काश कि आप यह समझ सकते,
कि इस कम्बखत काश से रोजाना कितना लड़ते हैं हम,
किसी ना किसी दिन तो पा ही लेंगे ए मंज़िल तुम्हे, ठोकरें ज़हर तो नहीं जो खाकर मर जाएंगे हम..!!
मिल जाओ किसी रोज़ तो तेरी रूह में उतर जाएंगे हम,
बस जाऊँगा ऐसे आँखों में कि किसी और को नज़र ना आएंगे हम,
चाहकर भी कोई छू ना पायेगा हमें, है बस यही गुजारिश की तेरी बाहों में बिखर जाए हम..!!
वो हमें अपना रो-रोकर दर्द सुनाते रहे,
हमारी तन्हाईओं से अपनी नज़र चुराते रहे,
दे दिया हमें बेवफ़ा नाम उन्होंने, क्योंकि हम अपना दर्द अपनी मुस्कराहट में छुपाते रहे..!!
वो अक्सर मिला करते हैं कहानी बनकर,
जो दिल में बसे हैं मेरे निशानी बनकर,
जो रहते हैं हमेशा हमारी नज़रों में, जाने क्यों निकल जाते हैं आँखों से वो पानी बनकर..!!
वफा के रंगों में रंगी है हर शाम आपके लिए,
हैं ये नज़र और हर सांस आपके लिए,
महकते रहो आप सदा फूलों की तरह, है इस ज़िन्दगी की हर सुबह और हर शाम आपके लिए..!!