेगा मेरी ब्रेस्ट को देखकर...शायद उसे ज़्यादा उत्तेजना मिलेगी..क्या वो उन्हे टच भी करेगा..और ब्रेस्ट को नंगा करने के बाद क्या वो मेरी चूत को भी देखेगा..वो भी तो उसे पूरा नंगा देख पा रही है..और जब वो अपनी चुचिया दिखा सकती है तो चूत को दिखाने मे क्या प्राब्लम है....और नितिन ने कहा की वो उसकी ब्रेस्ट के बारे मे रोज सोते हुए सोचता है...क्या सोचता होगा...उन्हे टच करने के बारे मे ..उन्हे चूसने के बारे मे...
और ये सब बाते सोचते-2 उसकी चूत इतनी बुरी तरह से गीली हो रही थी की उपर से बहता हुआ पानी भी उसकी चूत का गाडापन हल्का नही कर पा रहा था.आख़िर मे उसने सोचा की इसमे कोई बुराई नही है...जो होगा, देखा जाएगा...और बिना कुछ बोले, उसने अपने हाथ पीछे किए और अपनी ब्रा के क्लिप्स खोल दिए..और अपनी ब्रा को निकालकर साईड मे रख दिया.नितिन की आँखे चुधिया गयी उसकी गोलाइयाँ देखकर ...उसपर लगे हुए निप्पल्स को देखकर..नितिन :"ओह्ह्ह्ह्ह ....वाव ....ये बिल्कुल पर्फेक्ट है ....जैसा मैने सोचा था ....ठीक वैसे ही ...''
श्वेता (शरमाते हुए) : "तुम ये इसलिए कह रहे हो ना की मैं कही इन्हे फिर से ना छुपा लू ...''
नितिन : "अरे नही ...मेरा विश्वास करो ..ऐसी ब्रेस्ट मैने कभी नही देखी, मैने नेट पर भी काफ़ी ब्रेस्ट देखी है ...पर इतनी पर्फेक्ट नही...ज़्यादातर लड़कियों की लटकी हुई होती है, किसी के छोटे या फिर किसी के काफ़ी बड़े..जो देखने मे भी अच्छे नही लगते ...और तुम्हारे निप्पल्स ...वाव ..छोटे-2 और गुलाबी रंग के उभरे हुए निप्पल ऐसे लग रहा है जैसे दो हीरे लगा रखे है तुम्हारी ब्रेस्ट पर ...''अपनी ब्रेस्ट के बारे मे इतनी सारी बाते सुनकर वो शर्म से गड़ी जा रही थी ...और साथ ही साथ खुश भी हो रही थी , वो हंसते हुए बोली : "हा हा , लगता है तुमने काफ़ी सोच रखा था मेरी ब्रेस्ट के बारे मे , तभी इन्हे देखकर तुम्हारे मुँह से ये सब निकलता जा रहा है ...''
नितिन : "हाँ , ये बात तो है ...काश मेरे हाथों मे ये पट्टियां नही होती, तो मैं इन्हे छूकर भी देख सकता ..''
श्वेता : "अगर तुम्हारे हाथो मे ये पट्टियां नही होती तो शायद ये सब हो ही नही रहा होता ...''उसकी बात भी सही थी ..फिर तो वो शायद खुद ही नहा रहा होता और खुद ही अपने हाथों से अपने लंड का पानी भी निकाल रहा होता.उसके बाद श्वेता ने उसके लंड को अपने हाथों मे लिया और उसे हिलाने लगी..नितिन की नज़रें उसके हिचकोले खा रहे मुम्मों पर ही थी..उसके खड़े हुए निप्पल्स मे एक अलग तरह की लाली आ चुकी थी ...उसकी गोरी चुचियों पर हल्के हरे रंग की नसें चमकने लगी थी...यानी वो भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी ऐसा करते हुए.
नितिन : "अहह.....आज तो बहुत मज़ा आ रहा है ...''श्वेता के मन मे अचानक एक शरारत आई...वो बोली : "थोड़ा और मज़ा लेना चाहोगे...?"नितिन के लिए तो ये भी बहुत था आज के लिए, और अगर उसकी बहन कुछ और भी देना चाहती है तो वो क्यो मना करेगा...उसने झट से हाँ बोल दिया..श्वेता ने उसकी आँखों मे देखते हुए अपनी दोनो ब्रेस्ट को पकड़ा और नितिन के लंड को उन दोनो के बीच मे फँसा कर उसे टिट फक करने लगी..अपने लंड को मिल रही मुलायम मसाज और श्वेता के मुँह से निकल रही तेज साँसों को अपने पेट पर महसूस करते ही नितिन की हालत खराब होने लगी..उसके लंड पर काफ़ी साबुन लगा हुआ था, इसलिए वो उसके मुम्मों के बीच काफ़ी आसानी से उपर नीचे फिसल रहा था...अपने दोनो निप्पल्स को अपनी उंगलियों से दबाती हुई वो नितिन के लंड को अपनी गहरी घाटियों के बीच फँसा कर उसे उसके जीवन की पहली टिट फकिंग करवा रही थी..अचानक उसने कुछ ऐसा किया जिसकी नितिन को उम्मीद भी नही थी..उसने अपना मुँह थोड़ा सा नीचे किया और नितिन के सुपाड़े को अपने लरजते हुए होंठों के बीच लेजाकर एक जोरदार चुप्पा मारा...और उसके लंड के उपर आ रहा प्रीकम उसने एक ही झटके मे चाट डाला...
नितिन : "अहह.......उफफफफफफ्फ़ ''श्वेता अपने आपको किसी रिमोट से कम नही समझ रही थी..वो अपनी एक-2 हरकत से नितिन के पूरे शरीर को झटके मारने पर मजबूर जो कर रही थी..अब श्वेता ने अपने मुम्मे सिर्फ़ ज़ोर से दबा कर पकड़े हुए थे...बाकी का काम नितिन कर रहा था...अपने लंड से तेज झटके मारकर वो उसके मुम्मे चोदने मे लगा हुआ था.ये सब करते हुए श्वेता सोच रही थी की उसके भाई का लंड कैसा लगेगा जब वो उसकी पुसी को चीरता हुआ अंदर तक जाएगा..उसका मोटा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ जब अपनी जगह बनाएगा तो कैसा महसूस होगा उसको...वो ये सब सोच ही रही थी की नितिन के लंड से पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी...हर एक बूँद को श्वेता ने अपने सीने पर झेल लिया..उसके दोनो पर्वत नितिन की बर्फ से ढक कर सफेदी मे नहा गये..
और अपने सीने पर नितिन के अंगारों को महसूस करते ही वो एकदम से होश मे आई...एक टावाल लेकर वो अपने कमरे की तरफ भागती चली गयी...सिर्फ़ अपनी कच्छी मे.अपने रूम मे पहुँचकर उसने अपनी पेंटी उतार फेंकी, दरवाजा बंद करके वो बिस्तर पर लेट गयी और ज़ोर-2 से अपनी गीली चूत का पानी निकालने लगी...उसकी नज़र अपने ड्रेसिंग टेबल पर पड़े ब्रश पर गयी...जिसका पिछला हिस्सा काफ़ी स्मूथ और गोल सा था, वो उसने उठाया और नितिन के लंड के बारे मे सोचते हुए उसे अंदर बाहर करने लगी...और ऐसा करते हुए वो बस यही सोच रही थी की वो हेयर ब्रश नही , नितिन के लंड को अंदर ले रही है...और अपने भाई के बारे मे सोचते हुए जब वो झड़ी तो ऐसा ऑर्गॅज़म महसूस किया उसने जो आज तक कभी नही किया था...उसने उठ कर देखा तो उसकी पूरी चादर गीली हो चुकी थी..जिसे देखकर उसके होंठों पर एक मीठी मुस्कान तैर गयी.तभी उसका फोन बजने लगा..उसने उठा कर देखा तो केतन था .उसने मुस्कुराते हुए फोन उठाया..
केतन : "डार्लिंग..क्या कर रही हो...''वो भी मस्ती के मूड मे थी, वो बोली : "बस ....अपनी नन्ही दुल्हनिया को अभी-2 शांत किया है...''
केतन : "वाव ..... यार मुझे बुला लिया होता...हमारे हिस्से के काम तुम अपनी उंगलियों से क्यो करवाते हो..''
श्वेता : "उसके लिए टाइम निकालना पड़ता है..समझे ...''
केतन : "उसके लिए ही तो फोन किया है...एक नयी मूवी आई है ..बड़े सेक्सी सीन है उसमे ...चलो ना देखने चलते है, शाम को..''
श्वेता : "आज शाम को तो मुझे अपनी फ्रेंड काव्या से मिलना है, काफ़ी दिन हो गये हैं हम दोनो कही घूमने नही गये..उसके साथ पहले से प्रोग्राम फिक्स है मेरा...''
केतन : "अरे कोई बात नही, उसको भी साथ ले चलते हैं, मैं 3 टिकेट्स बुक करवा लेता हू ..''वो किसी भी तरह अपनी हॉर्नी गर्लफ्रेंड से मिलना चाहता था आज ..श्वेता के सामने कोई और चारा नही था ..उसने हाँ कर दी .और उसके बाद उसने काव्या को फोन करके सब बताया ...
काव्या भी केतन से मिलना चाहती थी ,क्योंकि जब से श्वेता ने अपनी चुदाई के बारे मे उसे बताया था, वो कई बार केतन के नाम की मूठ मार चुकी थी ..मिलने का टाइम फिक्स हो गया और शाम को तीनो एक मल्टिपलेक्स के सामने मिले और अंदर चल दिए..केतन ने टिकट ले ली , मूवी स्टार्ट होने मे अभी थोड़ा टाइम था, इसलिए तीनो एक रेस्टोरेंट मे जाकर बैठ गये..केतन ने सबके लिए बियर ऑर्डर कर दी, श्वेता और केतन तो काफ़ी बार बियर पी चुके थे पर काव्या ने आज तक नही पी थी, पर केतन के सामने वो मना करके कोई सीन नही बनाना चाहती थी, इसलिए जब बियर आई तो उसने भी ग्लास उठा लिया और पी ली, शुरू मे थोड़ी कड़वी लगी पर ठंडी बियर का सरूर जब चड़ने लगा तो उसे भी मज़ा आने लगा, पूरा ग्लास पीने के बाद वो अपने आपको काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी..
 
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Update 53

उसके बाद तीनो मूवी हाल मे पहुँच गये.श्वेता बीच मे बैठी थी, केतन और काव्या उसके दाँये और बाँये बैठ गये ..ज़्यादा लोग नही थे मूवी हाल मे ...और वो लोग तो सबसे पीछे बैठे थे, अपनी लाइन मे सिर्फ़ वो तीन ही बैठे थे ..उनके आगे की चार लाइन तक खाली पड़ी थी ...मूवी शुरू होते ही केतन के हाथ हरकत करने लगे..वो श्वेता की जांघों को सहला रहे थे...उसने शार्ट स्कर्ट पहनी हुई थी , अपनी जांघों पर हाथ लगते ही श्वेता के जिस्म के सारे रोँये खड़े हो गये..बियर का नशा और उपर से अपने प्रेमी के हाथों का मादकता से भरा स्पर्श और वो भी उसके सबसे वीक पॉइंट पर..वो मदहोश सी होने लगी..और केतन के हाथों पर अपना हाथ रखकर उसे सहलाने लगी..केतन के हाथ खिसकते-2 उपर तक आने लगे..उसकी हालत खराब होने लगी..श्वेता ने भी अपना हाथ केतन की जाँघ पर रख दिया और वहाँ सहलाने लगी..उसका हाथ सीधा उसके पेंट मे फँसे हुए लॅंड के उपर जा लगा, जो साईड मे खड़ा होने की जगह ना मिल पाने की वजह से बुरी तरहा फँसा हुआ था..श्वेता ने उसकी जीप खोल दी..और खिसका-2 कर उसके लॅंड को बाहर निकाल लिया ..केतन तो स्वर्ग की सैर करने लगा, जैसे ही श्वेता के नर्म हाथों ने उसके खड़े हुए लॅंड को पकड़ा ..केतन ने बीच का हैंड रेस्ट उपर कर दिया और अब दोनो के बीच कोई बाधा नही थी..बीच का अवरोध हटते ही केतन ने श्वेता को अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों को बुरी तरह से चूसने लगा ...श्वेता का हाथ उसके लॅंड को ज़ोर-2 से मसल रहा था ..और ये सब कारनामा उनके बगल मे बैठी काव्या अपनी आँखे फाड़े देख रही थी ..वो उनकी बेशर्मी से हैरान भी थी, की कैसे वो सिनेमा हॉल मे एक दूसरे को किस्स कर रहे हैं ..तब तक उसने श्वेता का हाथ केतन के लॅंड के उपर नही देखा था ..
अचानक केतन ने किस्स तोड़ी और श्वेता के चेहरे को नीचे की तरफ झुकाते हुए अपनी गोद मे गिरा लिया ..उसका मुँह सीधा उसके खड़े हुए लॅंड के उपर जा लगा और श्वेता ने बिना कोई पल गँवाए उसे अपने मुँह के अंदर ले लिया..अहह्ह्ह्हह ........ की आवाज़ के साथ केतन के हाथ उसकी ज़ुल्फो मे चलने लगे ..कोई और जगह जगह होती तो वो उसे सीधा अपनी गोद मे बिठा लेता और चोद डालता बुरी तरह से ..पर यहा सिनेमा हॉल के लिए इतना भी बहुत था..केतन ने अपना दूसरा हाथ घुमा कर श्वेता के पीछे रख दिया...और वो काव्या से जा टकराया ..काव्या को तो ऐसे लगा की वो झुलस जाएगी... पहले केतन की हरकत देखकर और अब उसके हाथ का स्पर्श पाते ही वो उसकी तरफ झुकने लगी थी ...और अचानक केतन को कुछ गुदाज सा महसूस हुआ अपने हाथों पर ...उसने काव्या की तरफ देखा तो हैरान रह गया..काव्या का लेफ्ट बूब उसके हाथों से टच कर रहा था ...और वो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे उसको कुछ पता ही नहीं है , वो मूवी देखने मे व्यस्त थी (या नाटक कर रही थी ..)केतन जो अब तक श्वेता के नशे मे डूबा हुआ था, एकदम से अपना फोकस काव्या की तरफ करके अपने हाथ की उंगलियों से उसके बूब्स को सहलाने लगा ..काव्या की साँसे तेज होने लगी ..उसके निप्पल खड़े होकर उसकी टी शर्ट से बाहर झाँकने लगे...केतन ने अपनी उंगली थोड़ा और आगे की और उससे काव्या के निप्पल को खुरचने लगा ...काव्या सुलग उठी केतन के इस प्रहार से ... हर लड़की का सबसे सेंसेटिवे पॉइंट होता है निप्पल वाला हिस्सा...उसपर हाथ लगते ही उसने अपने दाँये हाथ से केतन के हाथ को ढक लिया और उसे अपनी ब्रेस्ट से दबा कर भींच दिया ..केतन तो सातवें आसमान पर था, श्वेता उसके लॅंड को चूस रही थी ..और उसकी सहेली अपनी छातियाँ उससे मसलवा रही थी ..
वो अपने हाथों से काव्या के छोटे-2 बूब्स को ज़ोर-2 से मसलने लगा...काव्या की जांघे खुलने लगी ...उसका दूसरा हाथ अपनी चूत की तरफ खिसक गया ..और अपनी गीली पेंटी को ज़ोर-2 से मसलने लगा ..श्वेता भी अपनी चूत को मसल रही थी...केतन का लॅंड चूसते हुए ...अचानक केतन ने काव्या की टी शर्ट को उपर करना शुरू कर दिया ...काव्या ने भी उसका साथ दिया और अपनी टी-शर्ट के साथ-2 ब्रा को भी उपर खिसका कर अपनी नन्ही सी ब्रेस्ट नंगी करके केतन की भूखी आँखों के सामने परोस दी ...केतन का मन तो कर रहा था की अपना मुँह आगे करे और उसके नुकीले निप्पल को मुँह मे लेकर चूस ले ...पर श्वेता के बीच मे होने की वजह से वो पासिबल नही था ...पर फिर भी उन नंगी ब्रेस्ट पर अपने हाथ फिराते हुए वो उन्हे ज़ोर-2 से दबाने लगा ...जिसकी वजह से काव्या अपनी सीट पर झुकती चली गयी और उसका और केतन का चेहरा एक दूसरे के करीब आता चला गया ...और अगले ही पल दोनो एक दूसरे को स्मूच कर रहे थे ...बड़ा ही एरॉटिक सीन था...बीच मे श्वेता थी जो केतन के लंड पर झुकी हुई उसको ब्लो जॉब दे रही थी और उपर केतन और काव्या एक दूसरे को फ्रेंच किस कर रहे थे ..इतना बहुत था केतन के ऑर्गॅज़म के लिए...उसके लंड से धका धक माल बाहर निकलने लगा ..
जिसे श्वेता ने बड़ी ही कुशलता के साथ अपने मुँह के अंदर लेकर निगल लिया ...एक भी बूँद बाहर नही जाने दी ...केतन ने भी अपनी हुंकार भरी काव्या के होंठों के अंदर ...जिसे महसूस करके वो भी समझ गयी की केतन झड़ चुका है ...दोनो ने किस्स तोड़ दी, क्योंकि श्वेता उठने लगी थी ..वो काव्या की तरफ पलटी ..उसके होंठों पर अभी भी सफेद रंग का गाड़ा रस लगा हुआ था केतन का ..और मुस्कुरा दी ..तब तक काव्या पहले से ही अपने कपड़े नीचे कर चुकी थी ..
काव्या : "साली ..तू तो बड़ी डेयरिंग निकली ...मेरे सामने ही शुरू हो गयी ...''
श्वेता भी हंसते हुए बोली : "तुझसे क्या शरमाना मेरी जान ...''और दोनो खिलखिलाकर हंस दी ..श्वेता का चेहरा और बॉल खराब हो चुके थे ..वो उठी और रेस्ट रूम जाने के लिए बाहर निकल गयी ..
उसके जाते ही केतन एकदम से उठा और श्वेता की सीट पर आ बैठा और उसने एक झटके मे काव्या का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और बड़े ही रफ़ तरीके से उसको स्मूच करने लगा...उसके फूल की पंखुड़ी जैसे होंठों को बुरी तरह से मसलने लगा...उनका रस पीने लगा...उसके हाथ खिसककर उसकी त शर्ट के अंदर घुस गये और उसके नन्हे नींबुओं को निचोड़ने लगे ...और फिर केतन ने कुछ ऐसा किया जिसकी काव्या को भी उम्मीद नही थी...केतन ने एक ही झटके मे उसके सिर को पकड़कर अपने लॅंड पर झुकाया और अपना गीला लंड उसके मुँह के अंदर धकेल दिया...उसके अंदर का रस अभी तक रिस रहा था ...और श्वेता ने जिस तरहा से उसका लंड चूसा था उसकी थूक भी पूरी तरह से लिबड़ी पड़ी थी उसके हथियार से ....और झड़ने की वजा से जो ढीलापन उसके लंड मे आया था, काव्या के होंठ उसपर लगते ही वो फिर से अकड़ने लगा और कुछ पल के अंदर ही वो फिर से खड़ा होकर उसके मुँह के अंदर लहलहाने लगा...काव्या को भी मजा आने लगा केतन का काला लंड चूसते हुए और तभी केतन को श्वेता आती हुई दिखाई दी...और लगभग उसी पल श्वेता की नज़रें भी उनकी तरफ उठ गयी...पर उसे काव्या अपनी सीट पर नही दिखाई दी ... इसी बीच केतन ने जल्दबाज़ी मे उसे उपर उठाया और बड़ी ही मुश्किल से अपने लॅंड को उसके मुँह से छुड़वाया ....काव्या को तो बड़ा मज़ा आ रहा था उसका लंड चूसने मे ...पर एकदम से ऐसी हड़बड़ी मे जब केतन ने उसे धक्का देकर पीछे किया तो वो समझ गयी की श्वेता आ रही होगी वापिस ...और अचानक श्वेता को काव्या दिखाई दी....जो अपना सिर केतन की गोद से उपर उठा रही थी ...वो एकही पल मे सब समझ गयी की वहाँ क्या चल रहा था ...उसने तो इस बारे मे सोचा भी नही था की उसकी सहेली उसके बाय्फ्रेंड के साथ वो सब कर सकती है जो वो कुछ देर पहले खुद कर रही थी ..
पर इस बात से उसे कोई प्राब्लम नही थी ...केतन के साथ वो अपनी रिलेशनशीप को सीरियस नही ले रही थी ...वो तो बस अपना टाइम पास कर रही थी ...और ऐसे मे अगर उसकी सहेली भी वो मज़े लेना चाहती है तो इसमे हर्ज ही क्या है ...बल्कि ऐसा करने मे तो उसका भी फायदा है ...और अपने फायदे के बारे में सोचते ही उसकी चूत मे सुरसुरी सी होने लगी ...उसने निश्चय कर लिया की इसके बारे मे वो जल्द ही काव्या से बात करेगी ..वो मुस्कुराती हुई दोनो के पास पहुँची ...उसकी सीट पर केतन अभी तक बैठा हुआ था ...उसने अपना लॅंड अंदर कर लिया था ..पर हड़बड़ी मे अपनी सीट पर वापिस जाना भूल गया ..श्वेता हँसती हुई उसके आगे से निकलती हुई दूसरी तरफ जाकर बैठ गयी ...अब बीच मे केतन था और उसके अगल बगल 2 हसीनाएँ ...श्वेता ने अपना हाथ फिर से केतन के लंड के उपर रख दिया , जो काव्या के चूसने की वजह से अभी तक खड़ा हुआ था
श्वेता : "वाह मेरे शेर .....इतनी जल्दी दोबारा तैयार हो गया आज तो ...क्या बात है ...''इतना कहकर वो अपनी जगह से उठी और केतन के पैरों के बीच मे जाकर बैठ गयी ...सिनेमा हॉल मे घुप्प अंधेरा था ...और उन्हे कोई देखने वाला भी नही था आस पास , सिवाए काव्या के ..जो श्वेता को नीचे बैठे देखकर हैरानी से सोचने लगी की इसको क्या हो गया है एकदम से ..नीचे क्यो बैठ गयी ये ..पर उसके सवालो का जवाब जल्द ही मिल गया उसको...श्वेता ने केतन की पेंट की जीप खोलनी शुरू कर दी ..और उसका बटन खोलकर पूरी तरह से अंडरवीयर समेत उसको नीचे खिसका दिया ...केतन की जींस उसके पैरों मे पड़ी थी ..और गोद मे उसका लंड किसी नाग की तरह फन फेला कर लहरा रहा था ...काव्या की नज़रें उसी तरफ थी ..
केतन चाह कर भी अपनी हॉट गर्लफ्रेंड को मना नही कर रहा था ... ऐसे मौके रोज-2 थोड़े ही मिलते हैं .. उसे सिर्फ़ चिंता थी काव्या की जो अपनी सहेली को ऐसा करते देखकर टकटकी लगाए उन्हे ही देखे जा रही थी ..पर जब श्वेता को कोई प्राब्लम नही थी तो वो क्यो मना करता, वो चुपचाप बैठकर श्वेता का तमाशा देखने लगा ..अब श्वेता ने एक और डेयरिंग दिखाते हुए अपनी टी शर्ट उतार दी और अपनी ब्रा के स्ट्रेप कंधों से नीचे गिरा कर अपने खरबूजे उसके सामने परोस दिए ..केतन को तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नही हुआ ...श्वेता ने कितनी बेशर्मी से अपने उपर के कपड़े उतार दिए थे ... ऐसी बेशरम गर्लफ्रेंड अगर किसी को मिल जाए तो उससे खुशकिस्मत इंसान कोई और हो ही नही सकता ...फिर श्वेता ने अपने मुम्मों को अपने हाथों मे पकड़ा और केतन के लंड को पकड़ कर उसके बीच फँसाया और उसे टिट मसाज देने लगी ..
केतन की गांड अपनी सीट से उपर उठ गयी ...हवा मे ...और वो खुद भी हवा मे महसूस कर रहा था अपने आप को, श्वेता बड़े ही सेक्सी तरीके से उसके लंड को अपने मुम्मों के बीच फँसा कर मज़ा दे रही थी ..पर जगह छोटी होने की वजह से उसका लंड बार-2 फिसल कर बाहर निकल रहा था ..जिसे देखकर श्वेता ने काव्या से कहा : "काव्या, तू जब इतने गौर से ये सब देख ही रही है तो मेरी मदद भी कर दे ...ज़रा केतन के पेनिस को उपर से पकड़ कर रख ...बार -2 फिसल कर निकल रहा है ये ...''काव्या और केतन को अपने कानो पर विश्वास ही नही हुआ ...श्वेता खुद काव्या को अपने बाय्फ्रेंड का लंड पकड़ने के लिए कह रही थी, और कोई मौका होता तो शायद काव्या मना कर भी देती या उसके साथ बहस तो ज़रूर करती ..पर पिछले दस मिनट मे जो उसने और केतन ने किया था , उसके बाद तो ऐसे मौके को हाथ से जाने देना बेवकूफी कहलाता, उसने झट से अपना हाथ आगे किया और उसके लंड के सुपाडे को अपनी पतली उंगलियों मे जकड़ लिया ...उसके ठंडे हाथ का स्पर्श पाते ही केतन एकदम से सिहर उठा ..
ये उसकी जिंदगी का पहला मौका था जब एक साथ दो-दो लड़किया उसके लंड को पकड़ कर खेल रही थी ...वो मन ही मन भगवान को ऐसी गर्लफ्रेंड देने के लिए धन्यवाद देने लगा ..काव्या की उंगलियाँ भी धीरे-2 नीचे खिसक आई और उसने अपनी मुट्ठी मे उसके लंड को पकड़ कर उसकी मुट्ठ मारनी शुरू कर दी ...उसके हाथ श्वेता के नर्म -मुलायम मुम्मों से भी छू रहे थे ...अचानक श्वेता ने अपना मुँह नीचे किया और केतन के सुपाडे को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी ...केतन की तो हालत बुरी होने लगी ..उसका लंड श्वेता के मुम्मों के बीच फँसा हुआ था और साथ ही काव्या ने भी अपनी उंगलियों की पकड़ बनाकर उसे जकड़ा हुआ था और उपर से श्वेता उसके लंड को चूस भी रही थी ...एक साथ 3-3 ट्रीटमेंट मिल रहे थे उसके खुशनसीब लंड को ..श्वेता ने उसके लंड को चूसते -2 अचानक अपना मुँह थोड़ा और खोला और काव्या के हाथ के अंगूठे को भी अपने मुँह के अंदर ले लिया और उसे भी केतन के लंड की तरह चूसने लगी ...श्वेता की गर्म जीभ और तेज दांतो के प्रहार से काव्या की चूत भी सुलग उठी ....उसके मुँह से एक हल्की और लंबी सी सिसकारी निकल गयी ...''अहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... ओह श्वएतााआआअ म्*म्म्ममममम''
श्वेता और काव्या की नज़रें एक पल के लिए मिली और अचानक दोनो के चेहरे एक दूसरे की तरफ बड़ गये और दोनो एक दूसरे को बुरी तरह से स्मूच करने लगे ...केतन अपनी आँखे फाड़े उन्हे अपने पैरों के बीच बैठे हुए एक दूसरे को स्मूच करते हुए देख रहा था ..उसने आज तक ऐसी लेस्बियनशीप सिर्फ़ मूवीस मे ही देखी थी ...पर अपनी आँखो के सामने आज पहली बार ऐसा होता हुआ देखकर उसके लंड की नसों मे और कड़कपन आ गया ...वो अपने हाथों से खुद ही अपने लंड को मसलने लगा ..अब सीन ये था की केतन के सामने दोनो सहेलियाँ बुरी तरह से एक दूसरे को चूस रही थी ...और केतन अपने लंड को अपने हाथ से मसल रहा था ..अचानक उसने अपने खड़े हुए लंड को उन दोनो के होंठों के बीच पहुँचा दिया ..बस यही ग़लती की उसने ..दोनो जंगली बिल्लिया बुरी तरहा से उत्तेजित थी ...उनके होंठों के बीच जैसे ही केतन ने अपना लंड घुसाया, दोनो उसपर भूखे जानवर की तरह टूट पड़ी ...केतन के मुँह से दबी-2 सी चीखे निकलने लगी ..वो दोनो उसके लंड को बुरी तरह से चूस रही थी ...नोच रही थी ...अपनी-२ तरफ खींच रही थी ...और उन्हे इस खेल मे मज़ा भी आ रहा था ...अब तक तीनो समझ चुके थे की आपस मे ऐसे करने से श्वेता को कोई फ़र्क नही पड़ रहा है ...इसलिए अब केतन भी खुलकर काव्या के शरीर पर अपने हाथ चला रहा था ...उसने श्वेता का चेहरा अपने लंड पर झुकाया और उसे अपना लॉलीपॉप चूसने के लिए दे दिया ...और काव्या को उपर की तरफ खींच कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ...काव्या की साँसे पूरी तरह से उखड़ी हुई थी ...उसके मुँह से ढेर सारी लार निकल रही थी ..केतन ने उसके गीले होंठों को चूस्कर उसकी मिठास पूरी तरहा से निगल ली ...और अपने हाथों को नीचे करते हुए उसके नींबू फिर से पकड़ कर उन्हे निचोड़ने लगा ...अब श्वेता की चूत बुरी तरह से भभक रही थी ...उसने उठकर आगे पीछे देखा और एक और डेयरिंग दिखाते हुए अपनी जींस के बटन खोलने शुरू कर दिए ...और एक ही झटके मे अपनी पेंटी और जींस को नीचे खिसका कर पैरों पर गिरा दिया ..केतन और काव्या ने किस्स करना छोड़ दिया और श्वेता की तरफ हैरत से देखने लगे...जैसे उन्हे विश्वास ही नही था की वो सच मे वो करने जा रही है जो वो सोच रहे हैं ..चुदाई .और श्वेता ने निश्चय कर भी लिया था ...उसकी हालत ऐसी हो रही थी की बस किसी भी तरह से लंड उसकी चूत मे घुस जाए ...वो जगह उस काम के लिए उचित और प्रयाप्त नही थी ..पर फिर भी उससे रहा नही जा रहा था ...वो सामने की तरफ मुँह करके घूम गयी और अपनी मोटी गद्देदार गांड को केतन की नज़रों के सामने लहरा दिया ..
उसकी चूत से निकल रही भीनी-2 खुश्बू सूँघकर केतन पागल सा हो गया ..और इससे पहले की श्वेता नीचे बैठकर अपनी चूत मे उसका लंड लेती, केतन ने पागलों की तरह उसकी चौड़ी गांद को अपने हाथों मे पकड़ा और अपना मुँह आगे करते हुए उसकी चूत पर लगा दिया ....श्वेता का पूरा शरीर अगली सीट के उपर जा गिरा ..और केतन जंगलियों की तरहा सड़प-2 करते हुए उसकी चूत का पानी पीने लगा ...और अपनी लम्बी जीभ से उसकी चूत के साथ -२ उसकी गांड के छेद को भी कुरेदने लगा अपने दांतों से वो उसकी गांड में भरी चर्बी को भी चबा रहा था कोई भी पीछे मुड़कर अगर देखता तो उसे श्वेता उपर से नंगी होकर सीट की बेक पर झुकी हुई दिखाई दे जाती...पर इन बातों से उन्हे अब कोई डर नही लग रहा था ...वो तो ये सब ऐसे बेकोफ़ होकर कर रहे थे जैसे उनके अलावा सिनेमा हॉल मे कोई और है ही नही ..श्वेता के चेहरे की मांसपेशियाँ सख़्त हो रही थी ..
इसी बीच काव्या फिर से खिसक कर केतन और श्वेता की टाँगो के बीच आ गयी और उसके लंड को मुँह मे लेकर चूसने लगी ...वो केतन का लंड चूस रही थी ...और केतन श्वेता की रसीली चूत ...और अपनी चूत चुसवाती हुई श्वेता के मुँह से बड़ी ही सेक्सी सिसकारियाँ निकल रही थी ...''अहह सस्स्स्स्सस्स केतन ......एसस्स्स्सस्स .......उम्म्म्ममममममममम ......चाटो मेरी चूत को .......अहह ....सस्सस्स ........ऐसे ही ........''पर इंसान की जीभ एक हद तक ही अंदर जा सकती है ....और अब श्वेता को उसकी जीभ से ज़्यादा कुछ चाहिए था अपने अंदर ....उसका लंड ..पर जैसे ही वो वापिस बैठने लगी उसके लंड के उपर...केतन के लंड ने जवाब दे दिया और वो भरभरा कर दूसरी बार झड़ने लगा .....और इस बार काव्या के मुँह के अंदर ...और काव्या भी बड़ी कुशलता के साथ उसके लंड की एक-2 बूँद निगल गई ...श्वेता की चूत प्यासी ही रह गयी ...उसने अपने नीचे वाले कपड़े उपर किए और अपनी ब्रा और टी शर्ट सही ढंग से पहन कर अपनी सीट पर बैठ गयी ..काव्या ने भी अपने कपड़े सही कर लिए..केतन तो सांतवे आसमान पर था ...उसमे इतनी हिम्मत भी नही थी की अपनी पेंट को उपर करके पहन सके ..अचानक लाइट जल गयी ...मूवी ख़त्म हो चुकी थी ...और केतन नीचे से नंगा होकर बैठा हुआ था ..उसके लटके हुए लंड को देखकर दोनो सहेलियों की हँसी निकल गयी ...केतन ने हड़बड़ते हुए अपनी पेंट को उपर खींचा और पहन लिया ..
और उसके बाद सभी वापिस चल दिए ..केतन के जाने के बाद दोनो सहेलियों ने एक दूसरे की तरफ देखा और अचानक ज़ोर-2 से ठहाका लगाते हुए हँसने लगी ...आखिर आज जो काम उन दोनो सहेलियों ने किया था, वो हर कोई तो कर ही नही सकता ना .
 

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