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Update 56
वो तो अच्छा हुआ की रश्मि की शादी समीर से हो गयी ..और वो लोग वहां से निकल आए ...वरना उसकी गंदी नज़रों का सामना करते हुए तो रश्मि तंग आ चुकी थी ..पर बेचारी रश्मि को ये बात कहाँ मालूम थी की वो हरामी किस्म का लड़का उसे तो क्या , मोहल्ले की हर औरत और लड़कियों को देखकर अपने लंड को मसलता है ... और ख़ासकर उसकी बेटी काव्या को देखकर, जिसके बारे मे सोचकर वो हर रात मूठ मारा करता था .रश्मि हैरान थी की समीर को विक्की के बारे मे कैसे पता, वो कैसे जानता है उसको ..
रश्मि : "पर आप क्यो पूछ रहे हैं ...उसके बारे मे ..आप तो उसको जानते भी नहीं । ''
समीर : "देखो ....कल रात को...काव्या ने मुझे उस लड़के के बारे मे बताया ...''रश्मि का तो सिर घूम गया वो बात सुनकर... भला उसकी बेटी का उस लफंगे से क्या वास्ता ...वो क्यो लेने लगी उसका नाम समीर के सामने ..समीर आगे बोला : "वो दरअसल ...उस लड़के के साथ उसकी दोस्ती हो गयी थी शायद .... और दोनो एक दूसरे को पसंद भी करने लगे हैं ...''इस बात को सुनकर तो रश्मि के सिर पर जैसे कोई पहाड़ सा टूट पड़ा ... ऐसा कैसे हो सकता है ... काव्या भला उस लड़के को क्यो पसंद करने लगी .. कहाँ उसकी राजकुमारी जैसी सुंदर काव्या और कहाँ वो गली का आवारा कुत्ता विक्की ...उसकी तो समझ मे कुछ नही आ रहा था ... उसका सिर चकराने लगा...वो धम्म से वहीं कुर्सी पर बैठ गयी ..समीर भागकर उसके पास आया ...उसे पानी दिया और उसके पास बैठकर रश्मि के हाथ को अपने हाथ मे ले लिया और बोला : "मुझे पता है की तुम्हे कैसा फील हो रहा होगा इस वक़्त ..वो बच्ची है अभी ..उसको दुनिया की कोई समझ नही है ...तभी शायद वो उस लड़के की बातों मे आ गयी है ...''
रश्मि एक दम से फट पड़ी : "वो लड़का एक नंबर का हरामी है ....हमारे मोहल्ले की हर औरत को छेड़ता था ...उसकी गंदी नज़रों को मैं भी आज तक भूली नही हू .... .. उसने मेरी बेटी को ... कैसे ...... मैं छोड़ूँगी नही उस कमीने को ...आज ही मैं उसके घर जाकर …… ''समीर बीच मे ही बोल पड़ा : "नही ...तुम ऐसा कुछ नही करोगी ...ऐसा करने मे हमारी बेटी की कितनी बदनामी होगी वो तुम शायद नही जानती ... और तुम काव्या से भी कोई बात नही करोगी इस बारे मे ...उसने मुझपर भरोसा करके ये बात बताई है मुझे ...वो शायद तुम्हे नही बताना चाहती थी ये बात, पर मुझे बताकर उसने एक नये रिश्ते की शुरूवात की है मेरे साथ, और तुम ऐसा कोई काम नही करोगी जिसकी वजह से वो कभी भी मुझपर भरोसा करके कोई बात ना कर सके ...समझी ..''समीर ने लगभग डाँटते हुए उसे ये बात कही थी .
रश्मि की रुलाई फुट गयी ... वो बिलख-2 कर रोने लगी : "मैने अपनी बेटी को दुनिया की हर बुरी नज़र से बचा कर रखा ...पर आख़िर उसपर दुनिया की बुरी नज़र पड़ ही गयी ... पता नही उस कमीने ने उसके साथ क्या-2 किया होगा ..''
समीर : "उसने मुझे सब बताया है..ऐसा कुछ नही हुआ है दोनो के बीच ...पर अगर हमने अभी कोई कदम नही उठाया तो ज़रूर हो जाएगा ...क्योंकि उस लड़के ने काव्या को लवर पॉइंट पर बुलाया है संडे को ..और यही बात सोच-सोचकर काव्या भी परेशान है ... हमारे पास सिर्फ़ 3 दिन का समय है ...इस बीच हमे कुछ करना होगा ताकि काव्या के सिर से उस लड़के का भूत उतर जाए...''रश्मि भी अब संभाल चुकी थी ...उसे समीर की बातों मे समझदारी दिखाई दे रही थी ... जो भी करना होगा, सोच समझ कर ही करना होगा.. रश्मि ने एकदम से कुछ सोचा और अगले ही पल बोली : "मैं जाकर मिलूंगी उस लड़के से ...और उसे समझाने की कोशिश करूँगी ..''समीर उसकी बात सुनकर कुछ देर चुप रहा और बोला : "हाँ ....शायद ये ठीक रहेगा ...तुम उस लड़के को समझाओ ...और मैं काव्या को समझाने की कोशिश करता हू ..''
वो ये बात कर ही रहे थे की काव्या अपने कपड़े पहनकर नीचे उतर आई और बोली : "मुझे क्या समझाना है पापा ...''उसने बड़े ही भोलेपन से समीर की आँखों मे देखते हुए कहा .रश्मि अपने आँसू पोछते हुए जल्दी से बाथरूम की तरफ चली गयी.
समीर : "अरे तुम आ गयी .... कुछ नही समझाना ...बस मैं तुम्हारी माँ से कह रहा था की तुम्हे शॉपिंग पर लेकर जाना है मुझे आज ...तो वो मना करने लगी की तुम शायद नही चलोगी ...बस वही कह रहा था की मैं समझा दूँगा तुम्हे ..''शॉपिंग का नाम सुनते ही काव्या की आँखों मे चमक सी आ गयी, वो समझ गयी की समीर किस शॉपिंग की बात कर रहा है .समीर के साथ ब्रा-पेंटी की शॉपिंग के बारे मे सोचते ही उसकी चूत गीली हो उठी और उसमे से सोंधी सी खुश्बू निकलकर पूरे कमरे मे फैल गई.
काव्या : "मैं भला क्यो मना करने लगी ....आज ही शाम को चलेंगे शॉपिंग करने ...मैं कॉलेज से सीधा आपके ऑफीस आ जाउंगी ...ओके ..''तब तक रश्मि भी आ गयी ...उसने काव्या की बात सुन ली थी ..वो बिना कुछ बोले किचन मे चली गयी...उसे अंदर ही अंदर काव्या पर गुस्सा जो आ रहा था...कैसी नासमझ है उसकी बेटी जो विक्की जैसे लुच्चे के चुंगल मे फँस गयी है ...समीर और काव्या किस शॉपिंग के बारे मे बात कर रहे थे, वो बेचारी कुछ भी नही जानती थी ..उसके दिमाग़ मे तो बस ये बात घूम रही थी की कैसे वो विक्की को समझाएगी ...दिन के समय तो पता नही वो कहाँ मिलेगा...शायद वो भी स्कूल या कॉलेज जाता हो...रश्मि ने तो हमेशा उसे सुबह और शाम के वक़्त चौराहे पर ही खड़ा हुआ देखा था, अपने आवारा दोस्तों के साथ ...सुबह का समय तो निकल ही चुका था अब ...उसने सोच लिया की शाम को वो ज़रूर जाएगी ..समीर और काव्या भी शॉपिंग के लिए जा रहे हैं ...अच्छी बात है, काव्या को कोई जवाब नही देना पड़ेगा की वो कहाँ गयी थी ..उसने ये बात समीर को भी बोल दी की शाम को वो उस लड़के से मिलकर उसे समझाने की कोशिश करेगी ...और तुम शॉपिंग के वक़्त काव्या को समझाने की कोशिश करना ...यही एक तरीका समझ आ रहा था उन दोनो को..और वो दोनो ये नही जानते थे की जिस बात को सोचकर वो दोनो इतने परेशान हो रहे हैं, ऐसा कुछ है ही नही...काव्या ने तो बस अपनी झूटी कहानी सुनाकर समीर के मन मे जगह बनानी चाही थी ..वो शायद नही जानती थी की उसका झूठ कितनी बड़ी मुसीबत लाने वाला है.
समीर और काव्या के जाने के बाद रश्मि बड़ी ही बेचैनी से अपने कमरे मे बैठी हुई वही सब सोच रही थी ...अचानक उसे कुछ याद आया .... उसने झट से अपना मोबाइल उठाया और अपनी पुरानी सहेली रीना का नंबर मिलाया, रीना उसके घर के पास ही रहती थी..अभी भी वो वहीं रहती है और दोनो मे अक्सर बातें भी होती रहती है..
वो अपने घर पर ही थी..थोड़ी देर इधर -उधर की बातें होने के के बाद रश्मि बोली : "अच्छा सुन , वो लड़का याद है , विक्की, को अपनी गली मे ही रहता था, कोने वाले घर मे ...वो लोग अभी वहीं रहते हैं क्या ..''
विक्की का नाम सुनते ही रीना आग बाबूला हो उठी : "नाम ना ले उस कमीने का ...सभी का जीना दुश्वार कर रखा है उसने ...तुझे तो पता है, उसकी माँ है नही, घर मे उसका शराबी बाप है,वो उसे कुछ कहता नही है..हर समय चौराहे पर अपने यार दोसों के साथ खड़ा होकर हर आने-जाने वाली औरतों और लड़कियों को छेड़ता रहता है ..लड़कियों की तो समझ आती है, पर हमारे जैसी औरतों मे क्या दिखता है उसको ... मेरी बेटी को भी छेड़ता है कमीना ..और जब मैं निकलती हू तो मुझे भी ..जीना दूभर करके रखा हुआ है ..सुबह शाम वहीं बैठा रहता है..दोपहर मे उसका कॉलेज होता है, वरना इस टाइम भी वहीं मिलता ...साला हरामजादा ...''रीना ने जी भरकर विक्की को गालियाँ दी ..फिर बोली : "पर तू क्यो पूछ रही है उसके बारे मे ...''रश्मि : "वो बस ऐसे ही ...अच्छा सुन, अभी मैं रखती हूँ , लंच की तैयारी करनी है ..''
उसने जल्दी से फोन रख दिया....उसे पता तो चल गया था की विक्की कॉलेज जाता है और शाम को ही मिल सकेगा..उसने तो पहले से ही सोचकर रखा था की आज किसी भी हालत मे वो उससे जाकर मिलेगी..फिर वो अपने दूसरे कामों मे व्यस्त हो गयी..शाम कब हो गयी उसको भी पता नही चला..समीर अपने ऑफिस में कुछ काम कर रहा था की रिसेप्शन से फोन आया इंटरकम पर : "सर ...आपकी बेटी आई है ..''समीर : "तो इसमे पूछने वाली क्या बात है ईडियट, अंदर भेजो उसको...''रिसेप्शनिस्ट सहम गयी...वो बेचारी तो अपना काम कर रही थी..उसने काव्या को अंदर भेज दिया..काव्य ने वही सुबह वाली जींस और येल्लो कलर का टॉप पहना हुआ था , वो उसमे बड़ी सेक्सी लग रही थी कुछ देर तक बैठने के बाद वो दोनो मॉल की तरफ चल दिए..जिसके बारे में समीर ने पहले से ही सोच रखा था शाम के 6 बज रहे थे ... घर पर बैठी रश्मि भी तैयार होकर विक्की से मिलने के लिए चल पड़ी.रश्मि का दिल जोरो से धड़क रहा था...वो मन ही मन सोचती जा रही थी की कैसे बात करेगी वो विक्की से...जाते ही उसको डांटेगी ...या थप्पड़ मारेगी...या फिर उसके बाप से उसकी शिकायत करेगी...पर पता भी तो चले की आख़िर मामला कहाँ तक पहुँचा है...उसने निश्चय कर लिया की पहले आराम से ही बात करेगी...अगर नही माना तो फिर पुलिस की धमकी या फिर कुछ और करेगी.अंधेरा होने को था ..वो अपने पुराने मोहल्ले के बाहर ही उतर गयी..थोड़ी दूर ही था वो चोराहा ,जहाँ वो लुच्चा अपने यार-दोस्तों के साथ खड़ा होता था..
रश्मि को दूर से ही उन लोगो का ग्रूप दिखाई दे गया...हमेशा कि तरह आने-जाने वाली हर औरत को घूर कर गंदी-2 फब्तियाँ कस रहे थे..एक दूसरे के हाथ पर ताली मार रहे थे...हंस रहे थे..वो धीरे-2 चलती हुई वहाँ पहुँची..और उसकी नज़रें विक्की को तलाशने लगी...सभी लड़के उसको यूँ खड़ा होकर किसी को ढूंढता हुआ देखकर हैरान थे..…रश्मि ने सभी के चेहरे देख लिए पर उसमे विक्की कहीं नही था..ज़्यादातर लड़के उसकी गली के ही थे..जो उसकी आँखों के सामने बड़े हुए थे..और अब देखो ज़रा,बेशर्मो की तरह सभी के हाथ मे सिगरेट है..और चेहरे पर कमीनापन.एक लड़के सूरज ने उसको फट से पहचान लिया..वो बोला : "अरे ...रश्मि आंटी ... आप ..आज यहाँ कैसे ..?''उसने झट से अपने हाथ मे पकड़ी हुई सिगरेट फेंक दी.दूसरे लड़के शायद उसको पहचान नही सके थे..वो उसके कान के पास जाकर फुसफुसाए : "बे कौन है ये माल भाई...हमे भी तो बता दे..''
सूरज उनकी तरफ मुड़ा और बोला : "अरे भूल गया...ये वो पीले वाले मकान मे रहती थी ना..अरे यार...वो ..काव्या की मम्मी ....''
काव्या का नाम सुनते ही सभी को याद आ गया की वो कौन है...रश्मि के तो तन बदन मे आग सी लग गयी, उन लफंगो के मुँह से अपनी बेटी का नाम सुनकर.वो भड़कती हुई सी बोली : "शरम नही आती तुम लोगो को...ऐसे यहाँ खड़े होकर बदतमीज़ी करते हुए...''
सूरज तपाक से बोला : "अरे आंटी...आप तो ऐसे बोल रे हो जैसे हम यहाँ पहली बार खड़े हैं..हम तो रोज ही यही खड़े होते हैं..अब इसके लिए भी आपकी परमिशन लेनी पड़ेगी क्या ..हा हा हा..''और वो अपने दोस्तों के हाथ पर ताली मारकर ज़ोर से हंसा.
रश्मि को गुस्सा तो बहुत आया..पर वो कुछ ना बोल पाई..
रश्मि : "वो...वो विक्की कहाँ है ..''रश्मि के मुँह से विक्की का नाम सुनते ही सारे यार दोस्त एक दूसरे का चेहरा ताकने लगे...उनमे ख़ुसर फुसर शुरू हो गयी...एक दूसरे से पूछने लगे की विक्की ने ये माल कब फँसाया..रश्मि भी उनकी बातें सुन पा रही थी..पर दाँत पीसकर रह गयी.वो एकदम से भड़क कर बोली : "मैने पूछा विक्की कहाँ है..''तभी पीछे से आवाज़ आई : "तुमने पुकारा और हम चले आए...दिल हथेली पर ले आए रे....हे .....''और विक्की किसी फिल्मी स्टाइल मे रश्मि के पीछे से प्रकट हुआ..उसके हाथ मे लाल रंग की सिगरेट की डिब्बी थी..जिसे वो दिल की तरह रश्मि के सामने पेश कर रहा था.
रश्मि ने उसके चेहरे को देखा तो उसका गुस्सा सांतवे आसमान पर जा पहुँचा...पर तभी उसके अंदर से आवाज़ आई की जैसा वो सोच कर आई थी उसके अनुसार ही चलना चाहिए..उसने अपनी आँखे बंद की और थोड़ा शांत हुई..तब तक विक्की बोला : "नमस्ते आंटी ...क्या बात है..आप इतने दिनों के बाद आई यहाँ...हम लोगो को तो भूल ही गयी..आप लोगो के चले जाने के बाद ये मोहल्ला इतना वीरान सा हो गया है''
उसका इशारा काव्या की तरफ भी था.
विक्की की बात सुनकर सभी दोस्त फिर से हँसने लगे.
रश्मि : "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है....अकेले में ..''सूरज ये सुनते ही बोल पड़ा : "वाह गुरु.....सही है...''
विक्की ने उसको घूर कर देखा...वो एकदम से चुप हो गया.विक्की भी सोचने लगा की ये अचानक रश्मि आंटी उससे क्या बात करने के लिए आई है...वो कुछ ना बोला और उनके साथ एक कोने की तरफ चल दिया.दोनों पास ही बने एक पार्क के बहार एक पेड़ के नीचे जाकर खड़े हो गए एकांत मिलते ही रश्मि ने उसके उपर सवालों की बौछार कर दी : "तुम्हारा और काव्या का क्या चक्कर चल रहा है...कब से चल रहा है ये सब ...तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई उस छोटी सी बच्ची को अपने जाल मे फँसाने की ...मकसद क्या है तुम्हारा ...किस हद तक जा चुके हो तुम दोनो ??"विक्की अपनी फटी हुई आँखों से उसकी बातें सुनता रहा और सोचने की कोशिश करने लगा की आख़िर ये माजरा क्या है...वो सोचने लगा की रश्मि ऐसा क्यो बोल रही है..उसने तो आज तक काव्या को देखने और एक दो बार छेड़ने के अलावा कुछ किया भी नही था...और जब से ये लोग यहाँ से गये हैं, उसने तो काव्या को देखा भी नही ..पर वो ऐसा कुछ बोल रही है इसका मतलब कोई गड़बड़ ज़रूर है...शायद इन्हे कोई ग़लतफहमी हुई है...पर अगर ग़लतफहमी हुई है तो वो काव्या से पूछ कर अपनी ग़लतफहमी दूर कर सकती थी..पर वो सीधा उसके पास आई है..यानी काव्या को पता नही है..
उसका शैतानी दिमाग़ तेज़ी से चलने लगा..उसे वो बात भी याद आ गयी जब काव्या उसको आख़िरी बार मिली थी और उसने कहा था की वो जा रही है यहाँ की गंदगी से दूर जहाँ उसके जैसे कुत्ते ना हो..अपनी वो बेइजत्ती याद आते ही विक्की की झांटे सुलग उठी..उसने मन ही मन सोच लिया की अब वो दिखाएगा की ये कुत्ता किस हद तक जा सकता है ...वो एकदम से गरजकर बोला : "साली...मुझपर क्यो चीख रही है....अपनी बेटी से जाकर पूछ ..वो ही बताएगी की हम किस हद तक जा चुके हैं ...''उसके मुँह से अपने लिए गाली सुनकर रश्मि एकदम से सहम गयी...उसने तो इसके बारे मे सोचा भी नही था की अगर विक्की इस तरह से चोडा हो गया तो वो क्या करेगी..वो उसकी बेटी के बारे मे ऐसे बोल रहा है यानी ज़रूर कुछ ना कुछ बात है..
विक्की : "सोच क्या रही हो आंटी...आपको शायद पता नही है..मेरे ऊपर अँधा विश्वास करती है तेरी बेटी...अगर मैं रात के 2 बजे उसको मिलने के लिए बुलाऊ ना, नंगे पैर भागी चली आएगी...और मैं जो कह दू ना, वो बिना सोचे समझे कर देगी...''इतना सुनते ही रश्मि का गुस्सा फिर से फुट पड़ा, उसने एक झनझनाता हुआ सा थप्पड़ विक्की के गाल पर दे मारा..विक्की की आँखो के सामने तारे दिखाई देने लगे...पर वो थप्पड़ तो आने वाले मज़े की शुरूवात थी..इसलिए वो कुछ ना बोला और मक्कारों की तरह हँसने लगा.
रश्मि : "तुम्हारी जुर्रत कैसे हुई मेरी बेटी को फुसलाने की...वो तुम्हारे चुंगल मे कैसे फंसी , ये तो मैं नही जानती, पर आज के बाद तुमसे वो नही मिलेगी, इसका मैं भरोसा दिलाती हू तुझे...कमीने..तू मेरी बेटी से दूर ही रह, यही तेरे लिए बेहतर है..वरना मैं पुलिस मे रिपोर्ट करवा कर तुझे अंदर करवा दूँगी..समझा..''
विक्की : "ये पुलिस की धमकी मुझे मत दो आंटी...अगर मैं अपनी औकात पर उतर आया ना तो तेरी और तेरी बेटी की जिंदगी पूरी तरह से बर्बाद कर दूँगा...तेरे नये पति को तेरे बारे मे ऐसी -2 बातें बोल दूँगा की वो तुझे अपने घर से निकाल कर बाहर करेगा..और फिर तू घूमती रहना अपनी बेटी के साथ सड़कों पर..और तेरी बेटी की कुछ तस्वीरें है मेरे पास, जिनके बारे मे वो खुद भी नही जानती, अगर तूने ऐसी कोई हरकत की तो उन सभी पिक्चर्स को नेट पर डलवा कर तेरी बेटी की ऐसी बदनामी करवाऊंगा की तू जीते जी मर जाएगी..''उसकी ये बात सुनते ही रश्मि के पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी...जिस बात का डर था वही हुआ..उस कमीने के पास काव्या की कुछ आपत्तिजनक पिक्चर्स है..हे भगवान , ये क्या अनर्थ कर दिया काव्या ने, ऐसी नासमझी की उम्मीद नही थी उसको काव्या से..पर वो बेचारी नही जानती थी की ये सब विक्की की एक चाल थी...ना तो उसका काव्या के साथ कोई ताल्लुक था और ना ही उसके पास उसकी कोई आपत्तिजनक फोटो थी..वो तो बस अंधेरे मे तीर मार रहा था, अगर तीर निशाने पर लगा तो उसके तो वारे न्यारे हो जाने थे..वो गौर से रश्मि के चेहरे पर आ-जा रहे भाव को देख रहा था.
कुछ देर सोचने के बाद रश्मि बोली : "तुम आख़िर चाहते क्या हो...''
विक्की : "ये उमर ही ऐसी होती है आंटी...इसमे तो सिर्फ़ एक ही चीज़ को चाहा जाता है...''और उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपने होंठों पर अपनी जीभ फेरी और उसे पूरी तरह गीला करके चमका दिया.रश्मि गुस्से से भभक रही थी....उसकी नसों का खून उबल कर बाहर आने को था...पर वो कुछ ऐसा वैसा करके बात को बिगाड़ना नही चाहती थी..रश्मि समझ गयी की वो अपनी औकात पर उतार आया है...अभी शायद बात उस हद तक नही पहुँची है जितना वो सोच रही है..पर जिस तरह से विक्की का हौसला है,वो समझ रही थी की बात वहाँ तक पहुँचने मे भी टाइम नही लगेगा..
रश्मि : "तुम काव्या से दूर हो जाओ...और मुझे वो फोटोज भी दे दो , इसके लिए मैं तुम्हे मुँह माँगी कीमत देने के लिए तैयार हू..''अब तो विक्की को पूरा विश्वास हो गया की उसका तीर निशाने पर लगा है...क्योंकि सिर्फ़ उसकी बात मानकर ही रश्मि उसे पैसे देने के लिए तैयार हो गयी है...उसने मन मे ठान लिया की अब रश्मि की इस मजबूरी का फायदा वो ज़रूर उठाएगा..उसने हिम्मत दिखाते हुए कहा : "आंटी जी...हर चीज़ की कीमत सिर्फ़ पैसों से नही तोली जाती...''और इतना कहते-2 उसने अपना दाँया हाथ सीधा उसके बाँये मुम्मे के उपर रखकर ज़ोर से दबा दिया.
रश्मि को एक पल के लिए तो समझ नही आया की ये हुआ क्या है...उसने तो विक्की से ऐसी हरकत की कोई उम्मीद भी नही की थी ..और जब तक वो रिएक्ट कर पाती, विक्की ने उसके मुम्मे को बुरी तरहा मसल कर उसके निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच फँसा कर ज़ोर से निचोड़ दिया था..वो दर्द के मारे चिहुंक उठी..और उसने एक तेज धक्का देकर विक्की को दूर किया ..और ज़ोर से चिल्लाई : "ये क्या बदतंमीजी है...तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ये सब करने की...''विक्की बेशर्मों की तरह हंसता हुआ बोला : "अरे आंटी ...आप तो नाराज़ हो गयी...ये तो बस मेरी बचपन से तमन्ना थी की किसी दिन आपके मुम्मो को ऐसे पकड़ कर दबा दू ..आज आप इतने पास खड़ी हो तो मुझसे सब्र नही हुआ...इसलिए कर डाला...वैसे एक बात बोलू,आप ऐसी हालत मे नही है की मुझे किसी भी बात के लिए मना कर सको...वरना इसका अंजाम तो आप जानती ही हो...''उसकी धमकी भरी बात सुनकर वो सहम गयी...एक पल के लिए अपनी बेइजत्ती और दर्द भूल कर वो चुपचाप खड़ी हो गयी और अपनी नज़रें नीचे झुका ली.
विक्की : "हाँ ...ये सही है...ऐसे ही रहा करो मेरे सामने, आगे से अगर तुमने मुझसे उँची आवाज़ मे बोली या मुझे आँखे दिखाई तो ये तेरी बेटी के लिए अच्छा नही होगा...''रश्मि कुछ ना बोली...उसने हाँ मे सिर हिला दिया.
रश्मि : "देखो विक्की....तुम्हारे मन मे जो भी है...वो मुझे बता दो...आख़िर क्या चाहते हो तुम मेरी बेटी से..''
विक्की : "उसकी कुँवारी चूत मे अपना लंड डालना चाहता हू...सुन लिया...अब खुश है..''
विक्की के मुँह से एकदम से ऐसी बेशर्मी भरी बात सुनकर रश्मि अवाक सी होकर उसे देखती रह गयी...उसकी खुली आँखो के सामने एकदम से पिक्चर सी चलने लगी..जिसमे विक्की और काव्या पूरे नंगे होकर एक दूसरे को चूमने मे लगे हुए थे...और जब चुदाई की बारी आई तो काव्या के मना करने के बावजूद उसने उसकी छोटी सी चूत मे अपना मोटा लंड एक ही झटके मे पेल दिया...उसकी फूल सी बेटी की चूत मे से खून का फव्वारा निकल पड़ा...वो दर्द से छटपटाने लगी...चिल्लाने लगी..पर वो दरिंदे की तरह काव्या की चुदाई करता रहा...और फिर काव्या भी उसका साथ देने लगी...फिर ऐसा रोज होने लगा और धीरे-2 वो उसकी पर्सनल रंडी बनकर रह गयी..और ये विचार आते ही वो एकदम से चीख पड़ी...और विक्की के पैरों मे गिरकर रोने लगी : "नहियीईईईईईईईईई......ऐसा मत करना....प्लीस...विक्की, मेरी बेटी की इज़्ज़त बक्श दो...मैं तुम्हारे पैर पड़ती हू.....''
वो उसके पैरों से किसी बेल की तरह लिपट गयी...उसके मोटे-2 मुम्मे जब विक्की को अपनी टाँगो पर महसूस हुए तो उसके आनंद की कोई सीमा ही नही रही...वो अपने घुटनो को उसके उरोजों पर रगड़ने लगा...और ऐसा करते-2 उसका लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया.
विक्की : "चुप हो जाओ आंटी...आप ऐसा क्यो सोच रहे हो..मैं आपको या काव्या को कोई तकलीफ़ नही देना चाहता...चुप हो जाओ...''रश्मि ने रोना बंद कर दिया...उसने रोते-2 जब विक्की के चेहरे की तरफ देखा तो बीच मे उसके खड़े हुए लंड को देखकर उसके तो होश ही उड़ गये...इतने लंबे लंड की तो उसने कल्पना भी नही की थी ...उसने तो सोचा भी नही था की 20 साल के लड़के का लंड इतना लंबा भी हो सकता है...वो मंत्रमुग्ध सी होकर उसके खड़े हुए लंड को निहारने लगी...वो शायद भूल गयी थी की वो वहाँ किसलिए आई थी...विक्की ने रश्मि के कंधों को पकड़ा और अपने शरीर से चिपकाता हुआ उसे उपर की तरफ खड़ा करने लगा...ऐसा करते हुए रश्मि के चेहरे के बिल्कुल करीब से होकर निकला था विक्की का खड़ा हुआ लंड ..और फिर उसके लकड़ी जैसे लंड से रग़ड़ ख़ाता हुआ उसका गदराया बदन जब उपर तक आया तो वो लकड़ी अपने पूरे आकार मे आ चुकी थी..और ना चाहते हुए भी रश्मि की चूत मे गीलापन आने लगा था.. रश्मि के हर अंग को अपने लंड से टच करवाकर उसे अपने से सटा कर खड़ा कर लिया था विक्की ने.
वो तो अच्छा हुआ की रश्मि की शादी समीर से हो गयी ..और वो लोग वहां से निकल आए ...वरना उसकी गंदी नज़रों का सामना करते हुए तो रश्मि तंग आ चुकी थी ..पर बेचारी रश्मि को ये बात कहाँ मालूम थी की वो हरामी किस्म का लड़का उसे तो क्या , मोहल्ले की हर औरत और लड़कियों को देखकर अपने लंड को मसलता है ... और ख़ासकर उसकी बेटी काव्या को देखकर, जिसके बारे मे सोचकर वो हर रात मूठ मारा करता था .रश्मि हैरान थी की समीर को विक्की के बारे मे कैसे पता, वो कैसे जानता है उसको ..
रश्मि : "पर आप क्यो पूछ रहे हैं ...उसके बारे मे ..आप तो उसको जानते भी नहीं । ''
समीर : "देखो ....कल रात को...काव्या ने मुझे उस लड़के के बारे मे बताया ...''रश्मि का तो सिर घूम गया वो बात सुनकर... भला उसकी बेटी का उस लफंगे से क्या वास्ता ...वो क्यो लेने लगी उसका नाम समीर के सामने ..समीर आगे बोला : "वो दरअसल ...उस लड़के के साथ उसकी दोस्ती हो गयी थी शायद .... और दोनो एक दूसरे को पसंद भी करने लगे हैं ...''इस बात को सुनकर तो रश्मि के सिर पर जैसे कोई पहाड़ सा टूट पड़ा ... ऐसा कैसे हो सकता है ... काव्या भला उस लड़के को क्यो पसंद करने लगी .. कहाँ उसकी राजकुमारी जैसी सुंदर काव्या और कहाँ वो गली का आवारा कुत्ता विक्की ...उसकी तो समझ मे कुछ नही आ रहा था ... उसका सिर चकराने लगा...वो धम्म से वहीं कुर्सी पर बैठ गयी ..समीर भागकर उसके पास आया ...उसे पानी दिया और उसके पास बैठकर रश्मि के हाथ को अपने हाथ मे ले लिया और बोला : "मुझे पता है की तुम्हे कैसा फील हो रहा होगा इस वक़्त ..वो बच्ची है अभी ..उसको दुनिया की कोई समझ नही है ...तभी शायद वो उस लड़के की बातों मे आ गयी है ...''
रश्मि एक दम से फट पड़ी : "वो लड़का एक नंबर का हरामी है ....हमारे मोहल्ले की हर औरत को छेड़ता था ...उसकी गंदी नज़रों को मैं भी आज तक भूली नही हू .... .. उसने मेरी बेटी को ... कैसे ...... मैं छोड़ूँगी नही उस कमीने को ...आज ही मैं उसके घर जाकर …… ''समीर बीच मे ही बोल पड़ा : "नही ...तुम ऐसा कुछ नही करोगी ...ऐसा करने मे हमारी बेटी की कितनी बदनामी होगी वो तुम शायद नही जानती ... और तुम काव्या से भी कोई बात नही करोगी इस बारे मे ...उसने मुझपर भरोसा करके ये बात बताई है मुझे ...वो शायद तुम्हे नही बताना चाहती थी ये बात, पर मुझे बताकर उसने एक नये रिश्ते की शुरूवात की है मेरे साथ, और तुम ऐसा कोई काम नही करोगी जिसकी वजह से वो कभी भी मुझपर भरोसा करके कोई बात ना कर सके ...समझी ..''समीर ने लगभग डाँटते हुए उसे ये बात कही थी .
रश्मि की रुलाई फुट गयी ... वो बिलख-2 कर रोने लगी : "मैने अपनी बेटी को दुनिया की हर बुरी नज़र से बचा कर रखा ...पर आख़िर उसपर दुनिया की बुरी नज़र पड़ ही गयी ... पता नही उस कमीने ने उसके साथ क्या-2 किया होगा ..''
समीर : "उसने मुझे सब बताया है..ऐसा कुछ नही हुआ है दोनो के बीच ...पर अगर हमने अभी कोई कदम नही उठाया तो ज़रूर हो जाएगा ...क्योंकि उस लड़के ने काव्या को लवर पॉइंट पर बुलाया है संडे को ..और यही बात सोच-सोचकर काव्या भी परेशान है ... हमारे पास सिर्फ़ 3 दिन का समय है ...इस बीच हमे कुछ करना होगा ताकि काव्या के सिर से उस लड़के का भूत उतर जाए...''रश्मि भी अब संभाल चुकी थी ...उसे समीर की बातों मे समझदारी दिखाई दे रही थी ... जो भी करना होगा, सोच समझ कर ही करना होगा.. रश्मि ने एकदम से कुछ सोचा और अगले ही पल बोली : "मैं जाकर मिलूंगी उस लड़के से ...और उसे समझाने की कोशिश करूँगी ..''समीर उसकी बात सुनकर कुछ देर चुप रहा और बोला : "हाँ ....शायद ये ठीक रहेगा ...तुम उस लड़के को समझाओ ...और मैं काव्या को समझाने की कोशिश करता हू ..''
वो ये बात कर ही रहे थे की काव्या अपने कपड़े पहनकर नीचे उतर आई और बोली : "मुझे क्या समझाना है पापा ...''उसने बड़े ही भोलेपन से समीर की आँखों मे देखते हुए कहा .रश्मि अपने आँसू पोछते हुए जल्दी से बाथरूम की तरफ चली गयी.
समीर : "अरे तुम आ गयी .... कुछ नही समझाना ...बस मैं तुम्हारी माँ से कह रहा था की तुम्हे शॉपिंग पर लेकर जाना है मुझे आज ...तो वो मना करने लगी की तुम शायद नही चलोगी ...बस वही कह रहा था की मैं समझा दूँगा तुम्हे ..''शॉपिंग का नाम सुनते ही काव्या की आँखों मे चमक सी आ गयी, वो समझ गयी की समीर किस शॉपिंग की बात कर रहा है .समीर के साथ ब्रा-पेंटी की शॉपिंग के बारे मे सोचते ही उसकी चूत गीली हो उठी और उसमे से सोंधी सी खुश्बू निकलकर पूरे कमरे मे फैल गई.
काव्या : "मैं भला क्यो मना करने लगी ....आज ही शाम को चलेंगे शॉपिंग करने ...मैं कॉलेज से सीधा आपके ऑफीस आ जाउंगी ...ओके ..''तब तक रश्मि भी आ गयी ...उसने काव्या की बात सुन ली थी ..वो बिना कुछ बोले किचन मे चली गयी...उसे अंदर ही अंदर काव्या पर गुस्सा जो आ रहा था...कैसी नासमझ है उसकी बेटी जो विक्की जैसे लुच्चे के चुंगल मे फँस गयी है ...समीर और काव्या किस शॉपिंग के बारे मे बात कर रहे थे, वो बेचारी कुछ भी नही जानती थी ..उसके दिमाग़ मे तो बस ये बात घूम रही थी की कैसे वो विक्की को समझाएगी ...दिन के समय तो पता नही वो कहाँ मिलेगा...शायद वो भी स्कूल या कॉलेज जाता हो...रश्मि ने तो हमेशा उसे सुबह और शाम के वक़्त चौराहे पर ही खड़ा हुआ देखा था, अपने आवारा दोस्तों के साथ ...सुबह का समय तो निकल ही चुका था अब ...उसने सोच लिया की शाम को वो ज़रूर जाएगी ..समीर और काव्या भी शॉपिंग के लिए जा रहे हैं ...अच्छी बात है, काव्या को कोई जवाब नही देना पड़ेगा की वो कहाँ गयी थी ..उसने ये बात समीर को भी बोल दी की शाम को वो उस लड़के से मिलकर उसे समझाने की कोशिश करेगी ...और तुम शॉपिंग के वक़्त काव्या को समझाने की कोशिश करना ...यही एक तरीका समझ आ रहा था उन दोनो को..और वो दोनो ये नही जानते थे की जिस बात को सोचकर वो दोनो इतने परेशान हो रहे हैं, ऐसा कुछ है ही नही...काव्या ने तो बस अपनी झूटी कहानी सुनाकर समीर के मन मे जगह बनानी चाही थी ..वो शायद नही जानती थी की उसका झूठ कितनी बड़ी मुसीबत लाने वाला है.
समीर और काव्या के जाने के बाद रश्मि बड़ी ही बेचैनी से अपने कमरे मे बैठी हुई वही सब सोच रही थी ...अचानक उसे कुछ याद आया .... उसने झट से अपना मोबाइल उठाया और अपनी पुरानी सहेली रीना का नंबर मिलाया, रीना उसके घर के पास ही रहती थी..अभी भी वो वहीं रहती है और दोनो मे अक्सर बातें भी होती रहती है..
वो अपने घर पर ही थी..थोड़ी देर इधर -उधर की बातें होने के के बाद रश्मि बोली : "अच्छा सुन , वो लड़का याद है , विक्की, को अपनी गली मे ही रहता था, कोने वाले घर मे ...वो लोग अभी वहीं रहते हैं क्या ..''
विक्की का नाम सुनते ही रीना आग बाबूला हो उठी : "नाम ना ले उस कमीने का ...सभी का जीना दुश्वार कर रखा है उसने ...तुझे तो पता है, उसकी माँ है नही, घर मे उसका शराबी बाप है,वो उसे कुछ कहता नही है..हर समय चौराहे पर अपने यार दोसों के साथ खड़ा होकर हर आने-जाने वाली औरतों और लड़कियों को छेड़ता रहता है ..लड़कियों की तो समझ आती है, पर हमारे जैसी औरतों मे क्या दिखता है उसको ... मेरी बेटी को भी छेड़ता है कमीना ..और जब मैं निकलती हू तो मुझे भी ..जीना दूभर करके रखा हुआ है ..सुबह शाम वहीं बैठा रहता है..दोपहर मे उसका कॉलेज होता है, वरना इस टाइम भी वहीं मिलता ...साला हरामजादा ...''रीना ने जी भरकर विक्की को गालियाँ दी ..फिर बोली : "पर तू क्यो पूछ रही है उसके बारे मे ...''रश्मि : "वो बस ऐसे ही ...अच्छा सुन, अभी मैं रखती हूँ , लंच की तैयारी करनी है ..''
उसने जल्दी से फोन रख दिया....उसे पता तो चल गया था की विक्की कॉलेज जाता है और शाम को ही मिल सकेगा..उसने तो पहले से ही सोचकर रखा था की आज किसी भी हालत मे वो उससे जाकर मिलेगी..फिर वो अपने दूसरे कामों मे व्यस्त हो गयी..शाम कब हो गयी उसको भी पता नही चला..समीर अपने ऑफिस में कुछ काम कर रहा था की रिसेप्शन से फोन आया इंटरकम पर : "सर ...आपकी बेटी आई है ..''समीर : "तो इसमे पूछने वाली क्या बात है ईडियट, अंदर भेजो उसको...''रिसेप्शनिस्ट सहम गयी...वो बेचारी तो अपना काम कर रही थी..उसने काव्या को अंदर भेज दिया..काव्य ने वही सुबह वाली जींस और येल्लो कलर का टॉप पहना हुआ था , वो उसमे बड़ी सेक्सी लग रही थी कुछ देर तक बैठने के बाद वो दोनो मॉल की तरफ चल दिए..जिसके बारे में समीर ने पहले से ही सोच रखा था शाम के 6 बज रहे थे ... घर पर बैठी रश्मि भी तैयार होकर विक्की से मिलने के लिए चल पड़ी.रश्मि का दिल जोरो से धड़क रहा था...वो मन ही मन सोचती जा रही थी की कैसे बात करेगी वो विक्की से...जाते ही उसको डांटेगी ...या थप्पड़ मारेगी...या फिर उसके बाप से उसकी शिकायत करेगी...पर पता भी तो चले की आख़िर मामला कहाँ तक पहुँचा है...उसने निश्चय कर लिया की पहले आराम से ही बात करेगी...अगर नही माना तो फिर पुलिस की धमकी या फिर कुछ और करेगी.अंधेरा होने को था ..वो अपने पुराने मोहल्ले के बाहर ही उतर गयी..थोड़ी दूर ही था वो चोराहा ,जहाँ वो लुच्चा अपने यार-दोस्तों के साथ खड़ा होता था..
रश्मि को दूर से ही उन लोगो का ग्रूप दिखाई दे गया...हमेशा कि तरह आने-जाने वाली हर औरत को घूर कर गंदी-2 फब्तियाँ कस रहे थे..एक दूसरे के हाथ पर ताली मार रहे थे...हंस रहे थे..वो धीरे-2 चलती हुई वहाँ पहुँची..और उसकी नज़रें विक्की को तलाशने लगी...सभी लड़के उसको यूँ खड़ा होकर किसी को ढूंढता हुआ देखकर हैरान थे..…रश्मि ने सभी के चेहरे देख लिए पर उसमे विक्की कहीं नही था..ज़्यादातर लड़के उसकी गली के ही थे..जो उसकी आँखों के सामने बड़े हुए थे..और अब देखो ज़रा,बेशर्मो की तरह सभी के हाथ मे सिगरेट है..और चेहरे पर कमीनापन.एक लड़के सूरज ने उसको फट से पहचान लिया..वो बोला : "अरे ...रश्मि आंटी ... आप ..आज यहाँ कैसे ..?''उसने झट से अपने हाथ मे पकड़ी हुई सिगरेट फेंक दी.दूसरे लड़के शायद उसको पहचान नही सके थे..वो उसके कान के पास जाकर फुसफुसाए : "बे कौन है ये माल भाई...हमे भी तो बता दे..''
सूरज उनकी तरफ मुड़ा और बोला : "अरे भूल गया...ये वो पीले वाले मकान मे रहती थी ना..अरे यार...वो ..काव्या की मम्मी ....''
काव्या का नाम सुनते ही सभी को याद आ गया की वो कौन है...रश्मि के तो तन बदन मे आग सी लग गयी, उन लफंगो के मुँह से अपनी बेटी का नाम सुनकर.वो भड़कती हुई सी बोली : "शरम नही आती तुम लोगो को...ऐसे यहाँ खड़े होकर बदतमीज़ी करते हुए...''
सूरज तपाक से बोला : "अरे आंटी...आप तो ऐसे बोल रे हो जैसे हम यहाँ पहली बार खड़े हैं..हम तो रोज ही यही खड़े होते हैं..अब इसके लिए भी आपकी परमिशन लेनी पड़ेगी क्या ..हा हा हा..''और वो अपने दोस्तों के हाथ पर ताली मारकर ज़ोर से हंसा.
रश्मि को गुस्सा तो बहुत आया..पर वो कुछ ना बोल पाई..
रश्मि : "वो...वो विक्की कहाँ है ..''रश्मि के मुँह से विक्की का नाम सुनते ही सारे यार दोस्त एक दूसरे का चेहरा ताकने लगे...उनमे ख़ुसर फुसर शुरू हो गयी...एक दूसरे से पूछने लगे की विक्की ने ये माल कब फँसाया..रश्मि भी उनकी बातें सुन पा रही थी..पर दाँत पीसकर रह गयी.वो एकदम से भड़क कर बोली : "मैने पूछा विक्की कहाँ है..''तभी पीछे से आवाज़ आई : "तुमने पुकारा और हम चले आए...दिल हथेली पर ले आए रे....हे .....''और विक्की किसी फिल्मी स्टाइल मे रश्मि के पीछे से प्रकट हुआ..उसके हाथ मे लाल रंग की सिगरेट की डिब्बी थी..जिसे वो दिल की तरह रश्मि के सामने पेश कर रहा था.
रश्मि ने उसके चेहरे को देखा तो उसका गुस्सा सांतवे आसमान पर जा पहुँचा...पर तभी उसके अंदर से आवाज़ आई की जैसा वो सोच कर आई थी उसके अनुसार ही चलना चाहिए..उसने अपनी आँखे बंद की और थोड़ा शांत हुई..तब तक विक्की बोला : "नमस्ते आंटी ...क्या बात है..आप इतने दिनों के बाद आई यहाँ...हम लोगो को तो भूल ही गयी..आप लोगो के चले जाने के बाद ये मोहल्ला इतना वीरान सा हो गया है''
उसका इशारा काव्या की तरफ भी था.
विक्की की बात सुनकर सभी दोस्त फिर से हँसने लगे.
रश्मि : "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है....अकेले में ..''सूरज ये सुनते ही बोल पड़ा : "वाह गुरु.....सही है...''
विक्की ने उसको घूर कर देखा...वो एकदम से चुप हो गया.विक्की भी सोचने लगा की ये अचानक रश्मि आंटी उससे क्या बात करने के लिए आई है...वो कुछ ना बोला और उनके साथ एक कोने की तरफ चल दिया.दोनों पास ही बने एक पार्क के बहार एक पेड़ के नीचे जाकर खड़े हो गए एकांत मिलते ही रश्मि ने उसके उपर सवालों की बौछार कर दी : "तुम्हारा और काव्या का क्या चक्कर चल रहा है...कब से चल रहा है ये सब ...तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई उस छोटी सी बच्ची को अपने जाल मे फँसाने की ...मकसद क्या है तुम्हारा ...किस हद तक जा चुके हो तुम दोनो ??"विक्की अपनी फटी हुई आँखों से उसकी बातें सुनता रहा और सोचने की कोशिश करने लगा की आख़िर ये माजरा क्या है...वो सोचने लगा की रश्मि ऐसा क्यो बोल रही है..उसने तो आज तक काव्या को देखने और एक दो बार छेड़ने के अलावा कुछ किया भी नही था...और जब से ये लोग यहाँ से गये हैं, उसने तो काव्या को देखा भी नही ..पर वो ऐसा कुछ बोल रही है इसका मतलब कोई गड़बड़ ज़रूर है...शायद इन्हे कोई ग़लतफहमी हुई है...पर अगर ग़लतफहमी हुई है तो वो काव्या से पूछ कर अपनी ग़लतफहमी दूर कर सकती थी..पर वो सीधा उसके पास आई है..यानी काव्या को पता नही है..
उसका शैतानी दिमाग़ तेज़ी से चलने लगा..उसे वो बात भी याद आ गयी जब काव्या उसको आख़िरी बार मिली थी और उसने कहा था की वो जा रही है यहाँ की गंदगी से दूर जहाँ उसके जैसे कुत्ते ना हो..अपनी वो बेइजत्ती याद आते ही विक्की की झांटे सुलग उठी..उसने मन ही मन सोच लिया की अब वो दिखाएगा की ये कुत्ता किस हद तक जा सकता है ...वो एकदम से गरजकर बोला : "साली...मुझपर क्यो चीख रही है....अपनी बेटी से जाकर पूछ ..वो ही बताएगी की हम किस हद तक जा चुके हैं ...''उसके मुँह से अपने लिए गाली सुनकर रश्मि एकदम से सहम गयी...उसने तो इसके बारे मे सोचा भी नही था की अगर विक्की इस तरह से चोडा हो गया तो वो क्या करेगी..वो उसकी बेटी के बारे मे ऐसे बोल रहा है यानी ज़रूर कुछ ना कुछ बात है..
विक्की : "सोच क्या रही हो आंटी...आपको शायद पता नही है..मेरे ऊपर अँधा विश्वास करती है तेरी बेटी...अगर मैं रात के 2 बजे उसको मिलने के लिए बुलाऊ ना, नंगे पैर भागी चली आएगी...और मैं जो कह दू ना, वो बिना सोचे समझे कर देगी...''इतना सुनते ही रश्मि का गुस्सा फिर से फुट पड़ा, उसने एक झनझनाता हुआ सा थप्पड़ विक्की के गाल पर दे मारा..विक्की की आँखो के सामने तारे दिखाई देने लगे...पर वो थप्पड़ तो आने वाले मज़े की शुरूवात थी..इसलिए वो कुछ ना बोला और मक्कारों की तरह हँसने लगा.
रश्मि : "तुम्हारी जुर्रत कैसे हुई मेरी बेटी को फुसलाने की...वो तुम्हारे चुंगल मे कैसे फंसी , ये तो मैं नही जानती, पर आज के बाद तुमसे वो नही मिलेगी, इसका मैं भरोसा दिलाती हू तुझे...कमीने..तू मेरी बेटी से दूर ही रह, यही तेरे लिए बेहतर है..वरना मैं पुलिस मे रिपोर्ट करवा कर तुझे अंदर करवा दूँगी..समझा..''
विक्की : "ये पुलिस की धमकी मुझे मत दो आंटी...अगर मैं अपनी औकात पर उतर आया ना तो तेरी और तेरी बेटी की जिंदगी पूरी तरह से बर्बाद कर दूँगा...तेरे नये पति को तेरे बारे मे ऐसी -2 बातें बोल दूँगा की वो तुझे अपने घर से निकाल कर बाहर करेगा..और फिर तू घूमती रहना अपनी बेटी के साथ सड़कों पर..और तेरी बेटी की कुछ तस्वीरें है मेरे पास, जिनके बारे मे वो खुद भी नही जानती, अगर तूने ऐसी कोई हरकत की तो उन सभी पिक्चर्स को नेट पर डलवा कर तेरी बेटी की ऐसी बदनामी करवाऊंगा की तू जीते जी मर जाएगी..''उसकी ये बात सुनते ही रश्मि के पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी...जिस बात का डर था वही हुआ..उस कमीने के पास काव्या की कुछ आपत्तिजनक पिक्चर्स है..हे भगवान , ये क्या अनर्थ कर दिया काव्या ने, ऐसी नासमझी की उम्मीद नही थी उसको काव्या से..पर वो बेचारी नही जानती थी की ये सब विक्की की एक चाल थी...ना तो उसका काव्या के साथ कोई ताल्लुक था और ना ही उसके पास उसकी कोई आपत्तिजनक फोटो थी..वो तो बस अंधेरे मे तीर मार रहा था, अगर तीर निशाने पर लगा तो उसके तो वारे न्यारे हो जाने थे..वो गौर से रश्मि के चेहरे पर आ-जा रहे भाव को देख रहा था.
कुछ देर सोचने के बाद रश्मि बोली : "तुम आख़िर चाहते क्या हो...''
विक्की : "ये उमर ही ऐसी होती है आंटी...इसमे तो सिर्फ़ एक ही चीज़ को चाहा जाता है...''और उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपने होंठों पर अपनी जीभ फेरी और उसे पूरी तरह गीला करके चमका दिया.रश्मि गुस्से से भभक रही थी....उसकी नसों का खून उबल कर बाहर आने को था...पर वो कुछ ऐसा वैसा करके बात को बिगाड़ना नही चाहती थी..रश्मि समझ गयी की वो अपनी औकात पर उतार आया है...अभी शायद बात उस हद तक नही पहुँची है जितना वो सोच रही है..पर जिस तरह से विक्की का हौसला है,वो समझ रही थी की बात वहाँ तक पहुँचने मे भी टाइम नही लगेगा..
रश्मि : "तुम काव्या से दूर हो जाओ...और मुझे वो फोटोज भी दे दो , इसके लिए मैं तुम्हे मुँह माँगी कीमत देने के लिए तैयार हू..''अब तो विक्की को पूरा विश्वास हो गया की उसका तीर निशाने पर लगा है...क्योंकि सिर्फ़ उसकी बात मानकर ही रश्मि उसे पैसे देने के लिए तैयार हो गयी है...उसने मन मे ठान लिया की अब रश्मि की इस मजबूरी का फायदा वो ज़रूर उठाएगा..उसने हिम्मत दिखाते हुए कहा : "आंटी जी...हर चीज़ की कीमत सिर्फ़ पैसों से नही तोली जाती...''और इतना कहते-2 उसने अपना दाँया हाथ सीधा उसके बाँये मुम्मे के उपर रखकर ज़ोर से दबा दिया.
रश्मि को एक पल के लिए तो समझ नही आया की ये हुआ क्या है...उसने तो विक्की से ऐसी हरकत की कोई उम्मीद भी नही की थी ..और जब तक वो रिएक्ट कर पाती, विक्की ने उसके मुम्मे को बुरी तरहा मसल कर उसके निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच फँसा कर ज़ोर से निचोड़ दिया था..वो दर्द के मारे चिहुंक उठी..और उसने एक तेज धक्का देकर विक्की को दूर किया ..और ज़ोर से चिल्लाई : "ये क्या बदतंमीजी है...तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ये सब करने की...''विक्की बेशर्मों की तरह हंसता हुआ बोला : "अरे आंटी ...आप तो नाराज़ हो गयी...ये तो बस मेरी बचपन से तमन्ना थी की किसी दिन आपके मुम्मो को ऐसे पकड़ कर दबा दू ..आज आप इतने पास खड़ी हो तो मुझसे सब्र नही हुआ...इसलिए कर डाला...वैसे एक बात बोलू,आप ऐसी हालत मे नही है की मुझे किसी भी बात के लिए मना कर सको...वरना इसका अंजाम तो आप जानती ही हो...''उसकी धमकी भरी बात सुनकर वो सहम गयी...एक पल के लिए अपनी बेइजत्ती और दर्द भूल कर वो चुपचाप खड़ी हो गयी और अपनी नज़रें नीचे झुका ली.
विक्की : "हाँ ...ये सही है...ऐसे ही रहा करो मेरे सामने, आगे से अगर तुमने मुझसे उँची आवाज़ मे बोली या मुझे आँखे दिखाई तो ये तेरी बेटी के लिए अच्छा नही होगा...''रश्मि कुछ ना बोली...उसने हाँ मे सिर हिला दिया.
रश्मि : "देखो विक्की....तुम्हारे मन मे जो भी है...वो मुझे बता दो...आख़िर क्या चाहते हो तुम मेरी बेटी से..''
विक्की : "उसकी कुँवारी चूत मे अपना लंड डालना चाहता हू...सुन लिया...अब खुश है..''
विक्की के मुँह से एकदम से ऐसी बेशर्मी भरी बात सुनकर रश्मि अवाक सी होकर उसे देखती रह गयी...उसकी खुली आँखो के सामने एकदम से पिक्चर सी चलने लगी..जिसमे विक्की और काव्या पूरे नंगे होकर एक दूसरे को चूमने मे लगे हुए थे...और जब चुदाई की बारी आई तो काव्या के मना करने के बावजूद उसने उसकी छोटी सी चूत मे अपना मोटा लंड एक ही झटके मे पेल दिया...उसकी फूल सी बेटी की चूत मे से खून का फव्वारा निकल पड़ा...वो दर्द से छटपटाने लगी...चिल्लाने लगी..पर वो दरिंदे की तरह काव्या की चुदाई करता रहा...और फिर काव्या भी उसका साथ देने लगी...फिर ऐसा रोज होने लगा और धीरे-2 वो उसकी पर्सनल रंडी बनकर रह गयी..और ये विचार आते ही वो एकदम से चीख पड़ी...और विक्की के पैरों मे गिरकर रोने लगी : "नहियीईईईईईईईईई......ऐसा मत करना....प्लीस...विक्की, मेरी बेटी की इज़्ज़त बक्श दो...मैं तुम्हारे पैर पड़ती हू.....''
वो उसके पैरों से किसी बेल की तरह लिपट गयी...उसके मोटे-2 मुम्मे जब विक्की को अपनी टाँगो पर महसूस हुए तो उसके आनंद की कोई सीमा ही नही रही...वो अपने घुटनो को उसके उरोजों पर रगड़ने लगा...और ऐसा करते-2 उसका लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया.
विक्की : "चुप हो जाओ आंटी...आप ऐसा क्यो सोच रहे हो..मैं आपको या काव्या को कोई तकलीफ़ नही देना चाहता...चुप हो जाओ...''रश्मि ने रोना बंद कर दिया...उसने रोते-2 जब विक्की के चेहरे की तरफ देखा तो बीच मे उसके खड़े हुए लंड को देखकर उसके तो होश ही उड़ गये...इतने लंबे लंड की तो उसने कल्पना भी नही की थी ...उसने तो सोचा भी नही था की 20 साल के लड़के का लंड इतना लंबा भी हो सकता है...वो मंत्रमुग्ध सी होकर उसके खड़े हुए लंड को निहारने लगी...वो शायद भूल गयी थी की वो वहाँ किसलिए आई थी...विक्की ने रश्मि के कंधों को पकड़ा और अपने शरीर से चिपकाता हुआ उसे उपर की तरफ खड़ा करने लगा...ऐसा करते हुए रश्मि के चेहरे के बिल्कुल करीब से होकर निकला था विक्की का खड़ा हुआ लंड ..और फिर उसके लकड़ी जैसे लंड से रग़ड़ ख़ाता हुआ उसका गदराया बदन जब उपर तक आया तो वो लकड़ी अपने पूरे आकार मे आ चुकी थी..और ना चाहते हुए भी रश्मि की चूत मे गीलापन आने लगा था.. रश्मि के हर अंग को अपने लंड से टच करवाकर उसे अपने से सटा कर खड़ा कर लिया था विक्की ने.