Incest सौतेला बाप(completed)

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Update 54

श्वेता : "यार...सच मे...इतना एडवेंचर तो मैने आज तक कभी महसूस नही किया ....''
काव्या : "तू इसे एडवेंचर कहती है ...साली बेशरम ...तू तो तैयार थी वहीं हॉल मे चुदने के लिए ...कैसे बेशर्मों की तरह नंगी होकर तू उसका लेने ही वाली थी ...वो तो भला हो केतन का जो अपने आप को तेरी चूत चूसने से रोक नही पाया ...वरना तू तो चुद चुकी होती आज वहीं ....''
श्वेता : "सच मे ....पर वो सब हुआ नही ना ....कुछ अधूरा सा लग रहा है ....''
काव्या ने शरारत से पूछा : "कहाँ ..... "
श्वेता ने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा : "यहाँ ....''और दोनो सहेलियाँ फिर से ठहाका मारकर हँसने लगी ..अचानक श्वेता थोड़ा गंभीर होते हुए बोली : "यार ...वो तुझे मैने बताया था ना अपने सीन के बारे मे ...नितिन के साथ ...''काव्या की आँखे अचानक चमक उठी ...वो बोली : "हाँ ...याद है ....और कुछ भी हुआ क्या तेरा नितिन के साथ ....बोल ना ...''
श्वेता रहस्यमयी हँसी हँसने लगी ....और बोली : "बहुत कुछ हुआ ....आज सुबह ....''और उसने अपने और नितिन की सुबह वाली बात नमक मिर्च लगा कर सुना डाली ....जिसे सुनते-2 दोनो बुरी तरह से उत्तेजित हो गयी ...
काव्या : "यार. ...तू पता नही किस बात का वेट कर रही है ....जब तू भी वही चाहती है और नितिन भी तो ये ड्रामे करने से क्या मिल रहा है तुम दोनो को ....कर लो ना सब कुछ ...डलवा ले उसका लंड अपने अंदर ...''
श्वेता : "यार ...ये सब इतना आसान नही है ....सब कुछ ठीक हो रहा होता है ...पर आख़िरी वक़्त आते-2 हिम्मत जवाब दे जाती है ...कुछ ज़्यादा करने की हिम्मत ही नही होती ...पर इस समय लग रहा है की अभी के अभी अगर नितिन मेरे सामने आ जाए तो उसके लंड को तो क्या उसको भी अपनी चूत के अंदर घुसेड डालु ...केतन ने तो आग सी लगाकर छोड़ दी है मेरी पिंकी के अंदर ...''
काव्या : "मैं समझ सकती हू यार ....मेरा भी यही हाल है ....हालाँकि मेरी सील अभी तक टूटी नही है ...पर अंदर सिनेमा हाल मे जब केतन और तू वो सब करने ही वाले थे तो मेरा भी मन कर रहा था की काश मेरी भी ....''इतना कहकर वो शरमा सी गयी ...उसका चेहरा गुलाब की तरह सुर्ख हो उठा ..
श्वेता : "बस ...यही जज़्बा तो होना चाहिए अपने अंदर ....अब देख ....तूने जिस तरह मेरे साथ मिलकर मेरे बी एफ से मज़े लिए हैं ...तेरा भी ये फ़र्ज़ बनता है की मुझे अपने साथ मज़े दिलवा ...''काव्या समझ गयी की क्यो उसने सिनेमा हाल मे अपने साथ उसे भी शामिल करवा लिया था केतन के साथ मज़े लेने के लिए ...वो उसकी चतुराई की दाद देने लगी .पर उससे पहले उसके दिमाग़ मे कुछ और ही चल रहा था ...
वो श्वेता से बोली : "एक शर्त पर ...तू मुझे अपने और नितिन का लाइव शो दिखाएगी कल ....बोल मंजूर है तो मैं भी कल ही तुझे अपने घर बुला कर उतने ही मज़े दिलवा सकती हू ...''दोनो ही सूरत मे फायदा श्वेता का ही था ...नितिन के साथ तो वो भी सब करना चाहती थी ...अगर काव्या वो सब देखना चाहती है तो उसे क्या प्राब्लम हो सकती है ....वो झट से मान गयी.और अगले दिन सुबह का प्लान बनाकर दोनो अपने-2 घर की तरफ चल दिए .श्वेता जब घर पहुँची तो काफ़ी थक चुकी थी ...अपने बाय्फ्रेंड के साथ डेट पर जाना उसको हमेशा थका देता था .. और वैसे भी जो कुछ भी सिनिमा हॉल मे हुआ था उसके बाद तो उसकी हिम्मत भी नही हो रही थी की घर वालों के साथ बैठकर टीवी देख ले या डिनर कर ले ... वो अपने कमरे मे गयी और हल्के गर्म पानी मे 2 घंटों तक लेती रही बाथटब मे...उसके दिमाग मे सब कुछ चल रहा था ..जो भी सिनेमा हॉल मे हुआ था .. फिर काव्या और केतन के बीच जो हुआ वो भी ...और फिर उसकी उंगलियों की थिरकन अपनी चूत पर ऐसी हुई की सितार बजने लगे उसके अंदर .... और झनझनाती हुई सी वो पानी के अंदर ही झड़ गयी ...अगली सुबह जब उनके माँ -बाप चले गये तो नितिन ने श्वेता से कहा : "मैं जा रहा हू बाथरूम में ...ओके ...''
उसके जाने के बाद श्वेता ने जल्दी से काव्या को फोन लगाया और पूछा की वो कहा है ..काव्या ने कहा की वो बाहर ही है और अपनी स्कूटी पार्क कर रही है ..श्वेता ने भागकर दरवाजा खोल दिया ..और काव्या अंदर आ गयी..दोनो सहेलियों के चेहरे पर एक अजीब सी खुशी थी ...दोनो रोमांचित भी थी ..बाथरूम मे जाकर नितिन ने अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया ..अपने हाथों मे प्लास्टिक लपेट कर वो इंतजार करने लगा श्वेता का . उसका लंड आज पूरी तरहा से खड़ा था ...क्योंकि वो जानता था की आज कुछ स्पेशल मिलने वाला है उसको. पर उसे पता नही था की बाहर काव्या आ चुकी है और दोनो सहेलिया मिलकर उसके लिए क्या प्लान कर रही है ..उसके बाद श्वेता ने काव्या को अपने पीछे आने को कहा और उपर की सीडिया चड़ने लगी .. और तभी श्वेता ने अपने कपड़े भी उतारने शुरू कर दिए ...सीडियो पर चड़ते-2 उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए ..अब उसके जिस्म पर सिर्फ़ एक पेंटी थी ..
काव्या ये देखकर इतनी हैरान थी ..क्योंकि वो जानती थी की श्वेता अपने भाई को नहलाने जा रही है ...जब उसने ये बात बताई थी की उसने टॉपलेस होकर अपने भाई को नहलाया था तो और बात थी, पर अब उसी चीज़ को अपनी आँखो से देखने के बाद उसके अंदर की गर्मी भी बढ़ती जा रही थी ..वो उसके पीछे-2 चल दी .श्वेता ने काव्या को बाथरूम की खिड़की से देखने की सलाह दी और उसके लिए एक स्टूल भी दे दिया उसको ताकि वो उसपर खड़ी होकर अंदर का नज़ारा देख सके ..श्वेता ने अपना सेक्सी फिगर दिखाते हुए काव्या से कहा : "वॉच मी ...."और फिर श्वेता अंदर चली गयी .काव्या झट से स्टूल पर खड़ी हो गयी और उसने खिड़की से अंदर झाँक कर देखा .. आज श्वेता को पहले से ही टॉपलेस होकर आया देखकर नितिन के लंड ने एक जोरदार सलामी दी , उसके मोटे-2 मुम्मे और खड़े हुए निप्पल देखकर उसके होंठ सूख गये ..वो उनपर जीभ फेरने लगा.श्वेता अंदर आई और नितिन को टब के अंदर ले गयी ...और अंदर जाने से पहले श्वेता ने एकदम से अपनी पेंटी भी उतार दी और पूरी तरह से नंगी हो गयी ...और नितिन के हैरान हुए चेहरे को देखकर बोली : "अब वैसे इसकी भी ज़्यादा ज़रूरत नही है ..''और वो पूरी तरह से नंगी होकर अंदर आ गयी.
शावर का पानी दोनो पर पड़ रहा था ..श्वेता ने साबुन लिया और अपने भाई के शरीर पर लगाना शुरू कर दिया ...वो जान बूझकर अपने जिस्म को भी उसके शरीर से रगड़ रही थी ..जिसकी वजह से नितिन के उपर लगा साबुन उसके उपर भी लगता जा रहा था ..और अपने मोटे मुम्मे वो कभी उसकी पीठ पर और कभी छातियों पर रगड़कर उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी ..नितिन ने जब से अपनी बहन की चूत इतने करीब से देखी थी वो तो पलकें झपकना भी भूल गया था ..इतनी चिकनी और बिना बालों की चूत उसने आज तक नही देखी थी ..उसका मन तो कर रहा था की उसकी चूत के अंदर अपनी जीभ घुसेड डाले और उसे बुरी तरह से चूस ले ....पर अपनी तरफ से पहल करके वो काम को बिगाड़ना नही चाहता था ..श्वेता उसकी टाँगो मे साबुन लगाते हुए नीचे बैठ गयी...और फिर उसने उसके लंड को अपने हाथों मे लिया और उसे मसलने लगी ...जैसा की पिछले तीन-चार दिन से चल रहा था ..नितिन ने अपनी आँखे बंद कर ली और लंड मसाज़ के मज़े लेने लगा ..अचानक श्वेता ने अपना मुँह खोला और उसके खड़े हुए लंड को अपने गर्म मुँह के अंदर निगल लिया और ज़ोर-ज़ोर से सक करने लगी..नितिन कुछ भी नही बोल पाया...वो तो शॉक ही रह गया...उसने तो आशा भी नही की थी की एकदम से अपनी बहन को नंगा देखने के बाद वो कुछ ही देर मे उसका लंड भी चूसने लगेगी ..वो तो जन्नत की सैर करने लगा ..वो उसके लंड को दशहरी आम की तरहा चूस रही थी ..उसकी बॉल्स को अपने मुँह मे लेकर पूरा भर लेती और उसके लंड को अपने हाथ से हिलाती ...फिर उसके लंड को चूसती और उसकी बॉल्स को अपने हाथ से सहलाती ..
ये सारी हरकतें खिड़की मे खड़ी हुई काव्या देख रही थी और पागल हुए जा रही थी ...उसने एक टी शर्ट और केप्री पहनी हुई थी ...उसने अपनी केप्री की जीप खोली और उसे नीचे खिसका दिया ...और पेंटी को भी अपने घुटनो तक पहुँचा कर अपना निचला हिस्सा पूरा नंगा कर दिया ..और अपनी उंगलियों से अपनी रस टपकाती चूत की मालिश करने लगी ..कोई उसे ऐसी हालत मे देखता तो हैरान रह जाता ..वो गलियारे वाले हिस्से मे आधी नंगी होकर स्टूल पर खड़ी थी .... कोई भी आकर पीछे से अगर उसकी गीली चूत पर अपना मुँह रख देता तो वो वहीं के वहीं ढेर हो जाती ...अंदर का तापमान भी बढ़ता जा रहा था ...अब दोनो भाई बहन समझ चुके थे की वो घड़ी आ ही गयी है जिसका वो इतने दीनो से इंतजार कर रहे थे ...दोनों बाथटब से बाहर आ गए श्वेता तो पागल सी हो चुकी थी, उसने उत्तेजना में आकर नितिन की छाती पर लगे निप्पल पर जोर से काट लिया , वो बेचारा तड़प सा उठा नितिन ने श्वेता को खड़ा किया और उसके दहकते हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए ...और उसे चूसने लगा...इतने मुलायम होंठों को चूसकर उसकी जन्म -2 की प्यास बुझ गयी ...उसके हाथ उसके मोटे-2 मुम्मो पर फिसलने लगे ..और उन्हे मसलने लगे ...
श्वेता ने उसके लंड को पकड़कर जोरों से उपर नीचे करना चालू रखा ...नितिन को लगा की श्वेता कुछ देर तक और ऐसे ही करती रही तो वो जल्द ही झड़ जाएगा ...उसने उसके हाथ से अपना लंड छुड़वाया और उसे घुमा कर खड़ा कर दिया ...अब श्वेता की पीठ नितिन की छाती से रग़ड़ खा रही थी और उसकी गांड उसके लंड से ...नितिन के दोनो हाथ उसके निप्पल्स को खींचकर और ज़्यादा उभारने मे लगे थे ..अचानक नितिन ने श्वेता को आगे की तरफ झुकाया और वो वाशबेसन पकड़कर घोड़ी बन गयी ...नितिन ने अपना लंड उसकी गीली चूत के मुहाने पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा .''अहह ........... उफफफफफफफफ्फ़ ....नितिन .......'' उसकी चीख के अंदर छुपा एहसास बाहर खड़ी काव्या को अंदर तक गर्म कर गया ..... वो तो वहीं खड़े -2 झड़ने लगी ...अंदर श्वेता की हालत तो और भी बुरी थी ...इतना मोटा लंड आज उसकी चूत के अंदर जा रहा था वो जब अपनी जगह बनाते हुए अंदर जाने लगा तो उसे ये एहसास हुआ की असली चूत तो अब फटी है उसकी ...क्योंकि मोटे लंड को अंदर लेने का एहसास एक अलग ही तरह का होता है ..उसके अंदर की मांसपेशियाँ और ज़्यादा फेलने लगी ...हर इंच के साथ उसकी साँस घुटी जा रही थी ...ऐसा लग रहा था की आनंद की एक अलग ही चरम सीमा पर पहुँच रही है वो ...दर्द और मस्ती का एक मिला-जुला मिश्रण उसकी चूत को मिल रहा था ...जिसकी वजह से वो उत्तेजना के शिखर पर जा पहुँची और ज़ोर-2 से चीखकर अपनी चुदाई करवाने लगी ..
''अहह नितिन .................. डाल दो पूरा अंदर ...... हाआआआआ ......उम्म्म्मममममम ......... आई एम लविंग .................. यूर कॉक ...................... अहह ....इट्स सओओओओ बिग .................... उम्म्म्मममममममम ............ फाड़ डालो मेरी चूत को ................अहह चोदो अपनी बहन को .................. अहह ...ऐसे ही .....................ओह ..एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .............. उम्म्म्ममममममममम....''
नितिन ने उसकी रेलगाड़ी बना डाली अगले तीन मिनट मे .....ऐसे धक्के मारे उसकी चूत के अंदर की उसका पूरा शरीर ही हिल गया ....ऐसी चुदाई की उसने सिर्फ़ कल्पना ही की थी .... नितिन अभी ज़ख्मी था, उसके बावजूद उसने उसकी चीखे निकलवा दी थी ...अगर वो पूरी तरहा से ठीक होता तो उसके बदन को नोच खसोट कर उसकी चुदाई करता ...तब उसका क्या हाल होता ...ये सो सोचकर वो अपने मुम्मे खुद ही दबाने लगी , अपने होंठों को अपने दाँतों मे ज़ोर से दबाकर अपने मज़े को और भी बड़ाने लगी ...और खुद ही अपनी गाण्ड को पीछे की तरफ धक्का देते हुए अपनी चूत के अंदर नितिन के लंड को और अंदर तक पहुँचाने लगी ...आज उसकी चूत के अंदर की उन गहराइयों को भी एक्सप्लोर किया था नितिन ने जहाँ आज तक किसी का लंड, केंडल या उसकी अपनी उंगली भी नही पहुँच पाई थी ...नितिन ने बाथटब के किनारे पर श्वेता को लिटाया और खुद उसके ऊपर आकर उसकी चूत मारने लगा मारने लगा , हर धक्के से उसकी ब्रेस्ट ऊपर नीचे हो रही थी
अब नितिन का झड़ने का समय आ गया ....श्वेता तो दो बार झड़ चुकी थी ...नितिन चिल्लाया : "मैं झड़ने वाला हू श्वेता ......आ हह ...... कहाँ निकालु ......''अंदर एक खामोशी सी छा गयी ....सिर्फ़ नितिन के धक्के ही सुनाई दे रहे थे श्वेता के चूतड़ों पर ...बाहर खड़ी हुई काव्या बुदबुदाई : "अपने अंदर बोल श्वेता .....अपने अंदर निकलवा उसका माल .....''शायद उसके दिल की आवाज़ श्वेता ने सुन ली ...वो ज़ोर से चिल्लाई : "मेरे अंदर ही निकालो .....अपनी एक-2 बूँद मेरी चूत के अंदर निकालो और मेरी प्यास बुझा दो ....... अहह .....''नितिन के लिए ये सुनना ही बहुत था ....उसके लंड ने एक जोरदार आवाज़ के साथ अपना सारा सफेद और गाड़ा रस उसकी चूत के अंदर पहुँचा दिया .....और तभी श्वेता भी तीसरी बार झड़ती हुई अपने भाई के साथ वहीं पस्त होती चली गयी ..नितिन ने अपना लंड बाहर निकाल लिया, पीछे-२ ढेर सारा रस भी फिसलकर बहार निकल आया और बाहर खड़ी हुई काव्या दूसरी बार झड़ने लगी और उसकी चूत के रस की बरसात नीचे पड़े हुए स्टूल के उपर फिर से होने लगी ... चिपचिपे पानी की बूँदों से भीगकर स्टूल पूरा गीला हो चुका था ...नितिन ने श्वेता को खड़ा किया और उसे अपनी तरफ घुमाया ...दोनो के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे ...उन दोनो ने एक दूसरे को फिर से फ्रेंच किस किया और शावर के नीचे चले गये ... श्वेता ने फिर से साबुन लिया और अपने भाई को रगड़ -2 कर फिर से नहलाने लगी ..काव्या से खड़ा नही हुआ जा रहा था ...वो नीचे उतरी और अपने कपड़ों को सही किया ...और फिर दबे पाँव नीचे उतर गयी ...फिर दरवाजा खोलकर चुपचाप बाहर निकल कर अपने घर की तरफ चल दी ..आज उसने जो सीन देखा था उसके बाद उसके दिमाग़ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ सेक्स ही चल रहा था ...और टारगेट पर था उसका सोतेला बाप .
पिछले कुछ दिनों से काव्या ने नोट किया था की उसका सोतेला बाप उसके जिस्म को कुछ ज़्यादा ही गौर से देखने लगा है ..शायद ये उसकी बदती हुई चुचियो या फिर उभरती हुई गाँड का कमाल था .. आजकल काव्या हर हफ्ते दीवार के सामने खड़े होकर अपनी उभरती हुई छातियो को मार्क करती थी ... उसने अपनी दीवार पर पेन्सिल से मार्क लगा कर ये नोट किया था की उसकी ब्रेस्ट लगभग एक इंच बड़ चुकी है पिछले दो हफ्तों मे ...शीशे के सामने खड़े होकर वो घूम-घूमकर अपनी गाँड भी देखती थी,और उसमे आ रहे बदलाव भी वो नोट करती रहती थी ..कुल मिलाकर वो अपनी जवानी के उस पड़ाव पर थी जहाँ उसके साथ-2 दूसरे भी उसके शारीरिक विकास को महसूस कर पा रहे थे .और जब से उसने नितिन और श्वेता की चुदाई देखी थी, और श्वेता से उसके और केतन के किस्से सुने थे, उसके अंदर की आग एक ज्वाला का रूप ले चुकी थी, अब सिर्फ़ अपनी चूत को सहलाकर वो अपनी राते नही गुजारना चाहती थी..वो भी अपनी सहेलियो की तरह मज़े लेना चाहती थी..अपनी चूत की आग को उंगलियो से नही बल्कि किसी के थरथराते लंड से ठंडा करना चाहती थी ..और इसके लिए उसे अपनी तरफ उठ रही हर उस नज़र पर नज़र रखनी होगी , जो उसकी जवानी को आँखों ही आँखो मे चोदकर उसका रसपान करने मे लगे रहते हैं..लोकेश अंकल से मिले आधे अधूरे मज़े के बाद उसकी ये आग पूरी तरह भड़क चुकी थी ..उनसे मिलना तो संभव नही है क्योंकि उनकी अपनी फेमिली है..और अपने घर पर या उनके घर पर किसी भी तरह की मस्ती संभव नही है ..इसलिए अब उसके सामने सिर्फ़ अपना सोतेला बाप ही बचा था .
काव्या ने जैसे कोई मिशन तैयार कर लिया था ...अपनी चुदाई का ..पर हर कुँवारी लड़की की तरह उसके मन मे भी एक डर था ..चूत फट जाने का....दर्द होने का ...शरीर खराब हो जाने का डर ..शादी के बाद पति को ना पता चल जाए, वो डर ...कुल मिला कर उसके मन मे चल रही उथल पुथल ने उसे परेशान करके रखा हुआ था .वो गुमसुम सी टेबल पर बैठकर अपनी माँ और बाप के साथ डिनर कर रही थी उसे ऐसी हालत मे देखकर उसकी माँ रश्मि ने पूछा : "काव्या ...बेटा, क्या हुआ ...ऐसी गुमसुम सी क्यो हो ...खाना क्यो नही खा रही ..''समीर भी बड़े गौर से उसके चेहरे को पड़ने की कोशिश कर रहा था .... पर उसकी भी कुछ समझ मे नही आ रहा था .उसने ज़्यादा कुछ नही खाया और उठकर बाहर गार्डन मे चली गयी ..रश्मि उसके लिए परेशान हो उठी : "पता नही मेरी बच्ची को किसकी नज़र लग गयी है ..आजकल इतना गुमसुम सी रहती है ...कही इसका कोई चक्कर तो ...''उसने ना जाने क्या सोचते-2 ये बात बीच मे ही छोड़ दी ..समीर भी ये बात सुनकर चोंक गया ...भले ही काव्या उसकी सोतेली बेटी थी ..पर उसके बारे मे ऐसी बात सुनकर वो भी सोच में डूब गया ...अभी उमर ही क्या है उसकी जो ऐसे लफडों मे पड़े ..उसे तो शायद इन बातों की समझ भी नही होगी ..
समीर को लगा की ज़रूर काव्या ने ही कोई हिंट दिया होगा रश्मि को , तभी वो ऐसा बोल रही है .वो एकदम से उठा और बोला : "मैं ज़रा समझने की कोशिश करता हूँ की माजरा क्या है ...''रश्मि उसे रोकना चाहती थी, पर रोक ना पाई.क्योंकि आज पहली बार समीर ने उसकी बेटी की चिंता करते हुए ऐसी बात कही थी ...शायद वो उसे समझा सके ..वो भी किचन समेटने मे नौकर की मदद करने लगी .समीर बाहर पहुँचा, वो झूले पर बैठी हुई थी ...वैसी ही गुमसुम ..उसने एक निक्कर और टी शर्ट पहना हुआ था .समीर भी उसके साथ जाकर झूले पर बैठ गया अपने सोतेले बाप को पहली बार ऐसे अपने पास आकर बैठा देखकर वो भी हैरान रह गयी ..कुछ देर की चुप्पी के बाद समीर बोला : "देखो काव्या, मुझे पता है की तुम क्यो परेशान हो ...''एक बार फिर से चौंकने की बारी थी काव्या की .... वो सोचने लगी की उसे कैसे पता की उसकी चूत मे जो आग लगी है वो उसे बुझाने के लिए उसके लंड का सहारा लेने की सोच रही है ..वो अपनी गोल-2 आँखो से समीर की तरफ देखने लगी ..
समीर : "देखो काव्या, मुझे अपना दोस्त समझो ...तुम्हे जो भी परेशानी है ..मुझे बताओ ..मैं तुम्हारी मदद करूँगा ..''वो फिर भी कुछ ना बोली, उसकी समझ मे नही आ रहा था की कैसे बोले की वो क्या चाहती है ..तभी समीर बोला : "कौन है वो लड़का ...''काव्या का चेहरा झट से उपर उठ गया, वो समीर की तरफ देखती हुई बोली : "लड़का ??? कौन लड़का ??"समीर :"देखो , मैने कहा ना की मुझे अपना दोस्त समझो ...बोलो कौन है वो लड़का, जिसके बारे मे सोचकर तुम ढंग से खाना भी नही खा पा रही हो ..''अब काव्या की समझ मे आ गया, वो उसके गुमसुम रहने की वजह किसी लड़के को मान रहे थे ...जैसा की आजकल के टीनएजर के माँ -बाप को फील होता है, शायद ऐसा ही फील हो रहा होगा रश्मि और समीर को भी ..इसलिए ये दोस्त -वोस्त का नाटक करके उसके दिल की बात जानना चाहते हैं ..पर वो भी पूरी उस्ताद थी ...एक ही पल मे उसके मन मे योजना की पूरी स्क्रिप्ट तैयार हो गयी ...जिस बात को सोचकर वो परेशान थी, उसका उपाय खुद उसके बाप ने उसके सामने रख दिया था ...वो सकुचाने की एक्टिंग करती हुई सी समीर की तरफ खिसक आई ...और अपना सिर उसके कंधों पर रखकर धीरे से बोली : "नही पापा....ऐसा कुछ नही है ...''
समीर के शरीर मे करंट सा दौड़ गया, क्योंकि काव्या का दाँया मुम्मा उसकी बाजू से रगड़ जो खा रहा था ..वो कांपती हुई सी आवाज़ मे बोला : "मुझे बताओ बेटा...एंड डोंट वरी, मैं कुछ नही कहूँगा ...''उसकी भी हालत खराब होने लगी थी, क्योंकि उसके पयज़ामे मे सोए हुए लंड ने उठना शुरू कर दिया था, काव्या के मुम्मे से टच होते ही ...और रात के समय वो अंडरवीयर भी नही पहनता था ..इसलिए बड़ी मुश्किल से कंट्रोल करते हुए उसकी आवाज़ मे कंपन आ रहा था ..एक पल के अंदर पूरी योजना और कहानी तैयार थी काव्या के दिमाग़ मे ...और उसने उसपर अमल भी करना शुरू कर दिया था ..वो थोड़ा और चिपकती हुई सी बोली : "आप मम्मी को तो कुछ नही बोलेंगे ना ....''समीर समझ गया की वो अपनी मम्मी से डर रही है शायद, इसलिए उसने काव्या के सिर पर हाथ फेरते हुए सांत्वना दी और बोला : "नही बेटा...मैने कहा ना , आई एम युवर फ्रेंड ...मैं किसी से भी कुछ नही बोलूँगा ...''
काव्या ने अपना चेहरा उपर उठाया...उसके होंठ बिल्कुल समीर के होंठों के सामने थे ...दोनो की गर्म साँसे एक दूसरे के मुँह मे जा रही थी ...काव्या का तो पता नही पर समीर ने बड़ी मुश्किल से अपने होंठों को उसके होंठों से टच होने से बचाया ..उसके पिंक कलर के लश्कारे मार रहे होंठों से आ रही भीनी खुश्बू उसे पागल कर रही थी ..उसके लंड ने सारी सीमाएँ तोड़ते हुए पायजामें मे पूरा टेंट बना लिया था.काव्या ने एक गहरी साँस ली और बोलना शुरू किया : "एक लड़का है ...हम जहाँ पहले रहते थे ...वहीं रहता था वो भी ...उसका नाम विकी है .... हम अक्सर घूमने भी जाते थे ..पर ऐसा कुछ भी नही था उस टाइम तक ...पर पिछले हफ्ते वो फिर से मिला था ....उसने मुझे मिलने के लिए लवर पॉइंट पर बुलाया है संडे को ..मैं डर गयी थी ..मुझे लगा की ये सब ग़लत है ..मम्मी क्या बोलेगी ...आप क्या सोचोगे मेरे बारे मे .....मैने मना कर दिया ...पर ...पर ...''
समीर : "पर क्या ....''
काव्या : "उसके साथ बिताए हुए पल मुझे बहुत अच्छे लगते हैं ...वो अक्सर मेरे हाथों को अपने हाथ मे लेकर चूमा करता था ...मुझे भी वो सब अच्छा लगता था ..कभी -2 वो आगे भी बढ़ने लगता ...पर मैं मना कर देती ...ऐसे खुले मे वो सब करके मैं अपनी और मम्मी की इज़्ज़त खराब नही करना चाहती थी ...फिर उसने वो सब बोल दिया ....बस ...तभी से मैं परेशान हू ...मुझे उसका साथ अच्छा लगता था ...वो जो भी बाते करता था ...वो जो हरकतें करता था वो सब मुझे पसंद था ...पर एकदम से जो हुआ, उसके बाद मैं सोच रही हू की क्या करू ...वो कहीं मुझे प्रपोज़ तो नही करेगा संडे को ...कही वो मुझे चूमने लगा तो … शायद .... मैं भी मना नहीं कर पाऊँगी उसको … ''उसने अपनी मनघड़ंत कहानी सुना डाली अपने बाप को ..और इन सबके पीछे उसका एक मकसद था ..
उसने अपनी गली मे रहने वाले आवारा लड़के विक्की का नाम ले दिया , क्योंकि उसके दिमाग़ मे उस वक़्त और किसी और लड़के का नाम आया ही नही...नितिन का वो ले नही सकती थी...वरना उसकी वजह से शायद उसकी सहेली श्वेता का आना भी बंद हो जाता उसके घर ..इसलिए एकदम से उसके दिमाग़ मे विक्की का नाम आ गया, उसकी योजना के अनुसार वो अपने बाप को ये बताना चाहती थी की उसे ये सब किस्सेस वगैरह अच्छी लगती है ..और वो और भी आगे बड़ना चाहती है ...पर अपनी इज़्ज़त की भी फ़िक्र है उसको ...और ये सुनकर शायद उसका बाप ही उसका साथ देते हुए उसकी सुलग रही जवानी को अपने लंड के पानी से बुझा डाले ..ये थी उसकी योजना.पर समीर के दिमाग़ मे कुछ और ही चल रहा था .उसने भी काफ़ी दुनिया देख ली थी ..वो भी जानता था की जवानी के ऐसे मुकाम पर पहुँचकर ऐसी बातें सभी को अच्छी लगती है ...काव्या का भी मन करता होगा वो सब करने का ..वो भी चाहती होगी की उसका भी कोई बीएफ हो, जो उसे प्यार करे ...उसे चूमे ...उसके दिमाग में तो ऐसे सीन चल रहे थे जिसमे काव्या किसी जवान लड़के को स्मूच है , और ये सब सोचते हुए उसका लंड आज एक अलग ही आकार में पहुँच चूका था अगर काव्या को सही राह नही दिखाई तो वो अपनी जवानी को गली के ऐसे बदमाश लड़कों के हाथ कुर्बान कर देगी ..
ये तो उसकी माँ की दी गयी अच्छी परवरिश का नतीजा है की वो ये सब करते हुए डर रही है ...घबरा रही है ...वरना आजकल की लड़कियाँ ये सब करने से पहले ऐसे अपने माँ या बाप को वो सब नही बताती ...उसने तो ये सब एक दोस्त बनकर जान लिया है ..वरना वो ऐसे ही घुटती रहती अपनी जिंदगी मे ..अब उसे भी ऐसे गाइड करना पड़ेगा काव्या को की उसे लगे की वो उसका भला ही चाहता है ..समीर ने मन ही मन सब कुछ सोच लिया और काव्या से बोला : "इसमे इतना डरने की क्या बात है ...मैं जैसा कहता हू वैसे करती रहो ...कुछ नही होगा...''इतना कहकर उसने काव्या के माथे को चूमते हुए उसे अपनी तरफ खींच लिया..काव्या के दोनो हाथ भी उसे हॅग करने के लिए आगे हो गये...और उसके पेट से अपने हाथ लिपटाते हुए उसका हाथ जब समीर के लंड से छू गया तो उसे यकीन हो गया की उसकी योजना कारगार हो रही है ..समीर उसकी बात से और उसके करीब आने से उत्तेजित हो रहा है ..उसने कुछ और नही पूछा समीर से की क्या करना है ...वो सपनो की दुनिया मे खो सी गयी ..आँखे बंद करते हुए ..और अपने बेडरूम की खिड़की से रश्मि दोनो बाप बेटी के प्यार को देखकर खुश हो रही थी.... उसके दिमाग़ से इस बात का बोझ उतार गया था की उसके पति और बेटी के बीच जो दूरी थी वो अब कम हो रही है ..वो गुनगुनाती हुई सी बाथरूम मे गयी और अपनी सैक्सी नाईटी पहन कर वापिस आ गयी...वो आज अपने पति को खुश कर देना चाहती थी पूरी तरह से .... पर उसे क्या पता था की आज समीर की हालत काव्या ने ऐसी कर दी है की वो बुरी तरहा से खूंखार हो उठा है ..
 
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Update 55

काव्या को छोड़कर जैसे ही समीर अपने बेडरूम मे आया वो रश्मि पर टूट पड़ा ..रश्मि तो पहले से ही चुदाई के लिए तैयार थी ...उसने तो सोचा था की आज वो अपनी तरफ से पहल करते हुए अपने पति को खुश करेगी ...पर समीर ने कुछ करने का मौका ही नही दिया उसको ...उसके गाउन को एक ही पल मे उतारकर उसके जिस्म से अलग कर दिया और ज़ोर-2 से चूसने लगा उसके मुम्मों को ...वो कराह उठी उसके जंगलिपन से .... समीर ने उसके निप्पल को अपने दांतो से काटकर उसे ज़ख्मी सा कर दिया ..''अहह .....समीईईईईईर .......धीरेएरए .............. उम्म्म्मममममम .....दर्द हो रहा है ...........अहह ......आराअम से करो ................मैं कर तो रही हू ................अहह ....''पर वो कहाँ मानने वाला था ....उसने रश्मि को बेड पर लिटाया और उसकी टाँगो को दोनो दिशाओं मे फैलाकर अपना सिर अंदर झोंक दिया....एक घंटे से चुदाई के लिए मचल रही गीली चूत मे जब जीभ जाती है तो क्या हाल होता है, ये आज रश्मि को अच्छी तरह से पता चल गया ...
उसकी लबाबदार चूत मे से रसीला पानी बह-बहकर नीचे तक जा रहा था ...जिसे समीर किसी जंगली कुत्ते की तरह अपनी जीभ से सड़प -2 कर चाटे जा रहा था ...रश्मि ने समीर के बालों को पकड़ कर पीछे करना चाहा पर वो ना कर पाई...उसके पैने दाँत और खुरदूरी जीभ ने उसकी चूत के फुव्वारे को चालू कर दिया था ..जिसमे से मीठा पानी निरंतर निकल कर बाहर आ रहा था .समीर ने रश्मि को बेड पर बिठाया और उसके बालों को बेदर्दी से पकड़कर अपना पठानी लंड उसके मुँह के अंदर उतार दिया...रश्मि भी अब पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी ...अपनी चूत को मिले मज़े का बदला उतारने का वक़्त अब आ चुका था ...उसने अपना पूरा मुँह खोला और उसके लंड को बड़ी कुशलता के साथ किसी रंडी की तरह पूरा का पूरा अपने मुँह के अंदर उतार लिया.और उसकी बॉल्स को सहलाती हुई उसका लंड चूसने लगी ..जैसे ही समीर को लगा की वो झड़ने वाला है, उसने अपना लंड बाहर खींच लिया और फिर से रश्मि को लिटा कर उसके उपर आ गया ...और उसकी आँखो मे देखते हुए अपना हथियार उसकी गुफा मे उतार दिया ...वो धीरे-2 अंदर जा रहा था ..और रश्मि ज़ोर-2 से सिसक रही थी ..और उसके बाद तो समीर ने ऐसे झटके दिए उसकी चूत के अंदर की रश्मि का पूरा फर्नीचर हिल गया ...उसके हर झटके से उसकी छातियाँ उपर उछलती और फिर नीचे आती ...वो बुरी तरह से चिल्ला रही थी
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह समीर …… येस्स्स्स्स ……… और जोर से करो …… आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म उह्ह्ह्न्न उह्ह्हन्न्न्न हां हां अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मर गयी , चोदो , और तेज मारो …… ''और अंत मे जब वो झड़ने लगा तो रश्मि ने उसकी कमर पर अपनी टांगे लपेट ली....और दोनो एक दूसरे को स्मूच करते हुए झड़ने लगे ...दोनो के आनंद की चरम सीमा मिल चुकी थी एक दूसरे को .रश्मि सोच रही थी की आज क्या हो गया था समीर को...जो वो इस तरह जंगली तरीके से उसकी चुदाई कर रहा था ..पर ये बात सिर्फ़ समीर और काव्या ही जानते थे ...क्योंकि काव्या ने आज जिस तरह से उससे लिपट कर और अपने दिल की बात उसे बताकर समीर को उत्तेजित किया था, वो सारी उत्तेजना उतारने का सिर्फ़ रश्मि ही ज़रिया थी...पर चुदाई करते हुए उसके दिमाग़ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ काव्या ही थी ..उसने सोचना शुरू कर दिया था की अगले दिन वो काव्या से क्या बात करने वाला है .अगले दिन समीर सीधा काव्या के रूम मे गया , रश्मि उस वक़्त किचन मे नाश्ते का इंतज़ाम करवा रही थी .उसने काव्या को अंदर जाने से पहले आवाज़ लगाई पर कोई जवाब नही आया, वो अंदर चला गया, वो शायद नहा रही थी, क्योंकि बाथरूम से शावर चलने और गुनगुनाने की आवाज़ें आ रही थी .
काव्या का कमरा बिल्कुल सॉफ सुथरा सा था, सलीके से उसने हर चीज़ अपनी जगह पर सजाकर रखी हुई थी ..छोटी-2 पिक्चर्स दीवारों पर थी, जिसमे उसके बचपन से अब तक की जीवनी बयान थी ..वो उन्हे देखते-2 खुली हुई अलमारी के पास पहुँच गया जिसमे काव्या के कपड़े रखे थे, शायद वो उसको खोलकर बंद करना भूल गयी थी, बेड पर उसने एक टी शर्ट और जींस रखी हुई थी, जो वो शायद नहाने के बाद पहनने वाली थी, अचानक उसकी नज़र जींस के नीचे रखे लाल रंग के कपड़े पर पड़ी, उसने जींस को हटाकर उसे देखा तो उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी, वो रेड कलर की एक छोटी सी ब्रा थी...और साथ मे मेचिंग कच्छी ….उस मुलायम कपड़े को हाथ मे लेकर वो उसे मसलने लगा...और उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो सच मे काव्या की मखमली और मुलायम चूत को अपनी उंगलियों से सहला रहा है..और अंदर नहाती हुई काव्या ने जब अपने पापा की आवाज़ सुनी तो वो रोमांचित सी हो उठी..उसने मन ही मन सोचा की सच मे ये लड़कियों का जादू भी क्या चीज़ होता है, मर्दों को चैन से नही बैठने देता, इतनी जल्दी थी उसके समीर पापा को बात करने की, सीधा कमरे मे ही घुस आए और वो भी इतनी जल्दी...उसके बाहर नाश्ते की टेबल पर मिलने का भी सब्र नही हुआ..पर आवाज़ देने के बाद काफ़ी समय तक बाहर से कोई और आवाज़ नही आई तो उसने धीरे से अपने बाथरूम का दरवाजा खोलकर देखा की वो बाहर क्या कर रहे हैं..और जो उसने देखा वो देखकर उसके तन -बदन मे आग सी लग गयी..
समीर उसकी ब्रा और पेंटी को अपने हाथ मे लेकर मसल रहा था ..और उसके देखते ही देखते ना जाने समीर के मन मे क्या आया, वो उसकी पेंटी को अपनी नाक के पास लेजाकर सूंघने लगा..अब तो काव्या की हालत खराब होने लगी...उसे तो ऐसा लगा की उसका सोतेला बाप सीधा उसकी चूत को सूंघ रहा है, वो उसकी गर्म सांसो को अपनी पुस्सी पर महसूस कर रही थी..और उसे महसूस करते ही उसका बदन अकड़ने सा लगा..उसके गीले जिस्म पर पसीने की बूंदे उभरने लगी...वो गर्म हो उठी एक दम से..अब वो मूठ तो मार नही सकती थी,कितनी बेबस सी थी वो उस वक़्त..क्योंकि समीर उसके कमरे मे मोजूद था, उसने किसी तरह से अपनी भावनाओ पर काबू किया और वापिस अंदर आकर शावर के नीचे खड़ी होकर अपने बदन की गर्मी को शांत किया..उसने भी बदला लेने की सोची और अपने गीले बदन पर एक टावल लपेट कर बाहर निकल आई..
काव्या : "अरे पापा ....आप....गुड मॉर्निंग.''
समीर एकदम से हड़बड़ा सा गया..क्योंकि वो तो अपनी ही दुनिया मे मस्त होकर उसकी कच्छी को सूंघ रहा था..और जब काव्या ने आवाज़ लगाई तो वो उसकी पेंटी को जीभ लगा कर चख भी रहा था...की शायद ऐसा करने से उसकी कुँवारी बेटी की मसालेदार चूत का स्वाद मिल जाए..उसने जल्दी से पलटकर उसकी तरफ देखा और अपने हाथ मे पकड़ी हुई पेंटी को अपने पीछे छुपा लिया..
समीर : "उम्म ...गु ...गुड मॉर्निंग .....बेटी. .....काव्या ....''उसकी हड़बड़ाहट देखकर वो भी हँसने लगी..उसने नहाने के बाद अपना बदन पोंछा भी नही था..और उसका टावल उसके स्तनों के उपर से लेकर उसकी जांघों तक आ रहा था..बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो उस वक़्त..वो भी ये बात जानती थी..इसलिए बड़े ही सेक्सी स्टाइल मे , इतराकर चलती हुई सी वो अपने पापा के पास पहुँची ...और उनके पास पहुँचकर धीरे से बोली : "ऐसे किसी जवान लड़की के रूम मे बिना पूछे नही आना चाहिए ...''और उसने अपना हाथ समीर के पीछे लेजाकर अपनी ब्रा पेंटी को पकड़ लिया, जिसे समीर ने अपने हाथों मे पकड़ा हुआ था..समीर की तो हालत एकदम से खराब हो गयी, ऐसे रंगे हाथों पकड़े जाने से..और ऐसा करते हुए काव्या का नंगा जिस्म, जो सिर्फ़ एक पतले से टावल से ढका हुआ था, समीर से छू गया..पर समीर तो अपनी चोरी पकड़े जाने से परेशान था, वो बेचारा तो उसके जवानी की आग मे जल रहे बदन की गर्मी का अहसास भी नही ले पाया..वो हड़बड़ाते हुए अपनी सफाई देने लगा : "वो ...दरअसल ...तुम कमरे मे नही थी ...तो ...मैने देखा ...की यहा तुम्हारे कपड़े पड़े हैं .......तो मैने सोचा ....की ..... की ..... ''
काव्या बीच मे ही बोल पड़ी : "की देखु तो सही की मेरी ब्रा -पेंटी डिज़ाइन कैसा है ...मम्मी से अलग है या सेम है ....है ना ... हा हा हा ..''इतना कहकर वो हंस पड़ी ...उसने खुद ही माहोल को हल्का करने के लिए ऐसा कहा था ..समीर अपनी बेटी के चेहरे को देखकर उसे समझने की कोशिश कर रहा था की वो उसके ऐसा करने से नाराज़ है या नही ..
काव्या : "ओहो ...मेरे भोले पापा ....ऐसा कोई इश्यू नही है ..आप मेरी ब्रा और पेंटी देख रहे थे तो कोई बात नही...इट्स नॉर्मल ...आई डोंट माइंड ...ये लो ...आराम से देखो ...''इतना कहकर वो ड्रायर लेकर वहीं शीशे के सामने बैठकर अपने बॉल सुखाने लगी..और समीर डम्ब सा होकर कभी उसको और कभी अपने हाथ मे पकड़े उसके अंगवस्त्रों को देखता...वो आराम से बैठी हुई अपने बॉल सूखा रही थी ..और जब समीर को आश्वासन हो गया की उसे कोई परेशानी नही है तो वो भी थोड़ा नॉर्मल हुआ और वहीं काव्या के पीछे की तरफ, बेड पर बैठ गया..अब उसने काव्या के शरीर को अपनी आँखो से सेंकना शुरू कर दिया...उसकी सुराहीदार गर्दन ...घने बॉल....गोरे और चिकने कंधे ...और नीचे की तरफ उसकी फैली हुई गांड ..जो गीले टावल मे लिपटे होने की वजह से साफ़ दिखाई दे रही थी ..और वो तिरछी होकर बैठी थी, जिसकी वजह से उसकी मोटी-2 जांघे भी वो देख पा रहा था ...
और अचानक उसकी नज़र सामने शीशे की तरफ चली गयी ...और वहाँ देखते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी ...वो अपनी बेटी काव्या की चूत को साफ़ देख पा रहा था वहाँ से ...बिलकुल चिकनी चूत थी उसकी .....और इतने मोटे-2 लिप्स थे उसकी पुसी के, उसका तो मन किया की उसकी चूत के साथ स्मूच कर ले ...और काव्या अपनी ही धुन मे अपने बालों को सूखने मे लगी थी ...उसने जब देखा की समीर एकदम से टकटकी लगाकर शीशे मे कुछ देख रहा है तो उसे ये अहसास हुआ की जिस एंगल मे वो बैठी है,उसमे उसकी चूत साफ़ दिख रही होगी उसके बाप को ..वो एकदम से खड़ी हो गयी ..एक मिनट के लिए ही सही पर उसकी चिकनी चूत को देखकर समीर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ..
काव्या एकदम से पलटी और समीर के आगे हाथ फेला कर बोली : "दो ज़रा मुझे ...''
समीर (चौंकते हुए) : " क ... क ...क्या ?"
काव्या (हंसते हुए) : "मेरी पेंटी ....और क्या ...''
उसने डंब सा बनकर अपने हाथ मे पकड़ी हुई पेंटी आगे कर दी..और अपनी बेशर्मी का परिचय देते हुए काव्या ने समीर के सामने ही अपनी पेंटी पहननी शुरू कर दी..
पहले तो उसके हाथ मे पेंटी देकर वो बाहर जाने लगा ..पर जब उसने देखा की पेंटी को हाथ मे लेते ही उसने उसे पहनना भी शुरू कर दिया है और उसे बाहर जाने के लिए भी नही बोला तो वो उसे उसकी नासमझी और बचपना समझकर वहीं खड़ा हो गया ...क्योंकि जाने का मन तो उसका भी नही था वहाँ से.काव्या ने बड़े ही सेक्सी तरीके से अपनी एक टाँग उठाकर पेंटी अंदर डाली और फिर दूसरा पैर भी अंदर डाल लिया...और फिर उसे धीरे-2 उपर खींचकर टावल के अंदर ले गयी...और अपनी कमर मटकाते हुए उसने अंदर ही अंदर पेंटी को एडजस्ट किया और उसे पहन लिया ..फिर उसने घूमकर ब्रा भी ली समीर के हाथों से और उसे पहनकर उसने अपनी ब्रा के कप अपनी छातियों पर एडजस्ट किए और धीरे से टावल की गाँठ खोल दी, और टावल को खींचकर अपनी छातियों से नीचे खिसका दिया..और उसकी जगह पर उसने ब्रा के कॅप्स एडजस्ट कर लिए...समीर ने लाख कोशिश की पर उसकी ब्रेस्ट को नही देख पाया ...और इसी बीच टावल खुलकर पूरी तरह से नीचे गिर गया..
अब थी काव्या अपने सेक्सी रूप मे उसके सामने..सिर्फ़ एक छोटी सी लाल चड्डी और पीछे से खुली हुई ब्रा मे..वो पीछे की तरफ चलती हुई समीर तक पहुँची और बोली : "पापा...प्लीज़ .....इसे बंद कर दो पीछे से ....''वो बेचारा बड़ी मुश्किल से अपने खड़े हुए लंड को छुपा पा रहा था....वो किसी लंबे डंडे की तरह सामने की तरफ तन कर खड़ा हुआ था...जिसे शायद काव्या ने देख भी लिया था...मज़े लेने के लिए वो एकदम से पीछे हुई और उसने अपने मोटे कूल्हे उसके खड़े हुए लंड पर पिचका दिए ...समीर का खड़ा हुआ लंड उसकी गद्देदार गांड के बीच दबकर रह गया...समीर भी सोचने लगा की शायद ऐसे खुलेपन मे रहने की आदत है काव्या को, तभी किसी अबोध की तरह उसके सामने ही ब्रा-पेंटी पहन रही है ...और खुद ही उसे ब्रा को बंद करने को भी बोल रही है...कितना भोलापन है उसकी सोतेली बेटी मे..
उसने काँपते हुए हाथों से उसकी ब्रा के स्ट्रेप्स पकड़े और उन्हे आपस मे खींचकर बंद करने लगा..
''अहह .....धीरे पापा .....दर्द होता है ....ये ब्रा थोड़ी छोटी हो गयी है ...इसलिए आराम से करो ...''
समीर : "छोटी हो गयी है तो क्यो पहन रही हो...नयी ले आओ ...''उसकी उंगलियाँ भी काव्या की पीठ पर नाचने लगी थी अब...वो भी खुलकर मज़े लेने के मूड मे आ चुका था ..
काव्या : "क्या करू पापा...आजकल टाइम ही नही मिलता...मम्मी को भी बोला है कितनी बार..वो भी नही चलती मार्केट ...मुझे अकेले जाने मे शरम सी आती है...सेल्सबॉयस होते हैं ज़्यादातर ...इसलिए ...''समीर ने क्लिप्स को बंद करते हुए उसे अपनी तरफ घुमा लिया..और बोला : "तुम्हे अगर परेशानी ना हो तो मेरे साथ चलो कभी....मैं दिलवा दूँगा तुम्हे ये सब...''वो बात तो उससे कर रहा था पर उसकी नज़रें उसकी ब्रा की गहराइयों मे उतरकर उसके मुम्मों का वजन नाप रही थी ..
काव्या : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह ...मेरे अच्छे पापा ....''
इतना कहकर वो अपने सोतेले बाप के गले से झूल सी गयी...और अपना लचीला बदन समीर के जिस्म से लपेटकर अपने बदन की गर्मी वहाँ ट्रान्स्फर करने लगी ..समीर का लंड अब सीधा उसके पेट से टच कर रहा था ....वो भी मचल-2 कर अपने पेट पर खड़े हुए डंडे की गर्मी का मज़ा ले रही थी ..दोनो को मालूम था की ऐसी परिस्थिति का क्या मतलब होता है...पर दोनो ही अंजान से बनकर, अपने रिश्तों की ओट मे उस अहसास को छुपाने का असफल प्रयास कर रहे थे ..समीर के हाथ फिसलकर उसके कुल्हों पर जा लगे...तब काव्या को अहसास हुआ की जितना उसने सोचा था ये तो उससे ज़्यादा ही होने लगा है आज ...पर तभी उसका बचाव करते हुए उसकी माँ की आवाज़ गूँजी नीचे से ''काव्या ....... समीर .....कहाँ हो आप दोनो ....जल्दी आओ ...नाश्ता लग चुका है ...''
समीर ने हड़बड़ाकार उसे छोड़ दिया...पर तब तक वो उसके नर्म और मुलायम कुल्हों का मज़ा ले चुका था ....अपनी उंगलियों पर मिले आधे-अधूरे अहसास को अपने दिल मे दबाकर वो भारी मान से नीचे की तरफ चल दिया...और नाश्ते की टेबल पर आकर बैठ गया..काव्या अपने बाकी के कपडे पहनने लगी तब तक . इन सबमे तो उसे ये भी याद नही रहा की जिस काम से वो काव्या के कमरे मे गया था वो हुआ ही नही ...उसे तो उस लड़के के बारे मे बात करनी थी काव्या से ...वो परेशान सा होकर फिर से सोचने लगा की कैसे और कब बात कर सकेगा वो काव्या से ..समीर को गहरी सोच मे बैठे देखकर रश्मि उसके पास आई और बोली : "क्या हुआ ...आप इतने परेशान से क्यो लग रहे हैं ..''
समीर : "हूँ .... हाँ .... नही तो ...ऐसा कुछ नही है ...''रश्मि समझ गयी की ज़रूर कोई बात है जो समीर उससे छुपाने की कोशिश कर रहा है ..
रश्मि : " कुछ तो बात है...आप इतना परेशान नही रहते वरना ..कोई बात हुई है क्या ...काव्या ने कुछ कहा ??"
समीर : "अरे नही ...काव्या क्यो कुछ कहेगी ...वो तो इतनी प्यारी बच्ची है ...''प्यारी शब्द बोलते हुए समीर की आँखों के सामने काव्या नंगी होकर नाच रही थी ..
रश्मि : "फिर आप इतने परेशान क्यो हो.... मुझे बताइए, शायद मैं आपकी कोई मदद कर सकूँ ..''समीर सोचने लगा की रश्मि सही कह रही है .. हो सकता है रश्मि उस परेशानी का कोई समाधान निकाल सके.
समीर थोड़ा गंभीर सा हो गया और बोला : "रश्मि ... जहाँ तुम लोग पहले रहते थे ...वहाँ कोई विक्की नाम का लड़का भी रहता था क्या ..''
रश्मि उसकी बात को सुनकर सोच मे पड़ गयी ... : "विक्की ..... विक्की ...... ...शायद .....हाँ ..बिल्कुल रहता था... याद आया ...वो हमारी ही गली मे रहता था ...बड़ा ही आवारा किस्म का लड़का है वो तो ...हमेशा आने जाने वालो को गंदी नज़रों से देखकर ....''उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी, क्योंकि उसके दिमाग़ मे वो वाक़या घूमने लगा जब वो एक दिन ऑफीस से घर जा रही थी और तेज बारिश की वजह से उसकी साड़ी उसके बदन से पूरी तरह से चिपक गयी थी ...वो भागती हुई सी अपने घर की तरफ जा रही थी जब उसने देखा की चौराहे पर विक्की खड़ा हुआ उसके बदन को भूखे कुत्ते की तरह देख रहा है ...वो जानती थी की भीगने की वजह से उसकी छातियाँ साफ़ देखि जा सकती है,और हलकी ठण्ड होने जाने की वजह से उसके सेंसेटिव निप्पल भी खड़े हो गए थे,जिन्हे वो अपनी ललचाई हुई नजरों से घूर रहा था वैसे ये उसका रोज का काम था, वो जब भी ऑफीस जाती थी , वो रोज सुबह और शाम के समय वहीं गली के बाहर खड़ा होकर उसकी एक झलक पाने के लिए बेताब सा रहता था ..रश्मि को ये सब अच्छा नही लगता था, वो एक सभ्य समाज मे रहने वाली शरीफ औरत थी, और वो लड़का उसके बेटे की उम्र का था ... पर वो कर भी क्या सकती थी... कुछ बोलकर वो बिना वजह का झगड़ा नही करना चाहती थी .और रश्मि को अपनी जवान हो रही बेटी काव्या की भी चिंता थी..ऐसे आवारा किस्म के लड़कों से पंगा लेकर वो अपनी बेटी के लिए कोई मुसीबत मोल नही लेना चाहती थी
 

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